
कोतवाल सिंह ने सेठपाल से उस के पूरे परिवार के सदस्यों के बारे में पूछताछ की. सेठपाल की बातें सुन कर श्री सिंह भी चौंक पड़े, क्योंकि 6 फरवरी की रात से ही कुलवीर के लापता होने की बात बताई गई थी. उन्हें इस के पीछे दाल में काला होने का शक हुआ.
यानी वह समझ गए कि इस मामले में परिवार या पासपड़ोस का ही कोई न कोई शामिल हो सकता है. यह भी सवाल था कि कुलवीर ने ही सब को बेहोश कर दिया हो और खुद भी घर से फरार हो गया हो? लेकिन यह जांच का विषय था कि उस ने आखिर ऐसा क्यों किया होगा? घर में गहने या रुपएपैसे सहीसलामत थे.
उसी तरीख से कुलवीर का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. श्री सिंह ने मामले की जांच करने के लिए एसएसआई अंकुर शर्मा को सेठपाल के साथ उस के गांव भेज दिया.
अंकुर शर्मा ने ढाढेकी ढाणा पहुंच कर सेठपाल के सभी परिजनों से उस की बेहोशी की हालत के बारे में गहन तहकीकात की. इस बाबत पड़ोसियों से भी बात की. इस की सिलसिलेवार जानकारी उन्होंने कोतवाल अमरजीत सिंह को दे दी.
श्री सिंह शर्मा की रिपोर्ट पढ़ कर इस निर्णय पर पहुंचे कि कुलवीर ही अपने घर वालों को बेहोश कर फरार हो गया होगा. सेठपाल की तहरीर पर कुलवीर की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद मामले की विवेचना महिला थानेदार एकता ममगई को सौंप दी गई.
नहीं मिला ठोस सुराग
इस की सूचना सीओ मनोज ठाकुर और एसपी (देहात) स्वप्न किशोर को भी दे दी गई. उन से आगे की जांच और काररवाई के निर्देश के बाद विवेचक एकता ममगई ने कुलवीर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. जांच शुरू तो हो गई थी, कुलवीर की सरगरमी से तलाश हो रही थी. लेकिन कुलवीर के बारे में कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी थी. जबकि उस की फोटो के साथ आसपास के क्षेत्रों में पैंफ्लेट चिपका दिए गए थे.
कुलवीर के कुछ दोस्तों और घर वालों से भी उस के बारे में और उस की आदतों को ले कर पूछताछ की गई थी. यह सब करते हुए 3 सप्ताह से अधिक का समय निकल गया था. पुलिस को कुलवीर के बारे में कोई भी सटीक जानकारी नहीं मिल पाई थी.
अब बारी थी परिवार के सभी सदस्य और गांव के दूसरे लोगों से बारीबारी पूछताछ की. इस पर जब गहनता से काम किया जाने लगा किसी ने दबी जुबान में बताया कि उस की नाबालिग बहन गीता का पड़ोसी राहुल के साथ प्रेम संबंध है.
पुलिस ने गीता से की पूछताछ
इस सूचना के बाद देरी किए बगैर गीता से पूछताछ करने के लिए उसे थाने बुलाया गया. पहले तो गीता ने पुलिस को झूठी बातों में उलझाने की कोशिश की. उस ने बताया था कि कुलवीर पिता सेठपाल से नाराज हो कर घर से चला गया है. लेकिन वह नाराजगी की कोई ठोस वजह नहीं बता पाई.
इस के बाद जब अमरजीत सिंह ने गीता से उस के पड़ोसी शादीशुदा राहुल से चल रहे प्रेम संबंधों के बारे में पूछा तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. थाने में महिला सिपाही की सख्ती के सामने वह अधिक समय तक नहीं टिक पाई.
12 मार्च, 2023 को गीता ने स्वीकार कर लिया कि उसे कुलवीर पीटता रहा है, क्योंकि वह राहुल से प्यार करती है. उस ने उसे राहुल से दूर रहने की सख्त हिदायत दी थी. भाई की धमकी सुन कर वह डर गई थी. उस ने औनर किलिंग के बारे में काफी कुछ सुन रखा था कि कैसे मांबाप, भाई और रिश्तेदार अपनी प्रतिष्ठा की खातिर प्रेमी प्रेमिका को मौत के घाट उतार देते हैं.
इस बारे में उस ने राहुल को बताया, जिस से राहुल भी कुलवीर के खिलाफ आग उगलने लगा. और फिर उस ने गीता के साथ मिल कर एक योजना बनाई. इस से पहले कुलवीर गीता के खिलाफ कोई गंभीर कदम उठाए, उस से पहले क्यों न वही कुलवीर को ही निपटा दे.
इस योजना में उस ने अपने दोस्त कृष्णा को भी 40 हजार रुपए का लालच दे कर शामिल कर लिया. इस योजना को उन्होंने 6 फरवरी, 2023 की रात को अंजाम भी दे दिया.
आशिकी में निपटाया बहन ने भाई को
रात को 11 बजे राहुल ने सेठपाल के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक दी थी. गीता ने तुरंत दरवाजा खोल दिया था. उस के साथ एक लड़का कृष्णा भी था. राहुल जब उसे ले कर घर में घुसा, तब बाहर के कमरे में कुलवीर को खाट पर गहरी नींद में सोया पाया.
गीता धीमे से राहुल से बोली, “इसे जल्दी निपटाओ.’’
इस के बाद गीता ने अपने भाई कुलवीर के हाथ पकड़ लिए, जबकि कृष्णा ने कुलवीर के पैर. उस के बाद राहुल ने दोनों हाथों से कुलवीर का गला घोंट दिया.
कुलवीर का शरीर कुछ समय में ही बेजान हो गया. राहुल और कृष्णा ने उस की लाश को एक चादर में बांध लिया. उसे कृष्णा अपने घर में ले आ आया. कृष्णा अपने घर में एक गड्ढा पहले से ही खोद कर रखा था. उस ने कुलवीर की लाश उसी में दबा दी. दूसरी ओर गीता ने कुलवीर का मोबाइल फोन स्विच औफ कर पास के तालाब में फेंक दिया और खुद नींद की गोलियां खा कर घर में ही सो गई.
पुलिस ने गीता से मिली जानकारी के बाद राहुल से भी उसी दिन पूछताछ की. इस के लिए उसे थाने बुलाया. उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया गया. इस से भी बात नहीं बनी तब पुलिस सेवा की धमकी दी गई. इस धमकी से वह टूट गया और उस ने न केवल गीता के साथ अनैतिक संबंध की बात स्वीकार की, बल्कि कुलवीर की हत्या का जुर्म भी स्वीकार कर लिया.
कुलवीर के बारे में गीता और राहुल से वारदात के बारे में मिली जानकारी के बाद सीओ मनोज ठाकुर कोतवाली लक्सर आ गए थे. उन्होंने भी गीता से गहनता से पूछताछ की. इस के बाद एसएसआई अंकुर शर्मा और महिला थानेदार एकता ममगई ने कृष्णा को भी उस के घर से हिरासत में ले लिया.
गीता, राहुल और कृष्णा के बयान दर्ज कर लिए गए. तीनों के बयानों में एकरूपता थी. गीता और कृष्णा ने भी राहुल के ही बयान का समर्थन किया था. इस के बाद पुलिस ने कुलवीर की गुमशुदगी के मामले में हत्या कर लाश छिपाने की धाराएं जोड़ दीं. इस के बाद पुलिस ने राहुल की निशानदेही पर कृष्णा के घर से कुलवीर का शव भी बरामद कर लिया. उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
अगले दिन पुलिस ने राहुल और कृष्णा को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. गीता की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण उसे कोर्ट ने बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया.
कथा लिखे जाने तक कुलवीर हत्याकांड की विवेचना महिला थानेदार एकता ममगई द्वारा की जा रही थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में गीता नाम परिवर्तित है.
एक बार राहुल और गीता के प्रेमसंबंध का खुला प्रदर्शन कुलवीर की नजरों के सामने आ गया. कुलवीर की आंखों में खून उतर आया. उस ने राहुल और गीता दोनों को जबरदस्त डांट लगाई. इतना ही नहीं, पारिवारिक रिश्ते और समाज की मानमर्यादा का हवाला देते हुए राहुल को घर आने से मना कर दिया. बहन गीता पर भी राहुल के घर आनेजाने से रोक लगा दी. दरअसल, गीता और राहुल को कुलवीर ने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था.
गीता हुई राहुल की प्रेम दीवानी
बीते साल 2022 में दशहरे का त्योहार था, इस मौके पर घर के सभी सदस्य मेला घूमने लक्सर गए हुए थे. जबकि गीता किसी कारण साथ नहीं जा पाई थी. उसी समय कुलवीर ने राहुल को गीता के साथ देख लिया था. तभी से उस के दिमाग में खलबली मची हुई थी. वह गीता पर पैनी नजर रखे हुए था और राहुल से भी खिन्न रहने लगा था.
जब कभी राहुल उस के घर आता, तब वह उस से रूखेपन से बात करता. राहुल भी उस के इस व्यवहार से तंग आ गया था. गीता को तो घर से बाहर निकलने तक पर पाबंदी लगा दी थी. गीता जब इस का विरोध जताती थी तब वह उस की पिटाई कर देता था. कुलवीर ने गीता को राहुल से दूर रहने की सख्त चेतावनी दे दी थी. इस के उलट गीता का राहुल से छिप कर मिलना जारी था.
नाबालिग गीता पर राहुल ने ऐसा जादू कर दिया था कि वह उस की प्रेम दीवानी बनी हुई थी, जबकि वह विवाहित और 2 बच्चों का बाप था. उन की आशिकी चरम पर थी. अकसर उन की मुलाकातें रात को होने लगी थीं. उन्हें जब भी मिलना होता था, गीता रात को अपने घर वालों को दूध में नींद की गोलियां मिला कर दे देती थी फिर दोनों एकांत में मिल लेते थे.
एक बार राहुल प्रेमिका को बाहों में भरता हुआ बोला, “गीता, आखिर हम लोग इस तरह छिप कर कब तक मिलते रहेंगे. कुलवीर हम पर हमेशा नजरें गड़ाए रहता है.’’
“हां, सही कहते हो, केवल वही हमारे प्यार का दुश्मन बना बैठा है. मुझे लग रहा है कि उसे ठिकाने लगाना होगा.’’ गीता तल्ख आवाज में बोली.
“क्या मतलब है तुम्हारा.’’ राहुल बोला.
“यही कि कोई तरीका निकालो उसे खत्म करने का,’’ गीता बोली.
“ठीक है, तुम तैयारी करो, मैं किसी से बात करता हूं.’’ राहुल बोला और कपड़े सहेज कर अपने घर चला गया.
राहुल और गीता ने एक योजना बना ली थी. योजना के अनुसार 6 फरवरी, 2023 को रात के खाने के बाद गीता ने अपने घर वालों को दूध में नींद की गोलियां पीस कर दे दीं. कुछ समय में ही घर के सभी लोग अचेतावस्था में आ गए थे.
पूरा परिवार हो गया बेहोश
7 फरवरी की सुबह सूर्योदय होने के काफी समय बाद 55 वर्षीय सेठपाल के मंझले बेटे पंकज की नींद टूट गई. घर में सन्नाटा पा कर वह कुछ समझ नहीं पाया. हालांकि वह भी काफी सुस्ती महसूस कर रहा था. किसी तरह उठ कर अपने कमरे से बाहर निकला तो बाहर पिता को बेसुध सोया पाया. इतनी देर तक सोए रहने पर उसे आश्चर्य हुआ, जबकि वह सुबह के 5 बजे तक उठ जाते थे.
पंकज ने उन्हें झकझोर कर जगाया. उन्होंने आंखें खोलीं जरूर, मगर अर्द्धबेहोशी की हालत में ही रहे. उस वक्त भी उस पर कुछ बेहोशी छाई हुई थी. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि नींद आ रही है. उस ने पाया कि घर में मां और बहन गीता की भी कोई चहलपहल नहीं हो रही है. रसोई में सन्नाटा है. बाथरूम में भी किसी तरह की आवाज नहीं आ रही है. कुलवीर के कमरे में भी सन्नाटा है.
सेठपाल ने बेटे पंकज से चाय लाने को बोला. पंकज ने गीता, मां, छोटे भाई और यहां तक कि अपने बड़े भाई कुलवीर तक को बारीबारी से कई आवाजें लगाईं. उस का कोई जवाब नहीं मिला. वह खुद सुस्ती में था, इसलिए पहले चाय पीने की सोची और रसोई में चाय बनाने चला गया.
चाय का पानी गैस पर चढ़ा कर खुद बाथरूम में मुंह धोने लगा. ब्रश करने और मुंह धोने के क्रम में उस ने चेहरे को कई बार ठंडे पानी से धोया. तब उस की थोड़ी सुस्ती कम हुई. रसोई में आ कर उस ने चाय बनाई और 2 कप में ले कर पिता के कमरे में गया.
पिता वहीं कंबल में ही अधलेटे थे. आंखें बंद कर रखी थीं. पंकज ने उन से मुंहहाथ धोने के लिए कहा. जबकि सेठपाल ने सहारे से उन्हें उठाने का इशारा किया. उस वक्त भी उन्हें नींद आ रही थी. ऐसा लग रहा था, मानो उन की नींद पूरी नहीं हुई हो. एक तरह से वह अर्धनिद्रा की हालत में ही थे. पंकज उन की हालत को देख कर घबरा गया. किसी तरह से उस ने अपनी चाय पी और पड़ोसियों को आवाज लगाई.
पंकज की आवाज सुन कर कुछ पड़ोसी वहां आ गए. उन्होंने सेठपाल की हालत देखते ही पूछा, “इन्होंने कोई दवा खाई है क्या? इन पर किसी नशीली दवाई का रिएक्शन हुआ लगता है.’’
पड़ोसियों ने पाया कि सेठपाल की पत्नी, बेटी और छोटा बेटा भी एक कमरे में बेसुध सोए हैं. जबकि बड़ा बेटा कुलवीर अपने कमरे में नहीं है. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि जरूर घर में कोई विवाद हुआ है. हो सकता है इसी कारण कुलवीर ने सभी को नशे की कोई दवा खिला दी हो और घर से चला गया हो.
पड़ोसियों ने सब से पहले गांव के एक आयुर्वेद डाक्टर को सेठपाल के घर पर बुलाया. परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य की जांच करवाई. उन्होंने जांच में पाया था कि सेठपाल के परिवार वालों ने या तो किसी नशीली वस्तु का सेवन किया है या उन्हें किसी ने धोखे से ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खिला दी हैं.
उन्हें कुछ दवाइयां दे कर प्राथमिक उपचार कर दिया गया. बाद में सभी को सरकारी अस्पताल में भरती करवाया गया. वहां वे 2 दिनों तक भरती रहने के बाद पूरी तरह से ठीक हो पाए. तब तक कुलवीर का कोई पता नहीं था. वह घर से गायब ही था.
कुलवीर की गुमशुदगी कराई दर्ज
तब सेठपाल व उस की पत्नी सुमन ने कुलवीर को ढूंढना शुरू कर दिया था. सेठपाल को कुलवीर की चिंता होनेलगी थी. उन्होंने उस के लापता होने की जानकारी कोतवाली लक्सर को देने का मन बनाया, जो उन के गांव से 5 किलोमीटर दूरी पर है.
वहां वह 10 फरवरी को दिन में 11 बजे के करीब पहुंचे और कोतवाल अमरजीत सिंह को बेटे कुलवीर के लापता होने की जानकारी दी. उस के बयानों के आधार पर कुलवीर की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कर ली गई. शिकायत में उन्होंने पूरे परिवार को किसी के द्वारा बेहोशी दवा खिलाए जाने के बारे में भी बताया.
नाबालिग गीता पर राहुल ने ऐसा जादू कर दिया था कि वह उस की प्रेम दीवानी हो गई थी, जबकि वह विवाहित और 2 बच्चों का बाप था. उन की आशिकी चरम पर थी. गीता रात को अपने परिवार वालों को दूध में नींद की गोलियां मिला कर दे देती थी फिर दोनों एकांत में मिल लेते थे.
एक बार राहुल प्रेमिका को बाहों में भरता हुआ बोला, “गीता, आखिर हम इस तरह छिप कर कब तक मिलते रहेंगे. कुलवीर हम पर हमेशा नजरें गड़ाए रहता है.’’
“हां, सही कहते हो, घर में केवल वही हमारे प्यार का दुश्मन बना बैठा है. मुझे लग रहा है कि कुछ करना ही होगा.’’ गीता तल्ख आवाज में बोली.
“क्या मतलब है तुम्हारा.’’ राहुल बोला.
“यही कि कोई तरीका निकालो इस समस्या के समाधान का,’’ गीता बोली.
“ठीक है, मैं कुछ सोचता हूं.’’ राहुल बोला और फटाफट अपने कपड़े पहन कर अपने घर चला गया.
इसी दौरान कुलवीर रहस्यमय तरीके से गायब हो गया. हरिद्वार जिले के एसएसपी अजय सिंह को करीब एक माह से लापता कुलवीर के बारे में एक सुराग मिल ही गया था. उस की पुष्टि के लिए उन्होंने तुरंत लक्सर थाने के कोतवाल अमरजीत सिंह को उस दिशा में काम करने का आदेश दे दिया.
आदेश पाते ही 12 मार्च, 2023 को अमरजीत सिंह ने भी फौरी काररवाई करते हुए ढाढेकी ढाणा के राहुल कुमार को थाने बुलवाया. उसे सीओ मनोज ठाकुर के सामने हाजिर किया गया. वह डरासहमा पुलिस के सामने खड़ा था. उस ने बताया कि उस की 9 साल पहले मोनिका से शादी हुई थी. उस से 2 बच्चे भी हैं. अपनी पत्नी मोनिका से बहुत खुश है.
उसी दौरान वह पड़ोसियों के नाम और उन के साथ अच्छे संबंध होने के बारे में बताने लगा, तभी जांच अधिकारी ने बीच में ही टोक दिया, “…अच्छा तो तुम कुलवीर के पड़ोसी हो?’’
“जी सर,’’ राहुल बोला.
“वह महीने भर से लापता है. उस के बारे में तुम क्या जानते हो?
“नहीं मालूम.’’ राहुल बोला.
“कुछ तो पता होगा. पिछली बार तुम उस से कब मिले थे?’’
“याद नहीं, लेकिन एक महीने से ज्यादा हो गया. कहां गया है…नहीं मालूम. उस से मेरे अच्छे संबंध थे.’’ राहुल बोला.
“अच्छे संबंध थे? क्या मतलब है तुम्हारा? अब नहीं है क्या?’’ जांच अधिकारी ने बीच में ही सवाल कर दिया.
यह सुनते ही राहुल थोड़ा असहज हो गया. हड़बड़ाता हुआ बोला, “मेरा मतलब है उस से मेरी पुरानी जानपहचान है. कुछ हफ्तों से वह नहीं दिखाई दिया है. कहीं गया होगा अपने कामधंधे को ले कर!’’
“गीता के बारे में तुम क्या जानते हो?’’ पुलिस ने बात बदल कर दूसरा सवाल किया.
“गीता? वह तो कुलवीर की बहन है. अच्छी लड़की है.’’ राहुल झट से बोल पड़ा.
“हां हां वही गीता, सुबह आई थी यहां. अपने लापता भाई की तहकीकात करने. तुम्हारी तो बहुत शिकायत कर रही थी. बोल गई है कि तुम ने ही उसे उस के खिलाफ भड़का दिया है, जिस से वह घर वालों से नाराज हो कर कहीं चला गया है. इसीलिए तुम्हें यहां बुलवाया गया है.’’ जांच अधिकारी बोले.
“मैं ने उसे भड़काया है? उसे! भला मैं क्यों ऐसा करूंगा, सर?’’ राहुल बोला.
“अपने मतलब के लिए.’’
“मेरा उस से क्या लेनादेना, क्या मतलब उस से…वह अपनी मरजी का मालिक और मैं…’’
“…और तुम अपनी मनमानी के मालिक… यही बात है न!’’ राहुल अपनी सफाई दे रहा था कि बीच में ही जांच अधिकारी बोल पड़े.
“जी…जी सर, मैं ने कोई मनमानी नहीं की उस के साथ.’’ राहुल अचानक घबरा गया.
“तो क्या कुछ किया उस के साथ, जो महीने भर से घर नहीं लौटा है? तुम्हीं बताओ न.’’ पुलिस के इस तर्क पर राहुल की जुबान से एक भी शब्द नहीं निकल पाया. जांच अधिकारी ने उस की चुप्पी और चेहरे पर उड़ती हवाइयों पर तीखी निगाह टिका दी. कुछ सेकेंड कमरे में सन्नाटा छाया रहा.
“कुलवीर के बारे कुछ बताया इस ने?’’ कोतवाल अमरजीत सिंह ने कमरे के दरवाजे से पूछा.
“अभी तक तो नहीं सर!’’ जांच अधिकारी बोले.
“कोई बात नहीं गीता ने सब कुछ बता दिया है. इसे मेरे कमरे में ले कर आओ, अब इस की खबर मैं लूंगा. यह इतनी आसानी से सच नहीं उगलने वाला है. इसे पुलिस सेवा की जरूरत है.’’ अमरजीत बोले.
“पुलिस सेवा!’’ अचानक रहुल बोला.
जांच अधिकारी बोले, “नहीं जानते पुलिस सेवा के बारे में? कोई बात नहीं, अब जान जाओगे. यह ऐसी सेवा होती है, जिसे कभी भी भूल नहीं पाओगे.’’
“सर जी, मैं ने कुछ भी नहीं किया कुलवीर के साथ…जो कुछ हुआ वह गीता के कहने पर ही कृष्णा ने किया…’’
“कृष्णा ने किया? कौन है कृष्णा? क्या किया उस के साथ? गीता ने उस के बारे में कुछ भी नहीं बताया…वह तो सिर्फ तुम्हारा ही नाम ले रही थी.’’ अमरजीत बोले.
“कृष्णा मेरी जानपहचान का है, दूसरे गांव में रहता है.’’ राहुल बोला.
“मुझे तो यह भी पता चला है कि तुम्हारा और गीता का चक्कर चल रहा है.’’ अमरजीत ने कहा.
“गलत बात है सर,’’ राहुल बोला.
“गलत नहीं है, तुम्हारे और गीता का राज कुलवीर को मालूम हो गया था. इसलिए तुम्हारी उस के साथ लड़ाई हो गई थी. अब वह कहां है किसी को नहीं मालूम. परिवार वालों ने उस के लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई है. तुम उस के बारे में पूरी बात बताओगे तभी उसे तलाशने में मदद मिलेगी…वरना?’’ जांच अधिकारी ने कहा.
प्रेमी ने खोल दिया राज
पुलिस घुड़की और हमदर्दी से राहुल के चेहरे पर पसीना आ गया था. उस के चेहरे का भाव भांपते हुए अमरजीत समझ चुके थे कि उन्हें कुलवीर के बारे में नया सुराग मिल सकता है. उन्होंने उसे पानी पिलाया और उस के लिए चाय भी मंगवाई, फिर उसे ठंडे दिमाग से गीता, कुलवीर, कृष्णा और उस से जुड़ी सारी बातें बताने को कहा. उस के बाद जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार है—
उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के लक्सर थानांतर्गत गांव ढाढेकी ढाणा में सेठपाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी, 3 बेटे और एक बेटी थी. वह एक साधारण किसान था. बड़ा बेटा कुलवीर पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाता था.
पड़ोस में ही राहुल का भी घर था. वह भी अपने मातापिता, पत्नी और बच्चों के साथ खुशी से जीवनयापन करता रहा था. सेठपाल रिश्ते में उस का चाचा लगता है. राहुल का उन के घर में आनाजाना लगा रहता था. बीते एक साल से वह गीता की सुंदरता पर मर मिटा था. जब भी वह अकेले में मिलती, वह उस की तारीफ करता था. उन के बीच बढ़ती नजदीकियों की भनक परिवार में गीता के भाइयों को भी लग गई थी, लेकिन इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया.
20 जून, 2014 को सुबह से ही भीषण गरमी थी. सुबह के 11 बजे के आसपास उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के कुंभ मेला नियंत्रण कक्ष के बाहर काफी भीड़ जमा थी. क्योंकि थोड़ी देर बाद वहां हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. सदानंद दाते 2 साल पहले महानिर्वाणी अखाड़े के श्रीमहंत सुधीर गिरि हत्याकांड का खुलासा करने वाले थे. इसलिए वहां के साधुसंत, राजनेता, पत्रकार और अन्य लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे.
श्रीमहंत की हत्या 14 अप्रैल, 2012 की रात को उस समय हुई थी, जब वह कार से हरिद्वार से गांव बेलड़ा स्थित अपने महानिर्वाणी अखाड़े जा रहे थे. 38 वर्षीय युवा श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या हुए 2 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका था, मगर उन के हत्यारों का पुलिस को पता नहीं चल सका था. इसलिए संत समाज में पुलिस के प्रति काफी रोष था.
हत्या के वक्त रुड़की के थानाप्रभारी कुलदीप सिंह असवाल थे, जो काफी तेजतर्रार थे. उन्होंने भी इस मामले में दरजनों संदिग्धों से पूछताछ की थी. सर्विलांस के माध्यम से भी उन्होंने हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की थी, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली थी.
इस के बाद इस केस को सुलझाने के लिए थाना ज्वालापुर, पथरी, कनखल के थानाप्रभारियों और देहरादून की एसटीएफ टीम को लगाया गया था, लेकिन वे भी पता नहीं लगा सके थे कि श्रीमहंत का हत्यारा कौन है. मीडिया ने भी इस मामले को काफी उछाला था, फिर भी यह केस नहीं खुल सका था. इस मामले के खुलने की किसी को कोई उम्मीद भी नहीं थी.
अब 2 साल बाद जैसे ही लोगों को श्रीमहंत सुधीर गिरि के हत्यारों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली साधुसंतों, पत्रकारों के अलावा आम लोग भी कुंभ मेला नियंत्रण कक्ष के बाहर जमा हो गए थे. सभी के मन में हत्यारों के बारे में जानने की उत्सुकता थी.
एसएसपी ने जब मौजूद लोगों के सामने महंत के हत्यारे की घोषणा की तो सभी दंग रह गए. क्योंकि पुलिस ने जिस आदमी का नाम बताया था, वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक था और वह श्रीमहंत सुधीर गिरि के अखाड़े में मुंशी भी रह चुका था. उस का नाम था आशीष शर्मा.
आशीष शर्मा ने श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या जो कहानी पुलिस को बताई थी, वह इस प्रकार थी.
सुधीर गिरि का जन्म पुरानी रुड़की रोड स्थित दौलतपुर गांव के रहने वाले दर्शन गिरि के यहां हुआ था. दर्शन गिरि गांव में खेतीबाड़ी करते थे. उन के 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. बच्चों को उस ने खेतीकिसानी से दूर रख कर उन्हें उच्च शिक्षा हासिल कराई.
पढ़लिख कर बड़े बेटे प्रदीप की रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला (पंजाब) में नौकरी लग गई. दोनों बेटियों की वह शादी कर चुके थे. कहते हैं कि पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं. सुधीर गिरि का साधुसंतों के प्रति लगाव बचपन से ही था. वर्ष 1981 में इन के पिता दर्शन गिरि ने उन्हें पढ़ने के लिए कनखल, हरिद्वार के एक स्कूल में भेजा तो सुधीर स्कूल से लौटने के बाद शाम को महानिर्वाणी अखाड़े के मंदिर में जरूर जाते थे.
उस समय वह बाबा हनुमान के सान्निध्य में रह कर मंदिर की देखरेख करते थे. हनुमान बाबा के सान्निध्य में रहने की वजह से सुधीर गिरि पर धीरेधीरे संन्यास का रंग चढ़ने लगा. उन का संसार, समाज और रिश्तेनाते से मोह भंग होने लगा.
सुधीर गिरि ने एक दिन अपने पिता से स्पष्ट कह भी दिया कि वह जल्द ही संन्यास ले लेंगे. यह सुन कर पिता हैरान रह गए. उन्होंने बेटे को समझाया. बाद में मां भी बेटे के सामने गिड़गिड़ाई, लेकिन सुधीर गिरि ने जिद नहीं छोड़ी. सुधीर गिरि के इस फैसले से घर में कोहराम मच गया. भाईबहनों और रिश्तेदारों ने भी सुधीर गिरि को समझाया और संन्यास न लेने की सलाह दी.
सुधीर गिरि ने सब की बात अनसुनी कर दी. बात सितंबर, 1988 की है. उस समय सुधीर गिरि की उम्र मात्र 13 साल थी और वह उस समय कक्षा 8 में पढ़ रहे थे. उसी दौरान वह अचानक घर से गायब हो गए.
सुधीर गिरि के अचानक गायब होने से घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने आसपास के क्षेत्रों व हरिद्वार के अखाड़ों में उन की काफी तलाश की. लेकिन सुधीर गिरि का कहीं भी पता नहीं चला. पिता दर्शन गिरि ने जब हनुमान बाबा से पूछा तो उन्होंने कहा कि सुधीर गिरि ने उन से दीक्षा तो ली थी, मगर इस समय वह कहां है, उन्हें मालूम नहीं.
घर वालों के जेहन में एक सवाल यह भी उठ रहा था कि कहीं उस की किसी ने हत्या तो नहीं कर दी. बहरहाल काफी खोजबीन के बाद भी जब सुधीर गिरि का कोई सुराग नहीं मिला तो घर वाले थकहार कर बैठ गए.
10 साल बाद दर्शन गिरि को कहीं से पता चला कि सुधीर गिरि कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के एक आश्रम में है और उस ने संन्यास ले लिया है. दर्शन गिरि परिवार सहित बेटे से मिलने कुरुक्षेत्र के आश्रम पहुंचे तो पहले सुधीर गिरि ने अपने परिजनों से मिलने से ही मना कर दिया.
किसी तरह जब मां व बहनें उस से मिलीं तो उन्होंने उन से साफ कह दिया कि अब उन्होंने संन्यास ले लिया है, इसलिए उन का इस समाज व संसार से कोई नाता नहीं है. यह सुनते ही मां और बहनों की आंखों में आंसू आ गए. वह उस से वापस घर चलने के लिए गिड़गिड़ाने लगीं. लेकिन सुधीर गिरि पर उन के गिड़गिड़ाने का कोई असर नहीं पड़ा.
सुधीर गिरि ने अंत में यही कहा, ‘‘संन्यास ले कर मैं ने कुछ ऐसा नहीं किया, जिस से परिवार की प्रतिष्ठा को धब्बा लगे. इसलिए मेरी आप लोगों से विनती है कि आप अब मेरा पीछा करना और मुझे खोजना बंद कर दें.’’
इतना कह कर सुधीर गिरि आश्रम के अंदर चले गए. परिजन रोतेबिलखते घर लौट गए.
इस के बाद सुधीर गिरि लगभग 6 सालों तक कुरुक्षेत्र में रहे. फिर वह हरिद्वार स्थित अखाड़े में रहने लगे. वह महंत हो गए तो उन के नाम के साथ श्रीमहंत जुड़ गया.
श्रीमहंत सुधीर गिरि ज्यादातर अखाड़े की प्रौपर्टी की देखरेख में व्यस्त रहते थे. वह अकसर अखाड़े के संतों द्वारा जमीन बेचने का विरोध करते थे. अखाड़े में प्रौपर्टी डीलरों के आने पर उन्हें ऐतराज रहता था, इसलिए वह अपने अखाड़े में किसी प्रौपर्टी डीलर को घुसने नहीं देते थे.
इसी अखाड़े में आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली काम करता था. वह कनखल के रहने वाले सुभाष शर्मा का बेटा था. अखाड़े की काफी जमीनजायदाद थी. आशीष का काम अखाड़े की आयव्यय का ब्यौरा रखना था. सालों पहले आशीष ने अखाड़े के संतों से कुछ जमीन सस्ते में खरीद कर महंगे दामों में बेच दी थी.
इस के बाद वह कुछ प्रौपर्टी डीलरों व बिल्डरों से भी जुड़ गया था. सन 2004 में जब श्रीमहंत सुधीर गिरि गुरु हनुमान बाबा इस अखाड़े से जुड़े तो उन्होंने अखाड़े की जमीन बेचने का विरोध किया. इसी बात को ले कर एक बार आशीष और हनुमान बाबा की बहस हुई तो आशीष को अखाड़े से निकाल दिया गया.
सन 2006 में आशीष दोबारा अखाड़े में आया, तो उसे अखाड़े का मुंशी बना दिया गया. कुछ दिनों बाद आशीष ने अखाड़े की एक प्रौपर्टी को बेचने की बात चलाई तो हनुमान बाबा ने इस का विरोध किया.
सन 2010 के कुंभ मेले के दौरान गुरु हनुमान के शिष्य श्रीमहंत सुधीर गिरि को अखाड़े का सचिव बनाया गया तो उन्होंने भी अखाड़े की जमीन बेचने का विरोध करना शुरू कर दिया. इस के एक साल बाद आशीष ने अपनी मरजी से अखाड़े की नौकरी छोड़ दी. प्रौपर्टी के धंधे में आशीष करोड़ों के वारेन्यारे कर चुका था.
आशीष पहले से ही श्रीमहंत से रंजिश रखता था, क्योंकि उन के विरोध की वजह से वह अखाड़े की जमीन नहीं बेच पाया था. इस के अलावा उसे इस बात का भी डर था कि कहीं श्रीमहंत उस के कारनामों की पुलिस प्रशासन के सामने पोलपट्टी न खोल दे, इसलिए आशीष उर्फ टुल्ली ने श्रीमहंत की हत्या कराने की ठान ली.
श्रीमहंत की हत्या करवाने के लिए आशीष ने मुजफ्फरनगर की सरकुलर रोड निवासी प्रौपर्टी डीलर हाजी नौशाद से संपर्क किया. हाजी नौशाद ने आशीष की मुलाकात इम्तियाज और महताब से कराई, जो शूटर थे. दोनों ही शूटर मुजफ्फरनगर में रहते थे. वे दोनों मुजफ्फरनगर के बदमाश थे. 9 लाख रुपए में श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या की बात तय हो गई.
उस वक्त श्रीमहंत कभी कनखल तो कभी बेलड़ा स्थित महानिर्वाणी अखाड़े में रहते थे. दोनों शूटर कई महीने तक आशीष के साथ बतौर ड्राइवर रहे और श्रीमहंत की रेकी करते रहे.
14 अप्रैल, 2012 को रात 8 बजे श्रीमहंत सुधीर गिरि हरिद्वार से गांव बेलड़ा स्थित महानिर्वाणी अखाड़े जा रहे थे. दोनों शूटर उन का पीछा कर रहे थे. जैसे ही श्रीमहंत की कार रुड़की के निकट बेलड़ा गांव के बाहर पहुंची, दोनों शूटरों ने उन पर फायरिंग कर के उन की हत्या कर दी.
हत्या करने के बाद दोनों शूटर वापस मुजफ्फरनगर चले गए. फिर कुछ महीने बाद ये शूटर हरिद्वार आ कर आशीष के साथ प्रौपर्टी के धंधे में लग गए.
आशीष का प्रौपर्टी का धंधा अच्छा चल रहा था. उस ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी भी बना ली थी. इम्तियाज और महताब को आशीष 25-25 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन देता था. इन दोनों शूटरों को उस ने अपने पास इसलिए रख रखा था कि विवाद वाली प्रौपर्टी का सौदा करने में उन का उपयोग कर सके.
मामला एक महंत की हत्या का था, इसलिए पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया. तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों के अलावा एसटीएफ ने भी श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या के मामले को सुलझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. जांच अधिकारियों को आशीष उर्फ टुल्ली पर शक तो हुआ था. लेकिन अपनी ऊंची पहुंच की वजह से बच गया था. पुलिस जब भी उस से सख्ती से पूछताछ करती, वह अपनी ऊंची पहुंच के बल पर विवेचना अधिकारी को ही बदलवा देता था.
श्रीमहंत की हत्या को तकरीबन 2 साल बीत चुके थे, इसलिए आशीष और दोनों शूटर निश्चिंत हो गए थे. आशीष इन शूटरों के जरिए देहरादून की एक प्रौपर्टी को हथियाने की योजना बना रहा था. श्रीमहंत की हत्या के बाद तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद हरीश रावत अफसोस जताने कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े गए थे.
उस वक्त हरीश रावत ने इस हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की मांग तत्कालीन बहुगुणा सरकार से की थी. उत्तराखंड में राजनैतिक बयार बदलने पर हरीश रावत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो संत समाज में श्रीमहंत सुधीर गिरि हत्याकांड खुलने की आस जागी.
अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज के मीडिया प्रभारी प्रमोद गिरि ने 14 जून, 2014 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र लिख कर श्रीमहंत की हत्या की सीबीआई जांच कराने की मांग की.
प्रमोद गिरि के इस पत्र का जादू की तरह असर हुआ. पत्र पढ़ते ही मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपने वे शब्द याद आ गए जो उन्होंने महानिर्वाणी आश्रम में कहे थे. इसलिए उन्होंने श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या का राज खोलने के लिए प्रदेश पुलिस मुख्यालय को सख्त निर्देश दिए, साथ ही उन्होंने यह हिदायत भी दी कि इस केस की तफतीश करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कोई दबाव न बनाया जाए.
एसएसपी डा. सदानंद दाते ने इस हत्याकांड की जांच के लिए एक पुलिस टीम बनाई, जिस में एसपी (सिटी) एस.एस. पंवार, रुड़की के थानाप्रभारी योगेंद्र चौधरी, हरिद्वार के एसओजी प्रभारी नरेंद्र बिष्ट व रुड़की के एसओजी प्रभारी मोहम्मद यासीन को शामिल किया. टीम का निर्देशन एसपी (देहात) अजय सिंह कर रहे थे. केस की फाइल का विस्तृत अध्ययन करने के बाद टीम को आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली पर शक हुआ.
तब एसपी (सिटी) एस.एस. पंवार ने आशीष शर्मा को अपने कार्यालय में बुला कर सख्ती से पूछताछ की तो इस हत्या पर पड़ा परदा हट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि श्रीमहंत की हत्या उसी ने कराई थी. इस के बाद उस ने हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. आशीष से पूछताछ के बाद पुलिस ने 20 जून, 2014 को मुजफ्फरनगर से हाजी नौशाद, इम्तियाज और मेहताब को भी गिरफ्तार कर लिया.
तीनों आरोपियों को हरिद्वार ला कर गहन पूछताछ की गई. पूछताछ में इम्तियाज और महताब ने पुलिस को बताया कि उन की मुलाकात हाजी नौशाद ने ही आशीष शर्मा से कराई थी. उसी के कहने पर उन्होंने श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या की थी. थानाप्रभारी योगेंद्र चौधरी ने चारों आरोपियों के बयान दर्ज कर लिए. उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, एक देशी तमंचा और भारी मात्रा में कारतूस भी बरामद किया गया.
इंसपेक्टर योगेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि इस प्रकरण में आशीष से जुड़े कुछ नेताओं, पत्रकारों और पुलिस वालों के नाम भी सामने आ रहे हैं. केस में अगर उन की संलिप्तता पाई जाती है तो सुबूत जुटा कर उन के खिलाफ भी काररवाई की जाएगी. पूछताछ और सुबूत जुटा कर सभी अभियुक्तों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के थाना बहादराबाद क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी बी.के. आचार्य को जब किसी ने फोन कर के बताया कि थाना बहादराबाद की धनौरी रिपोर्टिंग पुलिस चौकी के पास स्थित शिवदासपुर तेलीवाला गांव के 17 वर्षीय तनवीर का अपहरण हो गया है तो उन्होंने फोन करने वाले पूछा, ‘‘अपहर्त्ताओं का फिरौती के लिए कोई फोन आया या नहीं?’’
‘‘नहीं सर, तनवीर के घर वाले फिरौती देने लायक ही नहीं हैं. उस का अपहरण फिरौती के लिए नहीं, रंजिश की वजह से किया गया है. गांव के ही कुरबान, जमशेद और शमशेर की तनवीर के घर वालों की पुरानी दुश्मनी है. लोगों का कहना है कि उन्हीं लोगों ने तनवीर का अपहरण किया है.’’ फोन करने वाले ने कहा.
‘‘तनवीर के घर वालों ने उस के अपहरण की सूचना थाना पुलिस को दी है या नहीं?’’ क्षेत्राधिकारी ने पूछा.
‘‘नहीं सर, तनवीर के घर वालों ने अभी तो पुलिस को उस के अपहरण की सूचना नहीं दी है. तनवीर की मां इमराना अपने एक रिश्तेदार इश्तिखार उर्फ तारी के साथ उस की सैंट्रो कार से तनवीर की तलाश कर रही है. लेकिन अभी तक उस का कुछ पता नहीं चला है. सर आप ही तनवीर को सकुशल बरामद कराने के लिए कुछ करें.’’ फोन करने वाले ने कहा.
‘‘आप को कैसे पता चला कि तनवीर का अपहरण हुआ है? जब तक अपहर्त्ताओं का फोन न आए, तब तक हम कैसे कह सकते हैं कि उस का अपहरण हुआ है? अच्छा यह बताओ, तुम कौन बोल रहे हो?’’ क्षेत्राधिकारी ने पूछा.
‘‘सर, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं ने आप को यह सूचना दे दी, बाकी आप को क्या करना है, यह आप जानें. मेरे बारे में जान कर आप क्या करेंगे?’’ कह कर फोन करने वाले ने फोन काट दिया. यह 22 फरवरी, 2014 की दोपहर के 2 बजे के आसपास की बात है.
युवक के अपहरण का मामला संगीन था, इसलिए क्षेत्राधिकारी बी.के. आचार्य ने तुरंत इस मामले की सूचना थाना बहादराबाद के थानाप्रभारी सुंदरम शर्मा को देते हुए कहा कि वह धनौरी पुलिस चौकी के चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी को साथ ले कर तुरंत गांव शिवदासपुर तेलीवाला जा कर तनवीर के अपहरण के बारे में पता करें. इस के बाद उन्होंने इस अपहरण की जानकारी अपने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. सदानंद दाते को दे कर खुद भी शिवदासपुर के लिए निकल पड़े.
क्षेत्राधिकारी बी.के. आचार्य के शिवदासपुर तेलीवाला पहुंचने से पहले थानाप्रभारी सुंदरम शर्मा और चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी पहुंच चुके थे. अपहृत तनवीर के घर के सामने गांव के काफी लोग इकट्ठा थे. थानाप्रभारी और चौकीप्रभारी तनवीर के घर वालों तथा गांव वालों से पूछताछ कर रहे थे.
इस पूछताछ में पता चला कि तनवीर का अपहरण इसी गांव के कुरबान, शमशेर और जमशेद ने सैंट्रो कार से किया था. पुलिस ने उन के बारे में पता किया तो वे गांव में ही मिल गए. पुलिस उन्हें ले कर धनौरी पुलिस चौकी आ गई.
चौकी ला कर पुलिस ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने स्वयं को निर्दोष बताते हुए कहा कि तनवीर के परिजनों से उन की पुरानी दुश्मनी थी, इसीलिए वे उन्हें फंसा रहे हैं. जिस समय तनवीर का अपहरण हुआ था, उस समय वे अपने खेतों में गन्ने छील रहे थे.
चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी ने जब इस बारे में गांव वालों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि ये सच बोल रहे हैं. जमशेद और शमशेर सचमुच उस समय अपने खेतों में गन्ने छील रहे थे. इस के बाद पुलिस ने तीनों को छोड़ दिया.
तनवीर का अपहरण हुआ था, यह सच था. लेकिन न तो अपहर्त्ताओं का कोई फोन आया था और न उस का कोई सुराग मिला था, इसलिए पुलिस के पास जांच को आगे बढ़ाने का कोई रास्ता नहीं था. पुलिस ने तनवीर के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया था. पुलिस को जांच आगे बढ़ाने की कोई राह नहीं सूझी तो तनवीर के बारे में पता लगाने के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया.
अगले दिन चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी ने जानकारी जुटाने के लिए तनवीर की मां इमराना और बाप इसलाम को थाने बुलवाया. पूछताछ करते समय इमराना बुरी तरह रो रही थी, इसलिए रघुवीर चौधरी की नजर उसी पर जमी थी. वह उस से कुछ भी पूछते, जवाब देने के बजाए वह रोने लगती. उसी दौरान इसलाम का एक रिश्तेदार इश्तिखार उर्फ तारी वहां आया तो उसे देख कर इमराना का रोना एकदम से बंद हो गया. यही नहीं, उस ने आंखों से उसे वहां से चले जाने का इशारा भी किया.
चूंकि चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी की नजरें इमराना पर ही जमी थीं, इसलिए उन्होंने उसे यह सब करते देख लिया था. उन्हें उस की यह हरकत बड़ी अजीब लगी. पूछताछ के बाद उन्होंने इमराना को घर भेज दिया, लेकिन उस पर उन्हें संदेह हो गया. इसलिए उन्होंने अपने मुखबिरों से इमराना और उस के रिश्तेदार तारी के बारे में जानकारी जुटाने को कहा.
10 दिन बीत गए. लेकिन तनवीर के बारे में कुछ पता नहीं चला. 2 मार्च, 2014 को कोतवाली रुड़की के अंतर्गत गंगनहर की आसफनगर झाल में एक युवक के शव मिलने की सूचना मिली. कोतवाली पुलिस ने शव बरामद किया. मृतक धारीदार सुरमई कमीज, काला स्वेटर, काली पैंट और सफेद रंग के काली पट्टी के जूते पहने था. इस शव के मिलने की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम ने वायरलैस द्वारा प्रसारित की तो चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी तनवीर के घर वालों को साथ ले कर आसफनगर झाल पर जा पहुंचे.
उस शव की शिनाख्त इसलाम ने अपने बेटे तनवीर के रूप में कर दी. जवान बेटे की लाश से वह लिपट कर रोने लगा था. सूचना पा कर क्षेत्राधिकारी बी.के. आचार्य भी आ गए थे. लाश के निरीक्षण में पुलिस ने देखा था कि उस के चेहरे पर चोट के गहरे निशान थे. इस से लगा कि हत्यारों ने पहले उसे बड़ी बेरहमी से पीटा था. शायद उसे पीटपीट कर ही मार डाला गया था. उस के बाद उसे गंगनहर में फेंक दिया गया था.
चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जे.एन. सिन्हा स्मारक राजकीय अस्पताल, रुड़की भिजवा दिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तनवीर की मौत चेहरे पर लगी चोटों और फेफड़ों में पानी भरने से हुई थी. उस के जबड़े की हड्डी टूटने के साथ उस का गुप्तांग भी सूजा था. इस रिपोर्ट से साफ हो गया था कि हत्यारों ने उसे गंगनहर में फेंकने से पहले बड़ी बेरहमी से पीटा था.
लाश बरामद होने के बाद पुलिस हत्यारों की खोज में बड़ी तत्परता से जुट गई थी. उसी बीच रघुबीर चौधरी को मुखबिरों से पता चला कि कई सालों से दूध व्यवसाई इश्तिखार उर्फ तारी का इसलाम के घर बहुत ज्यादा आनाजाना था. वह इसलाम के घर तभी जाता था, जब वह घर पर नहीं होता था.
गांव वालों का कहना था कि इसलाम के रिश्तेदार तारी के उस की बीवी इमराना से अवैध संबंध थे. कभीकभी इमराना तारी की सैंट्रो कार से घूमने भी जाती थी. इसलाम मजदूरी करता था. लेकिन इमराना महंगे कपड़े और गहनों से लदी रहती थी. उस के यहां मोटरसाइकिल भी थी. यह सब तारी की ही बदौलत था.
यह जानकारी चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी ने थानाप्रभारी सुंदरम शर्मा और क्षेत्राधिकारी बी.के. आचार्य को दी तो उन्होंने उसे गिरफ्तार कर थाने लाने का आदेश दिया. इस के बाद इश्तिखार उर्फ तारी को उस के गांव शिवदासपुर से गिरफ्तार कर के थाने लाया गया, जहां तनवीर की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई. पहले तो तारी स्वयं को निर्दोष बताता रहा, लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि तनवीर की हत्या उसी ने अपने 2 साथियों, कुरबान और शहजाद के साथ मिल कर की थी. उस ने यह भी स्वीकार किया कि तनवीर की हत्या की योजना उस की मां इमराना ने ही बनाई थी.
मां ने ही योजना बना कर बेटे की हत्या कराई थी, यह हैरान करने वाली बात थी. एक मां ने हवस की आग में अपने बेटे को ही स्वाहा कर दिया था. तारी ने पुलिस को जो बताया, उस के अनुसार तनवीर के अपहरण और हत्या की यह कहानी कुछ इस प्रकार थी.
आज से 28 साल पहले इसलाम का विवाह इमराना से हुआ था. इसलाम की आर्थिक स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी, जबकि इमराना काफी महत्त्वाकांक्षी औरत थी. इमराना इसलाम के 5 बच्चों की मां बनी, जिन में 2 बेटियां आसमां, नगमा तथा 3 बेटे तनवीर, हसीन और गुलाम अली थे.
5 बच्चों की मां बनने के बाद भी इमराना का शरीर कुछ ऐसा था कि कहीं से नहीं लगता था कि वह 5 बच्चों की मां है. भले ही उस की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन वह रहती थी खूब बनसंवर कर. इसलाम के पास कोई बहुत ज्यादा जमीन नहीं थी. जो थी, उसी से किसी तरह गुजरबसर कर रहा था. कभी जरूरत पड़ने पर वह अपने दूध व्यवसाई रिश्तेदार इश्तिखार उर्फ तारी से पैसे उधार ले लेता था. जब उस के पास पैसे हो जाते थे तो वह वापस कर आता था.
अगर कभी इसलाम समय से रुपए नहीं पहुंचा पाता तो तारी खुद रुपए मांगने आ जाता था. इसलाम घर पर नहीं होता तो इमराना उस का स्वागत करती थी. इस बीच इसलाम का इंतजार करते हुए वह इमराना से बातचीत करता रहता. इसी आनेजाने और बातचीत करने में तारी का दिल इमराना पर आ गया. इस के बाद उस के मन में इमराना को पाने की इच्छा जाग उठी तो वह दूसरे तीसरे दिन बहाने से इसलाम के घर आने लगा.
बातचीत, हावभाव से इमराना ने तारी के मन की बात भांप ली तो उस ने भी उस की इच्छा पूरी करने का मन बना लिया. क्योंकि इस में उसे काफी फायदा दिखाई दिया. इसी का नतीजा था कि मौका मिला तो तारी जो चाहता था, वह उस ने पूरा कर दिया. इस के बाद तो यह रोज का खेल बन गया.
तारी इमराना के साथ मुफ्त में मजा नहीं ले रहा था. संबंध बनाने के बाद वह इमराना की हर तरह से मदद करने लगा था. यही नहीं, उस ने इसलाम से उधार दिए पैसे भी मांगने बंद कर दिए थे.
इस तरह के संबंध छिपे तो रहते नहीं, जल्दी ही सब को इमराना और तारी के संबंधों का पता चल गया. इसलाम के कानों तक भी यह बात पहुंची. लेकिन तारी के अहसानों तले दबा इसलाम विरोध नहीं कर सका. वह भले ही इस बात का विरोध नहीं कर सका, लेकिन पड़ोसियों ने जरूर विरोध किया. तब इमराना उन से लड़ पड़ी.
किसी रोज बड़ी बेटी आसमां और तनवीर ने इमराना और तारी को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया तो उन्होंने तारी को अपने घर आने से मना किया. तब इमराना ने दोनों को डांट कर चुप करा दिया. तारी के घर आने की वजह से इसलाम के बच्चे पड़ोसियों और रिश्तेदारों के सामने काफी शर्मिंदगी महसूस करते थे, इसलिए अब वे भरपूर विरोध करने लगे थे.
21 फरवरी, 2014 की सुबह स्कूल जाने के लिए तनवीर अपना बैग लेने छत पर बने कमरे पर पहुंचा तो कमरा अंदर से बंद था. खिड़की की झिरी से उस ने झांका तो अंदर इमराना तारी के साथ रंगरलियां मनाती दिख गई. तनवीर शोर मचाते हुए कमरे का दरवाजा खटखटाने लगा. इमराना ने दरवाजा खोला तो तनवीर ने दोनों को काफी जलील किया. इस के बाद उस ने तारी से साफसाफ कह दिया कि अगर अब कभी वह यहां आया तो वह उसे ही नहीं, इमराना को भी जान से मार देगा.
इस के बाद वह बैग ले कर स्कूल चला गया. बेटे की इस धमकी को इमराना ने बड़ी गंभीरता से लिया. इस धमकी से तनवीर उसे रास्ते का कांटा लगा, इसलिए उस ने उसे हटाने का निर्णय ले लिया. इस के बाद शाम को उस ने तारी को फोन कर के जल्द से जल्द तनवीर को खत्म कर देने के लिए कह दिया.
अगले दिन यानी 22 फरवरी, 2014 को तनवीर सुबह 7 बजे घर से स्कूल के लिए निकला तो इमराना ने इस बात की जानकारी मोबाइल फोन द्वारा तारी को दे दी. तारी ने पहले ही अपने दोस्तों कुरबान और शहजाद से बात कर ली थी. इसलिए सूचना मिलते ही वह अपनी सैंट्रो कार से दोनों को साथ ले कर तनवीर की तलाश में तेलीवाला की ओर चल पड़ा. उन्हें कलियर रोड पर रतमऊ नदी के किनारे तनवीर जाता दिखाई दिया तो कुरबान और शहजाद ने उसे पकड़ लिया. तारी ने उस के गुप्तांग पर जोर से लात मारी तो वह बेहोश हो गया.
इस के बाद तीनों बेहोश तनवीर को कार में डाल कर रुड़की शहर के निकट वाटर स्पोर्ट्स कैंप ले गए. वहां कुरबान ने कार का पहिया खोलने वाले पाने से बेहोश तनवीर के चेहरे और सिर पर वार किए. इस के बाद बेहोशी की हालत में तारी और शहजाद ने तनवीर को उठा कर गंगनहर में फेंक दिया. उन्होंने यह भी नहीं देखा कि तनवीर मरा है या जिंदा. इस के बाद तीनों शिवदासपुर आ गए. घर लौट कर तारी ने इमराना को तनवीर की हत्या की सूचना दे दी थी.
इश्तिखार उर्फ तारी के बयान के बाद पुलिस ने छापा मार कर कुरबान और शहजाद को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. तनवीर की हत्या में प्रयुक्त सैंट्रो कार भी बरामद कर ली गई.
पुलिस इमराना को गिरफ्तार करने पहुंची तो वह अपने घर से फरार मिली. पुलिस ने थाने ला कर कुरबान और शहजाद से पूछताछ की गई तो उन्होंने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद प्रेसवार्ता में तनवीर हत्याकांड के तीनों अभियुक्तों को पत्रकारों के सामने पेश किया गया. इस प्रेसवार्ता में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते ने इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को ढाई हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की. इस के अगले दिन तारी, कुरबान और शहजाद को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
इस के बाद चौकीप्रभारी रघुबीर चौधरी को इमराना की तलाश थी. उन्होंने अपने मुखबिरों को उस के पीछे लगा दिया. 10 मार्च को अपने किसी मुखबिर की सूचना पर उन्होंने इमराना को धनौरी तिराहे से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में इमराना ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. सुबूत के लिए रघुबीर चौधरी ने तारी और इमराना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स और लोकेशन भी निकलवा ली थी.
काल डिटेल्स से पता चला था कि दोनों में लंबीलंबी बातें होती थीं. तारी के मोबाइल फोन की लोकेशन भी घटनास्थल की मिली थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने इमराना को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. इमराना और तारी ने सोचा था कि तनवीर की हत्या कर के इस का आरोप अपने दुश्मनों पर लगा देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि दुश्मनों के पास निर्दोष होने के पर्याप्त सुबूत थे. इसी का नतीजा था कि पुलिस असली हत्यारों तक पहुंच सकी.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
हरिद्वार में बेलवाला पुलिस चौकी के फोन की घंटी कुछकुछ देर बाद बज रही थी. 3 बार पहले भी लंबी रिंग के बाद बंद हो चुकी थी. तभी चौकी इंचार्ज प्रवीण रावत वहां पहुंच गए. पास खड़े सिपाही ने उन्हें सैल्यूट मारा. अपनी कुरसी पर बैठने से पहले रावत नाराज होते हुए बोले, “इतनी देर से फोन की घंटी बज रही है, उठाते क्यों नहीं हो?
“उसी का फोन है साहब जी…! सिपाही तुरंत खीजता हुआ बोला.
“किसका? रावत ने पूछा.
“जी साहब जी, उसी लेडी रेखा का! जिस का बच्चा 9 दिनों से लापता है! सिपाही बोला.
“रेखा का है, तो क्या हुआ? उसे जवाब नहीं देना है क्या? तब तक फोन की घंटी बंद हो चुकी थी.
“साहब जी, वह सुबह से दरजनों बार फोन कर चुकी है…मैं उसे जवाब देतेदेते तंग आ गया हूं…बारबार वही रट लगाए रहती है-मेरा बाबू कब मिलेगा… भूखा होगा…मेरा दूध कब पिएगा बाबू!
“अरे, वह मेरे मोबाइल पर भी कई बार कौल कर चुकी है….मैं ने उसे बात कर समझा दिया है. बोल दिया है कि उस का बच्चा जल्द उसे मिल जाएगा.’’ यह कहते हुए रावत अपनी कुरसी पर बैठ गए. वह अपने बगल में रखी फाइल के पन्ने पलटने लगे. तभी फिर फोन पर रिंग होने लगा. इस बार रावत ने ही फोन का रिसीवर उठाया.
“हैलो! बोलो…तुम्हें तो मैं ने आधा घंटा पहले ही बता दिया था न!… तुम्हारे बच्चे की तलाशी के लिए हम ने पुलिस की 4 टीमें लगा दी हैं…अभी मैं उन की ही रिपोर्ट देख रहा हूं. मैं मानता हूं कि बच्चे के बिना आप बेचैन हैं लेकिन बारबार फोन करने से बच्चा तो मिलेगा नहीं. तुम परेशान मत हो, जल्द तुम्हारा बच्चा मिल जाएगा…पुलिस पर भरोसा रखो और अपना भी ख्याल रखो…रोना-बिलखना बंद करो….!’’ यह कहते हुए रावत ने फोन कट कर दिया.
फोन पर रेखा को आश्वसन देने के बाद चौकी इंचार्ज ने पास रखे गिलास का पानी पी लिया और सिपाही से चाय मंगवाने के लिए कहा. सिपाही ने तुरंत औफिस अटेंडेंट को चाय के लिए आवाज लगा दी और रावत फाइल देखने लगे. कुछ समय में चाय भी आ गई. चाय पर नजर डालते हुए रावत बोले,”अरे, बिस्कुट नहीं मंगवाया’’
“जी सर’’ कह कर सिपाही चुपचाप वहीं खड़ा रहा. रावत बोले “एक पैकेट कोई बिस्कुट ले आओ, और हां, दरोगाजी को यहां आने के लिए बोलते जाना.’’
“जी सर!’’ कहता हुआ सिपाही चला गया.
थोड़ी देर में रावत अपने सामने बैठे एसआई को फाइल के पन्ने पलटते हुए कुछ समझाने लगे. दरअसल, वह फाइल फोन करने वाली लेडी रेखा के बच्चे के लापता होने से संबंधित थी.
हर की पौड़ी से हुआ बच्चा चोरी
रेखा का बच्चा 17 जून, 2023 की आधी रात से ही गायब था. इस की जानकारी उसे 18 जून की सुबह 5 बजे तब हुई, जब वह सो कर उठी. गरमी का मौसम होने के कारण 38 वर्षीया रेखा अपने 6 माह के बेटे अभिजीत के साथ घर के बाहर सोई हुई थी. सुबह उस की नींद खुली तब उस ने पाया कि बेटा पास में नहीं था.
बच्चे को नहीं पा कर उस ने बगल में ही सो रहे अपने पति शिव सिंह को जगाया. रेखा का देवर भोटानी भी उस से कुछ दूरी पर ही सोया हुआ था. बच्चे अभिजीत के लापता होने के कारण तीनों घबरा गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि बच्चा आखिर गया कहां?
वह घुटने और हाथ के बल ही चल पाता था. उसे रेखा ने अपने और पति के बीच में सुलाया था. बिछावन भी जमीन से ऊंचाई पर था. वहां से वह खुद नहीं उतर सकता था. उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि उन का बच्चा किसी ने चुरा लिया है.
यह घटना उत्तराखंड में हरिद्वार स्थित हर की पौडी के निकट ऊर्जा निगम कार्यालय के परिसर की है. धार्मिक स्थान होने के कारण उस समय स्थानीय लोग हर की पौड़ी के निकट पूजाअर्चना और गंगा आरती देखने में व्यस्त थे. चारों ओर लाउडस्पीकरों से भजन और मंदिरों से घंटे घड़ियाल की तेज आवाज आ रही थी. यह स्थान हरिद्वार नगर कोतवाली की रोडी बेलवाला पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है.
रेखा अपने पति शिव सिंह और देवर भोटानी के साथ आसपास के क्षेत्र में बच्चे की तलाश करने लगी. वे एकदम बदहवास से हो गए थे. रेखा काफी बदहवास थी. बारबार दुपट्टे से आंखों से आंसू पोछे जा रही थी. जब भी उन्हें आसपास कोई छोटा बच्चा दिखता उसे गौर से देखने लगती.
हर की पौड़ी के निकट वे एक घाट से दूसरे घाट पर घूमघूम कर बच्चे को तलाश करते रहे, मगर उन्हें उन का बच्चा नहीं मिला. उस बारे में कोई जानकारी भी नहीं मिली. जबकि वह सैकड़ों रहागीरों से अपने बच्चे के बारे में पूछ चुकी थी.
इसी प्रकार 3 घंटे बीत चुके थे. अंत में वे तीनों थक हार कर रोडी बेलवाला पुलिस चौकी गए. वहां पर चौकी प्रभारी प्रवीण रावत से मिल कर अपनी परेशानी बताई. उन्होंने प्रवीण रावत को बच्चा चोरी होने की शिकायत दर्ज कर उस की तलाशी की गुहार लगाई.
अपने इलाके से बच्चा चोरी होने की बात सुन कर प्रवीण रावत चौंक पड़े. उन से बच्चे के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद रावत ने उस स्थान पर जा कर मुआयना किया जहां तीनों रात में सोए थे. इस के बाद रावत ने वहां पर आसपास रहने वाले लोगों से बच्चे के बारे में पूछताछ की. रावत ने रेखा के मोबाइल से बच्चे की कई तस्वीरें अपने मोबाइल में वाट्सएप करवा लीं.
बच्चे को तलाशने में जुटी पूरे जिले की पुलिस
जब प्रवीण रावत को लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, तब उन्होंने इस मामले की जानकारी कोतवाल हरिद्वार भावना कैंथोला को भी दी. भावना कैंथोला ने सब से पहले बच्चे अभिजीत के चोरी होने की जानकारी सीओ (सिटी) जूही मनराल, एसपी सिटी स्वतन्त्र कुमार तथा एसएसपी अजय सिंह को भी दे दी. रावत ने इस मामले में उन का काररवाई से संबंधित आदेश और दिशानिर्देश भी मांगा.
अजय सिंह के निर्देश पर भावना कैंथोला ने बच्चा चोरी की घटना का बच्चे के हुलिए सहित प्रसारण हरिद्वार पुलिस कंट्रोल के वायरलैस द्वारा करवा दिया. इस के बाद कैंथोला ने कुछ पुलिसकर्मियों को बच्चे की तलाश में रेलवे स्टेशन तथा स्थानीय बस अड्डों पर भी भेज दिया.
बच्चे के परिजन तथा पुलिस वाले शाम तक बच्चे की तलाश करते रहे, मगर शाम तक पूरा हरिद्वार छान लेने के बाद भी पुलिस को लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. हालांकि हरिद्वार पुलिस पिछले 6 माह में लापता 3 बच्चों को सकुशल बरामद कर उन के परिजनों को सौंप चुकी थी. रेखा का लापता बेटे की उम्र मात्र 6 माह ही थी. इसे देखते हुए एसएसपी अजय सिंह ने उस की सकुशल बरामदगी करने के लिए मेला नियंत्रण कक्ष में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की एक मीटिंग बुलाई.
इस मीटिंग में एसपी (सिटी) स्वतंत्र कुमार, सीओ जूही मनराल, कोतवाल नगर भावना कैंथोला, एसपी (क्राइम) रेखा यादव, सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर तथा एसएसपी के जन संपर्क अधिकारी विपिन चंद पाठक शामिल हुए थे. बैठक में ही गहन विचार विमर्श हुआ कि बच्चे की तलाशी किस प्रकार से की जाय. इसी के साथ एकमत से एक निर्णय लिया गया.
साथ ही अजय सिंह ने सीआईयू प्रभारी को सब से पहले ऊर्जा निगम की कालोनी से ले कर रेलवे स्टेशन व बस अड्डे जाने वाले मार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरे चेक करने का निर्देश दिया. इस के बाद उन्हें वहां पर बच्चे के लापता होने वाले स्थान का साइट से डाटा जुटाने के निर्देश दिए.
कोतवाल भावना कैंथोला ने रेखा के देवर भोटानी पुत्र धर्म सिंह निवासी अंबेडकर नगर, थाना विजय नगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश की तहरीर पर बालक अभिजीत के चोरी होने का मुकदमा भादंवि धारा 363 के अंतर्गत अज्ञात चोरों के खिलाफ दर्ज कर लिया.
इस प्रकरण की विवेचना थानेदार सुनील रावत को सौंपी गई थी. भोटानी ने पुलिस को बताया कि वह अपने भाई शिव सिंह, भाभी रेखा तथा अपने 6 माह के भतीजे अभिजीत के साथ गत 15 जून, 2023 को हरिद्वार घूमने के लिए आया था. इसी दौरान 17 व 18 जून 2023 की मध्य रात्रि में उस का भतीजा चोरी हो गया.
तकनीकी जांच के सहारे आगे बढ़ती रही जांच इस तरह तमाम जानकारी के बाद सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर, सीआईयू के सिपाहियों सतीश नौटियाल और निर्मल बच्चा चोरी वाली जगह पर इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाने में लग गए.
इस के साथ ही भावना कैंथोला ने घटनास्थल से ले कर रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड तक लगे लगभग डेढ़ सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को चेक किया. हरिद्वार में चूंकि बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन आमनेसामने ही हैं. अत: वहां पर लगे कैमरों की फुटेज को पुलिस चेक करने में जुट गई.
इस तरह से की गई गहन छानबीन के तहत तोमर ने संदिग्ध मोबाइल नंबरों को चेक किया. उन्होंने पाया कि कुछ मोबाइल नंबर ऐसे भी थे, जो घटनास्थल के पास भी चले थे और हरिद्वार रोडवेज बस स्टैंड के पास भी उन नंबरों से बातचीत हुई थी. इस के अलावा हर की पौड़ी के निकट कुछ लोग बाद में रेलवे स्टेशन से व बसों द्वारा वापस जाते दिखाई दिए.
वापस जा रहे इन लोगों की छानबीन करने के लिए पुलिस की 4 टीमों का गठन किया था. इन टीमों को संदिग्ध लोगों के मोबाइल की जानकारी करने के लिए लगाया गया था. इस के अलावा पुलिस ने कुछ मुखबिरों को भी लगा दिया था. हरिद्वार जिले की आधी से ज्यादा पुलिस फोर्स बच्चे की तलाश में जीजान से जुट गई थी. फिर भी एक सप्ताह बीत जाने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाया था.
इधर बच्चे के लापता होने के गम में रेखा का रोरो कर बुरा हाल हो गया था. वह बारबार पुलिस को फोन कर बच्चे के बारे में पूछती रहती थी. उस की स्थिति विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. पति और देवर भी बारबार थाने का के चक्कर लगा रहे थे. वे अपने स्तर से भी बच्चे की तलाशी के लिए हर की पौड़ी, रेलवे स्टेशन, बाजार, बस स्टैंड आदि जगहों पर दिन में कई बार चक्कर काट चुके थे. यहां तक कि लक्ष्मण झूला तक जा चुके थे.
जांचपड़ताल से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार हो चुकी मोटी फाइल का अध्ययन करते हुए रावत को कुछ मोबाइल नंबरों पर संदेह हुआ. वे नंबर शक के दायरे में इसलिए आ गए थे, क्योंकि घटना के दिन कुछ समय बाद ही वह स्विच्ड औफ हो गए थे. पुलिस की 2 टीमें उन मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाने में लगी हुई थी.
वह 29 जून, 2023 का दिन था. सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर और कोतवाल भावना कैंथोला को भी बच्चा चोरी के मामले में एक मोबाइल नंबर पर शक हो रहा था. उन्होंने उस मोबाइल नंबर के बारे में पूरी जानकारी जुटाने की योजना बनाई.
वह मोबाइल नंबर दिल्ली के थाना छावला निवासी प्रसून कुमार पुत्र प्रमोद कुमार का निकला. उन के बारे में आगे की जानकारी लेने के लिए पुलिस की 2 टीमें दिल्ली जा पहुंचीं. जल्द ही उन का पता मालूम हो गया.
स्थानीय लोगों ने हरिद्वार पुलिस को बताया कि प्रसून कुमार दिल्ली में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करता है. उस की बीवी प्रीति काफी अरसे से दिल्ली के कुतुब विहार क्षेत्र में एक ब्यूटी पार्लर चलाती है. इस के अलावा हरिद्वार पुलिस को यह भी जानकारी मिली थी कि कुछ दिन पहले प्रीति ने एक पुत्र को जन्म दिया था.
हरिद्वार पुलिस पहुंची दिल्ली
यह जानकारी मिलते ही हरिद्वार पुलिस दिल्ली के दंपति प्रसून और प्रीति के घर जा धमकी. इस से पहले उन्होंने उन के मोबाइल नंबर की लोकेशन का विश्लेषण किया. उस से पता चला कि वे बच्चा गायब होने वाले दिन हरिद्वार में थे.
इस बारे में हरिद्वार पुलिस टीम ने एसएसपी अजय सिंह से विचार विमर्श किया. इस के बाद अजय सिंह ने उन्हें आगे की छानबीन के निर्देश दिए. हरिद्वार पुलिस प्रसून के मोबाइल नंबर की लोकेशन के आधार पर दिल्ली के मकान नं. 422, कुतुब विहार, गोयल डेरी जा धमकी और उसे गिरफ्तार कर लिया.
प्रसून से जब पुलिस ने बच्चा चुराने की बाबत सख्ती से पूछताछ की, तब उस ने जल्द ही अपना अपराध स्वीकार लिया. साथ ही इस में अपनी पत्नी का हाथ होना बताया.
इस के बाद हरिद्वार पुलिस ने प्रसून की निशानदेही पर उस के घर में सोए बच्चे अभिजीत को बरामद कर लिया. साथ ही दूसरी आरोपी प्रसून की पत्नी प्रीति को महिला सिपाही गुरप्रीत ने हिरासत में ले लिया. बच्चा समेत बच्चा चोर दंपति को जांच टीम हरिद्वार ले आई.
इस तरह से हरिद्वार पुलिस ने बच्चा चोरी की गुत्थी को सुलझा लिया था. बच्चे के लापता होने के 14वें दिन रेखा व शिव सिंह को उन का बच्चा सौंप दिया.
हरिद्वार में आने के बाद प्रसून व प्रीति से एसएसपी अजय सिंह ने बच्चा चुराने की सिलसिलेवार जानकारी ली. इस पूछताछ में प्रीति ने पुलिस से कुछ भी नहीं छिपाया और बच्चा चुराने की घटना को पुलिस के सामने सचसच ब्यान कर दिया. प्रीति ने हरिद्वार पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है-
सास के तानों से परेशान हो कर चुराया बच्चा
प्रीति चौडा गांव, जिला संभल, उत्तर प्रदेश की रहने वाली है. प्रसून उस का दूसरा पति है. इस से 16 साल पहले उस की शादी दिल्ली निवासी प्रवीण कुमार से हो चुकी थी. प्रवीण से उस के 2 बच्चे हुए. कुछ दिन बाद प्रवीण से प्रीति का मनमुटाव हो गया और उन के बीच तलाक हो गया. पहले पति से तलाक होने के बाद प्रीति ने भविष्य में संतान नहीं होने के लिए औपरेशन भी करा लिया था.
जब प्रसून से उस की दूसरी शादी हुई तब 2 साल बाद उसे ससुराल में ताने मिलने लगे. सास ने उस की नाक में दम कर दिया. प्रीति ने सास को अपने औपरेशन के बारे में जानकारी नहीं दी थी. परिवार के वारिस न होने के कारण सास के ताने दिनप्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे. एक दिन तो सास ने बच्चा नहीं होने के कारण उसे घर से ही निकाल दिया.
बच्चे की लालसा में प्रीति अकसर परेशान रहने लगी थी. उस का 12 जून, 2023 को अपने पति प्रसून के साथ दिल्ली से हरिद्वार जाना हुआ. उस ने हरिद्वार में रह कर कोई छोटा बच्चा चुराने की योजना बना रखी थी.
17 जून, 2023 की आधी रात को उसे तब मौका मिल गया जब उस ने ऊर्जा निगम परिसर में एक महिला को अपने बच्चे के साथ बेसुध अवस्था में सोते हुए देखा. मौका मिलते ही प्रीति ने चुपचाप बच्चे को गोद में उठा लिया और अपने पति के साथ बस द्वारा दिल्ली चली गई.
इतनी बात बताते बताते प्रीति भावुक हो गई. इस के बाद इस घटना के विवेचक सुनील रावत ने प्रीति के यह बयान रिकौर्ड कर लिए. बाद में पुलिस ने प्रीति के कब्जे से वह मोबाइल फोन जिस में बच्चा चोरी से संबंधित बातचीत रिकौर्ड हुई थी, बरामद कर लिया.
एसएसपी अजय सिंह ने मेला नियंत्रण कक्ष में एक प्रैसवार्ता आयोजित कर बच्चे अभिजीत की चोरी की घटना के खुलासे की जानकारी सार्वजनिक कर दी. अगले दिन पहली जुलाई, 2023 को पुलिस ने प्रसून व प्रीति को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया.
-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
उत्तराखंड की धार्मिक नगरी हरिद्वार में ज्वालापुर स्थित झाडान के बाजार की दुकानें बंद होने का समय हो चुका था. रात के 8 बज चुके थे. सभी दुकानदार अपनीअपनी दुकानें बंद करने लगे थे. उन्हीं में दुकानदार रवि अपने पास की दुकान से शोरशराबा सुन कर चौंक गए. उन्होंने उस ओर एक नजर देखा, फिर फटाफट अपनी दुकान बंद की और वहां तुरंत जा पहुंचे. वहां पहले से ही कुछ लोग जमा थे.
उन से ही रवि को मालूम हुआ कि स्थानीय व्यापारियों के नेता रहे स्वर्गीय अरविंद मंगल की 60 वर्षीया पत्नी सुनीता मंगल अपने घर से अचानक लापता हो गई हैं. सभी को अचरज हो रहा था कि वह कहां गई होगी? सुबह तो अपने ही घर पर ही दिखाई दी थी. कुछ लोगों ने बताया कि करीब 10 बजे के बाद वह नहीं देखी गई. लोगों से बातचीत में ही रवि को यह भी पता चला कि कुछ दिन पहले उन के घर पर मरम्मत और रंगाईपुताई का काम हुआ था.
सुनीता मंगल हुईं लापता
सुनीता मंगल एक संयुक्त परिवार की बुजुर्ग महिला थीं. उन का छोटा बेटा निखिल मंगल नोएडा में नौकरी करता था. सुनीता बड़े दिवंगत बेटे आशुतोष मंगल के 12 साल के बेटे वंश के साथ रहती थी. वंश एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई करता था. थोड़े समय में ही वहां और भी कई दुकानदार जमा हो गए.
सभी ने सुनीता के घर जाने का एकमत से फैसला लिया. वहां से सुनीता का घर थोड़ी दूरी पर था. कुछ समय में सभी उस के घर पर थे. वहां 12 वर्षीय वंश अकेला था. उस ने बताया कि वह सुबह स्कूल चला गया था. दोपहर को वापस घर लौटने पर पाया कि दादी नहीं हैं. फिर उस ने दादी को मोहल्ले में आसपास तलाश किया. मगर उसे दादी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इस बारे में उस ने चाचा निखिल को फोन से बता दिया था, जो वह नोएडा में थे.
इसी बीच रवि ने सुनीता मंगल के लापता होने की जानकारी सीओ (ज्वालापुर) निहारिका सेमवाल को दे दी. निहारिका सेमवाल ने तुरंत इस बाबत कोतवाल ज्वालापुर कुंदन सिंह राणा और एसएसआई संतोष सेमवाल को मौके पर पहुंच कर मामले की जांच के आदेश दिए. राणा तुरंत पुलिस फोर्स के साथ सुनीता मंगल के घर जा पहुंचे.
कोतवाल राणा और एसएसआई संतोष सेमवाल ने वंश से सुनीता के बारे में पूछताछ की. वंश ने जो कुछ बताया उसे बयान के तौर पर नोट कर लिया गया. उस के बाद राणा और सेमवाल ने पड़ोसियों से सुनीता के बारे में पूछताछ की. उसी दरम्यान वहां सीओ निहारिका सेमवाल और एसपी (क्राइम) रेखा यादव भी पहुंच गईं. उन्होंने भी वंश से पूछताछ की.
इसी बीच वंश के चाचा का फोन आ गया कि वह नोएडा से निकल चुके हैं. ढाईतीन घंटे में ज्वालापुर पहुंच जाएंगे. रेखा यादव ने ज्वालापुर से सुनीता मंगल के लापता होने की जानकारी जिले के एसएसपी अजय सिंह को भी दी. अगले दिन 9 मई, 2023 को एसएसआई संतोष सेमवाल और सीआईयू के प्रभारी रणजीत तोमर ने सब से पहले लापता सुनीता मंगल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने की काररवाई की.
पेंटर नसीम ने स्वीकारा जुर्म
इस के बाद सुनीता के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच करवाई गई. सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को एक सुराग मिला, जो सुनीता के एक व्यक्ति के साथ बैट्री रिक्शा से पथरी रोह गंगनहर की ओर जाने का पता चला. पुलिस ने उस समय उस रिक्शा में सुनीता के साथ बैठे व्यक्ति की पहचान जानने की शुरुआत की.
10 मई, 2023 को सुनीता के मोबाइल की काल डिटेल्स भी आ गई, जिस में एक नया नंबर भी था. उस नंबर की जांचपड़ताल से मालूम हुआ कि वह नंबर ज्वालापुर में ही मोहल्ला पावधोई निवासी पेंटर नसीम का है. पेंटर नसीम की तलाश शुरू की गई. निखिल से मालूम हुआ कि नसीम ने कुछ कुछ दिन पहले उस के घर की रंगाईपुताई की थी. वह अपने पिता के साथ मिल कर इस काम को करता है.
नसीम का उस के घर अकसर आनाजाना होता था. कई बार वह पैसे उधार लेने के लिए आता था. सुनीता के बेटे ने नसीम को अपने घर के सदस्य जैसा बताया. उसी दिन शाम को निहारिका सेमवाल ने नसीम को कोतवाली ज्वालापुर पूछताछ के लिए बुलवा लिया. नसीम से सुनीता के बारे में पूछताछ की जाने लगी.
निहारिका ने सीधा सवाल किया, “तुम्हारी 8 मई को मोबाइल पर सुनीता से क्या बात हुई थी? उसी रोज तुम सुनीता के साथ बैट्री रिक्शा में बैठ कर कहां गए थे?”
इस सवाल का नसीम ने कोई जवाब नहीं दिया. नसीम को शांत खड़ा देख पास खड़े कुंदन सिंह राणा ने डांटते हुए पूछा, “क्या सुनीता मंगल के लापता होने में तुम्हारा हाथ है? सचसच बताओ वह कहां है? वरना हमें मुंह खुलवाना भी आता है.”
इस डांट का नसीम पर असर हुआ. वह डर से कांपने लगा. हकलाता हुआ बोला, “जी साहबजी, सब कुछ बताऊंगा, एक गिलास पानी चाहिए.”
“सामने रखा है, पी लो…और पूरी बात बताओ वरना पानी पिलापिला कर डंडे लगाऊंगा.” राणा ने सामने टेबल पर रखे पानी भरे गिलास की ओर इशारा कर डपटते हुए बोले.
नसीम ने गटागट पानी पीने के बाद लंबी सांस ली. कुछ सेकेंड के लिए रुका, फिर बोला, “साहबजी, वह इस दुनिया में नहीं है.”
“इस दुनिया में नहीं है! क्या मतलब है तुम्हारा?” निहारिका ने चौंकते हुए पूछा.
“जी मैडम, वह गंगनहर में डूब गई है.” नसीम बोला.
“डूब गई है? तुम ने डुबाया है?” गुस्से में राणा बोले.
“जी,” नसीम का ‘जी’कहना था कि राणा और निहारिका चौंक गए. उन्होंने एक साथ पूछा, “कैसे डुबाया? क्यों किया ऐसा, पूरी बात बताओ.”
राणा उस का बयान नोट करने के लिए तख्ती पर लगा सादा कागज संभालने लगे. पेन का ढक्कन खोलते हुए बोले, “चलो, बताओ.”
नसीम ने चुरा ली थी ज्वैलरी
नसीम ने पहले अपना पूरा परिचय लिखवाया. परिचय में पिता के नाम के साथ उस ने पूरा पता दिया. उस के बाद उस ने जो बताया, वह चौंकाने वाली थी.
अरविंद मंगल के परिवार से नसीम के परिवार के अच्छे संबंध चले आ रहे थे. मंगल परिवार के तथा उन के कई परिचितों के घरों पर नसीम ही रंगरोगन और पेंट करता था. कुछ दिन पहले ही सुनीता मंगल ने अपने मकान में मरम्मत करवाया था. इस के बाद उन्होंने 15 दिन पहले मकान में पेंट करने के लिए फिर फिर नसीम को बुलवाया. उन्होंने नसीम को पेंट का सामान खरीदवा लिया.
इस के बाद नसीम ने सुनीता मंगल के घर पर पेंट करना शुरू कर दिया. एक कमरे में पेंट करते वक्त नसीम को वहां एक अलमारी की चाबी पड़ी मिली. जब उस ने चुपचाप अलमारी के लौकर में वह चाबी लगाई तो लौकर खुल गया. लौकर में उस वक्त सोने के कुंडल, अंगूठी, लौंग, पैंडल, पायल आदि आभूषण थे, जिन्हें उस ने चुरा लिया था.
इस घटना के 2 दिन बाद सुनीता ने नसीम को बुला कर कहा, “मेरे घर से लाखों रुपए के आभूषण चोरी हो गए हैं. क्या तुम्हें इस की कोई जानकारी है?”
इस के बाद नसीम ने सुनीता को इस बाबत में कोई जानकारी नहीं होने की कह कर टाल दिया, मगर अंदर ही अंदर उसे पकड़े जाने का डर भी सता रहा था.
7 मई, 2023 को उस ने सुनीता से कहा कि पथरी रोड के पास एक तांत्रिक रहता है, वह यह बात बता देगा कि तुम्हारे जेवर किस ने चुराए हैं. तांत्रिक के पास जाने के बहाने नसीम की योजना सुनीता मंगल को गंगनहर के तेज बहाव में धक्का देने की थी.
8 मई, 2023 को सुबह 8 बजे नसीम और सुनीता मंगल बैट्री रिक्शा द्वारा गंगनहर के किनारेकिनारे पथरी रोड पुल के पास पहुंचे थे. यहां पर नसीम ने तांत्रिक से मिलने से पहले सुनीता के कुंडल व अंगूठियां उतरवा ली. इस के बाद उस ने सुनीता मंगल को मां गंगा में जल चढ़ाने के बहाने गंगनहर के तेज बहाव में धक्का दे दिया. जिस से वह पानी में डूब गई.
सुनीता मंगल की हुई लाश बरामद
कोतवाल कुंदन सिंह राणा ने नसीम के ये बयान दर्ज कर लिए थे और नसीम की निशानदेही पर सुनीता मंगल के घर से चुराए हुए सभी जेवर भी बरामद कर लिए. उसी दिन शाम को ही पथरी रोड पुल के पास से ही सुनीता मंगल का शव पुलिस ने बरामद कर लिया. ज्वालापुर पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम हेतु हरिमिलापी अस्पताल, हरिद्वार भेज दिया.
अगले दिन पुलिस ने सुनीता की गुमशुदगी के मामले में आईपीसी की धारा 379, 411 व 302 की बढ़ोतरी कर दी थी. इस के बाद एसएसपी अजय सिंह ने अपने रोशनाबाद स्थित कार्यालय में प्रैसवार्ता के दौरान नसीम को मीडिया के सामने पेश किया और सुनीता मंगल हत्याकांड का परदाफाश कर दिया.
नसीम के लालच व विश्वासघात के कारण जहां एक ओर सुनीता मंगल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था तो दूसरी ओर नसीम भी हरिद्वार जेल में अपने किए की सजा भुगत रहा है. अपर सत्र न्यायालय द्वारा नसीम की जमानत की याचिका खारिज कर दी थी.
सुनीता मंगल को अपने घर में हुई ज्वैलरी की चोरी का शक पहले से ही नसीम पर था, मगर सुनीता चाहती थी कि बिना शोर मचाए नसीम उन के जेवरों को वापस कर दे, मगर नसीम भी शातिरदिमाग का निकला. उस ने सुनीता मंगल के जेवर उसे वापस करने के बजाए उसे गुमराह कर के मौत के घाट उतार दिया था. 2 बच्चों का बाप नसीम अब हरिद्वार जेल में बंद है.
—पुलिस सूत्रों पर आधारित