
शादी नहीं, मौजमस्ती ही चाहता था गिरिजा शंकर
कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते, दोनों के प्रेम प्रसंग की स्टोरी की जानकारी घर वालों को हो गई. धनराज ने सोचा कि समाज में उस की बदनामी हो, इस के पहले बेटी के हाथ पीले कर देना चाहिए. यही सोच कर पूर्णिमा की शादी गांव सारद सिवनी में अशोक नाम के लडक़े से तय कर दी. 22 अप्रैल, 2023 को पूर्णिमा की शादी होने वाली थी, किंतु वह प्रेम संबंध के चलते अपनी भाभी के भाई गिरिजा शंकर पर शादी करने का दबाव बना रही थी.
उस ने गिरिजा शंकर से साफतौर पर कह दिया था कि वह शादी करेगी तो सिर्फ उसी से. और गिरिजा शंकर पूर्णिमा से शादी करने का इच्छुक नहीं था, क्योंकि उसे अपनी बहन का घर उजडऩे का डर था. गिरिजा शंकर जानता था कि समाज के कानूनकायदे पूर्णिमा से विवाह की इजाजत नहीं देंगे. गिरिजा शंकर की बहन शारदा को उस के पूर्णिमा के साथ संबंधों की जानकारी थी. उस ने भी भाई से कहा था, “भैया कोई ऐसा कदम न उठाना कि मेरा घर उजड़ जाए.”
इधर पूर्णिमा गिरिजा शंकर पर शादी का दबाव बना रही थी. उस का कहना था कि 22 तारीख के पहले हम लोग भाग कर शादी कर लेते हैं. गिरिजा शंकर के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई थी. वह कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था. आखिर में उसे अपनी बहन के सुखी दांपत्य जीवन का खयाल आया और उस ने पूर्णिमा को अपने रास्ते से हटाने की योजना बनाई.
पूर्णिमा लगातार गिरिजा शंकर पर जल्द शादी करने का दबाव बना रही थी. ऐसे में योजना के मुताबिक 5 अप्रैल को गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को फोन कर के कहा, “आज कहीं घूमने चलते हैं, वहां मिल कर शादी करने का प्लान बनाते हैं.”
“लग्न होने की वजह से घर वाले अब बाहर घूमने से मना करते हैं.” पूर्णिमा ने जवाब दिया.
“सिलाई क्लास का बहाना बना कर आ जाओ, मैं बाइक ले कर गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास मिलता हूं.” गिरिजा शंकर ने राह सुझाते हुए कहा.
“ओके, तुम गांव आ कर फोन करना, मैं मम्मी को मनाती हूं.” पूर्णिमा ने कह कर फोन काट दिया.
गिरिजा शंकर ने प्यार में किया विश्वासघात
दोपहर करीब एक बजे गिरिजा शंकर लिम्देवाड़ा गांव पहुंच गया और पूर्णिमा को फोन कर के बुला लिया. पूर्णिमा ने मां से सिलाई सीखने का बहाना किया और सिर और मुंह को दुपट्ïटे से ढंक कर गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास पहुंच गई. गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को बाइक पर बिठाया और गांव से निकल पड़ा.
रास्ते में प्यारमोहब्बत की बातें करते हुए वे गांगुलपरा और बंजारी गांव के बीच पडऩे वाले जंगल की पहाड़ी पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर जब पूर्णिमा ने गिरिजा शंकर से शादी करने की बात कही तो गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को अपने आगोश में लेते हुए भरोसा दिलाया कि वह 22 अप्रैल के पहले उस से शादी कर लेगा. पूर्णिमा ने उस की बातों पर भरोसा कर लिया. उस के बाद उन्होंने 2 बार शारीरिक संबंध बनाए.
संबंध बनाने के बाद वे पेड़ की छांव में एक चट्ïटान पर बैठ कर आराम कर रहे थे, तभी गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा के गले में पड़े दुपट्ïटे से उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के पहले पूर्णिमा कुछ समझ पाती, पलभर में ही उस की जुबान बाहर निकल आई और उस की मौत हो गई.
प्रेमिका का मर्डर करने के बाद कातिल प्रेमी गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा का मोबाइल तोड़ कर दुपट्ïटे के साथ वहीं फेंक दिया. पूर्णिमा के शरीर के ऊपर सूखे पत्ते का ढेर लगा कर गिरिजा शंकर वहां से बाइक ले कर वापस किरनापुर आ गया. जब पूर्णिमा शाम तक घर नहीं लौटी तो गिरिजा शंकर की बहन शारदा ने मोबाइल पर उस से पूर्णिमा के संबंध में पूछताछ की तो उस ने साफ मना करते हुए कह दिया कि उसे पूर्णिमा के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.
मगर पुलिस की पैनी नजर से वह ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका और पूर्णिमा के कत्ल का जुर्म कुबूल कर लिया. आज भी समाज के ज्यादातर तबकों में यही परंपरा है कि जिस घर में लड़कियों को ब्याहा जाता है, उस घर की लडक़ी को अपने घर की बहू नहीं बनाते हैं. लेकिन कहते हैं कि इश्क और जंग में सब जायज है.
पूर्णिमा भी समाज के नियमों के विपरीत अपने भाई के साले को दिल दे बैठी और उस के साथ घर बसाने का सपना देख रही थी. गिरिजा शंकर तो केवल पूर्णिमा के शरीर का सुख भोग रहा था, उस के साथ शादी करने को वह कतई तैयार नहीं था.
पुलिस ने गिरिजा शंकर की निशानदेही पर पूर्णिमा की हत्या में प्रयुक्त बाइक और उस का मोबाइल भी घटनास्थल से बरामद किया और 17 अप्रैल को रिमांड की अवधि खत्म होने पर गिरिजा शंकर को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे बालाघाट जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
रात के दस बजने वाले थे. वाराणसी जनपद के सिगरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली नगर निगम चौकी के प्रभारी सबइंसपेक्टर बसंत कुमार एसआई चंद्रकेश शर्मा और 2 सिपाहियों गामा यादव व बाबूलाल के साथ शिवपुरवा तिराहे के पास मौजूद थे. उसी समय एक मुखबिर ने आ कर बताया कि इलाके में पिछले कुछ महीनों से मोबाइल और लैपटाप वगैरह की जो चोरियां हुई हैं, उन का चोर चोरी का सामान बेचने के लिए खरीदार से संपर्क करने के लिए आने वाला है.
चौकीप्रभारी सबइंसपेक्टर बसंत कुमार के लिए सूचना काफी महत्त्वपूर्ण थी. मुखबिर से कुछ जरूरी जानकारी लेने के बाद उन्होंने उस चोर को पकड़ने के लिए व्यूह रचना तैयार कर अपने साथी पुलिस वालों को सतर्क कर दिया. मुखबिर को उन्होंने छिप कर खड़ा होने को कह दिया. थोड़ी देर बाद मुखबिर ने सनबीम स्कूल की ओर से पैदल आ रहे 2 युवकों की ओर इशारा कर दिया. उन दोनों की पहचान कराने के बाद मुखबिर वहां से चला गया.
सबइंसपेक्टर बसंत कुमार और उन के साथी चौकन्ने हो गए. दोनों युवकों में से एक के पास एक काले रंग का बड़ा सा बैग था, जिसे वह पीठ की तरफ टांगे हुए था. दोनों युवक जैसे ही रेलवे कालोनी जल विहार मोड़ के पास पहुंचे. सबइंसपेक्टर बसंत कुमार ने उन दोनों को रुकने का आदेश दिया. लेकिन पुलिस को देख कर दोनों तेजी से विपरीत दिशा की ओर भागने लगे. लेकिन पहले से तैयार पुलिस टीम ने दौड़ कर उन्हें पकड़ लिया.
पुलिस के शिकंजे में फंसते ही दोनों युवक गिड़गिड़ाए, ‘‘सर, आप हम लोगों को क्यों पकड़ रहे हैं, हम ने क्या किया है?’’
‘‘कुछ नहीं किया तो भागने की क्या जरूरत थी?’’
‘‘साहब, हम डर गए थे कि कहीं आप हमें किसी झूठे मुकदमे में न फंसा दें.’’
‘‘तुम्हें क्या लगता है कि पुलिस वाले यूं ही राह चलते लोगों को फंसा देते हैं. खैर, अपना बैग चेक कराओ.’’ कह कर बसंत कुमार ने सिपाही गामा यादव को आदेश दिया, ‘‘इन का बैग चेक करो.’’
‘‘साहब, बैग में कपड़ेलत्तों के अलावा कुछ नहीं है.’’ एक युवक ने कहा तो बसंत कुमार ने उसे डांटा, ‘‘अगर आपत्तिजनक कुछ नहीं है तो घबरा क्यों रहे हो?’’
सबइंसपेक्टर चंद्रकेश शर्मा ने युवक की पीठ पर टंगा काले रंग का बैग जबरदस्ती ले कर खोला तो उस में लैपटाप और नए मोबाइल सेट के डिब्बे दिखे. बैग में मोबाइल सेट और लैपटाप देखते ही बसंत कुमार समझ गए कि शिकार जाल में फंस चुका है.
बसंत कुमार ने बैग वाले युवक का नाम पूछा तो उस ने अपना नाम जयमंगल निवासी शिवपुरवा बताया. उस के साथी का नाम गुडलक था. वह सिगरा थानाक्षेत्र की महमूरगंज रोड स्थित संपूर्णनगर कालोनी में रहता था. विस्तृत पूछताछ के लिए दोनों युवकों को हिरासत में ले कर चौकीप्रभारी बसंत कुमार अपनी टीम के साथ सिगरा थाने आ गए.
सिगरा थाने में जयमंगल से विस्तृत पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि उस के बैग में सारा सामान चोरी का है. पुलिस को उस के बैग से 3 लैपटाप, 10 मोबाइल सेट, रितेश नाम से एक वोटर आईडी के अलावा 1560 रुपए और 1 किलो 100 ग्राम चरस मिली. जबकि गुडलक की तलाशी में उस की पैंट की जेब से प्लास्टिक की थैली में रखी 240 ग्राम चरस मिली.
जयमंगल और गुडलक से पूछताछ चल ही रही थी कि तभी गश्त पर गए थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र थाने लौट आए. उन्हें जब पता चला कि पिछले दिनों इलाके में हुई चोरी की घटनाओं में शामिल 2 चोर पकड़े गए हैं तो वह भी पूछताछ में शामिल हो गए. जयमंगल से बरामद रितेश नाम से जारी वोटर आईडी को देखने पर पता चला कि उस पर फोटो जयमंगल का लगा था. इस का मतलब उस ने फरजी नाम से आईडी बनवा रखी थी.
थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र ने इस बारे में जयमंगल से जब अपने तरीके से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने रितेश नाम से फर्जी वोटर आईडी बनवाई थी, ताकि होटल वगैरह में ठहरने के लिए उस आईडी का इस्तेमाल कर के अपनी असली पहचान छिपा सके.
पूछताछ के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि वह शिवपुरवा (सिगरा क्षेत्र) स्थित अपने पैतृक घर में न रह कर पिछले तीन सालों से अपनी प्रेमिका पत्नी के साथ पड़ोसी जनपद भदोही के गोपीगंज थानाक्षेत्र स्थित खमरिया में किराए का मकान ले कर रह रहा था. जयमंगल ने गुडलक को अपना दोस्त बताया. जयमंगल पहले ही स्वीकार कर चुका था कि उस के बैग से बरामद सामान अलगअलग जगहों से चोरी किया गया था. चरस के बारे में उस का कहना था कि नशे के लिए चरस का इस्तेमाल वह खुद करता था.
पूछताछ चल ही रही थी कि तभी थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र की नजर जयमंगल के हाथों पर पड़ी. उस के हाथों पर 2-3 लड़कियों के नाम गुदे हुए थे. एक साथ 2-3 लड़कियों के नाम हाथों पर गुदे देख शिवानंद मिश्र ने इस बारे में जयमंगल से पूछा. उस ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर न सिर्फ थानाप्रभारी बल्कि वहां मौजूद सभी पुलिस वाले आश्चर्यचकित रह गए.
जयमंगल ने बताया कि उस के हाथ पर ही नहीं, बल्कि शरीर के विभिन्न हिस्सों पर उस ने पच्चीसों लड़कियों के नाम गोदवाए हुए हैं. जयमंगल की टीशर्ट को पेट के ऊपर तक उठा कर देखा गया तो उस के सीने और पीठ पर दर्जनों लड़कियों के नाम गुदे मिले. दोनों हाथ, छाती और पीठ पर जिन लड़कियों के नाम गुदे थे, वे सब जयमंगल की प्रेमिकाएं थीं. पूछताछ में पता चला कि जयमंगल को नईनई लड़कियों से देस्ती करने का शौक था. वह उन से दोस्ती ही नहीं करता था, बल्कि उन से जिस्मानी संबंध भी बनाता था.
आर्थिक रूप से कमजोर घर की लड़कियों से जानपहचान बढ़ा कर उन से दोस्ती करना उस का शगल था. इस के लिए वह उन्हें उन की पसंद और जरूरत के मुताबिक तोहफे देता था. इतना ही नहीं, जिन लड़कियों से वह दोस्ती करता था, गाहेबगाहे उन के परिवार वालों की भी आर्थिक मदद कर के परिवार वालों की नजरों में शरीफजादा बन जाता था. इसी वजह से परिवार वाले जयमंगल के साथ अपनी लड़की के घूमनेफिरने पर ज्यादा बंदिशें नहीं लगाते थे.
लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए शुरूशुरू में जयमंगल उन का नाम अपने बदन पर गुदवा लेता था. लेकिन जब समय के साथ प्रेमिकाओं की संख्या बढ़ने लगी तो बदन में लड़कियों का नाम गुदवाना उस का शौक बन गया. पुलिस के समक्ष जयमंगल ने खुलासा किया कि अब तक वह 27 प्रेमिकाओं के नाम अपने बदन पर गुदवा चुका है.
जिन लड़कियों को किसी कारणवश वह छोड़ देता था या फिर लड़की ही उस से किनारा कर लेती थी, उस लड़की का नाम वह अपने बदन से मिटा देता था. नाम मिटाने के लिए वह उसे ब्लेड से खुरचने के साथसाथ कई बार गुदे हुए नाम को जला देता था. जयमंगल के हाथों में 3-4 जगहों पर जले के निशान भी दिखाई दिए, जिस के बारे में उस ने पुलिस को बताया कि जली हुई जगह पर उस की जिन प्रेमिकाओं के नाम गुदे थे, अब उन से उस का कोई रिश्ता नहीं रहा. इसलिए उस ने उन के नाम भी अपने बदन से मिटा दिए.
पुलिस की माने तो जयमंगल अब तक 30 से अधिक लड़कियों को अपनी प्रेमिका बना चुका था. जिन में से 2 दर्जन से अधिक प्रेमिकाओं के नाम उस ने अपने बदन पर भी गुदवाए थे. अपनी प्रेमिकाओं में से ही एक गुडि़या से उस ने 3 साल पहले एक मंदिर में शादी कर ली थी. फिलहाल वह उसी के साथ रह रहा था.
पूछताछ के दौरान चौंकाने वाली एक बात यह भी पता चली कि जयमंगल एक रईस खानदान का लड़का था. किशोरावस्था में उस के कदम बहक गए और ज्यादा से ज्यादा लड़कियों से दोस्ती करने की आदत ने उसे चोरी करने पर मजबूर कर दिया.
पुलिस की मानें तो बनारस के शिवपुरवा नगर निगम इलाके में जयमंगल का बहुत बड़ा पुश्तैनी मकान था, इस मकान के अलावा भी शहर के कई इलाकों में उस परिवार के कई मकान थे जिन्हें उन लोगों ने किराए पर उठा रखे थे. लेकिन जयमंगल की गलत हरकतों की वजह से परिवार वाले पिछले 5-6 सालों से उसे पैसा नहीं देते थे. जयमंगल खुद भी परिवार वालों से किसी तरह की आर्थिक मदद लेने के बजाय चोरी कर के अपनी जरूरतें और शौक पूरा करने का आदी हो चुका था.
जयमंगल ने पुलिस को यह भी बताया कि वह चोरी की ज्यादातर घटनाओं को खुद ही अंजाम दिया करता था. हां, कभीकभार वह किसी जरूरतमंद दोस्त को चोरी में जरूर शामिल कर लेता था, ताकि उस की मदद हो सके. चोरी के लिए कई बार वह होटलों में भी ठहरता था. फरजी आईडी उस ने इसीलिए बनवा रखी थी.
पुलिस ने जयमंगल के पास से जो 10 मोबाइल सेट बरामद किए थे, उन में से 2 मोबाइलों की चोरी की रिपोर्ट सिगरा थाने में पहले से ही दर्ज थी. थाने में दर्ज मोबाइल चोरी की रिपोर्ट के अनुसार चोरी का माल उस के पास से बरामद हो गया था.
पुलिस ने जयमंगल के विरुद्ध भादंवि की धारा 419, 420, 468, 467, 471, 41, 411, 414 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया. इस के अलावा उस के पास से बरामद 1 किलो 100 ग्राम चरस के लिए एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/18/20 के अंतर्गत अलग से मुकदमा दर्ज किया गया. जयमंगल के साथी गुडलक के पास से भी 240 ग्राम चरस बरामद हुई थी, इसलिए उस के खिलाफ भी एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/18/20 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया.
जयमंगल और गुडलक की गिरफ्तारी 17 जुलाई, 2014 को हुई थी. अगले दिन 18 जुलाई को दोनों को बनारस के नगर पुलिस अधीक्षक सुधाकर यादव ने एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर दोनों आरोपियों को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया.
जयमंगल ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उस ने जो भी चोरियां की थी, वे अपनी माशूकाओं को गिफ्ट देने और उन्हें खुश करने के लिए की थीं. इस के पहले भी वह 3-4 बार जेल जा चुका था और जब भी बाहर आता था, अपने पुराने धंधे में लग जाता था. पुलिस ने दोनों को वाराणसी के जिला न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
रीवा जिले में मनगांव थाने की पुलिस ने एक युवक की पेड़ से लटकी लाश को फंदे से नीचे उतार लिया था. उस के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस के पास से मोबाइल फोन और आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड से उस की पहचान कैलाश यादव के रूप में हुई. वह खुरहा, रघुराजगढ़ गांव का रहने वाला था. टीआई जे.पी. पटेल ने युवक के घर वालों को खबर दे कर मौके पर बुलाया. करीब घंटे भर बाद उस के घर वाले आए. उन में उस की पत्नी भी थी.
पति की लाश देखते ही पिंकू यादव रोते हुए अचानक चिल्लाने लगी, ‘‘हाय! आखिर मार डाला हरामजादी मालती ने. पहले रेप में फंसाया और अब मरवा दिया कुतिया कमीनी ने मेरे पति को. कोई पकड़ लाओ उस हरामजादी को, ऐसे ही पेड़ से लटका दूंगी.’’ कहतेकहते वह अर्धमूर्छित हो गई. उस की हालत विक्षिप्तों जैसी हो गई थी.
प्रेमिका पर लगाया आरोप
मौके पर मौजूद एक सिपाही ने उस के चेहरे पर पानी का छींटे मारे. कुछ सेकेंड बाद उस की आंखें खुलीं, तब पीने के लिए पानी की बोतल उस के सामने कर दिया. वह 2 घूंट पानी पी कर फिर पहले की तरह मालती नाम ले ले कर गालियां देने लगी. पति की मौत का जिम्मेदार वह उसे ठहरा रही थी. गुस्से में आ कर वह लाश के चारों ओर घूमने लगी. हाथ में कभी पास पड़ा डंडा तो कभी ईंटपत्थर उठा लेती. तब तक वहां कुछ और लागों की भीड़ जमा हो गई थी.
भीड़ को देख कर वह और भी विक्षिप्त हो गई थी. कभी रोने लगती तो कभी गुस्से में बड़बड़ाने लगती. उस की इस हालत को देख कर पुलिसकर्मियों के सामने मुश्किलें आ रही थीं कि कैसे मृत युवक के संबंध में जरूरी जानकारियां जुटाए?
पत्नी के साथसाथ उस के सभी घर वालों ने एक सुर में कैलाश यादव की हत्या का आरोप लगाया, जबकि वह जबलपुर प्रयागराज नेशनल हाइवे 30 के किनारे सुबह साढ़े 6 बजे फांसी के फंदे से झूलता पाया गया था. हैंगिंग डैडबौडी देखने से तो यही लग रहा था कि उस ने सुसाइड की है1
इस घटना के अगले दिन 21 फरवरी को उस की कोर्ट में पेशी होनी थी. उस पर बलात्कार का आरोप लगा हुआ था, जो उसी के मोहल्ले की रहने वाली मालती नाम की युवती द्वारा लगाया गया था. कैलाश की पत्नी पिंकू यादव द्वारा बारबार चीख कर कहना कि उस के पति को मालती ने ही मरवाया है, एक संदेह पैदा करने जैसा था. पत्नी ने यह भी आरोप लगाते हुए सवाल किया कि जबलपुर के होटल में काम करने वाले कैलाश को कोर्ट में पेशी के लिए 21 फरवरी, 2023 को जबलपुर से रीवा आना था तो वह एक दिन पहले कैसे आ गया?
इस सवाल पर उपस्थित भीड़ भी बौखला गई और कुछ लोगों ने परिजनों के साथ मिल कर कैलाश की लाश को हाईवे पर रख कर वाहनों की जाम लगा दिया. इस सूचना को पा कर रीवा के एसपी नवनीत भसीन के आदेश पर पुलिस के दूसरे अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भीड़ को हटाया और लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
रूपजाल में फंसाया मालती ने
जांच अधिकारी जे.पी. पटेल कैलाश की पत्नी को पूछताछ के लिए थाने ले आए. उस से मालती के बारे में पूछताछ की गई, जिस पर वह कैलाश को मरवाने का आरोप लगा रही थी. पत्नी ने दोटूक जवाब दिया कि मालती ने पहले कैलाश को अपने रूपजाल में फंसाया, फिर उसे बलात्कार के केस में फंसाने की धमकी दी. समझौते के लिए 15 लाख रुपए मांगने लगी. पैसा नहीं देने के चलते उस ने बलात्कार के केस में उसे फंसा ही दिया.
कैलाश की पत्नी के बयान से पुलिस को इतना तो पता चल ही गया था कि मृतक एक अय्याश किस्म का युवक रहा होगा. इस कारण ही वह मालती के जाल में फंस गया होगा. मालती की इस में कितनी और कैसी भूमिका थी, इस की जांचपड़ताल के लिए रीवा पुलिस ने रीवा के तरहटी मोहल्ले की रहने वाली मालती को हिरासत में ले लिया. साथ ही पुलिस कैलाश के अपराधों के बारे में जानकारी लेने के अलावा उस के मालती के संबंध के बारे में पता लगाने में जुट गई.
इस के लिए दोनों के मोबाइल फोन नंबरों की डिटेल्स निकलवाई गई. उस से पता चला कि कैलाश के जेल से बाहर आने के बाद उसे हमेशा मालती ही फोन करती रही. यहां तक कि जिस रोज कैलाश साईं मंदिर के पास फांसी पर लटका मिला था, उस रोज कुछ समय पहले मालती ने ही उसे फोन किया था. इस का पता कैलाश के मोबाइल में आई आखिरी काल के नंबर से भी चल गया था.
यही नहीं, 19 फरवरी, 2023 को भी मालती ने कैलाश को फोन किया था. उस वक्त दोनों के फोन की लोकेशन रीवा रेलवे स्टेशन की पाई गई. पुलिस के सामने बड़ा सवाल था कि मालती ने जिस कैलाश को बलात्कार के आरोप में जेल भिजवाया था, उसे बारबार क्यों फोन कर रही थी? उस ने 19 फरवरी को क्यों फोन किया होगा? आखिर मालती चाहती क्या थी?
जांच अधिकारी ने हिरासत में मालती के साथ पूछताछ में सख्ती बरती. महिला पुलिस ने उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हुए उल्टा केस बनाने और कड़ी जेल भेजने की धमकी दी. जेल में महिला कैदियों के साथ होने वाले दुव्र्यवहार और शोषण की तमाम बातें उसे बताईं. मालती पुलिस की सख्ती के आगे ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई. सब से पहले तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के कैलाश के साथ अवैध संबंध थे. कई बार वह जबलपुर से रीवा आ कर उस के घर पर ही ठहरता था. रातें रंगीन करता था. यहां तक कि अपनी पत्नी और बच्चों से मिले बिना वापस जबलपुर लौट जाता था. इस के बदले में कैलाश उसे पैसे देता था. अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा उस के साथ मौजमस्ती पर खर्च कर देता था.
ब्लैकमेलिंग पर उतर आई प्रेमिका
मालती ने यह भी स्वीकार किया कि उस ने कैलाश के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज कराया है. उसे वापस लेने के लिए उस से 15 लाख रुपए मांगे थे. इतनी बड़ी रकम देने से कैलाश ने इनकार कर दिया था. फिर मालती ने 5 लाख रुपए मांगे थे. 21 फरवरी को इसी केस में उस की कोर्ट में पेशी थी. इसी सिलसिले में मालती उसे 19 फरवरी को रीवा स्टेशन से सीधे अपने घर ले गई थी और उस पर दया करते हुए 5 लाख के बजाय 3 लाख रुपए की मांग रख दी थी. कैलाश ने यह रकम भी देने में अपनी मजबूरी बताई.
यहां तक कि मालती भी उस की मजबूरी पर थोड़ा और नरम हो गई. मालती ने पुलिस को बताया कि आखिर मांग उस ने डेढ़ लाख रुपए की रखी और कोर्ट में इस रकम पर समझौता कर अपना केस वापस लेने का वादा किया था. उस वक्त कैलाश कुछ कहे बगैर मालती के यहां से चला गया. वह कहां गया, इस बारे में वह पुलिस को कोई जानकारी नहीं दे पाई.
मालती के इस बयान पर टीआई जे.पी. पटेल ने यह निष्कर्ष निकाला कि कैलाश को मालती ने ब्लैकमेल किया है. पैसे के फायदे के लिए उस से संबंध कायम किए और उस के बदले में उस से पैसे वसूले और अब मोटी रकम वसूलने के चक्कर में लगी हुई थी. शायद इसी मानसिक उत्पीडऩ के चलते उस ने आत्महत्या कर ली होगी. इस आधार पर पुलिस ने उस के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. मालती और कैलाश यादव के अवैध संबंध और मौत की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—
अस्पताल में हुई थी मुलाकात
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मनगंवा थाना सीमा से बसे खुरहा रघुराजगढ़ गांव के रहने वाले कैलाश यादव के परिवार में कुल 5 लोग थे, पत्नी, 2 बच्चों के अलावा उस की बूढ़ी मां. वह परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला अकेला सदस्य था. अपने परिवार को मां के पास छोड़ कर जबलपुर के एक होटल में नौकरी करता था.
बात 2 साल पहले कोरोना काल के ठीक पहले ही है. अपने बीमार भतीजे को देखने के लिए वह रीवां के संजय गांधी अस्पताल गया था. उसी दौरान कैलाश की चचेरी बहन के पति के साथ मालती भी अस्पताल में आई हुई थी. कैलाश ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन मालती की तिरछी नजर कैलाश पर जा टिकी थी. उसे कैलाश का बांका शरीर बेहद आकर्षक लगा था. वह उस से मिलने और बात करने को वह व्याकुल हो गई थी. लेकिन अस्पताल का माहौल था, इसलिए उस से बात नहीं कर पाई, लेकिन किसी तरह से उस ने कैलाश का फोन नंबर हासिल कर लिया था.
मालती का अपने पति से तलाक हो चुका था. वह उसी मोहल्ले में अकेली रहती थी, जहां कैलाश का परिवार रहता था. उस के बच्चे भी नहीं थे. रातें करवटें बदलती बीतती थीं. यौन संबंध के लिए तड़पती रहती थी. मर्द की चाहत में कई बार बेचैन हो जाती थी. जब से उस ने कैलाश को देखा था, तब से उस की बेचैनी और बढ़ गई थी. वह उस के ख्यालों में बारबार आ रहा था. वह उस से मिलने को बेचैन हो गई थी. लेकिन कैसे? उसे इतना पता था कि वह जबलपुर जा चुका है.
एक रात उस की याद में करवटें बदलता हुआ मोबाइल पर वीडियो देखने के लिए स्क्रीन स्क्राल कर रही थी. इसी दौरान मोबाइल में कैलाश का सेव नंबर दिख गया. उस ने तुरंत काल कर दिया. यह भी नहीं देखा कि रात के डेढ़ बज रहे हैं.
कैलाश को इस तरह फांसा मालती ने
उधर आधी रात को अनजाना नंबर देख कर कैलाश भौचक रह गया. उस ने काल रिसीव किए बगैर काट दी. कुछ समय बाद फिर वही नंबर स्क्रीन पर आया. उस ने दोबारा कट कर दिया और बाथरूम के लिए चला गया. बाथरूम से लौटने पर उस ने वाट्सऐप पर मैसेज आया देखा. एक लाइन में लिखा था, ‘‘मैं तुम्हारे मोहल्ले की हूं.’’
मैसेज को क्लिक करते ही उसी नंबर से काल आ गई. इस बार कैलाश ने काल रिसीव कर ली. हैलो बोलते ही जवाब सुनने को मिला, ‘‘रांग नंबर मत बोलना…गुस्सा मत होना. मैं तुम्हारे मोहल्ले की मालती बोल रही हूं. जब से तुम्हें देखा है तभी से तुम से जरूरी बात करना चाहती थी, लेकिन तुम जबलपुर चले गए.’’
“मुझे कब देखा?’’ कैलाश ने जिज्ञासा से पूछा.
“अस्पताल में और कहां? तुम्हारी बहन के साथ गई थी, जब तुम अपने भतीजे को देखने आए थे.’’ उधर से मालती मधुरता के साथ बोली. उस की आवाज में गजब की लोच थी, एक आकर्षण था और आमंत्रण भी. कैलाश को फोन पर अपना नाम और परिचय बताने के साथसाथ प्यार करने का जाल भी फेंक दिया. उस ने रीवा आने पर मिलने की इच्छा जताई. उ
स दिन मालती कैलाश से इधरउधर की बातें करती रही और अपनी बातों से मधुरता और अपनत्व का एहसास करवाती रही. कैलाश को भी धीरेधीरे उस से बातें करते हुए अच्छा लगने लगा थी. बातें करतेकरते उस ने महसूस किया कि उस की पत्नी कभी भी इतने प्यार से बात नहीं करती है. जब भी सामने आती है या पास बैठती है, हमेशा पैसे मांगती है. घर की समस्या बताती रहती है.
मालती और कैलाश के बीच फोन पर एक बार बातचीत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह नियमित बन गया. उन के बीच लंबी बातें होने लगीं. इस बीच मालती अश्लील बातें भी करने लगती थी, जिस से उस की सैक्स भावना उभर जाती थी और वह कामुकता से भर जाता था.
एक दिन मालती ने अपनी मीठीमीठी बातों से कैलाश को इस कदर प्रभावित कर दिया कि वह अगले रोज ही जबलपुर से रीवा चला आया. अपने घर जाने के बजाए वह मालती के घर चला गया. वहीं रात गुजारी. मालती ने भी उस के आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. बढिय़ा मनपसंद खाना और शराब के साथ शबाब पा कर कैलाश धन्य हो गया. हफ्ते भर बाद उसे तब होश आया, जब उस की छुट्ïटी खत्म हो चुकी है. जब साथ काम करने वाले ने फोन कर उसे जल्द आने के लिए कहा.
रातें रंगीन होने लगीं कैलाश की
इस तरह से कैलाश मालती का दीवाना बन गया था. उस की आंखों में वासना और प्यार की झलक को देख कर मालती अच्छी तरह समझ गई थी कि वह उस की गिरफ्त में आ चुका है. वह जैसे चाहेगी उसे अपना बना कर रखेगी. हुआ भी ऐसा ही. कैलाश मालती के साथ यौन सुख से जितना संतुष्ट था, उतना ही उसे पाने के लिए बेचैन भी रहने लगा था. बदले में उस पर पैसे खर्च करने में कोई कमी नहीं रहने देना चाहता था. उस की आमदनी बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी जो कमाता था, उस का बड़ा हिस्सा मालती पर लुटा देता था.
यह सिलसिला अपनी गति से चल रहा था. मालती ने मौका देख कर उस से एकमुश्त 15 लाख रुपए की मांग कर दी. इतनी बड़ी राशि सुनते ही कैलाश चकरा गया. उस ने किसी तरह से कहा इतना पैसा तो उस के पास नहीं है. यह बात जुलाई 2022 की है.
मालती को न सुनने की आदत नहीं थी. वह शुरू से ही अपने मन की करती आई थी. कैलाश की न से नाराज हो गई. उस ने दोटूक कह दिया कि चाहे जैसे भी हो, उसे 15 लाख रुपए चाहिए. मजाक में कैलाश ने बोल दिया कि यदि नहीं दिया तो क्या होगा? इस पर बिफरती हुई मालती ने उसे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे डाली. मुकदमे की बात सुन कर कैलाश समझ नहीं पाया कि वह किस तरह मुकदमा करेगी, उस ने जो कुछ किया उस में उस की भी सहमति थी. उस ने मालती की धमकी को गंभीरता से नहीं लिया, जबकि मालती पैसे के मामले में जिद ठान चुकी थी.
मालती 22 अगस्त, 2022 को सीधे रीवा कोतवाली गई. उस ने कैलाश के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवा दिया. यह मामला दर्ज होते ही उस की गिरफ्तारी हो गई. वह 70 दिनों बाद जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आया. जेल से छूटने के बाद अपने काम पर जबलपुर चला गया. इस की जानकारी मालती को लगी, तब वह उस से फोन पर ही पैसा मांगने लगी. मना करने पर धमकियां देने लगी.
प्रेमिका को जाना ही पड़ा जेल
इस बीच उस की रीवा के कोर्ट में पेशी होती रही. वह 10 जनवरी, 2023 को भी पेशी के लिए रीवा आया. उस रोज भी मालती ने कहा कि वह पैसे लिए बगैर उस का पीछा नहीं छोड़ेगी. जबकि वह कैलाश की चचेरी बहन की जानने वाली थी. कैलाश की पत्नी ने अपनी ननद से समझौता करवाने की बात की. समझौता भी हुआ, लेकिन मालती 5 लाख रुपए लेने पर अड़ गई.
दूसरी पेशी 24 जनवरी को होने वाली थी. उस रोज मालती 5 की जगह 3 लाख रुपए ले कर समझौता करने पर राजी हो गई थी. कैलाश ये पैसे देने में भी असमर्थ था. अगली पेशी 21 फरवरी को तय हुई थी. उस सिलसिले में ही कैलाश 19 फरवरी की रात को रीवा आ गया था. उसे मालती ने रेलवे स्टेशन पर ही अपनी गिरफ्त में ले लिया था और धमकी दी थी कि अगर उस ने पैसे नहीं दिए तो वह उसे जेल में सड़वा देगी. यह बात कैलाश को चुभ गई और उस ने पेड़ पर फंदा बना कर आत्महत्या कर ली.
प्यार और आत्महत्या की पूरी कहानी सामने आने के बाद कैलाश की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों को पुलिस ने सही माना. मालती को अत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
जब पुलिस ने दोनों के मोबाइल लोकेशन बंजारी के जंगल में मिलने की बात कही और सख्ती से पूछताछ की तो पुलिस की सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गया और सारी सच्चाई उस ने पुलिस के सामने बयां कर दी. गिरिजा ने बताया कि उस ने पूर्णिमा का मर्डर कर दिया है.
जंगल में मिली पूर्णिमा की लाश
14 अप्रैल, 2023 को गिरिजा शंकर ने पुलिस को बताया कि उस ने पूर्णिमा को गांगुलपरा और बंजारी के बीच जंगल की पहाड़ी में ले जा कर उस की गला घोट कर हत्या कर दी थी. टीआई अमित सिंह कुशवाह, एसआई जयदयाल पटले, रमेश इंगले, हैडकांस्टेबल रमेश उइके, गौरीशंकर को ले कर गांगुलपरा और बंजारी के बीच पहाड़ी जंगल ले कर पहुंची और गिरिजा शंकर की निशानदेही पर पूर्णिमा की लाश बरामद की.
इस दौरान पूर्णिमा बिसेन की हत्या की सूचना मिलते ही लांजी के एसडीपीओ दुर्गेश आर्मो, एसपी (सिटी) अंजुल अयंत मिश्रा, टीआई (भरवेली) रविंद्र कुमार बारिया के अलावा अन्य पुलिसकर्मी और अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांचपड़ताल शुरू की.
पूर्णिमा की लाश अधिक दिनों की होने से काफी खराब हो चुकी थी. मौके की काररवाई करने के बाद पूर्णिमा की लाश जिला अस्पताल लाई गई, जहां पर पूर्णिमा के मातापिता सहित परिवार के अन्य लोगों ने चप्पल और कपड़ों से लाश की पहचान की. उन्होंने बताया कि लाश पूर्णिमा की ही है. रात होने से लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया.
पोस्टमार्टम न हो पाने की वजह से लाश को बालाघाट के जिला अस्पताल के फ्रीजर में रखवा दिया, दूसरे दिन 15 अप्रैल को लाश का पोस्टमार्टम कर लाश को पूर्णिमा के घर वालों के सुपुर्द किया गया गया. जैसे ही पूर्णिमा की लाश गांव पहुंची तो पूरे गांव में मातम छा गया. परिवार के लोगों ने नम आंखों से उस का अंतिम संस्कार कर दिया.
पुलिस ने इस मामले में गिरिजा शंकर पटले के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत अपराध दर्ज किया और इस अपराध में उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरिजा शंकर पटले से पूर्णिमा की हत्या में प्रयुक्त दुपट्ïटा, बाइक और मोबाइल भी बरामद कर लिया.
15 अप्रैल को पुलिस ने गिरिजा शंकर को बालाघाट कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह रिश्तों को तारतार करने वाली थी….
27 साल का गिरिजा शंकर बालाघाट जिले के किरनापुर ब्लौक के गांव मोहगांव खारा में रहने वाले खुमान सिंह पटले का बेटा था. खुमान सिंह की 2 बेटियों में से बड़ी बेटी शारदा की शादी 4 साल पहले लिम्देवाड़ा के पवन बिसेन से हुई थी.
बहन की शादी के बाद से ही गिरिजा शंकर का अपनी बहन की ननद पूर्णिमा के साथ प्रेम संबंध चल रहे थे. गिरिजा शंकर का किरनापुर में फोटो स्टूडियो है. वह शादी विवाह समारोह में फोटोग्राफी और वीडियो शूटिंग का काम करता है. ग्रैजुएट गिरिजा शंकर अपने इस हुनर से अच्छीखासी आमदनी कर लेता है. इसी आमदनी से उस के शौक भी पूरे होते हैं. गिरिजा शंकर पूर्णिमा की भी हर ख्वाहिश पूरी करता था, यही वजह थी कि पूर्णिमा उस के प्यार में दीवानी थी.
भाई के साले गिरिजा शंकर से हुआ प्यार
करीब 4 साल पहले गिरिजा शंकर की बहन शारदा का विवाह पूर्णिमा के भाई से हुआ था. शादी के बाद अपनी बहन को लिवाने जब गिरिजा शंकर अपने दोस्तों के साथ लिमदेवाड़ा गया था, तब परंपरा के अनुसार उन की खूब खातिरदारी हुई थी. पूर्णिमा भी गिरिजा शंकर के साथ बैठ कर खूब हंसीमजाक कर रही थी. पूर्णिमा उस समय 19 साल की नवयौवना थी, जिस का रूपयौवन देख कर गिरिजा शंकर मन ही मन फिदा हो गया था.
बहन शारदा की शादी के बाद उसे ससुराल से लिवाने अकसर गिरिजा शंकर बाइक से जाता था. बहन शारदा का एकलौता भाई होने की वजह से उसे सब पसंद करते थे. बहन की ससुराल में वह पूर्णिमा से हंसीमजाक करता तो रिश्ते के लिहाज से कोई कुछ नहीं कहता था. धीरेधीरे पूर्णिमा और गिरिजा शंकर के बीच हंसीमजाक से शुरू हुआ सिलसिला प्यार में तब्दील हो चुका था. पूर्णिमा का भाई और पिता खेतीबाड़ी में लगे रहते और पूर्णिमा कालेज की पढ़ाई कर रही थी, ऐसे में गिरिजा शंकर कभीकभार पूर्णिमा को कालेज भी छोड़ दिया करता था.
एक दिन कालेज ले जाते वक्त गिरिजा शंकर ने बाइक बंजारी के जंगल में रोक दी तो पूर्णिमा ने पूछा, “यहां घने जंगल में बाइक क्यों रोक दी?”
“कुछ नहीं, आज जंगल में मंगल करने का इरादा है.” गिरिजा शंकर पूर्णिमा के साथ शरारत करते हुए बोला.
“धत, यहां कोई देख लेगा तो घर तक खबर पहुंचने में देर नहीं लगेगी.” पूर्णिमा बोली.
गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा के गले में हाथ डाला और उसे जंगल के घने पेड़ की आड़ में ले जा कर बोला, “मेरी जान, जब प्यार किया तो डरना क्या.”
पूर्णिमा के अंदर सुलग रही आग भी आज चिंगारी बन कर जल उठी थी. उस ने भी अपनी बाहों को गिरिजा शंकर के गले में डालते हुए कहा, “मैं तो तुम्हें जी जान से प्यार करती हूं, तुम्हारी बाहों में मुझे जमाने का डर नहीं.”
“तो फिर मुझे अपनी हसरत पूरी कर लेने दो.” पूर्णिमा के होंठो पर चुंबन देते हुए गिरिजा शंकर ने कहा.
“किस ने रोका है तुम्हें, मैं भी तुम्हारे प्यार में जी भर के डूब जाना चाहती हूं.” पूर्णिमा ने गिरिजा शंकर के माथे को चूमते हुए कहा. धीरेधीरे गिरिजा शंकर के हाथ पूर्णिमा के अंगों पर रेंगने लगे. जंगल के एकांत में पूर्णिमा और गिरिजा शंकर ने अपने देह की आग को शांत किया और कपड़ों को ठीक करते हुए उसे कालेज छोड़ दिया. तन की आग बुझाने का सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो फिर आगे बढ़ता गया. अकसर दोनों को जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी करने लगे.
क्रमशः
उत्तर प्रदेश के जनपद सीतापुर के थाना संदना का एक गांव है हरिहरपुर. रामप्रसाद का परिवार इसी गांव में रहता था. खेती किसानी करने वाले रामप्रसाद के परिवार में पत्नी सोमवती के अलावा 2 बेटियां और 2 बेटे थे. उन में संगीता सब से बड़ी थी. सांवले रंग की संगीता का कद थोड़ा लंबा था. संगीता जवान हुई तो रामप्रसाद ने उस की शादी अपने ही इलाके के गांव रसूलपुर निवासी मुन्नीलाल के बेटे परमेश्वर के साथ कर दी. यह 6 साल पहले की बात थी.
परमेश्वर के पास 7 बीघा जमीन थी, जिस पर वह खेतीबाड़ी करता था. समय के साथ संगीता 3 बच्चों रजनी, मंजू और रजनीश की मां बनी. शादी के कुछ दिनों बाद ही परमेश्वर अपने घर वालों से अलग रहने लगा, इसलिए पत्नी और बच्चों के भरणपोषण और खेतीबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी. परमेश्वर खेतों पर जी तोड़ मेहनत करता तो संगीता बच्चों और घर की जिम्मेदारी संभालती. घरगृहस्थी के चक्रव्यूह में फंस कर परमेश्वर यह भी भूल गया कि उस की पत्नी अभी जवान है और उस की कुछ भी हैं.
यह मानव स्वभाव में है कि जब उस की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं होतीं तो उस में चिड़चिड़ापन आ जाता है. ऐसा ही कुछ संगीता के साथ भी था. वह परमेश्वर से अपने मन की चाह के बारे में भले ही खुल कर बता नहीं पाती थी, लेकिन चिड़चिड़ेपन की वजह से लड़ जरूर लेती थी. इस तरह दोनों के बीच कहासुनी होना आम बात हो गई थी.
गांव में ही बाबूराम का भी परिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी, 2 बेटियां और 4 बेटे थे. इन में छोटू को छोड़ कर बाकी सभी भाईबहनों की शादियां हो चुकी थीं.19 वर्षीय छोटू वैवाहिक समारोहों में स्टेज बनाने का काम करता था. जब काम न होता तो वह गांव में खाली घूमता रहता था. छोटू परमेश्वर को बड़े भाई की तरह मानता था, इसलिए उस का काफी सम्मान करता था.
एक दिन परमेश्वर खेत पर काम कर रहा था तो छोटू वहां पहुंच गया. उसे वहां आया देख परमेश्वर ने उसे अपने घर से खाना लाने भेज दिया. छोटू परमेश्वर के घर पहुंचा तो वहां उस की मुलाकात संगीता से हुई. संगीता उसे नहीं जानती थी. उस ने अपने बारे में बता कर संगीता से खाने का टिफिन लगा कर देने को कहा तो संगीता टिफिन में खाना लगाने लगी.
छोटू जवान हो चुका था. इस मुकाम पर महिलाओं के प्रति आकर्षण स्वाभाविक होता है. वह चोर निगाहों से संगीता के यौवन का जायजा लेने लगा. छोटू कुंवारा था, इसलिए नारी तन उस के लिए कौतूहल का विषय था. संगीता के यौवन को देख कर छोटू के तन में कामवासना की आग जलने लगी. वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर संगीता का खूबसूरत बदन उस की बांहों में आ जाए तो मजा आ जाए.
संगीता का भी यही हाल था. उसे परमेश्वर से वह सब कुछ हासिल नहीं हो रहा था, जिस की उसे चाह थी. छोटू के बारे में ही सोचतेसोचते उस ने टिफिन में खाना लगा कर उसे थमा दिया. जब छोटू खाना ले कर जाने लगा तो संगीता भी ठीक वैसा ही सोचने लगी, जैसा थोड़ी देर पहले छोटू सोच रहा था. छोटू शारीरिक रूप से हट्टाकट्टा नौजवान ही नहीं था, बल्कि कुंवारा भी था. पहली ही नजर में वह संगीता को भा गया था.
दूसरी ओर छोटू का भी वही हाल था. वह दूसरे दिन का इंतजार करने लगा. परमेश्वर ने जब दूसरे दिन भी उस से खाना लाने को कहा तो वह तुरंत परमेश्वर के घर के लिए रवाना हो गया. वह उस के घर पहुंचा तो संगीता घर के बाहर ही बैठी थी. छोटू को देखते ही संगीता खुश हो गई. वह उसे प्यार से अंदर ले गई. जवान छोटू उसे एकटक निहार रहा था.
छोटू को अपनी ओर एकटक देखते पा कर संगीता ने उस का ध्यान भंग करते हुए कहा, ‘‘ऐसे एकटक क्या देख रहे हो, कभी जवान औरत को नहीं देखा क्या?’’
छोटू तपाक से बोला, ‘‘देखा तो है, पर तुम्हारी जैसी नहीं देखी.’’
संगीता शरमाने का नाटक करती हुई अंदर चली गई और वहीं से उस ने छोटू को आवाज लगाई, ‘‘अंदर आ जाओ, आज खाना लगाने में थोड़ी देर लगेगी.’’
उस के आदेश का पालन करते हुए छोटू अंदर आ गया. दोनों बैठ कर बातें करते हुए एकदूसरे के प्रति आकर्षित होते रहे. अब यही रोज का क्रम बन गया. स्त्रीपुरुष एकदूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं तो मतलब की बातों का सिलसिला खुदबखुद जुड़ जाता है. मौका देख एक दिन छोटू ने संगीता की दुखती रग को छेड़ दिया, ‘‘भाभी, तुम खुश नहीं लग रही हो. लगता है, भैया तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखते?’’
‘‘खुश होने की वजह भी तो होनी चाहिए. तुम्हारे भैया तो सिर्फ खेतों के हो कर रह गए हैं, घर में जवान बीवी है, इस की उन्हें कोई परवाह ही नहीं है.’’
‘‘भैया से इस बारे में बात करतीं तो तुम्हारी समस्या जरूर दूर हो जाती.’’
‘‘मैं ने कई बार उन्हें इस बात का अहसास दिलाया, लेकिन वह अपनी इस जिम्मेदारी को समझने को तैयार ही नहीं हैं. उन्हें पूरे घर की जिम्मेदारी तो दिखती है, लेकिन मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती.’’ संगीता ने बड़े ही निराश भाव से कहा. मौका देख कर छोटू ने अपने मन की बात उस के सामने रख दी, ‘‘भाभी, निराश मत हों. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें वह खुशियां दे सकता हूं, जो परमेश्वर भैया नहीं दे पा रहे हैं.’’
