पायल की जिद ने ढाया कहर

पहली नवंबर, 2018 की शाम लगभग साढ़े 5 बजे की बात है. 22 वर्षीय पायल अपनी मां गजाला से यह कह कर गई  थी कि वह अपनी सहेली के साथ शौपिंग करने जा रही है. एकदो घंटे में लौट आएगी.

उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर के मोहल्ला दरख्त कैथ हमाम के रहने वाले शाहनवाज की बेटी जैनब उर्फ पायल पढ़ीलिखी और समझदार थी. वह अकेली बाजार जाती रहती थी. घर वालों को उस की तरफ से कोई चिंता नहीं रहती थी. इसलिए मां गजाला ने उस के अकेले जाने पर कोई ऐतराज नहीं किया.

पायल को घर से गए हुए 2 घंटे से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन वह घर नहीं लौटी. मां ने उस का नंबर मिलाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. मां को चिंता हुई कि रात के 8 बज गए और पायल अभी तक नहीं आई, उस का फोन भी बंद है. वह ऐसी कौन सी चीज खरीदने गई है जो उसे इतनी देर लग गई. वह जिस सहेली के साथ जाने को कह कर गई थी उस का फोन नंबर भी मां के पास नहीं था. इसलिए उन की समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी रात को वह बेटी को कहां ढूंढ़े.

गजाला ने फोन कर के जानकारी अपने पति शाहनवाज को दी तो वह भी अपने घर आ गए. तब तक रात के 10 बज चुके थे. उन्होंने अपने स्तर से बेटी को इधरउधर ढूंढा लेकिन उस के बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो वह भी परेशान हो गए.

अपनी रिश्तेदारियों में भी उन्होंने फोन किए पर वह वहां भी नहीं पहुंची थी. मोहल्ले में भी जवान बेटी के गायब होने के बारे में नहीं पूछा जा सकता था. क्योंकि इस में उन्हीं की बदनामी होती. लिहाजा वह बेटी के बारे में सोचसोच कर बहुत परेशान थे.

जवान बेटी के गायब होने से घर वालों की उड़ी नींद

चूंकि रात अधिक हो चुकी इसलिए उन्होंने सोचा कि अगले दिन उसे और तलाशेंगे. बेटी की चिंता में शाहनवाज और उन की पत्नी को नींद नहीं आई. रात भर उन के दिमाग में बेटी को ले कर तरहतरह के विचार आते रहे.

2 नवंबर को शाहनवाज अपने परिवार वालों के साथ दिन भर बेटी को ढूंढते रहे. ढूंढतेढूंढते थक गए तो वह घर लौट आए. बेटी के बारे में कोई खबर नहीं मिलने पर गजाला का रोरो कर बुरा हाल था. उन की आंखें सूज गई थीं.

परिवार वालों की सलाह पर शाहनवाज बेटी के गुम होने की सूचना देने के लिए गंज कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली निरीक्षक नरेंद्र त्यागी को बेटी के लापता होने की जानकारी विस्तार से दे दी. शाहनवाज की सूचना पर पुलिस ने जैनब उर्फ पायल की गुमशुदगी दर्ज कर ली.

उधर पायल का बड़ा भाई राहिल खान, जोकि अपने बिजनैस के काम से मुंबई गया हुआ था जब उसे बहन के गायब होने की खबर मिली तो वह भी परेशान हो गया. राहिल खान ने जहांगीर को फोन कर के छोटी बहन पायल के बारे में पूछा तो जहांगीर ने बताया कि उसे पायल के बारे में कुछ पता नहीं है. जब उस से हमारा रिश्ता ही खत्म हो गया तो पायल से उस का क्या वास्ता.

जहांगीर ने धमकी भरे लहजे में उस से कहा कि अब तो मुझे फोन कर दिया आगे फोन किया तो अंजाम बुरा होगा. राहिल रामपुर लौट आया और सीधे कोतवाली निरीक्षक से मिला. उस ने शक जताया कि शहर के ही मोहल्ला गंज में रहने वाले जहांगीर और जहांगीर के 2 दोस्त इमरोज निवासी जेल रोड व प्रभजीत उर्फ सागर का उस की बहन को गायब करने में हाथ हो सकता है.

कोतवाली प्रभारी ने राहिल से इस आरोप के पीछे की वजह पूछी तो राहिल खान ने बताया कि उस की बहन पायल जहांगीर को प्यार करती थी. इतना ही नहीं वह उस के साथ शादी करने पर तुली हुई थी. जबकि पायल और मां के अलावा घर के सभी लोग जहांगीर से उस की शादी करने के खिलाफ थे.

मां की वजह से न चाहते हुए भी घर के अन्य लोग उस की शादी जहांगीर से कराने के लिए तैयार हो गए थे. मार्च 2016 में पायल और जहांगीर की मंगनी हो गई. मंगनी के बाद पायल कभीकभार जहांगीर के साथ बाजार आदि घूमने चली जाती थी.

सब कुछ ठीक था. हम लोग पायल की शादी की तैयारी में जुटे थे कि 2 महीने पहले जहांगीर के पिता ताहिर ने हमारे अब्बू को बताया कि मेरे बेटे जहांगीर को आप की लड़की पसंद नहीं है, जिस वजह से हम यह रिश्ता तोड़ रहे हैं. रिश्ता टूटने पर हमारे परिवार की समाज में बदनामी हुई. पायल ने इस बारे में जहांगीर से पूछा तो उस ने बताया कि उस के सामने एक ऐसी मजबूरी है, जिस की वजह से वह उस से शादी नहीं कर सकता. लेकिन वह उसे अभी भी पहले की तरह ही प्यार करता है. जहांगीर ने वह मजबूरी नहीं बताई.

पायल जहांगीर को दिलोजान से चाहती थी. वह इस बात का पता लगाने में जुट गई कि आखिर जहांगीर ने मंगनी क्यों तोड़ी. थोड़ी कोशिश के बाद पायल को इस की वजह पता चल गई. जानकारी मिली कि जहांगीर ने किसी और मालदार घर की लड़की से शादी करने की खातिर यह मंगनी तोेड़ी थी. पायल जब तब जहांगीर से इस की शिकायत करती रहती थी.

राहिल की शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर के काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने नामजद आरोपियों के घर दबिश दी तो तीनों घरों से फरार मिले. पुलिस का दबाव बढ़ने पर इन में एक आरोपी इमरोज 11 नवंबर, 2018 को गंज कोतवाली में हाजिर हो गया.

जहांगीर ने बुलवाया था पायल को

पुलिस ने इमरोज से पायल के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि पहली नवंबर को जहांगीर ने मेरे माध्यम से पायल को बुलवाया था. मैं उस के कहने पर पायल को अपनी स्कूटी से जहांगीर के कोसी नदी के पास स्थित फार्महाउस पर ले गया था. वहां जहांगीर उस का इंतजार कर रहा था. पायल को जहांगीर के पास छोड़ कर मैं वापस अपने घर चला गया था.

इस के बाद पायल कहां गई, इस का मुझे पता नहीं. इस जानकारी के बाद पुलिस को लगा कि जांच सही दिशा में चल रही है. यानी पायल जहांगीर के पास पहुंची तो थी लेकिन वहां से कहां गई  इस की जानकारी जहांगीर से ही मिल सकती थी. यह सूचना उच्चाधिकारियों को देने के बाद थाना पुलिस ने जहांगीर की सरगर्मी से तलाश शुरू कर दी.

पायल के लापता होने की खबर जब इलेक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से छाने लगी तो पुलिस की किरकिरी होने लगी. लोगों में भी पुलिस की लापरवाही के चर्चे होने लगे. बरेली मुरादाबाद मंडल के एडीजी प्रेमप्रकाश ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए रामपुर पुलिस को लताड़ लगाई. रामपुर के एसपी शिवहरि मीणा को उन्होंने निर्देश दिए कि जल्द के जल्द पायल का पता लगाएं.

एडीजी प्रेमप्रकाश का निर्देश मिलते ही जिला पुलिस पूरी तत्परता से इस केस को सुलझाने में जुट गई. एडीजी प्रेमप्रकाश जिला पुलिस से इस मामले से जुड़ी पलपल की जानकारी लेते रहे.

दूसरी तरफ पायल के घर वाले भी पुलिस पर पायल की बरामदी के लिए लगातार दबाव बना रहे थे. मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर भी पायल का मुद्दा गरमाया हुआ था.

पुलिस ने हिरासत में लिए एक आरोपी इमरोज को पायल के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने जहांगीर की रिश्तेदारियों वगैरह में भी दबिशें डालीं. पर वह कहीं नहीं मिला.

जहांगीर को यह पता चल गया था कि इमरोज को पुलिस ने पकड़ लिया है. उसे आशंका थी कि पुलिस पूछताछ में इमरोज ने सब कुछ बता दिया होगा तो पुलिस किसी न किसी तरह उस तक पहुंच जाएगी. पुलिस के डर से बचने के लिए जहांगीर 14 नवंबर को अपने ऊपर चल रहे एक पुराने मामले में अदालत में हाजिर हो कर जेल चला गया.

पुलिस ने दूसरे आरोपी प्रभजीत उर्फ सागर को भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी यही बताया कि पहली नवंबर को पायल जहांगीर के पास पहुंची थी. इस के बाद वह कहां गई, यह जानकारी प्रभजीत को भी नहीं थी. पुलिस ने उसे भी अपहरण के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

गंज पुलिस को जहांगीर के जेल जाने की जानकारी मिल चुकी थी. 22 नवंबर को पुलिस ने अदालत में दरख्वास्त दे कर आरोपी जहांगीर का रिमांड मांगा. अदालत ने इस की सुनवाई के लिए 23 नवंबर तय कर दी. पायल को जल्द से जल्द बरामद करने की मांग को ले कर परिवार वालों ने एसपी कार्यालय के सामने एकदिवसीय धरना दिया. एसपी शिवहरि मीणा ने शाहनवाज और उस के घर वालों को भरोसा दिया कि पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही है. जल्द ही पायल के बारे में जानकारी मिल जाएगी.

23 नवंबर को अदालत में जहांगीर को पुलिस रिमांड पर भेजने के मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने जहांगीर को 25 नवंबर से 4 दिन के रिमांड पर सौंपने के आदेश दिए.

पुलिस ने रिमांड अवधि में जहांगीर से पायल के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह अजमेर में है. एक पुलिस टीम जहांगीर को ले कर अजमेर चली गई. अजमेर में जहांगीर पुलिस को इधरउधर घुमाता रहा.

वह अपने साथ 4 वकीलों को भी ले गया था. पुलिस को पता लगा कि वह झूठ बोल रहा है तो पुलिस ने धमकी दी कि पायल के गायब कराने में तुम्हारे सभी घर वालों का भी हाथ है. लिहाजा थाने बुला कर उन सभी से पूछताछ की जाएगी.

जहांगीर ने कबूला अपराध

पुलिस की इस धमकी से जहांगीर डर गया और उस ने स्वीकार कर लिया कि वह पायल की हत्या कर चुका है. उस ने यह भी बताया कि उस ने पायल की लाश के टुकड़े कर के कोसी नदी के किनारे दफन कर दिए हैं.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस 26 नवंबर की रात में ही कोसी नदी किनारे पहुंच गई. उस की निशानदेही पर जमीन में दबा पायल का शव बरामद हो गया जो 3 टुकड़ों में बंटा था.

जहांगीर ने बताया कि उस ने पायल की हत्या पहली नवंबर को ही कर दी थी. शव गल चुका था. उस की गरदन अलग थी और धड़ भी 2 भागों में बंटा था. घर वालों ने उस की शिनाख्त चप्पल और कपड़ों से की.

पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश के टुकड़े पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए. साथ ही डीएनए जांच के लिए सैंपल सुरक्षित रखवा लिए गए. इस के अलावा जहांगीर की निशानदेही पर ही कत्ल में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और गड्ढा खोदने के लिए प्रयोग किया फावड़ा भी भूसे के ढेर से बरामद कर लिए गए.

27 नवंबर, 2018 को एसपी शिवहरि मीणा ने एक प्रैस कान्फ्रैंस कर के इस केस में खुलासे की घोषणा की. जहांगीर से पूछताछ के बाद पायल की हत्या की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार थी—

पायल मूलरूप से रामपुर शहर के मोहल्ला दरख्त कैथ हमाम निवासी शाहनवाज की बेटी थी. बेटी के अलावा शाहनवाज के 3 बेटे थे. यानी 3 भाइयों की लाडली थी पायल. पहली नवंबर, 2018 को पायल अपनी मां गजाला के पास बैठी थी तभी उस के मोबाइल पर उस के प्रेमी के दोस्त इमरोज का फोन आया.

इमरोज ने पायल को बताया था कि उस के प्रेमी जहांगीर ने उसे कुछ जरूरी बात करने के लिए बुलाया है. जहांगीर का नाम सुनते ही पायल खुश हो गई. उस के हां करते ही इमरोज ने उस से कहा कि वह स्कूटी ले कर उस के घर के नजदीक पहुंच जाएगा. वहां से उसे स्कूटी पर बैठा कर वह उसे जहांगीर के पास पहुंचा देगा.

फोन पर बात करने के बाद पायल ने अपनी मां से झूठ बोलते हुए कहा कि वह सहेली के साथ शौपिंग करने जा रही है, 1-2 घंटे में लौट आएगी. मां ने उसे जाने की इजाजत दे दी. वह जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो गई.

कुछ देर में इमरोज उस के घर के नजदीक पहुंच गया. उस ने फोन कर के यह बात पायल को बता दी, तब तक पायल तैयार हो चुकी थी, वह घर के बाहर आ गई. इमरोज उसे स्कूटी पर बैठा कर कोसी नदी के पास जहांगीर के फार्म हाउस पर ले गया. जहांगीर का नौकर निसार वहां पहले से ही मौजूद था, जो कि बिहार का रहने वाला था. उसी समय जहांगीर का एक और दोस्त प्रभजीत उर्फ सागर भी वहां आ गया.

जहांगीर पायल से बोला, ‘‘तुम ने अच्छा नहीं किया. तुम से रिश्ता टूटने के बाद मेरी मंगनी रामनगर की जाह्नवी के साथ हो गई थी. मेरे बारे में उल्टासीधा कह कर तुम ने मेरा और तुम्हारा रिश्ता टूटने की बात वहां बता दी. इतना ही नहीं तुम ने मेरे खिलाफ उसे भड़काया भी. तुम ने उसे मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को भी उकसाया था. इतना ही नहीं तुम ने सोशल मीडिया पर निशा के परिवार व मुझे बदनाम करने की धमकी भी दी थी.’’

ज्ञात हो कि पायल से मंगनी टूटने के बाद 2018 में जहांगीर की मंगनी रामनगर के एक उच्च परिवार की युवती जाह्नवी के साथ हो गई थी. जहांगीर ने अपना प्रभाव दिखाने के लिए मंगनी से पहले रामनगर में एक रिसोर्ट किराए पर ले लिया था. उस रिसोर्ट को वह अपना बताता था.

बताया जाता है कि जहांगीर को उम्मीद थी कि जाह्नवी के घर वालों की तरफ से दहेज में एक कार व 10 लाख रुपए मिलेंगे. जब पायल को इस मंगनी का पता चला तो वह बौखला गई. उस ने तय कर लिया कि वह जाह्नवी से होने वाली उस की शादी को तोड़वा कर दम लेगी.

जैसेतैसे उस ने रामनगर में जाह्नवी का पता खोज निकाला. बस फिर क्या था, पायल अपने चाचा के लड़के के साथ रामनगर में जाह्नवी के घर पर पहुंच गई. वहां जा कर पायल ने पूरे मोहल्ले में हंगामा खड़ा कर दिया. उस ने जाह्नवी के घर वालों से कहा कि मार्च 2016 में जहांगीर के साथ मेरी मंगनी हो चुकी है.

पायल ने अपनी मंगनी के समय खींचे गए फोटो भी लोगों को दिखाए. उस ने यह भी कहा कि मेरी मंगनी के बाद भी जहांगीर ने कई अन्य लड़कियों से मंगनी की है. वह लालची है. इस के बाद जाह्नवी के घर वालों ने भी जहांगीर से अपनी बेटी जाह्नवी की मंगनी तोड़ दी. जाह्नवी के घर वालों ने पायल से कहा कि हमें नहीं पता था कि जहांगीर इतना बड़ा लालची और चालाक है.

जब जहांगीर को यह सब पता चला कि पायल ने जाह्नवी के घर वालों को सब कुछ बता कर जाह्नवी के साथ होने वाली उस की मंगनी तुड़वा दी है तो उसे पायल पर बहुत गुस्सा आया. उस ने पायल को सबक सिखाने की ठान ली. उधर पायल को उम्मीद थी कि जाह्नवी से मंगनी टूट जाने के बाद जहांगीर का झुकाव उस की तरफ हो जाएगा. क्योंकि पायल अभी भी अपने दिल में जहांगीर को बसाए हुए थी.

बन गई हत्या की योजना

जहांगीर ने पायल को खत्म करने की योजना बना ली थी. इसलिए उस ने पायल को बारबार फोन कर के नजदीकियां बनानी शुरू कर दी थीं. जिस से पायल उस के भ्रमजाल में फंसती गई.

इसी योजना के तहत पहली नवंबर को जहांगीर ने अपने दोस्त इमरोज की मार्फत पायल को अपने फार्महाउस पर बुला लिया. जहांगीर ने एक बार फिर उसे समझाया, ‘‘अब भी कह रहा हूं कि तुम मेरे रास्ते से हट जाओ. मैं वादा करता हूं कि पहले मैं जाह्नवी से शादी कर लूं, उस के बाद तुम से निकाह कर लूंगा.’’

पायल उस की इस बात पर सहमत नहीं हुई. वह जहांगीर से कह रही थी कि मेरी मंगनी तुम से हुई है, इसलिए तुम जाह्नवी को भूल जाओ. पायल अपनी इसी बात पर अड़ी रही.

इसी दौरान गरमागरमी में बात इतनी बढ़ गई कि जहांगीर ने पायल को पकड़ कर जमीन पर गिरा दिया और अपने हाथों से उस का गला घोंट कर मौत के घाट उतार दिया. जहांगीर को इतने पर भी संतोष नहीं हुआ. उस ने अपने नौकर निसार, दोस्त इमरोज, प्रभजीत उर्फ सागर के साथ मिल कर पहले से साथ लाई कुल्हाड़ी से पायल का पहले धड़ से सिर अलग किया. फिर धड़ को भी 2 हिस्सों में काट डाला फिर चारों ने कोसी नदी के किनारे गड्ढा खोद कर पायल के तीनों टुकड़ों को दबा दिया.

पायल की हत्या और लाश मिलने से शहर भर में अशांति का माहौल बन गया था. क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में भारी मात्रा में पुलिस तैनात कर दी गई थी. पोस्टमार्टम स्थल पर भी पुलिस का खास इंतजाम था. सपा नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां भी पायल के घर वालों को सांत्वना देने के लिए पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे.

पोस्टमार्टम के बाद भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पायल की टुकड़ों में बंटी लाश का अंतिम संस्कार किया गया. जहांगीर ने पुलिस  को बताया कि पायल की हत्या करने के बाद इस की जानकारी उस ने अपने पिता ताहिर खां व अपने चचेरे भाई दानिश खां को दे दी थी.

जबकि पुलिस ने जहांगीर के पिता ताहिर खां से पूछताछ की थी तो उस ने बताया कि जब से जहांगीर का रिश्ता खत्म हुआ है, हमारा उन से कोई वास्ता नहीं है. वह हम पर नाहक शक कर रहे हैं.

पुलिस ने जहांगीर से पूछताछ के बाद उसे भी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस की विवेचना में 3 नाम और पुलिस की निगाह में आए ताहिर खां, दानिश खां और नौकर निसार.

यह तीनों आरोपी भी अपने ठिकानों से गायब हो गए थे. जब तीनों नहीं मिले तो पुलिस ने उन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है. एसपी शिवहरि मीणा ने बिहार निवासी नौकर निसार पर 20 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में जाह्नवी परिवर्तित नाम है.

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल – भाग 2

रिसैप्शनिस्ट ने डिसूजा से पूछा कि क्या वह बेंगलुरु के लिए जा सकता है? एक महिला पैसेंजर कैब से गोवा से बेंगलुरु जाना चाहती है.

7 जनवरी को रविवार का दिन था, अमूमन डिसूजा संडे को अपने परिवार के साथ ही रहता था. आमतौर पर डिसूजा अपनी कैब इतनी दूर नहीं ले जाता था, लेकिन डिसूजा को नाइट शिफ्ट बहुत पसंद थी. रात को कैब चलाना उसे अच्छा लगता था. क्योंकि तब सड़कें खाली हुआ करती हैं.

क्योंकि पैसेंजर को बेंगलुरु छोड़ कर उसे वापस आना था, इसलिए डिसूजा ने वापसी का किराया भी जोड़ कर कुल 30 हजार रुपए की मांग की थी. साथ ही उस ने यह भी कहा था कि चूंकि उसे गोवा अकेले वापस आना है, इसलिए वह अपने साथ एक साथी ड्राइवर को भी ले कर आएगा. इस के बाद सौदा तय हो गया.

इस के बाद सूचना सेठ के कहने पर रिसैप्शनिस्ट ने कैब ड्राइवर से कहा कि वह ठीक 12 बजे अपनी कैब ले कर होटल पहुंच जाए.

इस बीच 10 जनवरी, 2024 को मासूम चिन्मय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. पोस्टमार्टम करने वाले डा. कुमार नाइक के अनुसार बच्चे का गला घोंट कर हत्या की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार तकिया या तौलिए का इस्तेमाल गला घोंटने के दौरान किया गया था. बच्चे का चेहरा और छाती सूजी हुई थी और उस की नाक से खून भी बह रहा था.

पुलिस ने क्राइम सीन क्यों किया रीक्रिएट

12 जनवरी, 2024 को गोवा पुलिस (Goa Police) सूचना सेठ को ले कर क्राइम स्पौट गोवा के सोल बनयान ग्रांड होटल के कमरा नंबर 404 में पहुंची.

वारदात वाली जगह पर पुलिस ने क्राइम सीन को रीक्रिएट किया और हत्या के मामले में गहराई से जांच की. सूचना सेठ के कमरे से गोवा पुलिस को कफ सिरप की 2 खाली शीशियां भी मिलीं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक बेटे की हत्या से पहले सूचना सेठ ने उसे नशे की भारी डोज दी थी.

पोस्टमार्टम करने वाले डा. कुमार नाइक ने रिपोर्ट में बताया कि बच्चे की ओर से विरोध करने का कोई भी निशान नहीं मिला था. शायद बच्चा भारी नशे में था. उस के बाद सूचना सेठ ने बच्चे का तकिए से नाक मुंह दबा कर या किसी कपड़े के सहारे गला घोंट दिया था.

बच्चे की हत्या के बाद जब सूचना सेठ को चित्रदुर्ग से गिरफ्तार किया गया था तो उस समय पुलिस ने जब उस का बैग खुलवाया तो उस में कुछ नहीं मिला था. हालांकि पुलिस ने जब उस बैग में से कपड़े निकाले तो खिलौनों के बीच उस के बेटे का शव बरामद हुआ था.

इस बीच सूचना सेठ का मैडिकल भी कराया गया और साथ ही उस की जांच मनोचिकित्सिक से भी कराई गई.

आखिर कौन है सूचना सेठ?

अपने 4 साल के बेटे की हत्या करने वाली सूचना सेठ बंगाल की रहने वाली है. उस ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एस्ट्रोफिजिक्स के साथ प्लाज्मा फिजिक्स की डिग्री भी हासिल की है. उस ने भौतिकी में मास्टर्स की. इस के बाद सूचना सेठ ने साल 2008 में फस्र्ट क्लास औनर्स हासिल किया था.

सूचना सेठ ने बेंगलुरु में बूमरेंग कामर्स में सीनियर डेटा साइंटिस्ट का पद भी संभाला था. वह औप्टिमाइजेशन और इंटेलिजेंस के लिए डेटा संचालित उत्पादों को डिजाइन भी करती थी. उस ने यहीं पर 2 पेटेंट भी दाखिल किए.

सूचना सेठ इनोवेशन लैब्स के साथ भी जुड़ी थी और डेटा साइंसेज ग्रुप में सीनियर एनालिस्ट कंसलटेंट के रूप में भी काम किया. वर्तमान में सूचना सेठ ‘द माइंडफुल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Mindful AI Lab) की सीईओ थी. सूचना सेठ पिछले 4 साल से भी अधिक समय से इस लैब का नेतृत्व कर रही थी.

उस ने 2 साल तक बर्कमैन क्लेन सेंटर में भी काम किया है. इस के अलावा वह बोस्टन, मैसाचुसेट्स में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम कर चुकी है. सूचना सेठ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षेत्र की दुनिया की 100 शीर्ष महिलाओं में शामिल है.

उन के दांपत्य में क्यों पड़ी दरार

नवंबर 2010 में सूचना सेठ का विवाह वेंकट रमन से कोलकाता में हुआ था, लेकिन वैवाहिक जीवन असफल रहा था. वह और वेंकट रमन बेंगलुरु में एकदूसरे से मिले थे, तब दोनों की उम्र तकरीबन 20 वर्ष थी. दोनों की महत्त्वाकांक्षाएं व तकनीक के प्रति उत्साह दोनों को सिलिकौन वैली ले आया, जिस ने उन के रोमांस को भी परवान चढ़ाया. सूचना सेठ पश्चिम बंगाल से थी, जबकि वेंकट रमन केरल से, परंतु दोनों का आकर्षण एकदूसरे के प्रति शुरू से ही रहा.

9 सालों की शादी में इस दंपति के घर में अगस्त 2019 को एकमात्र बेटे के रूप में चिन्मय का जन्म हुआ था. दंपति से परिवार बनना उन के जीवन का एक नया और सुखद अध्याय था, लेकिन दुर्भाग्य से यह एक अलगाव का कारण बन गया. चिन्मय के जन्म ने उन दोनों के बीच एक गहरी खाई को जन्म दे दिया था.

पहले से ही इस तनावपूर्ण स्थिति को कोविड लौकडाउन ने और बढ़ा दिया, जिस ने उन दोनों को नवजात शिशु के साथ घर में ही कैद कर के रख दिया था. उन दोनों के आपसी संबंध दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे थे. अगस्त 2022 में दोनों का रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका था.

8 अगस्त, 2022 को दर्ज हुए मामले में सूचना सेठ ने अपने पति वेंकट रमन पर उसे और उस के बेटे को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था. उस ने कोर्ट में सबूत के तौर पर वाट्सऐप मैसेज, फोटो और मैडिकल रिकौर्ड की तसवीरें पेश की थीं.

हालांकि वेंकट रमन ने कोर्ट में अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इंकार किया, लेकिन अदालत ने वेंकट रमन के खिलाफ रिस्ट्रेनिंग और्डर जारी कर दिया था यानी उसे सूचना सेठ के घर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी.

इस के अलावा किसी भी माध्यम से संपर्क करने की रोक भी लगा दी गई थी. वेंकट रमन पर बेटे से फोन या किसी भी माध्यम से संपर्क करने की रोक लगा दी गई थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी, 2024 तक के लिए स्थगित कर दी थी.

इस कानूनी लड़ाई के बीच अपने संरक्षण में बेटे को पा कर सूचना सेठ अपने जीवन में आगे बढ़ती हुई दिखाई देने लगी थी. एक प्रतिष्ठित और कामकाजी एकल मां के रूप में अपने निजी जीवन को संतुलित व व्यवस्थित करते हुए अब वह एक लग्जरी अपार्टमेंट में रहने लगी थी, लेकिन तलाक की कड़वाहट उस के जीवन में बढ़ती ही जा रही थी.

अब सूचना सेठ ने अधिक कमाई का हवाला देते हुए अपने पूर्व पति वेंकट रमन से पर्याप्त भरण पोषण की मांग कर दी थी, जबकि वह अब तक कम भरण पोषण दे रहा था और बेटे से मिलना चाह रहा था, जिसे सूचना सेठ दिन बदिन मुश्किल बनाती चली जा रही थी.

वैसे यदि देखा जाए तो तलाक आज के युग में कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन इस में कठिनाइयां, प्रताडऩाएं काफी जटिल होती हैं और कभी कभी तो यह हिंसा का कारण भी बन जाती है.

दिसंबर 2023 में अदालत ने आदेश जारी कर के वेंकट रमन को हर रविवार अपने बेटे से मिलने की अनुमति दे दी थी. अचानक अदालत द्वारा आए इस अप्रत्याशित फैसले से सूचना सेठ एकदम से परेशान हो कर अपना मानसिक संतुलन खोने लगी थी. उस ने अब अपने घर वालों से वेंकट रमन के लिए जहर उगलना शुरू कर दिया था कि वेंकट रमन अब उस के बेटे को उस से छीन लेना चाहता है.

दूसरी ओर उस का बेटा चिन्मय भी अपने पिता के बिना काफी खालीपन सा महसूस करता था और अपनी मम्मी सूचना सेठ से अकसर अपने पापा वेंकट रमन के बारे में बातें किया करता था और साथ ही अपने पापा से मिलने की जिद भी करने लगा था.

suchana-seth-arrest

जिस क्षण सूचना सेठ अपने 4 वर्षीय बेटे चिन्मय को ले कर बेंगलुरु से गोवा की फ्लाइट में सवार हुई थी, वह उस का एक पूर्व नियोजित प्लान ही था. एक होटल में ठहरी, अपने बेटे की खांसी के बहाने उस ने रिसैप्शन पर कफ सिरप मंगाने के लिए एक बड़े ही अजीब तरीके से अनुरोध किया.

इन सभी घटनाओं का यदि हम अध्ययन करें तो यह साफ साफ पता चलता है कि उस ने ये सब कुछ पहले से ही तय कर लिया था. जो कफ सिरप की खाली शीशियां होटल के कमरा नंबर 404 में मिली थीं, उन दोनों का इस्तेमाल शायद उस ने अपने अबोध बेटे को बेहोश करने के लिए किया था.

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 2

स्कूली शिक्षा के दौरान ही धावक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले सुखदेव गोगामेड़ी फिल्म ‘पद्मावत’ और आनंद पाल एनकाउंटर केस के बाद राजस्थान में हुए प्रदर्शनों से काफी चर्चा में आए. वर्ष 2017 में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली कृत फिल्म ‘पद्मावत’ की जयपुर के किले में शूटिंग के दौरान करणी सेना के लोगों ने तोडफ़ोड़ की और गोगामेड़ी ने भंसाली के थप्पड़ भी जड़ दिया था.

आइए जानते हैं कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी कौन थे. आज से करीब 60 साल पहले सुखदेव सिंह के पिता अचल सिंह शेखावत मूलरूप से गांव धमोरा, जिला झुंझुनूं से हनुमानगढ़ जिले के गांव गोगामेड़ी के चक 9 डीपीएन में जा कर बस गए थे. हालांकि उन का घर धमोरा गांव में भी है, यहां पर अचल सिंह शेखावत खेतीबाड़ी कर के परिवार का पालनपोषण किया करते थे. अचल सिंह की शादी इच्छा राजकंवर से हुई थी.

gogamedi-with-wife

अचल सिंह के 3 बेटे दलीपसिंह, सुखदेव सिंह और कानसिंह थे. वहीं एक बेटी मधुकंवर थी. सुखदेव सिंह से एक भाई बड़ा था एवं एक छोटा. सुखदेव सिंह का जन्म गोगामेड़ी में हुआ था. सुखदेव सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा चादरा के विद्यालय में प्राप्त की. स्कूली पढ़ाई के बाद महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर से स्नातक किया.

आनंदपाल की मौत के बाद सुखदेव कैसे आए चर्चा में

कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह सांवराद का पुलिस ने 2017 में एनकाउंटर कर दिया था. इसे फरजी एनकाउंटर बताते हुए राजपूत समाज व करणी सेना ने कई दिनों तक आंदोलन किया था. इस आंदोलन की अगुआई सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने की थी. इस पर सुखदेव सिंह व अन्य पर रतनगढ़ थाने में मामला भी दर्ज किया गया था.

सुखदेव की हत्या के बाद उन के बड़े भाई दलीप सिंह के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई है. साल 2006 में सब से पहले करणी सेना बनी थी. बाद में लोकेंद्र सिंह कालवी ने अलग संगठन राजपूत करणी सेना बनाया था. साल 2012 में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को राजपूत करणी सेना का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन बाद में लोकेंद्र सिंह कालवी और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी में विवाद हो गया था. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने 2017 में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के नाम से अलग संगठन बना लिया था, जिस के वह अध्यक्ष थे.

गोगामेड़ी की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला गैंगस्टर रोहित स्वामी उर्फ रोहित गोदारा निवासी गांव कपूरीसर नूण करण सर, जिला बीकानेर का रहने वाला है. 2 भाइयों में बड़ा हनुमान स्वामी है, जबकि छोटा रोहित गोदारा है.

Rohit-godara-gang-gogamedi-murder

हनुमान और रोहित जब 8-10 साल के थे, तब उन का बाल विवाह चोटाला (हरियाणा) की 2 सगी बहनों से हुआ था. 2005 में उन का गौना हो गया. खेत में ढाणी बना कर ये लोग रहते थे एवं खेतीबाड़ी से गुजरबसर करते थे. वर्ष 2005 में रोहित कपूरीसर से बीकानेर आ गया और मोबाइल की दुकान खोल ली.

उस का काम ठीक चल रहा था कि पत्नी से तूतूमैं मैं होने लगी. रोहित गरम स्वभाव का था, सो बीवी से पटरी नहीं बैठी. 2 साल बीतते ही 2007 में रोहित के खिलाफ उस की पत्नी ने दहेज उत्पीडऩ का केस दर्ज करा दिया. पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार कर के बीकानेर जेल में डाल दिया. जेल में रोहित स्वामी से रोहित गोदारा बन गया. वर्तमान में वह राजस्थान में लारेंस के खास गुर्गों में शामिल है.

रोहित कैसे आया अपराध की दुनिया में

जेल में अपराधियों का साथ मिला तो वह भी अपराध की राह पर चल पड़ा. रोहित ने 19 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में एंट्री कर ली थी. वह अब तक करीब 15 बार जेल जा चुका है, रोहित गोदारा के खिलाफ 2010 में पहला मुकदमा हत्या का दर्ज हुआ था.

रोहित जेल में बैठ कर भी वारदातों को अंजाम देता रहा और हर बार जमानत पर बाहर आ कर अपराध की दुनिया में लगातार पैर पसारता रहा. वहीं रोहित गोदारा के बारे में बताया जाता है कि वह खुद का गैंग भी चलाता है, जहां वह मोनू गैंग और गुठली गैंग को भी औपरेट करता है. इस के अलावा वह इन दिनों लारेंस बिश्नोई के लिए भी काम करता है और उस के खास लोगों में शामिल है.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद रोहित गोदारा 2022 में फरजी नाम से पासपोर्ट बनवा कर दुबई भाग गया था. तब से वह दुबई में बैठ कर पहले गैंगस्टर राजू ठेहठ और अब सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की अपने गुर्गों से हत्या करवा चुका है.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की पत्नी शीला की रिपोर्ट पर थाना श्यामनगर में मामला दर्ज किया गया. रिपोर्ट निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुलिस डीजीपी, रोहित राठौड़, नितिन फौजी, लारेंस बिश्नोई, रोहित गोदारा, संपत नेहरा एवं अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई.

दूसरी रिपोर्ट स्कूटी सवार हेमराज उर्फ बाबू खटीक (गोयल) निवासी सूर्य नगर, जयपुर ने दोनों शूटर रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी के खिलाफ 6 दिसंबर, 2023 को दर्ज कराई.

गैंगस्टरों की कैसे जुड़ी कड़ी से कड़ी

रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस जांच में जोरशोर से जुट गई. डीजीपी उमेश मिश्रा ने 6 दिसंबर, 2023 को शूटरों रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी को पकडऩे के लिए एसआईटी का गठन किया. एसआईटी का नेतृत्व एडीजी क्राइम दिनेश एम.एन., डीआईजी कैलाशचंद्र विश्नोई के सुपरविजन में किया गया.

ADG-crime-umesh-mishra

एसआईटी ने मामले की जांचपड़ताल शुरू कर दी. 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी दौड़भाग करने लगे. आसपास के राज्यों के पुलिस अधिकारियों से भी मदद मांगी गई. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डीजीपी उमेश मिश्रा ने 6 दिसंबर को दोनों शूटरों रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी को पकड़वाने वाले को 5-5 लाख रुपए के इनाम की घोषणा कर दी.

पुलिस को सूचना मिली कि दोनों आरोपी एक टैक्सी से सुजानगढ़ बसस्टैंड गए थे. पुलिस ने उस टैक्सी ड्राइवर से पूछताछ की. उस ने बता दिया कि उन युवकों ने उसे 1500 रुपए किराया दिया था.

शनिवार 9 दिसंबर, 2023 को नितिन फौजी के दोस्त रामवीर निवासी महेंद्रगढ़ (हरियाणा) को राजस्थान पुलिस ने महेंद्रगढ़ से धर दबोचा. रामवीर ने बताया कि वह नितिन फौजी के साथ 12वीं तक पढ़ा है और खास दोस्त है. 12 वीं पास करने के बाद नितिन वर्ष 2019 में सेना में भरती हो गया. वह 19 जाट रेजिमेंट में वर्तमान में अलवर में तैनात था.

नितिन की एक साल पहले शादी जाट बहरोड़ (अलवर) राजस्थान में हुई थी. नितिन 2 दिन की छुट्टी पर 8 नवंबर, 2023 को अपने गांव देगड़ा जाट आया था. 9 नवंबर को वह महेंद्रगढ़ गाड़ी ठीक कराने का कह कर घर से निकला था. 9 नवंबर को नितिन फौजी और उस के साथियों ने एक व्यापारी का अपहरण कर लिया. इस की जानकारी महेंद्रगढ़ पुलिस को हुई तो पुलिस पीछा करने लगी. महेंद्रगढ़ पुलिस से नितिन वगैरह की मुठभेड़ हुई. पुलिस ने 3 आरोपी पकड़ लिए.

सुखदेव सिंह की हत्या से पहले 3 दिसंबर, 2023 को नितिन फौजी जयपुर पहुंचा. यहां पहुंचने से पहले ही नितिन फौजी ने रामवीर से संपर्क कर लिया था.

रामवीर ने उसे पहले महेशनगर के कीर्तिनगर में रुकवाया. इस के बाद अगले दिन गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास होटल में ठहराया. कुछ समय प्रतापनगर क्षेत्र में भी रहे. 4 दिसंबर, 2023 को उन्होंने ‘एनिमल’ फिल्म देखी. इस के बाद 5 दिसंबर को नितिन जा कर रोहित राठौड़ से मिला और वारदात को अंजाम दिया.

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल – भाग 1

अपने बेटे चिन्मय (Chinmay) की हत्या करने वाली (Mindful AI Lab) स्टार्टअप (Startup) की सीईओ (CEO) सूचना सेठ (Suchana Seth) ने हत्या करने से पहले बेटे को  लोरी सुनाई थी. इतना ही नहीं, बच्चे की हत्या करने के बाद उस ने खुद की जान लेने की कोशिश की थी. इस के लिए उस ने अपनी कलाई की नस को भी काटा था.  लेकिन अपनी मौत के डर व पीड़ा को वह सहन न कर सकी और इस के बाद अपने बेटे के शव को खिलौने से भरे बैग में ले कर टैक्सी के सहारे भाग निकली.

8 जनवरी,  2024 को पूरे देश में एक खबर आग की तरह फैल गई थी. हर अखबार और हर न्यूज चैनल की हैडिंग में यह खबर जब आई तो उसे सुन कर व देख कर लोगों के दिल दहल उठे थे.

मानवता को तारतार कर देने वाली यह चौंका देने वाली घटना उत्तरी गोवा (Goa) के कैंडोलिम (Candolim) स्थित सोल बनयान ग्रांड होटल (Sol Banyan Grand Hotel) से सामने आई, जहां पर एक महिला को अपने ही 4 साल के मासूम बेटे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया. आरोपी महिला 39 वर्षीय सूचना सेठ (Suchana Seth) अपने बेटे के शव को बैग में रख कर गोवा से कर्नाटक जा रही थी, तभी गोवा पुलिस ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग से उसे रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया. आरोपी महिला कोई मामूली इंसान नहीं थी, बल्कि वह एक एआई स्टार्टअप (AI Startup) के सीईओ पद पर कार्यरत थी.

सूचना सेठ (Suchana Seth) किसी परिचय का मोहताज नहीं है, क्योंकि कामयाबी की जिस बुलंदी को इस नाम ने छुआ था, उस का कसीदा तो सारा सोशल मीडिया पढ़ ही रहा था, लेकिन इस वक्त यह नाम कसीदे के लिए नहीं पढ़ा जा रहा था, बल्कि मानवता को शर्मसार कर देने वाले एक संगीन जुर्म के सिलसिले में इस नाम की चर्चा मीडिया में हो रही थी.

suchana-seth-in-custody

बंद कमरे में गोवा की यह वारदात मानवीय रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली है. 4 साल के एक मासूम की हत्या,  हत्यारा भी कोई और नहीं बल्कि 9 महीने तक उसे कोख में पाल कर जन्म देने वाली उस की अपनी सगी मां थी.

100 प्रतिभाशाली महिलाओं में शामिल सीईओ सूचना सेठ ने अपने बेटे से कहा, ”चलो बेटा, गोवा घूमने चलते हैं.’’

4 वर्षीय चिन्मय अपनी मां की बात को सुन कर खुश हो गया था. उसे इस बात का अंदाजा बिलकुल भी नहीं था कि जो मां उस की हर सुविधा, खुशी का इतना खयाल रखती है, इतना अधिक प्यार करती है, उसे नुकसान भी पहुंचा सकती है.

होटलकर्मियों को सूचना सेठ पर क्यों हुआ शक

अपनी प्लानिंग के अनुसार सूचना सेठ अपने 4 वर्षीय बेटे चिन्मय को ले कर गोवा पहुंच गई. गोवा के कैंडोलिम इलाके के सोल बनयान ग्रांड होटल में उस ने एक कमरा बुक कराया. वह बेटे को ले कर इस होटल में 6 जनवरी, 2024 को आ आ गई.

पूरा दिन और पूरी रात वह बेटे के साथ होटल में रही. इस के बाद मौका देख कर उस ने अपने बेटे की हत्या कर डाली. हत्या करने के बाद उस ने बेटे के शव को एक बैग में रखा और कैब से भागने की कोशिश करने लगी.

8 जनवरी की सुबह सूचना सेठ होटल से चेक आउट करने लगी. चेक आउट करने के दौरान होटल के स्टाफ ने पूछा, ”मैम, आप के साथ तो आप का बेटा भी इस होटल में 6 जनवरी को आया था, मगर अभी वह आप के साथ नहीं है.’’

”भैया,  बेटे को मैं ने अपने एक रिश्तेदार के साथ सुबह ही भेज दिया है. अब आप प्लीज एक कैब बुलवा लीजिए, मैं बेंगलुरु कैब से जाना चाहती हूं.’’ सूचना सेठ ने कहा.

”मैम कैब से तो आप को बहुत अधिक समय लग सकता है. यदि आप कहें तो बेंगलुरु के लिए आप की फ्लाइट में सीट बुक कर दें?’’ रिसैप्शनिस्ट ने कहा.

”देखो भैया, मैं ने आप से पहले भी कहा था कि मैं फ्लाइट से नहीं जाना चाहती हूं. गोवा और बेंगलुरु के बीच हमारे कई जानपहचान वाले लोग रहते हैं, इसलिए मैं और मेरा बेटा उन से इसी बहाने थोड़े समय के लिए मिल भी सकते हैं. आप तो जल्दी से कोई कैब मंगवा दीजिए. कैब में ही अपने बेटे के साथ बेंगलुरु जाना चाहती हूं.’’ सूचना ने सीधेसीधे रिसैप्शनिस्ट को आदेश दे दिया.

30 हजार रुपए में कैब कर के वह बेंगलुरु के लिए चल दी. कैब ड्राइवर रौय जौन साथ में अपने एक ड्राइवर दोस्त को भी ले गया था.

रिसैप्शनिस्ट ने कैब मंगवा ली और सूचना सेठ अपने सामान के साथ कैब में बैठ गई. रिसैप्शस्टि को न जाने क्यों कुछ अटपटा सा लग रहा था कि यह महिला अपने बेटे को साथ में ले कर आई थी, लेकिन अब वह कहां चला गया?

फ्लाइट में जाने के बजाए यह महिला कैब में क्यों जा रही है? रिसैप्शनिस्ट ने अपने संदेह से फैसिलिटी मैनेजर गगन गंभीर को अवगत करा दिया कि ये कुछ अजीब सा लग रहा है.

फैसिलिटी मैनेजर गगन गंभीर तुरंत देवाशीष माझी के साथ जब रूम नंबर 404 में पहुंचे तो उन्हें वहां पर कई जगह खून के धब्बे दिखाई दिए. गगन गंभीर ने तुरंत कलंगुट पुलिस स्टेशन (Calangute Police Station) के एसएचओ को इस घटना की सूचना दे दी.

paresh-naik-goa

सूचना पा कर एसएचओ परेश जी नाइक होटल के कमरा नंबर 404 में अपनी टीम के साथ पहुंच गए और वहां पर तहकीकात और पूछताछ शुरू कर दी. होटल मैनेजर ने पूछताछ में पुलिस को सारी जानकारी दे दी. इस से पहले 7 जनवरी को सूचना सेठ ने दिन में अपने बेटे के लिए कफ सिरप की 2 शीशियां भी रिसैप्शन से और्डर की थीं.

असल में कातिल मां सूचना सेठ ने गोवा से बेंगलुरु जाने के लिए जो टैक्सी बुक की थी, उसी कैब ड्राइवर रौय जौन डिसूजा की सूझबूझ से वह पुलिस की गिरफ्त में आ गई थी.

cab-driver-suchana-seth

जब इंसपेक्टर परेश नाइक ने होटल में पूछताछ करनी शुरू की तो उन्होंने वहां से पहले टैक्सी ड्राइवर का मोबाइल नंबर लिया. फिर टैक्सी ड्राइवर को फोन कर पूछा कि तुम्हारे साथ बैठी हुई महिला सूचना सेठ अकेली बैठी है या उस के साथ कोई छोटा बच्चा भी है.

ड्राइवर ने पुलिस इंसपेक्टर को बताया कि टैक्सी में सूचना सेठ अकेली बैठी हुई है. उस के बाद इंसपेक्टर ने ड्राइवर से फोन सूचना सेठ को देने को कहा. इंसपेक्टर ने सूचना सेठ से पूछा कि मैं होटल से बोल रहा हूं, आप का बेटा अब तो आप के साथ ही होगा न मैम? तब सूचना सेठ ने कहा कि मेरा बेटा फतोर्दा में मेरे एक दोस्त के पास है.

इंसपेक्टर ने पूछा कि मैम क्या आप बता सकती हैं कि आप का बेटा किस दोस्त के पास है. आप प्लीज उन का पता बता दीजिए, क्योंकि हम होटल वाले सारी चीजें अपने रजिस्टर में दर्ज करते हैं ताकि कल को कोई हमारे ऊपर किसी तरह का आरोप न लगा सके. उस के बाद सूचना सेठ ने एक पता दिया.

पुलिस ने जब उसे पते की जांच की तो वह फरजी निकला. इंसपेक्टर और टैक्सी ड्राइवर के बीच जो बातचीत हुई थी, वह कोंकणी भाषा में हो रही थी, इसलिए सूचना सेठ को टैक्सी ड्राइवर पर शक नहीं हुआ था.

अब तक पुलिस को पूरा यकीन हो चुका था कि इस मामले में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. इसलिए इंसपेक्टर परेश जी नाइक ने कोंकणी भाषा में एक बार फिर कैब के ड्राइवर रौय जौन डिसूजा से बातचीत की और उसे रास्ते में किसी भी पुलिस स्टेशन में पहुंच कर फोन करने के लिए कहा.

ड्राइवर थाने में क्यों ले गया टैक्सी

इस के बाद इंसपेक्टर ने यह जानकारी उत्तरी गोवा के एसपी निधिन वाल्सन को दे दी तो एसपी ने चित्रदुर्ग (Chitradurga) के एसपी से बात कर मामले से अवगत कराया.

goa-police-nidhin-valsan

टैक्सी ड्राइवर रौय जौन डिसूजा अपनी टैक्सी रास्ते के ही ऐमंगला पुलिस स्टेशन (Aimangala Police Station) के भीतर ले कर घुस गया. सूचना सेठ जब तक उस से पूछती कि उस ने वहां पर क्यों रोकी है, तब तक रौय जौन डिसूजा ने इंसपेक्टर परेश जी को फोन लगा कर अपना मोबाइल फोन ऐमंगला थाने के इंचार्ज को दे दिया. ऐमंगला पुलिस ने गोवा पुलिस से बातचीत की और सूचना सेठ का पूरा सामान चैक किया तो एक बैग में सूचना सेठ के 4 साल के बेटे चिन्मय का शव बरामद हुआ.

बाद में पुलिस पूछताछ व मीडिया को जानकारी देते हुए टैक्सी ड्राइवर रौय जौन डिसूजा ने बताया कि गोवा के ‘द सोल बनयान ग्रांड’ होटल से उसे 7 जनवरी की रात 11 बजे मोबाइल पर फोन आया था. डिसूजा ग्रांड होटल के इस मोबाइल नंबर को पहचानता था, क्योंकि वह कई बार इस होटल से पर्यटकों को गोवा घुमाने लिए ले जा चुका था.

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 1

पहली गोली सुखदेव सिंह गोगामेड़ी (Sukhdev Singh Gogamedi) के सीने पर लगी. वह बचने के लिए उठते, उस से पहले ही गोलियों की बौछार दोनों हमलावरों ने कर दी. सुखदेव का परिचित नवीन बचाव के लिए सुखदेव की तरफ बढ़ा तो उस पर भी गोली चला दी.

नवीन बच कर बाहर भागा, तभी वहां मौजूद सुखदेव के दोस्त अजीत सिंह पर भी गोली चला दी. मात्र 20 सेकेंड में 17 राउंड गोलियां चलाईं. सुखदेव सिंह सोफे से लुढ़क कर नीचे गिर गए. आरोपियों में से एक ने जातेजाते सुखदेव के सिर में भी गोली मारी ताकि वह किसी भी हालत में जिंदा न बचें.

सुरक्षा गार्ड नरेंद्र को जब तक स्थिति का भान हुआ, तब तक आरोपी काम तमाम कर चुके थे. नवीन सिंह ड्राइंगरूम से बाहर निकल कर मकान के आगे जा कर गिर गया और दम तोड़ दिया. अजीत सिंह राजावत पर 7 गोलियां चलाई थीं. वह भी खून से लथपथ हो कर गिर पड़ा.

राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) , जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, के श्यामनगर में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना (Karni Sena) के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) सुखदेव सिंह गोगामेड़ी 5 दिसंबर, 2023 को अपने निवास, जोकि कार्यालय भी है, में बैठे थे. उन के साथ उन के खास मित्र अजीत सिंह राजावत (Ajeet Singh Rajawat) भी थे.

sukhdev-singh-gogamedi

वे दोनों बैठे बातचीत कर रहे थे. उस समय दोपहर के एक बज कर 10 मिनट हो रहे थे. तभी एक गाड़ी में सवार हो कर 2 व्यक्ति सुखदेव के परिचित नवीन शेखावत के (Naveen Shekhawat) साथ वहां पहुंचे.

उस वक्त गोगामेड़ी फोन पर बिजी थे, नवीन भी बातचीत सुन रहा था. अजीत सिंह का ध्यान भी सुखदेव सिंह पर था. तभी दोनों युवक जो नवीन शेखावत के साथ आए थे, उठे और पिस्टल निकाल कर दनादन सुखदेव सिंह पर गोलियां दागने लगे.

दोनों आरोपी चंद पलों में काम कर के बाहर भागे. गार्ड नरेंद्र ने पोजीशन ले कर उन पर फायर किए. जवाबी फायरिंग उन लोगों ने नरेंद्र पर की. नरेंद्र के पैर में गोली लगी. वह घायल हो गया. इस के बाद दोनों आरोपी मकान के बाहर सड़क पर पहुंचे.

उन्हें एक स्कूटी पर 2 लोग आते दिखे. उन लोगों ने स्कूटी सवार पर गोली चला दी. स्कूटी सवार गिर पड़े तो स्कूटी पर बैठ कर दोनों आरोपी वहां से भाग निकले, गार्ड ने घायल होने के बावजूद आवाज दी तो आसपास के लोग मौके पर पहुंचे.

गोलियों की आवाज आसपड़ोस के लोगों ने भी सुनी थी. उन लोगों ने सोचा कि कोई पटाखे चला रहा है. क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर, 2023 को आए थे.

लोगों ने जब माजरा समझा तो उन्होंने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, अजीत सिंह राजावत, नवीन सिंह शेखावत एवं गार्ड नरेंद्र को मानसरोवर के मेट्रो मास हौस्पिटल पहुंचाया. जहां डाक्टरों ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और नवीन सिंह शेखावत को मृत घोषित कर दिया. गंभीर घायल अजीत सिंह राजावत को एस.एम.एस. हौस्पिटल रेफर कर दिया.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की खबर करीब 500 मीटर दूर स्थित श्यामनगर थाना पुलिस को लगी तो पुलिस घटनास्थल पर जा पहुंची. पुलिस ने घटना की जांचपड़ताल शुरू करने के साथ ही उच्चाधिकारियों को घटना की खबर दे दी.

सुखदेव सिंह की दिनदहाड़े घर में घुस कर गोली मारने की खबर मिलते ही उच्चाधिकारी घटनास्थल पर दौड़े चले आए. स्कूटी सवार बाबूलाल उर्फ हेमराज के जबड़े में गोली लगी थी. उसे भी अस्पताल में भरती कराया गया. घायल गनमैन नरेंद्र सिंह को मानसरोवर स्थित निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां डाक्टरों ने उस का इलाज शुरू किया.

खबर पा कर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ भी घटनास्थल पर आ गए. एफएसएल टीम भी वहां पहुंच गई और जांच शुरू कर दी.

सुखदेव की मौत की खबर लगते ही धीरेधीरे हजारों समर्थक जुट गए. आक्रोशित समर्थकों ने सड़क पर टायर जला कर रास्ता बंद कर दिया. दोपहर से देर रात तक समर्थक हौस्पिटल के आगे जुटे रहे. यहां पहुंचे कई बड़े नेताओं ने सुखदेव को सुरक्षा नहीं देने को ले कर आक्रोश जताया और सरकार व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के समर्थकों में भारी गुस्सा था. पूरे राजस्थान में बवाल सा मच गया.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोनों आरोपियों की पहचान कर ली थी. इन में एक शूटर नागौर जिले के मकराना के जूसरिया गांव एवं वर्तमान निवास स्थान जयपुर के झोटवाड़ा में चांद बिहारी नगर निवासी रोहित सिंह राठौड़ था.

shooters-gogamedi-hatyakand

इस के खिलाफ वैशालीनगर थाना (जयपुर) में पोक्सो ऐक्ट का मामला दर्ज है, जबकि दूसरे का नाम नितिन फौजी था, जो देंगड़ा जाट गांव महेंद्रगढ़ जिला हरियाणा निवासी है. वहीं नवीन सिंह शेखावत भी इन का साथी था. सबूत मिटाने के लिए शूटरों ने नवीन की भी हत्या कर दी थी.

रोहित गोदारा गैंग पर क्यों हुआ शक

एफएसएल टीम ने जो खाली खोखे मौके से बरामद किए, उन्हें देख कर लग रहा था कि रोहित गोदारा गैंग के पास इसी तरह के हथियारों का जखीरा है. गैंगस्टर राजू ठेहठ की हत्या 3 दिसंबर, 2022 को और जी-क्लब पर फायरिंग में इसी तरह के हथियारों व कारतूस का इस्तेमाल किया गया था.

डीजीपी उमेश मिश्रा को भी शक हुआ कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या रोहित गोदारा गैंग ने करवाई है.

रोहित गोदारा गैंग ने हत्या की जिम्मेदारी ले भी ली, सुखदेव सिंह की हत्या के बाद रोहित गोदारा के नाम से बने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर लिखा, ‘राम राम, सभी भाइयों को. मैं रोहित गोदारा कपूरीसर गोल्डी बरार, भाइयों आज यह जो सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या हुई है, इस की संपूर्ण जिम्मेदारी हम लेते हैं. यह हत्या हम ने करवाई है. भाइयों, मैं आप को बताना चाहता हूं कि ये हमारे दुश्मनों से मिल कर उन का सहयोग करता था. उन को मजबूत करने का काम करता था. रही बात दुश्मनों की तो वह अपने घर की चौखट पर अपनी अर्थी तैयार रखें. जल्दी उन से भी मुलाकात होगी.”

गोगामेड़ी की हत्या के बाद के घटनाक्रम पर डीजीपी नजर बनाए हुए थे, हत्यारों को पकडऩे के लिए नाकाबंदी कराई गई. उन तमाम जिलों में खासतौर पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे, जहां करणी सेना का व्यापक समर्थन है.

सुखदेव सिंह से लारेंस गैंग क्यों रहता था खफा

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और लारेंस गैंग के बीच लंबे समय से झड़प की खबरें सामने आ रही थीं. लारेंस गैंग के सरगना संपत नेहरा ने भटिंडा जेल से मार्च 2023 में सुखदेव को जान से मारने की धमकी दी थी. धमकी मिलने के बाद सुखदेव गोगामेड़ी ने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुलिस डीजीपी, मंत्रियों, श्यामनगर एसएचओ सहित कई अधिकारियों को 3 बार प्रार्थनापत्र दे कर सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई थी.

पुलिस अधिकारी मौका काररवाई निबटा कर कानून व्यवस्था संभालने में लग गए. उधर, 5 दिसंबर 2023 की शाम करणी सेना के हजारों कार्यकर्ता मेट्रो मास हौस्पिटल के आगे धरने पर पहुंच गए थे.

मोहब्बत का स्याह रंग : डाक्टर ने की हैवानियत की हद पार – भाग 4

राखी ने भले ही मनीष से शादी कर ली थी, लेकिन अपने पहले प्यार डी.पी. सिंह को अपने दिल से निकाल नहीं पाई थी. डा. डी.पी. सिंह जान चुका था कि राखी ने दूसरी शादी कर ली है. डी.पी. सिंह ही नहीं वरन राखी का बड़ा भाई अमर प्रकाश भी इस बात को जान चुका था कि राखी ने दूसरी शादी कर ली है. राखी के इस कृत्य पर उस ने बहन को काफी डांटाफटकारा भी था और समझाया भी था.

दरअसल परिवार वालों ने राखी से संबंध तोड़ लिए थे. एक अमर ही था जिसे राखी की परवाह थी. वह उसे अकसर फोन कर के उस का हालचाल पूछ लेता था. राखी के इस बार के कृत्य से वह दुखी था और उस ने राखी से बात करनी बंद कर दी थी.

इधर राखी डी.पी. सिंह को बारबार फोन कर के मकान की रजिस्ट्री अपने नाम कराने का दबाव बना रही थी. राखी के दबाव बनाने से डी.पी. सिंह परेशान हो गया था. उस का दिन का चैन और रात की नींद उड़ चुकी थी. इस मुसीबत से निजात पाने के लिए वह राखी को रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगा.

इस के लिए उस ने 5 बार योजना बनाई, लेकिन पांचों बार अपने मकसद में असफल रहा. अब आगे वह अपने मकसद में असफल नहीं होना चाहता था, इसलिए इस बार उस ने अपने हौस्पिटल के 2 कर्मचारियों देशदीपक निषाद और प्रमोद कुमार सिंह को पैसों का लालच दे कर साथ मिला लिया.

सब कुछ डा. डी.पी. सिंह की योजना के अनुसार चल रहा था. डी.पी. सिंह ने भले ही राखी से कन्नी काट ली थी, लेकिन राखी से फोन पर बात करनी बंद नहीं की थी. ऐसा वह राखी को विश्वास में लेने के लिए कर रहा था. राखी समझ रही थी कि डी.पी. सिंह अभी भी उस से प्यार करता है. राखी डी.पी. सिंह की इस योजना को समझ नहीं पाई. वह उस पर पहले जैसा ही यकीन करती रही.

31 मई, 2018 की बात है. राखी पति मनीष के साथ नेपाल के भैरहवा घूमने गई थी. 2 जून की सुबह पति से नजरें बचा कर उस ने डी.पी. सिंह को फोन कर के बता दिया कि वह भैरहवा घूमने आई है.

यह जान कर डी.पी. सिंह को लगा जैसे खुदबखुद उस की मुराद पूरी हो गई हो. वह जो चाह रहा था, वैसी स्थिति खुदबखुद बन गई. उस ने राखी से कहा कि वह भैरहवा में रुकी रहे. वह भी उस से मिलने आ रहा है. दूसरी ओर भैरहवा घूमने के बाद मनीष ने राखी से घर वापस चलने को कहा तो उस ने कुछ जरूरी काम होने की बात कह कर मनीष को अकेले ही घर वापस भेज दिया. मनीष अकेला ही गोरखपुर वापस लौट आया. वह कुछ दिनों की छुट्टी पर आया हुआ था.

डाक्टर ने रच ली थी खूनी साजिश

2 जून, 2018 को डा. डी.पी. सिंह, देशदीपक निषाद और प्रमोद कुमार सिंह के साथ स्कौर्पियो से नेपाल गया. नेपाल जाते हुए प्रमोद कुमार गाड़ी चला रहा था, जबकि देशदीपक निषाद ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठा था और डा. सिंह पिछली सीट पर.

दोपहर के समय ये लोग सोनौली (भारत-नेपाल सीमा) होते हुए नेपाल पहुंचे. प्रमोद कुमार ने सोनौली बौर्डर पार करते हुए भंसार बनवाया था. भंसार बनवाने के लिए प्रमोद के ड्राइविंग लाइसेंस की कौपी लगाई गई थी. भंसार नेपाल द्वारा लगाया जाने वाला एक टैक्स होता है जो भारत से नेपाल सीमा में आने वाले वाहनों पर लगता है.

नेपाल के भैरहवा में राखी सड़क पर बैग लिए खड़ी इंतजार करती मिली. राखी से डी.पी. सिंह की बात नेपाल के नंबर से हुई थी. डी.पी. सिंह ने अपना मोबाइल जानबूझ कर घर पर छोड़ दिया था, ताकि जांचपड़ताल के दौरान पुलिस उस पर शक न कर सके.

राखी ने बताया कि वह भैरहवा में सड़क किनारे अकेली खड़ी है. राखी डी.पी. सिंह के पास गाड़ी में बैठ गई. वहां से चारों लोग पोखरा के लिए निकले. इन लोगों ने बुटवल से थोड़ा आगे और पालपा से पहले नाश्ता किया.

सभी लोग बुटवल से लगभग 100 किलोमीटर आगे मुलंग में एक छोटे होटल में रुके. इन लोगों ने होटल में 2 रूम बुक किए थे. डी.पी. सिंह और राखी एक कमरे में ठहरे थे. इस के बाद सुबह लगभग 11 बजे ये लोग खाना खा कर पोखरा के लिए निकले.

शाम को लगभग 4-5 बजे सभी पोखरा पहुंचे और डेविस फाल घूमे. इस के बाद राखी ने शौपिंग की, फिर सभी ने पोखरा में ही नाश्ता किया. इस के बाद ये लोग पहाड़ के ऊपर सारंगकोट नामक जगह पर होटल में रुके. इस होटल में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे. डा. डी.पी. सिंह ने खुद इस होटल का चुनाव किया था. होटल में इन लोगों ने पहले चाय पी और बाद में शराब. राखी की चाय में डी.पी. सिंह ने एल्प्रैक्स का पाउडर मिला दिया था.

रात के लगभग 11 बजे दवा ने अपना असर दिखाया तो राखी की तबीयत खराब होने लगी. यह देख डा. डी.पी. सिंह ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं. उस ने राखी को लातघूंसों से जम कर मारापीटा. मारपिटाई में एक लात राखी के पेट में ऐसी लगी कि वह अर्द्धचेतना में चली गई. थोड़ी देर में उस की सांसें भी बंद हो गईं.

उस की मौत के बाद तीनों राखी की लाश को ले कर उसी रात पोखरा के लिए निकल गए. लाश की शिनाख्त न हो सके, तीनों शातिरों ने राखी का मतदाता पहचानपत्र, मोबाइल फोन, नेपाल रिचार्ज कार्ड कीमत 100 रुपए, सहित कई सामान अपने पास रख लिए थे.

इस के बाद इन लोगों ने राखी को गाड़ी से निकाला और पहाड़ से नीचे धक्का दे दिया और फिर नेपाल से वापस घर लौट आए.

3 जून, 2018 को झाड़ी से नेपाल पुलिस ने राखी की लाश बरामद की. लेकिन उस की शिनाख्त नहीं हुई. नेपाल पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम कराया तो राखी की मौत का कारण पेट फटना सामने आया. पोखरा पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.

इधर मनीष पत्नी को ले कर परेशान था कि उस ने काम निपटा कर शाम तक घर वापस लौटने को कहा था, लेकिन न तो वह घर आई और न ही उस का फोन काम कर रहा था.

मनीष पर ही किया गया शक

मनीष फिर नेपाल के भैरहवा पहुंचा, जहां वह पत्नी के साथ रुका था. वहां जाने पर उसे पता चला कि राखी 2 जून को यहां से चली गई थी. इस के बाद वह कहां गई, किसी को पता नहीं था. 2 दिनों तक मनीष राखी को भैरहवा में खोजता रहा. जब वह नहीं मिली तो 4 जून को मनीष ने फोन कर के इस की सूचना राखी के बड़े भाई अमर प्रकाश श्रीवास्तव को दे दी.

अमर प्रकाश श्रीवास्तव ने राखी के पति मनीष कुमार श्रीवास्तव पर शक जताते हुए गोरखपुर के शाहपुर थाने में मनीष के खिलाफ बहन के अपहरण और जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने काररवाई करते हुए मनीष को गिरफ्तार कर लिया.

जांचपड़ताल में वह कहीं भी दोषी नहीं पाया गया. अंतत: पुलिस ने उसे हिदायत दे कर छोड़ दिया. उधर नेपाल पुलिस ने लाश की शिनाख्त के लिए लाश की कुछ तसवीरें गोरखपुर आईजी जोन जयप्रकाश सिंह के कार्यालय भिजवा दीं. आईजी जोन ने इस की जिम्मेदारी आईजी एसटीएफ अमिताभ यश को सौंप दी. अमिताभ यश ने एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह को जांच सौंप दी.

मनीष ने खुद किया जांच में सहयोग

इस बीच मनीष ने आईजी से मिल कर राखी के लापता होने की जांच की मांग की और खुद को निर्दोष बताते हुए मुकदमे से बरी करने की गुहार लगाई. मनीष के आवेदन पर एसटीएफ ने अपने विभाग के तेजतर्रार सिपाहियों यशवंत सिंह, अनूप राय, धनंजय सिंह, संतोष सिंह, महेंद्र सिंह आदि को लगाया.

एसटीएफ की जांचपड़ताल में राखी के मोबाइल की लोकेशन गुवाहाटी में मिली. फिर एक दिन अचानक राखी की डेडबौडी की फोटो सिपाही राजीव शुक्ला के सामने आई तो वह पहचान गया. इस क्लू ने डा. डी.पी. सिंह की साजिश का परदाफाश कर दिया. पुलिस ने जब डा. डी.पी. सिंह को गिरफ्तार कर के पूछताछ की तो सारी सच्चाई सामने आ गई.

डी.पी. सिंह के बयान के बाद उस के दोनों कर्मचारी देशदीपक निषाद और प्रमोद कुमार सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों ने राखी की हत्या करने और डी.पी. सिंह का साथ देने का अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस को गुमराह करने के लिए डी.पी. सिंह ने राखी के मोबाइल को गुवाहाटी भिजवा दिया था, ताकि पुलिस को लगे कि राखी जिंदा है और वह गुवाहाटी में है. लेकिन पुलिस ने उस के गुनाहों को बेपरदा कर दिया.

घटना के बाद डी.पी. सिंह ने राखी के दूसरे प्रेमी को फंसाने की योजना बनाई थी. लेकिन उस की यह योजना धरी का धरी रह गई. एसटीएफ ने डी.पी. सिंह और उस के साथियों के पास से राखी का मतदाता पहचान पत्र, मोबाइल फोन, 100 रुपए का नेपाल रिचार्ज कार्ड व अन्य सामान बरामद कर लिया. नेपाल पुलिस ने अपने यहां हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था. डी.पी. सिंह और उस के दोनों साथियों पर दोनों देशों में एक साथ मुकदमा चलाया जाएगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक हत्या ऐसी भी : कौन था मंजूर का कातिल? – भाग 5

मैं 2 घंटे बाद अपने औफिस आया, गामे शाह अभी नहीं आया था. आमना आ चुकी थी. मैं ने उस से कहा, ‘‘आमना, मेरे दिल में तुम्हारे लिए हमदर्दी पैदा हो गई थी, लेकिन तुम ने सच फिर भी नहीं बोला और कहा कि पता नहीं मंजूर कहां गया था. जबकि तुम ने ही उसे रशीद के पास भेजा था.’’

आमना की हालत रशीद की तरह हो गई. मैं ने उस का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘आमना, अब भी समय है. सच बता दो. मैं मामले को गोल कर दूंगा.’’

‘‘अब यह बताओ, तुम्हारा पति अपने दुश्मन के पास गया था, वह सारी रात वापस नहीं लौटा. क्या तुम ने पता करने की कोशिश की कि वह कहां गया है और क्या रशीद ने उस की हत्या कर के कहीं फेंक न दिया हो?’’

आमना का चेहरा लाश की तरह सफेद पड़ गया. मैं ने उस से 2-3 बार कहा लेकिन उस ने कोई जवाब नहीं दिया.

‘‘तुम कयूम को बुला कर उस से कह सकती थी कि मंजूर बाग में गया है और वापस नहीं आया. वह उसे जा कर देखे.’’

मैं ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया?’’

मुझे उस की हालत देख कर ऐसा लगा जैसे उस का दम निकल जाएगा.

‘‘तुम ने मंजूर को सलाह दी थी कि वह शाम को बाग में जाए. उस की हत्या के लिए तुम ने रास्ते में एक आदमी बिठा रखा था ताकि जब वह लौटे तो वह मंजूर की हत्या कर दे. वह आदमी था कयूम.’’

वह चीख पड़ी, ‘‘नहीं…नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है.’’

‘‘क्या रशीद ने उस की हत्या की है?’’

‘‘नहीं…’’ यह कह कर वह चौंक पड़ी.

कुछ देर चुप रही. फिर बोली, ‘‘मैं घर पर थी, मुझे क्या पता उस की हत्या किस ने की?’’

‘‘मेरी एक बात सुनो आमना,’’ मैं ने उस से प्यार से कहा, ‘‘मुझे तुम से हमदर्दी है. तुम औरत हो, अच्छे परिवार की हो. मैं तुम्हारी इज्जत का पूरा खयाल रखूंगा. मुझे पता है कि हत्या तुम ने नहीं की है. आज का दिन मैं तुम्हें अलग किए देता हूं. खूब सोच लो और मुझे सच सच बता दो. तुम्हें इस केस में बिलकुल अलग कर दूंगा. तुम्हें गवाही में भी नहीं बुलाऊंगा.’’

उस की हालत पतली हो चुकी थी. उस ने मेरी किसी बात का भी जवाब नहीं दिया. मैं ने कांस्टेबल को बुला कर कहा, इस बीबी को अंदर ले जाओ और बहुत आदर से बिठाओ. किसी बात की कमी नहीं आने देना. पुलिस वाले इशारा समझते थे कि उस औरत को हिरासत में रखना है.

गामे शाह आ गया. मेरा अनुभव कहता था कि हत्या उस ने नहीं की है. लेकिन हत्या के समय वह कुल्हाड़ी ले कर कहां गया था? मैं ने उसे अंदर बुला कर पूछा कि कुल्हाड़ी ले कर कहां गया था.

उस ने एक गांव का नाम ले कर बताया कि वह वहां अपने एक चेले के पास गया था. मैं ने एक कांस्टेबल को बुलाया और गामे शाह के चेले का और गांव का नाम बता कर कहा कि वह उस आदमी को ले कर आ जाए.

‘‘जरा ठहरना हुजूर, मैं उस गांव नहीं गया था. बात कुछ और थी.’’ उस ने कहा.

वह बेंच पर बैठा था. मैं औफिस में टहल रहा था. मैं ने उस के मुंह पर उलटा हाथ मारा और सीधे हाथ से थप्पड़ जड़ दिया. वह बेंच से नीचे गिर गया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया.

असल बात उस ने यह बताई कि वह उस गांव की एक औरत से मिलने गया था, जिसे उस से गांव से बाहर मिलना था. कुल्हाड़ी वह अपनी सुरक्षा के लिए ले गया था. अब हुजूर का काम है, उस औरत को यहां बुला लें या उस से किसी और तरह से पूछ लें. मैं उस का नाम बताए देता हूं. किसी की हत्या कर के मैं अपने कारोबार पर लात थोड़े ही मारूंगा.

दिन का पिछला पहर था. मैं यह सोच रहा था कि आमना को बुलाऊं, इतने में एक आदमी तेजी से आंधी की तरह आया और कुरसी पर गिर गया. वह मेज पर हाथ मार कर बोला, ‘‘आमना को हवालात से बाहर निकालो और मुझे बंद कर दो. यह हत्या मैं ने की है.’’

वह कयूम था.

वह खुशी और कामयाबी का ऐसा धचका था, जैसे कयूम ने मेरे सिर पर एक डंडा मारा हो. यकीन करें, मुझ जैसा कठोर दिल आदमी भी कांप कर रह गया.

मैं ने कहा, ‘‘कयूम भाई, थोड़ा आराम कर लो. तुम गांव से दौड़े हुए आए हो.’’

उस ने कहा, ‘‘नहीं, मैं घोड़ी पर आया हूं, मेरी घोड़ी सरपट दौड़ी है. तुम आमना को छोड़ दो.’’

वह और कोई बात न तो सुन रहा था और न कर रहा था. मैं ने प्यार मोहब्बत की बातें कर के उस से काम की बातें निकलवाई. पता यह चला कि मैं ने आमना को जब हिरासत में बिठाया था तो किसी कांस्टेबल ने गांव वालों से कह दिया था कि आमना ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. गांव का कोई आदमी आमना के घर पहुंचा और आमना के पकड़े जाने की सूचना दी. कयूम तुरंत घोड़ी पर बैठ कर थाने आ गया.

‘‘कयूम भाई, अगर अपने होश में हो तो अकल की बात करो.’’

उस ने कहा, ‘‘मैं पागल नहीं हूं, मुझे लोगों ने पागल बना रखा है. आप मेरी बात सुनें और आमना को छोड़ दें. मुझे गिरफ्तार कर लें.’’

कयूम के अपराध स्वीकार करने की कहानी बहुत लंबी है. कुछ पहले सुना चुका हूं और कुछ अब सुना रहा हूं. मंजूर रशीद से बहुत तंग आ चुका था. वह गुस्सा अपने अंदर रोके हुए था. एक दिन आमना ने कयूम से कहा कि रशीद की हत्या करनी है. उसे खूब भड़काया और कहा कि अगर रशीद की हत्या नहीं हुई तो वह मंजूर की हत्या कर देगा.

कयूम आमना के इशारों पर नाचता था. वह तैयार हो गया. मंजूर से बात हुई तो योजना यह बनी कि रशीद बाग से शाम होने से कुछ देर पहले घर आता है. अगर वह रात को आए तो रास्ते में उस की हत्या की जा सकती है. उस का तरीका यह सोचा गया कि मंजूर रशीद के बाग में जा कर नाटक खेले कि वह दुश्मनी खत्म करने आया है और उसे बातों में इतनी देर कर दे कि रात हो जाए. कयूम रास्ते में टीलों के इलाके में छिप कर बैठ जाएगा और जैसे ही रशीद गुजरेगा तो कयूम उस पर कुल्हाड़ी से वार कर देगा.

यह योजना बना कर ही मंजूर रशीद के पास बाग में गया था. कयूम जा कर छिप गया. अंधेरा बहुत हो गया था. एक आदमी वहां से गुजरा, जहां कयूम छिपा हुआ था. अंधेरे में सूरत तो पहचानी नहीं जा सकती थी, कदकाठी रशीद जैसी थी.

कयूम ने कुल्हाड़ी का पहला वार गरदन पर किया. वह आदमी झुका, कयूम ने दूसरा वार उस के सिर पर किया और वह गिर कर तड़पने लगा.

कयूम को अंदाजा था कि वह जल्दी ही मर जाएगा, क्योंकि उस के दोनों वार बहुत जोरदार थे. पहले वह साथ वाले बरसाती नाले में गया और कुल्हाड़ी धोई. फिर उस पर रेत मली. फिर उसे धोया और मंजूर के घर चला गया.

वहां उस ने अपने कपड़े देखे, कमीज पर खून के कुछ धब्बे थे जो आमना ने तुरंत धो डाले. कुल्हाड़ी मंजूर की थी. आमना और कयूम बहुत खुश थे कि उन्होंने दुश्मन को मार गिराया.

उस समय तक तो मंजूर को वापस आ जाना चाहिए था. तय यह हुआ था कि मंजूर दूसरे रास्ते से घर आएगा. वह अभी तक घर नहीं पहुंचा था. 2-3 घंटे बीत गए. तब आमना ने कयूम से पूछा कि उस ने रशीद को पहचान कर ही हमला किया था. उस ने कहा कि वहां से तो रशीद को ही आना था, ऐसी कोई बात नहीं है कि वह गलती से किसी और को मार आया हो.

जब और समय हो गया तो उस ने कयूम से कहा कि जा कर देखो गलती से किसी और को न मारा हो. वह माचिस ले कर चल पड़ा. जा कर उस का चेहरा देखा तो वह मंजूर ही था.

कयूम दौड़ता हुआ आमना के पास पहुंचा और उसे बताया कि गलती से मंजूर मारा गया. आमना का जो हाल होना था वह हुआ, लेकिन उस ने कयूम को बचाने की तरकीब सोच ली.

उस ने कयूम से कहा कि वह अपने घर चला जाए और बिलकुल चुप रहे. लोगों को पता ही है कि रशीद की मंजूर से गहरी दुश्मनी है. मैं भी अपने बयान में यही कहूंगी कि मंजूर को रशीद ने ही मारा है.

कयूम को गिरफ्तार कर के मैं ने आमना को बुलाया और उसे कयूम का बयान सुनाया. कुछ बहस के बाद उस ने भी बयान दे दिया.

उन्होंने जो योजना बनाई थी, वह विफल हो गई. आमना का सुहाग लुट गया. लेकिन उस ने इतने बड़े दुख में भी कयूम को बचाने की योजना बनाई. मंजूर को लगा था कि वह रशीद की इस तरह से हत्या कराएगा तो किसी को पता नहीं चलेगा कि हत्यारा कौन है.

मैं ने आमना और कयूम के बयान को ध्यान से देखा तो पाया कि आमना ने पति की मौत के दुख के बावजूद अपने दिमाग को दुरुस्त रखा और मुझे गुमराह किया. कयूम को लोग पागल समझते थे, लेकिन उस ने कितनी होशियारी से झूठ बोला.

मैं ने हत्या का मुकदमा कायम किया. कयूम ने मजिस्ट्रैट के सामने अपराध स्वीकार कर लिया. मैं ने आमना को गिरफ्तार नहीं किया था और कयूम से कहा था कि आमना का नाम न ले. यह कहे कि उसे मंजूर ने हत्या करने पर उकसाया था. कयूम को सेशन से आजीवन कारावास की सजा हुई, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे शक का लाभ दे कर बरी कर दिया.

मोहब्बत का स्याह रंग : डाक्टर ने की हैवानियत की हद पार – भाग 3

पत्नी के सामने सच्चाई आने के बाद डी.पी. सिंह की स्थिति बड़ी विचित्र हो गई. वह न तो पत्नी को छोड़ सकता था और न प्रेमिका से पत्नी बनी राखी के बिना रह सकता था. उस की हालत 2 नावों के सवार जैसी थी. इस के बावजूद वह दोनों नावों को डूबने नहीं देना चाहता था. डी.पी. सिंह किसी निष्कर्ष पर पहुंचता, इस से पहले ही पहली पत्नी ऊषा ने डी.पी. सिंह के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया.

भले ही ऊषा ने उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था, डी.पी. सिंह ने इस की कोई परवाह नहीं की. वजह यह थी कि राखी मां बनने वाली थी. राखी और डी.पी. सिंह दोनों इसे ले कर काफी खुश थे. आने वाले बच्चे के भविष्य को ले कर संजीदा थे. समय आने पर राखी ने हौस्पिटल में बेटी को जन्म दिया. लेकिन वह मां की गोद तक जाने से पहले ही दुनिया छोड़ गई. बेटी की मौत ने राखी को झकझोर कर रख दिया. नवजात शिशु की मौत का असर डी.पी. सिंह पर भी पड़ा.

डाक्टर को होने लगा गलती का पछतावा

डी.पी. सिंह को अपने किए का पश्चाताप होने लगा था. वक्त के साथ स्थितियां बदल गईं. उसे लगने लगा कि राखी की खूबसूरती महज एक छलावा था. असल जीवनसाथी तो ऊषा है. अब डा. डी.पी. सिंह अपनी भूल सुधारने के लिए पत्नी की ओर आकर्षित होने लगा. उस ने अपनी भूल सुधारने के लिए ऊषा से एक मौका मांगा, साथ ही वादा किया कि अब ऐसा कभी नहीं होगा.

पति के वादे पर ऊषा को भरोसा नहीं था. सालों तक वह उस की पीठ पीछे रंगरलियां मनाता रहा था. यहां तक कि उसे भनक तक नहीं लगने दी थी. यही सब सोच कर ऊषा ने उसे माफ नहीं किया बल्कि फैसला पति पर छोड़ दिया.

दूसरी ओर डी.पी. सिंह ने राखी से बिलकुल ही मुंह मोड़ लिया. डी.पी. सिंह में पहले से काफी बदलाव आ गया था. लेकिन राखी को यह मंजूर नहीं था कि उस का पति उसे छोड़ कर पहली पत्नी के पास जाए.

राखी ने डी.पी. सिंह को चेतावनी दे दी कि अगर वह उसे छोड़ कर पहली पत्नी के पास गया तो इस का परिणाम भुगतने को तैयार रहे. जब उस ने प्यार के लिए अपना घरबार सब छोड़ दिया तो वह रिश्ता तोड़ने से पहले अच्छी तरह सोच ले.

राखी की चेतावनी ने डा. डी.पी. सिंह के संपूर्ण अस्तित्व को हिला कर रख दिया. वह जानता था कि राखी जिद्दी स्वभाव की है, जो ठान लेती है, कर के रहती है. घरगृहस्थी को बचाने के लिए डी.पी. सिंह धीरेधीरे राखी से किनारा करने लगा.

राखी समझ गई थी कि डी.पी. सिंह उस से बचने के लिए किनारा कर रहा है. डी.पी. सिंह ने भले ही राखी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी, लेकिन उस के खर्चे में कमी नहीं की थी. उसे वह उस की मुंहमांगी रकम देता था.

राखी मांगने लगी अपना हक

यह अलग बात है कि राखी रुपए नहीं, अपना पूरा हक चाहती थी. उसे दूसरी औरत बन कर रहना मंजूर नहीं था. वह पत्नी का पूरा अधिकार चाहती थी. जबकि डी.पी. सिंह पहली पत्नी ऊषा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. राखी उस पर दबाव बनाने लगी थी कि वह ऊषा को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर उस के पास आ जाए. लेकिन डी.पी. सिंह ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था.

राखी ने सोच लिया था कि वह तो बरबाद हो गई है, पर उसे भी इतनी आसानी से मुक्ति नहीं देगी. डाक्टर को सबक सिखाने के लिए साल 2017 के शुरुआती महीने में राखी ने राजधानी लखनऊ के चिनहट थाने में डा. डी.पी. सिंह के खिलाफ अपहरण और गैंगरेप का मुकदमा दर्ज करा दिया.

यही नहीं उस ने गोरखपुर के महिला थाने में भी डा. सिंह के खिलाफ महिला उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया. एक साथ 2-2 मुकदमे दर्ज होते ही डा. सिंह के होश उड़ गए. गैंगरेप का मुकदमा दर्ज होते ही डी.पी. सिंह की शहर ही नहीं, पूर्वांचल भर में थूथू होने लगी. इस के चलते हौस्पिटल बुरी तरह प्रभावित हो गया. मरीज उस के क्लीनिक पर आने से कतराने लगे.

गैंगरेप केस ने डी.पी. सिंह की इज्जत पर बदनुमा दाग लगा दिया था. लोग उसे हिकारत भरी नजरों से देखने लगे और उस पर अंगुलियां उठने लगीं. इस से उस की सामाजिक प्रतिष्ठा की खूब छिछालेदर हुई. अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए डी.पी. सिंह ने राखी से केस वापस लेने को कहा और उसे मुंहमांगी रकम देने का औफर दिया.

राखी ने उस के सामने सरस्वतीपुरम कालोनी की उस आलीशान कोठी की रजिस्ट्री अपने नाम कराने की शर्त रखी, जिस में वह रह रही थी. वह कोठी करोड़ों की थी. इस के लिए डी.पी. सिंह तैयार नहीं हुआ. उस ने बात टाल दी.

धी रेधीरे डा. डी.पी. सिंह का राखी से मोह खत्म हो गया. दोनों के बीच का प्यार टकराव में बदल गया. कल तक जिस राखी की गंध डी.पी. सिंह की रगों में खून के साथ बहती थी, अब वह दुर्गंध बन गई थी. टकराव की स्थिति में डी.पी. सिंह का जीना मुश्किल हो गया था. उस की पलपल की खुशियां छिन गई थीं. राखी द्वारा पैदा की गई दुश्वारियों से डी.पी. सिंह बौखला गया और उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगा.

राखी को हो गया फौजी मनीष से प्यार

इस बीच राखी के जीवन में एक नई कहानी की कड़ी जुड़ गई थी. सरस्वतीपुरम कालोनी में जहां राखी रहती थी, उसी के पड़ोस में मनीष कुमार श्रीवास्तव नाम का एक खूबसूरत और स्मार्ट युवक रहता था. वह आर्मी का जवान था और अपने एक रिश्तेदार के घर अकसर जाताआता था. वह मूलरूप से बिहार के गया जिले का रहने वाला था.

डी.पी. सिंह से रिश्ते खराब होने के बाद राखी अकेलापन दूर करने के लिए मनीष से नजदीकियां बढ़ाने लगी. मनीष भी राखी की खूबसूरती पर फिदा हो गया. थोड़ी मुलाकातों के बाद दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. अंतत: फरवरी 2018 में राखी और मनीष ने कोर्टमैरिज कर ली.

शादी के बाद राखी मनीष के साथ गया चली गई. उस ने मनीष से अपने अतीत की सारी बातें बता दीं. मनीष समझदार और सुलझा हुआ इंसान था. वह राखी को समझाता रहता था. मनीष को पत्नी की अतीत की कहानी सुन कर उस के साथ सहानुभूति हो गई. उस ने राखी को समझाया कि जो बीत गया, उसे याद करने से कोई फायदा नहीं है. उसे बुरा सपना समझ कर भुला दो.

एक हत्या ऐसी भी : कौन था मंजूर का कातिल? – भाग 4

रात को मैं थाने आ गया, जिन की जरूरत थी, उन सब को थाने ले आया. उन में रशीद भी था. रशीद मेरे लिए बहुत खास संदिग्ध था.

रात काफी हो चुकी थी. मैं आराम करने नहीं गया, बल्कि रशीद को लपेट लिया. उस की ऐसी हालत हो गई जैसे बेहोश हो जाएगा. मैं ने अपना सवाल दोहराया, तो उस की हालत और बिगड़ गई.

मैं ने उस का सिर पकड़ कर झिंझोड दिया, ‘‘तुम मंजूर के जाने के बाद जब बाग से निकले तो तुम्हारे हाथ में कुल्हाड़ी थी और तुम ने मुझे बताया कि सूरज डूबते ही तुम घर आ गए थे. मुझे इन सवालों का संतोषजनक जवाब दे दो और जाओ, फिर मैं कभी तुम्हें थाने नहीं बुलाऊंगा.’’

उस ने बताया, ‘‘हत्या करने से मुझे कुछ नहीं मिलना था. हुआ यूं था कि वह सूरज डूबने से थोड़ा पहले मेरे पास आया था. मैं उसे देख कर हैरान हो गया. मुझे यह खतरा नहीं था कि वह मेरे साथ झगड़ा करने आया था, सच बात यह है कि मंजूर झगड़ालू नहीं था.’’

‘‘क्या वह कायर या निर्लज्ज था?’’ मैं ने पूछा.

‘‘नहीं, वह बहुत शरीफ आदमी था. अब मुझे दुख हो रहा है कि मैं ने उस के साथ बहुत ज्यादती की थी. परसों वह मेरे पास आया था, मैं क्यारियों में पानी लगा रहा था. मंजूर ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे के ऊपर ले गया. मैं समझा कि वह मुझ से बंटवारे की बात करने आया है. मैं ने सोच लिया था कि उस ने उल्टीसीधी बात की तो मैं उसे बहुत पीटूंगा, लेकिन उस ने मुझ से बहुत नरमी से बात की.

‘‘उस ने कहा, ‘हम लोग एक ही दादा की संतान हैं. हमें लड़ता देख कर दूसरे लोग हंसते हैं. मैं चाहता हूं कि हम सब भाइयों की तरह से रहें.’ मैं ने उस से कहा कि बाद में फिर झगड़ा करोगे तो उस ने कहा, ‘नहीं, मैं ये सब बातें भूल चुका हूं.’ वह रात होने तक बैठा रहा और जाते समय हाथ मिला कर चला गया.

‘‘मैं उस के जाने के आधे घंटे बाद बाग से निकला. उस वक्त मेरे हाथ में एक डंडा था, वह मैं आप को दिखा सकता हूं. मेरा रास्ता वही था, जहां मंजूर की लाश पड़ी थी. मैं उस जगह पहुंचा और माचिस जला कर देखा तो वह मंजूर की लाश थी. हर ओर खून ही खून फैला था.

‘‘मैं ने माचिस जला कर दोबारा देखा तो मुझे पूरा यकीन हो गया. दूर जहां से घाटी ऊपर चढ़ती है, मैं ने वहां एक आदमी को देखा. मैं उस के पीछे दौड़ा, हत्यारा वही हो सकता था. लेकिन वह अंधेरे में गायब हो चुका था. आगे खेत थे, मुझे इतना यकीन है कि वह आदमी गांव से ही आया था.’’

‘‘तुम ने यह बात पहले क्यों नहीं बताई?’’

‘‘यही बात तो मुझे फंसा रही है,’’ उस ने कहा, ‘‘मेरा फर्ज था कि मैं आमना को बताता, फिर अपने घर वालों को बताता. शोर मचाता, थाने जा कर रिपोर्ट करता, लेकिन मुझे एक खतरा था कि मंजूर की मेरे साथ लड़ाई हुई थी. सब यही समझते कि मैं ने उसे मारा है.

‘‘पैदा करने वाले की कसम, हुजूर मैं ने सारी रात जागते हुए गुजारी है. जब आप ने बुलाया तो मेरा खून सूख गया कि आप को पता लग गया है कि मरने से पहले मंजूर मेरे पास आया था.’’

मैं ने कहा, ‘‘दुश्मनी के कारण बहुत से होते हैं, हत्याएं हो जाती हैं.’’

‘‘हां हुजूर, जमीन के बंटवारे के अलावा मैं ने आमना पर भी बुरी नजर रखी थी. उस की इज्जत पर भी हाथ डाला था. मंजूर की जगह कोई और होता तो मेरी हत्या कर देता. सच बात तो यह है कि हत्या मेरी होनी थी, लेकिन मंजूर की हो गई.’’

मैं उठ कर बाहर गया और एक कांस्टेबल से कहा कि वह आमना को ले कर आ जाए. फिर अंदर जा कर रशीद का बयान सुनने लगा. वह सब बातें खुल कर कर रहा था. मुझे आमना से यह पूछना था कि वास्तव में उस ने मंजूर को रशीद के पास भेजा था, जबकि उस ने यह कहा था कि उसे पता ही नहीं था कि मंजूर कहां गया था.

‘‘एक बात सच सच बता दो रशीद, आमना कैसे चरित्र की है?’’

‘‘आप ने लोगों से पूछा होगा आमना के बारे में, सब ने उसे सज्जन ही बताया होगा. मेरी नजरों में भी आमना एक सज्जन महिला है, क्योंकि उस ने मुझे दुत्कार दिया था. लेकिन उस ने अपनी संतुष्टि के लिए एक आदमी रखा हुआ है, वह है कयूम.’’

‘‘कयूम तो पागल है.’’

‘‘पागल बना रखा है,’’ उस ने कहा, ‘‘लेकिन अपने मतलब भर का.’’

‘‘मैं ने सुना है कि उसे कोई भी अपनी बेटी का रिश्ता नहीं देता, क्योंकि वह पागल है?’’

‘‘यह बात नहीं है हुजूर, बेटियों वाले इसी गांव में हैं. वे देख रहे हैं कि कयूम आमना के जाल में फंसा हुआ है.’’

बहुत से सवालों के जवाब के बाद मुझे यह लगा कि रशीद सच बोल रहा है, लेकिन फिर भी मुझे इधरउधर से पुष्टि करनी थी. रशीद यह भी कह रहा था कि उसे हवालात में बंद कर के तफ्तीश करें.

गामे के 3 आदमी थाने में बैठे थे, मैं ने उन्हें बारी बारी बुला कर पूछा कि हत्या की पहली रात गामे कहां था और क्या उन्हें पता है कि मंजूर की हत्या गामे शाह या तुम में से किसी ने की है.

मैं ने पहले भी बताया था कि ऐसे लोगों से थाने में पूछताछ दूसरे तरीके से होती है. ये तीनों तो पहले ही थाने के रिकौर्ड पर थे. मैं ने एक कांस्टेबल और एक एएसआई बिठा रखा था. मैं एक से सवाल करता था और फिर उन्हें इशारा कर देता था, वे उसे थोड़ी फैंटी लगा देते थे.

सुबह तक यह बात सामने आई कि गामे शाह दूसरी औरतों की तरह आमना को भी खराब करना चाहता था. गामे शाह ने उन तीनों को तैयार करना चाहा था कि वे मंजूर की हत्या कर दें, लेकिन वे तैयार नहीं हुए. उस के बाद वह आमना का अपहरण कर के उसे बहुत दूर पहुंचाना चाहता था, लेकिन हत्या कोई मामूली बात नहीं थी, जो ये छोटेमोटे जुआरी करते.

कोई भी तैयार नहीं हुआ तो गामे शाह ने कहा कि वह खुद बदला लेगा. तीनों ने बताया कि उस शाम जब वे गामे शाह के मकान पर गए तो वह घर पर नहीं मिला. वे वहीं बैठ गए. बहुत देर बाद गामे शाह आया तो उस के हाथ में कुल्हाड़ी थी. उन्होंने उस से पूछा कि वह कहां गया था, उस ने कहा कि एक शिकार के पीछे गया था. इस के अलावा उस ने कुछ नहीं बताया.

मोहब्बत का स्याह रंग : डाक्टर ने की हैवानियत की हद पार – भाग 2

राखी प्राय: रोज ही पिता को देखने जाती थी. जब भी वह अस्पताल में होती तो डा. डी.पी. सिंह ज्यादा से ज्यादा समय उस के पिता के बैड के आसपास चक्कर लगाता रहता. राखी को यह देख कर खुशी होती कि डाक्टर उस के पिता के इलाज को ले कर गंभीर हैं. वह उन का कितना ध्यान रख रहा है.

2-3 दिन में ही राखी समझ गई कि डा. डी.पी. सिंह जब भी चैकअप के लिए पिता के बैड के आता है तो उस की नजरें पिता पर कम, उस पर ज्यादा टिकती हैं. उस की नजरों में आशिकी झलकती थी. डी.पी. सिंह भी गबरू जवान था. साथ ही स्मार्ट भी. पिता की तीमारदारी में डी.पी. सिंह की सहानुभूति देख कर राखी भी उस के आकर्षक व्यक्तित्व पर फिदा हो गई. वह भी डी.पी. सिंह को कनखियों से देखा करती थी. जब दोनों की नजरें आपस में टकरातीं तो दोनों ही मुसकरा देते.

राखी ने भी खोल दिया दिल का दरवाजा

कह सकते हैं कि राखी और डी.पी. सिंह दोनों के दिल एकदूसरे की चाहत में धड़कने लगे. अंतत: मौका देख कर एक दिन दोनों ने अपने अपने प्यार का इजहार कर दिया. बाली उमर की कमसिन राखी डी.पी. सिंह को दिल से मोहब्बत करने लगी जबकि डी.पी. सिंह राखी को दिल से नहीं, बल्कि उस की खूबसूरती से प्यार करता था.

कई दिनों के इलाज से हरेराम श्रीवास्तव स्वस्थ हो कर अपने घर लौट गए. पिता के हौस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद राखी किसी न किसी बहाने हौस्पिटल आ कर डी.पी. सिंह से मिलने लगी. सालों तक दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले प्यार के झूले पर पेंग बढ़ाते रहे. आलम यह हो गया कि एकदूसरे को देखे बिना दोनों को चैन नहीं मिलता था.

डा. डी.पी. सिंह के दिल के पिंजरे में कैद हुई राखी ने उस के अतीत में झांका तो उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले जमीन खिसक गई हो. राखी के सपनों का महल रेत की दीवार की तरह भरभरा कर ढह गया. क्योंकि डी.पी. सिंह पहले से शादीशुदा था. उस ने यह बात छिपा कर रखी थी. राखी को जब यह सच्चाई दूसरों से पता चली तो उसे गहरा धक्का लगा. वह डाक्टर से नाराज हो कर गोंडा चली गई. वहां वह बीएड की पढ़ाई करने लगी.

डा. डी.पी. सिंह राखी के अचानक मुंह मोड़ लेने से तड़प कर रह गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि अचानक राखी उस से रूठ क्यों गई. डी.पी. सिंह से जब राखी की जुदाई बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने राखी से बात की, ‘‘क्या बात है राखी, तुम अचानक रूठ कर क्यों गईं? जाने अनजाने में मुझ से कोई भूल हो गई हो तो मुझे माफ कर दो.’’

‘‘मैं माफी देने वाली कौन होती हूं,’’ राखी तुनक कर बोली.

‘‘अरे बाप रे बाप, इतना गुस्सा!’’ मुसकराते हुए डी.पी. सिंह ने कहा.

‘‘ये गुस्सा नहीं दिल की टीस है, जो आप ने दी है डाक्टर साहब.’’ राखी के चेहरे पर दिल का दर्द छलक आया.

आश्चर्य से डा. डी.पी. सिंह ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हारे दिल को ऐसी कौन सी टीस दे दी कि तुम मुझ से रूठ गईं और शहर छोड़ कर चली गईं. तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम से कितना प्यार करता हूं.’’

‘‘डाक्टर साहब, आप इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हो. ये बताओ, आप ने अपनी जिंदगी की इतनी बड़ी सच्चाई मुझ से क्यों छिपाई? आप ने मुझे यह क्यों नहीं बताया कि आप शादीशुदा हो.’’

‘‘हां, यह सच है कि मैं शादीशुदा हूं. यह भी सच है कि मुझे तुम्हें यह सच्चाई पहले बता देनी चाहिए थी लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या?’’ बीच में बात काटते हुए राखी बोली.

‘‘बताने का मौका ही नहीं मिला,’’ डा. सिंह ने सफाई दी, ‘‘मैं तुम्हें अपने जीवन की यह सच्चाई बताने वाला था, लेकिन बताने का मौका नहीं मिला. इस बात का मुझे दुख है.’’

‘‘तो फिर अब यहां क्या लेने आए हैं?’’

‘‘अपने प्यार की भीख. मैं तुम से अपने प्यार की भीख मांगता हूं राखी. तुम मेरा प्यार मुझे लौटा दो. मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता. फिर मैं यहां से चला जाऊंगा.’’

‘‘ठीक है, लेकिन मेरी भी एक शर्त है.’’ राखी बोली.

‘‘क्या शर्त है तुम्हारी?’’

‘‘यही कि आप को मुझ से शादी करनी होगी. मेरी यह शर्त मंजूर है तो बताओ?’’

‘‘मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है. मैं तुम से शादी करने के लिए तैयार हूं. शादी के बाद तुम्हें पत्नी की नजरों से बचा कर ऐसी जगह रखूंगा, जहां तुम पर किसी की नजर न पड़ सके.’’

राखी ने सभी गिलेशिकवे भुला दिए.

राखी बन गई डाक्टर की दूसरी पत्नी

सन 2011 के फरवरी में राखी और डा. डी.पी. सिंह ने परिवार वालों से छिप कर गोंडा जिले के आर्यसमाज मंदिर में प्रेम विवाह कर लिया. प्रेमी प्रेमिका दोनों पतिपत्नी बन गए. लेकिन यह बात राखी के परिवार वालों से ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही.

राखी के पिता हरेराम श्रीवास्तव को बेटी द्वारा एक शादीशुदा आदमी से शादी करने की बात पता चली तो उन्हें गहरा सदमा पहुंचा. वह इस सदमे को सहन नहीं कर सके और उन की मौत हो गई. उस के बाद राखी के परिवार वालों ने उस से हमेशा हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया.

शादी के बाद डी.पी. सिंह ने दूसरी पत्नी राखी के रहने के लिए गोरखपुर के शाहपुर क्षेत्र की पौश कालोनी सरस्वतीपुरम में एक आलीशान मकान खरीद दिया. राखी इसी मकान में रहती थी. हौस्पिटल से खाली होने के बाद डी.पी. सिंह राखी से मिलने उस के पास आता था. घंटों साथ बिता कर वह पहली पत्नी ऊषा सिंह के पास चला जाता था. उस के साथ कुछ समय बिता कर रात में राखी के पास आ जाता.

पहली पत्नी को पता चल गई डाक्टर की हकीकत 

डी.पी. सिंह की पहली पत्नी ऊषा सिंह देख समझ रही थी कि उस के पति के स्वभाव और रहनसहन में काफी तब्दीलियां आ गई हैं. वह उस में पहले की अपेक्षा कम दिलचस्पी ले रहा था. रात रात भर घर से गायब रहता था. वह रात में कहां जाता था, उसे कुछ भी नहीं बताता था. वह बताता भी तो क्या.

हालांकि वह जानता था कि जिस दिन यह सच पहली पत्नी ऊषा को पता चलेगा तो उस की खैर नहीं. आखिरकार डी.पी. सिंह का अंदेशा सच साबित हुआ. ऊषा को पति पर शक हो गया और उस ने पति की दिनचर्या की खोजबीन शुरू कर दी.

ऊषा से पति की सच्चाई ज्यादा दिनों नहीं छिप पाई. आखिर पूरा सच उस के सामने खुल कर आ गया. उस ने भी तय कर लिया कि अपने जीते जी वह अपने सिंदूर का बंटवारा हरगिज नहीं करेगी. या तो सौतन को मार देगी या खुद मर जाएगी.

इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद खड़ा हो गया. दूसरी औरत राखी को  ले कर ऊषा ने पति को आड़े हाथों लिया तो डी.पी. सिंह की बोलती बंद हो गई. वह हैरान था कि उस की सच्चाई पत्नी तक कैसे पहुंची, जबकि उस ने इस राज को काफी गहराई तक छिपा रखा था.