UP Crime News : रागिनी पड़ोस में ही रहने वाले सत्यजीत दिवाकर को दिल दे बैठी थी. फेमिली वालों की लाख पाबंदियों के बावजूद प्रेमी युगल अपने मिलने का मौका निकाल ही लेते थे. इन का प्यार एक दिन ऐसा कहर बन कर टूटा कि सत्यजीत के भाई सर्वजीत और मम्मी संगीता देवी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. किस ने की इन दोनों की हत्या? पढ़ें, लव क्राइम की यह स्टोरी.
10 मार्च, 2025 को रागिनी अपने घर पर अकेली थी. तभी उस ने अपने प्रेमी सत्यजीत को फोन लगा दिया. रागिनी ने फोन लगाते ही उसे इशारा कर दिया था कि वह इस वक्त घर पर अकेली है. अगर तुम्हें आना है तो आसपास देख कर ही आना. आते वक्त तुम पर किसी की नजर न पड़े. उस वक्त सत्यजीत अपने घर पर ही मौजूद था. रागिनी का फोन आते ही वह घर से निकला और चारों और देखते हुए वह रागिनी के घर में घुस गया.
सत्यजीत को घर आया देख रागिनी को डर तो लग रहा था, लेकिन वह उस के प्यार में वह इस कदर पागल थी कि सत्यजीत के आते ही उस की बांहों में समा गई, ”यार, तुम्हारे बिना तो रहा नहीं जाता. एकएक पल तुम्हारी याद में कांटों सा अहसास कराते हैं.’’
सत्यजीत का भी यही हाल था. वह भी उस की चाहत में अपना सब कामधंधा छोड़ कर पागल सा हुआ जा रहा था. उस दिन एकांत के क्षणों में वह रागिनी के पास पहुंचा तो उस ने पल भर में अपना सारा प्यार उस पर उड़ेल दिया. वह दुनियादारी को भूल कर रागिनी को अपनी बांहों मे समेटे पागलों की तरह खड़ा रहा. उसी समय रागिनी की निगाह घर के दरवाजे पर पड़ी. उस की मम्मी शांति अचानक घर की ओर आती दिखाई दी. अपनी मम्मी को सामने से आते देख रागिनी का सारा प्यार काफूर हो गया. वह सत्यजीत की बांहों से निकल कर कमरे में जा पहुंची. लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि वह सत्यजीत के आने का क्या बहाना बनाएगी.
यही सोचतेसोचते रागिनी के दिमाग के तार झनझनाने लगे थे. मौका पाते ही सत्यजीत वहां से खिसक लिया था, लेकिन हड़बड़ाहट में वह अपनी चप्पलें नहीं पहन पाया था, जो रागिनी के कमरे के सामने ही रह गई थीं. सत्यजीत उन चप्पलों को ले कर परेशान था. शांति देवी आई और उस ने उन चप्पलों पर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन जैसे ही रागिनी की नजर उन चप्पलों पर पड़ी तो वह उन्हें छिपाने की फिराक में लग गई. वह उन को अभी छिपा भी नहीं पाई थी, तभी उस का भाई श्रवण घर आ गया. उस की जैसे ही नजर चप्पलों पर पड़ी तो वह देखते ही उन को पहचान गया. उस ने कई बार सत्यजीत को इसे पहने देखा था.
उस की चप्पलें अपने घर पर देखते ही उस का दिमाग घूम गया. उस के बाद उस ने उन चप्पलोंं के बारे में अपनी बहन रागिनी और मम्मी शांति से पूछा तो दोनों ने कह दिया कि वह चप्पलें किस की हैं, उन्हें कोई पता नहीं. श्रवण को पता था कि जब वह घर से बाहर गया था, तब वह चप्पलें वहां पर नहीं थीं, लेकिन उस के घर से जाते ही वह चप्पलें वहां पर कैसे आईं. तभी उस की मम्मी ने भी बताया कि वह भी काफी समय से खेतों पर गई हुई थी.
यह सब जानकारी लेने के बाद श्रवण ने वह चप्पलें उठा कर रख दीं. फिर वह गांव में निकल गया. तभी उसे सामने से सत्यजीत आता दिखाई दिया. उस ने उस के पैरों की तरफ देखा तो उस वक्त उस ने दूसरी चप्पलें पहन रखी थीं. उसे दूसरी चप्पलें पहने देख उस के दिमाग में पूरा शक पैदा हो गया कि उस की गैरमौजूदगी में वह जरूर उस के घर पर गया था. इस से पहले भी कई बार उसे सत्यजीत पर शक पैदा हुआ था कि उस के और उस की बहन रागिनी के बीच जरूर कुछ चक्कर चल रहा है. यह सोचते ही उस ने वह बात अपने दिल में ही रख ली थी.
अगली सुबह सत्यजीत अपने बड़े भाई सरबजीत को साथ ले कर अपनी चप्पलें लेने रागिनी के घर पहुंचा. उस वक्त घर पर रागिनी और उस की मम्मी शांति ही थी. सत्यजीत ने अपनी चप्पलें मांगीं तो उस ने देने से मना कर दिया. तभी घर पर श्रवण भी आ गया. श्रवण के घर आते ही बात बिगड़ गई. श्रवण ने सत्यजीत से वहां पर चप्पलें आने का कारण पूछा तो उस ने कोई जबाव नहीं दिया. उस के बाद दोनों के बीच कहासुनी शुरू हो गई. बातों ही बातों में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों में मारपीट की नौबत आ गई.
उस वक्त सत्यजीत और सरबजीत के सामने श्रवण की एक न चली. आपस में लड़ाईझगड़ा होने के बाद यह बात पुलिस तक जा पहुंची. लेकिन पुलिस ने इस बात को हलके में लिया. फिर दोनों पक्षों को समझाबुझा कर वापस भेज दिया. श्रवण और उस की मम्मी पुलिस की इस काररवाई से संतुष्ट नहीं थे. यह बात शांति देवी ने फोन पर अपने बड़े बेटे सनी को भी बता दी थी. सनी ने तभी मन में ठान लिया था कि वह किसी भी हाल में सत्यजीत को सबक सिखा कर ही रहेगा.
उस के मन में एक आत्मग्लानि पैदा हो गई थी. गांव में उस की बहन के बारे में तरहतरह की चर्चाएं हो रही थीं, जिसे वह बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. उस के मन में बदले की भावना बलवती हुई तो वह घर से कुल्हाड़ी ले कर निकल पड़ा. 10 मार्च, 2025 को रात के कोई 9 बजे का वक्त था. गांव के अधिकांश लोग अपनेअपने घरों में थे. सनी कुल्हाड़ी ले कर सीधा सत्यजीत के घर पहुंचा. वह सत्यजीत को भद्ïदीभद्ïदी गालियां देते हुए उस के घर का दरवाजा पीटने लगा. सनी को घर से निकलते देख उस की मम्मी शांति और उस का छोटा भाई श्रवण कुमार भी गंडासा ले कर उस के पीछे ही सत्यजीत के घर पर पहुंच गए.
जैसे ही सत्यजीत के भाई सरबजीत ने दरवाजा खोला, तीनों ने उस पर हमला बोल दिया. सरबजीत की मम्मी संगीता देवी उस के बचाव में आईं तो तीनों ने उन पर भी हमला बोल दिया. जिस के कारण दोनों बुरी तरह से घायल हो गए. दोनों को लहूलुहान करने के बाद तीनों सत्यजीत को तलाशने लगे, लेकिन तभी बाहर से गांव वालों का दबाव बना तो तीनों वहां से भाग गए. इस घटना की सूचना ग्राम प्रधान समीर को दी गई. ग्राम प्रधान समीर ने इस मामले की जानकारी थाना चरवा पुलिस को दी. सूचना पाते ही एसएचओ जगदीश सिंह पुलिस बल के साथ गांव काजू पहुंचे.
मौके पर पहुंचते ही पुलिस ने घायल सरबजीत उस की मम्मी संगीता को तत्काल एंबुलेंस से जिला अस्पताल में पहुंचाया. जहां पर सरबजीत को देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. जबकि उस की मम्मी संगीता देवी ने उपचार के दौरान 2 घंटे बाद दम तोड़ दिया था. मृतका संगीता के पति संगम लाल दिवाकर मुंबई में रह कर टैक्सी चलाते थे. इस घटना की सूचना मिलने पर वह मंगलवार की सुबह फ्लाइट से प्रयागराज पहुंचे. अपने घर में एक साथ 2 मौतें होते देख वह फफकफफक कर रोने लगे. घर पर महिलाएं भी बिलखबिलख कर रो रही थीं.
डाक्टरों द्वारा दोनों को मृत घोषित करते ही पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस मामले में पुलिस ने काजू गांव पहुंचते ही विस्तार से जानकारी हासिल की. इस मामले में मृतका संगीता के छोटे बेटे सत्यजीत की तरफ से थाना चरवा में बीएनएस की धारा 3(5), 333, 352, 109, 103(1) के तहत केस दर्ज कराया गया था. इस घटना की जानकारी मिलते ही एएसपी राजेश कुमार सिंह व एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव भी गांव काजू पहुंचे.
जहां पर पहुंचते ही पुलिस अधिकारियों ने पीडि़त परिवार से घटनाक्रम की जानकारी ली. फिर गांव की स्थिति को देखते हुए गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया था. इस मामले में आरोपियों की धरपकड़ के लिए एएसपी बृजेश कुमार सिंह ने सीओ राजेश कुमार के नेतृत्व में 4 पुलिस टीमों का गठन किया था. इस मामले में पुलिस की तरफ से काफी लापरवाही सामने आई थी. पीडि़त परिवार की शिकायत पर एएसपी बृजेश कुमार सिंह ने लापरवाही बरतने के आरोप में एसएचओ जगदीश कुमार, चौकी प्रभारी व बीट के एक सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
इस मामले में इस हत्याकांड के एक आरोपी श्रवण कुमार को पुलिस ने रात में ही अपनी हिरासत में ले लिया था, जिस से कड़ी पूछताछ की गई. इस हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त सनी घटना को अंजाम देने के बाद ही फरार हो गया था. पुलिस को शक था कि वह ट्रेन से कहीं बाहर भी भाग सकता है. उसी को देखते हुए पुलिस ने प्रयागराज से पटना तक रास्ते में पडऩे वाले 13 रेलवे स्टेशनों पर उस की फोटो भिजवाई थी, ताकि वह आसानी से पकड़ में आ सके. सनी भी इतना शातिर था कि उस ने पुलिस को चकमा देने के लिए सफर के दौरान 3 ट्रेनें बदलीं. फिर भी वह पुलिस की नजरों से बच नहीं पाया.
पुलिस ने उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा रखा था. तभी उस की लोकेशन वाराणसी देवरिया के भटनी रेलवे स्टेशन की मिली. वहां मौजूद आरपीएफ इंसपेक्टर प्रदीप पांडेय, व जीआरपी (भटनी) के एसएचओ दिनेश सिंह ने उस के फोटो के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. सनी को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की. पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी सनी ने बताया कि उस ने कुल्हाड़ी से मांबेटों पर हमला किया था. दोनों को कुल्हाड़ी से घायल कर उस ने वह कुल्हाड़ी काजू गांव के एक खंडहर में छिपा दी थी. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस कुल्हाड़ी बरामद करने के लिए उसे उस के गांव काजू लाई.
उसी दौरान सनी ने वहां पर भी पुलिस को चकमा दे कर भागने की कोशिश की. सनी ने एक खंडहर में छिपाए झोले से कुल्हाड़ी निकालने के बहाने तमंचा निकाल कर पुलिस पर गोली चला दी. उस के बाद पुलिस ने जवाबी काररवाई करते हुए गोली चलाई, जो उस के बाएं पैर में लग गई. जिस से उस के पैर में काफी घाव हो गया. फिर पुलिस उसे इलाज के लिए मैडिकल कालेज ले गई, जहां पर उस का इलाज चल रहा था. आरोपी सनी, श्रवण व संगमलाल के फेमिली वालों से मिली जानकारी के बाद इस घटना की जो सत्यता उभर कर सामने आई, उस के पीछे अवैध संबंधों से जुड़ी एक कहानी थी.
उत्तर प्रदेश के जिला कौशांबी थाना चायल के अंतर्गत एक गांव पड़ता है काजू. इसी गांव में संगम लाल दिवाकर का परिवार रहता था. संगम लाल का छोटा परिवार था. संगम लाल मुंबई में टैक्सी ड्राइवर थे. उन का सब से बड़ा बेटा सरबजीत उर्फ कल्लू अपने पापा के साथ मुंबई में ही रह कर फरनीचर का काम करता था. उन की पत्नी संगीता दिवाकर अपने 2 बच्चों 16 वर्षीय आशीष उर्फ सत्यजीत और 10 साल की बेटी के साथ गांव में रहती थी. संगम लाल का गांव में आनाजाना बहुत ही कम हो पाता था. जबकि सरबजीत दिवाकर महीने 2 महीने में गांव का चक्कर लगाता रहता था.
सत्यजीत गांव में ही रह कर मेहनत- मजदूरी करता था. सरबजीत ने कई बार उसे अपने साथ मुंबई ले जाने का प्लान बनाया, लेकिन गांव में बहन और मम्मी के रहते वह उसे अपने साथ नहीं ले जाना चाहता था. सत्यजीत दिवाकर गांव में यूं ही खाली घूमता रहता था. संगम लाल के घर के पास ही था संतोष सरोज का घर. संतोष सरोज के पास गांव में थोड़ी जुतासे की जमीन थी. उन का परिवार भी छोटा ही था. उन का बड़ा बेटा सनी सरोज उन के साथ ही पटना में रह कर काम करता था. जबकि छोटा बेटा श्रवण सरोज गांव में ही अपनी मम्मी और बहन रागिनी के साथ रहता था.
श्रवण सुबह ही अपना खाना ले कर अपने काम पर चला जाता था. उस के बाद उस की मम्मी शांति देवी अपने खेतों पर काम करने चली जाती थी. तब रागिनी ही घर पर अकेली रह जाती थी. एक दिन की बात है, सत्यजीत किसी काम से संतोष सरोज के घर के सामने से निकल रहा था. उस वक्त रागिनी अपने घर के दरवाजे पर ही खड़ी थी. उसी वक्त सत्यजीत की नजर उस पर पड़ी. रागिनी को देखते ही उसे लगा कि वह काफी देर से उसे कनखियों से ताक रही थी. उस के देखने का अंदाज कुछ ऐसा था कि सत्यजीत उस के बारे में सोचने पर मजबूर हो गया.
उस के बाद अपना काम करने के बाद वह अपने घर भी पहुंच गया. लेकिन उस के दिमाग में बारबार एक ही बात चल रही थी कि रागिनी उसे इस तरह से क्यों ताक रही थी. सत्यजीत इतना भोला भी नहीं था कि वह लड़कियों की नजरों को पहचानने में बिलकुल ही अनाड़ी हो. उस की चाहत भरी नजरें देख सत्यजीत उसी शाम फिर से उस के घर के सामने से निकला तो वह उसे दिखाई नहीं दी. लेकिन वापस लौटते समय घर से निकला, रागिनी अपने घर के बाहर आ खड़ी हुई थी.
उसे घर से बाहर आते देख वह समझ गया कि उस के दिल में उस के प्रति जरूर कुछ चल रहा है. उस के बाद तो सत्यजीत उस के घर के सामने से निकलने का कोई न कोई बहाना देखने लगा था. उसी दौरान एक दिन दोनों की नजरें आमनेसामने मिलीं तो सत्यजीत दिवाकर को देखते ही रागिनी के चेहरे पर मुसकराहट उभर आई. उसे देखते ही सत्यजीत के दिल में उस के प्रति चाहत जाग उठी. फिर वह उसे पाने के लिए बेचैन हो उठा.
दोनों के दिलों में प्यार की चिंगारी भड़कते ही दोनों एकदूसरे के दीवाने हो चुके थे. दोनों ही जानते थे कि जिस राह पर वह चलना चाह रहे हैं, वह उन की मंजिल नहीं हो सकती. फिर भी दोनों ने एकदूसरे की बांह थाम लीं. दोनों के बीच जल्दी ही प्रेम प्रसंग की शुरुआत हो गई. इस के बाद दोनों अपने फेमिली वालों से चोरीछिपे मिलनेजुलने लगे थे. समय गुजरता गया और दोनों के बीच प्यार गहराता गया. शुरूशुरू में दोनों ने काफी कोशिश की कि उन के प्यार की भनक किसी को न लगे. लेकिन एक दिन ऐसा आया कि उन के प्यार की खबर उन के फेमिली वालों से पहले गांव वालों के सामने उजागर हो गई. फिर गांव में उन के प्यार के चर्चे होने लगे तो उन के फेमिली वालों को भी उन के प्यार की भनक लगने में देरी नहीं हुई.
गांव में यह बात सब से पहले रागिनी की मम्मी शांति देवी के सामने आई. इस बात की जानकारी होते ही उस ने रागिनी को प्यार से समझाया. मम्मी की बात सुनते ही रागिनी ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली. उस ने अपनी मम्मी के सामने सफाई देते हुए बताया कि गांव में लोग उसे नाहक बदनाम करने में लगे हुए हैं. सत्यजीत और उस के बीच ऐसा कुछ भी नहीं चल रहा. यह बात सत्यजीत के सामने भी आई तो उस ने कुछ दिन के लिए उस के घर के सामने से निकलना ही बंद कर दिया. उस वक्त बात रफादफा हो गई. लेकिन कुछ ही दिनों बाद सत्यजीत फिर से उस की गलियों के चक्कर काटने लगा था.
रागिनी के बड़े भाई सनी सरोज का पटना से गांव आना बहुत ही कम होता था. कुछ समय पहले सनी अपने गांव आया तो उसे पता चला कि गांव में उस की बहन और सत्यजीत को ले कर काफी चर्चाएं हो रही हैं. इस बात को सुन कर सनी का दिमाग ही फिर गया था. उस ने कई बार सत्यजीत को प्यार से समझाया, ”सत्यजीत, यह बात ठीक नहीं है. तेरी वजह से हम लोगों को गांव में काफी जलालत झेलनी पड़ रही है. घर में जैसी मेरी बहन है, वैसे ही तेरे घर में भी तेरी बहन है. कल को तेरी बहन के साथ भी ऐसे ही होने लगे तो तुझे कैसा लगेगा. इसीलिए तेरी भलाई इसी में है कि मेरी बहन की तरफ आंख उठा कर भी मत देखना.’’
सनी के धमकी भरे शब्द सुन सत्यजीत उस वक्त तो वहां से चुपचाप खिसक लिया. उस के बाद वह कई दिनों तक घर से बाहर भी नहीं निकला. फिर सनी ने अपनी बहन को भी काफी डांटाफटकारा. कुछ दिन गांव में रहने के बाद सनी फिर से पटना चला गया था. उस के जाते ही फिर से दोनों का मिलनाजुलना शुरू हो गया था. रागिनी ने तय कर लिया था कि वह किसी भी सूरत में प्रेमी सत्यजीत को नहीं छोड़ेगी. हालांकि रागिनी अपने बड़े भाई सनी को ठीक प्रकार से जानती थी कि वह एक दबंग प्रवृत्ति का है. वह पहले ही एक मर्डर कर चुका था.
साल 2023 की बात है. प्रयागराज एयरपोर्ट कोतवाली अंतर्गत कादिलपुर निवासी सुरजन यादव प्राइवेट लाइनमैन था. सुरजन यादव एक प्राइवेट गेस्टहाउस में लाइट सही करने गया हुआ था. उसी दौरान सुरजन वहां से अचानक गायब हो गया था. उस के बाद सुरजन के चचेरे भाई राजभान यादव ने 24 फरवरी, 2023 को पिपरी कोतवाली में सुरजन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 18 मार्च, 2023 को चरवा कोतवाली के हौसी गांव स्थित एक कुएं में सुरजन का शव मिला था.
उस केस में जांचपड़ताल के दौरान पता चला था कि सनी ने ही सुरजन के भतीजे अजय यादव के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. सुरजन की हत्या के आरोप में सनी को जेल जाना पड़ा था. उस के बाद 7 महीने बाद वह जमानत जेल से बाहर आया. फिर वह अपने पिता संतोष सरोज के साथ काम करने चला गया था. इस घटना से लगभग एक महीने पहले सरबजीत कुंभ स्नान करने के लिए घर आया था. सत्यजीत दिवाकर के प्रेम प्रसंग वाली बात उस के सामने भी आई थी. इस बात की जानकारी मिलने के बाद सरबजीत ने सत्यजीत को भी समझाया था.
लेकिन 10 मार्च को जैसे ही सत्यजीत के मोबाइल पर रागिनी का फोन आया तो वह अपने आप को रोक नहीं सका. रागिनी के कहने पर वह उस के घर उस से मिलने चला गया था. तभी सनी की मम्मी घर वापस आ गई, जिस के कारण वह हड़बड़ाहट में अपनी चप्पलें वहीं पर छोड़ आया था. उन्हीं चप्पलों से उपजा विवाद इतना बढ़ गया कि मामला पंचायत तक पहुंच गया था. तब ग्राम प्रधान ने दोनों पक्षों को समझाबुझा कर घर भेज दिया था, लेकिन शांति देवी ग्राम प्रधान के फैसले से नाखुश थी. उस के बाद शांति देवी ने थाने में सत्यजीत के खिलाफ रागिनी के साथ छेड़छाड़ करने की लिखित तहरीर दे दी थी. इतना ही नहीं, शांति देवी ने बड़े बेटे सनी सरोज को फोन पर जारी जानकारी दे दी थी, जिसे सुन कर सनी गुस्से में पटना से रात में ही चल दिया था.
देर रात वह अपने घर पहुंचा. घर पहुंचते ही सनी ने जैसे ही सारी कहानी सुनी तो वह आगबबूला हो गया. इस के बाद उस ने अपने भाई श्रवण और मम्मी शांति के साथ संगम लाल के घर धावा बोल दिया था. पुलिस ने इस केस के आरोपी श्रवण और सनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जबकि सनी की मम्मी शांति देवी कथा लिखने तक फरार थी. पुलिस उस की तलाश में जुटी थी. इस कहानी का दुखद अंत यह रहा कि सत्यजीत के प्रेम प्रसंग का खामियाजा उसे नहीं, बल्कि उस की मम्मी व भाई को भुगतना पड़ा.
सत्यजीत के प्यार की खातिर ही संगम लाल दिवाकर का परिवार टूट गया. उस के घर में एक साथ 2 मौतें होने के कारण दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था.
—कथा में रागिनी काल्पनिक नाम है