UP Crime : बीनू शर्मा को अपने घर और बच्चों की चिंता थी, तभी तो वह पति संजय शर्मा से शराब पीने को मना करती थी, लेकिन समझाने पर उसे मिला शारीरिक और मानसिक उत्पीडऩ. फिर बड़ी उम्मीद के साथ उस ने देहरी लांघ कर अनुज दुबे की तरफ कदम बढ़ाए. प्यार करते हुए उस को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया. इस के बावजूद प्रेमी अनुज ने उस के साथ ऐसा छल किया कि…

अनुज दुबे बहुत बेचैन था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह बेवफा प्रेमिका बीनू शर्मा का क्या करे. क्योंकि वह उस से दूरी बना कर अशोक नाम के युवक के संपर्क में आ गई थी. इस बात को ले कर अनुज परेशान था. 11 मई, 2025 की रात 9 बजे अनुज ने बीनू को कौल लगाई और उसे बताया कि वह उस से मिलने आ रहा है. उसे कुछ जरूरी बात करनी है. बीनू इस का कुछ जवाब दे पाती, उस से पहले ही अनुज ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

लगभग एक घंटा बाद रात 10 बजे अनुज बीनू के घर आ गया. उस समय बीनू के बच्चे कमरे के बाहर बरामदे में तख्त पर सो रहे थे और पति संजय शर्मा काम पर गया था. संजय शर्मा एक होटल में काम करता था और रात 12 बजे के बाद ही घर लौटता था. अनुज ने कमरे में घुसते ही बीनू से कहा कि छत पर चलो, वहां एकांत में कुछ जरूरी बातें करनी है. इस पर बीनू ने पूछा कि छत पर ही क्यों? कमरे में बैठ कर भी तो बात कर सकते हैं. तब अनुज ने कहा कि यहां बच्चों के जाग जाने का खतरा है. वह उन की बातों में खलल डाल सकते हैं.

बीनू ने बुझे मन से अनुज की बात मान ली. फिर दोनों सीढिय़ों से छत पर पहुंचे. वहां दोनों बैठ कर बातें करने लगे. बातों ही बातों में अनुज ने बीनू के नए आशिक अशोक की चर्चा छेड़ दी. अशोक के नाम से बीनू भड़क गई और दोनो में गरमागरम बहस होने लगी. इसी बहस में अनुज को गुस्सा आ गया और उस ने बीनू को दबोच लिया. फिर चाकू से उस के गले व सिर पर कई प्रहार किए, जिस से उस का गला कट गया और खून बहने लगा. सिर से भी खून की धार बह निकली. कुछ देर तड़पने के बाद बीनू ने दम तोड़ दिया.

प्रेमिका बीनू की हत्या करने के बाद अनुज ने उस के शव को छत से नीचे खंडहर में फेंक दिया. इस के बाद अनुज ने बीनू का मोबाइल फोन अपने कब्जे में किया और चाकू को साथ ले कर फरार हो गया. इधर रात 12 बजे के बाद संजय शर्मा होटल से घर आया. उस समय वह नशे में था. उस ने एक नजर तख्त पर सो रहे बच्चों पर तो डाली, लेकिन पत्नी बीनू की तरफ उस का ध्यान ही नहीं गया. फिर वह चारपाई पर पसर गया.

सुबह 7 बजे बीनू की 10 वर्षीया बेटी जागी तो उस ने देखा कि पापा तो चारपाई पर सो रहे हैं, लेकिन मम्मी कमरे में नहीं है. उस ने तब अपने छोटे भाई शुभ को जगाया और मम्मी की तलाश में जुट गई. दोनों ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन मम्मी कहीं नहीं दिखी. बेटी ने सोचा कि मम्मी गरमी के कारण कहीं छत पर तो सोने नहीं चली गई. अत: भाई को साथ ले कर वह छत पर पहुंची. छत पर खून फैला देख कर दोनों घबरा गए. बेटी ने छत के नीचे झांक कर देखा तो मकान के पिछवाड़े खंडहर में उसे एक लाश दिखी.

बेटी को समझते देर नहीं लगी कि लाश उस की मम्मी की है. अत: दोनों भाईबहन रोने लगे. रोते हुए दोनों ज्योति शुक्ला के कमरे में पहुंचे. ज्योति भी इसी मकान में किराएदार थी और भूतल पर अपने पति सौरभ शुक्ला के साथ रहती थी. बीनू के बच्चे ज्योति को मौसी कह कर बुलाते थे. सुबहसुबह किराएदार के बच्चों को रोते देख कर मकान मालिक ज्योति ने पूछा, ”क्या बात है बच्चो, तुम दोनों रो क्यों रहे हो? क्या पापा ने मम्मी को मारापीटा है?’’

