स्वार्थ के रिश्ते : नलिनी और अमित के बीच कैसा रिश्ता था

घटना 27 जुलाई, 2018 की है. उस दिन कोर्ट में शीलेश की पत्नी नलिनी के बयान होने थे. शीलेश तो कोर्ट जाने के लिए तैयार हो गया था, नलिनी तैयार हो रही थी. शीलेश पत्नी से जल्द तैयार होने की कह कर किराए की गाड़ी लेने के लिए चला गया.

उस समय दोपहर के 12 बजे बजने वाले थे. थोड़ी देर बाद शीलेश जब घर वापस आया तो उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘नलिनी, गाड़ी आ गई है, जल्दी आ जाओ.’’

आवाज देने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह अंदर कमरे में गया. वहां का दृश्य देखते ही उस के होश उड़ गए, मुंह से चीख निकल गई. नलिनी पंखे पर फंदा लगा कर लटकी हुई थी. वह जोरजोर से रोने लगा. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग आ गए. पत्नी की सांस चल रही है या नहीं, जानने के लिए शीलेश ने लोगों की मदद से नलिनी को फंदे से नीचे उतारा. लेकिन तब तक उस की मौत हो चुकी थी.

किसी ने इस की सूचना थाना जसराना को दे दी. सूचना मिलने पर थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और सीओ प्रेमप्रकाश यादव मौके पर पहुंच गए. कमरे से कोई सुसाइड नोट वगैरह नहीं मिला. पुलिस ने शव का निरीक्षण करने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया.

इस के बाद पुलिस ने मृतका के घर वालों से बात की तो पति शीलेश ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस समय रहते काररवाई करती तो नलिनी को शायद आत्महत्या नहीं करनी पड़ती. इस के लिए गुनहगार वे लोग भी हैं, जिन के खिलाफ नलिनी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना जसराना का एक गांव है औरंगाबाद. शीलेश चंद्र अपनी पत्नी नलिनी और 10 साल के बेटे के साथ इसी गांव में रहता था. उस ने घर में ही परचून की दुकान खोल रखी थी, इस के अलावा वह जीवनबीमा का काम भी करता था. इस सब से उसे अच्छीखासी आमदनी हो रही थी.

नलिनी ग्रैजुएट थी. साल 2015 में उस ने ग्रामप्रधान का चुनाव लड़ा था. चुनाव के समय गांव के ही अमित उर्फ छटंकी ने नलिनी का पूरा चुनावी प्रबंधन देखा था और हर तरह से सहयोग भी किया था. गांव के रिश्ते से अमित नलिनी को चाची कहता था.

चुनाव के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं. चुनाव में नलिनी कुछ वोटों के अंतर से हार भले ही गई थी, लेकिन इस बीच उस के अमित से अवैध संबंध बन गए थे.

कहने को 24 साल का अमित नलिनी से उम्र में 12 साल छोटा था, लेकिन वह अच्छी कदकाठी का गबरू जवान था. नलिनी भी हंसमुख व चंचल स्वभाव की आकर्षक नैननक्श वाली महिला थी.

घातक रिश्ता नलिनी और अमित का

अमित के 5 भाई थे. इन में से 4 भाई शहर में रह कर अपना काम कर रहे थे, जबकि अमित गांव में अपने बड़े भाई के साथ रहता था. अमित अपने भाइयों में सब से छोटा था. इसी वजह से सब प्यार से उसे छटंकी कहते थे. नलिनी और अमित दोनों एकदूसरे के प्यार में इस तरह डूबे कि उन्हें घर व गांव वालों का कोई डर ही नहीं रहा.

गुजरते समय के साथ दोनों के संबंध गहरे होते गए. शीलेश जब बीमा के काम से बाहर चला जाता, तो अमित चाची के घर पहुंच जाता. अमित ने होशियारी यह दिखाई कि नलिनी के साथ बिताए अंतरंग क्षणों को उस ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया था.

नलिनी अमित को दिलोजान से चाहती थी. यह सिलसिला पिछले लगभग 4 सालों से चल रहा था. अवैध संबंध भला किसी के छिपे हैं जो इन के छिप जाते. कानाफूसी से होते हुए यह खबर पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई.

शीलेश पत्नी पर बहुत विश्वास करता था. जब उसे पत्नी के बारे में पता लगा तो वह तिलमिला गया. गुस्से में उस का खून खौल उठा. उस ने पत्नी को जम कर खरीखोटी सुनाने के साथ ही अमित को भी बुराभला कहते हुए अपने घर न आने की सख्त हिदायत दे दी.

इसी बात को ले कर 16 जून, 2018 को शीलेश और अमित में विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट तक हो गई. मामला बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ शांति भंग की काररवाई की. इस मामले में अमित गिरफ्तार भी हुआ. जमानत के बाद उस ने मन ही मन एक खतरनाक निर्णय ले लिया था.

अमित ने अपने मोबाइल से नलिनी के कई अश्लील फोटो खींचे थे. साथ ही कई वीडियो भी बना रखी थीं. उस ने शीलेश को दबाव में लेने और सबक सिखाने के लिए सोशल मीडिया पर नलिनी के अश्लील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए. वायरल हुए वीडियो और फोटो वाट्सऐप और फेसबुक के जरिए दोनों के परिवारों तक पहुंच गए.

फोटो और वीडियो देख कर घर वालों के होश उड़ गए. उधर गांव के युवक अश्लील वीडियो व फोटो मोबाइल पर देख कर मजे लेने के साथ ही शीलेश के ऊपर फब्तियां भी कसने लगे. इस के चलते पतिपत्नी का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया.

शीलेश खून का घूंट पी कर रह गया. आखिर उस ने अमित व उस के साथियों के खिलाफ 20 जून, 2018 को थाना जसराना में मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी. पुलिस ने इस मामले में दिलचस्पी न ले कर पहले जांच कर के रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही.

आरोपियों पर ब्लैकमेलिंग का आरोप

लोगों की फब्तियों से शीलेश और नलिनी गहरे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे. आखिर किसी की सिफािरश के बाद पुलिस ने 16 जुलाई को अमित उर्फ छटंकी, अनिल व उस के भाई जितेंद्र के खिलाफ आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया. दबाव में पुलिस ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली लेकिन उस ने आरोपियों के खिलाफ काररवाई नहीं की.

आरोपी खुले में ऐसे ही घूमते रहे. इस पर शीलेश और नलिनी ने उच्चाधिकारियों के औफिसों के कई चक्कर लगाए. इस के बाद थाना पुलिस ने नलिनी के आत्महत्या करने से 4 दिन पहले यानी 23 जुलाई, 2018 को नलिनी को बयान देने के लिए थाने बुलाया. उस के बयान के बाद 24 जुलाई को पुलिस ने उस का मैडिकल कराया.

पीडि़ता के बयानों के आधार पर मुकदमे में पुलिस ने गैंगरेप की धारा भी जोड़ दी. 27 जुलाई को पीडि़ता के कोर्ट में बयान होने थे. लेकिन वह बयान देने के लिए कोर्ट जाने को तैयार नहीं थी. जबकि पति आरोपियों के खिलाफ बयान देने का दबाव डाल रहा था.

काफी दबाव के बाद वह कोर्ट जाने के लिए तैयार हुई. 27 जुलाई को शीलेश और नलिनी ने कोर्ट जाने की तैयारी कर ली थी. इस के लिए शीलेश किराए की गाड़ी लेने गया था. जब वह लौट कर आया तो उसे नलिनी पंखे से लटकी मिली.

शीलेश का कहना है कि उस के गाड़ी लेने के लिए जाने के बाद नलिनी ऊहापोह में फंस गई होगी. क्योंकि गांव में उस की बहुत बदनामी हो चुकी थी, वह पड़ोसियों और घर वालों से आंखें नहीं मिला पा रही थी. उसे एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई दिखाई दे रही थी. वह अमित के विरुद्ध कोर्ट में बयान नहीं देना चाहती थी. लेकिन अमित से प्यार के चलते हो रही बदनामी से वह पूरी तरह टूट चुकी थी.

पीडि़ता के पति शीलेश ने पत्नी द्वारा आत्महत्या करने पर तीनों आरोपियों पर पत्नी के साथ दुष्कर्म करने, उस के अश्लील वीडियो व फोटो बना कर वायरल करने तथा ब्लैकमेलिंग करने का आरोप लगाया. उस ने कहा कि आरोपी और उन के परिजन उसे व नलिनी को धमकी दे रहे थे कि वह अपनी रिपोर्ट वापस ले लें, नहीं तो अंजाम और ज्यादा खतरनाक होगा.

उस का आरोप था कि पुलिस समय से काररवाई करती तो नलिनी को आत्महत्या के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता. जब मीडिया में पुलिस की लापरवाही वाली बात आई तो पुलिस उच्चाधिकारी हरकत में आए. उच्चाधिकारियों ने इस मामले की अलग से जांच बैठा दी.

थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और इस मामले की विवेचना कर रहे इंसपेक्टर सोमपाल सिंह सैनी तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी में जुट गए. मुख्य आरोपी अमित पर दबाव बनाने के लिए पुलिस उस की भाभी रामप्यारी और बहनोई को थाने ले आई. बाद में बहनोई को थाने से छोड़ दिया गया.

