प्यार में की थीं 3 हत्याएं : 19 साल बाद खुला राज

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 3

पुलिस ने 18 नवंबर, 2010 को जोलाइल मंगेनी को केपटाउन की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद पुलिस ने 20 नवंबर को मजिवामाडोडा क्वेब और जोला टोंगो को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में इन दोनों ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

21 नवंबर को एनी देवानी का शव लंदन पहुंचा, जहां उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

22 नवंबर को जोला टोंगो और मजिवामाडोडा को अदालत में पेश किया गया तो अदालत में टोंगो ने जो बयान दिया, वह चौंकाने वाला था. उस ने बताया कि एनी की हत्या की साजिश किसी और ने नहीं, उस के पति श्रीन देवानी ने रची थी. उसी ने पैसे दे कर एनी की हत्या कराई थी. इस हत्या के लिए उस ने 15 हजार रेंड दिए थे. जोला टोंगो ने ही पैसे दे कर मजिवामाडोडा क्वेब और जोलाइल मंगेनी से एनी की हत्या कराई थी.

जोलाइल मंगेनी ने गोली मार कर एनी की हत्या की थी तो मजिवामाडोडा क्वेब ने एनी के शरीर से सारे गहने उतारे थे, जिन में व्हाइट गोल्ड की चेन, डायमंड ब्रेसलेट और एक जियार्जियो अरमानी की घड़ी थी.

एनी की हत्या उस के पति श्रीन देवानी ने कराई थी, यह खुलासा होने पर उस के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया. श्रीन लंदन में था, इसलिए इस बात की जानकारी वहां की पुलिस को देने के साथ जरूरी दस्तावेज भी भिजवा दिए गए थे.

लंदन पुलिस ने श्रीन देवानी को गिरफ्तार कर लिया. जबकि उस का कहना था कि उसी की नवविवाहिता पत्नी की हत्या हुई है और उसे ही दोषी ठहराया जा रहा है. वह उसे दिल से प्यार करता था. उसी के कहने पर वह उसे साउथ अफ्रीका ले गया था.

श्रीन के घर वाले साउथ अफ्रीकी पुलिस पर सवाल उठा रहे थे कि वहां सुरक्षा के ठीक इंतजाम नहीं हैं. वहां के लोगों का ध्यान हटाने के लिए पुलिस ने ऐसा किया है, ताकि कोई वहां के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल न खड़ा कर सके.

एनी की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार होने के बाद श्रीन स्टे्रस और्डर की बीमारी से ग्रस्त हो गया. उस की मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी.

4 मई, 2011 को अदालत में श्रीन देवानी के मामले की एक्स्ट्रा एडीशन सुनवाई हुई. 5 मई, 2011 को बेलमार्श के मजिस्ट्रेटों ने उसे सिस्सी क्राइम कह कर पुकारा और 18 जुलाई, 2011 तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

18 जुलाई को श्रीन देवानी को जज रिडल की अदालत में पेश किया गया. साइकियाट्रिक एक्सपर्ट ने अदालत को बताया कि अगर श्रीन देवानी को लगता है कि उसे परेशान किया जा रहा है तो वह स्वयं को खत्म कर सकता है. इसलिए उसे जेल न भेजा जाए. बहरहाल अदालत ने जमानत की सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी.

अगली तारीख यानी 10 अगस्त, 2011 को प्राप्त दस्तावेजों से अदालत ने मान लिया कि श्रीन देवानी ने ही अपनी पत्नी एनी देवानी की सुपारी दे कर हत्या कराई थी.

21 सितंबर, 2011 को श्रीन देवानी की जमानत की अरजी पर सुनवाई थी. इस सुनवाई पर साउथ अफ्रीका पुलिस ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपियों ने स्वीकार किया है कि श्रीन देवानी ने ही जोला टोंगो के साथ साजिश रच कर एनी की हत्या की सुपारी दी थी. इसलिए उसे जमानत पर छोड़ना ठीक नहीं है.

दूसरी ओर 26 सितंबर 2011 को साउथ अफ्रीका के होम सेके्रटरी येरेसा ने श्रीन देवानी की अफ्रीका में एक्स्ट्राडिशन सुनवाई के और्डर पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिस से श्रीन देवानी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था.

लेकिन 30 सितंबर को श्रीन देवानी के वकीलों ने उस के मानसिक रूप से बीमार होने का हवाला दे कर एक अपील दायर कर दी थी. 13 दिसंबर, 2011 को इस पर बहस के दौरान श्रीन देवानी के वकीलों ने कहा कि वह अपने बचाव के लिए मानसिक बीमारी का बहाना नहीं बना रहा है. वह वाकई में बीमार है. ऐसी स्थिति में उस के एक्स्ट्राडिशन और्डर रद्द कर दिए जाने चाहिए.

14 दिसंबर, 2011 को अदालत ने साउथ अफ्रीका पुलिस से पूछा कि श्रीन देवानी की सुनवाई साउथ अफ्रीका में ठीक से हो सकती है या नहीं? 16 दिसंबर को अदालत ने आगे की कार्यवाही के लिए 31 जुलाई, 2012 की तारीख तय कर दी. इस तारीख को अदालत ने प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर श्रीन देवानी के प्रत्यर्पण पर अस्थाई रोक लगा दी. दूसरी ओर साउथ अफ्रीका की अदालत ने 8 अगस्त, 2012 को अभियुक्त मजिवामाडोडा क्वेब को एनी देवानी की हत्या के मामले में दोषी मानते हुए 25 साल के कैद की सजा सुनाई.

श्रीन देवानी ने अदालत से प्रार्थना की थी कि उस के मानसिक रूप से बीमार रहने तक उस के साथ नरमी बरती जाए. डाक्टरों के अनुसार 32 वर्षीय श्रीन देवानी पोस्ट ट्रौमेटिक स्ट्रेस डिसौर्डर और डिप्रेशन का शिकार था. उस के साइकियाट्रिस्ट डा. पौल केट्रेल ने अदालत में कहा था कि उसे जमानत दे कर दिमागी तौर पर राहत दी जानी चाहिए. उसे जिस पुनर्वास वार्ड में रखा गया है, वहां उस का फ्लाइट रिस्न बढ़ सकता है.

जोलाइल मंगेनी ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया था कि उसी ने एनी देवानी की गोली मार कर हत्या की थी, इसलिए उसे हत्या का दोषी करार देते हुए 5 दिसंबर, 2012 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उसी के साथ टैक्सी ड्राइवर जोला टोंगो को साजिश रचने के आरोप में 18 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी.

जुलाई, 2013 को अदालत ने कहा था कि अगर श्रीन देवानी की दिमागी बीमारी ठीक हो गई है तो अदालत में पेश किया जाए. लेकिन श्रीन देवानी का मेंटल हेल्थ अस्पताल में इलाज चल रहा था, इसलिए उसे अदालत में पेशी से छूट मिल गई. फिर भी मुख्य मजिस्ट्रेट हावर्ड रिडल ने कहा कि उसे इसी महीने कोर्ट में पेश होना होगा.

तमाम सुनवाई के बाद आखिर 24 जुलाई, 2013 को अदालत ने आदेश दिया कि श्रीन देवानी को अपनी पत्नी एनी की हत्या के मामले में साउथ अफ्रीका की अदालत में सुनवाई के लिए पेश होना होगा. अदालत का कहना था कि श्रीन देवानी काफी समय से अपना इलाज करा रहा है. अब तक वह ठीक हो गया होगा, इसलिए अब इस मामले में देर करना ठीक नहीं होगा.

श्रीन देवानी बीमारी की वजह से भले ही  साउथ अफ्रीका की अदालत में पेश नहीं हुआ था, लेकिन अदालत ने प्राप्त सुबूतों के आधार पर उसे एनी देवानी की हत्या की सुपारी देने और साजिश रचने का दोषी करार दे दिया था. अदालत का मानना था कि अब वह स्वस्थ हो चुका है, इसलिए यहां ला कर सजा सुनाने की कार्यवाही की जानी चाहिए.

अदालत श्रीन देवानी को क्या सजा देती है, यह तो उस के अदालत में पेश होने के बाद ही पता चलेगा. मजे की बात यह है कि हत्या के इस मामले में दोषियों को तो सजा मिल गई, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला है कि जिस पत्नी को श्रीन जान से ज्यादा प्यार करता था, उसी की जान लेने के लिए इतनी बड़ी साजिश क्यों रची?

श्रीन देवानी के कुछ दोस्तों का कहना है कि शादी के कुछ दिनों बाद ही वह एनी को ले कर अपसेट रहने लगा था. उस ने एनी के मोबाइल पर उस के किसी पुरुष मित्र का मैसेज पढ़ लिया था. शायद इसी वजह से वह परेशान था. चरित्र पर संदेह होने की वजह से ही वहां ले जा कर उस ने उस की हत्या करा दी थी.

बात कुछ भी हो,  यह साबित ही हो चुका है कि एनी की हत्या उसी ने कराई थी. इसलिए अब वह ज्यादा दिनों तक सजा से बच नहीं पाएगा.

आशिक बना कातिल : कमरा नंबर 209 में मिली लाश का रहस्य – भाग 3

अजरू को जीनत दिलोजान से चाहती थी, उस का घर और इस के बच्चों को संभालना जीनत अपना फर्ज समझती थी. उस ने इस फर्ज की अदायगी में नाइंसाफी नहीं की थी. अजरू इस बात को जानता था और उस पर वह अपना भरपूर प्यार लुटाता था. अपने शौहर के इसी प्यार की भूखी थी जीनत, लेकिन अब अजरू का दिल कहीं और कुलांचे भर रहा था.

वह महसूस कर रही थी कि उस का अजरू अब पहले वाला अजरू नहीं रह गया है. इस के पीछे की सच्चाई जान कर जीनत का दिल रो पड़ा था. जीनत की आंखें भर आईं. उस का मन काम में नहीं लगा.

पति पर क्यों फूटा जीनत का गुस्सा

रात को अजरू घर आया तो जीनत ने उस से सीधा सवाल कर डाला, ”यह जोया कौन है जिस के पीछे आप अपना घर, बच्चे और मुझे भूलते जा रहे हैं?’’

अजरू एक पल को हक्का बक्का रह गया. उस के प्रेम की भनक उस की बीवी को लग चुकी है, यह जान कर उस ने गहरी सांस भरी और बोला, ”जोया से मैं प्रेम करता हूं जीनत.’’

”क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गई थी जो आप को बाहर मुंह मारने की जरूरत आ पड़ी.’’

”तुम्हें मैं ने भरपूर प्यार किया है, अब मेरा दिल दूसरी जगह सुकून तलाश रहा है तो तुम्हें क्या आपत्ति है?’’

”आपत्ति है,’’ जीनत तड़प कर बोली, ”आप मेरे हैं, आप का प्यार मेरे लिए है. इसे कोई दूसरी बांट ले, मुझे यह हरगिज मंजूर नहीं है.’’

”मैं जोया को नहीं छोड़ सकता जीनत. तुम्हें मैं खाने पीने का पूरा खर्च दे रहा हूं, तुम अपने घर और बच्चों में खुश रहो. मैं बाहर क्या कर रहा हूं, इस से परेशान मत हो.’’

”अगर आप को बाहर सुकून मिलने लगा है तो मैं आप के साथ आगे नहीं रह पाऊंगी, मैं आप से अलग होना ज्यादा पसंद करूंगी. मैं घुटघुट कर जिंदगी नहीं जीना चाहती.’’

”तुम्हारी मरजी है जीनत, तुम यहां रहती तो मुझे अच्छा लगता.’’ अजरू ने गहरी सांस भर कर कहा.

”आप जोया को छोड़ देंगे तो मुझे भी अच्छा लगेगा.’’ जीनत ने दोटूक कहा और अंदर कमरे में चली गई.

उसी दिन जीनत अपने बच्चों को साथ ले कर अपने मायके चली गई. अजरू जोया के प्यार में इस कदर डूब गया था कि उस ने अपने बीवी बच्चों को रोकने की जरूरत नहीं समझी. जोया की मोहब्बत में अजरू-जीनत का घर और रिश्ता टूट गया.

जोया के इश्क का भूत अजरुद्दीन पर इस कदर सवार हुआ कि उस ने खेत बेचने के बाद अपना पैतृक घर भी बेच दिया. उस ने उन पैसों से जोया की फरमाइशें पूरी करनी शुरू कर दीं. कुछ ही दिनों में उस के मकान का पैसा भी खत्म हो गया.

अजरू मकान बेच देने के बाद किराए का घर ले कर रहने लगा. जोया को अजरू द्वारा दिए जा रहे गिफ्ट पा कर संतोष नहीं हो रहा था. उसे गिफ्ट लेने का चस्का सा लग गया था, वह रोज अजरू से किसी न किसी चीज की डिमांड कर देती और अजरू उस की फरमाइश पूरी करने के लिए दिल खोल कर रुपए खर्च करता.

मकान बेचने के बाद मिला पैसा आखिर कितने दिनों तक चलता. अजरू एक दिन खाली जेब रह गया. फिर भी जोया की फरमाइश नहीं थमी. अब अजरू ने बाइक चोरी करनी शुरू कर दी. वह सड़क पर पार्क की गई बाइकें चोरी करता और औने पौने दामों में बेच देता.

एक दिन बाइक चुराते हुए वह पकड़ा गया. उसे पुलिस थाने ले आई और जेल में बंद कर दिया.

जोया उर्फ शहजादी को पता लगा कि चोरी के आरोप में गाजियाबाद पुलिस ने अजरू को जेल पहुंचा दिया है तो वह अजरू से मिलने जेल पहुंच गई. अजरू से मिल कर वह खूब रोई.

अजरू ने उस के आंसू पोंछते हुए भावुक स्वर में कहा, ”मैं जल्दी जेल से बाहर आ जाऊंगा जोया. जेल से निकलने के बाद मैं कहीं काम तलाश कर लूंगा और तुम से निकाह कर लूंगा. जीनत नाम का कांटा हमारे बीच से निकल गया है, हम दोनों प्यार की नई दुनिया बसा लेंगे.’’

