दगा दे गई सोशल मीडिया की गर्लफ्रैंड – भाग 3

कहते हैं कि दुनिया में अकेली औरत की जिंदगी कटी पतंग की तरह होती है. उस पर अगर वह जवान और खूबसूरत हो तो हर कोई लावारिस समझ कर उसे लूट लेना चाहता है. तृप्ति यह दुनियादारी अच्छी तरह से जान चुकी थी. इसलिए वह भी सही जीवन साथी को तलाश कर रही थी, जो उसके साथ ही उस की बेटी को भी बाप की तरह प्यार करे और अपनी औलाद जैसी परवरिश करने को तैयार हो.

प्रोफेसर से दोस्ती होने पर किया विवेक से किनारा

32 वर्षीय तृप्ति खूबसूरत और समझदार थी ही, साथ ही सुगठित शरीर की मालकिन होने के चलते 24 से 25 साल से ज्यादा उम्र की नहीं लगती थी, लेकिन कुछ हद तक वह सेंटीमेंटल फूल्स यानी दिल के हाथों मजबूर एक भावुक युवती थी. शायद इसलिए वह अपने पहले प्रेम में असफल होने के बाद एक बार फिर वही गलती कर बैठी.

पति सूरज के जेल जाने के बाद अपनी जिंदगी के अकेलेपन से घबरा कर वह सोशल मीडिया पर विवेक के संपर्क में आ गई और उस के हंसमुख नेचर से प्रभावित हो कर उस की गर्लफ्रेंड बन गई थी, जिस का पता उस की सहेली रीता को भी था. वह तृप्ति को बारबार जिंदगी की ऊंचनीच समझाती रहती थी और खबरदार भी करती रहती थी कि ऐसे बेमेल रिश्तों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है और वह अल्पशिक्षित कार ड्राइवर प्रेमी के साथ जीवनभर खुशहाल नहीं रह पाएगी.

क्योंकि ड्राइवरों की लाइफ स्टाइल स्टैंडर्ड की नहीं होती है और ज्यादातर ड्राइवर तो आपराधिक प्रवृत्ति के भी होते हैं. साथ ही दिनरात सङ़क पर घूमते रहने के कारण ऐसे लोगों का जीवन भी असुरक्षित होता है. इसलिए बेटी के भविष्य को ध्यान में रख कर कार ड्राइवर प्रेमी के साथ घर बसाने का निर्णय सोच विचार कर लेना .

बारबार सहेली रीता की समझदारी भरी सलाह सुन कर तृप्ति भी गंभीर हो गई और उस ने विवेक के साथ ज्यादा घूमना फिरना बंद कर दिया. उस ने उस से दूरी बनाए रखने का फैसला कर लिया. वह पहले भी सूरज चौहान के साथ प्यार में धोखा खा चुकी थी और अंतरजातीय प्रेम विवाह से तलाक की नौबत उसे फैमिली कोर्ट तक ले गई थी. इसलिए वह विवेक के शादी के प्रस्ताव को किसी न किसी बहाने टालने लगी. वह विवेक से पिंड छुङ़ाने का मौका तलाश रही थी.

इस दौरान अप्रैल, 2023 में तृप्ति अपने स्कूृल के स्टाफ के साथ इंजनियरिंग कालेज गई तो उस की मुलाकात जयपुर निवासी अनिल शर्मा से हुई जो इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर था और एक 38 वर्षीय आकर्षक और सजीला विवाहित युवक था. उस के मिलनसार तथा शालीन स्वभाव ने तृप्ति को इस कदर प्रभावित किया कि वह बारबार उस से मिलने लगी और कुछ ही दिनों में अनिल की अच्छी दोस्त बन गई. इतना नहीं वह मन ही मन उसे पसंद भी करने लगी.

अनिल से मिलने के बाद उस की सोच और जिंदगी का नजरिया ही बदल गया. अब वह विवेक को नजरअंदाज कर अनिल की हेल्प ले कर अपने भविष्य को बेहतर बनाने में समय गुजारने लगी. वह अब कार ड्राइवर विवेक के साथ गुजरे वक्त को अपनी भावुकता पूर्ण बेवकूफी मान कर भुला देना चाहती थी.

माहौल बदलने के लिए अनिल के साथ दोस्ती हो जाने पर उस ने दूसरी जौब करने और पुराना ठिकाना छोड़ कर नया मकान भी तलाशना शुरू कर दिया था. अनिल को जब तृप्ति के अतीत के बारे में पता चला. तो उस ने हमदर्दी जताते हुए पारिवारिक अदालत का फैसला आने के बाद नए सिरे से जीवन गुजारने की सलाह दी और वादा किया कि नौकरी लगवाने मेें वह उस की पूरी मदद करेगा

अनिल की बातों से तृप्ति को इस बात की तसल्ली हुई कि इस महानगर में अब वह अकेली नहीं है. इसलिए वह विवेक उर्फ विवान से पीछा छुङ़ाने की योजना पर अमल करने लगी. उसे डर था कि उस के एक तरफा प्यार में पागल विवेक संजीदा स्वभाव का व्यक्ति नहीं है इसलिए उस से मन भर जाने पर वह कभी भी उसे छोड़ सकता है. जबकि प्रोफेसर अनिल एक गंभीर और जिम्मेदार किस्म का संपन्न युवक था, जो उस की ज्यादा मदद कर सकता था.

तृप्ति से विवेक की लंबे समय तक मुलाकात नहीं हुई तो विवेक को यह सोच सोच कर फिक्र होने लगी कि कहीं उस का कोई और दोस्त तो नहीं बन गया. अपनी आशंका को दूर करने के लिए अगले ही दिन उस ने तृप्ति के स्कूल की छुट्टी हो जाने के बाद चुपचाप स्कूटी से उस का पीछा किया तो उस की आशंका सच साबित होती दिखी.

तृप्ति इंजीनियरिंग कालेज के आगे जयपुर रोड पर एक रेस्टोरेंट में अपने नए दोस्त के साथ बैठी चाऊमीन खा रही थी, उस से हंसहंस कर बातें कर रही थी. जिसे देख कर विवेक के तन बदन में आग लग गई. वह समझ गया कि तृप्ति उस से मिलने में बहाने बाजी क्यों कर रही थी. तभी उसे तृप्ति अपने नए दोस्त के साथ रेस्टोरेंट से बाहर निकल कर कार में बैठ कर जाती दिखाई दी. तब वह कुछ सोच कर वापस लौट गया.

प्रोफेसर ने दी विवेक को चेतावनी

अगले दिन विवेक ने तृप्ति से अरजेंट मिलने की बात कही तो पहले तो वह उसे टालती रही फिर ज्यादा रिक्वेस्ट करने पर उस ने स्कूल की छुट्टी के बाद जयपुर रोड स्थित जायका रेस्टोरेंट पर मिलने का टाइम दे दिया.

विवेक को तृप्ति की बेरुखी से बेवफाई की बू आने लगी थी. पर वह उस की लीगल पत्नी तो थी नहीं, जो वह उस पर अपना अधिकार जताता, इसलिए वक्त की नजाकत समझ कर चुप रह गया. फिर तयशुदा वक्त पर किसी मिलने वाले का स्कूटर ले कर वह जयपुर रोड स्थित रेस्टोरेंट पहुंच गया जहां एक कोने में तृप्ति अपने नए दोस्त प्रोफेसर अनिल के साथ बैठी कौफी पी रही थी.

उस ने अनिल को विवेक के बारे बताया था कि विवेक से उसकी सोशल मीडिया पर दोस्ती हो गई थी लेकिन अब वह सोशल मीडिया पर हुई दोस्ती को प्यार समझ कर उस से शादी के लिए दबाव बना रहा है. जबकि उस के मन में विवेक के प्रति प्यार जैसी कोई फीलिंग्स नहीं है. और वह उस से शादी भी नहीं करना चाहती. जिस पर तृप्ति का प्रोफेसर दोस्त अनिल शर्मा उस समय विवेक को समझाबुझा कर दोनों के बीच पैदा हुई गलतफहमी दूर करने के इरादे से उस के साथ रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था.

तभी तृप्ति को अपनी समझने वाला विवेक धङ़धङ़ाता हुआ सीधे उन की टेबल पर जा पहुंचा और तृप्ति से अपने साथ चलने की जिद्द करने लगा. तब तृप्ति बोली”;अरे ऐसी भी क्या जल्दी है, बैठो जरा कौफी तो पी लो.”

फिर वह अपने नए दोस्त का परिचय कराते हुए बोली ”;इन से मिलो, ये प्रोफेसर शर्मा हैं… मेरे नए मित्र और सर, ये हैं विवान उर्फ विवेक सिंह.”

अनमने भाव से विवेक कुरसी खींच कर बैठ गया. उसे तृप्ति का किसी और को दोस्त कहना नागवार लग रहा था.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 3

तान्या बहुत ही तेज तर्रार थी. वह जानती थी कि बाहर रह कर लड़कियों से दोस्ती करने से कोई लाभ नही, लड़कों से दोस्ती कर हर मकसद पूरा किया जा सकता है. क्योंकि अधिकांश लड़कियों में एकदूसरे से जलने की आदत होती है. यही कारण था कि उस ने इंदौर आते ही सब से पहले युवकों को ही निशाना बनाया था.

छोटू से दोस्ती करते ही उसे भरोसा हो गया था कि वह ही उसे उस की मंजिल तक पहुंचा सकता है. यही सोच कर उस ने छोटू के लिए अपने दिल के दरबाजे खोल दिए थे. उस के सहारे से ही उस की कई अवारा लड़कों से दोस्ती हो गई थी.

तान्या की हरकतों का पता रचित को लगा तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उस की एक भी बात नहीं मानी. बाद में रचित तान्या को बोझ लगने लगा था. उस ने रचित से साफ शब्दों में कह दिया था कि उसे उस की हमदर्दी की कोई जरूरत नही. तान्या की बात सुनते ही रचित ने उस की तरफ ध्यान देना बिल्कुल ही बंद कर दिया था. लेकिन फिर भी उसे एक चिंता लगी रहती थी कि वह गलत हाथों में पड़ कर अपना भविष्य खराब न कर ले.

हालांकि तान्या ने रचित से पूरी तरह से संबंध खत्म कर लिए थे, लेकिन फिर भी उस के दिल में रचित के लिए बेचैनी रहती थी. उस के दिल में उस के लिए अभी भी थोड़ी जगह खाली थी. लेकिन उस के छोटू से संबंध होते ही रचित ने उस से पूरी तरह से संबंध खत्म कर लिए थे. उस के बाद तान्या ने रचित से बदला लेने का पक्का प्लान बना लिया था. उस ने अपने इस मकसद को अंजाम देने के लिए छोटू के साथसाथ शोभित और उस के दोस्त को भी अपने साथ मिला लिया था.

पूर्व बौयफ्रैंड को सिखाना चाहती थी सबक

26 जुलाई, 2023 को तान्या अपने तीनों दोस्तों के साथ एक होटल में खाना खाने गई हुई थी. उसी दौरान तान्या को पता लगा कि रचित अपने दोस्तों मोनू, विशाल व रचित के साथ महाकाल दर्शन करने के लिए जा रहा है. यह जानकारी मिलते ही उस ने अपने तीनों दोस्तों से रचित को सबक सिखाने वाली बात कही.

उस के सभी दोस्त उस वक्त शराब के नशे में थे. तान्या के कहने मात्र से सभी ने उस की नजरों में हीरो बनते हुए उस की हां में हां कर दी. फिर जल्दी से तीनों ने एक्टिवा स्कूटी निकाली और लोटस चौराहे पर जा पहुंचे. तान्या जानती थी कि उन की कार उसी रास्ते से हो कर गुजरेगी.

लोटस चौराहे पर पहुंचते ही रचित की नजर सामने खड़ी स्कूटी पर पड़ी. उस वक्त तान्या स्कूटी पर सब से पीछे बैठी सिगरेट पी रही थी. इतनी रात गये तान्या को तीन युवकों के साथ इस तरह से घूमते हुए देख रचित को गुस्सा आ गया. रचित ने उस के पास जा कर ही कार रोकी.

तान्या को देखते ही रचित बोला, ”तान्या तुम्हें शर्म नहीं आती . इस तरह से तुम 3-3 लड़कों के साथ रात में आवारगर्दी करती फिर रही हो.”

रचित की बात सुनते ही तान्या को भी गुस्सा आ गया.”तू कौन होता है मुझे रोकने टोकने वाला. तुझ से मेरा क्या रिश्ता है?” उस ने चिल्लाते हुए कहा.

रचित की बात सुनते ही उस के साथी बौखला गए. उन्होंने कार की तरफ लपकने की कोशिश की तो रचित उर्फ टीटू ने कार आगे बढ़ा दी. कार के आगे बढ़ते ही चारों स्कूटी पर सवार हुए. फिर उन्होंने स्कूटी कार के पीछे लगा दी. फिर कार को आगे से घेर कर रचित व उस के साथियों पर हमला कर दिया.

इस केस के खुल जाने के बाद पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त एक्टिवा स्कूटी व चाकू भी बरामद कर लिया था. पुलिस ने इस मामले में तान्या कुशवाह सहित उस के अन्य दोस्तों शोभित ठाकुर,छोटू उर्फ तन्यम व ऋतिक को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

हालांकि तान्या ने पुलिस के सामने सफाई देते हएु कहा कि रचित को मारने का उस का कोई इरादा नहीं था. वह केवल उसे डराना चाहती थी. फिर भी उस ने जेल जाने से पहले पुलिस के सामने कहा कि रचित ने कई साल उस का शोषण किया था. वह उसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ेगी. वह जब भी जेल से छूटेगी, उस से बदला जरूर लेगी.

आज की इस फैशनपरस्त दुनियां में लिवइन रिलेशनशिप में रहना युवकयुवतियों में क्रेज सा बन गया है. युवकयुवतियां अपना भविष्य बनाने के लिए बड़े शहरों में कोचिंग या पढ़ाई करने के नाम पर निकलते हैं, लेकिन मांबाप से दूर रह कर अधिकांश वहां पर जाते ही गलत रास्ता अपना लेतेे हैं.

शुरूशुरू में लिव इन रिलेशन में रहना अच्छा लगता है, लेकिन जैसे ही बात शादी की आती है तो उस प्रेमी युगल में एक शख्स पीछे हटने लगता है. जिस के कारण दोनों में मनमुटाव पैदा हो जाता है. फिर कुछ ही दिनों में दोनों प्रेमी युगल के रास्ते अलगअलग हो जाते हैं.

इस से युवकों को तो ज्यादा फर्क नही पड़ता, लेकिन युवतियों के आगे. खून के आंसू बहाने के अलाबा कोई रास्ता नहीं बचता. जिस के कारण उन की जिंदगी ही तबाह हो कर रह जाती है. तान्या के साथ भी यही हुआ. काश! वह समझदारी से काम लेती तो वह शायद जेल नहीं पहुंचती.

चाहत का कहर : माशूका की खातिर – भाग 3

रामू की मुलायम सिंह, राहुल और तेजा से खूब पटती थी. इन में से मुलायम सिंह और तेजा पास के ही गांव के रहने वाले थे, जबकि राहुल मैनपुरी के कुरावली कस्बे का रहने वाला था. एक दिन सभी एक साथ एक ढाबे में बैठे खापी रहे थे, तभी राहुल न कहा, ‘‘यार रामू, कभी हम लोगों को भी कुसुमा भाभी से मिलवा.’’

‘‘तुम लोग उस से मिल कर क्या करोगे?’’ रामू ने पूछा.

तेजा ने हंसते हुए कहा, ‘‘जो तू करता है, वही हम लोग भी करेंगे.’’

‘‘खबरदार, कुसुमा के बारे में अब एक भी शब्द बोला तो…?’’ रामू गुर्राया.

‘‘इस में तुझे मिर्चें क्यों लग रही है? कौन सी वह तेरी बीवी है?’’ मुलायम सिंह ने रामू के कंधे पर हाथ रख कर कहा.

‘‘यह अच्छी बात नहीं है, इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम लोग उस की बात बिलकुल मत करो.’’ कह कर रामू उठ खड़ा हुआ.

राहुल ने रामू का हाथ पकड़ कर बैठाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘भई, हम सब दोस्त हैं, इसलिए जो भी मिले, हम सब को मिलबांट कर खाना चाहिए.’’

राहुल की यह बात रामू को इतनी बुरी लगी कि उस ने गुस्से में उसे 2-4 तमाचे जड़ दिए. मुलायम ने रामू को धकेल कर अलग करते हुए कहा, ‘‘यह तुम ने अच्छा नहीं किया रामू.’’

‘‘कान खोल कर सुन लो, तुम में से किसी ने भी मेरी जिंदगी में दखल देने की कोशिश की तो मैं उस के साथ भी यही करूंगा.’’ कह कर रामू चला गया.

बाकी तीनों दोस्त रामू के इस रवैये से सन्न थे. किसी से कुछ कहते नहीं बन रहा था. आखिर चुप्पी मुलायम सिंह ने तोड़ी. ‘‘हम इतने भी गएगुजरे नहीं हैं कि इस की मारपीट चुपचाप सह लेंगे.’’

रामू के ये सभी दोस्त उस से जल रहे थे. वे कुसुमा को पाना चाहते थे, लेकिन रामू ने उन की इच्छाओं पर पानी फेर दिया था. इसलिए वे रामू को सबक सिखाने के बारे में सोचने लगे. 2 दिनों तक तीनों रामू द्वारा किए अपमान का बदला लेने की साजिश रचते रहे.

अंतत: उन्होंने तय किया कि रामू को ऐसी सजा दी जाए कि कोई दोस्त फिर कभी अपने किसी दोस्त का इस तरह अपमान न कर सके. इस के बाद उन्होंने योजना भी बना डाली. उसी योजना के तहत तीनों ने रामू से माफी मांगी. रामू ने सोचा कि जब इन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है तो उसे भी अपनी गलती के लिए माफी मांग लेनी चाहिए. उस ने भी दोस्तों से अपनी गलती के लिए माफी मांग ली.

इस के बाद मुलायम ने कहा, ‘‘इस खुशी में आज रात मैं सभी को पार्टी दे रहा हूं.’’

‘‘क्या खिलाएगा पार्टी में?’’ रामू ने पूछा.

‘‘भई पार्टी है तो कुछ अच्छा ही होगा. शाम को हम तुझे तेरे घर लेने आएंगे, तू तैयार रहना.’’ तेजा ने कहा.

शाम को रामू घर में ही था. उस के दोस्त उसे बुलाने आए तो मां को बता कर वह उन के साथ चला गया. एक ढाबे से गोश्त और रोटियां पैक कराई गईं. इस के बाद शराब की दुकान से एक बोतल शराब खरीदी गई. सारी व्यवस्था कर के तय किया गया कि भूरा की दुकान की छत पर बैठ कर खानापीना होगा.

भूरा की दुकान हिंदपुरम कालोनी के सामने ही थी. कालोनी अभी नईनई बस रही है, इसलिए यहां अभी इक्कादुक्का मकान ही बने हैं. दूसरी ओर खेत हैं, इसलिए लोगों का आनाजाना इधर कम ही होता है. यही वजह थी कि अंधेरा होते ही इधर सन्नाटा पसर जाता था. यह मैनपुरी का काफी संवेदनशील इलाका माना जाता है.

तीनों दोस्त रामू को साथ ले कर भूरा की दुकान की छत पर आ गए. इस के बाद बातचीत के बीच खानापीना होने लगा. रामू काफी अच्छे मूड में था, इसलिए उस ने शराब थोड़ी ज्यादा पी ली. दोस्तों ने उसे पिलाई भी कुछ ज्यादा. काफी देर हो गई तो रामू ने कहा, ‘‘भई, अब घर चलना चाहिए.’’

‘‘कौन से घर, मां के या माशूका के?’’ मुलायम सिंह ने छेड़ा.

रामू लड़ाईझगड़े के मूड़ में नहीं था, इसलिए उठ कर खड़ा हो गया.

वह चलता, उस के पहले ही मुलायम सिंह ने उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘चल, हम भी तेरे साथ तेरी माशूका के यहां मौजमस्ती करने चलते हैं.’’

दरअसल, मुलायम सिंह उसे उकसाना चाहता था. मुलायम की इस बात पर रामू को गुस्सा आ गया तो वह उस की ओर झपटा. फिर क्या था, तीनों दोस्तों ने उसे दबोच कर गिरा दिया. इस के बाद वहां रखे फावड़े से उस की गर्दन काट दी. अब उन्हें लाश को ठिकाने लगाना था. काफी सोचविचार कर वे लाश को घसीट कर नीचे ले आए और सड़क के उस पार बहने वाले नाले में फेंक कर भाग खड़े हुए.

काफी रात बीत गई और रामू नहीं लौटा तो शांति परेशान होने लगी. उस ने सोचा कि वह कुसुमा के यहां होगा. इसलिए उस ने सवेरा होते ही मनोज को कुसुमा के घर भेजा. तब पता चला कि रात में वह कुसुमा के घर भी नहीं था. इस के बाद उस की खोज शुरू हुई.

रामू अपने दोस्तों के साथ गया था. उस के दोस्तों से उस के बारे में पूछा जाता, उस के पहले ही किसी लड़के ने आ कर बताया कि रामू की लाश सड़क के किनारे बहने वाले नाले में पड़ी है.

कोतवाली पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर शंकर सिंह और क्षेत्राधिकारी वी.पी. सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. निरीक्षण में उन्होंने देखा कि खून नाले से सामने की दुकान तक फैला है. छत पर जाने वाली सीढि़यों पर भी खून फैला था. पुलिस छत पर पहुंची तो वहां भी खून फैला दिखाई दिया. वहीं खून से सना फावड़ा भी पड़ा था. इस का मतलब यह था कि उसी फावड़े से छत पर मृतक की हत्या की गई थी.

पूछताछ में पता चल गया कि मृतक के मोहल्ले की ही एक महिला से अवैध संबंध थे. घरवालों ने भी बता दिया था कि कल शाम को रामू को उस के 3 दोस्त बुला कर ले गए थे.

इस के बाद रामू के छोटे भाई शिवशंकर ने मैनपुरी कोतवाली में भाई की हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए जो तहरीर दी, उस के आधार पर उसे पुलिस ने अपराध संख्या 641/13 पर भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुलायम सिंह पुत्र सूरज, निवासी नगला पंजाबा, राहुल पुत्र किशनलाल, निवासी कुरावली तथा तेजा पुत्र बाबूराम, निवासी हिंदपुरम कालोनी और कुसुमा पत्नी मुकेश, निवासी हिंदपुरम कालोनी के खिलाफ दर्ज कर लिया.

मुलायम सिंह, तेजा और राहुल तो पहले से ही फरार थे, कुसुमा को भी जब पता चला कि रिर्पोट में उस का भी नाम है तो वह भी फरार हो गई. लेकिन पुलिस ने जाल बिछा कर मुलायम सिंह, तेजा और राहुल को उसी दिन यानी 16 जुलाई, 2013 की देर शाम गिरफ्तार कर लिया.

तीनों को थाने ला कर पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर के रामू की हत्या की पूरी कहानी सुना दी. अगले दिन पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. पूछताछ में उन्होंने साफसाफ कहा था कि रामू की हत्या में कुसुमा शामिल नहीं थी. लेकिन रिपोर्ट में उस का नाम शामिल था, इसलिए 26 जुलाई, 2013 को उस ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस तरह कुसुमा की वासना की आग ने अपना घर तो जलाया ही, शांति के घर को भी नहीं बख्शा. शांति का कहना है कि रामू ने तो नादानी की ही, कुसुमा भी कम गुनहगार नहीं है. उसी ने उस के मासूम बेटे को गुमराह किया था. कथा लिखे जाने तक चारों आरोपी जेल में थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 3

जिस जगह शमीम बानो का कत्ल हुआ था, वहां घनी आबादी थी. शमीम का गला तो रेता ही गया था. उस के हाथ की अंगुली भी कटी हुई थी. इस का मतलब था कि मृतका का हत्यारों से संघर्ष हुआ था और उसी की वजह से उस की अंगुली कटी थी. आश्चर्य की बात यह थी कि इस के बावजूद किसी ने शोरशराबे की आवाज नहीं सुनी थी.

शमीम की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने इस मुद्दे पर गहराई से सोचा तो उस की निगाह रूबीना पर गई, क्योंकि शमीम और रूबीना की अच्छी दोस्ती थी. उसी ने उसे दिल्ली के किसी लड़के से मिलवाया था.

पुलिस ने इस पहलू पर भी गौर किया कि कहीं रूबीना कोई सैक्स रैकेट तो नहीं चलाती है. क्योंकि उस स्थिति में उस के रैकेट में शमीम के भी शामिल होने की संभावना हो सकती थी. साथ ही यह भी कि लेनदेन के किसी विवाद की वजह से शमीम की हत्या हो सकती थी.

शमीम की हत्या के मामले में कई दिनों तक अटकलों का बाजार गरम रहा. जितने मुंह उतनी बातें. पुलिस ने रूबीना से भी पूछताछ की. लेकिन रूबीना और शमीम की भाभी जरीना ने जो बयान दिए, उस ने आफरीन को ही कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया.

रूबीना ने बताया कि आफरीन अपने चचेरे भाई सिद्दीक से प्यार करती थी. एक बार वह घर से 50 हजार रुपए ले कर सिद्दीक के साथ भाग भी चुकी है. वह सिद्दीक से शादी करना चाहती थी, लेकिन शमीम मना करती थी. उस का कहना था कि सिद्दीक एक तो कुछ कमाता नहीं है, ऊपर से लोफरलंपट स्वभाव का है.

रूबीना की भाभी जरीना ने बताया कि वह 4 बजे के आसपास शमीम के घर अपना सब्जी वाला डोंगा लेने गई थी. तब आफरीन घर में ही थी और उस ने दरवाजा नहीं खोला था. इस पर जरीना ने खिसिया कर कहा था कि कोई अंदर है क्या, जो तू दरवाजा नहीं खोल रही है. जवाब में आफरीन ने कहा था कि अप्पी घर में नहीं है, वह गेट नहीं खोलेगी.

जरीना ने अपना डोंगा मांगा तो उस ने गेट के ऊपर से उस का डोंगा थमा दिया. डोंगा ले कर वह अपने घर लौट आई थी. शाम 6 बजे के करीब जब जरीना खीर ले कर गई तो आफरीन ने दरवाजा खोल दिया और खीर लेने के बाद बोली, ‘‘भाभी, मेरी अप्पी को देख लो. किसी ने उस का गला काट दिया है.’’

जरीना और रूबीना के इस बयान के बाद शक की सुई आफरीन की तरफ घूम गई. सच्चाई की तह तक जाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछाया तो पता चला कि आफरीन साढ़े 4 बजे अपने घर से निकल कर सामने वाली पान की गुमटी पर आई थी और उस ने वहां से पान मसाला और सिगरेट लिया था. दुकानदार ने उस से पूछा भी था कि क्या कोई आया है. इस पर उस ने बताया था कि कुछ मेहमान आए हैं, उन्हीं के लिए ले जा रही हूं.

ये बातें पता चलने के बाद थानाप्रभारी आलोक कुमार ने आफरीन का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया. यहां स्पष्ट कर दें कि शमीम के पिता अब्दुल रशीद इस मामले में सिराज को दोषी ठहरा रहे थे और वह उस तसवीर को सिराज की बता रहे थे, जो आफरीन ने पुलिस को दी थी.

पुलिस ने वह तसवीर रूबीना सहित मोहल्ले के कई लोगों को दिखाई, लेकिन उसे किसी ने भी नहीं पहचाना. लोगों ने बताया कि तसवीर वाले लड़के को न तो कभी शमीम के घर पर देखा गया था और न ही वह कभी उसे मोहल्ले में दिखाई दिया था.

अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद शमीम का शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. दूसरी ओर पुलिस सिराज की तलाश में तो लगी ही थी, साथ ही उस ने आफरीन और शमीम के फोन नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थीं. आफरीन की काल डिटेल्स में एक नंबर पर बहुत ज्यादा बातें हुई थीं. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो वह सिद्दीक का निकला.

तीसरे दिन शमीम का तीजा होने के बाद देर रात को पुलिस ने आफरीन, उस के पिता अब्दुल रशीद और भाई अतीक को उठा लिया. थाने में तीनों से बारीबारी से लंबी पूछताछ की गई. अंतत: पुलिस के सवालों से घबरा कर आफरीन टूट गई. उस ने अपने बयान में बताया कि कुछ दिनों पहले शमीम के संबंध सिद्दीक से थे.

बाद में सिद्दीक को शमीम की जगह उस से प्यार हो गया था. शमीम उन दोनों के प्यार में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने अपना रास्ता साफ करने के लिए सिद्दीक के साथ मिल कर बहन की हत्या करने की योजना बनाई.

इस योजना के मुताबिक सिद्दीक 11 दिसंबर, 2013 को बाजार से तीन पैकेट बिरयानी ले कर आया. उस ने एक पैकेट में पहले ही नशीली दवा मिला दी थी. नशीले पदार्थ वाली बिरयानी उन्होंने शमीम को दे दी और एकएक पैकेट दोनों ने ले लिए.

बिरयानी खाने के बाद शमीम अर्धबेहोशी में चली गई. उस के हाथपैर उस के वश में नहीं रहे. यह देख सिद्दीक और आफरीन ने मिल कर उस का गला रेत दिया. शमीम पर दवा का इतना ज्यादा असर था कि वह चीख भी नहीं सकी. अर्धबेहोशी के उसी आलम में उस ने अपने हाथ चला कर बचाने की कोशिश की थी, जिस से उस के हाथ की अंगुली में जख्म आ गया था.

शमीम के मरने के बाद सिद्दीक बाहर निकलने के लिए उपयुक्त समय का इंतजार करता रहा. जब सूरज छिप गया और अंधेरा घिर आया तो वह चुपचाप बाहर निकल गया. आफरीन के इस बयान के बाद पुलिस ने देर रात सिद्दीक को उस के घर इफ्तखाराबाद से गिरफ्तार कर लिया और आफरीन के पिता तथा भाई को छोड़ दिया.

16 दिसंबर को आफरीन की डाक्टरी जांच कराई गई, जिस में वह 3 महीने की गर्भवती पाई गई. डाक्टरी जांच के बाद सिद्दीक और आफरीन को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में थे.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की वो आखिरी रात – भाग 3

दीपक और बरखा हद से ज्यादा डूब चुके थे प्यार में

धीरेधीरे समय बीतता रहा. दीपक के दिल में प्रेमिका बनी बरखा के प्रति चाहत और बढ़ गई. यह चाहत उस रोज और बढ़ गई, जब बरखा ने एक रोज अंतरंग क्षणों में दीपक से कहा कि उस के पति और मोहल्ले वालों को उन के प्यार की भनक लग गई है. इस से पहले कि उन के प्यार पर पहरे लगा दिए जाएं, उन दोनों को भाग कर अपनी नई दुनिया बसा लेनी चाहिए.

“पर भाभी यह कैसे हो सकता है?” दीपक सोच में पड़ गया.

“क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करते?” बरखा दीपक से लिपट कर उस का मुंह चूमने लगी.

“प्यार तो अपनी जान से ज्यादा करता हूं तुम्हें भाभी.”

“तो अब यह तुम जानो कि मुझे पाने के लिए तुम्हें क्या करना चाहिए. बस इतना जान लो कि मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती. अगर तुम मुझे न मिले तो जमाने के तानों से तंग आ कर मैं अपनी जान भी दे दूंगी. फिर मेरे मुर्दा शरीर से प्यार करते रहना.”

“ऐसा मत बोलो भाभी. तुम चली गईं तो मैं ही जी कर क्या करूंगा,” दीपक ने जवाब दिया.

कृष्णकांत को दीपक और बरखा के रिश्तों के बारे में आए दिन कुछ न कुछ सुनने को मिल रहा था, अत: वह भी उस पर शक करने लगा था. उस का शक तब और बढ़ गया, जब उस के साथी कर्मचारी ने शराब पीने के दौरान सारी सच्चाई बयां कर दी.

उस ने कहा, “कृष्णकांत, तुम्हारी बीवी बदचलन है. वह तुम्हारे दोस्त दीपक के साथ रंगरेलियां मनाती है. उस पर लगाम कसो वरना वह तुम्हें छोड़ कर उस के साथ भाग जाएगी.”

कृष्णकांत को सहकर्मी की बात कड़वी तो लगी, लेकिन नकार न सका. शक होने पर वह बरखा पर नजर रखने लगा. उन्हीं दिनों एक रोज कृष्णकांत ने भी बरखा को अपने ही घर में दीपक के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़ लिया. दीपक तो भाग गया, पर बरखा कहां जाती. कृष्णकांत ने उसे खूब जलील किया.

पत्नी की इस बेवफाई से आहत कृष्णकांत ने बरखा को ऊंचनीच समझाने का प्रयास किया. वह नहीं समझी तो कृष्णकांत ने लातों से उस की खबर लेना शुरू कर दी. कृष्णकांत ने सोचा था कि शायद मार खा कर बरखा रास्ते पर आ जाए. लेकिन उस पर इस का असर उलटा ही हुआ. वह कृष्णकांत से और अधिक नफरत करने लगी.

पतिपत्नी के संबंध कसैले हुए तो घर में क्लेश का वातावरण बन गया. राजकुमार ने बेटे से हाल समाचार पूछा तो उस ने पिता को बता दिया कि उन की बहू कभी भी उन की इज्जत को धूल में मिला सकती है. बहू का सच जान कर राजकुमार को भी गहरा दुख हुआ.

प्रेमी के संग हो गई फरार

कृष्णकांत को जिस बात की आशंका थी, वही हुआ. एक रोज बरखा सचमुच उस की इज्जत को पैरों तले रौंदते हुए अपने आशिक दीपक के साथ भाग गई. 10 वर्षीय बेटे को भी वह अपने साथ नहीं ले गई. बेटे का मोह भी उसे बांध न सका. उस रोज कृष्णकांत घर आया तो उस का बेटा मयंक घर में गुमसुम बैठा था. पूछने पर उस ने बताया कि मम्मी दीपक अंकल के साथ बाजार गई हैं. अटैची में सामान भी ले गई हैं. कृष्णकांत तब सब कुछ समझ गया.

कृष्णकांत ने बरखा के भाग जाने की खबर अपने मातापिता तथा बरखा के घर वालों को दी. खबर पाते ही बरखा के पिता ओमप्रकाश सैनी तथा कृष्णकांत के पिता राजकुमार और मां सुनीता आ गई. राजकुमार ने 4 घर दूर रहने वाले विमल गुप्ता से मुलाकात की और उन के बेटे दीपक के बारे में पूछा. विमल गुप्ता ने पहले तो कुछ भी बताने से मना कर दिया, लेकिन जब उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी तो विमल गुप्ता ने बेटे का ठिकाना बता दिया.

लगभग एक सप्ताह बाद किसी तरह ओमप्रकाश सैनी व राजकुमार बरखा को शिवराजपुर कस्बे से समझाबुझा कर घर ले आए. दीपक भी साथ था. घर में सैनी समाज के खास लोगों को बुलाया गया. उस के बाद पंचायत हुई. पंचायत में तय हुआ कि दीपक बरखा से मिलने घर नहीं आएगा. बरखा इज्जत से घर में रहेगी. कृष्णकांत बरखा का पूरा खयाल रखेगा. उस के साथ किसी तरह की मारपीट व बदसलूकी नहीं करेगा.

बरखा और कृष्णकांत ने पंचायत के लोगों की बात मान ली. उस के बाद कृष्णकांत बरखा के साथ रहने लगा. बरखा के सासससुर भी साथ रहने लगे. बरखा सासससुर की निगरानी में रहने लगी तो उस का अपने प्रेमी दीपक से मिलनाजुलना बंद हो गया. अब वह जब भी घर से बाहर निकलती तो सास उस के साथ रहती.

दूसरे बेटे के जन्म के बाद नहीं छोड़ा प्रेमी को

समय बीतता रहा. अगस्त 2022 में बरखा ने दूसरे बेटे को जन्म दिया. दूसरे बेटे के जन्म से एक बार फिर से घर में खुशियां लौट आईं. खुशी इस बात की भी थी कि 10 वर्ष बाद बरखा ने फिर से बेटे को जन्म दिया था. इस खुशी में राजकुमार ने समाज के लोगों को दावत दी.

दूसरे बेटे के जन्म के बाद कृष्णकांत को लगा कि बरखा अपने आशिक दीपक को भूल गई है, लेकिन यह उस की भूल थी. बरखा के दिल में अब भी दीपक बसा हुआ था. वह उस के लिए तड़पती भी थी. अपनी तड़प वह फोन के माध्यम से मिटाती थी. बरखा को जब भी मौका मिलता, वह दीपक से बतिया लेती थी और अपनी लगी बुझा लेती थी. दीपक भी बरखा के लिए बेचैन था, लेकिन उस का मिलन नहीं हो पाता था.

27 मई, 2023 को बरखा के अशोक नगर निवासी मामा संजय की तेरहवीं थी. इस कार्यक्रम में शामिल होने बरखा अपने पति कृष्णकांत के साथ अशोक नगर पहुंच गई. यहां उस की मां सरला तथा पिता ओमप्रकाश सैनी भी आए हुए थे. दिन भर मामा के घर जमावड़ा बना रहा.

शाम को कृष्णकांत ने बरखा से घर चलने को कहा तो उस ने कहा कि वह मातापिता के साथ नवाबगंज जा रही है. कल वह घर आ जाएगी. इस के बाद वह अपने दोनों बच्चों के साथ नवाबगंज चली गई और कृष्णकांत अपने घर चला गया.

इधर दीपक को पता चला कि बरखा मामा के यहां गई है तो उस ने फोन पर बरखा से बात की और जीटी रोड स्थित हनुमान मंदिर पर मिलने को कहा. लेकिन बरखा ने उस की बात यह कह कर नहीं मानी कि वह पति और मातापिता की निगरानी में है. इस के बाद कई बार दीपक ने फोन किया और बरखा के संपर्क में बना रहा.

शाम 5 बजे दीपक ने बरखा को फोन किया तो उस ने बताया कि वह मायके नवाबगंज जा रही है. इस पर दीपक ने कहा, “बरखा, आज अगर हमारा मिलन तुम से न हुआ तो मैं अपनी जान दे दूंगा. मैं बहुत दिनों से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं. अब मुझ से रहा नहीं जाता.”

जवाब में बरखा ने कहा, “तुम जान देने की बात मत करो. तुम जागेश्वर मंदिर परिसर आ जाओ. फोन पर संपर्क बनाए रखना. मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करने की पूरी कोशिश करूंगी. मेरी काल का इंतजार करना. कोई जल्दबाजी न करना.”

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 3

लेकिन सोनाली ने उस के पत्र का कोई जबाव नहीं दिया और न ही यह बात उस ने संजय को बताई. सोनाली नहीं चाहती थी कि किसी बाहर वाले के कारण उस के घर में किसी तरह का कोई विवाद खड़ा हो. लेकिन किसी तरह से यह बात संजय के सामने पहुंच गई, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच काफी मनमुटाव हुआ.

संजय ने सोनाली पर शक भी किया. सोनाली ने इस बात को ले कर संजय के सामने काफी सफाई भी पेश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार न था. उस के कुछ दिन बाद जगदीश उसे मिला तो सोनाली ने उसे काफी खरीखोटी सुनाई और उस के बाद कभी भी उस के घर न आने की चेतावनी भी दी. लेकिन इस के बावजूद भी जगदीश अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था.

खुराफाती दिमाग में रच डाली खौफनाक साजिश

उस के एक महीने बाद ही जगदीश फिर से सोनाली के घर आ धमका. उस वक्त संजय यादव भी घर पर नहीं था. घर आते ही वह सोनाली से लडऩेझगडऩे लगा. तब बात बढ़ते देख पड़ोसियों ने उसे घर से धक्का मार कर बाहर निकाला. लेकिन इस सब के बावजूद भी वह घर से जाने को तैयार न था.

जगदीश का कहना था कि वह बहुत समय पहले से उसे अपनी बीवी मान चुका है, वह उस के बिना नहीं रह सकता. उस की बातें सुन कर तभी किसी ने उसे पुलिस के हवाले करने वाली बात कही तो वह वहां से चला गया. लेकिन उस दिन के बाद सोनाली और संजय के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा हो गई थी.

उस ने उसी दिन सोच लिया था कि सोनाली जब उस की नहीं हो सकती तो वह किसी की भी नहीं हो सकती. जगदीश ने उसी दिन तय किया कि वह संजय को मौत की नींद सुला देगा. उस के बाद वह संजय को ठिकाने लगाने के मौके की तलाश में जुट गया.

दोहरे हत्याकांड से 2 दिन पहले ही उस ने ट्रांजिट कैंप बाजार से एक कांपा खरीदा. फिर वह मौके तलाशता रहा. 3 अगस्त, 2023 की रात को संजय के पड़ोस में एक शादी का प्रोग्राम था. आसपड़ोस के लोगों ने मिलजुल कर एक युवती का प्रेम विवाह कराया था. उस दिन कालोनी के सभी लोग वहां पर जमा थे.

देर रात शादी का प्रोग्राम खत्म हुआ तो सभी अपनेअपने घर चले गए थे. उस वक्त जगदीश भी वहीं पर मंडरा रहा था. जब सब लोग अपनेअपने घर चले गए तो जगदीश कांपा ले कर संजय के घर पहुंचा. उस वक्त तक सभी लोग गहरी नींद में सो चुके थे.

संजय यादव के घर के बाहर टिन का पतला दरवाजा लगा हुआ था, जो कुंडी के सहारे ताले से बंद था. जगदीश ने आरी के ब्लेड से कुंडी को काटा और घर में घुस गया. आसपास के घरों में कूलर पंखे व एसी चलने के कारण किसी को भी कोई आवाज सुनाई नहीं दी.

दोनों की हत्या कर फरार हो गया जगदीश

घर में घुसते ही जगदीश ने संजय की गला रेत कर हत्या कर दी. उस के बाद वह दूसरे कमरें में गया, जहां पर सोनाली सोई हुई थी. उस वक्त सोनाली भी गहरी नींद में थी. सोनाली को सोते देख उस ने कांपे से उस के ऊपर कई वार किए, जिस से उसकी जोरदार चीख निकली.

सोनाली के चीखने की आवाज सुन कर उस की मम्मी गौरी सोनाली के पास पहुंचीं तो उस ने उन पर भी वार कर बुरी तरह से घायल कर दिया. उस के बाद जय की नींद टूटी तो वह भी घर में शोर सुन कर बाहर आया तो जगदीश उसे भी धक्का मारा और घर से फरार हो गया.

इस घटना को अंजाम देने के बाद जगदीश सिडकुल चौक तक पैदल पहुंचा. वहीं पर उस ने झाडिय़ों में हत्या में प्रयुक्त कांपा भी फेंक दिया. उस के बाद वह रात में ही किसी तरह से हल्द्वानी पहुंच गया. उसी दौरान उस का मोबाइल भी पानी में गिर कर बंद हो गया था.

हल्द्वानी जाने के बाद वह सडक़ों पर घूमता रहा और शाम को उस ने एक जनसेवा केंद्र से रुपए निकाले और फिर वह रामपुर चला गया. रामपुर से दिल्ली होते हुए वह अंबाला जाने का प्लान बना चुका था, लेकिन उसी दौरान पुलिस ने उसे दबोच लिया.

इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला आरोपी 45 पुलिसकर्मियों की टीम के द्वारा पूरे 150 घंटे में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के दौरान भी आरोपी ने वही घटना वाले ही कपड़े पहन रखे थे. उस के कपड़ों पर जगहजगह खून के निशान मौजूद थे. इस दौरान न तो वह नहाया था और न ही उस ने कपड़े बदले थे.

पुलिस ने उस के कपड़े बदलवा कर खून लगे कपड़े सील कर दिए. पुलिस ने कपड़ों के साथ घटना में प्रयुक्त कांपा भी जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया था.

पुलिस ने जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज उर्फ राजवीर से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. आईजी नीलेश आनंद भरणे ने टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को 2,500 और एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी ने 5,000 का ईनाम देने की घोषणा की थी. इस घटना में आरोपी तक पहुंचते के लिए एसआई अरविंद बहुगुणा की भूमिका सराहनीय थी.

साइबर सेल में तैनात एसआई अरविंद बहुगुणा ने आरोपी के ठेकेदार के पास जा कर उस के बैंक खाते का पता लगाया, जो यूनियन बैंक का था. जिस में से आरोपी ने हल्द्वानी जाने के बाद रुपए निकाले थे.

इस मामले में सोनाली की बहन रूपाली पत्नी संजय निवासी सुभाष कालोनी ने पुलिस को लिखित तहरीर दे कर मुकदमा दर्ज कराया था, जिस को थाना ट्रांजिट कैंप में मुकदमा संख्या 224/23 के अंतर्गत भादंवि की धारा 457/302/307 पर पंजीकृत किया गया था. इस की विवेचना इंसपेक्टर सुंदरम शर्मा स्वयं ही कर रहे थे.

प्रेमिका को गोली मार की खुदकुशी – भाग 3

प्रेमी से दूर होने लगी नित्या

इधर कुछ दिनों से विशाल को यह लग रहा था कि उस की प्रेमिका नित्या उस से काफी दूरी रखने लगी है, मिलनाजुलना भी एकदम बंद सा कर दिया था. विशाल जब कभी उसे फोन करता तो पहले तो वह फोन उठाती ही नहीं थी. 8-10 बार काल करने के बाद फोन उठाती भी थी तो” ;बहुत बिजी हूं, बाद में बात करूंगी”, कह कर तुरंत फोन काट देती थी.

तभी विशाल को यह मालूम हुआ कि नित्या की शादी किसी इंजीनियर से तय हो गई है और इसी साल मई माह में शादी होगी. यह बात पता चलने पर विशाल को बहुत दुख हुआ और उस का गुस्सा सातवें आसमान चढ़ गया था  इसीलिए विशाल ने अब नित्या से अंतिम फैसला करने का निर्णय ले लिया था, इसीलिए 10 मार्च, 2023 को जैसे ही नित्या अपना पीरियड छोड़ कर आई तो विशाल उसे मिल मिल गया.

“नित्या, तुम से एक बात करनी है,” विशाल ने कहा.

“देखो, अभी मेरा पीरियड भी है और मुझे जल्दी घर भी जाना है.” नित्या ने उसे टालने के इरादे से कहा.

“नित्या, तुम से मेरी दोस्ती और प्यार एक लंबे समय से रहा है, आज मैं तुम से कुछ बात करना चाहता हूं. शायद यह मैं तुम से आखिरी बार कह रहा हूं, उस के बाद हमारे रास्ते अलग होने ही वाले हैं. इतनी सी बात है. चलो कहीं बैठ कर कुछ बातें करते हैं.” विशाल ने कहा.

नित्या ने सोचा कि आखिरी बार मिलने को कह रहा है तो मिल कर बात कर इस से हमेशा के लिए पल्ला भी छुड़ा लूंगी. इस को सच्चाई भी समझा दूंगी, यह सोचते हुए वह विशाल की बाइक पर बैठ गई थी.

विशाल अपनी प्रेमिका नित्या को ले कर जमसर गांव के पास स्थित रायल स्टार ढाबा एवं फैमिली रेस्टोरेंट पहुंचा, जहां पर वे दोनों पहले भी अकसर आया करते थे. विशाल ने चाय और साथ में खाने के लिए स्नैक्स का आर्डर दे दिया और नित्या के साथ रेस्टोरेंट के अंदर स्थित एक केबिन में बैठ गया.

“हां विशाल, बताओ मुझे मिलने के लिए क्यों बुलाया?”नित्या ने पूछा.

“आजकल तुम ने मिलना तो दूर, अब बात करनी तक छोड़ ही है. मुझ से कोई गलती हुई है क्या?” विशाल ने कहा.

‘नहीं, ऐसी बात नहीं है” नित्या ने कहा.

“साफसाफ क्यों नहीं कहती कि मई में तुम्हारी शादी एक इंजीनियर से होने जा रही है” विशाल ने कहा.

“तो क्या हुआ, ये सच बात तो है. इस में नई कौन सी बात है?” नित्या ने कहा.

“तो मेरे साथ अब तक पिछले डेढ़ साल से तुम ये सब कुछ कर रही थी, वह क्या था?” विशाल ने जोर से कहा.

“देखो विशाल, यही तो जिंदगी है. जिंदगी में परिवर्तन होना निश्चित है. मेरी शादी कहीं हो रही है, तुम्हारी भी शादी किसी लड़की से हो जाएगी, लेकिन हमारी दोस्ती बरकरार रहेगी, प्रेम संबंध अब खत्म, यही रीति भी है.” नित्या ने कहा.

नित्या, मैं ने तुम से अपने दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम ने भी जिंदगी भर मेरा साथ निभाने का वादा किया था. तुम्हें आज अंतिम फैसला लेना होगा, नहीं तो हम दोनों के लिए अच्छा नहीं रहेगा.” यह कहते हुए विशाल अपनी कुरसी से खड़ा हो गया और उस ने अपनी कमर से तमंचा निकाल कर नित्या की ओर तान दिया.

विशाल ने नित्या पर चलाई गोली

अब नित्या सीधे आ कर विशाल को पकड़ कर उस से तमंचा छीनने का प्रयास करने लगी. दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. तभी विशाल ने नित्या के सिर को निशाना बनाते हुए तमंचे से फायर झोंक दिया. वहां पर फायर की आवाज सुनते ही कर्मचारी आ गए.

विशाल ने सोचा कि नित्या शायद मर गई है, इसलिए वह वहां से सीधे दौड़ता हुआ बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा भीतर से बंद कर उस ने अपनी कनपटी पर गोली मार कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.

रेस्टोरेंट के कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने विशाल को पकड़ने का भरसक प्रयास भी किया था, लेकिन वे जब तक विशाल को पकड़ पाते, वह भाग कर बाथरूम में घुस गया था और दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कर्मचारियों ने यह भी बताया कि खुद के विरोध करने पर ही नित्या की जान बच पाई विशाल ने जब नित्या को मारने के लिए तमंचा निकाला था तो वह उस के बाद अपने प्रेमी विशाल से भिड़ गई थी. हाथापाई के दौरान विशाल ने उस के सिर का निशाना बनाते हुए फायर झोंक दिया था, जिस पर गोली उस के सिर को छूते हुए निकल गई और उस की जान बच गई.

आज अपने स्वार्थ में लोग इतने अधिक अंधे हो गए कि उन्हें अपने ऊपर चिंतनमनन करने के लिए तनिक भी समय नहीं है. आज के युवा स्त्री की गरिमा और पुरुष की महिमा को देहसुख के लिए मलीन कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में नित्या परिवर्तित नाम है.

दगा दे गई सोशल मीडिया की गर्लफ्रैंड – भाग 2

आरोपी विवेक सिंह से तृप्ति सोनी हत्या के संबंध में पूछताछ की तो जो कहानी सामने आई वह चौंकाने वाली निकली-

अजमेर आरावली पर्वत श्रृंखला की सुंदर पहाङियों से घिरा राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है, जो पर्यटन स्थल होने के साथ ही एक धार्मिक नगरी भी है. भौगोलिक नजरिए से राजस्थान राज्य के मध्य में स्थित होने के चलते इस नगर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है. साल के हर दिन यहां श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रयों के साथ ही दुनियाभर के घुमक्कड़ सैलानियों का आनाजाना लगा रहता है.

मई का महीना चल रहा था जिस में प्रचंड गरमी थी, लेकिन आकाश में काले बादल मंडरा रहे थे और जल्द ही बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे. लिहाजा हर कोई शाम होने से पहले घर पहुंचने की जल्दी में दिखाई दे रहा था इसीलिए टैंपो सवारियों से ठसाठस भरे नजर आ रहे थे. तृप्ति ने च्वगम चबाते हुए इधरउधर नजरें घुमाईं पर किसी भी टैंपो में खाली जगह न देख कर वह बड़बड़ाई. “आज कोई घर में नहीं रहेगा. ऐसा लगता है कि जैसे पूरा शहर ही दूसरी तरफ शिफ्ट हो रहा है.

अब तो अगले चौक तक पैदल ही जाना पड़ेगा. आगे तो मिल ही जाएगा कोई न कोई टैंपो. बड़बड़ाते हुए उस ने कदम आगे बढ़ाया ही था कि तभी एक कार उस के पास आ कर रुकी. उस ने किनारे हट कर आगे बढ़ जाना चाहा. पर तभी कार चालक की आवाज सुन कर चौंक गई. कार चालक ने उस नाम ले कर आवाज दी थी, “हेलो तृप्ति कहां जा रही हो?”

पलट कर तृप्ति ने देखा तो सामने विवेक उर्फ विवान था, उस का नया दोस्त. जिस से कुछ दिन पहले ही उस की सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी. पर अभी तक दोनों की रूबरू मुलाकात नहीं हुई थी. बिगडते मौसम के दौरान टैंपो नहीं मिलने से फिक्रमंद हो रही तृप्ति अंदर ही अंदर खुश होते हुए बोली, “अरे वाह विवान, तुम इधर ही रहते हो क्या?”

“अरे नहीं यार, मैं तो तुम्हें देख कर रुका था. सोचा कि तुम इधर ही रहती होगी. आज शाम की चाय यहीं पी लेंगे.”

सुन कर हंसते हुए तृप्ति बोली, “नहीं जी, मैं तो मेयो कालेज के पास धौलाभाटा कालोनी में रहती हूं. यहां तो मैं टीचर हूं एक प्राइवेट स्कूल मेें.”

तब तक बरसात शुरू हो गई तो विवान ने कार का गेट खोलते हुए कहा, “जल्दी बैठो मुझे भी रामगंज जाना है. उधर ही रहता हूं. तृप्ति कार में बैठ गई. दोनों रास्ते में बातचीत करते हुए आना सागर चौपाटी गए. वहां पर पर पहुंच कर दोनों ने गर्मागर्म समोसे के साथ कुल्हड़ वाली चाय पी फिर घर की तरफ रवाना हो गए.

मौसम ठंडा हो गया था इसलिए तृप्ति को उस के घर ड्राप कर के विवेक सिंह अपने घर राम गंज चला गया. जातेजाते तृप्ति से अगले दिन स्कूल टाइम पर रेलवे स्टेशन के पास मार्टिडल ब्रिज पर मिलने को कहा जो दोनों के घर के रास्ते में ही आता था.

फेसबुक फ्रेंड बन गया प्रेमी

अगले दिन तृप्ति जब स्कूल के लिए निकली तो देखा मार्टिडल ब्रिज पर विवेक की कार खड़ी है तो वह टैंपो से उतर कर कार में बैठ गई और कार पुष्कर रोड की तरफ रवाना हो गई. बड़े शहरों में तो वैसे भी किसी को किसी की खबर नहीं रहती है कि कौन कहां जा रहा है और फिर बिंदास नेचर की तृप्ति तो वैसे भी अकेली ही रहती थी. लिहाजा स्कूल के बहाने दोनों का रोजाना मिलने और आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया.

उन की मुलाकातें जल्दी ही पक्की दोस्ती में बदल हो गईं. धीरेधीरे दोनों एक दूसरे के बारे में सब कुछ जान गए. 30 वर्षीय विवेक ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था किसी सेठ की कार चलाता था, आगेपीछे कोई था नहीं, कुंवारा था. इसलिए बनसंवर कर रहता था. वह ठीकठाक कमा भी लेता था. वह पहली नजर में ही तृप्ति की खूबसूरती पर मर मिटा था. यह बात जानने के बाद कि तृप्ति शादीशुदा है और उस की एक 7 साल की बेटी भी है. वह पति से अलग हो कर रह रही है.

विवेक उस के साथ घर बसाने के सपने देखने लगा. आधुनिक विचारों वाली युवती तृप्ति ने भी उस से कुछ नहीं छिपाया और दोस्त समझ कर. बातों ही बातों में बता दिया था कि उस का परिवार तो बीकानेर का रहने वाला है, परंतु अजमेर निवासी सूरज चौहान के साथ साल 2012 में उस ने प्रेम विवाह किया था. तब से ही अजमेर में रह रही है और उन की एक बेटी भी है.

उस ने बताया कि प्रेम विवाह से ले कर बेटी के जन्म तक पतिपत्नी के बीच सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच पैसों की तंगी को ले कर गृह कलह होने लगी और पैसे कमाने के चक्कर में उस के पति सूरज की संगत खराब हो गई और वह चेक बाउंस के एक मामले में फंस गया और पारिवारिक तनाव बढऩे पर तृप्तिऔर सूरज के बीच रोजाना झगड़ा होने लगा.

एक दिन मामला फैमली कोर्ट यानी पारिवारिक न्यायालय तक पहुंच गया. उस के बाद अदालत में प्रकरण विचाराधीन होने के दौरान ही दोनों एक दूसरे से अलगअलग रहने लग. कुछ दिन बाद ही चैक बाउंसिंग के मामले में सूरज को 2 साल की सजा हो गई और उसे अजमेर सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

तृप्ति ने बताया कि इस अनजान शहर में वह बेटी के साथ अकेली रह गई थी. वह पढ़ीलिखी स्मार्ट युवती थी इसलिए उस ने दौङ़धूप कर पुष्कर रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली और एक परिचित सहेली की मदद से धोलाभाटा कालोनी में किराए का घर ले कर रहने लगी.

विवेक ने तृप्ति के प्यार में पड़ कर उस की ख्वाहिशें पूरी करनी शुरू कर दीं. साथ ही जरूरत पङऩे पर रुपएपैसे से भी उस की मदद करने लगा और तृप्ति भी विवेक को दोस्त मान कर उस से तोहफे लेने लगी पर वह शायद यह बात भूल गयी ,आज की इस मतलब परस्त दुनिया में एक मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते हैं.

लिहाजा तृप्ति की दोस्ती को प्यार समझ कर एक तरफा प्यार में पागल विवेक ने उस के नाम का टैटू भी अपने हाथ पर गोदवा लिया था. वह जल्दी ही तृप्ति के सामने शादी का प्रस्ताव रख कर उसे अपनी पत्नी बनाने की योजना बना चुका था, लेकिन पारिवारिक न्यायालय में तृप्ति का मामला विचाराधीन होने के कारण् वह फैमली कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 2

तान्या रचित और टीटू को बहुत पहले से जानती थी. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. पुलिस पूछताछ में तान्या व उसके दोस्तों से जो जानकारी प्राप्त हुई वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के धार जिले के बागटांडा के बरोड़ निवासी तान्या कुछ समय पहले पढ़ाई करने के लिए इंदौर आई थी. इंदौर आते ही उस ने एक ब्रोकर के माध्यम से पलासिया इलाके के गायत्री अपार्टमेंट में एक किराए का फ्लैट लिया, और वहीं रह कर उस ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी.

तान्या खातेपीते परिवार से थी. उस के पास रुपयोंपैसों की कमी नही थी. उस के मम्मीपापा उस का भविष्य सुधारने के लिए काफी रुपए खर्च कर रहे थे. खूबसूरत तान्या के कालेज में एडमिशन लेते ही उस के कई दीवाने हो गए थे. वह शुरू से ही बनठन कर रहती थी. मम्मीपापा खर्च के लिए पैसा भेजते तो वह खुले हाथ से पैसा खर्च भी करती थी.

इंदौर आते ही उस के जैसे पंख निकल आए थे. वह खुली हवा में घूमने लगी. उस की कुछ फ्रेंड गलत संगत में पड़ी हुई थीं. तान्या उन के संपर्क में आई तो उस पर भी उन का रंग चढ़ने लगा. वह भी अपनी दोस्तों के साथ शराब और सिगरेट का नशा करने लगी थी. उसी नशे के कारण उस की दोस्ती आवारा लड़कों से हो गई. जवानी के जोश में उस के कदम बहके तो वह पढ़ाई करना भूल गई.

उसी दौरान उस की मुलाकात रचित उर्फ टीटू से हुई. टीटू ने उसे एक बार प्यार से देखा तो देखता ही रह गया. दोनों के बीच परिचय हुआ और फिर जल्दी ही दोनों ने दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिए थे. दोस्ती के सहारे ही उन के बीच प्यार बढ़ा और कुछ ही दिनों में वह एकदूसरे को दिलो जान से चाहने लगे.

तान्या से दोस्ती हो जाने के बाद रचित का उस के फ्लैट पर भी आनाजाना शुरू हो गया था. रचित घंटों उस के पास पड़ा रहता था. जिस के कारण उस के आसपास रहने वाले लोग परेशान रहने लगे थे. चूंकि तान्या ने वह फ्लैट किराए पर लिया था. इसी कारण उस के पड़ोसी उसे वहां से जाने के लिए भी नहीं कह सकते थे.

पहले तो उस के फ्लैट पर रचित ही आता था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अन्य कई युवक भी आने लगे. थे. तान्या के फ्लैट में लडकों का आनाजान शुरू हुआ तो पड़ोसियों को परेशानी हुई. .उस की हरकतों से तंग आ कर पड़ोसियों ने उस फ्लैट के मालिक से उस की शिकायत कर उस से फ्लैट खाली कराने के लिए दबाव बनाया.

पड़ोसियों के दबाव में आ कर फ्लैट मालिक ने तान्या से तुरंत ही फ्लैट खाली करने को कहा. मालिक के कहने पर तान्या ने फ्लैट खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. तान्या ने यह बात अपने दोस्त रचित को बताई. साथ ही उसने उस से उस के लिए एक मकान ढूंढने को कहा, लेकिन इस मामले में रचित ने उस की कोई भी सहायता करने से साफ मना कर दिया था.

रचित ने तान्या को समझाने का किया प्रयास

रचित के अलाबा तान्या का एक ओर दोस्त था छोटू. उस का भी उस के पास बहुत आना जाना लगा रहता था. यह बात उस ने छोटू के सामने रखी तो उस ने उस के लिए फ्लैट ढूंढना शुरू कर दिया. छोटू परदेशीपुरा इलाके में रहता था. छोटू एक दबंग किस्म का युवक था. छोटेमोटे अपराध और मारपीट कर उस ने अपने इलाके में दहशत फैला रखी थी. उस पर 3 मुकदमे दर्ज थे.

कुछ सयम पहले ही तान्या की उस से मुलाकात हुई थी. छोटू को लड़कियों को परखने की महारत हासिल थी. उस ने तान्या के लिए कुछ ही दिनों में एक किराए के फ्लैट की व्यवस्था कर दी. उस के बाद वह उसी के इलाके में आ कर रहने लगी थी. तान्या की छोटू से दोस्ती पक्की हो गई थी. छोटू के साथ दोस्ती हो जाने के बाद तान्या को नशे की लत भी लग गई थी. जिस के बाद उसमें अच्छा बुरा सोचने की क्षमता भी खत्म हो गई. थी.

यह बात रचित को पता चली तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, ”तान्या तुम पढ़ीलिखी हो, तुम्हें ऐसे आवारा किस्म के साथ दोस्ती नही करनी चाहिए. छोटू के साथ दोस्ती करने के बाद तुम पछताओगी.”

लेकिन तान्या ने उस की एक न सुनी. फिर रचित ने भी उस से बात करनी ही बंद कर दी. फिर भी तान्या रचित को छोड़ने को तैयार न थी. वह बारबार रचित को फोन लगाती, लेकिन वह उस का फोन रिसीव नहीं कर रहा था. जिस के कारण वह उस से मिल भी नहीं पा रही थी.

उस के बाद तान्या ने छोटू सेे कहा कि वह किसी भी तरह से एक बार उसे रचित से मिलवा दे. छोटू ने रचित से मिलकर तान्या का मैसेज देते हुए. मिलने को कहा, लेकिन उस के बाद भी रचित उस से नहीं मिला.

जब रचित ने तान्या से रिश्ता तोड़ लिया तो तान्या ने उसे सबक सिखाने की योजना बनाई. छोटू पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था. हर वक्त उस के साथ कई आवारा किस्म के लड़के घूमते थे. एक दिन तान्या ने छोटू से कहा कि वह रचित को धमकाना चाहती है, जिस से घबरा कर वह उसके संपर्क में आ जाए.

तान्या पर मौडल बनने का भूत था सवार

छोटू अय्याश किस्म का था. उस से ज्यादा वह हवाबाज होने के बाद शेखी बघारने में भी कम नही था. यही कारण था कि सामने वाला जल्दी ही उस की बातों में आ जाता था. तान्या उस के सम्पर्क में आई तो उसे भी लगा कि छोटू जो कहता है, उसे कर भी देता है.

तान्या इंदौर आ कर हवा में उड़ने लगी और शीघ्र उच्च स्तर की मौडल बनने का सपना देखने लगी थी. छोटू से दोस्ती करते ही उसे लगने लगा था कि वह उस के सपनों को जल्दी ही पूरा कर सकता है. तान्या उस के संपर्क में आने के बाद कई बार उस से बोल चुकी थी कि उस की मुलाकात एक दो मौडल लड़कों से करवा देना.

चाहत का कहर : माशूका की खातिर – भाग 2

रामू की इस करतूत से पूरा परिवार हैरान रह गया था. यह कोई अच्छी बात नहीं थी, इसलिए मां ने ही नहीं, भाइयों ने भी रामू को रोका. मारपीट भी की, लेकिन रामू नहीं माना तो नहीं माना. कुसुमा से उसे जो सुख मिलता था, उस की चाहत में वह उस के पास पहुंच ही जाता था. परेशान हो कर एक दिन शांति कुसुमा के घर जा पहुंची और उसे बुराभला कहने लगी.

तब कुसुमा ने कहा, ‘‘काकी, मैं तुम्हारे बेटे को बुलाने नहीं जाती, वह खुद ही मेरे पास आता है. तुम उसी को क्यों नहीं रोक लेती. अब तुम्हारे ही घर कोई आएगा, तो क्या तुम उसे भगा दोगी? तुम उसे तो रोकती नहीं, मुझे बेकार में बदनाम करने चली आई.’’

शांति चुपचाप घर लौट आई. उसी बीच मुकेश गांव आया तो किसी ने उस से रामू और कुसुमा के संबंधों के बारे में बताया. उस ने इस बारे में कुसुमा से पूछा तो रोते हुए उस ने कहा, ‘‘मैं कब से कह रही हूं कि तुम मुझे अपने साथ ले चलो. बीवी को इस तरह गांव में अकेली छोड़ोगे तो दिलजले लोग ऐसी ही बातें करेंगे.’’

मुकेश को लगा कि कुसुमा सच कह रही है, इसलिए उस की बात पर विश्वास कर के वह निश्चिंत हो कर दिल्ली चला गया. लेकिन अब मुकेश जब भी घर आता, गांव का कोई न कोई आदमी कुसुमा और रामू को ले कर उसे जरूर टोकता. इन बातों से उसे लगने लगा कि कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है. इस के बाद उस ने कुसुमा को मारपीट कर धमकाया कि अब अगर उस ने उस के बारे में कुछ सुना तो वह उसे उस के मायके पहुंचा देगा. यही नहीं, उस ने शांति के घर जा कर उस से भी कहा कि वह रामू को रोके अन्यथा ठीक नहीं होगा.

इस पर जलीभुनी शांति ने कहा, ‘‘मैं खुद ही तुम्हारी पत्नी से परेशान हूं. इस के लिए मैं पंचायत बुलाने वाली हूं.’’

शांति की इस धमकी से मुकेश परेशान हो गया. अगर शांति ने पंचायत बुलाई तो गांव में उस की इज्जत का जनाजा निकल जाएगा. नाराज और दुखी मुकेश ने सारा गुस्सा और क्षोभ घर आ कर कुसुमा की पिटाई कर के निकाला.

अगले दिन शांति ने पंचायत बुलाई, जिस में मुकेश और कुसुमा को भी बुलाया गया. पंचायत में कुसुमा ने साफ कहा कि रामू से उस का कोई संबंध नहीं है. इस बात को ले कर उसे बेकार ही गांव में बदनाम किया जा रहा है.

पंचों ने जब मुकेश से कुछ कहना चाहा तो उस ने कहा, ‘‘मैं इस मामले में कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि कुसुमा अब मेरे वश में नहीं है.’’

पंचायत बिना किसी फैसले के ही खत्म हो गई. मुकेश दूसरे दिन शाम को दिल्ली चला गया. इस पंचायत के बाद मोहल्ले का हर आदमी कुसुमा को अपना दुश्मन नजर आने लगा. इसलिए वह मोहल्ले के हर आदमी से पंगा ले कर उस की ऐसीतैसी करने लगी. उस की इस हरकत से हर कोई उस से घबराने लगा. अब किसी की हिम्मत उस से कुछ कहने की नहीं पड़ती थी. इस के बाद उस की और रामू की मोहब्बत की गाड़ी आराम से चलने लगी. डर के मारे मोहल्ले वालों ने उन की ओर से आंखें मूंद लीं.

शांति रामू को कुसुमा से किसी भी तरह अलग नहीं कर पाई तो उस ने सोचा कि रामू की शादी कर दे. नईनवेली दुलहन पा कर वह खुद ही कुसुमा का पीछा छोड़ देगा. उस ने रामू के लिए लड़कियां देखनी शुरू कर दीं. जल्दी ही उस ने जिला मैनपुरी के थाना एलांद के गांव सुशनगढ़ी के रहने वाले मान सिंह की बेटी सुमन से उस की शादी तय कर दी.

कुसुमा को जब पता चला कि रामू की शादी तय हो गई है तो वह सुलग उठी. वह किसी भी कीमत पर यह शादी नहीं होने देना चाहती थी. भला वह कैसे चाहती कि उस का प्रेमी किसी से शादी कर के उसे सुलगने के लिए छोड़ दे. इसलिए उस ने रामू से साफसाफ कह दिया कि अगर उस ने यह शादी की तो वह जान दे देगी.

‘‘शादी के बाद भी मैं तुम्हारा ही रहूंगा भाभी. मां बहुत परेशान हैं. मैं अब उसे और दुखी नहीं कर सकता.’’ रामू ने कुसुमा को समझाना चाहा.

‘‘वाह, क्या बात कही है? तुम्हारी वजह से मैं कितनी बदनामी झेल रही हूं, तुम्हें पता है. लोग मुझे चरित्रहीन कहते हैं. अब बीच मंझधार में तुम मुझे छोड़ कर किसी और का होना चाहते हो. कान खोल कर सुन लो, जीते जी मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगी.’’ कुसुमा ने चेतावनी दी.

रामू घर वालों के बारे में सोच रहा था कि वह घर वालों को क्या जवाब दे. तभी कुसुमा ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘चलो, हम कहीं दूर भाग चलते हैं. अगर तुम ने ऐसा नहीं किया तो मेरा मरा मुंह देखोगे.’’

कुसुमा के तेवर देख कर रामू को यकीन हो गया कि अगर उस ने शादी कर ली तो कुसुमा सचमुच आत्महत्या कर लेगी. तब वह फंस सकता है. काफी सोचसमझ कर उस ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी करो. मैं तुम्हें साथ ले कर भागने को तैयार हूं.’’

1 जून, 2013 को रामू की शादी होनी थी. दोनों ओर जोरशोर से शादी की तैयारियां चल रही थीं. शादी की तारीख से 2 दिन पहले रामू घर से गायब हो गया. रामू का गायब होना घर वालों के लिए सदमे की तरह था. उन के लिए परेशानी यह थी कि वे लड़की वालों को क्या जवाब देंगे. रिश्तेदारों को कौन सा मुंह दिखाएंगे. क्योंकि अब तक कार्ड भी बंट गए थे.

कुसुमा भी घर से गायब थी, इसलिए सब को पूरा यकीन था कि जहां भी हैं, दोनों एक साथ हैं. सब से बड़ी परेशानी यह थी कि लड़की वालों को कैसे समझाया जाए. शांति बेटे मनोज को ले कर सुशनगढ़ी पहुंची. जब उस ने मान सिंह को सारी बात बताई तो उस ने अपना सिर पीट लिया. उस की बेटी का क्या होगा, कौन करेगा उस से शादी? लोग पूछेंगे कि शादी क्यों टूटी तो वह क्या जवाब देगा?

मान सिंह को इस तरह परेशान देख कर शांति ने कहा, ‘‘हम बहुत शर्मिंदा हैं समधीजी. अब इज्जत बचाने का एक ही रास्ता है. अगर आप मान जाएं तो सब ठीक हो जाएगा.’’

‘‘कौन सा रास्ता?’’ मान सिंह ने पूछा.

‘‘मेरे बेटे शिवशंकर को तो आप ने देखा ही है. वह बहुत ही नेक है. कमाताधमाता भी ठीकठाक है. वह आप की बेटी को खुश रखेगा. अगर आप तैयार हों तो…?’’

मान सिंह के पास उन की बात मानने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था. उस ने उदास मन से कहा, ‘‘ठीक है, इज्जत बचाने के लिए शिवशंकर से ही सुमन की शादी कर देता हूं.’’

इस के बाद शिवशंकर ने चुपचाप मां की बात मान ली तो 1 जून, 2013 को सुमन से उस की शादी हो गई. इस तरह उस ने 2 परिवारों की इज्जत बचा ली.

11 जून, 2013 को रामू और कुसुमा लौट आए. पत्नी की इस हरकत की जानकारी दिल्ली में रह रहे मुकेश को भी हो गई थी. लेकिन वह हालात के सामने हारा हुआ था. इसलिए चुप्पी साधे दिल्ली में ही पड़ा रहा.

सप्ताह भर बाद रामू घर लौटा तो सभी ने उसे

खूब खरीखोटी सुनाई. इस पर उस ने कहा, ‘‘मैं सुमन को धोखा नहीं देना चाहता था, इसलिए मैं कुसुमा के साथ चला गया था.’’

शांति ने सोचा, जो होता है, वह अच्छा ही होता है.