प्रशांत रेलवे स्टेशन से उस के लिए माजा की बोतल ले आया. प्रशांत भागभाग कर सामान लाता रहा और वह बैठी फोन पर बातें करती रही. माजा पीने के बाद अनुराधा ने प्रशांत से बड़ी सौंफ लाने को कहा. इस पर प्रशांत को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन घर का माहौल खराब न हो, इसलिए वह बड़ी सौंफ लाने के लिए पूना रेलवे स्टेशन चला गया.
तब तक रात के साढ़े 12 बज गए थे. प्रशांत जब बड़ी सौंफ ले कर लौटा, तब भी अनुराधा फोन पर बातें कर रही थी. इस बार प्रशांत सीधे घर के अंदर आने के बजाय दरवाजे की ओट में खड़ा हो कर उस की बातें सुनने लगा कि वह किस से क्या बातें कर रही है. अनुराधा फोन पर कह रही थी, ‘‘ठीक है, कल सुबह हम निकल चलेंगे.’’
इस के बाद अनुराधा चुप हो गई, शायद वह सामने वाले का जवाब सुन रही थी. थोड़ी देर बाद उस ने कहा, ‘‘किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है. प्रशांत को मैं संभाल लूंगी. अगर उस ने कोई नौटंकी की तो उस के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करा दूंगी. कहूंगी कि 3 सालों से मुझे बंधक बना कर मेरे साथ बलात्कार कर रहा है. उस के बाद उसे जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा. वह वहीं पड़ा सड़ता रहेगा, क्योंकि यहां उसे कोई छुड़ाने वाला भी नहीं है.’’
अनुराधा की ये बातें सुन कर प्रशांत हैरान रह गया. जिसे उस ने तनमन से प्यार किया, जिस के लिए घरपरिवार छोड़ा, जिस की सुखसुविधा का हर तरह से खयाल रखा, आज वही न जाने किस के साथ उसे छोड़ कर भाग जाना चाहती थी और झूठी शिकायत कर के उसे जेल तक भिजवाने को तैयार थी. अनुराधा की इन बातों से उसे बहुत दुख हुआ.
अंदर आ कर उस ने कहा, ‘‘इतनी देर से तुम किस से बातें कर रही थी? कौन है वह, जिस के लिए तुम मुझे जेल भिजवा रही हो?’’
प्रशांत के सवालों का जवाब देने के बजाय अनुराधा आपा खो बैठी. उस ने कहा, ‘‘मैं किस से क्या बातें कर रही हूं, तुम से क्या मतलब? तुम अपना देखो, यह देखने की कोई जरूरत नहीं है कि मैं क्या कर रही हूं.’’
‘‘क्यों जरूरत नहीं है. तुम मेरी पत्नी हो, इसलिए मेरा हक बनता है तुम से पूछने का.’’ प्रशांत ने कहा तो अनुराधा गुस्से में उस का कौलर पकड़ झकझोरते हुए चिल्लाने लगी, ‘‘हक की बात करते हो, कभी शीशे में अपनी शक्ल देखी है. तुम ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी और अब हक जमा रहे हो. तुम्हें प्यार कर के मैं ने बहुत बड़ी गलती की. तुम्हारी वजह से मां को छोड़ा. लेकिन अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी. तुम मेरे लायक नहीं हो.’’
अनुराधा ने प्रशांत के कौलर को इस तरह पकड़ रखा था कि वह छुड़ाने से भी नहीं छोड़ रही थी. काफी कोशिश के बाद भी जब अनुराधा ने प्रशांत का कौलर नहीं छोड़ा तो उसे भी गुस्सा आ गया. वह अनुराधा का गला पकड़ कर दबाने लगा, ताकि वह वह उस का कौलर छोड़ दे. लेकिन दबाव बढ़ने की वजह से अनुराधा की सांसें रुक गईं और उस के प्राणपखेरू उड़ गए.
जब प्रशांत को पता चला कि अनुराधा मर गई है तो उस के होश उड़ गए. वह सिर थाम कर बैठ गया. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इस तरह हत्यारा बन जाएगा. कुछ देर तक वह उसी तरह बैठा रहा. इस के बाद वह बाहर आ कर अनुराधा की लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. इसी चक्कर में वह उस पूरी रात सो नहीं सका.
सुबह उस ने अनुराधा के गले से सोने की चैन उतारी और 8 बजे के आसपास आटोस्टैंड हड़पसर पहुंचा, जहां उस की मुलाकात उस के दोस्त महेश रंगोजी से हुई. उस के साथ चायनाश्ता कर के वह उसे ले कर वीटी कवडे रोड स्थित धनलक्ष्मी ज्वैलर्स के यहां गया, जहां उस ने वह चैन 16,900 रुपए में यह कह कर बेच दी कि उस की पत्नी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है. इस समय वह लातूर स्थित उस के गांव में है. उस के इलाज के लिए उसे पैसों की सख्त जरूरत है.
चैन बेचने के बाद महेश रंगोजी तो चला गया, प्रशांत ने वहीं बाजार से लाल रंग का एक बड़ा सा बैग खरीदा और घर आ गया. उस ने अनुराधा की लाश को उसी में ठूंस कर भरा और आटोरिक्शा से ले जा कर खराड़ी गांव के पास फेंक आया.
प्रशांत को विश्वास था कि पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाएगी. लेकिन जब पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की तो वह डर गया. उस ने सोचा कि अब उस का पूना में रहना ठीक नहीं है. पुलिस कभी भी उस तक पहुंच सकती, इसलिए वह अपना समान और पैसे समेटने लगा.
2 जुलाई को प्रशांत ने अपने मकान मालिक दीपक जाधव से कहा कि उस की पत्नी गांव चली गई है, अब वह भी हमेशा के लिए गांव जाना चाहता है. इसलिए वह एक महीने का किराया काट कर उस का डिपाजिट वापस कर दें. मकान मालिक से बात करने के बाद उस ने अपना सारा सामान अपने दोस्त पिंटू के यहां पहुंचा दिया.
उसी बीच अनुराधा शोरूम पर नहीं गई तो प्रशांत के पास फोन आया. प्रशांत ने उन्हें बताया कि अनुराधा की बहन की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है, इसलिए वह गांव चली गई है. अब उस का काम करने का कोई इरादा नहीं है. उसे पैसों की सख्त जरूरत है, इसलिए वे उस का बकाया वेतन दे दें तो बड़ी कृपा होगी.
शोरूम की ओर से पैसे देने के लिए कहा गया तो प्रशांत ने अपने दोस्त पिंटू को फोन किया. लेकिन पिंटू उस समय बारामती में था, इसलिए अनुराधा का वेतन लाने के लिए उस ने महेश रंगोजी को फोन किया.
महेश जा कर अनुराधा का बकाया वेतन ले आता, उस के पहले ही वाट्स ऐप पर अनुराधा की लाश का फोटो आ जाने से शोरूम वालों को सच्चाई का पता चल गया और उन्होंने महेश को पकड़ कर लश्कर पुलिस के हवाले कर दिया, जिस की वजह से पत्नी की हत्या करने वाला प्रशांत भी पकड़ा गया.
प्रशांत सूर्यवंशी के बयान के आधार पर अनुराधा की हत्या का मुकदमा उस के खिलाफ दर्ज कर के अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. महेश निर्दोष था, इसलिए पुलिस ने उसे छोड़ दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित