एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

उत्तरी दिल्ली के कोतवाली थानाक्षेत्र में गीता कालोनी फ्लाईओवर की झाडिय़ों में मिली इस अज्ञात लाश की सूचना किसी व्यक्ति ने थाना कोतवाली में फोन कर के दी थी. यह बात 10 जनवरी, 2024 की थी. यह काल लाल किला पुलिस चौकी  के इंचार्ज सतेंद्र सिंह को ट्रांसफर कर दी गई. यह सूचना मिलते ही पुलिस चौकी लाल किला के इंचार्ज एसआई सतेंद्र सिंह 4 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

जब वह मौके पर पहुंचे तो गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों के पास लोगों की भीड़ जमा थी. वहां पर झाडिय़ों में एक 35-40 साल के युवक का शव नजर आ गया. उस युवक का सिर एक पेड़ के तने से सटा था और पांव पश्चिम दिशा की तरफ थे. उन्होंने पास जा कर उस लाश का गहनता से निरीक्षण किया गया.

युवक के गले पर खरोंच के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. वह जिस स्थिति में पड़ा था, उस से अंदाजा लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के लाश इस सुनसान जगह पर झाडिय़ों में फेंक दी गई है. युवक के शरीर पर कोई ऐसा निशान नहीं नजर आ रहा था, जिस से उस की मौत का कारण समझा जा सकता था.

युवक की आंखें बंद थीं. एसआई सतेंद्र ने अनुमान लगाया कि इसे अवश्य ही गला घोंट कर मारा गया है. लाश के पास डबल बेड की प्रिंटेड चादर पड़ी थी, शायद इसी चादर में इसे लपेट कर यहां लाया गया होगा.

युवक के कपड़ों की तलाशी ली गई. उस की जेब में मोबाइल की लीड और लोहे की एक चाबी मिली. चाबी पर एक ओर गोदरेज लिखा था, दूसरी ओर 0879350 नंबर गुदा था. जेब में युवक का न तो मोबाइल फोन था, न पर्स. उस की पहचान की कोई भी चीज हत्यारों ने उस के पास नहीं छोड़ी थी.

पुलिस के सामने एक प्रकार से यह ब्लाइंड मर्डर केस था. फिर भी एसआई सतेंद्र सिंह ने वहां उपस्थित भीड़ की ओर देख कर पूछ लिया, ”क्या आप में से कोई इस युवक को पहचानता है?’’

जैसा कि उन्होंने सोचा था, वही उत्तर मिला, ”नहीं साहब.’’

आगे की जांच के लिए एसआई सतेंद्र सिंह ने फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर को फोन कर के वहां आने के लिए कह दिया. उन्होंने नार्थ जोन की एडिशनल डीसीपी श्वेता के. सुगाथन और एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह तथा औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार को भी इस अज्ञात युवक की लाश की सूचना दे दी. आधा घंटा में ही फोरैंसिक टीम, फोटोग्राफर और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए.

केस सुलझाने में एआई ने कैसे की मदद

अधिकारियों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. उन की नजरों में भी यह ब्लाइंड मर्डर केस था. ऐसे मामलों में जांच का दायरा बढ़ जाता है. बारीक से बारीक बात पर ध्यान रख कर कदम बढ़ाया जाता है. ऐसे केस मुश्किल हो सकते हैं, लेकिन असंभव नहीं. पुलिस अत्यंत कड़ी मेहनत कर के मृतक का पता भी निकाल लेती है और उस की हत्या किस ने की है, यह भी मालूम कर लेती है.

        एसआई सतेंद्र

इस पेचीदा केस की जांच का काम एसआई सतेंद्र को सौंप दिया गया. औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार ने एसआई सतेंद्र को आदेश दिया कि इस युवक की पहचान के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाए जाएं. लाश को यहां लाने के लिए किसी न किसी वाहन का भी प्रयोग हुआ होगा. वाहन की जांच के लिए सीसीटीवी कैमरों को खंगाला जाए.

एसआई सतेंद्र सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए रातदिन एक कर देंगे. फोरैंसिक टीम अपने काम में जुटी हुई थी. फोटोग्राफर ने विभिन्न कोणों से लाश के फोटो ले लिए थे.

सभी काम पूरा होने के बाद एसआई सतेंद्र सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी की मोर्चरी में भिजवा दिया. सारा काम निपटा तो उच्चाधिकारी वहां से चले गए. एसआई सतेंद्र सिंह भी अपने दल के साथ कोतवाली के लिए रवाना हो गए.

युवक कौन है, कहां रहता है, इस की जानकारी 2 दिन बाद भी नहीं हो पाई थी. एसआई सतेंद्र सिंह की देखरेख में कोतवाली के 30 पुलिसकर्मियों की विशेष टीम का गठन कर दिया गया था. इस टीम को दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाने का काम सौंपा गया था.

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                मृतक

फोटो में चूंकि मृतक की आंखें बंद थीं, इसलिए मृतक की फोटो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से सुधार कर फोटो का बैकग्राउंड चेंज किया गया व आंखों को खोला गया.

ऐसा करने से मृतक का चेहरा जीवित व्यक्ति जैसा लगने लगा, जिस से पहचान में आसानी हो सके. इस फोटो के 2000 पैंफ्लेट तैयार कराए गए.

30 व्यक्तियों की टीम ने इन पोस्टरों को आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन, पार्कों, सड़क किनारे, बस स्टैंड, आटो स्टैंड के पास विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर चिपका दिया. दिल्ली के प्रत्येक पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया गया.

जिस संदिग्ध वाहन में आरोपी द्वारा शव को फेंका गया था, उस का पता लगाने के लिए पुलिस की इस विशेष टीम ने लगभग 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे देखे. चूंकि शव को एकांत इलाके में फेंका गया था, इसलिए वहां कोई सीसीटीवी कैमरा कनेक्टिविटी नहीं थी. इसलिए वहां सीसीटीवी से किसी प्रकार की सफलता नहीं मिली.

गए थे रिपोर्ट लिखाने, मिल गई लाश

पैंफ्लेट 4 राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुआ था. इस के बावजूद भी किसी ने मृतक को पहचानने का दावा नहीं किया था.

पुलिस इस इंतजार में थी कि कोई न कोई व्यक्ति मृतक का इश्तहार देख कर थाने तक पहुंचेगा, लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी मृतक के किसी परिचित के पहुंचने की जानकारी नहीं मिली थी. एसआई सतेंद्र सिंह सब्र किए बैठे थे. अपनी तरफ से उन्होंने मृतक की पहचान का हरसंभव प्रयास किया था. देर बेशक हो रही थी, लेकिन सतेंद्र सिंह जानते थे कि उन्हें मृतक की पहचान में सफलता जरूर मिलेगी.

हुआ भी यही. 14 जनवरी, 2024 को बाहरी दिल्ली के छावला पुलिस स्टेशन में राहुल यादव नाम का युवक घबराया हुआ आया. उस के साथ उस की भाभी पूजा भी थी. वह भी उस समय काफी बदहवास नजर आ रही थी.

प्यार में की थीं 3 हत्याएं : 19 साल बाद खुला राज – भाग 2

पुलिस जब उत्तम नगर में स्थित वर्मा टेलर की दुकान पर पहुंच गई. जयकिशन ने मृतक की फोटो टेलर को दिखाई गई तो उस ने तुरंत बता दिया, ”यह तो राजेश वर्मा है. इसे खुशीराम के नाम से भी बुलाते हैं. अपनी बीवी बच्चों के साथ यह आरजेड ए-113 नंबर मकान में नंदराम पार्क में रहता है.’’

एसआई जयकिशन कांस्टेबल मनदीप के साथ टेलर वर्मा द्वारा बताए पते पर पहुंचे तो घर के अंदर राजेश वर्मा की पत्नी निशा वर्मा मिली. दरवाजे पर पुलिस को देख कर वह घबरा गई. एसआई जयकिशन ने उसे राजेश की फोटो दिखाते हुए पूछा, ”यह तुम्हारे पति हैं?’’

”हां…’’ निशा ने सिर हिलाया, ”यह कल दोपहर को घर से यह कर गए थे कि बाइक ठीक करा कर आ रहा हूं. कल से यह घर नहीं लौटे हैं.’’

”अब नहीं लौटेंगे, इन की हमें बवाना थानाक्षेत्र में डैडबौडी मिली है.’’ कांस्टेबल मनदीप ने गंभीर स्वर में बताया.

सुनते ही निशा दहाड़े मार कर रोने लगी. थोड़ी देर पति के लिए विलाप कर लेने के बाद उस ने सुबकते हुए पूछा, ”मेरे पति की मौत कैसे हो गई? वह तो घर से अच्छेभले गए थे.’’

”उन की किसी ने हत्या की है.’’ एसआई जयकिशन ने कहा, ”तुम्हारे पति की किसी से दुश्मनी थी क्या?’’

”जी, 2 साल पहले 2002 में उन के भाई सुरेश वर्मा की किसी ने हत्या कर दी थी. सुरेश की पत्नी सज्जन देवी पति की मौत के बाद हमारे साथ रही. फिर अपने मायके चली गई. अभी कुछ दिन पहले सज्जन देवी के भाई यहां आ कर सज्जन देवी का संपत्ति में हिस्सा मांगने लगे. तब मेरे पति ने उन्हें 4 लाख रुपए दे दिए थे, लेकिन वह इस से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने धमकी दी थी कि संपत्ति में बराबर का हिस्सा उन की बहन सज्जन देवी को नहीं दिया तो परिणाम भयंकर होंगे. मुझे शक है मेरे पति की हत्या सज्जन देवी के भाइयों ने ही की है.’’

”उन का नाम, पता हमें नोट करवाओ.’’ एसआई जयकिशन ने कहा.

निशा वर्मा ने सज्जन देवी के दोनों भाइयों के नाम और पते एसआई जयकिशन को नोट करवा दिए.

