
लव, सैक्स और गोली के इस केस में खुशबू, राजीव समेत सभी आरोपी पुलिस के फंदे में फंस चुके हैं. राजीव फिजियो थैरेपिस्ट है और जनता दल (यू) के मैडिकल सैल का उपाध्यक्ष है. इस केस में नाम आने के बाद पार्टी ने उसे पद से हटा दिया है.
पिछले 18 सितंबर की सुबह 6 बजे विक्रम लोहानीपुर महल्ले के अपने घर से जिम जाने के लिए स्कूटी से निकला, तो रास्ते में कदमकुआं इलाके के बुद्ध मूर्ति के पास शूटरों ने उस पर गोलियां चला दीं. विक्रम लहूलुहान हो कर स्कूटी से गिर पड़ा और आसपास खड़े लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाने लगा. किसी ने दर्द से छटपटाते विक्रम की बात नहीं सुनी. आखिरकार खून से लथपथ विक्रम खुद ही उठा और स्कूटी चला कर पास के प्राइवेट अस्पताल पहुंचा. प्राइवेट अस्पताल ने उसे भरती करने से इनकार कर दिया, तो वह पटना मैडिकल कालेज पहुंचा. वहां तुरंत आपरेशन किया गया और उस के जिस्म से 5 गोलियां निकाली गईं.
आशिकी के चक्कर में खुशबू ने विक्रम पर सुपारी किलर से गोलियां चलवाई थीं. इस के लिए पुराने दोस्त मिहिर सिंह के जरीए सुपारी किलर को ढाई लाख रुपए दिए गए थे. पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि राजीव, खुशबू, मिहिर और 3 सुपारी किलरों को गिरफ्तार किया गया है. सुपारी किलर अमन कुमार, शमशाद और आर्यन उर्फ रोहित से पुलिस पूछताछ कर चुकी है और सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.
18 सितंबर को सुपारी किलरों ने विक्रम के जिस्म में 5 गोलियां दागी थीं. अपराधियों ने कबूल किया कि उन्हीं लोगों ने विक्रम पर गोलियां चलाई थीं और इस काम के लिए मिहिर ने उन्हें रुपए दिए थे.
अमन एमबीए का स्टूडैंट है और डिलीवरी बौय का काम करता है. शमशाद गोवा में राजमिस्त्री का काम करता था और लौकडाउन की वजह से वह पटना आया हुआ था. अमन और शमशाद भागवतनगर में किराए के मकान में साथ रहते हैं. मकान का किराया 14,000 रुपए है. मिहिर के चचेरे भाई सूरज ने मिहिर की मुलाकात अमन से कराई थी.
जिम ट्रेनर को जान से मारने की धमकी देने का आडियो भी पुलिस को मिला. ट्रेनर की बीवी और परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि आडियो में धमकी देने वाली महिला खुशबू की आवाज है, जो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव कुमार सिंह की बीवी है.
ट्रेनर की बीवी वर्षा का आरोप है कि फिजियो थैरेपिस्ट की बीवी ने उस के पति को फोन पर गंदीगंदी गालियां भी दी थीं. उस ने बताया कि खुशबू अकसर पटना मार्केट के ‘द जिम सिटी’ पहुंच जाती थी. पहले तो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव ने पुलिस को बताया कि जिम ट्रेनर विक्रम पर हुए हमले में उस का और उस की बीवी का कोई हाथ नहीं है.
अलबम बनाने के नाम पर विक्रम ने 60,000 रुपए लिए थे. अलबम नहीं बनाने पर राजीव और विक्रम से तीखी नोकझोंक हुई थी और रुपया लौटाने की बात हुई थी. बाद में विक्रम ने राजीव के अकाउंट में 40,000 रुपए और खुशबू के अकाउंट में 20,000 रुपए डाल दिए थे. मई महीने के बाद से राजीव और विक्रम से कोई बातचीत नहीं हुई थी. एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने बताया कि खुशबू का कहना है कि विक्रम उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था और वह उस से पीछा छुड़ाना चाह रही थी. खुशबू का कहना है कि 60,000 रुपए के लेनदेन को ले कर विवाद पैदा हुआ था.
पुलिस को दिए गए बयान में विक्रम ने कहा है कि खुशबू उसे पिछले एक साल से परेशान कर रही थी. एक साल तक वह राजीव को उन के पाटलीपुत्र कालोनी वाले घर में ऐक्सरसाइज कराने जाता था. पैसे को ले कर हिसाबकिताब ठीक नहीं रहने पर उस ने वहां जाना बंद कर दिया. उस के बाद खुशबू ने उसे सोशल मीडिया के जरीए तंग करना चालू कर दिया. एक बार खुशबू ने गुस्से में उस के सीने पर ब्लेड से हमला किया था.
पुलिस ने खुशबू और राजीव के मोबाइल फोन को खंगाला तो खुलासा हुआ कि जनवरी में खुशबू और विक्रम के बीच 1100 बार बातचीत हुई. राजीव से आखिरी बार 18 अप्रैल को बातहुई थी. उन के बीच ह्वाट्सएप और वीडियो काल के जरीए बातचीत होती थी.
सितंबर, 2020 से मई, 2021 के बीच खुशबू ने विक्रम को 1875 काल की थी. दोनों के बीच साढ़े 5 लाख सैकंड बातचीत हुई थी. इतने ही समय के दौरान खुशबू ने अपने पति राजीव को महज 13 बार फोन किया. खुशबू और विक्रम के बीच अकसर घंटों बातें होती थीं.
मिहिर ने पुलिस को बताया कि वह 5-6 सालों से खुशबू को जानता था. खुशबू ने ही उस से कहा था कि विक्रम उसे परेशान करता है, इस वजह से वह उस की हत्या करवाना चाहती है. सुपारी किलर को जुलाई में ही एक लाख, 85 हजार रुपए दिए थे. एसएसपी ने बताया कि कुछ साल पहले मिहिर और खुशबू की पहचान भी फेसबुक के जरीए ही हुई थी.
पुलिस की छानबीन से यह बात भी सामने आई कि 5-6 साल पहले खुशबू और मिहिर के बीच भी गहरा रिश्ता रहा था. मिहिर भी खुशबू का प्रेमी रह चुका है. जब विक्रम ने खुशबू से कन्नी काटना शुरू किया, तो खुशबू को पुराने आशिक मिहिर की याद आई. उस ने मिहिर से कहा कि विक्रम उसे बहुत परेशान कर रहा है और फिर दोनों ने मिल कर विक्रम को रास्ते से हटाने की साजिश रची.
खुशबू ने मिहिर से यह भी कहा कि विक्रम को ठिकाने लगाने के लिए वह रुपयों की चिंता न करे. विक्रम को मारने के लिए मिहिर ने खुशबू से 3 लाख रुपए मांगे. खुशबू ने 3 किस्तों में एक लाख, 85 हजार रुपए मिहिर को दिए. मिहिर ने अपने चचेरे भाई सूरज के साथ मिल कर पूरी साजिश रची. उस के बाद शार्प शूटर अमन, आर्यन और शमशाद को विक्रम को मारने की सुपारी दी गई.
