UP News: नाबालिग सीमा अपने प्रेमी प्रभु के साथ भाग गई थी. पुलिस ने सीमा को बरामद कर के प्रभु को गिरफ्तार भी कर लिया. इस के बावजूद जब सीमा की हत्या हो गई तो पुलिस को संदेह उस के घर वालों पर ही हुआ. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के थाना विशारतगंज के मोहल्ला वार्ड नंबर 11 में भूरे खां अपने परिवार के साथ रहता था. भूरे के परिवार में पत्नी नसीम, 6 बेटियां और 2 बेटे थे. इन में केवल सब से बड़ी सकीना का विवाह हुआ था, बाकी सभी अविवाहित थे.
इश्तियाक दिल्ली में किसी फैक्ट्री में नौकरी करता था. मुश्ताक भी कुछ दिनों तक दिल्ली में रहा था, लेकिन इधर वह घर पर ही रह रहा था. पूरा परिवार जरी का काम करता था, जिस से होने वाली कमाई से उन के घर का खर्च आसानी से चल रहा था. भूरे की 15 साल की बेटी सीमा किशोरावस्था की सीमा पार कर के जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी. जवानी की चमक से उस का रूपरंग दमकने लगा था. वह ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी, इस के बावजूद उसे फिल्मों का जबरदस्त शौक था. उस की सहेलियां भी उसी जैसी सोच की थीं. इसलिए उन में जब भी बातें होतीं, फिल्मों और उन में दिखाए जाने वाले प्रेमसंबंधों को ले कर होतीं.
यह उम्र का ही तकाजा था कि सीमा को उन बातों में खूब मजा आता था. उस के दिल में भी उमंगें थीं, उस के ख्यालों में भी अपने चाहने वाले की तस्वीर थी. लेकिन यह तस्वीर कुछ धुंधली सी थी. उस की आंखें ख्यालों की तस्वीर के चाहने वाले की तलाश किया करती थीं. लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी वह धुंधली तस्वीर साफ हो रही थी और न वह कहीं नजर आ रहा था. उस के आगेपीछे चक्कर लगाने वाले लड़के कम नहीं थे, लेकिन उन में से एक भी ऐसा नहीं था, जो उस के ख्यालों की तस्वीर में फिट बैठता.
2 साल पहले सीमा पिता भूरे के साथ एक रिश्तेदारी में बरेली के ही एक गांव रेवती गई. यह गांव उस के गांव से ज्यादा दूर नहीं था. लौटते समय वह रेवती रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन का इंतजार कर रही थी, तभी एक वेंडर युवक पानी की बोतल बेचते हुए उस के पास से गुजरा. उस लड़के में सीमा ने न जाने क्या देखा कि उस का दिल एकदम से धड़क उठा. उस की निगाहें उस पर टिक कर रह गई. उस के दिल से आवाज आई, ‘सीमा यही है तेरा चाहने वाला.’
उस युवक का चेहरा आंखों के रास्ते दिल में पहुंचा तो उस के ख्यालों में बनी धुंधली तस्वीर, बिलकुल साफ हो गई. वह युवक जब तक उस की नजरों के सामने रहा, सीमा उसे एकटक निहारती रही. उसे अपनी ओर इस तरह निहारते देख वह युवक भी बारबार उसी को देखने लगा. जब उन की निगाहें आपस में मिल जातीं तो दोनों के होंठों पर मुसकराहट तैर उठती. ट्रेन आई तो सीमा पिता के साथ ट्रेन में बैठ गई. पूरे रास्ते उस की आंखें के सामने उसी युवक का चेहरा घूमता रहा.
वह विशारतगंज रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतर कर स्टेशन से बाहर आई तो उस नवयुवक को एक अंडे की दुकान पर देखा. वह ग्राहकों को अंडे बेच रहा था. इस का मतलब वह दुकान उसी की थी. इस का मतलब युवक विशारतगंज का रहने वाला था. यह जान कर सीमा को काफी खुशी हुई. उस ने सोचा कि वह जब भी चाहेगी, उस युवक के बारे में पता कर के उस से मिल सकेगी. यह बात दिमाग में आते ही उसे काफी सुकून मिला. वह पिता के साथ घर आ गई.
सीमा ने जल्दी ही उस युवक के बारे में पता कर लिया. उस का नाम था प्रभु गोस्वामी. वह वार्ड नंबर 6 में रहता था. उस के पिता महेश की मौत हो चुकी थी. परिवार में मां और 2 छोटे भाई थे. घर प्रभु की ही कमाई से चल रहा था. रेलवे स्टेशन के पास वह अंडे की दुकान लगाता था, साथ ही स्टेशन और ट्रेन में पानी की बोतलें बेच लेता था. एक दिन सुबह प्रभु छत पर बैठा मौसम का आनंद ले रहा था, तभी अचानक उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. इतनी सुबह फोन करने वाला उस का कोई दोस्त ही होगा, यह सोच कर वह मोबाइल स्क्रीन पर नंबर देखे बगैर ही बोला, ‘‘हां बोल?’’
‘‘जी, आप कोन बोल रहे हैं?’’ दूसरी ओर से किसी लड़की की मधुर आवाज आई तो प्रभु चौंका. उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो उस ने तुरंत ‘सौरी’ कहते हुए कहा, ‘‘माफ करना, दरअसल मैं ने सोचा कि इतनी सुबहसुबह कोई दोस्त ही फोन कर सकता है, इसीलिए… वैसे आप को किस से बात करनी है, आप कौन बोल रही हैं?’’
‘‘मैं सीमा बोल रही हूं. मुझे भी अपनी दोस्त से बात करनी थी. लेकिन लगता है नंबर गलत डायल हो गया है.’’
‘‘कोई बात नहीं, आप को अपनी दोस्त का नंबर सेव कर के रखना चाहिए. ऐसा करेंगी तो गलती नहीं होगी.’’
‘‘आप पुलिस में हैं क्या?’’
‘‘नहीं तो, क्यों?’’
‘‘बात तो पुलिस वालों की ही तरह कर रहे हो. सवाल के साथ सलाह भी.’’ कह कर सीमा जोर से हंसी.
‘‘अरे नहीं, मैं ने तो वैसे ही कह दिया. दोस्त आप की, फोन भी आप का. आप चाहें नंबर सेव करें या न करें.’’
‘‘आप बुजुर्ग हैं?’’ सीमा ने फिर छेड़ा.
‘‘जी नहीं, अभी मैं नौजवान हूं.’’
‘‘तब तो किसी न किसी के खास होंगे?’’
‘‘आप बहुत बातें करती हैं.’’
‘‘अच्छी या बुरी?’’
‘‘अच्छी.’’
‘‘क्या अच्छा है मेरी बातों में?’’
अब हंसने की बारी प्रभु की थी. वह जोर से हंसा फिर बोला, ‘‘माफ करना, मैं आप से नहीं जीत सकता.’’
‘‘और मैं माफ न करूं तो?’’
‘‘तो आप ही बताएं, मैं क्या करूं?’’ प्रभु ने हथियार डाल दिए.
‘‘अच्छा जाओ, माफ किया.’’
दरअसल, सीमा ने किसी तरह प्रभु का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था. सीमा के पास खुद का मोबाइल नहीं था. इसलिए उस ने अपनी सहेली का मोबाइल ले कर बात की थी. पहली ही बातचीत में दोनों काफी घुलमिल गए. उन के बीच कुछ ऐसी बातें हुईं कि दोनों ही एकदूसरे के लिए अपनापन महसूस करने लगे. इस के बाद उन के बीच अक्सर बातें होने लगीं. सीमा ने प्रभु को बता दिया था कि उस दिन उस ने अनजाने में नहीं, जानबूझ कर फोन किया था और वह भी उस का नंबर हासिल कर के. इतना ही नहीं, उन की मुलाकात भी हो चुकी है.
जब प्रभु ने मुलाकात के बारे में पूछा तो सीमा ने रेवती रेलवे स्टेशन पर हुई मुलाकात के बारे में बता दिया. प्रभु यह जान कर खुश हआ, क्योंकि उस दिन सीमा का खूबसूरत चेहरा आंखों के जरिए उस के दिल में उतर चुका था. इस के बाद दोनों की मुलाकातें होने लगीं. दिनोंदिन उन का प्यार प्रगाढ़ होता गया. सीमा दीवानगी की हद तक प्रभु को चाहने लगी थी. प्रभु इस बात को बखूबी जानता था, लेकिन उस के दिमाग में जातिधर्म की बात बैठी हुई थी, इसलिए उसे हमेशा सीमा को खो देने का डर सताता रहता था. प्रेम दीवानों के प्रेम की खुशबू जब जमाने तक पहुंचती है तो लोग उन दीवानों पर तमाम बंदिशें लगाने लगते हैं. यही सीमा के घर वालों ने भी किया.
सीमा का गैरधर्म के लड़के के साथ इश्क लड़ाना घर वालों को रास नहीं आया. उन्होंने सीमा पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए. लेकिन तमाम बंदिशों के बाद भी सीमा प्रभु से मिलने का मौका निकाल ही लेती थी. इसी बीच एक मुलाकात में प्रभु को उदास देखा. सीमा ने कारण पूछा, ‘‘तुम्हारे दिल में ऐसी क्या बात है, जिस की वजह से तुम्हारे चेहरे पर उदासी छाई है?’’
‘‘कुछ नहीं, तुम्हें ऐसे ही लग रहा है.’’ प्रभु ने टालने की कोशिश की.
‘‘मुझे ऐसे ही नहीं लग रहा, कोई बात है जिस की वजह से तुम उदास हो. तुम्हें मेरी कसम, बताओ क्या बात है?’’
‘‘सीमा मुझे डर है कि मैं तुम्हें खो न दूं.’’
‘‘क्यों, तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?’’
‘‘हम दोनों की जाति तो छोड़ो, धर्म भी अलगअलग है. ऐसे में घर समाज ही नहीं, घर वाले ही हमारी शादी के लिए नहीं राजी होंगे.’’
‘‘सच्चा प्यार ऊंचनीच और जातिधर्म का मोहताज नहीं होता. लोग कहते हैं न कि जोडि़यां ऊपर वाला बनाता है. इसलिए हम दोनों में प्यार हुआ है तो इस का मतलब है कि ऊपर वाले को हमारा प्यार मंजूर है. फिर इस में संदेह की कोई बात कहां है.’’
‘‘लेकिन तुम्हरे घर वाले तो हमें दूर करने के लिए जमीनआसमान एक किए हुए हैं.’’
‘‘चिंता मत करो, मैं अपने घर वालों को किसी न किसी तरह समझा लूंगी. अगर नहीं समझा पाई तो हमारे सामने और भी रास्ते हैं. देखो प्रभु, हमें दुनिया से जितना लड़ना पड़े, हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी. कोई ताकत हमें जुदा नहीं कर सकती.’’
इतना कह कर सीमा प्रभु के सीने से लग गई. ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी सीमा ने हार नहीं मानी. उस की हिम्मत उस का प्यार था, जिसे वह हर हाल में अपने से जुदा नहीं कर सकती थी. फिर कुछ देर और बात कर के दोनों अपनेअपने घरों को लौट गए. सीमा ने अपने घर वालों से बात की, लेकिन वे राजी नहीं हुए, उल्टे उस की पिटाई कर दी. बंदिशों के बाद भी उन के चोरीछिपे मिलने की भनक सीमा के घरवालों को लग ही जाती थी. उसी बीच रामलीला मेले में प्रभु पर चाकू से जानलेवा हमला किया गया. लेकिन संयोग था कि प्रभु बच गया. पुलिस में शिकायत भी की गई, लेकिन पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की.
इस घटना ने सीमा को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर वे यहां रहें तो दोनें की जान को खतरा बना रहेगा. उन दोनों को अलग करने के लिए उस के घर वाले किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए उस ने एक फैसला लिया. 18 फरवरी को सीमा रेलवे स्टेशन पहुंची और प्रभु से भाग चलने की जिद करने लगी. प्रभु तैयार नहीं हुआ तो वह वहां खड़ी सद्भावना एक्सप्रेस के आगे लेट गई और जान देने की धमकी देने लगी. हार कर प्रभु को उस की बात माननी पड़ी. वह सीमा को वहां से अपने घर ले गया और छिपा दिया. रात में दोनों रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन से हिमाचल प्रदेश चले गए. प्रभु घर से 10 हजार रुपए ले कर गया था. वहां दोनों ने विवाह कर लिया और पतिपत्नी की तरह रहने लगे.
इधर सीमा के घर वालों को प्रभु के साथ उस के भाग जाने की खबर लगी तो उन्होंने उस की खोजबीन शुरू कर दी. काफी खोजबीन के बाद भी जब उस का कुछ पता नहीं चला तो एक मार्च को सीमा के पिता भूरे ने विशारतगंज थाने में प्रभु और उस के चाचा रमेश पर तमंचे की नोक पर सीमा का अपहरण करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी. थानाप्रभारी शुजाउर रहीम ने प्रभु और रमेश के विरूद्ध भादंवि की धारा 363, 366, 452, 504 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने प्रभु के घरवालों और रिश्तेदारों पर दबाव बनाना शुरू किया तो प्रभु ने होली के एक दिन पहले 5 मार्च को एक भाजपा नेता के माध्यम से सीमा को पुलिस के हवाले कर दिया.
पुलिस ने उसे महिला थाना भेजने के बजाय बिना मैडिकल कराए ही परिजनों के हवाले कर दिया. 9 मार्च को उस के कोर्ट में बयान होने थे. इसी बीच 8 मार्च को देर रात पुलिस ने प्रभु को भी गिरफ्तार कर लिया. 9 मार्च की सुबह साढ़े 7 बजे भूरे विशारतगंज थाने पहुंचा कि किसी नकाबपोश ने सुबह 4 बजे सीमा की हत्या कर दी है. उस समय घर का मेनगेट खुला हुआ था. सीमा की मां नसीम टौयलेट गई थी, बाकी लोग सो रहे थे. अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी तो सभी उठ कर दौड़े. पास जा कर देखा तो सीमा के सिर से खून बह रहा था और उस का शरीर शिथिल पड़ चुका था. उस की मौत हो चुकी थी. उन्होंने एक नकाबपोश को वहां से भागते देखा था, वह कोई और नहीं प्रभु था.
उस का आरोप सुन कर थानाप्रभारी शुजाउर रहीम ने कहा कि प्रभु तो उन की हिरासत में है, वह कैसे खून कर सकता है? बहरहाल, शुजाउर रहीम पुलिस फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी और खुद सिपाहियों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. कुछ ही देर में एसपी (ग्रामीण) ब्रजेश श्रीवास्तव और सीओ (आंवला) धर्म सिंह मार्छाल भी घटनास्थल पर पहुंच गए. सीमा के सिर में काफी गहरा घाव था, जिस से अनुमान लगाया कि हत्यारे ने बहुत नजदीक से गोली चलाई थी. पुलिस अधिकारियों ने घर वालों से पूछताछ की तो सभी के बयान अलगअलग थे. शुरुआती जांच में और अब तक की पूछताछ में यह मामला औनर किलिंग का लग रहा था.
घटना के बाद से ही सीमा का बड़ा भाई इश्तियाक घर से गायब था. पुलिस ने आसपड़ोस में पूछताछ की तो पता चला कि देर रात तक सीमा के घरवाले जागते रहे थे. सीमा से लड़ाईझगड़ा होने की बात भी सामने आई. देर रात तक उन के घर में अफरातफरी का माहौल बना रहा था. उस के बाद कुछ समय के लिए सब शांत हो गया. सुबह 4 बजे गोली चलने की आवाज आई और फिर उस के बाद रोनेपीटने की आवाजें आने लगीं. इस के बाद सीमा की हत्या किए जाने की बात सामने आई. सीमा की हत्या में सारे हालात किसी अपने की ओर इशारा कर रहे थे. वह अपना कोई और नहीं, उस का बड़ा भाई इश्तियाक हो सकता था. वही घर से गायब था और उस का मोबाइल भी बंद था.
पूछताछ के बाद सीमा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. इस के बाद पुलिस ने घर की तलाशी ली, लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा. आगे की जांच में पता चला कि घटना की रात सीमा का मामा गुड्डू भी आया था. गुड्डू बरेली के थाना सिरौल के गांव हरदासपुर में रहता था. पुलिस ने उस के घर छापा मारा तो वह घर में ही था. लेकिन पुलिस को देखते ही वह छत के रास्ते भागने में सफल हो गया.
14 मार्च को थानाप्रभारी शुजाउर रहीम, एसआई चमन सिंह, प्रताप सिंह और अतुल दुबे की टीम ने गुड्डू को बदायूं के कुंवरगांव से गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से हत्या में प्रयुक्त 315 बोर का तमंचा भी बरामद हो गया. दरअसल, सीमा का मामा गुड्डू पंजाब में फेरी लगा कर कबाड़ी का काम करता था. उसे फोन से सीमा के गैर धर्म के लड़के के साथ भाग जाने की जानकारी मिली तो वह क्रोध से जल उठा. जब पुलिस ने सीमा को बरामद कर घर वालों के हवाले किया तो गुड्डू ने भूरे से सीमा को समझाने को कहा. लेकिन सीमा प्रभु के पास जाने की जिद पर अड़ी थी. गुड्डू ने भी उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी. इस के बाद गुड्डू के सामने एक ही रास्ता बचा कि वह सीमा को खत्म कर दे.
8 मार्च की सुबह वह हावड़ा-अमृतसर एक्सपे्रस टे्रन से बरेली के आंवला स्टेशन पर उतरा. वहां से वह अपने गांव हरदासपुर गया और शाम को विशारतगंज आ गया. देर रात वह भूरे के घर पहुंचा. उस ने सीमा को अपनी जिद छोड़ने के लिए काफी समझाया, जिसे ले कर काफी देर तक बहस चलती रही. सीमा का बड़ा भाई इश्तियाक भी मामा गुड्डू के सुर में सुर मिला रहा था. जब किसी तरह बात नहीं बनी तो सीमा के सो जाने पर गुड्डू ने इश्तियाक के साथ मिल कर सीमा के सिर से तमंचा सटा कर गोली मार दी. एक ही झटके में सीमा मौत की नींद सो गई. इस के बाद दोनों वहां से फरार हो गए. कुछ लोगों ने गुड्डू का पीछा भी किया, लेकिन वह किसी के हाथ नहीं आया.
शुजाउर रहीम ने गुड्डू और इश्तियाक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा कर गुड्डू को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक इश्तियाक फरार था. पुलिस उस की तलाश कर रही थी. गुड्डू को जरा भी कानून का ज्ञान होता तो सीमा की जान बच सकती थी. सीमा नाबालिग थी. ऐसी स्थिति में अदालत उसे उस के घर वालों को ही सौंपती न कि प्रेमी प्रभु को. UP News
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.