”हां अजरू, हमारा मिलन होगा, हमारा प्यारा सा घर भी होगा और उस घर के आंगन में प्यारे प्यारे बच्चे भी होंगे. बस, तुम जल्दी से अपनी सजा काट कर जेल से बाहर आ जाओ.’’

”मैं जल्द आऊंगा जोया.’’ प्यार से अजरू ने जोया का हाथ पकड़ कर दबाते हुए कहा, ”तुम मेरा इंतजार करना.’’

”करूंगी मेरे महबूब.’’ आंखों में आए आंसू पोंछते हुए जोया उठ कर खड़ी हो गई और थके कदमों से चलती हुई जेल के बाहर आ गई.

22 अक्तूबर, 2023 को सुबह का उजाला फैला भी नहीं था कि जोया के भाई दानिश के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. दानिश की आंखें खुल गईं. उस ने कंबल में से हाथ बाहर निकाल कर टेबल पर रखा मोबाइल फोन उठाया. स्क्रीन पर अजरू का नाम चमक रहा था. ‘इतनी सुबह अजरुद्दीन को मुझ से क्या काम पड़ गया?’

हैरत में डूबे दानिश ने बड़बड़ाते हुए काल रिसीव की, ”दानिश बोल रहा हूं, कैसे फोन किया?’’

”दानिश, तुम्हारी बहन जोया की लाश रोहन एनक्लेव (गाजियाबाद) के होटल अनंत में कमरा नंबर 209 में पड़ी है.’’ दूसरी ओर से अजरू ने गंभीर स्वर में कहा और काल डिसकनेक्ट कर दी.

दानिश हैलो…हैलो… करता रह गया. अजरू ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था.

दानिश जल्दी से बिस्तर से उतरा और अपने पिता को बताए बगैर वह अपनी बाइक से गाजियाबाद के लिए निकल गया. वह जब होटल अनंत पहुंचा तो धूप पूरी तरह निकल चुकी थी.

दानिश दौड़ता हुआ होटल के रिसैप्शन पर आया. वहां ड्यूटी पर मैनेजर मौजूद था.

”तुम्हारे होटल के कमरा नंबर 204 में मेरी बहन जोया की लाश है…’’ दानिश घबराए स्वर में बोला.

”लाश..!’’ मैनेजर बौखला गया, ”आप को किस ने कहा कि हमारे होटल में लाश है.’’

”आप पहले देखिए,’’ दानिश ऊंची आवाज में बोला.

मैनेजर अपनी जगह से हिला. वह कमरा नंबर 204 की तरफ दौड़ा. उस के पीछे दानिश भी था. कमरा खोल कर देखा तो उस में वास्तव में बैड पर जोया की लाश पड़ी थी.

इस की सूचना तुरंत थाना वेव सिटी में फोन कर के दे दी. सूचना मिलने पर थाना वेव सिटी के एसएचओ अंकित चौहान और एसीपी सलोनी भी मौके पर पहुंच गईं.

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 2

एनी का जन्म स्वीडन के मेरिस्टाड शहर में हुआ था. इस के पहले उस का परिवार युगांडा में रहता था. लेकिन जब युगांडा में ईदी अमीन का शासन हुआ तो उस ने एशियाई लोगों को युगांडा छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. सभी को स्वीडन के मेरिस्टाड शहर भेज दिया गया था. तभी एनी का परिवार भी वहां आ गया था. यहीं एनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर के नौकरी कर रही थी.

सारी जानकारी जुटा कर श्रीन के घर वाले एनी के घर रिश्ता मांगने पहुंचे तो उस के घर वालों को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ. रिश्ता खुद उन के घर चल कर आया था. वे लोग भी उन्हीं की तरह भारतीय मूल के थे. आर्थिक स्थिति भी बेहतर थी.

लड़का सुंदर और सुशील होने के साथ व्यवसाय में लगा था. कोई ऐब भी नहीं था. इस सब के अलावा सब से बड़ी बात यह थी कि लड़का और लड़की एकदूसरे को प्यार करते थे. इसलिए न करने का सवाल ही नहीं था.

दोनों परिवारों की सहमति पर शादी तय हो गई. इस के बाद पेरिस के होटल रिट्ज में रिंग सेरेमनी हो गई. चूंकि दोनों परिवार भारतीय मूल के थे, उन के अधिकतर रिश्तेदार भारत में रहते थे, इसलिए तय हुआ कि शादी वे भारत में करेंगे. शादी का दिन और जगह भी तय कर ली गई.

29 अक्तूबर, 2010 को बाहरी मुंबई के लेक पोवई रिसौर्ट में हिंदू रीतिरिवाजों से श्रीन और एनी शादी के पवित्र बंधन में बंध गए. श्रीन के अरमानों की डोली में बैठ कर एनी लंदन आ गई. शादी की खुशी में यहां भी दोस्तों और परिचितों के लिए एक पार्टी आयोजित की गई.

एनी हिंडोचा अब एनी देवानी बन गई. एनी हनीमून मनाने साउथ अफ्रीका जाना चाहती थी, जबकि श्रीन पश्चिम के किसी देश जाना चाहता था. कई दिनों तक दोनों में इसी विषय पर चर्चा होती रही. लेकिन दोनों ही अपनी जिद पर अड़े थे.

एनी साउथ अफ्रीका घूमना चाहती थी, जबकि श्रीन इस के लिए तैयार नहीं था. वह यह जरूर कह रहा था कि फिर कभी वह उसे साउथ अफ्रीका घुमा लाएगा. लेकिन अचानक श्रीन का मन बदल गया.

उस ने साउथ अफ्रीका जाने के लिए हां कर करते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूं कि इस छोटी सी बात के लिए तुम्हें निराश नहीं कर सकता. और फिर फर्क ही क्या पड़ता है, हनीमून पश्चिम के किसी देश में मनाया जाए या साउथ अफ्रीका में.’’

नवंबर के दूसरे सप्ताह में हनीमून पर जाने की तैयारी हो गई. 11 नवंबर को दोनों साउथ अफ्रीका के केपटाउन पहुंच गए. कमरे वगैरह पहले से ही बुक थे, इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. अगले दिन सुबह तैयार हो कर श्रीन कहीं जाने लगा तो एनी ने कहा, ‘‘अकेलेअकेले कहां जा रहे हो?’’

‘‘पता करने जा रहा हूं कि यहां कौन कौन सी जगह घूमने लायक है. फिर टैक्सी का भी तो इंतजाम करना होगा. मैं सब पता कर के कुछ देर में आता हूं.’’ कह कर श्रीन चला गया. श्रीन ने लौट कर बताया कि कल सुबह ही टैक्सी आ जाएगी. टैक्सी ड्राइवर अच्छा मिल गया है. वही गाइड का भी काम करेगा. उसे अंगरेजी अच्छी आती है.

13 नवंबर, 2010 को 10 बजे के आसपास श्रीन एनी को ले कर होटल से निकला. टैक्सी गेट पर खड़ी थी. टैक्सी ड्राइवर था जोला टोंगो. वह वहीं का रहने वाला था.

पूरा दिन टोंगो श्रीन और एनी को घुमाता रहा. रात का खाना भी उन लोगों ने बाहर ही खाया. वे काफी दूर निकल गए थे. लौटते समय रात 11 बजे के करीब उन की टैक्सी केपटाउन से 5-6 किलोमीटर दूर टाउनशिप गुगुलेथू से गुजर रही थी तो 2 लोगों ने अचानक सामने आ कर टैक्सी रोक ली.