अपनी बात कह कर छोटू ने संगीता को चाहत भरी नजरों से देखा तो संगीता ने भी उस की आंखों में आंखें डाल दीं. उस की आंखों में जो जुनून था, वह उस की सुलगती कामनाओं को ठंडा करने के लिए काफी था. संगीता ने उस के हाथों में अपना हाथ दे दिया. छोटू उस की सहमति पा कर खुशी से झूम उठा. इस के बाद संगीता ने अपने तन की आग में सारी मर्यादाओं को जला कर राख कर दिया.
एक बार दोनों ने अपने नाजायज रिश्ते की इबारत लिखी तो वह बारबार दोहराई जाने लगी. इसी के साथ उन के रिश्ते में गहराई भी आती गई. रसूलपुर में ही प्रमोद नाम का एक युवक रहता था. उस के पिता हरनाम भी खेतीकिसानी करते थे. 23 वर्षीय प्रमोद अविवाहित था. वह भी परमेश्वर की पत्नी संगीता पर फिदा था और उसे अपने जाल में फांसने का प्रयास करता रहता था.
एक दिन मौका देख कर उस ने संगीता से अपने दिल की बात कह दी. लेकिन संगीता ने उस से संबंध बनाने से साफ इनकार कर दिया. प्रमोद इस से निराश नहीं हुआ. उस ने अपनी तरफ से कोशिश जारी रखी. इसी बीच उसे संगीता के छोटू से बने नाजायज संबंधों के बारे में पता चल गया. प्रमोद को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई कि संगीता उस के अलावा किसी और से संबंध रखे. उस ने परमेश्वर के सामने उन दोनों के नाजायज रिश्ते की पोल खोल दी. परमेश्वर को उस की बात पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन मन में शक जरूर पैदा हो गया.
अगले ही दिन परमेश्वर रोज की तरह छोटू से खाना लाने को कहा. छोटू खाना लाने चला गया तो परमेश्वर भी छिपतेछिपाते उस के पीछे घर की तरफ चल दिया. छोटू घर में जा कर संगीता के साथ रंगरलियां मनाने लगा. चूंकि दोपहर का समय था और किसी के आने का अंदेशा नहीं था, इसलिए दोनों बिना दरवाजा बंद किए ही एकदूसरे से गुंथ गए.
अभी कुछ पल ही बीते थे कि किसी ने भड़ाक से दरवाजा खोल दिया. अचानक दोनों ने घबरा कर दरवाजे की तरफ देखा तो सामने परमेश्वर खड़ा था. उस की आंखों से चिंगारियां फूट रही थीं. उस ने पास पड़ा डंडा उठाया तो छोटू वहां से भागा. लेकिन भागते समय परमेश्वर का डंडा उस की कमर पर पड़ गया. दर्द की एक तेज लहर उस के बदन में दौड़ गई, लेकिन वह रुका नहीं.
उस के जाने के बाद परमेश्वर ने संगीता की जम कर पिटाई की. संगीता ने परमेश्वर से किए की माफी मांग ली और आगे से कभी दोबारा ऐसा कदम न उठाने की कसम खाई. लेकिन एक बार विश्वास की दीवार में दरार आ जाए तो उसे किसी भी तरह भरा नहीं जा सकता.
ऐसे में परमेश्वर भला संगीता पर कैसे विश्वास करता? छोटू ने उस के परिवार की इज्जत से खेलने की जो हिमाकत की थी, उसे वह बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. इस आग में घी डालने का काम किया प्रमोद ने. वह परमेश्वर को छोटू से बदला लेने के लिए उकसाने लगा.
दरअसल प्रमोद यह सब सोचीसमझी साजिश के तहत कर रहा था. उस ने सोचा था कि परमेश्वर छोटू की हत्या कर देगा तो वह छोटू के परिजनों से मिल कर परमेश्वर को जेल भिजवा देगा. इस से छोटू और परमेश्वर नाम के दोनों कांटे उस के रास्ते से हट जाएंगे. फिर संगीता को पाने से उसे कोई नहीं रोक पाएगा.
आखिर प्रमोद ने परमेश्वर को छोटू को मार कर बदला लेने के लिए मना ही लिया. परमेश्वर के कहने पर इस साजिश में वह भी शामिल हो गया. परमेश्वर के कहने पर संगीता को भी इस साजिश में शामिल होना पड़ा. क्योंकि इस के अलावा उस के सामने कोई चारा नहीं था.
24 मार्च की रात परमेश्वर ने संगीता से कह कर छोटू को अपने घर बुलाया. परमेश्वर और प्रमोद घर में ही छिप कर बैठे थे. छोटू घर आया तो संगीता उस के पास बैठ कर मीठीमीठी बातें करने लगी. देर रात होने पर परमेश्वर और प्रमोद चुपचाप बाहर निकले और पीछे से छोटू के गले में अंगौछे का फंदा बना कर डाल कर पूरी ताकत से कसने लगे.
छोटू छूटने के लिए छटपटाने लगा. इस से वह जमीन पर गिर पड़ा. छोटू के जमीन पर गिरते ही संगीता ने उस के पैर कस कर पकड़ लिए तो परमेश्वर व प्रमोद ने पूरी ताकत से अंगौछे से छोटू का गला कस दिया. कुछ ही देर में उस का शरीर शांत हो गया. उस की मौत हो गई.
प्रमोद ने छोटू की जेब से उस का मोबाइल निकाल लिया. इस के बाद परमेश्वर और प्रमोद लाश को एक बोरी में भर कर पास के गांव मेदपुर में मुन्ना सिंह के खेत में ले जा कर डाल आए. बोरी को उन्होंने सरकंडे और घासफूस से ढक दिया था. दूसरे दिन छोटू दिखाई नहीं दिया तो घर वालों ने उस की तलाश शुरू की. लेकिन जब काफी कोशिशों के बाद भी उस का कुछ पता नहीं चला तो 26 मार्च, 2014 को उस के पिता बाबूराम ने थाना संदना में उस की गुमशुदगी लिखा दी.
28 मार्च को मेदपुर में गांव के कुछ लोगों ने मुन्ना सिंह के खेत में एक लाश पड़ी देखी तो यह खबर आसपास के गांवों तक फैल गई. बाबूराम को पता चला तो वह भी अपने घर वालों के साथ वहां पहुंच गया. वहां पड़ी लाश देख कर बिलखबिलख कर रोने लगे. लोगों द्वारा सांत्वना देने के बाद सभी किसी तरह शांत हुए तो लाश की सूचना थाना संदना पुलिस को दी गई.
सूचना पा कर थानाप्रभारी राजकुमार सरोज पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. मृतक छोटू के गले में अगौंछा पड़ा हुआ था. गले में उस के कसे जाने के निशान भी मौजूद थे. इस से यही लगा कि उसी अंगौछे से उस की गला घोंट कर हत्या की गई थी. प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय सीतापुर भिजवा दिया.
थाने लौट कर थानाप्रभारी राजकुमार सरोज ने बाबूराम की लिखित तहरीर पर परमेश्वर और संगीता के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. दूसरी ओर इस की भनक लगते ही पकड़े जाने के डर से परमेश्वर संगीता के साथ फरार हो गया.
30 मार्च की सुबह 8 बजे थानाप्रभारी राजकुमार सरोज ने एक मुखबिर की सूचना पर संदना-मिसरिख रोड पर भरौना पुलिया के पास से परमेश्वर और संगीता को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब पूछताछ की गई तो दोनों ने छोटू की हत्या की पूरी कहानी बयां कर दी.
31 मार्च को सुबह साढ़े 7 बजे पुलिस ने प्रमोद को भी गोपालपुर चौराहे से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया.
दरअसल, प्रमोद छोटू की हत्या करवाने के बाद छोटू के घर वालों से जा कर मिल गया था. उसी ने ही उन्हें बताया था कि छोटू और संगीता के नाजायज संबंध थे, जिस के बारे में परमेश्वर को पता चल गया था. इसी वजह से परमेश्वर ने संगीता के साथ मिल कर छोटू की हत्या की थी. प्रमोद ही लाश मिलने की जगह भी बाबूराम को ले गया था. बाबूराम ने उसी की बातों के आधार पर परमेश्वर और संगीता के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी. इतनी चालाकी के बावजूद भी प्रमोद खुद को कानून के शिकंजे से नहीं बचा सका और पकड़ा गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
5 अप्रैल, 2023 को दोपहर करीब 12 बजे की बात है. पूर्णिमा बिसेन अपनी मां से बोली, “मम्मी मैं सिलाईकढ़ाई सीखने जा रही हूं.”
“बेटा, तेरी लग्न हो गई है. ये सिलाईकढ़ाई सीखना बंद कर दे,” पूर्णिमा की मां ने उसे रोकते हुए कहा.
“नहीं मम्मी, अभी शादी तो 22 तारीख को है, जब तक कुछ और सीख लेने दो. फिर तो घरगृहस्थी से फुरसत कहां मिलेगी,” पूर्णिमा ने जिद करते हुए कहा.
“ठीक है बेटा, जैसी तेरी मरजी, मगर शाम ढलने से पहले घर आ जाना.” मां ने समझाते हुए कहा.
प्रेमी से मिलने पहुंच गई पूर्णिमा बिसेन
“मां आज साइकिल में हवा कम है, इसलिए पैदल ही जा रही हूं.” पूर्णिमा ने दुपट्ïटा सिर पर बांधते हुए कहा.
“बापू के आने के पहले ही घर वापस आ जाना, वरना मुझे उलाहना देंगे.” मां ने सीख देते हुए कहा.
मां की हरी झंडी मिलते ही पूर्णिमा अपने घर से पास ही के गांव डूंडा सिवनी चली गई, किंतु शाम तक घर नहीं लौटी. पूर्णिमा के समय पर घर वापस न आने से मां के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. पूर्णिमा के पिता धनराज और भाई बाइक ले कर अपने रिश्तेदारों को पूर्णिमा की शादी का आमंत्रण दे रहे थे. शाम को जब वे घर लौटे तो पूर्णिमा की मां बोली, “पूर्णिमा अभी तक सिलाई सीख कर घर वापस नहीं आई है.”
“आखिर अब सिलाई सीखने की क्या जरूरत है, विवाह तो होने वाला है.” दिन भर निमंत्रण कार्ड बांट कर थकेहारे लौटे धनराज बोले. धनराज मुंहहाथ धो कर खाना खाने की तैयारी में थे. पूर्णिमा के घर न लौटने की बात सुन कर वे अपने बेटे से बोले, “बेटा, जरा पूर्णिमा को फोन लगा कर पूछ, घर आने में देर क्यों हो गई?”
धनराज के बेटे ने पूर्णिमा को फोन लगाया तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ बता रहा था. जब उस ने पिता को यह जानकारी दी तो उन की चिंता बढ़ गई. अनमने ढंग से जल्द ही भोजन खत्म कर के उठे धनराज ने आसपास के गांव में रिश्तेदारी के अलावा पूर्णिमा के जानपहचान वालों के घर फोन लगा कर पूछताछ की, परंतु पूर्णिमा का कोई पता नहीं चला.
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के हट्ïटा थाना इलाके में एक छोटा सा गांव लिम्देवाड़ा है, जिस की आबादी बमुश्किल एक हजार होगी. खेतीकिसानी वाले इस गांव में 55 साल के धनराज बिसेन खेतीबाड़ी करते हैं. धनराज का एक बेटा और पूर्णिमा नाम की एक बेटी है.
धनराज बिसेन खुद तो ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं हैं, परंतु अपनी बेटी को पढ़ा कर उसे काबिल बनाना चाहते थे. यही वजह थी कि गांव की 23 साल की लडक़ी पूर्णिमा एमएससी फाइनल की पढ़ाई बालाघाट कालेज से कर रही थी. हाल ही में उस ने परीक्षा दी थी. परीक्षा खत्म होते ही वह पास के गांव डूंडा सिवनी में सिलाईकढ़ाई सीख रही थी. पूर्णिमा की पढ़ाई के अलावा सिलाईकढ़ाई में भी रुचि को देखते हुए घर वालों ने उसे सिलाईकढ़ाई सीखने के लिए हंसीखुशी इजाजत दी थी.
शादी से पहले पूर्णिमा हो गई गायब
इस साल कालेज की पढ़ाई खत्म होने वाली थी, यही सोच कर धनराज बिसेन ने अपनी बेटी पूर्णिमा का विवाह ग्राम सारद में तय कर दिया था और 22 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन पूर्णिमा की शादी होने वाली थी. शादी को ले कर पूरे घरपरिवार में उत्साह और उमंग का माहौल था, मगर पूर्णिमा के घर से गायब होते ही शादी का जश्न मातम में बदल गया था.
धनराज के परिवार को बदनामी भी झेलनी पड़ रही थी. लोग दबी जुबान से यह भी कह रहे थे कि प्यारमोहब्बत के चक्कर में किसी के साथ भाग गई होगी. मामला जवान बेटी के शादी के ऐन वक्त घर से गायब होने का था, लिहाजा गांव के बड़ेबुजुर्गों की सलाह पर धनराज ने दूसरे दिन 6 अप्रैल को हट्ïटा थाने में जा कर पूर्णिमा की गुमशुदगी दर्ज करा दी. टीआई अमित कुमार कुशवाहा ने पूर्णिमा की फोटो और जानकारी ले कर धनराज को भरोसा दिया कि जल्द ही पूर्णिमा को खोज निकालेंगे.
पूर्णिमा के गुम होने की खबर उस के होने वाले पति के घर वालों तक पहुंच चुकी थी. वहां भी शादी की तैयारियां चल रही थीं. पूर्णिमा का मंगेतर रातदिन उस के ख्वाबों में डूबा उस दिन का इंतजार कर रहा था कि कब उस की डोली घर आए और वह पूर्णिमा के साथ सुहागरात मनाए. मगर पूर्णिमा के गायब होने की खबर से मंगेतर ने यह सोच कर राहत की सांस ली कि अच्छा हुआ कि वह शादी के पहले भाग गई, बाद में कुछ ऊंचनीच होती तो गांव में उस की बदनामी ही होती.
पूर्णिमा कर रही थी एमएससी की पढ़ाई
पूर्णिमा कालेज से अपनी एमएससी की पढ़ाई कर ही रही थी, वह साइकिल से गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने भी जाती थी. अपने गांव से 3-4 किलोमीटर दूर डूंडा सिवनी सिलाई क्लास भी साइकिल से ही जाती थी, लेकिन 5 अप्रैल को वह साइकिल के बजाय पैदल ही घर से चेहरे पर दुपट्ïटा बांध कर निकली थी, जिसे गांव के कुछ नवयुवकों ने गांव से जाते हुए देखा था.
पुलिस पूछताछ में एक नवयुवक ने बताया कि उस दिन भी दोपहर के समय एक युवक बाइक से उस के पास पहुंचा, जिस के साथ बैठ कर वह चली गई. जैसेजैसे दिन गुजर रहे थे, पूर्णिमा के घर वालों की चिंता बढ़ती जा रही थी. पुलिस भी पूर्णिमा की खोज में जुटी हुई थी. पुलिस को शक था कि कहीं प्रेम प्रसंग के चक्कर में पूर्णिमा घर से भागी होगी.
जांच के दौरान पुलिस का यह संदेह सच साबित भी हुआ. जांच में पता चला कि पूर्णिमा का प्रेम संबंध पिछले कुछ सालों से उस की भाभी के भाई गिरिजा शंकर पटले के साथ चल रहा था. गिरिजा शंकर भरवेली थाना क्षेत्र के मोहगांव खारा का रहने वाला था. घर के आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ में पुलिस को यह भी पता चला कि घटना वाले दिन पूर्णिमा गिरिजा शंकर के साथ अंतिम बार देखी गई थी.
पुलिस टीम ने साइबर सेल की मदद से गिरिजा शंकर और पूर्णिमा के मोबाइल नंबर ले कर काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में 5 अप्रैल को पूर्णिमा और गिरिजा शंकर के बीच बातचीत के अलावा उन की मोबाइल लोकेशन भरवेली थाना क्षेत्र में आने वाले गांगुलपरा और बंजारी के बीच पहाड़ी जंगल में मिल रही थी.
तब पुलिस ने शक के आधार पर गिरिजा शंकर को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा. पहले तो गिरिजा शंकर ने बताया कि वे बालाघाट घूमने गए थे और घूमने के बाद पूर्णिमा को गांव के बाहर छोड़ दिया था, परंतु पुलिस जांच में दोनों के मोबाइल फोन की लोकेशन बंजारी के जंगल की मिल रही थी.
क्रमशः