
पुलिस ने एक सितंबर को राजकुमार को थाने बुला कर सुबह से रात तक कई दौर में पूछताछ की. वकील की मौजूदगी में हुई इस पूछताछ में राजकुमार ने पुलिस को बताया कि इसी साल जुलाई में शुभांगना से उस का दोबारा संपर्क हुआ था. राजकुमार के परिचितों का कहना है कि कालेज राजकुमार संभालता था. उस के कालेज में जाने से रोक लगाने के बाद कालेज की स्थिति बिगड़ने लगी थी. तब जुलाई में शुभांगना ने उसे फोन किया था.
इस के बाद भी उस ने कई बार संपर्क किया. इस बार कालेज में उम्मीद के मुताबिक बच्चों के प्रवेश नहीं हुए थे. इस की वजह से भी वह मानसिक रूप से परेशान थी. राजकुमार ने शुभांगना को समझाया भी था. राजकुमार के मोबाइल में इस से संबंधित सबूत मौजूद बताए जाते हैं. पुलिस ने राजकुमार के 2 मोबाइल फोन जब्त किए हैं. उन में राजकुमार और शुभांगना की बातों की कुछ कौल रिकौर्डिंग हैं.
आरोपप्रत्यारोप
पता चला है कि घटना से 5-6 दिनों पहले शुभांगना ने अपने जेठ और सास को फोन कर के घर बुलाया था. मां और भाई ने राजकुमार को भी वहां बुलाया था, लेकिन वह नहीं आया.
बाद में शुभांगना उसे अपनी गाड़ी से ले कर आई थी. उस समय शुभांगना ने राजकुमार से कहा था कि पापा को उस के यहां आने का पता नहीं चलना चाहिए. शुभांगना का जयपुर के मनोचिकित्सक से इलाज चलने की भी बात कही जा रही है.
दूसरी ओर प्रेम सुराणा और शुभांगना के वकील अनिल शर्मा ने राजकुमार और उस के घर वालों पर कई तरह के आरोप लगाए हैं. प्रेम सुराणा का कहना है कि राजकुमार के कई लड़कियों, महिला कर्मचारियों और नौकरानी से संबंध थे. शुभांगना को जब इन बातों का पता चला तो उस ने राजकुमार को टोका. तब शराब के नशे में वह शुभांगना से मारपीट करने लगा.
उस ने कालेज में भी लाखों रुपए का घोटाला किया है. वह शुभांगना की जासूसी भी कराता था. उन्होंने राजकुमार पर शुभांगना की हत्या का शक जताते हुए पुलिस अधिकारियों को कुछ दस्तावेजी सबूत भी दिए हैं. इन में मौत से पहले शुभांगना की ओर से अपने वकील को भेजे गए ईमेल और वाट्सएप पर राजकुमार से हुई बातचीत के अंश शामिल हैं.
प्रेम सुराणा का कहना है कि पुलिस इस मामले में ढंग से जांच नहीं कर रही है. शुभांगना की मौत के मामले में 6 सितंबर को वह समाज के कुछ लागों को ले कर जयपुर में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से मिले थे. तब गृहमंत्री ने उन्हें न्याय दिलाने की बात कही थी.
विवादास्पद बातें
शुभांगना के वकील अनिल शर्मा का कहना है कि 25 अगस्त की रात को राजकुमार सीतापुरा स्थित कालेज गया था. उस ने कालेज में रुकने के लिए शुभांगना को फोन किया था.
कालेज में लगे सीसीटीवी कैमरों में राजकुमार के आने की फुटेज थी, जो बाद में नष्ट कर दी गई. उन का यह भी कहना है कि राजकुमार ने शुभांगना के मोबाइल में कोई ऐप डाउनलोड कर दिया था, जिस से जब वह मोबाइल पर किसी से बात करती थी तो वह राजकुमार तक पहुंच जाती थी.
वह जब भी कालेज जाता था, तब वहां आया कैश ले जाता था. शुभांगना के फर्जी हस्ताक्षर कर के उस ने कई जगहों से कर्ज भी लिया था. कुछ दिनों पहले उस ने 90 लाख रुपए का एक फ्लैट बेचा था.
जब वह शुभांगना के साथ रहता था, तब उसे काफी परेशान करता था. कई दिनों के लिए उसे कमरे में बंद कर देता था, खाना भी नहीं देता था. मायके वालों से मिलने पर पाबंदी लगा रखी थी. शुभांगना ने ये सारी बातें वकील प्रदीप शर्मा को ईमेल और वाट्सएप पर लिख कर भेजी थीं.
दूसरी ओर राजकुमार सावलानी का कहना है कि शुभांगना ने 23 अगस्त को उसे घर पर बुलाया था. जब वह नहीं गया तो वह खुद उसे लेने आ गई. घर ले जा कर उस ने नाश्ता कराया था और एक मोबाइल फोन गिफ्ट किया था. नए नंबर ले कर फोन चालू किया, जिस पर शुभांगना के मैसेज और फोन आए थे. 25 अगस्त को जब शुभांगना के मातापिता को पता चला कि वह मुझ से बात कर रही है तो उन्होंने उसे काफी डांटाफटकारा.
शुभांगना पहले से ही मानसिक रूप से परेशान थी, वह दबाव में आ गई. 26 अगस्त की सुबह 3 बज कर 41 मिनट पर मेरे मोबाइल पर उस का मैसेज आया. मैसेज में उस ने कहा था कि ‘मुझे माफ कर दो और कालेज व रिसौर्ट चला दो.’ इस के बाद 4 बजे उस का फोन आया तो उस ने 32 मिनट तक बात की.
वह यही कहती रही कि मेरे मातापिता ने तुम्हारे साथ अच्छा नहीं किया. राजू हम दोनों साथ रहना चाहते हैं, लेकिन मेरे मातापिता नहीं चाहते कि हम साथ रहें. इसी वजह से मैं डिप्रेशन में हूं. अब मुझ से काम भी नहीं संभल रहा है. मैं ने कहा कि इस बारे में सुबह बात करेंगे. सब ठीक हो जाएगा.
राजकुमार का कथन
सुबह बेटे ने फोन कर के बुलाया, तब पता चला कि शुभांगना की मौत हो गई है. राजकुमार ने शुभांगना की मौत के लिए प्रेम सुराणा और उन के घर वालों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि ‘मैं ने लवमैरिज की थी, यह बात प्रेम सुराणा कभी नहीं भुला पाए. इसीलिए मुझे शुभांगना की मौत के मामले में फंसाना चाहते हैं.’
शुभांगना की मौत की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में 7 सितंबर को थाना अशोक नगर के थानाप्रभारी बालाराम को जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने लाइनजाहिर कर दिया था. इस के बाद उन्हें जयपुर रेंज में लगा दिया गया. अब उन्हें थानाप्रभारी न लगा कर नौन फील्ड में रखने के निर्देश दिए गए हैं. उन पर आरोप लगा है कि वह शुभांगना की मौत के मामले में न तो घटनास्थल पर गए और ना ही एफएसएल टीम बुलाई. उन्होंने घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी नहीं कराई. लाश का पोस्टमार्टम भी मैडिकल बोर्ड से नहीं कराया गया.
कथा लिखे जाने तक यह हाईप्रोफाइल मामला एक मिस्ट्री बना हुआ था. पुलिस शुभांगना की मौत का रहस्य पता लगाने की कोशिश में जुटी हुई थी. डीसीपी योगेश दाधीच के नेतृत्व में जांच चल रही है. बहरहाल अगर किसी ने अपराध किया है तो कानून उसे अवश्य सजा देगा. लेकिन वृद्धि और मिहिर को अब मां का प्यार कभी नहीं मिल पाएगा.
शुभांगना भले ही अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उस की आंखें इस दुनिया को देख रही हैं. क्योंकि पति राजकुमार और पिता प्रेम सुराणा ने उस की आंखें दान कर दी थीं. शुभांगना की आंखें जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती 2 लोगों को प्रत्यारोपित कर दी गई थीं.
अलगअलग जाति के होने की बात पर रूपा ने कहा कि वह अपने मांबाप को मना लेगी. वह घर की लाडली है. इसलिए घर वाले उस के फैसले का जरा भी विरोध नहीं करेंगे. हर्षित ने भी रूपा को भरोसा दिया कि वह भी अपने मांबाप को शादी के लिए तैयार करने की कोशिश करेगा. ब्राह्मण परिवार होने के कारण इस में थोड़ा समय लगेगा.
प्रेम की आग दोनों तरफ लगी हुई थी. रूपा हर्षित को प्यार जरूर करती थी, लेकिन उसे अपनी देह छूने तक नहीं दे रही थी, जबकि हर्षित रूपा की देह की गंध को अपने कब्जे में करने को आतुर हुआ जा रहा था. उस ने ही रूपा से कहा कि क्यों न वे दोनों मंदिर में जा कर शादी कर लें. उस के बाद उन के मातापिता को मनाना आसान हो जाएगा.
सच तो यह था कि रूपा भी ऐसा ही चाहती थी, ताकि वह हर्षित की ब्याहता बन जाए और उस की संपत्ति पर अपना हक जता सके. उस ने हर्षित के प्रस्ताव को तुरंत मान लिया. आने वाले कुछ दिनों में ही दोनों ने एक मंदिर में जा कर गुपचुप तरीके से शादी रचा ली. यहां तक कि इस खुशी में उन्होंने अपने दोस्तों को एक होटल में पार्टी भी दे दी.
इस की भनक हर्षित के मांबाप को लगी तो उन्होंने हर्षित को डांट लगाई और रूपा से तुरंत संबंध तोड़ने का दबाव बनाया. तब तक रूपा भी पत्नी का अधिकार हासिल कर चुकी थी. उस ने हर्षित के मांबाप के विरोध का सामना किया और रात को हर्षित के साथ एक ही कमरे में रहने लगी.
थोड़े दिनों में ही हर्षित को रूपा की लालची नजर का अंदाज हो गया. इस का उसे सबूत तब मिल गया, जब रूपा ने उस से कहा कि वह कोई दूसरा बड़ा मकान बना ले, जिस में उस के मांबाप नहीं रहेंगे और उन का विरोध भी नहीं झेलना पड़ेगा.
हर्षित को यह बात कुछ अच्छी नहीं लगी, लेकिन वह चुप बना रहा. उसे इतना तो अंदाजा लग ही गया कि रूपा की नजर उस की पुश्तैनी संपत्ति पर है.
उसी संपत्ति की बदौलत उस ने अलग मकान खरीद कर हर्षित के साथ अपना अलग घर बसाने की बात कही थी. दिखाने के लिए रूपा हर्षित के मांबाप का मन जीतने की कोशिश में भी लगी रहती थी.
हर्षित के मातापिता बेहद सरल स्वभाव के थे. वे हर्षित की भावनाओं को समझते थे. फिर भी उन्हें गैरजातीय लड़की के साथ दांपत्य जीवन गुजारना पसंद नहीं था.
हर्षित और रूपा ने उन के विवाह को मानने से साफतौर पर मना कर दिया. साथ ही हर्षित को सख्त हिदायत दी कि वह रूपा के साथ अपना संबंध तोड़ ले. उन्होंने रूपा को डांटते हुए उसे कहीं और जा कर रहने का फरमान सुना दिया. लेकिन रूपा पर इन बातों का जरा भी असर नहीं हुआ.
घर वालों ने नहीं मानी यह शादी
एक रोज शाम के समय रूपा जब हर्षित के साथ सैरसपाटा कर अपने कमरे में आई, तब तब माधुरी शुक्ला नीचे आंगन से ही दोनों को डांट लगाई.
रूपा भागती हुई माधुरी शुक्ला के पास गई और पांव छूने का प्रयास किया. उन्होंने उसे झटक दिया और बोली, ‘‘चल भाग यहां से. हर्षित के पिता इस अंतरजातीय विवाह के लिए तैयार नहीं हैं. हमें अपने समाज में रहना है. तुम हमारी जातिबिरादरी की नहीं हो. जितनी जल्दी हो सके, तुम यहां से अपना सारा सामान ले कर भागो. उस के बाद यहां दिखाई मत देना.’’
माधुरी शुक्ला की बात सुन कर रूपा को जैसे सांप सूंघ गया. उस के बाद उस ने हर्षित से दूरी बनानी शुरू कर दी. रूपा ने साफ लफ्जों में हर्षित से कह दिया कि वह उस से संबंध तोड़ लेगी. वह भी हौस्टल में नहीं आया करे.
हर्षित को रूपा की बात अच्छी नहीं लगी, लेकिन कई दिन तक उस के बगैर तन्हाई में रातें काटनी पड़ीं. उसे रूपा से मिलने नहीं दिया गया और मां के कहने पर उस ने दूरी बनानी शुरू कर दी.
किंतु एक दिन हर्षित ने हौस्टल में जा कर रूपा से कहा कि उस के द्वारा दी गई अंगूठी और स्कूटी वापस कर दे या फिर वह पहले की तरह उस के साथ हमबिस्तर होती रहे. इस के लिए रूपा राजी नहीं हुई और झिड़कते हुए हौस्टल से बेइज्जती कर भगा दिया.
हालांकि बाद में रूपा ने उस की अंगूठी और स्कूटी वापस करने के लिए कुछ समय इंतजार करने को कहा. हर्षित रूपा के कहे अनुसार इंतजार करता रहा. किंतु रूपा उस की अंगूठी और स्कूटी वापस देने नहीं आई. एक दिन हर्षित ने मोबाइल फोन पर उस से दबाब बनाते हुए कमरे पर आ कर मिलने के लिए कहा.
हर्षित मातापिता की बातों को ले कर भी परेशान हो गया था. काफी दबाव डालने के बाद रूपा 12 सितंबर को हर्षित सें मिलने उस के घर पर आई थी. उस दिन हर्षित ने रूपा के साथ जबरन सैक्स संबंध बनाए और इस पर नाराज होने पर उस की गला घोंट कर उसे मौत की नींद सुला दिया.
इस घटना से पहले भी कई दिनों से रूपा और हर्षित के बीच झगड़े होते रहते थे. इस बारे में रूपा ने कृष्णानगर पुलिस में शिकायत भी दर्ज कर रखी थी और अपनी जान को खतरा भी बताया था.
तब पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में हर्षित का चालान कर दिया था. तभी से हर्षित रूपा से और भी बौखलाया हुआ था. मोबाइल फोन पर हर्षित उसे अपने साथ जबरन रहने को कहता था. इनकार करने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहा था.
हर्षित ने पुलिस को बताया था कि शादी के नाम पर रूपा को उस ने 25 हजार रुपए नकद दिए थे. उस ने रूपा को स्कूटी खरीद कर दी थी. 18 सितंबर, 2022 जेल जाने से पहले माधुरी शुक्ला और प्रेमचंद्र शुक्ला ने बताया था कि 12 सितंबर को हर्षित ने अपनी मां को बताया था कि उस ने रूपा की हत्या कर दी है.
उस के बाद माधुरी ने अपने पति के साथ मिल कर रूपा के शव को कंबल में लपेट कर तख्त के नीचे छिपा दिया था. हर्षित देर रात घर वापस लौटा था. तीनों ने रूपा के शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई, किंतु उन्हें मौका नहीं मिल पाया. उसी दौरान बरसात में शव फूलने लगा और उस से बदबू भी आने लगी. शव को घर में पड़े हुए 2 दिन निकल गए थे.
हर्षित ने 14 सितंबर की रात में तेज बारिश के दौरान कूड़ा गाड़ी लाया. शव को बोरे में ठूंस दिया. फिर उसे रामदास खेड़ा के बाग में बने उमाशंकर यादव के खेत के निकट एक ट्यूबवैल के गड्ढे में फेंक आया.
कथा लिखे जाने तक हर्षित शुक्ला, उस की मां माधुरी शुक्ला और पिता प्रेमचंद्र शुक्ला जेल में बंद थे. द्य
खतरा भांप कर विनीता ने करन गोस्वामी को आगाह किया कि वह कोमल को साथ ले कर कहीं दूर चला जाए. यहां उन की जान को खतरा हो सकता है. इस पर करन गोस्वामी सीना तान कर बोला कि वह खतरों का खिलाड़ी है. उसे खतरों से खेलना और खतरों से निपटना अच्छी तरह आता है. वह किसी से डरने वाला नहीं है.
फिर अपनी बहन व उस के पति करन गोस्वामी को सबक सिखाने का फैसला करन ने कर लिया. करन खटीक ने अपने दोस्त गौरव व धर्मवीर को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.
ये दोनों पुरोहिताना मोहल्ले के ही रहने वाले थे और अपराधी प्रवृत्ति के थे. करन खटीक ने इन्हीं दोनों की मदद से तमंचा तथा कारतूसों का भी इंतजाम कर लिया.
कोमल की शादी को अभी 5 दिन ही हुए थे. वह ससुराल में खुश थी. उसे विश्वास था कि शादी के बाद सब कुछ सामान्य हो गया है. भाई और चाचा लोगों का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. उसे क्या पता था कि नफरत की आग में रिश्ते खाक होने वाले हैं.
योेजना के तहत 26 अप्रैल, 2022 की शाम 4 बजे करन खटीक अपने चाचा दिलीप, सनी व रविंद्र के साथ छत के रास्ते अपनी बहन की ससुराल वाले घर में दाखिल हुआ.
कोमल उस समय कमरे में थी और पलंग पर लेटी थी. भाई व चाचा लोगों को देख कर वह समझ गई कि उन के इरादे नेक नहीं हैं. वह चीखती उस के पहले ही करन खटीक ने बहन कोमल के सीने में गोली दाग दी. कोमल पलंग पर ही लुढ़क गई.
गोली चलने की आवाज सुन कर करन गोस्वामी कमरे में आया तो करन खटीक ने उस पर भी गोली चला दी. वह भी फर्श पर गिर पड़ा और छटपटाने लगा. इसी समय करन गोस्वामी का भाई रौकी व मां पिंकी कमरे में आ गईं. करन खटीक व उस के चाचा सनी, रविंद्र व दिलीप उन दोनों पर टूट पड़े. उन्होंने तमंचे की बट से दोनों के सिर पर प्रहार किया फिर फायरिंग करते हुए भाग गए.
भागते हमलावरों को पड़ोसियों ने देखा, लेकिन उन्हें पकड़ने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका. तड़ातड़ गोलियों की आवाज सुन कर पड़ोसी इकट्ठा हो गए थे. उन्हीं में से किसी ने थाना कोतवाली पुलिस को सूचना दे दी.
सूचना पाते ही कोतवाल अनिल कुमार सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल आ गए. घटनास्थल देख कर कोतवाल भी सन्न रह गए. पलंग पर 20-22 वर्षीया नवविवाहिता मृत पड़ी थी. उस के सीने में गोली दागी गई थी. फर्श पर एक युवक मूर्छित पड़ा था. उस की कनपटी में गोली लगी थी. एक अन्य युवक व अधेड़ महिला के सिर से खून बह रहा था. लेकिन वे दोनों होश में थे.
थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने महिला से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम पिंकी बताया. उस ने कहा कि पलंग पर मृत पड़ी युवती उस की बहू कोमल है. फर्श पर मूर्छित पड़ा उस का बड़ा बेटा करन गोस्वामी है तथा घायल छोटा बेटा रौकी है.
पूछताछ के बाद थानाप्रभारी ने घायलों को तत्काल मैनपुरी के जिला अस्पताल में भरती करा दिया. चूंकि करन गोस्वामी की हालत नाजुक थी, अत: डाक्टरों ने उसे सैफई के मैडिकल कालेज रेफर कर दिया.
थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने इस वीभत्स कांड की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ ही देर बाद एसपी अशोक कुमार राय तथा सीओ (सिटी) अमर बहादुर सिंह घटनास्थल पर आ गए.
उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर मृतका कोमल के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.
पूछताछ के बाद एसपी अशोक कुमार राय ने कोतवाल अनिल कुमार सिंह को आदेश दिया कि वह मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू करें. इसी के साथ उन्होंने सीओ (सिटी) अमर बहादुर सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित कर दी. सहयोग के लिये सर्विलांस टीम को भी लगा दिया.
एसपी के आदेश पर थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने मृतका के देवर रौकी की तरफ से करन खटीक, दिलीप, सनी, रविंद्र, गौरव व धर्मवीर के खिलाफ भादंवि की धारा 302/307/452/147/308/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस टीम ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.
28 अप्रैल, 2022 की सुबह 4 बजे पुलिस टीम को पता चला कि मुख्य आरोपी करन खटीक अपने सहयोगियों के साथ सिंधिया तिराहे पर मौजूद है. शायद वह फरार होने के उद्देश्य से किसी गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा है.
यह पता चलते ही पुलिस टीम घेराबंदी के लिए वहां पहुंच गई. पुलिस टीम को देखते ही लगभग आधा दरजन लोग भागने लगे. लेकिन टीम ने घेराबंदी कर 4 लोगों को पकड़ लिया, जबकि 2 पुलिस को चकमा दे कर भाग गए.
पकड़े गए युवकोें को थाना कोतवाली लाया गया. इन में एक आरोपी करन खटीक था, जबकि दूसरा उस का चाचा सनी खटीक था.
2 अन्य आरोपी गौरव व धर्मवीर थे, जो करन खटीक के दोस्त थे. फरार आरोपी दिलीप व रविंद्र थे. उन की जामातलाशी ली गई तो करन व सनी खटीक के पास से .315 बोर के 2 तमंचे बरामद हुए. जबकि गौरव व धर्मवीर के पास से 2-2 जिंदा कारतूस मिले.
चूंकि आरोपियों के पास से तमंचा व कारतूस बरामद हुए थे, अत: पुलिस ने उन के खिलाफ 3/25/27 आर्म्स ऐक्ट के तहत एक अन्य मुकदमा भी दर्ज कर लिया. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने सहज ही जुर्म कुबूल कर लिया.
पुलिस ने दर्ज मुकदमे के तहत करन खटीक, सनी, गौरव व धर्मवीर को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
कोतवाल अनिल कुमार सिंह ने कोमल के हत्यारोपियों को पकड़ने और जुर्म कुबूल करने की जानकारी एसपी अशोक कुमार राय को दी, तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और मीडिया के समक्ष हत्या का खुलासा किया.
29 अप्रैल, 2022 को पुलिस ने आरोपी करन खटीक, सनी खटीक, गौरव व धर्मवीर को मैनपुरी कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. दिलीप तथा रविंद्र खटीक फरार थे.
कथा संकलन तक पुलिस उन की तलाश में जुटी थी. मृतका कोमल का पति करन गोस्वामी सैफई अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
पार्टियों में वह शैंपेन के नशे में हो जाती थी, जिस के बाद पीयूष ही उसे घर ले कर आता था. अब तक ड्राइवर अवधेश ने मनीषा की कार चलानी छोड़ दी थी. लेकिन वह पीयूष और मनीषा के संपर्क में बराबर रहता था. उसे जब भी पैसों की जरूरत होती थी, वह दोनों को ब्लैकमेल कर के पैसा ले लेता था.
दूसरी ओर ज्योति को पति पर शक होने लगा था. क्योंकि पीयूष उस से नजर बचा कर फोन पर बातें करता था. कभीकभी तो वह बाथरूम में घुस कर घंटों बातें करता रहता था. बात कर के वह फोन से नंबर डिलीट कर देता था. इसी तरह वह रात में मैसेज करता था और उन्हें डिलीट कर देता था.
ज्योति मोबाइल फोन उठाती तो वह उस से फोन छीन लेता और झगड़े पर उतारू हो जाता. ज्योति ने इस रहस्य का गुप्तरूप से पता लगाया तो उसे पता चला कि उस का पति रसिया स्वभाव का है. उस के पड़ोस में रहने वाली मनीषा से नाजायज संबंध हैं.
वह उसी से घंटों बातें करता है. ज्योति ने पति की इस हरकत की जानकारी मातापिता को दी तो मां कंचन ने उसे समझाया कि सब ठीक हो जाएगा. ज्योति ने अपनी सास पूनम से पति के नाजायज रिश्तों की बात बताई, लेकिन उन्होंने यह बात नहीं मानी.
एक रोज पीयूष मनीषा से मिला तो उस ने मनीषा को बताया कि ज्योति को उन दोनों के संबंधों के बारे में पता चल गया है और वह विरोध करने लगी है. इस पर मनीषा बोली, ‘‘पीयूष, एक म्यान में 2 तलवारें नहीं रह सकतीं. अगर तुम मुझ से प्यार करते हो और शादी करना चाहते हो तो ज्योति को रास्ते से हटाना ही होगा.’’
‘‘ज्योति को रास्ते से कैसे हटाया जा सकता है?’’ पीयूष ने पूछा.
‘‘ड्राइवर अवधेश की मार्फत. वह भरोसेमंद है, पैसों के लालच में आसानी से राजी हो जाएगा. वैसे भी उसे हम दोनों के संबंधों के बारे में सब कुछ पता है.’’ मनीषा बोली.
पीयूष ने अपनी फैक्ट्री की कैमिस्ट को भी फांस लिया
बात पीयूष की समझ में आ गई. उसी दिन से दोनों ने मिल कर ज्योति की हत्या का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. इसी के बाद योजना को अंजाम देने के लिए पीयूष ने मोबाइल की 5 सिम खरीदीं. 2 सिम अपनी आईडी से और 3 सिम फरजी आईडी से.
फरजी आईडी वाली 2 सिम उस ने मनीषा को दे दीं. इन्हीं फरजी सिमों पर दोनों के बीच हर रोज बातचीत और मैसेजबाजी होती थी. बाद में वे दोनों नंबर और मैसेज डिलीट कर देते थे.
इसी बीच पीयूष एक अन्य लड़की अंजू के संपर्क में आया. अंजू गुड़गांव की रहने वाली थी और पीयूष की फैक्ट्री में बतौर कैमिस्ट तैनात थी. अंजू से भी पीयूष के संबंध हो गए.
2 जुलाई, 2014 को पीयूष ने अवधेश को देवकी टाकीज के पास बुलाया और उस से बात कर के 80 हजार रुपए में ज्योति की हत्या की सुपारी दे दी. उस ने अवधेश को 30 हजार रुपए की पेशगी दी और शेष पैसे काम हो जाने के बाद देने को कहा. हत्या की सुपारी देने की बात उस ने मनीषा को भी बता दी.
इस के बाद अवधेश, मनीषा और पीयूष के संपर्क में रहने लगा. अवधेश ने हत्या की सुपारी लेने के बाद अपनी योजना में सोनू, रेनू और आशीष को भी शामिल कर लिया. ये तीनों अवधेश के पड़ोस में रहते थे. सोनू परचून की दुकान चलाता था. जबकि रेनू कनौजिया ड्राइवर था. तीनों मुकर न जाएं, इसलिए अवधेश ने उन्हें 10-10 हजार रुपए एडवांस दे दिए.
सब कुछ तय हो जाने के बाद पीयूष, मनीषा और अवधेश ने मिल कर ज्योति के अपहरण और हत्या की योजना बनाई. योजना को अंजाम देने से पहले इन लोगों ने रिहर्सल भी किया. ज्योति की हत्या की पूरी स्क्रिप्ट तैयार करने के बाद अंजाम देने की तारीख तय हुई 27 जुलाई, 2014.
पत्नी को ठिकाने लगाने की बना ली पूरी योजना
योजना के तहत 27 जुलाई, 2014 को पीयूष ने ज्योति के साथ अच्छा बरताव कर के उसे घुमाने और होटल में खाना खाने के लिए राजी कर लिया. उसी रात साढ़े 9 बजे वह ज्योति के साथ रैना मार्केट स्थित होटल कार्निवाल पहुंच गया.
होटल में खाना खाते वक्त ज्योति तो सामान्य थी, लेकिन पीयूष बेचैन था. वह कभी किसी को मैसेज करता तो कभी किसी को. उस के हावभावों की सारी तसवीरें होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो रही थीं. उस के मोबाइल पर कभी मनीषा का मैसेज आ रहा था तो कभी उस की दूसरी प्रेमिका का.
रात साढ़े 10 बजे पीयूष के मोबाइल पर एक काल आई. यह अवधेश की काल थी. वह बात करते हुए होटल के तीसरे माले से उतर कर नीचे आया. वहां अवधेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने छिप कर अवधेश से बात की और उसे 500 रुपए दिए.
इस के बाद वह वापस होटल में चला गया. अवधेश अपने साथियों के साथ रैना मार्केट गया, वहां सब ने बीयर पी तथा मैगी खाई, फिर तीनों रावतपुर जाने वाली रोड पर चल पड़े. योजना के तहत पीयूष रात सवा 11 बजे ज्योति को कार में बिठा कर रावतपुर जाने वाली रोड पर चल दिया. कुछ दूर आगे जा कर उसे अवधेश अपने साथियों सहित खड़ा दिखा.
पीयूष ने अवधेश के पास पहुंच कर गाड़ी रोक दी और खुद कार से नीचे उतर गया. उस वक्त ज्योति आगे की सीट पर बैठी हुई थी. उस के उतरते ही अवधेश ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और रेनू तथा सोनू पीछे वाली सीट पर. ज्योति खतरा भांप कर चिल्लाई, ‘‘पीयूष, ये तुम अच्छा नहीं कर रहे हो.’’
ज्योति की चीख सुन कर सोनू व रेनू ने उस के बाल पकड़ कर उसे पीछे की सीट पर खींच लिया, तब तक अवधेश ने कार आगे बढ़ा दी थी. ज्योति के चीखने की आवाज बाहर न जा पाए, इस के लिए सोनू ने ज्योति का सिर नीचे किया और रेनू ने उस पर चाकू से वार करने शुरू कर दिए. तेजधार वाले चाकू के ताबड़तोड़ वारों से कार के अंदर खून ही खून फैल गया और कुछ ही देर में ज्योति की चीखें बंद हो गईं.
योजना के अनुसार, अवधेश कार को पनकी के ई ब्लौक में ले गया और कार एक गली में खड़ी कर दी. इस बीच सोनू और रेनू ने ज्योति के गहने उतार लिए थे.
उन दोनों ने वे गहने वहीं लोहे के एंगलों के बीच छिपा दिए. अवधेश ने गाड़ी बंद कर के चाबी वहीं फेंक दी और फरार हो गया. जबकि रेनू व सोनू पैदलपैदल भाटिया होटल तक आए. वहां पर आशीष मोटरसाइकिल लिए खड़ा था. सोनू व रेनू उसी मोटरसाइकिल से घर लौट आए. उधर अवधेश ने मैसेज भेज कर काम हो जाने की जानकारी पीयूष को दे दी.
मैसेज मिलने के बाद पीयूष मनीषा से मिला. उस ने यह कह कर अपना सिम मनीषा को दे दिया कि वह उस का और अपना सिम तोड़ दे, ताकि किसी को कुछ पता न चल सके. इस के बाद वह अपने घर गया और शर्ट बदल कर घर वालों के साथ रात 12 बजे स्वरूप नगर थाने पहुंचा. तब तत्कालीन एसएचओ शिवकुमार राठौर थाने में ही मौजूद थे. पीयूष ने उन्हें बताया कि कुछ लोगों ने उस की पत्नी ज्योति का कार सहित अपहरण कर लिया है. इसलिए तुरंत रिपोर्ट दर्ज कर के उस की खोजबीन में मदद करें.
अपहरण का नाम सुनते ही एसएचओ शिवकुमार राठौर चौंके. पीयूष एक अमीर और सम्मानित परिवार का युवक था. उस के पिता ओमप्रकाश श्यामदासानी शहर के जानेमाने उद्योगपति थे. इस मामले में तत्काल एक्शन लेना जरूरी था, इसलिए शिवकुमार राठौर ने पीयूष से पूरी बात विस्तार से बताने को कहा.
इस पर पीयूष ने बताया कि रात करीब 9 बजे वह अपनी पत्नी ज्योति के साथ अपनी होंडा एकौर्ड कार से घर से निकला और सैरसपाटा करते हुए रैना मार्केट, नवाबगंज के होटल कार्निवाल पहुंचा. वहां दोनों ने साथ खाना खाया. वहां से वापसी के लिए दोनों सवा 11 बजे निकले.
जब वे कंपनी बाग चौराहे से रावतपुर की ओर जा रहे थे, तभी 4 मोटरसाइकिलों पर सवार 8 लड़कों ने उन की कार को ओवरटेक किया. इस बीच उन से हलकीफुलकी बहस हुई तो उन लोगों ने अपनी मोटरसाइकिलें कार के सामने रोक दीं और 3 लड़के उन की ओर लपके. उन में से एक ने कार का दरवाजा खोला और 2 ने उसे कार से नीचे खींच कर 3-4 तमाचे जड़ दिए. इस के बाद वह कार सहित ज्योति का अपहरण कर फरार हो गए.
पीयूष की पूरी बात सुन कर एसएचओ शिवकुमार राठौर ने इस सनसनीखेज अपहरण की जानकारी सीनियर पुलिस अधिकारियों को दे दी. चूंकि घटना एक बड़े परिवार की बहू से जुड़ी थी, इसलिए तत्कालीन आईजी आशुतोष पांडेय, डीआईजी आर.के. चतुर्वेदी, एसएसपी के.एस. इमैनुएल, एसपी (क्राइम) एम.पी. वर्मा तथा सीओ (स्वरूप नगर) राकेश नायक थाना स्वरूप नगर आ गए.
आईजी आशुतोष पांडेय के निर्देश पर कानपुर के सभी थानों को इस घटना की सूचना दे कर पूरे शहर में चैकिंग शुरू करा दी गई. पुलिस अधिकारी भी अलगअलग टीमों के साथ कार सहित ज्योति की खोज में जुट गए. आईजी आशुतोष पांडेय ने पीयूष को साथ ले कर खुद कार्नीवाल होटल से घटनास्थल तक का मुआयना किया. उन्होंने पीयूष से खुद भी पूछताछ की.
होटल में रचाई शादी
प्रियंका के घर वालों ने लेमन होटल में सगाई के कार्यक्रम का दिन निश्चित किया. तब निर्धारित तिथि पर कृष्णा अपनी मां निर्मला देवी, बहन सोनल और भाई गौरव को ले कर लेमन होटल पहुंच गई. सगाई के बाद 14 फरवरी, 2018 को कृष्णा घोड़ी, बैंडबाजे के साथ बारात ले कर प्रियंका के यहां पहुंची. बारात में उस के घर वाले, रिश्तेदार सहित करीब 50 लोग भी शामिल थे.
अब यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि बारात में शामिल अधिकांश लोग जानते थे कि कृष्णा लड़का नहीं लड़की है. वह पति की जिम्मेदारियां कैसे निभाएगी. इस के बावजूद भी वे प्रियंका की जिंदगी बरबाद होने की शुरुआत होने के गवाह बनने को आतुर थे. लड़की वालों ने शादी के लिए हल्द्वानी का देवाशीष होटल बुक करा रखा था.
बहरहाल 14 फरवरी, 2018 को बैंडबाजे के साथ कृष्णा सेन की बारात हल्द्वानी के देवाशीष होटल पहुंची और सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह संपन्न होने के बाद प्रियंका कृष्णा सेन की पत्नी बन कर धामपुर चली गई.
प्रियंका के घर वालों ने अपनी हैसियत के अनुसार उसे दहेज भी दिया. शादी के बाद अपनी नवविवाहिता से शारीरिक संबंध बनाने के लिए कृष्णा ने औनलाइन बुकिंग कर के कृत्रिम लिंग मंगा लिया था. कमरे में अंधेरा करने के बाद उस कृत्रिम लिंग को बेल्ट से बांध कर उस ने अपनी सुहागरात मनाई. इसी के द्वारा वह प्रियंका को संतुष्ट करती थी. प्रियंका उस के साथ रह कर खुश थी.
किसी को उस पर शक न हो इसलिए वह सिगरेट और शराब भी पीने लगी थी. लड़कों की तरह वह तेज गति से मोटरसाइकिल चलाती थी.
एक दिन कृष्णा ने प्रियंका को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘प्रियंका मैं भी अपने पिता की तरह सीएफएल बल्ब की फैक्ट्री लगाना चाहता हूं. मैं काम शुरू करने के लिए अपने पिता से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लेना चाहता. ऐसा करो कि तुम अपने घर वालों से ही 8 लाख रुपए का इंतजाम करा दो तो मैं हल्द्वानी या हरिद्वार में सीएफएल बल्ब की अपनी फैक्ट्री लगा लूंगा.’’
यह बात प्रियंका को भी अच्छी लगी कि जब अपनी फैक्ट्री लग जाएगी तो वह भी पति के काम में हाथ बंटा दिया करेगी. यही सोच कर प्रियंका ने अपने मांबाप से जिद कर के कृष्णा के लिए 8 लाख रुपए दिलवा दिए.
ससुराल से पैसे मिले ही कृष्णा ने सेवरले कंपनी की एक नई कार और एक बाइक खरीदी. प्रियंका के घर वालों को शक हुआ कि दामाद ने तो बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे लिए थे पर वह तो गाडि़यां खरीद लाया. उन्होंने इस बारे में कृष्णा से बात की तो उस ने बताया कि बड़ा कारोबार है. फैक्ट्री खोलने के लिए मेरे पास पैसा है, लेकिन कारोबार चलाने के लिए कार का होना जरूरी है.
शादी के बाद कृष्णा सेन प्रियंका से दूर रहने लगी थी. वह 10-15 दिन तक घर नहीं आती थी. बाद में कृष्णा ने हल्द्वानी की तिकोनिया कालोनी में एक मकान किराए पर ले लिया. किराए के मकान में भी वह 10-15 दिन तक घर नहीं आती तो प्रियंका उस से इस बारे में पूछती. तब वह कह देती कि बिजनैस के सिलसिले में उसे अलगअलग शहरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
अब वह शराब पी कर भी आने लगी थी. प्रियंका उस से शराब पीने को मना करती तो वह उसे धमका देती थी. इस के अलावा धमकी भी दे देती कि मेरे बडे़ लोगों से संबंध हैं. उस के डर की वजह से प्रियंका डरीसहमी सी रहती थी. धीरेधीरे उन का जुबानी झगड़ा मारपीट पर पहुंचने लगा. इस परेशानी के चलते जब प्रियंका का मन होता, वह कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जाती थी.
इसी बीच कृष्णा सेन ने कालाढूंगी के रहने वाले अपने दोस्त की बहन सरिता को भी अपने प्रेमजाल में फांस लिया. सरिता उस समय 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी. फिर दोस्त के घर वालों की सहमति से उस ने 14 अप्रैल, 2016 को सरिता से भी शादी कर ली. प्रियंका उस समय अपने मायके में थी. कृष्णा सेन दूसरी पत्नी सरिता को अपने तिकोनिया कालोनी वाले घर में ले आई. साथ रहने के बावजूद सरिता को यह पता नहीं लग सका कि जिस कृष्णा को वह पति समझती है, वह खुद एक लड़की है.
सरिता को यह भी जानकारी नहीं थी कि कृष्णा पहले से शादीशुदा है. उस के पहले से शादीशुदा होने वाली बात तो तब पता लगी जब प्रियंका ने हंगामा किया था. इस के बाद कृष्णा अपनी दोनों बीवियों को धमकी देती रही कि वे शांत हो कर रहें, नहीं तो उन के मायके वालों को नुकसान हो सकता है.
दोनों पत्नियां करीब 4 महीने तक साथसाथ रहीं. यानी कृष्णा दोनों को धमकाती रही. इस के बाद प्रियंका और सरिता अपने मायके चली गईं. उन के जाने के बाद कृष्णा ने तिकोनिया कालोनी वाला मकान खाली कर दिया.
प्रियंका कृष्णा सेन के साथ करीब 4 सालों तक रही लेकिन वह उस की सच्चाई नहीं जान सकी. पति की कुछ बातों को ले कर प्रियंका को एक दो बार शक जरूर हुआ लेकिन उस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया.
कृष्णा कभी भी खुले में अपने कपड़े नहीं बदलती थी. दूसरे वह अन्य मर्दों की तरह खुले में पेशाब नहीं करती थी. जब वह उस के साथ वैष्णो देवी गई तो कृष्णा ने हमेशा दरवाजे वाला बाथरूम ही प्रयोग किया था. अब हकीकत सामने आने पर प्रियंका की समझ में आ गया कि वह ऐसा क्यों करती थी.
कृष्णा के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस को एक और जानकारी यह मिली कि वह एक जालसाज है. उस ने शहर के कई लोगों के साथ ठगी की थी. उस ने हल्द्वानी के एक कारोबारी से करीब डेढ़ लाख रुपए का फरनीचर बनवाया था, जिस के पैसे उस ने कारोबारी को नहीं दिए थे.
और लोगों को भी ठगा कृष्णा ने शहर में ही मंगल पड़ाव स्थित मोबाइल की एक दुकान से उस ने करीब डेढ़ लाख रुपए की कीमत का एक आईफोन लिया था. उस ने दुकानदार को इस के बदले जो चेक दिया था वह वाउंस हो गया था. तब दुकानदार ने कृष्णा सेन के खिलाफ न्यायालय में केस दायर कर दिया था.
दूसरी पत्नी सरिता के घर वालों से भी उस ने 65 हजार रुपए ठगे थे. इस के अलावा उस ने हरिद्वार के ज्वालापुर में रहने वाली एक शादीशुदा महिला को भी अपने प्रेमजाल में फांस रखा था.
पुलिस ने कृष्णा सेन उर्फ स्वीटी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. जेल में बैरक में भेजने से पहले जेल प्रशासन ने उस की 2 बार जांच कराई. जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने खुद पुलिस और न्यायालय से आए सभी दस्तावेजों को गौर से देखा.
जेल में महिला कर्मचारियों ने उस की 2 बार सघन तलाशी ली. जब जेल प्रशासन को इस बात की पुष्टि हो गई कि कृष्णा सेन महिला है, तभी उसे महिला बैरक में भेजा गया.
पुलिस को यह बात समझ नहीं आ रही कि कृष्णा सेन के घर वालों को जब उस के लड़की होने की जानकारी थी तो उन्होंने प्रियंका से उस की शादी क्यों कराई. पुलिस उस के घर वालों से पूछताछ कर यह पता लगाएगी कि कहीं ठगी के धंधे में घर वाले तो शरीक नहीं थे.
पुलिस ने कृष्णा सेन का राशन कार्ड बरामद कर लिया है, जिस में वह फीमेल के रूप में दर्ज है. जबकि उस के पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड में उसे मेल दर्शाया गया है. कथा लिखे जाने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी.
– कथा में सरिता परिवर्तित नाम है.
जब महिलाएं पति की व्यस्तता या किसी मजबूरी की वजह से अन्य पुरुष से संबंध बनाती हैं, तब उन्होंने कल्पना भी नहीं की होती है कि यह उन की बरबादी की शुरुआत है. सेना के जवान संजय की पत्नी शीतल ने भी यही किया. नतीजा यह निकला कि उस का पति संजय… श अशोक शर्मा 38वर्षीय संजय भोसले महाराष्ट्र के जनपद सतारा के गांव एक्सल का रहने वाला था. उस के पिता पाडूरंग
भोसले की जो थोड़ीबहुत खेती की जमीन थी, उस की उपज से वह परिवार का भरणपोषण कर रहे थे. गांव में उन की काफी इज्जत और प्रतिष्ठा थी. वह सीधेसरल स्वभाव के व्यक्ति थे.
संजय भोसले एक महत्त्वाकांक्षी युवक था. उस की नौकरी भारतीय थल सेना में बतौर ड्राइवर लग गई थी. पुणे में 6 माह की ट्रेनिंग के बाद उस की पोस्टिंग हो गई थी. संजय की नौकरी लग चुकी थी, इसलिए मातापिता उस की शादी करना चाहते थे.
मराठी समाज में जब लड़की शादी योग्य हो जाती है तो लड़की वाले लड़के की तलाश में नहीं जाते, बल्कि लड़के वालों को ही लड़की की तलाश करनी होती है. इसलिए पाडूरंग भोसले भी बेटे संजय के लिए लड़की की तलाश में जुट गए. उन्होंने जब यह बात अपने नाते रिश्तेदारों और जानपहचान वालों में चलाई तो उन के एक रिश्तेदार ने शीतल जगताप का नाम सुझाया.
28 वर्षीय शीतल पुणे शहर के तालुका बारामती, गांव ढाकले के रहने वाले बवन विट्ठल जगताप की बेटी थी. खूबसूरत होने के साथसाथ वह उच्चशिक्षित भी थी. वह डी.फार्मा कर चुकी थी. पाडूरंग भोसले ने बवन विट्ठल से मुलाकात कर अपने बेटे संजय के लिए उन की बेटी शीतल का हाथ मांगा.
संजय पढ़ालिखा था और सेना में नौकरी कर रहा था, इसलिए विट्ठल ने सहमति दे दी. फिर घरवालों ने शीतल और संजय की मुलाकात कराई. हालांकि संजय शीतल से 10 साल बड़ा था, लेकिन वह सरकारी मुलाजिम था, इसलिए शीतल ने उसे पसंद कर लिया. बाद में सामाजिक रीतिरिवाज से अक्तूबर 2008 में दोनों का विवाह हो गया.
जहां संजय शीतल को पा कर अपने आप को खुशनसीब समझ रहा था, वहीं शीतल भी मजबूत कदकाठी वाले फौजी संजय से शादी कर के गर्व महसूस कर रही थी. लेकिन शीतल का यह वहम शीघ्र ही धराशायी हो गया. शीलत के हाथों की मेंहदी का रंग अभी छूटा भी नहीं था कि संजय की छुट्टियां खत्म हो गईं. अपनी नईनवेली दुलहन शीलत को उस के मायके छोड़ कर संजय को अपनी ड्यूटी पर जाना पड़ा. जबकि शीतल चाहती थी कि संजय उस के पास कुछ दिन और रहे.
एक खतरनाक इलाके में पोस्टिंग होने के कारण संजय को बहुत कम छुट्टी मिलती थी. ऐसे में शीतल को ज्यादातर समय अपने मायके और ससुराल में ही बिताना पड़ता था. साल दो साल में जब भी संजय को छुट्टी मिलती तभी वह घर आ पाता था. इस बीच शीतल एक बच्चे की मां बन गई थी.
आज के जमाने में कोई भी पत्नी अपने पति से दूर नहीं रहना चाहती. लेकिन किसी मजबूरी के चलते उसे समझौता करना पड़ता है. यही हाल शीतल का भी था. उसे अपने मन और तन की प्यास को दबाना पड़ा था.
8 साल इसी तरह बीत गए. इस के बाद संजय का ट्रांसफर पुणे के सेना कैंप में हो गया. शीतल के लिए यह खुशी की बात थी. यहां उसे रहने के लिए सरकारी आवास भी मिल गया था, सो संजय शीतल को पुणे ले आया. पति के संग रह कर शीतल खुश तो जरूर थी. लेकिन वह खुशी अभी भी उसे नहीं मिल रही थी, जो एक औरत के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है. यहां भी संजय पत्नी को पूरा समय नहीं दे पाता था.
भटकने लगा शीतल का मन
हालांकि शीतल 10 वर्षीय बच्चे की मां थी. लेकिन हसरतें अभी भी जवान थीं, जो पति के संपर्क के लिए तरस रही थीं. शीतल का दिन तो बच्चे और घर के कामों में गुजर जाता था लेकिन रात उस के लिए पहाड़ सी बन जाती.
एक कहावत है कि नारी सहनशील और बड़े ही धीरज वाली होती है. लेकिन थोड़ी सी सहानुभूति पाने पर वह बहुत जल्दी बहक भी जाती है और उस का फायदा कुछ मनचले लोग उठा लेते हैं. यही हाल शीतल का भी हुआ. उस के कदम बहक गए. जिस का फायदा योगेश कदम ने उठाया. वह उस की निजी जिंदगी में कब आ गया, इस का शीतल को आभास ही नहीं हुआ.
संजय को जो सरकारी क्वार्टर मिला था, किसी वजह से 3 साल बाद उसे वह छोड़ना पड़ा. वह अपनी फैमिली ले कर पुणे के नखाते नगर स्थित अंबर अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल के फ्लैट में आ गया. जिस फ्लैट में संजय भोसले अपनी पत्नी और बच्चे को ले कर रहने के लिए आया था.
उसी के ठीक सामने वाले फ्लैट में योगेश कदम रहता था. वह एक कैमिकल कंपनी में नौकरी करता था. पड़ोसी होने के नाते पहले ही दिन दोनों का परिचय हो गया. बाद में योगेश का संजय के यहां आनाजाना शुरू हो गया.
अविवाहित योगेश कदम ने जब से शीतल को देखा था, तब से वह उस का दीवाना हो गया था. ऐसा ही हाल शीतल का भी था. जबजब वह योगेश कदम को देखती, उस के मन में एक हूक सी उठती थी. शारीरिक रूप से भी योगेश कदम उस के पति संजय भोसले से ज्यादा मजबूत था. जबजब दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरातीं, दोनों के दिलों में हलचल सी मच जाती थी. उन की नजरों में जो चमक होती थी, उसे अच्छी तरह से महसूस करते थे. यही कारण था कि उन्हें एकदूसरे के करीब आने में समय नहीं लगा.
योगेश कदम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि शीतल अकसर घर में अकेली रहती है. बच्चे को स्कूल छोड़ने के बाद और कभीकभी संजय भोसले की नाइट ड्यूटी लग जाने पर योगेश को शीतल से बात करने का मौका मिल जाता था.
बाद में उस ने शीतल के पति संजय से भी दोस्ती बढ़ा ली, जिस के बहाने वह जबतब शीतल के घर आनेजाने लगा. इस तरह शीतल और योगेश के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. जब एक बार मर्यादा की सीमा टूटी तो टूटती ही चली गई. जब भी शीतल और योगेश कदम को मौका मिलता, अपने तनमन की प्यास बुझा लेते थे.
योगेश कदम से मिलन के बाद शीतल खुश रहने लगी. उस के चेहरे का रंगरूप बदल गया. वह योगेश के प्यार में इतनी दीवानी हो गई थी कि अब वह पति संजय भोसले की उपेक्षा भी करने लगी. पत्नी के इस बदले रंगरूप और व्यवहार को पहले तो संजय समझ नहीं पाया. लेकिन जब तक समझ पाया, तब तक काफी देर हो चुकी थी.
मामला नाजुक था. लिहाजा एक दिन संजय ने पत्नी को काफी समझाया मानमर्यादा और समाज की दुहाई दी, लेकिन शीतल पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ. पहले तो शीतल घर में ही योगेश के साथ रंगरलियां मनाती थी लेकिन जब संजय ने उस पर निगाह रखनी शुरू कर दी तो वह प्रेमी के साथ मौल और रेस्टोरेंट वगैरह में आनेजाने लगी. जब यह बात संजय को पता चली तो उस ने पत्नी पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी. तो इस से शीतल बगावत पर उतर आयी. नतीजा मारपीट तक पहुंच गया.
दोनों के बीच अकसर रोजाना ही झगड़ा होता. रोजरोज की कलह से शीतल भी उकता गई. लिहाजा उस ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को ही ठिकाने लगाने की योजना बना ली, लेकिन किसी कारणवश यह योजना सफल नहीं हो सकी. पत्नी की हरकतों से तंग आ कर आखिरकार संजय भोसले ने कहीं दूर जा कर रहने का फैसला किया. यह करीब 5 महीने पहले की बात है.
बनने लगी बरबादी की भूमिका
साल 2019 के अक्तूबर माह में एक माह की छुट्टी ले कर संजय भोसले ने अपना घर बदल दिया. वह पत्नी और बच्चे को ले कर पुणे के नखाते कालेबाड़ी स्थित एक सोसाइटी में आ गया. लेकिन उसे यहां भी राहत नहीं मिली. शीतल के व्यवहार में जरा भी परिवर्तन नहीं आया.
बच्चे के स्कूल और पति के ड्यूटी पर जाने के बाद शीतल फोन कर योगेश को फ्लैट पर बुला लेती थी. किसी तरह यह जानकारी संजय को मिल जाती थी. पत्नी की हठधर्मिता से वह इस प्रकार टूट गया कि उस ने शराब का सहारा ले लिया. शराब के नशे में वह पत्नी को अकसर मारतापीटता था.
इस के अलावा अब वह कभी भी वक्तबेवक्त घर आने लगा, जिस से शीतल और योगेश के मिलनेजुलने में परेशानियां खड़ी हो गईं. इस से छुटकारा पाने के लिए शीतल ने फिर वही योजना बनाई, जो पहले बनाई थी.
मौका देख कर शीतल ने योगेश कदम से कहा, ‘‘योगेश तुम अगर मुझ से प्यार करते हो और मुझे पूरी तरह अपना बनाना चाहते हो तो तुम्हें संजय के लिए कोई कठोर कदम उठाना होगा, मतलब उसे हम दोनों के बीच से हटाना पड़ेगा.’’ योगेश कदम भी यही चाहता था. वह इस के लिए तुरंत तैयार हो गया.
8 नवंबर, 2019 की सुबह करीब 5 बजे शिवपुर पुलिस चौकी पर तैनात एसआई समीर कदम को जो सूचना मिली उसे सुन कर वह चौंके. सूचना देने वाले एंबुलेंस ड्राइवर सूफियान मुश्ताक मुजाहिद, निवासी गांव बेलु, जनपद पुणे ने उन्हें बताया कि शिवपुर टोलनाका क्रौस पुणे सतारा हाइवे पर स्थित होटल गार्गी और कंदील के बीच सर्विस रोड पर एक युवक बुरी तरह घायल पड़ा है.
एसआई समीर कदम ने बिना किसी विलंब के इस मामले की जानकारी रायगढ़ थानाप्रभारी दत्तात्रेय दराड़े के अलावा पुलिस कंट्रोलरूम को दी और अपने सहायकों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.
घटनास्थल पर पहुंच कर एसआई अभी वहां का मुआयना कर ही रहे थे कि थानाप्रभारी दत्तात्रेय दराड़े, एसपी संदीप पाटिल और एएसपी अन्नासो जाधव मौकाएवारदात पर आ गए. तब तक वहां पड़ा युवक मर चुका था. उसे देख कर मामला रोड ऐक्सीडेंट का लग रहा था. इसलिए घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर शव पोस्टमार्टम के लिए पुणे के ससून अस्पताल भेज दिया गया.
पुलिस को घटना से एक मोबाइल फोन, ड्राइविंग लाइसेंस और एक डायरी मिली, जिस से पता चला कि मृतक का नाम संजय भोसले है. पुलिस ने फोन से उस की पत्नी शीतल का फोन नंबर हासिल कर के उसे पुलिस चौकी शिवपुर बुला लिया.
संजय भोसले की पत्नी शीतल ने संजय भोसले के मोबाइल फोन और ड्राइविंग लाइसेंस को पहचान लिया और दहाड़े मारमार कर रोने लगी. पूछताछ में शीतल ने कहा कि उसे नहीं पता है कि संजय घटनास्थल तक कैसे पहुंच गए.
आखिर सच आ ही गया सामने
शीतल ने आगे बताया कि कल रात उन्होंने परिवार के साथ खाना खाया था. रात 10 बजे के करीब उसे और बच्चे को सोने के लिए बेडरूम में भेज कर खुद हाल में सो गए थे. इस के बाद क्या हुआ, वह कुछ नहीं जानती.
मामला काफी उलझा हुआ था. जांच अधिकारी ने उस समय तो शीतल को घर जाने दिया था. लेकिन उन्होंने उसे क्लीन चिट नहीं दी. उन्हें शीतल के घडि़याली आंसुओं पर संदेह था. बाकी की रही सही कसर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कर दी.
रिपोर्ट में बताया गया कि मामला दुर्घटना का नहीं है, उसे सल्फास नामक जहरीला पदार्थ दिया गया था, जिस का सेवन तकरीबन 12 घंटे पहले किया गया था. यह जहर कहां से आया, क्यों आया यह जांच का विषय था. पुलिस टीम ने जब गहराई से जांचपड़ताल की और शीतल के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स देखी तो तो वह पुलिस के रडार पर आ गई.
पुलिस ने जब शीतल से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गई और अपना गुनाह कबूल कर के प्रेमी योगेश कदम और उस के सहयोगियों का नाम बता दिए. उस ने बताया कि जिस जहरीले पदार्थ से संजय की मौत हुई, वह जहर 7 नवंबर, 2019 को योगेश कदम अपनी कंपनी से लाया था. उस ने वही जहर संजय के खाने में मिला दिया था. जहर खाने से जब उस की मौत हो गई तब उस ने योगेश को वाट्सएप मैसेज भेज कर जानकारी दे दी थी.
अब समस्या संजय के शव को ठिकाने लगाने की थी. योगेश ने अपने 2 दोस्तों मनीष कदम और राहुल काले के साथ मिल कर इस का बंदोबस्त पहले ही कर रखा था. उन्होंने एक कार किराए पर ली, उस कार से योगेश रात 2 बजे के करीब शीतल के घर पहुंचा और अपने दोस्तों के साथ संजय भोसले के शव को कार में डाल लिया, जिसे ये लोग यह सोच कर पुणे सतारा रोड की सर्विस लेन पर डाल आए कि मामला दुर्घटना का लगेगा, लेकिन इस में वह कामयाब नहीं हो सके.
शीतल से विस्तृत पूछताछ करने के बाद पुलिस ने मामले के अन्य अभियुक्तों की धड़पकड़ तेज कर दी और जल्दी ही संजय भोसले हत्याकांड के सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तार शीतल संजय भोसले, योगेश कमलाकर राव कदम, मनीष नारायन कदम और राहुल अशोक काले को थानाप्रभारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष पेश किया.
उन्होंने भी आरोपियों से पूछताछ की. इस के बाद उन्हें भादंवि की धारा 302, 201, 120बी, 109 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर पुणे की नरवदा जेल भेज दिया .