भोपाल से 35 किलोमीटर दूर बैरसिया तहसील हमेशा से अनदेखी का शिकार रही है, जिस का फर्क यहां की जिंदगी पर भी पड़ा है. इस इलाके के पिछड़ेपन के चलते यहां अपराध की दर उम्मीद से ज्यादा है. जंगलों से घिरे बैरसिया के बाहरी इलाकों में आए दिन हत्या की वारदातें होती रहती हैं.

ऐसी ही एक वारदात बीती 26 नवंबर को हुई थी. उन दिनों पूरे मध्यप्रदेश की तरह इस क्षेत्र में भी चुनावी चर्चा और गतिविधियां शवाब पर थीं. चुनाव के वक्त पुलिस वालों को सोने के लिए वक्त नहीं मिलता. उस रात करीब 12 बजे नजीराबाद थाने के इंचार्ज योगेंद्र परमार थाने में बैठे कामकाज निपटा रहे थे कि तभी अधेड़ उम्र के एक शख्स ने थाने में कदम रखा.

इतनी रात गए जो भी थाने आता है वह कोई बुरी खबर ही लाता है, यह बात योगेंद्र परमार जानते थे. वह उस व्यक्ति के चेहरे की बदहवासी देख कर ही समझ गए कि जो भी होगी, अच्छी खबर नहीं होगी. लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि खबर हत्या की होगी.

आगंतुक ने अपना नाम लक्ष्मण सिंह गुर्जर, निवासी चंद्रपुर गांव बताया. लक्ष्मण सिंह ने आते ही परमार को बताया कि उस के भाई सोनाथ सिंह की हत्या हो गई है और उस की लाश गांव में उस के घर पर पड़ी है.

योगेंद्र परमार ने बिना वक्त गंवाए टेबिल पर बिखरे पड़े कागजात समेटे और लक्ष्मण सिंह के साथ चंद्रपुर गांव की रवानगी डाल दी. उन्होंने कुछ सिपाही भी साथ ले लिए थे. जातेजाते उन्होंने थाना क्षेत्र में हुई हत्या की खबर एसडीपीओ संजीव कुमार सिंह को भी दे दी.

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