Crime Story: मनोरमा और राजकमल दोनों ही उच्च श्रेणी के डांसर्स थे. लेकिन राजकमल की महत्त्वाकांक्षाओं ने ऐसा जोर मारा कि वह अपनी पत्नी के साथ अपराध के जाल में फंस गया. मोहन मोहंती, मोना और नरसिंह आखिर कैसे पहुंचे उन तक?

एम 3 ग्रुप का चीफ मोहन मोहंती मुंबई लेखा परीक्षक के औफिस के पास स्थित मथीरन की पहाडि़यों पर ट्रैकिंग के लिए जाने की योजना बना रहा था, लेकिन समूह के एक निदेशक दिनेश मूलचंदानी का फोन आ गया. निदेशक ने उसे इमरजेंसी मीटिंग के लिए बुलाया था. फोन आने के एक घंटे के भीतर वह निदेशक के आलीशान बंगले पर पहुंच गया. मोहन दिनेश मूलचंदानी के बंगले में प्रविष्ट हुआ तो दिनेश और उस की पत्नी उसे स्टडी रूम में ले गए और कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. दोनों परेशानी के आलम में थे और काफी घबराए हुए थे. सोनिया ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन उस के शब्द गले में अटक कर रह गए. दिनेश मूलचंदानी से भी कुछ नहीं बोला जा रहा था.

उन्होंने एक फोटो और एक कागज का टुकड़ा मोहन के हाथ में थमा दिया. मोहन ने फोटो पर एक नजर डाल कर कागज पर लिखी इबारत को पढ़ना शुरू किया. लिखा था— तुम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि फोटो बेहद शर्मनाक है. मैं मानता हूं कि यह कारनामा कंप्यूटर के किसी आधुनिक सौफ्टवेयर की मदद से किया गया है, लेकिन है शानदार. मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तुम इसे गलत साबित नहीं कर पाओगे. अगर कोशिश भी करोगे तो काफी दिन लग जाएंगे और तब तक तुम्हारे परिवार की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. इस लिए एक अच्छे आदमी की तरह इसे अपनी किस्मत समझ कर स्वीकार कर लो.

आगे लिखा था— नताशा पूरे सम्मान के साथ डोली में बैठ कर अपनी ससुराल जाएगी, लेकिन यह तुम्हारे हाथ में है. वैसे हमारा कंप्यूटर एक्सपर्ट आजकल खाली है, वह ऐसी कई तस्वीरें बना सकता है. मुझे उम्मीद है कि एक शरीफ पिता की तरह तुम मानसिक रूप से तैयार हो जाओगे. पैसा कहां पहुंचाना है, इस के लिए जगह और समय बाद में बताया जाएगा. मोहन ने जिज्ञासा भरी एक नजर फोटोग्राफ पर डाली. जैसा कि पत्र में लिखा गया था, दिनेश और सोनिया की सब से बड़ी बेटी नताशा मूलचंदानी अपनी ही उम्र के एक लड़के के साथ आपत्तिजनक हालत में बिस्तर पर दिखाई दे रही थी. जिस का अधिकतर हिस्सा चादर से ढका हुआ था, केवल चेहरा, कंधे और पैर दिखाई पड़ रहे थे. मोहंती ने नोटिस किया कि फोटो में कंधे और पैर नंगे थे.

दिनेश मूलचंदानी फट पड़ा, ‘‘ब्लैकमेलर ने धमकी दी है कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो ऐसे कुछ फोटोग्राफ्स हमारे समधी के यहां भेज देगा. मोहंती तुम जानते हो कि आज से 14 दिन बाद नताशा की शादी होने वाली है. पता नहीं उस का अगला लेटर कब आ जाए.’’

इस बीच सोनिया की हालत कुछ सुधर गई थी और वह बोलने लायक हो गई थी. उस ने लगभग रोते हुए कहा, ‘‘मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. मेहरबानी कर के कोई चांस मत लो, इस मक्कार आदमी को वह दे दो जो वह चाहता है ताकि मामला यहीं खत्म हो जाए.’’

‘‘मैडम, पैसे देना समस्या का समाधान नहीं है. वक्तवक्त पर ब्लैकमेलर की मांग बढ़ती जाएगी. मुझे 3 दिन का समय दीजिए. देर शाम तक मैं आप को सारी रिपोर्ट दे दूंगा, उस के बाद आप को तय करना होगा कि क्या करना है.’’ मोहंती ने आश्वासन देने की कोशिश की.

सोनिया और दिनेश के दिल में मोहन के लिए बेहद सम्मान था, इसीलिए उन्होंने सब से पहले इन स्थितियों से निपटने के लिए उसे ही बुलाया था. उस की बातों से सोनिया को कुछ तसल्ली हो गई थी, उस ने मोहन से नाश्ते के लिए कहा, लेकिन मोहन ने मना कर दिया. जिस लिफाफे में फोटोग्राफ और पत्र आया था, उसे ले कर मोहन अपने औफिस की ओर चल दिया. रास्ते से ही उस ने अपनी सचिव मोना और अपने असिस्टेंट नरसिंह को फोन कर के तुरंत औफिस पहुंचने के लिए कहा. जैसी कि उम्मीद थी, मोना ने मना कर दिया, ‘‘शनिवार को औफिस क्यों? अगर तुम किसी मामले में मेरे साथ विचारविमर्श करना चाहते हो तो यह फाइव स्टार होटल या कौफी शौप में भी हो सकता है.’’

मोहन के पास इस के अलावा कोई चारा नहीं था कि मीटिंग की जगह बदले. फलस्वरूप 30 मिनट बाद वे तीनों ताजमहल होटल की कौफी शौप की एक टेबल पर बैठे कौफी पी रहे थे. मोहन ने उन दोनों को पत्र और तसवीर दिखाने के बाद पूरी कहानी सुनाई. फिर कहा, ‘‘ब्लैक मेलर ने खुद स्वीकार किया है कि तस्वीरें नकली हैं. फिर भी अगर ये तसवीरें नताशा की ससुराल भेज दी जाएं तो उस की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. हमें सोमवार की शाम तक हर हालत में ब्लैकमेलर को ढूंढ निकालना है. मैं मानता हूं कि हमारे पास समय कम है, लेकिन हमें यह करना होगा.’’