बेटी बोली, ”नहीं मौसी, पापा तो सो रहे हैं, लेकिन मम्मी घर में नहीं है. छत पर खून फैला है और मकान के पीछे खंडहर में एक लाश पड़ी है. लगता है किसी ने छत पर मम्मी की हत्या कर दी और लाश को छत से नीचे फेंक दिया है.’’

बच्ची की बात सुन कर ज्योति शुक्ला घबरा गई. उस ने दोनों बच्चों को पुचकारा, फिर बच्ची के पापा संजय शर्मा को झकझोर कर जगाया. इस के बाद ज्योति शुक्ला अपने पति सौरभ व बीनू के पति संजय के साथ मकान के पिछवाड़े पहुंची, जहां लाश पड़ी थी. लाश देखते ही सभी के मुंह से चीख निकल पड़ी. क्योंकि वह लाश संजय शर्मा की पत्नी बीनू शर्मा की ही थी. ज्योति शुक्ला ने सूचना थाना चौबेपुर पुलिस को दी.

सूचना के मुताबिक हत्या की यह घटना कानपुर जिले के चौबेपुर कस्बा के ब्रह्मïनगर मोहल्ले में घटित हुई थी. अत: थाना चौबेपुर के एसएचओ राजेंद्र कांत शुक्ला सूचना मिलते ही सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर डीसीपी (वेस्ट) दिनेशचंद्र त्रिपाठी तथा एसीपी अमरनाथ यादव भी मौकाएवारदात पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने जांच शुरू की तो पता चला कि मृतका का नाम बीनू शर्मा है, जो इस मकान में अपने पति संजय शर्मा व 3 बच्चों के साथ रहती थी. बीनू की हत्या किसी नुकीली चीज से गोद कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस के गले व सिर पर गहरे घाव थे. हत्या छत पर की गई थी, फिर शव को छत से नीचे फेंका गया था. मृतका की उम्र 32 वर्ष के आसपास थी. मृतका का मोबाइल फोन भी गायब था. फोरैंसिक टीम ने भी छत से ले कर खंडहर तक बारीकी से जांच की और सबूत जुटाए.

घटनास्थल पर मृतका की मां लक्ष्मी देवी भी मौजूद थी. वह बेटी के शव के पास सुबक रही थी. डीसीपी दिनेशचंद्र त्रिपाठी ने जब उन से पूछताछ की तो वह फफक पड़ी, ”साहब, हमारी बेटी की हत्या हमारे दामाद संजय शर्मा ने की है. वह आदमी नहीं दानव है. वह शराब का लती है. मेरी बेटी को मारतापीटता था. उस की प्रताडऩा से वह मायके आ जाती थी. लेकिन माफी मांग कर बेटी को साथ ले जाता था. बीती रात वह नशे में आया होगा. बेटी के टोकने पर मारापीटा होगा और हत्या कर दी होगी. हुजूर, उसे गिरफ्तार कर लो. उसे फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए.’’

चूंकि लक्ष्मी के आरोप गंभीर थे, अत: डीसीपी दिनेशचंद्र त्रिपाठी के आदेश पर मृतका बीनू के पति संजय शर्मा को इंसपेक्टर राजेंद्र कांत शुक्ला ने हिरासत में ले लिया. फोरैंसिक टीम ने संजय शर्मा के कपड़ों व हाथों का बेंजाडीन टेस्ट किया तो खून के धब्बे पाए गए. सबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

एसीपी अमरनाथ यादव ने मृतका की बेटी तथा किराएदार ज्योति शुक्ला से भी पूछताछ की. बेटी ने बताया कि बीती रात 8 बजे मम्मी ने खाना बनाया था. फिर हम सब ने खाना खाया. उस के बाद हम तीनों भाईबहन तख्त पर सो गए. सुबह आंखें खुलीं तो मम्मी घर में नहीं थी. हम उन्हें खोजते छत पर गए. वहां खून फैला था. छत से नीचे झांका तो खंडहर में मम्मी की लाश पड़ी थी. हम ने ज्योति मौसी को बताया. मौसी ने पापा को जगाया और पुलिस को सूचना दी. मम्मी की हत्या किस ने की, उसे इस बारे में कुछ भी नहीं पता.