”पोस्टमार्टम होने के बाद तुम्हारे पति राजेश की डैडबौडी तुम्हें अंतिम संस्कार करने के लिए सौंप दी जाएगी. तुम कल बवाना थाने में आ जाना.’’ कांस्टेबल मनदीप ने कहा.

”आ जाऊंगी साहब.’’ निशा अपने आंसू पोंछते हुए भर्राए गले से बोली.

एसआई जयकिशन कांस्टेबल मनदीप के साथ थाने के लिए लौट गए.

राजेश वर्मा उर्फ खुशी राम की हत्या में सज्जन देवी के भाई संजय व सतीश का हाथ है. यह बात हरियाणा के सलाना गांव जा कर पुलिस द्वारा तफ्तीश करने पर गलत साबित हुई. गांव के कई जिम्मेदार लोगों से संपर्क करने पर पुलिस को यह मालूम हुआ कि सज्जन देवी और उस के भाई एक महीने से गांव में ही हैं, वह दिल्ली नहीं गए हैं. उन का राजेश की हत्या में हाथ नहीं हो सकता.

पुलिस को सज्जन देवी ने एक चौंकाने वाली बात बताई, ”साहब, निशा मक्कार औरत है. उस का अपने ननदोई बालेश कुमार के साथ चक्कर चल रहा है. यह बात मेरे जेठ राजेश को भी मालूम थी, उन का बालेश को ले कर कई बार निशा से झगड़ा भी हुआ था.’’

निशा वर्मा ने बताया चौंकाने वाला सच

एसआई जयकिशन के लिए यह जानकारी अहम थी. वह दिल्ली लौटे तो उन्होंने 2 पुलिस वाले भेज कर निशा को बवाना थाने में बुलवा लिया.

निशा को अपने सामने बिठा कर एसआई जयकिशन ने बगैर कोई भूमिका बांधे सवाल दाग दिया, ”राजेश की हत्या तुम्हारे इशारे पर हुई है निशा, हमें यह बात तुम्हारे प्रेमी बालेश कुमार ने बता दी है.’’

”झूठ है साहब.’’ निशा बौखला कर बोली, ”भला मैं अपने पति की हत्या क्यों करवाऊंगी, वह तो मेरे सुहाग थे.’’

”अगर पति को सुहाग मानती थी तो बालेश से तुम ने अवैध संबंध क्यों बना रखे थे?’’

निशा वर्मा ने सिर झुका लिया. धीरे से बोली, ”बालेश से मेरा प्रेम संबंध शादी से पहले का रहा है. राजेश से शादी के बाद मैं ने बालेश से संबंध खत्म करने की कोशिश की, लेकिन बालेश ने ऐसा नहीं होने दिया. मैं इस के लिए दोषी ठहराई जा सकती हूं, किंतु मैं ने बालेश के द्वारा अपने पति की हत्या नहीं करवाई है. मैं अपने बच्चों की कसम खाती हूं, मुझे नहीं मालूम मेरे पति की हत्या किस ने की है.’’

”तुम्हारा पति 20 तारीख की दोपहर में घर से गया था. क्या उस के देर तक न लौटने पर तुम ने फोन कर के मालूम किया था कि वह कहां है?’’

”मैं पूरा दिन अपने पति का इंतजार करती रही थी, परेशान हो कर मैं ने रात को 8 बजे उन्हें फोन मिलाया तो सुंदर लाल ने उठाया. वह नशे में लग रहा था. उस ने कहा था कि राजेश मेरे साथ है. अभी घर लौट आएगा.’’

”यह सुंदर कौन है?’’ एसआई जयकिशन ने पूछा.

”बालेश का भाई है साहब.’’

एसआई जयकिशन की आंखों में तीखी चमक उभरी, ”सुंदर कहां रहता है?’’

”वह विकास विहार, मानस कुंज रोड, उत्तम नगर में ही रहता है. उस का मकान नंबर क्यू-7 है.’’

एसआई जयकिशन ने कांस्टेबल मनदीप के साथ 2 कांस्टेबल उत्तमनगर सुंदर लाल को बुलाने के लिए रवाना कर दिए. शाम तक वह सुंदर लाल को उस के घर से पकड़ कर थाने में ले आए. सुंदर लाल 31 साल का हृष्टपुष्ट युवक था. उस का चेहरा सामान्य था. किसी प्रकार की घबराहट चेहरे पर नजर नहीं आ रही थी. एसएचओ राम अवतार मीणा भी वहां आ गए थे. उन के सामने सुंदर लाल से पूछताछ शुरू हुई.

एसआई जयकिशन ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ”तुम कल रात को अपने साले राजेश के साथ थे. तुम घर पहुंच गए, लेकिन राजेश अभी तक अपने घर नहीं पहुंचा है. बताओ, राजेश कहां है?’’

”मैं ने तो उसे 7 बजे ही घर के लिए भेज दिया था साहब… वह घर क्यों नहीं पहुंचा, मैं क्या जानूं.’’

एसआई जयकिशन ने खींच कर एक करारा थप्पड़ उस के गाल पर रसीद कर दिया, ”झूठ बोलता है, रात 8 बजे तो तूने निशा का फोन रिसीव किया था और उस को बताया था कि राजेश तेरे साथ है.’’

”नहीं साहब, मुझे निशा का कोई फोन नहीं आया था.’’

एसआई जयकिशन ने पास में खड़े कांस्टेबल मनदीप को इशारा करते हुए कहा, ”यह बगैर डंडे खाए सच नहीं बोलेगा, टार्चर रूम में ले जा कर इस की खातिरदारी करो.’’

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 2

कपल कार ले कर क्यों हुआ फरार

ऐसे में गोवा पुलिस भी इन दोनों मामलों को एकदूसरे से जोड़ कर देखने लगी थी और पुलिस ने फौरन कार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया.

जांच में पता चला कि कार उस समय महाराष्ट्र के नवी मुंबई से मुंबई की तरफ दौड़ रही थी. एक बार फिर गोवा पुलिस ने कत्ल के एकदूसरे मामले में मुस्तैदी की वैसी ही मिसाल पेश की थी. इस बार गोवा पुलिस ने एक अमीर कारोबारी के कत्ल के सिलसिले में गोवा से करीब 470 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पेण इलाके से 2 संदिग्ध कातिलों को धर दबोचने में सफलता प्राप्त की.

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जब गोवा पुलिस ने नवी मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें उस संदिग्ध कार की जानकारी दी, जिस में संदिग्ध कातिल फरार हुए, उन का लोकेशन भी बताई. उस के तुरंत बाद नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 की टीम ने कार को ट्रैक करना शुरू कर दिया और आखिरकार उसे महाराष्ट्र के ही रायगढ़ जिले के अतर्गत पेण इलाके से कार में बैठे लोगों को हिरासत में ले लिया.

गोवा पुलिस की शिकायत के मुताबिक नवी मुंबई पुलिस को कार में एक संदिग्ध जोड़ा मिला, जिन्हें पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया. वैसे तो इस जोड़े के साथ कार में एक और शख्स भी था, जो उन के साथ गोवा गया था, लेकिन वह पहले ही वहां से भाग निकला था.

इस के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला. मुंबई पुलिस दोनों से कार ले कर भागने की वजह जानने के साथसाथ नरोत्तम सिंह ढिल्लों के मर्डर के एंगल से भी पूछताछ करने लगी.

पहले तो काफी देर तक दोनों ने कत्ल वाली बात से इंकार किया, लेकिन जब उन की तलाशी में मृतक ढिल्लों के पास से लूटे गए गहने बरामद हो गए तो सारा मामला साफ हो गया था.

पकड़े गए जोड़े की हुई पहचान

नवी मुंबई पुलिस द्वारा पकड़े गए जोड़े की पहचान 32 वर्षीय जितेंद्र साहू और उस की 22 वर्षीय प्रेमिका नीतू शंकर राहुजा के तौर पर हुई, लेकिन दोनों से शुरू हुई पूछताछ के बाद एक कहानी जो निकल कर सामने आई, उस ने नवी मुंबई पुलिस से ले कर गोवा पुलिस तक का दिमाग ही घुमा दिया था. इस कातिल जोड़े के अनुसार कि इस कत्ल के पीछे सिर्फ लूटपाट की वजह नहीं, बल्कि धोखे और बदतमीजी की कहानी छिपी थी.

कपल ने पुलिस को बताया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों से उन की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी. ढिल्लों ने उन्हें अपना परिचय देते हुए गोवा में पार्टी करने के लिए और मिलने के लिए बुलवाया था. मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली यह जोड़ी नरोत्तम सिंह ढिल्लों के बुलावे पर गोवा में उन के विला होरीजंस अजर्ड पर पार्टी करने पहुंची थी.

दोनों ने पुलिस को बताया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को पार्टी के बाद नरोत्तम सिंह ढिल्लों अपनी मेहमान लड़की से बदतमीजी पर उतर आए थे. उस के बाद जब कपल ने उन का विरोध किया तो ढिल्लों अपने रसूख का हवाला दे कर डराने धमकाने पर उतर आए थे.

बस ठीक उस के बाद गुस्से में उन की ढिल्लों से लड़ाई हो गई और इसी लड़ाई के दौरान अपना बचाव करते हुए उन के हाथों नरोत्तम सिंह ढिल्लों का अनजाने में मर्डर हो गया था. पोस्टमार्टम जांच में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था.

उधर नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया, ”गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया है कि ढिल्लों ने आरोपी महिला का यौन उत्पीडऩ किया था, इसलिए हम दोनों आरोपियों के फोटो उजागर करने में असमर्थ हैं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने दावा किया है कि युवती के साथ यौन उत्पीडऩ करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने नरोत्तम सिंह ढिल्लों का गला घोंट दिया था. फिर उन्होंने उन की सोने की चेन, सोने का कड़ा और मोबाइल लूट लिया. उस के बाद एक किराए की एसयूवी में मुंबई की ओर भाग गए. वे इस बात से अनजान थे कि कार में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है.’’

पुलिस को कई सवालों के जवाबों की थी तलाश

दोनों आरोपी कत्ल करने के बावजूद मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर ही बदतमीजी करने और यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा रहे थे. जाहिर सी बात है कि एक सवाल यह भी था कि अगर वाकई गुस्से में आ कर ही ढिल्लों को जान ली तो फिर कत्ल के बाद उन्होंने ढिल्लों के जेवर और मोबाइल फोन जैसी कीमती चीजें क्यों लूट ली थीं?

गोवा पुलिस असल बात की तह तक पहुंचना चाहती थी कि कहीं कत्ल का मकसद केवल लूटपाट करना ही तो नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे लूटपाट के अपने मकसद को छिपाने के लिए ढिल्लों के उत्पीडऩ या छेड़छाड़ वाली काल्पनिक कहानी सुना रहे हैं. गोवा पुलिस ने अब दोनों से इसी संबंध में अलगअलग विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया था.

गोवा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों की रहस्यमयी हत्या के आरोप में गिरफ्तार भोपाल का 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू ही इस मामले का मास्टरमाइंड निकला. गोवा पुलिस के अनुसार जितेंद्र साहू पूर्व में नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मैनेजर भी रह चुका था.

जितेंद्र साहू को इस बात का पता था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार से दूर अकेले रह कर गोवा में शाही जिंदगी जीते हैं. गोवा में उन के नाम पर विलाज और होटल भी हैं. जितेंद्र विला को हड़पना चाहता था और ढिल्लों से करोड़ों रुपए हड़पना चाहता था, इसलिए उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को हनीट्रैप के जाल में फंसाने की एक फुलपू्रफ योजना बनाई थी.

प्यार में की थीं 3 हत्याएं : 19 साल बाद खुला राज – भाग 1

लाश जिस व्यक्ति की थी, उस की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह खाकी रंग का पाजामा और सफेद रंग की हाफ बाजू की कमीज पहने हुए था. उस की बाईं आंख पर चोट के निशान थे. सूजन भी थी. लग रहा था जैसे उस की आंख पर घूंसे मारे गए हैं.

उस की गरदन पर रस्सी के दबाव से बने नीले निशान साफ दिखाई पड़ रहे थे, इस से जाहिर होता था कि रस्सी के द्वारा गला घोंट कर इस को मारा गया है. एसआई जयकिशन ने मृतक के पाजामा और कमीज की जेबें टटोलीं, लेकिन उन में थोड़े से रुपयों के अलावा ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से उस की पहचान हो सकती थी.

पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली निशा वर्मा सुबह जल्दी जाग गई थी, उस के पति राजेश को एक रिश्तेदारी में करनाल (हरियाणा) जाना था. निशा ने उठ कर पति के लिए चायपरांठे बनाए और उसे नाश्ता करवाने के बाद सफर के लिए रवाना कर दिया. फिर वह घर के दूसरे काम निपटाने में व्यस्त हो गई.

उस ने झाड़ूपोंछा करने के बाद बच्चों को उठाया और उन्हें तैयार कर के स्कूल भेज दिया. अब वह नहाने की तैयारी करने लगी थी. वह घर का बाहरी दरवाजा बंद कर के बाथरूम की ओर बढ़ी ही थी कि दरवाजे को किसी ने खटखटा दिया.

‘कौन आ गया सुबहसुबह?’ वह बड़बड़ाई और पलट कर दरवाजे के पास आ गई. दरवाजे को कोई अभी भी खटखटा रहा था.

”कौन है?’’ उस ने ऊंची आवाज में पूछा.

”मैं बालेश हूं निशा, दरवाजा खोलो.’’

बालेश का नाम सुनते ही निशा रोमांच से भर गई. उस के तनमन में वासना की तरंगें हिलोरें लेने लगीं. झट से उस ने दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर बालेश खड़ा था.

”आओ, अंदर आ जाओ.’’ वह आवाज में मिश्री घोलते हुए बोली.

बालेश कुमार अंदर आ गया तो निशा ने दरवाजा फिर से बंद कर लिया. बालेश ने जवानी के बोझ से लदी निशा को ऊपर से नीचे तक निहारा, फिर ड्राइंग रूम की तरफ कदम बढ़ाते हुए मुसकरा कर बोला, ”ऐसा क्या खाती हो निशा, तुम्हारा यौवन दिन पर दिन गुलाब की तरह खिलता जा रहा है.’’

”तुम्हारे प्यार का जादू है यह बालेश. शादी से पहले भी मैं तुम्हारे आगोश में कामना के हिंडोले पर झूलती रही हूं. शादी के बाद मेरी जवानी के तुम ही खेवैया हो. ऐसे में इस जवानी में निखार तो आएगा ही.’’

”इस में राजेश का भी तो योगदान है निशा… वह…’’

निशा ने बालेश के होंठों पर हाथ रख कर उस का वाक्य अधूरा कर दिया, ”वह मेरा नाम का पति है बालेश, उस में तुम्हारे जैसा दमखम नहीं है. वैसे भी मैं उसे अब ज्यादा मुंह नहीं लगाती.’’

बालेश हंस पड़ा, ”लगता है, मेरे प्यार में तुम पूरी तरह पागल हो चुकी हो.’’

निशा मुसकराते हुए बोली, ”ऐसा ही समझ लो, हमारी लव स्टोरी कुछ ऐसी ही है.’’ निशा ने बालेश के गले में अपनी बाहें डाल कर उस के होंठ चूमते हुए मदहोशी से कहा, ”मैं हमेशा तुम्हारी बाहों में रहना चाहती हूं बालेश, तुम्हारी रानी बन कर.’’

”यह संभव नहीं है निशा. तुम जानती हो मेरी बीवी है, बच्चे हैं.’’

”बीवी को तलाक दे दो. क्या मेरी खातिर तुम ऐसा नहीं कर सकते?’’

निशा की बांहों से अपनी गरदन निकालते हुए बालेश ने गहरी सांस ली, ”ऐसा हो सकता है, लेकिन मैं अपनी पत्नी को धोखा नहीं दूंगा. फिर ऐसा करना जरूरी भी नहीं है. मैं तुम्हें भी उतना ही प्यार करता हूं निशा, जितना अपनी पत्नी को करता हूं. तुम्हारी जरूरतें भी मैं पूरी करता रहता हूं. इसलिए जैसा चल रहा है, चलने दो.’’

निशा के चेहरे पर उदासी की परतें जम गईं, ”बालेश, हम चोरीछिपे अपने प्यार को जिंदा रखे हुए हैं, लेकिन मुझे राजेश की ओर से अब डर लगने लगा है. वह तुम्हें ले कर मुझ से 2-3 बार लड़ाई कर चुका है. उस का कहना है कि मेरा तुम से इश्क विश्क का चक्कर चल रहा है. मैं उसे विश्वास दिलाने के लिए झूठी कसमें खाती हूं, उस को यकीन दिलाती हूं कि तुम मेरे भाई जैसे हो. तुम्हीं बताओ, ऐसा लुकाछिपी का प्यार कब तक चलेगा. किसी दिन राजेश ने हमें रंगेहाथ पकड़ लिया तो वह मेरी चमड़ी उधेड़ देगा.’’

”उस ने तुम पर हाथ उठाया तो मैं उस के हाथ तोड़ डालूंगा. मैं यह भूल जाऊंगा कि दूर के रिश्ते में वह मेरा साला लगता है.’’ बालेश आवेश में बोला.

”ऐसा न हो, मैं यही चाहती हूं. तुम मुझ से मिलने आया करो तो सावधानी बरता करो और आने से पहले मुझे फोन कर लिया करो.’’

”ठीक है.’’ बालेश ने सिर हिलाया, ”अब बैड पर चलो, बहुत दिनों से तुम्हें अपनी आगोश में ले कर भरपूर प्यार नहीं किया है.’’

निशा ने कातिल अंगड़ाई ली और राजेश के गले में अपनी बाहें डाल दीं. बालेश ने निशा को अपनी गोद में उठा लिया और पलंग की ओर बढ़ गया.

20 अप्रैल, 2004 को सुबह 6.25 बजे कंट्रोलरूम द्वारा दिल्ली के थाना बवाना को वायरलैस से सूचना मिली कि प्रह्लादपुर, बांगर गांव के सामने सर्वोदय बाल विद्यालय के पास एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है, जा कर देखें.

थाना बवाना के तत्कालीन एसएचओ राम अवतार मीणा उस वक्त थाने में मौजूद थे. वह तुरंत एसआई जयकिशन और कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

कैसे हुई मृतक की पहचान

मार्निंग वाक पर निकले कुछ लोग लाश देख कर रुक गए थे. पुलिस वैन जब घटनास्थल पर पहुंची तो वह लोग लाश से दूर हट गए. वह लाश किसी युवक की थी, जिस की शिनाख्त वहां मौजूद लोगों से नहीं हो सकी.

उस व्यक्ति की पहचान होना जरूरी थी. एसआई जयकिशन ने वहां मौजूद लोगों से मृतक की शिनाख्त करवाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.

”सर, लगता है कि इस लाश को यहां पर कहीं और से ला कर फेंका गया है, इसे यहां कोई नहीं पहचानता है.’’ एसआई जयकिशन ने एसएचओ मीणा से कहा.

एसएचओ ने आसपास नजरें दौड़ाईं. वहां उन्हें कोई सीसीटीवी कैमरा भी नजर नहीं आया. कुछ सोच कर उन्होंने मृतक की कमीज पर लगे टेलर के लेबल को चैक किया, वह उत्तम नगर के नंदराम पार्क के वर्मा टेलर के नाम से था. उन्होंने वह पता डायरी में नोट करने के बाद लाश का पंचनामा बनाया और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 1

विला के अंदर नरोत्तम सिंह ढिल्लों की लाश उन के बिस्तर पर पड़ी थी, चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. उन के कपड़े भी अस्तव्यस्त नजर आ रहे थे और लाश पर कुछ चोटों के निशान भी मौजूद थे. देखने से साफ साफ लग रहा था कि ढिल्लों की मौत कोई सामान्य मौत नहीं है, बल्कि मौत से पहले उन के साथ मारपीट और ज्यादती की गई थी.

