Love Crime: प्रतिभा और बबलू की जाति तो अलग थी ही, सामाजिक और आर्थिक असमानता भी थी. फिर भी दोनों में प्यार ही नहीं हुआ, वे शादी के लिए घर से भाग भी गए थे. तब उन के विवाह में अड़चन कहां आई?
बबलू और प्रतिभा का कोई जोड़ नहीं था. दोनों की जाति में ही नहीं, सामाजिक और आर्थिक स्तर में भी काफी फर्क था. बस एक ही बात मेल खाती थी, वह थी उम्र. दोनों ही जवानी की दहलीज पर खड़े थे. शायद इसी वजह से दोनों में प्यार हो गया था. प्यार भी ऐसा कि दोनों अपने प्यार के लिए कुछ भी करने को तैयार थे. बबलू उत्तर प्रदेश के जिला एटा के थाना मारहरा के गांव मोहिनी के रहने वाले वीरपाल जाटव का बेटा था. वीरपाल कोई बड़े आदमी नही थे. उन के पास खेती की थोड़ी जमीन थी. उसी की कमाई से 5 बेटों और एक बेटी को पालापोसा. जवान होने पर 2 बेटे राजाराम और प्रमोद दिल्ली चले गए. कमानेधमाने लगे तो वीरपाल ने उन की शादियां कर दीं. शादियों के बाद वे अपनेअपने परिवार को भी दिल्ली ले गए.
उन दोनों से छोटा बबलू गांव में ही रहता था और ड्राइविंग सीख कर किसी की जीप चलाता था. उस से छोटे बंटी और कुलदीप वीरपाल की खेती में मदद करते थे. वीरपाल की पत्नी जावित्री देवी घरपरिवार को ठीक से संभाल रही थी. प्रतिभा भी इसी गांव के रहने वाले विजय प्रताप बघेल की बेटी थी. उन की आर्थिक स्थिति काफी ठीकठाक थी. उन की अपनी कुछ गाडि़यां थीं, जो किराए पर चलती थीं. इस के अलावा वह ब्याज पर भी रुपए देते थे, खेती होती ही थी. विजय प्रताप के परिवार में पत्नी भूदेवी के अलावा 2 बेटियां प्रतिभा, प्रिया और 2 बेटे ललित तथा अंकित थे.
विजय प्रताप के पास किसी चीज की कमी तो थी नहीं, इसलिए वह बच्चों को पढ़ालिखा कर किसी काबिल बनाना चाहते थे. इंटर पास करने के बाद प्रतिभा ने बीएससी करने की इच्छा जाहिर की तो विजय प्रताप ने उस का दाखिला पड़ोस के गांव रामनगर स्थित डिग्री कालेज में करवा दिया. यह 3 साल पहले की बात है. प्रतिभा कालेज तांगे से आतीजाती थी. एक दिन उसे तांगा नहीं मिला तो वह पैदल ही कालेज के लिए चल पड़ी. वह कुछ दूर ही गई थी कि एक जीप उस के पास आ कर रुक गई. उस ने पलट कर देखा तो जीप उस के गांव का बबलू चला रहा था. उस ने कहा, ‘‘आज तांगा नहीं मिला क्या, जो तुम पैदल ही कालेज जा रही हो? खैर कोई बात नहीं, आओ बैठो, मैं तुम्हें छोड़ देता हूं. मैं उधर ही जा रहा हूं.’’
एक ही गांव का होने की वजह से प्रतिभा बबलू को अच्छी तरह जानती थी, लेकिन कभी बातचीत नहीं हुई थी, क्योंकि कभी मौका ही नहीं मिला था. एक तो कालेज के लिए देर हो रही थी, दूसरे बबलू गांव का ही था, इसलिए उस के साथ जीप में बैठने में उसे कोई बुराई नजर नहीं आई. वह चुपचाप बैठ गई. कुछ दूर जाने के बाद बबलू ने कहा, ‘‘आप भाग्यशाली हैं, जो पढ़ रही हैं. मेरे घर में पढ़ाईलिखाई का माहौल ही नहीं था, इसलिए मैं नहीं पढ़ पाया. आप मन लगा कर खूब पढि़एगा.’’
‘‘आप पढ़ नहीं पाए तो क्या हुआ, गाड़ी तो चला लेते हैं. ईमानदारी से कोई भी काम करने में बुराई नहीं है.’’
‘‘गाड़ी तो चला लेता हूं, लेकिन न पढ़ पाने का अफसोस तो रहता ही है. रही काम करने की बात तो जिंदगी गुजारने के लिए आदमी को कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा.’’
‘‘अफसोस करने की जरूरत नहीं है, किसी पढ़ीलिखी लड़की से शादी कर लेना, यह कमी भी पूरी हो जाएगी.’’ बबलू की बात पर हंसते हुए प्रतिभा ने कहा.
प्रतिभा की इस बात पर पहले तो बबलू खूब हंसा, उस के बाद हांफते हुए बोला, ‘‘जब मैं पढ़ालिखा नहीं हूं तो भला कोई पढ़ीलिखी लड़की मुझ से क्यों शादी करेगी?’’
‘‘क्यों नहीं करेगी, देखने में तो अच्छेखासे हो, शक्ल भी बुरी नहीं है. अगर कपड़े अच्छे पहने होते तो टीवी के धारावाहिकों के हीरो जैसे लगते. अब जीप रोक दो, मेरा कालेज आ गया.’’ प्रतिभा ने कहा.
बबलू ने जीप रोकी तो प्रतिभा उतर कर कालेज चली गई. लेकिन उस की बातों ने बबलू पर कुछ ऐसा असर किया कि उस ने मन ही मन तय कर लिया कि इस बार वेतन मिलेगा तो वह अपने लिए अच्छेअच्छे कपड़े जरूर बनवाएगा. उस ने सोचा ही नहीं, वेतन मिला तो उस ने 2 जोड़ी अच्छेअच्छे कपड़े सिलवा भी डाले. उन्हें पहन कर वह प्रतिभा के कालेज जाने वाले रास्ते पर खड़ा हो गया. प्रतिभा आई तो उस ने रोक लिया, ‘‘अब देखो, कैसा लग रहा हूं?’’
‘‘एकदम हीरो लग रहे हो.’’ कह कर प्रतिभा खिलखिला कर हंस पड़ी. उस की इस हंसी ने बबलू के दिल की धड़कन बढ़ा दी. बस इसी के बाद प्रतिभा उसे अच्छी लगने लगी. उस का मन यही करने लगा कि वह उसे ही देखता रहे. अब वह उस की एक झलक पाने के लिए उस के घर और कालेज के इर्दगिर्द मंडराने लगा. वह उस से दिल की बात कहना चाहता था, लेकिन जाति की ऊंचनीच और आर्थिक असमानता उस की जुबान बंद किए थी.
बबलू भले ही दिल की बात नहीं कह पा रहा था, लेकिन समझदार और पढ़ीलिखी प्रतिभा उस की भावनाओं को अच्छी तरह समझ रही थी. वह जानती थी कि एक जवान लड़का किसी जवान लड़की के इर्दगिर्द क्यों मंडराता है? लेकिन वह यह भी जानती थी कि उन की जाति का जो भेद है, वह समाज में ऐसा हंगामा खड़ा करेगा कि उन का प्यार मंजिल तक पहुंच नहीं पाएगा. इसलिए वह चाहते हुए भी बबलू के नजदीक नहीं आ रही थी. प्रतिभा को जब भी बबलू मिलता, वह बच कर निकल जाती. उसे लगता कि बबलू उस से कुछ कहना चाहता है. वह यह भी जानती थी कि वह क्या कहना चाहता है, पर वह मजबूर थी. लेकिन जब उस ने देखा कि बबलू मन की बात कह न पाने की वजह से उदास रहने लगा है तो उसे उस पर दया आने लगी.
इस का नतीजा यह निकला कि उस का दिल पसीजने लगा. आखिर एक दिन बबलू उस के सामने पड़ा तो अपने आप ही उस के होंठों पर मुसकान आ गई. प्रतिभा की यह मुसकान बबलू के लिए हैरान करने वाली थी. उसे लगा, प्रतिभा के मन में भी उस के लिए प्यार पैदा हो गया है. उस की हिम्मत बढ़ी और एक दिन मौका मिलते ही उस ने प्रतिभा से दिल की बात कह दी. जब प्रतिभा ने भी कहा कि वह भी उस से प्यार करती है तो बबलू को मानो जमाने की सारी खुशियां मिल गईं. इस के बाद दोनों चोरीछिपे मिलनेजुलने लगे. लेकिन उन के दिल में हमेशा यह डर बना रहता कि कोई देख तो नहीं रहा है. इस के अलावा इस से भी बड़ा डर इस बात का था कि उस के परिवार वाले बबलू को स्वीकार करेंगे या नहीं? क्योंकि वह उस के लिए जिस तरह के रिश्ते की तलाश कर रहे थे, बबलू में वैसा एक भी गुण नहीं था.
