Agra Crime: प्रदीप और शिवानी भले ही एकदूसरे को प्यार करते थे, लेकिन उन के रिश्ते ऐसे थे कि शादी नहीं हो सकती थी. शिवानी ने तो घर वालों के दबाव में पैर पीछे खींच लिए, लेकिन प्रदीप जिद पर अड़ गया. नतीजा क्या निकला…
आगरा की ऐतिहासिक इमारतों में ताज के बाद सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे का नाम आता है. इस शानदार और गौरवमयी इमारत का निर्माण बादशाह अकबर ने करवाया था. हर साल देशविदेश के हजारों पर्यटक इस इमारत को देखने आते हैं. इसी ऐतिहासिक इमारत में 6 अप्रैल, 2015 को एक अनहोनी हो गई. किसी पर्यटक ने वहां एक लड़की की खून सनी लाश देखी तो उस ने शोर मचा दिया, जिस से उधर घूम रहे पर्यटक वहां इकट्ठा हो गए. लड़की की लाश देख कर लोग हैरान थे कि पता नहीं किस ने इस की हत्या कर दी. सूचना पा कर वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड भी पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना थाना सिकंदरा पुलिस को फोन कर के दे दी.
सिकंदरा के गेट से थाना करीब 2 सौ मीटर की दूरी पर था. इसलिए खबर मिलते ही थानाप्रभारी ज्ञानेंद्र सिरोही थोड़ी ही देर में पुलिस टीम के साथ उस जगह पहुंच गए, जहां लड़की की लाश पड़ी थी. उन्होंने लाश का निरीक्षण शुरू किया. मरने वाली लड़की की उम्र 19-20 साल थी. हत्यारे ने किसी धारदार हथियार से उस की गरदन के अलावा पेट पर भी वार किए थे. लाश खून में तरबतर थी. लाश के पास ही एक मोबाइल फोन और एक चाकू पड़ा था. इन पर भी खून लगा था. थानाप्रभारी ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी चाकू से इसे मौत के घाट उतारा है.
थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को भी घटना की सूचना दे दी. कोई पर्यटक घटना को अपने कैमरे में कैद न कर ले, इसलिए पुलिस ने बिना फोरेंसिक सुबूत जुटाए ही फटाफट लाश को सील कर के पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. थोड़ी देर बाद ही एसएसपी राजेश डी. मोदक के साथ खोजी कुत्ते और फोरेंसिक टीम भी मौके पर आ गई. फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को भी बुलाया गया. सभी टीमों द्वारा काम निपटाने के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. मृतका के पास से कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से उस की पहचान हो सकती. इसलिए पुलिस के लिए पहला काम मृतका की शिनाख्त कराना था. लाश के पास जो मोबाइल फोन मिला था, पुलिस ने उस की मैमोरी में सेव फोन नंबरों पर बात करनी शुरू कर दी.
उसी क्रम में एक नंबर मृतका के किसी रिश्तेदार का मिल गया. उस रिश्तेदार से बात करने पर पता चला कि वह फोन नंबर शिवानी नाम की लड़की का है. उस रिश्तेदार से पुलिस को जानकारी मिली कि शिवानी जगदीशपुरा थानाक्षेत्र की आवास विकास कालोनी के सैक्टर-7 में रहने वाले अन्नू नागर की बेटी है.
शाम साढ़े 5 बजे के करीब पुलिस अन्नू नागर के घर पहुंची. घर में अन्नू की पत्नी रेखा मिली. पुलिस को देख कर वह परेशान हो गई. पुलिस ने उस से पूछा, ‘‘आप शिवानी को जानती हैं?’’
‘‘जी, शिवानी मेरी बेटी है. मगर आप उस के बारे में क्यों पूछ रहे हैं?’’ रेखा परेशान हो कर बोली.
‘‘वह सब भी बता देंगे, लेकिन पहले यह बताओ कि शिवानी कहां है?’’ पुलिस ने पूछा.
‘‘सर, वह तो अपना फोन रिचार्ज कराने घर से निकली थी, लेकिन अभी तक लौटी नहीं. मैं उसी का इंतजार कर रही हूं. उस का फोन भी नहीं लग रहा है.’’
‘‘आप का कोई और रिश्तेदार रहता है?’’ पुलिस ने पूछा.
‘‘जी, मेरे जेठजी रहते हैं, वह डीएम औफिस में नौकरी करते हैं.’’ रेखा ने कहा.
पुलिस रेखा को ले कर मुन्नालाल के घर गई. रेखा घबरा रही थी कि पता नहीं क्या बात है, जो पुलिस उसे कुछ बता नहीं रही है. मुन्नालाल उसी समय ड्यूटी से लौटा था. अपनी भाई की पत्नी के साथ पुलिस को देख कर वह भी चौंका. पुलिस ने मुन्नालाल से बात कर के सिकंदरा में मिली लाश का फोटो दिखाया. मुन्नालाल ने उस फोटो को देख कर कहा, ‘‘अरे, यह तो मेरी भतीजी शिवानी है. इसे किस ने मार दिया?’’
‘‘अभी कुछ नहीं पता, सिकंदरा में इस की लाश मिली है. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.’’ पुलिस ने बताया.
बेटी की हत्या की बात सुन कर रेखा दहाड़े मार कर रोने लगी. रेखा का पति अन्नू नागर एक प्रकाशन कंपनी में सुरक्षागार्ड की नौकरी करता था. मुन्नालाल ने उसे फोन कर के घर बुला लिया. इस के बाद पुलिस दोनों भाइयों को साथ ले कर थाने आ गई. थाने में लाश के पास से बरामद फोन जब दोनों भाइयों को दिखाया गया तो उन्होंने बताया कि वह मोबाइल शिवानी का ही है. इन बातों से साफ हो गया कि सिकंदरा में पुलिस ने जो लाश बरामद की थी, वह अन्नू नागर की बेटी शिवानी की थी. लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने हत्यारों तक पहुंचने के लिए जांच की शुरुआत शिवानी के घर से ही शुरू की. थानाप्रभारी ने अन्नू नागर से पूछा, ‘‘शिवानी का हत्यारा कौन हो सकता है, मेरा मतलब क्या तुम्हें किसी पर कोई शक है?’’
‘‘सर, मुझे तो एक ही आदमी पर शक है, और वह है मेरे साढ़ू का लड़का प्रदीप. यह काम उसी का हो सकता है.’’ अन्नू नागर ने अपनी शंका प्रकट की.
‘‘वह क्यों?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘सर, वह शादी के लिए मेरी बेटी के पीछे हाथ धो कर पड़ा था.’’ अन्नू ने कहा.
इतना सुनते ही थानाप्रभारी को यह मामला प्रेमप्रसंग का लगा. अन्नू से प्रदीप का पता मालूम करने के बाद वह अगले दिन जिला एटा के गांव निघौली कला स्थित प्रदीप के घर जा पहुंचे. प्रदीप के घर के बाहरी दरवाजे पर कुंडी लगी थी. पड़ोसियों की मौजूदगी में कुंडी खोल कर पुलिस घर में घुसी तो अंदर कोई नहीं मिला. घर की लाइट जल रही थी और सारा सामान पैक था. ऐसा लग रहा था, जैसे घर के लोग सामान सहित कहीं भागने की तैयारी में थे. लेकिन उन्हें पुलिस के आने की भनक लग गई, जिस से वे घर छोड़ कर भाग गए. लोगों ने बताया कि प्रदीप 6 अप्रैल, 2015 की सुबह 7 बजे अपने 2 दोस्तों के साथ बाइक से घर से निकला था. उस के बाद किसी ने उसे नहीं देखा.
प्रदीप का पूरा परिवार भी गायब था, जिस से पुलिस का शक पुख्ता हो गया कि वारदात प्रदीप ने ही की है. काफी देर तक जब कोई वहां नहीं आया तो एक कांस्टेबल को वहां छोड़ कर थानाप्रभारी लौट आए. अब तक शिवानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स पुलिस को मिल चुकी थी. उस पर जो आखिरी काल आई थी, जांच में पता चला, वह काल प्रदीप के फोन से की गई थी. सर्विलांस टीम ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. अगले दिन उक्त नंबर की लोकेशन दिल्ली में मिली. थानाप्रभारी ने एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. दिल्ली पहुंचने पर पता चला कि उस की लोकेशन जलेसर में है. पुलिस टीम जलेसर पहुंची. इस के बाद उस फोन की लोकेशन आगरा की हो गई.
जैसेजैसे उस फोन की लोकेशन बदल रही थी, सर्विलांस टीम उस की जानकारी पुलिस टीम को दे रही थी. जब पुलिस टीम को पता चला कि उस फोन की लोकेशन आगरा में है तो पुलिस टीम उस का पीछा करते हुए आगरा पहुंच गई. आखिर 9 अप्रैल, 2015 को कारगिल पैट्रोल पंप के पास से पुलिस ने प्रदीप को हिरासत में ले लिया. पुलिस के शिकंजे में आते ही प्रदीप हक्काबक्का रह गया. थाने ला कर प्रदीप से पूछताछ शुरू हुई. शुरू में उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की सख्ती के सामने उस की एक नहीं चली. उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और कहा कि उसी ने शिवानी की हत्या की थी.
शिवानी प्रदीप की मौसेरी बहन थी. अपनी मौसेरी बहन की हत्या की उस ने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—
उत्तर प्रदेश के जिला एटा का एक गांव है निघौली कला. रामनिवास इसी गांव के रहने वाले थे. वह पेशे से हलवाई थे. उन के परिवार में पत्नी सरोज के अलावा 6 बच्चे थे. उन में से 2 बेटियों और एक बेटे की वह शादी कर चुके हैं. अपनी बेटी सुमन और बेटे कुलदीप की शादी उन्होंने इसी साल फरवरी में 6 दिन के अंतराल पर की थी. दोनों ही शादियों में अन्नू नागर भी पत्नी रेखा और बेटी शिवानी के साथ आए थे. प्रदीप इन्हीं रामनिवास का बेटा है. शादी में आई अपनी सगी मौसेरी बहन शिवानी प्रदीप को भा गई. शिवानी की नजरों का जादू प्रदीप पर कुछ इस तरह चला कि वह उस के आगेपीछे घूमने लगा. प्रदीप अपनी कोशिशों से शिवानी को आकर्षित कर रहा था.
उसे मौके की तलाश थी. आखिर उसे वह मौका मिल गया. शिवानी किसी काम से छत पर गई तो प्रदीप भी उस के पीछेपीछे वहां पहुंच गया. वहां शिवानी को अकेली देख कर वह खुद को रोक नहीं सका. उस ने कहा, ‘‘शिवानी आज तुम कितनी सुंदर लग रही हो. तुम्हारे सामने सब फीके हैं.’’
शिवानी ने शरमा कर कहा, ‘‘भैया, तुम मजाक बहुत अच्छा कर लेते हो.’’
प्रदीप पास आ कर बोला, ‘‘देखो शिवानी, मेरी तुम्हारी उम्र में ज्यादा फर्क नहीं है, इसलिए तुम मुझे भैया कहने के बजाय नाम से बुलाया करो.’’
‘‘अगर तुम कह रहे हो तो मैं नाम से ही बुलाऊंगी. तुम भी कभी आगरा आना. वहां बहुत सी देखने लायक जगहें हैं.’’
‘‘तुम कह रही हो, इसलिए जरूर आऊंगा. हां, एक बात कहना चाहता हूं कि यह ड्रेस तुम पर बहुत अच्छी लग रही है.’’
प्रदीप की बात सुन कर शिवानी हंसने लगी.
6 दिनों में शिवानी और प्रदीप की कई बार लंबीलंबी बातें हुईं. प्रदीप के मन में अजीब से भाव उमड़ रहे थे, जबकि शिवानी के लिए वह सिर्फ मौसेरा भाई था. शादी के बाद सारे मेहमान जाने लगे थे. प्रदीप के मन में अजीब सी हलचल थी, क्योंकि वह अभी तक अपने दिल की बात शिवानी से कह नहीं पाया था. शिवानी के जाने से पहले वह उस से मन की बात कह देना चाहता था. मौके के इंतजार में वह शिवानी के इर्दगिर्द मंडराने लगा. जैसे ही उसे मौका मिला, वह शिवानी का हाथ पकड़ कर एकांत में ले गया. इस से पहले कि शिवानी कुछ समझ पाती, उस ने कहा, ‘‘शिवानी, मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. तुम तो यहां से चली जाओगी, लेकिन तुम्हारे बिना मेरा दिल नहीं लगेगा.’’
प्रदीप की बात शिवानी को कुछ अजीब सी लगी, क्योंकि प्रदीप उस का मौसेरा भाई था. वह उसे कोई जवाब दिए बगैर वहां से चली गई. अगले दिन शिवानी अपने मांबाप के साथ आगरा आ गई. आगरा आने के बाद शिवानी की मनोस्थिति कुछ अजीब सी थी. शिवानी के जाने के बाद वास्तव में प्रदीप बेचैन हो गया. वह जबतब शिवानी को फोन कर के मीठीमीठी बातों से उसे लुभाने की कोशिश करने लगा. शिवानी भी उम्र की उस दहलीज पर खड़ी थी, जहां भावनाओं और उमंगों का सैलाब दूर तक बहा कर ले जाने की कोशिश करता रहता है अर्थात शिवानी का झुकाव भी प्रदीप की तरफ होने लगा. उसे प्रदीप अच्छा लगने लगा.
एक दिन प्रदीप ने शिवानी को फोन किया कि वह आगरा आ रहा है. उस के आने की बात पर शिवानी खुश हो गई. उस का मन भी प्रदीप से मिलने के लिए उमड़ने लगा. प्रदीप आगरा पहुंचा तो शिवानी घर में बिना बताए तय जगह पर प्रदीप से मिलने पहुंच गई. वहां से प्रदीप शिवानी को ताजमहल ले गया. वहीं पर शिवानी ने प्रदीप की मोहब्बत कबूल कर ली. शिवानी और प्रदीप भले ही रिश्ते में भाईबहन थे, लेकिन उन की सोच नए जमाने की थी. इसलिए प्यार के नशे में वे अपने बहनभाई के रिश्ते को भूल गए. प्रदीप ने तय किया कि वह शिवानी से ही शादी करेगा. लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह अपने घर वालों से मन की बात कहे कैसे कि वह मौसेरी बहन शिवानी के साथ शादी कर के अपनी दुनिया बसाना चाहता है.
हालांकि वह जानता था कि दिल की बात जुबां तक आते ही परिवार और समाज में तूफान आ जाएगा. पर वह अपने उस दिल का क्या करता, जो केवल शिवानी के लिए ही धड़क रहा था. अपनी दुनिया बसाने की गरज से वह दिल्ली जा कर शादीब्याह में हलवाईगिरी का काम करने लगा. बीचबीच में वह शिवानी से मिलने आगरा आता रहता था. एक दिन जब वह आगरा आया तो उस ने शिवानी से कहा, ‘‘शिवानी, मैं चाहता हूं कि हमारा यह प्यार एक नए रिश्ते में बदल जाए. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं, इसलिए तुम अपनी मम्मीपापा से बात कर लो. तुम उन की अकेली संतान हो, इसलिए वे तुम्हारी बात मान भी लेंगे.’’
‘‘तुम यह क्या कह रहे हो प्रदीप. बेशक तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो, पर मेरे मांबाप इस रिश्ते के लिए हरगिज तैयार नहीं होंगे.’’
‘वह सब बाद में देखेंगे. अभी तो हमें यह देखना है कि उन की क्या राय है? मैं फिलहाल दिल्ली जा रहा हूं. तुम फोन कर के बताना कि वे क्या कह रहे हैं?’
‘‘ठीक है, मैं कोशिश कर के देखती हूं.’’ शिवानी ने जवाब दिया.
प्रदीप तो चला गया, लेकिन शिवानी को कशमकश में डाल गया. उस के मन में यही बात घूम रही थी कि शादी की बात मां से कैसे कहे. फिर हिम्मत कर के उस ने एक दिन अपनी मां से कहा, ‘‘मम्मी, प्रदीप मुझ से शादी करना चाहता है.’’
बेटी की बात सुन कर रेखा की आंखें फटी की फटी रह गईं. वह हैरान हो कर बोली, ‘‘यह क्या कह रही है? वह तेरा भाई है और भाईबहन के बीच शादी कभी नहीं हो सकती.’’
मां के सख्त तेवर देख कर शिवानी सहम गई. दूसरी ओर रेखा चिंता में पड़ गई. उस ने कहा, ‘‘आज के बाद तू प्रदीप से कभी भी नहीं मिलेगी.’’
मां का गुस्सा देख कर शिवानी कोई जवाब नहीं दे सकी. फोन कर के उस ने प्रदीप से कह दिया कि मम्मीपापा इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नहीं होंगे.
‘‘देखो शिवानी, कोई माने या न माने, शादी तो मैं तुम्हीं से करूंगा और जल्दी ही यह बात मैं अपने घर में बता दूंगा. उस के बाद मेरी मम्मी तुम्हारी मम्मी को मना लेंगी.’’ प्रदीप ने कहा. जब रेखा ने बेटी की बात पति अन्नू को बताई तो अन्नू ने शिवानी को डांटने के बजाय प्यार से समझाया कि बेटा समाज ऐसे रिश्तों को कभी कबूल नहीं करता, इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम उस का फोन रिसीव ही मत करो. पिता की बात को शिवानी समझ रही थी. वह कशमकश में फंस गई कि अब क्या करे. एक ओर उस के मांबाप थे तो दूसरी ओर उस का प्यार प्रदीप. आखिर उस ने तय किया कि मांबाप की इज्जत को ध्यान में रख कर वह प्रदीप से न तो मिलेगी और न ही उस का फोन रिसीव करेगी.
दूसरी ओर एक दिन हिम्मत कर के प्रदीप ने अपने मांबाप से कह दिया कि वह शिवानी से शादी करना चाहता है. उस की बात सुन कर पिता रामनिवास हक्केबक्के रह गए. उन्होंने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? तू जानता है कि वह तेरी बहन लगती है. उस से तेरी शादी हरगिज नहीं हो सकती.’’
लेकिन प्रदीप के सिर पर तो मोहब्बत का जादू चढ़ कर बोल रहा था. उस पर पिता के समझाने का कोई असर नहीं हुआ. अपने प्यार की खातिर उस ने अपने घर वालों से बगावत कर ली. उस ने कह दिया कि वह हर हालत में शिवानी से शादी करेगा. अपने मांबाप से बगावत करने की बात शिवानी से बता कर प्रदीप ने शिवानी को फोन किया. लेकिन शिवानी ने उस का फोन रिसीव नहीं किया. कई बार फोन करने के बाद भी जब शिवानी ने फोन रिसीव नहीं किया तो वह परेशान हो गया. उस के बारबार फोन करने की बात शिवानी ने अपनी मां रेखा को बता दी.
रेखा ने एक दिन परिवार वालों को बुला कर पंचायत की. सब ने प्रदीप को फटकारा और कहा कि उस की जिद गलत है. बहन के साथ कभी शादी नहीं हो सकती. प्रदीप को लगा कि वह अकेला पड़ता जा रहा है. उस का बागी मन यह सोच कर परेशान था कि उस की खुशी में समाज का क्या लेनादेना. सभी ने बहुत समझाया, पर उस ने अपना फैसला नहीं बदला. प्यार जब हद से गुजर जाता है तो जुनून बन जाता है. उस ने रात में ही शिवानी को फोन किया. इस बार शिवानी ने उस की काल रिसीव कर के साफ कह दिया कि वह घर वालों की मरजी के बिना कुछ नहीं कर सकती. इसलिए वह उस से शादी करने की बात भूल जाए.
‘‘शिवानी, मना तो मेरे घर वाले भी कर रहे हैं, लेकिन मैं ने उन की बात ठुकरा दी. मैं तुम्हारे लिए उन्हें भी छोड़ने को तैयार हूं. अब तुम अपने कदम पीछे मत खींचो.’’
‘‘प्रदीप, मैं एक लड़की हूं, इसलिए मैं घर वालों के खिलाफ नहीं जा सकती.’’ यह कह कर उस ने फोन काट दिया.
उसी बीच अन्नू को पता चल गया कि शिवानी और प्रदीप के बीच फोन पर बातें हुई हैं तो उस ने शिवानी के मोबाइल का सिम तोड़ दिया. अब प्रदीप का शिवानी से संपर्क पूरी तरह से टूट गया. वह बहुत आहत था. उस की हालत जख्मी शेर सी हो गई. एक दिन उस ने शिवानी के पिता अन्नू को फोन पर धमकाया कि अगर उस ने शिवानी की शादी मेरे अलावा किसी और से कर दी तो वह शिवानी को मार डालेगा. अन्नू प्रदीप की हरकतों से परेशान था. उस ने तय किया कि वह जल्दी ही बेटी की शादी कर के प्रदीप से अपना पीछा छुड़ा लेगा. पिता को परेशान देख कर शिवानी ने उन से वादा किया, ‘‘पापा, आप परेशान न हों. अब मैं प्रदीप से कभी बात नहीं करूंगी.’’
बेटी पर विश्वास करते हुए अन्नू ने उसे नया सिम कार्ड ला कर दे दिया. प्रदीप को पता नहीं कहां से शिवानी का नया नंबर मिल गया तो वह फिर उसे फोन करने लगा. शिवानी ने उस से साफ कह दिया कि उस के पापा उस के लिए रिश्ता देख रहे हैं. वह उस से न शादी कर सकती और न ही कोई संबंध रखना चाहती है. शिवानी के रिश्ते की बात सुन कर प्रदीप एक तरह से पागल हो उठा. उस का किसी काम में मन नहीं लग रहा था. वह गुस्से में उबलने लगा. इस के बाद उस ने कई बार कोशिश की कि वह शिवानी से मिल कर अपने दिल का हाल बताए, लेकिन शिवानी उस से मिलना नहीं चाहती थी. प्रदीप समझ गया कि शिवानी उसे दगा दे गई. उस ने तय किया कि वह शिवानी को किसी और की नहीं होने देगा. अगर वह नहीं मानी तो वह उसे छोड़ेगा नहीं.
प्रदीप के दिमाग पर शैतान बैठ गया. खून उस के सिर पर सवार हो गया. उस ने 5 अप्रैल को एक तेज धार वाला चाकू खरीद कर रख लिया. इस के बाद उस ने शिवानी को फोन कर के कहा, ‘‘शिवानी चलो मैं ही तुम्हारी बात मान कर अपना रास्ता बदल लेता हूं, पर एक बार तुम मुझ से जरूर मिल लो. बस आखिरी बार हमारे प्यार की खातिर.’’
शिवानी मौत की दस्तक से अनभिज्ञ थी. इसलिए उस ने कहा, ‘‘ठीक है, जब तुम इतनी जिद कर रहे हो तो मिल लूंगी.’’
प्रदीप ने उसे मिलने के लिए सिकंदरा बुलाया. शिवानी मां से मोबाइल रिचार्ज कराने की बात कह कर अपने घर से निकली. वह सीधे सिकंदरा पहुंची, जहां प्रदीप उस का इंतजार कर रहा था. शिवानी प्रदीप को देख कर मुसकराई, मगर प्रदीप ने नजर फेर ली. शिवानी ने पूछा, ‘‘कहो, क्या कहना है?’’
‘‘क्या सारी बातें यहीं कर लोगी, अंदर चलते हैं.’’
‘‘प्रदीप मुझे जल्दी घर जाना होगा.’’ शिवानी बोली.
‘‘ठीक है, चली जाना.’’ प्रदीप ने लापरवाही से कहा, ‘‘कुछ देर बैठ कर बातें कर लेते हैं.’’
इस के बाद सिकंदरा के अंदर जाने के लिए उस ने 10-10 रुपए के टिकट खरीदे. टिकट लेने के बाद उस ने इधरउधर देखा. गेट के पास पार्क बिलकुल सुनसान था. वह शिवानी को ले कर उधर आ गया और एक पेड़ की आड़ में बैठ गया. वहां से मेन गेट करीब सौ मीटर दूर था. शिवानी सामान्य थी, पर प्रदीप के शैतानी दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.
प्रदीप ने कहा, ‘‘शिवानी अब बताओ कि शादी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?’’
‘‘प्रदीप, मैं पहले ही कह चुकी हूं कि मम्मीपापा नहीं मान रहे हैं. फिर जरा सोचो, रिश्तेदार और मोहल्ले वाले क्या कहेंगे.’’
शिवानी के इतना कहते ही प्रदीप ने इधरउधर देखा. कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने जेब से चाकू निकाला और शिवानी का मुंह दबा कर चाकू का एक वार उस की गरदन पर कर दिया. मुंह बंद होने से शिवानी चीख भी नहीं पाई. उस की आंखें फटी की फटी रह गईं. प्रदीप ने 5-6 वार उस के पेट में किए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. उस ने चाकू वहीं फेंका और तेजी से मेन गेट से बाहर निकल गया. इस के बाद एक पर्यटक की नजर शिवानी की लाश पर पड़ी तो उस ने वहां घूमने वाले अन्य लोगों को वह लाश दिखाई. इस के बाद वहां तैनात सुरक्षा गार्डों को लड़की की लाश पार्क में पड़ी होने की जानकारी मिली तो वे घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी.
प्रदीप से पूछताछ कर के पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. रिश्तों की मर्यादा को न समझने वाले युवक ने अपने जुनून में अपनी ही रिश्ते की बहन की जिंदगी छीन ली, पर उस के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. Agra Crime
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.