एनी ने जोला टोंगो से कहा भी कि इतनी रात को गाड़ी रोकना ठीक नहीं है. पता नहीं ये लोग कौन हैं. लेकिन उस ने उस की बात नहीं मानी और गाड़ी रोक दी.

टोंगो ने शीशा खोल कर जानना चाहा कि उन्होंने गाड़ी क्यों रुकवाई है तो दोनों में से एक व्यक्ति ने ड्राइवर टोंगो की कनपटी से रिवाल्वर सटा कर टैक्सी से नीचे आने को कहा. टोंगो चुपचाप नीचे आ गया. पीछे की सीट पर बैठे एनी और श्रीन हैरान परेशान थे.  डर के मारे एनी की तो आवाज ही नहीं निकल रही थी.

टोंगो के उतरने के बाद रिवाल्वर सटाने वाला आदमी ड्राइविंग सीट पर बैठ गया तो उस का साथी उस की बगल वाली सीट पर बैठ गया. दोनों ने अपनी भाषा में कुछ बात की और फिर ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे व्यक्ति ने एनी और श्रीन की ओर रिवाल्वर तान कर कहा, ‘‘चुपचाप बैठे रहना. अगर शोर मचाया तो गोली मार दूंगा.’’

एनी एवं श्रीन और ज्यादा डर गए. ड्राइवर जोला टोंगो को वहीं छोड़ कर टैक्सी चल पड़ी. टैक्सी हरारे पहुंची तो श्रीन को सड़क पर फेंक कर टैक्सी फिर आगे बढ़ गई. श्रीन किसी तरह नजदीकी पुलिस स्टेशन पर पहुंचा और एनी के अपहरण की सूचना दी.

पुलिस तुरंत हरकत में आ गई. 14 नवंबर, 2010 की सुबह टैक्सी वेस्ट लिंगेलिथ में लावारिस हालत में खड़ी मिली. टैक्सी की पिछली सीट पर एनी देवानी की लाश पड़ी थी. उस की गरदन में गोली मारी गई थी. सीने और जांघों पर खरोंच के निशान थे. ऊपर का कपड़ा कमर तक उठा हुआ था और अंडरवियर घुटनों के नीचे तक खिसकी हुई थी.

वेस्टर्न केप पुलिस ने अपहरण, डकैती और हत्या का मामला दर्ज कर लिया. मामला विदेशी पर्यटक से जुड़ा था, इसलिए वेस्टर्न के विनिस्टर एल्बर्ट फ्रिटज ने लोगों से अपील की कि अगर कोई इस हत्या के बारे में कोई जानकारी दे सकता है तो आगे आ कर पुलिस की मदद करे. पुलिस को भी त्वरित काररवाई के आदेश दिए गए थे.

मामला काफी संगीन था. पुलिस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. परिणामस्वरूप तीसरे दिन 16 नवंबर को पुलिस ने एक आदमी को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने खुद को निर्दोष बताते हुए 26 वर्षीय जोलाइल मंगेनी पर शक जाहिर किया. इस के बाद उस की निशानदेही पर 17 नवंबर को जोलाइल मंगेनी को गिरफ्तार कर लिया गया.

जोलाइल मंगेनी से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उसी ने गोली चला कर एनी देवानी की हत्या की थी. इस वारदात में टैक्सी ड्राइवर जोला टोंगो और मजिवामाडोडा क्वेब भी शामिल था. जोला टोंगो के कहने पर ही उस ने और मजिवामाडोडा क्वेब ने एनी की हत्या की थी. इस के लिए उन्हें मोटी रकम दी गई थी.

आशिक बना कातिल : कमरा नंबर 209 में मिली लाश का रहस्य – भाग 2

अजरू मौके की तलाश में था. उसे एक दिन यह मौका मिल गया. जोया ने उस दिन उस से एक होटल में कमरा बुक करने के लिए कहा था. कई दिनों से अजरू महसूस कर रहा था कि जोया उसे संपूर्ण रूप से पा लेने के लिए आतुर है. वह जब भी उस से मिलती थी, उस से कस कर लिपट जाती थी. अपने जिस्म का सारा बोझ वह उस के ऊपर डाल देती थी.

जोया को अपनी सच्चाई बताने का पक्का मन बना कर उस ने अलीगढ़ में एक होटल में कमरा बुक कर लिया. जोया को उस ने कमरा बुक होने की बात बताई तो वह बहुत खुश हो गई. वह शाम को ही धोलाना से अलीगढ़ पहुंच गई.

अजरू होटल के बाहर उस का इंतजार कर रहा था. वह जोया को ले कर होटल के बुक किए कमरे में आ गया. कमरे में आते ही जोया ने उस के गले में अपनी नाजुक बांहों का हार पहना दिया. वह अपनी नाक अजरू की नाक से रगड़ती हुई चहक पड़ी, ”मैं ने तुम्हें अपना सरताज मान लिया है अजरू. मेरे इस पाक जिस्म को तुम्हें छू लेने का मैं पूरा अधिकार दे रही हूं. आज तुम मुझे कली से फूल बना दो.’’

”तुम्हें संपूर्ण पा लेने की लालसा मेरे दिल में भी है जोया, लेकिन…’’

”लेकिन क्या…?’’ जोया उसे आश्चर्य से देखती हुई खोली.

”मैं तुम्हें अपनी एक सच्चाई बता देना चाहता हूं जोया, ताकि अपना पाक जिस्म मुझे सौंपने से पहले तुम ‘हां’ या ‘न’ कहने का फैसला ले सको.’’

”ऐसी क्या बात है अजरू?’’ जोया अलग हो कर उसे हैरानी से देखने लगी.

अजरुद्दीन गंभीर हो गया. उस ने जोया की ओर देखा, वह उसे ही एकटक देख रही थी. अजरू ने मन को पक्का कर लिया और धीरे से बोला, ”मैं पहले से शादीशुदा हूं जोया, मेरे 5 बच्चे भी हैं.’’

जोया उर्फ शहजादी कुछ पलों तक अजरू को ठगी सी खड़ी देखती रही फिर मुसकरा कर बोली, ”तुम शादीशुदा हो, इस से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मैं तुम्हारी बेगम बन कर एक कोने में पड़ी रहूंगी’ मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए और कुछ नहीं.’’

”सोच लो जोया, प्यार के जोश में उठाया गया यह कदम तुम्हारे लिए आगे चल कर परेशानी का सबब न बन जाए? बाद में तुम पछताओ कि तुम ने नादानी में फैसला ले कर अपना सब कुछ खो दिया.’’

”अजरू, मैं ने तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम यदि यह बात छिपा कर मुझे पाने की चेष्टा करते तो मुझे बहुत दुख पहुंचता, तुम ने एक अच्छे आदमी होने की मिसाल कायम की है.’’

”मैं तुम्हारे लिए अच्छा हूं जोया, लेकिन मैं अपनी पत्नी जीनत को धोखा दे कर उस के साथ नाइंसाफी कर रहा हूं, जानती हो क्यों?’’

”क्यों?’’

”क्योंकि तुम दुनिया की बेहद हसीन चीज हो, तुम मेरे दिल में बस गई हो. मैं अब तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह पाऊंगा.’’

”ओह! मेरे अच्छे अजरू.’’ जोया ने लरजते स्वर में कहा और अजरू से लिपट गई.

अजरू ने उस के नाजुक जिस्म को अपनी बाहों में समेट लिया और झुक कर अपने तपते होंठ जोया के पतले पतले अधरों पर टिका दिए. कुछ पलों बाद उस कमरे में 2 जिस्मों की महकती सांसों और फुसफुसाते शब्दों से भर गए.

अजरू ने क्यों बेचीं बापदादा की जमीनें

जोया उर्फ शहजादी को संपूर्ण रूप से पा लेने के बाद अजरू प्रेमिका का दीवाना हो गया. जोया पर अब वह दिल खोल कर रुपया खर्च करने लगा. वह उस के लिए महंगे महंगे गिफ्ट देने लगा. जोया को उस ने ऊपर से नीचे तक गहनों से लाद दिया. उन की लव स्टोरी गहराती चली गई.

जोया ने अजरू के इस दीवानगी की कद्र की, वह अपने मादक जिस्म की तपिश से अजरू को गरमाने में जरा भी संकोच नहीं करती थी. जोया की जवानी में अजरू पूरी तरह डूब गया था. अब उसे ख्वाबों में भी जोया ही चाहिए थी.

इस पागलपन का परिणाम यह हुआ कि अजरू अपने बापदादा की जमीनें बेचने लगा. जमीन से मिले रुपयों को वह जोया पर खर्च कर देता. जोया अजरू के इन कीमती तोहफों को पा कर आसमान में उडऩे लगी थी.

जोया का बाप और भाई जोया के बहकते कदमों से अंजान नहीं थे. वह सब देख और समझ रहे थे, लेकिन खामोश थे, क्योंकि जोया के द्वारा घर में हर कीमती सामान आ रहा था. वह लोग अजरू से ही जोया का निकाह कर देना चाहते थे.

अजरू उन के घर आता तो वह उस का गर्मजोशी से आदरसत्कार करते थे. एक प्रकार से जोया का पूरा परिवार अजरू को जोया का भावी शौहर मानने लगे थे.

इधर अजरू की बीवी जीनत बेगम अपने शौहर के बदलते रंग से परेशान थी, वह देख रही थी उस का शौहर बापदादा की जमीनें बेच रहा है, लेकिन वह रुपया घर में खर्च नहीं कर रहा है, कहीं और खर्च कर रहा है. जीनत का अनुमान था अजरू ने कोई बड़ा बिजनैस शुरू कर दिया है.

एक दिन अजरू का जानकार दोस्त उस से मिलने उस के घर आया. अजरू घर पर नहीं था. उस दोस्त ने जीनत का हाल पूछा, ”कैसी हो भाभी?’’

”अच्छी हूं.’’ जीनत ने औपचारिकतावश कहा, ”तुम्हारे भाईजान तो घर पर नहीं हैं.’’

”आजकल अजरू मिलता ही नहीं है.’’ अजरू का दोस्त परेशान हो कर बोला, ”पहले अजरू मेरे से रोज मुलाकात कर लेता था.’’

”उन्होंने कोई बिजनैस शुरू कर दिया है, इसीलिए तुम से नहीं मिल पाते हैं.’’

वह दोस्त मुसकरा दिया, ”कैसा बिजनैस भाभी, वह तो जोया के प्यार में पागल हुआ पड़ा है.’’

यह सुन कर जीनत का दिल धड़क उठा, ”यह जोया कौन है भाईजान?’’

”जोया धौलाना (हापुड़) में रहती है, भाईजान उस के इश्क में पड़ गए हैं. क्या आप यह नहीं जानतीं.’’

”नहीं, मैं उन का घर और बच्चों की देखभाल में उलझी रहती हूं. मुझे क्या खबर कि वह बाहर क्या कर रहे हैं.’’

”आप नादान और भोली हैं, घर में ही रहेंगी तो अजरू आप के हाथ से निकल जाएगा. उस के पैरों में रस्सी बांध कर रखना जरूरी है. मैं अजरू का गहरा दोस्त हूं, उस का अच्छा बुरा सोचना मेरा फर्ज है. मैं ने आप को आगाह कर दिया है. आप यह बात अजरू से मत कहना, नहीं तो हमारी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी…’’

”आप का नाम मैं नहीं लूंगी भाईजान. आप ने मुझे उन की प्रेम कहानी की सच्चाई बता कर बहुत बड़ा एहसान किया है.’’ जीनत ने गंभीर स्वर में कहा, ”मैं आज ही उन की खबर लूंगी.’’

अजरू का दोस्त चला गया. जीनत को अपने शौहर की करतूत का पता चल चुका था. बापदादा की जमीनें बेच कर अजरू जोया के ऊपर खर्च कर रहा है, यह बात उसे परेशान और चिंता में डाल देने वाली थी.

फारेस्ट औफीसर का कातिल प्रेमी

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 1

सन 2009 के जुलाई महीने में एनी हिंडोचा अपनी कजिन स्नेहा से मिलने ल्यूटोन गई तो वहीं उस की मुलाकात श्रीन देवानी से हुई. श्रीन स्नेहा का पारिवारिक मित्र था. श्रीन देवानी हेल्थकेयर बिजनैस का एक जानामाना नाम था. मूलरूप से भारत का रहने वाला श्रीन देवानी का परिवार लंदन के ब्रिस्टल शहर में रहता था. सालों पहले उस के घर वाले यहां आ कर रहने लगे थे. उस के पिता पीएसपी हेल्थकेयर कंपनी चलाते थे. श्रीन देवानी का जन्म वहीं हुआ था.

यूनिवर्सिटी औफ मैनचेस्टर से इकोनौमिक्स में ग्रैजुएशन कर के श्रीन वहीं एक कंपनी में एकाउंटेंट की नौकरी करने लगा था. इसी नौकरी के दौरान स्नेहा से उस की दोस्ती हुई थी. नौकरी कर के श्रीन को जब अच्छाखासा अनुभव हो गया तो उस ने अपना पारिवारिक कारोबार संभाल लिया था. नौकरी उस ने भले छोड़ दी थी, लेकिन दोस्तों से वह पहले की ही तरह मिलताजुलता रहता था.

दोस्तों से ही मिलने जुलने में श्रीन की मुलाकात स्नेहा की कजिन एनी हिंडोचा से हुई तो पहली ही मुलाकात में खूबसूरत एनी उसे कुछ इस तरह भायी कि एक बार उस के चेहरे पर उस की नजर पड़ी तो वह अपनी नजर को हटा नहीं सका.

एनी ने श्रीन देवानी के दिल में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी. अब तक उस के संपर्क में तमाम लड़कियां आई थीं, लेकिन जो बात उस ने एनी में पाई थी, शायद वह उन में से किसी में नहीं दिखी थी. इसीलिए वह उस पर से नजर नहीं हटा सका था.

श्रीन एनी को एकटक देख रहा था. उसे इस बात की भी परवाह नहीं थी कि वह जो कर रहा है, वह अभद्रता है और उस की इस अभद्रता पर लोग उस के बारे में क्या सोचेंगे.

एनी को उस के मन की बात भांपते देर नहीं लगी थी. श्रीन भी कम आकर्षक नहीं था. सुखी और संपन्न तो था ही. एक लड़की को जिस तरह का मर्द चाहिए, वे सारे गुण उस में थे. इसलिए उस का एकटक ताकना एनी को बुरा लगने के बजाय अच्छा ही लगा था. कहा जाए तो उस का हाल भी श्रीन से कुछ अलग नहीं था.

जब दोनों के ही दिलों की हालत एक जैसी हो गई तो वे एकदूसरे की आंखों में डूब गए. तभी स्नेहा ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘यहां तुम दोनों के अलावा भी तमाम लोग मौजूद हैं. उन लोगों की ओर भी देख लो.’’

श्रीन और एनी को अपनी अपनी गलती का अहसास हुआ. दोनों शरमा गए, इसलिए कुछ कह नहीं सके, सिर्फ मुसकरा कर रह गए. दोनों बातें भले ही अन्य लोगों से करते रहे, पर नजरें एकदूसरे को ही ताकती रहीं. इतना सब होने के बाद अब उन्हें एकदूसरे से यह कहने की जरूरत नहीं रह गई थी कि वे एकदूसरे के दिलों में बस चुके हैं. इस तरह उन के प्यार का इजहार नजरों से ही हो गया था.

वहां से विदा होने से पहले एनी और श्रीन ने एकदूसरे के नंबर ले लिए थे. इस के बाद उन की मोबाइल पर बात ही नहीं होने लगी, बल्कि दोनों ऐसी जगहों पर मिलने भी लगे, जहां सिर्फ वही दोनों होते थे. एकांत में मिल कर दोनों अपनेअपने दिलों की बात कह कर बेहद सुकून महसूस करते थे. ज्यादातर वे ब्रिस्टल और स्टाकहोम के बीच मिलते थे.

एकांत में एक दिन जब श्रीन ने एनी की ठोढ़ी उठा कर उस की आंखों में झांकते हुए कहा कि वह उसे बहुत प्यार करता है तो एनी उस की हथेली अपने हाथों में दबा कर बोली, ‘‘प्यार! मैं तुम्हें तुम से भी ज्यादा प्यार करती हूं. मेरी हर धड़कन, हर सांस अब तुम्हारे लिए है. तुम भले ही मुझ से दूर रहते हो, पर यादों की वजह से हर पल मेरे साथ होते हो.’’

‘‘एनी, सागर की गहराई को तो नापा जा सकता है, लेकिन दिल की गहराई को किसी भी तरह नहीं नापा जा सकता. वरना मैं भी दिखा देता कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं. तुम्हारे प्यार से इस जिंदगी को एक मकसद मिल गया है. अब इसे जीने में मजा आने लगा है. बाकी तो यह सूखी नदी जैसी थी.’’ श्रीन ने उसी तरह एनी की आंखों में झांकते हुए कहा.

‘‘तुम से प्यार करने के बाद ही मुझे भी पता चला है कि यह जिंदगी कितनी खूबसूरत होती है. तुम्हारे प्यार में बीतने वाला हर पल बहुत हसीन लगता है. मेरी जिंदगी में आ कर तुम ने इसे धन्य कर दिया. मैं तुम्हारा यह एहसान ताउम्र नहीं भूल सकती.’’ यह कहते हुए एनी भावुकता की गहराई में उतर गई.

‘‘एहसान तो तुम ने मुझ पर किया है, मेरी जिंदगी में आ कर. तुम्हारा यह प्यार मेरे लिए वह इबादत है, जो मैं मरते दम तक करता रहूंगा.’’ श्रीन ने कहा.

‘‘मुझे कभीकभी विश्वास ही नहीं होता कि मुझे तुम जैसा प्यार करने वाला मिला है. सचमुच तुम्हें पा कर मेरी जिंदगी बदल गई है.’’ एनी ने आंखें मूंद कर कहा.

प्यार मोहब्बत की बातों की कोई सीमा नहीं होती. इस के लिए तो कई जीवन भी कम पड़ जाएं. इसलिए  जब भी मिलते, इसी तरह की बातें करते रहते. मिलतेजुलते, ऐसी ही बातें करते डेढ़ साल कैसे गुजर गए, उन्हें पता ही नहीं चला.

गुजरे समय के साथ उन का प्यार गहरा होता गया. अब वे कईकई दिनों में कुछ घंटे के लिए मिलते तो उन का मन न भरता. वे चाहते थे कि उन का हर पल एकदूसरे की बांहों में गुजरे.

लेकिन इस के लिए एक बंधन की जरूरत थी. वह बंधन था शादी का और इस के लिए जरूरत थी दोनों के परिवारों की रजामंदी. दोनों भले ही पश्चिमी देशों में जन्मे और पलेबढ़े थे, लेकिन थे तो हिंदुस्तानी, जहां की संस्कृति आज भी उन के घर वालों पर हावी थी. शायद इसीलिए उन्होंने अपने प्यार को अभी तक घर वालों के सामने उजागर नहीं होने दिया था.

इसीलिए जब उन के मन में शादी का विचार आया तो एनी ने कहा, ‘‘श्रीन, शादी के लिए तुम अपने घर वालों से बात करो, क्योंकि मैं तो अपने घर वालों से कुछ कह नहीं सकती. लेकिन इतना जरूर जानती हूं कि तुम्हारे घर वाले मेरे घर रिश्ता ले कर आएंगे तो मेरे घर वाले मना नहीं करेंगे.’’

‘‘प्यार की पहल मैं ने की तो अब शादी की भी पहल मुझे ही करनी पड़ेगी.’’ श्रीन ने हंसते हुए कहा, ‘‘खैर, तुम्हारे लिए मैं यह भी करूंगा.’’

‘‘मुझ पर अधिकार पाना है तो तुम्हें यह भी करना होगा.’’

‘‘ठीक है, मैं जल्दी ही कुछ करता हूं, क्योंकि अब तुम से दूरी सहन नहीं हो रही है.’’ श्रीन ने कहा.

श्रीन ने एनी से वादा ही नहीं किया, बल्कि उस पर अमल भी किया. उस ने अपने घर वालों को अपने प्यार के बारे में बता कर एनी के घर जा कर रिश्ता मांगने के लिए कहा. उस के घर वालों को इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था. वे बेटे की खुशी में खुश थे.

उन्हें सब से बड़ा संतोष इस बात का था कि एनी भारतीय मूल की थी. वह उन के परिवार में आराम से एडजस्ट हो जाएगी. लेकिन एनी के घर वालों से मिलने से पहले उन्होंने एनी और उस के घर वालों के बारे में पता करना जरूरी समझा.

आशिक बना कातिल : कमरा नंबर 209 में मिली लाश का रहस्य – भाग 1

कमरा नंबर 204 बाहर से बंद था. होटल के मैनेजर ने उसे खोल कर देखा तो कमरे के पलंग पर एक  युवती की लाश पड़ी हुई थी. युवती की आंखें फैली हुई थीं और मुंह से झाग निकल रहे थे.

मैनेजर ने तुरंत होटल मालिक को फोन कर के इस लाश की सूचना दी और उस के कहने पर गाजियाबाद के थाना वेव सिटी को लाश के बारे में बता कर होटल अनंत में आने को कह दिया. वहां मौजूद दानिश अपनी 22 वर्षीय बहन जोया की लाश देख कर जोरजोर से रोने लगा था.

थोड़ी देर में होटल अनंत में थाना वेव सिटी के एसएचओ अंकित चौहान और एसीपी सलोनी अग्रवाल पहुंच गईं. अंकित चौहान ने थाने से चलते समय एसीपी को लाश की सूचना दे दी थी. एसीपी सलोनी अग्रवाल और एसएचओ ने लाश का निरीक्षण किया. दोनों इस नतीजे पर पहुंचे कि युवती को जहर दिया गया है तथा उस का मुंह दबा कर उसे मारा गया है.

गोरी, छरहरी, लंबी कदकाठी वाली जोया उर्फ शहजादी बेशक किसी राजा की राजकुमारी नहीं थी, लेकिन रहनसहन और अपनी खूबसूरत छवि की वजह से वह किसी राजकुमारी से कम नहीं लगती थी.

शहजादी को घर और बाहर जोया भी कहते थे, इसलिए शहजादी भी अपना यही नाम सब को बताती थी. इस शहजादी को पाने की ललक हर युवा दिल में थी, लेकिन शहजादी के दिल में कोई और बसा हुआ था. शहजादी जिसे दिलोजान से प्यार करती थी, उस का नाम अजरुद्दीन उर्फ अजरू था.

अजरुद्दीन शादीशुदा और 5 बच्चों का बाप था. उस की पत्नी जीनत बेगम थी, जो बेहद खूबसूरत थी. करीब 4 साल पहले अलीगढ़ की एक ज्वैलरी शाप में वह अपनी पत्नी जीनत के लिए सोने की अंगूठी खरीद रहा था, वहीं पर उस ने पहली बार जोया को देखा था. उस की खूबसूरती देख कर वह ठगा सा रह गया था.

कोई उसे देख कर अपने होश भी खो सकता है, यह जान कर जोया अचंभित रह गई थी. वह खुद को संभाल कर अजरुद्दीन के पास आ कर बैठ गई मुसकराते हुए बोली थी, ”होश में आइए जनाब, मैं इंसानी बुत हूं, कोई आसमान से उतरी हुई अप्सरा नहीं हूं.’’

”तुम अप्सराओं से भी बढ़ कर हो,’’ अजरू के मुंह से बरबस ही निकल गया. वह अपनी पूर्व स्थिति में लौट आया था.

”मेरे हुस्न की तारीफ के लिए शुक्रिया.’’ जोया मुसकरा कर बोली, ”क्या मैं आप का नाम जान सकती हूंï?’’

”मेरा नाम अजरुद्दीन है. प्यार से लोग मुझे अजरू कहते हैं. गाजियाबाद से थोड़ी दूरी पर कल्लूगढ़ी गांव है, वहीं रहता हूं.’’

”मैं धोलाना (हापुड़) की बसरा कालोनी में रहती हूं.’’ जोया ने हंस कर कहा, ”एक प्रकार से हम और आप पड़ोसी हुए.’’

”धोलाना मेरा आनाजाना रहता है. यहां क्या खरीदने आई हैं आप?’’

”मेरी हाथ की अंगुली सूनी है, एक रिंग थी वह पता नहीं नहाते वक्त कहां निकल कर गटर में चली गई…’’

”बदनसीब रही वह रिंग.’’ अजरू ने दर्शन बघारा, ”इस खूबसूरत अंगुली का साथ पाने को तो अंगूठियां तरसती होंगी.’’

अजरू जौहरी की तरफ घूमा. वह किसी अन्य कस्टमर को अटेंड कर रहा था.

अजरुद्दीन ने जोया की तरफ इशारा कर के कहा, ”सेठजी, आप इन के लिए बेहतरीन अंगूठी दिखाइए.’’ उस ने बेझिझक जोया की कलाई पकड़ कर जौहरी के सामने कर दी.

जोया उस की जिंदादिली पर अवाक रह गई. वह कुछ कहती, उस से पहले ही जौहरी ने खूबसूरत अंगूठियों का बौक्स उस के सामने रख कर कहा, ”आप पसंद कर लीजिए, एक से बढ़ कर एक डिजाइन हैं.’’

जोया ने नगीने की अंगूठी पसंद की और जौहरी से पूछा, ”कितनी कीमत  है इस अंगूठी की?’’

”15 हजार की है.’’ जौहरी ने अंगूठी का वजन करने के लिए कहा तो जोया अपना पर्स खोलने लगी.

”आप रहने दीजिए, इस की कीमत मैं अदा कर रहा हूं.’’ अजरू तुरंत बोला और उस ने अपनी जेब से 15 हजार रुपए निकाल कर तुरंत जौहरी को दे दिए.

जोया हैरान परेशान हो गई. एक अजनबी जिस से कुछ पलों पहले मुलाकात हुई थी, उस की पसंद वाली अंगूठी की कीमत चुका रहा है, वह भी 10-5 रुपए नहीं, पूरे 15 हजार. कुछ क्षण तो जोया की जुबान तालू से चिपक गई, फिर वह बोली, ”अजरू, यह अंगूठी मैं ने खरीदी है, फिर आप इस की कीमत क्यों अदा कर रहे हैं?’’

”यह मेरी तरफ से आप को गिफ्ट है.’’ अजरू मुसकरा कर बोला, ”वैसे आप ने अपना नाम नहीं बताया अभी तक?’’

”मेरा नाम जोया उर्फ शहजादी है.’’ जोया ने प्यार भरी नजरों से अजरू को देखते हुए अपने लब खोले, ”यदि आप मुझे यह गिफ्ट दे रहे हैं तो अपने हाथ से इसे मेरी अंगुली में पहना भी दीजिए.’’

अजरू ने जोया की कलाई पकड़ कर उस की अंगुली में अंगूठी पहना दी. जोया ने वह अंगुली चूम ली और भावुक स्वर में बोली, ”अजरू, आज से आप मेरे बहुत करीब आ गए हैं. मैं आप के इस अनमोल गिफ्ट को जीवन भर संभाल कर रखूंगी.’’

अजरू मुसकरा दिया. इस के बाद दोनों दुकान से बाहर आ कर अपनेअपने रास्ते चले गए. मगर जाने से पहले उन्होंने एकदूसरे को अपना मोबाइल नंबर दे दिया था.

अजरू क्यों बताना चाहता था शादीशुदा होने की बात

जोया उर्फ शहजादी और अजरू के बीच पहले मोबाइल पर प्यारभरी बातों का सिलसिला शुरू हुआ, फिर वह पिकनिक स्पौट, रेस्तरां और पार्कों में मुलाकातें करने लगे. उन दोनों के बीच प्यार गहराने लगा.

