
जब उठे परदे
जैसे ही रोहित की संदिग्ध मौत की खबर देश भर में फैली तो फिर चर्चाओं, अफवाहों और अटकलों का बाजार गर्म हो उठा. उस के बारे में तो लोग काफी कुछ जानते थे, लेकिन अपूर्वा के बारे में किसी को भी ज्यादा जानकारी नहीं थी. पुलिस को इतना तो समझ आ गया था कि अगर रोहित की हत्या हुई है, तो इस में किसी नजदीकी का ही हाथ है.
19 अप्रैल की रात जब एम्स के 5 डाक्टरों की टीम ने रोहित की लाश का पोस्टमार्टम कर उस की मौत को संदिग्ध बताया तो पुलिसिया काररवाई में न केवल एकएक कर राज खुलने लगे बल्कि 5 दिन बाद खुद अपूर्वा ने भी स्वीकार किया कि हां उस ने ही रोहित की हत्या की है.
यह बेहद चौंका देने वाली बात थी क्योंकि हत्या में किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया था और मामला रात का था, वह भी बैडरूम का तो किसी चश्मदीद के होने का तो सवाल ही नहीं उठता था. पुलिस की काररवाई और अपूर्वा के बयान से रोहित की हत्या की वजह और कहानी इस तरह सामने आई.
दरअसल फसाद शादी के रिसैप्शन के एक दिन पहले से ही तब शुरू हो गया था, जब रोहित ने स्टेज पर ही अपूर्वा को मामूली बात पर बेइज्जत कर दिया था और दहेज में 11 लाख रुपए भी मांगे थे. इस बाबत मंजुला को इंदौर का अपना एक प्लौट भी बेचना पड़ा था. बेटी की बेइज्जती पर मंजुला भड़क उठी थीं और उन्होंने शादी तोड़ने की बात भी कह डाली थी.
हालात और माहौल बिगड़ते देख उज्ज्वला ने उन्हें यह कह कर मनाया था कि अब अपूर्वा ही एन.डी. तिवारी की राजनैतिक विरासत संभालेगी. वह उसे राजनीति में लाएंगी. इस पर मंजुला शांत हो गई थीं लेकिन मन में शंका तो ज्योतिषी की पूजापाठ के चलते आ ही गई थी.
अपूर्वा जब शादी कर के ससुराल आई तो बहुत जल्द ही उसे यह अहसास हो गया था कि रोहित कहने को ही रईस है, यहां तो उस के नाम जायदाद के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं है. यहां तक कि डिफेंस कालोनी वाले जिस बंगले में वह रह रही थी, वह भी उज्ज्वला के नाम था. यह जान कर अपने शादी के फैसले पर वह भन्ना उठी थी, लेकिन अब चूंकि कुछ नहीं हो सकता था इसलिए खामोश रही. रोहित का अव्वल दरजे का पियक्कड़ होना भी उस के सपनों को तोड़ रहा था.
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भाभी से थे संबंध
कुछ दिन बाद उसे अहसास हुआ कि रोहित की राजीव की पत्नी कुमकुम यानी अपनी भाभी से कुछ ज्यादा ही अंतरंगता है और वह पूरी बराबरी से रोहित के साथ बैठ कर शराब पीती है. कई बार तो घर के नौकर भी मालिकों के साथ बैठ कर शराब पीते थे. कुमकुम ने उसे भी शराब पीने का औफर किया था, लेकिन वह तैयार नहीं हुई.
रोहित न केवल शराबी और अय्याश था बल्कि हिंसक भी था. शादी के छठे दिन ही वह अपूर्वा को मसूरी ले गया था. साथ में घर के नौकर भी थे. उसे एक दोस्त के अंतिम संस्कार में शामिल होना था, जिस के बाद दोनों में किसी बात पर विवाद हुआ तो रोहित ने उसे भी मारापीटा था. गुस्से में उस ने खुद के हाथपैर भी घायल कर लिए थे.
शादी के छठे दिन से ही अपूर्वा और रोहित में खटपट शुरू हो गई थी और कुछ दिनों बाद ही दोनों अलगअलग सोने लगे थे. बीते कुछ दिनों से अपूर्वा को यह शक भी हो रहा था कि कुमकुम का बेटा असल में रोहित से ही पैदा हुआ है. यानी इन दोनों के नाजायज संबंध शादी के काफी पहले से हैं और घर में हर किसी को इस की जानकारी है.
शादी के 15 दिन बाद अपूर्वा अपने मायके इंदौर आई थी और मंजुला को सब कुछ बताया था तो उन्होंने फिर पूजापाठ कराया था. तब अपूर्वा शायद तय कर के आई थी कि अब ससुराल नहीं जाएगी क्योंकि वह अपने साथ अपना सारा कीमती सामान भी ले आई थी. लेकिन जब रोहित की बाईपास सर्जरी हुई थी तो वह फिर दिल्ली चली गई थी.
सर्जरी के बाद भी दोनों के रिश्ते नहीं सुधरे उलटे कड़वाहट बढ़ती गई, जिस की सब से बड़ी वजह कुमकुम होती थी. सच जो भी हो, लेकिन दोनों अब रिश्ते को जी नहीं बल्कि ढो रहे थे. अपूर्वा को हर समय यह लगता रहता था कि रोहित जानबूझ कर कुमकुम के लिए उस की अनदेखी करता रहता है. इस बात से वह बेहद चिढ़ी हुई थी और बगैर आग के जलती रहती थी.
15 अप्रैल को जब रोहित दिल्ली लौट रहा था तब अपूर्वा ने उसे वीडियो काल किया था, जिस में उस ने देखा कि रोहित और कुमकुम सट कर बैठे एक रेस्टोरेंट में शराब पी रहे हैं तो उस के तनबदन में आग लग गई. उसे लग रहा था कि वह छली गई है और रोहित ने शादी के नाम पर उसे धोखा दिया है.
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यूं की थी हत्या
रात को जब रोहित सोने चला गया तो कोई डेढ़ बजे वह रोहित के कमरे में गई और डेढ़ घंटे बाद लौटी. यह दृश्य घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद था, इसलिए पुलिस को इस निष्कर्ष पर पहुंचते देर नहीं लगी कि रोहित की कातिल अपूर्वा ही है. लिहाजा उसे गिरफ्तार कर रिमांड पर ले लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या का वक्त रात डेढ़ बजे के लगभग ही बताया गया था.
इस पर अपूर्वा का कहना यह था कि वह तो रात डेढ़ बजे पति के साथ सहवास करने गई थी और किया था. मुमकिन है इस दौरान उस की मौत हो गई हो जबकि पुलिस का अंदाजा यह था कि अपूर्वा ने रोहित का गला दबाया होगा और यह बात उस ने बाद में स्वीकारी भी.
इस हाइप्रोफाइल हत्याकांड में कई पेंच हैं. उज्ज्वला जो पहले बेटे की मौत को स्वभाविक बता रही थीं, अचानक ही पलटी खा गईं और अपूर्वा को हत्यारी ठहराने लगीं.
बकौल उज्ज्वला अपूर्वा की नजर उन की दौलत पर थी और इसी लालच में उस ने रोहित से शादी की थी. बेटे बहू में तनावपूर्ण संबंध थे और दोनों तलाक तक की बात करने लगे थे.
लेकिन उज्ज्वला के बयान का यह विरोधाभास किसी को नहीं समझ आ रहा था कि उन्होंने 16 अप्रैल को सुबह का नाश्ता रोहित के साथ किया था. जबकि पोस्टमार्टम के मुताबिक उस की हत्या रात डेढ़ बजे के लगभग हो चुकी थी.
उज्ज्वला के अपूर्वा पर हत्या का अरोप लगाने के साथसाथ अपूर्वा के माता पिता मंजुला और पी.के. शुक्ला भी हमलावर हो उठे कि उन की बेटी ससुराल में काफी घुटन में रह रही थी और उज्ज्वला ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर के उसे फंसाया है. मंजुला के मुताबिक उज्ज्वला ने दहेज में मोटी रकम मांगी थी.
इस आरोप प्रत्यारोप से अपूर्वा को राहत मिलेगी, ऐसा लग नहीं रहा क्योंकि लंबी पूछताछ के बाद उस ने आखिर 24 अप्रैल को अपना जुर्म कबूल कर लिया कि उस ने ही गला दबा कर रोहित की हत्या की थी और हत्या के कुछ देर बाद वह अपने कमरे में लौट आई थी. कमरे में आने के बाद वह वाट्सऐप और फेसबुक पर अपने दोस्तों से चैटिंग भी करती रही थी जो बाद में उस ने डिलीट कर दी थी.
अब यह फैसला अदालत करेगी कि रोहित की हत्या अपूर्वा ने की है या नहीं, लेकिन यह तय है कि रोहित की अय्याशी उसे महंगी पड़ी. एन.डी. तिवारी का जैविक बेटा साबित होने के बाद वह बहक गया था. दिल का मरीज होने के बाद भी वह बेतहाशा शराब पीता था. तरस उस पर इसलिए भी आता है कि वह पिता की अय्याशी के चलते पैदा हुआ और खुद की अय्याशी के चलते मारा गया.
एन.डी. तिवारी ने उसे दिल से बेटा माना था या बदनामी से बचने के लिए दिमाग से काम लिया था, यह बात तो उन्हीं के साथ खत्म हो गई. पर लगता ऐसा है कि कानूनी बाध्यता के चलते उन्होंने अपने नाजायज बेटे को स्वीकार लिया था. वह भी उन के ही नक्शेकदम पर चलते अय्याश ही साबित हुआ. इस तरह मरतेमरते भी रोहित साबित कर गया कि वह एन.डी. तिवारी का ही बेटा था.
रेलवे लाइनों के किनारे पड़ी बोरी को लोग आश्चर्य से देख रहे थे. बोरी को देख कर सभी अंदाजा लगा रहे थे कि बोरी में शायद किसी की लाश होगी. मामला संदिग्ध था, इसलिए वहां मौजूद किसी शख्स ने फोन से यह सूचना दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम को दे दी.
कुछ ही देर में पुलिस कंट्रोलरूम की गाड़ी मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने जब बोरी खोली तो उस में एक युवती की लाश निकली. लड़की की लाश देख कर लोग तरहतरह की चर्चाएं करने लगे.
जिस जगह लाश वाली बोरी पड़ी मिली, वह इलाका दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना सरिता विहार क्षेत्र में आता है. लिहाजा पुलिस कंट्रोलरूम से यह जानकारी सरिता विहार थाने को दे दी गई. सूचना मिलते ही एसएचओ अजब सिंह, इंसपेक्टर सुमन कुमार के साथ मौके पर पहुंच गए.
एसएचओ अजब सिंह ने लाश बोरी से बाहर निकलवाने से पहले क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को मौके पर बुला लिया और आला अधिकारियों को भी इस की जानकारी दे दी. कुछ ही देर में डीसीपी चिन्मय बिस्वाल और एसीपी ढाल सिंह भी वहां पहुंच गए. फोरैंसिक टीम का काम निपट जाने के बाद डीसीपी और एसीपी ने भी लाश का मुआयना किया.
मृतका की उम्र करीब 24-25 साल थी. वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका तो यही लगा कि लड़की इस क्षेत्र की नहीं है. पुलिस ने जब उस के कपड़ों की तलाशी ली तो उस के ट्राउजर की जेब से एक नोट मिला.
उस नोट पर लिखा था, ‘मेरे साथ अश्लील हरकत हुई और न्यूड वीडियो भी बनाया गया. यह काम आरुष और उस के 2 दोस्तों ने किया है.’
नोट पर एक मोबाइल नंबर भी लिखा था. पुलिस ने नोट जाब्जे में ले कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
पुलिस के सामने पहली समस्या लाश की शिनाख्त की थी. उधर बरामद किए गए नोट पर जो फोन नंबर लिखा था, पुलिस ने उस नंबर पर काल की तो वह उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले आरुष का निकला. नोट पर भी आरुष का नाम लिखा हुआ था.
सरिता विहार एसएचओ अजब सिंह ने आरुष को थाने बुलवा लिया. उन्होंने मृतका का फोटो दिखाते हुए उस से संबंधों के बारे में पूछा तो आरुष ने युवती को पहचानने से इनकार कर दिया. उस ने कहा कि वह उसे जानता तक नहीं है. किसी ने उसे फंसाने के लिए यह साजिश रची है.
आरुष के हावभाव से भी पुलिस को लग रहा था कि वह बेकसूर है. फिर भी अगली जांच तक उन्होंने उसे थाने में बिठाए रखा. उधर डीसीपी ने जिले के समस्त बीट औफिसरों को युवती की लाश के फोटो देते हुए शिनाख्त कराने की कोशिश करने के निर्देश दे दिए. डीसीपी चिन्मय बिस्वाल की यह कोशिश रंग लाई.
पता चला कि मरने वाली युवती दक्षिणपूर्वी जिले के अंबेडकर नगर थानाक्षेत्र के दक्षिणपुरी की रहने वाली सुरभि (परिवर्तित नाम) थी. उस के पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. पुलिस ने सुरभि के घर वालों से बात की. उन्होंने बताया कि नौकरी के लिए किसी का फोन आया था. उस के बाद वह इंटरव्यू के सिलसिले में घर से गई थी.
पुलिस ने सुरभि के घर वालों से उस की हैंडराइटिंग के सैंपल लिए और उस हैंडराइटिंग का मिलान नोट पर लिखी राइटिंग से किया तो दोनों समान पाई गईं. यानी दोनों राइटिंग सुरभि की ही पाई गईं.
पुलिस ने आरुष को थाने में बैठा रखा था. सुरभि के घर वालों से आरुष का सामना कराते हुए उस के बारे में पूछा तो घर वालों ने आरुष को पहचानने से इनकार कर दिया.
नौकरी के लिए फोन किस ने किया था, यह जानने के लिए एसएचओ अजब सिंह ने मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस में एक नंबर ऐसा मिला, जिस से सुरभि के फोन पर कई बार काल की गई थीं और उस से बात भी हुई थी. जांच में वह फोन नंबर संगम विहार के रहने वाले दिनेश नाम के शख्स का निकला. पुलिस काल डिटेल्स के सहारे दिनेश तक पहुंच गई.
थाने में दिनेश से सुरभि की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने कबूल कर लिया कि अपने दोस्तों के साथ मिल कर उस ने पहले सुरभि के साथ सामूहिक बलात्कार किया. इस के बाद उन लोगों ने उस की हत्या कर लाश ठिकाने लगा दी.
उस ने बताया कि वह सुरभि को नहीं जानता था. फिर भी उस ने उस की हत्या एक ऐसी साजिश के तहत की थी, जिस का खामियाजा जेल में बंद एक बदमाश को उठाना पड़े. उस ने सुरभि की हत्या की जो कहानी बताई, वह किसी फिल्मी कहानी की तरह थी—
दिल्ली के भलस्वा क्षेत्र में हुए एक मर्डर के आरोप में धनंजय को जेल जाना पड़ा. जेल में बंटी नाम के एक कैदी से धनंजय का झगड़ा हो गया था. बंटी उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र का रहने वाला था.
बंटी भी एक नामी बदमाश था. दूसरे कैदियों ने दोनों का बीचबचाव करा दिया. दोनों ही बदमाश जिद्दी स्वभाव के थे, लिहाजा किसी न किसी बात को ले कर वे आपस में झगड़ते रहते थे. इस तरह उन के बीच पक्की दुश्मनी हो गई.
उसी दौरान दिनेश झपटमारी के मामले में जेल गया. वहां उस की दोस्ती धीरेंद्र नाम के एक बदमाश से हुई. जेल में ही धीरेंद्र की दुश्मनी बुराड़ी के रहने वाले बंटी से हो गई. धीरेंद्र ने जेल में ही तय कर लिया कि वह बंटी को सबक सिखा कर रहेगा.
करीब 2 महीने पहले दिनेश और धीरेंद्र जमानत पर जेल से बाहर आ गए. जेल से छूटने के बाद दिनेश और धीरेंद्र एक कमरे में साथसाथ संगम विहार इलाके में रहने लगे.
उन्होंने बंटी के परिवार आदि के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी. उन्हें पता चला कि बंटी के पास 200 वर्गगज का एक प्लौट है. उस प्लौट की देखभाल बंटी का भाई आरुष करता है. कोशिश कर के उन्होंने आरुष का फोन नंबर भी हासिल कर लिया.
इस के बाद दिनेश और धीरेंद्र एक गहरी साजिश का तानाबाना बुनने लगे. उन्होंने सोचा कि बंटी के भाई आरुष को किसी गंभीर केस में फंसा कर जेल भिजवा दिया जाए. उस के जेल जाने के बाद उस के 200 वर्गगज के प्लौट पर कब्जा कर लेंगे. यह फूलप्रूफ प्लान बनाने के बाद वह उसे अंजाम देने की रूपरेखा बनाने लगे.
दिनेश और धीरेंद्र ने इस योजना में अपने दोस्त सौरभ भारद्वाज को भी शामिल कर लिया. पहले से तय योजना के अनुसार दिनेश ने अपनी गर्लफ्रैंड के माध्यम से उस की सहेली सुरभि को नौकरी के बहाने बुलवाया. सुरभि अंबेडकर नगर में रहती थी.
गर्लफ्रैंड ने सुरभि को नौकरी के लिए दिनेश के ही मोबाइल से फोन किया. सुरभि को नौकरी की जरूरत थी, इसलिए सहेली के कहने पर वह 25 फरवरी, 2019 को संगम विहार स्थित एक मकान पर पहुंच गई.
उसी मकान में दिनेश और धीरेंद्र रहते थे. नौकरी मिलने की उम्मीद में सुरभि खुश थी, लेकिन उसे क्या पता था कि उस की सहेली ने विश्वासघात करते हुए उसे बलि का बकरा बनाने के लिए बुलाया है.
सुरभि उस फ्लैट पर पहुंची तो वहां दिनेश, धीरेंद्र और सौरभ भारद्वाज मिले. उन्होंने सुरभि को बंधक बना लिया. इस के बाद उन तीनों युवकों ने सुरभि के साथ गैंपरेप किया. नौकरी की लालसा में आई सुरभि उन के आगे गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उन दरिंदों को उस पर जरा भी दया नहीं आई.
चूंकि इन बदमाशों का मकसद जेल में बंद बंटी को सबक सिखाना और उस के भाई आरुष को फंसाना था, इसलिए उन्होंने सुरभि के मोबाइल से आरुष के मोबाइल नंबर पर कई बार फोन किया. लेकिन किन्हीं कारणों से आरुष ने उस की काल रिसीव नहीं की थी.
इस के बाद तीनों बदमाशों ने हथियार के बल पर सुरभि से एक नोट पर ऐसा मैसेज लिखवाया जिस से आरुष झूठे केस में फंस जाए. उस नोट पर इन लोगों ने आरुष का फोन नंबर भी लिखवा दिया था.
फिर वह नोट सुरभि के ट्राउजर की जेब में रख दिया. सुरभि उन के अगले इरादों से अनभिज्ञ थी. वह बारबार खुद को छोड़ देने की बात कहते हुए गिड़गिड़ा रही थी. लेकिन उन लोगों ने कुछ और ही इरादा कर रखा था.
तीनों बदमाशों ने सुरभि की गला घोंट कर हत्या कर दी. बेकसूर सुरभि सहेली की बातों पर विश्वास कर के मारी जा चुकी थी. इस के बाद वे उस की लाश ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगे. उन्होंने उस की लाश एक बोरी में भर दी.
इस के बाद इन लोगों ने अपने परिचित रहीमुद्दीन उर्फ रहीम और चंद्रकेश उर्फ बंटी को बुलाया. दोनों को 4 हजार रुपए का लालच दे कर इन लोगों ने वह बोरी कहीं रेलवे लाइनों के किनारे फेंकने को कहा.
पैसों के लालच में दोनों उस लाश को ठिकाने लगाने के लिए तैयार हो गए तो दिनेश ने 7800 रुपए में एक टैक्सी हायर की. रात के अंधेरे में उन्होंने वह लाश उस टैक्सी में रखी और रहीमुद्दीन और चंद्रकेश उसे सरिता विहार थाना क्षेत्र में रेलवे लाइनों के किनारे डाल कर अपने घर लौट गए.
लाश ठिकाने लगाने के बाद साजिशकर्ता इस बात पर खुश थे कि फूलप्रूफ प्लानिंग की वजह से पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकेगी, लेकिन दिनेश द्वारा सुरभि को की गई काल ने सभी को पुलिस के चंगुल में पहुंचा दिया. मामले का खुलासा हो जाने के बाद एसएचओ अजब सिंह ने हिरासत में लिए गए आरुष को छोड़ दिया.
दिनेश से की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर उस के अन्य साथियों सौरभ भारद्वाज, चंद्रकेश उर्फ बंटी और रहीमुद्दीन उर्फ रहीम को भी गिरफ्तार कर लिया. पांचवां बदमाश धीरेंद्र पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका, वह फरार हो गया था. गिरफ्तार किए गए बदमाशों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.
पुलिस को इस मामले में दिनेश की प्रेमिका को भी हिरासत में ले कर पूछताछ करनी चाहिए थी, क्योंकि सुरभि की हत्या की असली जिम्मेदार तो वही थी. उसी ने ही सुरभि को नौकरी के बहाने दिनेश के किराए के कमरे पर बुलाया था.
बहरहाल, दूसरे को फांसने के लिए जाल बिछाने वाला दिनेश खुद अपने बिछाए जाल में फंस गया. पहले वह झपटमारी के आरोप में जेल गया था, जबकि इस बार वह सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में जेल गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
बदल गई जिंदगी
कल के गंगू तेली उज्ज्वला और रोहित एक झटके में राजा भोज बन गए थे. सब कुछ सैटल हो गया तो एन.डी. तिवारी अपनी नई पत्नी और नाजायज से जायज बन चुके बेटे के साथ दिल्ली स्थित डिफेंस कालोनी में आ कर रहने लगे. इस आलीशान हवेली की आलीशान जिंदगी रोहित को मिली तो वह बौरा उठा. शौकिया शराब पीने वाला रोहित अब आदतन पियक्कड़ बन चुका था.
वह अकसर अपने नजदीकी लोगों से कहता था कि वह शायद दुनिया का पहला शख्स है जिस ने अपने नाजायज होने की लड़ाई लड़ी, साथ ही वह प्रकाश मेहरा निर्देशित मशहूर फिल्म ‘लावारिस’ फिल्म का वह डौयलोग भी दोहराता था जो नायक अमिताभ बच्चन ने अपने नाजायज पिता बने अमजद खान से कहा था कि कोई भी बेटा नाजायज नहीं होता बल्कि बाप नाजायज होता है.
बहरहाल, जिंदगी ढर्रे पर आ गई तो अनुभवी एन.डी. तिवारी ने रोहित को राजनीति में उतारने की सोची क्योंकि तमाम बदनामियों और दुश्वारियों के बाद भी वे राजनीति से पूरी तरह खारिज नहीं हुए थे. यह वह दौर था जब उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बेहद कमजोर पड़ने लगी थी. यह भी सच है कि इन राज्यों में अगर कांग्रेस को कोई वापस खड़ा कर सकता था, तो वह एन.डी. तिवारी ही थे.
लेकिन राहुल और सोनिया गांधी ने एन.डी. तिवारी पर दांव खेलने का जोखिम नहीं उठाया. रोहित के मुकदमे से हुई बदनामी तो इस की एक वजह थी ही, साथ ही वे 88 साल के हो रहे थे. लिहाजा पहले जैसी भागदौड़ नहीं कर सकते थे. एन.डी. तिवारी ने रोहित को कांग्रेस में जमाने की कोशिश की, लेकिन बात बनी नहीं. इस के बाद वह भाजपा की शरण में गए, लेकिन यहां के शटर भी उन के लिए गिर चुके थे.
जब उन्हें समझ आ गया कि अब कुछ नहीं हो सकता तो वे एक शांत जिंदगी जीने की कोशिश में लग गए. रोहित और उज्ज्वला ने अपना फर्ज बखूबी निभाया और बीमार एन.डी. तिवारी की सेवा की.
जब दिल्ली के मैक्स अस्पताल में कैंसर जैसी घातक बीमारी से वह जूझ रहे थे, तब उन्हें उन्हीं लोगों ने सहारा दिया और संभाला, जिन्हें वह कभी दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक चुके थे. 18 अक्तूबर, 1925 को नैनीताल में जन्मे एन.डी. तिवारी की मौत भी 18 अक्तूबर, 2018 को ही हुई.
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अपूर्वा की एंट्री
मृत्यु से पहले वे बहू का मुंह देख चुके थे. रोहित ने अपनी पसंद की लड़की अपूर्वा शुक्ला से शादी कर ली थी. अपूर्वा मूलत: इंदौर की रहने वाली है और पेशे से रोहित की तरह वकील है. इन दोनों की मुलाकात अकसर सुप्रीम कोर्ट में होती रहती थी. अपूर्वा की पढ़ाई इंदौर में ही हुई थी, उस के पिता पी.के. शुक्ला इंदौर के नामी वकील हैं. इंदौर में प्रैक्टिस के साथसाथ अपूर्वा सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे लड़ने दिल्ली भी जाने लगी थी.
अपूर्वा एक मध्यमवर्गीय परिवार की महत्त्वाकांक्षी और बेइंतहा खूबसूरत लड़की है, जिस की प्रैक्टिस कोई खास नहीं चलती थी. रोहित जैसा भी था, उस की नजर और आकलन में बेशुमार दौलत का मालिक था. इसलिए उस ने शादी के लिए हां कर दी.
इधर रोहित की दिक्कत यह थी कि एक मशहूर शख्सियत का बेटा होने के बाद भी बराबरी के घराने की लड़की उस से शादी करने को शायद ही तैयार होती क्योंकि आखिरकार वह एक समय में नाजायज औलाद था.
उम्र का 40वां पड़ाव छू रहे रोहित को भी अपूर्वा भा गई थी. दोनों एक साल डेटिंग करने के बाद 11 मई, 2018 को शादी के बंधन में बंध गए. दिल्ली के नामी होटल अशोका में हुई इस शादी में देश की कई जानीमानी राजनैतिक हस्तियां शामिल हुई थीं.
अपूर्वा एन.डी. तिवारी की बहू और रोहित शेखर की पत्नी बन कर डिफेंस कालोनी के उन के आलीशान घर में आ कर रहने लगी थी. स्वास्थ्य कारणों से एन.डी. तिवारी बेटे की शादी में शामिल नहीं हो पाए थे.
इस शादी में सब कुछ ठीकठाक नहीं रहा था. एक ज्योतिषी की सलाह पर अपूर्वा की मां मंजुला शुक्ला ने एक खास तरह की पूजा संपन्न कराई थी, जिस से बेटी का दांपत्य जीवन सुखी रहे. वरमाला के वक्त स्टेज पर भी काफी कुछ असहज दिखाई दिया था, जिस का खुलासा रोहित की हत्या के बाद हुआ.
वह 13 अप्रैल, 2018 का दिन था, जब रोहित अपना वोट डालने के लिए उत्तराखंड के कोटद्वार के लिए अपने परिवारजनों के साथ कारों के काफिले के साथ रवाना हुआ था. रोहित की शादी के बाद उज्ज्वला दूसरे बंगले में रहने आ गई थीं जो तिलक लेन में स्थित है. उन के साथ रोहित का मुंहबोला भाई राजीव जो उज्ज्वला के पहले पति का बेटा है और उस की पत्नी कुमकुम रहते थे. रोहित का सौतेला भाई सिद्धार्थ रोहित के साथ रहता था.
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मां के दूसरे घर में चले जाने के बाद रोहित और भी बेलगाम हो चला था. उस के पास बेशुमार पैसा खर्च करने के लिए था, जिस का वारिस वह लंबी कानूनी लड़ाई और बदनामी के बाद बना था. लिहाजा उस ने पैसे की कीमत नहीं समझी. एन.डी. तिवारी की उसे राजनीति में लाने की कोशिशें नाकाम रही थीं यानी उसे अपने जैविक पिता के हिस्से की दौलत तो मिल गई थी, लेकिन शोहरत नहीं मिल पाई थी.
डिफेंस कालोनी के इस बंगले के अंदर क्या कुछ हो रहा है, इस का अंदाजा बाहर किसी को नहीं था. बड़े लोगों के घरों में किस तरह का तनाव पसरा रहता है, इस का अंदाजा आमतौर पर कोई नहीं लगा पाता. क्योंकि लोगों की नजर में पैसा है तो सब कुछ है, होता है. जबकि हकीकत में संभ्रांत और अभिजात्य कहे जाने वाले इन लोगों के घरों में भी खूब घटिया आरोप प्रत्यारोप, कलह और व्यभिचार होता है.
रोहित कोटद्वार में वोट डाल कर 15 अप्रैल की ही रात घर वापस आ गया था. वह शराब के नशे में था, लेकिन पूरी तरह धुत नहीं था. डिनर उस ने परिवारजनों के साथ लिया, इस के बाद उज्ज्वला तिलक लेन अपने घर चली गईं. उन के जाने के बाद अपूर्वा और रोहित में किसी बात पर कलह किचकिच हुई, जिस से दोनों का मूड औफ हो गया.
पतिपत्नी में हुई थी झड़प
कलह के बाद रोहित ऊपरी मंजिल के अपने कमरे में सोने चला गया और अपूर्वा रोज की तरह नीचे की मंजिल के कमरे में सोई. बंगले की बत्तियां बुझीं तो घरेलू नौकर गोलू और ड्राइवर अभिषेक भी अपनेअपने कमरों में जा कर सो गए. भाई भाभी की आज की कलह के अंजाम से अंजान सिद्धार्थ भी अपने कमरे में जा कर पसर गया, जिस ने एक गंभीर बीमारी का मरीज होने के चलते शादी नहीं की थी.
दूसरे दिन सुबह सभी उठ कर अपने अपने काम में लग गए, सिवाए रोहित के जो अकसर देर से उठता था.चूंकि कुछ महीने पहले ही उस की बाईपास सर्जरी हुई थी, इसलिए कोई उस की नींद में खलल भी नहीं डालता था. वैसे भी वह बीती रात कोटद्वार से लौटा था, इसलिए सभी को उस के देर तक सोने की उम्मीद थी. किसी ने उस के कमरे में झांकने तक की जरूरत नहीं समझी.
दोपहर ढलने लगी थी. शाम कोई 4 बजे गोलू किसी काम से रोहित के कमरे में गया तो वहां का नजारा देख घबराया हुआ उलटे पांव नीचे आ गया. उस ने अपूर्वा को बताया कि साहब बिस्तर पर बेसुध पड़े हैं और उन की नाक से खून बह रहा है. यह सुनते ही वह घबरा गई और उस ने तुरंत उज्ज्वला को फोन कर रोहित की हालत से अवगत कराया.
इत्तफाक से उज्ज्वला अपने इलाज के सिलसिले में उस वक्त साकेत के मैक्स अस्पताल आई थीं, इसलिए उन्होंने तुरंत अस्पताल की एम्बुलैंस डिफेंस कालोनी स्थित अपने घर भेज दी. एम्बुलैंस से अपूर्वा रोहित को ले कर मैक्स अस्पताल आ गई, लेकिन वहां मौजूद डाक्टरों ने चंद मिनटों की जांच के बाद रोहित को मृत घोषित कर दिया.
इस मामले में चूंकि मैडिको लीगल केस बनता था, इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने इस की खबर पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. यह मामला चूंकि थाना डिफेंस कालोनी क्षेत्र का बनता था, इसलिए कंट्रोल रूम ने थाना डिफेंस कालोनी को सूचना दे दी.
जांचकर्ता पुलिस टीम
पुलिस आई और जांच व पूछताछ में जुट गई. चूंकि मामला एन.डी. तिवारी के बेटे रोहित शेखर की संदिग्ध मौत का था, इसलिए पुलिस ने संभल कर काम लिया. अपने बयान में उज्ज्वला ने रोहित की बाईपास सर्जरी होने की बात बताई और यह भी बताया कि उस के पिता की मौत भी ब्रेन हेमरेज से हुई थी तो एक क्षण को पुलिस वालों को लगा कि यह स्वाभाविक मौत भी तो हो सकती है. अपूर्वा ने भी रात का घटनाक्रम दोहरा दिया.
चूंकि मौत संदिग्ध थी, इसलिए पुलिस कोई लापरवाही न करते हुए रोहित के घर तक गई. मौत का यह शक उस वक्त यकीन में बदलने लगा, जब अपूर्वा ने कानून की दुहाई देते पुलिस को घर में जाने से रोकने की कोशिश की.
रोहित की लाश पोस्टमार्टम के लिए सौंप चुके पुलिस वालों ने जब रोहित के बैडरूम की तलाशी ली तो बिस्तर के आसपास तरह तरह की दवाइयां बिखरी पड़ी थीं. रोहित के सभी परिवारजन मौत को स्वाभाविक बता रहे थे, इसलिए पुलिस ने कमरे को सील कर दिया. अब पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था.
घटना 14 जुलाई, 2020 की है. उस रोज राम गोयल सो कर उठे तो घर का अस्तव्यस्त हाल देख कर उन के होश उड़ गए. कमरे में तिजोरी खुली पड़ी थी, जिस में रखी कई किलोग्राम सोनाचांदी व नकदी सब गायब थी. यह देख कर घर में हड़कंप मच गया.
राम गोयल को पता चला कि घर से 3 किलो सोने और चांदी के आभूषण, नकदी और अन्य कीमती सामान गायब है. इस के अलावा परिवार के साथ रह रही बेटी की नौकरानी अनुष्का, जो दिल्ली से आई थी, वह भी गायब थी. अनुष्का राम गोयल की बेटीदामाद की नौकरानी थी. वह उन के बच्चों की देखभाल करती थी.
जून, 2020 महीने में राम गोयल की बेटी एक समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली से राजगढ़ अपने पिता के यहां आई थी. बेटी के बच्चों की देखभाल के लिए अनुष्का भी उस के साथ आ गई थी. इसलिए पिछले एक महीने से वह राम गोयल के घर पर ही रह रही थी.
वह एक नेपाली लड़की थी. नेपाली अपनी बहादुरी और ईमानदारी के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं. राम गोयल की भी अनुष्का के प्रति यही सोच थी. लेकिन कुछ ही समय में अनुष्का अपना असली रंग दिखा कर करोड़ों का माल साफ कर के भाग चुकी थी.
घटना की रात अनुष्का ने अपने हाथ से कढ़ी और खिचड़ी बना कर पूरे परिवार को खिलाई थी. खाने के बाद पूरा परिवार गहरी नींद में सो गया. जाहिर था, खाने में कोई नशीली चीज मिलाई गई थी, जिस के असर से घर में हलचल होने के बावजूद किसी सदस्य की आंख नहीं खुली.
इस बात की खबर मिलते ही थाना पचोर के टीआई डी.पी. लोहिया तुरंत पुलिस टीम के साथ राम गोयल के यहां पहुंचे तथा उन्होंने मौकामुआयना कर सारी घटना की जानकारी एसपी प्रदीप शर्मा को दी. कुछ ही देर में एसपी शर्मा भी मौके पर पहुंच गए.
घटनास्थल की जांच करने के बाद एसपी प्रदीप शर्मा ने आरोपियों को पकड़ने के लिए एडिशनल एसपी नवलसिंह सिसोदिया के निर्देशन में एक टीम गठित कर दी.
टीम में एसडीपीओ पदमसिंह बघेल, टीआई डी.पी. लोहिया, एसआई धर्मेंद्र शर्मा, शैलेंद्र सिंह, साइबर सैल टीम प्रभारी रामकुमार रघुवंशी, एसआई जितेंद्र अजनारे, आरक्षक मोइन खान, दिनेश किरार, शशांक यादव, रवि कुशवाह एवं आरक्षक राजकिशोर गुर्जर, राजवीर बघेल, दुबे अर्जुन राजपूत, अजय राजपूत, सुदामा, कैलाश और पल्लवी सोलंकी को शामिल किया गया.
इधर लौकडाउन के चलते पुलिस का एक काम आसान हो गया था. टीआई लोहिया जानते थे कि लौकडाउन के दिनों में ट्रेन, बस बंद हैं इसलिए लुटेरी नौकरानी अनुष्का ने पचोर से भागने के लिए किसी प्राइवेट वाहन का उपयोग किया होगा.
क्योंकि इतनी बड़ी चोरी एक अकेली लड़की नहीं कर सकती, इसलिए उस के कुछ साथी भी जरूर रहे होंगे. अनुष्का कुछ समय पहले ही दिल्ली से आई थी. टीआई लोहिया ने अनुष्का का मोबाइल नंबर हासिल कर उसे सर्विलांस पर लगा दिया. इस के अलावा उस के फोन की काल डिटेल्स भी निकलवाई.
काल डिटेल्स से पता चला कि अनुष्का एक फोन नंबर पर लगातार बातें करती थी और ताज्जुब की बात यह थी कि वारदात वाले दिन उस फोन नंबर की लोकेशन पचोर टावर क्षेत्र में थी. जाहिर था कि वह मोबाइल वाला व्यक्ति अनुष्का का कोई साथी रहा होगा, जो उस के बुलाने पर ही घटना को अंजाम देने राजगढ़ आया होगा.
एसपी प्रदीप शर्मा के निर्देश पर टीआई लोहिया की टीम पचोर क्षेत्र में हर चौराहे, हर पौइंट, हर क्रौसिंग पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने में जुट गई. इसी कवायद में एक संदिग्ध कार पुलिस की नजर में आई, जिस का रजिस्ट्रेशन नंबर यूपी-14एफ-टी2355 था.
टीआई लोहिया समझ गए कि चोर शायद इसी गाड़ी में सवार हो कर पचोर आए और घटना को अंजाम दे कर फरार हो गए. इसलिए पुलिस की एक टीम ने पचोर से व्यावह हो कर गुना और ग्वालियर तक के रास्ते में पड़ने वाले टोल नाकों के कैमरे चैक कर उस गाड़ी के आनेजाने का रूट पता कर लिया.
जांच में पता चला कि उक्त नंबर की कार दिल्ली के उत्तम नगर के रहने वाले मनोज कालरा के नाम से रजिस्टर्ड थी, इसलिए तुरंत एक टीम दिल्ली भेजी गई. टीम ने मनोज कालरा को तलाश कर उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह किराए पर गाडि़यां देने का काम करता है. उक्त नंबर की कार उस ने एक नौकर पवन उर्फ पद्म नेपाली के माध्यम से 12 जुलाई को इंदौर के लिए बुक की थी.
जबकि इस कार के ड्राइवर से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 13 जुलाई, 2020 को 3 युवक उसे शादी में जाने की बात बोल कर पचोर ले गए थे. दिल्ली पहुंची पुलिस टीम सारी जानकारी एसपी प्रदीप शर्मा से शेयर कर रही थी. इस से एसपी प्रदीप शर्मा समझ गए कि उन की टीम सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
लेकिन वे जल्द से जल्द चोरों को पकड़ना चाहते थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि देर होने पर आरोपी माल सहित नेपाल भाग सकते हैं. ड्राइवर ने यह भी बताया कि वापसी में सभी लोगों को उस ने दिल्ली में बदरपुर बौर्डर पर बस स्टैंड के पास छोड़ा था.
अब पुलिस को जरूरत थी उन तीनों नेपाली लड़कों की पहचान कराने की, जो दिल्ली से गाड़ी ले कर पचोर आए थे.
इस के लिए पुलिस ने दिल्ली में रहने वाले सैकड़ों नेपाली परिवारों से संपर्क किया. शक के आधार पर 16 लोगों को हिरासत में ले कर पूछताछ की. जिस में एक नया नाम सामने आया बिलाल अहमद का, जो लोगों को घरेलू नौकर उपलब्ध कराने के लिए एशियन मेड सर्विस की एजेंसी चलाता था.
बिलाल ने पुलिस को बताया कि अनुष्का उस के पास आई थी, उस की सिफारिश सरिता पति नवराज शर्मा ने की थी. जिसे उस ने दिल्ली में एक बच्ची की देखभाल के लिए नौकरी पर लगवा दिया था.
जांच के दौरान पुलिस टीम को पवन थापा के बारे में जानकारी मिली. पता चला कि पवन ही वह आदमी है जो उन तीनों लोगों को दिल्ली से पचोर ले कर आया था. पवन भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उस ने पूछताछ में बताया कि उत्तम नगर के सम्राट उर्फ वीरामान ने टैक्सी बुक की थी, जिस के लिए उसे15 हजार रुपए एडवांस भी दिए थे.
इस से पुलिस को पूरा शक हो गया कि इस मामले में सम्राट की खास भूमिका हो सकती है. दूसरी बात यह पुलिस समझ चुकी थी कि इस बड़ी चोरी के सभी आरोपी उत्तम नगर के आसपास के हो सकते हैं. इसलिए न केवल पुलिस सतर्क हो गई, बल्कि अन्य आरोपियों की रैकी भी करने लगी.
आरोपी लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे, इसलिए तकनीकी टीम के प्रभारी एसआई रामकुमार रघुवंशी और आरक्षक मोइन खान ने चाय व समोसे वाला बन कर उन की रैकी करनी शुरू कर दी, जिस से जल्द ही जानकारी हासिल कर सम्राट उर्फ वीरामान धामी को गिरफ्तार कर लिया गया.
पूछताछ में वीरामान पहले तो कुछ भी बताने की राजी नहीं था. लेकिन जब उस ने मुंह खोला तो चौंकाने वाला सच सामने आया.
वास्तव में वीरामान खुद वारदात करने के लिए पचोर जाने वाली टीम में शामिल था. अन्य 2 पुरुषों और महिला के बारे में पूछताछ की तो सम्राट ने बताया कि अनुष्का अपने प्रेमी तेज के साथ नई दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहती है.
पुलिस ने बदरपुर इलाके में छापेमारी कर के दोनों को वहां से गिरफ्तार कर उन के पास से चोरी का माल बरामद कर लिया. यहां तेज रोक्यो और अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल के साथ उन का तीसरा साथी भरतलाल थापा भी पुलिस गिरफ्त में आ गए.
मौके पर की गई पूछताछ के बाद दिल्ली गई पुलिस टीम ने दिल्ली पुलिस की मदद से मामले के मुख्य आरोपी वीरामान उर्फ सम्राट मूल निवासी धनगढ़ी, नेपाल, अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल निवासी जनकपुर, तेज रोक्यो मूल निवासी जिला अछम, नेपाल, भरतलाल थापा को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी.
इस के अलावा आरोपियों को पचोर तक कार बुक करने वाला पवन थापा निवासी उत्तम नगर नई दिल्ली, बेहोशी की दवा उपलब्ध कराने वाला कमल सिंह ठाकुर निवासी जिला बजरा नेपाल, चोरी के जेवरात खरीदने वाला मोहम्मद हुसैन निवासी जैन कालोनी उत्तम नगर, जेवरात को गलाने में सहायता करने वाला विक्रांत निवासी उत्तम नगर भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए.
अनुष्का को कंपनी में काम पर लगवाने वाली सरिता शर्मा निवासी किशनपुरा, नोएडा तथा अनुष्का को नौकरानी के काम पर लगाने वाला बिलाल अहमद उर्फ सोनू निवासी जामिया नगर, नई दिल्ली को गिरफ्तार कर के बरामद माल सहित पचोर लौट आई. जहां एसपी श्री शर्मा ने पत्रकार वार्ता में महज 7 दिनों के अंदर जिले में हुई चोरी की सब से बड़ी घटना का राज उजागर कर दिया.
अनुष्का ने बताया कि राम गोयल का पूरा परिवार उस पर विश्वास करता था. इसलिए परिवार के अन्य लोगों की तरह अनुष्का भी घर में हर जगह आतीजाती थी. एक दिन उस के सामने घर की तिजोरी खोली गई तो उस में रखी ज्वैलरी और नकदी देख कर उस की आंखें चौंधिया गईं और उस के मन में लालच आ गया. यह बात जब उस ने दिल्ली में बैठे अपने प्रेमी तेज रोक्यो को बताई तो उसी ने उसे तिजोरी पर हाथ साफ करने की सलाह दी.
योजना को अंजाम देने के लिए उस का प्रेमी तेज रोक्यो ही दिल्ली से बेहोशी की दवा ले कर पचोर आया था. वह दवा उस ने रात में खिचड़ी में मिला कर पूरे परिवार को खिला दी. जिस से खिचड़ी खाते ही पूरा परिवार गहरी नींद में सो गया. तब अनुष्का अलमारी में भरा सारा माल ले कर पे्रमी के संग चंपत हो गई. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर एक करोड़ 53 लाख रुपए का चोरी का सामान और नकदी बरामद कर ली.
पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की जांच टीआई डी.पी. लोहिया कर रहे थे.
अपने वक्त के जमीनी, धाकड़ और लोकप्रिय कांग्रेसी नेता एन.डी. तिवारी का अपना अलग कद था और अलग साख थी. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे इस कद्दावर नेता की कांग्रेसी आलाकमान कभी अनदेखी नहीं कर सका. वे केंद्रीय मंत्री भी रहे और राजनैतिक कैरियर के उत्तरार्द्ध में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी बनाए गए थे.
ब्राह्मण समुदाय में खासी पैठ रखने वाले एन.डी. तिवारी की गिनती रंगीनमिजाज और विलासी नेताओं में भी होती थी. इस की एक उजागर मिसाल था उन का जैविक बेटा रोहित शेखर, जिस की हत्या 28 अप्रैल को अपने ही घर में हो गई थी. हत्या करने वाली भी उस की अपनी पत्नी अपूर्वा शुक्ला थी.
इस हाइप्रोफाइल हत्याकांड में कोई खास पेंचोखम नहीं हैं, लेकिन रोहित की कहानी फिल्मों से भी परे अकल्पनीय है. खासे गुलाबी रंगत वाले इस युवा के नैननक्श पहाड़ी इलाकों में रहने वाले युवाओं सरीखे ही थे. क्योंकि उस की पैदाइश और परवरिश भी वहीं की थी.
साल 2007 तक रोहित को नहीं मालूम था कि वह कोई ऐरागेरा नहीं बल्कि एन.डी. तिवारी जैसी सियासी शख्सियत का खून है. रोहित शेखर को जब अपनी मां से पता चला कि वह नारायण दत्त तिवारी का बेटा है तो उस ने विकट का दुस्साहस दिखाते हुए उन पर अपने बेटे होने का दावा कर डाला.
रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा कभी एन.डी. तिवारी की प्रेमिका हुआ करती थीं. जिन्होंने तनमन से खुद को उन्हें सौंप दिया था. इस प्यार या अभिसार, कुछ भी कह लें, की देन था रोहित शेखर जिसे कोर्ट के आदेश के बाद ही एन.डी. तिवारी ने बेटा माना.
उज्ज्वला गर्भवती हुईं तो एन.डी. तिवारी यह सोच कर घबरा उठे थे कि कहीं वह होने वाली संतान को ले कर होहल्ला न मचाने लगे. क्योंकि वे पहले से शादीशुदा थे और पत्नी सुशीला से उन्हें कोई संतान नहीं हुई थी, जिन की मृत्यु 1991 में हुई थी.
कभी पेशे से दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत की शिक्षिका रहीं उज्ज्वला खुद भी कांग्रेसी कार्यकर्ता और छोटीमोटी पदाधिकारी थीं, इसलिए एन.डी. तिवारी के रसूख से वाकिफ थीं. लंबे समय तक उन्हें देह सुख देती रही उज्ज्वला एक हद तक ही एन.डी. तिवारी पर दबाव बना पाई थीं कि वे उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लें और होने वाली संतान को भी अपना नाम दें.
उज्ज्वला के पिता प्रोफेसर शेरसिंह भी कांग्रेस के जानेमाने नेता थे और पंजाब सरकार में मंत्री भी रहे थे. दरअसल, उज्ज्वला अपने पति बी.पी. शर्मा को छोड़ अपने पिता के घर आ कर रहने लगी थीं. उन की गोद में पहले पति से पैदा हुआ 2 साल का बेटा सिद्धार्थ भी था.
एन.डी. तिवारी से उज्ज्वला की पहली मुलाकात 1968 में हुई थी, जब वह युवक कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उज्ज्वला की खूबसूरती पर मर मिटे एन.डी. तिवारी लगातार उस से प्रणय निवेदन करते रहे और अंतत: पहली बार 1977 में दोनों के पहली बार शारीरिक संबंध बने.
एन.डी. तिवारी जानते थे कि अगर वे उज्ज्वला के दबाव में आ गए तो इतनी बदनामी होगी कि वे फिर कहीं के नहीं रहेंगे, लिहाजा उन्होंने अपनी इस प्रेमिका को भाव नहीं दिया. यह वक्त था जब एन.डी. तिवारी का कैरियर और शोहरत दोनों शवाब पर थे.
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उन के एक इशारे पर किसी का भी काफी कुछ बन और बिगड़ जाता था. उज्ज्वला को समझ आ गया था कि बेवजह के होहल्ले से कुछ हासिल नहीं होने वाला, उलटे यह जरूर हो सकता है कि वह इस दुनिया में कहीं दिखे ही नहीं.
बेमन से उन्होंने एन.डी. तिवारी का रास्ता छोड़ दिया. इस वक्त चूंकि वह गर्भवती थीं, इसलिए रोहित को पिता के रूप में मां के पहले पति का ही का नाम मिला जो वास्तव में उस के पिता थे ही नहीं. इस से एन.डी. तिवारी ने भी चैन और सुकून की सांस ली कि चलो बला सस्ते में टली.
एक ऐतिहासिक मुकदमा
उज्ज्वला समझदार और चालाक थीं. इस बात को ले कर वह हमेशा एक कुढ़न में रहीं कि एन.डी. तिवारी उन के यौवन से तो खूब खेले, लेकिन जब बात शादी की आई तो साफसाफ मुकर गए. वक्त और हालात देख कर वह अपनी गृहस्थी में रम गईं. लेकिन एन.डी. तिवारी की बेवफाई और बेरुखी को वह कभी भूली नहीं.
वक्त का पहिया घूमता रहा और रोहित बड़ा होता गया. उधर एन.डी. तिवारी भी कामयाबी की सीढि़यां चढ़ते रहे. वह भूल गए थे कि उज्ज्वला नाम की बला टली नहीं है बल्कि वक्ती तौर पर खामोश हो गई है, जो एक दिन ऐसा तूफान उन की जिंदगी में लाएगी कि वे वाकई कहीं के नहीं रहेंगे.
ऐसा हुआ भी. किशोर होते रोहित को जब उज्ज्वला ने यह सच बताया कि एन.डी. तिवारी उस के पिता हैं तो रोहित के दिमाग की नसें हिल उठीं. एन.डी. तिवारी से उस के नाना प्रोफेसर शेर सिंह के पारिवारिक संबंध थे, इस नाते वह अकसर उस के घर आयाजाया करते थे. लेकिन उन के साथ सुरक्षाकर्मियों की फौज रहती थी.
ऐसा भी नहीं है कि एन.डी. तिवारी उज्ज्वला को एकदम भूल गए थे. वे दरअसल उन से मिलने ही आते थे और रोहित को खिलाते भी थे और उसे अपने जमाने की हिट फिल्म ‘नूरी’ के गाने भी सुनाते थे.
यह जान कर कि वह एन.डी. तिवारी का बेटा है, रोहित मां की तरह अपने नाजायज पिता के रसूख और झांसे में नहीं आया. इस की एक वजह यह भी थी कि अब तक एन.डी. तिवारी की राजनीति का ग्राफ उतर चला था और वे 88 साल के भी हो चले थे. रोहित ने हिम्मत दिखाते हुए एन.डी. तिवारी पर अपने पिता होने का मुकदमा दायर कर दिया.
अदालती काररवाई के दौरान भी वह डिगा नहीं. एन.डी. तिवारी ने उस पर दबाव बनाने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन मात खा गए. बात डीएनए जांच तक आ पहुंची, जिस से यह साबित हो सके कि वाकई एन.डी. तिवारी रोहित शेखर के पिता हैं या नहीं जैसा कि वह दावा कर रहा है.
भारतीय मुकदमों के इतिहास का यह सब से दिलचस्प, अनूठा और ऐतिहासिक मुकदमा था. क्योंकि पहली बार किसी बेटे ने एक ऐसे शख्स को अदालत की चौखट पर एडि़यां रगड़ने के लिए मजबूर कर दिया था जिस की तूती बोलती थी. हर किसी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार था.
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आखिरकार 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद सब से बड़ी अदालत ने फैसला रोहित के हक में सुनाते उसे एन.डी. तिवारी का जैविक पुत्र करार दिया. रोहित की जिंदगी का यह दुर्लभ क्षण था. वह ऐसी लड़ाई जीत गया था, जो उस के नाम और वजूद से भी ताल्लुक रखती थी.
मीडिया और अदालती प्रक्रिया में बारबार उस के लिए नाजायज शब्द का इस्तेमाल हुआ था, जिस पर जीत के बाद सफेद शर्ट में चमकते हुए उस ने कहा था कि नाजायज बेटा नहीं बल्कि बाप होता है. भारत के परंपरागत और पितृ सत्तात्मक समाज पर भी उस ने दार्शनिकों सरीखी बातें कही थीं. जीत के बाद उस ने यह भी कहा था कि मां को भी इंसाफ मिला.
मुकदमे के दौरान वह इतने तनाव में रहा था कि एक बार तो उसे हार्ट अटैक भी आ गया था, जिस से वह जिंदगी भर आंशिक रूप से लंगड़ा कर चलता रहा. यह रोहित की इच्छाशक्ति और साहस ही था कि उस ने एन.डी. तिवारी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और उन के चेहरे पर से शराफत और चरित्रवान नेता होने का नकाब उतार दिया था.
एन.डी. तिवारी अब तक अंदर से भी टूट चुके थे. एक पुराना पाप हकीकत बन कर उन के सामने खड़ा था. अब उन के सामने रोहित को अपना लेने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता न था. यहां भी वे नेतागिरी दिखाने से बाज नहीं आए और रोहित को गले लगा लिया.
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महत्त्वपूर्ण राजनैतिक पदों पर रहते एन.डी. तिवारी ने करोड़ोंअरबों की जो जायदाद बनाई थी, रोहित उस का अघोषित वारिस बन बैठा. उस के दबाव के चलते ही एन.डी. तिवारी ने विधिवत वैदिक रीतिरिवाजों से 14 मई, 2014 को उज्ज्वला से शादी भी कर ली. इन दोनों की ही यह दूसरी शादी थी.