Real Crime Story: पासपड़ोस में रहने के कारण दीपक और जावित्री को एकदूसरे से कब प्यार हो गया, पता ही नहीं चला. एक दिन जावित्री के पिता वीरपाल ने उन दोनों को ऐसी हालत में देखा कि वह अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर सका और फिर...

जावित्री जैसे ही स्कूल जाने के लिए साइकिल से निकली, रास्ते में इंतजार कर रहे दीपक ने अपनी साइकिल उस के पीछे लगा दी. जावित्री ने दीपक को पीछे आते देखा तो उस ने साइकिल की गति और तेज कर दी. दीपक ने भी अपनी साइकिल की रफ्तार बढ़ाई और कुछ देर में जावित्री की साइकिल के आगे अपनी साइकिल इस तरह खड़ी कर दी कि अगर जावित्री ने पूरी ताकत से ब्रेक न लगाई होती तो उस की साइकिल से टकरा जाती. साइकिल संभालते हुए जावित्री खीझ कर बोली, ‘‘देख नहीं रहे हो मैं स्कूल जा रही हूं. एक तो वैसे ही देर हो गई है, ऊपर से तुम ने रास्ता रोक लिया. अभी किसी ने हम दोनों को इस तरह देख लिया तो बिना मतलब का बात का बतंगड़ बनने लगेगा.’’

‘‘जिसे जो कहना है, कहता रहे. मुझे किसी की परवाह नहीं है.’’ दीपक ने अपनी यह बात इस तरह अकड़ कर कही, जैसे सचमुच उसे किसी का कोई डर नहीं है.

जावित्री को स्कूल जाने के लिए देर हो रही थी. इसलिए वह बेचैन थी. उस ने दीपक को देखा, उस के बाद विनती के स्वर में बोली, ‘‘दीपक, मुझे सचमुच देर हो रही है, बिना मतलब स्कूल में झूठ बोलना पड़ेगा. अभी जाने दो, मैं तुम से बाद में मिल लूंगी, तब जो बात कहनी हो, कह देना’’

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