‘‘हमारे पास किसी मामले को आराम से हल करने का समय कब होता है? और यह हमेशा शनिवार की सुबह ही क्यों होता है? अब, मेरा पूरा हफ्ता बरबाद हो जाएगा.’’ मोना बड़बड़ाई.

मोहन ने मोना की बड़बड़ाहट को नजरअंदाज कर दिया, वह जानता था कि अगर एक बार मोना ने तगड़ा सा नाश्ता कर लिया तो उस में अगाथा क्रिस्टी की आत्मा समा जाएगी. इस के लिए उस ने मोना को नाश्ते का आर्डर देने को कहा. नरसिंह राव को लोग ‘आइसबर्ग’ के नाम से पुकारते थे. मोहन की नजर में वह जितना समझदार और स्मार्ट नजर आता था, वह उस की मूल योग्यता और स्मार्टनैस का केवल दसवां हिस्सा भर ही था. नरसिंह ने करीब 6 साल पहले मोहन का औफिस ज्वाइन किया था. उस समय औफिस का प्रशासनिक विभाग आए दिन औफिस में होने वाली चोरियों से परेशान था. हर दूसरे दिन औफिस से कोई कीमती चीज या किसी का महंगा मोबाइल फोन गायब हो जाता था.

प्रशासनिक विभाग के प्रभारी ने इस की शिकायत मोहन से की, तो उस ने यह मामला नरसिंह के हवाले कर दिया. इस के चौथे दिन ही नरसिंह ने बता दिया कि चोर सैमुअल है. जब मोहन ने उस से पूछा कि वह ऐसा किस आधार पर कह रहा है और कैसे साबित करेगा कि वह चोर है, तो नरसिंह ने चोर को रंगेहाथों पकड़ने की अनुमति मांगी. उस ने अपनी योजना भी मोहन को बता दी. अगले दिन नरसिंह ने लंचटाइम में नया लेकिन सस्ता सा चाइनामेड फोन औफिस की टायलेट के पास रख छोड़ा. जैसी कि उम्मीद थी, एक घंटे बाद फोन वहां नहीं था. दो घंटे बाद मोहन और नरसिंह सैमुअल के केबिन में जा कर उस के सामने बैठ गए. नरसिंह ने अपने फोन से एक नंबर डायल किया तो अचानक मोबाइल की घंटी बज उठी. आवाज सैमुअल के लैपटौप बैग से आ रही थी. विश्वास से भरे नरसिंह ने बैग खोला और मोबाइल फोन बाहर निकाल लिया.

ऐसा लगा जैसे सैमुअल गूंगा हो गया हो. उस ने सफाई देने की कोशिश की, ‘‘यह मोबाइल फोन मुझे टायलेट के पास मिला था और मैं प्रशासनिक औफिस में जमा कराने जाने ही वाला था.’’

नरसिंह ने अपनी बात पर जोर दे कर कहा, ‘‘नहीं जनाब, आप उसे साथ ले कर कहीं नहीं जाने वाले थे. अगर ऐसा होता तो आप फोन से सिम कार्ड नहीं निकालते. लेकिन दुर्भाग्य से आप यह नहीं जान पाए कि चीन के बने फोन थोड़े अलग तरह के होते हैं. इस मोबाइल फोन में दो सिम हैं. इन दो सिमों में से एक सिम छिपा रहता है.’’

उसी दिन सैमुअल को कंपनी से निकाल दिया गया. मोहन आश्चर्य में रह गया, उस ने नरसिंह से पूछा कि सैमुअल पर उस ने कैसे फोकस किया? इस के जवाब में उस ने बताया कि जिसजिस दिन चोरियां हुईं थीं. मैं ने उन दिनों का औफिस में ड्यूटी पर आने वालों का रिकौर्ड खंगाला. मैं ने देखा कि जिस दिन सैमुअल औफिस नहीं आता था, उस दिन चोरी नहीं होती थी. इस का मतलब था कि चोरी सैमुअल ही करता था. मोहन ने नरसिंह को शाबाशी दी और प्यार से उस का नाम ‘आइसबर्ग’ रख दिया. नाश्ता आ चुका था और मोना उस के साथ पूरापूरा न्याय कर रही थी. आश्चर्यचकित मोहन सोच रहा था कि इतना मक्खन, पनीर, क्रीम, इडली और इतने मीठे रस मोना की बौडी में ठहर क्यों नहीं रहे हैं. उसे अपनी तरफ निहारते हुए देख कर मोना ने कहा, ‘‘मोहन, मेरी कैलोरीज गिनना बंद करो और नाश्ते का मजा लो नहीं तो कपंनी का पैसा बरबाद होगा.’’

मोहन और आइसबर्ग ने भी मोना का साथ देना शुरू कर दिया. जब मोना भरपेट खा चुकी तो उस ने एक कप कौफी का और्डर दिया और धमकी वाले पत्र और फोटो में खो गई. मोहन ने आंखें चमकाते हुए आइसबर्ग को देखा, दोनों जानते थे कि जल्द ही अब कुछ पता लगने वाला है. करीब 10 मिनट पत्र का परीक्षण करने, पढ़ने और सोचने के बाद मोना ने बोलना शुरू किया, ‘‘ऐसा लगता है कि ब्लैकमेलर का कुछ न कुछ संबंध कुमाऊं क्षेत्र है, पत्र में लिखे गए शब्द दाज्यू का मतलब है आदणीय बड़े भाई, जो कुमाऊं में बोला जाता है.’’

‘‘बहुत खूब.’’ मोहन ने मोना की हिम्मत बढ़ाई.

‘‘फोटोग्राफ इंडिया में ही खींचा गया है. यह बात मैं इस आधार पर कह सकती हूं क्योंकि जिस चादर में जोड़ा लिपटा हुआ है, वह बौंबे डाइंग की है. नरसिंह लड़के लड़की की त्वचा का रंग देखो, यह भी किसी चीज की ओर इंगित कर रहा है.’’ कहते हुए मोना ने फोटो आइसबर्ग के हाथ में थमा दी.

‘‘त्वचा का रंग? मुझे देखने दो.’’ आइसबर्ग ने एक मिनट तक फोटो को ध्यान से देखने के बाद कहा, ‘‘बहुत अच्छा पकड़ा, केवल लड़की का चेहरा ही नहीं बल्कि लड़के का चेहरा भी बदला गया है. आम तौर पर कंधों का रंग चेहरे से अधिक गोरा होता हे, लेकिन इस फोटो में चेहरे कंधों से अधिक गोरे हैं.’’

‘‘शाबाश मोना, आइसबर्ग अब तुम्हारी बारी है. देखते हैं, तुम्हें क्या मिलता है.’’ मोहन ने आइसबर्ग को चुनौती देने वाले अंदाज में कहा. आइसबर्ग ने तुरंत धमकी वाला पत्र और फोटोग्राफ ले लिए. और गौर से देखने लगा. कंप्यूटर संबंधी चीजों का अध्ययन करने के बाद वह फोटो को गौर से देखते हुए बोला, ‘‘इस पत्र और फोटो में जो कागज इस्तेमाल किया गया है वह जनता कंपनी का एक्सएल साइज है. लेबल के जिस कागज पर पता लिखा गया है, वह कैमलिन ब्रांड का है और बहुत ही अच्छी क्वालिटी का है.’’

निस्संदेह ये तीनों चीजें महंगी और अच्छी गुणवता वाली हैं, लेकिन जिस प्रिंटर पर प्रिंट निकाला गया है, वह इंक जेट प्रिंटर से निकाला गया है. प्रिंट की गुणवत्ता से पता चलता है कि इस में रीफिल्ड कार्टि्रज इस्तेमाल किया गया है.’’

‘‘बहुत अच्छा, इस के अलावा और कुछ?’’ मोहन ने सराहना भरे लहजे में कहा.

‘‘हां, पत्र में शायद गोथिक फौंट का इस्तेमाल किया गया है, यह फोंट इंक का खर्च 30 प्रतिशत तक कम कर देता है. कार्टि्रज के खर्च को कम करने के लिए फौंट का साइज भी 11 के बजाय 10 रखा गया है, जिस से पता चलता है कि ब्लैकमेलर को कागज के कीमती होने की पूरी जानकारी है.’’ आइसबर्ग ने निष्कर्ष निकाला.

मोहन आइसबर्ग के विश्लेषण पर हामी भरते हुए मोना की ओर देख कर बोला, ‘‘तुम दोनों ने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है. अब जो मैं ने देखा है उस की ओर आते हैं. लिफाफे पर लगी डाकघर की मुहर को देखो, यह शहर के ही नेहरू नगर के डाकघर की मुहर है. यह तो तुम्हें पता ही होगा कि नेहरू नगर क्षेत्र में एक बहुत बड़ी रिहाइश कुमाऊं के लोगों की है. दस साल पहले आए भूकंप में जो तबाही हुई थी, उस से प्रभावित लोगों को नेहरू नगर में फ्लैट आवंटित किए गए थे.

‘‘अब हम इस घटना को अपनी विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखते हैं. लेकिन याद रहे कि यह धारणा बगैर किसी सबूत की होगी. सबूतों के लिए हमारे पास 2 दिन हैं.’’ मोहन ने टिप्पणी करते हुए अपनी बात कहना जारी रखी, ‘‘इस सब के पीछे नेहरू नगर में रहने वाला कोई कुमाऊंनी जोड़ा है. इस जोड़े ने अपने ही फोटोग्राफ का इस्तेमाल किया है और अपने चेहरे की जगह पर नताशा और किसी दूसरे लड़के के चेहरे पेस्ट किए हैं. इस के लिए उन्होंने मार्फिंग सौफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है. यह मार्फिंग सौफ्टवेयर शायद फैंटामार्फ 5 या मारफेस होगा, जो इन लोगों ने अपने घर पर कंप्यूटर में लगा रखा होगा. निस्संदेह वह किसी नामी कंपनी में काम करता है, जहां से इतनी महंगी चीजें चुरा कर घर के इंकजेट प्रिंटर से प्रिंट निकालता है.’’

आइसबर्ग ने बीच में टोका, ‘‘मोहनजी, इस तस्वीर को जितनी खूबसूरती से मार्फ किया गया है, उस से लगता है कि यह फैंटामार्फ 5 सौफ्टवेयर से किया गया है. यह सौफ्वेयर कार्ड द्वारा भुगतान कर के इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है लेकिन मुझे लगता है कि यह डाउनलोड नहीं किया गया है. संभव है यह पायरेटेड हो और शहर के कंप्यूटर मार्केट से खरीदा गया हो.’’

मोना भी पीछे रहने वाली नहीं थी, उस ने भी चरचा में भाग लेते हुए कहा, ‘‘हमें यह भी पता लगाना है कि नताशा की तसवीर ब्लैकमेलर के पास कैसे पहुंची? यह काम घर के किसी आदमी का है या उस ने नताशा की तसवीर कहीं से उठा कर ऐसा किया है?’’

मोहन को अच्छा लगा कि उसे इतने अच्छे सहायक मिले, वह बोला, ‘‘अब हमारा आज का काम यह है आइसबर्ग कि तुम कंप्यूटर मार्केट जाओ और सौफ्टवेयर बेचने वालों के बारे में पता करो. मोना तुम मूलचंदानी के घर जाओ और पता करने की कोशिश करो कि नताशा का फोटो ब्लैकमेलर के पास कैसे पहुंचा? मैं नेहरू नगर जा कर वहां से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता हूं.’’

मोना के चेहरे पर एक नजर डालते हुए मोहन ने घोषणा की, ‘‘दोपहर 2 बजे हम फिर यहीं मिलेंगे और अपनी दिन भर की जानकारी पर डिस्कस करेंगे. अब तक मोना पर अगाथा क्रिस्टी की आत्मा पूरी तरह से हावी हो चुकी थी और फाइव स्टार होटल के महंगे लंच में उस की कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी. उस ने कहा, ‘‘नहीं मोहन, हम औफिस में मिलेंगे. मामला गंभीर है और हम नहीं चाहते कि लोग अनुमान लगाएं कि एम 3 चंदानी समूह में कुछ ऐसावैसा हुआ है. मैं औफिस में ही लंच की व्यवस्था कर लूंगी.’’

मोना ने धमकी वाला पत्र और तसवीरें अपने पर्स में डाल लीं, फिर तीनों अपनेअपने रास्ते चले गए. निदेशक मूलचंदानी का बंगला होटल के सब से नजदीक था, इसलिए मोना सब से पहले अपने लक्ष्य पर पहुंच गई. एक दिन पहले तक नताशा की शादी को ले कर वहां पर बहुत गहमागहमी थी, मगर आज सारी तैयारियां रुकी सी लग रही थीं. दिनेश और सोनिया मोहन द्वारा किसी खबर का इंतजार कर रहे थे. मोना के आने से उन के चेहरे पर कुछ राहत के आसार दिखाई दिए. सोनिया ने मोना का हाथ अपने हाथ में ले कर बड़े अपनेपन से पूछा, ‘‘तुम्हें कुछ पता चला क्या?’’

‘‘सोनिया मैडम, आप चिंतित न हों. हमारे बड़े सर मोहनजी अपना काम कर रहे हैं. अब तो ब्लैकमेलर को चिंता करनी चाहिए. मैं आप से जानना चाहती हूं कि उस हरामजादे के पास नताशा का फोटो कैसे पहुंचा?’’ मोना ने नताशा के फोटो के संबंध में और भी कई सवाल पूछे.

एमके बाजार को लोग कंप्यूटर से संबंधित सामान के लिए देश की सब से बड़ी मार्केट कहते हैं. आमतौर पर माना जाता है कि अगर कहीं भी कोई सौफ्टवेयर या हार्डवेयर बना है तो वह यहां मिल जाता है. असल या पाइरेटेड किसी भी रूप में. वहां पर तमाम दुकानें तो थीं ही, लेकिन इस के साथ कई लड़के भी घूम कर कारोबार करते थे. ये सभी जवान थे, अधिकतम 25 साल की उम्र तक के. उन में से कोई भी ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. रहे होंगे ज्यादा से ज्यादा दसवीं पास. ये लोग डुप्लीकेट हार्डवेयर और पायरेटेड सौफ्टवेयर का व्यापार करते थे, इसलिए उन की कोई स्थाई दुकान नहीं थी.

वहां पर मोहन के कुछ जानकार थे. उन्हें मोहन के सहयोगी नरसिंह के आगमन के बारे में भी पता लग गया और उस के उद्देश्य के बारे में भी. नरसिंह वर्मा से मिला, वह वहां काम करने वाले लोगों में सब से पुराना था और अब वहां के इज्जतदार दुकानदारों में था. उस के पास कई अच्छी कंपनियों की एजेंसियां थीं. उन में से कई एजेंसियां उसे मोहन की सिफारिश पर ही मिली थीं.

‘‘मैं एक ऐसे खरीदार को ढूंढ़ रहा हूं जिस ने मार्फिंग सौफ्टवेयर खरीदा हो. मुझे विश्वास है कि यह सौफ्टवेयर यहां के किसी लड़के से पिछले 2-3 सप्ताह के अंदर खरीदा गया है.’’ नरसिंह ने वर्मा से कहा.

वर्मा एक अजीब सी नजर उस के चेहरे पर डाल कर बोला, ‘‘नरसिंह, मुझे तुम से ऐसी मूर्खतापूर्ण बात की उम्मीद नहीं थी. हम दिन भर में दर्जनों सौफ्टवेयर बेचते हैं और तुम हम से उस आदमी की पहचान बताने को कह रहे हो जिस ने हम से 2-3 सप्ताह पहले सौफ्टवेयर खरीदा था.’’

नरसिंह ने इस बात को अनसुना कर के कहना जारी रखा, ‘‘ज्यादा उम्मीद यही है कि वह कुमाऊं का रहने वाला रहा होगा और वहीं के लोगों जैसा दिखता होगा.’’

‘‘नरसिंह, तुम मेरे लड़कों को जानते हो, वे कश्मीरी या बंगाली में बात नहीं कर पाते. तुम उन से बात करोगे तो वे सोचेंगे कि कुमाऊं गूगल कोई नया सौफ्टवेयर है.’’ वर्मा ने यह बात बड़ी उदासीनता से कही थी, लेकिन नरसिंह के चेहरे पर छाई हुई निराशा को देख कर उस ने उस की मदद करने का फैसला किया.

‘‘वैसे तो तुम जो सोच रहे हो, वह भूसे के ढेर में से सुई निकालने जैसा है, फिर भी मैं किसी ऐसे खरीदार के बारे में जानने की कोशिश करता हूं.’’

वर्मा ने पूरे बाजार में यह संदेश पहुंचा दिया और थोड़ी देर में उस के पास तमाम तरह की जानकारी आ गईं. मसलन एक स्टूडेंट जैसा लड़का आया था, वह पैसे के बारे में बहुत चर्चा कर रहा था.  एक आर्किटेक्ट ने सौफ्टवेयर खरीदा था, वह पायरेटेड सौफ्टवेयर का बिल मांग रहा था. एक क्लर्क था जो खरीद पर कमीशन मांग रहा था. तरहतरह की जानकारी आईं, लेकिन कोई भी काम की नहीं थी. नरसिंह समझ गया कि उस की सारी मेहनत बेकार गई, फिर भी उस ने वर्मा को धन्यवाद दिया और उस से गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए कहा कि अगर इस बारे में कुछ भी पता लगे तो से सूचना जरूर दे दें. इस के बाद वह दुकान से निकल आया.

उधर मोहन ने शहर के दूसरे हिस्से नेहरू नगर में अपनी कार एक दुकान के सामने रोकी. इस दुकान पर एवन कंप्यूटर का बोर्ड टंगा हुआ था. यह पता उसे जस्ट डायल सेवा से लगा था कि एवन कंप्यूटर मेंटनेंस का ठेका लेता है. दुकान में प्रवेश करते ही मोहन को अंदाजा हो गया कि उस दुकान का कंप्यूटर से कोई ज्यादा लेनादेना नहीं है, बस दुकान पर कंप्यूटर मेंटनेंस का बोर्ड ही लगा था. दुकान में कंप्यूटर से जुड़ी अगर कोई चीज थी तो वह माउस और पैड ही थे. वास्तव में यह एक तरह से कंप्यूटर स्टेशनरी की दुकान थी. दूसरी दुकान तिकरोडील (पंजीकृत) कंप्यूटर थी, जिस पर पंजीकृत काफी बड़ा लिखा था. लेकिन मोहन को निराशा ही मिली. इस दुकानदार का भी कंप्यूटर से कोई लेनादेना नहीं था, उस का असली काम विदेशों में अवैध तरीके से सस्ती काल कराना था.

यह सब देख कर मोहन पर थोड़ी खीझ सवार होने लगी थी, लेकिन फिर भी वह उस तीसरी दुकान पर पहुंचा, जिस का पता जस्ट डायल से मिला था. दुकान के बाहर लगे बोर्ड पर बड़े अक्षरों में ‘24 कैरेट कंप्यूटर्स’ लिखा हुआ था. दुकान के नाम से पता लगता था कि निश्चय ही उस का मालिक सामान की गुणवत्ता पर ध्यान देता होगा. इसीलिए उस ने दुकान का नाम 24 कैरेट रखा है. वैसे भी यह दुकान सही रूप से कंप्यूटर की दुकान थी. इस दुकान पर कंप्यूटर्स की रिपेयरिंग होती थी. मोहन को अंदर आते देख दुकानदार ने समझा कि शायद वह उस का नया ग्राहक है, इसलिए उस ने गर्मजोशी से मोहन का स्वागत किया, लेकिन जब मोहन ने अपने आने की मूल वजह बताई तो उस के उत्साह पर पानी पड़ गया.

मौके की नजाकत को समझते हुए मोहन ने वादा किया कि वह उस के बहुमूल्य समय की कीमत जरूर चुकाएगा. फिर उस से पूछा, ‘‘क्या वह इस क्षेत्र में किसी ऐसे व्यक्ति को जानता है जिस के घर पर कंप्यूटर और प्रिंटर हो, और वह अपने इंकजेट प्रिंटर में रीफिल कार्टि्रज इस्तेमाल करता हो?’’

‘‘नेहरू नगर जैसे पिछड़े क्षेत्र में कौन असली कार्टि्रज इस्तेमाल करेगा. वह इतनी महंगी होती है कि इस क्षेत्र का रहने वाला कोई भी वहन नहीं कर सकता. क्योंकि कालोनी में अधिकांश क्लर्क और छोटे दुकानदार ही रहते हैं.’’

‘‘क्या तुम ऐसे किसी पहाड़ी आदमी को जानते हो, जो कुमाऊं क्षेत्र का रहने वाला हो और ऐसे प्रिंटर का उपयोग करता हो?’’

‘‘हमारे यहां कौन आएगा? ये सारे क्लर्क और दुकानदार जानते हैं कि कंप्यूटर, प्रिंटर कैसे रिपेयर किया जाता है. इस क्षेत्र में कंप्यूटर मरम्मत की 17 दुकानें हैं और सारे के सारे इस क्षेत्र से जाने या यह काम छोड़ने की सोच रहे हैं.’’

मोहन ने तीसरा सवाल पूछने का विचार छोड़ दिया और दुकानदार को अपने विजिटिंग कार्ड के साथ सौ रुपए का नोट थमा कर दुकान से बाहर आ गया. मोहन और नरसिंह दोनों निराशा भरी थकान के साथ औफिस पहुंचे. उन्हें लग रहा था कि उन की अब तक की सारी मेहनत बेकार गई. अब वे यह सोच कर परेशान हो रहे थे कि इस मामले को कैसे आगे बढ़ाएं. पहली नजर में सौफ्टवेयर बेचने वाले के माध्यम से फैंटामोर्फ 5 सौफ्टवेयर के खरीदार तक पहुंचना अथवा कंप्यूटर मरम्मत की दुकान के माध्यम से प्रिंटर तक पहुंचना, दोनों ही आइडिए बेकार साबित हुए थे. जासूसी के बारे में प्रसिद्ध कहावत है कि अगर सौ बातों में एक बात भी काम की मिल जाए, तो खुद को भाग्यशाली समझो. बस यह सोच कर उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई.

अब सारा दारोमदार मोना पर था. सारी उम्मीदें उसी से जुड़ी थीं, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि हमेशा की तरह वह इस बार भी उन्हें निराश नहीं करेगी और हुआ भी ऐसा ही. उस ने जांच का सारा रुख ही पलट दिया. जब उस ने कमरे में प्रवेश किया तो उस के हाथों में सब के लिए बर्गर के पैकेट थे.

‘‘मोहन, मुझे लगता है कि इस धमकी वाले पत्र का कोई न कोई संबंध जरूर मलायका डांस इंस्टीट्यूट से है. नताशा मूलचंदानी. पिछले कई वर्षों से इस संस्थान में शास्त्रीय नृत्य सीख रही है. यह संस्थान हर साल अपनी कामों की एक रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिस में उन के कार्यों और डांस सीखने वालों के बारे में छापा जाता है. इस में कई प्रशंसकों के विज्ञापन भी प्रकाशित किए जाते हैं.’’

मोना ने कहना जारी रखा, ‘‘मैं यह जानना चाहती थी कि नताशा की यह खास फोटो ब्लैकमेलर के पास कैसे पहुंची. मैं ने नताशा से इस तसवीर को देख कर याद कर के बताने को कहा कि उस ने इस तरह की तसवीर कहां और कब खिंचाई थी. उस ने याद कर के बताया कि यह फोटो डांस इंस्टीट्यूट की वार्षिक पत्रिका में छपी थी. यह सुन कर सोनिया मैडम संस्थान की पत्रिका उठा लाईं और सौभाग्य से यह तसवीर उस में मिल गई. लेकिन इस पत्रिका से एक नहीं 2 तस्वीरें ली गई थीं.’’

मोहन और नरसिंह दोनों एकसाथ बोल पड़े, ‘‘वाह, क्या बात है. तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुम्हें मैगजीन में दोनों फोटो मिल गईं?’’

‘‘हां, नताशा का चेहरा भी इसी मैगजीन से लिया गया है, और लड़के का चेहरा भी इसी पत्रिका से. यह फेयर क्रीम का विज्ञापन ध्यान से देखो, मौडल का चेहरा ब्लैकमेलर के मार्फ किए गए फोटोग्राफ से मिलता है.’’ कहते हुए मोना ने संस्थान की पत्रिका का एक पृष्ठ खोल कर सामने रख दिया. मोहन और नरसिंह ने पत्रिका में छपे नताशा और मौडल के चेहरे को कई बार बहुत बारीकी से देखा और उन की तुलना धमकी वाले पत्र के साथ आए फोटोग्राफ्स से की. मोना का निशाना बिलकुल सही जगह लगा था.

‘‘मेरे पास बताने के लिए एक चीज और है. दरअसल, धमकी वाले पत्र के साथ आई तसवीर किसी डांस शो के ठीक बाद खींची गई थी.’’

‘‘मोना ने सब वे से लाए बर्गर के पैकेट को खोलते हुए कहना जारी रखा,’’ धमकी वाले पत्र को ध्यान से देखो और बताओ कि मैं ने यह कैसे जाना?  मोहन और राव ने सब वे के बर्गर भूल कर आंखें फाड़फाड़ कर फोटो को अपनी माइक्रोस्कोपिक नजरों से देखना शुरू किया. लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नजर नहीं आया, जिस के आधार पर वह कह सकते कि फोटो किसी डांस शो के ठीक बाद खींची गई थीं.

‘‘लड़कों की सोच हमेशा एक जैसी ही रहेगी, वह किसी सैक्सी फोटोग्राफ को देखेंगे और उन के मस्तिष्क का खून शरीर के दूसरे हिस्से की ओर दौड़ना शुरू हो जाएगा.’’ मोना ने दोनों का अजीब सा मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘इस फोटो में छिपे दोनों लोगों के पैरों को देखो, लड़की के पैर लाल रंग से रंगे गए हैं, लेकिन लड़के के पैर बिलकुल साफ हैं. दरअसल भरतनाट्यम में लड़की के पैरों पर लाल रंग का आलता लगाना मेकअप का ही एक हिस्सा माना जाता है.’’

‘‘और हां, अब बेवकूफों की तरह मुझे देखना बंद कर के जल्दी से बात खत्म करो, हमें काम करना है.’’ मोना ने आदेश दिया, जिसे उन दोनों ने मान लिया.

मोना ने अपना लंच खत्म किया और गिलास से पानी का घूट भरते हुए बोली, ‘‘हम मान लेते हैं कि ब्लैकमेलर का कुछ न कुछ संबंध मलायका डांस इंस्टीट्यूट से जरूर है. नताशा ने मुझे बताया कि इंस्टीट्यूट में इस वक्त 57 छात्र हैं, लेकिन इन में से केवल 18 ही सीनियर ऐज ग्रुप के हैं शेष 39 ऐसी योजना तैयार करने के हिसाब से बहुत छोटे हैं.’’

नरसिंह ने उस की बात से प्रभावित होते हुए कहा, ‘‘क्या तुम चाहती हो कि मैं इंस्टीट्यूट के लड़कों की जांच करूं?’’

‘‘नहीं, इस से कोई फायदा नहीं होगा.’’ मोना ने उसे आइसबर्ग कह कर चिढ़ाते हुए कहा.

‘‘क्या तुम मुझे यह बात समझा सकती हो कि इस से कोई मदद क्यों नहीं मिलेगी?’’ जवाब में नरसिंह ने थोड़े गुस्से में पूछा.

‘‘सीधी सी बात है, मेरे आइसबर्ग, बहुत सीधी.’’ मोना ने बिलकुल शरलक होम्स की नकल उतारते हुए कहा, ‘‘मैं ने पहले ही पता कर लिया है. नताशा ने मुझे बताया है कि इस समय इंस्टीट्यूट में केवल 2 ऐसे बौय स्टूडेंट हैं जो सीनियर एज ग्रुप में हैं. वे दोनों भाई हैं और मुंबई के एक धनीमानी परिवार से संबंधित हैं. वे ऐसे अपराध में शामिल नहीं हो सकते. एक बात और, फोटो में दिखाई देने वाला लड़का स्टूडेंट नहीं हो सकता.’’

‘‘बहुत खूब मोना, पहली बात तो वार्षिक पत्रिका और फिर पांवों पर मौजूद लाल रंग का आलता. इस से यह बात तो निश्चित है कि पत्र लिखने वाले का संबंध मलायका इंस्टीट्यूट से जरूर है. हमें शाम को इंस्टीट्यूट चलना चाहिए.’’ मोहन ने कहा. शाम को मोहन और मोना दोनों इंस्टीट्यूट पहुंचे. दोनों ही मुंबई के बाहरी इलाके में अरब सागर के किनारे बने हुए लाल रंग के पुराने शैली के बंगले की सुंदरता देख कर बहुत प्रभावित हुए. रिसेप्शन पर उन्होंने इंस्टीट्यूट के मालिक और शिक्षक केशव कमल से मिलने की इच्छा जताई. रिसेप्शन पर बैठी महिला ने बहुत ही आदर से बात की और उन्हें कुछ देर इंतजार करने को कहा, क्योंकि गुरु जी डांस क्लास में थे.

अपनी आदत के अनुसार मोहन ने वहां के कक्षों का निरीक्षण शुरू कर दिया और मोना रिसैप्शनिस्ट से बातें करने में व्यस्त हो गई. दीवार पर करीने से लगे फोटोग्राफ्स, प्रमाणपत्र और अखबारों की कटिंग का मुआयना करने के बाद मोहन ने निष्कर्ष निकाला कि गुरूजी की उम्र तकरीबन 63 साल होगी, और उन का संबंध उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के भरत नाट्यम परिवार से रहा होगा. वह बंगला सेठ सीताराम नवल का बनवाया हुआ था. दीवार पर लिखी इबारतों से यह भी पता लगता था कि मलायका, सेठ सीताराम की लड़की का नाम था, जो गुरूजी की शिष्य थी और उसे डांस में महारत हासिल थी. लेकिन दुर्भाग्य से करीब 20 साल पहले उस की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. उस की मृत्यु के बाद सेठजी ने उस की याद में डांस इंस्टीट्यूट स्थापित किया और इस के लिए नाममात्र किराए पर अपना यह बंगला गुरू जी को दे दिया था.

निरीक्षण करने के बाद मोहन मोना के पास आया और वे दोनों सिर जोड़ कर बैठ गए. मोहन ने मोना से कहा, ‘‘गुरूजी इस संस्थान को पिछले कई सालों से चला रहे हैं और इस बंगले में ही अपनी पत्नी, बेटी और दामाद के साथ रहते हैं. दामाद राजकमल संस्थान में भरतनाट्यम सिखाने के साथसाथ प्रशासनिक मामले भी देखता है. यह बंगला सेठ सीताराम नवल परिवार के माध्यम से चलाए जाने वाले एक ट्रस्ट की संपत्ति है.’’

जब वे दोनों बातें कर रहे थे, तो उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी ओर आते हुए देखा. उस के पहनावे से अनुमान होता था कि वे ही गुरू केशव कमल जी हैं. उस व्यक्ति ने पास आ कर बड़े सभ्य तरीके से अपना परिचय दिया, ‘‘नमस्कार, मेरा नाम केशव कमल है और मैं इस संस्थान में भरतनाट्यम सिखाता हूं. बताइए, मैं आप की क्या मदद कर सकता हूं?’’

मोहन ने अपना परिचय एक कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में देते हुए कहा कि उन की कंपनी सांस्कृतिक कार्यक्रम कराती है. अपने आने का उद्देश्य बताते हुए मोहन बोला, ‘‘गुरू जी, हमारा समूह अगले महीने वार्षिक कार्यक्रम करने जा रहा है. हमारा इरादा है कि अन्य कला प्रदर्शनों के साथ इस में एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य का कार्यक्रम भी रखा जाए, क्योंकि हमारे इस कार्यक्रम में हमारे विदेशी कस्टमर भी बतौर अतिथि शामिल होंगे. हमारी इच्छा है कि इस कार्यक्रम में आप के संस्थान के छात्र अपना प्रदर्शन करें.’’

‘‘बहुत अच्छा विचार है, यह हमारे लिए बड़ी खुशी की बात होगी. हमारे स्टूडेंट्स विभिन्न अवसरों पर अपनी कला का प्रदर्शन करते रहते हैं, इसलिए कार्यक्रम की तैयारी की कोई समस्या नहीं होगी. इस के लिए आप के पास कोई विचार हो तो बता दीजिए.’’

मोहन ने उत्तर में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि हम कल आप के संस्थान आएं और प्रदर्शन देख कर ही फाइनल फैसला करें. क्या ऐसा हो सकता है कि आप अपने स्टूडेंट्स को कल फोन कर के बता दें, क्योंकि कल रविवार है?’’

‘‘रविवार का होना कोई मुद्दा नहीं है, हमारी साप्ताहिक छुट्टी सोमवार को होती है. वैसे भी हम कलाकार हैं, अगर जरूरत हो तो सप्ताह भर बिना छुट्टी के काम करते हैं.’’

मोहन ने मेहनताने के बारे में पूछा तो गुरू जी बोले, ‘‘पैसे के लेनदेन का मामला मेरा दामाद राजकमल ही देखता है. कल जब आप आएंगे तभी यह मामला भी तय हो जाएगा. इस समय वह क्लास ले रहा है.’’

अगली सुबह, मोहन मोना और नरसिंह तीनों संस्थान पहुंचे, जहां गुरूजी और उन के परिवार ने उन का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया. गुरूजी की बेटी मनोरमा ने उन्हें नाश्ते के लिए कहा लेकिन उन्होंने बड़ी खूबसूरती से मना कर दिया. सभी मुख्य हाल में पहुंचे, जहां पहले से ही लड़के और लड़कियां डांस का अभ्यास कर रहे थे. वे सब वहां पर बिछी कुर्सियों पर बैठ गए. मोहन के अनुरोध पर कमल और मनोरमा ने अपने लड़केलड़कियों का परिचय कराना शुरू कर दिया. मोना व उस के साथियों को उन के लड़के व लड़कियों में कोई ऐसी बात नहीं दिखाई दी, जिस से उन पर किसी तरह का संदेह किया जा सके. वे सभी बहुत अच्छे परिवारों से संबंध रखते थे, जिस से अनुमान होता था कि उन में से कोई भी इस तरह की घटिया हरकत में शामिल नहीं हो सकता. मोना उन से डांस थीम का विवरण पूछने लगी.

मोहन अपने मोबाइल से सारे स्टूडेंट्स की तसवीरें लेने लगा. उस ने राजकमल और संस्थान के 2 सीनियर स्टडेंट से भी फोटो खिंचवाने को कहा. तीनों हंसीखुशी राजी हो गए. मोहन ने तुरंत वह तस्वीरें एमएमएस के माध्यम से एम के बाजार के दुकानदार वर्मा को भेज दीं. राजकमल ने सलाह दी, ‘‘मैडम, हमारे पास कई डांस थीम हैं. वैसे हमारा सब से प्रसिद्ध कृष्ण लीला का डांस है, जो कृष्ण की कई लीलाओं को डांस के माध्यम से दर्शाता है. इस के अलावा हमारे पास पूरी रामलीला का कौन्सेप्ट भी है, इस में डांस के माध्यम से ही मंच पर पूरी रामलीला दिखाई जाती है.’’

‘‘क्या आप के पास भारतीय संस्कृति पर कोई डांस तैयार है? हम कुछ ऐसा चाहते हैं, जिस में भारत के डांस की कई विधाएं प्रदर्शित हो सकें.’’ मोहन ने पूछा.

‘‘यह अच्छा विचार है.’’ मनोरमा ने कहा, ‘‘हम एक कार्यक्रम तैयार कर सकते हैं, जिस में भारतीय विधाओं का मिलाजुला रूप हो, जैसे कि भरतनाट्यम, कथकली, कुचिपुड़ी, ओडिसी और कथक.’’

मोना ने कह दिया, ‘‘हां, हमें कुछ इसी तरह का चाहिए. इस में आप गरबा और लावनी को भी शामिल कर सकते हैं.’’

मोना ने फिर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘कितना दिलचस्प होगा यह, बहुत मजा आएगा.’’

‘‘बिलकुल सही कहा मैडम, हमारी शादी भी डांस की वजह से ही हुई थी, अब हमारी इच्छा है कि हम अपने कौशल को दुनिया के सामने पेश करें.’’ मनोरमा ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा.

इस के बाद उन्होंने लगभग एक घंटे तक स्टूडेंट्स के कोरस का प्रदर्शन देखा और उन की सराहना की. नरसिंह यानी आइसबर्ग हाल में आया तो मोहन ने उस के चेहरे की प्रतिक्रिया देखी और समझ गया कि उसे कोई विशेष बात पता चली है. अचानक, आइसबर्ग खड़ा हो कर बोला, ‘‘मैं जानता हूं कि राज कमल जी और उन की पत्नी मनोरमा बहुत उच्चकोटि के नर्तकों में हैं. मैं ने 8 महीने पहले भोलाभाई सभागार में उन का कृष्ण लीला वाला कोरस देखा था. कितना अच्छा नृत्य था.’’

आइसबर्ग का इशारा समझते हुए मोहन ने राजकमल से कहा, ‘‘क्या वह इस कार्यक्रम की सीडी देख सकते हैं, यदि संभव हो तो?’’ यह सुनते ही मनोरमा अपना लैपटौप उठा लाई और डांस की क्लिपिंग दिखानी शुरू कर दी. मोहन और मोना दोनों को इस में वह नजर आ गया जो आइसबर्ग उन्हें दिखाना चाहता था. चूंकि अब वहां रुकने का कोई कारण नहीं बचा था, इसलिए मोहन ने उन के इंस्टीट्यूट का एक कार्यक्रम कराने पर सहमति जताते हुए मेहनताने की बात की. राज कमल ने एक लाख रुपए प्रति कार्यक्रम के हिसाब से अपनी फीस बता दी. मोहन ने भी इस धन राशि पर अपनी सहमति दे दी.

चूंकि मोहन आसानी से राजी हो गया था, इसलिए मनोरमा ने कुछ अग्रिम के लिए इशारा किया ताकि विश्वास हो जाए कि बात पक्की हो गई है. मोना ने अपना पर्स खोला और हजारहजार के नोटों की शक्ल में 10 हजार रुपए मनोरमा के हाथ पर रख दिए. जैसे ही वे लोग इंस्टीट्यूट से बाहर आए और अपनी कार में बैठे, मोना ने आइसबर्ग को चिढ़ाते हुए कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि तुम ने कुछ ऐसा पता लगा या होगा जो दस हजार रुपए से ज्यादा कीमती होगा. तुम्हारे चमकते चेहरे को देख कर ही मैं ने यह पैसा खर्च किया है.’’

‘‘मोना, तुम जानती हो, हमारे पास उस से अधिक है, जितने की हमें उम्मीद थी. अब ब्लैकमेलर का पता चल चुका है, बस हमें जा कर उसे पकड़ना बाकी है.’’

मोहन जो उस समय कार ड्राइव कर रहा था, वह भी उन की इस नोक झोंक मे शामिल होते हुए बोला, ‘‘मुझे भूख लग रही है, हम पहले ताज चल रहे हैं और वहीं लंच करते वक्त अपनी जानकारी पर विचार करेंगे.’’

जासूसों की यह टीम सीधे ताज के भोजन कक्ष में गई और कुर्सियों पर कब्जा जमा लिया. मोना और मोहन को इस बात का पूरा विश्वास हो गया था कि राज कमल और मनोरमा ही इस मामले के सूत्रधार हैं, लेकिन वह आइसबर्ग से उसे मिली जानकारी के बारे में जानना चाहता था. एम के बाजार के वर्मा ने फोन कर के बताया था कि कुछ दिन पहले उस के लड़कों ने राजकमल को एम के बाजार में देखा था. वह फैंटामार्फ 5 सौफ्टवेयर तलाश रहा था. लड़के को चेहरा इसलिए याद रह गया क्योंकि राज कमल उस समय अजीब ड्रेस में था, उस ने शर्ट के साथ भरत नाट्यम के दौरान पहले जाने वाली धोती बांध रखी थी.

आइसबर्ग ने अपना मुंह खोला, ‘‘मैं बाहर गया और संस्थान का औफिस चेक किया. सौभाग्य से मुझे वह सारी चीजें मिल गईं, जिन की हमें तलाश थी. पुराना सा इंकजेट प्रिंटर जिस में रीफिल कार्टि्रज पड़ी हुई थीं. महंगी स्टेशनरी और कंप्यूटर, जिस में गोथिक फौंट भी इंस्टौल्ड था, के साथ मुझे राजकमल और मनोरमा का वह मूल फोटो भी मिल गया जिस पर नताशा और पुरुष मौडल चेहरे चिपकाए गए थे.’’

‘‘और इस डांस वीडियो में जो मनोरमा हमें दिखाई दी थी, उस में महिला के रंग और पुरुष के सादे पैर साफ दिखाई दे रहे थे. यह तो मेरी समझ में आ गया कि फोटो शो के बाद ही खींचा गया था. जबकि मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि उन्होंने ऐसी बेवकूफी क्यों की?’’ मोना ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘इस के पीछे राजकमल का मन रहा होगा, उस ने अपनी पत्नी को यह कह कर बहकाया होगा कि हम दोनों बहुत अच्छे डांसर्स हैं और अगर हमें एक बार भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन करने का मौका मिल गया तो फिर हमें रोकने वाला कोई नहीं होगा. इस तरह इंटरनेशनल टूर के लिए राशि की व्यवस्था करने के लिए मनोरमा भी इस अपराध में भागीदार बन गई होगी.’’ आइसबर्ग ने टिप्पणी की. चूंकि दिनेश मूलचंदानी को भेजी गई नताशा के फोटो की मूल कापी मिल गई थी, इसलिए ब्लैकमेलिंग का कोई डर नहीं था. मोहन ने यह बात मूलचंदानी परिवार को बता दी कि वे लोग निश्चिंत हो कर शादी करें. इस के बाद उस ने राजकमल और मनोरमा को कुछ इस तरह डराया कि वे चुप रहने के अलावा कुछ न कर सके. Crime Story

 

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