अजरू ने अभी तक जोया को अपने शादीशुदा होने की बात नहीं बताई थी. वह जोया को अपनी शादी की बात बता देना चाहता था, क्योंकि जोया उसे बहुत गहराई से चाहने लगी थी. उसे ले कर वह शादी के सपने देखने लगी थी. अजरू उस से सच्चाई छिपा कर उसे इस मोड़ तक नहीं ले जाना चाहता था, जहां पहुंचने के बाद जोया को वापस लौटने में तकलीफ हो.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर

फारेस्ट औफीसर का कातिल प्रेमी – भाग 3

एटीएम से आरोपी तक पहुंची पुलिस

जबकि राहुल जिंदा है और फोन बंद कर के फरार है. अब तक जो पुलिस को शक था, राहुल के इस तरह फोन बंद कर के लापता होने से विश्वास में बदलने लगा था. इसलिए पुलिस ने अपना पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित कर दिया. पर उस का पता कैसे चले, क्योंकि उस ने अपना फोन तो बंद कर रखा था.

इस बीच पुलिस ने पता किया कि राहुल का खर्च कैसे चलता था. घर वाले पैसे देते थे तो कैश देते थे या बैंक के माध्यम से भेजते थे. पूछने पर घर वालों ने बताया था कि वह अपना खर्च चलाने के लिए प्राइवेट नौकरी करता था. उस का बैंक में अकाउंट है, कंपनी का वेतन उसी में आता था.

राहुल

पुलिस का सोचना था कि राहुल अगर जिंदा है तो उसे खर्च के लिए पैसों की जरूरत तो पड़ती ही होगी. खर्च के लिए वह एटीएम से पैसे जरूर निकालता होगा. पुलिस ने जब इस बारे में बैंक से पता किया तो पता चला कि राहुल ने अपने बैंक अकाउंट से एटीएम द्वारा दिल्ली से पैसे निकाले थे.

राहुल को दिल्ली में कैसे पकड़ा जाए, पुणे पुलिस इस बात पर विचार कर ही रही थी कि उस का फोन कुछ देर के लिए चालू हुआ. लेकिन थोड़ी हो देर में फिर स्विच औफ हो गया. पुलिस ने जब उस की लोकेशन पता की तो वह कोलकाता की थी. पता चला कि उस ने अपने एक रिश्तेदार को फोन कर के बात की थी.

उस रिश्तेदार से राहुल ने क्या बात की थी, जब पुलिस ने रिश्तेदार से पूछा तो उस ने बताया कि राहुल कह रहा था कि अब वह पुणे कभी लौट कर नहीं आएगा. क्योंकि उस का उस के एक दोस्त से झगड़ा हो गया है. इसलिए उस ने पुणे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया है.

राहुल की लोकेशन कोलकाता की मिली थी. इस से पहले कि पुलिस कोलकाता जाती या वहां की पुलिस से संपर्क करती, राहुल की लोकेशन मुंबई की मिली. फिर तो पुणे पुलिस ने राहुल को फोन की लोकेशन के आधार पर मुंबई के अंधेरी स्टेशन से 27 जून, 2023 की रात को गिरफ्तार कर लिया.

क्या इसी को कहते हैं प्यार

राहुल को पुणे ला कर अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 3 जुलाई तक के लिए रिमांड पर लिया गया. पूछताछ में राहुल ने दर्शना की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने अपनी बाइक और वह कटर भी बरामद करा दिया था, जिस का उपयोग उस ने दर्शना की हत्या में किया था.

पुलिस कस्टडी में आरोपी राहुल

राहुल ने हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो एसपी (ग्रामीण) अमित गोयल की मौजूदगी में राहुल को पत्रकारों के सामने पेश किया गया, जहां उस ने दर्शना की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

साथसाथ पढ़ाई करते और उठतेबैठते राहुल हंडोरे को दर्शना से प्यार हो गया था. पर उस ने कभी अपने प्यार का इजहार दर्शना से किया नहीं था. क्योंकि उसे लगता था कि जब उचित समय आएगा, तब वह दर्शना से दिल की बात कह देगा. उस के लिए उचित समय तब आता, जब उस की कहीं नौकरी लग जाती.

दर्शना उस के मन की बात जानती थी. उसे भी राहुल पसंद था. पर उस के मन में यही था कि जब दोनों की नौकरी लग जाएगी, तब दोनों शादी कर लेंगे. दोस्ती दोनों में थी ही, वे एकदूसरे से हर बात उसी तरह शेयर करते थे, जैसे कोई अपने बौयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से करता है.

जब दर्शना की नौकरी लग गई और राहुल की नहीं लगी तो दर्शना राहुल से दूर होने लगी. घर वालों ने उस के लिए लड़का भी देखना शुरू कर दिया. जब इस बात की जानकारी राहुल को हुई तो उस ने दर्शना के सामने ही उस के मम्मीपापा से विवाह के लिए बात की.

दर्शना के मम्मीपापा ने उस के साथ दर्शना का विवाह करने से साफ मना कर दिया. इस के बाद उस ने दर्शना की ओर देखा तो दर्शना की नजरों में उसे पैरेंट्स की बात में सहमति नजर आई. इस तरह राहुल ने दर्शना के साथ विवाह का जो सपना सालों से संजोया था, वह टूट गया. इस से राहुल को बेइज्जती सी महसूस हुई.

वह वहां से तो चुपचाप चला आया, पर उस ने मन ही मन दर्शना से बदला लेने की ठान ली. उस ने तय कर लिया कि दर्शना उस की नहीं तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. अब वह मौके की तलाश में था.

11 जून को पुणे में दर्शना को कोचिंग सेंटर वालों ने सम्मानित करने के लिए बुलाया तो राहुल भी वहां उस से मिलने गया. अगले दिन उस ने दर्शना के साथ वेल्हा तहसील स्थित रायगढ़ और सिंहगढ़ किला घूमने का आयोजन किया तो दर्शना उस के साथ जाने के लिए खुशीखुशी तैयार हो गई. क्योंकि अच्छा दोस्त होने की वजह से वह उस पर आंख मूंद कर विश्वास करती थी. यह बात दर्शना ने अपने दोस्तों और घर वालों को बता भी दी थी.

अगले दिन यानी 12 जून को दोनों सुबह राजगढ़ और सिंहगढ़ के किलों की ट्रैकिंग के लिए निकल गए. राजगढ़ के किले के अंदर एकांत पा कर राहुल ने एक बार फिर दर्शना से विवाह की बात छेड़ दी. तब दर्शना ने साफ कह दिया कि वह वहीं विवाह करेगी, जहां उस के घर वाले चाहेंगे.

राहुल तो ठान कर ही आया था कि उसे अपने अपमान का बदला लेना है, इसीलिए तो वह दर्शना की हत्या करने के लिए हथियार के रूप में कटर ले कर आया था. दर्शना के मना करते ही राहुल ने उस पर कटर से हमला बोल दिया और उस की हत्या कर दी.

दर्शना की हत्या करने के बाद राहुल ने उस की लाश उठा कर पहाड़ी के नीचे तलहटी में फेंक दी. उसी के साथ उस के फोन, चश्मा, जूते आदि भी फेंक दिए और फिर वहां से अपने फोन को स्विच्ड औफ कर के अकेला ही लौट आया. कमरे पर बाइक खड़ी कर के वह फरार हो गया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने 3 जुलाई, 2023 को राहुल को फिर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित