सुहागरात के बाद खुल कर नाची मौत – भाग 2

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किशनी थाना अंतर्गत एक गांव है-गोकुलपुरा अरसारा. यादव बाहुल्य इसी गांव में सुभाषचंद्र यादव सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शारदा देवी के अलावा 3 बेटे शिववीर, सोनू, अभिषेक उर्फ भुल्लन तथा एक बेटी प्रियंका थी. सड़क किनारे उन का पक्का मकान था. वह किसान थे. खेती से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

सुभाषचंद्र यादव खुद तो पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन बेटों को पढ़ालिखा कर योग्य बनाना चाहते थे. इसलिए वह उन की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते थे. अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह बेटों की पढ़ाई पर खर्च करते थे. 2 बेटे सोनू व भुल्लन तो पढऩे में तेज थे, लेकिन बड़ा बेटा शिववीर पढऩे में कमजोर था. इंटरमीडिएट की परीक्षा जैसेतैसे पास कर उस ने पढऩा बंद कर दिया और पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने लगा.

Shiv veer (Hatyara)

हत्यारा शिववीर

लेकिन शिववीर का मन खेती किसानी में भी नहीं लगा. इस के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गया. काफी प्रयास के बाद उसे मैनपुरी में स्थित एक फर्म में सेल्समैन की नौकरी मिल गई. चूंकि कृषि यंत्र बेचने में उसे कमीशन भी मिलता था, इसलिए उस की अच्छी कमाई होने लगी. अब वह ठाठबाट से रहने लगा.

शिववीर कमाने लगा तो सुभाषचंद्र उस के ब्याह की सोचने लगे. वह ऐसी लड़की चाहते थे, जो उन का घर संभाल सके, भले ही वह ज्यादा पढ़ीलिखी न हो. उन्हीं दिनों करहल (मैनपुरी) निवासी हरीसिंह यादव अपनी बेटी डौली का रिश्ता ले कर सुभाष के पास आए.

सुभाष यादव तो शिववीर के रिश्ते के लिए लालायित ही थे, सो उन्होंने रिश्ता मंजूर कर लिया. फिर दोनों तरफ से बात तय होने के बाद 8 फरवरी, 2019 को हरीसिंह ने डौली का विवाह शिववीर के साथ कर दिया.

डौली शिववीर की दुलहन बन कर ससुराल आई तो उस के जीवन में बहार आ गई. डौली सुंदर तो थी ही, साथ ही सुशील व सदाचारी भी थी. उस ने ससुराल आते ही घर संभाल लिया था. वह पति की सेवा तो करती ही थी, सासससुर की सेवा में भी कोई कसर न छोड़ती थी.

शादी के एक साल बाद डौली ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने पीहू रखा. पीहू के जन्म से घर की खुशियां और बढ़ गई. शिववीर डौली से बहुत प्यार करता था. वह उस के प्यार में ऐसा खोया कि कामधंधा ही भूल गया. लापरवाही बरतने व काम पर न जाने के कारण उस की नौकरी भी छूट गई.

शिववीर बेरोजगार हुआ तो वह आवारा घूमने लगा. उस की संगत कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों से हो गई, जिन के साथ वह नशापत्ती करने लगा. डौली मना करती तो वह उसे झिड़क देता. कभीकभी उस पर हाथ भी उठा देता था.

बेटे को गलत रास्ते पर जाते देख कर सुभाष की चिंता बढ़ गई. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह शिववीर को कैसे सुधारें. काफी विचारविमर्श के बाद उन्होंने किशनी कस्बे में शिववीर को फ्लैक्स की दुकान खुलवा दी.

बैनर, पोस्टर बनाने के इस धंधे में शिववीर को शुरू में तो आमदनी हुई, लेकिन उधारी के कारण बाद में नुकसान होने लगा. यहां तक कि दुकान का किराया तथा कारीगरों की मजदूरी भी निकालनी मुश्किल हो गई. धंधे में नुकसान हुआ तो उस ने दुकान बंद कर दी. इस धंधे में वह कमाने के बजाय कर्जदार हो गया.

घर वालों ने शिववीर की क्यों नहीं की मदद

सुभाषचंद्र की बेटी प्रियंका अब तक जवान हो गई थी. वह उस के हाथ जल्द ही पीले कर देना चाहते थे. प्रियंका खूबसूरत तो थी, लेकिन ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी.

आठवीं कक्षा पास करते ही मां शारदा ने उस की पढ़ाई बंद करा दी थी और अपने साथ घरेलू काम में लगा लिया था. उन का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए योग्य लड़का खोजना मुश्किल होता है. जबकि सुभाष यादव पत्नी की बात से सहमत नहीं थे.

सुभाष यादव ने प्रियंका के लिए योग्य वर की खोज शुरू की तो उन्हें एक लड़का सौरभ पसंद आ गया. सौरभ के पिता रामकिशन यादव मैनपुरी जिले के गांव चांद हविलिया के रहने वाले थे. 24 वर्षीय सौरभ दूध का व्यवसाय करता था और पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाता था.

सुभाष को सौरभ पसंद आया तो उन्होंने 6 जून, 2021 को प्रियंका का विवाह सौरभ के साथ कर दिया. प्रियंका को ससुराल में किसी चीज की कमी न थी, सो वह सुखपूर्वक ससुराल में पति के साथ जीवन बिताने लगी.

सुभाष जहां अपने बड़े बेटे शिववीर से दुखी था तो वहीं अन्य 2 बेटों से संतुष्ट भी था. मंझला बेटा सोनू पढ़लिख कर अकाउंटेंट की नौकरी पा गया था. वह राजस्थान की खुशखेरा स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था. उसे अच्छी सैलरी मिलती थी.

सब से छोटे अभिषेक उर्फ भुल्लन को नौकरी तो नहीं मिली थी, लेकिन उस ने किशनी तहसील के पास फोटोकापी की दुकान खोल ली थी. दुकान से उसे अच्छी आमदनी होने लगी थी. अभिषेक व सोनू पिता की मरजी से हर काम करते थे, इसलिए वे दोनों उन की आंखों के तारे बन गए थे.

इधर शिववीर ने फ्लैक्स के काम में पैसा गंवाने के बाद कर्ज ले कर गल्ले का धंधा किया, लेकिन इस में भी वह मात खा गया. अब वह पहले से ज्यादा कर्जदार हो गया. उस ने पिता व भाइयों से कर्ज उतारने के लिए पैसा मांगा, लेकिन उन्होंने पैसा नहीं दिया. कर्जदार होने से घर वाले उस की उपेक्षा करने लगे.

कर्जदारों से परेशान शिववीर घर छोड़ कर पुणे चला गया. वहां वह किसी फैक्ट्री में काम करने लगा. एक साल तक शिववीर घर से गायब रहा. उस के बाद फिर घर वापस आ गया. वापस आते ही कर्ज वाले उस के घर के चक्कर लगाने लगे. शिववीर ने फिर घर वालों से पैसे मांगे, लेकिन सभी ने उसे दुत्कार दिया. एक पैसा भी नहीं दिया.

पत्नी भी क्यों हुई शिववीर के खिलाफ

शिववीर ने तब लड़झगड़ कर डौली के जेवर छीन लिए और बेच दिए. एकदो लोगों का उस ने मामूली कर्ज अदा किया. फिर घर छोड़ कर खोड़ा (नोएडा) आ गया. यहां वह किसी प्रिंटिंग प्रेस में काम करने लगा.

कुछ दिनों बाद वह अपनी पत्नी डौली को भी ले आया. डौली एकदो माह तो उस के साथ खुश रही, फिर दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़ा जेवर बेचने को ले कर होता था.

एक रोज तो झगड़े ने बड़ा रूप ले लिया. शिववीर ने पहले तो पत्नी को पीटा, फिर दीवार में उस का सिर पटक दिया, जिस से डौली का सिर फट गया. गुस्से में डौली ने अपनी मासूम बच्ची को साथ लिया और आनंद विहार बसअड्डे आ गई.

यहां से बस पर सवार हो कर करहल आ गई, फिर वहां से अपने मायके आ गई. मम्मीपापा को उस ने पति की करतूत बताई तो उन्होंने बेटी को गले लगा लिया और बेटी को शिववीर के साथ न भेजने का फैसला लिया.

कुछ दिनों बाद शिववीर डौली को लेने ससुराल आया तो डौली के मम्मीपापा का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने शिववीर को खूब खरीखोटी सुनाई और बेटी को साथ भेजने से साफ मना कर दिया. शिववीर ने डौली को लाख मनाने की कोशिश की. माफी भी मांगी, लेकिन डौली नरम नहीं हुई. उस ने भी पति के साथ जाने को साफ मना कर दिया. अपमानित हो कर शिववीर घर आ गया. उस ने सारी बात अपने मम्मीपापा को बताई, फिर वह नोएडा चला गया.

इधर जब डौली कई माह तक ससुराल वापस नहीं आई तो डौली को ले कर गांव में कानाफूसी होने लगी. इज्जत बचाने के लिए सुभाष बहू के मायके गए और उसे किसी तरह मना कर विदा करा लाए. डौली के मम्मीपापा ने कई शर्तों के साथ डौली को उस समय ससुराल भेजा था.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 3

इमारत के अंदर कैसे दाखिल होना है, इस की पहले से ही रेकी की गई थी. इस में सीधे तो घुसा नहीं जा सकता था, क्योंकि अंदर कदम रखते ही कैमरों की नजर में आ जाते. इसलिए अंदर जाने के लिए इन लोगों ने बगल वाली इमारत का सहारा लिया. बगल वाली इमारत और डायमंड सेंटर के बीच ज्यादा फासला नहीं था. इसलिए उस इमारत पर ऊपर चढ़ कर एक पाइप के सहारे वे चारों डायमंड सेंटर की बालकनी तक पहुंच गए.

इस के बाद इन लोगों को अंदर दाखिल होना था. यह पहले से ही तय था कि अंदर दाखिल होते ही सब से पहले उस जगह की लाइट काटनी थी, जहां तिजोरी रखी थी. क्योंकि पूरी बिल्डिंग में कैमरे और सेंसर लगे थे. इन से बचने का उन के पास यही सब से उत्तम तरीका था.

इस के लिए इन्हें एक खिड़की खोलनी थी. उसी खिड़की से अंदर जाना था. एक बात और थी और वह यह थी कि जहां तिजोरी रखी थी, वहां एक लाइट जलती थी और उसी के साथ एक कैमरा भी लगा था.

इस का मतलब यह था कि उस तिजोरी के पास जैसे ही कोई जाता, उस कैमरे द्वारा रिकौर्ड होने के साथसाथ मौनिटरिंग करने वाला उसे देख भी लेता. इस से बचने के लिए अंधेरे में ही सब कुछ करना था यानी अंधेरे में ही अंदर जाना था, अंधेरे में ही तिजोरी खोलनी थी और अंधेरे में ही माल समेट कर बाहर आना था.

चारों ने खिड़की से अंदर प्रवेश किया. ये अंदर इस तरह घुसे कि सामने वाला कैमरा इन्हें रिकौर्ड नहीं कर सका. इन्हें पता था कि सेंसर बौडी टेंपरेचर से काम करता है, इसलिए ये हेयर स्प्रे साथ ले कर आए थे. अंदर जा कर इन्होंने दूर से ही सेंसर पर हेयर स्प्रे डाल दिया, जिस से उस ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा ही उन्होंने अलार्म के साथ भी किया यानी सेंसर और अलार्म ने काम करना बंद कर दिया तो वे तिजोरी के पास जा पहुंचे.

कोड से पहले इन्होंने अंधेरे में ही बाहर वाला दरवाजा खोला. उस के बाद दूसरा दरवाजा था, जो एक फुट की चाबी से खुलता था, लेकिन इस के पहले इन्हें सेंसर और अलार्म बंद करना था. इन्होंने दूर से ही हेयर स्प्रे का उपयोग कर के सेंसर और अलार्म बंद किए. उस के बाद इन्होंने वह दरवाजा भी खोल लिया, जो एक फुट की चाबी से खुलता था.

अब इन के सामने वे लौकर थे, जिन में गोल्ड और हीरे रखे थे. इन्होंने लौकर खोलने शुरू किए. एकएक लौकर खोल कर उन में रखा गोल्ड और हीरे साथ लाए बैग में भरने शुरू कर दिए. यह सारा काम करने में इन्हें एक घंटा लग गया. चोरी करने के बाद ये जिस रास्ते से अंदर गए थे, उसी रास्ते से बाहर आ गए.

3 साल की योजना कैसे हुई सफल

बाहर डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर कार लिए लियोनार्डो इन का इंतजार कर ही रहा था. चारों चोरी का माल ले कर उस कार में सवार हो गए तो लियोनार्डो ने कार आगे बढ़ा दी. अब तक सुबह के 5 बज चुके थे. शहर की सड़कों पर आवाजाही शुरू हो चुकी थी. इसलिए लियोनार्डो कार ले कर सीधे हाईवे पर आ गया.

इन लोगों ने रात में कुछ खाया नहीं था, इसलिए सभी को भूख लगी थी. लियोनार्डो ने हाईवे के एक रेस्त्रां पर कार रोक कर सैंडविच खरीदे, जिस के पैसे उसी ने दिए. इस के बाद वे कार ले कर एक सुनसान जगह पर पहुंचे, जहां सभी ने अपने वे कपड़े, पहने हुए दस्ताने और चेहरे पर जो मास्क लगाए थे, सब कुछ जला दिए. पर इन में से एक व्यक्ति ने अपना कुछ भी नहीं जलाया.

उस ने कहा कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, वह अपना सब कुछ बाद में जला देगा. उस ने सैंडविच का एक टुकड़ा भी वहां छोड़ दिया था. शायद वह इतनी बड़ी चोरी कर के बहुत घबराया हुआ था. वह अपना कुछ भी जलाए बिना वहां से चला गया. बाकी लोग भी यहीं से अलगअलग दिशाओं में चले गए.

सवेरा होने पर जब इस चोरी का पता चला तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. पता चला कि पूरे 8 अरब के हीरे और गोल्ड की चोरी हुई थी. चारों ओर हंगामा मच गया. न जाने कितने लोग इस चोरी से बरबाद हो गए थे. पुलिस ने जांच शुरू की.

सीसीटीवी कैमरे देखे जाने लगे. इस में एक गाड़ी पर शक हुआ. यह वही गाड़ी थी, जो लियोनार्डो बाहर लिए बैठा था और चोरी करने के बाद सभी उसी से गए थे. पता चला कि वह कार हाईवे की ओर गई है. इस के बाद पुलिस उस रेस्त्रां तक पहुंची, जहां से लियोनार्डो ने सैंडविच खरीदे थे. वहां कुछ नहीं मिला.

पुलिस आगे बढ़ी तो उसे वह जगह भी मिल गई, जहां लियोनार्डो और उस के साथियों ने कपड़े आदि जलाए थे. सैंडविच का वह टुकड़ा और बिल मिला, जिस में लियोनार्डो का नाम लिखा था. उसे उस के उस साथी ने वहां छोड़ा था, जो बीमार था.

इस से साफ हो गया कि ये वही लोग थे, जिन्होंने डायमंड सेंटर में चोरी के बाद सैंडविच खरीद कर खाया था. नतीजतन, लियोनार्डो बेल्जियम से निकल पाता, उस के पहले ही पकड़ लिया गया. वह इटली भाग जाना चाहता था, लेकिन संयोग से पकड़ा गया. परंतु उस का एक भी साथी नहीं पकड़ा गया. लियोनार्डो ने भी उन के बारे में कुछ नहीं बताया. चोरी गए हीरे और गोल्ड भी नहीं बरामद किया जा सका.

इस मामले में लियोनार्डो को 10 साल की सजा हुई, जिसे काट कर वह बाहर आ गया है. मजे की बात यह है कि आज तक न तो लियोनार्डो के उन साथियों के बारे में पता चला है, जो इस चोरी में शामिल थे और न ही उन हीरों और गोल्ड के बारे में पता चला है, जो इन्होंने चुराया था.

चोरी के बाद हीरे कहां बेचे गए, उस से कितना पैसा मिला, वह पैसा कहां गया, इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाई है. यहां तक कि पुलिस को लियोनार्डो के चोर साथियों के नाम भी आज तक पता नहीं चल पाए हैं.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 3

नरोत्तम ढिल्लों को कैसे फंसाया जाल में

इस काम के लिए उस ने नवीन नगर, ऐशबाग, भोपाल निवासी अपनी गर्लफ्रेंड नीतू शंकर राहुजा से नरोत्तम सिंह ढिल्लों की पहचान कराई. उस ने अपनी गर्लफ्रेंड नीतू राहुजा को बताया था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों बहुत ही पैसे वाला आदमी है, तुम उन के साथ कुछ वक्त बिता लेना. इस से खुश हो कर ढिल्लों तुम्हें करोड़ों कपए दे देंगे, लेकिन इस के विपरीत उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को बताया था कि नीतू उन से विशेष रूप से प्रभावित है और वह अपनी इच्छा से उन से मिलने आ रही है.

शनिवार 3 फरवरी, 2024 की रात 2 बजे तक सभी पार्टी करते रहे. इसी बीच नरोत्तम सिंह ढिल्लों जितेंद्र साहू के इशारे पर नीतू के करीब आने लगे, तभी नीतू राहुजा ने ढिल्लों के गलत मंसूबे समझ कर उन की हरकतों का विरोध करना शुरू कर दिया.

नीतू ने जोर से धक्का दे कर नरोत्तम सिंह ढिल्लों को जमीन पर गिरा दिया. विवाद बढऩे पर जितेंद्र ने नीतू और अपने साथी की मदद से ढिल्लों का गला घोंट कर हत्या कर दी और उस के बाद करीब 45 लाख रुपए की नकदी व जेवर ले कर खिड़की के रास्ते वहां से फरार हो गए.

जितेंद्र साहू और नीतू राहुजा भोपाल के रहने वाले थे. जितेंद्र साहू स्टौक मार्केट में ट्रेडिंग का काम करता था, जबकि नीतू राहुजा एक इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम में काम करती थी. नीतू राहुजा ने गोवा पुलिस को बताया कि जितेंद्र उस के ही मकान में अपनी मां के साथ रहता था. जबकि नीतू अपने मातापिता और भाई के साथ रहती थी. कुछ समय बाद एक ही मकान में रहने की वजह से उन में नजदीकियां बढऩे लगीं और फिर वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई थे नरोत्तम सिंह

पूछताछ के दौरान नीतू ने पुलिस को बताया कि 3-4 फरवरी की रात को ढिल्लों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस के कारण उन दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था. उस के बाद उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर ढिल्लों की हत्या कर दी और वहां से नकदी व जेवर ले कर फरार हो गए थे. 4 फरवरी, 2024 की सुबह ढिल्लों के विला की मैनेजर सीमा सिंह ने उन्हें मृत देख कर गोवा पुलिस को सूचना दी थी.

मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास एक समय में अमेरिका में फेरारी की डीलरशिप थी. वह वर्तमान में भारत में आतिथ्य, रियल एस्टेट, लग्जरी विला और कारों को किराए पर देने के व्यवसाय में थे. गोवा में उन से मिलने आए उन के रिश्तेदारों के अनुसार निम्स ढिल्लों विलासितापूर्ण जीवन जीने के शौकीन थे और अपनी संपत्तियों पर मेहमानों की मेजबानी करना पसंद करते थे.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर 1990 के दशक में लग्जरी फेरारी कारों की बिक्री और खरीद पर कर चोरी कर के अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे उन्होंने एक बार झूठा मामला करार दिया था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों को 2003 में पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने शिमला के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था.

वह अमेरिका में बादल परिवार का कारोबार देखते थे और उन के ऊपर हवाला के जरिए उन की संपत्ति विदेश ले जाने का आरोप था. बाद में उन्हें अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.

पंजाब की लांबी पुलिस ने उस समय कथित तौर पर नकली मुद्रा का उपयोग करने, नशीले पदार्थों का कारोबार करने, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उन के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन से कोई भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.

मेजर भूपिंदर सिंह ढिल्लों जोकि पूर्व में प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और बादल परिवार के सब से पुराने सदस्यों में से एक हैं, ने कहा, ”नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास कई संपत्तियां हैं. उन की नृशंस हत्या से पूरा परिवार सदमे में है.’’

इसी बीच मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के चचेरे भाई पवनप्रीत सिंह बादल उर्फ बौबी ने कहा, ”निम्स के पास एक समय अमेरिका में फेरारी कार शोरूम था. इस से पहले वह कनाडा में बस गए थे. पिछले कुछ सालों से वह ज्यादातर समय गोवा में ही रह रहे थे. उन की पत्नी और बेटा दिल्ली में रहते हैं. उन की बेटी की शादी विदेश में हुई है. उन का बेटा कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने और निम्स का पार्थिव शव लेने गोवा गया था.’’

पवनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा, ”हमें इस की जानकारी नहीं है कि उन की किसी से भी दुश्मनी थी या नहीं. उन का मुख्य व्यवसाय गोवा, दिल्ली और शिमला में था. इस के अलावा उन के पास पंजाब के बादल गांव में कृषि भूमि और एक घर भी है.

”पुलिस ने महाराष्ट्र में एक युवा जोड़े को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर उन की हत्या की रात गोवा में उन के विला में रुके थे और उन की किराए की कार में भागने की कोशिश की थी. कार के जीपीएस से पुलिस को उन्हें पकडऩे में मदद मिली. ऐसा लग रहा था जैसे निम्स का गला घोंट दिया गया हो.’’

तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर गोवा पुलिस ने यह मामला आईपीसी की धारा 302 और 392 के तहत दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू और 22 वर्षीया नीतू राहुजा को गोवा कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड में ले कर उन से विस्तृत पूछताछ कर रही थी.

मर्डर केस का एक अन्य आरोपी कुणाल, जोकि उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है, कथा लिखे जाने तक वह फरार था, जिसे गोवा पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

आज के दौर में आए दिन सोशल मीडिया की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते हैं.

कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चकाचौंध और दिखावटी, चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादीशुदा महिला या पुरुष अपनी बरसों पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किए बगैर दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है. यह सब आखिर क्यों होता जा रहा है?

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

स्विस महिला की हत्या का रहस्य

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह वायरलेस से पश्चिमी दिल्ली के थाना तिलक नगर को सूचित  किया गया कि एमसीडी स्कूल के पास एक काली पौलीथिन में किसी महिला का शव पड़ा है. सूचना थाने के एसएचओ संजीव कुमार को दी गई. वह एसआई विकास फुगेडिय़ा, एएसआई प्यारे लाल, दीपक, हैडकांस्टेबल मोहित को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

सुबह के पौने 9 बजे का वक्त हो गया था. धूप खिल गई थी. सुबह का वक्त होने के कारण अभी सड़कों पर ट्रैफिक का ज्यादा जोर नहीं था. इसलिए पुलिस टीम जल्दी ही घटनास्थल पर पहुंच गई.

घटनास्थल के पास काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. एमसीडी स्कूल के पास लाश पड़ी है, यह सूचना आग की तरह आसपास के इलाकों में भी फैल गई थी. वहां के निवासी यह जानने की जिज्ञासा लिए घटनास्थल की तरफ जा रहे थे कि मरने वाली कौन महिला है. पुलिस वैन वहां पहुंची तो भीड़ काई की तरह छंटती चली गई. तमाशबीन लोग वहां से गए नहीं, केवल लाश से कुछ दूरी बना कर खड़े हो गए.

एसएचओ संजीव कुमार, एसआई विकास और एएसआई प्यारे लाल उस काली पौलीथिन के पास आ गए.

पुलिस ने लाश से पौलीथिन पूरी तरह हटा दी तो उस में एक गोरी चमड़ी वाली विदेशी युवती की लाश निकली. उस की उम्र 30 साल की लग रही थी. सब से चौंकाने वाली बात यह थी कि युवती के हाथपैरों में लोहे की जंजीर बंधी थी. जंजीर में ताला भी लगा था.

युवती को इस प्रकार जंजीरों से बांध कर ताला क्यों लगाया गया है, वहां मौजूद पुलिस टीम की समझ में नहीं आया. युवती के जिस्म पर चोट के निशान देख कर यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने से पहले इसे प्रताडि़त किया गया होगा.

एसएचओ संजीव कुमार ने लाश के बारे में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को सूचित कर दिया, क्योंकि वह युवती विदेशी मूल की थी.

SK SINGH INSP

इंस्पेक्टर एस के सिंह

युवती की लाश तिलक नगर क्षेत्र में एमसीडी स्कूल के पास मिलने की जानकारी दे दी. इस के बाद उन्होंने फोरैंसिक टीम को वहां बुलवा लिया. यह टीम अपने काम में लग गई. थोड़ी देर में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार मौके पर आ गए. दोनों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. वहां पर हत्यारे ने ऐसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था.

एसीपी सुरेंद्र कुमार

डीसीपी विचित्र वीर के कहने पर एसएचओ संजीव कुमार ने एक घंटे के अंदर स्पैशल टीम और दीनदयाल उपाध्याय हौस्पिटल से 2 डाक्टरों को वहां बुला लिया.

डाक्टरों ने युवती की लाश की जांच कर के बताया कि काफी टौर्चर करने के बाद युवती को गला घोंट कर मारा गया है. इस की मौत 3 दिन पहले हुई है, लाश सडऩे लगी है.

इंस्पेक्टर हरी सिंह

डीसीपी ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे चैक करने के निर्देश दिए. स्पैशल टीम और थाना पुलिस टीम ने सड़कों पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करनी शुरू की तो एक कैमरे में उस स्थान पर जहां लाश पाई गई थी, एक सैंट्रो कार नजर आई.

कार की दिशा से अनुमान लगाया गया कि इसी कार में हत्यारा युवती की लाश को यहां ले कर आया और लाश फेंक कर चला गया है. कार की नंबर प्लेट को जूम कर के देखने पर नंबर स्पष्ट हो गया. उसे नोट कर लिया गया.

फोरैंसिक टीम ने वहां से काफी सूक्ष्म सुराग एकत्र कर लिए थे. सभी काररवाई पूरी कर लाश का पंचनामा तैयार कर के लाश को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

हत्यारे तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस टीम ने ट्रांसपोर्ट अथारिटी से सैंट्रो कार के रजिस्ट्रैशन नंबर से मालिक का पता निकाल लिया.

उस के पास पुलिस टीम पहुंची तो उस ने बताया कि उस ने सैंट्रो कार को जनकपुरी में एक युवती को 2 महीने पहले बेच दिया था. उस के पास से सैंट्रो कार खरीदने वाली युवती का जो एड्रैस मिला, वह जांच करने पर फरजी निकला.

पुलिस टीम का नेतृत्व खुद एसएचओ संजीव कुमार कर रहे थे. उन्होंने टीम के सभी सदस्यों में नया जोश भरते हुए आदेश दिया, ”सैंट्रो कार हमें हत्यारे तक पहुंचाएगी. आप सभी जनकपुरी के चप्पेचप्पे पर तलाश करें. कार जनकपुरी के एड्रैैस पर फरजी तरीके से ली गई है, उम्मीद है कि हत्यारा जनकपुरी का ही होगा. मैं समझता हूं कि कोशिश करने पर हमें सफलता अवश्य मिलेगी.’’

पुलिस टीम जनकपुरी में फैल गई. जनकपुरी की हर गली को देखा गया, खाली मैदान और कार पार्किंग में भी चैक किया गया. मेहनत की गई तो उस में पुलिस को सफलता भी मिल गई.

जनकपुरी के बी ब्लौक क्षेत्र में एक जगह वह संदिग्ध सैंट्रो कार पुलिस को खड़ी मिल गई. वहां मौजूद 2-3 युवकों से कार के मालिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बता दिया कि यह कार यहां रहने वाले गुरप्रीत सिंह की है. उन्होंने दूर से ही पुलिस को गुरप्रीत का मकान भी दिखा दिया.

पुलिस ने उस मकान के दरवाजे पर पहुंच कर घंटी बजाई तो दरवाजा खोलने वाला व्यक्ति पुलिस देख कर उलटे पैर भागा. पुलिस ने दौड़ कर उसे अंदर दबोच लिया. पूछने पर उस ने अपना नाम गुरप्रीत सिंह बताया.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे और सैंट्रो कार को साथ ले कर पुलिस टीम थाना तिलक नगर लौट आई.

क्यों की गई लीना की हत्या

गुरप्रीत सिंह के पकड़े जाने की जानकारी डीसीपी विचित्रवीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को दे दी गई. उच्चाधिकारियों के सामने गुरप्रीत से पूछताछ शुरू की गई.

”क्या नाम है तुम्हारा?’’एसएचओ संजीव कुमार ने पूछा.

”गुरप्रीत सिंह है साहब.’’

”इस युवती को पहचानते हो?’’संजीव कुमार ने मोबाइल से ली गई विदेशी युवती की लाश का फोटो गुरप्रीत को दिखा कर प्रश्न किया

”यह लीना बर्गर है साहब, स्विट्जरलैंड में रहती है.’’

”स्विटजरलैंड की है तो यह तुम्हारे संपर्क में कैसे आ गई थी?’’

”यह मेरी दोस्त थी साहब. मैं 2021 में पहली बार स्विट्जरलैंड गया था, तब यह मेरे संपर्क में आ गई थी.’’

”तुम ने इस की हत्या क्यों की?’’

गुरप्रीत तुरंत जवाब नहीं दे सका. संजीव कुमार ने उसे घूरा, ”मेरी बात का जवाब दो, तुम ने लीना बर्गर की हत्या क्यों की?’’

”मैं उसे चाहने लगा था, साहब.’’गुरप्रीत ने लंबी सांस भर कर कहा, ”लीना मुझे अच्छी लगती थी. मैं ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह किसी और को प्यार करती थी, उस से शादी करना चाहती थी. मुझे इसी बात पर गुस्सा आ गया और मैं ने उस की हत्या कर दी.’’

”यदि तुम को लीना की हत्या करनी थी तो तुम ने उस के हाथपांव लोहे की जंजीर से बांध कर ताला क्यों लगाया? तुम ने उस की हत्या करने से पहले उसे टौर्चर भी किया था, इस की क्या वजह थी?’’इस बार डीसीपी विचित्रवीर ने प्रश्न कर दिया.

”मैं लीना को डराधमका कर अपने पक्ष में करना चाहता था. इसीलिए मैं ने उसे जंजीर से बांधा और पीटा भी था.’’

”तुम ने लीना बर्गर को कब मारा था?’’

”तारीख मुझे याद नहीं है साहब. हां, मैं यह कुबूल करता हूं कि लीना की हत्या कर देने के बाद मैं ने लाश को कार में रखा. 2 दिन तक लाश कार में रख कर मैं दिल्ली की सड़कों पर घूमता रहा, लेकिन मुझे कहीं भी लाश फेंकने के लिए उचित ठिकाना नहीं मिला.

”तीसरे दिन मैं लाश को ले कर रात के वक्त घर से निकला. मैं ने लाश को काली पौलीथिन में बांध दिया था ताकि उस में से बदबू न फैले. मैं रात के अंधेरे में सुनसान पड़े एमसीडी स्कूल के पास आया और लाश वहां डाल कर भाग गया.’’

गुरप्रीत ने खोले गहरे राज

”तुम्हारा मोबाइल फोन कहां पर है?’’एकाएक डीसीपी विचित्र वीर ने पूछ लिया.

”वह तो घर पर ही रह गया है साहब.’’

लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत सिंह के मोबाइल को पुलिस ने कब्जे में ले कर देखा तो उस में गुरप्रीत के संपर्क में कितने ही विदेशी युवकयुवतियों के कौंटेक्ट नंबर मिले. इस के अलावा उस के फोन पर विदेशी लोगों ने लाखों रुपया पेटीएम व अन्य ऐप द्वारा भेजा था.

यह ऐसी जानकारी थी, जिस के खुलासे ने यह जाहिर कर दिया कि गुरप्रीत कोई मामूली व्यक्ति नहीं है. वह अपने अंदर बहुत गहरे राज छिपाए हुए है. यह जानने के लिए उसे रिमांड पर लेना जरूरी हो गया. इस से पहले उस के मोबाइल को खंगालने के लिए मोबाइल सर्विलांस विभाग के हवाले कर दिया गया.

किसी मकसद से उस ने लीना बर्गर को फांसा था, यह मोबाइल जांच से मालूम हो सकता था.

गुरप्रीत को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया गया.  रिमांड के दौरान गुरप्रीत ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है—

33 साल का गुरप्रीत बांका नौजवान था. उस के पिता अर्जुन सिंह खुद को तंत्रमंत्र का महान ज्ञाता बताते थे. पश्चिमी दिल्ली में उन्होंने तंत्रमंत्र की दुकान खोल रखी थी, जिस में टोनेटोटके, जादू आदि से संबंधित पुस्तकें, रत्न और ज्योतिष का सामान बेचा जाता था. वह परेशान, कारोबार में विफल, धन की हानि होने और प्रेम मिलन बाधा होने वाले व्यक्तियों का अपनी दुकान में तंत्रमंत्र और पूजाहवन द्वारा समाधान करने का दावा भी करते थे.

भारत भ्रमण पर आए कुछ विदेशी युवतियां और युवक उन के संपर्क  में आ गए थे. उन के द्वारा अर्जुन सिंह ने अपनी रत्न ज्योतिष की दुकान का विदेशों तक विस्तार कर लिया था.

गुरप्रीत अपने पिता के साथ ही ज्यादा रहता था. धीरेधीरे वह भी उन के नक्शेकदम पर चलने लगा. उस ने पिता को ज्योतिष अथवा मंत्रों द्वारा उपचार करते कई बार देखा था. उस ने भी वह पिता से सीख लिया और उन के नाम को आगे बढ़ाने लगा.

उस ने 2-3 बार हवाई जहाज में सफर कर के विदेशी धरती पर कदम रखा, वहां अपने दरजनों भक्त बनाए. उन को अपने ज्योतिष चमत्कार से प्रभावित कर के उन से धन भी प्राप्त किया. हालांकि उसे ज्योतिष और तंत्रमंत्र का इतना ज्ञान नहीं था, पर वह तिकड़मबाजी से अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने में हमेशा सफल हो जाता था. उस ने विदेशी रूबल, डालर में बहुत धन कमाया.

स्विस महिला लीना का गुरप्रीत से कैसे हुआ संपर्क

एक बार वह स्विटजरलैंड गया हुआ था. वहां एक स्विस व्यक्ति का उसे मानसिक उपचार करना था. गुरप्रीत ने उस व्यक्ति को पूजापाठ करने का विधान समझा कर पूजा करने का दिन तय किया. जोजो सामान पूजा के लिए चाहिए था, वह मंगवाया और निश्चित दिन वह उस व्यक्ति के घर पूजा करने पहुंच गया.

वहां एक खूबसूरत स्विस युवती लीना बर्गर भी आई हुई थी. लीना बर्गर एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थी. उस की अपने काम को ले कर हमेशा टेंशन बनी रहती थी. उस की फर्म घाटे में चल रही थी, वह बंद हो जाती तो लीना बर्गर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता.

यही टेंशन लीना बर्गर को रातदिन परेशान करती थी. उस की पहचान वाले एक व्यक्ति ने अपने मानसिक इलाज के लिए भारत के गुरप्रीत को अपने आवास पर बुलाया तो जिज्ञासावश लीना बर्गर भी वहां आ गई.

गुरप्रीत ने पूजापाठ का पूरा आडंबर रच कर उलटेसीधे मंत्रों का उच्चारण शुरू किया तो लीना बर्गर उस से बहुत प्रभावित हो गई. उस मानसिक विकार वाले व्यक्ति को गुरप्रीत के मंत्रोजाप और पूजापाठ से कुछ लाभ हुआ या नहीं, यह लीना ने नहीं पूछा, लेकिन उस ने गुरप्रीत को अपने घर आमंत्रित कर लिया.

गुरप्रीत ने दूसरे दिन लीना बर्गर के घर की काल बेल बजा दी. लीना ने दरवाजा खोल कर उसे सम्मान से अंदर बुलाया. उस की बहुत खातिरदारी की. फिर अपनी परेशानी बताई.

गुरप्रीत ने मुसकरा कर चुटकी बजाते हुए कहा, ”बस इतनी सी बात पर आप परेशान हो. मैं आप की समस्या चुटकी बजाते दूर कर दूंगा.’’

”मैं आप का एहसान जिंदगी भर मानूंगी गुरप्रीतजी, आप को जो सामान चाहिए बता दीजिए. जो फीस आप लेंगे वह भी मैं दूंगी. आप अपना काम शुरू कर दीजिए.’’

गुरप्रीत ने उसे पूजा के सामान की लिस्ट थमा दी. लीना ने सामान ला दिया तो एक दिन गुरप्रीत ने हवन का पूरा ड्रामा रच कर लीना बर्गर को संतुष्ट कर दिया.

इसे चमत्कार समझो या गुरप्रीत की किस्मत, लीना बर्गर की मानसिक परेशानी कुछ हद तक ठीक हो गई. उस की फर्म भी फिर से स्टैंड होने लगी.

लीना बर्गर गुरप्रीत से बहुत प्रभावित हो गई थी. गुरप्रीत भारत लौट आया, तब भी लीना उस के संपर्क में रही. लीना धनी थी. गुरप्रीत की नजरें उस की दौलत पर जम गईं. वह लीना को पूजापाठ के जाल में उलझा कर उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ लेना चाहता था.

वह इसी चक्कर में 2-3 बार स्विटजरलैंड गया. लीना बर्गर ज्यूरिख में रहती थी. गुरप्रीत ने वहां उस के यहां पूजापाठ का आयोजन कराया और हर बार लीना से मोटी रकम डालर के रूप में ले कर वह वापस आया.

अब वह लीना को उस मुरगी की तरह एक ही बार में काट डालना चाहता था, जो सोने के अंडे देती थी.

लीना को जंजीर से किस ने और क्यों बांधा?

उस ने अंतिम हवन पूजा के नाम पर लीना बर्गर को भारत बुलाया. लीना बर्गर 11 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली आ गई और एक होटल में ठहरी. इस बीच गुरप्रीत उस से होटल में मिलता रहा. 16 अक्तूबर, 2023 को उस ने पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर से एक जंजीर और ताला खरीद लिया और शाम को लीना बर्गर को अपने घर बुला लिया.

गुरप्रीत के पिता उस समय पेरिस में थे. घर में गुरप्रीत अकेला था. लीना बर्गर घर आई तो गुरप्रीत ने उसे चाय पिलाई, फिर उस से कहा कि वह उसे एक ऐसा जादू दिखाएगा जो उसे हैरत में डाल देगा.

लीना बर्गर जादू देखने को तैयार हो गई तो गुरप्रीत ने लोहे की जंजीर से लीना के हाथपांव बांध कर ताला लगा दिया. लीना जिसे जादू समझ रही थी, वह गुरप्रीत का वहशी रूप था.

लीना के हाथपांव जंजीर और ताले से बांध देने के बाद गुरप्रीत ने रंग बदला. उस ने लीना से कहा कि यह अपने बैंक से सारा रुपया उस के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दे, तभी वह उसे आजाद करेगा. नहीं मानेगी तो वह उस की जान ले लेगा.

लीना बर्गर ऐसा करने को तैयार नहीं हुई तो गुरप्रीत ने उसे बेरहमी से पीटा, सिगरेट से जलाया. जब लीना किसी भी तरीके से नहीं मानी हो उस ने लीना की गरदन दबा कर हत्या कर दी और लाश को पौलीथिन में डाल कर 2 दिन उसे सही जगह ठिकाने लगाने की कोशिश करता रहा. तीसरे दिन उस ने इलाके के ही एमसीडी स्कूल के पास रात के वक्त वह लाश फेंक दी.

गुरप्रीत के इस खुलासे के बाद उस को साथ ले कर उस के घर की तलाशी ली गई. उस के घर से पौने 2 करोड़ रुपए, 4 रिवौल्वर लीना बर्गर का लैपटाप, पासपोर्ट, वीजा, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद कर लिए गए.

गुरप्रीत के बैंक खाते में लाखों रुपयों के लेनदेन का भी पता लगा. पुलिस ने इस की सूचना इनकम टैक्स विभाग को दे दी. गुरप्रीत पर एफआईआर 712/2023 धारा 302/201 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर के उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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लीना बर्गर की हत्या की सूचना डीसीपी विचित्र वीर ने स्विस दूतावास को दे कर उन से लीना बर्गर का पोस्टमार्टम और अंतिम क्रियाकर्म भारतीय रीतिरिवाज से करने की अनुमति मांग ली. लीना बर्गर का लैपटाप, मोबाइल एफएसएल टीम को जांच के लिए सौंप दिया गया.

लीना बर्गर का दीन दयाल उपाध्याय हौस्पिटल में पोस्टमार्टम करवाने के बाद रिपोर्ट में उस को टौर्चर करने और गला घोंट कर मार देने की बात सामने आई. पोस्टमार्टम होने के बाद लीना बर्गर का भारतीय रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार करवा कर उस की राख को स्विस दूतावास के हवाले कर दिया गया.

कथा लिखे जाने तक मृतका लीना बर्गर का कोई रिश्तेदार दिल्ली नहीं आया था. कथा लिखने तक पुलिस लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए उस के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में लगी थी.

रेप के आरोप में पुलिस अफसर

जब विनीता होटल के अपने कमरे में चली गई तो थोड़ी देर बाद राहुल भी उस के कमरे में आ गए. विनीता को यह नहीं पता था कि राहुल भी उसी होटल में रह रहे हैं, जहां उसे ठहराया गया था. विनीता का आरोप है कि राहुल ने बातचीत के दौरान उसे कौफी में नशीला पदार्थ पिलाया. जब वह नशे में हो गई, तब राहुल ने उस के साथ मनमानी की. अपने मोबाइल में उस की न्यूड फोटो भी ले लीं.

होश आने पर जब विनीता को उस सब का पता चला तो उस ने विरोध किया, तब बेहतर कोचिंग के माध्यम से तैयारी कराने का राहुल ने उसे भरोसा दिया. लेकिन इस के बाद कभी होटल, तो कभी अपने दोस्त विक्रम के घर ले जा कर वह विनीता के साथ मनमानी करते रहे.

लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाली विनीता ने युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही रंगीन सपने देखने शुरू कर दिए थे. उस की तमन्ना एक बड़ा अधिकारी बनने की थी. इसलिए वह सिविल सर्विस (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी में जुट गई. उस समय वह 16-17 साल की थी. परीक्षाओं की तैयारी के दौरान ही विनीता की वर्ष 2018 में फेसबुक के जरिए राहुल श्रीवास्तव से दोस्ती हुई थी.

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राहुल श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में एडिशनल एसपी थे. उन की तैनाती लखनऊ में थी. पहले ‘हायहैलो’ से शुरुआत हुई. इस के बाद विनीता से राहुल ने पूछा, ”पढ़ाई करती हो?’’

तब विनीता ने बताया कि वह यूपीएससी की तैयारी कर रही है. एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव ने विनीता को यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई करने में उस की सहायता करने का भरोसा दिलाया.

विनीता समझ गई कि राहुल श्रीवास्तव पुलिस में सीनियर औफिसर हैं, उन से यूपीएससी परीक्षा के संबंध में काफी हेल्प मिल सकती है. वह उन से स्टडी मटीरियल लेती रही. स्टडी मटीरियल देने लेने के दौरान उन के बीच नजदीकियां बढऩे लगीं.

तब दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंंबर भी दे दिए. धीरेधीरे दोनों का मेलजोल इस कदर बढ़ गया कि ऐसा कोई दिन नहींं जाता था, जब दोनों के बीच बातचीत न होती हो. दोनों के बीच अंतरंगता बढ़ती गई. अब दोनों का ये हाल हो गया कि जब तक दोनों एक दूसरे से मिल न लेते या बातचीत न कर लेते उन्हें चैन ही नहीं मिलता था.

वर्ष 2019 में प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था. राहुल ने स्टडी मटीरियल देने और रिसर्च वर्क कराने के लिए विनीता को वहां बुलाया.  कुंभ के दौरान राहुल श्रीवास्तव ने नैनी के पास टेंट मे विनीता के रहने का इंतजाम कराया. बाद में सेफ्टी की बात कहकर होटल में भेज दिया.

उसी दौरान राहुल ने विनीता को अपने दोस्त सतीश से मिलवाया और बताया कि सतीश इग्नू में पौलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हैं और रिसर्च में उस की मदद करेंगे.

नहीं भुलाई जा सकती होटल की वह रात

विनीता का कहना है कि राहुल ने एक दिन होटल में नशीली कौफी पिलाने के बाद रेप किया. विनीता को उस ने पुलिस का रौब दिखाते हुए काफी डरा दिया था, जिस से वह यह बात किसी से कह भी नहीं सकी थी.

राहुल के मामा का लखनऊ के मंदाकिनी एनक्लेव में फ्लैट था. साल 2022 में राहुल ने उन से वो फ्लैट ले लिया. राहुल मामा के उस फ्लैट पर आने के लिए उसे खींची गई उस की न्यूड फोटो दिखाकर आने को मजबूर करते रहे. वह हर वीकेंड उसे वहां बुलाते और उस के साथ मनमानी करते थे. यह सिलसिला 5 सालों तक निरंतर चलता रहा. इस दौरान राहुल ने विनीता को कीमती गिफ्ट और गहने भी दिलाए.

अप्रैल, 2023 में विनीता राहुल श्रीवास्तव से प्रेग्नेंट हो गई. जब इस बात की जानकारी विनीता ने राहुल को दी तो एक दिन धोखे से विनीता को राहुल सहारा हौस्पिटल में लेडी डाक्टर के पास ले गए. उस समय राहुल का दोस्त विक्रम भी साथ था. कुछ देर में वहां सिद्धार्थ, सतीश और सौरभ भी आ गए.  उन्होंने विनीता का अबार्शन करा दिया.

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बाद में विनीता का चैकअप मेदांता अस्पताल में कराया गया. इस दौरान विनीता का आधार कार्ड या अन्य कोई डाक्युमेंट भी नहीं लिया गया. विनीता का कहना था कि उस की उम्र और पिता का नाम भी वहां गलत लिखवाया. अबार्शन के बाद विनीता की राहुल से खूब लड़ाई हुई.

अबार्शन के कुछ दिनों बाद विनीता के शरीर पर असर पड़ा. तब विनीता ने फैसला लिया कि वह राहुल की इस करतूत को उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को बताएगी. इस के बाद वह मानिनी के घर जा पहुंची. उस ने मानिनी को उस के पति राहुल श्रीवास्तव की काली करतूतों के बारे में बताया कि वह पिछले 5 सालों से उसे उस की न्यूड फोटो के बल पर ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं.

विनीता ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह पुलिस में उस की शिकायत जरूर करेगी. इस की जानकारी होने पर राहुल फोन कर के विनीता के घर वालों को धमकी देने लगे कि तुम लोगों को झूठे केस में फंसा दूंगा.

जब विनीता ने साफ शब्दों में कहा कि वह उन की पुलिस से शिकायत करेगी तो वह बोले, ”मैं पुलिस के ऐसे डिपार्टमेंट में हूं कि कोई तुम्हारी एफआईआर भी नहीं लिखेगा.’’ इतना ही नहीं, उन्होंने धमकी भी दी कि तुम्हारी फोटो फैमिली को भेज दूंगा.

विनीता और राहुल के बीच चल रहे इस लुकाछिपी के खेल में तब नया मोड़ आया, जब विनीता ने इस संबंध में राहुल की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव, जोकि लखनऊ विश्वविद्यालय के साइकोलौजी डिपार्टमेंट में प्रोफसर हैं, को जानकारी दी.

विनीता ने बताया कि राहुल उसे ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं. धोखे से उस का गर्भपात करा देने से अब उस के शरीर पर असर पड़ रहा है. इस पर मानिनी व राहुल के दोस्तों ने विनीता को राहुल के खिलाफ कोई शिकायत न करने के लिए कहा. शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी.

इन सभी आरोपियों ने उसे व उस के घर वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. इस से विनीता घबरा गई. विनीता के परिवार में उस के मम्मीपापा के अलावा उस का छोटा भाई है. यदि परिवार के लोगों को कुछ हो जाता है तो वह क्या करेगी? इस बात को  सोचसोच कर वह परेशान हो गई.

राहुल श्रीवास्तव अभी लखनऊ में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड यानी एटीएस में पोस्टेड हैं. उन के पास यूपी पुलिस के सोशल मीडिया के काम की भी जिम्मेदारी है.

गर्भपात से शरीर में असर पडऩे पर आखिरकार विनीता ने हिम्मत जुटाई. विनीता ने राहुल की पुलिस हैडक्वार्टर में शिकायत की. पुलिस हैडक्वार्टर से एफआईआर की जगह पहले डिपार्टमेंटल जांच कराई गई.

विनीता का कहना है कि उस ने जौइंट सीपी (कानूनव्यवस्था) उपेंद्र कुमार अग्रवाल को भी फोन कर मदद मांगी थी, जिस पर अधिकारी ने जांच की बात कही थी. विनीता एफआईआर के लिए इधर से उधर 2 महीने तक चक्कर काटती रही, लेकिन उसे हर तरफ से निराशा ही मिल रही थी.

पुलिस क्यों नहीं लिख रही थी रिपोर्ट

विनीता द्वारा राहुल के खिलाफ शिकायत किए जाने की जानकारी जैसे ही उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को हुई, तब उस ने व राहुल के दोस्त सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य ने मिल कर विनीता पर उस के द्वारा की गई शिकायतों को वापस लेने का दबाव बनाया.

मानिनी ने धमकाया कि उन का भाई आईएएस अफसर है, जबकि पति पुलिस में अफसर हैं. तुम्हारी एफआईआर नहीं लिखी जाएगी. तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा.

विनीता का कहना है कि इस संबंध में कंप्रोमाइज की बात कहते हुए उस के एक दोस्त के बैंक एकाउंट में कुछ धनराशि भी जमा करा दी. लेकिन उस ने इस धनराशि को लेने से साफ इंकार कर दिया. विनीता ने डीजीपी और स्पैशल डीजी से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई. तब अधिकारियों ने जांच के बाद काररवाई की बात कही.

पीडि़ता विनीता की शिकायत को एडीजी पद्मजा चौहान ने गंभीरता से लिया और 4 नवंबर, 2023 को पुलिस आयुक्त एस.बी. शिरोडकर को पत्र लिख कर विनीता को सुरक्षा देने को कहा था. इस के बाद उसे सुरक्षा मुहैया कराई गई.

19 दिसंबर, 2023 को महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन मुख्यालय की एसपी रवीना  त्यागी ने पत्र भेज कर 22 दिसंबर, 2023 को बयान के लिए विनीता के मम्मीपापा को बुलाया था. उन्होंने एसपी रवीना के पास अपने बयान दर्ज कराए. राहुल श्रीवास्तव को भी बयान के लिए तलब किया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए थे. इस की सारी जानकारी एडीजी ने अधिकारियों को बता दी.

विनीता के पापा ने कहा कि वह बेटी के साथ हैं. उन्होंने इस मामले में सीएम योगी से मिलने की बात भी कही. उन्होंने कहा, ”मैं राहुल श्रीवास्तव को नहीं जानता. अक्तूबर, 2023 में उन की पत्नी ने मुझे काल की थी. राहुल की पत्नी ने मुझ से कई बातें कहीं. मैं ने अपनी बेटी से इस बारे में पूछा. पहले तो वह कुछ बताने को तैयार नहीं थी. काफी समझाने पर रोने लगी. फिर उस ने राहुल की हरकत के बारे में बताया. कहा कि उसे धमकी दे कर डराया जा रहा है. मैं अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़ा हंू. उस की हर लड़ाई में साथ दंूगा.’’

एटीएस में तैनात एएसपी राहुल श्रीवास्तव पर यौन शोषण और जबरन गर्भपात का आरोप लगाने वाली पीडि़ता विनीता 2 महीने तक गोमती नगर विस्तार थाने, 1090 और अधिकारियों के चक्कर लगाती रही. हर बार अधिकारी जांच की बात कह कर उसे टालते रहे. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

विनीता ने कई महीने पहले 28 नवंबर, 2023 को शिकायत की थी. पुलिस अधिकारियों को रजिस्टर्ड पोस्ट से भी शिकायत भेजी. वीमेन पावर लाइन में तैनात एसपी रवीना त्यागी प्रकरण की जांच कर रही थीं. कुछ दिन पहले विनीता के बयान के कई वीडियो वायरल हुए. इस में उस ने आरोप लगाया था कि मामले में काररवाई नहीं हो रही है.

एक्स पर पोस्ट के बाद क्यों सक्रिय हुए अधिकारी

विनीता ने 25 दिसंबर, 2023 को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर सीएम योगी, डीजीपी समेत कई अफसरों से काररवाई की गुहार लगाई थी. इस के बाद 5 जनवरी, 2024 को विनीता ने एक्स पर पोस्ट की. इस में लिखा, ”मामले में काररवाई नहीं हो रही है. आखिर में कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा है. अगर अब मुझे कुछ होता है तो पुलिस जिम्मेदार होगी.’’

सोशल मीडिया पर इंसाफ पाने के लिए वह ट्वीट कर न्याय के लिए लगातार गुहार लगती रही. मामले को गले की फांस बनता देख आखिरकार पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट दर्ज करने का फरमान जारी कर दिया. 6 जनवरी, 2024 को लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन थाने में रेप, धमकी देने एवं महिला की सहमति के बिना अबार्शन कराने में भादंवि की धारा 376, 506 व 313 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हुई.

विनीता ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ के अलावा अन्य को भी अपनी जो शिकायत 28 नवंबर, 2023 को डाक से भेजी थी. इसी तहरीर के आधार पर 6 जनवरी, 2024 को एफआईआर थाना गोमती नगर विस्तार में राहुल श्रीवास्तव, मानिनी श्रीवास्तव, सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य के खिलाफ दर्ज की गई.

आरोपी को क्यों नहीं किया गया निलंबित

मुकदमे की काररवाई आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद ही हुई. जांच का जिम्मा महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की एसपी रवीना त्यागी के पास था.

लखनऊ के गोमती नगर विस्तार थाना के प्रभारी निरीक्षक सुधीर अवस्थी ने बताया कि एक युवती की शिकायत पर एएसपी व अन्य के खिलाफ संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है. एसएचओ ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और साक्ष्य मिलने पर काररवाई की जाएगी.

ब्लैकमेल और यौन शोषण की पीडिता विनीता ने अधिकारियों से मांग की है कि आरोपी एएसपी राहुल श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है. अब उसे तुरंत निलंबित किया जाए इस के साथ ही उस की पत्नी समेत सभी दोस्तों पर सख्त काररवाई की जाए.

विनीता ने दावा किया है कि उस के पास हर आरोप के साक्ष्य मौजूद हैं. उस के पास होटल्स में चेक-इन और चेक-आउट के समय बातचीत के कुछ स्क्रीनशौट भी हैं. राहुल देर रात तक काल पर बात करता था. स्नैपचैट पर अपनी प्राइवेट फोटो भेजता था.

महंगे गिफ्ट और ज्वैलरी दिया करता था. उन बिलों पर भी राहुल की ईमेल आईडी है. मेरे अबार्शन की मैडिकल रिपोर्ट पर चैकअप और टॢमनेशन की सारी डिटेल है.

फिलहाल राहुल कहां हैं? ये पुलिस को भी नहीं पता. जांच अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि हमें एएसपी राहुल श्रीवास्तव का एड्रेस नहीं पता है. मोबाइल नंबर भी नहीं है, इसलिए उन से संपर्क नहीं हो पा रहा है. पता चला कि 50 वर्षीय राहुल श्रीवास्तव का होम प्लेस यूपी का सोनभद्र है. इस समय वह छुट्टी पर हैं और अभी शहर से बाहर है.

7 जनवरी, 2024 को रविवार का अवकाश होने के कारण विनीता के कोर्ट में कलमबंद बयान नहीं हो सके, न ही मैडिकल कराया जा सका. अगले दिन पुलिस मैडिकल करा सकती है. इस के बाद कोर्ट में बयान कराएगी. तब आगे की काररवाई करेगी. केस के विवेचक ने मामले में साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं.

आरोपी क्यों बता रहे हैं बेकसूर

एएसपी राहुल श्रीवास्तव की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव का कहना है कि शिकायतकर्ता ने मेरे खिलाफ लखनऊ विश्वविद्यालय में अक्तूबर 2023 में एक फरजी शिकायत की थी. इस शिकायत में उस ने स्वयं मेरे पति राहुल श्रीवास्तव से किसी भी तरह के संबंध होने से नकारा था.

पिछले कई महीनों से मुझे व मेरी बेटियों पर एसिड अटैक करवाने व जान से मारने की धमकी दी जा रही है. मेरे परिवार को ब्लैकमेल किया जा रहा है. इस की शिकायत उस ने नवंबर, 2023 में पुलिस कमिश्नर से की थी. इस की जांच वीमेन पावर लाइन ने की, जिस में पूरे साक्ष्य दिए गए हैं. मानिनी भरोसा जताया है कि सच सामने आएगा.

उधर एक चैनल से एएसपी राहुल श्रीवास्तव ने बात की. उन्होंने बताया कि युवती की काउंसलिंग चल रही थी. वह मेरी पत्नी के पास काउंसलिंग के लिए आई थी. इस दौरान ही उस से मुलाकात हुई. वह मेरी बेटी के समान है. उस के द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं. अपने से उम्रदराज व्यक्ति पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है.

कोर्ट से मिली राहत, गिरफ्तारी पर रोक

विनीता की पढ़ाई में मदद के बहाने उस के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव और उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को 16 जनवरी, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के दौरान फिलहाल राहत मिल गई है.

लखनऊ बेंच में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में दोनों की गिरफ्तारी पर बुधवार तक के लिए रोक लगा दी थी. कोर्ट ने 17 जनवरी को दोबारा सुनवाई की तारीख निश्चित कर सरकारी वकील को याचियों के खिलाफ एकत्र किए गए साक्ष्य, अगर कोई हों, तो उन की जानकारी पेश करने को कहा था. साथ ही याचियों को भी मामले की तफ्तीश में सहयोग करने का आदेश दिया.

बताते चलें कि याचिका में इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती दे कर याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह कोर्ट से किया गया था. याचियों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. उधर, सरकारी वकील ने दायर की गई याचिका का विरोध किया था.

एक तरफ यूपी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा का दंभ भरती है. वहीं ऐसे दावों के बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर लगे आरोप महिला सुरक्षा को ले कर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

निंदनीय घटना है, पीडि़ता को मिले न्याय

विवेक श्रीवास्तव, एडवोकेट (आगरा)

Vivek Srivastava, Advocate

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि एक सीनियर पुलिस अधिकारी पर छात्रा के साथ रेप करने का आरोप बहुत चिंता का विषय है. कानून की रक्षा करने वाले ही जब भक्षक बन जाएं तब सामाजिक असंतुलन होना तय है. प्रशासन को इस विषय में आरोपी के विरूद्ध सख्त निर्णय लेना चाहिए.

यह विश्वास को भंग करने का अपराध है. समाज या परिवार जिन पर आंख मंूद कर विश्वास करता हो, वे जब इस विश्वास का अनुचित लाभ उठा कर किसी की अस्मत पर हाथ डालें तो उस की सजा उसे जरूर मिलनी चाहिए.

आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव को तुरंत सस्पेंड कर समाज के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए, ताकि वह आगे की काननूनी काररवाई में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न कर सके. इस के साथ ही एफआईआर के अन्य आरोपियों के पर भी प्रभावी काररवाई की जानी चाहिए. पीडि़ता को पुलिस प्रशासन की तरफ से उस की सुरक्षा का उचित प्रबंध भी करना चाहिए.

अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि नैतिकता और सामाजिक दृष्टिकोण से ऐसी घटना जिम्मेदार पुलिस अधिकारी द्वारा करना बहुत ही निंदनीय है. आरोपी पर धारा 376, 506, 313 के अंतर्गत कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है तथा धारा 506 के अंतर्गत भी 7 साल तक की सजा का प्रावधान भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दिया गया है.

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तब देश की बेटियां कहां जाएंगी? इस मामले में पीडिता को जल्द से जल्द न्याय मिले.

थाने का होगा घेराव

छात्रा विनीता को ब्लैकमेल कर यौन शोषण करने के मामले में राष्ट्रवादी जनसत्ता दल ने विरोध व्यक्त करते हुए एटीएस में तैनात एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है.

Rastravadi Jansatta Dal Je Mahasachiv Dr.BPS Tyagi

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी ने कहा कि विनीता नीले आकाश में अपने पंखों से ऊंची उड़ान भरना चाहती थी. उसे सहारे की जरूरत थी. लेकिन जिन हाथों ने उसे सहारा देने का भरोसा दिया, उन्हीं हाथों ने उस की अस्मत लूट ली. वह कटे पंखों के पङ्क्षरदे की तरह जमीन पर गिर कर तडफ़ड़ाने लगी.

दल के महासचिव ने कहा कि पहले पुलिस एफआईआर दर्ज करने में देरी करती रही. अब आरोपी की गिरफ्तारी में देर कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक घटना है. पढ़ाई में मदद के बहाने छात्रा का शारीरिक शोषण एक पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया. उस की तुरंंत गिरफ्तारी की मांग करते हुए उन्होंने कहा यदि गिरफ्तारी में देरी होगी तो उन का दल संबंधित थाने का घेराव करेगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में विनीता परिवर्तित नाम है

सुहागरात के बाद खुल कर नाची मौत – भाग 1

पुलिस अधिकारियों को बरामदे में ही 2 महिलाएं घायल पड़ी दिखाई दीं. पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक महिला उस की बहू डौली है तथा दूसरी रिश्तेदार सुषमा है. पुलिस अधिकारियों ने इन दोनों को इलाज हेतु सैफई अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारी आंगन में पहुंचे तो वहां 3 लाशें पड़ी थीं. इन की हत्या गला काट कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. आंगन में खून ही खून फैला था.

पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक लाश उस के छोटे बेटे अभिषेक उर्फ भुल्लन (20 वर्ष) की है, जबकि दूसरी लाश दामाद सौरभ (26 वर्ष) की है. तीसरी लाश बेटे के दोस्त दीपक (21 वर्ष) की है.

Bhullan (Mratak)               Sonu (Mratak)

     अभिषेक उर्फ भुल्लन                                 मृतक सोनू

लाश के पास ही खून सना फरसा पड़ा था. शायद उसी फरसे से उन का कत्ल किया गया था, इसलिए फरसे को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

एसपी विनोद कुमार सहयोगियों के साथ आंगन से जीने के रास्ते छत पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर वह चौंक गए. कमरे के अंदर सुभाष के बेटे सोनू व उस की नई नवेली दुलहन सोनी की लाश पड़ी थी. उन दोनों के हाथ की मेहंदी व पैरों की महावर अभी छूटी भी न थी कि उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया था. उन दोनों की हत्या भी गला काट कर ही की गई थी. सोनू की उम्र 23 साल के आसपास थी, जबकि सोनी की उम्र 20 वर्ष थी.

निरीक्षण करते हुए एसपी विनोद कुमार जब मकान के पिछवाड़े पहुंचे तो वहां एक और युवक की लाश पड़ी थी. पूछताछ से पता चला कि वह लाश सुभाष के बड़े बेटे शिववीर (Shivvir) की है.

पता चला कि शिववीर ने ही पूरे परिवार का कत्ल किया था, फिर पकड़े जाने के डर से खुदकुशी कर ली थी. शिववीर की उम्र 28 साल के आसपास थी.

शिववीर के शव के पास ही एक तमंचा पड़ा था. इसी तमंचे से गोली मार कर उस ने खुदकुशी की थी. पुलिस ने तमंचे को सुरक्षित कर लिया. पुलिस ने शिववीर की तलाशी ली तो उस की जेब से मिर्च स्प्रे तथा नींद की गोलियों के 2 खाली पत्ते मिले. पुलिस ने इसे भी सुरक्षित कर लिया.

इस के अलावा पुलिस ने कमरे से कुल्हाड़ी व फावड़ा भी कब्जे में लिया, जिस से शिववीर ने पत्नी, भाभी व पिता पर हमला किया था.  यह बात 24 जून, 2023 की है.

शिववीर ने घर के 5 जनों को क्यों काटा

यह वीभत्स घटना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) जिले के किशनी थाने के गांव गोकुलपुरा अरसारा में बीती रात घटित हुई थी. सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Murder Case) की खबर थाना किशनी पुलिस को मिली तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया.

पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो लिए. कुछ ही देर में एसएचओ अनिल कुमार, एसपी विनोद कुमार, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ चंद्रशेखर सिंह घटनास्थल पर आ गए.

सुभाष के दरवाजे पर अब तक भारी भीड़ जुट चुकी थी. ग्रामीणों की इतनी भीड़ देख कर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. उन्हें लगा कि असामाजिक तत्त्व भीड़ को गुमराह कर कहीं कोई बवाल खड़ा न कर दें. इसलिए उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगा कर गोकुलपुरा गांव में तैनात करा दी.

सामूहिक हत्याकांड (Mainpuri Mass Murder) की खबर सुन कर अब तक सुभाष यादव के घर पर रिश्तेदारों का जमावड़ा शुरू हो गया था. जब भी कोई खास रिश्तेदार आता, महिलाओं का करुण रुदन कलेजा चीरने लगता. माहौल उस समय तो बेहद गमगीन हो उठा, जब नईनवेली दुलहन मृतका सोनी के मम्मीपापा के साथ सैकड़ों लोग आ गए.

वेदराम व उन की पत्नी सुषमा बेटी दामाद का शव देख कर बिलख पड़े. उन का करुण रुदन इतना द्रवित कर देने वाला था कि वहां मौजूद शायद ही कोई ऐसा हो, जिस की आंखों में आंसू न आए हों. पुलिसकर्मी तक अपने आंसू न रोक सके.

Deepak (Mratak)                  Saurabh (Mratak)

मृतक दीपक                                              मृतक सौरभ

मृतक दीपक के मम्मीपापा भी फिरोजाबाद से आ गए थे. वह भी बेटे की लाश के पास सुबक रहे थे. प्रियंका भी पति सौरभ की लाश के पास बिलख रही थी. उस की मम्मी शारदा देवी उसे ढांढस बंधा रही थी. यह बात दीगर थी कि उन की आंखों से भी लगातार आंसू बह रहे थे. क्योंकि उन की आंखों के सामने ही बेटे, बहू और दामाद की लाश पड़ी थी.

पुलिस अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए किसी तरह समझाबुझा कर मृतकों के घर वालों को शवों से अलग किया, फिर पंचनामा भरवा कर मृतक सोनू, भुल्लन, दीपक, सौरभ, शिववीर तथा सोनी के शवों को पोस्टमार्टम के लिए मैनपुरी के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद एसपी विनोद कुमार ने घर के मुखिया सुभाष यादव से घटना के बारे में जानकारी जुटाई. सुभाष यादव ने बताया कि यह खूनी खेल उस के बड़े बेटे शिववीर ने ही खेला है. 22 जून को उस के मंझले बेटे सोनू की शादी थी. बारात गंगापुरा (इटावा) गई थी. 23 जून को दोपहर बाद बारात वापस आई. घर में बहू की मुंहदिखाई व अन्य रस्में पूरी हुईं. खूब गाना बजाना हुआ.

रात 12 बजे तक डीजे पर सब नाचतेझूमते रहे. शिववीर भी जश्न में शामिल रहा. लेकिन उस के मन में क्या चल रहा है, हम लोग भांप नहीं पाए. रात के अंतिम पहर में इस क्रूर हत्यारे ने हमला कर 5 जनों को काट कर मौत की नींद सुला दिया. शायद उस का इरादा सभी को खत्म करने का था, लेकिन पत्नी बेटी सहित वह बच गए.

Ghar Ke Mukhiya Se Puch-Tach Karte S.P. Vinod Kumar

घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत करते हुए एसपी विनोद कुमार

एसपी विनोद कुमार ने गोकुलपुरा अरसारा गांव में डेरा जमा लिया था. शवों के अंतिम संस्कार तक वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. देर शाम एडीजी राजीव कृष्ण व आईजी दीपक कुमार गोकुलपुरा पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण कर घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत की. उन्होंने एसपी विनोद कुमार से भी घटना से संबंधित जानकारी हासिल की तथा कुछ आवश्यक निर्देश दिए.

मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ 3 डाक्टरों के पैनल ने किया. वहां क्षेत्रीय विधायक बृजेश कठेरिया मृतकों के परिजनों के साथ रहे और उन्हे धैर्य बंधाते रहे.

पोस्टमार्टम के बाद शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. पुलिस व्यवस्था के साथ दीपक का शव फिरोजाबाद तथा सौरभ का शव उस के गांव चांद हविलिया (किशनी) भेज दिया गया. 3 बेटों सोनू, भुल्लन व शिववीर का दाह संस्कार सुभाष ने किया.

इधर वेदराम यादव अपनी बेटी सोनी का शव ले कर अपने गांव गंगापुरा पहुंचे तो माहौल बेहद गमगीन हो गया. लाडली बेटी का शव देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. हर आंख में आंसू थे.

दर्द इस बात का था कि जिस बेटी को पूरे गांव ने हंसी खुशी से ससुराल भेजा था, उस का कफन में लिपटा शव गांव आया था. पूर्व दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री रामसेवक यादव भी बेहद दुखी थे. क्योंकि लाडली बेटी सोनी उन के गांव व परिवार की थी. वेदराम को ढांढस बंधाते वह स्वयं भी रो रहे थे.

Ghatna Sthal Par Pahuchi Sansad Dimple Yadav

घटनास्थल पर पहुंची डिंपल यादव

सामूहिक नरसंहार से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई थी. चूंकि मामला यादव परिवार से जुड़ा था और डिंपल यादव भी मैनपुरी से सांसद हैं, इसलिए वह दूसरे रोज ही गोकुलपुरा गांव जा पहुंचीं.

पर्यटन राज्यमंत्री जयवीर सिंह ने भी सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Killing) पर गहरा दुख व्यक्त किया. शिववीर ने अपने सगे भाइयों की हत्या क्यों की? परिवार के प्रति उस के मन में ईष्र्या, द्वेष और नफरत की भावना क्यों पनपी? वह क्या हासिल करना चाहता था? यह सब जानने के लिए हमें उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि को समझना होगा.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 2

व्यापारी बन कर पहुंचा लियोनार्डो

लियोनार्डो इसी कौफी शौप में बैठ कर एंटवर्प डायमंड सेंटर और उस में आनेजाने वालों को देखा करता था. वह देखता कि लोग पूरे दिन बैग या जेब में हीरे ले कर आते हैं या ले कर जाते हैं. वह हर चीज को गौर से देखता और समझने की कोशिश करता.

लियोनार्डो उस कौफी शौप पर महीनों बैठ कर यह सब देखता और समझता रहा. दिन में ही नहीं, रात में जब डायमंड सेंटर बंद हो जाता, तब भी वह वहां जा कर उसी कौफी शौप में बैठ कर देखता कि रात में यहां कैसी हलचल रहती है. कई महीने उस ने सिर्फ इस डायमंड सेंटर पर नजर रखने में बिता दिए.

इतने दिन बीत जाने के बाद उसे लगा कि बिना इस डायमंड सेंटर के अंदर दाखिल हुए इस के बारे में जानना और चोरी करना संभव नहीं है. क्योंकि सेंटर के अंदर की कोई भी जानकारी उसे नहीं मिल पा रही थी. उसे लगा कि अब इस के अंदर जाना ही पड़ेगा.

उस ने पता किया कि इस के अंदर कैसे जाया जा सकता है? उसे पता चला कि इस के अंदर हीरा व्यापारी बन कर ही जाया जा सकता है और इस के लिए सेंटर में एक दुकान या औफिस लेना पड़ेगा.

डायमंड सेंटर के अंदर प्रवेश करने के लिए लियोनार्डो ने हीरा व्यापारी बन कर एक छोटा सा औफिस किराए पर ले लिया. अंदर जाने पर हीरा व्यापारी सेंटर में कहीं भी आ और जा सकते थे, लेकिन वे कैमरा या मोबाइल बिलकुल नहीं ले जा सकते थे. वे कोई फोटो वगैरह भी नहीं खींच सकते थे.

हीरा व्यापारी बन कर लियोनार्डो सेंटर के अंदर पहुंच गया. अंदर पहुंच कर उस ने आसपड़ोस के दुकानदारों, आनेजाने वाले लोगों तथा सिक्युरिटी वालों से बातचीत शुरू की. धीरेधीरे उस ने सब से ऐसा परिचय बना लिया कि लोग अब उस पर हर तरह का विश्वास करने लगे. अन्य लोगों से ही नहीं, उस ने सेंटर के मालिक तक से अच्छी जानपहचान कर ली.

इस का उसे यह फायदा मिला कि वह सेंटर में कहीं भी आताजाता, लोग उस पर ध्यान नहीं देते थे. यही वजह थी कि जमीन के अंदर बनी दोमंजिला इमारत में रखी तिजोरी को भी वह कई बार देख आया.

लेकिन देखने भर से लियोनार्डो का काम नहीं होने वाला था. उसे तो वह पूरी जानकारी चाहिए थी कि तिजोरी तक कैसे पहुंचा सकता है, उसे खोला कैसे जा सकता है, माल ले कर निकला कैसे जा सकता है. इस के लिए वहां का नक्शा होना बहुत जरूरी था, लेकिन न तो अंदर कैमरा ले जाया सकता था और न मोबाइल फोन. यह बात उसे पहले से ही पता थी.

पेनकैम से हुआ काम आसान

लियोनार्डो ने इस के लिए भी पहले से ही सोच लिया था कि इस के लिए उसे क्या करना है. इसीलिए जब से वह सेंटर के अंदर जाने लगा था, अपनी योजना के अनुसार ऐसी शर्ट पहन कर जाता था, जिस में ऊपर जेब होती थी और उस जेब में एक पेन लगा होता था. कैमरा अंदर ले जाना मना था, इस के लिए उस ने हाईरेजुलेशन का एक पेनकैम खरीदा.

चूंकि वह रोजाना उसी ड्रेस में जेब में पेन लगा कर जाता था, इसलिए जब वह पेनकैम लगा कर सेंटर के अंदर जाने लगा तो न तो किसी ने उस की चैकिंग की और न उस पेनकैम के बारे में पूछा. कोई चौंका भी नहीं, क्योंकि वह रोजाना उसी वेशभूषा में आताजाता था. वह आराम से पेनकैम के साथ सेंटर में प्रवेश कर गया. अब वह रोजाना पेनकैम जेब में लगा कर सेंटर में आनेजाने लगा.

उस ने सेंटर में घूमघूम कर फोटो लेने शुरू कर दिए. वह वीडियो भी रिकौर्ड कर लेता था. धीरेधीरे वह वाल्ट यानी तिजोरी की ओर भी जाने लगा. उस ने वाल्ट के ही नहीं, वाल्ट के कोड तक की फोटो और वीडियो बना ली.

अब बचा मुख्य दरवाजा, जिस के कोड का न फोटो लेना आसान था और न ही वीडियो बनाना. मुख्य गेट का कोड चीफ सिक्युरिटी अफसर के पास होता था. सुबह वही दरवाजा खोलता था और शौप को बंद भी वही करता था.

वह इस तरह कोड डालता था कि कहीं भी खड़े हो कर उस का न तो फोटो लिया जा सकता था और न ही वीडियो बनाई जा सकती थी. लियोनार्डो ने मुख्य दरवाजे का कोड पता करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई जुगाड़ सेट नहीं हो रहा था. उसे न काटा जा सकता था और न तोड़ा जा सकता था.

आखिर एक दिन लियोनार्डो को एक ऐसी जगह मिल गई, जहां पेनकैम लगाने पर मुख्य दरवाजे का कोड रिकौर्ड किया जा सकता था. वह जगह उसी गेट के सामने ऊपर बनी एक दोछत्ती थी.

मौका मिलते ही यानी रात को जब सभी चले गए तो लियोनार्डो ने अपना पेनकैम उस जगह फिक्स कर दिया. अगले दिन उस ने आ कर देखा तो उस पेनकैम में कोड रिकौर्ड हो चुका था. अब उस के पास सब कुछ आ चुका था, यानी उसे सेंटर की एकएक चीज की जानकारी हो चुकी थी.

योजना में 4 अन्य लोगों को किया शामिल

लेकिन यह सारा काम वह अकेले नहीं कर सकता था. इस के लिए उसे कुछ साथियों की जरूरत थी. उस ने साथियों की तलाश शुरू की. आखिर उसे इस तरह के 4 लोग मिल गए, जो अपनेअपने क्षेत्र के माहिर थे. पहले उस ने उन चारों लोगों को अपनी पूरी योजना बताई.

पूरी योजना जान कर वे उस का साथ देने को तैयार हो गए. मजे की बात यह थी कि लियोनार्डो ने इन चारों के अलगअलग कोड नाम रखे थे. वे नाम थे स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस, किंग औफ कीज. यह सभी अलगअलग कामों के एक्सपर्ट थे. इन में कोई इलैक्ट्रिक के काम में माहिर था तो कोई चाबी बनाने का एक्सपर्ट था तो कोई पूरे अलार्म सिस्टम का जानकार. इन में एक सेंसर को खराब करने वाला भी था.

लियोनार्डो ने खूब सोचसमझ कर साथी चुने थे. उस ने इन चारों से कहा था कि अगर हम कामयाब हो गए तो हो सकता है यह दुनिया की सब से बड़ी चोरी हो. जिस के बाद हमारी 7 पीढिय़ां बैठ कर खाएंगी.

इस तरह लियोनार्डो को मिला कर कुल 5 लोग हो गए. अब इन्हें एक स्थानीय आदमी की जरूरत थी, जिस का तिजोरी का काम हो. जल्दी ही इन्हें एक लालची आदमी मिल गया. लेकिन इन्होंने उसे यह नहीं बताया था कि यह काम करना कब है.

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चोरों ने सेंसर सिस्टम कैसे किया फेल

इस के बाद उन्होंने उस तिजोरी वाले को सेंटर की तिजोरी के फोटो दिखा कर एक गोडाउन के अंदर हूबहू वैसी ही तिजोरी तैयार कराई, जैसी सेंटर के अंदर रखी थी. उस में उसी तरह कोड नंबर लगाए गए. लियोनार्डो ने देखा तो वह तिजोरी हूबहू वैसी ही थी, जैसी डायमंड सेंटर में रखी थी.

इस के बाद उसी तरह सेंसर और अलार्म भी फिट किए गए, जैसे सेंटर में थे. इस के बाद लियोनार्डो ने अपने उन चारों महारथियों से कहा कि अब वे अपना अपना खेल दिखाएं. इस तरह पूरी तैयारी हो गई. उस दिन तारीख थी 15 फरवरी, 2003. लियोनार्डो ने एक कार ली और उस कार को डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर खड़ी कर के उस में खुद बैठ गया. जबकि उस के चारों साथियों स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस और किंग औफ कीज को डायमंड सेंटर में चोरी के लिए दाखिल होना था.

इन लोगों ने अपना चेहरा छिपाने के लिए चेहरे पर मुखौटा लगा लिया था. कहीं अंगुलियों के निशान न आने पाएं, इस के लिए दस्ताने पहन लिए थे.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 2

कपल कार ले कर क्यों हुआ फरार

ऐसे में गोवा पुलिस भी इन दोनों मामलों को एकदूसरे से जोड़ कर देखने लगी थी और पुलिस ने फौरन कार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया.

जांच में पता चला कि कार उस समय महाराष्ट्र के नवी मुंबई से मुंबई की तरफ दौड़ रही थी. एक बार फिर गोवा पुलिस ने कत्ल के एकदूसरे मामले में मुस्तैदी की वैसी ही मिसाल पेश की थी. इस बार गोवा पुलिस ने एक अमीर कारोबारी के कत्ल के सिलसिले में गोवा से करीब 470 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पेण इलाके से 2 संदिग्ध कातिलों को धर दबोचने में सफलता प्राप्त की.

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जब गोवा पुलिस ने नवी मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें उस संदिग्ध कार की जानकारी दी, जिस में संदिग्ध कातिल फरार हुए, उन का लोकेशन भी बताई. उस के तुरंत बाद नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 की टीम ने कार को ट्रैक करना शुरू कर दिया और आखिरकार उसे महाराष्ट्र के ही रायगढ़ जिले के अतर्गत पेण इलाके से कार में बैठे लोगों को हिरासत में ले लिया.

गोवा पुलिस की शिकायत के मुताबिक नवी मुंबई पुलिस को कार में एक संदिग्ध जोड़ा मिला, जिन्हें पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया. वैसे तो इस जोड़े के साथ कार में एक और शख्स भी था, जो उन के साथ गोवा गया था, लेकिन वह पहले ही वहां से भाग निकला था.

इस के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला. मुंबई पुलिस दोनों से कार ले कर भागने की वजह जानने के साथसाथ नरोत्तम सिंह ढिल्लों के मर्डर के एंगल से भी पूछताछ करने लगी.

पहले तो काफी देर तक दोनों ने कत्ल वाली बात से इंकार किया, लेकिन जब उन की तलाशी में मृतक ढिल्लों के पास से लूटे गए गहने बरामद हो गए तो सारा मामला साफ हो गया था.

पकड़े गए जोड़े की हुई पहचान

नवी मुंबई पुलिस द्वारा पकड़े गए जोड़े की पहचान 32 वर्षीय जितेंद्र साहू और उस की 22 वर्षीय प्रेमिका नीतू शंकर राहुजा के तौर पर हुई, लेकिन दोनों से शुरू हुई पूछताछ के बाद एक कहानी जो निकल कर सामने आई, उस ने नवी मुंबई पुलिस से ले कर गोवा पुलिस तक का दिमाग ही घुमा दिया था. इस कातिल जोड़े के अनुसार कि इस कत्ल के पीछे सिर्फ लूटपाट की वजह नहीं, बल्कि धोखे और बदतमीजी की कहानी छिपी थी.

कपल ने पुलिस को बताया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों से उन की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी. ढिल्लों ने उन्हें अपना परिचय देते हुए गोवा में पार्टी करने के लिए और मिलने के लिए बुलवाया था. मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली यह जोड़ी नरोत्तम सिंह ढिल्लों के बुलावे पर गोवा में उन के विला होरीजंस अजर्ड पर पार्टी करने पहुंची थी.

दोनों ने पुलिस को बताया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को पार्टी के बाद नरोत्तम सिंह ढिल्लों अपनी मेहमान लड़की से बदतमीजी पर उतर आए थे. उस के बाद जब कपल ने उन का विरोध किया तो ढिल्लों अपने रसूख का हवाला दे कर डराने धमकाने पर उतर आए थे.

बस ठीक उस के बाद गुस्से में उन की ढिल्लों से लड़ाई हो गई और इसी लड़ाई के दौरान अपना बचाव करते हुए उन के हाथों नरोत्तम सिंह ढिल्लों का अनजाने में मर्डर हो गया था. पोस्टमार्टम जांच में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था.

उधर नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया, ”गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया है कि ढिल्लों ने आरोपी महिला का यौन उत्पीडऩ किया था, इसलिए हम दोनों आरोपियों के फोटो उजागर करने में असमर्थ हैं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने दावा किया है कि युवती के साथ यौन उत्पीडऩ करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने नरोत्तम सिंह ढिल्लों का गला घोंट दिया था. फिर उन्होंने उन की सोने की चेन, सोने का कड़ा और मोबाइल लूट लिया. उस के बाद एक किराए की एसयूवी में मुंबई की ओर भाग गए. वे इस बात से अनजान थे कि कार में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है.’’

पुलिस को कई सवालों के जवाबों की थी तलाश

दोनों आरोपी कत्ल करने के बावजूद मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर ही बदतमीजी करने और यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा रहे थे. जाहिर सी बात है कि एक सवाल यह भी था कि अगर वाकई गुस्से में आ कर ही ढिल्लों को जान ली तो फिर कत्ल के बाद उन्होंने ढिल्लों के जेवर और मोबाइल फोन जैसी कीमती चीजें क्यों लूट ली थीं?

गोवा पुलिस असल बात की तह तक पहुंचना चाहती थी कि कहीं कत्ल का मकसद केवल लूटपाट करना ही तो नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे लूटपाट के अपने मकसद को छिपाने के लिए ढिल्लों के उत्पीडऩ या छेड़छाड़ वाली काल्पनिक कहानी सुना रहे हैं. गोवा पुलिस ने अब दोनों से इसी संबंध में अलगअलग विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया था.

गोवा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों की रहस्यमयी हत्या के आरोप में गिरफ्तार भोपाल का 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू ही इस मामले का मास्टरमाइंड निकला. गोवा पुलिस के अनुसार जितेंद्र साहू पूर्व में नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मैनेजर भी रह चुका था.

जितेंद्र साहू को इस बात का पता था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार से दूर अकेले रह कर गोवा में शाही जिंदगी जीते हैं. गोवा में उन के नाम पर विलाज और होटल भी हैं. जितेंद्र विला को हड़पना चाहता था और ढिल्लों से करोड़ों रुपए हड़पना चाहता था, इसलिए उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को हनीट्रैप के जाल में फंसाने की एक फुलपू्रफ योजना बनाई थी.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 1

सब कुछ तैयार हो गया था. सभी ने कई कई बार एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre) की रेकी भी कर ली. यह सब करने में लियोनार्डो (Leonardo) को 3 साल लग गए. इस बीच लियोनार्डो ने कहीं कुछ नहीं किया था. केवल चोरी करने के तरीके पर इन्वेस्ट किया था और चोरी की तैयारी की थी. सारी तैयारी पूरी हो गई थी. अब बाकी था, दुनिया की सब से बड़ी डायमंड की चोरी करना.

इस सेंटर में जो सिक्युरिटी गार्ड थे, वे यहूदी थे. वे सभी शाम के समय अपनी धार्मिक प्रार्थना करते थे. यह उन की धार्मिक प्रार्थना थी. इस के अलावा शनिवार और रविवार को यहां गार्ड कम होते थे. इस की वजह यह थी कि डायमंड सेंटर का सिक्युरिटी सिस्टम इतना मजबूत था कि किसी को जरा भी भ्रम नहीं था कि यहां कभी चोरी भी हो सकती है. इसलिए सभी बेफिक्र रहते थे.

इसी का लाभ उठाते हुए लियोनार्डो ने शनिवार का दिन चुना और समय वो चुना, जब सेंटर के गार्ड प्रार्थना करते थे.

यह एक ऐसे चोर की कहानी है, जिस ने सदी की सब से बड़ी हीरे और गोल्ड की चोरी की थी, वह भी फुलप्रूफ योजना बना कर. यह एक ऐसा चोर था, जिस की बात ही कुछ अलग थी. इटली (Italy) का रहने वाला यह चोर जब बच्चा था, यानी मुश्किल से 4 साल का रहा होगा, तभी एक दुकान में कुछ सामान लेने गया था. संयोग से उस समय दुकानदार को नींद आ गई थी.

इसी उम्र में इस ने दुकान का पूरा गल्ला साफ कर दिया था. लौट कर वह घर आया तो मां ने डांटा, पर मां की इस डांट का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. स्कूल पहुंचा तो साथियों के पैसे चुराने लगा और कालेज में गया तो टीचरों की जेबें खाली करने लगा. इस की वजह यह थी कि उसे चोरी करने में मजा आता था यानी उसे चोरी करने की लत लग गई थी.

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सदी की सबसे बड़ी चोरी करने वाला चोर लियोनार्डो

एक दिन वह एक ज्वैलरी की दुकान के सामने से गुजर रहा था तो दुकान में सजे गहनों को देख कर उस का जी ललचा उठा. उसे लगा कि ये रुपए पैसे की चोरी बेकार की चीज है. इस में कुछ नहीं रखा. अगर चोरी ही करनी है तो गहनों की चोरी की जाए, जिस में माल हाथ लगा तो एक ही बार में मोटी कमाई हो जाएगी. इस के बाद वह इटली के अलगअलग शहरों में जाने लगा. वहां जा कर वह सब से पहले शहर की अच्छी से अच्छी दुकान की तलाश करता. फिर दुकान के पास किसी गेस्टहाउस में ठहर जाता.

2-4 दिन बाहर से रेकी करने के बाद ग्राहक बन कर उस ज्वैलरी की दुकान में जाता और एकएक चीज को गौर से देखता. अपनी नजरों से सब कुछ भांप लेता और मौका देख कर रात को उस दुकान का माल साफ कर देता. माल हाथ लगते ही वह रात को ही उस शहर को छोड़ देता था.

वह कभी एक शहर में नहीं टिकता था. चोरी का माल भी वह इधरउधर यानी हर जगह नहीं बेचता था. उस के 2-3 बहुत खास दुकानदार थे. वह चोरी चाहे जिस शहर में करता, चोरी का माल ला कर उन्हीं के पास बेचता था. क्योंकि उसे पता था कि चोरी कर के तो बचा जा सकता है, पर माल पकड़ा गया तो बचना मुश्किल है. इसलिए चोरी का माल बेचने में बहुत सावधानी बरतता था.

धीरेधीरे वह इस खेल में माहिर होता गया. इसी तरह चोरी करते करते उसे पता चला कि बेल्जियम में हीरों का अरबों खरबों का कारोबार होता है. वहां एक बहुत बड़ा डायमंड सेंटर है, जिस में रोजाना अरबों रुपए के तराशे, बगैर तराशे, बिना कटिंग किए हीरे लाए जाते हैं और बेचे जाते हैं.

उसे लगा कि छोटीमोटी चोरी के लिए यहांवहां बेकार ही भटकता फिरता है, क्यों न वहां जा कर बड़ा हाथ मारा जाए, जिस से एक ही बार चोरी कर के आराम की जिंदगी बिताई जाए. उस ने सोचा, चलो बेल्जियम चलते हैं, जहां एक बार माल हाथ लग गया तो जिंदगी सुधर जाएगी.

बस, फिर क्या था, वह बेल्जियम पहुंच गया. बेल्जियम जाने वाले इस चोर का नाम था लियोनार्डो नोटारबार्टोलो. यह इटली का रहने वाला था. दुनिया की सब से बड़ी चोरी करने के लिए वह बेल्जियम जा पहुंचा. यह 1998-1999 की बात है. चोरी से खूब पैसे कमाए थे, जो उस के पास थे. इसलिए खर्च की उसे कोई चिंता ही नहीं थी.

सेंटर से होता था हीरों का आयातनिर्यात

बेल्जियम (Belgium) का सब से बड़ा डायमंड सेंटर है एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre). यह एक बहुत बड़ी इमारत है, जो बहुत ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके में है. यहां हीरों का बहुत बड़ा कारोबार होता था. हीरों का आयातनिर्यात का यह बहुत बड़ा सेंटर था. इसलिए पूरी दुनिया से यहां लोग हीरे बेचने और खरीदने आते थे. इन में खरीदने वाले और बेचने वाले भी होते थे.

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एंटवर्प डायमंड सेंटर

पूरे दिन इस इमारत में कारोबार होता था और जब रात को यह इमारत बंद होती थी तो सारे हीरे और गोल्ड इसी इमारत में बने 2 मंजिले तहखाने में बनी अतिसुरक्षित तिजोरी के लौकरों में रख दिए जाते थे. इस इमारत की खासियत यह है कि यहां इंसान के शरीर के टेंपरेचर (तापमान) से भी अलार्म बजने लगते.

जहां सारे हीरे और गोल्ड रखा जाता था, उस के सामने एक बहुत मोटा और भारी स्टील का दरवाजा था. कहा जाता है कि इस दरवाजे को इस तरह बनाया गया था कि पहली बात तो कोई यहां तक पहुंच ही नहीं सकता. अगर किसी तरह कोई यहां तक पहुंच भी जाए और इस दरवाजे को ड्रिल मशीन से काटने लगे तो इसे काटने में पूरे 8 घंटे लगेंगे. यह दरवाजा चाबी से नहीं खुलता. इस में कोड नंबर है 1 से ले कर 99 तक, जो समयसमय पर बदलता रहता है. अगर यह दरवाजा किसी तरह खुल भी जाए तो अंदर एक और दरवाजा था, जिस की चाबी करीब एक फुट की थी.

इस के अंदर जाने पर कैमरे हैं, सेंसर और अलार्म थे. यही नहीं, इस के अलावा बंदूकधारी सिक्युरिटी गार्ड भी. जहां इतनी सख्त सिक्युरिटी हो, भला वहां कोई चोर तिजोरी तक कैसे पहुंच सकता है.

इस सब के अलावा इस सेंटर के अंदर जाने वाला कोई भी व्यक्ति, भले ही इस सेंटर के अंदर उस की दुकान ही क्यों न हो, वह फोन या कैमरा कतई नहीं ले सकता. इस की वजह यह है कि लोगों को डर था कि कहीं कोई तिजोरी तक जाने के रास्ते की फोटो न खींच ले.

इतनी सख्त सिक्युरिटी के बाद भी लियोनार्डो वहां चोरी करने पहुंच गया था. उस ने धीरेधीरे वहां के लोगों से घुलमिल कर इस डायमंड सेंटर की जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी. एंटवर्प डायमंड सेंटर के ठीक सामने एक कौफी शौप था, जिस के अंदर बैठ कर वह इस डायमंड सेंटर को ही नहीं, उस के अंदर आनेजाने वालों को भी आराम से देख सकता था.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 1

विला के अंदर नरोत्तम सिंह ढिल्लों की लाश उन के बिस्तर पर पड़ी थी, चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. उन के कपड़े भी अस्तव्यस्त नजर आ रहे थे और लाश पर कुछ चोटों के निशान भी मौजूद थे. देखने से साफ साफ लग रहा था कि ढिल्लों की मौत कोई सामान्य मौत नहीं है, बल्कि मौत से पहले उन के साथ मारपीट और ज्यादती की गई थी.

पुलिस ने लाश का जब बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मोबाइल फोन और उन के सोने के जेवर भी नदारद थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों आमतौर पर सोने का कड़ा, सोने की चेन और सोने की बेशकीमती कई अंगूठियां पहनते थे, लेकिन हत्यारों ने हत्या करने के साथसाथ उन से लूटपाट भी की थी.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई और शिरोमणी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के भतीजे थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब मुक्तसर के बादल गांव के मूल निवासी थे.

उत्तरी गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका गोवा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. वैसे तो पूरा का पूरा गोवा ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका अपने हाईप्रोफाइल विलाज और अपनी शानदार हौस्पिटैलिटी के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है.

रविवार दिनांक 4 फरवरी को सुबह लगभग साढ़े 7 बजे इसी पिलेर्ने मार्रा इलाके से सुबहसुबह गोवा के पारवोरिम थाने में पुलिस को सूचना मिली कि यहां होरीजंस अजर्ड विला में एक शख्स की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मरने वाला विला का मालिक है, नरोत्तम सिंह ढिल्लों हैं.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह उर्फ निम्स ढिल्लों की गिनती इलाके के रईसों में होती थी, जो इस पिलेर्ने मार्रा इलाके में सिर्फ एक नहीं, बल्कि 3-3 आलीशान विलाज के मालिक थे. इन में एक विला का इस्तेमाल वह खुद करते थे, जबकि बाकी के 2 विलाज को उन्होंने गेस्टहाउस बना रखा था.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों की इस के अतिरिक्त एक और भी विशिष्ट पहचान थी, वह यह थी कि वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई थे. अब इतने अमीर और प्रभावशाली कारोबारी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत की खबर अपने आप में काफी गंभीर बात थी. लिहाजा यह खबर मिलते ही पोखोरिम थाने के एसएचओ राहुल परब ने इस की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

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एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन

अगले ही पल एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन और पारवोरिम थाने के इंसपेक्टर राहुल परब अपनी पुलिस टीम के साथ आननफानन में ढिल्लों के विला में पहुंच गए.

अब तक घटनास्थल पर पुलिस के अलावा फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी पहुंच चुके थे. कत्ल की खबर वाकई एकदम सही थी.

विला में पहुंची पुलिस, पुलिस के खोजी कुत्ते और फोरैंसिक टीम ने अपनेअपने स्तर पर अज्ञात कातिलों के बारे में सुराग इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन इस शुरुआती कोशिश में कत्ल के पीछे का मोटिव लूटपाट का ही नजर आया.

 क्यों किया गया नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मर्डर

यह भी एक अजीब सा इत्तेफाक था कि लाश मिलने और नरोत्तम सिंह की कत्ल की जांच करने से अलग उत्तरी गोवा के ही पारवोरिम पुलिस स्टेशन में बीती रात यानी कि 3 फरवरी, 2024 की रात को एक और शिकायत मिली थी. ये दूसरी शिकायत ‘रेंट ए कार’ के तहत अपनी कार किराए पर देने वाले एक शख्स ने पुलिस से की थी.

उस ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक दिन पहले एक कपल ने उस से एक कार किराए पर ली थी. रेंट ए कार के तहत ग्राहक कार ले कर स्टेट से यानी गोवा से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना था कि कार ले कर जाने वाले लोग न सिर्फ सिर्फ गोवा से बाहर मुंबई की तरफ जा रहे हैं, बल्कि बारबार फोन करने पर भी वे लोग उस का फोन नहीं उठा रहे हैं.

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होरीजंस अजर्ड’ विला

पुलिस नरोत्तम सिंह ढिल्लों हत्याकांड की जांच बड़ी सूक्ष्मता और बारीकी से कर रही थी, लेकिन इस बीच ‘होरीजंस अजर्ड’ विला की छानबीन करतेकरते पुलिस की नजर एक सीसीटीवी फुटेज पर पड़ गई, जोकि एक पास की दूसरी बिल्डिंग के कैमरे में कैद हो गई थी.

इस फुटेज की जब गोवा पुलिस ने गहनता से जांचपड़ताल की तो पाया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को तकरीबन साढ़े 3 बजे मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड विला से एक कार रवाना हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन करने पर गोवा पुलिस को यह बात भी पता चली कि एक नौजवान कपल 3 फरवरी, 2024 की रात को उन के निजी विला पर पार्टी के लिए पहुंचा था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों और उन के उन मेहमानों ने रात को करीब 2 बजे डिनर लिया था यानी कि कत्ल से पहले वाली रात को मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों कुछ लोगों को होस्ट कर रहे थे और उन की मेहमानवाजी में लगे थे.

जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थिति में पुलिस का शक अब उन मेहमानों पर ही जा टिका था, जो नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड में बीती रात को पार्टी करने पहुंचे थे. अभी पुलिस उन लोगों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर ही रही थी, तभी पुलिस को एक विशेष बात पता चली कि बीती रात उन के घर निकलने वाले लोगों ने मेनगेट का नहीं, बल्कि एक खिड़की का सहारा लिया था.

Khidki jaha se qatil bhage the

असल में ‘होरीजंस अजर्ड’ विला के कर्मचारियों को 4 फरवरी, 2024 की सुबह वह खिड़की खुली हुई मिली, जबकि वह आमतौर पर बंद ही रहती थी, जबकि मेनगेट बंद था. इस तरह अब तक की सारी तफ्तीश नरोत्तम सिंह ढिल्लों के अनजान मेहमानों पर पूरी तरह से टिक चुकी थी, लेकिन वो मेहमान कौन थे, कहां से आए थे, कहां गए, उन की पहचान आखिर क्या थी, ये अभी तक राज बना हुआ था.

इन दोनों ही मामलों में कुछ अजीब से इत्तफाक भी थे. अव्वल तो कार ले कर भागने वाला भी एक कपल था और नरोत्तम सिंह ढिल्लों के कत्ल में भी कपल के हाथ होने का शक था. कार की चोरी भी तकरीबन उसी दौरान हुई थी, जिस दौरान ढिल्लों की हत्या हुई थी, सब से बड़ी और खास बात तो यह थी कि दोनों ही मामले गोवा के पारवोरिम थाना इलाके में हुए थे.