लड़की, लुटेरा और बस – भाग 2

फोन की घंटी बजी, मैं ने लपक कर फोन उठाया. दूसरी ओर मेरा एक सबइंसपेक्टर था, जिसे मैं ने शारिक के बारे में पता करने के लिए उस के दोस्तों के यहां और औफिस भेजा था. उस ने बताया, “दोस्तों से तो कुछ पता नहीं चला, लेकिन औफिस वालों से पता चला है कि 2 बजे शारिक के लिए किसी का फोन आया था. इस के बाद वह हड़बड़ा कर औफिस से निकल गया था. तब से वह किसी को दिखाई नहीं दिया.”

मोहल्ले वालों से पता चला था कि 8 दिन पहले नजमा के भाइयों ने किसी लडक़े की घर के पास जम कर पिटाई की थी. वजह मालूम नहीं हो सकी, पर वह लडक़ा शारिक नहीं था.

फोन एक बार फिर बजा. मैं ने रिसीवर उठा कर कान से लगाया तो दूसरी ओर से किसी लडक़ी की घबराई हुई आवाज आई, “अकबर भाई बोल रहे हैं न?”

मैं ने कहा, “हां.”

लडक़ी घबराहट में आवाज नहीं पहचान पाई और जल्दीजल्दी कहने लगी, “अकबर भाई, एक आदमी मुझे पकड़ कर यहां ले आया है. मुझे एक कमरे में बंद कर के खुद न जाने कहां चला गया है? यह फोन दूसरे कमरे में था, खिडक़ी का शीशा तोड़ कर किसी तरह मेरा हाथ वहां पहुंचा है. सारे दरवाजे बंद हैं. प्लीज, मेरे अब्बा तक खबर पहुंचा दें.”

इतना कह कर वह रोने लगी. मैं ने कहा, “मैं अकबर का दोस्त बोल रहा हूं. वह अभी घर पर नहीं है. आप यह बताएं कि आप बोल कहां से रही हैं?”

“यह मुझे नहीं मालूम. मुझे बेहोश कर के यहां लाया गया है. मुझे पता नहीं है.”

“तुम उसे पहचानती हो, जो तुम्हें वहां ले आया है?”

“नहीं, पर वह लंबातगड़ा आदमी है. पतलूनकमीज पहने है, हाथ में कड़ा भी है. वह मेरे कमरे की खिडक़ी से अंदर आया था. उस ने मेरे मुंह पर कोई चीज रखी और मैं बेहोश हो गई. प्लीज, कुछ कीजिए. शारिक या उस के अब्बा से बात करवा दीजिए.”

मैं ने कहा, “मिस नजमा, हम सब आप की तलाश में लगे हैं. लेकिन जब तक आप पता या जगह नहीं बताएंगी, हम कुछ नहीं कर सकते. खिडक़ी से देख कर कुछ अंदाजा नहीं लगता क्या?”

अब तक सभी फोन के पास आ कर खड़े हो गए थे और बात समझने की कोशिश कर रहे थे. मैं ने पूछा, “मिस नजमा, वह आदमी घर में है या कहीं बाहर गया है?”

“मुझे होश आया तो मैं ने गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज सुनी. शायद वह कहीं बाहर गया है.”

मैं ने कहा, “मिस नजमा, फोन काट कर तुम टेलीफोन एक्सचैंज फोन करो. वे लोग पता लगा लेंगे कि तुम कहां से बोल रही हो. और इस के बाद एक्सचैंज का नंबर बता कर मैं ने फोन रख दिया. सभी जानने को बेचैन थे कि क्या हुआ. मैं ने उन्हें चुप रहने को कहा और एक्सचैंज फोन किया. सब की निगाहें फोन पर जमी थीं. एक्सचैंज वालों ने कहा, “जैसे ही नंबर ट्रेस होगा, पता बता देंगे.”

एकएक मिनट भारी पड़ रहा था. 15 मिनट बीत गए. घंटी नहीं बजी. मुझे ङ्क्षचता हो रही थी. इस के बाद एक्सचैंज से फोन आया कि उन्हें कहीं से कोई फोन नहीं किया गया. बात हो ही रही थी कि फोन आने का संकेत मिला. मैं ने फोन काट कर दोबारा फोन उठाया तो दूसरी ओर नजमा थी.

उस ने कहा कि वह एक्सचैंज फोन करने की कोशिश कर रही थी, पर कामयाब नहीं हुई, क्योंकि टेलीफोन करने के चक्कर में रिसीवर नीचे गिर गया. डायल में कोई खराबी आ गई है. वहां फोन नहीं लगा. बड़ी मुश्किल से न जाने कैसे आप को लग गया. वह रो रही थी और मिन्नतें कर रही थी कि उसे किसी तरह बचा लें, कहीं अगवा करने वाला आ न जाए.

हम कितने बेबस थे. एक मजबूर लडक़ी की फरियाद सुन रहे थे, पर उस के लिए कुछ कर नहीं पा रहे थे. वह बारबार कह रही थी, “अब फोन काटना मत, वरना दोबारा फोन नहीं मिल पाएगा.”

उसी बीच डीएसपी और एसपी साहब भी आ गए थे. याकूब अली का ड्राइंगरूम थाने का औफिस बन गया था. पूरी स्थिति जानने के बाद एसपी साहब ने कहा, “डीसी साहब का सख्त आदेश है कि किसी भी तरह जल्दी से जल्दी लडक़ी की तलाश की जाए.”

उसी समय नजमा के मांबाप भी दाखिल हुए. नजमा फोन पर थी. उस की आवाज सुन कर उस की मां जोरजोर से रोने लगी. तभी नजमा ने चीखते हुए कहा, “वह आ गया है, गाड़ी की आवाज आ रही है, वह किसी कमरे का दरवाजा खोल रहा है, उस के कदमों की आवाज साफ सुनाई दे रही है.”

मैं ने जल्दी से कहा, “मिस नजमा, हौसले से काम लो. मैं तुम से वादा करता हूं कि मैं तुम्हें जरूर बचाऊंगा.”

इसी के साथ मुझे दूर से गाडिय़ों और हौर्न की आवाजें आती सुनाई दीं. इस का मतलब वह घर किसी बड़ी सडक़ के किनारे था, जिस से बड़ी गाडिय़ां और ट्रक गुजरते थे. तभी उस की धीमी आवाज आई, “कोई दरवाजा खोल रहा है.”

मैं ने उस से कहा, “रिसीवर क्रेडिल के बजाय नीचे रख दो और खिडक़ी के टूटे शीशे के सामने खड़ी हो जाओ.”

उसी वक्त रिसीवर के नीचे गिरने की आवाज आई. शायद नजमा ने घबराहट में रिसीवर छोड़ दिया था. इस के बाद दरवाजा खुलने और किसी मर्द के कुछ कहने की आवाज आई. वह क्या कह रहा था, यह समझ में नहीं आ रहा था. इस के बाद दरवाजा बंद हुआ और बातें खत्म हो गईं. अब बस ट्रैफिक का शोर सुनाई दे रहा था.

एक तरकीब मेरे दिमाग में आई. मैं ने एसपी साहब से पूछा, “सर, आप की जीप में वायरलैस और रिसीवर है?”

उन्होंने कहा, “हां है.”

मैं ने भाग कर उन के ड्राइवर के पास जा कर कहा, “जल्दी से जीप का साइलैंसर निकाल दो.”

इस के बाद साहब से कहा, “मैं ने साइलैंसर निकलवा दिया है. मैं इस जीप से शहर की सडक़ों पर गुजरूंगा. आप अपना कान इस टेलीफोन से लगाए रखें. जब और जहां आप को हमारी जीप की आवाज सुनाई दे, आप वायरलैस से हमें खबर कर दें.”

बात डीएसपी साहब की समझ में आ गई. उन्होंने हैरत से मुझे देखा. एसपी साहब भी खुश और जोश में नजर आए. मैं कुछ बंदों के साथ फौरन जीप से रवाना हो गया. रात के साढ़े 10 बज रहे थे, पर सडक़ें जाग रही थीं. मैं ने वायरलैस चालू कर के एक सबइंसपेक्टर को पकड़ा कर बैठा दिया. मैं ने वे सडक़ें चुनी, जहां से भारी वाहन गुजरते थे. जीप तेजी से सडक़ों पर दौड़ रही थी. उस के शोर से लोग मुड़ कर देख रहे थे. आधा घंटे तक कुछ हासिल नहीं हुआ.

लड़की, लुटेरा और बस – भाग 1

यह एक शहरी थाने का मामला है. शाम को मैं औफिस में बैठा एक पुराने मामले की फाइल पलट रहा था, तभी 2-3 लोग काफी घबराए हुए मेरे पाए आए. शक्लसूरत से वे लोग ठीकठाक लग रहे थे. उन में एक दुबलापतला और अधेड़ उम्र का आदमी था, उस का नाम इनायत खां था, वह शहर का चमड़े का सब से बड़ा व्यापारी था.

उस ने बताया कि उस की बेटी गायब है. उसे शारिक नाम के युवक ने अगवा किया है. वह उन का दूर का रिश्तेदार है, जिस की अभी जल्दी ही किसी औफिस में नौकरी लगी है. इस के पहले वह आवारागर्दी किया करता था. उस की मां उस के पास उन की बेटी का रिश्ता मांगने आई थी, पर उन्होंने उसे कोई जवाब नहीं दिया था.

इनायत खां ने आगे बताया कि उस की बेटी नजमा मुकामी कालेज में पढ़ रही थी. उस की उम्र 17 साल थी. शरीफ उसे बहलाफुसला कर भगा ले गया था. मैं ने उस की शिकायत दर्ज कर ली और एक एसआई तथा 2 सिपाहियों को शारिक के बारे में पता करने उस के घर भेज दिया. आधे घंटे में वे शारिक के पिता और बड़े भाई को साथ ले कर थाने आ गए. दोनों के चेहरों पर परेशानी झलक रही थी.

