कहते हैं कि दुनिया में अकेली औरत की जिंदगी कटी पतंग की तरह होती है. उस पर अगर वह जवान और खूबसूरत हो तो हर कोई लावारिस समझ कर उसे लूट लेना चाहता है. तृप्ति यह दुनियादारी अच्छी तरह से जान चुकी थी. इसलिए वह भी सही जीवन साथी को तलाश कर रही थी, जो उसके साथ ही उस की बेटी को भी बाप की तरह प्यार करे और अपनी औलाद जैसी परवरिश करने को तैयार हो.
प्रोफेसर से दोस्ती होने पर किया विवेक से किनारा
32 वर्षीय तृप्ति खूबसूरत और समझदार थी ही, साथ ही सुगठित शरीर की मालकिन होने के चलते 24 से 25 साल से ज्यादा उम्र की नहीं लगती थी, लेकिन कुछ हद तक वह सेंटीमेंटल फूल्स यानी दिल के हाथों मजबूर एक भावुक युवती थी. शायद इसलिए वह अपने पहले प्रेम में असफल होने के बाद एक बार फिर वही गलती कर बैठी.
पति सूरज के जेल जाने के बाद अपनी जिंदगी के अकेलेपन से घबरा कर वह सोशल मीडिया पर विवेक के संपर्क में आ गई और उस के हंसमुख नेचर से प्रभावित हो कर उस की गर्लफ्रेंड बन गई थी, जिस का पता उस की सहेली रीता को भी था. वह तृप्ति को बारबार जिंदगी की ऊंचनीच समझाती रहती थी और खबरदार भी करती रहती थी कि ऐसे बेमेल रिश्तों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है और वह अल्पशिक्षित कार ड्राइवर प्रेमी के साथ जीवनभर खुशहाल नहीं रह पाएगी.
क्योंकि ड्राइवरों की लाइफ स्टाइल स्टैंडर्ड की नहीं होती है और ज्यादातर ड्राइवर तो आपराधिक प्रवृत्ति के भी होते हैं. साथ ही दिनरात सङ़क पर घूमते रहने के कारण ऐसे लोगों का जीवन भी असुरक्षित होता है. इसलिए बेटी के भविष्य को ध्यान में रख कर कार ड्राइवर प्रेमी के साथ घर बसाने का निर्णय सोच विचार कर लेना .
बारबार सहेली रीता की समझदारी भरी सलाह सुन कर तृप्ति भी गंभीर हो गई और उस ने विवेक के साथ ज्यादा घूमना फिरना बंद कर दिया. उस ने उस से दूरी बनाए रखने का फैसला कर लिया. वह पहले भी सूरज चौहान के साथ प्यार में धोखा खा चुकी थी और अंतरजातीय प्रेम विवाह से तलाक की नौबत उसे फैमिली कोर्ट तक ले गई थी. इसलिए वह विवेक के शादी के प्रस्ताव को किसी न किसी बहाने टालने लगी. वह विवेक से पिंड छुङ़ाने का मौका तलाश रही थी.
इस दौरान अप्रैल, 2023 में तृप्ति अपने स्कूृल के स्टाफ के साथ इंजनियरिंग कालेज गई तो उस की मुलाकात जयपुर निवासी अनिल शर्मा से हुई जो इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर था और एक 38 वर्षीय आकर्षक और सजीला विवाहित युवक था. उस के मिलनसार तथा शालीन स्वभाव ने तृप्ति को इस कदर प्रभावित किया कि वह बारबार उस से मिलने लगी और कुछ ही दिनों में अनिल की अच्छी दोस्त बन गई. इतना नहीं वह मन ही मन उसे पसंद भी करने लगी.
अनिल से मिलने के बाद उस की सोच और जिंदगी का नजरिया ही बदल गया. अब वह विवेक को नजरअंदाज कर अनिल की हेल्प ले कर अपने भविष्य को बेहतर बनाने में समय गुजारने लगी. वह अब कार ड्राइवर विवेक के साथ गुजरे वक्त को अपनी भावुकता पूर्ण बेवकूफी मान कर भुला देना चाहती थी.
माहौल बदलने के लिए अनिल के साथ दोस्ती हो जाने पर उस ने दूसरी जौब करने और पुराना ठिकाना छोड़ कर नया मकान भी तलाशना शुरू कर दिया था. अनिल को जब तृप्ति के अतीत के बारे में पता चला. तो उस ने हमदर्दी जताते हुए पारिवारिक अदालत का फैसला आने के बाद नए सिरे से जीवन गुजारने की सलाह दी और वादा किया कि नौकरी लगवाने मेें वह उस की पूरी मदद करेगा
अनिल की बातों से तृप्ति को इस बात की तसल्ली हुई कि इस महानगर में अब वह अकेली नहीं है. इसलिए वह विवेक उर्फ विवान से पीछा छुङ़ाने की योजना पर अमल करने लगी. उसे डर था कि उस के एक तरफा प्यार में पागल विवेक संजीदा स्वभाव का व्यक्ति नहीं है इसलिए उस से मन भर जाने पर वह कभी भी उसे छोड़ सकता है. जबकि प्रोफेसर अनिल एक गंभीर और जिम्मेदार किस्म का संपन्न युवक था, जो उस की ज्यादा मदद कर सकता था.
तृप्ति से विवेक की लंबे समय तक मुलाकात नहीं हुई तो विवेक को यह सोच सोच कर फिक्र होने लगी कि कहीं उस का कोई और दोस्त तो नहीं बन गया. अपनी आशंका को दूर करने के लिए अगले ही दिन उस ने तृप्ति के स्कूल की छुट्टी हो जाने के बाद चुपचाप स्कूटी से उस का पीछा किया तो उस की आशंका सच साबित होती दिखी.
तृप्ति इंजीनियरिंग कालेज के आगे जयपुर रोड पर एक रेस्टोरेंट में अपने नए दोस्त के साथ बैठी चाऊमीन खा रही थी, उस से हंसहंस कर बातें कर रही थी. जिसे देख कर विवेक के तन बदन में आग लग गई. वह समझ गया कि तृप्ति उस से मिलने में बहाने बाजी क्यों कर रही थी. तभी उसे तृप्ति अपने नए दोस्त के साथ रेस्टोरेंट से बाहर निकल कर कार में बैठ कर जाती दिखाई दी. तब वह कुछ सोच कर वापस लौट गया.
प्रोफेसर ने दी विवेक को चेतावनी
अगले दिन विवेक ने तृप्ति से अरजेंट मिलने की बात कही तो पहले तो वह उसे टालती रही फिर ज्यादा रिक्वेस्ट करने पर उस ने स्कूल की छुट्टी के बाद जयपुर रोड स्थित जायका रेस्टोरेंट पर मिलने का टाइम दे दिया.
विवेक को तृप्ति की बेरुखी से बेवफाई की बू आने लगी थी. पर वह उस की लीगल पत्नी तो थी नहीं, जो वह उस पर अपना अधिकार जताता, इसलिए वक्त की नजाकत समझ कर चुप रह गया. फिर तयशुदा वक्त पर किसी मिलने वाले का स्कूटर ले कर वह जयपुर रोड स्थित रेस्टोरेंट पहुंच गया जहां एक कोने में तृप्ति अपने नए दोस्त प्रोफेसर अनिल के साथ बैठी कौफी पी रही थी.
उस ने अनिल को विवेक के बारे बताया था कि विवेक से उसकी सोशल मीडिया पर दोस्ती हो गई थी लेकिन अब वह सोशल मीडिया पर हुई दोस्ती को प्यार समझ कर उस से शादी के लिए दबाव बना रहा है. जबकि उस के मन में विवेक के प्रति प्यार जैसी कोई फीलिंग्स नहीं है. और वह उस से शादी भी नहीं करना चाहती. जिस पर तृप्ति का प्रोफेसर दोस्त अनिल शर्मा उस समय विवेक को समझाबुझा कर दोनों के बीच पैदा हुई गलतफहमी दूर करने के इरादे से उस के साथ रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था.
तभी तृप्ति को अपनी समझने वाला विवेक धङ़धङ़ाता हुआ सीधे उन की टेबल पर जा पहुंचा और तृप्ति से अपने साथ चलने की जिद्द करने लगा. तब तृप्ति बोली”;अरे ऐसी भी क्या जल्दी है, बैठो जरा कौफी तो पी लो.”
फिर वह अपने नए दोस्त का परिचय कराते हुए बोली ”;इन से मिलो, ये प्रोफेसर शर्मा हैं… मेरे नए मित्र और सर, ये हैं विवान उर्फ विवेक सिंह.”
अनमने भाव से विवेक कुरसी खींच कर बैठ गया. उसे तृप्ति का किसी और को दोस्त कहना नागवार लग रहा था.