आरोपी अमित ने भी की आत्महत्या

पीडि़ता द्वारा आत्महत्या किए अभी 12 घंटे ही बीते थे. उस का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंच भी नहीं पहुंच पाया था कि 28 जुलाई, 2018 की रात में रेप के मुख्य आरोपी अमित उर्फ छटंकी ने भी अपने घर के बरामदे में पड़े लोहे के जाल पर फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

29 जुलाई की सुबह जब गांव वाले सो कर उठे तो उन्हें इस घटना की जानकारी मिली. इस से गांव में सनसनी फैल गई. सूचना मिलने पर पुलिस थाने से अमित की भाभी रामप्यारी को ले कर गांव पहुंच गई.

पुलिस ने अमित के शव को फंदे से उतार कर जरूरी काररवाई की और शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. अमित के पास से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया, जिस में लिखा था कि मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है.

नलिनी ने मेरे लिए जान दी है. मैं भी उस के लिए जान दे रहा हूं. मेरी जान मुझे मिस कर रही है. मैं आ रहा हूं सनम. उस ने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि अनिल और उस का भाई जितेंद्र बेकुसूर हैं. सोशल साइट पर फोटो और वीडियो मैं ने ही वायरल किए थे.

रामप्यारी ने बताया कि सोशल साइट पर अश्लील फोटो नलिनी के पति शीलेश और अमित ने डाले थे. गांव के ही एक व्यक्ति के घर पर नलिनी के पति, देवर व गांव के कुछ लोगों की मीटिंग हुई थी. उस का आरोप था कि नलिनी को इन लोगों ने ही मारा है. मरने के बाद उसे पहले फंदे पर लटकाया फिर फंदे से उतार कर शोर मचा दिया गया.

रामप्यारी ने आगे बताया कि उस दिन इन लोगों ने हमारे साथ मारपीट के अलावा घर में आगजनी भी की. अमित के भाई वीर सिंह ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि नलिनी से अमित के संबंध पिछले 4 साल से थे. वह अमित से पैसे लेती रहती थी, इसलिए उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराना चाहती थी.

दबाव में उस ने रिपोर्ट तो लिखवा दी लेकिन वह उस के खिलाफ कोर्ट में बयान देने को मना कर रही थी, पर उस का पति गवाही देने के लिए उस पर दबाव डाल रहा था. नलिनी की मौत के बाद उस के पति, देवर व अन्य लोगों ने अमित को फंदे पर लटका कर उस की हत्या कर दी.

अमित द्वारा आत्महत्या कर लेने की सूचना पा कर एसएसपी सचिंद्र पटेल, एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह और कुछ देर बाद आईजी (आगरा रेंज) राजा श्रीवास्तव भी गांव पहुंच गए. तब तक मामले ने तूल पकड़ लिया था.

ग्रामीणों में भी आक्रोश था. गांव वालों का आरोप था कि नलिनी की मौत के बाद पुलिस दबिश दे कर आरोपियों को जल्दी गिरफ्तार करने का दावा कर रही थी, किसी की गिरफ्तारी तो हुई नहीं, उलटे आरोपी ने अपने ही मकान में गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

आखिर पुलिस के दबिश देने के दावे में कितनी सच्चाई थी? आईजी ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर नलिनी और अमित के घर वालों व ग्रामीणों से बात की.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस मामले में थाना पुलिस की लापरवाही की जानकारी मिल चुकी थी. आईजी राजा श्रीवास्तव के निर्देश पर एसएसपी सचिंद्र पटेल ने मामले को गंभीरता से ले कर थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और विवेचक इंसपेक्टर सोमपाल सिंह सैनी के विरुद्ध काररवाई करते हुए दोनों को निलंबित कर दिया.

फिरोजाबाद के थाना उत्तर में तैनात अतिरिक्त थानाप्रभारी रणवीर सिंह को जसराना का थानाप्रभारी नियुक्त किया गया. एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है. गांव में बने तनाव को देखते हुए फोर्स तैनात कर दी गई.

आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला

इस मामले में अमित के भाई ताराचंद, नलिनी के पति शीलेश और देवर के अलावा गांव के ही 2 अन्य लोगों के खिलाफ अमित को आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज हुआ. इस संबंध में एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह का कहना था कि जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ काररवाई होगी. उधर नए थानाप्रभारी रणवीर सिंह ने फोटो व वीडियो वायरल करने में सहयोगी रहे 2 सगे भाइयों अनिल और जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. उन से पूछताछ करने के बाद उन्हें अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.

नलिनी के पति से झगड़ा होने के बाद अगर अमित संयम से काम लेता और बदला लेने के लिए फोटो और वीडियो वायरल करने जैसा गलत कदम न उठाता तो नलिनी और उसे आत्महत्या करने को बाध्य न होना पड़ता. गुस्से के वशीभूत अमित ने जो कदम उठाया, देखा जाए तो वह आत्मघाती था. अमित का यह कदम नलिनी और खुद उस के लिए फांसी का फंदा बन गया.

– कथा में पीडि़ता व उस के पति के नाम परिवर्तित हैं

फर्जी पत्रकार की दीवानगी – भाग 1

23जुलाई, 2022 को शाम को करीब 6 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के बरेला थानांतर्गत गौर पुलिस चौकी की टीम डायल 100 वाहन से गश्त के लिए निकली थी.

गश्त के दौरान पुलिस की गाड़ी जैसे ही मंगेली गांव के पास नर्मदा नदी पर बने भटौली पुल पर पहुंची तो पुल पर खड़ी एक काली फिल्म लगी स्विफ्ट कार को देख कर चौकी इंचार्ज टेकचंद शर्मा ने ड्राइवर को गाड़ी रोकने का निर्देश दिया.

गाड़ी से उतर कर पुलिस टीम ने शक के आधार पर कार की जांच की तो कार के अंदर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए. कार की पिछली सीट पर एक जवान और खूबसूरत लड़की की लाश पड़ी थी.

कार की अगली सीट पर आजतक 24×7 नाम के चैनल की माइक आईडी, बादल पटेल के नाम का पहचान पत्र के साथ एक पिस्तौल रखी हुई थी. लड़की की लाश की बगल में कार की चाबी थी और कार के नीचे चप्पल पड़ी हुई थी.

मामला चूंकि हाईवे पर लड़की के मर्डर का था, लिहाजा गौर चौकी इंचार्ज ने जैसे ही घटना की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को दी तो कुछ समय बाद ही बरेला पुलिस थाने के टीआई जितेंद्र यादव, जबलपुर की डीएसपी अपूर्वा किलेदार डौग स्क्वायड और एफएसएल की टीम के साथ मौके पर पहुंच गईं.

पुलिस टीम घटनास्थल पर जांच कर ही रही थी कि अचानक मोबाइल फोन की रिंग बज रही थी. रिंग की आवाज कार की छत के ऊपर रखे एक मोबाइल फोन से आ रही थी. चौकी इंचार्ज टेकचंद शर्मा ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘बादल तुम कहां हो? दीदी अभी तक घर नहीं आई हैं, आप के साथ हैं क्या?’’

‘‘हैलो, तुम कौन हो और किस से बात कर रहे हो?’’ चौकी इंचार्ज बोले.

‘‘मैं अंकित बोल रहा हूं, बादल कहां है और आप कौन बोल रहे हैं?’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘मैं गौर पुलिस चौकी का इंचार्ज टेकचंद शर्मा बोल रहा हूं. ये बादल कौन है, जिस से तुम बात करना चाहते हो?’’

‘‘सर, मैं जबलपुर के जोगनी नगर रामपुर से अंकित केवट बोल रहा हूं. बादल पटेल एक टीवी चैनल का रिपोर्टर है, जो मेरी दीदी का दोस्त है. बादल ने मुझे दिन के करीब 2 बजे फोन कर के दीदी के बारे में पूछा तो मैं ने उसे बताया था कि दीदी औफिस में हैं. शाम 6 बजे तक जब दीदी घर नहीं पहुंचीं तो मैं ने अंदाजा लगाया कि दीदी बादल के साथ होंगी. यही सोच कर मैं ने बादल पटेल को काल किया है,’’ अंकित बोला.

‘‘यहां भटौली पुल पर कार में एक लड़की का मर्डर हुआ है. तुम तुरंत नर्मदा नदी के भटौली पुल पर आ जाओ,’’ इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया.

अंकित से हुई बातचीत से लग रहा था कि बादल पटेल ने जिस लड़की का मर्डर किया है, वह अंकित की बहन अनिभा भी हो सकती है. पुलिस अंकित के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी, जिस से मृतक लड़की की पहचान हो सके.

घटनास्थल पर कार में मिले आईडी कार्ड, पिस्तौल, कार की चाबी और कार के पास उतरी हुई चप्पलों से मौके पर मौजूद एडिशनल एसपी प्रदीप कुमार शेंडे, एफएसएल टीम की डा. नीता जैन को पहली नजर में देखने पर यह लग रहा था कि बादल पटेल ने पहले  युवती पर पिस्टल से गोली चला कर मौत के घाट उतारा होगा, उस के बाद वह हत्या करने के बाद खुद नर्मदा नदी के पुल से कूद गया होगा.

पुलिस बादल पटेल की तलाश में जुट गई. तलाशी के दौरान कुछ लोगों ने बताया था कि एक युवक को नदी में कूदते देखा था. पुलिस ने इसी आधार पर गोताखोर बुला कर नर्मदा नदी में बादल की खोजबीन शुरू कर दी.

पुलिस टीम और एफएसएल एक्सपर्ट घटनास्थल का बारीकी से मुआयना कर ही रहे थे, तभी अंकित केवट भी वहां पहुंच गया. अंकित ने जैसे ही कार में पड़ी लाश देखी तो उस के मुंह से चीख निकल पड़ी. अंकित को यकीन ही नहीं हो रहा था, कार में पड़ी लाश उस की बहन अनिभा की है.

पुलिस टीम ने उसे ढांढस बंधाते हुए पूछताछ की तो उस ने बताया कि 25 साल की उस की बहन अनिभा केवट पेटीएम कंपनी में टीम लीडर के तौर पर काम करती थी. उस की ड्यूटी सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक थी.

23 जुलाई, 2022 को सुबह 6 बजे घर से पेटीएम कंपनी के औफिस के लिए निकली थी. रोजाना की तरह वह 4 बजे के बाद जब घर नहीं लौटी तो मां को चिंता हुई.

अंकित को मालूम था कि अनिभा की जानपहचान इंद्रनगर रांझी निवासी पत्रकार  बादल पटेल से थी. चूंकि बादल ने दिन के करीब 2 बजे उसे फोन भी किया था, इस वजह से अंकित ने यह अनुमान लगाया कि अनिभा बादल के साथ होगी. जब शाम के करीब 6 बजे अंकित ने बादल को काल किया तो फोन गौर चौकी इंचार्ज ने उठाया.

जिस सफेद रंग की स्विफ्ट कार में अनिभा का मर्डर हुआ था, उस का नंबर एमपी 20सीजे 9414 था. कार के रजिस्ट्रेशन के आधार पर पुलिस ने जांच की तो यह कार बजरंग नगर रांझी निवासी थियोफिल विजय कुमार लाल के नाम पर रजिस्टर्ड थी.

सिरफिरे आशिक का हाईवोल्टेज ड्रामा : विभा के साथ क्या हुआ

जिस ने भी सुना, उस ने मिसरोद का रास्ता पकड़ लिया. कोई सिटी बस से गया तो कोई औटो से. किसी ने टैक्सी ली तो कुछ लोग अपने वाहन से मिसरोज जा पहुंचे. बीती 13 जुलाई की अलसुबह मिसरोद में कोई ऐसी डिस्काउंट सेल नहीं लगी थी, जिस में किसी जहाज के डूब जाने से कपड़ा व्यवसायी या निर्माता को घाटे में आ कर मुफ्त के भाव कपड़े बेचने पड़ रहे हों, बल्कि जो हो रहा था, वह निहायत ही दिलचस्प और अनूठा ड्रामा था, जिसे भोपाल के लोग रूबरू देखने का मौका नहीं चूकना चाहते थे.

भोपाल होशंगाबाद रोड पर पड़ने वाला मिसरोद कस्बा अब भोपाल का ही हिस्सा बन गया है. इस इलाके में तेजी से जो रिहायशी कालोनियां विकसित हुई हैं, उन में से एक है फौर्च्यून डिवाइन सिटी.

इस कालोनी में खासे खातेपीते लोग रहते हैं. इन्हीं में से एक हैं बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) से रिटायर हुए एम.पी. श्रीवास्तव. एजीएम जैसे अहम पद से रिटायर्ड एम.पी. श्रीवास्तव ने वक्त रहते फौर्च्यून डिवाइन सिटी में फ्लैट ले लिया था.

एम.पी. श्रीवास्तव नौकरी से तो रिटायर हो गए थे, लेकिन जवान हो गई दोनों बेटियां विभा और आभा की शादी की चिंता से मुक्त नहीं हो पाए थे. रिटायरमेंट के बाद उन का अधिकांश समय बेटियों के लिए योग्य वर ढूंढने में गुजर रहा था. साधनसंपन्न घर में सब कुछ था. साथ ही खुशहाल परिवार में 2 होनहार बेटियां और कुशल गृहिणी साबित हुई उन की पत्नी चंद्रा, जिन्हें पति से ज्यादा बेटियों के हाथ पीले होने की चिंता सताती थी.

13 जुलाई को श्रीवास्तवजी के फ्लैट नंबर 503 में जो चहलपहल हुई, उस की उम्मीद श्रीवास्तव दंपति ने सपने में भी नहीं की थी. ऐसी शोहरत जिस से हर शरीफ शहरी बचना चाहता है, कैसी और क्यों थी, पहले उस की वजह जान लेना जरूरी है.

इस संभ्रांत संस्कारी कायस्थ परिवार की बड़ी बेटी का नाम विभा है, जिस की उम्र 31 साल है. विभा पढ़ाईलिखाई में तो होशियार है ही, साथ ही उस की पहचान उस के सांवले सौंदर्य की वजह से भी है. एमटेक करने के बाद महत्त्वाकांक्षी विभा ने बजाय नौकरी करने के मुंबई का रास्ता पकड़ लिया था. चाहत थी मौडल बनने की.

विभा महत्त्वाकांक्षी ही नहीं, बल्कि प्रतिभावान भी थी. इसी के चलते करीब 3 साल पहले एक समारोह में कायस्थ समाज ने उसे सम्मानित भी किया था. उसी साल विभा ने एक ब्यूटी कौंटेस्ट में भी हिस्सा लिया था, जिस में वह विजेता रही थी.

इस सब से उत्साहित विभा को भी लगने लगा था कि अगर कोशिश की जाए तो उस के लिए सेलिब्रिटी बनना कोई मुश्किल काम नहीं है. उस ने अपनी यह इच्छा मांबाप को बताई तो उन्होंने उसे निराश नहीं किया. उन लोगों ने उसे मुंबई जाने की इजाजत दे दी.

मौडलिंग और फिल्मों में काम करने की सोच लेना तो आसान काम है, लेकिन ग्लैमर की इस दुनिया में अपना मुकाम बनाना हंसीखेल नहीं है. यह बात विभा को मुंबई जा कर समझ आई. लेकिन विभा हिम्मत हारने वालों में से नहीं थी. वह  काम हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष करती रही. बोलचाल की भाषा में कहें तो वह स्ट्रगलर थी.

मुंबई में रोजाना हजारों स्ट्रगलर हाथ में एलबम लिए निर्माता निर्देशकों और नामी कलाकारों के यहां धक्के खाते हैं. सचमुच दाद देनी होगी ऐसे नवोदित कलाकारों को, जो सुबह उठ कर देर रात तक चलते दौड़ते नहीं थकते. उस वक्त उन के जेहन में उन नामी कलाकारों के संघर्ष की छवि बसी होती है जो कभी उन्हीं की तरह स्ट्रगलर थे.

मीडिया भी ऐसे किस्से खूब बढ़ाचढ़ा कर पेश करता है. मसलन देखो कल का चाय या फल बेचने वाला या फिर पेशे से कंडक्टर कैसे शोहरत के शिखर पर पहुंच गया और अब अरबों की दौलत का मालिक है.

कामयाब होना है तो धक्के तो खाने ही पड़ेंगे, यह बात मुंबई पहुंचने वाला हर स्ट्रगलर जानता है. विभा भी जानती थी. स्ट्रगल के दौरान विभा की मुलाकात रोहित नाम के युवक से हुई जो खुद भी स्ट्रगलर था.

मूलत: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला रोहित भी छोटामोटा कलाकार था और किसी बड़े मौके की तलाश में था.

विभा और रोहित की जानपहचान पहले दोस्ती में और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई, इस का अहसास दोनों को उस वक्त हुआ, जब रोहित ने विभा पर बेजा हक जमाना शुरू कर दिया.

छोटे शहरों की बनिस्बत मुंबई की दोस्ती और प्यार में फर्क कर पाना बेहद मुश्किल काम है. वजह यह कि फिल्म इंडस्ट्री में कोई वर्जना नहीं होती. वहां कलाकार की पहचान उस की कामयाबी के पैमाने से होती है, जबकि विभा और रोहित अभी कामयाबी के सब से निचले पायदान पर खड़े थे. कामयाबी की सोचना तो दूर की बात है, अभी उन के कदम जरा भी आगे नहीं बढ़ पाए थे.

जमीन पर खड़ेखड़े ही विभा को अहसास हो गया था कि जितना उसे मिलना था, उतना मिल चुका. लिहाजा अब वापस भोपाल लौट जाए और मम्मीपापा जहां कहें, वहां शादी कर ले. वजह यह कि रोहित उस पर शादी के बाबत दबाव बनाने लगा था जो उस से बरदाश्त नहीं हो पा रहा था.

पर वापसी के पहले विभा ने एक आखिरी कोशिश इस सोच के साथ शौर्ट मूवी बना कर की थी कि अगर मूवी चल निकली तो आगे के रास्ते और किस्मत के दरवाजे खुदबखुद खुलते चले जाएंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उलटे जो हुआ वह उस की बनाई रील का रीयल लाइफ में उतर आना था.

अपनी बनाई मूवी में विभा ने अपनी पूरी कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और प्रतिभा झोंक दी थी. इस मूवी की प्रोड्यूसर उस की छोटी बहन आभा थी. मूवी के कथानक के आधार पर उस ने उस का नाम फ्रायडे नाइट रखा था.

फ्रायडे नाइट की कहानी मसालों से भरपूर थी, जिस की शूटिंग विभा ने अपने ही फ्लैट पर की थी. इस कहानी की मुख्य पात्र भी वही थी, जो एक लड़के से प्यार करने लगती है. लड़का विभा को धोखा दे देता है तो वह तिलमिला उठती है.

इस के पहले वह अपने प्रेमी के सामने रोतीगिड़गिड़ाती है, लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता. एक वक्त ऐसा भी आता है, जब विभा की हालत पागलों जैसी हो जाती है और इसी गुस्से में वह एक सख्त फैसला ले लेती है.

यह सख्त फैसला होता है अपने बेवफा प्रेमी का कत्ल कर देने का, जिसे वह एक शुक्रवार की रात को अंजाम देती है. विभा को लगा था कि उस की फिल्म बाजार में आते ही हाहाकार मचा देगी और बौलीवुड उसे हाथोंहाथ ले लेगा.

अपनी फिल्म को ले कर विभा ने कई चैनलों के चक्कर लगाए, लेकिन उसे किसी ने भाव नहीं दिया. अंतत: उस ने 2 साल पहले इस फिल्म को यूट्यूब पर अपलोड कर दिया. यूट्यूब पर भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं मिले. फ्रायडे नाइट को देखने वालों की संख्या मुश्किल से 5 अंकों में पहुंच पाई.

13 जुलाई को हजारों लोग विभा के पांचवीं मंजिल स्थित उस फ्लैट की तरफ उत्सुकता से देख रहे थे, जहां कभी फ्रायडे नाइट की शूटिंग हुई थी. इन में कितने ही लोग उस वीडियो को भी देख रहे थे जिसे रोहित ने वायरल किया था.

इस वीडियो में रोहित लाल बनियान में नजर आ रहा था और विभा पलंग पर बेहोश पड़ी थी. वीडियो में रोहित गुहार लगाता नजर आ रहा था कि देखो पुलिस और विभा के घर वाले हम बच्चों पर कितना जुल्म ढा रहे हैं.

रोहित के मुताबिक वह और विभा दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे. लेकिन विभा के घर वाले इस के लिए तैयार नहीं थे. आज जब वह विभा से मिलने आया तो उन्होंने पुलिस बुला ली. पुलिस वालों ने दोनों की इतनी पिटाई की कि शरीर के कई हिस्सों से खून बह रहा है. उस ने बहता हुआ खून भी दिखाया.

वीडियो वायरल होने की देर थी कि लोग मुफ्त का तमाशा देखने मिसरोद की तरफ दौड़ पड़े. रोहित का यह कहना गलत नहीं था कि विभा के घर वालों ने पुलिस बुला ली है.

पुलिस घटनास्थल पर मौजूद तो थी लेकिन यह सोच कर सकपकाई हुई थी कि इस सिचुएशन से कैसे निपटा जाए. मतलब यह कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. यानी विभा की जान भी बच जाए और रोहित को गिरफ्तार भी कर लिया जाए.

दरअसल उस दिन सुबह करीब 7 बजे मिसरोद थाना इंचार्ज एस.के. चौकसे को एम.पी. श्रीवास्तव के फोन पर इत्तला दी थी कि रोहित नाम के एक युवक ने उन के फ्लैट में जबरन घुस कर उन की बड़ी बेटी विभा को फ्लैट के आखिरी कमरे में बंधक बना रखा है. उन्हें यह बात तब पता चली जब वह दूध लेने फ्लैट से बाहर निकले थे.

मामला गंभीर था और संभ्रांत कालोनी से ताल्लुक रखता था, इसलिए 3 सदस्यीय पुलिस टीम जल्द ही फार्च्यून डिवाइन सिटी पहुंच गई. पुलिस दल का नेतृत्व एसआई एस.एस. राजपूत कर रहे थे. उन्होंने सारा मामला समझ कर रोहित को बहलाफुसला कर काबू में करने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हुए.

सुबहसुबह पुलिस को आया देख कालोनी के लोग विभा के घर के नीचे इकट्ठा हो कर माजरा समझने की कोशिश करने लगे थे. उन्हें इतना ही पता चल पाया कि श्रीवास्तवजी के घर कोई सिरफिरा घुस आया है, जिस ने उन की बड़ी बेटी को बंधक बना लिया है और तरहतरह की धमकियां दे रहा है.

रोहित को इस बात की आशंका थी कि विभा के मातापिता पुलिस को बुलाएंगे इसलिए वह सतर्क था. एम.पी. श्रीवास्तव उन की पत्नी चंद्रा और छोटी बेटी आभा हलकान थीं कि अंदर कमरे में विभा पर रोहित जाने क्याक्या जुल्म ढा रहा होगा. इस डर की वजह रोहित के हाथ में देसी कट्टे का होना था.

एसआई राजपूत ने रोहित से बात करने की कोशिश की तो उस ने मोबाइल चार्जर की मांग की. राजपूत से चार्जर लेने के लिए रोहित ने दरवाजा थोड़ा खोला तो उन्होंने हाथ अड़ा कर पूरा दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन रोहित इस स्थिति के लिए तैयार था. उस ने कैंची से राजपूत के हाथ पर हमला कर दिया और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी. चोट से तिलमिलाए एसआई राजपूत ने हाथ वापस खींच लिया तो रोहित ने चार्जर ले कर कमरा फिर से बंद कर लिया.

पुलिस को आया देख विभा की हिम्मत बढ़ी और उस ने रोहित का विरोध किया. इस पर झल्लाए रोहित ने विभा के हाथ और गले पर कैंची से वार कर के उसे घायल कर दिया. खून बहने से विभा बेहोश हो गई तो उस ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और इसी हालत में वीडियो शूट कर वाट्सऐप पर डाल दिया.

इस वीडियो के वायरल होते ही भोपाल में हड़कंप मच गया. थोड़ी देर में पुलिस के आला अफसर भी मौके पर पहुंच गए. एसपी (साउथ) राहुल लोढा ने भी रोहित से बातचीत कर के उस की मंशा जाननी चाही. शुरू में तो वह बात करने से कतराता रहा लेकिन खामोश रहने से बात नहीं बन रही थी, इसलिए उस ने जल्द ही अपने दिल की बात जाहिर कर दी कि वह विभा से प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है.

इस दौरान पुलिस ने रोहित के पिता को भी खबर कर दी थी, इसलिए वह अलीगढ़ से भोपाल के लिए निकल गए थे. दरअसल, रोहित की एक शर्त यह भी थी कि वह अपने पिता के आने के बाद ही दरवाजा खोलेगा.

यह पुलिस और प्रशासन का इम्तिहान था. वजह अपनी पर उतारू हो आया रोहित विभा को जान से भी मार सकता था. ऐसे में पुलिस वालों ने उस की हर बात मानने में ही भलाई समझी और लगातार उस से बात कर के उसे उलझाए रखा.

रोहित ने दूध मांगा तो वह भी उसे दिया गया, लेकिन वह दरवाजा खोलने को तैयार नहीं था, इसलिए दूध की बोतल छत से रस्सी से लटका कर दी गई. रोहित ने बोतल का दूध लेने से मना कर दिया क्योंकि उसे डर था कि कहीं उस में कोई नशीला या बेहोश कर देने वाला पदार्थ न हो. इस के बाद उस ने हर चीज पैक्ड मांगी जो उसे मुहैया कराई गई.

उधर रोहित द्वारा जारी वीडियो में विभा लहूलुहान और बेहोश दिखाई दे रही थी, जिसे देख कर उस के मांबाप और बहन की चिंता बढ़ती जा रही थी. वीडियो में रोहित एसआई एस.एस. राजपूत को भी कोसता नजर आया. दोपहर होतेहोते स्थिति और विकट हो चली थी. रोहित कुछ समझने को तैयार नहीं था और बारबार विभा से शादी करने की रट लगाए जा रहा था. खाना और पानी भी उसे बालकनी से दिया गया था, जो उस की मांग के मुताबिक पैक्ड था.

जब खूब हल्ला मच गया तो शाम के करीब 5 बजे आला पुलिस अधिकारी हाइड्रोलिक मशीन के जरिए 5वीं मंजिल तक पहुंचे और रोहित से बातचीत की. हाइड्रोलिक मशीन पर राहुल लोढ़ा के साथ एसडीएम दिशा नागवंशी और एएसपी रामवीर यादव थे.

इन लोगों ने खिड़की से रोहित से बात की और उसे भरोसा दिलाया कि उस की शादी विभा से करवा दी जाएगी, इस में कोई अड़चन इसलिए नहीं है क्योंकि दोनों बालिग हैं और शादी के लिए राजी हैं.

राहुल लोढ़ा ने समझदारी से काम लेते हुए रोहित को आश्वस्त किया कि शादी रजिस्टर्ड होगी, क्योंकि एसडीएम भी उन के साथ हैं. चूंकि बंद कमरे में शादी नहीं करवाई जा सकती थी, इसलिए उन्होंने रोहित से बाहर आने के लिए कहा.

रोहित समझ तो रहा था कि यह पुलिस की चाल भी हो सकती है, लेकिन अब तक 12 घंटे गुजर चुके थे और वह थकने लगा था. वह बारबार विभा को धमका रहा था. होश में आ चुकी विभा की समझ में भी आ गया था कि इस सिरफिरे से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि उस की बात मान ली जाए.

मेरी नहीं हुई तो मैं तुम्हें किसी और की भी नहीं होने दूंगा. अगर किसी और से शादी की तो मार डालूंगा, जैसे फिल्मी डायलौग बोलने वाले राहुल को थोड़ी तसल्ली तब हुई, जब विभा ने स्टांप पेपर पर शादी की सहमति दे दी.

इधर पुलिस वाले भी कुछ इस तरह से पेश आ रहे थे, मानो बाहर आते ही दोनों की शादी करा देंगे. रोहित को लग रहा था कि वह प्यार की जंग जीत गया है, जमाना उस के सामने झुक गया है.

वह पूरी ठसक से बाहर निकल आया. इस के पहले उस ने कुछ मीडियाकर्मियों से वीडियो कालिंग के जरिए बात की और जीत का निशान अंगरेजी का ‘वी’ अक्षर बनाते हुए खुशी जाहिर की थी.

बाहर आते ही पुलिस ने सिरफिरे आशिक रोहित को गिरफ्तार कर लिया और विभा सहित उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया, क्योंकि दोनों के शरीर से काफी खून बह चुका था. वहां गुस्से में मौजूद महिलाओं ने रोहित की जूतेचप्पलों और लातघूसों से खूब धुनाई की.

इलाज के बाद रोहित को हिरासत में ले लिया गया और विभा को घर जाने दिया गया. अस्पताल में विभा ने बताया कि वह रोहित से प्यार नहीं करती, उस ने तो खुद के बचाव के लिए शादी के हलफनामे पर दस्तखत कर दिए थे.

विभा की मां चंद्रा ने खुलासा किया कि एक साल से रोहित विभा के पीछे पड़ा था और उसे तरहतरह से तंग कर रहा था. इसी साल होली के मौके पर 28 मार्च को भी वह उन के घर में घुस आया था, तब भी उस के हाथ में कट्टा था. इस की शिकायत थाने में लिखाई गई थी और पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में उसे कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

इधर मथुरा तक आ गए रोहित के पिता रेशमपाल को जैसे ही ड्रामे के खात्मे की जानकारी मिली, वह वहीं से वापस लौट गए. उन्होंने यह जरूर बताया कि वह रोहित की बेजा हरकतों से आजिज आ चुके हैं. इसीलिए कुछ दिन पहले उन्होंने उसे अपनी जायदाद से बेदखल कर दिया था. गांव में प्रधानी के चुनाव के दौरान रोहित द्वारा शराब चुराए जाने की बात भी उन्होंने बताई.

रेशमपाल ने ईमानदारी से यह भी बताया कि रोहित ने कई दफा इस लड़की (विभा) से फोन पर उन की बात कराई थी. यानी लोगों का यह अनुमान गलत नहीं था कि मामला उतना एकतरफा नहीं था, जितना विभा बता रही थी. उस ने भले ही रोहित से प्यार की बात नहीं स्वीकारी, पर यह जरूर कह रही थी कि रोहित का असली चेहरा सामने आने के बाद उस ने उस से दूरियां बनानी शुरू कर दी थीं.

जाहिर है माशूका की इसी बेरुखी से रोहित झल्लाया हुआ था. उसे विभा बेवफा नजर आने लगी थी, लेकिन वह उसे दिलोदिमाग से निकाल नहीं पा रहा था. गिरफ्तारी के दूसरे दिन रोहित पुलिस वालों से यह कहता रहा कि उन एसपी साहब को लाओ, जिन्होंने शादी करवाने का वादा किया था.

उस के मुंह से यह सुन कर सभी को उस पर हंसी भी आई और तरस भी. पुलिस वाले इस ड्रामे को थर्सडे नाइट कहते नजर आए, क्योंकि इस की शुरुआत गुरुवार 12 जुलाई से हुई थी.

श्रीवास्तव परिवार अभी सदमे से उबरा नहीं है और न ही लंबे समय तक उबर पाएगा. रोहित ने 12 घंटे जो ड्रामा किया, उस की दहशत उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. खुद विभा आशंका जता रही है कि अगर रोहित को जमानत मिली तो वह फिर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा.

रोहित के पिता रेशमपाल का भी यही कहना है कि रोहित को जमानत नहीं मिलनी चाहिए. कथा लिखने तक रोहित को जमानत नहीं मिली थी, पर भोपाल के सीनियर वकीलों का कहना है कि कुछ देर से ही सही, उसे जमानत मिल ही जाएगी. इसलिए बदनामी झेल चुके श्रीवास्तव परिवार को संभल कर रहना चाहिए.

जब प्यार में आया ट्विस्ट – भाग 4

पूनम की नजदीकियां देवर के दोस्त अरुण से बढ़ीं तो पूनम को अरुण में वह सब खूबियां नजर आईं, जो वह चाहती थी. अरुण मजबूत कदकाठी और रौबीले चेहरे वाला आकर्षक युवक था. वह अच्छा पैसा कमाता था और दिल खोल कर खर्च करता था. इसलिए पूनम उस की ओर आकर्षित हो गई.

रोजरोज की मुलाकात से दोनों के बीच की दूरियां मिटती गईं और दोनों के बीच हंसीमजाक व शारीरिक छेड़छाड़ होने लगी. एक रोज पूनम को घर में अकेला पा कर अरुण ने शारीरिक छेड़छाड़ शुरू की तो पूनम भी खुद को रोक न पाई. इस के बाद तो मानो 2 जिस्मों के अरमानों की होड़ लग गई. जल्द ही हसरतें बेलिबास हो गईं और उन के बीच नाजायज संबंध बन गए.

अरुण ने संदीप की भाभी पूनम से संबंध बनाए तो वह अपनी प्रेमिका सीमा से दूरी बनाने की कोशिश करने लगा. सीमा को शक हुआ तो उस ने अरुण पर नजर रखनी शुरू कर दी. कुछ समय बाद ही सीमा को पता चल गया कि अरुण ने संदीप की भाभी पूनम से नाजायज रिश्ता बना लिया है. इस बात को ले कर सीमा और अरुण के बीच खूब बहस हुई. सीमा ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

वर्ष 2018 में अरुण कुमार के मातापिता ने उस का विवाह शिवराजपुर कस्बा निवासी मंगली कुरील की बेटी नीतू से कर दिया. शादी के बाद नीतू अपने पति अरुण के साथ पनकी कलां में रहने लगी. एक साल बाद नीतू ने बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के बाद जहां नीतू खुश थी, वहीं उस के सासससुर भी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे.

प्रेमी अरुण की शादी की जानकारी सीमा को हुई तो उस ने अरुण से सवालजवाब किए. खरीखोटी भी सुनाई. उस के बाद उस ने अरुण का साथ छोड़ दिया. हां, इतना जरूर था कि अरुण के फोन करने पर वह जबतब काल रिसीव कर लेती थी और बात कर लेती थी. शादी हो जाने के बाद भी अरुण ने अय्याशी का दामन नहीं छोड़ा था. गुपचुप तरीके से उस का शारीरिक मिलन पूनम से होता रहता था.

अरुण सीमा का पहला प्यार था, सो वह उसे भुला नहीं पा रही थी. इसी निराशा भरे माहौल में सीमा की मुलाकात संदीप कश्यप से हुई. संदीप सीमा का गम समझता था, सो उस का झुकाव सीमा की ओर हो गया.

सीमा को भी सहारा चाहिए था, इसलिए उस ने संदीप की दोस्ती कुबूल कर ली. जल्द ही दोस्ती प्यार में बदल गई. इस के बाद सीमा और संदीप के बीच शारीरिक रिश्ता भी बन गया.

सीमा अब अरुण से नफरत करने लगी थी, इसलिए उस की जिंदगी में जहर घोलने के लिए उस ने दूसरे प्रेमी संदीप के कान भरने शुरू कर दिए. सीमा ने बताया कि अरुण ने उस के साथ प्यार में छल किया है और गर्भ भी गिरवाया था.

सीमा ने कहा कि अरुण ने मेरे साथ ही विश्वासघात नहीं किया है, वह तुम्हारी पीठ में भी इज्जत का छुरा घोंप रहा है. उस के तुम्हारी भाभी पूनम से भी नाजायज संबंध हैं. पूनम भाभी भी उस की इतनी दीवानी है कि उन्होेंने 10 हजार रुपए तथा कुछ जेवर भी अरुण को दे दिए हैं.

सीमा की बात सुन कर संदीप को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्सा पी गया. उस ने सुनीसुनाई बातों पर विश्वास करना सही नहीं समझा. उस ने सच्चाई का पता लगाने के लिए सारी बात बड़े भाई पवन को बताई.

फिर दोनों ने मिल कर पूनम को ठोकपीट कर सारी सच्चाई उगलवा ली. पूनम ने नाजायज रिश्तों और रुपया-जेवर अरुण को देने की बात कुबूल कर ली.

इधर अरुण को सीमा और संदीप के रिश्तों की बात पता चली तो उस ने सीमा को समझाया कि वह संदीप से रिश्ता खत्म कर किसी अच्छे घर में शादी कर ले. साथ ही फोन पर संदीप को धमकाया कि वह सीमा से नाता तोड़ ले अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा.

अरुण की धमकी और भाभी के साथ नाजायज संबंधों ने संदीप की खोपड़ी घुमा दी. उस ने अरुण को सबक सिखाने की ठान ली. इस के बाद उस ने बड़े भाई पवन और चचेरे भाई अमित उर्फ गुड्डू के साथ मिल कर अरुण की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत संदीप ने देसी कट्टा और कारतूसों का भी इंतजाम कर लिया.

16 जुलाई, 2022 की दोपहर बाद संदीप ने अरुण को फोन किया और बताया कि किसान नगर में एक मकान की स्लैब पड़नी है. आ कर साइट देख लो. 15 हजार रुपया एडवांस भी मिल जाएगा. हम तुम्हें शराब ठेके पर मिलेंगे.

‘‘ठीक है, मैं जल्द ही आ रहा हूं. तुम इंतजार करो.’’ कह कर अरुण ने फोन काट दिया. उस के बाद अरुण पत्नी नीतू से काम की बात पक्की करने की बात कह कर घर से निकल गया.

शाम लगभग 4 बजे अरुण किसान नगर ठेके पर पहुंचा. उस समय वहां पर संदीप, उस का भाई पवन तथा चचेरा भाई अमित उर्फ गुड्डू मौजूद थे. संदीप ने बताया कि मकान बनवाने वाला गंगरौली गांव का रहने वाला है. वहीं बात पक्की होगी. अरुण झांसे में आ गया और संदीप के साथ चल दिया.

शाम ढलते अरुण, संदीप, पवन और अमित के साथ गंगरौली गांव के बाहर रिंद नदी किनारे एक खेत पर पहुंचा. वहां बैठ कर चारों ने शराब पी. अरुण को जानबूझ कर कुछ ज्यादा शराब संदीप ने पिलाई. अब तक अंधेरा छा गया था और चारों ओर सन्नाटा फैला था.

उचित मौका देख कर पवन और अमित ने अरुण को दबोच लिया फिर संदीप ने तमंचे से अरुण के सीने में गोली मार दी. अरुण की हत्या के बाद संदीप व उस के साथियों ने खेत में गड्ढा खोद कर शव को दफना दिया और सबूत मिटाने के लिए खेत की जुताई कर दी.

इधर जब अरुण घर वापस नहीं आया तो नीतू ने पति की गुमशुदगी थाना पनकी में दर्ज कराई. एसएचओ अंजन कुमार सिंह काल डिटेल्स के आधार पर जांच करने सपई गांव पहुंचे और शक के आधार पर अमित उर्फ गुड्डू को हिरासत में लिया. गुड्डू ने अरुण की हत्या का खुलासा किया और गड्ढे में दफन शव को बरामद कराया.

21 जुलाई, 2022 को पुलिस ने हत्यारोपी अमित कुमार उर्फ गुड्डू तथा संदीप कश्यप को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. तीसरे आरोपी पवन कश्यप ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सीमा नाम काल्पनिक है.

प्रेमिका का छलिया प्रेमी से इंतकाम – भाग 4

अभिषेक सैनी सारण जिले के मशरक थाना के दक्षिण टोला में रहता था. वह उस के भाई का बेटा था. रिश्ते में भतीजा लगता था. 19 वर्षीय अभिषेक इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. लालसा ने अभिषेक को घर बुलवा लिया. उस ने जब अपने खतरनाक इरादों से उसे अवगत कराया तो अभिषेक कांप उठा. उस ने लालसा को समझाया भी, लेकिन वह नहीं मानी.

उस ने अभिषेक से कहा, ‘‘देशदीपक जैसे नाग को कुचलना ही होगा. उस ने आज मेरी जिंदगी बरबाद की है. कल किसी दूसरी लड़की की कर सकता है. वह किसी तरह की माफी के काबिल हरगिज नहीं है.’’

पक्का इरादा बनाने के बाद लालसा ने बसंतपुर से एक तेजधार वाला चापड़ और एक चाकू खरीदा और उसे छिपा कर बैग में रख लिया.

योजना के तहत पहली जून, 2022 की सुबह 4 बजे लालसा अपने भतीजे अभिषेक के साथ कानपुर आ गई. फिर 40 किलोमीटर का सफर बस द्वारा तय कर बिल्हौर कस्बा पहुंची. देशदीपक अपने कमरे में ही था. वह ड्यूटी पूरी कर एक घंटा पहले ही कमरे में आया था.

लालसा को देख कर वह मन ही मन खुश हुआ. लालसा भी उस से घुलमिल गई और मीठीमीठी बातें करने लगी. लालसा ने देशदीपक को आभास नहीं होने दिया कि वह कितने खतरनाक मंसूबों के साथ उस के पास आई है.

लगभग साढ़े 12 बजे देशदीपक की पत्नी अंजलि का फोन आया तो वह उस से रसीली बातें करने लगा. दोनों की बातों से लालसा का गुस्सा और बढ़ गया.

अभिषेक कमरे के बाहर कुरसी पर बैठा अखबार पढ़ रहा था. कमरे में लालसा और देशदीपक थे. देशदीपक, लालसा से शारीरिक मिलन करना चाहता था, सो वह उस से जबरदस्ती करने लगा.

उस ने जैसे ही लालसा को चारपाई पर खींचा तभी लालसा ने बैग से चाकू निकाल कर देशदीपक की गरदन पर वार कर दिया. इसी समय अभिषेक भी कमरे में आ गया. उस ने बैग से चापड़ निकाला और देशदीपक की गरदन पर प्रहार कर दिया.

गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून की धार बह निकली. इस के बाद तो लालसा ने चंडी का रूप धारण कर लिया और अभिषेक से चापड़ छीन कर कई वार देशदीपक की गरदन पर किए. जिस से उस की गरदन लगभग पूरी कट गई और उस की सांसें थम गईं.

हत्या करने के बाद लालसा और अभिषेक ने खून सने कपड़े बदले फिर खून सना चाकू, चापड़ तथा कपड़े बैग में रख लिए. लालसा ने देशदीपक का पर्स व मोबाइल फोन भी बैग में रख लिया. इस के बाद कमरे में बाहर से ताला लगा कर दोनों भाग निकले.

कुछ दूरी पर एक खाली प्लौट था. इस प्लौट की झाडि़यों में उन दोनों ने चाकू, चापड़ व खून सने कपड़े छिपा दिए और फरार हो गए. देशदीपक का फोन भी उन्होंने बंद कर दिया.

इधर हत्या की जानकारी तब हुई, जब देशदीपक के पिता प्रमोद कुमार ने देशदीपक से मोबाइल फोन पर बात न हो पाने की जानकारी एसआई नीरज बाबू को दी. नीरज बाबू एक सिपाही के साथ देशदीपक के कमरे पर पहुंचे, जहां उस की लाश पड़ी थी.

पुलिस ने आरोपी लालसा कुमारी उर्फ लाली व अभिषेक सैनी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद 5 जून,2022 को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.      द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

डर के शिकंजे में : विनीता को क्यों देनी पड़ी जान – भाग 3

ज्ञानेश्वर के ड्यूटी पर जाने के बाद वह वनिता को फोन कर के धमकी देता था कि अगर उस ने उस का कहना नहीं माना तो वह उस के बच्चों, मां और भाई की हत्या करवा देगा.

रावसाहेब की धमकी से वह इतनी घबरा गई थी कि उस के बुलावे पर उस की बताई जगह पर पहुंच जाती. रावसाहेब वनिता को कभी किसी फ्लैट में तो कभी किसी लौज या होटल में बुलाता था. उस के साथ मौजमस्ती कर के वह उसे भेज देता.

करीब 10 सालों तक चले इन संबंधों से वनिता ऊब चुकी थी. समाज और परिवार में उस की खूब थूथू हो रही थी. इस सब से बचने के लिए वनिता ने एक अहम फैसला लिया. उस ने रावसाहेब पर शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया.

जिस तरह से रावसाहेब उसे धमकाता था, वनिता ने भी उसे उसी अंदाज में धमकाना शुरू कर दिया. वनिता ने कहा कि अगर वह उस से शादी नहीं करेगा तो वह उसे कहीं का नहीं छोड़ेगी. वनिता की इस इस धमकी से वह बुरी तरह घबरा गया था.

इस के पहले कि वनिता उस के खिलाफ कोई कदम उठाती, रावसाहेब ने वनिता को ठिकाने लगाने के लिए एक खतरनाक योजना तैयार कर ली. पूरी योजना बनाने के बाद रावसाहेब दुसिंग ने अपनी कार में वनिता की मौत का सामान रखा और किसी बहाने से वनिता को कार में बैठा कर होटल वीरपार्क पहुंच गया.

होटल पहुंच कर पहले रावसाहेब ने वनिता के साथ मौजमस्ती की. फिर शादी की बात को ले कर दोनों में जोरदार तकरार हुई.

रावसाहेब ने अपनी योजना के अनुसार वनिता के साथ मारपीट की. फिर कमरे की कुरसी से वनिता को पीट कर घायल कर दिया. इस के बाद उस का गला घोंट कर हत्या कर दी.

इस के बाद उस की योजना थी कि वह उस की डैडबौडी को कहीं किसी सुनसान जगह पर ले जा कर पैट्रोल और कैमिकल डाल कर जला देगा, जिस से सारे सबूत नष्ट हो जाएंगे.

लेकिन उसे इस का मौका नहीं मिला. तब उस ने वनिता का शव होटल में ही छोड़ देने का फैसला किया.

इस के लिए पहले उस ने वनिता का चेहरा कैमिकल से जला कर खराब कर दिया. वह खुद होटल से निकल जाना चाहता था लेकिन उसे इस का भी मौका नहीं मिला.

रावसाहेब उस समय बहुत डर गया, जब पुलिस, कानून और हथकड़ी उस की आंखों के सामने घूमने लगे. इसी डर की वजह से उस ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली.

थानाप्रभारी नागेश मोरे के निर्देशन में महिला इंसपेक्टर सुप्रिया फड़तरे ने इस मामले की जांच पूरी की. चूंकि इस प्रकरण में हत्या और आत्महत्या करने वाला कोई भी जीवित नहीं था, इसलिए जांच अधिकारी ने मामले की फाइल बंद कर दी.

प्यार में धोखा न सह सकी पूजा – भाग 4

प्यार में धोखे को बरदाश्त न कर सकी पूजा

घर पहुंचते ही उस ने यह बात अपने भाई भरत आर्या को बताई. बहन की बात सुनते ही उस की आंखों में खून उतर आया. उसे दुख इस बात का था कि सुहेल ने उन की गरीबी का नाजायज फायदा उठाते हुए उस की बहन की इज्जत भी लूट ली थी.

उस समय भरत आर्या आर्मी के लिए सेलेक्ट हो चुका था. पूजा की बात सुन कर उस के तनबदन में आग लग गई. लेकिन उस वक्त वह मजबूर था. अगर उस वक्त उस के हाथों कुछ अनर्थ हो जाता तो नौकरी पर जाने से पहले ही जेल की सलाखों के पीछे होता.

भरत आर्या ने यह बात अपने घर वालों को भी नहीं बताई. फिर भी अपनी बहन की खुशी के लिए वह सुहेल की दुकान पर जा कर उस से मिला. उस ने उस से विनती की कि उस की बहन उस के वियोग में जहर खा कर आत्महत्या करने को तैयार है. वह अपनी बहन को बहुत ही प्यार करता है. अगर वह चाहे तो वह अपने परिवार वालों से लड़झगड़ कर उस के साथ उस की शादी करने को भी तैयार है.

लेकिन सुहेल ने साफ मना कर दिया कि उस के घर वाले किसी दूसरे मजहब की लड़की से उस की शादी करने के लिए तैयार ही नहीं. इस बात को सुन कर भरत आर्या अपने घर वापस आ गया.

घर आ कर भरत ने पूजा को समझाने की कोशिश की. लेकिन वह उस की एक भी मानने को तैयार न थी. सुहेल के वियोग में उस की मानसिक स्थिति भी खराब हो गई थी. जब सुहेल ने पूजा के साथ शादी करने से इंकार कर दिया तो एक दिन पूजा ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली. यह 2017 की बात है.

बहन द्वारा आत्महत्या किए जाने से भरत आर्या को बहुत दुख हुआ. वह उस को न्याय दिलाना चाहता था. लेकिन उस के पास कोई ऐसे पक्के सबूत नहीं थे, जिस के आधार पर वह सुहेल को जेल की सलाखों के पीछे तक ले जा सके.

उस के बाद भी सुहेल भरत आर्या को देख कर भद्दी छींटाकशी करता रहता था, जिस को भरत आर्या जहर समझ कर निगलता आ रहा था. लेकिन उस ने तभी प्रण कर लिया था कि एक न एक दिन तो वह उस से अपनी बहन की मौत का बदला ले कर ही रहेगा.

सुहेल को सबक सिखाने की ठान ली भरत ने

नौकरी लगते ही भरत आर्या के घर की स्थिति भी ठीकठाक हो गई थी. उस का बड़ा भाई भी वन विभाग में फोरेस्ट गार्ड की नौकरी करने लगा था. उस से छोटा भी आर्मी में भरती हो गया था. भरत आर्या 14 जुलाई, 2022 को एक महीने की छुट्टी ले कर घर आया हुआ था.

एक दिन भरत आर्या अपने पापा हरीश राम की दुकान पर गया तो सामने से सुहेल सिद्दीकी आ गया. उस को देखते ही सुहेल अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. उस ने उसे देखते ही मजाक उड़ाने की कोशिश की. सुहेल की बात से भरत के तनबदन में आग लग गई.

उसी शाम भरत के दोस्त उस से मिलने उस के घर पर आए हुए थे. शाम को खानेपीने के बाद भरत आर्या ने अपनी परेशानी उन के सामने रखते हुए उस का हल निकालने वाली बात रखी तो उस के दोस्तों ने उस का पूरा सहयोग देने वाली बात कही.

उसी वक्त सुहेल सिद्दीकी का काम तमाम करने की योजना बनी. भरत आर्या ने सभी दोस्तों को विश्वास दिलाया कि अगर यह पुलिस केस बनता भी है तो उन का सारा खर्च वह स्वयं ही उठाएगा.

सुहेल को उस की करनी का फल देने के लिए एक योजना बनी. उसी योजनानुसार 2 अगस्त, 2022 को सभी दोस्त एक साथ बैठे और उसी दिन सुहेल सिद्दीकी की मौत की स्क्रिप्ट भी लिखी गई.

फिर भरत आर्या का दोस्त दिनेश टम्टा, योगेश सिंह और मनोज सिंह एल्टो कार से उसे साथ ले कर कोटद्वार रोड की तरफ नहर के किनारे खड़े हो गए थे.

सुहेल हर रोज रात के 9 बजे अपनी दुकान बंद कर घर जाता था. उसी समय दिनेश सुहेल की दुकान की तरफ रैकी करने पहुंचा. उस वक्त सुहेल दुकान बंद करने की तैयारी कर ही रहा था.

कुछ समय बाद ही सुहेल अपनी बाइक प्लेटिना से जैसे ही कार के सामने आता दिखाई दिया, योगेश ने कार से उस की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी.

टक्कर लगते ही सुहेल बाइक से नहर की पटरी पर जा गिरा. उस के सिर में गहरी चोट लग गई थी. उस के बाद भी सुहेल ने खड़ा होने की कोशिश की तो भरत आर्या के दोस्तों ने कार में रखी रौड से उस के सिर पर तेज प्रहार किए. जिस के कारण उस की मौके पर ही मौत हो गई.

सुहेल की मौत हो जाने के बाद चारों दोस्तों ने उस की लाश कार में डाली और काशीपुर होते हुए ठाकुरद्वारा करनपुर मार्ग से थाना छजलैट के जंगलों में पहुंचे. सुहेल का मोबाइल, आधार कार्ड व पर्स भी नहर के तेज बहाव में फेंक दिया गया. उस के साथ ही उस की बाइक भी सड़क किनारे चाबी सहित फेंक दी थी.

उस जगह से लगभग 500 मीटर आगे जा कर मेनरोड से बाईं ओर जाने वाले रास्ते पर गन्ने के खेत में उस की लाश भी फेंक दी. उस के बाद शव की पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे पर पैट्रोल डाल कर आग लगा दी, जिस से उस की शिनाख्त न होने पाए. सुहेल की लाश को ठिकाने लगाने के बाद सभी कार से रामनगर आ गए थे.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को भादंवि की धारा 302/364/201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.   द्य

अफसाना एक दीपा का – भाग 3

2 प्रेमियों की रखैल की तरह रह रही दीपा का भी इन से मन भरने लगा तो उस ने और भी आशिकों को घर आने की छूट दे दी. जिस पर दिलीप को तो नहीं पर धर्मेंद्र को जरूर ऐतराज हुआ. यह ऐतराज जायज था या नाजायज, यह तय कर पाना तो मुश्किल है. लेकिन यह एक भयानक हादसे यानी कत्ल की वारदात के रूप में बीती 18 मई को सामने आया तो पूरा उज्जैन दहल सा गया.

दीपा के पड़ोस में रहने वाले जितेंद्र पवार जब 18 मई, 2018 की सुबह करीब 8 बजे छत पर पहुंचे तो यह देख घबरा गए कि बगल में रहने वाली दीपा के घर से धुआं निकल रहा है. किसी अनहोनी की आशंका से घबराए जितेंद्र ने तुरंत पुलिस और दमकल विभाग को फोन कर इस की सूचना दी.

चंद मिनटों बाद ही पुलिस और दमकलकर्मी वल्लभनगर पहुंच गए. दमकलकर्मियों ने जैसेतैसे आग पर काबू पाया. इस के बाद पुलिस अंदर दाखिल हुई.

पुलिस वाले यह देख दहल गए कि रसोई में एक जवान महिला की अर्धनग्न लाश औंधी पड़ी थी. लाश के ऊपर मोटे गद्दों के साथ अधजली दरी भी पड़ी थी. लाश दीपा की ही थी. उस के दोनों हाथों की नसें कटी हुई थीं और गरदन पर धारदार हथियार के निशान भी थे. दीवारों और दरवाजों पर भी खून के निशान थे. साफ दिख रहा था कि मामला बेरहमी से की गई हत्या का है.

बेरहमी से की गई हत्या

माधवनगर थाने के इंचार्ज गगन बादल ने तुरंत इस जघन्य हत्या की खबर एसपी सचिन अतुलकर और एफएसएल अधिकारी डा. प्रीति गायकवाड़ को दी. मामला गंभीर था, इसलिए ये दोनों भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल के मुआयने में दिखा कि पूरा घर अस्तव्यस्त था और बैडरूम का दरवाजा टूटा पड़ा था. सब से अजीब और चौंका देने वाली बात यह थी कि दीपा की लाश के पैरों के बीच एलपीजी सिलेंडर की नली घुसी हुई थी. हत्या की ऐसी वारदात पुलिस वालों ने पहली बार देखी थी. लाश 90 फीसदी जली हुई थी.

तुरंत लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. 3 डाक्टरों एल.के. तिवारी, अजय दिवाकर और रेखा की टीम ने उस का पोस्टमार्टम कर अपनी रिपोर्ट में कहा कि दीपा को जिंदा जलाया गया है. ऐसा क्यों किया गया, यह हत्यारा ही बता सकता था.

अड़ोसपड़ोस में पूछताछ करने पर पता चला कि मृतका दीपा वर्मा दिलीप की पत्नी थी. सचिन अतुलकर ने जांच के लिए माधवनगर थाने के टीआई गगन बादल के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच के आदेश दे दिए. टीम में एसआई बी.एस. मंडलोई, संजय राजपूत, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र सिंह के अलावा साइबर सेल की तेजतर्रार इंसपेक्टर दीपिका शिंदे को शामिल किया गया.

पूछताछ में दिलीप का नाम सामने आया. मकान मालिक ने भी अपने बयान में बताया कि जनवरी में उन्होंने मकान दिलीप को किराए पर दिया था. दीपिका शिंदे ने सब से पहले दिलीप की गरदन पकड़ी तो उस ने अपने और दीपा के संबंधों का सच उगलते हुए खुद के हत्यारे होने या हत्या में लिप्त होने से साफ इनकार कर दिया. दीपा के दोनों भाई बहन की लाश पर आंसू बहाने आए. उन्होंने भी दिलीप पर आरोप लगाया कि वह आए दिन दीपा के साथ मारपीट करता था.

दिलीप ने पुलिस को बताया कि उस की गैरमौजूदगी में कई युवक दीपा से मिलने आते रहते थे. उस के इन प्रेमियों में एक नाम धर्मेंद्र का भी था. जांच करतेकरते शाम हो चली थी. पुलिस टीम आधी रात के करीब धर्मेंद्र के घर पहुंची तो वह घबरा उठा. इंसपेक्टर दीपिका शिंदे ने जब धर्मेंद्र पर नजर डाली तो उस के हाथ पर घाव दिखे. वह तुरंत समझ गईं कि दीपा का हत्यारा उन के सामने खड़ा है.

दीपिका शिंदे ने सीधा सवाल यह दागा, ‘तूने दीपा की हत्या क्यों की?’ तो बजाय इधरउधर की बातें करने या खुद का बचाव करने के उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

अपने बयान में हत्या की वजह का खुलासा करते हुए धर्मेंद्र ने बताया कि उसे दिलीप से कोई ऐतराज नहीं था, लेकिन उसे दूसरे लड़कों से उस की दोस्ती और शारीरिक संबंध मंजूर नहीं थे.

आखिर प्रेमी से ही मौत मिली दीपा को

हादसे के हफ्ते भर पहले ही धर्मेंद्र की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया था, इसलिए उस के साथ वह सो नहीं सकता था. जिस्म की तलब लगी तो उस ने दीपा को फोन किया. पहले तो दीपा ने मना कर दिया लेकिन उस के बारबार कहने पर वह राजी हो गई.

तय यह हुआ कि रात को एंजौय करने के पहले दोनों पार्टी करेंगे. इस बाबत शाम को धर्मेंद्र और दीपा बाजार गए और रात के जश्न के लिए शराब और चिकन खरीदा. बाजार में घूमने के दौरान ही दीपा के पास किसी का फोन आया था, जिसे उस ने कुछ हिचकते हुए रिसीव किया था.

फोन करतेकरते उस ने कहा था कि आज नहीं क्योंकि उस का पति आया हुआ है. दीपा पर शक तो धर्मेंद्र को पहले से ही था, इसलिए उस ने उस से छिप कर दिलीप को फोन किया तो पता चला कि वह तो गांव में है. इस झूठ पर वह तिलमिला उठा. शक पैदा करने वाली दूसरी बात दीपा का जरूरत से ज्यादा शराब और चिकन खरीदना भी था.

शक में मूड खराब होने पर धर्मेंद्र घर चला गया. इसी शक के मारे उस के तनबदन में आग लग रही थी. दीपा उसे अब बेवफा और बदचलन लगने लगी थी. कुछ सोचते हुए वह दीपा की सच्चाई जानने के लिए आधी रात को उस के घर पहुंच गया.

गया तो वह दीपा के साथ मौजमस्ती करने के इरादे से था लेकिन जब उसे यह पता चला कि उस के पैसे से लाई शराब और गोश्त से दीपा 2 दूसरे लड़कों रवि और मनोहर उर्फ कुक्कू के साथ पार्टी कर चुकी है तो उस का खून खौल उठा.

इस बात पर दोनों में खूब झगड़ा हुआ और फिर धर्मेंद्र ने दीपा की हत्या कर दी. जब इन दोनों का झगड़ा शुरू हुआ था तब कुक्कू बाहर ही छिपा था, लेकिन हत्या के पहले भाग गया था. जिसे पुलिस ने सरकारी गवाह बना लिया. चंद घंटों में ही कातिल को पकड़ लेने पर एसपी सचिन अतुलकर ने पुलिस टीम की पीठ थपथपाई.

दीपा अब इस दुनिया में नहीं है और धर्मेंद्र जेल में है. दिलीप पहले की तरह जिंदगी जी रहा है पर दीपा की मौत कई सवाल छोड़ गई है कि आखिरकार उस की गलती क्या थी? शराबी और निकम्मे पति ने उसे छोड़ दिया था तो दूसरी गलती मांबाप ने कम उम्र में उस की शादी कर के पहले ही कर दी थी.

तनहाई की मारी दीपा एक से दूसरे मर्द की बाहों में झूलती हुई मारी गई तो इस की जिम्मेदार भी वही थी. अगर वह धर्मेंद्र और दूसरे लड़कों के पीछे नहीं भागती तो शायद बच जाती. लेकिन यह चिंता भी उसे सता रही होगी कि दिलीप और धर्मेंद्र कब तक उस का खर्चा उठाएंगे. इसलिए उस ने नए लड़कों से संबंध बनाए, जिन का अंजाम इस तरह सामने आया.

चाहत का वो अंधेरा मोड़ – भाग 3

जेब में नकदी, एटीएम कार्ड, कैमरा आदि ले कर राजेंद्र रावतसर पहुंच गया था. खेतरपाल मंदिर तक पहुंचाने के लिए उस ने अपने ममेरे भाई सुभाष बावरी, जो नजदीकी गांव कणवाणी में रहता था, को फोन कर मोटरसाइकिल सहित रावतसर बुला लिया था.

सुभाष के साथ राजेंद्र बावरी 3 किलोमीटर दूर खेतरपाल मंदिर पहुंच गया था. वहां राजेंद्र व संजू ने फोन के सहारे एकदूसरे को पहचान लिया था. मेकअप से लकदक  व मनमोहक कपड़े पहने संजू राजेंद्र को हूर की परी लग रही थी.

संजू ने साथ में खड़े प्रेम को अपना भाई बताया. संजू ने चायपानी के बाद प्रेम को नजदीक गांव 4 सीवाईएम में छोड़ आने की बात कही थी.

इंद्रपाल की योजना के मुताबिक, प्रेम संजू और राजेंद्र को मोटरसाइकिल पर बिठा कर गांव के लिए चल पड़ा था. तब तक अंधेरा घिर आया था. जैसे ही कच्ची सड़क पर मोटरसाइकिल उतरी, वहीं घात लगाए बैठे पांचों दोस्त राजेंद्र पर टूट पड़े. लाठियां व ठोकरें लगने से घायल हुआ राजेंद्र बेहोश हो गया था. उन्होंने उसे घसीट कर झाडि़यों में डाल दिया. उसी दौरान राजेंद्र ने दम तोड़ दिया था.

सुबह एक अज्ञात राहगीर ने झाडि़यों में शव पड़े होने की सूचना रावतसर थाने में दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी रविंद्र नरूका मौके पर पहुंच गए. लोगों ने उस की शिनाख्त गांव बड़ोपल निवासी धर्मपाल बावरी के बेटे फोटोग्राफर राजेंद्र के रूप में की.

पुलिस ने शव बरामद कर उस के घर वालों को सूचना दे दी थी. राजेंद्र के फोन में आखिरी काल संजू की थी. अत: पुलिस ने तुरंत संजू को हिरासत में ले लिया.

सख्ती से की गई पूछताछ में संजू ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. तब पुलिस ने संजू के बताए अनुसार, अन्य मुलजिमों की पहचान कर उन के खिलाफ भादंसं की धारा 302, 364, 382, 201 व 120बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

रावतसर की डीएसपी सुश्री पूनम चौहान के निर्देश पर प्रकरण की जांच थानाप्रभारी रविंद्र नरूका ने अपने हाथ में ले ली थी.

पुलिस ने दबिश दी मगर संजू के अलावा अन्य आरोपी फरार हो गए थे. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 8 टीमों ने अथक भागदौड़ कर शेष आरोपियों जीतराम, सोनू, मांगीलाल, इंद्रपाल, राधेश्याम व नाबालिग प्रेम को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार कर लिया.

रिमांड अवधि में पुलिस ने लाठियां, मोटरसाइकिल आदि बरामद कर प्रेम के अलावा सभी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया था. प्रेम को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया. सभी आरोपी बावरी जाति से हैं जबकि संजू पत्नी शिवलाल निवासी संगारिया धानक है.

निर्मम हत्याकांड का चश्मदीद गवाह सुभाष बावरी है, जो अपने ममेरे भाई राजेंद्र को मंदिर छोड़ने पहुंचा था. सुभाष ने संजू व प्रेम के अलावा वहां संदिग्ध लग रहे अन्य आरोपियों को देखा था.

अपनी बहन गोपी के दांपत्य जीवन को बचाने के लिए इंद्रपाल के अविवेकपूर्ण निर्णय ने न केवल अपना बल्कि 6 अन्य नौजवानों का भविष्य भी अंधकारमय कर दिया.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में प्रेम परिवर्तित नाम है.