शारिक के बाप ने कहा, “थानेदार साहब, मेरा बेटा शारिक ऐसा गलत काम नहीं कर सकता. फिर उसे ऐसा करने की जरूरत ही क्या थी? 2-3 महीने में वैसे भी नजमा से उस की शादी होने वाली थी.”

इस पर नजमा का बाप भडक़ उठा, “याकूब अली, तुम ने बेटे के लिए नजमा का रिश्ता मांगा जरूर था, पर अभी शादी तय कहां हुई थी? शायद इसी वजह से उस ने मेरी बेटी को गायब कर दिया है. तुम लोगों की बदनीयती सामने आ गई है.”

दोनों के बीच तकरार होने लगी. मैं ने उन्हें चुप कराया. याकूब अली इस बात पर अड़ा था कि शारिक और नजमा की शादी तय हो चुकी थी, जबकि इनायत खां मना कर रहा था. मैं ने उन्हें समझाबुझा कर घर भेज दिया.

मैं ने सोचा, थोड़े काम निपटा कर इनायत खां के घर जाता हूं कि तभी डिप्टी कमिश्नर साहब का फोन आ गया. मैं चौंका, अंग्रेज हाकिम के मिजाज को वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने उन के अंडर में काम किया हो. उन्होंने लडक़ी के अगवा के मामले का जिक्र करते हुए कहा, “तुम फौरन लडक़ी के बारे में पता करो. किसी भी कीमत पर कुछ ही घंटों में मुझे लडक़ी चाहिए.”

मैं ने उन्हें यकीन दिला कर फोन बंद कर दिया. इस के तुरंत बाद डीएसपी साहब को फोन लगाया. उन्होंने भी कहा, “डीसी साहब का फोन आया था. तुम फौरन लडक़ी की तलाश में लग जाओ, शारिक को पकडऩे के लिए छापा मारो, मैं ने शहर से निकलने वाले सारे रास्तों पर नाकाबंदी करा दी है. रेलवे स्टेशन और बसस्टैंड पर भी आदमी भेज दिए हैं.”

डीएसपी साहब से सलाह कर के मैं सहयोगियों के साथ याकूब अली के घर जा पहुंचा. उस समय रात के 8 बज रहे थे. शारिक के भाई अकबर ने दरवाजा खोला. याकूब अली घर पर नहीं था. मैं ने थोड़ा तेज लहजे में कहा कि शारिक को छिपाने की गलती न करें, वरना परेशानी में पड़ जाएंगे. शारिक की मां अपने बेटे की सफाई में दुहाई देने लगी.

उस ने बताया कि नजमा इनायत खां की सगी बेटी नहीं थी. उस ने बीवी की मौत के बाद दूसरी शादी की थी. यह लडक़ी उसी दूसरी बीवी की है और उस के साथ इनायत खां के यहां आई थी. नजमा की मां रईसा उन की रिश्तेदार थी, इसलिए उन का एकदूसरे के यहां आनाजाना था.

नजमा शारिक को पसंद करने लगी थी. वह अकसर उन के घर आ कर छोटेमोटे काम वगैरह भी कर देती थी. शारिक की मां को वह अम्मीजान कहती थी. शारिक भी उसे पसंद करने लगा था. उस के छोटे भाई भी उसे खूब चाहते थे. इसी वजह से उस ने शारिक के रिश्ते की बात चलाई थी, जो उन्होंने मंजूर कर ली थी. 3-4 महीने में शादी होने वाली थी. वह उलझन में थी कि अब वे लोग ऐसा क्यों कह रहे थे कि शादी तय नहीं थी, जबकि सब कुछ तय हो चुका था.

रईसा शारिक की मां की चचेरी बहन थी. वह खुशीखुशी बेटी देने को तैयार थी. अब क्यों इनकार कर रही हैं, यह बात समझ के बाहर थी. मुझे लगा रईसा से मिल कर सच्चाई मालूम करनी पड़ेगी. मैं इसी बात पर विचार कर रहा था कि फोन की घंटी बजी. अकबर ने फोन उठाया, आवाज सुन कर उस का रंग उड़ गया. 2 शब्द बोल कर उस ने रिसीवर रख दिया.

“कौन था?” उस की मां ने पूछा.

“रौंग नंबर था.” उस ने जल्दी से कहा.

मैं समझ गया कि वह कुछ छिपा रहा है. मैं ने कहा, “तुम कह रहे थे कि शारिक 8 बजे तक घर आ जाता है, अब तो 9 बज रहे हैं, वह आया नहीं, बताओ कहां है? और हां, अब फोन आएगा तो तुम नहीं, मैं उठाऊंगा.”

इस के बाद मैं एक सिपाही को चौधरी इनायत खां के यहां भेज कर खुद शारिक की मां और उस के भाई से पूछताछ करने लगा. उन्होंने बताया कि शारिक औफिस से 3 बजे आता है, खाना खा कर थोड़ा आराम करता है, इस के बाद जाता है तो 7-8 बजे आता है, पर आज वह एक बार भी घर नहीं आया. मां अपने बेटे की तारीफें करती रही.

सिपाही इनायत खां के यहां से पूछताछ कर के आ गया. उस ने बताया, “साहब, उन की पौश इलाके में शानदार कोठी है. नजमा की मां रईसा से बात हुई. उन का कहना है कि शारिक का रिश्ता आया था, लेकिन बात बनी नहीं. जहां तक नजमा के अपहरण की बात है, उस में पक्के तौर पर शारिक का हाथ है.”

जिस सबइंसपेक्टर को जांच के लिए भेजा था, उस ने बताया, “नजमा शाम से पहले लौन में बैठी थी. इस के बाद अपने कमरे में चली गई. थोड़ी देर बाद मां उस के कमरे में गई तो वह कमरे से गायब थी. कमरे की पिछली खिडक़ी खुली थी. जनाब मैं ने खुद कमरा बारीकी से देखा है, शीशे का एक गिलास टूटा पड़ा था, तिपाई गिरी पड़ी थी, लडक़ी की एक जूती कमरे में पड़ी थी, हालात बताते हैं कि लडक़ी को खिडक़ी के रास्ते से जबरदस्ती ले जाया गया था.”

सबइंसपेक्टर की बातें सुन कर मैं उलझन में पड़ गया. नजमा के घर वाले शारिक पर इल्जाम लगा रहे थे. जबकि शारिक की मां का कहना था कि जब शारिक की उस से शादी होने वाली थी तो वह ऐसा क्यों करेगा? उस का कहना था कि यह सब लडक़ी के सौतेले बाप की साजिश है.

बीता वक़्त वापिस नहीं आता

उधार का चिराग

Top 25 Crime Kahaniyan In Hindi : टॉप 25 क्राइम कहानियां हिंदी में

Top 25 Crime Kahaniyan :  इन क्राइम कहानियों को पढ़कर आप जान पाएंगे कि इस बदलते समाज में कैसे और किस तरह के अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. समाज में हो रहे अपराध और धोखाधड़ी से आप स्वयं को और अपने आस पास के लोगों को जागरूक करने के लिए पढ़े ये मनोहर कहानियां Best 25 Crime Kahaniyan in Hindi 

1. दिल्ली का साहिल साक्षी केस : प्यार पर नफरत के वार – भाग 1

“किसी को जो कुछ कहना है, कहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं तुझे दिल से चाहता हूं और तुम किसी और को, यह मुझे कदापि बरदाश्त नहीं होगा, समझी?” बोलते हुए साहिल उस के बालों को कस कर पकड़ कर खींचने लगा. उस का दूसरा हाथ साक्षी की गरदन पर आ गया था. साक्षी अचानक साहिल के इस हमले से लडख़ड़ा गई. किसी तरह उस के हाथ से अपने बालों को छुड़ाया. तब तक वह जमीन पर गिरने की स्थिति में आ गई थी.

दूसरी तरफ साहिल हारे हुए शिकारी की तरह तिलमिलाने लगा था, चीखा, “हरामजादी, रंडी कहीं की, इश्क करेगी? अभी बताता हूं, तूने अभी तक मेरा गुस्सा नहीं देखा है. कल तक प्यार से समझा रहा था, फिर भी तू नहीं मानी, अब देख मैं क्या करता हूं…”

साहिल ने फुरती से अपनी जींस पैंट में से बड़ा चाकू निकाल लिया. बाएं हाथ से बाल समेत उस की गरदन दबोच ली, दाएं हाथ में चाकू से दनादन उस पर वार करने लगा. साक्षी चीखने लगी. उस की चीख सुन कर पास से गुजर रहे कुछ लोग ठिठक गए.

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2. नन्हा हत्यारा, जिसने पूरा पंजाब हिला दिया

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रमेश दीपू को अपने कमरे में ले जा कर अंदर से कुंडी बंद कर ली. इस के बाद उसे उठा कर पलंग पर पटक दिया. अचानक हुए इस हमले से दीपू घबरा गया और खुद को रमेश के चंगुल से छुड़ाने के लिए हाथपैर चलाने लगा. दीपू छोटा और उस से कमजोर था, इसलिए उस का मुकाबला नहीं कर सका. उस ने रमेश को 2-3 जगह दांतों से काटा भी. लेकिन रमेश उस की छाती पर सवार हो गया और उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

दीपू की हत्या करने के बाद रमेश ने लाश को पलंग से नीचे उतारा और घसीट कर बाथरूम में ले गया. इस के बाद घर में रखी खुरपी से उस के शरीर के टुकड़े कर प्लास्टिक के कट्टे में भर दिए. दिल निकाल कर उस ने अलग पौलीथिन में रख लिया. जब गली में कोई नहीं दिखाई दिया तो लाश के टुकड़ों वाले कट्टे ले जा कर खाली प्लौट में फेंक आया.

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3. रिश्तों की कब्र खोदने वाला क्रूर हत्यारा – भाग 1

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पुलिस टीम जब अंदर दाखिल हुई तो वहां का नजारा देख चौंकी. कमरों का इंटीरियर बहुत अच्छा था, हर कमरे में एलसीडी लगे थे पर पूरा घर अस्तव्यस्त पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे वहां मुद्दत से साफसफाई नहीं की गई है. पुलिस ने उदयन से आकांक्षा के बारे में पूछा तो वह खामोश रहा.

पहली मंजिल पर चबूतरा बना देख पुलिस वालों का चौंकना स्वाभाविक था. कमरों में सिगरेट के टोंटे पड़े थे. साथ ही शराब की खाली बोतलें भी लुढ़की पड़ी थीं. सिगरेट के टोंटों की तादाद हजारों में थी. कुछ प्लेटों में बासी सब्जी व दाल पड़ी थी, जिन से बदबू आ रही थी.

जैसेजैसे पुलिस टीम घर को देख रही थी, वैसेवैसे रोमांच और उत्तेजना दोनों ही बढ़ती जा रही थीं. हर कमरे की दीवार पर लव नोट्स लिखे हुए थे, जिन में आकांक्षा के साथ बिताए लम्हों का जिक्र साफ दिखाई दे रहा था. कुछ देर घर में घूमने के बाद पुलिस ने जब उदयन से दोबारा पूछा कि आकांक्षा कहां है तो उस ने बेहद सर्द आवाज में जवाब दिया, ‘‘मैं ने उस का कत्ल कर दिया है और वह इस चबूतरे के नीचे है.’’

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4. अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 1

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युवा प्रेमी से मिलने वाले जिस्मानी सुख को पाने की चाहत में संतोष शर्मा का दिमाग इस कदर खराब हुआ कि वह अपना घरबार, गृहस्थी, पति, बच्चे सभी कुछ भुला बैठी. संतोष शर्मा खुद से 10 साल छोटे आशिक हनुमान को हनी कह कर बुलाने लगी. हनी एक दोस्त के साथ उदयपुर में किराए के कमरे में रह कर बीपीएड की ट्रेनिंग कर रहा था. वह शारीरिक शिक्षक की नौकरी हासिल करना चाहता था. अविवाहित था.

घर से पैसे मंगा कर उदयपुर में दोस्त के साथ रह कर ट्रेनिंग कर रहा था. साथ ही मार्शल आर्ट का भी उसे शौक था. इसी दौरान कोचिंग में उस की मुलाकात संतोष शर्मा से हुई थी. उम्र में बड़ी हो कर भी उस का फिगर नवयुवतियों को मात करने वाला था. उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह 3 बच्चों की मां है. सलवार सूट में तो वह अभी भी किसी कालेज गर्ल जैसी ही दिखती थी. खूबसूरती और सैक्स अपील की अदाओं पर ही हनुमान मर मिटा था. जल्द ही वह संतोष शर्मा के इशारों पर नाचने लगा था.

अविवाहित हनुमान संतोष शर्मा के शारीरिक आकर्षण से पागल सा हो गया था. संतोष शर्मा एक आधुनिक दौर की युवती थी, जो जिंदगी का भरपूर आनंद लेने में विश्वास रखती थी. उसे अपने तीनों बच्चों से कोई मोह नहीं था और न ही वह अपने पति बनवारी लाल को दिल से पसंद करती थी.

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5. 60 साल का लुटेरा: 18 महिलाओं से शादी करने वाला बहरूपिया – भाग 1

crime kahani

देखतेदेखते एक प्रोफाइल पर उस की नजर अटक गई. नाम था डा. बिधु प्रकाश स्वैन. केंद्र सरकार की नौकरी थी. वह स्वास्थ्य मंत्रालय के सेंट्रल बोर्ड औफ ऐडमिशन कमिटी का डेप्युटी डायरेक्टर जनरल के पद पर बेंगलुरु में पोस्टेड था. उस ने अपनी पसंद के बारे में लिखा था, ‘‘उसे एक एक समझदार और कल्चर्ड महिला की तलाश है.’’

प्रोफाइल में उम्र दर्ज थी 42 साल. मैरिटल स्टेटस में अनमैरेड लिखा था. साथ ही अपने अविवाहित होने का कारण भी था कि उस की शादी पारिवारिक जिम्मेदारियों को उठाने और नौकरी के सिलसिले में ट्रांसफर आदि होते रहने के चलते नहीं हो पाई थी. पुश्तैनी घर, परिवार और इलाके की कुछ तसवीरों के अलावा अशोक स्तंभ चिह्न के लोगो लगे विजिटिंग कार्ड और भारत सरकार लिखे लालबत्ती गाड़ी की तसवीरें भी लगी हुई थीं.

यह सब देख कर अवंतिका को उस पर भरोसा बन गया. दूसरी बात यह कि वह भुवनेश्वर में पढ़ाई के सिलसिले में रह चुकी थी, इसलिए उस प्रोफाइल को नजरंदाज नहीं कर पाई. लैपटाप पर सेव कर वह विशलिस्ट में डाल दी.

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6. 3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज – भाग 1

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“अरे जीजाजी सब ठीक है, बहुत दिनों से हमारी राधा दीदी से बात नहीं हुई तो सोचा आज होली का त्यौहार है, इसी बहाने उस से बात कर लूं.’’ दिलीप ने शैलेंद्र से कहा.

“लेकिन तुम्हारी जीजी तो 8-10 दिन पहले ही देवरी जाने की बोल कर गई है, क्या तुम्हारे पास नहीं पहुंची?’’ शैलेंद्र ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा.

“अरे जीजा, काहे मजाक कर रहे हो. चलो जल्दी से राधा से बात कराओ,’’ दिलीप बोला.

“अरे भाई, मैं मजाक नहीं कर रहा, सच बोल रहा हूं. राधा घर पर यही बोल कर निकली है कि काफी दिनों से वह अपने मायके नहीं गई है, इसलिए होली पर गुलाल लगाने भाई के घर जा रही है. यकीन न हो तो शक्ति और शौर्य से बात कर लो.’’

शैलेंद्र ने दिलीप को यकीन दिलाते हुए मोबाइल अपने बड़े बेटे शौर्य को पकड़ाते हुए कहा. शौर्य ने दिलीप को बताया, ‘‘मामाजी, मम्मी तो यहां से यही बोल कर गई है कि कुछ दिनों के लिए मामा के यहां जा रही हूं.’’

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7. सोनाली साव हत्याकांड : इश्किया गुरु का खूनी खेल – भाग 1

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सुनील कुमार एसएचओ के औफिस से उठ कर बाहर आ गए और बेटी की गुमशुदगी लिखा कर वापस घर लौट आए. अपनी तहरीर में इन्होंने दीपक कुमार साव और रोहित कुमार मेहता को नामजद किया था. उन्होंने यह आशंका जताई थी कि दीपक बेटी को बारबार फोन कर के परेशान किया करता था. दीपक को पकड़ कर कड़ाई से पूछताछ की जाए तो बेटी के बारे में जानकारी मिल सकती है.

दरअसल, कई साल पहले दीपक सोनाली को उस के घर ट्यूशन पढ़ाया करता था. तब वह 12वीं क्लास में पढ़ती थी. तभी से दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. सोनाली के घर वाले भी दीपक को अच्छी तरह जानते थे. शिक्षक की हैसियत से वह अकसर सोनाली को फोन किया करता था. इस का घर वालों ने कभी ऐतराज नहीं किया. वे जानते थे इन के बीच एक पवित्रता और मर्यादा का रिश्ता है. इस रिश्ते का उन को खास खयाल है.

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8. कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 1

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मोनिका ने उस ओर देखा, तब तक एक कार उस के पास आ कर ही रुक गई थी. दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अपना परिचय सुनील के रूप में दिया और उसे गाड़ी में बैठने को कहा. मोनिका हिचकिचाई. उस के कुछ बोलने से पहले ही सुनील ने मोबाइल फोन का स्पीकर औन कर उस के सामने कर दिया. दूसरी तरफ से आवाज आ रही थी. ‘‘हैलो, सुनील, बोलो क्या बात है?’’

“भाभीजी, मोनिका से बात कीजिए…’’

“मोनिका…तुम्हारे पास?’’ उधर से चिंतातुर आवाज आई.

“जी भाभी, उस की बस खराब हो गई है, दूसरी बस का इंतजार कर रही है. मैं उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के लिए बोल रहा हूं, लेकिन वह हिचकिचा रही है. शायद मुझे नहीं पहचानती है.’’ सुनील बोला.

दूसरी तरफ से उस की भाभी सोनिया की आवाज आई, ‘‘अरे उसे फोन तो दो, मैं बात करती हूं. तुम्हारे बारे में बताती हूं.’’

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9. अपराध: लव, सैक्स और गोली

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शूटरों के साथ यह डील अगस्त महीने की शुरुआत में ही हुई थी. अगस्त महीना खत्म हो गया और उस के बाद सितंबर भी आधा खत्म हो गया और विक्रम को ठिकाने नहीं लगाया जा सका तो खुशबू परेशान हो गई. उस ने मिहिर पर दबाव बनाना शुरू किया. विक्रम राजीव को जिम ट्रेनिंग देने के लिए उस के घर पर जाता था. वहीं खुशबू से जानपहचान हुई और बातचीत शुरू हुई.

विक्रम के गठीले बदन को देख खुशबू उस पर फिदा हो गई. वह धीरेधीरे विक्रम के करीब आती गई. वह पटना मार्केट के पास विक्रम के जिम में पहुंचने लगी और वहीं कईकई घंटों तक बैठी रहती थी. विक्रम ने पुलिस को बताया कि वह उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहती थी. ऐसा नहीं करने पर वह उसे फंसाने और ब्लैकमेल करने की धमकी देने लगी.

जब विक्रम उस से दूर रहने की कोशिश करने लगा तो एक रात को विक्रम के घर पहुंच गई और हंगामा मचाने लगी. खुशबू की हरकतों से आजिज आ कर विक्रम ने डाक्टर राजीव को फोन कर सारे मामले की जानकारी भी दी. विक्रम ने उस से कहा कि खुशबू उसे पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है. डाक्टर राजीव ने विक्रम की बातों पर यकीन नहीं किया और उस से कहा कि सुबूत ले कर आओ, उस के बाद देखा जाएगा.

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10. सिरफिरे का प्यार : बना गले की फांस – भाग 1

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राहुल अच्छी कदकाठी का आकर्षक नौजवान था. नेहा ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल निकला. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई और उन्होंने एकदूसरे का नंबर ले लिया. बातों का दायरा बढ़ा तो बातों के साथसाथ मुलाकातें भी शुरू हो गईं.

चंद दिनों की मुलाकातों में दोनों के बीच प्यार हो गया. नेहा शादीशुदा थी, लेकिन उस ने यह बात राहुल से छिपा ली थी. वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा, तो राहुल उस के साथ अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगा. राहुल उसे दिल से चाहता है, नेहा यह बात बखूबी जानती थी. यही वजह थी कि वह उस की एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी.

सामाजिक लिहाज से शादीशुदा हो कर भी किसी युवक के साथ इस तरह का रिश्ता रखना यूं तो गलत था, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में बह कर नेहा भी दिल के हाथों मजबूर हो गई थी. पतन की डगर कभी अच्छी नहीं होती.

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11. प्रेम त्रिकोण में मारा गया ग़ालिब

crime kahani hindi (2)

कुछ महीने पहले गालिब जब जेल से छूट कर आया तो उस ने अपनी प्रेमिका जरीन से मिलने की कोशिश की, लेकिन जरीन ने अयाज से संबंधों के चलते गालिब खान से दूरी बना ली. वह जरीन को अपने साथ रहने के लिए उस पर तरहतरह के दबाव बनाने लगा, जबकि वह नए आशिक के साथ इश्क फरमा रही थी. वह अयाज को छोडऩे के लिए राजी नहीं थी.

यह बात गालिब को अखरने लगी. गालिब को यह कतई बरदाश्त नहीं हुआ कि उस की प्रेमिका उस के होते हुए किसी दूसरे की बांहों में दिखाई दे. वह सिरफिरे आशिक की तरह हो गया. जहां भी अयाज दिखाई दे जाता, वह उस के साथ मारपीट कर देता.

गालिब बहुत शातिर था. उस ने पहले ही अपने और जरीन के शारीरिक संबंधों की एक वीडियो बना ली थी. गालिब उस अश्लील वीडियो को वायरल करने की धमकी दे कर उस के साथ जब चाहे तब दुष्कर्म करता था. इसी ब्लैकमेलिंग से आजिज आ कर जरीन ने अपने प्रेमी गालिब से दूरी बनाई थी. लेकिन जेल से छूट कर आने के बाद वह फिर से वही काम करने लगा.

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12. बदनामी सह न सकी बदनाम औरत

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ब्रांडी का कमरा किसी जन्नत से कम नहीं था. कमरे के बीचोबीच बेड पड़ा था, जो बेहद कीमती था. उस के सिरहाने एक छोटी सी टेबल रखी थी, जिस पर सुगंधित मोमबत्ती जल रही थी. हलका उत्तेजक संगीत बज रहा था. मोमबत्ती की हलकी रोशनी में पारदर्शी गाउन पहने ब्रांडी लेटी थी.

उसे देख कर फिलिप्स की आंखें हैरत से फटी रह गई थीं. उसे ब्रांडी नहीं, जन्नत दिखाई दे रही थी. वह होश खो बैठा. उसे आगे बढ़ने का होश ही नहीं रहा. उसे ठगा सा देख ब्रांडी ने कहा, ‘‘एक घंटे के लिए मैं तुम्हारी हो चुकी हूं, जिस की कीमत तुम अदा कर चुके हो. अब दूर खड़े क्या देख रहे हो, करीब आ जाओ.’’

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13. ठगी का नया जामताड़ा: नूंह-मेवात – भाग 1

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नूंह जिले के साथ ही मेवात क्षेत्र राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिले तक फैला हुआ है. इन जिलों के 40 गांवों के युवा जामताड़ा के साइबर ठगों के संपर्क में आ कर इतने शातिर अपराधी बन चुके हैं कि उन्होंने झारखंड के जामताड़ा की यादों को फीका कर मेवात के जामताड़ा को उस से भी बड़ा कर दिया है.

जामताड़ा के बाद साइबर अपराध के मामलों में देश का दूसरा सब से बड़ा केंद्र मेवात बन चुका है. हरियाणा-राजस्थान के मेवात क्षेत्र में बैठे ये ठग विभिन्न राज्यों के सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उन से लाखों की ठगी करते हैं. अनपढ़ से ले कर आठवीं और दसवीं पास युवा ठगी करने में माहिर हैं.

वे बैंक मैनेजर से ले कर बीमा कंपनी के अफसर बन कर पढ़ेलिखे व्यक्ति को बड़ी आसानी से अपने चंगुल में फंसा लेते हैं. इन बदमाशों ने फिल्म अभिनेताओं, सैन्यकर्मियों तथा कई प्रतिष्ठित नेताओं को भी चूना लगाया है. बीते साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेटी को भी साइबर ठगों ने अपने चंगुल में फंसा लिया था.

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14. व्हाइट कालर्स को पसंद ब्लैक ब्यूटी

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पकड़ी गई भोपाली युवतियों ने इस का राज भी यह बता कर खोल दिया कि भोपाल में इन दिनों अफ्रीकन लड़कियों के शौकीनों की तादाद बढ़ रही है. इस के पीछे मर्दों की यह सोच है कि अफ्रीकन यानी काली लड़कियां सैक्स में माहिर होती हैं और अप्राकृतिक व ओरल सैक्स से परहेज नहीं करतीं. इस के अलावा इन के सामान्य से बड़े आकार के स्तन भी पुरुषों को बहुत लुभाते हैं.

एक कालगर्ल का कहना था कि मर्द जो कुछ ब्लू फिल्मों में देखते हैं, वह खुद भी वैसा ही करना चाहते हैं. लेकिन आमतौर पर देसी कालगर्ल्स इस तरह के जंगली सैक्स से परहेज करती हैं, इसलिए युगांडाई युवतियों को फंसाया गया या राजी किया गया, कहना मुश्किल है. हां, सैक्स में प्रयोग का यह शौक पांचों युवकों को महंगा पड़ा.

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15. कामुक पति की पांचवीं पत्नी का खेल

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वीरेंद्र ने उस की एक नहीं सुनी और अपनी जिद पर अड़ा रहा. उस रात उस ने जबरन कंचन के साथ अप्राकृतिक सैक्स संबंध बनाए. कंचन को उल्टियां भी हो गईं. देह चूरचूर हो गई. शराब की गंध नथुने में भर गई. जीभ पर शराब का तीखापन भरा हुआ था.

अप्राकृतिक सैक्स संबंध  से काफी पीड़ा हो रही थी. उस की आंखें सूज गई थीं. गालों पर थप्पड़ों के निशान भी पड़ गए थे. शरीर पर नाखूनों से नोचे जाने की खरोंचें भी थीं. किसी तरह से उस ने कपड़े पहने. कंबल घिसटते हुए बच्चों के कमरे में आ गई. तब तक वीरेंद्र निढाल हो चुका था, कंबल में खर्राटे भरने लगा था.

कंचन वीरेंद्र गुर्जर की पांचवीं पत्नी थी. वीरेंद्र अव्वल दरजे का शराबी था. साथ ही अय्याश किस्म का व्यक्ति था. वह कहने को इंसान था, लेकिन उस के चरित्र में हैवानियत शामिल थी. कामुकता से भरा हुआ था. सैक्स की बातों से उबलता रहता था. बातबात में घूमफिर कर सैक्स की बातें ही उस के जुबान से निकल पड़ती थीं. मांबहन की भद्ïदी गालियों के साथसाथ यौनाचार संबंधी गालियां तो उस की जुबान पर रहती थीं.

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16. पुलिस की छाया में कैसे बनते हैं अतीक जैसे गैंगस्टर – भाग 1

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ठीक इसी वक्त अशरफ बोल पड़े, ‘‘मेन बात ये है कि गुड्ïडू मुसलिम…’’ उन की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि तभी मीडियाकर्मियों की भीड़ में से 2 लोगों ने अपने माइक और आईडी नीचे फेंक दी. उन्होंने तुरंत हथियार निकाल कर अतीक और अशरफ को निशाना बनाया. एक ने अतीक की कनपटी पर पिस्टल सटा दी और दूसरे ने तड़ातड़ फायरिंग शुरू कर दी. वे फायरिंग अत्याधुनिक सेमी आटोमैटिक हथियार से कर रहे थे. इसी दौरान तीसरे कथित मीडियाकर्मी ने भी अतीक और अशरफ को निशाना बना कर फायर करने शुरू कर दिए थे.

जब तक कोई कुछ समझ पाता और पुलिस सचेत हो पाती, तब तक मीडियाकर्मी बन कर आए हमलावरों द्वारा अतीक और अशरफ पर दनादन कई गोलियां दागी जा चुकी थीं. हमलावरों की लगातार हुई फायरिंग से कांस्टेबल मान सिंह भी जख्मी हो गए. उन के दाहिने हाथ में गोली लगी थी. गोलीबारी के बीच आधुनिक हथियार थामे हुए पुलिस वालों ने हमलावरों पर गोली नहीं चलाई और न ही अतीक व उस के भाई को बचाने की कोशिश की. इसे लोगों ने सुनियोजित साजिश बताया. हमलावर निर्भीकता के साथ ‘जय श्रीराम’ का जयघोष कर भागने लगे, जबकि मीडियाकर्मियों के कैमरे औन थे

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17. अभिनेत्री आरती मित्तल का सैक्स रैकेट

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“जी बोलिए शुभमजी, आप को पसंद आई हैं न मेरी बिंदास मौडल्स?” आरती ने काल रिसीव करते हुए कहा.

“आरतीजी, फोटो देख कर तो सचमुच मेरा दिल खुश हो गया. अब मैं ने गोरेगांव के चितरंजन होटल में आप केकहे अनुसार 2 कमरे भी बुक करा दिए हैं. एक कमरा विवेक के नाम और दूसरा कमरा मैं ने अपने क्लाइंट कैलाश के नाम बुक करा दिया है. देखिए आरतीजी, मेरा आप से रिक्वेस्ट है कि ये दोनों मेरे काफी खास कस्टमर हैं. मैं इन दोनों को बिलकुल भी नाराज नहीं कर सकता, इसलिए मैं खुद इन दोनों को ले कर 10 मिनट में गोरेगांव के चितरंजन होटल पहुंच रहा हूं.” मनोज सुतार ने बताया.

“शुभमजी, आप अपने कस्टमर्स का काफी अच्छा खयाल रखते हैं. व्यापार में तो यह सब करना ही पड़ता है, पर आप कुछ निवेदन करना चाहते थे, वह तो आप ने अब तक किया ही नहीं. बोलिए, आखिर क्या निवेदन करना चाहते हैं आप?” आरती ने पूछा.

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18. क्रूरता की इंतिहा

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जसबीर नीयत की साफ थी और भोली भी. रविंदर कौर की बातों को वह समझ नहीं पाई और उस के घर चली गई. वहां पहले से ही रविंदर कौर के परिवार के सब लोग मौजूद थे. सो समय व्यर्थ न करते हुए सब ने किसी तरह जसबीर को अपने कब्जे में ले कर दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

दम घुटते ही जसबीर एक ओर लुढ़क गई. वह मर चुकी थी. तभी तांत्रिक दीशो ने अपने साथ लाए सर्जिकल ब्लेड से उस का पेट चीर कर पेट का शिशु बाहर निकाल लिया. शिशु को गोद में ले कर जब देखा तो पता चला कि जसबीर कौर के साथसाथ वह भी मर चुका है. मां और बच्चे की मौत के बाद उन सब के हाथपैर फूल गए.

अब क्या किया जाए? सब के सामने अब यही एक प्रश्न था. काफी सोचविचार के बाद तय किया गया कि शिशु के शव को घर में बनी सीढि़यों के नीचे गाड़ दिया जाए और जसबीर की लाश कमरे के बाहर रखे संदूक में छिपा दिया जाए.

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19. दिलजली प्रेमिका ने जब मंडप में खेला तेजाबी खेल

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पलभर में बदले उस के हावभाव और बातों से अंजना को झटका सा लगा. वह कुछ समझ पाती, उस से पहले ही दोनों लड़कियों ने एकदूसरे की तरफ देख कर इशारा किया तो उन में से एक ने झपट कर अंजना के हाथ पकड़ लिए तो उस की साथी लड़की ने एक बोतल निकाली और उस का ढक्कन खोल कर उस में भरा तरल अंजना पर उछाल दिया.

बचाव के लिए अंजना ने अपना चेहरा घुमा लिया. अपना काम कर के दोनों लड़कियां तेजी से कमरे के बाहर निकल गईं. जबकि तरल पड़ते ही अंजना जलन से चीखने लगी.

उस की चुनरी भी जल गई थी, क्योंकि उस पर उछाला गया तरल तेजाब था. जलन से अंजना बिलबिला उठी. वह दरवाजे की तरफ भागी, लेकिन लड़कियों ने बाहर जाते वक्त दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था.

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20. परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 1

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3 दिन बाद मालती का पति सोनू उसे लेने अपनी ससुराल मोहनगढ़ आया तो वह बेमन से ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के शादी से पूर्व के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे देर रात मोबाइल पर बतियाते देख किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ. ससुराल वाले यही समझते रहे कि वह अपने मांबाप की लाडली बेटी है उन्हीं से बतियाती होगी.

इत्तफाक से एक दिन मालती के पति सोनू की देर रात अचानक नींद टूट गई, तब उस ने उसे किसी पुरुष से खिलखिला कर हंसते हुए वीडियो कालिंग पर बात करते हुए देखा. इस से सोनू को मालती पर शक हो गया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के बाद भी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से चक्कर चल रहा होगा. काफी प्रयत्न करने पर सोनू को पता चला कि मालती का प्रेम प्रसंग मोहनगढ़ गांव के पवन से चल रहा है. इस जानकारी से सोनू को गहरा झटका लगा.

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21. आफरीन के प्यार में मनोहर के 8 टुकड़े

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6 जून, 2023 को मनोहर लाल अपने घर वालों से झूठ बोल कर अपने साथ दोनों खच्चरों को ले कर घर से निकला था. मनोहर लाल ने आफरीन के घर जाने से पहले ही अपने दोनों खच्चरों को सलूनी नाले के पास छोड़ दिया. फिर वह आफरीन के घर चला गया. उस के बाद उन्होंने उसे फिर से समझाने की कोशिश की. लेकिन वह उन की एक भी बात मानने को तैयार न था.

उसी से तंग आ कर उन्होंने उसे घर में ही डंडों से बुरी तरह से मारापीटा. जब मनोहर लाल बेहोश हो गया तो उन्होंने उस की हत्या कर दी. उस के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए लकड़ी काटने वाली आरी से उसे 8 टुकड़ों में काट डाला. फिर उस के सभी टुकड़ों को 3 बोरियों में भर कर नाले में पानी के नीचे पत्थरों से दबा दिया.

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22. अधेड़ उम्र का खूनी प्यार

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ऐसे कब तक मिलतेजुलते दोनों? ज्यादा समय साथ बिताने के लिए सविता ने आशीष को रिश्ते में बांधने का फैसला किया. खुद तो आशीष के साथ सामाजिक तौर पर एक हो नहीं सकती थी, इसलिए उस ने अपनी 21 वर्षीय बेटी रवीना की शादी अपने प्रेमी आशीष के साथ करने की सोची. इस से दोनों आसानी से मिल सकते थे और सास दामाद का रिश्ता बनने के कारण कोई उन पर शक भी नहीं करता.

सविता अपने प्यार को पाने के लिए अपनी ही सगी बेटी को बलि का बकरा बनाने की सोच रही थी. आशीष भी उस की बेटी से शादी करने को तैयार था. तैयार होता भी क्यों नहीं, इस फैसले से उस के दोनों हाथों में लड्डू ही लड्डू होते. एक तरफ वह अपनी प्रेमिका से मजे लेता, वहीं दूसरी तरफ उस की बेटी के साथ भी मजे लेता. सविता ने बेटी की शादी की बात अपने पति और बेटी के सामने चलाई तो दोनों ने शादी करने से साफसाफ मना कर दिया.

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23. वो कैसे बना 40 बच्चों का रेपिस्ट व सीरियल किलर?

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रविंद्र को अपनी कामवासना शांत करने का यह तरीका अच्छा लगा. क्योंकि वह 2 हत्याएं कर चुका था और दोनों ही मामलों में वह सुरक्षित रहा, इस से उस के मन का डर निकल गया. इस के बाद वह कंझावला इलाके में एक बच्ची को बहलाफुसला कर सुनसान जगह पर ले गया और उस के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी.

बच्चियों को देख कर जाग जाती थी कामकुंठा

वह कोई एक काम जम कर नहीं करता था. कभी गाड़ी पर हेल्परी का काम करता तो कभी बेलदारी करने लगता. नोएडा के सेक्टर-72 में वह एक बिल्डिंग में काम कर रहा था. वहां भी उस ने अपने साथ काम करने वाली महिला बेलदारों की 2 बच्चियों को अलगअलग समय पर अपनी हवस का शिकार बनाया. वह उन बच्चियों को चौकलेट दिलाने के लालच में गेहूं के खेत में ले गया था. वहीं पर उस ने उन की गला दबा कर हत्या कर दी थी.

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24. एक क्रूर औरत की काली करतूत

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भाई ने पूछा कि वह गड्ढा क्यों खोद रही है तो उस ने कहा, ‘‘तू अंदर जा कर सो जा, मैं क्या कर रही हूं, इस बात पर ध्यान न दे.’’

शिवपूजन जा कर सो गया. अर्चना ने साढ़े 3 फुट गहरा गड्ढा खोद डाला. गड्ढा खोद कर अर्चना अंदर पहुंची तो देखा सुमिक्षा बेहोश पड़ी थी. दरअसल उस ने मैगी में नशीली दवा मिला दी थी, इसलिए मैगी खा कर सुमिक्षा बेहोश हो गई थी.

अर्चना ने बेहोश पड़ी सुमिक्षा के दोनों हाथ पीछे बांध कर मुंह और नाक में कपड़ा ठूंस दिया. इस के बाद ऊपर से पौलीथिन लपेट कर उसे उठाया और गड्ढे में लेटा कर ऊपर से 2 थैली नमक डाल कर गड्ढे को ढक दिया. नमक उस ने इसलिए डाला था, ताकि लाश जल्दी गल जाए.

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25. भांजी को प्यार के जाल में फांसने वाला पुजारी

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एक दिन घर में थोड़ा ज्यादा झगड़ा हो गया. अप्सरा ऐसी बिफरी की मुझे और कार्तिक को गंदीगंदी गालियां देने लगी. कार्तिक को भी गुस्सा आ गया. उस ने अप्सरा पर हाथ उठा दिया. इस के बाद अप्सरा थाने चली गई और कार्तिक के खिलाफ तरहतरह के आरोप लगा कर शिकायत दर्ज करा दी. अप्सरा की सुंदरता देख कर पुलिस ने भी फटाफट मुकदमा दर्ज कर लिया और कार्तिक को गिरफ्तार कर के अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद अप्सरा अपनी मां के साथ चेन्नै से हैदराबाद चली गई.

करीब डेढ़ महीने बाद कार्तिक जमानत पर जेल से बाहर आया. जेल जाने से उस की नौकरी भी चली गई थी, जिस की वजह से वह भारी डिप्रेशन में आ गया. मां धनलक्ष्मी ने उसे बहुत समझाया, हिम्मत दी. पर अप्सरा ने उसे जिस तरह परेशान किया था, उस से वह इस हद तक टूट गया था कि वह इस हादसे से उबर नहीं पाया और जेल से बाहर आने के चौथे दिन उस ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली.

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ट्रंक की चोरी : ईमानदार चोर ने किया साजिश का पर्दाफाश

यादगार केस : दुआ को मिला इन्साफ

बीता वक़्त वापिस नहीं आता – भाग 3

पुलिस की सूचना पर रोक्सेन भी वहां पहुंच गई थी. बेटी की लाश देख कर उस का कलेजा फटा जा रहा था. आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वह उस पल को कोस रही थी, जब उस ने वाकर पर विश्वास किया था. उस ने उस के साथ विश्वासघात ही नहीं किया, उस की जिंदगी वीरान कर दी थी. पुलिस ने वाकर की लाश को नीचे उतारा. उस के कपड़ों की तलाशी ली गई, तो पैंट की जेब से एक कागज निकला.

उसे खोला गया, तो वह सुसाइड नोट था. वाकर ने उस में लिखा था, ‘‘मैं इंसान नहीं, जानवर से भी गया गुजरा हूं. मैं ने रोक्सेन से प्यार किया. मेरा प्यार सच्चा था. उस ने भी मुझ पर भरोसा किया और मुझे अपना सब कुछ मान लिया. उस ने मुझे दिल से पति माना, तो मैं ने भी उसे पत्नी माना.

‘‘उस के बच्चों को अपना बच्चा मान लिया. मैं ने पूरी कोशिश की कि रोक्सेन को दिया वादा निभाऊं और स्टेसी एवं रौबर्ट का पिता बनूं. लेकिन मैं अपना वादा निभा नहीं पाया. मैं ने जो किया, उस से रोक्सेन को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. इसलिए अपने गुनाह की सजा मैं ने खुद चुन ली.

‘‘स्टेसी को मैं बेटी की तरह प्यार करता था. मगर उस के शरीर में आए बदलावों से मेरी नीयत खराब हो गई. मैं उसे बेटी नहीं, औरत समझने लगा. मैं एकांत में उस से छेड़छाड़ करने लगा. जिस का वह कोई विरोध नहीं करती थी. शायद वह उसे पिता का स्नेह समझती थी. रोक्सेन ने मेरी हरकत देख ली और मेरी नीयत को समझ गई. उस ने मुझे टोका, तो एक बार फिर मैं ने वादा किया कि कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा.

‘‘लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं सका. कल स्टेसी ने लौरी पर चलने की जिद की, तो मैं खुश हो गया. मैं ने ठान लिया कि हर कीमत पर आज अपनी चाहत पूरी कर लूंगा. मैं ने जल्दीजल्दी माल सप्लाई किया और लौरी को जंगल में ले गया. तब तक अंधेरा हो चुका था. मैं ने रोक्सेन को फोन किया कि हम लौट नहीं पाएंगे. स्टेसी से मैं ने कहा कि सुबह उसे एक नई जगह ले चलूंगा और उस की पसंद के कपड़े खरीद कर दूंगा.

‘‘मेरी नीयत से बेखबर स्टेसी बेहद खुश थी. खाना मैं साथ में पैक करवा कर लाया था. अपने लिए शराब की बोतल भी खरीद ली थी. मैं शराब पीने बैठ गया. स्टेसी लौरी में टीवी देख रही थी. मुझे नशा चढ़ा, तो मेरी आंखों के सामने स्टेसी का जिस्म घूमने लगा. मैं खुद पर नियंत्रण खो बैठा और जो नहीं करना चाहिए था, वह कर डाला. मेरे वहशीपन से स्टेसी बेहोश हो गई थी.

‘‘स्टेसी मुझ से छोड़ देने के लिए गिड़गिड़ा रही थी. उस समय मैं शैतान बन गया था. मनमानी करने के बाद नशा कम हुआ, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं ने बहुत बड़ा गुनाह कर डाला है. अगर स्टेसी जिंदा रही, तो मुझे जेल जाना पड़ेगा. जेल जाने के डर से मैं ने एक गुनाह और कर डाला. उसे गला घोंट कर मार डाला.

इस के बाद रोक्सेन को दिए वादे की याद आई. अब मुझे अपने गुनाह पर पछतावा होने लगा. तब मैं ने सोचा कि रोक्सेन मेरे मुंह पर नफरत से थूक कर मुझे जेल भिजवाए, उस से पहले ही मैं खुद को क्यों न खत्म कर दूं. मेरी मौत का जिम्मेदार मेरे अंदर का शैतान है. मुझे दुख है कि मैं ने एक पल के सुख के लिए अपने प्यार और अपनी बेटी को खो दिया. रोक्सेन, हो सके तो मेरी लाश पर थूक देना. मैं इसी के काबिल हूं- वाकर.’’

रोक्सेन ने वाकर की लाश पर थूका तो नहीं, लेकिन उसे नफरत से देखते हुए चीखी, ‘‘मैं ने तुम पर भरोसा कर के अपना सब कुछ सौंप दिया था. मैं तुम्हें अपना चार्मिंग प्रिंस समझती थी, लेकिन तुमने…? तुम मुझे इतना प्यार करते थे, मेरे बच्चों का इतना खयाल रखते थे. तुम ऐसा भी कर सकते थे, विश्वास नहीं होता. तुम गंदे आदमी निकले. अच्छा किया जो आत्महत्या कर ली, वरना मैं तुम्हारी हत्या करने से न हिचकती.’’

पुलिस ने 5 जून, 2013 को पूरा प्रकरण कोर्ट में पेश किया, जहां से इस केस की फाइल बंद कर देने का हुक्म दिया गया. आखिर सजा किसे दी जाती, दुष्कर्मी ने खुद ही मौत को गले लगा लिया था.  उस समय कोर्ट में रोक्सेन भी मौजूद थी. उसे तसल्ली देने के लिए उस का पूर्व पति कोरोनट और बेटी एमा हेमंड भी आई थी. दोनों उस समय भी उस के साथ थे, जब पोस्टमार्टम के बाद स्टेसी की लाश को कब्र में दफन किया जा रहा था.

फूल के साथ रोक्सेन के आंसू भी स्टेसी की कब्र पर पड़े थे, जो कह रहे थे कि कहीं न कहीं इस में वह खुद भी गुनहगार है, अपनी इच्छा पूरी करने के लिए अगर वह वाकर से प्यार न करती, तो आज उस की बेटी की यह हालत न होती. लेकिन अब उस के पास पछताने के अलावा कुछ भी नहीं था. सच है, बीता वक्त कभी वापस नहीं आता.

रोक्सेन ने वाकर पर आंखें मूंद कर विश्वास किया, यह उस की सब से बड़ी भूल थी. ऐसे बहुत कम मामले होते हैं, जिन में प्रेमी या सौतेले पिता अपनी प्रेमिका या दूसरी पत्नी के बच्चों, खास कर बेटियों को दिल से अपना बेटा या बेटी मानते हैं.

बात अगर शादीशुदा महिलाओं के वाचाल किस्म के प्रेमियों की करें, तो उन की निगाह प्रेमिका की जवान हो रही बेटी पर जाते देर नहीं लगती. स्टेसी के साथ भी यही हुआ.

बात प्रेमी या दूसरे पति की ही नहीं, बल्कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले 80 प्रतिशत लोग रिश्तेदार या करीबी लोग ही होते हैं. ऐसे लोगों से सतर्क रहना जरूरी है. खासकर जब रिश्ते स्वार्थों पर टिके हों.

बीता वक़्त वापिस नहीं आता – भाग 2

इस के बाद उन की मुलाकातें होने लगीं. वे जब भी मिलते, घंटों एकदूसरे के साथ रहते. रोक्सेन को वाकर की नजदीकी बेहद सुकून देती थी. उस के मिलने से मन तो तृप्त हो जाता था, लेकिन तन की प्यास वैसी ही बनी रहती थी. वाकर एकांत में रोक्सेन के किसी अंग को छू लेता या होंठों को चूम लेता, तो उस की देह में आग सी लग जाती. मन करता कि वाकर की बांहों में समा जाए और उस से कहे कि वह उस के प्यासे तन को तृप्त कर दे. लेकिन वह ऐसा इसलिए नहीं कह पाती थी, क्योंकि वह जगह इस के लिए सुरक्षित नहीं होती थी.

पति की बेरुखी से विचलित वाकर की नजदीकी पा कर रोक्सेन ज्यादा दिनों तक अपनी इच्छा दबाए नहीं रह सकती थी. उस ने वाकर से सीधे तो नहीं कहा, लेकिन एक दिन घुमाफिरा कर अपने मन की बात कह ही दी, ‘‘वाकर, कहीं ऐसी जगह चलते हैं, जहां हम दोनों के अलावा कोई और न हो.’’

‘‘ठीक है, हम कल सुबह किंगस्टन झील पर पिकनिक मनाने चलते हैं.’’ वाकर ने रोक्सेन के दिल की मंशा भांप कर कहा.

अगले दिन पति काम पर चला गया और बच्चे स्कूल चले गए, तो रोक्सेन वाकर के साथ पिकनिक पर निकल गई. शहर से किंगस्टन झील लगभग 30 किलोमीटर दूर थी. वाकर अपनी लौरी से रोक्सेन को वहां ले गया. किंगस्टन एक छोटी सी झील थी. उस के दोनों ओर छोटेबड़े पहाड़ थे. वहां इक्कादुक्का लोग ही नजर आ रहे थे. वे भी प्रेमी युगल थे, जो इन्हीं की तरह एकांत की तलाश में यहां आए थे. रोक्सेन और वाकर भी एक छोटी सी पहाड़ी के पीछे जा पहुंचे. वहां से झील के आसपास का नजारा तो देखा जा सकता था, लेकिन उन तक किसी और की नजर नहीं पहुंच सकती थी. इसी का फायदा उठा कर वे एकदूसरे की बांहों में समा गए.

एकांत का पहला दिन रोक्सेन और वाकर के लिए यादगार बन गया. इस के बाद तो उन का मिलना आम हो गया. वाकर बेखौफ रोक्सेन के घर भी आनेजाने लगा. लेकिन वह इस बात का ध्यान जरूर रखता था कि उस का पति कोरोनट घर पर न हो. वह रोक्सेन की बेटियों की भी वह परवाह नहीं करता था. बेटा रौबर्ट अभी छोटा ही था. रोक्सेन को भी अब कोई खौफ नहीं था. उस ने बच्चों से वाकर का परिचय कराते हुए कहा था कि ये तुम्हारे अंकल हैं. वाकर जब भी आता था, बच्चों के लिए कुछ न कुछ ले कर आता था, इसलिए बड़ी बेटी को छोड़ कर बाकी के दोनों बच्चे उस से खुश रहते थे. वे उस के आने का इंतजार भी करते थे.

धीरेधीरे रोक्सेन वाकर के इतने नजदीक आ गई कि उसे पति कोरोनट फालतू की चीज लगने लगा. अब वह वाकर को ही अपना पति मानने लगी थी. वाकर भी उस से सिर्फ शारीरिक सुख ही नहीं हासिल करता था, बल्कि उस की और उस के बच्चों की हर जरूरत का भी पूरा खयाल रखता था. यही वजह थी कि रोक्सेन को अब पति कोरोनट की जरा भी परवाह नहीं रह गई थी. वह वाकर को उस के सामने ही घर बुलाने लगी थी.

कोरोनट और उस की बड़ी बेटी को वाकर का आना बिलकुल पसंद नहीं था. क्योंकि रोक्सेन और उस के बातव्यवहार से उसे अंदाजा हो गया था कि इन के बीच गलत संबंध है. फिर एक दिन उस ने उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में देख भी लिया. कोरोनट ने इस पर ऐतराज जताया, तो रोक्सेन ने उसे खरीखोटी सुनाते हुए कहा, ‘‘तुम न तो पेट की आग ठीक से बुझा पाते हो और न तन की. अब ऐसे पति से तो बिना पति के ही ठीक हूं. मैं ने अपना रास्ता खोज लिया है. अच्छा यही होगा कि तुम भी अपना रास्ता खोज लो. अब हम एक राह पर एक साथ नहीं चल सकते.’’

‘‘बच्चों का तो खयाल करो?’’ कोरोनट ने रोक्सेन को समझाना चाहा.

‘‘तुम्हें उन की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं जल्दी ही उन्हें वाकर को डैडी कहना सिखा दूंगी.’’ रोक्सेन ने तल्खी से कहा.

कोरोनट को लगा कि अब रोक्सेन से उम्मीद करना बेकार है. वह अपनी राह पर इतनी आगे बढ़ चुकी है कि उस का लौटना मुमकिन नहीं है. इसलिए अब उसे अपना रास्ता अलग कर लेना चाहिए. कोरोनट ने रोक्सेन को तलाक दे कर उसे अपनी जिंदगी से अलग कर दिया. मां की हरकतों से नाखुश बड़ी बेटी एमा हेमंड भी बाप के साथ चली गई थी. रोक्सेन को इस का जरा भी अफसोस नहीं हुआ, क्योंकि वह तो यही चाहती थी. उस की मुराद पूरी हो गई थी. अब उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं रहा, तो वाकर का अधिकतर समय उसी के घर गुजरने लगा.

जल्दी ही रोक्सेन की बेटी स्टेसी लारैंस और बेटे रौबर्ट ने वाकर को पिता के रूप में स्वीकार कर लिया था. रौबर्ट 4 साल का था, तो स्टेसी 9 साल की. संयोग से समय से पहले ही स्टेसी के शरीर में बदलाव आने लगा था. इसी बदलाव की वजह से उसे बनियान की जगह ब्रा पहननी पड़ रही थी. हारमोंस की गड़बड़ी की वजह से इसी उम्र में उसे मासिक भी शुरू हो गया था. रोक्सेन जो अब तक उसे बच्ची समझती थी, ऊंचनीच समझाने लगी. कुछ भी रहा हो, स्टेसी बेहद समझदार थी. अच्छेबुरे का उसे पूरा खयाल था.

स्कूल की छुट्टी के दिन अकसर स्टेसी वाकर की लौरी में बैठ कर घूमने चली जाती थी. लेकिन रोक्सेन को यह अच्छा नहीं लगता था, इसलिए वह बेटी को रोकती थी. क्योंकि वह औरत थी और मर्दों की निगाहों को भलीभांति पहचानती थी. उसे वाकर की निगाहों में खोट नजर आने लगा था.

यही वजह थी कि वह वाकर पर नजर रखने लगी थी. ऐसे में ही एक दिन उस ने वाकर को स्टेसी के शरीर से ऐसी छेड़छाड़ करते देख लिया, जो एक पिता नहीं, मर्द कर सकता है. उस ने तुरंत वाकर को टोका, ‘‘वाकर, तुम्हें मैं ने अपना मन ही नहीं, तन भी सौंपा है. तुम्हें वे अधिकार दिए हैं, जो सिर्फ पति को दिए जाते हैं. तुम ने भी वादा किया है कि मेरे बच्चों को अपने बच्चे समझ कर वह सब दोगे, जो एक पिता का कर्तव्य होता है. लेकिन अब तुम्हारी नीयत ठीक नहीं दिख रही है.’’

‘‘ऐसा नहीं है रोक्सेन. मैं न वादे को भूला हूं और न कभी अपने फर्ज भूलूंगा. मैं कोई ऐसा काम नहीं करूंगा, जिस से तुम्हें आहत होना पड़े. अगर गलती से मुझ से कुछ गलत हो गया है तो मैं तुम्हें अपना मुंह नहीं दिखाऊंगा.’’ वाकर ने एक बार फिर रोक्सेन से वादा किया.

गलतफहमी दूर हुई, तो रोक्सेन ने वाकर को बांहों में भर लिया, ‘‘मैं ने तुम पर पूरा भरोसा किया है और करती रहूंगी.’’

इस के बाद रोक्सेन ने स्टेसी को छूट दे दी. वह वाकर के साथ घूमने जाने लगी. उस का नईनई जगहों पर घूमना तो होता ही, वाकर उसे तरहतरह की चीजें भी खिलाता. एक तरह से स्टेसी की पिकनिक हो जाती.

3 अप्रैल, 2013 को भी स्टेसी वाकर के साथ लौरी पर घूमने गई थी. वाकर को कई जगह माल सप्लाई करना था. फिर भी उसे शाम तक लौट आना था. लेकिन वह नहीं लौटा, तो रोक्सेन को चिंता हुई. वह फोन करने ही जा रही थी कि वाकर का फोन आ गया. उस ने कहा कि काम की वजह से वह आज लौट नहीं पाएगा, कल आएगा. लेकिन वह अगले दिन भी नहीं लौटा, तो रोक्सेन को वाकर और बेटी स्टेसी की चिंता हुई. उस ने सैकड़ों बार फोन किया, लेकिन एक भी बार फोन नहीं उठा. मजबूर हो कर उस ने पुलिस को फोन किया.

पुलिस फौरन हरकत में आ गई. वाकर जिस कंपनी का माल सप्लाई करता था, वहां पता किया गया. जानकारी मिली कि उस की लौरी में सभी तरह की सुविधाएं हैं. उस में वायरलेस फोन भी लगा है, जो कंपनी से चलता था. वायरलेस औपरेटर से पुलिस ने लौरी की लोकेशन पता की. ट्रैकिंग डिवाइस से पता चला कि लौरी की लोकेशन वेस्ट मिडलैंड्स के जंगल की है. पुलिस वहां पहुंची. काफी ढूंढने पर जंगल के बीच खड़ी लौरी मिल गई. लौरी के अंदर का दृश्य चौंकाने वाला था. उस के अंदर स्टेसी की लाश पड़ी थी.

कमर के नीचे से वह निर्वस्त्र थी. वहां खून भी पड़ा था. देख कर ही लग रहा था कि स्टेसी के साथ जबरदस्ती की गई थी. कमर के नीचे के हिस्से पर वहशीपन के निशान स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. गरदन पर भी अंगुलियों के नीले निशान थे. दुष्कर्म के बाद उस की हत्या कर दी गई थी.

वाकर वहां नहीं था. अनुमान लगाया गया कि यह अमानवीय कृत्य वाकर ने ही किया होगा. वाकर की तलाश में पुलिस जंगल में फैल गई. लौरी से कुछ दूरी पर वाकर एक पेड़ से लटका मिल गया. शायद उस ने भी आत्महत्या कर ली थी.

बीता वक़्त वापिस नहीं आता – भाग 1

रोक्सेन के चेहरे पर परेशानी के बादल एक बार फिर घिर आए थे. ऐसे ही बादल पिछले दिन शाम को भी घिरे थे. लेकिन डेरेन  वाकर का फोन आ गया था, तो वे छंट गए थे. वाकर ने फोन कर के बता दिया था कि वह रात को घर नहीं आ पाएगा. स्टेसी भी उसी के साथ लौरी में रहेगी. वाकर ने स्टेसी से उस की बात भी करा दी थी. उस समय वह लौरी में लगा टीवी देख रही थी. वह काफी खुश नजर आ रही थी, इसलिए रोक्सेन निश्ंिचत हो गई थी.

अगला पूरा दिन गुजर गया और वाकर तथा स्टेसी नहीं आए, तो रोक्सेन एक बार फिर परेशान हो उठी. उस का धैर्य जवाब देने लगा था, क्योंकि वाकर फोन भी नहीं उठा रहा था. ऐसा किसी हादसे की सूरत में ही हो सकता था. वह हादसा कैसा हो सकता है, यह रोक्सेन की समझ में नहीं आ रहा था. रात हो गई और धैर्य ने भी जवाब दे दिया, तो हार कर उस ने पुलिस को फोन कर के अपने प्रेमी डेरेन वाकर और बेटी स्टेसी लारैंस के गायब होने की सूचना दे दी.

38 वर्षीय रोक्सेन तलाकशुदा 3 बच्चों की मां थी. बेटी एमा हेमंड 17 साल की, उस से छोटी स्टेसी लारैंस 9 साल की, तो बेटा रौबर्ट 4 साल का. लगभग 19 साल पहले उस की शादी कोरोनट पेंबर से हुई थी. शादी के शुरुआती दिन बहुत अच्छे बीते. रोक्सेन पति के साथ बहुत खुश थी. लेकिन बेटी स्टेसी के पैदा होने के 3 साल बाद अचानक उन के रिश्तों में कड़वाहट आ गई. इस की वजह थी उम्र के साथ रोक्सेन के मन में बढ़ती शारीरिक संबंध की इच्छा. जबकि शराब अधिक पीने और दिन भर मेहनत करने की वजह से कोरोनट की मर्दाना ताकत कम होती जा रही थी.

शुरूशुरू में तो रोक्सेन ऐसी नहीं थी, लेकिन बेटी के पैदा होने के बाद उस में न जाने क्या बदलाव आया कि उस की शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा एकाएक बढ़ने लगी. जबकि दिन भर का थकामादा कोरोनट शाम को शराब पी कर बिस्तर पर पड़ते ही सो जाता था. कभीकभी तो उसे खाने का भी होश नहीं रहता था.कोरोनट को तो अच्छी नींद आती थी, लेकिन उस की बगल में लेटी रोक्सेन सारी रात शारीरिक सुख के लिए तड़पती रहती थी.

सुबह उठने पर रोक्सेन कोरोनट से शिकायत करती, ‘‘तुम्हें काम और शराब के अलावा भी कुछ दिखाई देता है या नहीं? पहले तो तुम ऐसे नहीं थे, कितना प्यार करते थे? एक भी रात मुझे चैन नहीं लेने देते थे. पूरीपूरी रात जगाए रखते थे. अब ऐसा क्या हो गया कि तुम मेरी ओर देखते तक नहीं. मैं खूबसूरत नहीं रही या तुम ने किसी और से दिल लगा लिया है?’’

‘‘कैसी बातें करती हो. अब तो तुम पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो. प्यार भी मैं तुम से पहले की ही तरह करता हूं. लेकिन क्या करूं, परिवार बढ़ने से जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. इसलिए ज्यादा कमाई के लिए मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है. यह सब मैं तुम लोगों को सुखी रखने के लिए ही तो कर रहा हूं.’’ कोरोनट ने रोक्सेन को समझाया.

‘‘भाड़ में जाए यह सुख. औरत को सिर्फ रोटीकपड़े से ही सुख नहीं मिलता, इस के अलावा भी उसे कुछ चाहिए. मैं सारी रात तड़पती रहती हूं और तुम मस्ती में सोए रहते हो. रोज नहीं, तो कभीकभार ही मेरी ओर देख लिया करो.’’ रोक्सेन ने कहा.

‘‘ठीक है, अब ध्यान रखूंगा.’’ कह कर कोरोनट ने किसी तरह पीछा छुड़ाया. लेकिन अपनी इस बात पर वह कभी खरा नहीं उतरा. उस का वही ढर्रा रहा. वह करता ही क्या. पूरे दिन की हाड़तोड़ मेहनत के बाद रात को उसे पत्नी को सुख देने का होश ही नहीं रहता. उस की मजबूरी भी थी. थका होने की वजह से मानसिक रूप से वह इस के लिए तैयार ही नहीं हो पाता था.

कभी कोशिश भी करता, तो उस के दिमाग में यह घूमता रहता कि वह किस तरह पत्नी और बेटी को सुख मुहैया करवाए, जिस की उन्हें जरूरत है. यही सोचने में वह भूल जाता कि उस की पत्नी रोक्सेन को इन चीजों के अलावा भी किसी चीज की जरूरत है. उस का सोचना था कि बेटी हो गई है, तो अब रोक्सेन को उस की नजदीकी की क्या जरूरत है. वह बेटी में ही व्यस्त रहती होगी, उसे उस का होश ही नहीं रहता होगा.

जबकि रोक्सेन की यही सब से अहम जरूरत बन गई थी. वह एक समय भूखी रह सकती थी, लेकिन पति के सान्निध्य के बिना नहीं रह सकती थी. इस की वजह यह थी कि इस इच्छा को दबाना शायद उस के वश में नहीं रह गया था, वरना वह जरूर दबा लेती.

खैर, किसी तरह वक्त गुजरता रहा. बेटी के पैदा होने के करीब 5 सालों बाद रोक्सेन एक बार फिर मां बनी. इस बार बेटा रौबर्ट पैदा हुआ. इस के बाद तो उस की इच्छा और ज्यादा होने लगी. हमेशा उस की देह में आग लगी रहती, जबकि कोरोनट में उस आग को बुझाने की ताकत नहीं रह गई थी.

पति की उपेक्षा से रोक्सेन की नजरें भटकने लगीं, जिस से उस के मन में खोट आ गया. अब वह जब भी घर से बाहर निकलती, उस की नजरें पराए पुरुषों पर ठहर जातीं. उन्हें वह हसरत भरी नजरों से तब तक ताकती रहती, जब तक वे आंखों से ओझल नहीं हो जाते. वह मर्दों को ताकती जरूर, लेकिन चाहत का इजहार करने की हिम्मत नहीं कर पाती. संकोचवश वह किसी को इशारा भी नहीं कर पाती थी.

वे लोग बदनसीब होते हैं, जिन्हें इंतजार का वाजिब फल नहीं मिलता. रोक्सेन उन में से नहीं थी. उस दिन शाम को वह मौल में शौपिंग करने गई, तो उस की हसरत पूरी हो गई. शौपिंग करने के बाद वह कैश काउंटर पर पेमेंट कर के गेट की ओर बढ़ रही थी, तभी गेट के पास खड़े एक युवक पर उस की नजरें जम गईं. इस की वजह यह थी कि वह युवक उसी को ताक रहा था.

रोक्सेन का दिल धड़का और पलकें अपने आप झपक उठीं. वह युवक भी उस से जरा भी कम स्मार्ट नहीं था. हां, उम्र में उस से कम जरूर था. इस के बावजूद रोक्सेन उस की नजरों में छा गई, तो वह भला क्यों पीछे रहती. उस ने उसे दिल की धड़कन बना लिया. अब कदमों के रुकने का सवाल ही नहीं था. रोक्सेन ने उस की ओर कदम बढ़ाए, तो युवक भी उस की ओर बढ़ने लगा.

दोनों आमनेसामने थे. मुसकराहट दोनों के होंठों पर थी. वे एकदूसरे की आंखों में अपनीअपनी तसवीरें देखते हुए चाहत तलाशने की कोशिश कर रहे थे. कुछ कहना भी चाह रहे थे, लेकिन होंठों से शब्द नहीं निकल रहे थे. बस कांप कर रह जा रहे थे. इसी कशमकश में आखिर युवक ने हिम्मत दिखाई, ‘‘मुझे डेरेन वाकर कहते हैं और आप.’’

‘‘रोक्सेन नाम है मेरा, लेकिन आप मुझे आप न कह कर तुम कहोगे, तो ज्यादा अच्छा लगेगा.’’ रोक्सेन ने कहा.

‘‘अगर तुम भी मुझे आप न कह कर वाकर कहोगी, तो मुझे भी अच्छा लगेगा.’’ डेरेन ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘यहां आतेजाते लोग घूर रहे हैं. अगर हम कहीं एकांत में चलें, तो..?’’ रोक्सेन ने हिम्मत कर के कहा.

वाकर रोक्सेन को साथ ले कर मौल स्थित रेस्टोरेंट में आ गया. रेस्टोरेंट में कोने की टेबल पर बैठने के बाद बातों का सिलसिला शुरू हुआ. इस बातचीत में दोनों ने अपनेअपने बारे में सब कुछ बता दिया.

32 साल का हो जाने के बाद भी डेरेन वाकर कुंवारा था. उस के पास अपनी एक कैब (लौरी) थी, जिस से वह शहर व शहर के बाहर डिपार्टमेंटल स्टोरों पर माल सप्लाई का काम करता था. काम भी अच्छा था और कमाई भी अच्छी थी. वह ए.एफ. ब्लेकमोरे एंड संस नामक कंपनी के लिए काम करता था. उसी का माल वह स्टोरों पर पहुंचाता था.

अपने जैसा स्मार्ट और अपनी उम्र से कमउम्र प्रेमी पा कर रोक्सेन खुश थी. वाकर को भी ऐतराज नहीं था कि रोक्सेन उस से उम्र में 6 साल बड़ी थी और 2 बच्चों की मां थी. रोक्सेन और वाकर ने किसी भी तरह की औपचारिकता निभाए बगैर पहली ही मुलाकात में अपनेअपने प्यार का इजहार कर दिया था.