Andhra Pradesh Crime : कोल्डड्रिंक वाली सीरियल किलर महिलाएं

Andhra Pradesh Crime : कंबोडिया से लौटने के बाद 32 वर्षीय मडियाला वेंकटेश्वरी ने ऐसी महिलाओं का गैंग बना लिया, जो उस के साथ क्राइम कर सकें. इस के बाद यह गैंग सायनाइड से एक के बाद एक हत्याएं करता गया. हत्याओं के पीछे गैंग का क्या मकसद था? पढ़ें, सायनाइड सीरियल किलर गैंग की दिल दहला देने वाली कहानी.

आंध्र प्रदेश के जिला गुंटूर के गांव तेनाली की रहने वाली मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी की फेमिली में 3 बहनें और 2 भाई थे. उन के पास थोड़ी सी खेती थी, उसी में परिवार का गुजारा होता था. गांव के सरकारी स्कूल से वेंकटेश्वरी ने 12वीं की परीक्षा अच्छे अकों में पास कर ली थी. वेंकटेश्वरी बचपन से ही बहुत महत्त्वाकांक्षी थी, वह थोड़े ही समय में काफी सारे पैसे कमा लेना चाहती थी. उसे ऐश करने और नएनए कपड़े पहनने का बहुत शौक था. उस की आदतें और व्यवहार परिवार के अन्य सदस्यों से काफी उलटा था.

वह स्वार्थी और रूखे स्वभाव की थी, इसलिए घर के सभी सदस्यों को उस की आदतें पसंद नहीं थीं. वेंकटेश्वरी को घर, पढ़ाई करने के साथसाथ खेती का काम भी करना पड़ता था. इस बीच वेंकटेश्वरी कंप्यूटर का कोर्स भी करने लगी थी. वेंकटेश्वरी घर और खेतीबाड़ी का काम करती तो थी, लेकिन बुझे मन से. उस का इन सब कामों में मन नहीं लगता था. इसलिए जैसे ही उस का कंप्यूटर का कोर्स पूरा हो गया, उसे एक एनजीओ में नौकरी मिल गई. वहां पर उस ने 4 साल तक काम किया.

वेंकटेश्वरी की कई सहेलियां अपनी बहनों के साथ कंबोडिया में जा कर पैसा कमा रही थीं. वह उन सभी के संपर्क में रहती थी. वह उन को बराबर फोन करती रहती थी. 4 साल पहले अप्रैल, 2018 में वेंकटेश्वरी ने अपना पासपोर्ट और वीजा कंबोडिया जाने के लिए एक एजेंट के माध्यम से बनवा लिया और फिर एजेंट ने उसे कंबोडिया भेज दिया. वेंकटेश्वरी के फेमिली वाले नहीं चाहते थे कि वह कंबोडिया जाए, मगर उस ने किसी की भी नहीं सुनी और उस ने अब तक इतने पैसे तो जमा कर ही लिए थे, इसलिए उसे अपने फेमिली वालों से भी पैसे लेने की जरूरत नहीं हुई.

कंबोडिया जाने के बाद तो जैसे वेंकटेश्वरी ने अपने फेमिली वालों को भुला ही दिया था. फेमिली वाले भी उस के व्यवहार और आदतों से काफी दुखी रहते थे, इसलिए उन्होंने भी वेंकटेश्वरी से कोई संपर्क करने की जरूरत नहीं समझी. 2 साल तक तो वेंकटेश्वरी अपने जानपहचान वाली युवतियों के संपर्क में व उन के साथसाथ ही रहती थी. धीरेधीरे उस का संपर्क कंबोडिया की ऐसी युवतियों के साथ भी होने लगा, जो काफी शानोशौकत के साथ रहा करती थीं.

वेंकटेश्वरी ने उन से धीरेधीरे जानपहचान बढ़ाने के साथसाथ उन से नजदीकियां बढ़ानी भी शुरू कर दी थी. उन कंबोडियन युवतियों को जब वेंकटेश्वरी काम की लगी तो उन्होंने उसे अपने पास रहने के लिए बुलवा लिया. फिर धीरेधीरे वेंकटेश्वरी को पता चलने लगा था कि इन कंबोडियन युवतियों का काम क्या था. इतने सारे पैसे कमा कर वह कैसे ऐश से रहा करती थीं. दरअसल, वे कंबोडियन युवतियां लोगों को बहलाफुसला कर कहीं एकांत में ले जाया करती थीं और उस के बाद उन को सायनाइड मिला ड्रिंक मिला कर पिला देती थीं, जिस से कुछ समय बाद उस की मौत हो जाती थी और वे युवतियां उस युवक या युवती से सारा माल लूट लिया करती थीं.

 

वेंकटेश्वरी भी अब उन के ग्रुप में शामिल हो कर लोगों से लूट करने लगी थी. कंबोडियन युवतियों के गिरोह में कुल 8 सदस्य थे. लूट का पैसा आपस में बंट जाता था. 2 साल तक वेंकटेश्वरी उन के ग्रुप में काम करती रही. फिर उस ने सोचा कि यदि वह ऐसा काम अपने देश में जा कर करेगी तो उसे इस से ज्यादा फायदा मिल सकेगा. अपना सारा सामान बेच कर वेंकटेश्वरी 10 जनवरी, 2022 को भारत लौट आई. उसे अपने फेमिली वालों से न तो लगाव था और न ही उस के फेमिली वाले उस से मिलने के इच्छुक थे, इसलिए वेंकटेश्वरी अपने घर नहीं गई और उस ने एक कस्बे में किराए के 2 कमरे ले लिए और उस के पास अब तक कई लाख रुपए भी इकट्ठा हो चुके थे.

वह अपने इन लाखों रुपयों को करोड़ों में तब्दील करना चाहती थी. अब वेंकटेश्वरी अपने ग्रुप के लिए ऐसी महिलाओं की तलाश करने में जुट गई, जिन पर विश्वास किया जा सके. इस के अलावा वह निर्दयी प्रवृत्ति की हों और जल्द से जल्द ढेर सारा पैसा कमाना चाहती हों. वेंकटेश्वरी की तलाश मुनगप्पा रजनी और गुलरा रामनम्मा पर जा कर खत्म हो गई. मुनगप्पा रजनी की उम्र 40 वर्ष की थी और वह विधवा थी, जबकि गुलरा रामनम्मा की उम्र 60 वर्ष थी, जो मुनगप्पा रजनी की मम्मी थी. अपने पति की मृत्यु के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी मम्मी गुलरा रामनम्मा के साथ अपने मायके में रहने लगी थी.

दोनों मांबेटी को अच्छे से शीशे में उतारने के बाद वेंकटेश्वरी ने उन दोनों मांबेटी को ऐसे लोगों की तलाश करने में लगा दिया, जिन के पास काफी मात्रा में ज्वेलरी व नकदी रहती हो. उस के बाद वेंकटेश्वरी ने उन को प्लान बताया कि ऐसे लोगो को चिह्निïत करने के बाद उन लोगों से दोस्ती कैसे बढ़ानी है और फिर उन्हें अकेले बुला कर उन को सायनाइड मिला कोल्डड्रिंक पिला दिया जाएगा, जिस से उन की मौत हो जाएगी और हम आसानी से ज्वैलरी और नकदी लूट सकेंगे.

मुनगप्पा रजनी अपनी ससुराल भी कभीकभी इसलिए जाया करती थी कि उस की शादी के समय जो गहने उसे दिए गए थे, उन गहनों को उस की सास सुब्बालक्ष्मी उसे वापस नहीं दे रही थी. उस ने यह बात जब वेंकटेश्वरी यानी कि अपनी गैंग लीडर को बताई तो वेंकटेश्वरी ने उस से कहा कि अब वह बराबर अपनी सास से मिलने अपनी ससुराल जाया करे और हर बार कुछ न कुछ उपहार अपनी सास को देती रहे और उस से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करे.

अब रजनी ने धीरेधीरे अपनी सास सुब्बालक्ष्मी का दिल जीतना शुरू कर दिया था, जिस से वह अकसर रात को भी उस के घर ही रुकने लगी थी. एक रात जब घर वाले किसी फंक्शन में गए थे तो वह रात को चुपचाप अपनी सास के घर गई. घर पर उस समय कोई नहीं था और उस ने दूध में सायनाइड मिला कर अपनी सास को पिला दिया, जिस के कारण उस की तत्काल मृत्यु हो गई. उस के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी सास के सारे गहने ले कर चुपचाप अपने घर पर आ गई. सुबह जब लोगों ने सुब्बालक्ष्मी को घर पर मृत पड़े देखा तो इसे स्वाभाविक मौत समझ कर दाह संस्कार कर दिया.

नवंबर 2022 में नगमा नाम की एक महिला, जोकि मुनगप्पा रजनी की पड़ोसी थी, उस ने रजनी को काफी समय पहले 20 हजार रुपए उधार दे रखे थे और नगमा बारबार रुपयों का तकादा कर रही थी. कई बार तो वह लोगों के सामने भी रजनी की बेइज्जती कर देती थी. रजनी ने उस के साथ भी दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. एक शाम रजनी ने उसे पास के शहर में सिनेमा देखने को राजी किया. वहीं रास्ते में रजनी की मां गुलरा रामनम्मा और वेंकटेश्वरी भी मिल गए. वे तीनों नगमा को एक सुनसान जगह पर ले गए और फिर उसे कोल्डड्रिंक में सायनाइड मिला कर पिला दिया, जिस के कारण उस की मृत्यु हो गई.

उस के बाद तीनों ने उस के सारे गहने निकाल लिए और उस की लाश को झाडिय़ों में फेंक दिया. तेनाली निवासियों ने इस मौत को भी स्वाभाविक समझा और नगमा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अगस्त 2023 में तेनाली निवासी 60 वर्षीय नागप्पा से इस गैंग ने दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. रजनी ने नागप्पा का परिचय वेंकटेश्वरी से कराया और बताया कि वह कई साल कंबोडिया में भी रह चुकी है.  रजनी ने नागप्पा को यह भी बताया कि वेंकटेश्वरी का कारोबार अभी भी कंबोडिया और भारत के बड़ेबड़े शहरों में फैला हुआ है. यदि उसे रकम या गहने दिए जाएं तो व डेढ़ साल के बाद दोगुना कर लौटा देती है.

नागप्पा फिर वेंकटेश्वरी से अकसर मिलने लगा. वेंकटेश्वरी ने उसे समझाया कि आप रजनी की जानपहचान वाले हो, इसलिए वह उन का काम कर देगी, परंतु उसे यह बात घर पर किसी को भी नहीं बतानी होगी. क्योंकि इस से सभी मोहल्ले वाले और अन्य लोग भी उस के पीछे पड़ जाएंगे. वह किसीकिसी का ही काम करती है. नागप्पा उस के बहकावे में आ गया. उस के पास गहने व पैसे ले कर वेंकटेश्वरी ने उसे एक सुनसान इलाके में बुलवाया और फिर कोल्डड्रिंक्स में सायनाइड मिला कर उस की हत्या कर दी और उस के सारे गहने और पैसे लूट लिए. उस के बाद तीनों ने उसे सुनसान सड़क के किनारे डाल दिया. यहां पर भी नागप्पा की मृत्यु को स्वाभाविक मृत्यु मान कर उस का दाह संस्कार कर दिया गया.

आसामी के अनुसार लेती थी सुपारी

अप्रैल 2024 में तेनाली निवासी पीसू उर्फ मोशे जोकि एक सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर पेंशन ले रहा था, उस की पत्नी का नाम भूदेवी था. पीसू उर्फ मोशे लगभग हर दिन रात को शराब पी कर अपनी पत्नी से जम कर मारपीट करता था और दिन भर उस के साथ गालीगलौज करता रहता था. भूदेवी का एक ही बेटा था, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कुवैत में ही परमानेंट रूप से रहने लगा था. भूदेवी की अपनी भी कुछ ख्वाहिशें थीं कि वह अच्छेअच्छे कपड़े पहने, अपने लिए खूब सारे गहने बनवाए और अच्छा खानापीना करे, परंतु उस का पति अपने दोस्तों के साथ शराब की पार्टियां करता रहता था और अपने आप में ही मस्त रहने वाला इंसान था. वह औरत को बस अपने पांव की जूती से अधिक नहीं समझता था और तरहतरह से भूदेवी को प्रताडि़त करता रहता था.

मुनगप्पा रजनी भूदेवी की इस स्थिति को काफी अच्छी तरह से जान चुकी थी, इसलिए उस ने धीरेधीरे भूदेवी से बातचीत कर उस से घर की बातें उगलवानी शुरू कर दीं. रोतेरोते भूदेवी रोज अपने ऊपर हुए जुल्मों की दास्तान अब रजनी को बताने लगी थी. एक दिन रजनी ने भूदेवी को समझाया कि यदि हम मिल कर तुम्हारे पति को ही तुम्हारे रास्ते से हटा देंगे तो हमें क्या मिलेगा. इस पर भूदेवी ने रजनी से पूछा, ”रजनी, वैसे तो मैं यही चाहती हूं कि मेरा पति मोशे मर जाए. पर इस से मेरा क्या फायदा होगा. यदि मुझे कुछ फायदा होगा, तभी न मैं बता पाऊंगा कि मैं तुम्हें क्या दे सकती हूं. इस समय तो मेरे हाथ में फूटी कौड़ी तक नहीं है.’’

”अच्छा अम्मा, ये बताओ कि तुम्हारे पति ने कितने रुपए का बीमा करा रखा है?’’ रजनी ने पूछा.

”उस के 2 बीमे हैं. एक 25 लाख का और दूसरा 30 लाख का है,’’ भूदेवी ने कहा.

”आप के पति ने कितने रुपए की एफडी करा रखी है?’’ रजनी ने पूछा.

”एफडी भी 3 हैं. एक 10 लाख की, दूसरी 25 लाख की और एक तीसरी एफडी भी है जो 15 लाख की है.’’ भूदेवी ने सोचते हुए बताया.

