‘बूगी वूगी’ शो की विनर फंसी खुद के बुने जाल में – भाग 2

नागदा पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि इंदौर से धर्मपुरी, उज्जैन और नीमच हो कर नागदा जंक्शन तक कई टोल नाके पड़ते थे. इन नाकों पर सतीश की वैगनआर का नंबर तो दर्ज था, पर फुटेज साफ नहीं थी. इस इलाके में काफी अफीम पैदा होती है, इसलिए यहां स्मग्लर सक्रिय रहते हैं. ये लोग टोल नाके से बचने के लिए जंगल के रास्तों से निकल जाते हैं. अगर सतीश की कार ऐसे किसी रास्ते से गई होती तो टोल नाके पर उस का नंबर दर्ज नहीं होता.

पुलिस की सब से बड़ी परेशानी यह थी कि उसे सतीश की वैगनआर नहीं मिल रही थी. जबकि इस बात की पूरी संभावना थी कि हत्या के बाद हत्यारों ने उसे कहीं न कहीं जरूर छोड़ा होगा. दूसरे सतीश की हत्या का कारण भी पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था.

29 अगस्त को गणेश चतुर्थी थी. त्योहार की वजह से उस दिन इंदौर के बाजारों में कुछ ज्यादा ही भीड़भाड़ थी. त्योहार की ही वजह से पुलिस ने जगहजगह चैकिंग नाके लगा रखे थे. एक नाके से एक वैगनआर गुजरी तो पुलिस ने उसे चैकिंग के लिए रोक लिया. कार में 30 साल के आसपास का एक युवक और 24-25 साल की एक युवती बैठी थी. पुलिस देख कर दोनों सकपका गए. जांच में पता चला कि चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है. ऊपर से कार की आगे और पीछे की दोनों नबर प्लेटें भी गायब थीं.

पूछताछ में जब दोनों ठीक से जवाब नहीं दे सके तो उन्हें थाने ले आया गया. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो युवक ने अपना नाम नंदकिशोर और युवती ने अपना नाम मिली उर्फ एंजल राय बताया. वैगनआर कार के गायब होने की जानकारी सभी थानों की पुलिस को थी, इसलिए बिना नंबर की वैगनआर पर सवार नंदकिशोर और मिली से थाना लसूडि़या के थानाप्रभारी कुंवर नरेंद्र सिंह गहरवार ने जब उस कार के बारे में पूछा तो उन्होंने बिना किसी हीलाहवाली के बता दिया कि यह कार सतीश ततवादी की है, जिस की हत्या हो चुकी है.

इस के बाद कुंवर नरेंद्र सिंह गहरवार ने सतीश ततवादी की वैगनआर मिलने की सूचना थाना नागदा पुलिस को दी तो थाना नागदा की एक पुलिस टीम थाना लसूडि़या पहुंची और नंदकिशोर तथा मिली उर्फ एंजल राय को हिरासत में ले कर थाना नागदा ले गई.

थाना नागदा में पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में नंदकिशोर और मिली से सतीश ततवादी की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई तो नंदकिशोर ने तो पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन मिली ने मुसकराते हुए अपना अपराध स्वीकार कर के सतीश की हत्या की पूरी कहानी सुना दी. मिली द्वारा सुनाई गई सतीश ततवादी की हत्या की कहानी कुछ इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के बैतूल की रहने वाली मिली के 11 साल की होते होते उस के मातापिता एकएक कर के गुजर गए थे. मातापिता की मौत के बाद उस का ऐसा कोई रिश्तेदार भी नहीं था, जो उसे सहारा देता. इसलिए उसे किसी ने अनाथाश्रम पहुंचा दिया, वहां से वह भोपाल के चाइल्ड केयर सेंटर आ गई.

वहीं से मिली ने पढ़ाई की और डांस सीखा. डांस में उस ने अच्छी तरह महारत हासिल कर ली तो उस ने इसे ही रोजीरोटी का जरिया बनाना चाहा. वह टीवी देखती ही रहती थी. उन दिनों सोनी चैनल पर डांस का रियलटी शो बूगीवूगी आता था. डांस सीखने वालों के बीच यह कार्यक्रम काफी लोकप्रिय था. इस के अलावा अन्य लोग भी इस कार्यक्रम में काफी रुचि लेते थे. खास कर बच्चे इसे बहुत पसंद करते थे. मिली भी डांस सीख रही थी. इसलिए वह भी इस कार्यक्रम को देखती थी.

मिली खूबसूरत और आकर्षक तो थी ही, चंचल और तेजतर्रार भी थी. उस की भी इच्छा बूगीवूगी में भाग लेने की होती थी. यही वजह थी कि उस ने अपने नृत्य के कुछ चित्रों के साथ फार्म भर कर बूगीवूगी में भेज दिया. वह सुंदर भी थी और डांस में पारंगत भी, बूगीबूगी में उस का चयन हो गया. अब तक मिली 18 साल की हो चुकी थी.

वह मुंबई पहुंच गई. बूगीवूगी में उस ने अपना ऐसा जौहर दिखाया कि उस साल की वह ‘विनर’ घोषित की गई.

मिली मुंबई में ही रह कर काम तलाश करने लगी. लेकिन उसे कहीं चांस नहीं मिला. धीरेधीरे पैसे खत्म हो गए और कहीं काम नहीं मिला तो वह इंदौर वापस आ गई. बूगीबूगी का विनर होने पर उसे जो पैसे इनाम में मिले थे, वह मुंबई में ही काम की तलाश में खर्च हो गए थे. अब वह बच्ची भी नहीं रही थी कि चाइल्ड केयर सेंटर में रह लेती. इसलिए इंदौर आ कर सब से पहले उस ने ग्वालटोली मोहल्ले में किराए पर मकान ले कर रहने की व्यवस्था की. इस के बाद गुजरबसर के लिए वह बच्चों तथा लड़कियों को डांस सिखाने लगी. इस काम से उस की ठीकठाक कमाई होने लगी, जिस से वह ठाठ से रहने लगी.

मिली अब तक जवान हो चुकी थी. लेकिन उस का कोई ऐसा अपना नहीं था, जिस से वह अपना सुखदुख बांट सकती. अकेली होने की वजह से कभीकभी उसे घुटन सी होने लगती थी. अब उसे एक ऐसे साथी की जरूरत महसूस हो रही थी, जो उस की भावनाओं को समझे और उस की हर तरह से मदद भी करे. उस की यह तलाश जल्दी ही पूरी हुई. उसे साथी के रूप में बलवंत सिंह तोमर मिल गया. बलवंत अच्छा आदमी था. इसलिए मिली ने उस से प्यार ही नहीं किया, बल्कि उसे जीवनसाथी भी बना लिया.

लेकिन ज्यादा दिनों तक बलवंत सिंह तोमर की मिली से निभ नहीं पाई. इस की वजह यह थी कि मिली की महत्वाकांक्षाएं बहुत ऊंची थीं. डांस कार्यक्रम में भाग लेने की वजह से उस की सोच तो बदल ही गई थी, रहनसहन भी बदल गया था. इसलिए उस के खर्च भी अनापशनाप हो गए थे, जो अब डांस सिखाने से पूरे नहीं हो रहे थे. ऐसे में पैसे कमाने के उस ने अन्य रास्ते खोज लिए. निश्चित था, वे रास्ते ठीक नहीं रहे होंगे, इसलिए बलवंत ने उस से किनारा कर लिया.

‘बूगी वूगी’ शो की विनर फंसी खुद के बुने जाल में – भाग 1

इंदौर के निपानिया स्थित ‘सैटिसफैक्शन फर्नीचर’ बहुत बड़ा फर्नीचर शोरूम है. इंदौर के ही लोटस विला, सुपर सिटी निवासी सतीश ततवादी इसी फर्नीचर शोरूम में बतौर प्रोडक्शन मैनेजर तैनात थे, मृदुभाषी और मिलनसार स्वभाव का होने की वजह से उन के साथ के कर्मचारी उन की बड़ी इज्जत करते थे. उन के परिवार में मातापिता और 2 भाइयों के अलावा पत्नी श्रेया और 14 साल की बेटी ईशा को मिलाकर 7 सदस्य थे. उन का पूरा परिवार एक साथ रहता था.

20 अगस्त को सतीश ततवादी घर पर लंच कर के अपनी कार से शोरूम पर जाने के लिए निकले. जातेजाते उन्होंने पत्नी श्रेया से कहा, ‘‘आज फैक्ट्री में एक मीटिंग है, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी. हो सकता है 10, साढ़े 10 बज जाएं.’’

रात को साढ़े 10 बजे तक सतीश घर नहीं लौटे तो श्रेया ने फोन किया, लेकिन फोन पति के बजाय किसी और ने रिसीव किया. श्रेया की आवाज सुन कर उस ने कहा, ‘‘मैं साहब का पीए मुकाती बोल रहा हूं. साहब अभी बिजी हैं. हम लोग इस वक्त उज्जैन में हैं, बाद में बात करना.’’

श्रेया की बात सुने बिना ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया. यह बात श्रेया को इसलिए अजीब लगी, क्योंकि सतीश का कोई पीए नहीं था. उन्होंने दोबारा फोन मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद घर वालों ने दर्जनों बार सतीश का नंबर मिलाया, पर वह लगातार स्विच्ड औफ जाता रहा.

इस से परिवार के सभी लोगों के मन में तरहतरह की शंकाए सिर उठाने लगीं. वजह यह कि न तो सतीश ने उज्जैन जाने के बारे में कुछ बताया था और न कभी वह अपना मोबाइल बंद रखते थे.

रात भर फोन मिलाते रहने के बावजूद सतीश से किसी की बात नहीं हुई. ततवादी परिवार की वह रात आंखोंआंखों में कटी. जैसेतैसे रात गुजरी. सुबह होते ही सतीश के पिता रामकृष्ण ततवादी अपने दोनों बेटों संतोष और संजय को साथ ले कर अपने क्षेत्र के थाना लसूडि़या जा पहुंचे. वहां उन्होंने थानाप्रभारी कुंवर नरेंद्र सिंह गहरवार को सारी बात बता कर सतीश की गुमशुदगी दर्ज करा दी. उन्होंने रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया था कि सतीश फैक्ट्री में होने वाली किसी मीटिंग में शामिल होने की बात कह कर घर से निकले थे.

थानाप्रभारी श्री गहरवार ने उन लोगों को यह आश्वासन दे कर घर लौटा दिया कि वह इस मामले की जांच पूरी तत्परता से करेंगे. श्री गहरवार छानबीन के लिए अपनी टीम के साथ फर्नीचर की उस फैक्ट्री में गए. वहां के कर्मचारियों से उन्हें पता चला कि वहां ऐसी कोई मीटिंग थी ही नहीं, साथ ही यह भी कि उस दिन सतीश वहां आए ही नहीं थे. इस का मतलब सतीश झूठ बोल कर घर से निकले थे और उन के साथ कोई घटना घट गई थी.

थानाप्रभारी कुंवर नरेंद्र सिंह गहरवार ने थाने लौट कर सतीश ततवादी के हुलिए सहित यह सूचना जिले के सभी थानों को भेज दी.

21 अगस्त, 2014 की सुबह थाना बिरलाग्राम के गांव डाबरी का एक आदमी जंगल की ओर गया तो उस ने पुलिया के पास एक लाश पड़ी देखी. लाश कंबल में लिपटी हुई थी. वह व्यक्ति दौड़ादौड़ा थाना बिरलाग्राम गया और यह बात थानाप्रभारी नरेंद्र यादव को बताई.

नरेंद्र यादव अपनी टीम के साथ जिस समय घटनास्थल पर पहुंचे, उस समय साढ़े 11 बजे थे. सूचना सही थी. मृतक 40-41 साल का हट्टाकट्टा व्यक्ति था. पुलिस ने लाश के आसपास का सारा इलाका छान मारा, लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला. पुलिस ने लाश का पंचनामा बना कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

मृतक के शव से पुलिस को ऐसी कोई चीज नहीं मिली थी, जिस से उस की पहचान हो पाती. अलबत्ता पहचान के लिए पुलिस ने लाश के फोटो जरूर करा लिए थे. इस के बाद थानाप्रभारी नरेंद्र यादव ने अन्य थानों में पहचान के लिए लाश के फोटो वाट्सएप पर भिजवा दिए.

थाना लसूडि़या के थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह गहरवार ने वाट्सएप पर आया लाश का फोटो देखा तो सतीश के भाई संजय और संतोष को थाने बुला लिया. दोनों भाइयों ने थानाप्रभारी के मोबाइल पर आया लाश का फोटो देखा तो चीखचीख कर रोने लगे. वह उन के भाई सतीश की लाश का फोटो था. थानाप्रभारी ने उन्हें बताया कि वह फोटो जिला नागदा जंक्शन के थाना बिरलाग्राम से आया है. अत: लाश की शिनाख्त के लिए उन्हें वहीं जाना होगा.

सतीश के पिता रामकृष्ण अपने दोनों बेटों संजय और संतोष को साथ ले कर किराए की कार से थाना बिरलाग्राम जा पहुंचे. वहां से वह पुलिस के साथ नागदा जंक्शन गए. तब तक लाश का पोस्टमार्टम हो चुका था. बापबेटों ने शव को पहचान लिया. लाश सतीश की ही थी. लिखापढ़ी के बाद लाश रामकृष्ण ततवादी को सौंप दी गई. इस के बाद सतीश की हत्या का केस थाना बिरलाग्राम में दर्ज हो गया था.

सतीश के शव को इंदौर लाया गया तो उस के घर वालों का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था. पूरे सेक्टर में सन्नाटा छाया था. सतीश की पत्नी श्रेया और बेटी ईशा अर्द्धबेहोशी के आलम में थीं. बहरहाल, उसी दिन सतीश का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

सतीश की हत्या की खबर मिलने के बाद थाना बिरलाग्राम और थाना लसूडि़या की पुलिस मिल कर जांचपड़ताल में लग गई. इस के लिए पुलिस ने सतीश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली थी. सतीश ने आखिरी बार जिस नंबर पर बात की थी, उस की लोकेशन इंदौर जिले के गांव छोटा धर्मपुरी, उज्जैन, नीमच और नागदा की आ रही थी. यानी घटना के दिन वह नंबर कई जगहों पर रहा था.

चूंकि सतीश अपनी वैगनआर कार से गए थे, इसलिए पुलिस ने टोल नाकों से फुटेज निकलवा कर चेक की. लेकिन रात के अंधेरे की वजह से फुटेज में कुछ भी साफ नजर नहीं आया.

सतीश की काल डिटेल्स में 2 आखिरी नंबर संदिग्ध थे. नागदा पुलिस ने साइबर क्राइम सेल उज्जैन से उन नंबरों की जांच कराई तो उन में एक नंबर छोटी ग्वालटोली इंदौर में रहने वाली मिली उर्फ एंजल राय का निकला. थाना लसूडि़या के थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह गहरवार ने मिली उर्फ एंजल राय के पते पर छानबीन की तो वह लापता मिली. मतलब उस ने अपना ठिकाना बदल लिया था. नरेंद्र सिंह ने यह सूचना नागदा पुलिस को दे दी.

सोने की चेन ने बनाया कातिल – भाग 3

थानाप्रभारी शिवपाल सिंह पुलिस वालों के साथ वैवाहिक कार्यक्रमों में शामिल हो गए. पुलिस वाले भले ही बाराती बने थे, लेकिन वे वहां आए अन्य लोगों से अलग लग रहे थे. शायद इसीलिए एक आदमी ने अपनी स्थानीय भाषा में पूछा, ‘या कुण (तुम कौन हो)?’

थानाप्रभारी साथी पुलिस वालों को ले कर एक किनारे आ गए, जहां उन पर कोई ध्यान न दे सके. वह वहीं से हरि सिंह पर नजर रखे हुए थे. हरि सिंह लघुशंका के लिए बाहर आया तो शिवपाल सिंह ने उसे दबोच लिया. इस तरह पकड़े जाने से वह घबरा गया.

हरि सिंह शोर मचाता, उस के पहले ही थानाप्रभारी शिवपाल सिंह ने रिवाल्वर सटा कर कहा, ‘‘हम पुलिस वाले हैं. अगर तुम ने शोर मचाया तो तुरंत गोली चल जाएगी. उस के बाद क्या होगा, तुम जानते ही हो.’’

हरि सिंह सन्न रह गया. पुलिस ने उस की तलाशी ली तो अनिता का मोबाइल उस के पास से मिल गया. पुलिस उसे मोटरसाइकिल पर बीच में बिठा कर थाना ठीकरी ले आई.

रात होने की वजह से पुलिस का यह काम आसानी से हो गया था. इंदौर ला कर हरि सिंह को अदालत में पेश किया गया, जहां से पूछताछ और लूटा गया सामान तथा हथियार बरामद कराने के लिए उसे 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया.

थाने में की गई पूछताछ में हरि सिंह ने दोनों बहनों की हत्या और लूटपाट का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने उस सामान के बारे में भी बता दिया, जो वह शकुंतला के घर से लूट कर लाया था. इस के बाद थाना पलासिया पुलिस थाना ठीकरी पुलिस के साथ हरि सिंह के घर पहुंची, जहां उस के बेटे की शादी हो रही थी.

पुलिस ने जब उस के घर वालों और गांव वालों को उस के कारनामे बारे में बताया तो सब ने नफरत से उस की ओर से मुंह मोड़ लिया.

हरि सिंह ने दरवाजे के पीछे से एक झोला ला कर दिया, जिस में उस ने शकुंतला और अनिता के घर से चोरी किया गया सामान रख कर छिपा रखा था. सामान बरामद कराते समय हरि सिंह रो पड़ा. क्योंकि अनिता की जिस सोने की चेन को उस ने बेटे को पहनाने के लिए चुराई थी, वह उसे पहना नहीं सका. जिस शौक के लिए उस ने इतना बड़ा अपराध किया, वह पूरा नहीं हो सका.

पुलिस ने जब उस से उस हथियार के बारे में पूछा, जिस से उस ने दोनों बहनों की हत्या की थी तो उस ने बताया कि वह तो इंदौर में है.

इस तरह 6 दिन की मशक्कत के बाद पुलिस ने शकुंतला और अनिता के हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया. हरि सिंह को इंदौर लाया गया तो उस ने बाणगंगा के एक मकान से वह रौड बरामद करा दी, जिस से उस ने दोनों बहनों की हत्या की थी. वहां हरि सिंह का एक और राज खुला. जिस मकान से उस ने रौड बरामद कराई थी, उस में एक महिला भी थी. हरि सिंह ने उसे अपनी दूसरी पत्नी बताया था.

हरि सिंह के बताए अनुसार, लगभग 15 साल पहले जब वह अपना गांव छोड़ कर रोजी रोजगार के लिए इंदौर आया था तो वहां वह एक कारखाने में काम करने लगा था. उसी कारखाने में वह औरत भी काम करती थी.

दोनों में जानपहचान हुई और फिर प्यार, उस के बाद दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद उस ने कारखाने की वह नौकरी छोड़ दी और वेल्डिंग की मशीन खरीद कर साइकिल से घूम घूम कर वेल्डिंग का काम करने लगा. इस काम से वह ठीक ठाक कमा लेता था.

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      हरि सिंह

किसी परिचित के माध्यम से पिछले साल हरि सिंह ने शकुंतला के यहां एक टीन शेड में वेल्डिंग का काम किया था. इसलिए दोनों बहनें उसे पहचानने लगी थीं. उस दिन यानी 1 मई को वह आवाज लगाते हुए बख्तावरनगर में घूम रहा था तो शकुंतला ने उसे कूलर के स्टैंड में वेल्डिंग के लिए बुला लिया था.

कूलर पहली मंजिल पर था. हरि सिंह वहां पहुंचा तो अनिता के गले में मोटी सी सोने की चैन देख कर उस की नीयत खराब हो गई. इस से उसे लगा कि इन के घर में काफी गहने होंगे. उसे यह तो पता ही था कि इस घर में मात्र 2 महिलाएं ही रहती हैं, इसलिए उसे लगा कि यहां वह आसानी से लूटपाट कर सकता है.

अपना रास्ता साफ करने के लिए उस ने पहले वेल्डिंग के दौरान करंट लगने की बात कह कर वहां खेल रही तीनों लड़कियों को हटा दिया. बच्चे चले गए तो अनिता के गहने छीनने के इरादे से उस ने उसे पकड़ना चाहा.