पुलिस ने लाश का जब बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मोबाइल फोन और उन के सोने के जेवर भी नदारद थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों आमतौर पर सोने का कड़ा, सोने की चेन और सोने की बेशकीमती कई अंगूठियां पहनते थे, लेकिन हत्यारों ने हत्या करने के साथसाथ उन से लूटपाट भी की थी.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई और शिरोमणी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के भतीजे थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब मुक्तसर के बादल गांव के मूल निवासी थे.

उत्तरी गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका गोवा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. वैसे तो पूरा का पूरा गोवा ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका अपने हाईप्रोफाइल विलाज और अपनी शानदार हौस्पिटैलिटी के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है.

रविवार दिनांक 4 फरवरी को सुबह लगभग साढ़े 7 बजे इसी पिलेर्ने मार्रा इलाके से सुबहसुबह गोवा के पारवोरिम थाने में पुलिस को सूचना मिली कि यहां होरीजंस अजर्ड विला में एक शख्स की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मरने वाला विला का मालिक है, नरोत्तम सिंह ढिल्लों हैं.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह उर्फ निम्स ढिल्लों की गिनती इलाके के रईसों में होती थी, जो इस पिलेर्ने मार्रा इलाके में सिर्फ एक नहीं, बल्कि 3-3 आलीशान विलाज के मालिक थे. इन में एक विला का इस्तेमाल वह खुद करते थे, जबकि बाकी के 2 विलाज को उन्होंने गेस्टहाउस बना रखा था.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों की इस के अतिरिक्त एक और भी विशिष्ट पहचान थी, वह यह थी कि वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई थे. अब इतने अमीर और प्रभावशाली कारोबारी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत की खबर अपने आप में काफी गंभीर बात थी. लिहाजा यह खबर मिलते ही पोखोरिम थाने के एसएचओ राहुल परब ने इस की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

Nidhin valson SP Goa

एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन

अगले ही पल एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन और पारवोरिम थाने के इंसपेक्टर राहुल परब अपनी पुलिस टीम के साथ आननफानन में ढिल्लों के विला में पहुंच गए.

अब तक घटनास्थल पर पुलिस के अलावा फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी पहुंच चुके थे. कत्ल की खबर वाकई एकदम सही थी.

विला में पहुंची पुलिस, पुलिस के खोजी कुत्ते और फोरैंसिक टीम ने अपनेअपने स्तर पर अज्ञात कातिलों के बारे में सुराग इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन इस शुरुआती कोशिश में कत्ल के पीछे का मोटिव लूटपाट का ही नजर आया.

 क्यों किया गया नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मर्डर

यह भी एक अजीब सा इत्तेफाक था कि लाश मिलने और नरोत्तम सिंह की कत्ल की जांच करने से अलग उत्तरी गोवा के ही पारवोरिम पुलिस स्टेशन में बीती रात यानी कि 3 फरवरी, 2024 की रात को एक और शिकायत मिली थी. ये दूसरी शिकायत ‘रेंट ए कार’ के तहत अपनी कार किराए पर देने वाले एक शख्स ने पुलिस से की थी.

उस ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक दिन पहले एक कपल ने उस से एक कार किराए पर ली थी. रेंट ए कार के तहत ग्राहक कार ले कर स्टेट से यानी गोवा से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना था कि कार ले कर जाने वाले लोग न सिर्फ सिर्फ गोवा से बाहर मुंबई की तरफ जा रहे हैं, बल्कि बारबार फोन करने पर भी वे लोग उस का फोन नहीं उठा रहे हैं.

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होरीजंस अजर्ड’ विला

पुलिस नरोत्तम सिंह ढिल्लों हत्याकांड की जांच बड़ी सूक्ष्मता और बारीकी से कर रही थी, लेकिन इस बीच ‘होरीजंस अजर्ड’ विला की छानबीन करतेकरते पुलिस की नजर एक सीसीटीवी फुटेज पर पड़ गई, जोकि एक पास की दूसरी बिल्डिंग के कैमरे में कैद हो गई थी.

इस फुटेज की जब गोवा पुलिस ने गहनता से जांचपड़ताल की तो पाया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को तकरीबन साढ़े 3 बजे मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड विला से एक कार रवाना हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन करने पर गोवा पुलिस को यह बात भी पता चली कि एक नौजवान कपल 3 फरवरी, 2024 की रात को उन के निजी विला पर पार्टी के लिए पहुंचा था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों और उन के उन मेहमानों ने रात को करीब 2 बजे डिनर लिया था यानी कि कत्ल से पहले वाली रात को मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों कुछ लोगों को होस्ट कर रहे थे और उन की मेहमानवाजी में लगे थे.

जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थिति में पुलिस का शक अब उन मेहमानों पर ही जा टिका था, जो नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड में बीती रात को पार्टी करने पहुंचे थे. अभी पुलिस उन लोगों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर ही रही थी, तभी पुलिस को एक विशेष बात पता चली कि बीती रात उन के घर निकलने वाले लोगों ने मेनगेट का नहीं, बल्कि एक खिड़की का सहारा लिया था.

Khidki jaha se qatil bhage the

असल में ‘होरीजंस अजर्ड’ विला के कर्मचारियों को 4 फरवरी, 2024 की सुबह वह खिड़की खुली हुई मिली, जबकि वह आमतौर पर बंद ही रहती थी, जबकि मेनगेट बंद था. इस तरह अब तक की सारी तफ्तीश नरोत्तम सिंह ढिल्लों के अनजान मेहमानों पर पूरी तरह से टिक चुकी थी, लेकिन वो मेहमान कौन थे, कहां से आए थे, कहां गए, उन की पहचान आखिर क्या थी, ये अभी तक राज बना हुआ था.

इन दोनों ही मामलों में कुछ अजीब से इत्तफाक भी थे. अव्वल तो कार ले कर भागने वाला भी एक कपल था और नरोत्तम सिंह ढिल्लों के कत्ल में भी कपल के हाथ होने का शक था. कार की चोरी भी तकरीबन उसी दौरान हुई थी, जिस दौरान ढिल्लों की हत्या हुई थी, सब से बड़ी और खास बात तो यह थी कि दोनों ही मामले गोवा के पारवोरिम थाना इलाके में हुए थे.

Top 10 Suspense Short Crime Stories In Hindi : सस्पेंस शार्ट क्राइम स्टोरीज हिंदी

Top 10 Suspense Short Crime Stories In Hindi: अगर आपको भी है सस्पेंस (Suspense) से भरी क्राइम स्टोरीज (Crime Stories) पढ़ने का शौक तो आपकी पसंदीदा क्राइम मैगजीन मनोहर कहानियां लेकर आया है रहस्य से भरपूर टॉप 10 सस्पेंस शार्ट क्राइम स्टोरीज हिंदी.

1. हत्यारी लाश : खुला कत्ल का राज

‘‘ यह खून 15 मिनट बाद हुआ है.’’ डाक्टर ने कहा, ‘‘उस बीच फुरकान तिजोरी में रखी चीजों का निरीक्षण करता रहा होगा, क्योंकि वह जानता था कि उस कमरे में कोई और नहीं आ सकता. 15 मिनट बाद मृत इरफान साहब ने गोलियां चला कर अपने पोते फुरकान का खून कर दिया. इत्तेफाक से उसी समय बदकिस्मती से सफदर खुली हुई खिड़की से अंदर आया. उस के लिए मैदान साफ था. वह तिजोरी से नकद और बांड ले कर भाग गया.’’

‘‘सवाल फिर वही है कि मौत के बाद खून किस तरह किया गया?’’ सरकारी वकील ने कहा.

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2. आखिर क्या था कमरा नंबर 104 का रहस्य

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पूरा दिन बीत गया और उस कमरे में कोई हलचल नहीं हुई तो रात 10 बजे के करीब होटल मैनेजर दीपक यह पता करने के लिए कमरा नंबर 104 के सामने जा पहुंचे कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि करीब 30 घंटे से इस कमरे से कोई बाहर नहीं निकला है.

दीपक ने दरवाजा भी खटखटाया और आवाजें भी दीं, लेकिन अंदर किसी तरह की हलचल नहीं हुई. उन्होंने डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला. अंदर उन्हें जो दिखाई दिया, वह परेशान करने वाला था. वह भाग कर नीचे आए और होटल के मालिक करनदीप सिंह को फोन कर के कहा, ‘‘सरदारजी, कमरा नंबर 104 में एक लाश पड़ी है.’’

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3. रहस्यमय हवेली: आखिरी क्या था उस हवेली का राज

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विवेक और सुदर्शन चुपचाप भंवर सिंह के पीछे चल दिए. हवेली के एक छोर पर जा कर उस ने एक दरवाजा खोला. दरवाजे के पास नीचे जाने के लिए सीढि़यां थीं. सीढि़यां उतर कर वे एक कमरे में पहुंचे. यह तहखाना था, जिस की दीवारों पर विचित्र सी आकृतियां बनी थीं. अंधेरे को दूर करने के लिए लालटेन की रोशनी कम थी.

‘‘भंवर सिंह यह सामने क्या है?’’ अंधेरे में नजर टिका कर विवेक और सुदर्शन ने पूछा.

‘‘साहबजी, यह नर कंकाल हैं.’’

‘‘किसलिए?’’ विवेक और सुदर्शन की आवाज कांप गई.

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4. रहस्य में लिपटी विधायक की मौत

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रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुए अभी 5 मिनट भी नहीं हुए थे कि 2 नकाबपोश फुरती से पंडाल में पहुंचे. इस से पहले कि लोग कुछ समझ पाते, उन्होंने पीछे से विधायक सत्यजीत बिस्वास पर निशाना साध कर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. गोलियां बरसा कर वे दोनों वहां से फरार हो गए. भागते हुए उन्होंने असलहे को वहीं पर फेंक दिया.

विधायक को 3 गोलियां लगी थीं. गोलियां लगते ही वह कुरसी पर गिर कर तड़पने लगे. गोली चलने से हाल में भगदड़ मच गई. जरा सी देर में वहां अफरातफरी का माहौल बन गया. तृणमूल कांग्रेस के नेता गौरीशंकर, रत्ना घोष सहित अन्य लोग आननफानन में गंभीर रूप से घायल विधायक बिस्वास को कार से जिला अस्पताल ले गए. लेकिन डाक्टरों ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया.

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5. सिरकटी लाश का रहस्य

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पुलिस ने मौके पर पहुंच कर लाश को नाले से बाहर निकलवाया. बोरी में मृतक का सिर नहीं था. हां, धड़ जरूर था. कंधों से बाजू कटे हुए थे. कपड़ों के नाम पर मृतक के शरीर पर केवल अंडरवियर था. कई दिनों से लाश नाले के पानी में पड़ी रहने से बुरी तरह से गल चुकी थी, जिस की पहचान मुश्किल थी. वैसे भी बिना सिर के मृतक की शिनाख्त करना असंभव काम था.

पहचान के लिए मृतक के शरीर पर ऐसा कोई निशान नहीं था, जिस के सहारे पुलिस उस की शिनाख्त कराती. सिर और बाजू कटी लाश मिलने से पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी, दहशत का माहौल बन गया था.

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6. 5 सालों का रहस्य : किस वजह से जागीर को जान गंवानी पड़ी

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पत्नी की मौत के बाद गुरदेव सिंह टूट से गए थे. जैसेतैसे उन्होंने अपने दोनों बेटों की परवरिश की. आज से करीब 15 साल पहले गुरदेव सिंह भी दुनिया छोड़ कर चले गए. पर मरने से पहले गुरदेव सिंह यह सोच कर बड़े बेटे जागीर सिंह का विवाह अपने एक जिगरी दोस्त की बेटी मंजीत कौर के साथ कर गए थे कि वह जिम्मेदारी के साथ उस का घर संभाल लेगी.

मंजीत कौर तेजतर्रार और झगड़ालू किस्म की औरत थी. उस ने घर की जिम्मेदारी तो संभाल ली, लेकिन पति और देवर की कमाई अपने पास रखती थी. दोनों भाई जमींदारों के खेतों में मेहनतमजदूरी कर के जो भी कमा कर लाते, मंजीत कौर के हाथ पर रख देते. लेकिन पत्नी की आदत को देखते हुए जागीर सिंह कुछ पैसे बचा कर रख लेता था.

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7. मौत का दरवाजा

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जब रिजोश शराब के नशे में धुत हो जाता था, तो वसीम उसे छोड़ने के बहाने उस के घर आ जाता. घर पहुंच कर वह लिजी से सहानुभुति बटोरने के लिए कहता कि रिजोश नशे में धुत सड़क पर पड़ा था, मैं ने देखा तो उठा कर ले आया. रिजोश को उस के कमरे तक पहुंचाने के लिए वह लिजी की मदद लेता और उसी दौरान लिजी के बदन को स्पर्श कर लेता था. लिजी चाह कर भी उस का विरोध नहीं कर पाती थी.  लिजी जब नशे में चूर रिजोश को आड़े हाथों लेती, तो वह बीचबचाव करने लगता.

जब कई बार ऐसा हुआ तो मौका देख कर एक दिन वसीम ने हिम्मत कर के लिजी का हाथ पकड़ लिया. लिजी ने जब हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो वसीम ने उस का हाथ नहीं छोड़ा और कहा, ‘‘लिजी मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता.’’

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  8. जब शिकारी बना शिकार

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डिसिल्वा के दिल की धड़कन बढ़ गई. उसे लगा, कुदरत आज उस पर पूरी तरह मेहरबान है. मैरी खुद ही उसे बालकनी की ओर ले जा रही है. सब कुछ उस की योजना के मुताबिक हो रहा है. किसी की हत्या करना वाकई दुनिया का सब से आसान काम है.

डिसिल्वा मैरी के साथ बालकनी पर पहुंचा. उस ने झुक कर नीचे देखा. उसे झटका सा लगा. उस के मुंह से चीख निकली. वह हवा में गोते लगा रहा था. तभी एक भयानक चीख के साथ सब कुछ  खत्म. वह नीचे छोटीछोटी छतरियों के बीच गठरी सा पड़ा था. उस के आसपास भीड़ लग गई थी. लोग आपस में कह रहे थे, ‘‘ओह माई गौड, कितना भयानक हादसा है. पुलिस को सूचित करो, ऐंबुलेंस मंगाओ. लाश के ऊपर कोई कपड़ा डाल दो.’’

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9. दो गज जमीन के नीचे: क्यों बेमौत मारा गया वो शख्स

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निरंजन की मौत के बाद चचेरे, ममेरे भाई आसपास मंडराते नजर आए. 4 साल निरंजन के साथ रह कर नताशा इतनी तो चतुर हो ही गई थी कि चील, बाज और गिद्धों को पहचान ले. उस ने बड़ी ही चतुराई से उन्हें नजरअंदाज करते हुए रफादफा किया.

नताशा अब कठघरे में थी. सारा शक उसी पर था. जांच जारी थी. यह बात भी सच थी कि रात के 11 बजे जब कत्ल का खुलासा हुआ, तब तक नताशा और निरंजन घर में अकेले थे और दोनों इस के पहले तक चीखचीख कर लड़ रहे थे, पड़ोसियों ने सुना था.

पुलिस अपनी ओर से शिनाख्त में व्यस्त थी, लेकिन मैं नताशा से मिलने के लिए उतावली थी. क्या निरंजन जैसे सख्त जान आदमी नताशा जैसी साधारण डीलडौल वाली लड़की से मात खाया होगा.

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10. 130 मिस्ड काल का रहस्य

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रात ढाई बजे के करीब सिपाही रामकिशोर की नींद खुली तो वह लघुशंका के लिए बाहर निकला. उस की नजर तहसील परिसर में बने कुएं की ओर गई तो उस ने देखा कि कुएं के ऊपर लगे लोहे के जाल पर उस का साथी सिपाही रामप्रकाश वर्मा लटक रहा है.

यह देख रामकिशोर स्तब्ध रह गया. उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रामप्रकाश वर्मा बहुत ही खुशदिल युवा सिपाही था. उस से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. रामकिशोर कुएं के नजदीक पहुंचा तो पता चला कि मफलर का फंदा बना कर रामप्रकाश वर्मा ने आत्महत्या कर ली है.

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Top 10 Medical Crime Stories In Hindi: टॉप 10 मेडिकल क्राइम स्टोरीज हिंदी में

Top 10 Medical Crime Stories In Hindi : इन मेडिकल क्राइम स्टोरीज को पढ़कर आप जान पाएंगे कि चिकित्सा क्षेत्र में आज कल इलाज के नाम पर क्या क्या घोटाले किए जा रहे हैं. कहीं नकली दवाएं बेचीं जा रही हैं तो कही घटिया पेसमेकर लगा कर डाक्टर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं. जिन डॉक्टर्स को हम भगवान् का दरजा देते हैं, वही अपने फायदे के लिए मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे. मनोहर कहानियां के इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं ऐसी ही Top 10 Medical Crime Stories In Hindi

1. फरजी डाक्टर, औपरेशन धड़ाधड़, 9 मौतें

महेंद्र टेक्नीशियन होने के बाद भी मैडिकल सेंटर चला रहा था. यहां दलालों को 35 फीसदी की दलाली दे कर मरीजों को बुलाया जाता था, जिस के बाद उन की नकली ब्लड रिपोर्ट तैयार की जाती थी. ब्लड रिपोर्ट में फरजी बीमारियां दिखा कर लैब टेक्नीशियन उसी आधार पर उन लोगों का औपरेशन कर देता था.

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2. घटिया पेसमेकर से 200 की मौत

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जांच में पता चला है कि  डा. समीर सर्राफ ने कुछ मामलों में तो मरीजों को यूज्ड यानी कि इस्तेमाल किए गए पेसमेकर ही धोखे से लगा डाले थे. यानी कि यदि किसी मरीज की मौत हो गई थी तो धोखे से उस मरीज का पेसमेकर निकाल लिया और फिर उसी पेसमेकर को किसी दूसरे मरीज के अंदर प्लांट कर दिया, जबकि वह दूसरे मरीज से नए और ब्रांडेड पेसमेकर के पैसे पहले से ही वसूल चुका होता था.

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3. जहरीला कफ सिरप

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कुछ घंटे बाद इरफान की नींद खुल गई. वह बेचैनी की हालत में था. अचानक जोर की खांसी उठी और उसे उल्टियां होने लगीं. जफर ने दवाई दुकानदार के कहे अनुसार उसे दूसरी खुराक पिला दी. बच्चा फिर सो गया. गहरी नींद में सो रहे बच्चे को देख कर जफर एक बार फिर आश्वस्त हो गया कि उस का बेटा स्वस्थ होने की स्थिति में आ चुका है. किंतु उस ने बच्चे में एक बदलाव भी देखा. उस का पेट फूला हुआ था.

जफरुद्दीन तुरंत उसे ले कर जम्मू शहर के अस्पताल गए. डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने उस की हालत देख कर भरती कर लिया. उस का इलाज शुरू हुआ, लेकिन हालत सुधरने के बजाय दिनबदिन बिगड़ती चली गई और सप्ताह भर बाद इरफान की मृत्यु हो गई.

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4. चाइना गर्ल (फेंटानाइल) : दर्द से नहीं, जिंदगी से राहत

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राजेश ने जब तीसरी गोली खाई तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि इस गोली को खाने से ऐसा नशा होता है, जो न तो किसी को पता चलता है और न कोई जान पाता है कि इसे खाने वाला कोई नशा किए है. जबकि गोली को खाते ही तुरंत नशा हो जाता है, जो कम से कम से 8 से 10 घंटे तक रहता है.

राजेश को उस के दोस्त ने मात्र 3 गोलियां ही ला कर दी थीं. उस ने तीनों गोलियां खा लीं. अब उस के पास उस दवा की एक भी गोली नहीं थी. वह दिन में पढ़ाई करता था और अपना खर्च चलाने के लिए सुबहशाम पार्ट टाइम नौकरी भी करता था. एक दिन अचानक राजेश की मौत हो गई.

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5. वर्षा वानखेड़े बनी मुन्नाभाई एमबीबीएस

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एक दिन अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) के एसपी सुनील शर्मा के पास डा. खुशबू साहू नाम की महिला पहुंची. उस ने बताया, ”सर, मैं इस समय सरगुजा जिले के लहपटरा में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में तैनात हूं. मुझे पता चला है कि मेरे नाम से होली क्रौस अस्पताल में कोई महिला डाक्टरी कर रही है. उस के कागजों की जांच कर कानूनी काररवाई की जाए.’‘

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6. यूट्यूबर बना नीम हकीम

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अब्दुल्ला पठान जानता था कि देसी दवाओं की तरफ देशवासियों का रुझान बढ़ रहा है और इस लाइन में खूब दौलत कमाई जा सकती है. इस ने किसी हकीम के पास, किसी वैद्य के पास पुड़िया बांधने, इलाज करने या उपचार करने का काम कभी नहीं सीखा. सरकारी संस्थान या प्राइवेट संस्थान में आयुर्वेदिक या यूनानी दवा की कोई पढ़ाई भी नहीं की.

इस की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट पास बताई गई है. मर्दाना ताकत, धात, नाइटफाल, टाइम बढ़ाना, लिकोरिया, वजन बढ़ाना, बालों का झड़ना, पेट का इलाज, पथरी का इलाज, चेहरे पर पिंपल आदि बीमारियों का इलाज देसी जड़ीबूटियों द्वारा करने का यह प्रचार करने लगा. स्त्री एवं पुरुषों के गुप्त रोगों के इलाज का सोशल मीडिया पर बैनर जारी कर दिया.

7. फर्जी डाक्टर नकली शादियां

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थाने में शिंदे से पूछताछ के बाद उस के बारे में जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी. बल्कि वह एक फरजी डाक्टर पाया गया. उस ने जालसाजी से 4 शादियां रचा रखी थीं. सभी में पत्नियों का नाम संयोग से पूजा था. बरामद 2 विवाह प्रमाणपत्र भी फरजी पाए गए. एक पर नाम डा. प्राजक्ता शिंदे दर्ज था, जबकि दूसरे पर डा. पूजा कुशवाहा का नाम लिखा था.

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8. आयुष्मान योजना में फरजीवाड़ा

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मैक्सकेयर हौस्पिटल के संचालक के कहने पर 4 जनवरी, 2022 से 17 जनवरी, 2022 तक जोहान मैक्सकेयर हौस्पिटल में एडमिट रहा. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने  आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज न कर खालिद अली से पैसे जमा कराए थे.

लाखों रुपए लुटाने के बाद भी बेटे की हालत में सुधार होते न देख खालिद उसे पहले भोपाल के एम्स ले गए, वहां से डीआईजी बंगले के पास स्थित अस्पताल में भरती कराया गया. आखिरकार, चंद ही घंटों में मासूम जोहान को मृत घोषित कर दिया गया.

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9. डुप्लीकेट दवाओं का सरगना

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यह बात 2 मार्च, 2023 की है. दरअसल, वाराणसी शहर के मंडुआडीह थाना क्षेत्र के लहरतारा, सिगरा थाना क्षेत्र सहित कैंट के कई इलाकों में एसटीएफ टीम की रेड पड़ गई थी. एसटीएफ ने कैंट इलाके के रोडवेज के पीछे व लहरतारा, महेशपुर में छापेमारी की, जहां उसे पेटेंट दवा कंपनियों के नाम की भारी तादाद में एलोपैथी दवाएं मिली थीं, जिसे देख टीम में शामिल जवानों की आंखें फटी की फटी रह गई थीं.

सभी के मुंह से निकल पड़ा था, ”ओफ! इतना बड़ा नकली दवाओं का रैकेट…’‘

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10. पैरामैडिकल फ्रेंचाइजी से भरी तिजोरी

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पंकज ने आयुष पैरामैडिकल काउंसिल औफ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. यह मैडिकल के क्षेत्र में उस का पहला संस्थान था. इस पैरामैडिकल के जरिए उस ने मध्यमवर्गीय बच्चों को शिकार बनाना शुरू किया था.

उस ने छात्रों को होम्योपैथ, योगासन आदि की डिग्रियां बांटनी शुरू की और हर छात्र से 2 से 3 लाख रुपए वसूले थे. धीरेधीरे उस की यह धोखे की दुकान चल पड़ी और उस ने संस्थान के कारोबार को विस्तार देने के लिए अपने पिता सुरेंद्र बाबू गुप्ता, भाई इंदीवर पोरवाल और पत्नी कंचन पोरवाल को बोर्ड औफ डायरेक्टर में जोड़ लिया और संस्थान को बढ़ाने लगा.

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हिना की शातिर चाल – भाग 4

हिना अनिल के घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने लगी. इस बीच रिश्तेदारी में जाने के बहाने वह नाजिम से मिलने जेल भी गई. दोबारा जेल जाने की बात हिना ने अनिल से छिपा ली थी. अनिल प्रौपर्टी का काम करता था. हिना को भी इस का अच्छा तजुर्बा था, इसलिए अनिल ने उस से ऐसा ही कुछ करने को कहा तो उस ने नोएडा विकास प्राधिकरण में अनिल के रसूख और अपनी सुंदरता के दम पर पकड़ बनानी शुरू कर दी.

किसी भी बाहरी लड़की को घर में रखना ठीक नहीं था. फिर हिना भी वहां नहीं रहना चाहती थी, इसलिए उस ने अनिल से कोई किराए का फ्लैट दिलाने को कहा. अनिल ने उसे प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल के माध्यम से सेक्टर-71 स्थित फ्लैट नंबर डी-20/2 साढ़े 5 हजार रुपए महीना किराए पर दिला दिया.

उस फ्लैट में अनिल ने जरूरी सामान की भी व्यवस्था करवा दी तो हिना उस में शिफ्ट हो गई. तब तक नाजिम की जमानत हो चुकी थी. दोनोें की फोन पर बातें होती ही रहती थीं, जब तब मिलते भी रहते थे. प्रौपर्टी के काम से हिना खर्च भर के लिए कमा लेती थी.

एक दिन हिना अनिल के साथ बैठी थी तो उस ने कहा, ‘‘तुम ने मेरी बहुत मदद की है. बस एक मदद और कर दो.’’

‘‘क्या?’’

‘‘मैं ब्यूटीपार्लर का काम जानती हूं. मैं अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं. इस के लिए मुझे 6 लाख रुपए चाहिए. मैं तुम्हारे रुपए धीरेधीरे कर के लौटा दूंगी.’’ हिना ने कहा.

‘‘ठीक है, बड़ी रकम का मामला है, इसलिए थोड़ा सोचने का वक्त दो.’’

हिना को ले कर अनिल के परिवार में कोई मतभेद नहीं था. सभी उसे पसंद करते थे. घर में रुपयों का लेनदेन अनिल के पिता के हाथों में था. घर में किसी को भी पैसों की जरूरत होती थी तो वह उन्हीं से पैसे मांगता था.

अनिल ने हिना के पैसे मांगने की बात पिता को बताई तो वह उसे पैसे देने को तैयार हो गए. उन्होंने अनिल को 6 लाख रुपए दे दिए तो अनिल ने वे रुपए हिना को दे दिए.

पैसे मिलते ही हिना को एक बार फिर पंख लग गए. उस ने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया. वह प्राधिकरण में लोगों के अटके काम कराने के साथ ठेके दिलाने लगी. प्राधिकरण और प्रौपर्टी के धंधे से जुडे़ लोगों में हिना की एक अलग पहचान बन गई. उसी बीच उस की दोस्ती संदीप और रफीक से हो गई. ये दोनों गाजियाबाद के रहने वाले थे.

हिना अकेली ही रहती थी, इसलिए उस के दोस्तों का उस के फ्लैट पर आनाजाना शुरू हो गया. फ्लैट पर खानेपीने की पार्टियां भी होने लगीं. स्टेटस व दायरा बढ़ाने के लिए वह 3-3 मोबाइल फोनों का इस्तेमाल करती थी. महंगे शौकों की लत उसे पहले से ही थी. वह खूब बनसंवर कर रहती थी.

ब्यूटीपार्लर में हिना का एक बार का खर्च 10 से 20 हजार रुपए आता था. वह स्पा व मसाज थैरेपी भी लेती थी. उस ने अनिल से जो रुपए ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए थे, उन्हें वह अपने रईसी शौकों में उड़ाने लगी.

बाहर आते ही नाजिम हिना से निकाह के लिए कहने लगा. दूसरी ओर अनिल की छोटी बहन मोनिका की शादी तय हो गई. 8 मई, 2014 को उस का विवाह होना था. हिना ने एक बार फिर अनिल की शराफत का फायदा उठाया. उस ने कहा कि वह एक लड़के से प्रेम करती है और उस से निकाह करना चाहती है.

अनिल को इस में भला क्या आपत्ति होती. सुनीता भी चाहती थी कि उस का घर बस जाए. उस ने हिना को निकाह का जोड़ा खरीदवाया.

जनवरी में बिजनौर जा कर उस ने नाजिम से निकाह कर लिया. अनिल भी उस के साथ था. उसे क्या पता था कि हिना खुद तो शातिर है ही, जिस से निकाह कर रही है वह भी हिस्ट्रीशिटर है. नाजिम ने उस से बताया था कि वह दिल्ली में नौकरी करता है.

निकाह के बाद नाजिम हिना के फ्लैट पर आनेजाने लगा. चूंकि नाजिम की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए हिना के फ्लैट पर आनेजाने वाले उस के दोस्तों से उसे कोई दिक्कत नहीं थी. समय अपनी गति से चलता रहा.

अनिल की बहन की शादी थी, इसलिए उस ने हिना से अपने पैसे मांगे. ब्यूटीपार्लर तो मात्र बहाना था, हिना ने अनिल से रुपए ऐश की जिंदगी जीने के लिए लिए थे. उस ने सोचा था कि कहीं से अचानक पैसे मिलेंगे तो वह अनिल के रुपए लौटा देगी.

हिना अनिल को टालने लगी. लेकिन जब अनिल लगातार अपने पैसे मांगने लगा तो हिना को परेशानी होने लगी. उस के पास रुपए थे नहीं जो लौटा देती. टालने की एक सीमा होती है. हद पार हो गई तो अनिल ने एक दिन धमकी वाले अंदाज में कहा, ‘‘मेरी बहन की शादी है और मुझे हर हाल में रुपए चाहिए. मैं ने हर बुरे वक्त में तुम्हारी मदद की है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि मुझ से तुम्हें कोई परेशानी हो.’’

‘‘मैं समझती हूं अनिल लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम मेरे रुपए जल्दी लौटा दो, बस.’’

हिना जानती थी कि अनिल रसूखदार नेता है. अगर वह चाहे तो किसी भी हद तक जा सकता है. उस ने इस मुद्दे पर नाजिम से बात की तो उस ने अनिल को रास्ते से हटाने की खतरनाक सलाह दे डाली. हिना इस के लिए तैयार भी हो गई. उस ने यह भी नहीं सोचा कि अनिल ने उस की कितने बुरे वक्त पर मदद की थी. इस के बाद हिना ने अनिल को खत्म करने की जो योजना बनाई, उस में उस ने रफीक और संदीप को भी शामिल कर लिया.

योजना बना कर 20 अप्रैल, 2014 की शाम हिना ने अनिल को फोन किया कि वह आ कर अपने रुपए ले जाए. अनिल साढ़े 8 बजे के करीब स्कूटी से हिना के फ्लैट पर पहुंचा. तो वहां शराब की महफिल सजी थी. महफिल में नाजिम, रफीक और संदीप शामिल थे. यह सब देख कर अनिल को गुस्सा आ गया. उस ने हिना को बुराभला कह कर अपने रुपए मांगे.

अनिल की हिना और वहां मौजूद लोगों से बहस हो गई. वे तो वहां उसे मारने की योजना बना कर ही बैठे थे. अनिल के साथ वहां जो होने वाला था, उस के बारे में उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. सभी एकदम से अनिल पर टूट पड़े.

अनिल ने खुद को छुड़ाना चाहा तो पीछे की ओर गिर गया. इस से उस के सिर में चोट लग गई. सब ने अनिल की हत्या का इरादा बना रखा था, इसलिए उस का गला दबा कर उसे मार दिया. इस के बाद उन्होंने उस के बाएं हाथ की कलाई काट दी.

धक्कामुक्की में मेज का शीशा टूट गया था. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उन्होंने बैड के ऊपर  लगे पंखे से चुन्नी लटका दी. लेकिन जल्दबाजी में ऐसा कर नहीं पाए. अपना काम कर के नाजिम, संदीप और रफीक चले गए. इस के बाद हिना ने अनिल की पत्नी सुनीता को फोन कर के फ्लैट में लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

अनिल का भाई जब वहां पहुंचा तो हिना भी फरार हो चुकी थी. पुलिस ने दबाव बनाया तब उस ने वकील की मदद से 29 अप्रैल को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

पुलिस ने हिना की निशानदेही पर वह चाकू भी बरामद कर लिया था, जिस से अनिल के हाथ को काटा गया था. रिमांड अवधि खत्म होने पर कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने हिना को अदालत में पेश किया, जहां से उसे पुन: जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. उन की सरगर्मी से तलाश की जा रही थी. अनिल ने हिना को पहचानने में भूल कर दी, यही उस के लिए मुसीबत बन गया.

ऐसे पकड़ में आया फरजी आईपीएस औफीसर

राजस्थान के बानसुर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है हमीरपुर. वहां एक रिटायर फौजी का बेटा सुनील  सांखला आईपीएस बन गया था. उसे 2021 के यूपीएससी परीक्षा में 263 रैंक मिला था. गांव में उस के दोस्तों और रिश्तेदारों को इस की जानकारी 22 अप्रैल, 2022 को उस के सोशल मीडिया पोस्ट से लगी थी. यह खबर पूरे गांव में फैल गई और उन्होंने उस का स्वागत करने का मन बना लिया.

गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, क्योंकि उन्हें उसी ने 2020 में बताया था कि उस की इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगी हुई थी, इस के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. आईपीएस बन कर ही गांव आवेगा. जैसा कहा था, वैसा उस ने कर दिखाया, गांव वाले उस की तारीफ किए बगैर नहीं थकते थे. आए दिन चौपाल पर उस की चर्चा होने लगी थी. उस के किस्से नई पीढ़ी के स्कूली लड़कों को सुनाए जाने लगे थे. वह एक तरह से प्रेरणा का स्रोत बन चुका था.

उस ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर पुलिस के स्टार और भारत के अशोक स्तंभ लगी पट्टी की तसवीरें थीं. कुछ अन्य तसवीरों में कुछ अखबारों की कतरनें थीं, जिस में उस के बारे में लिखा था कि उस ने किस तरह से परीक्षा पास की, कितने घंटे की रोजाना पढ़ाई की, किस का कितना सपोर्ट मिला, इंटरव्यू में क्या कुछ पूछा गया, समाज और देश के लिए वह क्या करना चाहता है. उस का लक्ष्य क्या है, उद्ïदेश्य क्या है, प्रेरणा कहां से मिली, उन से क्या सीखनी चाहिए? इत्यादि.

गांव में उस के आने का इंतजार होने लगा. 22 अप्रैल, 2022 को वह अपने गांव आया. उसे गांव वालों ने सिर आंखों पर बिठा लिया. उस के दोस्त खुशी से झूम उठे. उस के गांव आने की खुशी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने गांव की चौपाल पर उस का भव्य स्वागत किया. साफा बांधा गया, माला पहनाई गई, गांव में मिठाई बांटी गई और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने उस की सफलता की तारीफ की. उस की पढ़ाई, मेहनत, ईमानदारी और जज्बे को प्रेरक बताया.

इस भव्य स्वागत समारोह की एक ग्रुप फोटी उतारी गई. इसे सभी ने यादगार के तौर पर अपनेअपने मोबाइल में सेव कर लिया. उस के घर में इस का प्रिंट निकाल कर दीवार पर लगा दिए गए.

देखते ही देखते उस की लोकप्रियता गांव से निकल कर आसपास के क्षेत्रों और उस के समाज में फैल गई. जिस ने भी सुना, उस की तरीफ की. उस के बाद उस के पास शादी के औफर आने लगे. उस के परिवार से अधिक हैसियत वाले समृद्ध परिवार अपनी लड़की की शादी उस से करने को लालायित हो गए.

24 वर्षीय सुनील सांखला के पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त थे. उस ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उस की पोस्टिंग महाराष्ट्र कैडर में है. फिलहाल वह वहीं ड्यूटी कर रहा है. अगले रोज उस के फेसबुक पेज पर स्वागत के ग्रुप फोटो के साथ जौइनिंग लेटर और अन्य जगहों से मिले सम्मान आदि की तसवीरें भी लगा दीं.

उस के कई शौक में एक शौक अपनी पब्लिसिटी का भी भा. वह अपने बारे में लोगों को बताने को उत्सुक रहता था कि उस का ओहदा किस तरह का है? उस की कौन सी खूबी के चलते उसे पुरस्कार, सम्मान और बधाइयां मिलती हैं. उस की सोशल साइट पेज पर 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रशंसा पत्र भी लगे हुए थे. उन में एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के थे.

इन सब वजहों से ही वह लोकप्रिय हो गया था. जहां उसे अपना प्रभाव जमाने और पहचान बताने की जरूरत होती थी, वहां वह इन का ही इस्तेमाल करता था. खैर, सब कुछ उस के मनमुताबिक चल रहा था. इसी बीच उस के लिए अच्छे घराने से शादी का प्रस्ताव भी आ गया. उस की सगाई भी हो गई.

सगाई के समय उस ने अपने होने वाले ससुराल वालों बताया कि उस का आईपीएस के लिए चयन महाराष्ट्र कैडर में हुआ है. उस ने यह भी बताया कि उसे सीबीआई विभाग में एक महत्त्वपूर्ण जांच की जिम्मेदारी मिली है. इसलिए वह ज्यादातर सिविल कपड़ों में ही होता है. वैसे खास मौके पर वरदी में होता है.

एक दिन आईपीएस सुनील का ससुराल वालों के साथ उदयपुर जाना हुआ. वहां सर्किट हाउस पहुंचा और अपने लिए ठहरने के लिए कमरा बुक करने का आग्रह किया.

उस ने बताया कि यहां उस का एक जांचपड़ताल के सिलसिले में आना हुआ है. संयोग से उसी समय उदयपुर के एसपी भुवन भूषण यादव भी वहां पहुंच गए. सुनील कुमार उन्हें देखते ही सैल्यूट करते हुए बोला, ”सर! जय हिंद!’’

”जय हिंद!’’ यादव भी बोले और हाथ नीचे करने से पहले सुनील के सैल्यूट करने के तरीके को देख कर वह चौंक गए.

सवालिया निगाहों से देखते हुए उन्होंने पूछा, ”आप न्यू अपौइंटमेंट! …कहां से?’’

”सर, मैं सुनील कुमार राजस्थान से, मुंबई से आया हूं…सीबीआई में हूं.’’

”ओके गुड…बैच?’’ यादव ने दूसरा सवाल किया.

”…जी…जी.’’ सुनील कोई स्पष्ट जवाब नहीं सका.

”लगता है आप थोड़ी हड़बड़ी में हैं…’’ यादव ने व्यंग्य किया, ”हो जाता है ऐसा अकसर नए अफसर को सीनियर के सामने… कोई बात नहीं…लेकिन आप के सैल्यूट करने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा,’’ एसपी यादव बोले.

”अभी चलता हूं फिर मिलूंगा,’’ कहते हुए उस पर एसपी यादव परीक्षण करती एक नजर डालते हुए जाने के लिए मुड़ गए. सुनील उन की इस अदा के बारे में कुछ समझ नहीं पाया. यह सब रिसैप्शन के पास ही हो रहा था.

”सर, आप का कोई आईडी

कार्ड!’’ रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति बोला.

”हांहां, यह लो.’’ कहते हुए सुनील ने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकाल कर उस के सामने बढ़ा दिया.

रिसैप्शन पर बैठे व्यक्ति ने सुनील का आईडी कार्ड ले कर स्कैन किया और वापस लौटाते हुए बोला, ”सर, इस में अच्छा फोटो नहीं लगाया है, आप के डिपार्टमेंट वालों ने, दूसरा बनवा लीजिएगा.’’

”इस में क्या खराबी है?’’ सुनील ने चौंकते हुए पूछा.

”आप के साथ और लोग भी हैं?’’ रिसैप्शनिस्ट बोला.

”हां, तो?’’ सुनील बोला.

”सर, एक साथ एक ही अलाउड है, लेकिन आप ने 3 का नाम लिखा है.’’

”अरे कुछ नहीं होता…कर लो!’’ सुनील ने समझाते हुए एक तरह से आग्रह किया.

”सर, सभी का आईडी दीजिए.’’

”अरे, मैं हूं न! आईपीएस हूं…और तुम मुझ से ही बहस कर रहे हो!’’ सुनील बोला.

”क्यों नहीं मिस्टर सुनील, वह अपनी ड्यूटी निभा रहा है. तुम गलत हो और उसे भी गलत करने के लिए दबाव दे रहे हो.’’ उसी वक्त एसपी यादव वहां आ गए और उन्होंने सख्ती भरे अंदाज में कहा.

”सर, आप इसी की तरफदारी कर रहे हैं? हम लोगों के पीछे यहां कौन कितना काम करता है, नहीं जानते क्या आप?’’ सुनील बोला.

”लाओ, दिखाओ मुझे अपना आईडी कार्ड.’’ एसपी बोले.

”सर, आप एक आईपीएस पर शक कर रहे हैं?’’

”शक नहीं, विश्वास के साथ कहता हूं कि तुम गलत हो. मैं ने मुंबई में पता कर लिया है. वहां तुम्हारे नाम का सीबीआई में कोई है ही नहीं.’’ एसपी बोले.

”क्या बोल रहे हैं सर, मेरा आईडी देखिए सीबीआई का है.’’

”ऐसा है मिस्टर सुनील, मैं ने बांद्रा मुंबई में पोस्टेड सीबीआई विभाग में अभीअभी बात की है. वहां के औफिसर का कहना है कि सीबीआई से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता, तुम फरजी आईपीएस हो. मुझे तो तुम पर संदेह उसी वक्त हो गया था जब तुम ने उल्टा सैल्यूट मारा था. जिसे सही सैल्यूट का पता नहीं हो, वह पुलिस का अफसर कैसे हो सकता है…’’

”सर, आप मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’’ सुनील हकलाता हुआ बोला. सर्दी में चेहरे पर पसीने की बूंदें भी दिखने लगी थीं.

”मैं ने तुम्हारे तीनों आदमियों से भी पूछताछ की है…उन की बातें तुम्हारी बातों से मेल नहीं खाती हैं.’’

सुनील क्यों बना फरजी आईपीएस

एसपी भुवन भूषण यादव ने तुरंत फोन कर के स्थानीय पुलिस को बुला लिया. सुनील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. उसे उदयपुर की हाथीपोल थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया. उस के साथ उस के परिवार के 3 अन्य लोग इंद्राज सैनी, अमित कुमार चौहान और सत्यनारायण भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस से पूछताछ होने पर उस ने अपने फरजीवाड़े का जुर्म स्वीकार कर लिया.

ऐसा कदम उठाने के संबंध में उस ने बताया कि उस का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन नहीं बन पाया. तब उस ने ऐसा किया. उस ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं हो पाया. उसे बुरा लगा, लेकिन अपने आसपास के लोगों में रुतबा दिखाने के लिए दिल्ली जा कर कुछ समय गुजारा करने लगा. फिर सीबीआई का फरजी आईपीएस अधिकारी बन कर गांव लौटा.

संयोग से उसे बानसूर गांव के एक इंसपेक्टर का फरजी आईडी कार्ड भी मिल गया. एक आईपीएस में जितना रुतबा, रौब और दंबगई का जलवा होता है, उतना किसी और विभाग के अफसर में शायद नहीं होता. ऐसा सुनील सांखला का सोचना था. लेकिन शायद उस ने बचपन में पंचतंत्र की कहानी ‘रंगा सियार’ नहीं पढ़ी होगी, वरना वह न तो नकली वरदी पहनता और न ही असली पुलिस की नजरों में आ पाता.

हालांकि गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, जब उन्होंने उस की करतूत के बारे में सुना, तब भौचक रह गए. उस के शातिराना ढंग के बारे में जिस ने भी सुना, दंग रह गया. उस ने न केवल नकली आईडी बनवाई और वरदी पहनी, बल्कि 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लेटर हेड पर फरजी बधाई संदेश भी बनवा लिए. उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने पुलिस वरदी औनलाइन मंगवाई थी. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

इंदौर का फरजी आईएएस

इंदौर के कंट्रोल रूम में 6 सितंबर, 2023 को एक काल आई. फोन करने वाले ने धमकाते हुए कड़क आवाज में कहा, ”हैलो! मेरी बात को ध्यान से सुनो. मैं दिल्ली पीएमओ से बोल रहा हूं. मेरे लिए दिल्ली में किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करवा दो.’’

”आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’ कंट्रोल रूम में औपरेटर की ड्यूटी पर बैठे कर्मचारी ने शालीनता से पूछा.

”बदतमीज! जयहिंद बोलना भी नहीं सीखा. सीधे मेरे बारे में पूछता है.’’ काल करने वाला व्यक्ति फिर कड़कती आवाज में बोला.

”सर, आप बताएंगे, तभी तो मैं जानूंगा कि आप कौन साहब हैं? धमकी के यहां सैकड़ों फोन आते रहते हैं…’’ औपरेटर बोला.

”यस ओके! मैं दिल्ली कैडर का अमित सिंह आईएएस हूं. मेरे लिए तुम्हें 2 काम अर्जेंट करने हैं…’’

”जय हिंद सर!’’ आईएएस शब्द सुनते ही औपरेटर ने अभिवादन किया.

”जय हिंद!…मेरे नाम से होटल में कमरा बुक करना है और हां, 2 मोबाइल सिम भी अरेंज करवा देना.’’ यह कहते हुए उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर दुविधा में पड़ गया कि होटल का कमरा किस नाम और आईडी से बुक करवाए…और सिम का क्या करे? जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उस ने अपने अफसर से बात करने के लिए फोन मिला दिया.

वहां उसे मालूम हुआ कि इसी तरह का फोन लसूडिय़ा इलाके के पटवारी के पास भी आया था. वहां भी फोन करने वाले ने धमकी के अंदाज में कमरा बुक करवाने के लिए कहा था. लगता है कोई सनकी है या फिर फरजी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर इस बारे में यही सोच रहा था कि क्या करे, क्या नहीं, तभी दोबारा उसी व्यक्ति का फोन आ गया. पहले जैसे रोबीले अंदाज में उस ने बात की. औपरेटर ने बात करते हुए उस से कौंटेक्ट नंबर मांग लिया ताकि उन्हें होटल बुकिंग की सूचना दे सके.

उधर मल्हारगंज में रहने वाले पटवारी संतोष चौधरी ने भी लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति आईएएस अधिकारी बन कर शादी करवाने के लिए धमका रहा है. वह बारबार काल कर के कह चुका है कि कोई लड़की हो तो बताओ, शादी करनी है.

उस के बाद इस की सूचना इंदौर क्राइम ब्रांच को भेज दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस सूचना के संबंध में तहकीकात शुरू की. उन्हें संदेह इस बात का हुआ कि एक आईएएस अधिकारी विशेष तरह के प्रोटोकाल में रह कर कार्य करते हैं. उसी के तहत आदेश जारी किया जाता. सीधे कंट्रोल रूम में फोन नहीं करते हैं.

वह एक सिस्टम का हिस्सा होते हैं और उसी के तहत कामकाज किया जाता है. व्यक्तिगत काम के लिए फोन करना प्रोटोकाल के खिलाफ माना जाता है, जबकि फोन करने वाले ने न केवल होटल बुक करने का आदेश दिया था, बल्कि 2 सिमकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस पर तुरंत काररवाई की गई.

उसी रोज वह पकड़ा भी गया. लसुडिय़ा थाने की पुलिस ने उस से पूछताछ की, तब मालूम हुआ कि उस का नाम रामदास गुर्जर है और वह अंबाह मुरैना का रहने वाला है. उस से अपना जुर्म तुरंत स्वीकार कर लिया.  इस बारे में एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया के अनुसार उस के खिलाफ फरजी आईएएस के नाम पर धमकी देने और धमकी देने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पूछताछ में उस ने बताया कि उसे यह आइडिया ‘स्पैशल 26’ फिल्म देख कर आया था. यह स्पष्ट बताने से इनकार किया कि उस ने कितनों के साथ ठगी की है.

—विजय सोनी

घर वालों को रास न आया बेटी का प्यार