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22वर्षीया रिया कुमारी उर्फ ईशा आलिया झारखंड फिल्म इंडस्ट्री की जानीमानी एक्ट्रैस थी. उस की यूट्यूब की दुनिया में अलग पहचान थी. उस ने यह शोहरत, यह मुकाम यूं ही हासिल नहीं कर लिया था, इस के लिए उस ने अपने आप को पूरी शिद्दत से ढाला था.

टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल के कलाकारों के चेहरों के हावभाव, उन की अदाएं और संवाद बोलने के अंदाज को रिया घंटों टीवी के सामने बैठ कर देखा करती थी, फिर आदमकद शीशे के सामने खड़ी हो कर वह उन के जैसा अभिनय करने की कोशिश करती.

रिया की यह कोशिश एक दिन रंग लाई. उसे एक भोजपुरी एलबम में काम करने का मौका मिल गया, उस एलबम से वह इतना मशहूर हुई कि उसे एक के बाद एक नागपुरी, भोजपुरी, खोरठा और बांग्ला भाषा की एलबमों में काम मिलता चला गया. वह झारखंड फिल्म इंडस्ट्री का जानामाना चेहरा बन गई.

रिया बचपन से ही शोख, चंचल और खूबसूरत थी. जब उस पर यौवन की बहार आई तो उस का अंगअंग गदरा उठा. रूपरंग निखर आया. रिया इंद्र की अप्सरा जैसी नजर आने लगी.

फिल्म इंडस्ट्री में नाम का भी बहुत महत्त्व होता है. बौलीवुड के मशहूर कलाकार हरीभाई नाम बदल कर संजीव कुमार तो यूसुफ खान अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार के नाम से फेमस हुए. रिया कुमारी को अपना नाम भी अटपटा लगा, इसलिए उस ने अपना नाम रिया कुमारी से बदल कर ईशा आलिया रख लिया. झारखंड फिल्म इंडस्ट्री में वह ईशा आलिया के नाम से मशहूर हो गई.

रांची के टैगोर हिल एरिया में स्थित अपने फ्लैट में 27 दिसंबर, 2022 को ईशा आलिया बहुत खुश नजर आ रही थी. वह अपनी भोजपुरी एलबम के गाने पर नृत्य कर रही थी. उस के सामने सोफे पर बैठी उस की 2 साल की बेटी परी अपनी मां को थिरकते देख कर खिलखिलाती हुई ताली बजा रही थी. ईशा आलिया नृत्य करने में इतनी खो गई थी कि उसे पति प्रकाश अलबेला के ड्राइंगरूम में आने का पता ही नहीं चला.

प्रकाश अलबेला ईशा आलिया के थिरकते बदन की लोच और बलखाती कमर को मंत्रमुग्ध सा देख रहा था. उस की नजरें ईशा के ऊपर से हट नहीं पा रही थीं कि उस बच्ची की नजर प्रकाश पर चली गई तो वह मचल कर चिल्ला पड़ी, ‘‘पापाऽऽ…’’

बेटी की यह आवाज कान में पड़ते ही ईशा आलिया के थिरकते कदमों पर एकदम ब्रेक लग गए. उस ने चौंक कर बेटी की नजरों का पीछा किया तो चौंक पड़ी. दरवाजे के पास प्रकाश अलबेला खड़ा मुसकरा रहा था.

ईशा आलिया के चेहरे पर तनाव पैदा हो गया. उस ने भौंहें सिकोड़ीं और पैर पटकती हुई बेटी की तरफ बढ़ गई. उस ने बेटी को गोद में उठाया और दरवाजे की तरफ बढ़ी. वह दरवाजे तक पहुंचती, उस से पहले ही प्रकाश ने लपक कर उस की बाजू पकड़ ली.

‘‘मेरा हाथ छोड़ो प्रकाश,’’ ईशा तीखे स्वर में बोली.

‘‘अभी तक नाराज हो ईशा?’’ प्रकाश खुशामदी वाले लहजे में बोला, ‘‘आई एम सौरी यार, मुझे तुम्हारी बात मान लेनी चाहिए थी.’’

ईशा ने उसे घूरा. बोली कुछ नहीं.

‘‘गुस्सा थूक दो ईशा, मैं तुम्हें आज ही कोलकाता ले चलने को राजी हूं.’’

‘‘सच कह रहे हो?’’ ईशा ने उसे शक भरी नजरों से देख कर कहा.

‘‘परी की कसम.’’ प्रकाश उस नन्ही बच्ची के सिर पर हाथ रख कर बोला, ‘‘हम तीनों आज रात को ही कोलकाता चलेंगे.’’

ईशा मुसकरा पड़ी, ‘‘मुझे यकीन है कि तुम परी की झूठी कसम नहीं खा सकते.’’

प्रकाश ने परी को ईशा की गोद से ले कर उस के गाल का एक चुंबन लिया. फिर ईशा को बाजू से पकड़ कर सोफे तक ले आया, ‘‘बैठो, मैं होटल से खाना पैक करवा कर लाया हूं, साथ बैठ कर खाना खाएंगे.’’

‘‘होटल से क्यों लाए, मैं बना लेती.’’

‘‘तुम नाराज थी,’’ प्रकाश गंभीर स्वर में बोला, ‘‘तुम्हें मनाना इतना आसान नहीं होता, भूखी सो जाती तो मुझे दुख होता.’’

‘‘जब इतना सोचते हो तो मुझे बारबार नाराज क्यों करते हो. अगर तुम मेरी बात पहले ही मान जाते तो क्या बिगड़ जाता?’’

‘‘ईशा, मेरे हाथ में बड़े बजट की फिल्म है, उसे जल्द पूरा कर के परदे पर लाने की जिम्मेदारी भी मुझ पर है. मैं अभी काम से ब्रेक ले कर तुम्हें कोलकाता नहीं ले जाना चाहता था.’’

‘‘प्रकाश, काम तो तुम्हें और मुझे जिंदगी भर करना है, इस के लिए मैं या तुम अपनी निजी जिंदगी से समझौता नहीं कर सकते. तुम्हें मालूम है न, मैं कितने महीनों से अपने मम्मीपापा से मिलने नहीं गई थी. तुम्हें कोलकाता चलने को कह रही थी, तुम थे कि नाम ही नहीं ले रहे थे.’’

‘‘अब तो मान गया हूं मेरी प्यारी ईशा आलिया.’’ प्रकाश ने ईशा के दोनों गालों पर हाथ रख कर प्यार से मुसकराते हुए कहा, ‘‘चलो, अब खाना खा लो. ठंडा हो जाएगा.’’

‘‘तो हम कोलकाता चल रहे हैं न?’’ ईशा ने जैसे पूरा यकीन कर लेना चाहा.

‘‘कह तो दिया बाबा, अब क्या बच्चे की जान लोगी.’’ प्रकाश ने मासूमियत से कहा तो ईशा खिलखिला कर हंस पड़ी. प्रकाश भी हंसने लगा. थोड़ी देर बाद वह होटल से लाया हुआ खाना खा रहे थे.

28 दिसंबर, 2022 की बात है. सुबह की धूप पूरी तरह खिल चुकी थी. हावड़ा जिले के थाना बगनान के एसएचओ धूप में बैठे सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, तभी एक कार थाने के गेट से अंदर आई. कार को थाने की बाउंड्री में प्रवेश कर के रुकते हुए एसएचओ ने देखा तो उन की उत्सुकता यह जानने के लिए पैदा हो गई कि कार से कौन शख्स सुबहसुबह यहां आया है.

कार का दरवाजा खोल कर जो व्यक्ति बाहर आया, वह प्रकाश अलबेला था. ईशा आलिया का पति. वह उसे जानते थे कि वह फिल्म डायरेक्टर है.

प्रकाश अलबेला की गोद में 2 साल की बेटी परी थी, जो प्रकाश से चिपक कर गहरी नींद में सो रही थी. प्रकाश अलबेला के चेहरे पर बदहवासी छाई हुई थी, वह बुरी तरह घबराया हुआ था. तेजतेज चलता हुआ वह एसएचओ के सामने आ गया.

उस के हावभाव तथा चेहरे की बदहवासी से ही एसएचओ ने अनुमान लगा लिया कि मामला गड़बड़ है. उन्होंने प्रकाश अलबेला की तरफ प्रश्नसूचक नजरों से देख कर पूछा, ‘‘क्या हुआ, आप इतना घबराए हुए क्यों हैं?’’

‘‘सर, आज सुबह 3 बदमाशों ने मेरी पत्नी ईशा आलिया को गोली मार दी है.’’

‘‘ओह!’’ एसएचओ चौंकते हुए बोले, ‘‘कहां हैं आप की पत्नी?’’

‘‘वह मर चुकी है सर, उस की लाश मैं कार की डिक्की में ले कर आया हूं.’’

एसएचओ कुछ पल के लिए सोच नहीं सके कि क्या करें. कुछ ही क्षणों में खुद को संभाल कर वह प्रकाश अलबेला से मुखातिब हुए, ‘‘चलिए, कार की डिक्की खोलिए.’’

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