अनिता जवान थी और तेजतर्रार भी. हरि सिंह का इरादा भांप कर उस ने उस का मुंह नोच लिया. तब तक हरि सिंह ने उसे पकड़ लिया था. अनिता शोर न मचा सके, इस के लिए उस ने उस का मुंह दबा दिया. उसी बीच अनिता ने उस के बाल पकड़ कर खींचे तो वह तिलमिला उठा.

हरि सिंह को लगा कि अब मामला बिगड़ने वाला है तो उस ने साथ लाए लोहे के रौड से अनिता के सिर पर वार कर दिया. उसी एक वार में अनिता गिर कर बेहोश हो गई. इस के बाद हरि सिंह ने लगातार कई वार कर के अनिता को खत्म कर दिया.

उस समय शकुंतला भूतल पर कोई काम कर रही थी. खटरपटर होते सुन वह ऊपर पहुंची तो हरि सिंह दरवाजे की ओट में छिप गया. जैसे ही वह कमरे में घुसीं, उस ने उसी रौड से उन के ऊपर भी हमला कर दिया.

शकुंतला का भी खेल खत्म हो गया तो उस ने दोनों लाशों को घसीट कर बाथरूम में नीचे ऊपर रख दिया. इस के बाद उस ने जल्दी जल्दी अलमारियां बक्से वगैरह तोड़ कर जो हाथ लगा, उसे कब्जे में किया और अनिता का कीमती मोबाइल ले कर भाग निकला. फिर वही मोबाइल उस की गिरफ्तारी की वजह बना.

रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 3

रवि ठाकुर ममता की मजबूरी का फायदा उठाते हुए आए दिन उसे अपनी हवस का शिकार बनाने लगा था. जब ममता उस की हरकतों से परेशान हो गई तो उस ने यह बात एक दिन अपने पति को यह बात बता दी.

यह बात सुनते ही नितिन बौखला उठा. इस जानकारी के बाद नितिन और ममता के बीच काफी मनमुटाव भी पैदा हो गया था. जिस के कारण कई दिनों तक दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा भी हुआ था.

ममता ने पति को यह भी बता दिया कि इस सब की जिम्मेदार सरिता ठाकुर ही है. उसी ने उस के साथ संबंध बनाने के लिए उसे मजबूर किया था. इस के बाद नितिन और ममता उस से पीछा छुड़ाने के लिए किसी रास्ते की तलाश में लग गए. रास्ता भी ऐसा कि जिस से उन्हें रवि का पैसा भी न देना पड़े और उस से हमेशा हमेशा के लिए पीछा भी छूट जाए.

सलाह मशविरा के बाद दोनों ने सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर को मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया. प्लानिंग के लिए उन्होंने करीब एक महीने तक क्राइम सीरियल देखे. तब पतिपत्नी दोनों ने मिल कर दोनों को मौत के घाट उतारने की योजना बनाई. फिर वह उसी योजना के तहत रवि ठाकुर के फोन आने का इंतजार करने लगे.

सरिता के घर पहुंच कर ममता और उस के पति ने क्या किया

9 दिसंबर, 2023 को रवि ठाकुर ने ममता को फोन कर होटल आने के लिए कहा. इस पर ममता ने कह दिया, ”मैं आज आप के होटल पर नहीं आ सकती. अगर आप को आना है तो आप सरिता ठाकुर के घर आ जाना.’’

सरिता ठाकुर के घर जाने में रवि को कोई परेशानी वाली बात नहीं थी. उस के बाद रवि ठाकुर ने ममता से कह दिया कि ठीक है, वह सरिता के घर पर ही पहुंच जाएगा.

उसी वक्त ममता ने सरिता को फोन कर बता दिया कि रवि ठाकुर और मैं आप के घर आने वाले हैं. यह बात सुनते ही सरिता ठाकुर ममता और रवि ठाकुर के आने का इंतजार करने लगी. उस वक्त सरिता का पति ऋषि भी किसी काम से बाहर गया हुआ था.

दोनों की हत्या की योजना बनाने के बाद ममता अपने पति नितिन को साथ ले कर सरिता के घर पहुंची, लेकिन ममता के साथ उस के पति नितिन को देख कर उसे कुछ हैरानी भी हुई.

सरिता ने ममता को एक तरफ बुला कर उस के पति के आने का कारण पूछा तो उस ने बताया कि वह किसी काम से बाहर जा रहे थे. फिर बोले कि मुझे भी उधर ही जाना है. वह मुझे छोडऩे के लिए ही आए हैं.

यह जानकारी मिलते ही सरिता ठाकुर दोनों के लिए चाय बनाने के लिए किचन में चली गई. सरिता ठाकुर के किचन में जाते ही नितिन ने उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. उस के बाद उस ने उस के घर में ही रखी तलवार से सरिता ठाकुर की हत्या कर दी.

सरिता की हत्या करने के बाद ममता ने दरवाजे पर लगा कुंदा खोल दिया. उस के बाद नितिन सरिता के अंदर वाले कमरे में छिप गया. उस के बाद जैसे ही रवि ठाकुर सरिता के घर पर पहुंचा तो ममता ने फिर से सरिता के घर का बाहर वाला दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.

उस के बाद उस ने रवि ठाकुर को बाहर वाले कमरे में ही रोक लिया. रवि ठाकुर ने उस वक्त सरिता के बारे में पूछा तो ममता ने कहा कि सरिता दीदी बहुत ही चालाक हैं, वह बाजार का बहाना बना कर इसलिए चली गई, ताकि हम दोनों खुल कर मौजमस्ती कर सकें.

इतना कहते ही ममता ने रवि बाबू पर अपना प्यार दिखाते हुए उस के होंठों पर एक जोरदार किस कर दी. आप चिंता न करें, वह इतनी जल्दी घर वापस आने वाली नहीं.

इतना कहने के बाद ही ममता ने रवि ठाकुर को अपनी आगोश में ले लिया. फिर वह रवि ठाकुर के साथ अश्लील हरकतें करने लगी. जिस के बाद ममता को अकेला पा कर रवि ठाकुर भी उस के साथ संबंध बनाने के लिए बैचेन हो उठा था.

हत्या करने के बाद ममता ने सरिता की बेटी को क्या मैसेज भेजा

रवि ठाकुर के कामुक होते ही ममता ने उस के कपड़े उतार दिए. उस के बाद रवि ठाकुर ने भी उस से कपड़े उतारने को कहा तो उस ने कहा कि उसे आप के सामने कपड़े उतारते हुए शर्म आती है. यह कहते ही ममता ने रवि ठाकुर की आंखों पर पट्टी बांध दी.

रवि ठाकुर की आंखों पर पट्टी बांधते ही नितिन तलवार ले कर आया और सामने खड़े रवि पर ताबड़तोड़ बार कर दिए. जिस के तुरंत बाद उस की भी मौके पर ही मौत हो गई.

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हत्यारे ममता और नितिन 

सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर की हत्या करने के बाद ममता और नितिन ने दोनों को एक ही कमरे में ले जा कर डाल दिया. उन्होंने सरिता के भी कपड़े उतार कर नग्न कर दिया था. उस के बाद ममता ने ही सरिता के मोबाइल से उस की बेटी को मारने का मैसेज भेज दिया था. ताकि उस की बेटी को उन पर किसी तरह का कोई शक न हो.

दोनों को बेरहमी से खत्म करने के बाद पतिपत्नी ने वहां पर फैले खून को साफ करने की कोशिश की. उस के बाद दोनों उस के कमरे से निकल कर बाहर से दरवाजा बंद करने के बाद आटो से फरार हो गए.

ममता ने रवि ठाकुर और सरिता का मोबाइल भी अपने पास रख लिए थे. अपने घर पहुंचते ही दोनों ने अपने पहने कपड़े जला दिए.

इस हत्याकांड के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर आरोपियों के जले कपड़े और दोनों मृतकों के कपड़े के साथसाथ हत्या में प्रयुक्त तलवार भी बरामद कर ली.

—कथा लिखने तक पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही थी.

सोने की चेन ने बनाया कातिल – भाग 2

इस के बाद पुलिस ने पंफलेट में छपे मोबाइल नंबर और पते के आधार पर कूलर बनाने वाले को पकड़ लिया. वह पास के ही तिलक नगर का रहने वाला था. उस से पूछताछ की गई तो उस ने स्वयं को निर्दोष बताया. इस के बाद उस की शिनाख्त उन लड़कियों से कराई गई तो उन्होंने भी कहा कि यह वह आदमी नहीं है.

इस के बाद पुलिस ने सामने वाले घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी. उस में लाल रंग की शर्ट पहने एक आदमी साइकिल ले कर जाता हुआ दिखाई दिया. उस की साइकिल के पीछे एक बाक्स जैसा कुछ बंधा था. लड़कियों ने बताया था कि शकुंतला बुआ के घर आने वाला आदमी लाल रंग की शर्ट पहने था. वह आया भी साइकिल से था और उस की साइकिल में वेल्डिंग करने वाली मशीन बंधी थी.

पुलिस को लगा कि यही आदमी हो सकता है, जो मृतका बहनों के यहां कूलर बनाने आया था. लेकिन फुटेज में उस का चेहरा स्पष्ट नहीं था, इसलिए यह फुटेज पुलिस के किसी काम की नहीं निकली थी. थाना पलासिया पुलिस ने लूट और शकुंतला मिश्रा एवं अनिता दुबे की हत्या का मुकदमा दर्ज कर अनिता के गायब मोबाइल को आधार बना कर जांच आगे बढ़ाई.

पुलिस ने उस मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में आखिरी फोन उन्हीं के विभाग के एक चपरासी को किया गया था. चपरासी को बुला कर पूछताछ की गई तो उस ने बताया, ‘‘मैडम ने ही मुझे फोन कर के बुलाया था. दरअसल मेरी साइकिल चोरी हो गई थी. तब मैडम ने कहा था कि उन के यहां एक पुरानी साइकिल पड़ी है. उसी को देने के लिए उन्होंने बुलाया था. जब मैं वहां पहुंचा तो उन्होंने मुझे छुट्टी की अर्जी भी दी थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें बुखार है, इसलिए वह औफिस नहीं आएंगी.’’

पूछताछ के बाद पुलिस ने चपरासी के बारे में उस के औफिस में पता किया तो पता चला कि वह सच कह रहा था. उस दिन वह पूरे समय औफिस में ही रहा था. छुट्टी के बाद वह घर चला गया था. हत्या की खबर मिलने पर वह आया भी था.

पड़ोसियों के अनुसार दोनों बहनों का व्यवहार बहुत अच्छा था. दोनों ही बहनें सब से हिलमिल कर रहती थीं. कालोनी के सभी बच्चे उन्हें बुआ कहते थे. इस की वजह यह थी कि उन के मायके वाले भी उसी कालोनी में रहते थे. पुलिस ने यह भी पता किया था कि कहीं प्रौपर्टी का कोई झंझट तो नहीं था. लेकिन इस मामले में भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा था. क्योंकि उन के घर वाले इतने संपन्न थे कि वे उन की संपत्ति से कोई मतलब नहीं रखते थे.

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संयोग से 1 मई को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इंदौर में ही थे. वह मजदूर दिवस के अवसर पर किसी कार्यक्रम में भाग लेने आए थे. इस लूटपाट और 2-2 हत्याओं की सूचना उन्हें मिली तो वह पुलिस अधिकारियों पर काफी नाराज हुए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को जल्द से जल्द हत्यारों को पकड़ने के आदेश दिए.

हत्यारे तक पहुंचने के लिए पुलिस ने अनिता के मोबाइल फोन का सहारा लिया. उसे तत्काल सर्विलांस पर लगवा दिया गया. वह फोन कभी बंद हो रहा था तो कभी चालू. एक बार फोन की लोकेशन इंदौर के बाणगंगा इलाके की मिली. लेकिन जल्दी ही फोन का स्विच औफ हो गया, इसलिए पुलिस कोई काररवाई नहीं कर पाई. इस के बाद फोन की लोकेशन निमाड़ जिले के ठीकरी कस्बे की मिली.

जब सर्विलांस के माध्यम से हत्यारे तक नहीं पहुंचा जा सका तो पुलिस ने दूसरी तकनीक अपनाई. यह तकनीक थी पीएसटीएन (पब्लिक स्विच्ड टेलीकौम नेटवर्क). पुलिस ने इस तकनीक से पता किया कि उस समय (एक निश्चित समय में) वहां कितने मोबाइल चल रहे थे. सर्विलांस के माध्यम से अनिता के मोबाइल की आखिरी  लोकेशन निमाड़ जिले के थाना ठीकरी की मिली थी.

पुलिस को लगा कि अनिता का मोबाइल ठीकरी के आसपास का ही कोई आदमी ले गया है. और जो भी वह फोन ले गया है, उसी आदमी ने इस वारदात को अंजाम दिया है. उस आदमी के बारे में पता करने के लिए पुलिस ने अनिता के घर के पास घटना के समय संचालित होने वाले मोेबाइल फोनों के नंबर निकलवाए. पता चला कि वारदात के समय यानी 3 घंटे के बीच वहां से 3 लाख फोन संचालित हुए थे.

इस के बाद पुलिस ने ठीकरी के टावर से होने वाले मोबाइल नंबरों को निकलवाए. इस के बाद दोनों सूचियों की स्कैनिंग की गई. इन में अनिता के मोबाइल नंबर के अलावा पुलिस को ऐसा मोबाइल नंबर मिला, जो दोनों सूचियों में था.

पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर ठीकरी के पास घटवा गांव रहने वाले हरि सिंह का था. इस के बाद पुलिस ने हरि सिंह के बारे में पता किया. अब पुलिस को उसे गिरफ्तार करना था. थाना पलासिया की एक टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए निमाड़ के लिए रवाना हो गई.

थानाप्रभारी शिवपाल सिंह कुशवाह ने स्थानीय थाना ठीकरी पुलिस और पटवारी से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वहां वर्दी में जाने पर मामला बिगड़ सकता है. गांव वाले उसे बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उस स्थिति में उसे पकड़ा नहीं जा सकता. फिर जब उस के यहां विवाह समारोह चल रहा हो तो पुलिसिया काररवाई और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती थी.

इस स्थिति में थानाप्रभारी शिवपाल सिंह 4 सिपाहियों के साथ पुलिस वर्दी उतार कर बाराती बन कर गांव घटवा जा पहुंचे. हरि सिंह की पहचान के लिए वे अपने साथ बगल के गांव का एक आदमी ले आए थे.

उस आदमी ने जिस आदमी को हरि सिंह बताया, वह लाल रंग की शर्ट पहने था. कैमरे की फुटेज में पुलिस को साइकिल लिए जो आदमी दिखाई दिया था, वह भी लाल रंग की शर्ट पहने था. बाराती बनी पुलिस उस के पीछे लग गई.

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 2

पुलिस कैसे पहुंची हत्यारों तक

सरिता ठाकुर इंदौर में ही एक ब्यूटीपार्लर चलाती थी. सरिता ठाकुर का ब्यूटीपार्लर भी ठीकठाक चलता था. ब्यूटीपार्लर चलाने के दौरान उस के पास हर तरह की महिलाएं आती थीं. यही कारण था कि सरिता ठाकुर अधिकांश महिलाओं की कुंडली भलीभांति जानती थी.

सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चला आ रहा था. उसी के चलते सरिता रवि ठाकुर के पैसे से मालामाल हो गई थी. यही कारण था कि सरिता ठाकुर हर वक्त रवि ठाकुर के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती थी.

रवि ठाकुर काफी पैसे वाला था. अपना पैसा वह ब्याज पर भी देने का काम करता था. इस सब में सरिता ठाकुर की ही भागीदारी होती थी. वही उस के लिए ऐसे ग्राहक ढूंढ कर लाती थी, जिन्हें पैसों की जरूरत होती थी.

सरिता ठाकुर के पास हर रोज ऐसी कई महिलाएं आती थीं, जिन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती थी. उस के बाद सरिता उन को रवि ठाकुर के पास ले जा कर उस से मिलवाती और फिर उसे उस की जरूरत के हिसाब से उसे पैसा दिलवाती थी. उस पैसे की वापसी की जिम्मेदारी भी सरिता ठाकुर की ही होती थी.

अगर कोई महिला उस का पैसा नहीं लौटा पाती तो वह उसे अपने होटल पर बुलाता और फिर उस की मजबूरी का फायदा उठा कर उस के साथ अवैध संबंध बना लेता था. वह इसी धंधे के सहारे अपनी मनमाफिक महिलाओं के साथ अवैध संबंध बना कर अपनी हवस को मिटाने लगा था.

धीरेधीरे रवि ठाकुर और सरिता ठाकुर के बीच बने संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि वह अपने घर भी बहुत ही कम जाता था. उस का सरिता के पास ही ज्यादातर आनाजाना था. सरिता ने अशोक नगर में एक 3 मंजिला मकान में ऊपर का फ्लोर ले रखा था. वह अधिकांश रातें उसी के पास गुजारता था.

सरिता ठाकुर रवि के पास क्यों लाती थी नईनई महिलाएं

ममता देवी भी सरिता ठाकुर की जानपहचान की थी. उस की जानपहचान भी उसी के ब्यूटीपार्लर में हुई थी. सरिता ठाकुर का व्यवहार ममता को बहुत ही अच्छा लगा था. यही कारण था कि कुछ ही दिनों में दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई.

उसी दौरान ममता को किसी काम के लिए कुछ पैसों की जरूरत आ पड़ी. उस के लिए उस ने सरिता से जिक्र किया तो सरिता ने कहा, ”बहन, तुम्हें मेरे होते परेशान होने की जरूरत नहीं. तुम्हें जितने पैसे चाहिए, मैं उस की व्यवस्था करा दूंगी.’’

उस के बाद वह एक दिन टाइम निकाल कर उसे साथ ले कर रवि ठाकुर के होटल पहुंची. ममता देखने भालने में सुंदर थी. उस को देखते ही रवि ठाकुर उस की खूबसूरती पर मर मिटा.

सरिता ने रवि ठाकुर से ममता का परिचय कराया. उस के बाद सरिता के कहने पर उस ने उसे कुछ रुपए उधार दे दिए. ममता को पैसे देते वक्त रवि ठाकुर ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.

ममता के मोबाइल लेने के बाद रवि ठाकुर उसे टाइम बेटाइम फोन करता रहता था. जिस के कारण ममता भी खुश थी कि कई होटलों का मालिक होते हुए भी रवि उसे फोन कर उस की खैर खबर लेता रहता है, जिस के कारण ममता भी उस पर बहुत विश्वास करने लगी थी.

उसी विश्वास के चलते एक दिन रवि ठाकुर ने ममता को अपने होटल में बुलाया और उस के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिए. उस समय तो ममता ने उस का विरोध नहीं किया, लेकिन इस के बाद में रवि ठाकुर आए दिन उस को होटल में बुलाने लगा था, जो बाद में ममता को खलने लगा. वह उस के पास जाने से आनाकानी करती तो वह उस से अपने रुपए वापस करने की धौंस देने लगा था.

रवि ठाकुर अय्याशी केवल ममता के साथ ही नहीं करता था. बल्कि उस ने इसी तरह से कई महिलाओं को अपने जाल में फंसा रखा था. उन महिलाओं की मजबूरी ही ऐसी थी कि वह न तो रुपए ही लौटा सकती थीं और न ही उस के पास जाने से मना कर सकती थीं.

ममता को यह भी पता चल गया था कि इस सब में सरिता ठाकुर की मिलीजुली साजिश थी. वो ही औरतों को फंसाती और फिर रवि ठाकुर के सामने परोस देती थी. उसे इस दलदल से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

एक दिन रवि ठाकुर ने ममता को फोन मिलाया तो वह उस वक्त टायलेट में गई हुई थी. रवि ठाकुर ने कई बार उसे फोन मिलाया, लेकिन वह उसे उठा नहीं पाई. उसी वक्त उस का पति नितिन बाहर से घर आ गया. ममता का फोन बारबार बजने के कारण नितिन ने ही उसे रिसीव किया. नितिन के रिसीव करते ही रवि ठाकुर ने फोन काट दिया.

उस के बाद नितिन ने अपनी ओर से उसे फोन लगाया तो उस ने रिसीव नहीं किया, जिस से नितिन को कुछ शक हो गया. तब तक ममता भी टायलेट से बाहर आ गई थी. नितिन ने उस के आते ही बताया कि रवि ठाकुर का फोन था.

रवि ने ममता के पास क्यों भेजी अश्लील वीडियो

तब ममता ने बात टालने के लिए कह दिया कि वह अपने पैसे वापस मांग रहा है. तब नितिन ने ममता से कहा कि उस से कह देना कि उस के पैसे वापस करने में कुछ और वक्त लगेगा. उस के बाद नितिन कुछ काम से घर से निकल गया.

तब ममता ने रवि ठाकुर को फोन किया तो उस ने रिसीव करते हुए कहा कि आज शाम वक्त निकाल कर कुछ समय के लिए होटल आ जाना. ममता ने आने से मना किया तो थोड़ी देर बाद ही रवि ठाकुर ने उस के मोबाइल पर एक वीडियो सेंट कर दी. ममता ने उसे देखा तो उस के होश ही उड़ गए.

यह वीडियो उसी के साथ बनाए गए संबंधों की थी. उस के थोड़ी देर बाद ही रवि ठाकुर का फोन आ गया, ”ममता रानी, हमारी वीडियो आप को कैसी लगी? अगर आप को सही लगी तो यह आप के पति के नंबर पर भी भेज दूं. शायद उसे भी पसंद आ जाए.’’

यह बात सुनते ही ममता को दिन में तारे नजर आ गए. उस ने सोचा कि यह वीडियो उस के पति ने देख ली तो वह तो उस की जान ही ले लेगा.

उस दिन उसे पहली बार लगा कि वह बुरी तरह से फंस चुकी है. उस ने इस बात की शिकायत सरिता से की तो सरिता ने भी उसे उलटा जबाव दिया, ”अगर तुम्हें यह सब बुरा लग रहा है तो रवि बाबू के पैसे लौटा दो.’’

सरिता की यह बात ममता को बहुत ही बुरी लगी. फिर वह सरिता से भी नफरत करने लगी थी, लेकिन उसे उस दलदल से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

एसडीएम पत्नी का हत्यारा बना पति

सोने की चेन ने बनाया कातिल – भाग 1

मध्य प्रदेश के इंदौर का बख्तावर नगर एक ऐसा इलाका है, जहां ज्यादातर धनाढ्य लोग रहते हैं. यहां रहने वाले वे लोग हैं, जो सरकारी नौकरियों में हैं या फिर रिटायर हो चुके हैं. पौश होने की वजह से यह इलाका शांत रहता है. नौकरीपेशा होने की वजह से यहां रहने वाले लोग एकदूसरे की हर तरह से मदद करने को भी तैयार रहते हैं.

1 मई, 2014 की दोपहर के 2 बजे के आसपास दिव्य मिश्रा अपनी बुआ शकुंतला मिश्रा के यहां पहुंचा तो मकान का मुख्य दरवाजा खुला हुआ था. उसे यह देख कर हैरानी हुई, क्योंकि उस की बुआ का घर कभी इस तरह खुला नहीं रहता था. वह दरवाजा तभी खोलती थीं, जब आने वाले को दरवाजे में लगी जाली से देख कर पहचान लेती थीं.

62 वर्षीया शकुंतला मिश्रा उस मकान में अपनी बहन अनिता दुबे के साथ रहती थीं. उन के पति विक्रम मिश्रा की बहुत पहले एक सड़क हादसे में मौत हो चुकी थी. पति की मौत के समय वह गर्भवती थीं. पति की मौत का सदमा उन्हें इतना गहरा था कि गर्भ में पल रही बेटी की भी मौत हो गई थी. इस के बाद उन्हें मृतक आश्रित कोटे से पति की जगह वन विभाग में नौकरी मिल गई थी. अब वह उस से भी रिटायर हो चुकी थीं.

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पति की मौत के बाद उस घर में शकुंतला अपनी मौसेरी बहन अनिता दुबे के साथ रहती थीं. अनिता उन्हीं के साथ रह कर पढ़ीलिखी थी. बाद में उसे नौकरी मिल गई. साथ रहते हुए उसे अपनी मौसेरी बहन से इतना लगाव हो गया था कि उस ने भी शादी नहीं की थी.

अनिता दुबे शिक्षा विभाग में संचालक थीं. दोनों ही बहनों की कोई औलाद नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति एकदूसरे के नाम कर रखी थी. उन के पास पड़ोस वालों से काफी अच्छे संबंध थे. मोहल्ले के सभी बच्चे उन्हें बुआ कहते थे. कभी कोई उन के चरित्र पर अंगुली नहीं उठा सका था, इसलिए सब उन की काफी इज्जत करते थे.

मकान मे उन के साथ कोई मर्द नहीं रहता था, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से वे हमेशा अपना दरवाजा बंद रखती थी. शकुंतला मिश्रा के पिता दूरसंचार विभाग में डाइरैक्टर के पद से रिटायर हुए थे. वह भी परिवार के साथ बख्तावरनगर में ही रहते थे.

दिव्य ने बुआ के घर का बाहरी दरवाजा खुला देखा तो उसे काफी हैरानी हुई थी. वह अंदर पहुंचा तो उसे कोई नहीं दिखाई दिया, किसी की आवाज भी सुनाई नहीं दी. घर में सन्नाटा पसरा था. उस ने आवाज भी दी, तब भी कोई जवाब नहीं मिला. थोड़ी देर वह असमंजस की स्थिति में खड़ा रहा, उस के बाद वह पहली मंजिल की सीढि़यां चढ़ने लगा.

ऊपर पहुंच कर उस ने देखा, कमरे की लकड़ी की अलमारियां खुली पड़ी थीं और उन का सारा सामान बिखरा पड़ा था. किसी अनहोनी से उस का दिल धड़कने लगा. तभी उस की नजर फर्श पर पड़ी तो उसे खून फैला दिखाई दिया. खून देख कर वह घबरा गया. उस ने तुरंत अपने दोस्तों और घर वालों को फोन कर दिया. दोस्त और घर वाले भी वहीं रहते थे, थोड़ी ही देर में सब आ गए.

फर्श पर घसीटने के निशान थे. निशान के अनुसार सभी बाथरूम में पहुंचे तो वहां शकुंतला और अनिता के शव एक दूसरे के ऊपर पड़े थे. स्थिति देख कर लोगों को समझते देर नहीं लगी कि लूटपाट के लिए लुटेरों ने दोनों की हत्या कर दी थी. तुरंत घटना की सूचना थाना पलासिया पुलिस को दी गई.

सूचना देने के थोड़ी देर बाद थानाप्रभारी शिवपाल सिंह कुशवाह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए. एक तो पौश इलाके का मामला था, दूसरे मृतका ही नहीं, उन के सारे नाते रिश्तेदार उच्च सरकारी पदों पर थे, इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी शिवपाल सिंह ने पुलिस उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना दे दी. सुबूत जुटाने के लिए फोरैंसिक एक्स्पर्ट डा. सुधीर शर्मा को भी घटनास्थल पर बुला लिया गया था.

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डा. सुधीर शर्मा ने घटनास्थल एवं लाशों के निरीक्षण में पाया कि मृतका अनिता एवं हत्यारे के बीच जम कर संघर्ष हुआ था. क्योंकि उस के नाखून में हत्यारे की त्वचा एवं सिर के बाल मिले थे. उन्होंने उसे सुरक्षित कर लिया था. हत्यारे ने दोनों के सिर पर किसी भारी चीज से वार कर के उन्हें मारा था. उन के शरीर के कुछ गहने भी गायब थे. पुलिस ने घटनास्थल की सारी काररवाई निपटा कर दोनों लाशों की पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था.

निरीक्षण में पुलिस ने देखा था कि कूलर खुला पड़ा था. शायद वह रिपेयरिंग के लिए खोला गया था. अलमारियों के सामान के बिखरे होने से साफ था कि मामला लूटपाट का था. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला था कि कीमती गहने तो लौकर में रखे थे, रोजाना उपयोग में लाए जाने वाले गहने ही घर में थे. उन में से कितना गया था और उन की कीमत क्या रही होगी, यह कोई नहीं बता सका था. लेकिन इतना जरूर बताया गया था कि शकुंतला का मोबाइल तो है, जबकि अनिता का मोबाइल गायब है.

निरीक्षण में थानाप्रभारी शिवपाल सिंह ने देखा था कि दोनों लाशों के हाथों की अंगूठियां जस की तस थीं. इस से उन्होंने अंदाजा लगाया कि लुटेरा पेशेवर नहीं था. घर की सभी अलमारियों, बक्सों और लौकर के ताले टूटे पड़े थे. इस का मतलब लुटेरे के हाथ जो लगा था. उसे ले कर वह भाग निकला था. क्योंकि तलाशी में करीब 50 पर्स पाए गए थे और हर पर्स में कोई न कोई गहना और कुछ नकद रुपए मिले थे.

कूलर रिपेयर करने वाले का एक पंफलेट मिला था, कूलर भी खुला पड़ा था. इस से पुलिस को लगा कि कहीं कूलर बनाने वाले ने ही तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया. पुलिस ने उस पंफलेट को अपने कब्जे में ले लिया. क्योंकि पुलिस का यह अंदाजा सही निकला.

दरअसल पड़ोस की छोटी छोटी 3 लड़कियों ने बताया था कि घटना से पहले वे वहां खेल रही थीं तो कूलर बनाने वाले ने उन्हें यह कह कर घर भेज दिया था कि कहीं करंट न लग जाए. इस बात से पुलिस की आशंका को बल मिला.

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 1

जैसे ही इशिका ने घर का दरवाजा खोला, सामने कमरे में उस की मम्मी सरिता और उस के अंकल रवि ठाकुर के शव पड़े हुए थे. यह देखते ही उस की चीख निकल गई. फर्श पूरी तरह से खून से लाल हुआ पड़ा था. सरिता और रवि ठाकुर दोनों के शरीर पूरी तरह से नग्न थे.

घर का दृश्य देखते ही उस ने इस की सूचना सब से पहले पुलिस को दी. यह घटना मध्य प्रदेश के इंदौर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में स्थित अशोक नगर में हुई थी. यहीं पर सरिता तीसरी मंजिल पर किराए के मकान में रहती थी. डबल मर्डर की सूचना पाते ही एरोड्रम थाने के एसएचओ राजेश साहू तुरंत ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

ममता अपने घर के काम में बिजी थी. उसी वक्त उस के मोबाइल पर किसी की काल आई. जैसे ही ममता ने अपने मोबाइल पर नजर डाली, रवि ठाकुर का फोन था. रवि बाबू का फोन देखते ही उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. वह समझ नहीं पा रही थी कि वह उस की काल रिसीव करे या काट दे.

ममता का पति नितिन उस समय घर पर ही था. उस वक्त तो उस ने रवि की काल रिसीव नहीं की, लेकिन जैसे ही उस का पति घर से काम के लिए निकला, ममता ने रवि बाबू को काल बैक कर दी.

ममता की काल रिसीव करते ही रवि ठाकुर बोला, ”और ममता रानी, कैसी हो? क्या बात है, आजकल तो तुम हमारा फोन भी रिसीव नहीं कर रही हो?’’

”ठाकुर साहब, ऐसी कोई बात नहीं. दरअसल, उस वक्त मेरे पति घर पर ही थे, जिस वजह से मैं फोन रिसीव नहीं कर सकी. बोलिए ठाकुर साहब, कैसे फोन किया?’’ ममता ने पूछा.

तभी रवि ठाकुर ने कहा, ”ममता रानी, आज शाम को टाइम निकाल कर होटल चली आना. तुम्हारी दावत है.’’

”नहीं…नहीं…ठाकुर साहब, आज मैं आप के पास नहीं आ सकती. आज मुझे घर पर जरूरी काम है.’’

”ममता रानी, जरूरी काम तो हर रोज होते ही रहते हैं. हमारा भी आज जरूरी काम है. अगर आज तुम नहीं आई तो हमारा जरूरी काम कैसे होगा. आज तो तुम्हें आना ही पड़ेगा.’’ रवि अपनी जिद पर अड़ गया तो ममता के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आए थे.

फिर भी उस ने मरे मन से कहा, ”ठीक है, मैं आने की कोशिश करूंगी. लेकिन मैं आप के होटल नहीं आ पाऊंगी. अगर हम दोनों सरिता दीदी के घर पर मिलें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.’’

रवि ठाकुर को सरिता के घर जाने में भी कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि सरिता के साथ भी ममता की तरह उस के गहरे संबंध थे. ममता का आज कहीं भी जाने का मन तो नहीं था. लेकिन रवि ठाकुर को मना करने की उस की हिम्मत नहीं थी.

सरिता मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के अशोक नगर में अपनी बेटी इशिका और पति ऋषि के साथ रहती थी. दोपहर के कोई 11 बजे सरिता की बेटी इशिका कोचिंग जाने के लिए घर से निकली थी. पति भी किसी काम से घर से चला गया था. बेटी के घर से निकलते ही सरिता ने कहा था कि बेटी ठंड का मौसम है, टाइम से घर आ जाना.

इशिका को घर से निकले मुश्किल से एक घंटा भी नहीं हुआ था. तभी उस की मम्मी का उस के फोन पर मैसेज आ गया. उस ने जैसे ही मैसेज को पढ़ा तो वह हक्की बक्की रह गई. मैसेज में लिखा था, ‘बेटी कुछ लोग मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं. तू जल्दी से घर वापस आ जा.’

नग्न अवस्था में मिले रवि और ममता के शव

मैसेज पढ़ते ही इशिका बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह कामधाम छोड़ कर तुरंत ही घर पहुंची. घर पर अपनी मम्मी और अंकल की खून सनी लाशें देख कर वह घबरा गई. वह जोरजोर से चीखने लगी. कुछ देर बाद इशिका ने थाना एरोड्रम में फोन कर के इस मामले की सूचना दे दी.

घटनास्थल पर पहुंचते ही एसएचओ राजेश साहू ने कमरे की जांचपड़ताल की. सरिता और रवि ठाकुर के शव नग्न अवस्था में खून से लथपथ पड़े हुए थे. वहीं पर एक पुरानी तलवार भी पड़ी हुई थी.

पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल की तो घर के दरवाजे पर भी जबरन प्रवेश के निशान पाए गए, जिस से पता चला कि हत्यारों की संख्या एक से अधिक थी. घर का दृश्य देख कर लगता था कि हत्यारों ने खून और सबूत को साफ करने की कोशिश भी की थी.

इस डबल मर्डर की सूचना पाते ही एडिशनल डीसीपी (जोन 1) आलोक शर्मा, एसीपी विवेक चौहान के साथ ही एफएसएल विशेशज्ञ भी मौके पर पहुंचे. विशेषज्ञों ने घटनास्थल से कुछ सबूत इकट्ठा किए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचते ही मृतका की बेटी इशिका से जानकारी ली. मृतका सरिता की बेटी इशिका ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि रवि बाबू का सरवटे बसस्टैंड इलाके में होटल है. उस की मम्मी सरिता एक ब्यूटीपार्लर चलाती थीं. दोनों में अच्छी जान पहचान और घरेलू संबंध थे, जिस के कारण दोनों ही रवि बाबू अकसर उन के घर पर आतेजाते रहते थे. रवि बाबू के 3 बच्चे थे.

इस जघन्य अपराध की तह तक पहुंचने के लिए एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने साइबर टीम के साथसाथ एक पुलिस टीम का भी गठन किया.

इस टीम में एसआई लक्ष्मण सिंह गौड़, रविराज सिंह बैस, हैडकांस्टेबल अरविंद तोमर, पवन पांडेय, कमलेश चावला, विलियम सिंह, जितेंद्र सांखला, विजय वर्मा, माखन चौधरी, कांस्टेबल संजय दांगी, विशाल दभाडे, महिला कांस्टेबल रितिका शर्मा आदि को शामिल किया गया था.

टीम का गठन होने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए इस क्षेत्र में लगे लगभग 50 सीसीटीवी कैमरे खंगाले, साथ ही लगभग 100 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ भी की.

कैमरों की जांच करने के बाद पुलिस को जानकारी मिली. इस दौरान मृतक रवि ठाकुर के अलावा 2 व्यक्ति (एक महिला और एक पुरुष) भी आए थे.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने रवि ठाकुर और सरिता ठाकुर के मोबाइलों की खोज की तो दोनों के मोबाइल ही गायब मिले.

पुलिस कैसे पहुंची हत्यारों तक

उस के बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि इस हत्याकांड से कुछ देर पहले ही सरिता ने अपनी सहेली ममता के फोन पर बात की थी. उसी काल डिटेल्स के द्वारा पता चला कि रवि ठाकुर सरिता के साथसाथ ममता से भी बात करता था.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर ममता की शिनाख्त की तो पुलिस का शक उसी पर पक्का हो गया.

उसी शक के आधार पर पुलिस ने ममता के घर पर दबिश दी तो वह घर से गायब मिली. उस के बाद पुलिस ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की तो उस का मोबाइल भी बंद मिला. उस के मोबाइल को ट्रेस करते हुए पुलिस ने देर रात देवनगर (खजराना) से ममता उर्फ पिंकी और उस के पति नितिन को गिरफ्तार कर लिया था.

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दोनों पतिपत्नी को अपनी हिरासत में लेते ही पुलिस ने उन से इस हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की तो दोनों ने जल्दी ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया. ममता ने पुलिस को बताया कि काफी समय से रवि ठाकुर उस के साथ ब्लैकमेलिंग का खेल खेल रहा था.

पुलिस ने रवि ठाकुर के मोबाइल की गैलरी सर्च की तो उस में कई महिलाओं के अश्लील वीडियो मिले, जो सभी उसी के होटल में बनाए गए थे.

पुलिस को रवि ठाकुर के होटल में कई गुप्त कैमरे भी मिले, जिन के सहारे से ही वह महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करते हुए उन की अश्लील वीडियो बना कर उन के साथ अवैध संबंध बनाता था. पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के जिला इंदौर के नंदानगर निवासी रवि ठाकुर ने सरवटे बस स्टैंड के पास स्थित 3 होटल मां वैष्णो पैलेस, हनी और होटल सागर ठेके पर ले रखे थे. इन होटलों से रवि ठाकुर को अच्छी कमाई होती थी. सरिता ठाकुर से रवि ठाकुर की पुरानी जानपहचान थी.

वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया गैंगस्टर अन्ना

अन्ना छोटू चौबे को भाई कह कर बुलाता था. अवैध वसूली, मारपीट, चोरी, धमकी देना इस गैंग का रोजाना का काम हो गया था. अनिराज के अपराधों की पहुंच जबलपुर समेत आसपास के कटनी, नरसिंहपुर और सिवनी जिलों में भी हो गई थी.

अनिराज उर्फ अन्ना छोटू का दाहिना हाथ बन गया था. अपराध की दुनिया में अनिराज का कद छोटू के मुकाबले बढऩे लगा, उसे अच्छी कदकाठी का भी फायदा मिल रहा था. एक गर्लफ्रेंड को ले कर दोनों में दरार हो गई. छोटू चौबे जिस लड़की के लिए अपनी जान न्यौछावर करता था, उसी पर अन्ना का भी दिल आ गया.

जबलपुर को कभी आचार्य विनोबा भावे ने संस्कारधानी कहा था, मगर पिछले कुछ दशकों से जबलपुर अपराध की राजधानी बन कर रह गया है. जबलपुर शहर के अब्दुल रज्जाक, विजय यादव, बब्बू पंडा, कक्कू पंजाबी, रतन यादव, नीरज ठाकुर, छोटू चौबे जैसे दरजनों गैंगस्टर रहे हैं, जिन का खौफ शहर के नागरिकों के साथ व्यापारियों को भी रहता है.

पहली दिसंबर, 2023 को जबलपुर के माढोताल थाने के टीआई के मोबाइल फोन पर एक काल आई. टीआई ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ”सर, मैं कठौंदा कंपोस्ट प्लांट से सुपरवाइजर बोल रहा हूं. यहां ग्रीनसिटी कठौंदा कंपोस्ट प्लांट के पास तालाब में एक लाश तैर रही है. पता नहीं मरने वाला कौन है, जल्दी से यहां पुलिस भेजिएगा.’’

जैसे ही सुपरवाइजर से लाश मिलने की सूचना मिली, टीआई तत्काल ही पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. तब तक वहां लोगों की भीड़ लग चुकी थी. पुलिस ने गोताखोरों की मदद से लाश को बाहर निकलवाया.