एक तो बबलू उस से नीची जाति का था, दूसरे पढ़ालिखा भी नहीं था. कमाई भी कुछ खास नहीं थी. घरपरिवार भी वैसा ही था. ऐसे में किसी भी कीमत पर उस के घर वाले उस की शादी बबलू के साथ करने को राजी नहीं होते. प्रतिभा इसी ऊहापोह में खोई रहती. बेटी को परेशान देख कर कभीकभी भूदेवी पूछ भी लेतीं, ‘‘क्या बात है प्रतिभा, आजकल तू कुछ उखड़ीउखड़ी रहती है? मैं देख रही हूं, तेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लग रहा है. इधर तू कालेज से भी देर से आने लगी है?’’
‘‘मम्मी परीक्षाएं नजदीक आ गईं हैं न, इसलिए देर तक पढ़ाई होती है.’’ प्रतिभा ने मां को समझा दिया.
भूदेवी को लगा, बेटी ठीक ही कह रही होगी. लेकिन जब उन्हें किसी परिचित से पता चला कि प्रतिभा कई बार उसे मारहरा में वीरपाल के बेटे बबलू के साथ दिखाई दी है तो भूदेवी सन्न रह गईं. उन की बेटी किसी नीच जाति के लड़के के साथ घूमती है.
उस दिन शाम को प्रतिभा घर आई तो भूदेवी ने पूछा, ‘‘कहां थी, जो इतनी देर हो गई?’’
‘‘कालेज में मम्मी, भूख लगी है खाना दो.’’
भूदेवी ने गाल पर जोरदार तमाचा मार कर कहा, ‘‘क्या कहा कालेज में थी? मुझ से झूठ बोल रही है. मुझे पता है कि तू मारहरा में जाटवों के लड़के के साथ घूम रही थी. तू परिवार की नाक कटाने पर तुली है. अभी तो सिर्फ मुझे पता है, अगर तेरे बाप को पता चल तो वह तुझे काट कर रख देंगें.’’
प्रतिभा समझ गई कि मां को सब पता चल गया है. फिर भी उस ने असलियत छिपाने की एक और कोशिश की, ‘‘मम्मी, बबलू गांव का है. कभी कोई सवारी नहीं मिलती और वह रास्ते में मिल जाता है तो उस की गाड़ी से आ जाती हूं.’’
भूदेवी को लगा कि हो सकता है प्रतिभा ठीक ही कह रही हो. मान लीजिए आते समय बबलू मिल जाता हो और वह उस के साथ आ जाती हो. इस में कुछ गलत भी नहीं है. उस ने बेटी को गहरी नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘प्रतिभा जमाना बहुत खराब है. लोग कुछ का कुछ मतलब निकाल लेते हैं. इसलिए अच्छा यही होगा कि तुम बबलू के साथ मत आया करो.’’
प्रतिभा ने सिर हिला कर हामी भर दी. लेकिन वह यह भी समझ गई कि अब से उसे बहुत सतर्क रहना होगा. इस के बाद जब वह मौका मिलने पर बबलू से मिली तो सारी बात उसे बता दी. इस के बाद उस ने कहा, ‘‘जब तक उचित समय नहीं आ जाता, तब तक हमें अपने प्यार को सब से छिपा कर रखना होगा, वरना हमें मिलने नहीं दिया जाएगा.’’
प्यार तो वैसे भी दीवाना और जुनूनी होता है. प्रतिभा और बबलू का प्यार भी कुछ ऐसा ही हो गया था. लेकिन लोग उन के बीच दीवार बने हुए थे. अब तक विजय प्रताप को भी प्रतिभा और बबलू के संबंधों के बारे में पता चल गया था. यह परेशान करने वाली बात थी, क्योंकि समाज में इज्जत की बात थी. इसलिए उस ने पत्नी से साफसाफ कह दिया कि प्रतिभा का कालेज जाना एकदम बंद. अगर पढ़ना है तो घर पर बैठ कर पढ़े. उस दिन के बाद प्रतिभा नजरों के घेरे में कैद हो गई. कालेज जाना ही नहीं, घर से बाहर जाना तक बंद कर दिया गया. घर न हुआ जैसे कैदखाना हो गया. विजय प्रताप अब अपने मोबाइल का भी खास ध्यान रखने लगे थे, इसलिए प्रतिभा बबलू से बात भी नहीं कर पाती थी.
आखिर एक दिन मौका मिला तो प्रतिभा ने फोन कर के बबलू को बताया कि घर में सभी लोगों को उन के प्यार के बारे में पता चल गया है, इसलिए उसे घर में बंद कर दिया गया है. घर वालों ने उस की जिंदगी को नरक बना दिया है. पापा हमेशा उस पर नाराज होते रहते हैं. कासगंज वाला मकान किराएदारों से खाली करवा रहे हैं, शायद अब उसे वहीं रखा जाएगा. उस के बाद तो मिलनाजुलना और मुश्किल हो जाएगा.
‘‘प्रतिभा तुम चिंता मत करो. मैं तैयारी कर रहा हूं. हम दोनों भाग चलेंगे और अलीगढ़ में कोर्टमैरिज कर लेंगे. शादी होने के बाद कोई हमारा कुछ नहीं कर पाएगा.’’ बबलू ने कहा.
प्रतिभा को पूरा विश्वास था कि बबलू जो कह रहा था, वह कर के दिखाएगा और सचमुच बबलू ने वह कर दिखाया. वह प्रतिभा को भगा ले गया. प्रतिभा के भागने के बाद तो गांव में जैसे जलजला आ गया. विजय प्रताप की जाति के लोग इकट्ठा हुए और वीरपाल को पकड़ कर कहा, ‘‘किसी भी तरह, कहीं से भी ला कर प्रतिभा को हमारे हवाले कर दो, वरना ठीक नहीं होगा.’’
प्रतिभा और बबलू अलीगढ़ में कोर्टमैरिज कर पाते, उस के पहले ही अलीगढ़ पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया. बबलू को पुलिस ने जेल भेज दिया और प्रतिभा को विजय प्रताप के हवाले कर दिया. प्यार के पंछी बबलू को भले ही जेल भेज दिया गया था, लेकिन इस से उस का जुनून कम होने के बजाय और बढ़ गया. गांव में जो बदनामी हुई थी, उस से बचने के लिए विजय प्रताप परिवार को ले कर कासगंज की गंगेश्वर कालोनी स्थित अपने मकान में रहने आ गया था. यहां आने पर मजबूत लोहे की छड़ों का मुख्य गेट लगवाया गया, पूरे मकान को लोहे की मजबूत सरियों से कैदखाने की तरह बनवा दिया गया. लेकिन प्रतिभा के दिल से बबलू नहीं निकल सका तो नहीं निकल सका. जैसेजैसे बंदिशें बढ़ती गईं, वैसेवैसे प्यार भी बढ़ता गया.
छह महीने बाद बबलू जमानत पर छूट कर बाहर आया तो उसे पता चला कि प्रतिभा अब गांव में नहीं, कासगंज में रहती है. अब दोनों के बीच करीब 10 किलोमीटर की दूरी थी, लेकिन प्यार करने वालों के लिए यह दूरी कुछ भी नहीं थी. प्रतिभा को पता चला कि बबलू जेल से बाहर आ गया है तो वह उस से मिलने के लिए छटपटाने लगी. जैसे ही विजय प्रताप का मोबाइल उस के हाथ लगा, उस ने बबलू को फोन कर दिया, ‘‘बबलू, मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती. तुम आ कर किसी भी तरह मुझ से मिलो.’’
कासगंज आने के बाद विजय प्रताप और भूदेवी थोड़ा निश्चिंत हो गए थे कि बबलू यहां कहां मिलने आएगा. वे बेटी के लिए ठीकठाक रिश्ता तलाशने में लगे थे. लेकिन उन की यह निश्चिंतता अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सकी. क्योंकि प्रतिभा ने प्रेमी को मिलने के लिए कासगंज बुला लिया था. बबलू ने प्रतिभा को आश्वासन दिया था कि जीतेजी कोई उसे उस से अलग नहीं कर सकता. जल्दी ही वह उसे फिर भगा कर ले जाएगा. इस बार वह ऐसी जगह भगा कर ले जाएगा, जहां कोई उसे ढूंढ़ नहीं पाएगा. इस बार बबलू ने मिलने का एक अलग रास्ता निकाल लिया था. वह प्रतिभा को नींद की गोलियां ला कर दे जाता, जिन्हें प्रतिभा दूध या खाने में मिला कर घर वालों को खिला देती. इस के बाद घर के सभी लोग गहरी नींद सो जाते तो दोनों निश्चिंत हो कर रात में मिलते.
ऐसा ही काफी दिनों तक चलता रहा. इसी के साथ बबलू पैसे इकट्ठा करता रहा कि वह प्रतिभा को भगा कर ले जाए तो उसे कोई परेशानी न हो. मतलब भर के पैसे हो गए तो दोनों ने 14 नवंबर को भागने का निश्चय कर लिया. लेकिन 14 नवबर को जैसे ही प्रतिभा बैग ले कर घर से निकलने लगी, उस का भाई ललित कुमार जाग गया. उसे इस तरह बाहर जाते देख उस ने कहा, ‘‘कहां जा रही हो दीदी, तुम्हारी वजह से पूरा परिवार परेशान है? हम लोग गांव छोड़ कर यहां आ गए, इस के बावजूद तुम्हारी समझ में कुछ नहीं आ रहा है.’’
‘‘ललित मुझे जाने दो, मैं बबलू के बिना जिंदा नहीं रह सकती.’’ प्रतिभा ने कहा.
ललित ने मेनगेट की चाबी उस से छीन ली और मम्मीपापा को जगा दिया. प्रतिभा को इस तरह जाते देख विजय प्रताप और भूदेवी हैरान रह गए. उन्होंने तो सोचा था कि अब सब कुछ ठीक हो गया है. लेकिन यहां तो मामला और बिगड़ गया था. विजय प्रताप ने प्रतिभा की खूब पिटाई की. लेकिन उस ने भी साफ कह दिया कि वे लोग चाहे जो कर लें, शादी वह बबलू से ही करेगी. बेटी की इस बगावत ने मांबाप को बेचैन कर दिया. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वे इस का क्या करें. इस के बाद उसे हमेशा ताले में बंद कर के रखा जाने लगा. इस तरह प्रतिभा के भागने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए.
इतनी बंदिशों में भी बबलू ने एक मोबाइल फोन प्रतिभा तक पहुंचा दिया था, जिस से उन की बातें हो जाती थीं. लेकिन मिलना नहीं हो पाता था. इस तरह उन का प्यार सिसकसिसक कर दम तोड़ रहा था. दूसरी ओर मांबाप परेशान थे, क्योंकि उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. एक ओर विजय प्रताप प्रतिभा के लिए लड़का ढूंढ़ रहे थे, दूसरी ओर वह बबलू के साथ भागने की तैयारी में लगी थी. उसे मौके की तलाश थी. लेकिन घर वालों ने उस की सख्ती से निगरानी शुरू कर दी थी, जिस से उसे मौका नहीं मिल रहा था. ऐसा नहीं था कि सिर्फ प्रतिभा के घर वाले ही परेशान थे, इस प्रेम प्रकरण से बबलू के घर वाले भी काफी परेशान थे. वे नहीं चाहते थे कि बबलू कुछ ऐसा करे, जिस से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़े. वे उसे रोक भी रहे थे, लेकिन बबलू मान ही नहीं रहा था.
तमाम पाबंदी के बावजूद 8 फरवरी की रात दीवार फांद कर बबलू विजय प्रताप के घर की छत पर पहुंच गया. सीढि़यों पर ताला बंद था, इसलिए वह रोशनदान के रास्ते घर के अंदर दाखिल हुआ. विजय प्रताप जाग रहे थे. उन्हें पदचाप की आवाज सुनाई दी तो उन्होंने अपने दोस्त दिलीप को फोन कर के घर आने को कहा. दिलीप पेट्रोल पंप पर सेल्समैन था. विजय प्रताप के बुलाने पर थोड़ी ही देर में वह अपने दोस्त सत्यपाल के साथ उन के घर आ गया. इस के बाद वे प्रतिभा को दरवाजा खोलने को कहा. लेकिन प्रतिभा ने दरवाजा नहीं खोला. काफी परेशान होने के बाद भी जब प्रतिभा ने दरवाजा नहीं खोला तो विजय प्रताप ने कहा कि वह दरवाजा खोल दे, बबलू को कुछ नहीं कहा जाएगा. तब झांसे में आ कर प्रतिभा ने दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही सभी ने बबलू को दबोच लिया और दूसरे कमरे में ले जा कर पिटाई शुरू कर दी.
प्रतिभा ने विरोध किया तो उसे मारपीट कर दूसरे कमरे में बंद कर दिया गया. अब वे सोचने लगे कि बबलू का किया क्या जाए, क्योंकि वे समझ गए थे कि यह किसी भी तरह उन की बेटी का पीछा छोड़ने वाला नहीं है. यही सोचतेसोचते सवेरा हो गया. उसी बीच मौका पा कर बबलू ने अपने मोबाइल से भाई को फोन कर दिया कि वह कासगंज में प्रतिभा के घर में फंस गया है. उस की जान खतरे में है. घर वाले मदद के लिए चल पड़े, लेकिन वे पहुंच पाते, उस के पहले ही विजय प्रताप और उस के साथियों ने गोली मार कर बबलू की हत्या कर दी और परिवार सहित घर छोड़ कर भाग गए.
अब तक सवेरा हो गया था, प्रतिभा किसी तरह कमरे से बाहर निकली और सीधे कोतवाली कासगंज जा पहुंची. जब उस ने कोतवाली में ड्यूटी पर तैनात सिपाहियों को बताया कि उस के घर वालों ने गोली मार उस के प्रेमी की हत्या कर दी है तो कोतवाली में हड़कंप मच गया. तुरंत कोतवाली प्रभारी को सूचना दी गई. घटनास्थल के लिए निकलने से पहले उन्होंने इस घटना की जानकारी सीओ ए. के. सिंह और एएसपी आर.एम. भारद्वाज को दे दी. कुछ ही देर से कोतवाली प्रभारी विजय बहादुर सिंह, सीओ ए.के. सिंह, एएसपी आर.एम. भारद्वाज गंगेश्वर कालोनी स्थित विजय प्रताप के घर पहुंच गए थे. घर में कोई नहीं था. प्रतिभा कोतवाली प्रभारी के साथ थी. उस की निशानदेही पर कमरे में पड़े बैड के नीचे से बबलू की लाश बरामद कर ली गई.
इस के बाद घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस अधिकारी कोतवाली वापस आ गए. बबलू के घर वालों को रास्ते में ही पता चल गया था कि उस की हत्या हो चुकी है, इसलिए वे सभी सीधे कोतवाली आ गए थे. इस के बाद प्रतिभा के बयान और मृतक बबलू के पिता वीरपाल की तहरीर के आधार पर उस की हत्या का मुकदमा विजय प्रताप, दिलीप, सत्यपाल और भूदेवी के खिलाफ दर्ज कर लिया गया. चूंकि बबलू एससी था, इसलिए हत्या के इस मामले में एससी एक्ट भी लगा दिया गया.
कोतवाली पुलिस ने तुरंत मोहिनी गांव में छापा मार कर प्रतिभा की मां भूदेवी, पिता विजय प्रताप और हत्या में शामिल दिलीप को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन सत्यपाल फरार होने में कामयाब हो गया. पुलिस ने तीनों अभियुक्तों को कासगंज ला कर एसपी विनय कुमार यादव के सामने पेश किया, जहां की गई पूछताछ में तीनों ने बबलू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पूछताछ के बाद कोतवाली पुलिस ने विजय प्रताप, भूदेवी और दिलीप को कासगंज की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. दिलीप की जल्दी ही शादी होने वाली थी, लेकिन अब वह हत्या के आरोप में जेल पहुंच गया है. पुलिस चौथे अभियुक्त सत्यपाल की तलाश कर रही है. कथा लिखे जाने तक वह पकड़ा नहीं गया था. Love Crime
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि






