Gujarat News: 48 वर्षीय हीरा व्यापारी देवेंद्र चौधरी की कंपनी से 32 करोड़ के हीरे चोरी होने की सूचना पर सूरत पुलिस के हाथपैर फूल गए थे, लेकिन पुलिस ने घटना की कड़ी से कड़ी जोड़ी तो चोर कोई और नहीं बल्कि कंपनी मालिक देवेंद्र चौधरी ही निकला. पुलिस पूछताछ में उस ने इस चोरी के पीछे की जो कहानी बताई, सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. आखिर क्यों की उस ने अपनी ही कंपनी में करोड़ों की चोरी?

डायमंड और साडिय़ों के लिए मशहूर गुजरात के सूरत शहर के कापोद्रा इलाके के कपूरवाडी में स्वतंत्रता दिवस, जन्माष्टमी और रविवार की 3 दिनों की लगातार छुट्टी के बाद 18 अगस्त, 2025 को जब डी.के. संस के मालिक देवेंद्र कुमार चौधरी अपनी कंपनी पहुंचे तो गेट में लगा ताला खुला हुआ था. यह देख कर वह चौंके. जल्दीजल्दी सीढिय़ां चढ़ कर चौथी मंजिल पर पहुंचे तो वहां सब कुछ अस्तव्यस्त था. उन्हें लगा कि कुछ तो गड़बड़ है. वह सीधे वहां पहुंचे, जहां हीरे रखने वाली तिजोरी रखी थी.
तिजोरी की हालत देख कर देवेंद्र कुमार की धड़कनें बढ़ गईं. क्योंकि तिजोरी गैस कटर से कटी हुई थी और उस में रखे हीरे और नकद रकम गायब थी. उन्होंने तुरंत अपने बेटों को फोन किया. बड़ा बेटा भाग कर आया तो उसे साथ ले कर वह थाना कापोद्रा पहुंचे और अपनी कंपनी में हुई चोरी की सूचना दी. देवेंद्र कुमार चौधरी ने पुलिस को बताया कि 14 अगस्त की शाम को वह आखिरी बार अपनी कंपनी में आए थे. उस दिन वह तराशे और गैरतराशे हीरे तिजोरी में रख कर घर चले गए थे. चूंकि 15, 16 और 17 अगस्त को छुट्टी थी, इसलिए उन के परिवार या कर्मचारियों में से कोई भी कंपनी नहीं आया. 18 अगस्त की सुबह जब वह कंपनी पहुंचे तो चोरी की यह घटना देख कर दंग रह गए.
यह कोई छोटीमोटी चोरी नहीं थी. देवेंद्र कुमार चौधरी ने पुलिस को जो बताया था, उस के हिसाब से उन की कंपनी में लगभग 32.6 करोड़ के हीरों की चोरी हुई थी. इतनी बड़ी चोरी का मामला था, इसलिए थाना कापोद्रा के एसएचओ आर.एस. पटेल तुरंत हरकत में आ गए. उन्होंने तुरंत इस घटना की सूचना डीसीपी अशोक कुमार को देने के साथ पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत को भी दे दी थी. सूचना पाने के साथ ही डीसीपी अशोक कुमार फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर के साथ कपोद्रा के कपूरवाडी स्थित डी.के. संस कंपनी आ पहुंचे थे. थाना पुलिस पहले ही वहां आ चुकी थी. डीसीपी के आते ही उन के नेतृत्व में घटनास्थल का निरीक्षण शुरू हुआ.
फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर अपना काम करने लगे थे. पता चला कि सब से पहले कंपनी के बाहर लगे फायर अलार्म को तोड़ा गया था, जिस से गैस कटर का उपयोग करते समय किसी तरह की आवाज न हो और अलार्म न बजे. कंपनी में लोहे के चैनल का गेट लगा था. उस में लगा ताला जमीन पर खुला पड़ा था. पुलिस ने ताला कब्जे में ले लिया था. इस के बाद जब पुलिस आगे बढ़ी तो कंपनी में प्रवेश के लिए जो दरवाजा था, उसे तोडऩे के बजाय उस का भी ताला खोला गया था. हैरानी की बात यह थी कि फस्र्ट फ्लोर पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, जिस से चोरों के लिए अपना काम करने में और आसानी हो गई थी.