मरने वाला हट्टाकट्टा नौजवान था, जिस की उम्र 35 से 40 साल की रही होगी. मृतक के शरीर पर पीले रंग की शर्ट थी और उस के बाएं हाथ पर टैटू से अंगरेजी में ‘अनुष्का’ लिखा हुआ था. जब पुलिस ने वहां पर मौजूद लोगों से पूछताछ की तो जल्द ही लाश की शिनाख्त हो गई.

लोगों ने बताया कि यह लाश इलाके के मशहूर गुंडे अन्ना की है, जो जबलपुर के रसल चौक साईं मंदिर के बाजू में रहता था. अन्ना इलाके में बदमाश के रूप में कुख्यात था. ओमती पुलिस थाने की गुंडे बदमाशों की सूची में उस का नाम शामिल था.

पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि अन्ना के सिर पर गोली मारी कर हत्या की गई थी.

कौन था अन्ना नायडू

माढ़ोताल पुलिस ने जिस अन्ना की लाश बरामद की थी, आखिर वह शख्स कौन था. 35 साल के अन्ना का पूरा नाम अनिराज नायडू था, जो 4 बहनों के बीच इकलौता भाई था. उस की चारों बहनों की शादी हो चुकी थी. 2008 में अनिराज की शादी बरखा नायडू से हुई थी, जिस से 2 बेटियां हैं, जिन की उम्र 16 और 7 साल है.

अनिराज अपनी बड़ी बेटी अनुष्का से बहुत प्यार करता था. यही वजह थी कि उस ने कलाई में उस के नाम का टैटू गुदवाया हुआ था.

शहर के कुख्यात बदमाश अन्ना नायडू के खौफनाक इरादों से हर कोई वाकिफ था कि मौका पडऩे पर अन्ना 15 से 20 लोगों पर अकेला ही भारी पड़ जाता था. यही कारण था कि दूसरे बदमाश भी उस से थरथराते थे. अन्ना जुर्म की इस अंधेरी दुनिया में आ तो गया था, मगर वह अपनी बीवी और बच्चों को इस माहौल से दूर ही रखना चाहता था.

यही वजह थी कि पत्नी बरखा और दोनों बेटियों को उस ने इंदौर शिफ्ट कर दिया था. उस की पत्नी बरखा नायडू चाहती थी कि पति अपराध की दुनिया छोड़ कर एक अच्छी जिंदगी जिए, परंतु जुर्म की दुनिया में फंसने के बाद वहां से निकलना अन्ना के लिए इतना आसान भी नहीं था.

अन्ना के पिता इस दुनिया में नहीं थे और अपनी मां नंदिनी का वह लाडला था. उस की मां अन्ना को साईं कह कर बुलाती थी.

अन्ना के घर छोटू चौबे का आनाजाना था. जब भी छोटू घर आता था तो मां बड़ी परेशान रहती थी. घर के सारे खर्चे अन्ना ही चलाता था. मां जब भी अन्ना से उस के कामकाज के बारे में पूछती, वह कोई उत्तर देने की बजाय हंस कर टाल देता था.

जबलपुर के गोरा बाजार इलाके में अन्ना का बहुत आतंक था, वह गुंडागर्दी कर के वहां के व्यापारियों और राहगीरों को परेशान करता था. बढ़ती शिकायतों के बाद अक्तूबर, 2020 में पुलिस ने उस के खिलाफ काररवाई की थी.

उस समय क्राइम ब्रांच के एएसआई जगन्नाथ यादव ने अनिराज नायडू उर्फ अन्ना की सड़क पर दौड़ा कर पिटाई की थी. एएसआई द्वारा गोरा बाजार क्षेत्र में मारपीट कर अन्ना के कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र कर दिया था. उसी समय एक वकील ने उसे बचाने के लिए अपनी स्कूटी खड़ी की तो वह इस दौरान अपनी जान बचाने के लिए वहां से वकील की स्कूटी ले कर भाग खड़ा हुआ. इस घटना की रिपोर्ट गोरा बाजार थाने में दर्ज कराई गई थी.

बाद में आरोपी अनिराज उर्फ अन्ना के पकड़े जाने के बाद उसे गोरखपुर थाने में पेश किया गया था. उस वक्त उस का हाथ टूटा हुआ था और उस की हालत देख उस की गिरफ्तारी दर्ज कर मैडिकल में भरती करा दिया गया था, दूसरे दिन सुबह उसे जेल भेज दिया गया था.

बाद में अन्ना के घर वालों ने पुलिस पर उस की बेरहमी से पिटाई कर उसे निर्वस्त्र कर दौड़ाए जाने का आरोप लगाते हुए काररवाई की मांग की  थी. अन्ना की मां नंदिनी व बहन करुणा राजमन का कहना था कि अनिराज ने अपराध किया था तो उसे कानून के हिसाब से सजा दी जानी चाहिए, लेकिन क्राइम ब्रांच के एएसआई जगन्नाथ यादव ने उस की बेरहमी से पिटाई की और सरेराह मारपीट कर उसे निर्वस्त्र कर दिया था. घर वालों का आरोप था कि इस दौरान एएसआई द्वारा अपने मोबाइल पर घटना की रिकौर्डिंग भी की गई.

अन्ना के दोस्त आकाश से मिला क्लू

जबलपुर के एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने इस माामले की जांच माढोताल टीआई विपिन ताम्रकार को सौंपी. डीएसपी भगत सिंह गोथरिया के निर्देशन में गठित टीम में टीआई विपिन ताम्रकार के साथ एसआई विजय पुष्पाकर, हैडकांस्टेबल भूपेंद्र रावत, कांस्टेबल शशि प्रकाश को भी शामिल किया गया.

पुलिस टीम  ने पूरे शहर के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और लगभग 60 से अधिक संदिग्ध लोगों से पूछताछ की. कई लोग पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी कर रहे थे. किसी ने बताया कि अन्ना को 25 नवंबर, 27 तो कभी 28 नवंबर को देखा था.  एक शख्स ने पुलिस को बताया कि 25 नवंबर को उखरी चौक के पास हेयर ड्रेसर के पास अनिराज को शेविंग करवाते हुए देखा था. पुलिस को इस मामले की गुत्थी सुलझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी.

अनिराज कुछ ही समय में इलाके का कुख्यात बदमाश बन गया था. उस के खिलाफ हत्या के प्रयास, लूट, मारपीट, अवैध वसूली, अवैध हथियार रखने समेत कई केस अलगअलग थानों में दर्ज हो गए.

अनिराज के पास से पुलिस को एंड्रायड फोन मिला, जिस में सिम नहीं थी. जांच में पता चला कि अनिराज मोबाइल में सिम नहीं रखता था. जब कभी उसे बात करनी होती तो वह वाट्सऐप या इंस्टाग्राम काल करता था.

पुलिस अन्ना की हत्या की जांच में जुटी हुई थी. जबलपुर के माढ़ोताल थाने के टीआई विपिन ताम्रकार अपनी टीम के साथ जांच में जुटे हुए थे. पुलिस ने माढ़ोताल से ले कर विजय नगर, संजीवनी नगर, आईटीआई समेत आसपास लगे 5 से अधिक सीसीटीवी खंगाल डाले, पर हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला.

इस बीच, पुलिस के हाथ अनिराज का एक दोस्त आकाश पटेल लग गया. जब पुलिस ने उस से पूछताछ की तो आकाश ने बताया कि 21 नवंबर की दोपहर करीब 12 बजे अन्ना, अनुश्रेय राय, कामरान के साथ 4-5 लड़के मेरे घर आए थे. दिन भर शराब पीने के बाद शाम 8 बजे सभी वहां से चले गए थे.

इस आधार पर पुलिस जब अनुश्रेय राय के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. 12वीं पास अनुश्रेय राय किराए पर अपने मातापिता और दादी के साथ रहता है. पुलिस ने जब अनुश्रेय को काल किया तो उस का मोबाइल बंद मिला. बस यहीं से पुलिस को शक हुआ और पुलिस टीम इन पर नजर रखने लगी.

पुलिस को मुखबिर से पता चला कि 4 जनवरी को अनुश्रेय और कामरान मुंबई से इंदौर आ गए. जबलपुर में कामरान अली के पिता का 40वां था, जिस में शामिल होने के लिए कामरान अनुश्रेय के साथ 9 जनवरी की रात बस से जबलपुर आ रहा था, तभी पुलिस ने दोनों को दबोच लिया. दोनों से जब सख्ती के साथ पूछताछ की गई तो अन्ना के मर्डर की पूरी कहानी आईने की तरह साफ हो गई.

साल 2013 में अन्ना की मुलाकात छोटू से जब हुई थी, उस समय अनिराज पेशे से ड्राइवर था और छोटू चौबे छोटेमोटे अपराध किया करता था. दोनों एकदो मुलाकातों के बाद अच्छे दोस्त बन गए.

अनिराज हट्टाकट्टा नौजवान था. वह भी छोटू के साथ वसूली, मारपीट जैसे अपराध करने लगा. उन का उद्ïदेश्य लोगों के बीच खौफ पैदा करना और वर्चस्व बनाना था. छोटू ने गैंग बना लिया.

अनिराज ने भी अलग गैंग बनाना शुरू कर दिया था, यही बात छोटू चौबे को खटकने लगी. उसे लगा कि अगर अनिराज आगे बढ़ गया तो उस का वर्चस्व ही खत्म हो जाएगा.

3 नवंबर को संपत्ति को ले कर दोनों में फोन पर जम कर बहस और गालीगलौज भी हुई थी. प्रौपर्टी के एक विवाद को ले कर दोनों में तलवारें भी खिंच गईं. इस के बाद छोटू ने अनिराज को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया.

छोटू चौबे ने मदन महल में एक वारदात को अंजाम दिया था, जिस के चलते कुछ समय पहले ही उस पर 2 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. छोटू पुलिस के इनाम और विरोधियों के चलते लगातार शहर से बाहर रह रहा था.

मुंबई में बनी अन्ना के मर्डर की योजना

छोटू चौबे पर जबलपुर में अपराध के इतने मामले दर्ज हो चुके थे कि वह फरारी काटने नेपाल चला गया था. नेपाल में रहते हुए उसे पता चला कि ओमती और पनागर में दर्ज मामलों में उस की गैंग का साथी नया मोहल्ला निवासी 30 साल का कामरान अली भी  मुंबई के चार रोड, दादर वडाला में रह कर फरारी काट रहा है. कामरान चूंकि अन्ना नायडू के भी करीब था, इसलिए छोटू उस से मिलने के लिए नेपाल से पहले दिल्ली और फिर मुंबई पहुंच गया.

यहीं पर छोटू ने कामरान के साथ मिल कर अन्ना नायडू की हत्या का प्लान बनाया. इस के लिए छोटू ने अपने गैंग के करीबी नया मोहल्ला निवासी मोहम्मद आदिल और संजीवनी नगर गढ़ा निवासी अनुश्रेय राय को भी तैयार किया.

18 साल का अनुश्रेय वुशु का राज्य स्तर का खिलाड़ी था. राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में उस ने मैडल भी जीते थे, लेकिन कुछ समय पहले से वह इस गैंग के चक्कर में बदमाशी करने लगा था. अन्ना फरारी के दौरान कई बार उस के घर में रुकता था.

वहीं नया मोहल्ले का रहने वाला मोहम्मद आदिल पेशे से मैकेनिक था, लेकिन वह देसी पिस्टल बनाने और उन्हें सुधारने का काम भी कर लेता था.

लिंक रोड में उस की दुकान थी. छोटू पिछले 2 साल से आदिल के पास गाड़ी सुधरवाने आता था. छोटू की आदिल से पहचान तब हुई थी, जब वह बाइक ठीक कराने उस के पास गया था. उस समय आदिल ने छोटू की पिस्टल को भी ठीक किया था. उसी समय छोटू ने उसे अपनी गैंग में जोड़ लिया था. कुछ ही महीने में आदिल छोटू का राइट हैंड बन गया.

16 नवंबर, 2023 को छोटू और कामरान फ्लाइट से जबलपुर आए. पूरा प्लान पहले से तैयार था. प्लान के मुताबिक कामरान ने अन्ना से संपर्क किया. कामरान और अनुश्रेय 21 नवंबर, 2023 की सुबह अनिराज से मिले. कामरान ने अन्ना से कहा, ”भाई, बहुत दिनों से हम साथ नहीं बैठे, आज रात कहीं पार्टी करते हैं.’’

अन्ना शराब पार्टी का न्यौता मिलते ही खुश हो कर बोला, ”हां भाई, बताओ किस जगह पहुंचना है.’’

”लार्ड गंज में आकाश के घर बैठ कर मस्ती करते हैं,’’ अनुश्रेय बोला.

इस के बाद दोपहर को ही वे आकाश के घर लार्डगंज पहुंच गए, जहां सब ने खूब शराब पी. रात के लगभग 8 बजे शराब पीने के बाद कामरान और अन्ना अनुश्रेय के घर पहुंचे, जहां अन्ना सो गया. कामरान और अनुश्रेय ने यहीं पर खाना और्डर किया. खाना खाने के बाद रात के लगभग एक बजे दोनों ने अन्ना को हिलाडुला कर देखा. वह अब भी बेसुध पड़ा हुआ था.

रात के लगभग डेढ़ बजे अनुश्रेय ने कामरान के फोन से छोटू को काल किया, ”भाई, जल्दी से मेरे घर आ जाओ. अन्ना शराब के नशे में  मदहोश हो कर सो गया है.’’

यह सुनते ही छोटू चौबे अपने साथी आदिल के साथ अनुश्रेय के घर पहुंच गया, जहां अन्ना सो रहा था. छोटू ने बिना समय गंवाए पास में रखी पिस्टल निकाली और अन्ना की खोपड़ी पर फायर कर उस की हत्या कर दी. कुछ ही पलों में अन्ना का काम तमाम हो गया.

इस के बाद उन्होंने लाश को स्कौर्पियो की डिक्की में रखा और कृषि उपज मंडी, फिर गायत्री मंदिर होते हुए कठौंदा पहुंचे और लाश को तालाब में फेंक कर लौट आए. इस के बाद छोटू, कामरान और अनुश्रेय मुंबई चले गए थे, वहीं आदिल भी वहां से भाग निकला था.

2222 ही क्यों रखा गैंग का नाम

जबलपुर के राइट टाउन में होमसाइंस कालेज रोड पर रहने वाले एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखने वाला छोटू चौबे 2015 से कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है. छोटू चौबे की गाडिय़ों के साथ उस के पर्सनल मोबाइल नंबर और साथियों के मोबाइल नंबर में 2222 होता है. इसलिए छोटू चौबे ने अपनी गैंग का नाम डबल टू डबल टू (2222) रखा है.

2018 में एनएसयूआई नेता सक्षम गुलाटी और इमरान बाबर के बीच हुए झगड़े के दौरान पुलिस की गाड़ी पर गोली चलाने की घटना में छोटू चौबे की मुख्य भूमिका थी.

छोटू की विजय यादव गैंग से अदावत थी. छोटू की आपराधिक प्रवृत्ति को देखते हुए एसपी ने उस पर 10 हजार का इनाम भी घोषित किया था, इस के बावजूद वह पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाता है. पिछले सालों में छोटू ने शहर के अलगअलग इलाकों में दिनदहाड़े फायरिंग कर खाकी वरदी को खुलेआम चुनौती दी, लेकिन पुलिस आज तक उसे पकड़ नहीं सकी.

छोटू चौबे ने 2018 में अपने जन्मदिन पर ग्वारीघाट नर्मदा तट पर देर रात साथियों के साथ पूजनअर्चन करने के बाद दोनों हाथों में पिस्टल ले कर कई फायर किए थे. जिस का वीडियो भी यूट्यूब पर अपलोड किया गयाथा.

उस समय इस वीडियो को शहर के काफी युवाओं ने लाइक किया था. इस के अलावा छोटू के घुंघराले बाल, मोटी चेन और दोनों हाथों में रिवौल्वर पकड़े हुए तसवीरें वायरल कर के सोशल मीडिया पर गैंग औफ 2222 से जुडऩे के लिए युवाओं को गैंग से जुडऩे की अपील की गई थी, जिस में टैगलाइन थी—’आइए गैंग औफ 2222 से जुडि़ए. हमारे गैंग से जुडऩे वालों को कोई हाथ तो क्या, घूर भी नहीं सकता.’

इस टैगलाइन के साथ उन दिनों फेसबुक, यूट्यूब और वाट्सऐप ग्रुपों पर गैंगस्टर छोटू चौबे की तसवीरों के साथ बंदूक, रिवौल्वरों की तसवीरें और कई लाइव वीडियो अपलोड किए गए थे. चौंकाने वाली बात यह है कि शहर के 5 हजार से ज्यादा युवा इस गैंग से जुड़ चुके हैं.

झंडा यात्रा में पुलिस से कैसे बच गया गैंगस्टर छोटू

18 जनवरी, 2022 को जबलपुर की मदन महल पुलिस ने छोटू चौबे को गिरफ्तार किया था. उस समय जबलपुर के अलगअलग थाना क्षेत्रों में 16 आपराधिक मामले दर्ज थे.

छोटू के खिलाफ बलवा, मारपीट, हत्या का प्रयास और आम्र्स एक्ट के तहत मामले दर्ज होने के बाद उस पर प्रतिबंधात्मक काररवाई की गई. मगर उस की आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ. विजय नगर पुलिस ने उस पर एनएसए लगाया तो वह फरार हो गया था.

कुख्यात बदमाश छोटू चौबे ने 13-15 मई, 2018 की दरमियानी रात अपने 15-20 साथियों के साथ गोरखपुर से एंपायर तिराहे तक जम कर आतंक मचाया था. गोरखपुर गुरुद्वारे के पीछे रहने वाले महबूब अली के घर पर काम करने वाले शाहरुख नाम के युवक को ढूंढने पहुंचे छोटू चौबे ने महबूब पर दनादन गोलियां चलाते हुए कई घरों में तोडफ़ोड़ भी की थी.

गोली चलने में महबूब और उस का भाई रहमान बालबाल बच गए, गोलियों की आवाज सुन कर पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो गया, जिस के बाद छोटू और उस के गुर्गे भाग निकले.

कुछ देर बाद ही छोटू अपने साथियों के साथ एंपायर तिराहा स्थित महबूब अली के कैंट नाके पर पहुंचा, जहां नाके पर बैठे विकास चक्रवर्ती नाम के कर्मचारी को चाकुओं से छलनी करने के बाद छोटू और उस के साथियों ने कई राउंड फायरिंग भी की थी.

रात करीब 2 से 3 बजे हुई इस वारदात के बाद छोटू की गैंग अंडरग्राउंड हो गई और फिर पुलिस सक्रिय हो कर सुबह तक सिर्फ खोखे बटोरती रही.

पुलिस रिकौर्ड में मोस्टवांटेड गैंगस्टर छोटू चौबे ने 13 अगस्त, 2018 को जबलपुर शहर में  झंडा यात्रा निकाली थी. इस झंडा यात्रा का सोशल मीडिया पर खूब प्रचार भी किया गया. निर्धारित तारीख और समय पर झंडा यात्रा शुरू हुई, यात्रा में मोस्टवांटेड गैंगस्टर छोटू चौबे भी शामिल हुआ, लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई, जबकि पुलिस इसी यात्रा के लिए ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रही थी.

गैंगस्टर छोटू का नेटवर्क पुलिस से भी तेज था. मदन महल और गढ़ा पुलिस गैंगस्टर छोटू चौबे की झंडा यात्रा में ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रही थी. सब कुछ खुल्लमखुल्ला था, परंतु पुलिस उस की तलाश तक नहीं कर रही थी.

जब किसी जागरूक नागरिक ने इस की सूचना पुलिस को दी तो उस समय के गोरखपुर थानाप्रभारी संदीप आयाची तत्काल पूरे दलबल के साथ शारदा मंदिर और आसपास के इलाके में दबिश देने लगे, परंतु छोटू को इस की भनक पहले ही लग गई और वह अपने साथियों के साथ आराम से निकल गया.

अनिराज नायडू उर्फ अन्ना की हत्या के मामले में पुलिस ने अनुश्रेय राय और कामरान अली को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. वहीं मर्डर का मुख्य आरोपी छोटू चौबे उर्फ सुयश और मोहम्मद आदिल कथा लिखने तक फरार थे. पुलिस ने छोटू और आदिल की गिरफ्तारी पर 10-10 हजार का इनाम भी घोषित किया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित