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इस जांच में ईडी ने एक और नाम विनोद वर्मा का भी लिया, जो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का राजनीतिक सलाहकार बताया जाता है. ईडी के मुताबिक एएसआई चंद्रभूषण विनोद वर्मा से परिचित था. चंद्रभूषण इसी परिचय का इस्तेमाल कर राज्य के अधिकारियों और नेताओं से अपना काम निकलवाया करता था.

इस एवज में उन की जेब भी गर्म कर देता था, क्योंकि तब तक महादेव ऐप के खिलाफ कई थानों में केस दर्ज होने लगे थे. महादेव ऐप के सभी स्थानीय लोग चाहते थे कि उन के नेटवर्क और कामकाज के पैटर्न में कोई बाधा नहीं आने पाए.

पुलिस शिकायत मामले की काररवाई करती रहे, लेकिन इस की आंच उस के साथ जुड़े लोगों तक न पहुंचे. फिर जैसे ही पुलिस बीचबीच में कभी ऐक्शन लेती थी, तब उसे घूस में पैसे दे दिए जाते थे और फिर मामला दब जाता था. ईडी के मुताबिक मुख्यमंत्री औफिस से जुड़े कई सीनियर अफसरों को भी कई महीने तक घूस का पेमेंट किया जाता रहा.

उस ने दावा किया महादेव ऐप से जुड़े लोग, जिन बैंक अकाउंट के जरिए अपना काम कर रहे थे, उन में अधिकतर खाते छत्तीसगढ़ में खोले गए थे. उस का काम बहुत जल्द इतना अधिक बढ़ गया था कि भिलाई के युवा उस की ट्रेनिंग के लिए दुबई जाने लगे. वे वहां ऐप के मुख्य लोगों से ट्रेनिंग लेने के बाद वापस इंडिया लौट कर अपना पैनल खोल लेते थे.

यह उन का ऐप के साथ किया गया सट्टेबाजी का अपना काम होता था, फिर वे अपने नेटवर्किंग से सट्टे के लिए मार्केटिंग और उन की सर्विस देने का काम करते थे. इस तरह उन को मुख्य ऐप की हिस्सेदारी मिली होती थी.

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