तिजोरी देख पुलिस के उड़े होश

इस के बाद पुलिस चौथी मंजिल स्थित कंपनी के औफिस पहुंची तो पता चला कि मुख्य औफिस में प्रवेश करने के लिए सब औफिस का चोरों ने कांच निकाल दिया था. वहां सारा सामान बिखरा पड़ा था. औफिस में ही वह तिजोरी रखी थी, जिस में तराशे और गैरतराशे हीरे तथा नकदी रखी जाती थी. पुलिस ने जब तिजोरी देखी तो उस के भी होश उड़ गए. चोरों ने 3 लेयर वाली तिजोरी खोलने के बजाय गैस कटर से काट कर हीरे चुराए थे. तिजोरी में 12×10 इंच की छत थी. यह सब दर्शाता था कि चोरों के पास गैस कटर जैसे आधुनिक चोरी के सामान थे.
जहां चोरी हुई थी, उस जगह के और औफिस के बाहर के सीसीटीवी कैमरों के साथ डिजिटल वीडियो रिकौर्डर (डीवीआर) भी चोर निकाल ले गए थे, जिस से चोरों की पहचान न हो सके. देखा जाए तो एक तरह से चोरों तक पहुंचने के सारे रास्ते बंद थे, लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो एकएक कर कई बातें चौंकाने वाली सामने आईं. पुलिस ने जब पूछा कि लगभग कितनी कीमत के हीरे चोरी हुए होंगे तो कंपनी के मालिक देवेंद्र कुमार चौधरी ने हिसाब कर के बताया कि लगभग 32.6 करोड़ के हीरे चोरी गए हैं. इस तरह देखा जाए तो कंपनी में 32.6 करोड़ की चोरी हुई थी. यह कोई छोटीमोटी चोरी नहीं थी. इसलिए घटना का निरीक्षण करने वाले पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर यह जानकारी पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत को दी.
पुलिस को करीबियों पर क्यों हुआ शक
मामला गंभीर था. सब से बड़ी बात यह थी कि इस घटना से पुलिस की भी काफी बदनामी हो रही थी कि जब लगातार 3 दिनों की छुट्टी थी तो गश्त करने वाली पुलिस क्या कर रही थी?
इस बदनामी से बचने के लिए पुलिस कमिश्नर ने इस मामले की जांच के लिए थाना पुलिस के साथ लोकल क्राइम ब्रांच को भी लगा दिया. इस तरह क्राइम ब्रांच कई टीमें बना कर चोरों का पता लगाने में लग गई थी. जांच में पता चला कि 3 दिनों की छुट्टी होने के बावजूद कंपनी में कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था. चोरों ने इसी बात का लाभ उठा कर इतनी बड़ी चोरी को अंजाम दे दिया था. चोर सीसीटीवी कैमरा तोडऩे के साथ डीवीआर भी उठा ले गए थे, जिस से पुलिस को कोई सबूत न मिले. इस से पुलिस को लगा कि चोरी करने वाले साधारण चोर नहीं थे. इस चोरी को बहुत ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था.

चोरों तक पहुंचने के लिए पुलिस उस पूरे इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही थी. जिस डी.के. संस कंपनी में चोरी हुई थी, वह मेन रोड से 200 मीटर अंदर थी. घटनास्थल पर एक लाइटर , रजनीगंधा पान मसाला का रैपर मिला था. कंपनी गली में अंदर चौथी मंजिल पर थी, इस बात की जानकारी चोरों को पहले से ही थी. इस से पुलिस को लगा कि कोई जानकार इस चोरी में शामिल है. कहीं कंपनी के किसी आदमी ने ही तो यह चोरी नहीं कराई, पुलिस को इस बात की भी आशंका थी. इसलिए पुलिस ने कर्मचारियों को भी जांच में शामिल कर लिया था.
सब से पहले तो पुलिस ने यह नोटिस किया कि चोरों ने हीरे चुराने के लिए तिजोरी तो गैस कटर से काटी थी, लेकिन कंपनी के मेन गेट से ले कर बाकी के दरवाजों से अंदर आने के लिए न तो किसी औजार का उपयोग किया था और न किसी तरह के बल का प्रयोग किया था. दरवाजे पर लगा ताला भी चाभी से खोला गया था, क्योंकि उस में किसी भी तरह के बल प्रयोग का निशान नहीं था. इस तरह देखा जाए तो कंपनी में जबरन प्रवेश का कोई निशान नहीं था. तो क्या चोरों को कंपनी में आसानी से घुसने का रास्ता दिया गया था? इस से यही लग रहा था कि यह काम अंदर के ही किसी आदमी का है.
हैरानी की एक बात यह भी थी कि कंपनी में इतने कीमती हीरे रखे थे, लेकिन वहां कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था. पूछताछ में पता चला कि कुछ दिनों पहले ही सिक्योरिटी गार्ड को नौकरी से निकाल दिया गया था. हैरान करने वाली बात यह भी थी कि कंपनी में तो कैमरे लगे थे, लेकिन बिल्डिंग में एक भी कैमरा नहीं लगा था. ताला भी एकदम नया था, जिसे एक सप्ताह पहले ही खरीदा गया था. एक बात हैरान करने वाली यह भी थी कि चोरी की यह वारदात होने के एक सप्ताह पहले ही कंपनी के मालिक ने हीरे का बड़ा स्टाक खरीदा था. ये सारी बातें साबित कर रही थीं कि इस वारदात में या तो कंपनी का कोई कर्मचारी शामिल था या फिर करीबी शामिल था.
चोरों का पता लगाने के लिए पुलिस ने 3 दिनों के आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले. इस में पुलिस को 2 आटो संदिग्ध लगे, जो 15-16 अगस्त की दरम्यानी रात डी.के. संस डायमंड कंपनी की ओर जाते दिखाई दिए थे. पुलिस ने जब उस फुटेज को गौर से देखा तो उस में एक ऐसी चीज नजर आई, जिसे देख कर पुलिस का दिमाग ही घूम गया. पुलिस को उस आटो में डायमंड कंपनी के मालिक देवेंद्र कुमार का बेटा बैठा दिखाई दिया था. यही नहीं, एक आटो में पुलिस को गैस कटर भी नजर आया था. स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच ने गहराई से की गई जांच में यह निष्कर्ष निकाला कि कंपनी में चोरी हुई ही नहीं थी. जैसेजैसे जांच आगे बढ़ रही थी, वैसेवैसे पुलिस की परेशानी बढ़ती जा रही थी, क्योंकि चोरों का जो चेहरा सामने आ रहा था, वह हैरान करने वाला था.
पता चला कि चोरी होने का मात्र षडयंत्र रचा गया था और इस षडयंत्र में 5 लोग शामिल थे. आगे की जांच में 2 और चौंकाने वाली बातें पता चलीं. पहली यह कि कंपनी के मालिक देवेंद्र कुमार ने 10 दिन पहले ही कंपनी का बीमा रिन्यू कराया था. यह एक इत्तफाक भी हो सकता था, पर यहां कुछ ज्यादा ही इत्तफाक नजर आ रहे थे. पुलिस को यह भी पता चला था कि साल 2018 में भी इस कंपनी में चोरी हुई थी. उस चोरी में कंपनी के मालिक देवेंद्र कुमार ने बीमा कंपनी से 8 लाख रुपए वसूल किए थे.
इस का मतलब यह था कि देवेंद्र कुमार के साथ पहले भी ऐसा हो चुका था. इस के अलावा तिजोरी में रखे 19 करोड़ के कटिंग के हीरे चोर नहीं ले गए थे. जबकि कोई भी चोर इतनी कीमत के हीरे क्यों छोड़ता. इस के बाद पुलिस उस बीमा एजेंट से मिली, जिस ने देवेंद्र कुमार की कंपनी का बीमा कराया था. चौधरी ने उस से चोरी से पहले बात की थी. तब उस ने चौधरी को बताया था कि ऐसी किसी अनहोनी में कंपनी नुकसान का 50 प्रतिशत भरपाई करती है.
मालिक ने अपनी ही कंपनी में क्यों की चोरी
इस के बाद पुलिस ने डी.के. संस के मालिक देवेंद्र कुमार चौधरी को हिरासत में ले कर पूछताछ करने का निर्णय लिया. देवेंद्र कुमार को थाने ला कर पूछताछ की गई तो इस चोरी की जो कहानी सामने आई, उसे सुन कर पुलिस भी चकरा गई. करोड़ों की इस चोरी की योजना किसी और ने नहीं, कंपनी के मालिक देवेंद्र कुमार चौधरी ने ही अपने दोनों बेटों और 2 कर्मचारियों के साथ मिल कर बनाई थी और अंजाम भी दिया था. जिस के लिए 25 लाख रुपए देने थे. जिस में से 5 लाख रुपए दे भी दिए गए थे. बाकी के 20 लाख रुपए अभी देने थे.
अब सवाल यह था कि 300 करोड़ की टर्नओवर वाली कंपनी, जिस का कारोबार मुंबई से ले कर विदेश तक फैला था. आखिर उस के मालिक को ऐसी गैरकानूनी और शातिराना हरकत क्यों करनी पड़ी? तो आइए जानते हैं, देवेंद्र कुमार के बारे में. जिस डी.के. संस कंपनी में चोरी हुई थी, उस के 48 साल के मालिक देवेंद्र कुमार चौधरी पुत्र गेनाराम चौधरी मूलरूप से राजस्थान के जिला बाड़मेर के गांव गुडामालाणी के रहने वाले थे. 35 साल से वह परिवार के साथ सूरत में रह रहे थे. सूरत के वराछा में वह खोडियारनगर रोड पर कपूरवाड़ी में डायमंड किंग तथा डी.के. ऐंड संस के नाम से हीरा की कंपनी चलाते थे.

डायमंड किंग कंपनी के प्रोप्राइटर देवेंद्र कुमार चौधरी थे तो डी.के. संस देवेंद्र कुमार, उन की पत्नी, दोनों बेटे पीयूष, ईशान और ईशान की पत्नी की हिस्सेदारी में चलती थी. जबकि दोनों ही कंपनियां चलती एक ही जगह पर थीं.
23 करोड़ का उधार
ये कंपनियां देवेंद्र कुमार अपने दोनों बेटों के साथ मिल कर संभालते थे. देवेंद्र कुमार सूरत में देवेंद्र कुमार मारवाड़ी के रूप में पहचाने जाते थे. वह काठियावाड़ी इलाके में काठियावाडिय़ों के बीच पिछले 20 सालों से कंपनी चला रहे थे. कभी देवेंद्र कुमार की कंपनी में 1500 से अधिक कर्मचारी काम करते थे. जबकि इस समय 15-20 ही रह गए थे. कोरोना काल में देवेंद्र कुमार की कंपनी को भारी क्षति पहुंची थी. इसी के साथ देवेंद्र कुमार पर कर्ज भी हो गया था, जो धीरेधीरे बढ़ता ही जा रहा था.
उन्होंने 13 करोड़ रुपए बैंक से लोन ले रखा था तो 10 करोड़ रुपए लोगों से उधार ले रखे थे, जिसे चुकाना फिलहाल देवेंद्र कुमार के लिए मुश्किल था. जब कोई राह नहीं सूझी तो उन्होंने बेटों के साथ मिल कर अपनी ही कंपनी में चोरी करने की योजना बनाई. उसी योजना के तहत कंपनी में लगे सीसीटीवी कैमरों की संख्या कम करने के साथ सिक्योरिटी गार्ड को भी हटा दिया था. नए ताले खरीदे और बीमा एजेंट से बात कर के कंपनी का बीमा रिन्यू करवाया. पहले खुद ही बेटों के साथ मिल कर कंपनी में चोरी करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए. इस के बाद अपने ड्राइवर और एक खास आदमी को योजना में शामिल किया, जिस के लिए 25 लाख रुपए देने की बात भी हुई. इस में से 5 लाख रुपए एडवांस के रूप में देवेंद्र कुमार ने तिजोरी में रख दिए थे, जिस से चोर चोरी करते समय 5 लाख की पहली किस्त ले कर चले जाएं.
देवेंद्र कुमार ने अपने ड्राइवर को बचाने के लिए उसे दुबई भेजने की भी योजना बना रखी थी. उस के लिए फ्लाइट की टिकट भी खरीद ली गई थी, लेकिन जाने से पहले ही सारा भेद खुल गया और दुबई जाने से पहले जेल पहुंच गया. बहरहाल, जिस बीमा की रकम को पाने के लिए देवेंद्र कुमार मारवाड़ी ने जो खेल खेला, उस में वह खुद ही फंस गए और उसी का नतीजा है कि अब वह बेटों के साथ जेल में हैं. Gujarat News






