सुहागरात के बाद खुल कर नाची मौत – भाग 3

कुछ दिन बाद डौली के वापस आने की जानकारी शिववीर को हुई तो वह उसे लेने आ पहुंचा. लेकिन सुभाष ने डौली को यह कह कर उस के साथ नोएडा नहीं भेजा कि बहू के जाने से घर में रोटीपानी की परेशानी होगी. क्योंकि डौली की सास शारदा की तबियत खराब चल रही थी.

शिववीर अब 15 दिन में घर आता. 2-3 दिन रहता, उस के बाद फिर नौकरी पर नोएडा चला जाता. लेकिन जब भी आता, पापा से पैसों की डिमांड करता. न देने पर लड़ाईझगड़ा करता. मां शारदा से भी उलझ जाता. एक दिन तो हद ही हो गई. शिववीर ने पापा सुभाष पर हाथ छोड़ दिया. पति पर हाथ छोडऩा शारदा को नागवार लगा, इसलिए वह उस से भिड़ गई और कई तमाचे शिववीर के गाल पर जड़ दिए.

घर आतेजाते एक रोज शिववीर को पता चला कि पापा व दोनों भाइयों ने मिल कर सड़क किनारे एक प्लौट तथा 5 बीघा उपजाऊ भूमि खरीदी है. लेकिन प्लौट व जमीन में उस का नाम दर्ज नहीं कराया गया है. वह मन ही मन जलभुन उठा. उस के मन में घर वालों के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी.

शिववीर ने इस बाबत पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि सोनूू और भुल्लन ने अपनी कमाई से खेत खरीदे हैं. यह सुन कर शिववीर गुस्से से बोला, ”खेत, प्लौट खरीदने को तुम लोगों के पास पैसा है, लेकिन हमारा कर्ज चुकाने को तुम्हारे पास पैसा नहीं है. यह नाइंसाफी है.’’

शिववीर ने इस नाइंसाफी के बारे में बहनोई सौरभ तथा मामा विनोद से भी बात की, लेकिन उन लोगों ने भी उस की एक न सुनी. शिववीर अब मामा व बहनोई से भी नफरत करने लगा.

सुभाष का मंझला बेटा सोनू राजस्थान की खुशखेरा स्थित जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसी में वेदराम यादव भी नौकरी करता था. वेदराम यादव इटावा जिले के गंगापुरा गांव का रहने वाला था. चूंकि सोनू और वेदराम एक ही क्षेत्र के रहने वाले थे, इसलिए परिचय होने के बाद दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई थी. जब भी दोनों को फुरसत मिलती तो साथ बैठ कर घरगांव की बातें करते थे. चूंकि दोनों यादव जाति के थे, सो दिन पर दिन उन की दोस्ती बढ़ती गई.

वेदराम यादव के परिवार में पत्नी सुषमा के अलावा 4 बेटियां सोनी (18 वर्ष), अंजलि (16 वर्ष), खुशबू (14 वर्ष), खुशी (13 वर्ष) तथा एक बेटा यश (7 वर्ष) था. वेदराम स्वयं तो नौकरी करता था, लेकिन उस की पत्नी सुषमा घरखेत की जिम्मेदारी संभाले थी. पांचों बच्चों की देखरेख व पालनपोषण की जिम्मेदारी सुषमा की ही थी.

वेदराम की बेटी सोनी भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह खूबसूरत तो बचपन से ही थी, लेकिन 16 बसंत पार कर जब उस ने जवानी की डगर पर कदम रखा तो उस की खूबसूरती में और भी निखार आ गया था. असित इंटर कालेज, गंगापुरा से उस ने हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी. वह आगे पढऩा चाहती थी, लेकिन मम्मी ने उस की पढ़ाई बंद करा दी थी और घरेलू काम में लगा दिया था.

वेदराम अपनी जवान बेटी के ब्याह के लिए चिंतित रहता था. वह फैक्ट्री में जब भी सोनू से मिलता तो उसे अपनी बेटी सोनी की याद आ जाती. उसे लगता कि सोनू ही उस की बेटी के योग्य है. वह उसे सदा खुश रखेगा.

रिश्ता हो गया तो दोनों की जोड़ी खूब फबेगी. इशारेइशारे में वेदराम ने कई बार सोनू का मन टटोला तो वह हंस कर टाल गया और बोला, ”शादी विवाह मम्मीपापा की मरजी से होते हैं. पहले उन की हां फिर मेरी हां.’’

वेदराम सोनू का इशारा समझ गया. इस बार मार्च, 2023 में होली त्यौहार की छुट्टी में जब वेदराम घर आया तो वह बेटी का रिश्ता ले कर सोनू के गांव गोकुलपुरा अरसारा पहुंच गया. उस ने बिना कोई भूमिका बांधे सोनू के पापा सुभाष यादव से कहा कि वह अपनी बेटी सोनी का रिश्ता ले कर उन के पास आए हैं. उन का बेटा सोनू उन्हें पसंद है.

Soni (Mratika)

मृतका सोनी

आपस की बातचीत के बाद सोनी का रिश्ता सोनू के साथ तय हो गया. शादी की तारीख 22 जून, 2023 तय हुई. इस के बाद दोनों परिवार शादी की तैयारी में जुट गए.

भाई की शादी पर क्यों चिढ़ा शिववीर

शिववीर को सोनू का ब्याह तय होने की बात पता चली तो वह मन ही मन जल उठा. वह नोएडा से घर आया तो मम्मीपापा से झगडऩे लगा और बोला, ”तुम्हारे पास शादी रचाने को रकम है, लेकिन मेरा कर्ज चुकाने को नहीं. क्या मैं सौतेला बेटा हूं या फिर किसी की नाजायज औलाद. आखिर घर में मेरी अनदेखी क्यों की जा रही है?’’

शिववीर ने शादी की तैयारी के बहाने सुभाष से 20 हजार रुपया मांगा, लेकिन उन्होंने पैसा देने से साफ इंकार कर दिया. इस इंकार से शिववीर की नफरत चरम पर पहुंच गई. वह सोचने लगा कि उसे इस तरह तो कुछ भी हासिल न होगा. उसे सब कुछ छीनना ही पड़ेगा.

उस ने मन ही मन तय कर लिया कि वह पूरे परिवार का सफाया कर देगा. उस के बाद आराम की जिंदगी बिताएगा. जमीनजायदाद, घर, प्लौट का वही मालिक होगा.

अपने खतरनाक मंसूबों को सफल बनाने के लिए वह तैयारी में जुट गया. सब से पहले उस ने चारा काटने वाली मशीन के ब्लेड से तेज धार वाला फरसा तैयार कराया. इस के बाद उस ने एक स्थानीय अपराधी की मदद से तमंचा व कारतूस खरीदा.

फरसे व तमंचे को उस ने अपने कमरे में सुरक्षित रख दिया. यही नहीं, उस ने हर खतरे से निपटने के लिए अन्य तैयारियां भी पूरी कर लीं. मिर्च का स्प्रे व नींद की गोलियों का इंतजाम भी उस ने कर लिया.

शिववीर ने अपने खतरनाक मंसूबों की किसी को भनक तक न लगने दी. वह सामान्य तरीके से रहने लगा. सुभाष यादव व उस के दोनों बेटे शादी की तैयारियों में जुटे थे. निमंत्रण कार्ड आदि बांटे जा चुके थे. गांव में शादी की रस्में एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं. रिश्तेदारों व महिलाओं का आनाजाना भी शुरू हो गया था. सोनू की बहन प्रियंका, मौसी, मामी भी आ चुकी थीं. 20 जून को मंडप गाड़ा गया. उस के बाद से मंडप के नीचे ढोलक की थाप पर मंगल गीत गाए जाने लगे.

सुभाष यादव ने बड़े बेटे शिववीर को शादी में नहीं बुलाया था, फिर भी वह 3 दिन पहले ही नोएडा से घर आ गया. वह हर काम हंसीखुशी से करने लगा. उस ने भाइयों को तनिक भी आभास नहीं होने दिया कि उस के मन में क्या चल रहा है.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

मृतक हितेंद्र के भाई राहुल यादव से जिन संदिग्ध युवकों के एड्रैस मिले थे, उन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई. लेकिन रौकी और जेम्स अपने घरों से फरार मिले. इन के घरों से इन के फोन नंबर मालूम कर के इन्हें फोन करने की कोशिश की गई, किंतु दोनों के फोन भी स्विच्ड औफ आ रहे थे.

पुलिस टीम ने इन के फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिए. इन के उठने बैठने के ठिकानों की भी जानकारी जुटाई गई और दिल्ली एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई. आखिर में जेम्स और हरजीत सिंह उर्फ रिकी उर्फ रौकी को गिरफ्तार कर लिया गया.

इन से मिली जानकारी द्वारा इन के साथी विपिन और जेम्स को प्रेमिका प्रियंका उर्फ एनी के साथ पकड़ लिया गया. कोतवाली में इन से कड़ी पूछताछ की गई तो बहुत ही चौंकाने वाली जानकारी सामने आई.

हितेंद्र कैसे बना लड़कियों का दलाल

परमवीर सिंह उर्फ नमन उर्फ जेम्स ने बताया, ”सर, मैं ने अपनी प्रेमिका एनी और रौकी के साथ मिल कर हितेंद्र की हत्या की है. उस की हत्या कर के मुझे थोड़ा सा भी पछतावा नहीं हुआ, क्योंकि हितेंद्र था ही इस लायक कि उसे जीवित नहीं छोड़ा जा सकता था. वह मतलबपरस्त व्यक्ति था. उसे दोस्तों की कद्र नहीं थी.

”आप को शायद अभी तक यह पता नहीं होगा कि हितेंद्र का काम क्या था. उस के भाई राहुल यादव ने आप लोगों को बताया होगा हितेंद्र एक बड़ी कंपनी में औडिट का काम करता था, लेकिन यह गलत है. हितेंद्र कालगर्ल के धंधे में लिप्त रहा है. वह लड़कियों का बहुत बड़ा दलाल था. एकएक लड़की को 50-50 हजार और एकएक लाख रुपए में होटलों में सप्लाई करता था.

”देह व्यापार में अपने जिस्म की कीमत वसूलने उतरी लड़कियों को वह बड़ेबड़े होटलों में भेजता था. उन लड़कियों को होटल वाले मोटे कमीशन पर अपने यहां बुक करते थे. अपना हिस्सा ले कर हितेंद्र अगले शिकार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर के चक्कर लगाता था.

”घर में उस ने यही कह रखा था कि वह कंपनी की ओर से विभिन्न शहरों में औडिट का काम करने जाता है. उस की बीवी पूजा उसे देवता मानती थी. उसे मालूम ही नहीं है कि उस का पति हितेंद्र वास्तव में लड़कियों का दलाल है.’’

”तुम इतना कुछ किस दावे के साथ कह रहे हो?’’ इंसपेक्टर जगदीप सिंह ने हैरानी से पूछा.

”साहब, मैं खुद हितेंद्र के साथ इसी अनैतिक धंधे में लगा हुआ था. मेरे साथ रौकी, विनीत, मेरी पार्टनर, मेरी लवर एनी भी इसी धंधे में हैं. हम ही नहीं और भी कुछ लोग इस काम में हितेंद्र के साथी रहे हैं.’’

”तुम हितेंद्र के लिए क्या काम करते थे?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.

”हमारा काम शहरों में लड़कियां फंसाने का था. गरीब घरों की लड़कियां मोटा रुपया मिलने के लालच में जल्दी फंस जाती थीं, उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर शहरों में ला कर देह बेचने के लिए राजी किया जाता था. उन्हें हम हितेंद्र के हवाले कर देते थे. हितेंद्र के अनेक होटलों में अच्छे संपर्क थे. वह उन लड़कियों को कौंट्रैक्ट पर अच्छा कमीशन मिलने के नाम पर होटलों में बुक करवा देता था.’’

”हूं… हितेंद्र एक प्रकार से तुम लोगों का हैड था. यही बात है न?’’ एसआई सतेंद्र ने पूछा.

”जी हां.’’

”तो फिर तुम्हें अपने बौस की हत्या क्यों करनी पड़ी?’’

”साहब, 5 महीने पहले हितेंद्र 4 युवकों के साथ उस वक्त बेंगलुरु के ललित होटल में पकड़ा गया था, जब वह लड़की की सप्लाई दे रहा था. बेंगलुरु पुलिस ने लड़की के बयान पर उसे गिरफ्तार किया था. फिर उसे कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया था.

”हितेंद्र को जेल में 3 महीने हो गए थे. वह डर रहा था कि लंबे समय तक जेल में रहा तो घर वालों के आगे उस के धंधे का भेद खुल जाएगा. हितेंद्र ने मुझ से कहा कि मैं उस की जमानत करवाऊं. मैं ने भागदौड़ कर के किसी तरह हितेंद्र की जमानत करवा दी थी. उस समय रौकी ने भी मेरा साथ दिया था. हम ने हितेंद्र की जमानत करवाने में एक लाख रुपया खर्च कर दिया था.

”हितेंद्र जमानत के बाद जेल से बाहर आ कर फिर अपने धंधे में रम गया. वह मांगने पर भी हमारा एक लाख रुपया नहीं दे रहा था. इसी बात पर हमारी हितेंद्र से कहासुनी होती थी. एक बार हमारे बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ. मैं ने हितेंद्र की कार छीन ली और उसे पीटा भी.

”हितेंद्र की एक शादीशदा औरत से दोस्ती थी. मैं ने उस औरत के पति को मय सबूत के बता दिया कि तुम्हारी औरत के हितेंद्र से नाजायज संबंध हैं. तभी से हितेंद्र मुझ से खार खाने लगा. मैं ने सोचा कहीं हितेंद्र मेरे लिए कोई गलत कदम न उठा ले, इसलिए मैं ने उसे निपटाने का प्लान बना लिया. मैं ने हितेंद्र से माफी मांगी और उसे विश्वास दिलाया कि अब मैं उस से रुपयों की मांग नहीं करूंगा.

”प्लान बना कर मैं ने हितेंद्र को 9 जनवरी को रौकी के घर टैगोर गार्डन बुलाया. वह मंजीत के साथ आया तो हम ने मंजीत को वापस भेज दिया और हितेंद्र को कार में ड्रिंक करने के बहाने बैठा लिया. मेरे साथ रौकी, एनी और विपिन भी थे. हितेंद्र को बेवजह कार में इधरउधर तब तक घुमाता रहा, जब तक अंधेरा नहीं हो गया.

”अंधेरा होते ही मैं ने पीछे सीट पर हितेंद्र को दबोच लिया और उस की गरदन दबोच ली. उस की गरदन मैं ने तब तक दबाई, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. इस के बाद हम ने रात के अंधेरे में उस की लाश गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में फेंक दी.’’

जेम्स के द्वारा जुर्म की स्वीकृति कर लेने के बाद पुलिस ने चारों को कोर्ट में पेश कर के जेल भिजवा दिया.

हितेंद्र की लाश पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दी गई थी. वे खुश थे कि पुलिस ने हितेंद्र के हत्यारों को जेल भेज दिया है. हितेंद्र का असली चेहरा क्या है, यह उन के लिए राज ही बना रहा. पुलिस टीम अब लड़कियों की सप्लाई में लिप्त गैंग के दूसरे फरार लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही थी.

प्यार में की थीं 3 हत्याएं : 19 साल बाद खुला राज – भाग 4

एसएचओ मीणा और एसआई जयकिशन ने मौके पर जा कर जला हुआ ट्रक देखा. बालेश की कंकाल में परिवर्तित बौडी को पोस्टमार्टम हाउस में देखने के बाद वह भी इसी नतीजे पर पहुंचे कि बालेश कुमार की जल जाने की वजह से मौत हो गई है.

दोनों बुझे मन से दिल्ली लौट आए. राजेश वर्मा की हत्या का जिम्मेदार सुंदर लाल उन की गिरफ्त में था. अब उसी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए उन्हें चार्जशीट तैयार करनी थी.

पुलिस फाइल में बालेश मर चुका था और सुंदर लाल को राजेश वर्मा की हत्या का दोषी मान कर कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा भी मिल गई थी. एक प्रकार से यह हत्या का केस यहीं समाप्त हो गया था और इस केस की फाइल बंद कर दी गई थी.

लेकिन 19 साल बीत जाने के बाद यह केस अक्तूबर, 2023 में फिर से चौंका देने वाली स्थिति में खुल गया. 19 साल पहले जिस बालेश कुमार को थाना बवाना और डांडियावास पुलिस मरा हुआ मान चुकी थी, वह जिंदा था और सेंट्रल रेंज (अपराध शाखा) के एसआई महक सिंह की टीम ने उसे नजफगढ़ (दिल्ली) के एक मकान से गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल, सन 2000 में कोटा हाउस (दिल्ली) के औफिसर मेस में चोरी हुई थी. औफिसर मेस से कीमती मैडल व प्राचीन वस्तुएं रात को चोरी कर ली गई थीं. इस चोरी में बालेश कुमार, उस के पिता चंद्रभान और साला राजेश उर्फ खुशीराम पकड़े गए थे.

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पुलिस उपायुक्त अंकित कुमार

दिल्ली के थाना तिलक मार्ग में तीनों के खिलाफ एफआईआर 341/2000 पर धारा 457/380/411/34 आईपीसी के तहत केस दर्ज हुआ था. उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई थी. पुलिस ने इन के पास से चोरी का सामान बरामद कर लिया था. इसी की फाइल अपराध शाखा के स्पैशल पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव के पास आई थी.

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इंसपेक्टर देवेंद्र कुमार

उन्होंने पुलिस उपायुक्त अंकित कुमार के सुपरविजन में इंसपेक्टर देवेंद्र कुमार के नेतृत्व में एसआई महक सिंह, यशपाल सिंह, एएसआई दीपक कुमार त्यागी, सुदेश कुमार, अनिल कुमार, हैडकांस्टेबल संदीप कुमार, करण सिंह, महिला सिपाही रानी की एक टीम बनाई.

हैडकांस्टेबल संदीप कुमार

इस टीम को कोटा हाउस के औफिसर मेस में बहुमूल्य सामान की चोरी करने वालों के अपराध रिकौर्ड चेक करने थे और देखना था कि इन्होंने भारतीय पुरातत्व संस्थान के किसी अन्य जगह पर भी ऐसी चोरी तो नहीं की है.

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महिला सिपाही रानी

एसआई महक सिंह इस मामले की जांच कर रहे थे कि 17 अक्तूबर को उन के खास मुखबिर ने उन्हें फोन पर सूचना दी कि 19 साल पहले जिस कातिल बालेश कुमार की ट्रक में जल जाने से मौत हो गई थी, वह जिंदा है. वह आरजेड-167, रोशन गार्डन, नजफगढ़ (दिल्ली) में अमन सिंह पुत्र जगत सिंह के नाम से रह रहा है. उस की पत्नी और बच्चे उसी के साथ में हैं. बालेश कुमार प्रौपर्टी खरीदने बेचने का धंधा कर रहा है.

मुखबिर की इसी सूचना पर सेंट्रल रेंज (अपराध शाखा) की टीम ने उसे उस के घर से दबोच लिया था. दिलचस्प कहानी को आगे बढ़ाने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि बालेश कौन है.

बालेश कुमार पुत्र चंद्रभान मूलरूप से पट्टी कल्याण, समालखा, पानीपत (हरियाणा) का निवासी है. वह कक्षा 8वीं तक पढ़ा है. 1981 में यह नौसेना में स्टीवर्ड (मैस सहायक) के रूप में भरती हुआ और 1996 तक सेवा में रहा.

सेवानिवृत्ति के बाद बालेश कुमार अपने परिवार के साथ दिल्ली में संतोष पार्क (उत्तम नगर) में रहने लगा और प्रौपर्टी का काम करने लगा. सन 2000 में इस ने अपने पिता चंद्रभान और साले राजेश के साथ कोटा हाउस (तिलक मार्ग) में चोरी की.

तीनों पकड़े गए, चोरी का सामान इन के पास से बरामद हो गया. जमानत पर आने के बाद 2003 में बालेश ने अपने भाई महेंद्र के नाम से एक ट्रक एचआर38 एफ4832 फाइनैंस करवाया, जिसे वह खुद चलाने लगा.

खुद को मरा दिखाने के लिए कर दिए 2 और कत्ल

बालेश की पत्नी संतोष सुंदर और गृहकार्य में निपुण थी, फिर भी बालेश दूर के रिश्ते में साला लगने वाले राजेश उर्फ खुशीराम की पत्नी निशा के साथ अवैध संबंध बना कर निशा पर अपनी कमाई लुटाता रहता था. राजेश इस बात से चिढ़ता था. वह बालेश से खुन्नस रखता था. शायद मौका मिलने पर वह बालेश की हत्या कर देता, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया.

20 अप्रैल, 2004 को बालेश ने अपने भाई सुंदर लाल के साथ मिल कर राजेश की हत्या कर दी. सुंदर लाल पकड़ा गया, बालेश फरार हो गया. जब वह फरार हुआ था तो 52 साल का था. अब वह 63 साल का हो चुका है. उसे अपराध शाखा के औफिस में लाया गया. सूचना पा कर स्पैशल पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव और डीसीपी अंकित सिंह वहां पहुंच गए. उन के सामने बालेश कुमार से पूछताछ की गई.

”तुम राजेश उर्फ खुशीराम की हत्या कर के राजस्थान भाग गए थे. जिस ट्रक को तुम चला रहे थे, उस में आग लग गई थी और तुम जिंदा जल गए थे. हमें बताओ, वह क्या नाटक था?’’ एसआई महक सिंह ने सामने बैठे बालेश से प्रश्न किया.

”ट्रक ले कर मैं जब भागा था, तब मैं ने एक फुलप्रूफ योजना अपने दिमाग में बिठा ली थी. मैं ने बाईपास से 2 मजदूरों को काम देने का वायदा कर के अपने ट्रक में बिठा लिया था. वे दोनों बिहार के थे. उन के नाम मनोज और मुकेश थे.

”मैं ट्रक ले कर जोधपुर के थाना डांडियावास इलाके में पिथावास बाईपास रोड पर पहुंचा तो एक सुनसान जगह पर मैं ने ट्रक रोक दिया. बाईपास के एक शराब के ठेके से मैं ने 2 बोतल शराब खरीद ली थी. मैं ने ट्रक में मुकेश और मनोज को शराब पिलाई.

”दोनों जब ज्यादा शराब पीने से नशे में लुढ़क गए तो मैं ने मुकेश को जो मेरी कदकाठी का था, उसे अपने कपड़े पहना दिए और ट्रक की ड्राइविंग सीट पर बिठा दिया. मैं ने दिल्ली से ही पेप्सी लेबल के खाली गत्ते ट्रक में भर लिए थे. उन पर पेट्रोल डाल कर मैं ने ट्रक में आग लगा दी. मेरी आईडी और अन्य कागजात सामने के हिस्से में थे.

”ट्रक में आग लगाने के बाद दूर जा कर एक झाड़ी में दुबक कर मैं बैठ गया. काफी देर बाद वहां से गुजर रहे एक कार चालक ने पुलिस को फोन किया. जब फायर बिग्रेड और पुलिस वहां आई, तब तक ट्रक आग से काफी हद तक जल गया था. मैं अब निश्चिंत था.

”मैं ने घर पर फोन कर के अपने पिता और पत्नी को अपनी योजना बता दी. डांडियावास थाने की पुलिस द्वारा छानबीन करने के बाद मेरे पिता चंद्रभान को थाने में बुलाया गया तो मेरी पत्नी संतोष और भाई बिशन, महेंद्र सिंह, भीम सिंह भी उन के साथ डांडियावास थाने में आ गए. उन्हें ट्रक में जले 2 मानव कंकाल दिखाए गए तो एक की पहचान उन्होंने मेरे (बालेश) के रूप में कर दी.’’

”अपनी मौत का नाटक तुम ने इसलिए रचा ताकि राजेश के कत्ल के इलजाम से बच सको, क्या मैं ठीक कह रहा हूं?’’ इंसपेक्टर देवेंद्र कुमार ने पूछा.

योजना हुई फेल तो बालेश पहुंचा जेल

बालेश मुसकराया, ”बेशक यही कारण था साहब, मैं ने अपनी मौत हो जाने का नाटक कर के अपनी पत्नी को लाभ पहुंचाया था.’’

”वो कैसे?’’

”मेरी पत्नी और पिता ने डांडियावास से मेरी मौत का प्रमाणपत्र हासिल कर लिया था. मेरी पत्नी ने मेरा बीमा पालिसी की साढ़े 6 लाख रुपए की राशि, ट्रक इंश्योरेंस का 4 लाख रुपया हासिल कर लिया और मेरी पेंशन भी अपने नाम करवा ली.

”ओह!’’ सभी को इस खुलासे से हैरानी हुई. अपराध शाखा के पुलिस आयुक्त रविंद्र कुमार यादव ने बालेश को घूरा, ”तुम अपनी पत्नी के साथ मौत का नाटक करने के बाद कब से रह रहे हो?’’

”साहब, मौत का नाटक करने के बाद मैं 2-3 महीने इधर उधर रहा. पत्नी ने सारे रुपए हासिल कर लिए तो मैं ने नजफगढ़ में प्लौट ले लिया और अमन सिंह पुत्र जगत सिंह के नाम से बीवी बच्चों के साथ रहने लगा.

”मैं ने अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड, पहचान पत्र आदि अमन सिंह के नाम से बनवा लिए, ताकि सभी मुझे अमन सिंह ही समझें. मैं इत्मीनान से प्रौपर्टी का धंधा करने लगा. वक्त गुजरता गया. मैं निश्चिंत था कि अब पकड़ा नहीं जाऊंगा.’’

”हम ने पकड़ लिया.’’ इंसपेक्टर देवेंद्र कुमार मुसकरा कर बोले, ”अब तुम जिंदगी भर जेल में सड़ोगे.’’

बालेश कुमार ने सिर झुका लिया.

उस के खिलाफ एफआईआर 232/2023 दर्ज करके आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 474 और 120बी लगा कर उसे कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया.

अपराध शाखा (सेंट्रल रेंज) ने यह केस बवाना थाने के वर्तमान एसएचओ राकेश कुमार को सौंप दिया. उन्होंने बालेश कुमार की पत्नी संतोष को पकडऩे के लिए नजफगढ़ वाले घर पर रेड डाली, लेकिन संतोष पति के पकड़े जाते ही भूमिगत हो गई थी.

डांडियावास थाना (जोधपुर) ने यह मामला सीआरपीसी की धारा 174 के तहत 2004 में दर्ज किया था, कोई आपराधिक केस नहीं बनाया था. उसे यह सूचित कर दिया गया कि ट्रक में मरने वाला बालेश कुमार नहीं, उस का मजदूर मुकेश था. दूसरी लाश मनोज की थी. बालेश ने 2 हत्याएं उन के थानाक्षेत्र में की थीं, उस पर काररवाई की जाए.