शूटरों के साथ यह डील अगस्त महीने की शुरुआत में ही हुई थी. अगस्त महीना खत्म हो गया और उस के बाद सितंबर भी आधा खत्म हो गया और विक्रम को ठिकाने नहीं लगाया जा सका तो खुशबू परेशान हो गई. उस ने मिहिर पर दबाव बनाना शुरू किया. विक्रम राजीव को जिम ट्रेनिंग देने के लिए उस के घर पर जाता था. वहीं खुशबू से जानपहचान हुई और बातचीत शुरू हुई. विक्रम के गठीले बदन को देख खुशबू उस पर फिदा हो गई. वह धीरेधीरे विक्रम के करीब आती गई. वह पटना मार्केट के पास विक्रम के जिम में पहुंचने लगी और वहीं कईकई घंटों तक बैठी रहती थी.
विक्रम ने पुलिस को बताया कि वह उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहती थी. ऐसा नहीं करने पर वह उसे फंसाने और ब्लैकमेल करने की धमकी देने लगी. जब विक्रम उस से दूर रहने की कोशिश करने लगा तो एक रात को विक्रम के घर पहुंच गई और हंगामा मचाने लगी. खुशबू की हरकतों से आजिज आ कर विक्रम ने डाक्टर राजीव को फोन कर सारे मामले की जानकारी भी दी. विक्रम ने उस से कहा कि खुशबू उसे पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है. डाक्टर राजीव ने विक्रम की बातों पर यकीन नहीं किया और उस से कहा कि सुबूत ले कर आओ, उस के बाद देखा जाएगा.
विक्रम के बयान पर कदमकुआं थाने में केस दर्ज किया गया. केस नंबर है-477/2021. आरोपियों पर आईपीसी की धारा-307, 120बी, 34 और 27 के तहत केस दर्ज किया गया है.
तेजाब डालने के बाद दोनों शास्त्रीनगर के डी ब्लौक पहुंचे. यहां उमंग ने बाइक अपने घर पर खड़ी की और राहुल औटो से गोविंदपुरम पहुंचा. यहां से उस ने अपनी कार उठाई और मुरादनगर, मोदीनगर होते हुए वह हरिद्वार की तरफ निकल गया. राहुल ने सबूत नष्ट करने के लिए घटना के वक्त पहने हुए कपड़े भी रास्ते में जला दिए और डिब्बा फेंक दिया. अगले दिन वह आ गया. उस दिन वह उमंग के साथ जब बाइक पर कहीं जा रहा था, तभी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त तेजाब का खाली डिब्बा, वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक, दोनों के मोबाइल फोन और घटना के समय पहने गए कपड़े अधजली हालत में बरामद कर लिए. पुलिस ने मदद के लिए आगे आई और नेहा को अस्पताल पहुंचाने में मदद करने वाली संजयनगर की महिला कांता देवी को प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया. वहीं पुलिस को काल करने वाले युवक अमित शर्मा की भी सराहना की. पुलिस ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
नेहा ने भावनाओं में बह कर इस तरह किसी से रिश्ता न बनाया होता, तो शायद ऐसी नौबत कभी नहीं आती. वहीं राहुल ने भी नेहा के पीछे न पड़ कर विवेक का परिचय दिया होता तो उस का भविष्य भी चौपट होने से बच जाता. उस ने जो दुख नेहा को दिया, उस की भरपाई मुश्किल है. ?
हलाला का विरोध करने वाली शबनम पर एसिड अटैक
पुलिस के ढीले रवैए का ही नतीजा है कि एसिड अटैक की घटनाएं आए दिन बढ़ती जा रही हैं. 21 अगस्त को गाजियाबाद में एसिड अटैक की घटना के बाद सीमावर्ती जिले बुलंदशहर में भी एक महिला को शिकार बनाया गया. वह महिला कोई और नहीं बल्कि बहुविवाह और हलाला को ले कर चर्चा में आई शबनम रानी थी.
13 सितंबर, 2018 को शबनम रानी अपने बच्चे के साथ बुलंदशहर के एसपी से मिलने जा रही थी. इसी दौरान बुलंदशहर के कालाआम चौक के नजदीक बाइक सवार 2 युवक आए. उन में से एक ने उस के ऊपर तेजाब फेंक दिया. इस के बाद दोनों वहां से फरार हो गए.
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी. कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस को जब पता चला कि पीडि़ता शबनम रानी है तो इस की सूचना जिला प्रशासन और अपने आला अधिकारियों को दे दी. पुलिस शबनम को इलाज के लिए जिला अस्पताल ले गई. सूचना मिलते ही डीएम, एसपी सहित बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच गए. बाद में वह पीडि़ता से मिलने अस्पताल पहुंचे. शबनम ने अपने देवर पर एसिड फेंकने का आरोप लगाया.
दरअसल, सन 2010 में शबनम की शादी शरीयत के अनुसार हुई थी. बाद में वह 3 बच्चों की मां भी बनी. सब कुछ ठीक चल रहा था कि उसी दौरान शबनम के पति ने किसी महिला से दूसरी शादी कर ली. इस के बाद शबनम पर परेशानियां बढ़ने लगीं. पति बातबेबात पर उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा. आरोप यह है कि शबनम के पति ने उसे 3 तलाक दे दिया.
इस में शबनम का तो कोई कुसूर ही नहीं था, वह तो पति की ज्यादतियों में पिस रही थी. उस ने अपनी परेशानी अपने रिश्तेदारों को बताई. रिश्तेदारों ने शबनम के पति से बात की तो उस ने कहा कि वह शबनम को 3 तलाक दे चुका है. यदि इसे उस के साथ रहना है तो शबनम को अपने देवर से हलाला करवाना होगा. शबनम इस के लिए तैयार नहीं हुई, बल्कि उस ने मुसलिम समाज में चल रही बहुविवाह और हलाला के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला लिया.
बता दें कि निकाह हलाला के अंतर्गत अगर 3 तलाक दी गई महिला अपने पति के पास वापस जाना चाहती है तो उसे एक अन्य मर्द से शादी करनी होगी, फिर उस मर्द को तलाक देना होगा. इस के बाद ही वह अपने पति से शादी कर सकती है. शबनम इस परंपरा के खिलाफ थी.
शबनम अपने देवर के साथ हलाला के लिए तैयार नहीं हुई. लिहाजा बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने के लिए शबनम रानी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी. याचिका दाखिल करने के बाद शबनम को धमकियां मिलनी शुरू हो गईं. ससुराल वालों ने तो शबनम को परेशान करने के लिए उस के घर के पानी की सप्लाई तक काट दी थी. उस के साथ बदसलूकी की जाने लगी थी. पति और देवर तो हाथ धो कर उस के पीछे पड़ गए थे.
बहरहाल, शबनम ने तेजाब हमले का आरोप अपने देवर पर लगाया है. अस्पताल में उस की हालत गंभीर बनी हुई है. इस संबंध में शबनम की तरफ से प्रोटेक्शन की मांग को ले कर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने बुलंदशहर के सीएमओ को निर्देश दिया है कि वह शबनम रानी का इलाज सुनिश्चित कराएं.
