दिल्ली पुलिस की नजर में साइबर अपराध किस तरह के हैं, जिसे ले कर उन के पास शिकायतें मिलती हैं?

मूलत: साइबर अपराधी की श्रेणी इस प्रकार है—

सोशल मीडिया क्राइम: सोशल मीडिया पर फरजी प्रोफाइल बनाने के लिए आम वेबसाइट/ऐप जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन आदि प्रयोग किए जाते हैं. साइबरस्टाकिंग, साइबरबुलिंग, हैकिंग, सेकस्टिंग, अवैध चीजें खरीदना, फरजी प्रोफाइल बनाना, नकली औनलाइन दोस्ती सोशल मीडिया साइबर क्राइम के कुछ उदाहरण हैं.

औनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी साइबर क्राइम: इस में औनलाइन धोखाधड़ी के विभन्न रूप शामिल हैं, जैसे फिशिंग घोटाले, पहचान की चोरी, अग्रिम शुल्क धोखाधड़ी, औनलाइन नीलामी धोखाधड़ी और निवेश धोखाधड़ी.

दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराध से निपटने के लिए क्या इंतजाम किए हैं?

साइबर क्राइम सेल/यूनिट व साइबर थानों की स्थापना की गई है. साइबर क्राइम दर्ज करने की प्रक्रिया मजबूत की गई है जैसे एनसीआरपी पोर्टल, व www.cybercrime.gov.in

औनलाइन वित्तीय साइबर धोखाधड़ी हेल्पलाइन 1930.

एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत का क्लस्टर एनालिसिस कर के नए साइबर क्राइम करने के तरीकों की रणनीति तैयार की जाती है. साइबर क्राइम के उभरते हौटस्पौट की पहचान कर के उन के खिलाफ संयुक्त अभियान किया जाता है. अन्य एजेंसियों जैसे एफआईयू, एसएफआईयू, ईडी के सहयोग से क्रौस बौर्डर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाया जाता है.

24 घंटों के अंदर साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की एफआईआर व शिकायतें बैंकों के पास नियमित रूप से पहुंच रही हैं. आईएफएसओ यूनिट द्वारा 1930 हेल्पलाइन पर साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की लौगबुक का कार्य पूरा हो गया है और लौग जेनरेट होने शुरू हो गए हैं.

बैंकों को अवकाश के दिनों में निर्बाध रूप से सेवा प्रदान करने के विषय में और साइबर वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित शिकायत की प्राप्ति व धोखाधड़ी वाले धन को अवरुद्ध करने के लिए 1930 पर काल प्राप्त करने के बीच के अंतराल को कम करने के विषय में आई4सी, एमएचए और आईएफएसओ यूनिट द्वारका, दिल्ली द्वारा विमर्श के लिए आरबीआई और बैंकों से गोष्ठी की गई व सभी बैंकों व वौलेट/एनपीसीआई को एक प्लेटफार्म पर ला कर कौमन काल सेंटर बनाने की सहमति बनी है, जिस का प्रपोजल तैयार किया जा रहा है.

साइबर क्राइम में शामिल मोबाइल नंबर व आईएमईआई की पहचान कर के उन को ब्लौक करने के लिए डिपार्टमेंट औफ टेलिकम्युनिकेशन की मदद ली जा रही है.

साइबर जागरुकता कार्यक्रम नियमित रूप से किए जाते हैं.

सभी पुलिसकर्मियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है.

साइबर फोरैंसिक प्रयोगशाला एनसीएफएल की स्थापना की गई है, जिस से फोरैंसिक/साइंटिफिक तफ्तीश की जा सके.

बीते सालों में कितने साइबर अपराधी पकड़ी गए हैं? उन पर कानून की किस धारा के तहत काररवाई होती है? साइबर अपराधी को किस तरह की सजा का प्रावधान है?

आईएफएसओ यूनिट द्वारा साल 2021 में 369, साल 2022 में 299 व साल 2023 में अब तक 157 साइबर अपराधी पकड़े गए हैं. जिन के खिलाफ आईटी ऐक्ट, आईपीसी व अन्य संबंधित ऐक्ट के तहत काररवाई की गई है. संबंधित धारा व ऐक्ट के तहत हर साइबर अपराधी की सजा का प्रावधान अलगअलग है.

साइबर अपराधी नएनए तरीके ईजाद कर ले रहे हैं, उसे रोकने या उस पर नजर रखने के लिए दिल्ली पुलिस की क्या तैयारी है?

एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत का क्लस्टर एनालिसस कर के नए साइबर क्राइम करने के तरीकों से निपटने की रणनीति तैयार की जाती है. साइबर क्राइम के उभरते हौटस्पौट की पहचान कर के उन के खिलाफ संयुक्त अभियान किया जाता है.

क्या दिल्ली पुलिस के पास सौफ्टवेयर डेवलपरों की टीम है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं?

पुलिस मुख्यालय व जिला मुख्यालय में वीडियो एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, फेशियल रिकग्निशन सिस्टम आदि की सुविधा वाले कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर की स्थापना ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ के तहत की जा रही है.

‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ के तहत निवारक और उपचारात्मक काररवाइयों के लिए वीडियो का और विश्लेषण और काररवाई योग चेतावनियां/अलर्ट तैयार किया जाएगा.

साइबर क्राइम द्वारा वसूली की रकम या खाते में सेंधमारी कर हड़पी गई राशि को वापस दिलवाने के तरीके क्या हैं?

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के अध्याय 34 के अंतर्गत साइबर क्राइम द्वारा वसूली की रकम या खाते में सेंधमारी कर हड़पी गई राशि की वापसी का प्रावधान है. लेकिन संबंधित बैंक या पुलिस को इस की सूचना दी जानी चाहिए.

सामान्य नागरिकों को पुलिस द्वारा ऐहतियात बरतने के लिए किस तरह की जानकारी दी जाती है?

पुलिस नागरिकों को मजबूत पासवर्ड रखने, सुरक्षित औनलाइन अभ्यास करने, सुरक्षित औनलाइन खरीदारी और बैंकिंग प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करने जैसे विश्वसनीय वेबसाइटों और भुगतान गेटवे का उपयोग करने, सुरक्षित वेबसाइट संकेतकों (जैसे एचटीटीपीएस) की जांच करने और नियमित रूप से वित्तीय लेनदेन की निगरानी करने की सलाह देती है.

किसी भी अनधिकृत गतिविधि के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गोपनीयता सेटिंग्स के बारे में व्यक्तियों को शिक्षित करना, संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा करने के जोखिम और फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार करते समय या अज्ञात व्यक्तियों के साथ औनलाइन बातचीत करते समय सतर्क रहने का महत्त्व, टू फैक्टर आथेंटिकेशन या मल्टी के उपयोग को प्रोत्साहित करना, फैक्टर आथेंटिकेशन जहां भी उपलब्ध हो. यह उपयोगकर्ताओं को उन के पासवर्ड के साथ एक पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल पर भेजे गए कोड जैसे एक अतिरिक्त सत्यापन कारक प्रदान करने की आवश्यकता के द्वारा सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है.

क्या साइबर अपराध की तहकीकात के दरम्यान पीडि़त के साथ भी काररवाई होती है?

जांच प्रक्रिया में सबूत इकट्ठा करने के लिए पीडि़त के डिजिटल उपकरणों, नेटवर्क लौग या अन्य प्रासंगिक जानकारी की जांच शामिल हो सकती है. यह साइबर अपराध की प्रकृति को समझने, संभावित कमजोरियों की पहचान करने और सबूत इकट्ठा करने के लिए किया जाता है, जिस का उपयोग मामले की जांच और अभियोजन में किया जा सकता है.

बदनाम करने के लिए वायरल किए गए वीडियो, औडियो या तसवीरों की फैक्ट चेकिंग का कोई तरीका ईजाद किया गया है?

फोरैंसिक विश्लेषण: मीडिया सामग्री की प्रामाणिकता और अखंडता का विश्लेषण करने के लिए उन्नत फोरैंसिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इस में डिजिटल फिंगरप्रिंट की जांच करना, हेरफेर के संकेतों की पहचान करना या छेड़छाड़ के संकेतों के लिए औडियो तरंगों का विश्लेषण करना शामिल हो सकता है.

जियोलोकेशन और टाइमस्टैंप वेरिफिकेशन: ओएसआईएनटी टूल्स का इस्तेमाल लोकेशन और टाइमस्टैंप को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है. यह सामग्री के संदर्भ और सटीकता को स्थापित करने में मदद करता है.

विशेषज्ञ परामर्श: जटिल मामलों में, तथ्य जांचकर्ता अतिरिक्त अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता हासिल करने के लिए छवि फोरैंसिक, औडियो विश्लेषण या वीडियो संपादन जैसे क्षेत्रों में विषयवस्तु विशेषज्ञों या विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं.

इन सब के अलावा जागरुकता की जरूरत है. आजकल साइबर ठग बुजुर्गों को आसानी से अपना निशाना बना रहे हैं. यूटिलिटी कनेक्शन काटने, पेंशन अकाउंट को वेरिफाई करने, अस्पताल में अपौइंटमेंट लेने, उपकरण ठीक करवाने आदि के नाम पर खूब ठगी हो रही है.

यदि कोई आप से क्यूआर कोड स्कैन करवा रहा है तो सतर्क हो जाएं. प्लेस्टोर से फालतू के ऐप इंस्टाल करने से बचना चाहिए. इस के बजाय अस्पताल या संबंधित सर्विस की वेबसाइट पर जाएं.

अपने फोन को सुरक्षित रखने के लिए जैरूरी है कि फोन लौक के अलावा अपने वाट्सऐप, फेसबुक, गैलरी व दूसरे सोशल मीडिया ऐप में भी लौक अप्लाई करें. जिस से आप का फोन चोरी होने या दूसरी वजह से किसी और के हाथों में पहुंचे तो कोई भी आप की महत्त्वपूर्ण जानकारियों तक न पहुंच पाए. आप हमेशा जागरूक व सतर्क रहें.

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