बालेश कुमार जेल में था. पुलिस उस की पत्नी संतोष की तलाश कर रही थी, जो कथा लिखने तक फरार थी.

नोट: कथा में निशा नाम परिवर्तित है.

सुहागरात के बाद खुल कर नाची मौत – भाग 2

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किशनी थाना अंतर्गत एक गांव है-गोकुलपुरा अरसारा. यादव बाहुल्य इसी गांव में सुभाषचंद्र यादव सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शारदा देवी के अलावा 3 बेटे शिववीर, सोनू, अभिषेक उर्फ भुल्लन तथा एक बेटी प्रियंका थी. सड़क किनारे उन का पक्का मकान था. वह किसान थे. खेती से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

सुभाषचंद्र यादव खुद तो पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन बेटों को पढ़ालिखा कर योग्य बनाना चाहते थे. इसलिए वह उन की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते थे. अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह बेटों की पढ़ाई पर खर्च करते थे. 2 बेटे सोनू व भुल्लन तो पढऩे में तेज थे, लेकिन बड़ा बेटा शिववीर पढऩे में कमजोर था. इंटरमीडिएट की परीक्षा जैसेतैसे पास कर उस ने पढऩा बंद कर दिया और पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने लगा.

Shiv veer (Hatyara)

हत्यारा शिववीर

लेकिन शिववीर का मन खेती किसानी में भी नहीं लगा. इस के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गया. काफी प्रयास के बाद उसे मैनपुरी में स्थित एक फर्म में सेल्समैन की नौकरी मिल गई. चूंकि कृषि यंत्र बेचने में उसे कमीशन भी मिलता था, इसलिए उस की अच्छी कमाई होने लगी. अब वह ठाठबाट से रहने लगा.

शिववीर कमाने लगा तो सुभाषचंद्र उस के ब्याह की सोचने लगे. वह ऐसी लड़की चाहते थे, जो उन का घर संभाल सके, भले ही वह ज्यादा पढ़ीलिखी न हो. उन्हीं दिनों करहल (मैनपुरी) निवासी हरीसिंह यादव अपनी बेटी डौली का रिश्ता ले कर सुभाष के पास आए.

सुभाष यादव तो शिववीर के रिश्ते के लिए लालायित ही थे, सो उन्होंने रिश्ता मंजूर कर लिया. फिर दोनों तरफ से बात तय होने के बाद 8 फरवरी, 2019 को हरीसिंह ने डौली का विवाह शिववीर के साथ कर दिया.

डौली शिववीर की दुलहन बन कर ससुराल आई तो उस के जीवन में बहार आ गई. डौली सुंदर तो थी ही, साथ ही सुशील व सदाचारी भी थी. उस ने ससुराल आते ही घर संभाल लिया था. वह पति की सेवा तो करती ही थी, सासससुर की सेवा में भी कोई कसर न छोड़ती थी.

शादी के एक साल बाद डौली ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने पीहू रखा. पीहू के जन्म से घर की खुशियां और बढ़ गई. शिववीर डौली से बहुत प्यार करता था. वह उस के प्यार में ऐसा खोया कि कामधंधा ही भूल गया. लापरवाही बरतने व काम पर न जाने के कारण उस की नौकरी भी छूट गई.

शिववीर बेरोजगार हुआ तो वह आवारा घूमने लगा. उस की संगत कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों से हो गई, जिन के साथ वह नशापत्ती करने लगा. डौली मना करती तो वह उसे झिड़क देता. कभीकभी उस पर हाथ भी उठा देता था.

बेटे को गलत रास्ते पर जाते देख कर सुभाष की चिंता बढ़ गई. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह शिववीर को कैसे सुधारें. काफी विचारविमर्श के बाद उन्होंने किशनी कस्बे में शिववीर को फ्लैक्स की दुकान खुलवा दी.

बैनर, पोस्टर बनाने के इस धंधे में शिववीर को शुरू में तो आमदनी हुई, लेकिन उधारी के कारण बाद में नुकसान होने लगा. यहां तक कि दुकान का किराया तथा कारीगरों की मजदूरी भी निकालनी मुश्किल हो गई. धंधे में नुकसान हुआ तो उस ने दुकान बंद कर दी. इस धंधे में वह कमाने के बजाय कर्जदार हो गया.

घर वालों ने शिववीर की क्यों नहीं की मदद

सुभाषचंद्र की बेटी प्रियंका अब तक जवान हो गई थी. वह उस के हाथ जल्द ही पीले कर देना चाहते थे. प्रियंका खूबसूरत तो थी, लेकिन ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी.

आठवीं कक्षा पास करते ही मां शारदा ने उस की पढ़ाई बंद करा दी थी और अपने साथ घरेलू काम में लगा लिया था. उन का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए योग्य लड़का खोजना मुश्किल होता है. जबकि सुभाष यादव पत्नी की बात से सहमत नहीं थे.

सुभाष यादव ने प्रियंका के लिए योग्य वर की खोज शुरू की तो उन्हें एक लड़का सौरभ पसंद आ गया. सौरभ के पिता रामकिशन यादव मैनपुरी जिले के गांव चांद हविलिया के रहने वाले थे. 24 वर्षीय सौरभ दूध का व्यवसाय करता था और पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाता था.

सुभाष को सौरभ पसंद आया तो उन्होंने 6 जून, 2021 को प्रियंका का विवाह सौरभ के साथ कर दिया. प्रियंका को ससुराल में किसी चीज की कमी न थी, सो वह सुखपूर्वक ससुराल में पति के साथ जीवन बिताने लगी.

सुभाष जहां अपने बड़े बेटे शिववीर से दुखी था तो वहीं अन्य 2 बेटों से संतुष्ट भी था. मंझला बेटा सोनू पढ़लिख कर अकाउंटेंट की नौकरी पा गया था. वह राजस्थान की खुशखेरा स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था. उसे अच्छी सैलरी मिलती थी.

सब से छोटे अभिषेक उर्फ भुल्लन को नौकरी तो नहीं मिली थी, लेकिन उस ने किशनी तहसील के पास फोटोकापी की दुकान खोल ली थी. दुकान से उसे अच्छी आमदनी होने लगी थी. अभिषेक व सोनू पिता की मरजी से हर काम करते थे, इसलिए वे दोनों उन की आंखों के तारे बन गए थे.

इधर शिववीर ने फ्लैक्स के काम में पैसा गंवाने के बाद कर्ज ले कर गल्ले का धंधा किया, लेकिन इस में भी वह मात खा गया. अब वह पहले से ज्यादा कर्जदार हो गया. उस ने पिता व भाइयों से कर्ज उतारने के लिए पैसा मांगा, लेकिन उन्होंने पैसा नहीं दिया. कर्जदार होने से घर वाले उस की उपेक्षा करने लगे.

कर्जदारों से परेशान शिववीर घर छोड़ कर पुणे चला गया. वहां वह किसी फैक्ट्री में काम करने लगा. एक साल तक शिववीर घर से गायब रहा. उस के बाद फिर घर वापस आ गया. वापस आते ही कर्ज वाले उस के घर के चक्कर लगाने लगे. शिववीर ने फिर घर वालों से पैसे मांगे, लेकिन सभी ने उसे दुत्कार दिया. एक पैसा भी नहीं दिया.

पत्नी भी क्यों हुई शिववीर के खिलाफ

शिववीर ने तब लड़झगड़ कर डौली के जेवर छीन लिए और बेच दिए. एकदो लोगों का उस ने मामूली कर्ज अदा किया. फिर घर छोड़ कर खोड़ा (नोएडा) आ गया. यहां वह किसी प्रिंटिंग प्रेस में काम करने लगा.

कुछ दिनों बाद वह अपनी पत्नी डौली को भी ले आया. डौली एकदो माह तो उस के साथ खुश रही, फिर दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़ा जेवर बेचने को ले कर होता था.

एक रोज तो झगड़े ने बड़ा रूप ले लिया. शिववीर ने पहले तो पत्नी को पीटा, फिर दीवार में उस का सिर पटक दिया, जिस से डौली का सिर फट गया. गुस्से में डौली ने अपनी मासूम बच्ची को साथ लिया और आनंद विहार बसअड्डे आ गई.

यहां से बस पर सवार हो कर करहल आ गई, फिर वहां से अपने मायके आ गई. मम्मीपापा को उस ने पति की करतूत बताई तो उन्होंने बेटी को गले लगा लिया और बेटी को शिववीर के साथ न भेजने का फैसला लिया.

कुछ दिनों बाद शिववीर डौली को लेने ससुराल आया तो डौली के मम्मीपापा का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने शिववीर को खूब खरीखोटी सुनाई और बेटी को साथ भेजने से साफ मना कर दिया. शिववीर ने डौली को लाख मनाने की कोशिश की. माफी भी मांगी, लेकिन डौली नरम नहीं हुई. उस ने भी पति के साथ जाने को साफ मना कर दिया. अपमानित हो कर शिववीर घर आ गया. उस ने सारी बात अपने मम्मीपापा को बताई, फिर वह नोएडा चला गया.

इधर जब डौली कई माह तक ससुराल वापस नहीं आई तो डौली को ले कर गांव में कानाफूसी होने लगी. इज्जत बचाने के लिए सुभाष बहू के मायके गए और उसे किसी तरह मना कर विदा करा लाए. डौली के मम्मीपापा ने कई शर्तों के साथ डौली को उस समय ससुराल भेजा था.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

राहुल यादव ने छावला पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर लगे पैंफ्लेट को देख कर मृतक की पहचान अपने बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु के रूप में की. उसे थाने से बताया गया कि यह फोटो थाना कोतवाली लालकिला एरिया के हैडकांस्टेबल प्रशांत द्वारा लगाया गया है. इसलिए उन्हें कोतवाली से संपर्क करना चाहिए.

वह लोग थाना कोतवाली (लालकिला) पहुंच गए. वहां उन की मुलाकात एसआई सतेंद्र सिंह से हुई. राहुल यादव ने जेब से एक फोटो निकाल कर एसआई सतेंद्र सिंह की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”सर, यह मेरे बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु की फोटो है. यह इस सप्ताह घर नहीं आए तो मेरी भाभी पूजा रानी ने मुझ से उन का पता लगाने के लिए कहा. चूंकि भाई हितेंद्र का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है, इसलिए मैं घबरा गया.

”हम भाई का फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने थाना छावला गए थे. वहां नोटिस बोर्ड पर अपने भाई का फोटो लगा देख कर मालूम किया तो बताया गया उन की लाश मिली है. पहचान नहीं हो पा रही थी, इसलिए पुलिस ने यह पैंफ्लेट चस्पा किया है. हमें यहां संपर्क करने को कहा गया, तब हम यहां आ गए हैं.’’

”आप मृतक के छोटे भाई हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.

”जी हां, मेरा नाम राहुल है. साथ में मेरी भाभी पूजा है. मेरे पिता का नाम नरेंद्र सिंह है. मेरे पिता सीआरपीएफ में हैं. मैं मानेसर (हरियाणा) में एक फर्म में प्राइवेट जौब करता हूं. हमारा घर दौलतपुर, दिल्ली में है.’’

”आप पूरे विश्वास से कह रहे हैं कि नोटिस बोर्ड पर आप ने जो फोटो देखी है, वह आप के बड़े भाई की है.’’

”जी हां, मैं ने अपने बड़े भाई की फोटो आप को दी है. आप देख लीजिए.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने फोटो देखी. वह मृतक के साथ हूबहू मिल रही थी.

”आप चल कर पहले मृतक की लाश देख लीजिए, फिर हम बैठ कर बात करेंगे.’’

”ठीक है साहब.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल के साथ सब्जी मंडी मोर्चरी भेज दिया.

सब्जी मंडी मोर्चरी में उस अज्ञात युवक की लाश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. युवक की लाश जब राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को दिखाई गई तो लाश की पहचान उन्होंने अपने बड़े भाई और पति हितेंद्र के रूप में की.

लाश को देख कर दोनों रोने लगे. किसी तरह उन्हें शांत करवा कर हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल वापस कोतवाली ले आए. एसआई सतेंद्र सिंह उन्हीं का इतंजार कर रहे थे. एसआई सतेंद्र सिंह ने दोनों को सामने बैठा कर पूछताछ शुरू की.

”पूजा, तुम्हारे पति हितेंद्र की लाश हमें रिंग रोड पर गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में मिली थी. तुम्हारे पति की हत्या हुई है, यह मेरा मानना है. हत्या कैसे हुई, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मालूम होगा. पहले यह बताओ वह क्या काम करते थे?’’

”साहब, वह किसी कंपनी में औडिट का काम करते थे. उस कंपनी ने उन्हें नोएडा से उत्तराखंड तक का एरिया औडिट के लिए दिया हुआ था, इसलिए वह अधिकतर समय घर से बाहर ही रहते थे. एक सप्ताह में एक बार ही वह घर आते थे.

”सर, पिछले 10 दिनों से वह घर नहीं आए थे. मुझे उन की चिंता सता रही थी. 8 दिन गुजर जाने पर वह घर नहीं आए थे, न उन का फोन लग रहा था. तब तब मैं ने राहुल को अपनी चिंता से अवगत करवाया.

”2 दिन तक यह उन के विषय में मालूम करता रहा, फिर मुझे ले कर छावला पुलिस स्टेशन आ गया. यहां से मालूम हुआ कि मेरे पति की किसी ने हत्या कर दी है.’’ पूजा कहने लगी, ”सर, मेरे पति की हत्या किस ने की, आप यह पता लगा कर उसे फांसी पर चढ़ाइए, तभी मेरे मन को तसल्ली मिलेगी.’’

”मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के पति के कातिल को कड़ी से कड़ी सजा मिले. आप मुझे बताइए, आप के पति हितेंद्र की किसी से कोई दुश्मनी थी, जो उस की मौत का कारण बनी.’’

”वह तो बहुत सीधेसादे थे, सर. उन का भला कौन दुश्मन होगा.’’ पूजा ने बताया.

”भाई साहब सचमुच बहुत सीधे इंसान थे. अपने आप में व्यस्त रहने वाले, लेकिन मुझे जेम्स और रौकी पर संदेह जा रहा है.’’ राहुल गंभीर हो कर बोला.

”यह जेम्स और रौकी कौन हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

”भाई के गहरे दोस्त रहे हैं ये. आजकल इन का भाई के साथ पैसों के लेनदेन पर क्लेश चल रहा था.’’

”क्या तुम्हारे भाई ने इन लोगों से कर्ज लिया था?’’

”यह तो नहीं मालूम साहब, लेकिन इतना मालूम हुआ है कि जेम्स और रौकी भाई से एक लाख रुपए मांग रहे थे. उन्होंने भाई की कार भी इसी चक्कर में छीन रखी थी.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने सिर हिलाया, ”इन दोनों को चैक करना पड़ेगा. क्या तुम इन के पते ठिकाने जानते हो?’’

”हां साहब, इन 2 दिनों में मैं ने यही मालूम किया है. मुझे परमवीर उर्फ नमन उर्फ जेम्स के घर का पता मालूम है, वह खरबंदा प्रौपर्टीज के पास संत कबीर के सामने वाली गली, चंदर विहार, दिल्ली में रहता है.’’

”…और रौकी?’’

”इस का असली नाम हरजीत सिंह है. लोगों में रौकी नाम से मशहूर है. पिता का नाम सतविंदर सिंह है. यह सी-27, थर्ड फ्लोर, टैगोर गार्डन एक्सटेंशन, दिल्ली में रहता है.

”साहब, मेरे भाई हितेंद्र का एक गहरा दोस्त है मंजीत. मैं ने जब भाभी पूजा से सुना कि इस हफ्ते भाई घर नहीं आए हैं और उन का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है तो मैं मंजीत से मिला. उस ने मुझे बताया कि 9 जनवरी, 2024 को भाई उस के साथ था. वे दोनों टैगोर गार्डन गए थे. वहां से भाई रौकी और जेम्स के साथ उन की गाड़ी में बैठ कर कहीं चला गया था. मंजीत अकेला घर लौट आया था.’’

”यह बहुत महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है तुम ने.’’ एसआई सतेंद्र सिंह खुश हो कर बोले, ”मैं अब रौकी और जेम्स की गरदन नापता हूं. तुम अपनी भाभी को ले कर घर जाओ. जैसे ही पोस्टमार्टम हो जाएगा, तुम्हारे भाई की लाश तुम्हें अंतिम क्रिया के लिए मिल जाएगी.’’ एसआई सतेंद्र सिंह कुरसी छोड़ते हुए बोले. राहुल यादव अपनी भाभी को ले कर बाहर निकल गया.

ACP Vijay kumar                           HC PRASHANT BHIDURI

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह                             एसआई  प्रशांत    

हितेंद्र उर्फ हितु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया, जिस से हत्या की संभावना बनती थी. एसआई सतेंद्र सिंह ने इस हत्या के मामले को आईपीसी की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया. उन्होंने उच्चाधिकारियों को अपनी तरफ से की गई अब तक की जांच का पूरा विवरण दे दिया.

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह और औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एडिशनल डीसीपी (नौर्थ) श्वेता के. सुगाथन के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया.

इस टीम में जतन सिंह एसएचओ (कोतवाली), इंसपेक्टर नीरज कुमार, जगदीप सिंह, राज मलिक (औपरेशन सेल), एसआई रोहित सारस्वत, सतेंद्र सिंह कोतवाली, देवेंद्र,  विनीत, योगेश कुमार, सुरेश कुमार, प्रीति, हैडकांस्टेबल अनिल, ओमपाल, सौरव, प्रशांत, कांस्टेबल रितु और राहुल को शामिल किया गया.

प्यार में की थीं 3 हत्याएं : 19 साल बाद खुला राज – भाग 3

मनदीप ने सुंदर लाल को कालर से पकड़ा तो वह घबरा कर बोला, ”मुझे टार्चर रूम में मत ले जाइए, मैं सब कुछ बताता हूं.’’

”बताओ, कल रात को राजेश उर्फ खुशीराम तुम्हारे साथ था या नहीं?’’ एसआई जयकिशन ने पूछा.

”था साहब, मैं ने और राजेश ने कल सुरेंद्र शर्मा के यहां जनकपुरी में शराब की पार्टी की थी. फिर हम तीनों मेरी मारुति वैन में बैठ कर पीरागढ़ी की ओर आ गए थे. यहां एक ठेके से मैं ने शराब की बोतल और जनरल स्टोर से नमकीन खरीदी. राजेश नशे में होने के बावजूद अभी और पीने के मूड में था, इसलिए घर नहीं जाना चाहता था.

”मेरा कई बार उस से झगड़ा हुआ था, आज उस से हिसाब किताब करने का सही मौका मिल गया था. मैं ने अपने भाई बालेश कुमार को फोन कर के कहा कि पीरागढ़ी आ जाओ, राजेश मेरे साथ है, उसे निपटा देते हैं. बालेश ने हामी भर दी. यह बात सुरेंद्र शर्मा ने सुनी तो वह बहाना बना कर वैन से उतर गया और अपने घर चला गया.’’

सुंदरलाल ने रुक कर सांसें दुरुस्त कीं फिर आगे बताने लगा, ”मेरा बड़ा भाई बालेश पीरागढ़ी आ गया तो मैं वैन को चला कर शाहबाद डेरी की ओर ले आया. रास्ते में फलवालों की रेहड़ी के पास से नायलोन की रस्सी मैं ने मांग ली थी. शाहबाद डेरी में खड़े ट्रकों की आड़ में मैं ने वैन रोक दी और 3 पैग बनाए. मैं ने राजेश के गिलास में ज्यादा शराब डाली ताकि वह नशे में और बेसुध हो जाए.

”2 पैग पीते ही राजेश पर गहरा नशा चढ़ा तो वह बालेश को अपनी बीवी निशा के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगा कर गालियां देने लगा. बालेश से यह सहन नहीं हुआ तो उस ने राजेश के चेहरे पर 3-4 घूंसे जड़ दिए. इस से राजेश अद्र्धबेहोशी में चला गया.

”मैं ने बालेश को राजेश के पैर पकडऩे का इशारा किया तो उस ने राजेश के पैर दबोच लिए. मैं ने नायलोन की रस्सी राजेश वर्मा के गले में डाल कर पूरी ताकत से कस दी, राजेश का शरीर फडफ़ड़ाया फिर शांत हो गया. बालेश और मैं उस की लाश को ले कर प्रह्लादपुर आए और सर्वोदय बाल विद्यालय के सामने उसे फेंक कर अपने घर चले गए.’’

”तुम्हारा बड़ा भाई बालेश इस समय कहां पर है?’’

”वह अपने घर में होगा साहब, उस का पता आरजेड-121, संतोष पार्क, उत्तम नगर है.’’

एसआई जयकिशन ने सुंदर लाल को हवालात में बंद कर दिया और 4-5 पुलिस वालों को साथ ले कर बालेश की गिरफ्तारी के लिए उत्तम नगर के लिए रवाना हो गए.

ट्रक में लगी आग से भस्म हो गया आरोपी?

एसआई जयकिशन पुलिस टीम के साथ संतोष पार्क, उत्तम नगर बालेश के घर पहुंचे तो मालूम हुआ वह घर पर नहीं है. उस की पत्नी संतोष से उस के उठने बैठने के ठिकाने मालूम कर के वहां पर दबिश डाली गई, लेकिन बालेश नहीं मिला.

परेशान हो कर एसआई जयकिशन टीम के साथ थाने में लौट आए. उन्होंने यह रिपोर्ट एसएचओ राम अवतार मीणा को दी तो उन्होंने बालेश की टोह पाने के लिए अपने खास मुखबिर लगा दिए.

एक हफ्ता निकल गया लेकिन बालेश कुमार का सुराग नहीं मिला. इस बीच राजेश की लाश का पोस्टमार्टम करवा कर लाश उस के घर वालों के हवाले कर दी गई और सुंदर लाल को न्यायालय में पेश कर के 2 दिन की रिमांड पर ले लिया गया.

राजेश की हत्या के लिए प्रयोग की गई नायलोन की रस्सी, शराब की खाली बोतल, गिलास आदि उस जगह से एकत्र कर लिए गए, जहां सुंदर और बालेश ने राजेश की हत्या की थी.

राजेश की हत्या का यह केस एफआईआर 146/2004 दफा 302/201 आईपीसी की धारा में दर्ज कर लिया गया. इस केस की मजबूती के लिए बी-2, बी/98 जनकपुरी से सुरेंद्र शर्मा को थाने बुलवा कर उस का बयान लिया गया.

उस ने अपने बयान में बताया कि पीरागढ़ी में सुंदर लाल ने भाई बालेश को फोन पर यह कहा था कि राजेश नशे में है, आ जाओ, आज उसे निपटा देते हैं. मैं सुंदर लाल का खतरनाक इरादा भांप कर वैन से उतर गया था. मुझे पक्का विश्वास है कि राजेश उर्फ खुशीराम की हत्या सुंदर लाल और बालेश कुमार ने ही की है.’’

2 दिन बाद रिमांड की अवधि समाप्त होने पर सुंदर लाल को फिर से न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

मर चुका बालेश 19 साल बाद कैसे हुआ जिंदा

बालेश कुमार की टोह में मुखबिर लगे हुए थे. उन्हें केवल इतना पता चला कि बालेश बाईपास पर खड़े अपने ट्रक नंबर एचआर 38एफ 4832 में सवार हो कर राजस्थान भाग गया है. थाना बवाना पुलिस को पहली मई, 2004 को शाम 5 बजे डांडियावास थाना, जोधपुर (राजस्थान) से बालेश के पिता चंद्रभान ने फोन कर के एक बुरी खबर दी.

चंद्रभान ने एसएचओ राम अवतार मीणा को बताया कि उन का बेटा बालेश दिल्ली पुलिस से बचने के लिए अपने ट्रक से राजस्थान भागा था, मगर पीथावास बाईपास, थाना डांडियावास (जोधपुर) पर उस के ट्रक में आग लग गई और अपने क्लीनर के साथ बालेश जिंदा जल कर मर गया है.

एसएचओ रामअवतार मीणा ने उच्चाधिकारियों को सारी बात बता कर राय मांगी तो उन से कहा गया, ”हत्या का केस है और बालेश वांछित आरोपी है. जा कर खुद इस बात कि जांच करें कि चंद्रभान की बात में कितनी सच्चाई है. अपने बेटे को बचाने के लिए चंद्रभान झूठ भी बोल सकता है.’’

एसएचओ मीणा, एसआई जयकिशन के साथ जोधपुर के थाना ट्रेन से डांडियावास रवाना हुए. दूसरे दिन वह डांडियावास थाने में थे. थाने में बालेश का पिता चंद्रभान, बालेश की पत्नी संतोष और बालेश के 2 भाई महेंद्र कुमार, भीमसिंह मौजूद थे. चारों के चेहरे मुरझाए हुए थे.

डांडियावास थाने के थानेदार ने इस बात की पुष्टि कर दी कि बालेश का ट्रक पीथावास बाईपास रोड पर जल गया है. ड्राइविंग सीट पर बालेश की बुरी तरह जल चुकी बौडी और उस के अधजले पहचान के कागज मिले हैं.

उस के पिता चंद्रभान और पत्नी संतोष का कहना था कि वह जली हुई डैडबौडी बालेश की है. मैं ने पूरी कागजी काररवाई कर के अपनी संतुष्टि कर ली है. आप जैसा उचित समझें, काररवाई करें.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 3

नरोत्तम ढिल्लों को कैसे फंसाया जाल में

इस काम के लिए उस ने नवीन नगर, ऐशबाग, भोपाल निवासी अपनी गर्लफ्रेंड नीतू शंकर राहुजा से नरोत्तम सिंह ढिल्लों की पहचान कराई. उस ने अपनी गर्लफ्रेंड नीतू राहुजा को बताया था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों बहुत ही पैसे वाला आदमी है, तुम उन के साथ कुछ वक्त बिता लेना. इस से खुश हो कर ढिल्लों तुम्हें करोड़ों कपए दे देंगे, लेकिन इस के विपरीत उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को बताया था कि नीतू उन से विशेष रूप से प्रभावित है और वह अपनी इच्छा से उन से मिलने आ रही है.

शनिवार 3 फरवरी, 2024 की रात 2 बजे तक सभी पार्टी करते रहे. इसी बीच नरोत्तम सिंह ढिल्लों जितेंद्र साहू के इशारे पर नीतू के करीब आने लगे, तभी नीतू राहुजा ने ढिल्लों के गलत मंसूबे समझ कर उन की हरकतों का विरोध करना शुरू कर दिया.

