Top 10 Suspense Short Crime Stories In Hindi : सस्पेंस शार्ट क्राइम स्टोरीज हिंदी

Top 10 Suspense Short Crime Stories In Hindi: अगर आपको भी है सस्पेंस (Suspense) से भरी क्राइम स्टोरीज (Crime Stories) पढ़ने का शौक तो आपकी पसंदीदा क्राइम मैगजीन मनोहर कहानियां लेकर आया है रहस्य से भरपूर टॉप 10 सस्पेंस शार्ट क्राइम स्टोरीज हिंदी.

1. हत्यारी लाश : खुला कत्ल का राज

‘‘ यह खून 15 मिनट बाद हुआ है.’’ डाक्टर ने कहा, ‘‘उस बीच फुरकान तिजोरी में रखी चीजों का निरीक्षण करता रहा होगा, क्योंकि वह जानता था कि उस कमरे में कोई और नहीं आ सकता. 15 मिनट बाद मृत इरफान साहब ने गोलियां चला कर अपने पोते फुरकान का खून कर दिया. इत्तेफाक से उसी समय बदकिस्मती से सफदर खुली हुई खिड़की से अंदर आया. उस के लिए मैदान साफ था. वह तिजोरी से नकद और बांड ले कर भाग गया.’’

‘‘सवाल फिर वही है कि मौत के बाद खून किस तरह किया गया?’’ सरकारी वकील ने कहा.

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2. आखिर क्या था कमरा नंबर 104 का रहस्य

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पूरा दिन बीत गया और उस कमरे में कोई हलचल नहीं हुई तो रात 10 बजे के करीब होटल मैनेजर दीपक यह पता करने के लिए कमरा नंबर 104 के सामने जा पहुंचे कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि करीब 30 घंटे से इस कमरे से कोई बाहर नहीं निकला है.

दीपक ने दरवाजा भी खटखटाया और आवाजें भी दीं, लेकिन अंदर किसी तरह की हलचल नहीं हुई. उन्होंने डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला. अंदर उन्हें जो दिखाई दिया, वह परेशान करने वाला था. वह भाग कर नीचे आए और होटल के मालिक करनदीप सिंह को फोन कर के कहा, ‘‘सरदारजी, कमरा नंबर 104 में एक लाश पड़ी है.’’

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3. रहस्यमय हवेली: आखिरी क्या था उस हवेली का राज

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विवेक और सुदर्शन चुपचाप भंवर सिंह के पीछे चल दिए. हवेली के एक छोर पर जा कर उस ने एक दरवाजा खोला. दरवाजे के पास नीचे जाने के लिए सीढि़यां थीं. सीढि़यां उतर कर वे एक कमरे में पहुंचे. यह तहखाना था, जिस की दीवारों पर विचित्र सी आकृतियां बनी थीं. अंधेरे को दूर करने के लिए लालटेन की रोशनी कम थी.

‘‘भंवर सिंह यह सामने क्या है?’’ अंधेरे में नजर टिका कर विवेक और सुदर्शन ने पूछा.

‘‘साहबजी, यह नर कंकाल हैं.’’

‘‘किसलिए?’’ विवेक और सुदर्शन की आवाज कांप गई.

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4. रहस्य में लिपटी विधायक की मौत

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रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुए अभी 5 मिनट भी नहीं हुए थे कि 2 नकाबपोश फुरती से पंडाल में पहुंचे. इस से पहले कि लोग कुछ समझ पाते, उन्होंने पीछे से विधायक सत्यजीत बिस्वास पर निशाना साध कर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. गोलियां बरसा कर वे दोनों वहां से फरार हो गए. भागते हुए उन्होंने असलहे को वहीं पर फेंक दिया.

विधायक को 3 गोलियां लगी थीं. गोलियां लगते ही वह कुरसी पर गिर कर तड़पने लगे. गोली चलने से हाल में भगदड़ मच गई. जरा सी देर में वहां अफरातफरी का माहौल बन गया. तृणमूल कांग्रेस के नेता गौरीशंकर, रत्ना घोष सहित अन्य लोग आननफानन में गंभीर रूप से घायल विधायक बिस्वास को कार से जिला अस्पताल ले गए. लेकिन डाक्टरों ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया.

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5. सिरकटी लाश का रहस्य

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पुलिस ने मौके पर पहुंच कर लाश को नाले से बाहर निकलवाया. बोरी में मृतक का सिर नहीं था. हां, धड़ जरूर था. कंधों से बाजू कटे हुए थे. कपड़ों के नाम पर मृतक के शरीर पर केवल अंडरवियर था. कई दिनों से लाश नाले के पानी में पड़ी रहने से बुरी तरह से गल चुकी थी, जिस की पहचान मुश्किल थी. वैसे भी बिना सिर के मृतक की शिनाख्त करना असंभव काम था.

पहचान के लिए मृतक के शरीर पर ऐसा कोई निशान नहीं था, जिस के सहारे पुलिस उस की शिनाख्त कराती. सिर और बाजू कटी लाश मिलने से पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी, दहशत का माहौल बन गया था.

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6. 5 सालों का रहस्य : किस वजह से जागीर को जान गंवानी पड़ी

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पत्नी की मौत के बाद गुरदेव सिंह टूट से गए थे. जैसेतैसे उन्होंने अपने दोनों बेटों की परवरिश की. आज से करीब 15 साल पहले गुरदेव सिंह भी दुनिया छोड़ कर चले गए. पर मरने से पहले गुरदेव सिंह यह सोच कर बड़े बेटे जागीर सिंह का विवाह अपने एक जिगरी दोस्त की बेटी मंजीत कौर के साथ कर गए थे कि वह जिम्मेदारी के साथ उस का घर संभाल लेगी.

मंजीत कौर तेजतर्रार और झगड़ालू किस्म की औरत थी. उस ने घर की जिम्मेदारी तो संभाल ली, लेकिन पति और देवर की कमाई अपने पास रखती थी. दोनों भाई जमींदारों के खेतों में मेहनतमजदूरी कर के जो भी कमा कर लाते, मंजीत कौर के हाथ पर रख देते. लेकिन पत्नी की आदत को देखते हुए जागीर सिंह कुछ पैसे बचा कर रख लेता था.

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7. मौत का दरवाजा

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जब रिजोश शराब के नशे में धुत हो जाता था, तो वसीम उसे छोड़ने के बहाने उस के घर आ जाता. घर पहुंच कर वह लिजी से सहानुभुति बटोरने के लिए कहता कि रिजोश नशे में धुत सड़क पर पड़ा था, मैं ने देखा तो उठा कर ले आया. रिजोश को उस के कमरे तक पहुंचाने के लिए वह लिजी की मदद लेता और उसी दौरान लिजी के बदन को स्पर्श कर लेता था. लिजी चाह कर भी उस का विरोध नहीं कर पाती थी.  लिजी जब नशे में चूर रिजोश को आड़े हाथों लेती, तो वह बीचबचाव करने लगता.

जब कई बार ऐसा हुआ तो मौका देख कर एक दिन वसीम ने हिम्मत कर के लिजी का हाथ पकड़ लिया. लिजी ने जब हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो वसीम ने उस का हाथ नहीं छोड़ा और कहा, ‘‘लिजी मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता.’’

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  8. जब शिकारी बना शिकार

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डिसिल्वा के दिल की धड़कन बढ़ गई. उसे लगा, कुदरत आज उस पर पूरी तरह मेहरबान है. मैरी खुद ही उसे बालकनी की ओर ले जा रही है. सब कुछ उस की योजना के मुताबिक हो रहा है. किसी की हत्या करना वाकई दुनिया का सब से आसान काम है.

डिसिल्वा मैरी के साथ बालकनी पर पहुंचा. उस ने झुक कर नीचे देखा. उसे झटका सा लगा. उस के मुंह से चीख निकली. वह हवा में गोते लगा रहा था. तभी एक भयानक चीख के साथ सब कुछ  खत्म. वह नीचे छोटीछोटी छतरियों के बीच गठरी सा पड़ा था. उस के आसपास भीड़ लग गई थी. लोग आपस में कह रहे थे, ‘‘ओह माई गौड, कितना भयानक हादसा है. पुलिस को सूचित करो, ऐंबुलेंस मंगाओ. लाश के ऊपर कोई कपड़ा डाल दो.’’

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9. दो गज जमीन के नीचे: क्यों बेमौत मारा गया वो शख्स

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निरंजन की मौत के बाद चचेरे, ममेरे भाई आसपास मंडराते नजर आए. 4 साल निरंजन के साथ रह कर नताशा इतनी तो चतुर हो ही गई थी कि चील, बाज और गिद्धों को पहचान ले. उस ने बड़ी ही चतुराई से उन्हें नजरअंदाज करते हुए रफादफा किया.

नताशा अब कठघरे में थी. सारा शक उसी पर था. जांच जारी थी. यह बात भी सच थी कि रात के 11 बजे जब कत्ल का खुलासा हुआ, तब तक नताशा और निरंजन घर में अकेले थे और दोनों इस के पहले तक चीखचीख कर लड़ रहे थे, पड़ोसियों ने सुना था.

पुलिस अपनी ओर से शिनाख्त में व्यस्त थी, लेकिन मैं नताशा से मिलने के लिए उतावली थी. क्या निरंजन जैसे सख्त जान आदमी नताशा जैसी साधारण डीलडौल वाली लड़की से मात खाया होगा.

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10. 130 मिस्ड काल का रहस्य

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रात ढाई बजे के करीब सिपाही रामकिशोर की नींद खुली तो वह लघुशंका के लिए बाहर निकला. उस की नजर तहसील परिसर में बने कुएं की ओर गई तो उस ने देखा कि कुएं के ऊपर लगे लोहे के जाल पर उस का साथी सिपाही रामप्रकाश वर्मा लटक रहा है.

यह देख रामकिशोर स्तब्ध रह गया. उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रामप्रकाश वर्मा बहुत ही खुशदिल युवा सिपाही था. उस से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. रामकिशोर कुएं के नजदीक पहुंचा तो पता चला कि मफलर का फंदा बना कर रामप्रकाश वर्मा ने आत्महत्या कर ली है.

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Top 10 Medical Crime Stories In Hindi: टॉप 10 मेडिकल क्राइम स्टोरीज हिंदी में

Top 10 Medical Crime Stories In Hindi : इन मेडिकल क्राइम स्टोरीज को पढ़कर आप जान पाएंगे कि चिकित्सा क्षेत्र में आज कल इलाज के नाम पर क्या क्या घोटाले किए जा रहे हैं. कहीं नकली दवाएं बेचीं जा रही हैं तो कही घटिया पेसमेकर लगा कर डाक्टर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं. जिन डॉक्टर्स को हम भगवान् का दरजा देते हैं, वही अपने फायदे के लिए मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे. मनोहर कहानियां के इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं ऐसी ही Top 10 Medical Crime Stories In Hindi

1. फरजी डाक्टर, औपरेशन धड़ाधड़, 9 मौतें

महेंद्र टेक्नीशियन होने के बाद भी मैडिकल सेंटर चला रहा था. यहां दलालों को 35 फीसदी की दलाली दे कर मरीजों को बुलाया जाता था, जिस के बाद उन की नकली ब्लड रिपोर्ट तैयार की जाती थी. ब्लड रिपोर्ट में फरजी बीमारियां दिखा कर लैब टेक्नीशियन उसी आधार पर उन लोगों का औपरेशन कर देता था.

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2. घटिया पेसमेकर से 200 की मौत

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जांच में पता चला है कि  डा. समीर सर्राफ ने कुछ मामलों में तो मरीजों को यूज्ड यानी कि इस्तेमाल किए गए पेसमेकर ही धोखे से लगा डाले थे. यानी कि यदि किसी मरीज की मौत हो गई थी तो धोखे से उस मरीज का पेसमेकर निकाल लिया और फिर उसी पेसमेकर को किसी दूसरे मरीज के अंदर प्लांट कर दिया, जबकि वह दूसरे मरीज से नए और ब्रांडेड पेसमेकर के पैसे पहले से ही वसूल चुका होता था.

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3. जहरीला कफ सिरप

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कुछ घंटे बाद इरफान की नींद खुल गई. वह बेचैनी की हालत में था. अचानक जोर की खांसी उठी और उसे उल्टियां होने लगीं. जफर ने दवाई दुकानदार के कहे अनुसार उसे दूसरी खुराक पिला दी. बच्चा फिर सो गया. गहरी नींद में सो रहे बच्चे को देख कर जफर एक बार फिर आश्वस्त हो गया कि उस का बेटा स्वस्थ होने की स्थिति में आ चुका है. किंतु उस ने बच्चे में एक बदलाव भी देखा. उस का पेट फूला हुआ था.

जफरुद्दीन तुरंत उसे ले कर जम्मू शहर के अस्पताल गए. डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने उस की हालत देख कर भरती कर लिया. उस का इलाज शुरू हुआ, लेकिन हालत सुधरने के बजाय दिनबदिन बिगड़ती चली गई और सप्ताह भर बाद इरफान की मृत्यु हो गई.

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4. चाइना गर्ल (फेंटानाइल) : दर्द से नहीं, जिंदगी से राहत

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राजेश ने जब तीसरी गोली खाई तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि इस गोली को खाने से ऐसा नशा होता है, जो न तो किसी को पता चलता है और न कोई जान पाता है कि इसे खाने वाला कोई नशा किए है. जबकि गोली को खाते ही तुरंत नशा हो जाता है, जो कम से कम से 8 से 10 घंटे तक रहता है.

राजेश को उस के दोस्त ने मात्र 3 गोलियां ही ला कर दी थीं. उस ने तीनों गोलियां खा लीं. अब उस के पास उस दवा की एक भी गोली नहीं थी. वह दिन में पढ़ाई करता था और अपना खर्च चलाने के लिए सुबहशाम पार्ट टाइम नौकरी भी करता था. एक दिन अचानक राजेश की मौत हो गई.

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5. वर्षा वानखेड़े बनी मुन्नाभाई एमबीबीएस

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एक दिन अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) के एसपी सुनील शर्मा के पास डा. खुशबू साहू नाम की महिला पहुंची. उस ने बताया, ”सर, मैं इस समय सरगुजा जिले के लहपटरा में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में तैनात हूं. मुझे पता चला है कि मेरे नाम से होली क्रौस अस्पताल में कोई महिला डाक्टरी कर रही है. उस के कागजों की जांच कर कानूनी काररवाई की जाए.’‘

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6. यूट्यूबर बना नीम हकीम

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अब्दुल्ला पठान जानता था कि देसी दवाओं की तरफ देशवासियों का रुझान बढ़ रहा है और इस लाइन में खूब दौलत कमाई जा सकती है. इस ने किसी हकीम के पास, किसी वैद्य के पास पुड़िया बांधने, इलाज करने या उपचार करने का काम कभी नहीं सीखा. सरकारी संस्थान या प्राइवेट संस्थान में आयुर्वेदिक या यूनानी दवा की कोई पढ़ाई भी नहीं की.

इस की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट पास बताई गई है. मर्दाना ताकत, धात, नाइटफाल, टाइम बढ़ाना, लिकोरिया, वजन बढ़ाना, बालों का झड़ना, पेट का इलाज, पथरी का इलाज, चेहरे पर पिंपल आदि बीमारियों का इलाज देसी जड़ीबूटियों द्वारा करने का यह प्रचार करने लगा. स्त्री एवं पुरुषों के गुप्त रोगों के इलाज का सोशल मीडिया पर बैनर जारी कर दिया.

7. फर्जी डाक्टर नकली शादियां

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थाने में शिंदे से पूछताछ के बाद उस के बारे में जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी. बल्कि वह एक फरजी डाक्टर पाया गया. उस ने जालसाजी से 4 शादियां रचा रखी थीं. सभी में पत्नियों का नाम संयोग से पूजा था. बरामद 2 विवाह प्रमाणपत्र भी फरजी पाए गए. एक पर नाम डा. प्राजक्ता शिंदे दर्ज था, जबकि दूसरे पर डा. पूजा कुशवाहा का नाम लिखा था.

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8. आयुष्मान योजना में फरजीवाड़ा

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मैक्सकेयर हौस्पिटल के संचालक के कहने पर 4 जनवरी, 2022 से 17 जनवरी, 2022 तक जोहान मैक्सकेयर हौस्पिटल में एडमिट रहा. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने  आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज न कर खालिद अली से पैसे जमा कराए थे.

लाखों रुपए लुटाने के बाद भी बेटे की हालत में सुधार होते न देख खालिद उसे पहले भोपाल के एम्स ले गए, वहां से डीआईजी बंगले के पास स्थित अस्पताल में भरती कराया गया. आखिरकार, चंद ही घंटों में मासूम जोहान को मृत घोषित कर दिया गया.

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9. डुप्लीकेट दवाओं का सरगना

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यह बात 2 मार्च, 2023 की है. दरअसल, वाराणसी शहर के मंडुआडीह थाना क्षेत्र के लहरतारा, सिगरा थाना क्षेत्र सहित कैंट के कई इलाकों में एसटीएफ टीम की रेड पड़ गई थी. एसटीएफ ने कैंट इलाके के रोडवेज के पीछे व लहरतारा, महेशपुर में छापेमारी की, जहां उसे पेटेंट दवा कंपनियों के नाम की भारी तादाद में एलोपैथी दवाएं मिली थीं, जिसे देख टीम में शामिल जवानों की आंखें फटी की फटी रह गई थीं.

सभी के मुंह से निकल पड़ा था, ”ओफ! इतना बड़ा नकली दवाओं का रैकेट…’‘

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10. पैरामैडिकल फ्रेंचाइजी से भरी तिजोरी

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पंकज ने आयुष पैरामैडिकल काउंसिल औफ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. यह मैडिकल के क्षेत्र में उस का पहला संस्थान था. इस पैरामैडिकल के जरिए उस ने मध्यमवर्गीय बच्चों को शिकार बनाना शुरू किया था.

उस ने छात्रों को होम्योपैथ, योगासन आदि की डिग्रियां बांटनी शुरू की और हर छात्र से 2 से 3 लाख रुपए वसूले थे. धीरेधीरे उस की यह धोखे की दुकान चल पड़ी और उस ने संस्थान के कारोबार को विस्तार देने के लिए अपने पिता सुरेंद्र बाबू गुप्ता, भाई इंदीवर पोरवाल और पत्नी कंचन पोरवाल को बोर्ड औफ डायरेक्टर में जोड़ लिया और संस्थान को बढ़ाने लगा.

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महिला सिपाही का प्यार

महिला सिपाही की खून से लथपथ लाश फर्श पर पड़ी थी. किसी ने बिस्तर से चादर उठा कर लाश के ऊपर डाल दी थी. पते की बात यह थी कि उस का पति कमरे या आसपास कहीं नजर नहीं आ रहा था.

बिस्तर पर महिला सिपाही की वरदी और एक बैग पड़ा हुआ था. नीचे फर्श पर एक मीटर के इर्दगिर्द में सिंदूर बिखरा पड़ा था. वरदी पर लगी नेमप्लेट से मृतका का नाम शोभा कुमारी पता चला. और तो और वरदी के पास ही 2 कट्टे (तमंचे) पड़े थे, जबकि नीचे फर्श पर एक कारतूस का खोखा पड़ा था.

पुलिस ने इसी से अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी कट्टे से गोली मार कर इस की हत्या की होगी. पुलिस ने दोनों कट्टे और फायरशुदा खोखा अपने कब्जे में ले लिया.

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह के 10 बज रहे थे. पटना में स्टेशन रोड पर स्थित होटल मीनाक्षी के कमरा नंबर-305 के मुसाफिर संजय कुमार अपना कमरा चेकआउट करने के लिए तैयार थे.

उन्होंने रिसैप्शन पर फोन कर के मैनेजर को बता दिया था कि एक बार आ कर वह कमरा चैक कर लें, वह रूम छोड़ रहे हैं. मैनेजर विकास ने कहा कि परेशान न हों, मैं अपने कर्मचारी को कमरे में भेज रहा हूं. वह चैक कर लेगा. फिलहाल थोड़ी देर के लिए कमरे से कहीं जाइएगा मत.

कुछ देर बाद कुछ सोच कर मैनेजर विकास कुमार किसी और को न भेज कर खुद ही कमरा चैकआउट करने तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर-305 की ओर लिफ्ट में सवार हो कर पहुंचा, जहां लिफ्ट थी. वहां से कमरा नंबर-305 करीब 5 मीटर दूर पश्चिम की ओर था. वहां गैलरी से हो कर जाना होता था. उस गैलरी से हो कर मैनेजर जब आगे बढ़ा तो देखा कमरा नंबर-303 का दरवाजा अधखुला था.

भीतर कोई हलचल होती न देख कर मैनेजर विकास कुमार को कुछ शक हुआ तो वह कमरे में दाखिल हुआ. कमरे में महिला सिपाही की नग्नावस्था में खून से सनी लाश फर्श पर पड़ी हुई थी. उस की वरदी बिस्तर पर पड़ी थी.

होटल मीनाक्षी स्टेशन रोड स्थित कोतवाली थाने में पड़ता है. मैनेजर विकास ने फोन कर के घटना की सूचना कोतवाली थाने के इंसपेक्टर कौशलेंद्र सिंह को दे दी थी. घटना की सूचना मिलते ही वह आननफानन में कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल पहुंच कर इंसपेक्टर सिंह ने सब से पहले कमरे का मुआयना किया.

किस ने की सिपाही की हत्या

पता चला कि कमरा 19 अक्तूबर को किसी गजेंद्र कुमार यादव ने अपने और अपनी पत्नी शोभा कुमारी के नाम पर बुक कराया था, जो जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के दमुआ गांव का निवासी था.

इस के बाद इंसपेक्टर सिंह ने जिले के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह जानकारी दे दी थी. घटना की सूचना पा कर एसपी (सिटी) वैभव शर्मा, डीएसपी (कानून व्यवस्था) कृष्ण मुरारी प्रसाद मौके पर पहुंच गए थे. मौके से मृतका का पति गजेंद्र फरार था. इस से यही अनुमान लगाया जा रहा था कि घटना को अंजाम देने में उसी का हाथ होगा.

पुलिस ने काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजवा दिया और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और गजेंद्र की तलाश के लिए एक पुलिस टीम गठित कर के जहानाबाद भेज दी. खोजबीन करती हुई पटना पुलिस 22 अक्तूबर, 2023 को काको थाने पहुंची. काको थानेदार अजीत कुमार के साथ आरोपी गजेंद्र के घर दमुआ में दबिश दी. गजेंद्र घर पर नहीं मिला.

बताते चलें कि गजेंद्र यादव के पिता रामाशीष यादव पहले गांव के चौकीदार थे. उन को कैंसर हो गया था. वे ज्यादातर बेडरेस्ट पर रहते थे.

रामाशीष ने बताया, ”साहब, वह मेरे लिए कैंसर की दवा लेने के लिए 17 अक्तूबर को दिल्ली चला गया था और दवा ले कर 1-2 दिन में आ जाएगा.’

पुलिस ने बताया कि वह अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद फरार है. पुलिस द्वारा बहू की हत्या की जानकारी मिलते ही घर में कोहराम मच गया. घर में रोनाधोना शुरू हो गया.

पुलिस ने पकड़ी गजेंद्र की दुखती नस

फिलहाल गजेंद्र के न मिलने पर पटना पुलिस जहानाबाद से पटना खाली हाथ वापस लौट आई, लेकिन काको थाने को उस पर कड़ी नजर रखने को कह दिया.

करीब सप्ताह भर बाद यानी 28 अक्तूबर, 2023 को पुलिस ने कैंसर से पीडि़त पिता को हिरासत में ले लिया. पिता को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने की सूचना किसी तरह गजेंद्र तक पहुंच गई तो उस ने 30 अक्तूबर, 2023 को जहानाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.

आरोपी गजेंद्र के आत्मसमर्पण करने की सूचना मिलते ही पहली नवंबर, 2023 को पटना पुलिस टीम जहानाबाद के लिए रवाना हो गई और आरोपी गजेंद्र को अदालत के सामने पेश कर उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले कर वहां से पटना के लिए वापस रवाना हो गई. 2 घंटे तक चली कड़ी पूछताछ में आरोपी गजेंद्र ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

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पुलिस द्वारा पूछताछ में इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस से यही पता चलता है कि शोभा ने अपने हाथों खुद ही अपनी बदनसीबी की दर्दनाक पटकथा लिखी थी, जो इस तरह थी—

इस तरह हुआ गजेंद्र को शोभा से प्यार

30 वर्षीय गजेंद्र यादव मूलरूप से बिहार के जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के गांव दमुआ का रहने वाला था. अपने 2 भाइयों में गजेंद्र बड़ा था. जितना पढऩे में गजेंद्र अव्वल था, उतना ही अपने अच्छे व्यवहार से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारथी था.

अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उस ने घर से कुछ दूर कुर्था मोहल्ले में कोचिंग सेंटर खोल दिया. उस समय उस की उम्र 23-24 साल के आसपास रही होगी. उस का कोचिंग सेंटर चल निकला. बच्चों को वह मैथ और साइंस की कोचिंग देता था.

उस के कोचिंग सेंटर में मोहल्ले के अनेक लड़के लड़कियां कोचिंग के लिए आने लगे. शोभा भी गजेंद्र की कोचिंग सेंटर में आती थी. यह बात साल 2018 के आसपास की थी. उसी दौरान उसे शोभा से प्यार हो गया.

गजेंद्र जैसे प्रेमी को पा कर शोभा बहुत खुश थी और उस से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी. एक दिन समय देख कर गजेंद्र ने अपने पिता से अपने और शोभा के रिश्ते की जानकारी दे कर शादी करने की अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने इजाजत दे दी. लेकिन उस के सामने एक शर्त यह रखी कि शादी के बाद पत्नी को ले कर यहां पुश्तैनी मकान में नहीं रहोगे.

गजेंद्र ने अपने प्यार को पाने के लिए पिता की इस शर्त पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी और शोभा से कोर्ट मैरिज कर के शहर में किराए का कमरा ले कर उस के साथ रहने लगा.

गजेंद्र का किस ने और क्यों किया अपहरण

गजेंद्र के पिता रामाशीष यादव की ऐसा करने के पीछे एक बड़ी और खास वजह थी. दरअसल, जब गजेंद्र 13 साल का था तो उस का अपहरण हो गया था. अपहरण एक लड़की के पिता ने किया था अपनी बेटी से शादी करने के लिए. बिहार में आज भी यह प्रचलन जारी है कि लोग अच्छे परिवार के लड़के का अपहरण कर अपनी बेटी के साथ जबरन उस की शादी कर देते हैं.

गजेंद्र की भी जबरन शादी करा दी गई थी. शादी कराने के बाद लड़की के घर वालों ने उसे उस के घर तक पहुंचा दिया था. समाज के रीतिरिवाजों को मानने वाले रामाशीष ने भी इस शादी पर मोहर लगा दी थी और लड़की को बहू का दरजा दे दिया था, जबकि गजेंद्र के दिल को इस घटना से ठेस पहुंची थी. उसे पत्नी नहीं स्वीकार किया था. इस से उस के पिता काफी नाराज रहते थे.

इस बात को ले कर बापबेटे के बीच काफी रस्साकशी भी चलती रही. बाद के दिनों में गजेंद्र और उस की पत्नी के बीच तलाक हो गया था. तलाक के बाद दोनों अलगअलग हो गए थे.

शोभा अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. गजेंद्र उस की महत्त्वाकांक्षाओं को अच्छी तरह पहचानता था. इसी बीच गजेंद्र एक बेटी का पिता बना. बेटी के आने से घर में खुशहाली आ गई.

उन दिनों बिहार में पुलिस की बड़ी पैमाने पर वैकेंसी निकली थी. गजेंद्र ने पत्नी शोभा को अप्लाई करा दिया. उस की मेहनत से बिहार पुलिस में वह भरती हो गई. इस के लिए गजेंद्र ने अपने हिस्से की 5 बीघा जमीन भी बेच दी थी. अपना कारोबार और अपना जीवन सब कुछ दांव पर लगा दिया था.

उस का सोचना था कि उस की भी प्राइवेट जौब है. अगर दोनों में से किसी एक की भी सरकारी नौकरी हो जाए तो जीवन सरल हो जाएगा. यही सोच कर उस ने पत्नी को नौकरी के लिए प्रेरित किया था.

शोभा की टे्रनिंग पटना में हो रही थी.  बेटी दादा दादी के पास रहती थी. उसे जब ट्रेनिंग से थोड़ा वक्त मिलता तो 1-2 दिन के लिए बेटी से मिलने जहानाबाद स्थित घर आ जाया करती थी या फिर गजेंद्र ही पत्नी से मिलने पटना चला जाया करता था.

ट्रेनिंग के दौरान ही शोभा को वहीं पर एसएसबी की तैयारी कर रहे धीरज से प्यार हो गया. यह घटना से करीब एक साल पहले की बात है. शोभा अपने परिवार के प्रति अति लापरवाह होती जा रही थी. शोभा की ये बातें पता नहीं क्यों गजेंद्र को अजीब लग रही थीं. वह सोचता कि ऐसी कौन सी मां होगी जो अपने बच्चे से मिलने तक के लिए वक्त नहीं निकाल सकती.

बात पहली जुलाई, 2023 की है. गजेंद्र किसी काम से पटना आया था. उस ने यह बात पत्नी को नहीं बताई थी. दोपहर के वक्त गजेंद्र ने देखा एक बाइक पर किसी युवक के साथ उस की पत्नी कहीं जा रही थी. जिस युवक के साथ वह जा रही थी, उस का न तो गजेंद्र के साथ कोई रिश्ता था और न ही वह उस कोई रिश्तेदार ही था. यह देख उस का माथा ठनक गया.

शोभा के इस कदम से गजेंद्र डिप्रेशन में चला गया और बुझाबुझा सा रहने लगा. गजेंद्र इस कदर डिप्रेशन में चला गया था कि खुद को अकेला समझने लगा था. गजेंद्र डिप्रेशन से बिलकुल टूट चुका था. अब उस में पत्नी की बेवफाई का दर्द सहने की क्षमता रह नहीं गई थी, इसलिए वह जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंच जाना चाहता था.

इसी बीच गजेंद्र ने एक खतरनाक फैसला ले लिया था कि अगर शोभा मेरी नहीं हुई तो उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. उसे मरना ही होगा.

अक्तूबर के महीने में दुर्गा पूजा थी. टे्रनिंग के दौरान शोभा की ड्यूटी कोतवाली क्षेत्र में लगी थी. यह बात गजेंद्र को पता चल चुकी थी. 17 अक्तूबर, 2023 को गजेंद्र पिता के कैंसर की दवा लेने के लिए जहानाबाद से दिल्ली के लिए निकला, लेकिन दिल्ली जाने के बजाय वह पटना आ गया. बेटी को उस ने छोटे भाई की जिम्मेदारी पर छोड़ दिया था.

होटल में दोनों के बीच क्या हुआ

19 अक्तूबर को वह पटना आ गया. पटना में उस ने स्टेशन रोड पर मीनाक्षी होटल में एक कमरा पतिपत्नी के नाम बुक कराया. उसे ठहरने के लिए कमरा नंबर-303 मिला. उस के पास एक पिट्ठू बैग था. उस में एक जोड़ी कपड़ा रखे थे. उन्हीं कपड़ों के बीच लोडेड 2 देसी तमंचे रख लिए थे.

रात में जब वह घूमफिर कर होटल लौटा तो 9 बजे के करीब उस ने पत्नी शोभा को फोन किया और उस का हालचाल लिया. उस ने उस से कहा कि वह स्टेशन रोड के होटल में ठहरा हुआ है. थोड़ी ही देर के लिए होटल में आ जाए. पति के कई बार आग्रह पर शोभा ने सुबह मिलने के लिए कह दिया.

अगली सुबह 8 बजे शोभा होटल पहुंची. उस समय गजेंद्र पूरी तरह तैयार हो चुका था और बैग से दोनों तमंचे निकाल कर कमर में खोंस लिए थे. शोभा कमरे में जैसे ही घुसी उसे बिना सिंदूर के देख उस का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. इस बात को ले कर दोनों के बीच विवाद छिड़ गया.

गजेंद्र अपने साथ सिंदूर की डिबिया भी ले कर गया था. वह अपने हाथों से पत्नी की मांग में सिंदूर भरना चाहता था, लेकिन शोभा तैयार नहीं हुई और दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. इसी दौरान गजेंद्र के हाथ से सिंदूर की डिबिया छूट कर नीचे फर्श पर जा गिरी और सिंदूर फर्श पर बिखर गया.

यह देख कर तो गजेंद्र एकदम पागल सा हो गया. उस ने आव देखा न ताव, कमर में खोंस रखा कट्टा निकाला और उस के सीने पर गोली मार दिया. गोली लगते ही शोभा नीचे फर्श पर जा गिरी और काल के गाल में समा गई.

इस के बाद उस ने दोनों असलहे बिस्तर पर रख दिए और पत्नी की वरदी उस के जिस्म से उतार कर बैड पर रख दी. फिर कमरे से 9 बज कर 32 मिनट पर बड़े आराम से अपना बैग ले कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया.

गजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस गजेंद्र के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश करने की तैयारी में थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

किस की साजिश का शिकार हुई दिव्या पाहुजा

अपने ही बौयफ्रेंड की हत्या की साजिश में गिरफ्तार 27 वर्षीया दिव्या पाहुजा (Divya Pahuja) की मां और बहन बीते 6 महीने से खुश थीं, क्योंकि उसे मुंबई हाईकोर्ट से जून 2023 को जमानत मिल गई थी. हाईकोर्ट द्वारा उस पर 7 साल पहले एक फरजी एनकाउंटर के सिलसिले में लगी साजिश का आरोप खारिज हो चुका था.

अपनी सुंदरता और ग्लैमर पर नाज करने वाली दिव्या भी नए सिरे से अपने मौडलिंग के करिअर को फिर से संवारने सहेजने में जुट गई थी. इस के लिए दिल्ली एनसीआर में ही नए संपर्क बनाने शुरू कर दिए थे. वह गुरुग्राम के बलदेव नगर में स्थित अपने पैतृक घर में रहते हुए जिंदगी को नया आयाम और नई पहचान देना चाहती थी.

इसी सिलसिले में पहले से परिचित अभिषेक सिंह से उस की नजदीकियां बढ़ गईं. वह गुरुग्राम में ही होटल सिटी पौइंट का मालिक था. कुछ दिन से दिव्या होटल के कमरे में ही रह रही थी. बताते हैं कि वह अभिजीत के साथ लिवइन रिलेशन में थी.

वैसे वह अपनी मां और बहन नैना के संपर्क में रहती थी. उन से लाइव लोकेशन के जरिए जुड़ी रहती थी. उन से हर दिन फोन पर बातें कर लेती थी और उन का हालसमाचार पूछ लेती थी. उन्हें अपनी योजना, कामकाज आदि के बारे में भी बताती रहती थी.

बात 2 जनवरी, 2024 की है. उस रोज भी हमेशा की तरह सुबह सुबह दिव्या की नैना से बात हुई. वह मौर्निंग वाक से होटल के कमरे पर लौट आई थी. उस की बातों से नैना ने महसूस किया कि वह कुछ बताना चाहती है, लेकिन खुल कर बोल नहीं पा रही थी. हालांकि इसे नैना ने ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन दिव्या ने सिर्फ इतना भर कहा कि वह बाद में बात करेगी.

करीब 3 घंटे बाद नैना ने ही दिव्या को फोन मिलाया. उस से बातें कीं. सुबह उस की उखड़ी उखड़ी बात करने के बारे में पूछा. इस पर दिव्या कुछ अधिक नहीं बता पाई, सिर्फ इतना भर कहा उस ने अपने करिअर पर फोकस कर लिया है.

वह कैसे होगा? इस बारे में मिल कर बाद में बताने की बात बोली. दोपहर 12 बजे तक दिव्या की अपने परिजनों से कई बार बातें होती रहीं, लेकिन उस वक्त तक उस के घर वालों को यही लगता रहा कि दिव्या कुछ खास बात बताना चाह रही हो, लेकिन बता नहीं पा रही थी.

नैना के दिमाग में यही घूमने लगा कि आखिर दिव्या क्या बताना चाहती है? उस ने करिअर के लिए कुछ नया करने की योजना तो नहीं बनाई है? शायद इस बारे में उस से और मां से अनुमति लेना चाहती हो? इस उधेड़बुन के साथ नैना अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गई.

शाम के 6 बजने वाले थे. अचानक नैना को दिव्या का ध्यान आया. उस ने तुरंत उसे फोन मिलाया, लेकिन वह स्विच्ड औफ मिला. दिव्या का फोन बंद मिलना नैना के लिए आश्चर्य की बात थी. कारण उस का फोन शायद ही कभी बंद मिला हो. उस के दोनों सिम एक ही मोबाइल सेट में लगा था. वह झुंझला गई.

खुद से बातें करने लगी, ”कितनी बार समझाया है… अलगअलग सेट में सिम लगाया करे, लेकिन मेरी बात मानती ही नहीं. अब आ गई न प्रौब्लम. फोन बंद तो दोनों नंबर बेकार!’’

होटल में किस ने की दिव्या की हत्या

कुछ देर बाद 6 बजे तक भी जब दिव्या का कोई मैसेज नहीं आया, तब नैना उस की लोकेशन चैक करने लगी. उस का लोकेशन उस वक्त साउथ एक्सटेंशन, दिल्ली की थी. उस ने तुरंत दिव्या के दोस्त अभिजीत को फोन मिला दिया. जबकि दूसरे फोन की लोकेशन अभिजीत के होटल सिटी पौइंट के पास की थी. नैना उलझन में पड़ गई कि दिव्या अभिजीत के होटल में है या फिर उस के घर में.

दिव्या की लोकेशन को ले कर उलझी हुई नैना ने अभिजीत को फोन मिलाया. उस से मालूम हुआ कि दिव्या कुछ देर पहले तक उस के पास थी, लेकिन साढ़े 11 बजे ही घर के लिए निकल गई थी. इस पर नैना चौंक गई. अभिजीत की बात पर उसे विश्वास नहीं हुआ.

यह सुन कर नैना और भी चिंतित हो गई. वह सोच में पड़ गई. दिव्या का लोकेशन कुछ और बता रहा था, जबकि अभिजीत ने कुछ और कहा.

‘जरूर कोई बात है’ बुदबुदाती हुई नैना तुरंत उस के घर जाने के लिए निकल पड़ी. करीब साढ़े 7 बजे अभिजीत के दिल्ली में साउथ एक्स स्थित घर जा पहुंची. वहां दिव्या नहीं मिली. अभिजीत भी नहीं था, लेकिन वहां बलराज गिल मिला. उस के पास दिव्या का सैमसंग मोबाइल था. वह गिल से दिव्या का मोबाइल ले कर अपने घर बलदेव नगर, गुरुग्राम लौट आई.

नैना ने गुरुग्राम के सेक्टर 14 के थाने में जा कर दिव्या के लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई और दोपहर से उस के फोन बंद होने की जानकारी दी. इसी के साथ उस ने कारोबारी अभिजीत सिंह पर भी संदेह जताया, जो लापता था. नैना ने दिव्या के साथ किसी अनहोनी की आशंका भी जताई.

एसएचओ ने इस की जानकारी एसीपी (सिटी) मुकेश कुमार को दी और उस के बाद गुरुग्राम पुलिस ने अगले रोज 3 जनवरी से मामले की तफ्तीश शुरू की. शिकायत के आधार पर पुलिस टीम सिटी पौइंट होटल गई, जहां दिव्या कमरा नंबर 111 में ठहरी हुई थी.

कमरे की तहकीकात के बाद उस के मृत होने के सबूत मिले, लेकिन उस की लाश वहां नहीं थी. इस बारे में एसपी (सिटी) मुकेश कुमार ने ‘एक्स’ के जरिए बताया, ”दिव्या (27 वर्षीय) नाम की लड़की के घर वालों ने आरोप लगाया है कि दिव्या अभिजीत नाम के एक व्यक्ति के साथ गई थी, जो एक होटल का मालिक है.

पुलिस ने जब होटल के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो अपराध की पुष्टि हुई है, मामला दर्ज कर जांच की जा रही है. इस मामले की जांच क्राइम टीम भी कर रही है.’’

इस हत्याकांड की पुष्टि होटल के सीसीटीवी फुटेज से हुई. दरअसल, 2 जनवरी 2024 के सुबह की सीसीटीवी के एक फुटेज में दिव्या, अभिजीत और एक दूसरा शख्स होटल के रिसैप्शन में मौजूद थे. जिस में वे रिसैप्शनिस्ट से कुछ बातें करते हुए दिखाई दिए. उस वक्त सुबह के 4 बज कर 18 मिनट हुए थे.

इस के बाद तीनों कमरा नंबर 111 में चले गए. फिर 2 तारीख को अभिजीत और उस के 2 साथी एक शव को चादर में लपेट कर घसीटते हुए नजर आए. चादर में शव ले जाने के बाद उन्होंने उसे कार की डिक्की में डाल दिया. कार में पहले से सवार 2 अन्य लोग वहां से निकल पड़े. सीसीटीवी फुटेज के अनुसार उस वक्त रात के 10 बज कर 44 मिनट हुए थे.

गुरुग्राम की पुलिस के सामने दिव्या की लाश बरामद करना बड़ी चुनौती थी. उस की बरामदगी तभी हो सकती थी, जब फुटेज में नजर आया कोई व्यक्ति गिरफ्त में आए. पुलिस को इस के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.

गुरुग्राम क्राइम ब्रांच द्वारा 3 आरोपी हत्याकांड के अगले रोज ही गिरफ्तार कर लिए गए. उन में एक मुख्य आरोपी के रूप में होटल का मालिक अभिजीत सिंह था, जबकि अन्य 2 प्रकाश और इंद्राज थे. पुलिस के अनुसार ये दोनों होटल में काम करते थे और इन्होंने ही लाश ठिकाने लगाने में अभिजीत की मदद की थी. इसी के साथ पुलिस ने दिव्या पाहुजा के बारे में जब तहकीकात की, तब उस की अलग कहानी सामने आई.

पता चला कि उस का पहले से ही एक . उस पर साल 2016 में गडोली की हत्या की साजिश रचने का आरोप लग चुका था, जिस के लिए उसे गिरफ्तार किया गया था. उस की जमानत के कुछ महीने बाद ही उस की हत्या कर दी गई थी.

हरियाणा के गुरुग्राम जिले की रहने वाली दिव्या पाहुजा बलदेव नगर में एक सब्जी और फल विक्रेता की बेटी थी. उस के पिता विशेष रूप से विकलांग हैं और एक छोटी बहन और मातापिता के साथ उन का 4 लोगों का परिवार है. दिव्या दिखने में काफी सुंदर थी. गुजारा चलाने और प्रसिद्धि पाने के लिए वह 18 साल की उम्र में ही एक मौडल बन गई थी.

उन दिनों उस ने बीकौम में भी दाखिला लिया था, लेकिन मौडलिंग पर ध्यान लगे होने की वजह से वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थी. उस की सुंदरता और ग्लैमर बिखेरती अदाओं के कई दीवाने थे, जिस में संदीप गडोली था. बताते हैं कि गडोली का अंडरवल्र्ड से कनेक्शन था. इन सब से बेखबर दिव्या उस के प्रेम जाल में फंस चुकी थी.

अंडरवल्र्ड से उन का रिश्ता 2016 में 18 साल की उम्र में शुरू हो गया था. साल 2015 में दिव्या और संदीप गडोली एक जन्मदिन पार्टी में मिले थे. वह पार्टी गुरुग्राम में ही हुई थी. इस के तुरंत बाद उन्होंने डेटिंग शुरू कर दी. किंतु उन की दोस्ती और प्रेम कहानी अधिक दिनों तक नहीं चल पाई. कारण 7 फरवरी, 2016 को गडोली की होटल के कमरे में हत्या हो गई.

उस वक्त दिव्या उस के साथ थी. उस पर कथित तौर पर अपनी मां, प्रतिद्वंद्वी गिरोह चलाने वाले बिजेंद्र गुर्जर के भाई वीरेंद्र कुमार और कुछ पुलिसकर्मियों के साथ हत्या की साजिश करने का आरोप लग गया. इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि जून, 2023 तक उन्हें जमानत नहीं मिल गई थी.

कौन था गैंगस्टर की आस्तीन का सांप

असल में गडोली की हत्या के बारे में यह माना जाता है कि वह अपनी गर्लफ्रेंड की वजह से मुंबई अंधेरी के एक होटल के कमरे में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. इस एनकाउंटर को गुरुग्राम की क्राइम ब्रांच ने अंजाम दिया था. उसी मामले में दिव्या मुख्य गवाह भी थी.

अब दिव्या भी होटल के कमरे में मारी गई. तब इस के पीछे गैंगस्टर संदीप गडोली की बहन सुदेश कटारिया और गैंगस्टर के भाई ब्रह्मप्रकाश की साजिश का संदेह जताया गया. कारण दिव्या के घर वालों ने सुदेश और ब्रह्मप्रकाश के खिलाफ हत्या की साजिश के तहत शिकायत दर्ज करवाई थी.

इस संदेह से अलग नई कहानी तब सामने आई, जब गिरफ्तार अभिजीत सिंह (56), हेमराज (28) और ओमप्रकाश (23) से पूछताछ हुई. पूछताछ में अभिजीत ने दिव्या की हत्या का अपराध स्वीकार लिया. अभिजीत ने बताया कि वह होटल सिटी पौइंट का मालिक है, लेकिन उस ने होटल को लीज पर दे रखा है. दिव्या की होटल के कमरे में ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

इस का कारण पूछने पर उस ने बताया कि दिव्या उसे ब्लैकमेल करती थी. वह उस के पास अश्लील तसवीरें होने की धमकी देती थी और पैसे वसूलती थी. दिव्या जेल में बंद गैंगस्टर बिंदर गुर्जर के जरिए अभिजीत के संपर्क में आई थी. बिंदर गुर्जर को 2016 में मुंबई में हुई गुरुग्राम पुलिस के साथ गैंगस्टर संदीप गडोली की कथित फरजी मुठभेड़ का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है.

पहले दिव्या ही इस मामले में मुख्य आरोपी थी. बाद में, उसे गैंगस्टर की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया और उस ने 7 साल जेल में बिताए. दिव्या की हत्या के बाद अभिजीत ने उस के शव को ठिकाने लगाने के लिए अपने साथियों को 10 लाख रुपए दिए थे. इस के बाद ही अभिजीत के 2 साथियों ने मृतक के शव को उस की ही नीले रंग की बीएमडब्ल्यू कार की डिक्की में डाल दिया था. लाश को कमरे बाहर लाने की फुटेज सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी थी.

हत्या की घटना के दिन के घटनाक्रम के बारे में अभिजीत ने पुलिस को बताया कि  दिव्या कुछ दिनों से ज्यादा पैसों की मांग करने लगी थी. 2 जनवरी, 2024 को वह उसे ले कर होटल पहुंचा था. वहां उस ने मोबाइल से तसवीरें डिलीट करने को कहा. ऐसा नहीं करने पर उस ने मोबाइल छीन लिया ओर उस का पासवार्ड मांगा. दिव्या ने पासवार्ड नहीं बताया. उस के बाद अभिजीत गुस्से में आ गया और दिव्या के सिर में पिस्टल से गोली मार दी.

दिव्या की हत्या का खुलासा होने के बाद उस से लाश ठिकाने लगाने के बारे में पूछताछ की गई. इस पर अभिजीत ने पुलिस को बताया कि दिव्या के शव को कार की डिक्की में रख कर कार अभिजीत ने होटल से करीब एक किलोमीटर दूर बलराज गिल उर्फ हेमराज (28) को सौंप दी थी. वही कार गुरुग्राम पुलिस को पंजाब के पटियाला में एक बस स्टैंड पर लावारिस मिली थी. हालांकि उस में दिव्या का शव नहीं था.

उन से यह भी मालूम हुआ कि इस हत्याकांड में 2 लोग और थे, जिन को  पकडऩे के लिए कई टीमें गठित की गईं. साथ ही हत्याकांड में शव को ठिकाने लगाने वाले दोनों आरोपी बलराज सिंह गिल व रवि बंगा के खिलाफ दिनांक 10 जनवरी, 2024 को लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया. संदिग्धों और शव की जानकारी देने पर 50 हजार रुपए के इनाम की घोषणा कर दी गई.

गुरुग्राम पुलिस की क्राइम ब्रांच की 6 टीमों द्वारा हरसंभव प्रयास किए जाने लगे. इसी बीच एक अन्य आरोपी मेघ 8 जनवरी को गुरुग्राम से ही गिरफ्तार कर लिया गया.

इसी कड़ी में आगामी काररवाई करते हुए अपराध शाखा सैक्टर-17, गुरुग्राम की पुलिस टीम  ने  12 जनवरी को बलराज गिल निवासी सैक्टर-5, पंचकुला उम्र-55 वर्ष को कोलकाता से धर दबोचने में सफलता हासिल की. जबकि मुख्य आरोपी अभिजीत के एक अन्य अन्य साथी प्रवेश निवासी घिलोड़ कलां, जिला रोहतक, उम्र 37 वर्ष को गुरुग्राम से ही गिरफ्तार लिया गया.

आरोपियों से शव के बारे में पूछताछ की जाने लगी. एक आरोपी प्रवेश के बारे में मालूम हुआ कि वह हथियार रखने का शौकीन है और उस ने दिव्या की हत्या के लिए मुख्य आरोपी अभिजीत को 3 पिस्टल और कुछ जिंदा कारतूस दिए थे.

पुलिस टीम द्वारा आरोपी प्रवेश के कब्जे से एक पिस्टल व 2 जिंदा कारतूस बरामद किए गए तथा 2 पिस्टल व 40 जिंदा कारतूस आरोपी अभिजीत की निशानदेही पर दिल्ली से बरामद किए गए. प्रवेश के खिलाफ हत्या के प्रयास, लूट, मादक पदार्थ रखने, अवैध हथियार रखने इत्यादि अपराधों के करीब आधा दरजन केस पहले दर्ज हैं.

आरोपी बलराज गिल से पुलिस रिमांड के दौरान पूछताछ में मालूम हुआ कि वह अभिजीत का कालेज के समय का दोस्त है. दोनों हिसार में साथ पढ़ते थे. अभिजीत ने इसे बलराज और रवि बंगा को संपर्क कर बुलाया था. आरोपी बलराज अपने अन्य साथी रवि के साथ बीएमडब्ल्यू गाड़ी में दिव्या पाहुजा के शव को ले कर 2 जनवरी की रात को गुरुग्राम से निकले थे.

उस के बाद उन्होंने 3 जनवरी की सुबह पटियाला से निकल कर शव को भाखड़ा नहर में फेंक दिया था. गाड़ी को पटियाला बसस्टैंड पर खड़ी कर वहां से फरार हो गए थे. इस दौरान वे पुलिस से बचने के लिए जयपुर और उदयपुर गए. वहां से पुलिस से बचते हुए बस पकड़ कर कानपुर चले गए. फिर कानपुर से ट्रेन के माध्यम से ही कोलकाता गए. कोलकाता पहुंच कर बलराज और रवि अलग हो गए.

इस तरह से पुलिस टीम द्वारा दिव्या हत्याकांड में संलिप्त कुल 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस टीम द्वारा मृतका दिव्या पाहुजा के शव को हत्या के 11 दिन बाद फतेहाबाद की टोहाना नहर से बरामद किया गया. शव की शिनाख्त करने के लिए दिव्या पाहुजा के घर वालों को शव बरामदगी के स्थान पर ले जाया गया. बरामद लाश को चेहरे से पहचानना बहुत ही मुश्किल था, क्योंकि सिर के बाल निकल चुके थे और चेहरा भी क्षतविक्षत हो चुका था.

11 दिन से पानी में होने के चलते लाश पूरी तरह फूल गई थी. शव ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे प्लास्टिक की बौडी हो. यह सब देख नैना की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा. नैना ने अपनी बहन के कंधे के नीचे बने टैटू से पहचान की.

शव को हिसार के मैडिकल कालेज के बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम किए जाने के बाद उसे गुरुग्राम लाया गया. शव का गुरुग्राम में अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस बीच, मामले के एक आरोपी बलराज गिल को 4 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया.

अश्लील फोटो डिलीट क्यों नहीं कर रही थी दिव्या

गिल को गुरुग्राम की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस के मुताबिक, दिव्या और अभिजीत रिलेशनशिप में थे. अभिजीत ने पुलिस को बताया कि जब दिव्या ने अपने मोबाइल फोन से उस की कुछ आपत्तिजनक तसवीरें हटाने से इनकार कर दिया तो उस ने गुस्से में आ कर दिव्या के सिर में गोली मार दी थी. अभिजीत का कहना है कि दिव्या उसे ब्लैकमेल करती थी. उस से अकसर पैसे मांगा करती थी.

अभिजीत ने दिव्या की हत्या के बाद पिस्टल फेंक दी थी. हालांकि हथियार बरामदगी के लिए पुलिस टीम द्वारा आरोपी अभिजीत की निशानदेही पर नजदीक पालम विहार मोड़, ओल्ड दिल्ली रोड, गुरुग्राम में एमसीजी के कर्मचारियों के साथ मिल कर झाडिय़ों को काटा गया तथा वहां पड़े कूड़े कबाड़ में बड़े स्तर पर सर्च औपरेशन चलाया गया.

इस सर्च औपरेशन के दौरान दिव्या पाहुजा की हत्या में प्रयोग किए गए पिस्टल को एक जिंदा कारतूस सहित बरामद किया गया.

कथा लिखे जाने तक केस की तफ्तीश जारी थी. आरोपी अभिजीत को पुलिस रिमांड के बाद 17 जनवरी को न्यायिक हिरासत में भेजा दिया गया.

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पुलिस को झूठी सूचना देने से ले कर, सूटकेस में अपने बेटे के शव को घंटों टैक्सी में बैठे रहना उस के भयावह और जघन्य अपराध के दौरान सूचना सेठ का धीरज और संयम एक ऐसे व्यक्ति का क्रूर और भयावह चेहरे को प्रस्तुत करता है, जिसे एक स्त्री और एक मां दोनों के रूप में समझना मुश्किल है. यह वारदात इस बात को जाहिर करती है कि आखिर कैसे दंपति के तलाक के खौफनाक अंजाम ने एक 4 वर्षीय मासूम की बेरहमी से जान ले ली.

पुलिस ने जकार्ता (इंडोनेशिया) में नौकरी कर रहे वेंकट रमन को बेटे की हत्या की खबर दे कर गोवा के कलंगुट थाने बुला लिया.

सूचना सेठ और उस के पति वेंकट रमन का कलंगुट पुलिस स्टेशन में 13 जनवरी, 2024 को आमना सामना हुआ. सूचना सेठ और उस के पति ने एकदूसरे से मिलने की इच्छा जताई थी. पुलिस ने दोनों को 15 मिनट एकदूसरे से मिलने की इजाजत दी थी.

थाने में सेठ ने क्या कहा रमन से

इस दौरान अपने मासूम बेटे की कातिल मां सूचना सेठ ने अपने पति से कहा, ”जब तक मैं पुलिस कस्टडी में हूं, तुम आजाद हो. तुम्हारे ही कारण आज मेरी ऐसी हालत हुई है.’’

उस के द्वारा यह आरोप लगाने पर भड़ास निकालते हुए वेंकट रमन ने कहा, ”जब तुम ने बेटे को नहीं मारा तो उस की मौत अपने आप कैसे हो गई.’’

चिन्मय के पिता वेंकट रमन 13 जनवरी, 2024 को अपना बयान दर्ज कराने के लिए गोवा के कलंगुट पुलिस स्टेशन पहुंचा था. बेटे की मौत की खबर मिलने के बाद वेंकट रमन 9 जनवरी, 2024 को भारत आया था और 10 जनवरी, 2024 को उस ने बेंगलुरु में अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया था.

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वेंकट रमन के वकील अजहर मीर ने कहा कि सूचना सेठ को सजा मिले या जमानत मिले कोई फर्क नहीं पड़ता. अजहर मीर ने 13 जनवरी, 2024 को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि दंपति के बीच पिछले एक साल से बेंगलुरु के फैमिली कोर्ट में बच्चे की कस्टडी की लड़ाई चल रही थी. इस पर फैमिली कोर्ट ने पिता वेंकट रमन को बच्चे से फोन या वीडियो काल के माध्यम से बात करने की इजाजत दे दी थी.

नवंबर 2023 में कोर्ट ने पिता को बच्चे से हर रविवार घर पर मिलने की इजाजत भी दे दी थी. हालांकि इस पर सूचना सेठ ने कहा था पिता को अपने बेटे से किसी कैफे में मिलना चाहिए.

वेंकट रमन 7 जनवरी, 2024 को यानी कि रविवार के दिन चिन्मय से मिलने वाला था. सूचना सेठ ने 6 जनवरी, 2024 को वेंकट रमन को एक मैसेज भेज कर कहा था कि यदि वह चिन्मय से मिलना चाहता है तो कल यानी 7 जनवरी को आ जाए. वेंकट बेटे से मिलने सूचना सेठ के घर गया तो वहां दोनों में से कोई नहीं मिला. तब उस ने सूचना सेठ को फोन किया.

सूचना सेठ ने काल रिसीव नहीं की. तब वेंकट ने वहीं पर उन का काफी देर इंतजार किया. सेठ नहीं आई तो वह उसी दिन इंडोनेशिया चला गया. सूचना सेठ वेंकट रमन को पिछले 5 रविवार से अपने बच्चे को मिलने ही नहीं दे रही थी.

वकील अजहर ने कहा कि उन का मुवक्कित वेंकट रमन अपने बेटे के लिए अपनी जान भी दे सकता था, जो अब इस दुनिया में नहीं है. अब सूचना सेठ को सजा हो या बेल मिले, इस से वेंकट रमन को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

गोवा पुलिस को कातिल मां सूचना सेठ के बैग से एक टिश्यू पेपर पर लिखा एक नोट भी बरामद हुआ है. इस पेपर पर सूचना सेठ ने लिखा है, ‘मेरे बच्चे की कस्टडी को ले कर कोर्ट और मेरे हसबैंड दबाव बना रहे हैं. मेरा हसबैंड हिंसक है. मैं उसे एक दिन के लिए भी अपना बच्चा नहीं दे सकती.’

गोवा पुलिस ने बताया कि टिश्यू पेपर पर आईलाइनर या काजल पेंसिल से नोट लिखा गया है. सूचना सेठ ने नोट लिख कर उसे फाड़ दिया था. पुलिस ने टिश्यू पेपर के टुकड़ों को जोड़ कर उस में लिखा गया मैसेज पढ़ा. गोवा पुलिस का मानना है कि यह एक सुसाइड नोट हो सकता है, क्योंकि सूचना सेठ ने अपने बेटे चिन्मय की हत्या के बाद अपने बाएं हाथ की नस काट ली थी.

पुलिस ने होटल के कमरा नंबर 404 से चाकू, तौलिया, तकिया और एक लाल बैग जब्त किया था. पुलिस ने सूचना सेठ को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर मापुसा शहर की अदालत में पेश किया, जहां से उसे 6 दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया था. कहानी लिखे जाने तक पुलिस सूचना सेठ से पूछताछ में लगी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है. घटनाओं का नाट्य रूपांतरण किया गया है.

व्यक्तिगत शिकायतें पैदा करती हैं कलह

डा. गौरव गुप्ता, मनोचिकित्सक (दिल्ली)

सूचना सेठ के इस खौफनाक कदम ने लोगों को सन्न कर के रख दिया है. इस संबंध में दिल्ली के मनोचिकित्सक डा. गौरव गुप्ता से विस्तृत बातचीत की गई.

डा. गौरव गुप्ता ने 1997 में मौलाना आजाद मैडिकल कालेज से एमबीबीएस और लेडी हार्डिंग मैडिकल कालेज से एमडी की पढ़ाई की थी. वह मनोचिकित्सा में मनोसामाजिक पुनर्वास में विशिष्ट कार्य का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध हैं.

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सूचना सेठ द्वारा अपने मासूम बच्चे की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए डा. गौरव गुप्ता कहते हैं कि एक मां के प्यार का कोई मोल नहीं होता और उस के लिए बेटे की खुशी से बढ़ कर कुछ और नहीं होता. मां और बेटे के अनोखे प्यार को शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल भरा काम है.

एक मां द्वारा अपने बेटे की हत्या करने से बुरा कुछ भी नहीं है. यह मां और शिशु के बीच सुरक्षा की भावना के खिलाफ व्यवहार है. इस तरह के व्यवहार को समझने के लिए किसी की पूरी मनोदशा समझनी जरूरी होती है.

वे आगे बताते हैं कि टेंशन, डिप्रेशन, व्यक्तिगत मुश्किलें, आर्थिक स्थिति, सामाजिक दशा और विपरीत परिस्थितियां कुछ ऐसे कारक होते हैं, जिन की वजह से किसी व्यक्ति का तनाव सीमा से अधिक बढ़ सकता है. अगर कोई मां इन तनावों से जूझ रही है और वह ऐसी परिस्थितियों से निपट नहीं पा रही है तो उस के भीतर अपने बच्चे की देखभाल करने की उस की अपनी क्षमता खत्म हो सकती है. अवसाद से ग्रस्त होने पर वह अपने साथसाथ अपने बच्चे के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है.

उन्होंने बताया कि तलाक और कस्टडी की लड़ाई के दौरान कम्युनिकेशन होना अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसी स्थिति में बच्चों की देखभाल को प्राथमिकता दें. अपने बच्चे की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए सम्मानजनक संवाद बनाए रखें. अपने आपसी विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता अथवा परामर्श लेना जरूरी है.

अपनी आपस की व्यक्तिगत शिकायतों के बजाय बच्चे की जरूरतों पर ध्यान दें. बच्चों के लालनपालन के लिए फ्लेक्सिबल रहें, बहस और अदालती काररवाई के दौरान अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से नियंत्रण रखें. कानूनी मकसद के लिए दस्तावेजों का खयाल रखें और अपने मार्गदर्शन के लिए वकील की मदद लें व तनाव से बचने के लिए अपनी सेहत का खयाल रखें. क्योंकि तनाव और गुस्से में उठाया गया कदम जीवन भर का पछतावा दे सकता है.

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 3

सुखदेव सिंह की हत्या के बाद शूटर नितिन फौजी और रोहित राठौड़ राहगीर हेमराज से छीनी स्कूटी से अजमेर रोड पहुंचे, यहां से रामवीर बाइक पर दोनों को बगरू टोल प्लाजा से आगे तक ले कर गया. जहां से दोनों शूटर रोडवेज बस में सवार हो कर डीडवाना पहुंचे. वहां से टैक्सी किराए पर ले कर सुजानगढ़ पहुंच गए. सुजानगढ़ से दिल्ली की बस में बैठ कर रवाना हुए, लेकिन दोनों धारूहेड़ा पर ही बस से उतर गए.

सीसीटीवी फुटेज आने पर दोनों की तलाश में टीमें हिसार भेजी गईं, लेकिन ये बदमाश वहां से भी हिमाचल प्रदेश, मनाली के लिए निकल गए. मनाली में इन की लोकेशन मिलने पर टीमें रवाना हुईं तो ये वहां से नितिन फौजी के गांव के रहने वाले एक व्यक्ति के घर चंडीगढ़ पहुंच गए.

दिल्ली पुलिस को 9 दिसंबर, 2023 की दोपहर 2 बजे इन के चंडीगढ़ में होने की पुख्ता जानकारी मिली. दिल्ली पुलिस के स्पैशल सीपी (क्राइम) रविंद्र सिंह यादव ने जयपुर पुलिस से संपर्क किया. जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जौर्ज जोसफ और एडीजी (क्राइम) दिनेश एम.एन. ने अपनी टीम के 7 अफसरों और पुलिसकर्मियों को चंडीगढ़ इस औपरेशन में भेजा.

सीआईडी क्राइम ब्रांच, जयपुर पुलिस व दिल्ली पुलिस टीम ने संयुक्त काररवाई करते हुए सेक्टर-22 चंडीगढ़ स्थित होटल कमल से शराब ठेके के ऊपर बने कमरे में छिपे शूटर नितिन फौजी, रोहित राठौड़ और उन को पनाह देने वाले ऊधमसिंह को पकड़ लिया. दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी होने पर राजस्थान पुलिस के आला अधिकारियों ने राहत की सांस ली.

एडीजी (क्राइम) दिनेश एम.एन., एडिशनल कमिश्नर कैलाशचंद्र विश्नोई, एडिशनल डीसीपी (जयपुर वेस्ट) रामसिंह शेखावत, एसीपी (सोडाला) श्यामसुंदर सिंह राठौड़, इंसपेक्टर (साइबर क्राइम) कमिश्नरेट चंद्रप्रकाश, एसएचओ (श्यामनगर) अरविंद चारण ने 72 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. गिरफ्तार आरोपियों को ले कर पुलिस जयपुर रवाना हो गई.

लारेंस क्यों पड़ा था गोगामड़ी के पीछे

जयपुर के सोडाला थाने में तीनों आरोपियों से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. इन के अलावा 10 दिसंबर, 2023 को महेंद्रगढ़ (हरियाणा) निवासी भवानीसिंह उर्फ रोनी राहुल यादव और सुमित यादव को गुरुग्राम जेल से प्रोडक्शन वारंट पर जयपुर पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया.

10 दिसंबर, 2023 को दोपहर 3 बजे जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जौर्ज जोसेफ एवं एडीजी क्राइम दिनेश एम.एन. ने प्रैसवार्ता कर गोगामेड़ी हत्याकांड का खुलासा किया. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड की जो खौफनाक कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह से है…

आनंदपाल एनकाउंटर के बाद वर्ष 2017 में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने एनकाउंटर को फरजी बताते हुए 15 दिन तक धरनाप्रदर्शन किया था. आनंदपाल और लारेंस बिश्नोई गैंग के बीच छत्तीस का आंकड़ा था.

लारेंस जब किसी से रंगदारी मांगता तो राजू ठेहठ व सुखदेव सिंह रंगदारी नहीं देने देते थे. लारेंस राजस्थान में पैर पसारने चाहता था. मगर राजू ठेहठ के आगे उस की एक नहीं चलती थी. तब लारेंस ने अपने राइट हैंड रोहित गोदारा से राजू ठेहठ का इलाज करने को कहा. रोहित गोदारा ने अपने राइट हैंड वीरेंद्र चारण को यह काम सौंपा.

सूत्रों के अनुसार जब संपत नेहरा के सब से खास दोस्त अंकित भादू का एनकाउंटर हुआ था, तब सुखदेव सिंह ने कोई विवादित कमेंट किया था. यही कारण था कि पंजाब की भटिंडा जेल में बंद लारेंस बिश्नोई गैंग का गैंगस्टर संपत नेहरा गोगामेड़ी की हत्या की साजिश रचने लगा था. इस मर्डर के लिए वह एके-47 अरेंज करवा रहा था.

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पंजाब पुलिस को यह जानकारी मिलते ही उन्होंने मार्च 2023 में राजस्थान पुलिस की एंटी टेररिस्ट सेल को सूचना दी थी कि गैंगस्टर संपत नेहरा सुखदेव गोगामेड़ी को मरवाने के लिए एके-47 अरेंज करवा रहा है.

इस पर राजस्थान एटीएस के डीआईजी अंशुमान भोमिया ने 14 मार्च, 2023 को एसओजी को गोगामेड़ी पर हमले की साजिश का अलर्ट भेजा था. जब पुलिस ने गोगामेड़ी को सुरक्षा नहीं दी, तब सुखदेव सिंह ने 5 निजी हथियारबंद सुरक्षा गार्ड रख लिए थे.

सुखदेव के पास पिस्टल भी रहती थी. कहीं बाहर जाते तब गोगामेड़ी बुलेटप्रूफ कोट पहन कर जाते थे. हमेशा गार्ड भी हथियारों के साथ चलते थे. उन्होंने बुलेटप्रूफ गाड़ी भी बनवा ली थी.

विधानसभा चुनाव आचार संहिता के कारण उन के गार्ड के हथियार पुलिस थाने में जमा थे. इसी वजह से उन्होंने 3 गार्डों को छुट्टी पर भेज दिया था. घटना के समय 2 गार्ड ही थे, सुखदेव गोगामेड़ी ने अपने औफिस का एक अलग कमरा बना रखा था.

कमरे में हाई सिक्योरिटी लौक लगा रखा था. अगर कोई भी मिलने आता था तो गार्ड कमरे के हाई सिक्योरिटी लाक को खोलता था. तभी कोई अंदर जा सकता था. खुद गोगामेड़ी भी बाहर से आने वाले लोगों को कैमरे से देखते रहते थे. उन की मरजी के बिना कोई भी नहीं आ सकता था.

5 दिसंबर को गोगामेड़ी किसी काम से बाहर जाने की जल्दी में थे. बाहर घर से निकलते समय ही नवीन शेखावत, नितिन फौजी, रोहित राठौड़ आ गए थे. गोगामेड़ी को बाहर जाने की जल्दी थी, ऐसे में हाई सिक्योरिटी कमरे के बजाय वे तीनों से गार्डरूम में ही मिल रहे थे. तभी शूटरों ने अपना काम कर दिया था.

गैंगस्टर रोहित गोदारा ने राजू ठेहठ हत्याकांड में शामिल व सुजानगढ़ में पुलिसकर्मी पर फायरिंग करने वाले गुर्गे वीरेंद्र चारण को गोगामेड़ी की हत्या करवाने के लिए शूटर की व्यवस्था करवाने की जिम्मेदारी दी. वाटेंड वीरेंद्र चारण ने गुरुग्राम जेल में बंद महेंद्रगढ़ (हरियाणा) निवासी भवानी सिंह उर्फ रोपी को सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या करने की सुपारी दी.

भवानी सिंह ने अपने साथी नितिन फौजी को गोगामेड़ी की हत्या का टारगेट दिया. वाटेंड वीरेंद्र चारण ने पहले से संपर्क में रहने वाले जयपुर निवासी रोहित राठौड़ को नितिन फौजी के साथ हत्या करने के लिए भेजा.

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शूटरों तक कैसे पहुंचे हथियार और पैसे

नितिन और रोहित राठौड़ को वीरेंद्र चारण ने हथियार कुरियर बौय के माध्यम से पहुंचाते थे. रोहित राठौड़ और नितिन फौजी को वारदात से पहले 50-50 हजार रुपए भी दिए थे. हत्याकांड के बाद दोनों आरोपी लगातार वीरेंद्र चारण के संपर्क में थे. वीरेंद्र चारण रोहित गोदारा के  संपर्क में था. रोहित गोदारा पलपल की अपडेट गोल्डी बराड़ को दे रहा था.

यह जानकारी पुलिस को ऐप की मदद से मिली. मददगार रामवीर ने पूछताछ में नितिन फौजी के मित्रों की जानकारी दी. इन में एक नाम भवानी सिंह उर्फ रोनी का था, जब हरियाणा पुलिस की मदद से जेल में बंद भवानी से पूछताछ की तो उस ने ऊधमसिंह का नाम बताया था.

ऊधमसिंह नितिन फौजी का दोस्त था. ऊधम का फोन बंद था. मगर पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए उस की पड़ताल कर के तीनों आरोपियों को चंडीगढ़ से धर दबोचा.

रामवीर को 10 दिसंबर को कोर्ट में पेश कर 8 दिन के रिमांड पर लिया गया है. वहीं दोनों शूटर आरोपी नितिन फौजी, रोहित राठौड़, एवं उन के मददगार ऊधमसिंह के अलावा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किए भवानी सिंह उर्फ रोनी, राहुल यादव और सुमित को 11 दिसंबर, 2023 को जयपुर न्यायालय में पेश कर 7 दिन के रिमांड पर लिया गया था.

गोगामेड़ी हत्याकांड की जांच फिलहाल एनआईए के हाथ में है. देखते हैं कि मामले का पूरा पटाक्षेप किस तरह होता है.