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बीजेपी को मिला सब से ज्यादा चंदा

भारतीय निर्वाचन आयोग ने 14 मार्च की शाम इलेक्टोरल बौंड से जुड़ा डेटा जारी कर दिया था. उस ने भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेशानुसार 12 मार्च को ही निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बौंड से जुड़ा डेटा दे दिया था. इस डेटा का विश्लेषण जारी है. लेकिन अब तक मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी सब से ज्यादा चंदा हासिल करने वाली पार्टी बन कर सामने आई है. इस जानकारी को 2 हिस्सों में जारी किया गया.

पहले हिस्से में 336 पन्नों में उन कंपनियों के नाम हैं, जिन्होंने इलेक्टोरल बौंड खरीदा था और उन पैसों की पूरी जानकारी भी दी गई है. जबकि दूसरे हिस्से में 426 पन्नों में राजनीतिक दलों के नाम हैं और उन्होंने कब कितनी राशि के इलेक्टोरल बौंड कैश कराए, उस की विस्तृत जानकारी है.

गौरतलब है, सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च तक इलेक्टोरल बौंड की खरीद से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अदालत ने चुनाव आयोग से इस जानकारी को 15 मार्च की शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया था.

क्या इलेक्टोरल बौंड स्कैम है

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बौंड को स्कैम बताया और कहा कि इलेक्टोरल बौंड से बड़ा कोई भ्रष्टाचार नहीं हो सकता. अब यह निकल कर सामने आया है कि यह भारत के बड़े कारपोरेट्स से धन उगाही का एक तरीका था. एक ऐसा तरीका जिस में कंपनियों से धन लिया जाए, उन्हें धमकी दी जाए और बीजेपी को चंदा देने के लिए मजबूर किया जाए. यह दुनिया का सब से बड़ा उगाही रैकेट है. इलेक्टोरल बौंड में पारदर्शिता का सवाल लंबे समय से उठता रहा है.

राहुल गांधी का समर्थन करते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि इलेक्टोरल बौंड ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अनुचित फायदा पहुंचाने की जमीन तैयार की. सवाल तो उठेगा ही कि उन्हें क्यों कुल बौंड का 40 फीसदी से अधिक मिला और बाकी सारी पार्टियों को जोड़ भी दें तो उन्हें कम मिला. क्यों? बड़ा सवाल है.

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इस पर पलटवार कर जवाब देती हुई बीजेपी प्रवक्ता चारु प्रज्ञा ने कहा कि इलेक्टोरल बौंड कानून बना कर जारी किए गए थे और जिस ने भी इन्हें खरीदा उस ने केवाईसी किए हुए अपने वैध अकाउंट से भुगतान किया. इसलिए इसे काला धन नहीं कहा जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि अगर यह स्कैम लग रहा था तो आप ने क्यों पैसे लिए.

यह हो सकता है कि किसी पार्टी को यह चंदा ज्यादा मिला हो और किसी को कम, यह आप की आवश्यकतानुसार और ताकत के अनुसार भी हो सकता है. भाजपा की केंद्र और 18 राज्यों में सरकार है, लेकिन अगर टीएमसी से तुलना करें जोकि एक ही राज्य में सत्ता में है, उस ने अकेले 3,000 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बौंड कैश कराए.

चंदा देने में कौन रहा अव्वल

एसबीआई ने इलेक्टोरल बौंड का जो डेटा दिया है, उस के मुताबिक पहली अप्रैल 2019 से ले कर 15 फरवरी 2024 के बीच 12,156 करोड़ रुपए का राजनीतिक चंदा दिया गया.

चुनाव आयोग की ओर से जारी चुनावी बौंड इनकैश करवाने वालों की लिस्ट में बीजेपी पहले नंबर पर है. उस ने 60 अरब रुपए से अधिक के इलेक्टोरल बौंड्स कैश कराए. आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पर है, जिस ने 16 अरब रुपए से अधिक के इलेक्टोरल बौंड्स इनकैश कराए.

इस मामले में तीसरे नंबर पर अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति है जिस ने 14 अरब रुपए से अधिक के इलेक्टोरल बौंड्स को इनकैश किया है. इस के बाद भारत राष्ट्र समिति ने 12 अरब रुपए और बीजू जनता दल ने 7 अरब रुपए से अधिक के इलेक्टोरल बौंड को इनकैश किया है.

इस मामले में 5वें और छठें नंबर पर दक्षिण भारत की पार्टियां डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस (युवा सेना) रहीं. सूची में इन पार्टियों के बाद तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना (पौलिटिकल पार्टी), राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, जनसेना पार्टी, अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइडेट), झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म, शिवसेना, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, जम्मू और कश्मीर नैशनल कौन्फ्रैंस, नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी हैं.

वहीं सब से अधिक कीमत के इलेक्टोरल बौंड खरीदने वाली कंपनियों में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज के बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इनफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड दूसरे नंबर पर है. फ्यूचर गेमिंग ने कुल 1,368 बौंड खरीदे, जिन की कीमत 1,368 करोड़ रुपए थी. वहीं मेघा इंजीनियरिंग ने 966 करोड़ रुपए के कुल 966 बौंड खरीदे.

इन के बाद जिन कंपनियों ने सब से अधिक बौंड खरीदे, उन में क्विक सप्लायर्स चेन प्राइवेट लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड, मदनलाल लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड, यशोदा सुपर स्पैशलिटी हौस्पिटल, उत्कल अलुमिना इंटरनैशनल लिमिटेड, डीएलएफ कामर्शियल डेवलेपर्स लिमिटेड, जिंदल स्टील, आईएफबी एग्रो लिमिटेड, डा. रेड्डी लैबोरेटरीज आदि शामिल हैं.

क्या थी एसबीआई की याचिका

एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इसी महीने अरजी दी थी. एसबीआई ने कहा था कि वह अदालत के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहता है. हालांकि, डेटा को डिकोड करना और इस के लिए तय की गई समय सीमा के साथ कुछ व्यवहारिक कठिनाइयां हैं, इलेक्टोरल बौंड खरीदने वालों की पहचान छिपाने के लिए कड़े उपायों का पालन किया गया है. अब इस के डोनर और उन्होंने कितने का इलेक्टोरल बौंड खरीदा है, इस जानकारी का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया है.

भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि 2 जनवरी, 2018 को इसे ले कर अधिसूचना जारी की गई थी. यह अधिसूचना केंद्र सरकार की ओर से साल 2018 में तैयार की गई इलेक्टोरल बौंड की योजना पर थी. इस के क्लाज 7 (4) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अधिकृत बैंक हर सूरत में इलेक्टोरल बौंड खरीदार की जानकारी को गोपनीय रखें.

एसबीआई ने याचिका में कहा था कि हमारी एसओपी के सेक्शन 7(1) (2) में साफ कहा गया था कि इलेक्टोरल बौंड खरीदने वाले की केवाईसी जानकारी को सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) में न डाला जाए. ऐसे में ब्रांच में जो इलेक्टोरल बौंड बेचे गए हैं, उन का कोई सेंट्रल डेटा एक जगह पर नहीं है. जैसे खरीदार का नाम, बौंड खरीदने की तारीख, जारी करने की शाखा, बौंड की कीमत और बौंड की संख्या. यह डेटा किसी सेंट्रल सिस्टम में नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट नेे स्टेट बैंक औफ इंडिया के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिस में उस ने इलेक्टोरल बौंड से जुड़ी जानकारी देने का समय बढ़ाने की मांग की थी. इलेक्टोरल बौंड की जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए एसबीआई ने 30 जून तक का समय मांगा था.

इस से पहले पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बौंड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था और स्टेट बैंक औफ इंडिया जो इलेक्टोरल बौंड बेचने वाला अकेला अधिकृत बैंक था, उसे निर्देश दिया था कि वह 6 मार्च, 2024 तक 12 अप्रैल, 2019 से ले कर अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बौंड की जानकारी चुनाव आयोग को दे. इसी मामले में एसबीआई ने जानकारी देने की तारीख 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी.

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