नीतू ने जोर से धक्का दे कर नरोत्तम सिंह ढिल्लों को जमीन पर गिरा दिया. विवाद बढऩे पर जितेंद्र ने नीतू और अपने साथी की मदद से ढिल्लों का गला घोंट कर हत्या कर दी और उस के बाद करीब 45 लाख रुपए की नकदी व जेवर ले कर खिड़की के रास्ते वहां से फरार हो गए.

जितेंद्र साहू और नीतू राहुजा भोपाल के रहने वाले थे. जितेंद्र साहू स्टौक मार्केट में ट्रेडिंग का काम करता था, जबकि नीतू राहुजा एक इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम में काम करती थी. नीतू राहुजा ने गोवा पुलिस को बताया कि जितेंद्र उस के ही मकान में अपनी मां के साथ रहता था. जबकि नीतू अपने मातापिता और भाई के साथ रहती थी. कुछ समय बाद एक ही मकान में रहने की वजह से उन में नजदीकियां बढऩे लगीं और फिर वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई थे नरोत्तम सिंह

पूछताछ के दौरान नीतू ने पुलिस को बताया कि 3-4 फरवरी की रात को ढिल्लों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस के कारण उन दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था. उस के बाद उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर ढिल्लों की हत्या कर दी और वहां से नकदी व जेवर ले कर फरार हो गए थे. 4 फरवरी, 2024 की सुबह ढिल्लों के विला की मैनेजर सीमा सिंह ने उन्हें मृत देख कर गोवा पुलिस को सूचना दी थी.

मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास एक समय में अमेरिका में फेरारी की डीलरशिप थी. वह वर्तमान में भारत में आतिथ्य, रियल एस्टेट, लग्जरी विला और कारों को किराए पर देने के व्यवसाय में थे. गोवा में उन से मिलने आए उन के रिश्तेदारों के अनुसार निम्स ढिल्लों विलासितापूर्ण जीवन जीने के शौकीन थे और अपनी संपत्तियों पर मेहमानों की मेजबानी करना पसंद करते थे.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर 1990 के दशक में लग्जरी फेरारी कारों की बिक्री और खरीद पर कर चोरी कर के अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे उन्होंने एक बार झूठा मामला करार दिया था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों को 2003 में पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने शिमला के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था.

वह अमेरिका में बादल परिवार का कारोबार देखते थे और उन के ऊपर हवाला के जरिए उन की संपत्ति विदेश ले जाने का आरोप था. बाद में उन्हें अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.

पंजाब की लांबी पुलिस ने उस समय कथित तौर पर नकली मुद्रा का उपयोग करने, नशीले पदार्थों का कारोबार करने, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उन के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन से कोई भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.

मेजर भूपिंदर सिंह ढिल्लों जोकि पूर्व में प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और बादल परिवार के सब से पुराने सदस्यों में से एक हैं, ने कहा, ”नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास कई संपत्तियां हैं. उन की नृशंस हत्या से पूरा परिवार सदमे में है.’’

इसी बीच मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के चचेरे भाई पवनप्रीत सिंह बादल उर्फ बौबी ने कहा, ”निम्स के पास एक समय अमेरिका में फेरारी कार शोरूम था. इस से पहले वह कनाडा में बस गए थे. पिछले कुछ सालों से वह ज्यादातर समय गोवा में ही रह रहे थे. उन की पत्नी और बेटा दिल्ली में रहते हैं. उन की बेटी की शादी विदेश में हुई है. उन का बेटा कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने और निम्स का पार्थिव शव लेने गोवा गया था.’’

पवनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा, ”हमें इस की जानकारी नहीं है कि उन की किसी से भी दुश्मनी थी या नहीं. उन का मुख्य व्यवसाय गोवा, दिल्ली और शिमला में था. इस के अलावा उन के पास पंजाब के बादल गांव में कृषि भूमि और एक घर भी है.

”पुलिस ने महाराष्ट्र में एक युवा जोड़े को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर उन की हत्या की रात गोवा में उन के विला में रुके थे और उन की किराए की कार में भागने की कोशिश की थी. कार के जीपीएस से पुलिस को उन्हें पकडऩे में मदद मिली. ऐसा लग रहा था जैसे निम्स का गला घोंट दिया गया हो.’’

तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर गोवा पुलिस ने यह मामला आईपीसी की धारा 302 और 392 के तहत दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू और 22 वर्षीया नीतू राहुजा को गोवा कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड में ले कर उन से विस्तृत पूछताछ कर रही थी.

मर्डर केस का एक अन्य आरोपी कुणाल, जोकि उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है, कथा लिखे जाने तक वह फरार था, जिसे गोवा पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

आज के दौर में आए दिन सोशल मीडिया की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते हैं.

कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चकाचौंध और दिखावटी, चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादीशुदा महिला या पुरुष अपनी बरसों पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किए बगैर दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है. यह सब आखिर क्यों होता जा रहा है?

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

स्विस महिला की हत्या का रहस्य

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह वायरलेस से पश्चिमी दिल्ली के थाना तिलक नगर को सूचित  किया गया कि एमसीडी स्कूल के पास एक काली पौलीथिन में किसी महिला का शव पड़ा है. सूचना थाने के एसएचओ संजीव कुमार को दी गई. वह एसआई विकास फुगेडिय़ा, एएसआई प्यारे लाल, दीपक, हैडकांस्टेबल मोहित को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

सुबह के पौने 9 बजे का वक्त हो गया था. धूप खिल गई थी. सुबह का वक्त होने के कारण अभी सड़कों पर ट्रैफिक का ज्यादा जोर नहीं था. इसलिए पुलिस टीम जल्दी ही घटनास्थल पर पहुंच गई.

घटनास्थल के पास काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. एमसीडी स्कूल के पास लाश पड़ी है, यह सूचना आग की तरह आसपास के इलाकों में भी फैल गई थी. वहां के निवासी यह जानने की जिज्ञासा लिए घटनास्थल की तरफ जा रहे थे कि मरने वाली कौन महिला है. पुलिस वैन वहां पहुंची तो भीड़ काई की तरह छंटती चली गई. तमाशबीन लोग वहां से गए नहीं, केवल लाश से कुछ दूरी बना कर खड़े हो गए.

एसएचओ संजीव कुमार, एसआई विकास और एएसआई प्यारे लाल उस काली पौलीथिन के पास आ गए.

पुलिस ने लाश से पौलीथिन पूरी तरह हटा दी तो उस में एक गोरी चमड़ी वाली विदेशी युवती की लाश निकली. उस की उम्र 30 साल की लग रही थी. सब से चौंकाने वाली बात यह थी कि युवती के हाथपैरों में लोहे की जंजीर बंधी थी. जंजीर में ताला भी लगा था.

युवती को इस प्रकार जंजीरों से बांध कर ताला क्यों लगाया गया है, वहां मौजूद पुलिस टीम की समझ में नहीं आया. युवती के जिस्म पर चोट के निशान देख कर यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने से पहले इसे प्रताडि़त किया गया होगा.

एसएचओ संजीव कुमार ने लाश के बारे में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को सूचित कर दिया, क्योंकि वह युवती विदेशी मूल की थी.

SK SINGH INSP

इंस्पेक्टर एस के सिंह

युवती की लाश तिलक नगर क्षेत्र में एमसीडी स्कूल के पास मिलने की जानकारी दे दी. इस के बाद उन्होंने फोरैंसिक टीम को वहां बुलवा लिया. यह टीम अपने काम में लग गई. थोड़ी देर में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार मौके पर आ गए. दोनों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. वहां पर हत्यारे ने ऐसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था.

एसीपी सुरेंद्र कुमार

डीसीपी विचित्र वीर के कहने पर एसएचओ संजीव कुमार ने एक घंटे के अंदर स्पैशल टीम और दीनदयाल उपाध्याय हौस्पिटल से 2 डाक्टरों को वहां बुला लिया.

डाक्टरों ने युवती की लाश की जांच कर के बताया कि काफी टौर्चर करने के बाद युवती को गला घोंट कर मारा गया है. इस की मौत 3 दिन पहले हुई है, लाश सडऩे लगी है.

इंस्पेक्टर हरी सिंह

डीसीपी ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे चैक करने के निर्देश दिए. स्पैशल टीम और थाना पुलिस टीम ने सड़कों पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करनी शुरू की तो एक कैमरे में उस स्थान पर जहां लाश पाई गई थी, एक सैंट्रो कार नजर आई.

कार की दिशा से अनुमान लगाया गया कि इसी कार में हत्यारा युवती की लाश को यहां ले कर आया और लाश फेंक कर चला गया है. कार की नंबर प्लेट को जूम कर के देखने पर नंबर स्पष्ट हो गया. उसे नोट कर लिया गया.

फोरैंसिक टीम ने वहां से काफी सूक्ष्म सुराग एकत्र कर लिए थे. सभी काररवाई पूरी कर लाश का पंचनामा तैयार कर के लाश को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

हत्यारे तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस टीम ने ट्रांसपोर्ट अथारिटी से सैंट्रो कार के रजिस्ट्रैशन नंबर से मालिक का पता निकाल लिया.

उस के पास पुलिस टीम पहुंची तो उस ने बताया कि उस ने सैंट्रो कार को जनकपुरी में एक युवती को 2 महीने पहले बेच दिया था. उस के पास से सैंट्रो कार खरीदने वाली युवती का जो एड्रैस मिला, वह जांच करने पर फरजी निकला.

पुलिस टीम का नेतृत्व खुद एसएचओ संजीव कुमार कर रहे थे. उन्होंने टीम के सभी सदस्यों में नया जोश भरते हुए आदेश दिया, ”सैंट्रो कार हमें हत्यारे तक पहुंचाएगी. आप सभी जनकपुरी के चप्पेचप्पे पर तलाश करें. कार जनकपुरी के एड्रैैस पर फरजी तरीके से ली गई है, उम्मीद है कि हत्यारा जनकपुरी का ही होगा. मैं समझता हूं कि कोशिश करने पर हमें सफलता अवश्य मिलेगी.’’

पुलिस टीम जनकपुरी में फैल गई. जनकपुरी की हर गली को देखा गया, खाली मैदान और कार पार्किंग में भी चैक किया गया. मेहनत की गई तो उस में पुलिस को सफलता भी मिल गई.

जनकपुरी के बी ब्लौक क्षेत्र में एक जगह वह संदिग्ध सैंट्रो कार पुलिस को खड़ी मिल गई. वहां मौजूद 2-3 युवकों से कार के मालिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बता दिया कि यह कार यहां रहने वाले गुरप्रीत सिंह की है. उन्होंने दूर से ही पुलिस को गुरप्रीत का मकान भी दिखा दिया.

पुलिस ने उस मकान के दरवाजे पर पहुंच कर घंटी बजाई तो दरवाजा खोलने वाला व्यक्ति पुलिस देख कर उलटे पैर भागा. पुलिस ने दौड़ कर उसे अंदर दबोच लिया. पूछने पर उस ने अपना नाम गुरप्रीत सिंह बताया.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे और सैंट्रो कार को साथ ले कर पुलिस टीम थाना तिलक नगर लौट आई.

क्यों की गई लीना की हत्या

गुरप्रीत सिंह के पकड़े जाने की जानकारी डीसीपी विचित्रवीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को दे दी गई. उच्चाधिकारियों के सामने गुरप्रीत से पूछताछ शुरू की गई.

”क्या नाम है तुम्हारा?’’एसएचओ संजीव कुमार ने पूछा.

”गुरप्रीत सिंह है साहब.’’

”इस युवती को पहचानते हो?’’संजीव कुमार ने मोबाइल से ली गई विदेशी युवती की लाश का फोटो गुरप्रीत को दिखा कर प्रश्न किया

”यह लीना बर्गर है साहब, स्विट्जरलैंड में रहती है.’’

”स्विटजरलैंड की है तो यह तुम्हारे संपर्क में कैसे आ गई थी?’’

”यह मेरी दोस्त थी साहब. मैं 2021 में पहली बार स्विट्जरलैंड गया था, तब यह मेरे संपर्क में आ गई थी.’’

”तुम ने इस की हत्या क्यों की?’’

गुरप्रीत तुरंत जवाब नहीं दे सका. संजीव कुमार ने उसे घूरा, ”मेरी बात का जवाब दो, तुम ने लीना बर्गर की हत्या क्यों की?’’

”मैं उसे चाहने लगा था, साहब.’’गुरप्रीत ने लंबी सांस भर कर कहा, ”लीना मुझे अच्छी लगती थी. मैं ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह किसी और को प्यार करती थी, उस से शादी करना चाहती थी. मुझे इसी बात पर गुस्सा आ गया और मैं ने उस की हत्या कर दी.’’

”यदि तुम को लीना की हत्या करनी थी तो तुम ने उस के हाथपांव लोहे की जंजीर से बांध कर ताला क्यों लगाया? तुम ने उस की हत्या करने से पहले उसे टौर्चर भी किया था, इस की क्या वजह थी?’’इस बार डीसीपी विचित्रवीर ने प्रश्न कर दिया.

”मैं लीना को डराधमका कर अपने पक्ष में करना चाहता था. इसीलिए मैं ने उसे जंजीर से बांधा और पीटा भी था.’’

”तुम ने लीना बर्गर को कब मारा था?’’

”तारीख मुझे याद नहीं है साहब. हां, मैं यह कुबूल करता हूं कि लीना की हत्या कर देने के बाद मैं ने लाश को कार में रखा. 2 दिन तक लाश कार में रख कर मैं दिल्ली की सड़कों पर घूमता रहा, लेकिन मुझे कहीं भी लाश फेंकने के लिए उचित ठिकाना नहीं मिला.

”तीसरे दिन मैं लाश को ले कर रात के वक्त घर से निकला. मैं ने लाश को काली पौलीथिन में बांध दिया था ताकि उस में से बदबू न फैले. मैं रात के अंधेरे में सुनसान पड़े एमसीडी स्कूल के पास आया और लाश वहां डाल कर भाग गया.’’

गुरप्रीत ने खोले गहरे राज

”तुम्हारा मोबाइल फोन कहां पर है?’’एकाएक डीसीपी विचित्र वीर ने पूछ लिया.

”वह तो घर पर ही रह गया है साहब.’’

लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत सिंह के मोबाइल को पुलिस ने कब्जे में ले कर देखा तो उस में गुरप्रीत के संपर्क में कितने ही विदेशी युवकयुवतियों के कौंटेक्ट नंबर मिले. इस के अलावा उस के फोन पर विदेशी लोगों ने लाखों रुपया पेटीएम व अन्य ऐप द्वारा भेजा था.

यह ऐसी जानकारी थी, जिस के खुलासे ने यह जाहिर कर दिया कि गुरप्रीत कोई मामूली व्यक्ति नहीं है. वह अपने अंदर बहुत गहरे राज छिपाए हुए है. यह जानने के लिए उसे रिमांड पर लेना जरूरी हो गया. इस से पहले उस के मोबाइल को खंगालने के लिए मोबाइल सर्विलांस विभाग के हवाले कर दिया गया.

किसी मकसद से उस ने लीना बर्गर को फांसा था, यह मोबाइल जांच से मालूम हो सकता था.

गुरप्रीत को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया गया.  रिमांड के दौरान गुरप्रीत ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है—

33 साल का गुरप्रीत बांका नौजवान था. उस के पिता अर्जुन सिंह खुद को तंत्रमंत्र का महान ज्ञाता बताते थे. पश्चिमी दिल्ली में उन्होंने तंत्रमंत्र की दुकान खोल रखी थी, जिस में टोनेटोटके, जादू आदि से संबंधित पुस्तकें, रत्न और ज्योतिष का सामान बेचा जाता था. वह परेशान, कारोबार में विफल, धन की हानि होने और प्रेम मिलन बाधा होने वाले व्यक्तियों का अपनी दुकान में तंत्रमंत्र और पूजाहवन द्वारा समाधान करने का दावा भी करते थे.

भारत भ्रमण पर आए कुछ विदेशी युवतियां और युवक उन के संपर्क  में आ गए थे. उन के द्वारा अर्जुन सिंह ने अपनी रत्न ज्योतिष की दुकान का विदेशों तक विस्तार कर लिया था.

गुरप्रीत अपने पिता के साथ ही ज्यादा रहता था. धीरेधीरे वह भी उन के नक्शेकदम पर चलने लगा. उस ने पिता को ज्योतिष अथवा मंत्रों द्वारा उपचार करते कई बार देखा था. उस ने भी वह पिता से सीख लिया और उन के नाम को आगे बढ़ाने लगा.

उस ने 2-3 बार हवाई जहाज में सफर कर के विदेशी धरती पर कदम रखा, वहां अपने दरजनों भक्त बनाए. उन को अपने ज्योतिष चमत्कार से प्रभावित कर के उन से धन भी प्राप्त किया. हालांकि उसे ज्योतिष और तंत्रमंत्र का इतना ज्ञान नहीं था, पर वह तिकड़मबाजी से अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने में हमेशा सफल हो जाता था. उस ने विदेशी रूबल, डालर में बहुत धन कमाया.

स्विस महिला लीना का गुरप्रीत से कैसे हुआ संपर्क

एक बार वह स्विटजरलैंड गया हुआ था. वहां एक स्विस व्यक्ति का उसे मानसिक उपचार करना था. गुरप्रीत ने उस व्यक्ति को पूजापाठ करने का विधान समझा कर पूजा करने का दिन तय किया. जोजो सामान पूजा के लिए चाहिए था, वह मंगवाया और निश्चित दिन वह उस व्यक्ति के घर पूजा करने पहुंच गया.

वहां एक खूबसूरत स्विस युवती लीना बर्गर भी आई हुई थी. लीना बर्गर एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थी. उस की अपने काम को ले कर हमेशा टेंशन बनी रहती थी. उस की फर्म घाटे में चल रही थी, वह बंद हो जाती तो लीना बर्गर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता.

यही टेंशन लीना बर्गर को रातदिन परेशान करती थी. उस की पहचान वाले एक व्यक्ति ने अपने मानसिक इलाज के लिए भारत के गुरप्रीत को अपने आवास पर बुलाया तो जिज्ञासावश लीना बर्गर भी वहां आ गई.

गुरप्रीत ने पूजापाठ का पूरा आडंबर रच कर उलटेसीधे मंत्रों का उच्चारण शुरू किया तो लीना बर्गर उस से बहुत प्रभावित हो गई. उस मानसिक विकार वाले व्यक्ति को गुरप्रीत के मंत्रोजाप और पूजापाठ से कुछ लाभ हुआ या नहीं, यह लीना ने नहीं पूछा, लेकिन उस ने गुरप्रीत को अपने घर आमंत्रित कर लिया.

गुरप्रीत ने दूसरे दिन लीना बर्गर के घर की काल बेल बजा दी. लीना ने दरवाजा खोल कर उसे सम्मान से अंदर बुलाया. उस की बहुत खातिरदारी की. फिर अपनी परेशानी बताई.

गुरप्रीत ने मुसकरा कर चुटकी बजाते हुए कहा, ”बस इतनी सी बात पर आप परेशान हो. मैं आप की समस्या चुटकी बजाते दूर कर दूंगा.’’

”मैं आप का एहसान जिंदगी भर मानूंगी गुरप्रीतजी, आप को जो सामान चाहिए बता दीजिए. जो फीस आप लेंगे वह भी मैं दूंगी. आप अपना काम शुरू कर दीजिए.’’

गुरप्रीत ने उसे पूजा के सामान की लिस्ट थमा दी. लीना ने सामान ला दिया तो एक दिन गुरप्रीत ने हवन का पूरा ड्रामा रच कर लीना बर्गर को संतुष्ट कर दिया.

इसे चमत्कार समझो या गुरप्रीत की किस्मत, लीना बर्गर की मानसिक परेशानी कुछ हद तक ठीक हो गई. उस की फर्म भी फिर से स्टैंड होने लगी.

लीना बर्गर गुरप्रीत से बहुत प्रभावित हो गई थी. गुरप्रीत भारत लौट आया, तब भी लीना उस के संपर्क में रही. लीना धनी थी. गुरप्रीत की नजरें उस की दौलत पर जम गईं. वह लीना को पूजापाठ के जाल में उलझा कर उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ लेना चाहता था.

वह इसी चक्कर में 2-3 बार स्विटजरलैंड गया. लीना बर्गर ज्यूरिख में रहती थी. गुरप्रीत ने वहां उस के यहां पूजापाठ का आयोजन कराया और हर बार लीना से मोटी रकम डालर के रूप में ले कर वह वापस आया.

अब वह लीना को उस मुरगी की तरह एक ही बार में काट डालना चाहता था, जो सोने के अंडे देती थी.

लीना को जंजीर से किस ने और क्यों बांधा?

उस ने अंतिम हवन पूजा के नाम पर लीना बर्गर को भारत बुलाया. लीना बर्गर 11 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली आ गई और एक होटल में ठहरी. इस बीच गुरप्रीत उस से होटल में मिलता रहा. 16 अक्तूबर, 2023 को उस ने पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर से एक जंजीर और ताला खरीद लिया और शाम को लीना बर्गर को अपने घर बुला लिया.

गुरप्रीत के पिता उस समय पेरिस में थे. घर में गुरप्रीत अकेला था. लीना बर्गर घर आई तो गुरप्रीत ने उसे चाय पिलाई, फिर उस से कहा कि वह उसे एक ऐसा जादू दिखाएगा जो उसे हैरत में डाल देगा.

लीना बर्गर जादू देखने को तैयार हो गई तो गुरप्रीत ने लोहे की जंजीर से लीना के हाथपांव बांध कर ताला लगा दिया. लीना जिसे जादू समझ रही थी, वह गुरप्रीत का वहशी रूप था.

लीना के हाथपांव जंजीर और ताले से बांध देने के बाद गुरप्रीत ने रंग बदला. उस ने लीना से कहा कि यह अपने बैंक से सारा रुपया उस के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दे, तभी वह उसे आजाद करेगा. नहीं मानेगी तो वह उस की जान ले लेगा.

लीना बर्गर ऐसा करने को तैयार नहीं हुई तो गुरप्रीत ने उसे बेरहमी से पीटा, सिगरेट से जलाया. जब लीना किसी भी तरीके से नहीं मानी हो उस ने लीना की गरदन दबा कर हत्या कर दी और लाश को पौलीथिन में डाल कर 2 दिन उसे सही जगह ठिकाने लगाने की कोशिश करता रहा. तीसरे दिन उस ने इलाके के ही एमसीडी स्कूल के पास रात के वक्त वह लाश फेंक दी.

गुरप्रीत के इस खुलासे के बाद उस को साथ ले कर उस के घर की तलाशी ली गई. उस के घर से पौने 2 करोड़ रुपए, 4 रिवौल्वर लीना बर्गर का लैपटाप, पासपोर्ट, वीजा, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद कर लिए गए.

गुरप्रीत के बैंक खाते में लाखों रुपयों के लेनदेन का भी पता लगा. पुलिस ने इस की सूचना इनकम टैक्स विभाग को दे दी. गुरप्रीत पर एफआईआर 712/2023 धारा 302/201 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर के उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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लीना बर्गर की हत्या की सूचना डीसीपी विचित्र वीर ने स्विस दूतावास को दे कर उन से लीना बर्गर का पोस्टमार्टम और अंतिम क्रियाकर्म भारतीय रीतिरिवाज से करने की अनुमति मांग ली. लीना बर्गर का लैपटाप, मोबाइल एफएसएल टीम को जांच के लिए सौंप दिया गया.

लीना बर्गर का दीन दयाल उपाध्याय हौस्पिटल में पोस्टमार्टम करवाने के बाद रिपोर्ट में उस को टौर्चर करने और गला घोंट कर मार देने की बात सामने आई. पोस्टमार्टम होने के बाद लीना बर्गर का भारतीय रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार करवा कर उस की राख को स्विस दूतावास के हवाले कर दिया गया.

कथा लिखे जाने तक मृतका लीना बर्गर का कोई रिश्तेदार दिल्ली नहीं आया था. कथा लिखने तक पुलिस लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए उस के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में लगी थी.

रेप के आरोप में पुलिस अफसर

जब विनीता होटल के अपने कमरे में चली गई तो थोड़ी देर बाद राहुल भी उस के कमरे में आ गए. विनीता को यह नहीं पता था कि राहुल भी उसी होटल में रह रहे हैं, जहां उसे ठहराया गया था. विनीता का आरोप है कि राहुल ने बातचीत के दौरान उसे कौफी में नशीला पदार्थ पिलाया. जब वह नशे में हो गई, तब राहुल ने उस के साथ मनमानी की. अपने मोबाइल में उस की न्यूड फोटो भी ले लीं.

होश आने पर जब विनीता को उस सब का पता चला तो उस ने विरोध किया, तब बेहतर कोचिंग के माध्यम से तैयारी कराने का राहुल ने उसे भरोसा दिया. लेकिन इस के बाद कभी होटल, तो कभी अपने दोस्त विक्रम के घर ले जा कर वह विनीता के साथ मनमानी करते रहे.

लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाली विनीता ने युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही रंगीन सपने देखने शुरू कर दिए थे. उस की तमन्ना एक बड़ा अधिकारी बनने की थी. इसलिए वह सिविल सर्विस (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी में जुट गई. उस समय वह 16-17 साल की थी. परीक्षाओं की तैयारी के दौरान ही विनीता की वर्ष 2018 में फेसबुक के जरिए राहुल श्रीवास्तव से दोस्ती हुई थी.

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राहुल श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में एडिशनल एसपी थे. उन की तैनाती लखनऊ में थी. पहले ‘हायहैलो’ से शुरुआत हुई. इस के बाद विनीता से राहुल ने पूछा, ”पढ़ाई करती हो?’’

तब विनीता ने बताया कि वह यूपीएससी की तैयारी कर रही है. एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव ने विनीता को यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई करने में उस की सहायता करने का भरोसा दिलाया.

विनीता समझ गई कि राहुल श्रीवास्तव पुलिस में सीनियर औफिसर हैं, उन से यूपीएससी परीक्षा के संबंध में काफी हेल्प मिल सकती है. वह उन से स्टडी मटीरियल लेती रही. स्टडी मटीरियल देने लेने के दौरान उन के बीच नजदीकियां बढऩे लगीं.

तब दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंंबर भी दे दिए. धीरेधीरे दोनों का मेलजोल इस कदर बढ़ गया कि ऐसा कोई दिन नहींं जाता था, जब दोनों के बीच बातचीत न होती हो. दोनों के बीच अंतरंगता बढ़ती गई. अब दोनों का ये हाल हो गया कि जब तक दोनों एक दूसरे से मिल न लेते या बातचीत न कर लेते उन्हें चैन ही नहीं मिलता था.

वर्ष 2019 में प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था. राहुल ने स्टडी मटीरियल देने और रिसर्च वर्क कराने के लिए विनीता को वहां बुलाया.  कुंभ के दौरान राहुल श्रीवास्तव ने नैनी के पास टेंट मे विनीता के रहने का इंतजाम कराया. बाद में सेफ्टी की बात कहकर होटल में भेज दिया.

उसी दौरान राहुल ने विनीता को अपने दोस्त सतीश से मिलवाया और बताया कि सतीश इग्नू में पौलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हैं और रिसर्च में उस की मदद करेंगे.

नहीं भुलाई जा सकती होटल की वह रात

विनीता का कहना है कि राहुल ने एक दिन होटल में नशीली कौफी पिलाने के बाद रेप किया. विनीता को उस ने पुलिस का रौब दिखाते हुए काफी डरा दिया था, जिस से वह यह बात किसी से कह भी नहीं सकी थी.

राहुल के मामा का लखनऊ के मंदाकिनी एनक्लेव में फ्लैट था. साल 2022 में राहुल ने उन से वो फ्लैट ले लिया. राहुल मामा के उस फ्लैट पर आने के लिए उसे खींची गई उस की न्यूड फोटो दिखाकर आने को मजबूर करते रहे. वह हर वीकेंड उसे वहां बुलाते और उस के साथ मनमानी करते थे. यह सिलसिला 5 सालों तक निरंतर चलता रहा. इस दौरान राहुल ने विनीता को कीमती गिफ्ट और गहने भी दिलाए.

अप्रैल, 2023 में विनीता राहुल श्रीवास्तव से प्रेग्नेंट हो गई. जब इस बात की जानकारी विनीता ने राहुल को दी तो एक दिन धोखे से विनीता को राहुल सहारा हौस्पिटल में लेडी डाक्टर के पास ले गए. उस समय राहुल का दोस्त विक्रम भी साथ था. कुछ देर में वहां सिद्धार्थ, सतीश और सौरभ भी आ गए.  उन्होंने विनीता का अबार्शन करा दिया.

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बाद में विनीता का चैकअप मेदांता अस्पताल में कराया गया. इस दौरान विनीता का आधार कार्ड या अन्य कोई डाक्युमेंट भी नहीं लिया गया. विनीता का कहना था कि उस की उम्र और पिता का नाम भी वहां गलत लिखवाया. अबार्शन के बाद विनीता की राहुल से खूब लड़ाई हुई.

अबार्शन के कुछ दिनों बाद विनीता के शरीर पर असर पड़ा. तब विनीता ने फैसला लिया कि वह राहुल की इस करतूत को उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को बताएगी. इस के बाद वह मानिनी के घर जा पहुंची. उस ने मानिनी को उस के पति राहुल श्रीवास्तव की काली करतूतों के बारे में बताया कि वह पिछले 5 सालों से उसे उस की न्यूड फोटो के बल पर ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं.

विनीता ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह पुलिस में उस की शिकायत जरूर करेगी. इस की जानकारी होने पर राहुल फोन कर के विनीता के घर वालों को धमकी देने लगे कि तुम लोगों को झूठे केस में फंसा दूंगा.

जब विनीता ने साफ शब्दों में कहा कि वह उन की पुलिस से शिकायत करेगी तो वह बोले, ”मैं पुलिस के ऐसे डिपार्टमेंट में हूं कि कोई तुम्हारी एफआईआर भी नहीं लिखेगा.’’ इतना ही नहीं, उन्होंने धमकी भी दी कि तुम्हारी फोटो फैमिली को भेज दूंगा.

विनीता और राहुल के बीच चल रहे इस लुकाछिपी के खेल में तब नया मोड़ आया, जब विनीता ने इस संबंध में राहुल की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव, जोकि लखनऊ विश्वविद्यालय के साइकोलौजी डिपार्टमेंट में प्रोफसर हैं, को जानकारी दी.

विनीता ने बताया कि राहुल उसे ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं. धोखे से उस का गर्भपात करा देने से अब उस के शरीर पर असर पड़ रहा है. इस पर मानिनी व राहुल के दोस्तों ने विनीता को राहुल के खिलाफ कोई शिकायत न करने के लिए कहा. शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी.

इन सभी आरोपियों ने उसे व उस के घर वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. इस से विनीता घबरा गई. विनीता के परिवार में उस के मम्मीपापा के अलावा उस का छोटा भाई है. यदि परिवार के लोगों को कुछ हो जाता है तो वह क्या करेगी? इस बात को  सोचसोच कर वह परेशान हो गई.

राहुल श्रीवास्तव अभी लखनऊ में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड यानी एटीएस में पोस्टेड हैं. उन के पास यूपी पुलिस के सोशल मीडिया के काम की भी जिम्मेदारी है.

गर्भपात से शरीर में असर पडऩे पर आखिरकार विनीता ने हिम्मत जुटाई. विनीता ने राहुल की पुलिस हैडक्वार्टर में शिकायत की. पुलिस हैडक्वार्टर से एफआईआर की जगह पहले डिपार्टमेंटल जांच कराई गई.

विनीता का कहना है कि उस ने जौइंट सीपी (कानूनव्यवस्था) उपेंद्र कुमार अग्रवाल को भी फोन कर मदद मांगी थी, जिस पर अधिकारी ने जांच की बात कही थी. विनीता एफआईआर के लिए इधर से उधर 2 महीने तक चक्कर काटती रही, लेकिन उसे हर तरफ से निराशा ही मिल रही थी.

पुलिस क्यों नहीं लिख रही थी रिपोर्ट

विनीता द्वारा राहुल के खिलाफ शिकायत किए जाने की जानकारी जैसे ही उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को हुई, तब उस ने व राहुल के दोस्त सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य ने मिल कर विनीता पर उस के द्वारा की गई शिकायतों को वापस लेने का दबाव बनाया.

मानिनी ने धमकाया कि उन का भाई आईएएस अफसर है, जबकि पति पुलिस में अफसर हैं. तुम्हारी एफआईआर नहीं लिखी जाएगी. तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा.

विनीता का कहना है कि इस संबंध में कंप्रोमाइज की बात कहते हुए उस के एक दोस्त के बैंक एकाउंट में कुछ धनराशि भी जमा करा दी. लेकिन उस ने इस धनराशि को लेने से साफ इंकार कर दिया. विनीता ने डीजीपी और स्पैशल डीजी से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई. तब अधिकारियों ने जांच के बाद काररवाई की बात कही.

पीडि़ता विनीता की शिकायत को एडीजी पद्मजा चौहान ने गंभीरता से लिया और 4 नवंबर, 2023 को पुलिस आयुक्त एस.बी. शिरोडकर को पत्र लिख कर विनीता को सुरक्षा देने को कहा था. इस के बाद उसे सुरक्षा मुहैया कराई गई.

19 दिसंबर, 2023 को महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन मुख्यालय की एसपी रवीना  त्यागी ने पत्र भेज कर 22 दिसंबर, 2023 को बयान के लिए विनीता के मम्मीपापा को बुलाया था. उन्होंने एसपी रवीना के पास अपने बयान दर्ज कराए. राहुल श्रीवास्तव को भी बयान के लिए तलब किया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए थे. इस की सारी जानकारी एडीजी ने अधिकारियों को बता दी.

विनीता के पापा ने कहा कि वह बेटी के साथ हैं. उन्होंने इस मामले में सीएम योगी से मिलने की बात भी कही. उन्होंने कहा, ”मैं राहुल श्रीवास्तव को नहीं जानता. अक्तूबर, 2023 में उन की पत्नी ने मुझे काल की थी. राहुल की पत्नी ने मुझ से कई बातें कहीं. मैं ने अपनी बेटी से इस बारे में पूछा. पहले तो वह कुछ बताने को तैयार नहीं थी. काफी समझाने पर रोने लगी. फिर उस ने राहुल की हरकत के बारे में बताया. कहा कि उसे धमकी दे कर डराया जा रहा है. मैं अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़ा हंू. उस की हर लड़ाई में साथ दंूगा.’’

एटीएस में तैनात एएसपी राहुल श्रीवास्तव पर यौन शोषण और जबरन गर्भपात का आरोप लगाने वाली पीडि़ता विनीता 2 महीने तक गोमती नगर विस्तार थाने, 1090 और अधिकारियों के चक्कर लगाती रही. हर बार अधिकारी जांच की बात कह कर उसे टालते रहे. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

विनीता ने कई महीने पहले 28 नवंबर, 2023 को शिकायत की थी. पुलिस अधिकारियों को रजिस्टर्ड पोस्ट से भी शिकायत भेजी. वीमेन पावर लाइन में तैनात एसपी रवीना त्यागी प्रकरण की जांच कर रही थीं. कुछ दिन पहले विनीता के बयान के कई वीडियो वायरल हुए. इस में उस ने आरोप लगाया था कि मामले में काररवाई नहीं हो रही है.

एक्स पर पोस्ट के बाद क्यों सक्रिय हुए अधिकारी

विनीता ने 25 दिसंबर, 2023 को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर सीएम योगी, डीजीपी समेत कई अफसरों से काररवाई की गुहार लगाई थी. इस के बाद 5 जनवरी, 2024 को विनीता ने एक्स पर पोस्ट की. इस में लिखा, ”मामले में काररवाई नहीं हो रही है. आखिर में कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा है. अगर अब मुझे कुछ होता है तो पुलिस जिम्मेदार होगी.’’

सोशल मीडिया पर इंसाफ पाने के लिए वह ट्वीट कर न्याय के लिए लगातार गुहार लगती रही. मामले को गले की फांस बनता देख आखिरकार पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट दर्ज करने का फरमान जारी कर दिया. 6 जनवरी, 2024 को लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन थाने में रेप, धमकी देने एवं महिला की सहमति के बिना अबार्शन कराने में भादंवि की धारा 376, 506 व 313 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हुई.

विनीता ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ के अलावा अन्य को भी अपनी जो शिकायत 28 नवंबर, 2023 को डाक से भेजी थी. इसी तहरीर के आधार पर 6 जनवरी, 2024 को एफआईआर थाना गोमती नगर विस्तार में राहुल श्रीवास्तव, मानिनी श्रीवास्तव, सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य के खिलाफ दर्ज की गई.

आरोपी को क्यों नहीं किया गया निलंबित

मुकदमे की काररवाई आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद ही हुई. जांच का जिम्मा महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की एसपी रवीना त्यागी के पास था.

लखनऊ के गोमती नगर विस्तार थाना के प्रभारी निरीक्षक सुधीर अवस्थी ने बताया कि एक युवती की शिकायत पर एएसपी व अन्य के खिलाफ संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है. एसएचओ ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और साक्ष्य मिलने पर काररवाई की जाएगी.

ब्लैकमेल और यौन शोषण की पीडिता विनीता ने अधिकारियों से मांग की है कि आरोपी एएसपी राहुल श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है. अब उसे तुरंत निलंबित किया जाए इस के साथ ही उस की पत्नी समेत सभी दोस्तों पर सख्त काररवाई की जाए.

विनीता ने दावा किया है कि उस के पास हर आरोप के साक्ष्य मौजूद हैं. उस के पास होटल्स में चेक-इन और चेक-आउट के समय बातचीत के कुछ स्क्रीनशौट भी हैं. राहुल देर रात तक काल पर बात करता था. स्नैपचैट पर अपनी प्राइवेट फोटो भेजता था.

महंगे गिफ्ट और ज्वैलरी दिया करता था. उन बिलों पर भी राहुल की ईमेल आईडी है. मेरे अबार्शन की मैडिकल रिपोर्ट पर चैकअप और टॢमनेशन की सारी डिटेल है.

फिलहाल राहुल कहां हैं? ये पुलिस को भी नहीं पता. जांच अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि हमें एएसपी राहुल श्रीवास्तव का एड्रेस नहीं पता है. मोबाइल नंबर भी नहीं है, इसलिए उन से संपर्क नहीं हो पा रहा है. पता चला कि 50 वर्षीय राहुल श्रीवास्तव का होम प्लेस यूपी का सोनभद्र है. इस समय वह छुट्टी पर हैं और अभी शहर से बाहर है.

7 जनवरी, 2024 को रविवार का अवकाश होने के कारण विनीता के कोर्ट में कलमबंद बयान नहीं हो सके, न ही मैडिकल कराया जा सका. अगले दिन पुलिस मैडिकल करा सकती है. इस के बाद कोर्ट में बयान कराएगी. तब आगे की काररवाई करेगी. केस के विवेचक ने मामले में साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं.

आरोपी क्यों बता रहे हैं बेकसूर

एएसपी राहुल श्रीवास्तव की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव का कहना है कि शिकायतकर्ता ने मेरे खिलाफ लखनऊ विश्वविद्यालय में अक्तूबर 2023 में एक फरजी शिकायत की थी. इस शिकायत में उस ने स्वयं मेरे पति राहुल श्रीवास्तव से किसी भी तरह के संबंध होने से नकारा था.

पिछले कई महीनों से मुझे व मेरी बेटियों पर एसिड अटैक करवाने व जान से मारने की धमकी दी जा रही है. मेरे परिवार को ब्लैकमेल किया जा रहा है. इस की शिकायत उस ने नवंबर, 2023 में पुलिस कमिश्नर से की थी. इस की जांच वीमेन पावर लाइन ने की, जिस में पूरे साक्ष्य दिए गए हैं. मानिनी भरोसा जताया है कि सच सामने आएगा.