साथ ही जिला प्रशासन को भी निर्देश दिए हैं कि शबनम रानी को सुरक्षा मुहैया कराई जाए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्य भाटी भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि शबनम रानी को सुरक्षा प्रदान कर दी गई है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई मुआवजे की स्कीम है और इस के लिए कोई अरजी दाखिल की गई है तो उस का निपटारा 2 हफ्ते के भीतर कर दिया जाए.
-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
जयकुमार 2 दिन घर नहीं आया तो उस की मां गंजू के घर गई. उस ने बताया कि जयकुमार 2 दिनों से घर नहीं आया है और उस का फोन भी नहीं लग रहा है तो गंजू को भी चिंता हुई. उस ने रीना से प्रीति के बारे में पूछा तो पता चला कि वह तो परीक्षा देने अलीगढ़ गई है. जब उसे पता चला कि देवेंद्र भी घर पर नहीं है तो उस ने देवेंद्र को फोन कर के कहा कि वह जयकुमार को वापस भेज दे.
गंजू के इस फोन से देवेंद्र शर्मा घबरा गया. वह क्या जवाब दे, एकदम से उस की समझ में नहीं आया. लेकिन अचानक उस के मुंह से निकल गया, ‘‘प्रीति भी घर से गायब है. लगता है, वह उसे कहीं भगा ले गया है.’’
यह सुन कर संध्या परेशान हो उठी. उसे विश्वास नहीं हुआ कि उस का बेटा ऐसा भी कर सकता है. दूसरी ओर देवेंद्र परेशान था. वह गुनाह का ऐसा जाल बुनना चाहता था, जिस में जयकुमार का परिवार इस तरह फंस जाए कि कोई काररवाई करने के बजाए वह बचने के बारे में सोचे. उस ने पड़ोस में रहने वाले चौकीदार राकेश को बताया कि जयकुमार नाम का एक लड़का उस की बेटी को भगा ले गया है.
इस के बाद वह वकील मुन्नालाल के पास पहुंचा और उसे सारी बात बता दी. वकील मुन्नालाल देवेंद्र का परिचित था. उस ने उसे सलाह दी कि वह जयकुमार के खिलाफ बेटी को भगाने का मुकदमा दर्ज करा दे.
इस के बाद देवेंद्र मुन्नालाल वकील और कुछ पड़ोसियों को साथ ले कर थाना गांधीपार्क पहुंचा और जयकुमार के खिलाफ अपनी नाबालिग बेटी प्रीति को भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज करा दिया. यह मुकदमा 12 दिसंबर, 2013 में दर्ज हुआ था. मुकदमा दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच एसआई अभय कुमार को सौंपी गई.
अभय कुमार ने जयकुमार को नाबालिग प्रीति को भगाने का दोषी मानते हुए जांच शुरू की तो देवेंद्र को लगा कि उस ने जो किया है, पुलिस उस बारे में जान नहीं पाएगी. लेकिन चिंता की बात यह भी थी कि प्रीति का वह क्या करे. अब उसे घर में रखना ठीक नहीं था. दूसरी ओर उसे पता भी चल गया था कि जयकुमार की हत्या हो चुकी है.
पूछताछ में प्रीति सच्चाई उगल सकती थी, इसलिए उस ने उसे धमकाया कि अगर उस ने किसी को भी यह बात बताई तो वह उस की भी हत्या कर के उस की लाश को जयकुमार की लाश की तरह रेल की पटरी पर डाल आएगा. प्रीति डर गई. उस ने पिता से वादा किया कि वह मर सकती है, लेकिन यह बात किसी को बता नहीं सकती.
अब प्रीति को छिपा कर रखना था. इस के लिए देवेंद्र ने प्रीति को थाना सादाबाद, जिला हाथरस के गांव करसोरा स्थित अपने साले प्रमोद कुमार की ससुराल भिजवा दिया. चूंकि प्रमोद उस के साथ जयकुमार की हत्या में शामिल था, इसलिए देवेंद्र जो चाहता था, उसे वैसा ही करना पड़ता था. प्रीति मामा की ससुराल पहुंच गई, जबकि पुलिस जयकुमार और प्रीति की तलाश में दरदर भटकती रही.
प्रीति से छुटकारा पाने के लिए देवेंद्र उस के लिए लड़का तलाशने लगा. थोड़ी कोशिश कर के थाना वृंदावन के मोहल्ला चंदननगर के रहने वाले पूरन शर्मा का बेटा राहुल उसे पसंद आ गया तो करसोरा से ही उस ने प्रीति की शादी राहुल से कर दी. प्रीति की यह शादी 27 फरवरी, 2014 को हुई.
इस तरह प्रीति को ससुराल भेज कर देवेंद्र निश्चिंत हो गया. मजे की बात यह थी कि वह शांत नहीं बैठा था. वह महीने, 15 दिनों में थाने पहुंच जाता और पुलिस से बेटी की तलाश के लिए गुहार लगाता. यही नहीं, वह फरीदाबाद में रहने वाले जयकुमार के घर वालों को भी धमकाता कि वे जयकुमार के बारे में पता कर के उस की बेटी को बरामद कराएं, वरना वह उन्हें शांति से जीने नहीं देगा.
भले ही जयकुमार का कत्ल हो गया था और प्रीति की शादी हो गई थी. फिर भी पुलिस का डर तो देवेंद्र को सताता ही रहता था. कहीं जयकुमार की हत्या का रहस्य खुल न जाए, इस बात से परेशान देवेंद्र एक बार फिर वकील मुन्नालाल से मिला. उस ने कहा कि अगर पुलिस को प्रीति के बारे में पता चल गया तो उस की परेशानी बढ़ सकती है. पुलिस उस पर शिकंजा कस सकती थी. अब तक प्रीति गर्भवती हो चुकी थी.
मुन्नालाल ने पूरी कहानी पर एक बार फिर नए सिरे से विचार किया. इस के बाद उस ने सलाह दी कि वह प्रीति को पुलिस के सामने पेश कर के उस से कहलवाए कि वह जयकुमार के बच्चे की मां बनने वाली है. वह उसे धोखा दे कर मथुरा रेलवे स्टेशन पर छोड़ कर कहीं भाग गया है. उस के बाद वह पिता के पास आ गई है.
प्रीति के अपहरण के मामले की जांच अब तक कई थानाप्रभारी कर चुके थे. लेकिन कोई मामले की तह तक नहीं पहुंच सका था. शायद उन्होंने कोशिश ही नहीं की थी. जबकि पुलिस ने कई बार फरीदाबाद जा कर जयकुमार की मां एवं रिश्तेदारों से पूछताछ की थी.
पूछताछ में जयकुमार की विधवा मां ने हर बार यही कहा था कि जयकुमार और प्रीति एकदूसरे को प्यार करते थे. दोनों को प्रीति के पिता देवेंद्र ने ही गायब किया है. मुकदमा दर्ज कराने के बाद देवेंद्र फरीदाबाद छोड़ कर बल्लभगढ़ में रहने लगा था. उस ने प्रीति को फोन कर के कहा कि वह सासससुर से लड़ाई कर के उस के यहां आ जाए. प्रीति पिता के हाथ की कठपुतली थी, इसलिए पिता ने जैसा कहा, उस ने वैसा ही किया.
इस की वजह यह थी कि वह नहीं चाहती थी कि उस के प्रेमसंबंधों की जानकारी उस की ससुराल वालों को हो. क्योंकि जानकारी होने के बाद वे उसे घर से निकाल सकते थे. पिता के कहने पर प्रीति ने सास से लड़ाई कर ली तो उसी दिन देवेंद्र उसे विदा कराने उस की ससुराल पहुंच गया.
वकील की सलाह के अनुसार देवेंद्र ने 1 सितंबर, 2015 को प्रीति को एसएसपी के सामने पेश कर दिया. प्रीति ने पुलिस के सामने वही सब कहा, जैसा उसे वकील ने सिखाया था. एसएसपी के आदेश पर प्रीति का मैडिकल कराया गया. जिस समय प्रीति को एसएसपी के सामने पेश किया गया था, उस समय थाना गांधीपार्क के थानाप्रभारी अमित कुमार थे. मजे की बात यह थी कि उन्होंने प्रीति से यह भी जानने की कोशिश नहीं की थी कि जयकुमार के साथ भागने के बाद वह उस के साथ कहांकहां रही.
पुलिस की देखरेख में ही प्रीति ने बच्चे को जन्म दिया. पुलिस ने अदालत में भी प्रीति के बयान करा दिए. वहां भी प्रीति ने वही कहानी सुना दी. अदालत ने प्रीति को उस के पिता को सौंप दिया. अब तक वैसा ही हो रहा था, जैसा देवेंद्र चाह रहा था. लेकिन इसी के बाद जब अलीगढ़ के एसएसपी बन कर राजेश पांडेय आए तो सब उलटा हो गया और वह पकड़ा गया.
मृतक जयकुमार के घर वालों को भी उस की हत्या की सूचना दे दी गई थी. पुलिस ने उस की मां को बुला कर जब जयकुमार के रखे सामान को दिखाया तो उस ने बेटे के जूते और कपड़ों की पहचान कर के फोटो में भी उस की शिनाख्त कर दी.
इस के बाद पुलिस ने प्रीति, देवेंद्र और प्रमोद को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. एसएसपी ने इस मामले का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 10 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की है, साथ ही थानाप्रभारी दिनेश कुमार दुबे को शाबाशी दी.
प्रीति की ससुराल वालों को जब सच्चाई का पता चला तो वे हैरान रह गए. प्रीति ने प्रेम क्या किया, अपनी तो जिंदगी बरबाद की ही, प्रेमी को भी मरवा दिया जो विधवा मां का एकलौता सहारा था.
मां ने भले ही समझाया, लेकिन जयकुमार के प्यार में डूबी प्रीति को मां की बात समझ में नहीं आई. परेशान हो कर रीना ने सारी बात पति को बता दी. बेटी की आशिकी के बारे में सुन कर देवेंद्र तिलमिला उठा. वह मकान मालिक गंजू से मिला और उन से कहा कि वह जयकुमार को घर आने से मना करें, क्योंकि वह उस की बेटी प्रीति को बरगला रहा है.
‘‘आप का कहना ठीक है, लेकिन अपने किसी रिश्तेदार को मैं घर आने से कैसे रोक सकता हूं. आप अपनी बेटी को थोड़ा संभाल कर रखिए.’’ मकान मालिक गंजू ने कहा.
गंजू की इस बात से देवेंद्र ने खुद को काफी अपमानित महसूस किया. अब वह मकान मालिक से तो कुछ नहीं कह सकता था, लेकिन जयकुमार उसे जब भी मिलता, उसे धमकाता कि वह जो कर रहा है, ठीक नहीं है. वह उस की बेटी का पीछा छोड़ दे वरना उसे पछताना पड़ सकता है. लेकिन जयकुमार भी प्रीति के प्रेम में इस तरह डूबा था कि देवेंद्र की चेतावनी का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. जबकि देवेंद्र मन ही मन बौखलाया हुआ था.
प्रीति की अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तारीख आ गई तो वह परीक्षा देने अपने मामा प्रमोद कुमार के यहां अलीगढ़ चली गई. उस के मामा अलीगढ़ के थाना गांधीपार्क की बाबा कालोनी में रहते थे. घर वाले तो यही जानते थे कि प्रीति बस से अलीगढ़ गई है, लेकिन घर से निकलने से पहले उस ने जयकुमार को फोन कर दिया था, इसलिए वह मोटरसाइकिल ले कर उसे रास्ते में मिल गया था. उस के बाद प्रीति उस की मोटरसाइकिल से अलीगढ़ गई थी.
मामा के घर रह कर प्रीति ने परीक्षा दे दी. उसी बीच प्रीति के मामामामी अपने एक रिश्तेदार के यहां शादी में चले गए तो घर खाली देख कर उस ने जयकुमार को फोन कर के अलीगढ़ बुला लिया. प्रेमिका के बुलाने पर घर में बिना किसी को कुछ बताए जयकुमार उस से मिलने अलीगढ़ पहुंच गया. प्रेमी को देख कर प्रीति का दिल बल्लियों उछल पड़ा. वह प्रेमी के आगोश में समा गई.
जयकुमार और प्रीति को उस दिन पहली बार एकांत और आजादी मिली थी, इसलिए उन्होंने सारी सीमाएं तोड़ दीं. ऐसे में जयकुमार ने प्रीति से वादा किया कि कुछ भी हो, हर हालत में वह उसे अपना कर रहेगा. प्रीति को भी प्रेमी पर पूरा विश्वास था. लेकिन उस दिन दोनों ने एक गलती कर दी. जयकुमार को प्रेमिका से मिल कर वापस आ जाना चाहिए था, लेकिन वह तो उस दिन और पिला दे साकी वाली स्थिति में था. प्रीति भी भूल गई थी कि अगले दिन मामामामी लौट आएंगे.
दोनों एकदूसरे में इस तरह खो गए कि सब कुछ भूल गए. याद तब आया, जब दरवाजे पर दस्तक हुई. प्रीति ने दरवाजा खोला तो मामामामी को देख कर सन्न रह गई. जयकुमार घर में ही था. प्रमोद ने अपने घर में जयकुमार को देखा तो पूछा, ‘‘यह कौन है?’’
‘‘यह जयकुमार है. मेरे मकान मालिक का साला.’’ प्रीति ने बताया.
प्रमोद को जब पता चला कि जयकुमार एक दिन पहले उस के घर आया था और प्रीति के साथ रात में रुका था तो उसे इस बात की चिंता हुई कि यह लड़का यहां क्यों आया था? उसे दाल में कुछ काला लगा तो उस ने जयकुमार को एक कमरे में बंद कर दिया और अपने बहनोई देवेंद्र को फोन कर के सारी बात बता दी. देवेंद्र उस समय उत्तराखंड के रुद्रपुर में था. उस ने कहा, ‘‘जब तक मैं आ न जाऊं, तब तक उसे उसी तरह कमरे में बंद रखना.’’
प्रीति डर गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि प्रेमी को छुड़ाने के लिए वह क्या करे. उस ने मामामामी से बहुत विनती की कि वे जयकुमार को छोड़ दें, लेकिन प्रमोद कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता था, इसलिए उस ने जयकुमार को नहीं छोड़ा.
शाम को देवेंद्र अलीगढ़ पहुंचा तो उस ने पहले ही मन ही मन तय कर लिया था कि बेटी के इस प्रेमी के साथ उसे क्या करना है? उस ने रास्ते में ही शराब की बोतल खरीद ली थी और साले के यहां पहुंचने से पहले ही उस ने शराब पी कर मूड बना लिया था.
नशे में धुत्त वह साले के यहां पहुंचा तो जयकुमार को कमरे से निकाल कर बातचीत शुरू हुई. इस बातचीत में जयकुमार ने साफसाफ कह दिया कि वह प्रीति से प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है. यह सुन कर देवेंद्र का खून खौल उठा और वह जयकुमार की पिटाई करने लगा.
पिटाई करते हुए ही उस ने जयकुमार से कहा, ‘‘इस बार तुम ने जो किया, माफ किए देता हूं. अब दोबारा ऐसी गलती मत करना. चलो, हम तुम्हें दिल्ली जाने वाली बस में बिठा देते हैं. फरीदाबाद आऊंगा तो तुम्हारी मां से बात करूंगा.’’
प्यार में बड़ी उम्मीदें होती हैं, जयकुमार को भी लगा कि शायद प्रेमिका का बाप मां से बात कर के शादी करा देगा. लेकिन देवेंद्र के मन में तो कुछ और था. अब तक अंधेरा गहरा चुका था. देवेंद्र और प्रमोद जयकुमार को ले कर पैदल ही चलते हुए नगला मानसिंह होते हुए रेलवे लाइन की ओर नई बस्ती के अवतारनगर में रहने वाले अपने एक परिचित विनोद के घर पहुंचे.
विनोद ने चाय बनवाने के लिए कहा तो देवेंद्र ने सिर्फ पानी लाने को कहा. विनोद ने जयकुमार के बारे में पूछा तो देवेंद्र ने बताया कि यह उस के दोस्त का बेटा है. विनोद पानी ले आया तो प्रमोद और देवेंद्र ने शराब पी. नशा चढ़ा तो दोनों जयकुमार को ले कर रेलवे लाइन की ओर चल पड़े. अब तक काफी अंधेरा हो चुका था. जयकुमार कुछ समझ पाता, उस के पहले ही सुनसान पा कर दोनों ने उसे एक गड्ढे में गिरा दिया.
वह संभल भी नहीं पाया, उस के पहले ही दोनों ने उस की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद दोनों वहीं बैठ कर ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे. थोड़ी देर बाद उन्हें ट्रेन आती दिखाई दी तो जयकुमार की लाश को उठा कर दोनों ने पटरी पर रख दिया. ट्रेन लाश के ऊपर से गुजर गई तो वह कई टुकड़ों में बंट गई.
देवेंद्र और प्रमोद ने राहत की सांस ली, क्योंकि अब कांटा निकल गया था. लेकिन अब क्या करना है, अभी देवेंद्र को इस बारे में सोचना था. उस ने जो किया था, उसे भले ही किसी ने नहीं देखा था, लेकिन उसे होशियार तो रहना ही था. सुबह प्रीति ने उस से पूछा, ‘‘पापा, जयकुमार चला गया क्या?’’
देवेंद्र ने उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए कहा, ‘‘तू अपनी पढ़ाई से मतलब रख. कौन कहां गया, इस से तुझे क्या मतलब?’’
प्रीति को शक हुआ. अगले दिन उस ने जयकुमार को फोन किया. लेकिन उस का तो फोन बंद था, इसलिए बात नहीं हो सकी. अब प्रीति की समझ में आ गया कि जयकुमार के साथ क्या हुआ है. वह बुरी तरह डर गई.
क्रमशः
राहुल नेहा के प्यार में पागल था. यह देख नेहा ने राहुल को सच बताने की कोशिश की. लेकिन वह नाराज न हो जाए, इसे ले कर वह उलझन में थी. राहुल उस के साथ प्यार भरी बातें कर के भविष्य के ख्वाब बुनता तो वह उस की हां में हां मिलाती रहती थी.
सच्चाई सुन कर चौंक पड़ा राहुल
प्यारभरे लम्हों में एक दिन राहुल ने नेहा से अपने दिल की बात कही, ‘‘नेहा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं.’’
‘‘कितना?’’ नेहा ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा तो वह बोला, ‘‘बहुत ज्यादा. तुम अपने घर पर बात करो, मैं हमेशा के लिए तुम्हें अपनी बना लूंगा. आखिर कब तक हम यूं ही मिलते रहेंगे.’’
‘‘मैं जानती हूं राहुल लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या?’’ राहुल ने पूछा.
‘‘मैं तुम्हें एक सच भी बताना चाहती हूं.’’
‘‘ऐसा भी तुम्हारा कौन सा सच है जो मुझे पता नहीं है.’’
‘‘राहुल, प्लीज तुम नाराज नहीं होना.’’
‘‘ऐसी क्या बात है नेहा?’’ कहते हुए राहुल गंभीर हो गया.
‘‘मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं.’’
‘‘क…क…क्या?’’ राहुल को झटका लगा. यह सुन कर वह जमीन पर आ गिरा. कुछ पलों के लिए वह विवेकशून्य हो गया. उसे ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. नेहा ने इस खामोशी को तोड़ा, ‘‘हां, यही सच है राहुल, मैं भी तुम से प्यार करती हूं इसलिए सच बता कर तुम्हें नाराज नहीं करना चाहती थी.’’
सच जान कर राहुल को झटका तो बहुत बड़ा लगा, लेकिन वह नेहा को खोना भी नहीं चाहता था. उस ने बात को वहीं खत्म कर देना बेहतर समझा.
समय अपनी गति से चलता रहा. 3 जून को राहुल का जन्मदिन था. नेहा ने उसे एक होटल में पार्टी दी. राहुल पहले ही होटल पहुंच गया और बाहर खड़े हो कर नेहा के आने का इंतजार करने लगा.
उसे यह देख कर झटका लगा कि नेहा को वहां छोड़ने के लिए एक फौर्च्युनर कार आई थी. कार सवार से वह हंसहंस कर बातें कर रही थी. राहुल ने जन्मदिन तो मनाया लेकिन उस का माथा ठनक गया. पूछने पर नेहा ने बताया कि वह औटो से होटल आई थी.
शक ने बढ़ा दीं दूरियां
राहुल को शक हुआ कि नेहा के संबंध किसी अन्य के साथ भी हैं. इस बात को अभी एक महीना ही बीता था कि राहुल ने एक बार फिर उसे फौर्च्युनर गाड़ी से उतरते देखा. इस के बाद राहुल के दिमाग में यह शक पूरी तरह घर कर गया कि नेहा न केवल उसे, बल्कि अपने पति को भी धोखा दे रही है. उस के शक का इलाज नेहा ही कर सकती थी, लेकिन राहुल के ज्यादा सवालजवाब करने से वह नाराज हो गई. दोनों के बीच इस बात को ले कर खूब झगड़ा हुआ.
फलस्वरूप दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गईं और नेहा ने फोन पर भी राहुल को इग्नोर करना शुरू कर दिया. राहुल के सिर पर नेहा के प्यार का जुनून सवार था. राहुल ने उस से शिकायत की, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम मुझ से दूरियां बना रही हो?’’
‘‘इस में चौंकने जैसी कोई बात नहीं है राहुल. वजह तो तुम भी जानते हो. शक से रिश्ते नहीं चला करते.’’
‘‘तुम्हारे पास शक का इलाज है, इलाज कर दो.’’
‘‘हर बात का जवाब देना जरूरी नहीं होता.’’ नेहा ने कहा तो इस मुद्दे पर दोनों के बीच एक बार फिर बहस हो गई. नेहा नाराज हो कर अपने घर चली गई.
नेहा को लगने लगा था कि राहुल उस पर जरूरत से ज्यादा ही हक जताने लगा है. इसलिए उस ने राहुल से दूर रहने में ही भलाई समझी. उस ने राहुल से साफ कह दिया कि वह उस के साथ रिश्ता नहीं रखना चाहती. नेहा के बदले हुए रुख से राहुल को अपने सपने टूटते नजर आए. उस ने राहुल की बारबार की कोशिशों के बाद भी उस से मिलना बिलकुल ही छोड़ दिया. राहुल सिर्फ अपने शक का इलाज करना चाहता था, उसे छोड़ना नहीं.
राहुल को जब लगा कि नेहा उस से पीछा छुड़ा रही है तो वह परेशान हो उठा. उस की कुछ समझ नहीं आया. वह पारदर्शी रिश्ता रखना चाहता था. उस ने नेहा को मनाने की बहुत कोशिश की. जब बात नहीं बनी तो उस ने यह बात अपने साथी पुष्कर त्यागी व आयुषि त्यागी को बताई. राहुल ने उन्हें पूरी बात बताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत उलझन में हूं. तुम दोनों को मेरे साथ नेहा के घर चलना होगा.’’
‘‘उस से क्या फायदा? जब वह रिश्ता नहीं रखना चाहती तो तुम्हें भी उस से दूर हो जाना चाहिए.’’
‘‘मैं उसे मनाने की कोशिश करूंगा. नहीं मानी तो उस के पति के सामने पोल खोल दूंगा. फिर शायद पति उसे छोड़ दे और वह मेरी हो जाए.’’ उन दोनों को उस की बात अजीब लगी, लेकिन चूंकि दोनों राहुल के दोस्त थे, इसलिए उन्होंने उस के साथ जाने का वादा कर लिया. 30 जुलाई को वे राहुल के साथ नेहा के घर पहुंच गए.
नेहा के घर वालों को बता दी सच्चाई
राहुल को अचानक अपने घर आया देख नेहा के होश उड़ गए, लेकिन वह उसे भगा भी नहीं सकती थी. उस की मुलाकात नेहा के पति व सास से भी हुई. राहुल ने उन के सामने नेहा से संबंध स्वीकार किए तो सब को झटका लगा. पीछा छुड़ाने के लिए नेहा को कहना पड़ा कि राहुल से उस की दोस्ती रही है लेकिन अब वह जबरन उस के पीछे पड़ा है.
नेहा ने राहुल को चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘मेरा घर उजाड़ने की कोशिश मत करो राहुल, तुम सुधर जाओ वरना मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दूंगा. आइंदा मेरे रास्ते में आने की कोशिश भी मत करना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’
बात न बनती देख राहुल ने भी धमकी भरा लहजा अपनाया, ‘‘अभी तो मैं चला जाता हूं, लेकिन ध्यान रखना नेहा मैं भी इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला नहीं हूं.’’
राहुल वहां से निकल गया. नेहा के लिए राहुल से रिश्ता रखना अब गले की फांस बन चुका था. वह अपने निर्णय पर पछता रही थी. वह उस से पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकिन राहुल किसी भी सूरत में उस से दूर होने के लिए तैयार नहीं था. वह उसे जबरन अपना बनाना चाहता था.
दोस्त के साथ रची तेजाब डालने की साजिश
नेहा ने सोचा था कि वक्त के साथ राहुल उसे भूल जाएगा और पीछा छोड़ देगा, लेकिन यह सिर्फ उस की सोच थी. दूसरी तरफ जब राहुल को इस बात का भरोसा हो गया कि नेहा अब उस की होने वाली नहीं है तो उस ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. कई दिनों की दिमागी उथलपुथल के बाद उस ने यह खतरनाक निर्णय ले लिया कि वह तेजाब डाल कर नेहा के चेहरे को हमेशा के लिए बिगाड़ देगा.
राहुल का एक दोस्त था उमंग प्रताप. बीएससी पास उमंग गाजियाबाद के शास्त्रीनगर में रहता था और वह एसएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. उमंग की एक बार बुरे वक्त में राहुल ने मदद की थी. राहुल ने उसे 5 हजार रुपए उधार दिए थे. राहुल जानता था कि उमंग पर उस का अहसान है, इसलिए वह उस का साथ जरूर देगा.
हुआ भी बिलकुल ऐसा ही. उस ने अपने दोस्त उमंग को पूरी बात बता कर अपना साथ देने के लिए तैयार कर लिया. उमंग ने राहुल को समझाने की कोशिश भी की मगर वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. जल्द ही उस ने उमंग की मदद से एक डिब्बे में तेजाब का इंतजाम कर लिया. यह 11 अगस्त की बात थी.
राहुल ने अगले कुछ दिन नेहा को फोन किए ताकि बात बन जाए लेकिन उस ने उसे जरा भी भाव नहीं दिया तो वह भन्ना गया. वह जानता था कि हर शाम नेहा अपने बच्चे को ट्यूशन छोड़ने जाती है. उस ने नेहा पर 20 अगस्त को तेजाब डालने की योजना बना ली.
वह उमंग के साथ बाइक पर सवार हो कर निकल गया. पहले उस ने शराब पी और फिर पी ब्लौक चौराहे पर जा कर खड़ा हो गया. उमंग प्रताप बाइक चला रहा था, जबकि वह तेजाब का डिब्बा लिए पीछे बैठा था. बाइक का नंबर छिपाने के लिए उन्होंने उस पर सफेद कागज चिपका दिया था. जैसे ही नेहा वहां आई तो राहुल ने उसे रोका और तेजाब डाल दिया.
क्रमशः
पिछले साल सन 2016 के सितंबर महीने में अलीगढ़ का एसएसपी राजेश पांडेय को बनाया गया तो चार्ज लेते ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग बुला कर सभी थानाप्रभारियों को आदेश दिया कि जितनी भी जांचें अधूरी पड़ी हैं, उन की फाइलें उन के सामने पेश करें. जब सारी फाइलें उन के सामने आईं तो उन में एक फाइल थाना गांधीपार्क में दर्ज प्रीति अपहरण कांड की थी, जिस की जांच अब तक 10 थानाप्रभारी कर चुके थे और यह मामला 12 दिसंबर, 2013 में दर्ज हुआ था.
राजेश पांडेय को यह मामला कुछ रहस्यमय लगा. उन्होंने इस मामले की जांच सीओ अमित कुमार को सौंपते हुए जल्द से जल्द खुलासा करने को कहा. अमित कुमार ने फाइल देखी तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ. क्योंकि इतने थानाप्रभारियों ने मामले की जांच की थी, इस के बावजूद मामले का खुलासा नहीं हो सका था. उन्होंने थानाप्रभारी दिनेश कुमार दुबे को कुछ निर्देश दे कर फाइल सौंप दी.
मामला काफी पुराना और रहस्यमयी था, इसलिए इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए दिनेश कुमार दुबे ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए अपनी एक टीम बनाई, जिस में एसएसआई अजीत सिंह, एसआई धर्मवीर सिंह, कांस्टेबल सत्यपाल सिंह, मोहरपाल सिंह और नितिन कुमार को शामिल किया.
फाइल का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद उन्होंने मामले की जांच फरीदाबाद से शुरू की, क्योंकि प्रीति को भगाने का जिस युवक जयकुमार पर आरोप था, वह फरीदाबाद का ही रहने वाला था. दिनेश कुमार दुबे फरीदाबाद जा कर उस की मां संध्या से मिले तो उस ने बताया कि जयकुमार उस का एकलौता बेटा था. उस पर जो आरोप लगे हैं, वे झूठे हैं. उस का बेटा ऐसा कतई नहीं कर सकता. उस ने उस की गुमशुदगी भी दर्ज करा रखी थी.
संध्या से पूछताछ के बाद दिनेश कुमार दुबे को मामला कुछ और ही नजर आया. अलीगढ़ लौट कर उन्होंने 13 जनवरी, 2016 को प्रीति के पिता देवेंद्र शर्मा को थाने बुलाया, जिस ने जयकुमार पर बेटी को भगाने का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस के सामने आने पर वह इस तरह घबराया हुआ था, जैसे उस ने कोई अपराध किया हो. जब सीओ अमित कुमार, एसपी (सिटी) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने उस से जयकुमार के बारे में पूछताछ की तो पुलिस अधिकारियों को गुमराह करते हुए वह इधरउधर की बातें करता रहा.
लेकिन यह भी सच है कि आदमी को एक सच छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं. ऐसे में ही कोई बात ऐसी मुंह से निकल जाती है कि सच सामने आ जाता है. उसी तरह देवेंद्र के मुंह से भी घबराहट में निकल गया कि कहीं जयकुमार ने घबराहट में ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या तो नहीं कर ली.
देवेंद्र की इस बात ने पुलिस अधिकारियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि इसे कैसे पता चला कि जयकुमार ने ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली है. पुलिस ने दिसंबर, 2013 के ट्रेन एक्सीडेंट के रिकौर्ड खंगाले तो पता चला कि थाना सासनी गेट पुलिस को 7 दिसंबर, 2013 को ट्रेन की पटरी पर एक लावारिस लाश मिली थी.
इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने देवेंद्र के साथ थोड़ी सख्ती की तो उस ने जयकुमार की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने जयकुमार की हत्या की जो कहानी सुनाई, उस की शातिराना कहानी सुन कर पुलिस हैरान रह गई. देवेंद्र ने बताया कि अपनी इज्जत बचाने के लिए उसी ने अपने साले प्रमोद कुमार के साथ मिल कर जयकुमार की हत्या कर दी थी. इस बात की जानकारी उस की बेटी प्रीति को भी थी.
इस के बाद पुलिस ने देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति और उस के साले प्रमोद को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में प्रीति और प्रमोद ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. तीनों की पूछताछ में जयकुमार की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—
उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के थाना गांधीपार्क के नगला माली का रहने वाला देवेंद्र शर्मा रोजीरोटी की तलाश में हरियाणा के फरीदाबाद आ गया था. उसे वहां किसी फैक्ट्री में नौकरी मिल गई तो रहने की व्यवस्था उस ने थाना सारंग की जवाहर कालोनी के रहने वाले गंजू के मकान में कर ली. उन के मकान की पहली मंजिल पर किराए पर कमरा ले कर देवेंद्र शर्मा उसी में परिवार के साथ रहने लगा था. यह सन 2013 के शुरू की बात है.
उन दिनों देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति यही कोई 17-18 साल की थी और वह अलीगढ़ के डीएवी कालेज में 12वीं में पढ़ रही थी. फरीदाबाद में सब कुछ ठीक चल रहा था. देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति जवान हो चुकी थी. मकान मालिक गंजू की पत्नी गुडि़या का ममेरा भाई जयकुमार अकसर उस से मिलने उस के यहां आता रहता था. वह पढ़ाई के साथसाथ एक वकील के यहां मुंशी भी था. इस की वजह यह थी कि उस के पिता शंकरलाल की मौत हो चुकी थी, जिस से घरपरिवार की जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी. वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा भी रहा था.
जयकुमार अपनी मां संध्या के साथ जवाहर कालोनी में ही रहता था. फुफेरी बहन गुडि़या के घर आनेजाने में जयकुमार की नजर देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति पर पड़ी तो वह उस के मन को ऐसी भायी कि उस से प्यार करने के लिए उस का दिल मचल उठा. अब वह जब भी बहन के घर आता, प्रीति को ही उस की नजरें ढूंढती रहतीं.
एक बार जयकुमार बहन के घर आया तो संयोग से उस दिन प्रीति गुडि़या के पास ही बैठी थी. जयकुमार उस दिन कुछ इस तरह बातें करने लगा कि प्रीति को उस में मजा आने लगा. उस की बातों से वह कुछ इस तरह प्रभावित हुई कि उस ने उस का मोबाइल नंबर ले लिया.
जयकुमार देखने में ठीकठाक तो था ही, अपनी मीठीमीठी बातों से किसी को भी आकर्षित कर सकता था. उस की बातों से ही आकर्षित हो कर प्रीति ने उस का मोबाइल नंबर लिया था. इस के बाद दोनों की बातचीत मोबाइल फोन से शुरू हुई तो जल्दी उन में प्यार हो गया. फिर खतरों की परवाह किए बिना दोनों प्यार की राह पर बेखौफ चल पड़े. दोनों घर वालों की चोरीछिपे जब भी मिलते, घंटों भविष्य के सपने बुनते रहते.
जल्दी ही प्रीति और जयकुमार प्यार की राह पर इतना आगे निकल गए कि उन्हें जुदाई का डर सताने लगा था. उन के एक होने में दिक्कत उन की जाति थी. दोनों की ही जाति अलगअलग थी. उन की आगे की राह कांटों भरी है, यह जानते हुए भी दोनों उसी राह पर आगे बढ़ते रहे.
देवेंद्र गृहस्थी की गाड़ी खींचने में व्यस्त था तो बेटी आशिकी में. लेकिन कहीं से प्रीति की मां रीना को बेटी की आशिकी की भनक लग गई. उन्होंने बेटी को डांटाफटकारा, साथ ही प्यार से समझाया भी कि जमाना बड़ा खराब है, इसलिए बाहरी लड़के से बातचीत करना अच्छी बात नहीं है. अगर किसी ने देख लिया तो बिना मतलब की बदनामी होगी.
क्रमशः
सड़क पर पड़ी वह खूबसूरत महिला दर्द से बुरी तरह छटपटाते हुए बिलखबिलख कर चीख रही थी. उस के शरीर से गंधनुमा धुआं सा निकल रहा था. तड़पते हुए वह खुद को अस्पताल ले जाने की गुहार लगा रही थी. उस की सफेद रंग की स्कूटी वहीं बराबर में खड़ी थी. उस के चेहरे पर असीम दर्द था. मौके पर लोगों की भीड़ तो एकत्र थी लेकिन बदले जमाने की फितरत के हिसाब से कोई भी उस की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था.
लोग तमाशबीन बने खड़े थे. तभी एक महिला भीड़ को चीरते हुए आगे आई और लोगों को देख कर बोली, ‘‘अरे, एसिड अटैक हुआ है इस बेचारी पर. शर्म आनी चाहिए तुम सब को, एक औरत तड़प रही है और तुम सब तमाशा देख रहे हो. तुम्हारी बहनबेटी होती तब भी ऐसे ही तमाशा देखते क्या?’’
‘‘हम तो यहां अभी पहुंचे हैं, पुलिस को फोन भी कर दिया है. शायद आने वाली ही होगी.’’ भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा तो महिला बोली, ‘‘किसी की मदद के लिए पुलिस का इंतजार करना जरूरी है क्या? मैं अस्पताल ले जाती हूं इसे.’’ कहते हुए महिला आगे बढ़ी तो अन्य लोग भी साथ देने को तैयार हो गए. इत्तफाक से तभी पुलिस वहां आ पहुंची.
दरअसल, महिला पर एसिड अटैक की यह सनसनीखेज वारदात देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद शहर के थाना कविनगर क्षेत्र स्थित संजयनगर के सैक्टर-23 के पी ब्लौक चौराहे पर हुई थी. प्रत्यक्षदर्शियों ने जो कुछ पुलिस को बताया, उस के मुताबिक करीब साढ़े 5 बजे वह महिला स्कूटी से जा रही थी. तभी बाइक पर सवार 2 लोग आए. उन्होंने उसे रोका और पलक झपकते ही साथ लाए डिब्बे से तेजाब उस के ऊपर उड़ेल दिया. जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक हमलावर वहां से भाग निकले.
यह घटना 21 अगस्त, 2018 की थी. इस घटना की सूचना मिलने पर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया, जिस के बाद थानाप्रभारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी व सीओ आतिश कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. आननफानन में महिला को अस्पताल ले जाया गया. डाक्टरों ने तुरंत उस का उपचार शुरू कर दिया. महिला का चेहरा, हाथ, पैर, पेट व कमर का हिस्सा झुलस गया था. उस की हालत गंभीर थी, लिहाजा उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया. पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे.
महिला बहुत ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी, फिर भी औपचारिक पूछताछ में उस ने हमले में शामिल एक युवक का नाम पुलिस को बता दिया. उस के मुताबिक उस ने साथियों के साथ मिल कर उस पर तेजाब से हमला किया था. जब वह अपने बेटे को स्कूटी से ट्यूशन की क्लास में छोड़ कर वापस घर जा रही थी, तभी उस युवक ने अपने साथियों के साथ उस पर एसिड फेंका.
पीडि़ता के पति की तहरीर के आधार पर पुलिस ने राहुल नामक युवक को नामजद करते हुए उस के और उस के साथियों के खिलाफ भादंवि की धारा 326ए व 120बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. एसएसपी वैभव कृष्ण ने अपने अधीनस्थों को इस मामले में तत्काल काररवाई के निर्देश दिए.
सरेआम हुई इस वारदात की गूंज प्रदेश की सत्ता के शिखर लखनऊ तक भी पहुंची. मामला गंभीर था, लिहाजा मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार भी अस्पताल पहुंचे और पीडि़ता का हाल जाना. एडीजी ने एसएसपी को निर्देश दिए कि आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो. उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए.
पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई. पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यही था कि महिला पर तेजाबी हमला क्यों किया गया? पीडि़ता चूंकि युवक को जानती थी तो यह बात साफ थी कि हमलावर का मकसद उस का चेहरा बिगाड़ना था. मामला प्रेम प्रसंग का लग रहा था.
इस बात को बल तब मिला जब महिला के पति ने भी पुलिस को बताया कि राहुल उस की पत्नी के साथ जबरन रिश्ता रखना चाहता था. वह उस पर साथ रहने का दबाव बनाता था. साथ ही उस ने धमकी भी दी थी कि अगर वह उस के साथ नहीं रहेगी तो वह उसे किसी के साथ रहने लायक नहीं छोड़ेगा.
पुलिस ने टीम बना कर मुख्य आरोपी की तलाश शुरू कर दी. घटनास्थल वाले रास्ते के सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए, जिस में 2 युवक बाइक से जाते हुए दिख रहे थे लेकिन बाइक का नंबर या उन के चेहरे नहीं दिख रहे थे. बाइक सवारों में से एक ने हेलमेट लगाया था, जबकि दूसरे ने चेहरे पर गमछा बांधा हुआ था.
पुलिस ने महिला के मोबाइल से राहुल का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया, जिस से नामपता मिलने के साथ ही उस की लोकेशन भी मिलनी शुरू हो गई. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा दिया. अगले दिन पुलिस ने राहुल को गाजियाबाद स्थित हापुड़ चुंगी से गिरफ्तार कर लिया. उस के साथ एक अन्य युवक भी था. पूछताछ में उस ने अपना नाम उमंग प्रताप बताया. वह भी राहुल के साथ घटना में शामिल था. पुलिस दोनों को थाने ले आई. पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की तो दोस्ती, प्यार व नफरत में डूबी चौंकाने वाली कहानी सामने आई.
फेसबुक पर हुई दोस्ती
नेहा (परिवर्तित नाम) संजयनगर की रहने वाली थी. वह पेशे से डायटीशिन थी, जबकि उस के पति का कोचिंग सेंटर था. नेहा खूबसूरत भी थी और आधुनिक भी. वह सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का इस्तेमाल करती थी. करीब 8 महीने पहले एक दिन उस के पास राहुल गर्ग नाम के एक युवक की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई. राहुल गाजियाबाद के ही राजनगर का रहने वाला था. बीए पास राहुल के पिता की हार्डवेयर की दुकान थी. वह भी व्यवसाय में पिता का हाथ बंटाता था.
राहुल अच्छी कदकाठी का आकर्षक नौजवान था. नेहा ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल निकला. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई और उन्होंने एकदूसरे का नंबर ले लिया. बातों का दायरा बढ़ा तो बातों के साथसाथ मुलाकातें भी शुरू हो गईं.
चंद दिनों की मुलाकातों में दोनों के बीच प्यार हो गया. नेहा शादीशुदा थी, लेकिन उस ने यह बात राहुल से छिपा ली थी. वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा, तो राहुल उस के साथ अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगा. राहुल उसे दिल से चाहता है, नेहा यह बात बखूबी जानती थी. यही वजह थी कि वह उस की एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी.
सामाजिक लिहाज से शादीशुदा हो कर भी किसी युवक के साथ इस तरह का रिश्ता रखना यूं तो गलत था, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में बह कर नेहा भी दिल के हाथों मजबूर हो गई थी. पतन की डगर कभी अच्छी नहीं होती. शुरुआत में भले ही किसी को अंदाजा न हो, लेकिन एक दिन ऐसे रिश्तों की कीमत चुकानी पड़ती है.
क्रमशः