”अरे अम्मा, फिर तो अंकल के मरते ही आप करोड़पति हो जाएंगी. एक करोड़ 5 लाख रुपए मिलेंगे तुम्हें और पेंशन भी तुम्हारे नाम पर हो जाएगी. तब ऐश से रहना. न तुम्हें गालियों की चिंता रहेगी और न ही मारपीट का का डर रहेगा. देखो, हम इतनी साफसफाई से मर्डर का प्लान करेंगे कि किसी को कभी भी हम पर शक तक नहीं हो पाएगा.’’ रजनी ने कहा.

उस के बाद रजनी ने 20 लाख रुपए में सौदा कर लिया और उस ने भूदेवी को उस शराब में सायनाइड मिलाने को दे दिया और आगे का सारा प्लान समझा दिया. भूदेवी यह सब अकेले करने में डर रही थी, इसलिए शाम को जब मोशे बाजार से शराब लाने गया था तो मुनगप्पा रजनी अंधेरे में चुपचाप सब की नजर बचा कर भूदेवी के कमरे में छिप गई. फिर रजनी ने भूदेवी को खुद शराब का गिलास ले कर उस के पति पीसू उर्फ मोशे के पास जाने को कहा. उस दिन पीसू उर्फ मोशे भी अपनी पत्नी की दयालुता और सेवाभाव का कायल हो गया था. उस ने यह कहा भी था, ”अरे भूदेवी, आज सूरज क्या पश्चिम से निकला है, जो तुम आज मेरे ऊपर इतनी मेहरबान हो गई हो.’’

”देखिए जी, मैं आप को हर रोज कुछ न कुछ कह कर आप का पूरा दिन खराब कर दिया करती थी. आज आप के दोस्त भी नहीं आए हैं, इसलिए मैं ने सोचा कि क्यों न अपने हाथों से आप को शराब का जाम दे दूं. आज मैं ने आप के लिए मछली के पकौड़े भी तले हैं.’’ भूदेवी ने मछली के पकौड़ों की ट्रे उस के सामने रखते हुए कहा. अपनी पत्नी भूदेवी के इस कायाकल्प से तो मोशे आज बहुत ही अधिक खुश हो गया था. वह सोचने लगा था कि उस की पत्नी भूदेवी उस का कितना खयाल रखती है, उस से कितना प्यार करती है. वह सचमुच कितना बेवकूफ था, जो अपनी पत्नी को रोजरोज प्रताडि़त करता रहता था.

उस के बाद अगला जाम जो भूदेवी अपने पति के लिए ले कर जा रही थी, उस में रजनी ने सायनाइड मिला दिया और जब वह गिलास भूदेवी ने मोशे को दिया तो अगले चंद सेकेंडों के बाद ही अपनी कुरसी से नीचे गिर गया. रजनी समझ चुकी थी कि मोशे अब मर चुका है, इसलिए उस ने भूदेवी के साथ मिल कर मोशे के मृत शरीर को उस की चारपाई पर डाल दिया और ऊपर से चादर ओढ़ा दी. उस के बाद रजनी ने भूदेवी के कान में समझाते हुए कुछ कहा और वह चुपचाप लोगों की नजर से बचती हुई अकेली के घर से निकल गई.

सुबहसुबह 5 बजे भूदेवी के विलाप से पूरी तेनाली कालोनी के लोग चौंक गए. कुछ ही देर के बाद भूदेवी के घर पर आसपड़ोस के बहुत से लोग आ गए थे. भूदेवी ने लोगों को बताया कि सुबह जब मैं अपने पति को बैड टी देने के लिए कमरे में गई तो उन्होंने कोई हरकत ही नहीं की. लोगों ने जब वहां पर देखा तो शराब के गिलास और खाली बोतलें पड़ी हुई थीं. सब ने यही अनुमान लगाया कि रात को मोशे ने रोज की तरह ही ज्यादा शराब पी ली होगी और फिर सोते हुए उसे साइलेंट अटैक आया होगा, जिस के कारण उस की मौत हो गई होगी. पड़ोसियों ने इसे भी स्वाभाविक मौत समझा और उस के बाद गांव वालों ने मिल कर पीसू उर्फ मोशे का अंतिम संस्कार कर दिया.

28 जून, 2024 को चेब्रोल पुलिस को जानकारी मिली कि वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक महिला का क्षतविक्षत अवस्था में शव पड़ा हुआ है. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो पुलिस को वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक 35 से 40 साल की उम्र की एक महिला का शव सड़ीगली अवस्था में मिला. पुलिस ने आसपास शव की शिनाख्त करने की कोशिश की, परंतु गांव के आसपास के लोग शव की शिनाख्त नहीं कर सके. वडलामुडी गांव के राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर चेब्रोल थाने के एसआई पी. महेश ने अज्ञात मौत और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और अज्ञात महिला की डैडबौडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए गुंटूर रेंज आईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने गुंटूर जिला एसपी सतीश कुमार के निर्देशन में 2 टीमें गठित की गईं. टीम में तेनाली डीएसपी बी. जनार्दन राव, पोन्नुरु ग्रामीण सीआई वाई. कोटेश्वर राव और चेब्रोल एसआई डी. वेंकट कृष्णा को शामिल किया गया.

आटो ड्राइवर के एक क्लू से खुला केस

आंध्र प्रदेश की 2 विशेष पुलिस टीमें अब इस ब्लाइंड मर्डर की तह तक जाने की कोशिशों में जुट गई थीं. जांच के दौरान पुलिस ने मृतका की पहचान गुंटूर जिले के तेनाली के यहला लिंगैया कालोनी निवासी शेख नागूर बी (48 वर्ष) के रूप में की. मृतका शेख नागूर बी के बेटे शेख तमीज ने अपनी मम्मी की मौत पर संदेह जताया. शेख तमीज ने पुलिस को बताया कि घर से निकलने से पहले उस की मम्मी शेख नागूर बी ने मुनगप्पा रजनी और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी से काफी लंबी बातचीत की थी.

तकनीकी सर्विलांस का उपयोग करते हुए पुलिस ने आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज का गहनता से अध्ययन किया तो उस में एक आटो सामने आया, जिस के ड्राइवर का नाम महेश था. पुलिस द्वारा आटो चालक महेश को थाने बुला कर सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की गई. आटो ड्राइवर ने खुलासा किया कि 5 जून, 2024 को एक महिला ने तेनाली शहर के सोमसुंदरपालम स्थान में एक पुल पर उस का आटो किराए पर लिया था.

कुछ ही देर के बाद 2 अन्य महिलाएं भी उस के साथ आ गईं और तीनों महिलाएं आटो पर सवार हो गईं, जबकि एक अन्य महिला स्कूटी पर सवार हो कर उस के आटो के पीछेपीछे चलने लगी. आटो में सवार एक महिला ने उसे वडलामुडी जंक्शन तक ले जाने को कहा और उसे किराए के लिए 500 रुपए देने का वादा किया. रास्ते में एक जगह पर एक महिला ने आटो रुकवाया और सामने शराब की दुकान से एक बोतल शराब लाने को कहा. शराब की बोतल की कीमत 500 रुपए थी, जो महेश ने ला कर उन्हें दे दी थी.

आटो चालक महेश ने आगे बताया कि उस ने 3 महिलाओं को अपने आटो से वडलामुडी के बाहरी इलाके में खदानों के पास छोड़ा था, जिन में से एक महिला जिस ने मेरा आटो बुक किया था, उस ने फोनपे के जरिए उस का 500 रुपए का किराया चुकाया. काल रिकौर्ड और डंप डाटा से पुलिस को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि आटो चालक महेश, मृतका शेख नागूर बी और 3 संदिग्ध लोगों की 5 जून, 2024 की लोकेशन अपराध स्थल की ही थी. जब उन तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकाली गई तो वे तीनों फोन नंबर मुनगप्पा रजनी (40 वर्ष), गुलरा रामनम्मा (60 वर्ष) और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी (32 वर्ष) के थे.

पुलिस ने जब तीनों महिलाओं से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू की तो तीनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी थी, जिस में मौत का कारण शराब में सायनाइड मिलना बताया गया था. पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने कुबूल किया कि पैसे दुगना करने का लालच दे कर उन्होंने पैसे और सोना चुराने के इरादे से शेख नागूर बी को बहलाफुसला कर सुनसान इलाके में बुलाया और फिर उसे सायनाइड मिली शराब पिला कर मार डाला. उस की मौत के बाद उन्होंने उस की ज्वेलरी और नकदी लूट ली और उस के शव को झाडिय़ों में फेंक दिया था.

तीनों आरोपियों ने इस हत्या से पहले और अन्य 4 हत्याओं की बात भी कुबूल कर ली. आगे की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने यह भी कुबूल किया कि उन्होंने 3 अन्य महिलाओं अन्नपूर्णा, वरलक्ष्मी और मीराबी को भी मारने का प्रयास किया था, लेकिन ऐन वक्त पर जब हम उन्हें सायनाइड युक्त शराब और कोल्ड ड्रिंक पिलाने ही वाले थे कि तभी उन तीनों के परिचितों, रिश्तेदारों के फोन उसी समय उन के मोबाइल पर आ गए थे, जिस में उन्होंने हमारे साथ पार्टी करने की बात कही तो राज खुलने के डर से हम ने उस समय उन की हत्या नहीं की.

पुलिस पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने सायनाइड कृष्णा नाम के एक शख्स से 4 हजार रुपए में 2 बार खरीदा था. कृष्णा तेनाली गांव में ही एक ज्वेलरी शाप में काम करता था. कहानी लिखे जाने तक पुलिस तीनों आरोपियों को जेल भेज चुकी थी, जबकि कृष्णा और भूदेवी फरार थीं, जिन की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

 

Uttar Pradesh Crime : महिलाओं को टारगेट बनाने वाला साइको किलर

Uttar Pradesh Crime : 19 वर्षीय अजय निषाद और शिवानी एकदूसरे को जीजान से प्यार करते थे. फिर इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि अजय महिलाओं से ही नफरत करने लगा. एक के बाद एक जानलेवा वारदातों को अंजाम दे कर उस ने लोगों के मन में साइको किलर का ऐसा डर भर दिया कि…

13 नंवबर, 2024 की उस रात गोरखपुर के झंगहा थानाक्षेत्र के रसूलपुर गांव के टोला कटहरिया की रहने वाली 24 वर्षीय कविता गहरी नींद में सो रही थी. घर के अन्य सदस्य अपनेअपने कमरों में सो रहे थे. रात गहरी थी और चारों ओर घनघोर अंधेरा था. कुत्तों के भौंकने की आवाज अंधेरे के सीने को चीर रही थी. उसी समय अचानक कविता के कमरे से उस के जोर से चीखने की आवाज उस के पापा छोटेलाल भारती के कानों से टकराई. 

गहरी नींद में सोए होने के बावजूद छोटेलाल भारती झट से उठ बैठे और कविता के कमरे की ओर दौड़े. पति को अचानक बेटी के कमरे की ओर जाते देख पत्नी सुमन भी उन के पीछे हो ली. वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्या हुआ, जो इतनी तेजी से बेटी के कमरे की ओर जा रहे हैं. पलभर में वह कविता के कमरे में पहुंचे और बिजली का स्विच औन किया तो कविता बिस्तर पर पड़ी दर्द से छटपटा रही थी. उस के सिर से खून बह रहा था. 

छोटेलाल ने बेटी से इस हालात के बारे में पूछा तो उस ने कराहते हुए बताया कि काली शर्ट में एक नकाबपोश ने किसी भारी चीज से सिर पर जोरदार वार किया और सामने के दरवाजे से तेजी से भाग गया. छोटेलाल को समझते देर न लगी कि यह नकाबपोश वही रहस्यमयी व्यक्ति है, जो पिछले 6 महीने से रहस्य बना हुआ है और चुनचुन कर औरतों को अपना शिकार बना रहा है. छोटेलाल दौड़ते हुए उस ओर गया, जिस ओर भागने की बात कविता ने उसे बताई थी. 

घर से कुछ दूर आगे तक छोटेलाल गया, मगर उसे दूरदूर तक कोई नजर नहीं आया, सिवाय चारों ओर फैले सन्नाटे के. लौट कर वह घर पहुंचा. उस ने मोबाइल फोन पर टाइम देखा तो उस समय रात के साढ़े 3 बज रहे थे.  दर्द से बिलबिला रही कविता की आवाज सुन कर फेमिली वाले परेशान थे. छोटेलाल ने उसी समय शोर मचा कर पड़ोसियों को जगाया और नकाबपोश के गांव में होने और बेटी पर हमला करने की बात बता कर उसे पकडऩे में मदद की गुहार लगाई. इस नकाबपोश के आतंक से सिर्फ उस गांव वाले ही नहीं, पासपड़ोस के कई गांव वाले दहशत में जी रहे थे. 

आलम यह हो चला था कि शाम होते ही महिलाएं अपने घरों में दुबक जाती थीं. नकाबपोश की दहशत से कोई भी औरत अकेली रात में कहीं भी नहीं जाती थी. गांव वाले भी चाहते थे कि नकाबपोश जल्द से जल्द पकड़ा जाए. पुलिस भी उसे पकडऩे में लगी हुई थी, लेकिन अभी तक वह भी खाली हाथ थी. इसलिए लोगों ने उसे आज पकडऩे की ठान ली. खैर, गांव वालों ने एकजुट हो कर लाठी और डंडे लिए गांव को चारों ओर से घेर लिया, ताकि जो भी हो वह यहां से बच कर जाने न पाए. दहशत के मारे 6 महीने से गांव वालों की आंखों से नींद गायब हो गई थी. गांव वालों ने गांव का चप्पाचप्पा छान मारा, एकएक गली छान ली, लेकिन उस रहस्यमयी व्यक्ति का कहीं पता नहीं चला. शायद अंधेरे का लाभ उठा कर वह कहीं गुम हो गया था.

बहरहाल, पौ फटते ही छोटेलाल भारती गांव वालों के साथ घायल बेटी को ले कर झंगहा थाने पहुंचे. सुबहसुबह दीवान दयाराम थाने में भारी संख्या में गांव वालों को देख कर चौंक गया. औफिस से निकल कर वह बाहर आया और इतनी सुबह आने का कारण पूछा तो छोटेलाल ने नकाबपोश के द्वारा बीती रात बेटी पर जानलेवा हमला करने की जानकारी दे कर आवश्यक काररवाई करने की गुहार लगाई. थानाक्षेत्र की यह पांचवीं घटना थी और उस हमलावर को पकड़े जाने की बात तो दूर, पुलिस उस की परछाई तक छू नहीं सकी थी. हैडकांस्टेबल दयाराम ने छोटेलाल और उस के साथ आए गांव वालों को भरोसा दिलाया कि बड़े साहब के आते ही उस के खिलाफ जरूरी काररवाई जरूर की जाएगी. पहले अस्पताल जा कर बेटी का इलाज कराएं.

दयाराम ने जो बात कही थी, सच ही कही थी. दर्द से कराह रही कविता को इस समय इलाज की बहुत जरूरत थी.  दीवान की बात मान कर छोटेलाल बेटी को ले कर नजदीक के अस्पताल पहुंचे. चूंकि चोट काफी गहरी थी और हालत गंभीर बनी हुई थी, इसलिए डाक्टर ने उसे भरती कर इलाज करना शुरू किया. 

लगातार घटनाओं से पुलिस भी हुई परेशान

इधर दीवानजी के जरिए तत्कालीन इंसपेक्टर सूरज सिंह को घटना की सूचना मिल चुकी थी. वह तुरंत अस्पताल पहुंचे और घायल कविता के बयान दर्ज कर थाने लौट आए. फिर छोटेलाल की तहरीर पर अज्ञात हमलावर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इंसपेक्टर सूरज सिंह ने घटना की सूचना सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह, एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव और एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को दे दी. मामला गंभीर हो चला था. नकाबपोश की इस पांचवीं घटना ने पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया था. 

अफसोस की बात तो यह थी कि अभी तक पुलिस यह तक पता लगाने में असफल थी कि आखिर वो है कौन? क्यों वह औरतों को ही अपना निशाना बना रहा है? जानलेवा हमला कर के वह आखिर अंधेरे में गुम कहां हो जाता है? इन तमाम सवालों के जबाव उस नकाबपोश के पकड़े जाने पर ही मिल सकते थे.  14 नंवबर, 2024 की दोपहर में एसएसपी गौरव ने अपने औफिस में इसी घटना को ले कर जरूरी मीटिंग बुलाई थी. उस मीटिंग में एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र कुमार, सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह, एसएचओ (झंगहा) और एसओजी प्रभारी शामिल थे. पहली घटना से ले कर पांचवीं घटना की चर्चा उस मीटिंग में की गई. 

चर्चा के दौरान एक बात कौमन निकल कर बाहर आई, वह यह थी कि सभी घटनाओं में औरतों पर हमला एक जैसे ही किया गया था, जिस में हमलावर ने किसी वजनी चीज से सिर पर ही वार कर के उन्हें मारना चाहा था.  इस घटना में 11 अगस्त, 2024 को हमलावर का दूसरा शिकार बनी थी ममता देवी (32 साल). 15 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती हुई वह जिंदगी से हार गई थी. हमलावर की शिकार बनी औरतों के लिए गए बयान में यह सामने आया था कि देखने में हमलावर दुबलापतला दिखता है, काली शर्ट पहने होता है, चेहरा किसी कपड़े से ढका रखता है और नंगेपांव रहता है.

एसएसपी गौरव ने एक टीम गठित की, जिस की जिम्मेदारी एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र को सौंपी. उन्होंने अपने नेतृत्व में पुलिस की कई टीमें गठित कीं. उन टीमों का नेतृत्व उन्होंने सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह को सौंपा. एसएसपी के दिशानिर्देशन में अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए सीओ अनुराग सिंह रहस्यमयी हमलावर की खोज में जुट गए. 30 जुलाई, 2024 से 13 नवंबर, 2024 के बीच हुई घटनाओं की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने 20 गांव खंगाले. 150 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने के साथ ही करीब डेढ़ लाख मोबाइल फोन का डेटा खंगाला. इस के बावजूद उस का कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

सफलता नहीं मिलने पर ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू हुई, जो महिला अपराध के मामले में जेल गया हो और घटनास्थल के आसपास उस की लोकेशन रही हो. मगर पुलिस यहां भी खाली हाथ रही. पुलिस टीम ने गांवगांव जा कर लोगों से संदिग्ध लोगों के बारे में जानकारी लेने के बाद उन का थाने का रिकौर्ड चैक किया. संदेह के आधार पर कई लोगों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी की गई. काफी मशक्कत के बाद पुलिस के हाथों आखिरकार रहस्यमयी हमलावर की पहचान हो ही गई. दरअसल, 4 घटनास्थलों से जुटाए गए फुटेज में एक ऐसा व्यक्ति देखा गया, जो घटना के बाद तेजी से भागता नजर आ रहा था. 

फुटेज को गहराई से देखा गया तो इकहरे बदन वाला वह व्यक्ति काली शर्ट पहने था और नंगे पांव था. उस का हुलिया ठीक वैसा ही मेल खा रहा था, जैसा पीडि़त महिलाओं ने बताया था. उस रहस्यमयी व्यक्ति की पहचान अजय कुमार निषाद पुत्र स्वामीनाथ निषाद निवासी मंगलपुर गांव के रूप में की गई थी. 

पुलिस क्यों रख रही थी फूंकफूंक कर कदम

पहचान पुख्ता होते ही सीओ अनुराग सिंह की टीम चौकन्नी हो गई थी. वह टीम के साथ इतने सतर्क थे कि किसी भी कीमत पर उस रहस्यमयी हमलावर तक उस की पहचान हो जाने की खबर तक न लगने पाए. वरना वह मौके से फरार हो सकता था और कई दिनों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर सकता था. इसलिए वे बहुत फूंकफूंक कर कदम उठा रहे थे. आननफानन में उन्होंने एक योजना बनाई. उस योजना के अनुसार, उसी रात यानी 17 नवंबर की रात में सादे वेश में पुलिस टीम के साथ रात करीब साढ़े 12 बजे मंगलपुर गांव को चारों ओर से घेर लिया. यही नहीं ऐहतियात के तौर पर एसओजी टीम को मौके पर बुला लिया गया था. दोनों टीमें इस औपरेशन को मिल कर अंजाम दे रही थीं, ताकि हमलावर गांव से भाग न सके.

पुलिस मुखबिर के जरिए पहले ही उस की शिनाख्त कर चुकी थी. पुलिस हमलावर अजय के घर की ओर बढ़ रही थी. पुलिस की टीम ने अजय के घर को चारों ओर से घेर लिया था. झंगहा थाने के एसएचओ सूरज सिंह ने दरवाजा थपथपाया. थाप की आवाज सुन कर अधेड़ उम्र के एक शख्स ने दरवाजा खोला. सामने कई लोगों को एक साथ देख कर उस की नींद गायब हो गई. अभी वह कुछ समझ पाता, तभी इंसपेक्टर सूरज सिंह ने अपना परिचय देते हुए कहा, ”मैं झंगहा थाने का इंसपेक्टर सूरज सिंह हूं. तुम्हारे दरवाजे पर पुलिस फोर्स खड़ी है. जो पूछूंगा, उस का सहीसही जवाब देना. क्या अजय यहीं रहता है?’’

हां साहब, अजय यहीं रहता है, लेकिन बात क्या है, सर?’’ अचकचा कर शख्स ने सवाल किया, ”मैं अजय का पिता स्वामीनाथ हूं. इतनी रात गए आप सब यहां. सब ठीक तो है न. मेरे बेटे ने क्या किया है?’’

हां, सब ठीक है. एक नारमल पूछताछ के लिए उसे थाने ले जाना है.’’ इंसपेक्टर सूरज सिंह ने बड़े साधारण तरीके से अपनी बात को आगे रखा, ”पूछताछ के बाद उसे घर तक छोड़ दिया जाएगा.’’

लेकिन बात क्या है साहब?’’

कहा न, एक नारमल पूछताछ है. पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा.’’ 

बाहर बातचीत की आवाज सुन कर स्वामीनाथ की पत्नी भी उठ कर पति के पास जा पहुंची थी. दरवाजे पर कई लोगों को देख कर उन की भी आंखें फटी रह गई थीं. पति और सामने खड़े इंसपेक्टर के बीच तीखी बहस हो रही थी. 

देखो, मैं जो पूछ रहा हूं, सीधी तरह से बता दो कि अजय कहां है, वरना मुझे दूसरे तरीके भी आते हैं.’’ इंसपेक्टर सूरज सिंह ने कड़क स्वर में कहा, ”तुम सीधे तरीके से बताते हो या फिर मैं पुलिसिया…’’ 

बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि स्वामीनाथ गिड़गिड़ाया, ”साहब, मेरे बेटे के साथ कुछ मत कीजिएगा. मैं उसे ले कर आता हूं. वो घर में सो रहा है.’’

ठीक है, उसे ले कर आओ, पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा.’’ इंसपेक्टर सिंह ने उसे भरोसा दिलाया, तब कहीं जा कर वह अजय को बुलाने कमरे की ओर बढ़ा. इधर सामने खड़ी अजय की मां समझ नहीं पा रही थी कि पुलिस वाले बेटे को क्यों लेने आए हैं?

कुछ देर के बाद स्वामीनाथ अजय को साथ ले कर बाहर आया और उसे पुलिस को सौंप दिया. यह देख कर उस की मां ने हंगामा किया तो पुलिस के कड़े तेवर देख कर वह चुप हो गई. इंसपेक्टर सूरज सिंह अजय को सीधे थाने ले गए. थोड़ी में सीओ अनुराग सिंह और एसओजी टीम भी थाने पहुंच गई थी. पुलिस के तमाम सवालों का अजय ने एक ही जवाब दिया कि उसे इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उस ने ऐसा कोई काम किया है.

रात भर पुलिस परेशान रही. अगली सुबह उन चारों महिलाओं को थाने बुलाया गया और उन्हें छिपा कर अजय की शिनाख्त कराई तो चारों पीडि़ताओं ने उसे पहचान लिया. उसी ने उन पर हमला किया था. फिर क्या था, पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि वह औरतों से सख्त नफरत करता है. उन का चीखना, तड़पना और उन के जिस्म से बहता खून देख कर उसे बहुत सुकून मिलता था. 

यह सुन कर पुलिस वाले आश्चर्यचकित हो गए कि यह तो किसी मनोरोगी से कम नहीं है. क्योंकि दूसरों को दर्द दे कर, उस की तकलीफ देख कर उसे खुशी मिलती थी. सीओ सिंह ने जब इस का कारण पूछा तो उस का जवाब सुन कर वह भी हैरान रह गए थे. फिर उस ने आगे जो बयान दिया, वह किसी सस्पेंस वाली फिल्मी कहानी से कम नहीं निकला. घटना का खुलासा होने के बाद उसी दिन शाम साढ़े 3 बजे एसएसपी गौरव ग्रोवर ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता बुला कर करीब 6 महीने से सिरदर्द बनी सीरियल किलर की कहानी का खुलासा किया. 

पत्रकारों ने उक्त घटना के बारे में आरोपी से पूछताछ की तो अजय के चेहरे पर पछतावे का कोई निशान नहीं था. खैर, पुलिस ने अजय कुमार निषाद को नामजद करते हुए बीएनएस की अलगअलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर के अदालत के सामने पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों के रिमांड पर जेल भेज दिया गया. अदालती आदेश के बाद अजय को कड़ी सुरक्षा में बिछिया स्थित गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया गया.  बहरहाल, पुलिस द्वारा अजय से की गई पूछताछ के बाद हैरान कर देने वाली जो कहानी सामने आई है, वो इस तरह है

अजय को शिवानी से हुआ प्यार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के दक्षिण में झंगहा थाना के अंतर्गत राजधानी गांव में मंगलपुर नाम का एक टोला पड़ता है. निषाद बाहुल्य गांव में किसान स्वामीनाथ निषाद अपनी पत्नी और 6 बेटे, 4 बेटियों के साथ रहता था. 10 बच्चों में अजय सब से छोटा था. चारों बेटियों और 3 बेटों की शादी वह कर चुका था. अजय भाईबहनों में सब से शातिर और बेहद चालाक किस्म का था. घर की माली हालत से वह अच्छी तरह वाकिफ था. मेहनत कर के कैसे इतने बड़ा परिवार उस के पिता चलाते थे, इस का दर्द सालों से उसे सालता था. 

वह सोचता था कि काश! कहीं से काफी सारा पैसा मिल जाए तो परिवार की माली हालत दुरुस्त कर देता और मजे की जिंदगी जीता. उसे पता था कि सोशल मीडिया पर ऐसी तमाम जानकारियां मिल जाती हैं, जिस के जरिए लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं. इसी सोच के चलते बेहद कम उम्र में ही उस ने सोशल मीडिया को खंगालना शुरू किया. अजय स्कूल से छुट्टी के बाद मोबाइल फोन में जमा रहता था. घर वाले उसे समझाते कि पढ़लिख कर कुछ काबिल बन जा, मोबाइल तो जीवन भर चलाना है. जब समय हाथ से निकल जाएगा तो पछताने से कोई फायदा नहीं होगा. पेरेंट्स के समझाने का उस पर कोई असर नहीं होता था, वह अपनी ही धुन में रमा रहता था.

रमेश निषाद अजय के पड़ोसी थे. उन की सब से छोटी बेटी थी शिवानी, जो 15 साल की थी. शिवानी खूबसूरत थी. वह 8वीं कक्षा में पढ़ती थी. लेकिन इसी उम्र में वह पूरी तरह सयानी हो चुकी थी. उस का अंगअंग विकसित हो चुका था. अजय था तो साधारण शक्लसूरत और इकहरे बदन का. उस में कोई खास आकर्षण नहीं था, लेकिन गोरी और सुंदर शिवानी पर उस की जिस दिन से नजर पड़ी थी, वह उस का दीवाना हो चुका था. पड़ोसी होने के नाते अजय और उस के घरपरिवार की रमेश के घर के अंदर तक आनाजाना था. रमेश के फेमिली वाले भी स्वामीनाथ के घर आतेजाते थे. 

खैर, शिवानी आंखों के रास्ते अजय के दिल में उतर आई थी. जिस दिन से उस के दिल में उतरी थी, उस दिन से उस पर शिवानी के प्यार का ऐसा नशा छाया कि दिनरात, सोतेजागते, उठतेबैठते शिवानी ही शिवानी नजर आती थी. शिवानी जान चुकी थी कि अजय उसे चाहता है, उस से प्यार करता है. धीरेधीरे वह भी अजय के प्यार में गिरफ्तार हो गई. लेकिन दोनों ही कच्ची उम्र के प्रेमी थे. अकसर देखा गया है कि इस उम्र के प्यार में प्यार कम और शारीरिक भूख मिटाने की ललक ज्यादा होती है. यहां भी कुछ ऐसा ही आलम था. अजय शिवानी की गदराए देह को पाने के लिए लालायित था. लेकिन उसे ऐसा मौका मिल नहीं पा रहा था, जहां जिस्मानी संबंध बना सके.

वह जिस मौके की तलाश में था, एक दिन वह मौका आखिरकार उसे मिल ही गया. एक दिन की बात है शिवानी के फेमिली वाले किसी जरूरी काम से घर से बाहर गए थे. घर पर शिवानी ही अकेली थी, अजय को यह बात पता थी. दोपहर के समय अजय प्रेमिका के घर पहुंचा. कमरे में शिवानी अकेली थी. और घर के कामों व्यस्त थी. अचानक से सामने अजय को देख कर वह सकपका गई.

तुम यहां..?’’ चौंक कर शिवानी ने पूछा.

हां, मैं.’’ अजय ने जवाब दिया, ”मुझे देख कर तुम्हें खुशी नहीं हुई?’’

खुशी तो हुई पर…’’ बाहर मेनगेट की ओर झांकते हुई शिवानी बोली, ”ऐसे घर में घुसते तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं?’’

अगर कोई देख भी लेता तो क्या होता. हम सच्चे प्रेमी हैं. किसी के सामने झुकने वाले नहीं. हम मर मिटने वालों में से हैं.’’

देखो, डायलौगबाजी छोड़ो, यह बताओ किसलिए यहां आए हो. मम्मीपापा कभी भी आ सकते हैं. जल्दी बताओ.’’

शिवानी, तुम तो ऐसे घबरा रही हो जैसे मुझे जानती नहीं हो, किसी अजनबी से मिल रही हो. तुम से प्यार करने के लिए आया हूं.’’ कहते हुए अजय शिवानी के करीब जा पहुंचा. 

प्रेमिका ने क्यों नहीं किया तन समर्पित

अजय को अपने बेहद करीब देख कर शिवानी के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. सांसें तेजतेज चलने लगी थीं. प्यार का तपन महसूस कर शिवानी का बदन भी गरम होने लगा था. यह देख अजय खुद को रोक नहीं सका और शिवानी को खींच कर अपनी बाहों में भर लिया. पहली बार किसी पुरुष ने शिवानी को स्पर्श किया था. उसे बहुत अच्छा लग रहा था. उस ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया. दोनों की सांसें और तेज हो गई थीं और बदन जलने लगा था, ”हमें डूब जाने दो शिवानी. 2 जिस्म एक जान हो जाने दो.’’अजय बोला.

मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं, मैं भी तुम्हारे प्यार के समंदर में डूब जाना चाहती हूं. लेकिन अभी नहीं.’’ शिवानी खुद पर काबू करते हुए बोली, ”यही तो वो दौलत है, जो पत्नी अपने पति को बचा कर उसे सौंपती हैं. हमें अभी सामाजिक मर्यादा नहीं लांघनी है. तुम्हें अभी और इंतजार करना होगा.’’

इंतजार ही तो नहीं हो पा रहा है मुझ से. खो जाने दो मुझे तुम में.’’

नहीं…नहीं…अभी नहीं…’’ कहती हुई शिवानी अजय को धक्का देते हुए उस से दूर हो गई. अजय गिरतेगिरते बचा. 

शिवानी के अचानक बदले मिजाज से वह हैरान रह गया. वह समझ नहीं पाया कि अचानक उस ने उसे धक्का दे कर खुद से दूर क्यों किया.

क्या हुआ शिवानी?’’ आश्चर्य से अजय ने सवाल किया, ”तुम ने मुझे धक्का क्यों दिया?’’

मैं कहती हूं कि तुम यहां से अभी चले जाओ.’’ शिवानी तल्खी से बोली, ”इस से पहले कि कोई हमें इस बंद कमरे में एक साथ देख ले, तुम अभी यहां से चले जाओ.’’ शिवानी दोनों हाथ जोड़ कर उस के सामने गिड़गिड़ाने लगी थी. 

गुस्से में पैर पटकता हुआ अजय तेज कदमों से वहां से चला गया. जिस चाहत को ले कर वह शिवानी से मिलने उस के घर आया था, उस की मंशा पूरी नहीं हो पाई थी. शिवानी ने जोश में भी होश से काम लिया था. इस के बाद भी अजय ने शिवानी से जिस्मानी संबंध बनाने के लिए कई बार रिक्वेस्ट की. लेकिन हर बार उस ने उस की रिक्वेस्ट यह कह कर ठुकरा दी कि जो भी करना होगा, शादी के बाद. शिवानी के बारबार प्रणय निवेदन को ठुकराने से अजय नाराज हो गया और उस के दिमाग में उसे बदनाम करने की खतरनाक साजिश ने जन्म ले लिया. 

उस ने सोचा कि जब हम उस पर दबाव बनाएंगे तो अपनी इज्जत बचाने के लिए वह खुद ही मेरी बाहों में गिर जाएगी. अजय के मोबाइल फोन में शिवानी की कई तसवीरें थीं. गुस्से में उस ने उस के कुछ फोटो को एडिट कर के फेसबुक पर डाल दिया. शिवानी को इस का पता चल गया. उस ने फेसबुक पर अपनी अश्लील फोटो देखी तो आगबबूला हो गई. यह बात शिवानी ने अपने फेमिली वालों को बता दिया. शिवानी के बताने पर घर वालों ने भी फोटो को देखा तो शरम के मारे जमीन में गड़ गए. अजय ने शिवानी को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी. 

शिवानी के फेमिली वालों ने झंगहा थाने में उस के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने पोक्सो ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कर के अजय को गिरफ्तार कर के बाल कारागार भेज दिया. तब अजय 17 साल का था और यह बात साल 2022 की थी. इस घटना ने अजय को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था. वह इस बात से काफी परेशान था कि जो गुनाह उस ने किया ही नहीं, नाहक उस झूठे गुनाह में फंसा कर उसे सजा दिलाई गई है.

अजय ऐसे बना महिलाओं का दुश्मन

6 महीने बाद अजय जमानत पर जेल से छूट कर घर आया. जेल से बाहर आने के बाद अजय के तेवर पूरी तरह बदले हुए थे. औरतों को देखते ही नफरत से दूसरी ओर मुंह फेर लेता था. औरतों से उसे अब घृणा हो गई थी. घर आने के बाद वह शिवानी के घर वालों को झूठा मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाने लगा था. उस ने धमकी दी कि ऐसा नहीं किया तो सभी को जान से मार दूंगा. अजय की रोजरोज की धमकियों से शिवानी और उस के घर वाले बुरी तरह परेशान हो गए थे. वे नहीं चाहते थे कि उस का जीवन खराब हो. इसलिए इस बारे में शिवानी के पेरेंट्स ने स्वामीनाथ से शिकायत भी की कि अपने बेटे को संभाल लें, उसे ओछी हरकतें करने से रोक लें वरना उस का जीवन बरबाद हो जाएगा. फिर उन्हें दोषी मत ठहराना. लेकिन उस के फेमिली वालों ने इसे अनसुना कर दिया था. इधर अजय बुरी तरह बागी बन गया था और उसे किसी की भावनाओं से कोई लेनादेना नहीं था.

बुरी तरह परेशान रमेश ने एक बार फिर अजय कश्यप के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस उसे फिर से गिरफ्तार कर के ले गई और इस बार उसे 6 महीने जेल में रहना पड़ा. फिर उस के फेमिली वालों ने जमानत करा कर उसे जेल से बाहर निकाला. बाल कारागार से बाहर आने के बाद उस के फेमिली वालों ने उसे सूरत भेज दिया. एक साल तक अजय सूरत में रह कर पेंट, पालिश का काम करता रहा. लेकिन उस के दिल से सजा काटने वाली बात नहीं निकली थी. रहरह कर उसे टीस मारती थी. जब उसे बीती बातें याद आतीं तो एक साइको की तरह हरकतें करने लगता था. 

डेढ़ साल बाद जब अजय सूरत से घर लौटा तो एकदम से शांत रहने लगा था. पड़ोसियों से कम बातचीत करता था. ऐसा करना उस की योजना की एक चालाकी भरी कड़ी थी. जो सिर्फ उस के अलावा किसी को पता नहीं था. अजय अपने जीवन में थोड़ा बदलाव ले आया. वह शनिदेव का भक्त बन गया. शनिवार के दिन वह काले कपड़े पहनता और विधिपूर्वक शनिदेव का पूजन करता था. उस दिन नंगे पांव रहता था. वह शिवानी को भूल नहीं पाया था. इतना सब होने के बावजूद भी उसे टूट कर प्यार करता था. उसे जब देखता था तो न जाने उसे क्या हो जाता था. उस दिन पूरा दिन वह बेचैन और परेशान रहता था. 

इस के बाद उस ने तय किया कि शिवानी को जिंदा रख कर उसे ऐसी सजा देना है, जिस का दर्द जीवन भर उसे सालता रहे. योजना के अनुसार, उस ने उन महिलाओं को अपना टारगेट बनाने का फैसला किया, जिन का इस घटना से दूरदूर तक कोई लेनादेना नहीं था. अपनी खतरनाक योजना को पहली बार 29 जुलाई, 2024 को उस ने अंजाम दिया. झंगहा थानाक्षेत्र के सिंहपुर के सहरसा की 50 वर्षीया माया देवी को उस ने अपना टारगेट बनाया था. माया का घर गांव के आखिर में बना था. गरमी के दिन थे. माया का पति बमनलाल कमरे में सो रहा था. उस की पत्नी बरामदे में गहरी नींद में सोई थी. रात के करीब 2 बजे का समय था. अजय काली शर्ट पहने, काले कपड़े से मुंह ढके और नंगे पांव घर में घुस गया. 

माया को देखते ही उस ने हाथ में ली हुई लोहे की रौड से उस के सिर पर जोरदार प्रहार किया. जोरदार वार से गहरी नींद में सोई माया दर्द से तड़पने लगी. उस के सिर से बहता खून और उसे तड़पता देख कर अजय के दिल को ठंडक पहुंची. फिर घटना को चोरी का रूप देने के लिए घर से लोहे का संदूक ले कर भागा और उसे गांव के बाहर छोड़ दिया. ताकि लोग यही समझें कि चोरी के विरोध में चोर ने घटना को अंजाम दिया था. 

महिलाओं की तड़प और खून देख कर होता था खुश

ठीक अजय की सोच के हिसाब से बमनलाल भी सोचने लगा था कि शायद चोर आया होगा. दोनों के बीच हाथापाई हुई होगी. उसी हाथापाई में चोर ने पत्नी पर हमला कर उसे घायल कर दिया होगा. अगली सुबह बमनलाल ने अज्ञात चोर के खिलाफ चोरी का मुकदमा झंगहा थाने में दर्ज करा दिया. शातिर अजय घटना को अंजाम दे क र शांत बैठ गया. किसी को उस पर तनिक भी शक नहीं हुआ था. इस के ठीक 12वें दिन यानी 11 अगस्त, 2024 को अजय ने इसी तर्ज पर उपधवलिया की रहने वाली 32 वर्षीया ममता देवी पर रात के 3 बजे कातिलाना हमला किया और सामान उठा कर भाग गया. फिर अंधेरे में कहीं गायब हो गया. 

ममता पर हमला इतना जोरदार किया था कि वह कई दिनों तक अस्पताल में भरती रही और अंत में इलाज के दौरान उस ने दम तोड़ दिया. बेटी की मौत का सदमा सेवा प्रसाद बरदाश्त नहीं कर पाया और हमेशा के लिए परिवार सहित घर छोड़ कर अपनी नौकरी पर लौट गया और वहीं रहने लग. इस घटना को अंजाम देने के बाद अजय सूरत भाग गया. 14 दिनों बाद सूरत से घर लौटा और फिर तीसरी घटना 25 अगस्त को इसी तर्ज पर इसी थानाक्षेत्र के हाथावाल की रहने वाली 55 वर्षीया रंभा देवी के साथ किया और रात के अंधेरे में गुम हो गया.

इन तीनों घटनाओं के बाद झंगहा क्षेत्र में दहशत फैल गई थी, क्योंकि इन घटनाओं में काफी समानता दिख रही थी. वह थी रात के समय हमले का होना. इस के बाद घर के लोग सतर्क रहने लगे और शाम के बाद महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी. यह देख कर अजय को खूब मजा आता था और अकेले में ठहाका मार कर हंसता था. इन घटनाओं के बाद पुलिस हरकत में आई और यह पता लगाने में जुट गई कि आखिर वह कौन है, जो इस तरह रात के अंधेरे में महिलाओं को अपना शिकार बना कर और उसी अंधेरे में गुम हो जाता है.

3 महीने शांत रहने के बाद अजय ने चौथी घटना 9 नवंबर, 2024 को मंगलपुर की रहने वाली 32 वर्षीया शांति सिंह पत्नी सोनू सिंह के साथ की. उसे भी रात के समय डंडे से हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया और रात के अंधेरे में कहीं गुम हो गया. इस घटना ने पुलिस की आंखों से नींद छीन ली थी. एसएसपी गौरव ग्रोवर भी यह सोचने पर मजबूर हो गए कि घटना चोरी के लिए नहीं, बल्कि जानबूझ कर की जा रही है. 

एक ही तरीके से घटना को अंजाम देने से एक बात पक्की हो गई थी कि रहस्यमय हमलावर जो भी होगा, उस के दिल में महिलाओं के प्रति नफरत भरी होगी. पुलिस अभी इसी सोचविचार में उलझी हुई थी कि पांचवीं घटना 4 दिनों बाद यानी 13 नवंबर, 2024 को इसी थानाक्षेत्र के जंगल रसूलपुर के टोला कटहरिया की रहने वाली 24 वर्षीया कविता पुत्री छोटेलाल भारती के साथ घटी. इस घटना के बाद पुलिस रहस्यमयी हमलावर के पीछे पड़ गई और 5 दिनों की अथक कोशिशों के बाद वैज्ञानिक विधि और मुखबिरों के सहयोग से अजय निषाद को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई. 

खैर, जो भी हो अजय के गिरफ्तार होने से क्षेत्र में डर तो कम हुआ, लेकिन रहस्यमयी हमलावर का दहशत अभी भी बरकरार है. जिनजिन महिलाओं पर उस ने कातिलाना हमला किया है वो महिलाए अभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हैं. आरोपी 19 वर्षीय अजय निषाद से विस्तार से पूछताछ कर उस की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त डंडा, लोहे की रौड आदि बरामद करने के बाद उसे बिछिया स्थित गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक अजय निषाद सलाखों के पीछे था. घर वाले उस की जमानत की कोशिश में जुटे थे, लेकिन उस की जमानत हो नहीं पाई थी.

कथा में शिवानी परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

Punjab crime : रात में लड़की बनकर घूमता था सीरियल किलर, 18 महीने में किए 11 कत्ल

Punjab crime : एक खतरनाक सीरियल किलर (Serial Killer) की दास्तां, जिसने 11निर्दोष लोगों की हत्या कर दी. इस खौफनाक सीरियल किलर के वारदातों को सुनकर आप की रूह कांप उठेगी.

अक्सर ऐसे सीरियल किलर के बारे में पढ़ते रहे हैं जो आसानी से पकड़े नहीं जाते हैं, लेकिन यहां आपको एक अजीबोगरीब (Serial Killer) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने धोखेबाजों को मारना अपना मिशन बना लिया था. वह कत्ल करने के बाद उनके पैर छूकर माफी मांगता और मारने के बाद उनकी पीठ पर ‘धोखेबाज’ लिख देता था.

दिन में पुरुष और रात में महिला दिखता

इस सीरियल  किलर का नाम रामस्वरूप है. जिसे पंजाब पुलिस ने पकड़ा है, यह सीरियल किलर एक अनोखी पहचान रखता है. रामस्‍वरूप दिन में दिन में पुरुष जैसी और रात में महिला जैसी रूप बनाता था. पंजाब पुलिस ने इस किलर की पहचान के लिए स्केच भी जारी किया था.

भूलने वाला सीरियल किलर

यह सीरियल किलर 11 कत्ल कर चुका था और कैमरे के सामने उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. हैरानी की बात यह है कि कबूल करने के बाद यह सीरियल किलर खुद कहता है कि मेरी याददाश्त कमजोर है और मुझे अभी तक याद नहीं है कि मैंने कितने कत्ल किए हैं. किलर अपने आप को एक भुलक्कड़ मानता है.

अजीबोगरीब हरकतें करनेवाला रामस्‍वरूप

रामस्‍वरूप कत्ल करने के बाद लोगों की पीठ पर धोखेबाज लिख देता था. इतना ही नहीं, वह मृतक के हाथ पैर पकड़कर उससे माफी भी मांगता था. इसकी इस अजीब हरकत ने उसे इसे एक रहस्यमय और डरावना शख्स बना दिया था.

इस सीरियल किलर ने 18 अगस्त को कीरतपुर साहिब गढ़ मोड़ा टोल प्लाजा के करीब चाय पानी की दुकान वाले 37 वर्षीय शख्स की हत्या कर दी और उसका मोबाइल अपने साथ ले गया. इसी मोबाइल के जरिए पुलिस मोबाइल बेचने वाले के पास पहुंचती है जहां उसे पता चलता है कि मोबाइल बेचने के लिए एक महिला आई थी लेक‍िन देखने में वह पुरुष जैसा लग रहा था. पंजाब पुलिस ने इस शख्स के जरिए सीरियल किलर का स्केच तैयार किया और उसकी तलाश शुरू की. मोबाइल और स्केच के आधार पर ही रामस्वरूप की पहचान और गिरफ्तारी संभव हो सकी. इसके बाद पंजाब पुलिस स्केच के आधार पर उस रामस्वरूप के पास तक पहुंचती है और उसे अरेस्ट कर लेती है.

जब पुलिस उसे पकड़ती है तो लगता है कि उसने सिर्फ एक कत्ल किया होगा लेकिन जब वह अपना मुंह खोलता है तो पुलिस शौक्‍ड रह जाती है उसने ऐसे खुलासे किए कि पुलिस कुछ ही देर में समझ गई कि वह एक खतरनाक सीरियल किलर के सामने खड़ी है.

किस तरह से करता था कत्ल

रामस्‍वरूप एक “गे सेक्स वर्कर” था. यह रात को महिलाओं की तरह सजता था और घूंघट में चेहरा ढक कर ग्राहकों की तलाश में जुड़ जाता. जब इसे कोई ग्राहक मिल जाता है तो वह उस ग्राहक से पैसे के लिए लड़ता और उस ग्राहक का गला घोंट कर हत्या कर देता.

पंजाब पुलिस के मुताबिक इस सीरियल किलर ने डेढ़ साल में 11 कत्ल किए है. अभी पुलिस इससे जुड़े और सबूत तलाश रही है.

Superstition : 10 साल में 12 कत्ल करने वाले तांत्रिक का खौफनाक रहस्य

Superstition : एक ऐसा सीरियल किलर जो बेहद शातिर और खतरनाक था, 6 महीने तक ड्राइवर बन कर छिपा रहा और लोगों व पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा।

पुलिस भी उस की असलियत नहीं जान पाई थी. इस मास्टरमाइंड ने अपनी चालाकी और रहस्यमयी पहचान से लंबे समय तक कानून को मात देता रहा. इस सनकी कातिल ने 12 लोगों की हत्या की थी मगर लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस को चकमा दे कर फरार हो जाता था। मगर कहते हैं न कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और यही हुआ भी। एक दिन पुलिस के शिकंजे में यह आ ही गया।

उसे पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. मीडिया की सुर्खियों में रही इस कातिल की कहानी ने सब को हैरान कर दिया था। जानते हैं, इस कातिल की रहस्य से जुड़ी क्राइम स्टोरी :

हम बात कर रहे हैं गुजरात के राजकोट में पुलिस हिरासत में लिए गए नवल सिंह और उसे पकड़वाने वाला शख्स जिगर गोहिल की. नवल सिंह नगमा (काल्पनिक नाम) महिला से प्यार करता था. दोनों के बीच प्यार हुआ तो फिर जिस्मानी ताल्लुकात भी बन गए। इस बीच नगमा उस पर शादी करने का दबाव डालने लगी। लेकिन वह शादी करने का झांसा देता रहता. इस के बाद प्यार का झूठा वायदा करने वाले इस तांत्रित प्रेमी ने उस महिला से पीछा छुड़ाने के लिए उस का कत्ल कर कर दिया. जब नगमा के मांबाप और उस के भाई को पता चला कि नगमा गुम है तो उस की तलाशी हुई. मांबाप और उस के भाई को नहीं पता था कि उस के तांत्रिक प्रेमी ने नगमा की हत्या कर उसे दफना दिया है.

पुलिस में शिकायत

जब नगमा के घर वाले अपनी बेटी को ढूंढ़ने में कामयाब नहीं हो पाए तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. तांत्रिक डरा हुआ था और जब उसे लगा कि पुलिस मेरे पास पहुंच सकती है तो उस ने एक साजिश रची. उस ने नगमा के मांबाप और भाई से बताया कि वह अपनी तंत्र (Superstition) विद्या से नगमा को ढूंढ़ सकता है मगर इस के लिए सब को एक सुनसान दरगाह पर आना होगा.

फिर तांत्रिक अपने षड्यंत्र में कामयाब हो गया और तीनों को प्रसाद में खतरनाक जहर मिला कर खिला दिया, जिस से तत्काल तीनों की मौत हो गई.

मौत के घाट उतार कर उस ने उन तीनों के पास एक सुसाइड नोट रख दिया. इस मर्डर में सीरियल किलर जिगर गोहिल भी था. पुलिस ने इस अपराधी को पकड़ कर हिरासत में रखा था, लेकिन अचानक लौकअप में उस की तबियत बिगड़ गई और वह मर गया.

इस की मौत को लेकर पुलिस खुद ताज्जुब कर रही थी। इस के बाद पुलिस द्वारा इस सीरियल किलर का पोस्टमार्टम कराया गया. जब पुलिस को पता चला कि उस की मौत हार्ट अटैक से हुई है तो पुलिस सोच में पड़ गई क्योंकि जिन 12 लोगों की मौत हुई थी उन की भी हार्ट अटैक से मौतें हुई थीं.

कौन था नवल

नवल एक तांत्रिक था। वह अपने झूठे तंत्रमंत्र का डर दिखा कर लोगों को फंसाता और उन के पैसे लूट कर मौत के घाट उतार दिया करता था. यह तांत्रिक अहमदाबाद के सुरेंद्र नगर में काला जादू किया करता था. इस को तांत्रिक बनने का आइडिया एक तांत्रिक को देख कर आया था. बाकी इस ने टीवी पर आने वाले क्राइम शो पर सीखा.

तांत्रिक जानता था कि बहुत से लोग लालच में पैसे या सोना डबल कराने के लिए तांत्रिक का सहारा लिया करते हैं. बस, इसी बात को जान कर उस ने लोगों को फायदा उठाना चालू कर दिया. इस तांत्रिक का काला जादू चल पडा. इस के बाद वह लोगों को ठगता चला गया.

2021 के एक रोड ऐक्सिडैंट में एक नौजवान की मौत हो गई थी. पुलिस इसे रोड ऐक्सिडैंट मान कर फाइल बंद कर दी। मगर उस के भाई को शक था कि उस का भाई रोड ऐक्सिडैंट में नहीं बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. भाई की मौत का पता लगाने के लिए वह पुलिस के चक्कर काटता रहा, लेकिन पुलिस ने उस की एक भी बात नहीं मानी. इस के बाद वह अपने भाई के कातिल का पता करने में लग गया.

कौन था हत्यारा

उसे पता चला कि 1 महीने पहले उस का भाई एक तांत्रिक (Superstition) के संपर्क में आया था. उस का नाम नवल था. इस के बाद वह नवल के करीब जाने लग गया। उस को पता चला कि उस के पास भी एक कार है जिसे रात में टैक्सी के रूप में चलवाता है. नवल को एक टैक्सी ड्राइवर की जरूरत थी और वह उस के पास जा पहुंचा और पार्ट टाइम टैक्सी चलाने लगा.

उस का ड्राइवर बनने के बाद जिगर को पता चला कि तंत्रमंत्र के अलावा उस के और भी कई रूप हैं. इस के बाद जिगर 7 महीने तक उस का ड्राइवर बना और तंत्रमंत्र के अलावा सारी जानकारी इकट्ठा करने लगा.

जिगर ने नवल का भरोसा इतना जीत लिया था कि उसे अपने पूरे रहस्य बता दिया करता था. नवल ने जिगर से कहा कि एक बिजनैसमैन मेरे पास पैसे डबल कराने आने वाला है. फिर क्या था, नवल जिगर को लालच दे कर बोला कि कार की स्टैपनी में एक बोतल और उस में सोडियम नाइट्रेट नाम का रसायन छिपा हुआ है.

इस के साथ ही एक शराब की बोतल भी है. नवल ने प्लान बनाया था कि वह आदमी उस के पास पैसे डबल कराने आएगा तो तुम उसे इस शराब को पिला देना जिस से उस की मौत हो जाएगी. उस ने बताया कि इस रसायन को पिला कर उस ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. उस ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक आती है. इस बात को सुन कर जिगर को यकीन हो गया था कि उस के भाई की भी मौत इस ने ही की है, क्योंकि पोस्टमार्टम में भी इसी रसायन का नाम आया था. इस के बाद वह पुलिस को मैसेज के जरिए इस बात की जानकारी देता है और अपनी लोकेशन भी बता देता है.

इस के बाद नवल को अरेस्ट कर लिया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो उस की बात सुन कर हैरान हो गई थी क्योंकि पुलिस ने एक आम आदमी को अरेस्ट नहीं किया था बल्कि एक सीरियल किलर को अरेस्ट किया था क्योंकि यह किलर 10 साल में 12 कत्ल कर चुका था. पहला कत्ल दादी, दूसरा कत्ल मां और तीसरा कत्ल अपने चाचा का. पुलिस का कहना है कि नवल एक पैसे वाले तांत्रिक (Superstition) को जानता था जो इसी रसायन का प्रयोग किया करता था. पुलिस का मानना है कि 12 कत्ल से भी ज्यादा मौतों का आंकड़ा भी हो सकता था. इस से पूरी पूछताछ करने से पहले ही इस की मौत हो चुकी है.

‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी

‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी – भाग 6

अर्जन इति को भागने को बोलता है. अंधेरे में मुठभेड़ होती है, क्रिस्टोफर अर्जन का गला दबाने लगता है, तभी इति वो ट्यून चला देती है. क्रिस्टोफर का ध्यान उधर जाते ही अर्जन क्रिस्टोफर को मार गिराता है, तभी दिव्या भी वहां आ जाती है. अर्जन, दिव्या और इति लिपट जाते हैं और फिल्म का नीरस अंत हो जाता है.

‘कठपुतली’ (Cuttputlli) एक थ्रिलर (Thriller) के रूप में डिजाइन की गई है, लेकिन कहानी और स्क्रीनप्ले में इतने झोल हैं कि दर्शक पहले ही किलर के बारे में समझ जाते हैं. लेखक तुषार त्रिवेदी और असीम अरोड़ा ने अपनी सहूलियत के हिसाब से इस मूवी को लिखा है और यह बात भूल गए कि दर्शक भी सोचने समझने की शक्ति रखते हैं. घुप्प अंधरे में किया फिल्मांकन दर्शकों को निराश करता है.

‘कठपुतली’ में क्राइम है, थ्रिल का कोई नामोनिशान नहीं. इसे देखते हुए आप के मन में क्रिमिनल को जान लेने की जिज्ञासा नहीं जागती. बेहद सपाट तरीके से कहानी आगे बढ़ती है. लगातार मर्डर होते रहते हैं. पर फिल्म में किसी तरह की इंटेसिटी नहीं है.

क्या सिर्फ हर 15 से 20 मिनट में एक मर्डर दिखा देना ही क्राइम थ्रिलर होता है? क्लाइमैक्स में जब इस सेटअप से पेबैक की बारी आती है तो फिल्म हाथ खड़े कर देती है. कहने को फिल्म एक साइकोलौजिकल थ्रिलर बताई जाती है लेकिन इस से बढिय़ा साइकोलौजिकल थ्रिलर (Psychological Thriller) तो राधिका आप्टे की ‘अहिल्या’ है, जो यूट्यूब पर फ्री में उपलब्ध है.

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फिल्म में अक्षय कुमार का काम औसत रहा. रकुलप्रीत सिंह को जो भी दृश्य मिले वो कहानी को आगे नहीं ले जाते. रकुल और अक्षय की उम्र का फर्क साफ नजर आता है.

सरगुन मेहता और चंद्रचूड़ सिंह अपने किरदारों में मिसफिट नजर आए. पुलिस महकमे में केवल अर्जन सेठी को ही होशियार दिखाया गया है, दूसरे पुलिस वाले बुद्धू नजर आते हैं. अर्जन भी केस की कडिय़ों को इतना धीमा जोड़ता है कि दर्शक उस से 2 चाल आगे रहते हैं और जान जाते हैं कि अब क्या होने वाला है.

रकुलप्रीत सिंह

रकुलप्रीत सिंह का जन्म एक पंजाबी परिवार में 10 अक्तूबर, 1990 को नई दिल्ली में हुआ था. उस ने अपनी शुरुआती पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल धौलाकुआं, दिल्ली से की है. उस के बाद उस ने गणित में दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की थी. वह कालेज के दिनों में नैशनल लेवल की गोल्फ प्लेयर भी रह चुकी है.

उस ने अपने करिअर की शुरुआत बतौर मौडल की थी, उस के बाद उस ने मिस फेमिना इंडिया में हिस्सा लिया था, जिस में वह यह खिताब तो हासिल नहीं कर सकी, मगर उसे इस प्रतियोगिता के दौरान पैंटालून फेमिना, मिस फ्रेश फेस, फेमिना मिस टैलेंटेड, फेमिना मिस ब्यूटीफुल, मिस ब्यूटीफुल स्माइल, मिस ब्यूटीफुल आईज के खिताबों से नवाजा गया था.

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इस प्रतियोगिता के बाद रकुल के लिए हिंदी सिनेमा के दरवाजे खुल गए. उस ने कई तमिल तेलुगु फिल्मों में काम किया. रकुल ने हिंदी सिनेमा में अपनी एंट्री दिव्या कुमार की फिल्म ‘यारियां’ से की थी.

वह इस फिल्म में हिमांशु कोहली के अपोजिट नजर आई थी. यह फिल्म उस साल की पहली सफल फिल्म बौक्स औफिस पर साबित हुई थी. सालों तक एकदूसरे को डेट करने के बाद जैकी भगनानी और रकुलप्रीत सिंह ने 21 फरवरी, 2024 को गोवा में फैमिली और क्लोज फ्रेंड्स की मौजूदगी में सात फेरे लिए थे.

रकुल ने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘मेडे’ में, आयुष्मान खुराना के साथ ‘डाक्टर जी’ में, जौन अब्राहम के साथ ‘अटैक’, अजय देवगन के साथ ‘रनवे 34’, ‘थैंक गौड’ जैसी फिल्मों में काम किया है. उस की फिल्म ‘छतरी वाली’ भी काफी चर्चित रही, जिस में उस ने एक कंडोम बनाने वाली कंपनी में जौब कर सेफ सैक्स को ले कर अच्छा संदेश दिया है. ‘कठपुतली’ फिल्म में भी रकुल के लिए कुछ करने को ज्यादा मौका नहीं मिला है.

सरगुन मेहता

सरगुन मेहता का जन्म 6 सितंबर, 1988 को चंडीगढ़ में हुआ था. वह एक अभिनेत्री, मौडल और टेलीविजन होस्ट है, जिसे मुख्य रूप से पंजाबी सिनेमा में उस के अभिनय के लिए जाना जाता है. सरगुन को 3 पीटीसी पंजाबी फिल्म पुरस्कार और 2 पंजाबी फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं.

उस ने अपने कालेज में थिएटर परफारमेंस में अभिनय करना शुरू किया और बाद में टेलीविजन भूमिकाओं में कदम रखा. साल 2009 में जी टीवी के ’12/24 करोल बाग’ धारावाहिक के साथ स्क्रीन पर अपनी शुरुआत की.

कलर्स टीवी में सीरियल ड्रामा सीरीज ‘फुलवा’ ने उस के करिअर को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ दिया, जिस से उसे आलोचकों द्वारा खूब प्रशंसा मिली. उस ने डांस रियलिटी शो बुगीवुगी किड्स चैंपियनशिप को भी होस्ट किया.

मेहता ने अपनी फीचर फिल्म की शुरुआत साल 2015 की पंजाबी रोमांटिक कौमेडी ‘अंगरेजी’ से की, जो साल की दूसरी सब से अधिक कमाई करने वाली पंजाबी फिल्म के रूप में उभरी. फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पीटीसी पंजाबी फिल्म पुरस्कार मिला.

बाद में सरगुन अन्य सफल पंजाबी फिल्मों में दिखाई दी, जिन में ‘लव पंजाब’ और ‘लाहौरिए’ जैसी फिल्में शामिल हैं. उस ने 4 विभिन्न पुरस्कार समारोहों में 4 वर्षों में 7 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीते हैं.

चंद्रचूड़ सिंह

चंद्रचूड़ सिंह का जन्म 11 अक्तूबर, 1968 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. चंद्रचूड़ सिंह की मां ओडिशा के बालनगिर के महाराजा की बेटी थीं और पापा बलदेव सिंह यूपी में अलीगढ़ की खैरा सीट से सांसद थे. चंद्रचूड़ सिंह को बचपन से ही ऐक्टिंग के साथ सिंगिंग करने का भी शौक था और इसी वजह से उस ने क्लासिकल की ट्रेनिंग भी ली थी.

यहां तक कि पढ़ाई पूरी करने के बाद स्कूल में म्यूजिक भी सिखाना शुरू कर दिया था और बच्चों को पढ़ाता भी था. इस के अलावा वह आईएएस की तैयारी भी कर रहा था, लेकिन इसी बीच फिल्मों के औफर मिलने की वजह से वह मुंबई आ गया.

चंद्रचूड़ ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल, देहरादून से की थी. हिंदी सिनेमा में आने से पहले वह दून स्कूल में बतौर संगीत अध्यापक के तौर पर कार्यरत था. चंद्रचूड़ सिंह की शादी अवंतिका कुमारी से हुई है और उस के एक बेटा भी है.

अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह ने अपने करिअर की शुरुआत साल 1990 में फिल्म ‘आवारगी’ से की थी. हालांकि यह फिल्म बीच में ही अटक गई और उस की पहली रिलीज फिल्म साल 1996 में आई ‘तेरे मेरे सपने’ थी.

इस फिल्म के औडिशन का टेप देखने के बाद गुलजार साहब ने उसे फिल्म ‘माचिस’ के लिए साइन किया. यह फिल्म ब्लौकबस्टर रही और चंद्रचूड़ सिंह स्टार बन गया. इस के बाद उसे खासतौर पर ‘जोश’ फिल्म के लिए काफी सराहना मिली.

उसे फिल्म ‘माचिस’ फिल्मफेयर के बेस्ट मेल डेब्यू अवार्ड से भी नवाजा गया था. उस के बाद वह फिल्म ‘दाग द फायर’ और ‘जोश’ जैसी फिल्मों में नजर आया. उस ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया, लेकिन कुछ एक हिट फिल्म के अलावा उस की कोई भी फिल्म बौक्स औफिस पर कुछ खास नहीं चल सकी.

‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी – भाग 5

स्कूल की छुट्टी होने पर हेलमेट पहने एक बाइक सवार आता है और आयशा उस के साथ बाइक पर बैठ कर चली जाती है. पुलिस टीम उस के पीछेपीछे चलती है. लड़की को स्कूल से लेने कौन आता है और उसे घर से दूर सड़क पर क्यों छोड़ जाता है, यह बात दर्शकों की समझ में नहीं आती है.

लड़की को बाइक सवार एक मोड़ पर छोड़ कर जाता है, तभी एक ब्लू रंग की वैन, जिस का नंबर एचपी02 6587 है, उस के करीब आती है और आयशा गाड़ी के पास जाती है. परमार और अर्जन दूर से उस पर नजर रखते हैं, तभी एक गाड़ी बीच में आ कर खड़ी हो जाती है.

अर्जन और परमार गाड़ी से उतर कर उस तरफ जाते हैं, मगर वह लड़की और वह गाड़ी गायब हो जाती है. थोडी दूर आगे बढऩे पर दोनों की नजर लड़की पर पड़ती है, जो आइसक्रीम के ठेले के पास खड़ी है. उस से बातचीत में पता चलता है कि वह लड़की आयशा की जुड़वां बहन समाया है. आयशा तो स्कूल से माल रोड पर स्थित नृत्य कला की क्लास में चली गई.

एसएचओ परमार फोर्स को माल रोड जाने के लिए कहती है और अर्जन के साथ नृत्य कला क्लास की तरफ रवाना होती हैं. क्लास के अंदर घुसने के पहले ही सिंड्रेला डौल का बौक्स अर्जन को बाहर ही मिल जाता है.

आयशा का जीपीएस ट्रेस करने पर उस की लोकेशन बोझ हाइवे की मिलती है. गुलेरिया वहां से वायरलेस सेट पर कहता है कि वह लेन नंबर 3 में मेरे सामने है. इतने में वह मैजिशियन (यूके के अभिनेता जोशुआ लेक्लेयर) गुलेरिया पर अटैक कर के वहां से निकल जाती है.

मैजिशियन ऐसी जगह आयशा को ले कर जाती है, जहां पूरी तरह से अंधेरा है. आयशा काफी डरी होती है. वह वहां से बाथरूम जाने की कह कर निकलती है और एसआई अर्जन को फोन कर के बताती है कि वह उस मैजिशियन के बाथरूम में है. अर्जन उसे बाथरूम की खिड़की से बाहर निकलने को कहता है. तभी जीपीएस लोकेशन ट्रेस करने वाला कांस्टेबल अली अर्जन को बताता है कि आप आयशा से 50 मीटर की दूरी पर हैं.

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मैजिशियन के रूप में मिला साइको किलर

अर्जन आयशा को फिर से काल कर के कहता है कि वह एक रूम में है, जिस में पियानो रखा है तो आयशा बताती है कि वह उसी रूम से भाग कर आई है, उस रूम में ही मैजिशियन है. तभी मैजिशियन को सामने देख आयशा जोर से चीखती है. उसी समय अली बताता है कि आयशा भी उसी रूम में है, जहां आप हैं.

मैजिशियन आयशा को पकडऩे की कोशिश करती है, तभी अर्जन उस पर गोली चला कर आयशा के पास पहुंच जाता है. इसी दौरान मैजिशियन भाग जाती है. अर्जन आयशा को सुरक्षित बाहर निकाल लाता है.

एसएचओ परमार पूरे शहर की नाकेबंदी करवाती है. दिव्या अपने घर में पुलिस सायरन की आवाज सुन कर अर्जन को फोन लगाती है, तभी अर्जन मैजिशियन के भागने की जानकारी देता है. अपना खयाल रखने की बोल दिव्या मोबाइल को चार्ज में लगाती है तभी घर की बिजली गुल हो जाती है.

दिव्या मोमबत्ती जला कर आती है तो सामने उसी मैजिशियन को देख कर चौंक जाती है. इधर पुलिस टीम मैजिशियन के घर की तलाशी लेती है तो वहां से 2 ब्रिटिश पासपोर्ट मिलने की जानकारी एसआई अर्जन को देती है. बताए गए नाम से अर्जन को याद आता है कि 12 साल पहले कोई ब्रिटिश मैजिशियन एग्नेस फर्नांडीज अपने बेटे क्रिस्टोफर के साथ मनाली आई थी. और अब तक टीनएज स्टूडेंट से बदला ले रही है.

इधर दिव्या उस से बचने के लिए भागती है और फोन उठाती है, तभी मैजिशियन दिव्या को चोट पहुंचा कर गिरा देती है. उसी वक्त अर्जन दिव्या के घर पहुंचता है तो दिव्या बताती है कि मैजिशियन इति को ले कर गई है. अर्जन अंधेरे में ही उस की तलाश में निकल पड़ता है.

सुनसान घने अंधेरे में उसे एक जगह मूवमेंट्स दिखता है और दोनों तरफ से फायरिंग होती है. अर्जन इति के पास पहुंच जाता है, जैसे ही वह इति को ले जाना चाहता है, मैजिशियन अटैक करती है. फिल्मांकन इतना घटिया किया गया है कि कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं देता.

दोनों की मुठभेड़ में मैजिशियन का विग गिर जाता है और सामने गंजे सिर के आदमी को देख कर अर्जन पहचान लेता है कि यह क्रिस्टोफर है. फिल्मांकन इतना घटिया किया गया है कि कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं देता.

क्रिस्टोफर क्यों बना साइको किलर

क्रिस्टोफर अर्जन को अपनी कहानी सुनाता है कि 12 साल पहले उस की मां उसे इंडिया लाई थी. लेकिन मेरी बीमारी की वजह से उस की शक्लसूरत का सभी मजाक उड़ाते थे. सोफिया नाम की एक लड़की उसे अच्छी लगती थी, उसे इंप्रेस करने के लिए उस ने मैजिक सीखा, परंतु जब उस ने गुलाब का फूल दे कर उसे प्रपोज किया तो सोफिया ने उसे भलाबुरा कह कर नकार दिया.

उस दिन वह बहुत रोया, बाद में सोफिया को उस की मां माफी मांगने के लिए लाई, परंतु उसे माफी से नहीं, मौत देने से संतोष मिला. मां ने सोफिया की मौत की जिम्मेदारी अपने सिर ले ली. 12 साल के बाद जब वह जेल से बाहर आई तो रास्ते में एक्सीडेंट में उस की मौत हो गई, परंतु क्रिस्टोफर ने उसे जिंदा रखा.

उस ने मां का गेटअप ले कर स्कूलों में कई मैजिक शो किए. उसे अपने चेहरे से इतनी नफरत हो गई थी कि हर लड़की का चेहरा बिगाडऩे और उसे जान से मारने में मजा आने लगा.

पूरी फिल्म सीरियल किलर के इर्दगिर्द घूमती है, मगर उस के कैरेक्टर को सही तरीके से नहीं फिल्माया गया है. अंत में जिस जल्दबाजी में उस के कैरेक्टर को दिखाया गया है, वह दर्शकों को निराश करता है.

किलर को ढूंढने का जो ट्रैक है, उस में न तनाव है और न ही थ्रिल. किलर ऐसा क्यों कर रहा है, इस राज से परदा उठाया जाता है तो कोई खास रोमांच पैदा नहीं होता. किलर को जितना होशियार फिल्म में बारबार संवादों के जरिए बताया गया है, उतना होशियार वह फिल्म में दिखाई नहीं देता.

कहानी बताने के बाद क्रिस्टोफर कहता है, ”तू भी मरेगा.’’ और इति की तरफ इशारा कर के कहता है, ”पहले इसे मरता देख.’’

‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी – भाग 4

अचानक गायब हो जाती है एक और लड़की

इस के बाद अर्जन अपना चेहरा पानी से धो कर आता है, फिर उसे कोई फोन आता है और वह हौस्पिटल से रवाना हो जाता है. वह पायल के उसी बर्थडे सेलिब्रेशन में पहुंचता है तो पता चलता है पायल वहां से गायब हो गई है और घर पर वही डौल वाला बौक्स मिलता है.

पुलिस टीम, फोरैंसिक टीम के साथ तलाशी ले कर पायल की खोज में निकल जाती है. इधर घर पर गमगीन माहौल में दिव्या अर्जन को पानी ले कर आती है तो उस के हाथ में मोबाइल देख कर अर्जन उस के जीजा से उस वीडियो बनाने वाले लड़के के बारे में पूछता है. रिशु नाम का लड़का अभी घर के बाहर ही था, उस के मोबाइल की वीडियो क्लिप में पायल घर के बाहर जाती दिखाई देती है.

इधर पुलिस पूरे शहर की नाकेबंदी कर पायल की तलाश करती है, मगर उस का कोई पता नहीं चलता. जन्मदिन पार्टी की भीड़ में पायल को सीरियल किलर कैसे ले जाता है और उस का मर्डर कर के घर के बाहर रखी कार की डिक्की में उस की लाश छोड़ जाता है, यह कहानी दर्शकों के गले नहीं उतरती.

दूसरे दिन अर्जन बाइक से अपने जीजा के घर लौटता है. वहां जीजा बताता है कि बड़ी मुश्किल से उस ने पायल की मम्मी को सुलाया है, उसे यकीन है कि अर्जन पायल को कुछ नहीं होने देगा. तभी नरिंदर सिंह के मोबाइल पर काल आता है तो वह एक तरफ चला जाता है. उसी समय अर्जन की नजर घर के सामने खड़ी कार पर जाती है, जिस के पिछले हिस्से से एक प्लास्टिक पन्नी बाहर निकली दिखती है.

अर्जन कार की डिक्की खोलता है और तुरंत बंद करता है. तभी नरिंदर सिंह पास आ कर पूछता है क्या है. अर्जन छिपाने की कोशिश करता है, मगर नरिंदर जैसे ही कार की डिक्की खोल कर देखता है तो उस में पौलीथिन में लिपटी हुई पायल की लाश मिलती है. पायल की मौत पर वह बुरी तरह रोने लगता है तो अर्जन भी उसे संभालते हुए रो पड़ता है.

तभी पायल की मम्मी वहां आ जाती है तो दोनों आंसू पोंछ कर सब कुछ छिपाते हुए पायल को जल्द खोजने की बात करते हैं. नरिंदर अर्जन को कार ले जाने को कहता है. अर्जन आंखों में आंसू लिए पायल को पोस्टमार्टम के लिए हौस्पिटल ले जाता है. अर्जन गुलेरिया को फोन लगा कर पायल की डैडबौडी मिलने और पोस्टमार्टम के लिए हौस्पिटल लाने की सूचना देता है.

अर्जन के घर पहुंचने पर नरिंदर बताता है कि पायल के बारे में उस की मम्मी को सब कुछ बता दिया है. वह बुरी तरह टूट चुकी है, इसलिए उसे ले कर भिंड जा रहा है. जैसे ही अर्जन कार में बैठी दीदी से मिलता है, वह अर्जन से कहती है कि वादा कर अब किसी की बेटी नहीं जाएगी.

एक ट्यून ले जाती है साइको किलर तक

फिल्म के अगले दृश्य में डीएसपी एसआई अर्जन सेठी को गल्र्स स्कूल में बिना परमिशन फायर करने के आरोप में जांच पूरी होने तक सस्पेंड कर देता है. अर्जन अपनी सर्विस रिवौल्वर जमा कर चला जाता है.

एक तालाब के किनारे दिव्या बख्शी और अर्जन खड़े हैं, जहां अर्जन दिव्या से कहता है दीदी समझती है कि मैं किलर को पकड़ लूंगा, मगर बिना ड्यूटी और इनवेस्टीगेशन पावर के कैसे संभव है. वो शिकार पर निकलेगा फिर किसी लड़की को शिकार बनाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएंगे.

यह बात थोड़ी दूर खेल रही इति के हियरिंग एड में रिकौर्ड हो जाती है, जिसे दिव्या डिलीट कर अर्जन को बताती है कि कोमल के पास भी यह हियरिंग एड थी और उस ने ही इसे सजेस्ट किया था. इस के बाद अर्जन  पोस्टमार्टम के समय कोमल के पास से मिली सामग्री की पड़ताल करता है तो उसे वो हियरिंग एड मिल जाता है. वह उसे औन करता है तो कोमल चीखचीख कर कह रही है ‘बचाओ मुझे मत मारो.’

इस के बाद उसे एक अलग ट्यून भी सुनाई देती है. इस ट्यून की पड़ताल में उसे म्यूजिक के जानकार से 2 बातें सुनने को मिलती हैं कि यह स्काटिश ट्यून है और जिसे आप ढूंढ रहे हैं वह ट्रेन पियानिस्ट है.

अर्जन उस ट्यून को पेन ड्राइव में ले कर रेलवे स्टेशन पर एनाउंसमेंट करवाने ले जाता है, जहां का कर्मचारी उसे स्टेशन मैनेजर की परमिशन का हवाला दे कर असमर्थता जताता है. तभी अर्जन को रोशनी नाम की रेडियो जौकी मिल जाती है, जो अपने रेडियो स्टेशन से उस ट्यून को बजा कर उस के कंपोजर को पहचानने के लिए कालर के लिए 10 हजार का गिफ्ट वाउचर देने का एनाउंसमेंट करती है.

कई कालर के जवाब आते हैं, लेकिन कोई सही जवाब नहीं मिलता. अर्जन जाने को होता है, तभी परवाणू से श्वेता नाम की कालर बताती है कि उस ने इस ट्यून को परवाणू के एपीएस स्कूल के एनुअल फंक्शन में सुना था.

अर्जन स्कूल के प्रिंसिपल से मिल कर फंक्शन की वीडियो रिकौर्डिंग देखता है तो वह ट्यून मैजिक शो के दौरान बजती है. उसी शो में स्टेज पर मैजिशियन के साथ समीक्षा भारती दिखाई देती है. स्कूल अथौरिटी उस मैजिशियन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाते, तभी अर्जन दिव्या से उस के स्कूल में भी इस तरह के शो होने की तहकीकात करता है. दिव्या उसे बताती है कि उस के स्कूल में उस ओल्ड लेडी का  मैजिक शो हुआ था. वह गुलेरिया से अमृता के स्कूल के फंक्शन की वीडियो रिकौर्डिंग भी मंगाता है.

पूरी जांचपड़ताल के बाद अर्जन एसएचओ परमार को बताता है कि चारों लड़कियों के मर्डर में काफी समानता है. चारों के स्कूल में एक ओल्ड लेडी मैजिक शो कर के उन लड़कियों को स्टेज पर बुला कर इंप्रेस करती है और 2 दिन बाद किडनैपिंग कर के उन का मर्डर करती है.

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अब जा कर एसएचओ परमार को अर्जन की बातों पर भरोसा होता है और अर्जन से कहती है कि आज से हम तुम्हारे साथ हैं. वह डीएसपी से बात कर के किलर को खोजने के इस मिशन की जिम्मेदारी सौंपती है.

एसआई अर्जन सेठी के नेतृत्व में शहर के सभी स्कूलों की जांच की जाती है. एसएचओ परमार अर्जन को फोन कर के कहती है कि 14 जनवरी को सेंट पीटर्स स्कूल में एनुअल फंक्शन में मैजिक शो हुआ है, जिस में आयशा नाम की लड़की को वालेंटियर बनाया था तो अर्जन कहता है कि आज 16 जनवरी है. आप मेरे पहुंचने तक स्कूल की छुट्टी मत होने दीजिए.

परमार स्कूल जा कर प्रिंसिपल से मिलती है, तभी अर्जन भी पहुंच जाता है और आयशा की क्लास में सुरक्षा के 5 पौइंट बताता है. किसी तरह की परेशानी होने पर अपना मोबाइल नंबर बता कर वह आयशा के पास जा कर पूछता है कि आप ने नंबर नोट किया. उस के हां कहने पर वह नंबर डायल करने को कहता है और आयशा का नंबर सेव कर लेता है, फिर अपने अपने मोबाइल को छिपा कर रखने की हिदायत देता है.

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‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी – भाग 3

अगले दृश्य में स्कूल टीचर दिव्या से स्कूल की लड़की कोमल अपने पैरेंट्स की एनिवर्सरी के कारण आज का होमवर्क कल करने की परमीशन मांगती है तो दिव्या परमीशन देते हुए उस की तरफ से विश करने को कहती है. इस पर कोमल दिव्या मैम की आवाज की रिकौर्डिंग कर लेती है.

दिव्या कोमल से गैजेट्स के बारे में जानकारी हासिल करती है, फिर दोनों अपनेअपने आटो से घर चले जाते हैं. इधर कोमल जब रात 8 बजे तक घर नहीं लौटी तो मातापिता पुलिस थाने में कोमल की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचते हैं.

सबइंसपेक्टर नरिंदर सिंह और अर्जन सेठी कोमल की पतासाजी के लिए दिव्या से पूछताछ करते हैं तो पता चलता है जिस आटोरिक्शा में वह गई थी, उस पर एक विशेष तरह का सिंबल बना हुआ था.

फिर वे शहर के सभी इलाकों में आटो के पीछे बने उस सिंबल की खोज में वे जाते हैं, तभी दिव्या को फोन आता है कि इति को कुछ लड़के परेशान कर रहे हैं. दिव्या अर्जन को बता कर चली जाती है.

दिव्या इति के स्कूल से उसे ले कर बाहर निकलती है तो कुछ लड़के जोर से हंस देते हैं तो इति घबरा जाती है. तभी अर्जन बाइक ले कर वहां पहुंचता है. उसे देख कर लड़के भाग जाते हैं. इति बाइक की सवारी करने का इशारा करती है तो अर्जन दिव्या और इति को बाइक से घर छोड़ता है.

अर्जन के इति के बारे में पूछने पर दिव्या बताती है कि इति उस की बहन की बेटी है, बीमारी की वजह से दीदी की मौत होने पर उस के पापा ने अपने पास रखने से इंकार कर दिया.

स्कूल टीचर आया शक के दायरे में

दिव्या के घर पर इति पेंटिंग्स बनाती है, जिसे देख कर दिव्या को याद आता है कि कोमल जिस आटो से गई थी, उस में वैसा ही सिंबल था और उस पर अंगरेजी में क्र्रष्टश्वक्र लिखा था. वह अर्जन को काल कर के बताना चाहती है, मगर उस का फोन बिजी आ रहा है.

इधर अर्जन हवलदार गुलेरिया (गुरप्रीत घुग्गी) के साथ बाइक से जा रहा है और मोबाइल पर किसी से टिंबर ट्रेल रोड पर लाश मिलने की सूचना देते हुए फोरैंसिक टीम भेजने को कहता है. तभी गुलेरिया की बाइक खराब होने पर वह आटोरिक्शा ले कर घटनास्थल पर पहुंचता है. तभी दिव्या काल कर के बताती है कि कोमल जिस आटो पर स्कूल से निकली थी, उस पर रेड कलर का स्टार बना था, जिस के नीचे अंगरेजी में क्र्रष्टश्वक्र लिखा था.

अर्जन सामने देखता है तो उसे समझ आता है कि वह इसी आटो से आया था. उसे आटो जाता दिखाई देता है तो पीछा कर के उसे पकड़ लेता है. जब अर्जन उसी आटोरिक्शा को रुकने के लिए बोलता है तो वह रुकता नहीं है. जब सामने से कोई वाहन रास्ता रोक लेता है तो आटो चालक रिक्शा छोड़ कर क्यों भागता है, इस सीन में भी कोई लौजिक समझ नहीं आता है.

आटोरिक्शा चालक को टौर्चर करने पर वह बताता है कि पुरुषोत्तम तोमर उस के आटो में आ कर बैठ जाता था और लड़कियों को अपने घर ले जाता था. जब पुलिस आटो चालक को ले कर पुरुषोत्तम तोमर के घर जाती है तो वह घर पर नहीं मिलता. लेकिन उस की फोटो देख कर नरिंदर सिंह बताता है कि यह पायल के स्कूल का मैथ्स टीचर है. उस के घर कोमल का बैग और बाहर वही डौल वाला बौक्स भी मिलता है. पुलिस समझती है कि कातिल यही स्कूल टीचर है.

अगले सीन में टीचर तोमर पायल को कम माक्र्स लाने पर टौर्चर कर के उस का यौनशोषण कर रहा होता है, तभी अर्जन और नरिंदर सिंह फोर्स ले कर पहुंचते हैं. पुलिस पायल और टीचर को बंद कमरे में देख कर तोमर की धुलाई करती है.

पुलिस की पिटाई से घायल तोमर हौस्पिटल में पुलिस को बताता है कि वह उस दिन कोमल के साथ आटो में गया था और बुक देने के बहाने कोमल को घर ले गया था. तोमर उसे पानी लाने के लिए अंदर जाता है और पानी में कोई दवा मिलाता है, जिसे कोमल देख लेती है. तभी वह बाहर से दरवाजा बंद कर भाग निकलती है. दूसरे दरवाजे से जब तक वह बाहर आता है, कोमल वहां से भाग जाती है.

तोमर की इस सच्चाई पर अर्जन और नरिंदर सिंह को यकीन नहीं होता और वे उसे हौस्पिटल में चांटा मार देते हैं. बाद में डाक्टर उन्हें रोक कर बाहर करता है. इधर डीएसपी को एसएचओ गुडिय़ा परमार केस सौल्व होने का श्रेय इंसपेक्टर मचान को देती है तो अर्जन को गुस्सा आता है. तभी उस का जीजा नरिंदर पायल के बर्थडे को सेलिब्रेट करने को कहता है.

अर्जन अपने जीजा नरिंदर को कार में रखा टेडी बियर दिखाता है और दोनों पायल के बर्थडे सेलिब्रेशन में जाते हैं, वहां अर्जन को दिव्या भी मिल जाती है. दिव्या अर्जन से उस की पसंद नापसंद पूछती है और फिर ताना मार कर कहती है कि तुम्हें तो बाबाजी के आश्रम में होना चाहिए. इतना कह कर वह वहां से जाने लगती है. तभी पायल के कहने पर अर्जन गाना गाता है तो दिव्या भी रुक जाती है.

आधी से अधिक फिल्म निकल जाने के बाद अर्जन और दिव्या के रोमांटिक सीन के साथ ‘ओ साथिया…’ गाना दर्शकों को सुकून देता है. पूरी फिल्म में केवल एक यही गाना है, दर्शक जिस के भरोसे हैं.

दिव्या और अर्जन की मुलाकातों में एकदो गाने और भी जुड़ जाते तो शायद फिल्म दर्शकों को बांधे रखती. फिल्म में रोमांस और फैमिली ड्रामा वाले जो दृश्य डाल दिए गए हैं. वह बिलकुल फिट नहीं लगते. निर्माता यदि ओटीटी के लिए फिल्म बना रहे हैं तो इस तरह के कामर्शियल फिल्मों के फार्मूलों से परहेज ही करना चाहिए था. गाना खत्म होने पर अर्जन को फोन आता है और वह जल्द आने की कहता हुआ वहां से चला जाता है.

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उधर हौस्पिटल में सेकेंड फ्लोर पर एडमिट पुरुषोत्तम तोमर ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल को अगवा कर लेता है. एसएचओ परमार उसे समझाने की कोशिश में आगे बढती है तो वह उस की पिस्टल छीन कर उस की कनपटी पर लगा कर पीछे की तरफ बढ़ता है, तभी अर्जन कुछ सोच कर नीचे की तरफ भागता है.

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तोमर पिस्टल की नोक पर परमार को ले कर लिफ्ट में घुस जाता है. लिफ्ट बंद होते ही पुलिस फोर्स नीचे की तरफ भागती है. नीचे लिफ्ट का दरवाजा खुलता है तो तोमर लिफ्ट में लुढ़क जाता है. बदहवास सी परमार पहले निकलती है. उस के बाद चेहरे पर खून के निशान लिए अर्जन बाहर आता है, जाहिर है अर्जन ने किसी तरह पहले से ही लिफ्ट में आ कर तोमर पर गोली चला कर परमार को बचा लिया.

लिफ्ट बंद होते ही गोली चलने की आवाज आती है. दर्शकों को समझ ही नहीं आता गोली किस ने चलाई.

‘कठपुतली’ रिव्यू : लड़कियों के सीरियल किलर की रहस्यमयी स्टोरी – भाग 2

पायल अपनी टीचर दिव्या बख्शी के सामने अपने मामा अर्जन का परिचय पापा के रूप में कराती है तो टीचर उसे गणित और अंगरेजी में कमजोर बताती है. इस पर अर्जन घर चल कर पायल को मारने की बात कहता है तो टीचर अर्जन को डांट देती है.

दरअसल, पायल ने टीचर को झूठ बोल कर यह बताया था कि उस की मां नहीं है. इसी दौरान पायल के मम्मीपापा भी वहां आ जाते हैं और पायल का झूठ सामने आ जाता है. यह दृश्य मौजूदा दौर की शिक्षा की पोल खोलता है, जिस में कम माक्र्स आने पर बच्चों को इतना भयभीत किया जाता है कि उन्हें झूठ बोलना पड़ता है.

स्कूल से बाहर आ कर पायल को उस की मम्मी मारने की कोशिश करती है तो अर्जन रोकता है और मैथ्स की कोचिंग लगाने का सुझाव देता है. मगर पायल की मम्मी उस का स्कूल चेंज करने की बात कह कर चली जाती है. इस के बाद जीजा नरिंदर अर्जन को एक फोटो की कौपी करा कर उसे शहर के इलाकों में पोस्टर लगाने को कहता है.

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अर्जन जब फोटो ले कर निकलता है तो एक चिल्ड्रन फेयर में उस की मुलाकात पायल की टीचर दिव्या बख्शी और उस की गूंगी और बहरी भांजी इति से होती है.

घर जा कर अर्जन डौल की फोटो देखता है तो उसे कुछ याद आता है. वह सीरियल किलर की पुरानी अखबार की कतरन निकालता है, जिस में स्कूल की लड़की को किडनैप कर के हत्या कर के इसी तरह की डौल मिली थी. वह इसी पुराने केस की फाइल निकलवाता है और एसएचओ परमार मैडम को कुछ क्लू देने की कोशिश करता है. मगर एसएचओ बुरी तरह डांट कर उस के आइडिया को नकार देती है.

इधर डेविड नाम के युवक को मर्डर के इल्जाम में अरेस्ट कर पूछताछ की जाती है तो वह बताता है कि वह लड़की को पसंद करता था. लड़की ने जब उसे भाव नहीं दिया तो उस ने जान से मारने की धमकी दी, परंतु मर्डर नहीं किया है.

इसी दौरान अर्जन सेठी एसएचओ परमार को सीरियल किलर के केस की हिस्ट्री दिखा कर कहता है कि इस केस का क्लू इस डौल से ही मिल सकता है, परंतु परमार मैडम उसे दुत्कारते हुए सिगरेट लेने के लिए भेज देती है. अर्जन बाहर गुमटी वाले से मैडम के लिए सिगरेट लेने आ जाता है, तभी पुलिस की गाडिय़ां सायरन बजाते हुए थाने से निकलती हैं.

गाड़ी से रवाना होते समय नरिंदर सिंह अर्जन को बताता है कि रेलवे ब्रिज के पास डैड बौडी मिली है. अर्जन भी वहीं पहुंचता है. आईकार्ड से डैडबौडी की पहचान स्कूल की लड़की अमृता राणा के रूप में होती है. पिछले 2 मर्डर की तरह इस हत्या में भी वही पैटर्न अपनाया गया है. अर्जन परवाणू में हुए समीक्षा भारती मर्डर केस की फाइल देखने परवाणू जाता है और समीक्षा के मातापिता के अलावा स्कूल जा कर कई लोगों से डौल के बारे में तहकीकात करता है.

साइको किलर तक पहुंचने की बनाई रणनीति

अगले सीन में पुलिस टीम पोस्टमार्टम करने वाली डाक्टर बताती हैं कि पूरे जीवन में उन्होंने इस तरह के मर्डर का पहला केस देखा है, जिस से लगता है किलर का मकसद मर्डर नहीं दर्द देना है और यह किसी सायको का काम हो सकता है.

तभी डीएसपी वहां पहुंचते हैं और एसएचओ परमार को डांट लगाते हैं. इस के बाद वह पूछते हैं एसआई अर्जन सेठी कौन है. अर्जन उन्हें सैल्यूट करता है तो डीएसपी उस से परवाणू वाले केस के संबंध में हुई इंक्वायरी के बारे में पूछते हैं.

अर्जन पूरी फाइल डीएसपी को दिखाता है. डाक्टर उस फाइल को देख कर कहती है कि मर्डर का पैटर्न एक सा है. इस सीन और डायलौग को देख कर दर्शक यह अंदाजा नहीं लगा पाते कि केस के संबंध में बताने वाली लेडी लाश का पोस्टमार्टम करने वाली डाक्टर है और आने वाला अफसर डीएसपी है.

एसआई अर्जन सेठी डीएसपी को कहता है कि सायको किलर का मकसद अपनी पब्लिसिटी करना और डर फैलाना है, उस को पावर से नहीं माइंड गेम से हराना है.

इसी दौरान अमृता के पैरेंट्स आते हैं और इमोशनली शाक की वजह से कहते हैं यह मेरी बेटी नहीं है. अर्जन डीएसपी से कहता है कि यदि किलर पब्लिसिटी चाहता है तो अभी हम मीडिया को इस बारे में कुछ न बताएं. किलर जहां भी है, वह एक गलती जरूर करेगा.

फिल्म आगे बढ़ती है, स्कूल में मैथ्स टीचर पुरुषोत्तम तोमर (सुजीत शंकर) पाइथागोरस प्रमेय पढ़ा रहा है. एक लड़की खड़ी हुई, जिसे टौर्चर कर के टीचर पूछता है कि समझ में आया? तभी इंसपेक्टर नरिंदर सिंह अपनी बेटी पायल को क्लास में ले कर आते हैं और टीचर को बताते हैं कि उन्होंने स्कूल चेंज कर आप के स्कूल में एडमिशन कराया है.

इधर एसआई अर्जन और नरिंदर सिंह पूरे शहर में खिलौनों की दुकान पर उस डौल की तलाश कर रहे हैं, जो किलर डैडबौडी के पास छोड़ता है.

जांच में यह तो पता चलता है कि लोकल वेबसाइट पर किसी ने बल्क में डौल का और्डर पोस्ट औफिस के जरिए किया था, परंतु एड्रेस की जगह पोस्ट बौक्स नंबर का यूज किया था.

अगले सीन में मैथ्स टीचर पुरुषोत्तम तोमर उसी लड़की को चाक फेंक कर मारता है. लड़की बुरी तरह डरी हुई है. टीचर उसे टौर्चर कर के कहता है कि मैथ्स में फेल हो कर मेरा और स्कूल का रिकौर्ड खराब करोगी. तभी स्कूल का चपरासी स्कूल में फंक्शन शुरू होने की सूचना देता है तो सभी बच्चे हाल में जाने लगते हैं, वह लड़की भी जाने को होती है तो टीचर उसे एक्स्ट्रा क्लास के बहाने रोक लेता है और पैरेंट्स को फोन करने की धमकी दे कर दरवाजा बंद कर के उस का यौन शोषण करता है.

फिल्म में मैथ्स टीचर तोमर नौवीं क्लास की लड़कियों को जिस तरह से शारीरिक रूप से प्रताडि़त करता है, वह बात हैरान करती है क्योंकि यह शहर का नामी स्कूल है. फिर कोई लड़की कभी इस के खिलाफ न तो आवाज उठाती है और न ही अपने पैरेंट्स से शिकायत करती है.

उधर स्कूल फंक्शन में मैजिक शो चल रहा और बच्चे उस का मजा ले रहे हैं. कुछ समय बाद टीचर और वह लड़की भी फंक्शन में आ कर बैठ जाते हैं. निर्माता निर्देशक चाहते तो फिल्म में मैजिक शो को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर के फिल्म को दर्शकों के लिए और भी इंटरेस्टिंग बना सकते थे, लेकिन इसे केवल लपेटा गया है.