उधर एक चैनल से एएसपी राहुल श्रीवास्तव ने बात की. उन्होंने बताया कि युवती की काउंसलिंग चल रही थी. वह मेरी पत्नी के पास काउंसलिंग के लिए आई थी. इस दौरान ही उस से मुलाकात हुई. वह मेरी बेटी के समान है. उस के द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं. अपने से उम्रदराज व्यक्ति पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है.

कोर्ट से मिली राहत, गिरफ्तारी पर रोक

विनीता की पढ़ाई में मदद के बहाने उस के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव और उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को 16 जनवरी, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के दौरान फिलहाल राहत मिल गई है.

लखनऊ बेंच में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में दोनों की गिरफ्तारी पर बुधवार तक के लिए रोक लगा दी थी. कोर्ट ने 17 जनवरी को दोबारा सुनवाई की तारीख निश्चित कर सरकारी वकील को याचियों के खिलाफ एकत्र किए गए साक्ष्य, अगर कोई हों, तो उन की जानकारी पेश करने को कहा था. साथ ही याचियों को भी मामले की तफ्तीश में सहयोग करने का आदेश दिया.

बताते चलें कि याचिका में इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती दे कर याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह कोर्ट से किया गया था. याचियों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. उधर, सरकारी वकील ने दायर की गई याचिका का विरोध किया था.

एक तरफ यूपी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा का दंभ भरती है. वहीं ऐसे दावों के बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर लगे आरोप महिला सुरक्षा को ले कर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

निंदनीय घटना है, पीडि़ता को मिले न्याय

विवेक श्रीवास्तव, एडवोकेट (आगरा)

Vivek Srivastava, Advocate

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि एक सीनियर पुलिस अधिकारी पर छात्रा के साथ रेप करने का आरोप बहुत चिंता का विषय है. कानून की रक्षा करने वाले ही जब भक्षक बन जाएं तब सामाजिक असंतुलन होना तय है. प्रशासन को इस विषय में आरोपी के विरूद्ध सख्त निर्णय लेना चाहिए.

यह विश्वास को भंग करने का अपराध है. समाज या परिवार जिन पर आंख मंूद कर विश्वास करता हो, वे जब इस विश्वास का अनुचित लाभ उठा कर किसी की अस्मत पर हाथ डालें तो उस की सजा उसे जरूर मिलनी चाहिए.

आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव को तुरंत सस्पेंड कर समाज के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए, ताकि वह आगे की काननूनी काररवाई में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न कर सके. इस के साथ ही एफआईआर के अन्य आरोपियों के पर भी प्रभावी काररवाई की जानी चाहिए. पीडि़ता को पुलिस प्रशासन की तरफ से उस की सुरक्षा का उचित प्रबंध भी करना चाहिए.

अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि नैतिकता और सामाजिक दृष्टिकोण से ऐसी घटना जिम्मेदार पुलिस अधिकारी द्वारा करना बहुत ही निंदनीय है. आरोपी पर धारा 376, 506, 313 के अंतर्गत कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है तथा धारा 506 के अंतर्गत भी 7 साल तक की सजा का प्रावधान भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दिया गया है.

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तब देश की बेटियां कहां जाएंगी? इस मामले में पीडिता को जल्द से जल्द न्याय मिले.

थाने का होगा घेराव

छात्रा विनीता को ब्लैकमेल कर यौन शोषण करने के मामले में राष्ट्रवादी जनसत्ता दल ने विरोध व्यक्त करते हुए एटीएस में तैनात एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है.

Rastravadi Jansatta Dal Je Mahasachiv Dr.BPS Tyagi

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी ने कहा कि विनीता नीले आकाश में अपने पंखों से ऊंची उड़ान भरना चाहती थी. उसे सहारे की जरूरत थी. लेकिन जिन हाथों ने उसे सहारा देने का भरोसा दिया, उन्हीं हाथों ने उस की अस्मत लूट ली. वह कटे पंखों के पङ्क्षरदे की तरह जमीन पर गिर कर तडफ़ड़ाने लगी.

दल के महासचिव ने कहा कि पहले पुलिस एफआईआर दर्ज करने में देरी करती रही. अब आरोपी की गिरफ्तारी में देर कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक घटना है. पढ़ाई में मदद के बहाने छात्रा का शारीरिक शोषण एक पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया. उस की तुरंंत गिरफ्तारी की मांग करते हुए उन्होंने कहा यदि गिरफ्तारी में देरी होगी तो उन का दल संबंधित थाने का घेराव करेगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में विनीता परिवर्तित नाम है

सुहागरात के बाद खुल कर नाची मौत – भाग 1

पुलिस अधिकारियों को बरामदे में ही 2 महिलाएं घायल पड़ी दिखाई दीं. पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक महिला उस की बहू डौली है तथा दूसरी रिश्तेदार सुषमा है. पुलिस अधिकारियों ने इन दोनों को इलाज हेतु सैफई अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारी आंगन में पहुंचे तो वहां 3 लाशें पड़ी थीं. इन की हत्या गला काट कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. आंगन में खून ही खून फैला था.

पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक लाश उस के छोटे बेटे अभिषेक उर्फ भुल्लन (20 वर्ष) की है, जबकि दूसरी लाश दामाद सौरभ (26 वर्ष) की है. तीसरी लाश बेटे के दोस्त दीपक (21 वर्ष) की है.

Bhullan (Mratak)               Sonu (Mratak)

     अभिषेक उर्फ भुल्लन                                 मृतक सोनू

लाश के पास ही खून सना फरसा पड़ा था. शायद उसी फरसे से उन का कत्ल किया गया था, इसलिए फरसे को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

एसपी विनोद कुमार सहयोगियों के साथ आंगन से जीने के रास्ते छत पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर वह चौंक गए. कमरे के अंदर सुभाष के बेटे सोनू व उस की नई नवेली दुलहन सोनी की लाश पड़ी थी. उन दोनों के हाथ की मेहंदी व पैरों की महावर अभी छूटी भी न थी कि उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया था. उन दोनों की हत्या भी गला काट कर ही की गई थी. सोनू की उम्र 23 साल के आसपास थी, जबकि सोनी की उम्र 20 वर्ष थी.

निरीक्षण करते हुए एसपी विनोद कुमार जब मकान के पिछवाड़े पहुंचे तो वहां एक और युवक की लाश पड़ी थी. पूछताछ से पता चला कि वह लाश सुभाष के बड़े बेटे शिववीर (Shivvir) की है.

पता चला कि शिववीर ने ही पूरे परिवार का कत्ल किया था, फिर पकड़े जाने के डर से खुदकुशी कर ली थी. शिववीर की उम्र 28 साल के आसपास थी.

शिववीर के शव के पास ही एक तमंचा पड़ा था. इसी तमंचे से गोली मार कर उस ने खुदकुशी की थी. पुलिस ने तमंचे को सुरक्षित कर लिया. पुलिस ने शिववीर की तलाशी ली तो उस की जेब से मिर्च स्प्रे तथा नींद की गोलियों के 2 खाली पत्ते मिले. पुलिस ने इसे भी सुरक्षित कर लिया.

इस के अलावा पुलिस ने कमरे से कुल्हाड़ी व फावड़ा भी कब्जे में लिया, जिस से शिववीर ने पत्नी, भाभी व पिता पर हमला किया था.  यह बात 24 जून, 2023 की है.

शिववीर ने घर के 5 जनों को क्यों काटा

यह वीभत्स घटना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) जिले के किशनी थाने के गांव गोकुलपुरा अरसारा में बीती रात घटित हुई थी. सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Murder Case) की खबर थाना किशनी पुलिस को मिली तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया.

पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो लिए. कुछ ही देर में एसएचओ अनिल कुमार, एसपी विनोद कुमार, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ चंद्रशेखर सिंह घटनास्थल पर आ गए.

सुभाष के दरवाजे पर अब तक भारी भीड़ जुट चुकी थी. ग्रामीणों की इतनी भीड़ देख कर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. उन्हें लगा कि असामाजिक तत्त्व भीड़ को गुमराह कर कहीं कोई बवाल खड़ा न कर दें. इसलिए उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगा कर गोकुलपुरा गांव में तैनात करा दी.

सामूहिक हत्याकांड (Mainpuri Mass Murder) की खबर सुन कर अब तक सुभाष यादव के घर पर रिश्तेदारों का जमावड़ा शुरू हो गया था. जब भी कोई खास रिश्तेदार आता, महिलाओं का करुण रुदन कलेजा चीरने लगता. माहौल उस समय तो बेहद गमगीन हो उठा, जब नईनवेली दुलहन मृतका सोनी के मम्मीपापा के साथ सैकड़ों लोग आ गए.

वेदराम व उन की पत्नी सुषमा बेटी दामाद का शव देख कर बिलख पड़े. उन का करुण रुदन इतना द्रवित कर देने वाला था कि वहां मौजूद शायद ही कोई ऐसा हो, जिस की आंखों में आंसू न आए हों. पुलिसकर्मी तक अपने आंसू न रोक सके.

Deepak (Mratak)                  Saurabh (Mratak)

मृतक दीपक                                              मृतक सौरभ

मृतक दीपक के मम्मीपापा भी फिरोजाबाद से आ गए थे. वह भी बेटे की लाश के पास सुबक रहे थे. प्रियंका भी पति सौरभ की लाश के पास बिलख रही थी. उस की मम्मी शारदा देवी उसे ढांढस बंधा रही थी. यह बात दीगर थी कि उन की आंखों से भी लगातार आंसू बह रहे थे. क्योंकि उन की आंखों के सामने ही बेटे, बहू और दामाद की लाश पड़ी थी.

पुलिस अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए किसी तरह समझाबुझा कर मृतकों के घर वालों को शवों से अलग किया, फिर पंचनामा भरवा कर मृतक सोनू, भुल्लन, दीपक, सौरभ, शिववीर तथा सोनी के शवों को पोस्टमार्टम के लिए मैनपुरी के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद एसपी विनोद कुमार ने घर के मुखिया सुभाष यादव से घटना के बारे में जानकारी जुटाई. सुभाष यादव ने बताया कि यह खूनी खेल उस के बड़े बेटे शिववीर ने ही खेला है. 22 जून को उस के मंझले बेटे सोनू की शादी थी. बारात गंगापुरा (इटावा) गई थी. 23 जून को दोपहर बाद बारात वापस आई. घर में बहू की मुंहदिखाई व अन्य रस्में पूरी हुईं. खूब गाना बजाना हुआ.

रात 12 बजे तक डीजे पर सब नाचतेझूमते रहे. शिववीर भी जश्न में शामिल रहा. लेकिन उस के मन में क्या चल रहा है, हम लोग भांप नहीं पाए. रात के अंतिम पहर में इस क्रूर हत्यारे ने हमला कर 5 जनों को काट कर मौत की नींद सुला दिया. शायद उस का इरादा सभी को खत्म करने का था, लेकिन पत्नी बेटी सहित वह बच गए.

Ghar Ke Mukhiya Se Puch-Tach Karte S.P. Vinod Kumar

घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत करते हुए एसपी विनोद कुमार

एसपी विनोद कुमार ने गोकुलपुरा अरसारा गांव में डेरा जमा लिया था. शवों के अंतिम संस्कार तक वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. देर शाम एडीजी राजीव कृष्ण व आईजी दीपक कुमार गोकुलपुरा पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण कर घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत की. उन्होंने एसपी विनोद कुमार से भी घटना से संबंधित जानकारी हासिल की तथा कुछ आवश्यक निर्देश दिए.

मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ 3 डाक्टरों के पैनल ने किया. वहां क्षेत्रीय विधायक बृजेश कठेरिया मृतकों के परिजनों के साथ रहे और उन्हे धैर्य बंधाते रहे.

पोस्टमार्टम के बाद शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. पुलिस व्यवस्था के साथ दीपक का शव फिरोजाबाद तथा सौरभ का शव उस के गांव चांद हविलिया (किशनी) भेज दिया गया. 3 बेटों सोनू, भुल्लन व शिववीर का दाह संस्कार सुभाष ने किया.

इधर वेदराम यादव अपनी बेटी सोनी का शव ले कर अपने गांव गंगापुरा पहुंचे तो माहौल बेहद गमगीन हो गया. लाडली बेटी का शव देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. हर आंख में आंसू थे.

दर्द इस बात का था कि जिस बेटी को पूरे गांव ने हंसी खुशी से ससुराल भेजा था, उस का कफन में लिपटा शव गांव आया था. पूर्व दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री रामसेवक यादव भी बेहद दुखी थे. क्योंकि लाडली बेटी सोनी उन के गांव व परिवार की थी. वेदराम को ढांढस बंधाते वह स्वयं भी रो रहे थे.

Ghatna Sthal Par Pahuchi Sansad Dimple Yadav

घटनास्थल पर पहुंची डिंपल यादव

सामूहिक नरसंहार से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई थी. चूंकि मामला यादव परिवार से जुड़ा था और डिंपल यादव भी मैनपुरी से सांसद हैं, इसलिए वह दूसरे रोज ही गोकुलपुरा गांव जा पहुंचीं.

पर्यटन राज्यमंत्री जयवीर सिंह ने भी सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Killing) पर गहरा दुख व्यक्त किया. शिववीर ने अपने सगे भाइयों की हत्या क्यों की? परिवार के प्रति उस के मन में ईष्र्या, द्वेष और नफरत की भावना क्यों पनपी? वह क्या हासिल करना चाहता था? यह सब जानने के लिए हमें उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि को समझना होगा.