किराएदार ज्योति शुक्ला ने बताया कि संजय अपनी पत्नी बीनू को प्रताडि़त करता था. कभीकभी उस की चीखें कानों में पड़ती थीं तो वह उसे बचाने उस के कमरे में जाती थी और संजय को डांटती थी. लेकिन संजय बीनू की हत्या कर देगा, ऐसा उस ने कभी नहीं सोचा था. आज सुबह बच्चे रोते हुए आए थे और मम्मी की हत्या की बात बताई थी. उस के बाद वह उन के साथ गई थी. फिर पुलिस को सूचित किया था. घटनास्थल का निरीक्षण और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल माती भिजवा दिया. संजय शर्मा को थाना चौबेपुर लाया गया.

थाने में जब पुलिस अधिकारियों ने संजय शर्मा से बीनू की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू की तो संजय ने यह बात स्वीकार की कि वह बीनू को प्रताडि़त करता था, लेकिन इस बात से साफ इंकार कर दिया कि उस ने बीनू की हत्या की है. पुलिस ने कई राउंड में संजय से पूछताछ की और हर हथकंडा अपनाया, लेकिन संजय ने बीनू की हत्या का जुर्म स्वीकार नहीं किया. हर राउंड की पूछताछ में संजय एक ही बात कहता कि उस ने हत्या नहीं की.

संजय शर्मा के खिलाफ हत्या के पर्याप्त सबूत थे. बेंजाडीन टेस्ट में भी हाथों व कपड़ों पर खून के सबूत मिले थे. लेकिन वह हत्या से इंकार कर रहा था. हालांकि अभी तक पुलिस आलाकत्ल भी बरामद नहीं कर पाई थी. इसलिए पुलिस के मन में भी संदेह पैदा होने लगा था कि कहीं हत्यारा कोई और तो नहीं. इस संदेह को दूर करने के लिए डीसीपी दिनेशचंद्र त्रिपाठी ने एक बार फिर संजय से पूछताछ की, ”संजय, यदि तुम ने बीनू की हत्या नहीं की तो तुम्हारे हाथों व कपड़ों पर खून के धब्बे कैसे पड़े?’’

”सर, सुबह मैं बीनू के शव के पास गया था. यह जानने के लिए कि कहीं उस की सांसें चल तो नहीं रही हैं. इसी आस में हम ने उस के शव को हिलायाडुलाया था, तभी हाथ व कपड़ों पर खून लग गया होगा. यही बेंजाडीन टेस्ट में आ गया. मैं निर्दोष हूं.’’

”तुम निर्दोष हो तो तुम्हारी पत्नी बीनू का हत्यारा कौन है?’’ डीसीपी ने संजय से पूछा.

”सर, मैं यकीन के साथ तो नहीं कह सकता, लेकिन मुझे शक है कि बीनू की हत्या में अनुज दुबे का हाथ हो सकता है.’’

”यह अनुज दुबे कौन है?’’ डीसीपी दिनेशचंद्र त्रिपाठी ने पूछा.

”सर, अनुज दुबे रौतेपुर गांव का रहने वाला है. किराएदार ज्योति शुक्ला का पति सौरभ शुक्ला भी रौतेपुर गांव का निवासी है. सौरभ और अनुज गहरे दोस्त हैं. अनुज का सौरभ के घर आनाजाना था. सौरभ के घर आतेजाते अनुज की बुरी नजर मेरी पत्नी पर पड़ी. उस ने उसे प्रेमजाल में फंसा लिया. दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. हम ने बीनू को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी.

”इधर बीते कुछ दिनों से दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो गया था, जिस से अनुज का आनाजाना कम हो गया था. सर, मुझे शक है कि बीती रात अनुज घर आया होगा. गरमी के कारण दोनों छत पर बतियाने गए होंगे. फिर वहीं अनुज ने बीनू की हत्या कर दी होगी.’’

अनुज दुबे संदेह के घेरे में आया तो पुलिस ने उस के खिलाफ साक्ष्य जुटाने के लिए बीनू और अनुज दुबे के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से पता चला कि बीनू के मोबाइल फोन पर अनुज की ही आखिरी कौल रात 9 बजे आई थी. रात 11 बजे तक बीनू और अनुज के फोन की लोकेशन बीनू के घर की थी. उस के बाद 11:52 पर बीनू का फोन बंद हुआ था. उस समय उस के फोन की लोकेशन रौतेपुर गांव के पास थी. इस से साफ हो गया कि अनुज फोन कर बीनू के घर रात 10 बजे के आसपास आया, फिर बीनू की हत्या कर उस का फोन साथ ले कर गांव गया और फिर दोनों फोन बंद कर लिए.

पुलिस अधिकारियों के आदेश पर एसएचओ राजेंद्र कांत शुक्ला ने 13 मई की सुबह अपनी टीम के साथ रौतेपुर गांव में अनुज के घर छापा मारा और अनुज को दबोच लिया. उसे थाना चौबेपुर लाया गया. पुलिस अधिकारियों ने अनुज से बीनू की हत्या के बारे में पूछा तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गया और उस ने बीनू की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. यही नहीं, अनुज ने हत्या में प्रयुक्त चाकू व खून से सने कपड़े भी बरामद करा दिए, जो उस ने अपने गांव के बाहर झाडिय़ों में छिपा दिए थे.

मृतका बीनू का मोबाइल फोन जिसे अनुज ने तोड़ कर एक गड्ढे में फेंक दिया था. पुलिस ने उस फोन को भी बरामद कर लिया. साक्ष्य के तौर पर पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित कर लिया. अनुज ने पुलिस को बताया कि वह बीनू से बहुत प्यार करता था. उस के प्यार में इतना डूब गया था कि उसे अपनी पत्नी मान बैठा था. उस के प्यार में उस ने शादी भी नहीं की. उस के सारे खर्च भी वही उठाता था, लेकिन प्यार में उसे धोखा मिला. बीनू उस का प्यार ठुकरा कर किसी और से प्यार करने लगी. प्रेमिका की बेवफाई उसे बरदाश्त नहीं हुई और उसे मार डाला. उसे बीनू की हत्या का कोई अफसोस नहीं है.

चूंकि अनुज ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल चाकू भी बरामद करा दिया था, अत: पुलिस ने मृतका के पति संजय शर्मा को निर्दोष मानते हुए थाने से जाने दिया. साथ ही मृतका की मां लक्ष्मी देवी की तहरीर पर बीएनएस की धारा 103(1) के तहत अनुज दुबे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में पति व प्रेमी से प्रताडि़त महिला की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर जीटी रोड पर एक बड़ा व्यापारिक कस्बा है- चौबेपुर. यह कानपुर (देहात) जिले के अंतर्गत आता है. इसी कस्बे से 2 किलोमीटर दूर बसा है एक गांव गबड़हा. रामकिशन शर्मा का परिवार इसी गांव में रहता था. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे संजय व अजय थे. रामकिशन की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. मेहनतमजदूरी कर किसी तरह वह परिवार का पालनपोषण करता था. समय बीतने के साथ दोनों बेटे बड़े हुए तो वे भी परिवार की सहायता करने लगे.

संजय जब शादी के लायक हो गया तो रामकिशन ने उस का ब्याह बीनू के साथ कर दिया. आकर्षक कदकाठी की छरहरी तथा गौरवर्ण वाली बीनू पचौर गांव के रमेश शर्मा की बेटी थी. 3 भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. संजय बीनू को पा कर बेहद खुश था, क्योंकि उस ने जैसी पत्नी की कल्पना की थी, उसे बिलकुल वैसी ही पत्नी मिली थी. बीनू की मोहक मुसकान, कजरारी आंखें एवं छरहरी काया का वह दीवाना हो गया था. समय हंसीखुशी से बीतता रहा. इस दौरान बीनू 3 बच्चों की मां बन गई. उस का घरआंगन किलकारियों से गूंजने लगा.

बच्चों के जन्म के बाद संजय की जिम्मेदारियां बढ़ गईं तो उस ने शहर कस्बा जा कर पैसा कमाने का फैसला किया. इस बारे में उस ने परिवार वालों से बात की तो वे भी राजी हो गए. अगले ही दिन उस ने अपना सामान समेटा और चौबेपुर कस्बा आ गया. यहां उस ने काम की तलाश शुरू की तो उसे कस्बे के जीटी रोड स्थित राही होटल में वेटर का काम मिल गया. वह अन्य कर्मचारियों के साथ होटल में ही रहने लगा. वेटरों के बीच अकसर शराब पीनेपिलाने का दौर भी चलता था. संजय भी उन के साथ पीता था. धीरेधीरे वह शराब का लती बन गया.

संजय जब कमाने लगा तो उस ने चौबेपुर कस्बे के ब्रह्मïनगर मोहल्ले में एक कमरा किराए पर ले लिया. उस के बाद पत्नी व बच्चों को भी ले आया. किराए के इस मकान में बीनू के 2 साल हंसीखुशी से बीते. उस के बाद दोनों के बीच तकरार होने लगी. तकरार का पहला कारण था- संजय का शराब पी कर घर आना. बीनू शराब पी कर घर आने को मना करती तो वह गालीगलौज करता और बीनू की पिटाई करता. तकरार का दूसरा कारण था- आर्थिक अभाव. बीनू बच्चों व घर खर्च के लिए पैसे मांगती तो वह मना कर देता. जोर देने पर बीनू की धुनाई कर देता.

पति की प्रताडऩा से बीनू परेशान रहने लगी थी. उसे जब अधिक पीड़ा महसूस होती तो वह मायके चली जाती, लेकिन संजय वहां भी पहुंच जाता और हाथपैर जोड़ तथा माफी मांग कर बीनू को ले आता. एकदो माह उस का रवैया ठीक रहता, उस के बाद वह बीनू को फिर प्रताडि़त करने लगता. बीनू यह सोच कर प्रताडऩा सहती कि पति आज नहीं तो कल वह सुधर जाएगा. फिर उस का भी जीवन सुधर जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दिनप्रतिदिन संजय की प्रताडऩा बढ़ती ही गई.

बीनू जिस मकान में किराएदार थी, उसी में ज्योति शुक्ला भी किराएदार थी. ज्योति अपने पति सौरभ शुक्ला के साथ भूतल पर रहती थी, जबकि बीनू पहली मंजिल पर रहती थी. बीनू बच्चों का मुंह देख कर दिन बिता रही थी और पति की प्रताडऩा सह रही थी. समय बिताने के लिए कभीकभार बीनू ज्योति के कमरे में चली जाती थी. वहीं एक रोज उस की मुलाकात हुई अनुज दुबे से. अनुज दुबे रौतेपुर गांव का रहने वाला था. ज्योति शुक्ला का पति सौरभ शुक्ला भी रौतेपुर गांव का था. अनुज और सौरभ बचपन के दोस्त थे. दोस्ती के नाते अनुज सौरभ के घर जबतब आता रहता था. अनुज के पिता की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. अनुज भी नौकरी करता था और खूब कमाता था.

ज्योति शुक्ला के घर अनुज व बीनू का आमनासामना हुआ तो दोनों एकदूसरे को देख कर पलक झपकाना भूल गए. जहां बीनू की आकर्षक देहयष्टि देख अनुज की आंखों में लालच के डोरे उतर आए, वहीं अनुज का खूबसूरत चेहरामोहरा एवं गठीले बदन से बीनू मंत्रमुग्ध सी हो गई थी. ज्योति ने दोनों का एकदूसरे से परिचय कराया तो अनुज ने जल्दी ही अपनी वाकपटुता से बीनू का दिल जीत लिया. बातचीत के दौरान अनुज की नजरें बीनू के जिस्म को तौलती रहीं. वह बारबार कनखियों से उस की तरफ देखता. बीनू की नजरें जब उस की नजरों से टकरातीं तो वह कामुक अंदाज से मुसकरा देता. उस की मुसकराहट से बीनू के दिलोदिमाग में हलचल मचनी शुरू हो गई थी.

दरअसल, बीनू पति की प्रताडऩा से ऊब चुकी थी. अत: जब अनुज की हमदर्दी उसे मिली तो वह उस की ओर आकर्षित हो गई. चूंकि चाहत दोनों तरफ से थी, इसलिए जल्द ही उन के बीच प्यार पनपने लगा. प्यार पनपा तो शारीरिक मिलन शुरू हो गया. बातचीत के लिए अनुज ने उसे एक फोन भी खरीद कर दे दिया. बीनू से अवैध रिश्ता बना तो अनुज उस की आर्थिक मदद करने लगा. उस के बच्चों का भी खयाल रखने लगा. बीनू उस की बाइक पर बैठ कर सैरसपाटे पर भी जाने लगी. बीनू का पति संजय शर्मा होटल में काम करता था. वह दोपहर 11 बजे घर से निकलता और फिर रात 12 बजे के बाद ही घर लौटता था.

पति संजय के होटल जाने के बाद अनुज बीनू के पास आ जाता. दोनों खूब हंसतेबोलते, बतियाते और फिर रंगरलियां मनाते. बीनू अब खुश रहने लगी थी. उस की पेट की और शारीरिक भूख पूरी होने लगी थी. अनुज इतना दीवाना बन गया था कि वह बीनू को अपनी जागीर समझने लगा था. लेकिन एक रोज उन के नाजायज रिश्तों का भांडा फूट गया. उस रोज संजय होटल गया तो था, लेकिन होटल किसी कारण बंद था, इसलिए वापस घर आ गया था. घर आ कर उस ने जो अनर्थ देखा, उस से उस का पारा चढ़ गया. कमरे में बीनू और अनुज हमबिस्तर थे. संजय ने उन्हें धिक्कारा तो कपड़े दुरुस्त कर अनुज तो भाग गया, लेकिन बीनू कहां जाती. उस ने बीनू की जम कर पिटाई की.

अभी तक घर में कलह मारपीट, शराब व आर्थिक परेशानी को ले कर होती थी. अब अनुज को ले कर बीनू का उत्पीडऩ शुरू हो गया था. एक रात पिटाई के दौरान बीनू का धैर्य टूट गया. वह पति से बोली, ”मारपीट कर तुम मुझे चोट पहुंचा सकते हो, लेकिन उस के प्यार को कम नहीं कर सकते. तुम ने कभी सोचा कि बच्चों का पेट भरा है या वह खाली पेट सो रहे हैं. उन के बदन पर कपड़ा है या नहीं. अनुज ने साथ न दिया होता तो मैं कब की बच्चों सहित सुसाइड कर लेती. इसलिए कान खोल कर सुन लो, मैं तुम्हारा साथ छोड़ सकती हूं, लेकिन अनुज का नहीं.’’

बीनू की धमकी से संजय डर गया. इस के बाद उस ने बीनू से टोकाटाकी बंद कर दी. हालांकि उस का उत्पीडऩ जारी रहा. बीनू अब स्वच्छंद रूप से अनुज के साथ घूमने लगी. दोनों के बीच रिश्ता भी कायम रहा. बीनू अनुज के साथ रंगरलियां जरूर मनाती थी, लेकिन कभीकभी उसे ग्लानि भी होती. वह सोचती कि अनुज से दिल लगा कर उस ने अच्छा नहीं किया. पति के साथ धोखा तो किया ही, बच्चों के भविष्य के बारे में भी नहीं सोचा. कल को उस की बेटी सयानी होगी और अनुज उस पर डोरे डालने लगा तो कैसे उसे रोक पाएगी. धीरेधीरे बीनू का प्यार फीका पडऩे लगा और वह अनुज से दूरियां बनाने लगी.

बीनू को मोबाइल फोन चलाने का शौक था. वह फेसबुक और इंस्टाग्राम चलाती थी. इंस्टाग्राम के माध्यम से उस की दोस्ती अशोक नाम के युवक से हुई. दोस्ती प्यार में बदली और दोनों के बीच चैटिंग शुरू हो गई. अशोक से प्यार हुआ तो बीनू अनुज की उपेक्षा करने लगी. अनुज पिछले कई महीने से महसूस कर रहा था कि जब भी वह अपनी प्रेमिका बीनू के घर उस से मिलने जाता है तो वह उस की उपेक्षा करती है. पहले जब वह बीनू के घर जाता था तो वह उस से खूब हंसती, बोलती और बतियाती थी. आवभगत करती थी. लेकिन अब आते ही उस का चेहरा लटक जाता है. न हंसती और न बतियाती है.

बीनू की जुबान में अब कड़वाहट भी आ गई थी. आवभगत करना तो जैसे वह भूल ही गई थी. अनुज की समझ में नहीं आ रहा था कि बीनू के स्वभाव में यह परिवर्तन क्यों और कैसे आया? आखिर एक रोज इस राज का परदाफाश हो ही गया. उस रोज अनुज बीनू से मिलने आया तो वह बाथरूम में नहा रही थी. अनुज कमरे में जा कर पलंग पर बैठ गया. उसी समय उस की नजर बीनू के मोबाइल फोन पर पड़ी, जो पलंग पर तकिए के पास रखा था. अनुज ने उत्सुकतावश बीनू का फोन उठा लिया और चैक करने लगा. अनुज जैसेजैसे मोबाइल फोन चैक करता गया, वैसेवैसे उस के माथे पर बल पड़ते गए.

बीनू का मोबाइल फोन खंगालने के बाद अनुज के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, क्योंकि बीनू ने इंस्टाग्राम के जरिए किसी अशोक नाम के युवक से दोस्ती गांठ ली थी. दोनों के बीच चैटिंग होती थी. बीनू का इंस्टाग्राम पर अकाउंट था. उस ने एक जगह लिखा था, ‘तुम ने तो 2 बूंद ही मांगी थी, हम ने तो समंदर ही लुटा दिया.’ इस का मतलब था कि दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन चुका था. फोन में दोनों के अश्लील फोटो भी मौजूद थे. अनुज अब समझ गया था कि बीनू ने उसे दिल से क्यों निकाल फेंका है. क्योंकि उस ने नए आशिक अशोक को दिल में बसा लिया है. इसी कारण उस के स्वभाव में परिवर्तन आ गया है.

कुछ देर बाद बीनू बाथरूम से निकली तो कमरे में बैठे अनुज को देख कर सकपका गई. फिर गुस्से से बोली, ”अनुज, तुम्हें फोन कर के आना चाहिए था. इस तरह किसी के घर आना अच्छी बात नहीं. आइंदा इस बात का खयाल रखना.’’

”मैं कोई पहली बार तो तुम्हारे घर आया नहीं. इस के पहले भी बेधड़क आताजाता रहा हूं. तब तो तुम ने कभी टोकाटाकी नहीं की.’’ अनुज ने बीनू की बात का जवाब दिया. कुछ देर कमरे में सन्नाटा पसरा रहा. फिर अनुज ने बीनू के चेहरे पर नजरें गड़ा कर पूछा, ”बीनू, यह अशोक कौन है? इस से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’’

अशोक का नाम सुनते ही बीनू अंदर ही अंदर घबरा गई. वह जान गई कि अनुज ने उस का मोबाइल फोन खंगाला है. फिर भी वह संभलते हुए बोली, ”अशोक मेरा दूर का रिश्तेदार है. हम दोनों की इंस्टाग्राम के जरिए से दोस्ती हुई थी.’’

”सिर्फ दोस्ती या फिर नाजायज रिश्ता भी है.’’ अनुज ने कटाक्ष किया.

”तुम मुझ पर लांछन लगा कर अपनी हद पार कर रहे हो अनुज,’’ बीनू भी भड़क उठी.

”मैं अपनी हद पार नहीं कर रहा हूं, बल्कि सच्चाई बयां कर रहा हूं. मोबाइल फोन में मौजूद अश्लील फोटो और चैटिंग इस बात का सबूत है कि तुम दोनों के बीच नाजायज रिश्ता है. इसी कारण तुम मेरी उपेक्षा करती हो.’’

पोल खुल जाने से बीनू डर गई थी. वह बात बढ़ाना नहीं चाहती थी, अत: धीमी आवाज में बोली, ”अनुज, तुम्हें जो समझना है, समझो. मैं तुम्हारा शक तो दूर नहीं कर सकती.’’

उस दिन बहस के बाद अनुज घर चला तो गया, लेकिन उस के बाद उस का दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गई. उसे प्रेमिका बीनू की बेवफाई रास नहीं आई. वह सोचता कि जिस के लिए उस ने अपना तन, मन, धन सब न्यौछावर कर दिया, वही बेवफा बन गई, जिस को वह प्रेमिका की जगह पत्नी मानने लगा, जिसे वह अपनी जागीर समझने लगा, जिस के लिए उस ने शादी भी नहीं की. उसी ने उस के साथ इतना बड़ा धोखा किया. ऐसी बेवफा प्रेमिका को वह कभी माफ नहीं करेगा. उसे उस की बेवफाई की सजा जरूर मिलेगी. वह उस की न हुई तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा.

इस के बाद अनुज ने अपनी प्रेमिका बीनू की हत्या का प्लान बनाया. प्लान के मुताबिक वह चौबेपुर बाजार गया और एक तेज धार वाला चाकू खरीदा और उसे अपने पास सुरक्षित रख लिया. फिर योजनानुसार उस की हत्या कर दी. अनुज से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 14 मई, 2025 को अनुज को कानपुर (देहात) की माती कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मृतका के बच्चे नानी लक्ष्मी के साथ रह रहे थे.

 

 

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