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पहली हत्या और फिर हत्याओं का सिलसिला

बदन सिंह बद्दो की हिस्ट्रीशीट के मुताबिक, उस पर पहला आपराधिक मामला साल 1988 में दर्ज हुआ था, जब उस ने एक जमीन विवाद में मेरठ के गुदरी बाजार कोतवाली इलाके में राजकुमार नाम के व्यक्ति की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी. इस हत्या के बाद उस का नाम मेरठ से निकल कर हापुड़, गाजियाबाद और बागपत तक पहुंच गया.

बदमाशों के बीच चर्चा शुरू हो गई कि बदन सिंह नाम का नया गैंगस्टर आ गया है, जिसे ‘न’ सुनना पसंद नहीं है. बद्दो को इस अपराध में पुलिस ने एक राइफल और 15 जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था. वह कुछ समय तक जेल में रहा, फिर जमानत पर बाहर आ गया. इस के बाद तो उस की हिम्मत और बढ़ गई.

1994 में बदन सिंह बद्दो ने प्रकाश नाम के एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी. साल 1996 में बदन सिंह ने वकील राजेंद्र पाल की हत्या की. इस के बाद तो जैसे हत्याओं का सिलसिला ही शुरू हो गया. वह सुपारी ले कर हत्याएं करवाने का धंधा भी करने लगा.

बद्दो के बारे में कहा जाता है कि उस का गुस्सा तभी शांत होता था, जब वह अपने दुश्मन से बदला ले लेता था. कहते हैं कि उसे टोकाटाकी कतई बरदाश्त नहीं है. वकील राजेंद्र पाल की हत्या ने बद्दो को खूब मशहूर किया.

दरअसल, वकील राजेंद्र पाल भी कुछ कम दबंग नहीं था. एक पार्टी में बदन सिंह बद्दो ने किसी बात से चिढ़ कर वकील राजेंद्र पाल के पारिवारिक मित्र की पत्नी के बारे में अनुचित टिप्पणी कर दी थी, जिस से नाराज राजेंद्र पाल ने उसे सरेआम थप्पड़ जड़ दिया. बस फिर क्या था, राजेंद्र को मौत के घाट उतार कर बद्दो ने बदला पूरा किया और फरार हो गया.

पुलिस ने केस दर्ज किया और जांच शुरू की. यह केस कई साल चलता रहा. इस बीच बद्दो ने जमानत करवा ली और अपने आपराधिक कारनामे बदस्तूर चलाता रहा.

उस के क्राइम का ग्राफ दिनबदिन बढ़ता ही चला गया.

2011 में जहां उस ने मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की गोली मार कर हत्या की, वहीं साल 2012 में उस ने केबल नेटवर्क के एक संचालक पवित्र मैत्रेय की हत्या कर दी.

इन हत्याओं के अलावा बदन सिंह के खिलाफ दिल्ली और पंजाब में किडनैपिंग, जमीन कब्जाने के कई केस दर्ज हुए.

मेरठ जिले के प्रतिष्ठित व्यवसायी राजेश दीवान से 2 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने और धमकी देने के मामले में भी बद्दो के खिलाफ परतापुर और लालकुर्ती थाने में मुकदमे दर्ज हुए. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.

सफेदपोश नेताओं और अधिकारियों का खास उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में उस पर हत्या, वसूली, लूट, डकैती के 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. सुपारी किंग के नाम से मशहूर हो चुके बदन सिंह बद्दो ने सुपारी ले कर कई हत्याएं करवाईं.

उस से यह सेवा लेने वाले कई सफेदपोश नेता भी हैं, जिन्होंने बद्दो के जरिए अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों का सफाया करवाया. बदले में बद्दो को मोटी रकम मिली. राजेंद्र पाल हत्या के मामले में 21 साल बाद वर्ष 2017 में बद्दो को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

बदन सिंह बद्दो की दोस्ती के ख्वाहिशमंद सिर्फ अपराध की दुनिया के लोग ही नहीं थे, बल्कि बड़ेबड़े कारोबारी, सफेदपोश नेता और पुलिस अधिकारी भी उस से अच्छे रिश्ते बना कर रखते थे. बद्दो भी इन तमाम लोगों का खास खयाल रखता था. खासतौर से पुलिस के साथ तो उस का दोस्ताना साफ दिखाई देता था. इस की एक बानगी देखिए.

2012 में बद्दो को पुलिस ने धमकी देने के एक मामले में गिरफ्तार किया. उसे लालकुर्ती थाने ले जाया गया. बद्दो जैसे ही थाने पहुंचा, थानेदार उछल कर अपनी कुरसी से खड़ा हो गया. थानेदार के मुंह से एकाएक निकला, ‘अरे बद्दो तुम यहां कैसे?’

बद्दो ने उसे देखा और मुसकरा कर सामने पड़ी कुरसी पर फैल कर बैठ गया. उस को थाने ले कर आने वाले एसआई और सिपाही इस बदली सिचुएशन से सकपका गए. बद्दो अभी थाने में बैठा ही था कि एसएसपी समेत कई बड़े कारोबारी थाने पहुंच गए. अब एफआईआर हुई थी तो पुलिस को काररवाई तो दिखानी थी.

अगले दिन जब बद्दो को कचहरी ले जाया गया तो शहर के सारे बड़े कारोबारी उस के पीछे चल रहे थे. साल 2000 के बाद से बदन सिंह बद्दो नेताओं को मोटी फंडिंग करने वाला बन गया था. यही कारण था कि उस के धंधों पर हाथ डालने से पुलिस अधिकारी पीछे हटने लगे.

वकील हत्याकांड में हुई उम्रकैद की सजा

21 साल बाद 31 अक्तूबर, 2017 को वकील राजेंद्र पाल हत्याकांड में गौतमबुद्धनगर के जिला न्यायालय ने 9 गवाहों की गवाही के बाद बदन सिंह बद्दो को उम्रकैद की सजा सुनाई. उस दिन बद्दो कोर्ट में मौजूद था. सजा का ऐलान होते ही वह रो पड़ा.

इस से पहले 13 अक्तूबर को बदन सिंह बद्दो ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी. उस में लिखा था, ‘जब गिलाशिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली, अब हर बात पर जंग हो यह जरूरी तो नहीं.’

उस को जानने वाले कहते हैं कि इस मामले में उसे सजा का एहसास हो गया था. कोर्टरूम में सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद बद्दो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

बदन सिंह बद्दो 2 साल जेल में रहा. जेल के अंदर से भी उस के काले कारनामे बदस्तूर चलते रहे, जिन्हें बाहर उस का खास दोस्त सुशील मूंछ संभालता रहा.

28 मार्च, 2019 का दिन था जब बद्दो को फतेहगढ़ जेल से एक पुराने मामले में पेशी के लिए गाजियाबाद कोर्ट ले जाना था. पुलिस का दस्ता बख्तरबंद गाड़ी में बद्दो को ले कर गाजियाबाद पहुंचा और कोर्ट में उस की पेशी हुई. वापसी में बद्दो ने पुलिसकर्मियों को कुछ देर के लिए मेरठ चलने के लिए राजी कर लिया. एवज में बड़ी रकम का लालच दिया गया.

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