एक फूल दो माली : प्रेमियों की कुर्बानी

उत्तर प्रदेश की मोहब्बत की नगरी आगरा का एक थाना है एत्माद्दौला. इसी थाना क्षेत्र के अंतर्गत फाउंड्री नगर स्थित यमुना किनारे सुबह एक युवक का शव पड़ा मिला. देखतेदेखते वहां लोग एकत्र हो गए. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी देवेंद्र शंकर पांडेय मय पुलिस टीम के घटनास्थल पर पहुंच गए. यह बात 22 नवंबर, 2021 की है. थानाप्रभारी देवेंद्र शंकर पांडेय जिस समय वहां पहुंचे, उस समय वहां लोगों की भीड़ जुट चुकी थी. उन्होंने भीड़ को हटाते हुए शव व घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

मृतक युवक की उम्र 25-26 साल के लगभग थी. युवक के शरीर पर चोट के निशान थे. शव देखने से ऐसा लग रहा था कि युवक की मारपीट कर हत्या करने के बाद शव को यहां ला कर फेंका गया था. मृतक की जामातलाशी में उस की जेब से एक लव लैटर (प्रेमपत्र) व डाक्टर की परची मिली. लव लैटर पर मृतक का मोबाइल नंबर भी लिखा था. लेकिन मोबाइल नहीं मिला.

मृतक के पास से ऐसा कुछ नहीं मिला, जिस से उस की शिनाख्त हो सके. पुलिस ने लोगों से शव की शिनाख्त कराने का भी प्रयास किया, लेकिन कोई भी शव को पहचान नहीं सका.

थानाप्रभारी ने जानकारी दे कर उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव को मोर्चरी भिजवा दिया.

अब पुलिस के सामने सब से बड़ा प्रश्न युवक की शिनाख्त का था. पुलिस की कोशिश थी कि जल्दी से शव की शिनाख्त हो जाए, ताकि हत्या का राज उजागर हो सके और हत्यारे पकड़े जा सकें.

पुलिस ने लव लैटर पर अंकित मोबाइल नंबर की कालडिटेल्स निकलवाई. इस में कई नंबर मिले. एक नंबर आगरा निवासी मृतक के चाचा भोला का व एक नंबर जीजा अखिलेश कुमार का भी था. 23 नवंबर को पुलिस ने अखिलेश को फोन किया. इस संबंध में पूछताछ करने के बाद उन्हें थाने बुला लिया.

पुलिस ने उन्हें एक युवक का शव यमुना किनारे मिलने की जानकारी दी. बाद में परिजनों ने मोर्चरी जा कर शव की पहचान शाहगंज के नगला मोहन निवासी 25 वर्षीय सनी के रूप में की.

शव की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने 24 नवंबर को शव का पोस्टमार्टम कराया. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण गला घोंटना व चोटों से होना आया था. इस से स्पष्ट हो गया कि हत्यारों ने युवक के साथ मारपीट कर गला दबा कर हत्या कर दी थी.

इस के बाद सनी के पिता मुकेश ने एत्माद्दौला थाने में 27 नवंबर को हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि बेटे को रेखा नाम की एक महिला ने फोन कर पार्टी के बहाने बुलाया था.

इस के बाद अपने साथी के साथ मिल कर हत्या कर दी. साक्ष्य मिटाने के लिए शव को ला कर यमुना किनारे फेंक दिया. इस संबंध में हत्या, साक्ष्य मिटाने और एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस इस हत्याकांड में साक्ष्य जुटाने के काम में लग गई. पता चला कि मृतक सनी के पिता मुकेश अपनी पत्नी के साथ हरियाणा में रहते हैं. आगरा में उन के बेटे सनी और विक्की रहते थे. सनी के लापता होने की जानकारी मिलने पर वे आगरा आ गए थे.

पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि 21 नवंबर की सुबह 11 बजे जब सनी अपने चाचा भोला के साथ बैठा था. तभी उस के मोबाइल पर बोदला निवासी रेखा ने काल की और पार्टी के लिए बोदला बुलाया था.

रेखा ने सनी को अपने साथ मुकेश जाट के भी होने की जानकारी दी थी. फोन आने के बाद सनी चला गया था.

hindi-manohar-love-crime-story

21 नवंबर की शाम 6 बजे सनी ने मुकेश जाट के मोबाइल से अपनी मां से बात की थी. उस ने मां से हालचाल पूछने के बाद बताया था कि वह मुकेश और रेखा के साथ है. कुछ देर में घर आ जाएगा.

उस ने मां को बताया कि उस के मोबाइल का बैलेंस खत्म हो गया है. आप भाई व चाचा को यह बात बता देना. दूसरे दिन दोपहर में रेखा सनी के घर पहुंची. उस ने भोला की पत्नी यानी सनी की चाची को सनी का कीपैड वाला मोबाइल दिया.

उस मोबाइल में सिम और चिप नहीं थी. रेखा ने बताया कि सनी सिमकार्ड निकाल कर फैक्ट्री चला गया है. उस से यह मोबाइल घर पर देने को कहा.

जब सनी रात में घर नहीं आया तो परिजनों को चिंता हुई. इस पर परिजनों ने फैक्ट्री जा कर सनी को तलाशा. लेकिन उन्हें सनी नहीं मिला.

पुलिस ने पूछताछ करने के साथसाथ अपने तौर पर मामले की छानबीन शुरू की. पुलिस को कुछ लोगों ने बताया कि सनी को मुकेश जाट, रेखा व 2 अन्य युवकों के साथ घटना की शाम आटो में बैठे देखा था. इस पर उन्हें टोका भी था. तब मुकेश ने कहा था कि पार्टी करने जा रहे हैं. इस के बाद वे लोग आटो में बैठ कर चले गए थे.

शक की सुई रेखा पर आ कर टिक गई. फोन लोकेशन के आधार पर कई लोगों से पूछताछ की. 3 दिसंबर को पुलिस ने टेढ़ी बगिया स्थित अंबेडकर पार्क से महिला रेखा को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उस के पास से एक मोबाइल बरामद किया. उसे हिरासत में ले कर पुलिस थाने लौट आई.

थाने में उस से कड़ाई से पूछताछ की गई. तब रेखा ने सनी की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए हत्या में शामिल 3 अन्य लोगों के नाम बताए. इन में रेखा का प्रेमी मुकेश जाट के अलावा उस के 2 दोस्त विशाल व पवन राठौर भी शामिल थे.

तब इन में से एक आरोपी विशाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह इस तरह निकली—

मुकेश जाट मूलरूप से भड़ाका, हाथरस का निवासी है. उस के मातापिता की मौत हो चुकी है. उस की एक बहन है. वह आगरा में नगला जगजीवनराम में रहता है. यहां आ कर आटो चलाने का काम करने लगा. उस की दोस्ती एक साल पहले बोदला निवासी रेखा से हुई थी.

हुआ यह कि रेखा एक जूता फैक्ट्री में काम करती थी. मुकेश अपने आटो से रेखा को उस के घर से फैक्ट्री लाने ले जाने का काम करता था. इस के चलते दोनों में दोस्ती हो गई. जो धीरेधीरे प्यार में बदल गई.

रेखा के पहले पति की मौत हो चुकी थी. पहले पति से 11 साल का एक बेटा है. पहले पति की मौत के बाद रेखा की दूसरी शादी रमेश से हो गई थी. रेखा अपने बेटे के साथ रमेश के साथ रहने लगी.

रेखा मनमौजी थी. वह रमेश का कहना भी नहीं मानती थी. उस के मन में जो आता, वह करती. रमेश रेखा की आदतों से परेशान रहता था. लेकिन चाह कर भी उस से कुछ कह नहीं पाता था.

जिस जूता फैक्ट्री में रेखा काम करती थी, उसी में सनी भी दूसरे विभाग में काम करता था. एक महीने पहले सनी की नजर रेखा पर पड़ गई. चंचल और सुंदर रेखा सनी को भा गई. दोनों एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. इसी दौरान दोनों में बातचीत हो जाती थी. इस के बाद दोनों की दोस्ती हो गई.

दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर भी दे दिए. दोनों घंटों मोबाइल पर एकदूसरे से अपने दिल की बात करने लगे.

घटना से कुछ दिन पहले रेखा के प्रेमी मुकेश जाट ने अपनी प्रेमिका को फोन पर हंसहंस कर बात करते देख लिया. उस के तनबदन में आग लग गई. उस की प्रेमिका इतना हंसहंस कर किस के साथ बात कर रही है.

उस ने रेखा से इस बारे में जब पूछा तो रेखा अंदर ही अंदर डर गई. बात घुमाते हुए उस ने बताया कि उसी की फैक्ट्री में काम करने वाला सनी था, जो उसे बारबार फोन करता है. वह उस से दोस्ती करना चाहता है.

मुकेश रेखा से बहुत प्यार करता था. उस पर पैसा भी बहुत खर्च करता था. उस की हर फरमाइश पूरी करता था. उसे अपनी प्रेमिका के किसी दूसरे व्यक्ति से बात करते देखना बहुत नागवार गुजरा. उस ने रेखा से कहा कि वह सनी से बात करना बंद कर दे. रेखा ने वायदा किया कि वह सनी से बात नहीं करेगी.

कुछ दिन तो सब कुछ ठीक रहा, रेखा ने सनी से बात नहीं की. आग दोनों के दिलों में लगी हुई थी. रेखा और सनी आपस में फिर मिलने और बात करने लगे.

इस पर मुकेश ने रेखा के जरिए सनी को पार्टी के बहाने बोदला बुलवाया. मुकेश ने सनी को रेखा से अपने संबंध की जानकारी दी. मुकेश ने सनी से रेखा से दूर रहने की हिदायत दी. इस पर सनी ने रेखा को छोड़ने से मना कर दिया. इस बात को ले कर दोनों में वादविवाद भी हुआ.

मुकेश को यह बात बहुत बुरी लगी. लेकिन उस ने यह बात जाहिर नहीं होने दी. उस ने मन ही मन सनी को सबक सिखाने का फैसला ले लिया. इस बीच मुकेश ने अपने दोस्त आटो चालक विशाल और पवन राठौर को फोन कर के वहां बुला लिया.

मुकेश ने सनी की रेखा से दोस्ती कराने व इस खुशी में दारू पार्टी देने का झांसा देते हुए अपने दोस्तों के साथ आटो से गोकुल नगर ले गया. वहां सभी ने बैठ कर शराब पी.

सनी को जम कर शराब पिलाई गई. उस समय रात घिर आई थी. इस के बाद आटो से उसे यमुना किनारे सुनसान रास्ते पर ले गए, सनी को ज्यादा नशा हो गया था. इस का फायदा उठाते हुए सनी को आटो से उतार कर मुकेश व उस के दोस्तों ने लातघूंसों से पीटा फिर उस की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश यमुना किनारे फेंक कर सभी लोग फरार हो गए.

सनी की हत्या के आरोप में रेखा व विशाल को 3 दिसंबर, 2021 को जेल भेजे जाने के बाद पुलिस ने सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच शुरू कर दी और अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई.

सनी की हत्या को एक महीना बीत गया था. लेकिन पुलिस के हाथ खाली थे. जबकि नामजद मुख्य हत्यारोपी मुकेश जाट व उस के साथी पवन राठौर को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. इस से मृतक के परिजनों में रोष बढ़ता जा रहा था.

पुलिस ने अन्य हत्यारोपियों मुकेश जाट व पवन राठौर की गिरफ्तारी के लिए कई जगहों पर दबिश भी दी. लेकिन मुकेश का कोई सुराग नहीं लग रहा था. इस पर पुलिस ने उसपर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया.

25 दिसंबर, 2021 की रात लगभग ढाई बजे पुलिस टेढ़ी बगिया पर चैकिंग कर रही थी. तभी पुलिस को मुखबिर से जानकारी मिली कि सनी हत्याकांड को अंजाम देने वाला मुख्य हत्यारोपी मुकेश जाट शोभा नगर से अपने घर जगजीवनराम नगर बाइक से जा रहा है. इस पर एसओजी टीम को बुला लिया गया.

कुछ देर बाद मुकेश जैसे ही वहां से गुजरा पुलिस ने रुकने का इशारा किया, लेकिन उस ने बाइक की स्पीड बढ़ा दी. कच्चे रास्ते पर बाइक फिसल गई. पुलिस के घेरने पर मुकेश फायरिंग करने लगा. जवाबी काररवाई में उस के पैर में गोली लगने पर वह घायल हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस के कब्जे से तमंचा, 3 कारतूस, 2 खोखा व बाइक बरामद कर ली. घायल मुकेश को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया.

एसपी (सिटी) विकास कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस में ईनामी मुख्य हत्यारोपी की गिरफ्तारी की जानकारी दी. पता चला कि मुकेश जाट शातिर वाहन चोर है. उस पर विभिन्न थानों में 15 मुकदमे दर्ज हैं. थाना न्यू आगरा में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में मुकेश वांछित था और 3 साल से पुलिस को चकमा दे रहा था. उस पर 25 हजार का ईनाम भी घोषित था.

पुलिस पूछताछ में मुकेश जाट ने अपने साथियों के साथ सनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि उस की दोस्ती एक साल से रेखा से थी. बाद में सनी बीच में आ गया.

वह रेखा से दोस्ती करना चाहता था. मुकेश को यह दोस्ती पसंद नहीं थी. उस ने सनी को रेखा से दूर रहने की हिदायत दी लेकिन वह नहीं माना. इस पर अपने 2 दोस्तों की मदद से उस की हत्या कर दी.

फरारी के दौरान मुकेश ने अपने साथी आशीष प्रजापति के साथ एग्रीकल्चर फैक्ट्री फाउंड्री नगर से 16 दिसंबर को बाइक चोरी कर ली थी. रुपए खत्म होने पर वह अपने घर जा रहा था.

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने सनी हत्याकांड का परदाफाश करते हुए बताया कि हत्याकांड में शामिल रेखा, पवन व मुकेश जाट को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि मुकेश जाट के साथी पवन राठौर ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है.

इस प्रकार सनी हत्याकांड के सभी आरोपी जेल जा चुके हैं. सनी अविवाहित था. रेखा चंचल तितली की तरह थी. एक फूल से पराग लेने के बाद दूसरे फूल पर मंडराती थी. इसी के चलते उस ने अपने मोहपाश में सनी को बांध लिया था.

सनी को उस की फितरत की जानकारी नहीं थी. यदि वह दूसरे की प्रेमिका से दोस्ती के चक्कर में पड़ कर उस पर अपना अधिकार नहीं जमाता तो सनी को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

भोगनाथ का भोग : क्या पूरे हो पाए भोगनाथ के अरमान – भाग 3

13 मई की शाम साढ़े 7 बजे भोगनाथ घर में बैठा खाना खा रहा था कि तभी उस के मोबाइल पर किसी की काल आई. वह पूरा खाना खाए बिना घर से चला गया. काफी रात होने पर भी वह नहीं लौटा तो घर वाले चिंता में पड़ गए. सुबह होने पर उस की काफी तलाश की गई लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

16 मई की सुबह किसी राहगीर ने पिसावां थाने में डीह कबीरा बाबा के जंगल में किसी अज्ञात युवक की लाश पड़ी होने की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

मृतक की उम्र 24-25 वर्ष रही होगी. उस के मुंह व गले पर कस कर अंगौछा बांधा गया था, जिस से दम घुटने से उस की मृत्यु हो गई थी. घटनास्थल पर काफी भीड़ एकत्र थी. थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने उस की शिनाख्त कराई तो पता चला वह गांव सरवाडीह का भोगनाथ है.

घटनास्थल सरवाडीह गांव के बाहर ही था. इसलिए गांव के लोग भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने ही लाश की शिनाख्त की थी. पता चलते ही भोगनाथ का पिता केदार भी घर के अन्य सदस्यों के साथ वहां आ गया. भोगनाथ की लाश देख कर सब रोनेबिलखने लगे.

थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने केदार से कुछ आवश्यक पूछताछ की और फिर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दी. केदार को साथ ले कर वह थाने आ गए. केदार की लिखित तहरीर पर उन्होंने अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

भोगनाथ के पास मोबाइल था, जो उस के पास से नहीं मिला था. केदार से भोगनाथ का मोबाइल नंबर ले कर थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने उसे सर्विलांस पर लगा दिया. इस के अलावा भोगनाथ के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स भी निकलवाई.

भोगनाथ को बुलाने के लिए जिस नंबर से काल की गई थी, उस नंबर की जब विस्तृत जानकारी जुटाई गई तो वह नंबर सरवाडीह निवासी बिट्टू का निकला.

इस के बाद थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने बिट्टू को हिरासत में ले कर महिला सिपाही की उपस्थिति में उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने भोगनाथ की हत्या का जुर्म स्वीकार करते हुए अपने 3 साथियों के नाम भी बता दिए.

इस के बाद बिट्टू के प्रेमी अनस को गिरफ्तार कर लिया गया. अनस के 2 दोस्त गोपामऊ निवासी विपिन और मोनू भी इस अपराध में शामिल थे. इस के बाद एसपी महेंद्र चौहान ने प्रैसवार्ता कर बिट्टू और अनस को मीडिया के सामने पेश किया.

जब भोगनाथ ने बिट्टू को अपने से दूरी बनाते देखा तो उस ने पता किया. जल्द ही उसे पता चल गया कि बिट्टू उस से किए गए सारे वादे, रिश्तेनाते तोड़ कर उस से दूर होना चाहती है तो वह तिलमिला गया. ऐसे मौके के लिए ही उस ने अपने मोबाइल से बिट्टू के साथ अंतरंग पलों के फोटो खींच रखे थे.

भोगनाथ ने बिट्टू से मिल कर उसे धमकाया कि वह उस से दूर हुई तो उस के अश्लील फोटो सब को भेज देगा. फोटो के बल पर भोगनाथ उसे ब्लैकमेल कर के उस के साथ संबंध बनाने लगा. बिट्टू उस के हाथ का खिलौना बनने के लिए मजबूर थी. इसी बीच उस के घर वालों ने हरदोई जनपद के पिहानी थाना क्षेत्र के एक युवक से उस की शादी तय कर दी. शादी 29 जून को होनी थी.

भोगनाथ की हरकतों से आजिज आ कर बिट्टू ने अनस से बात की. उस से कहा कि उस की जिंदगी में आने से पहले उस का एक दोस्त भोगनाथ था. भोगनाथ के पास उस के कुछ अश्लील फोटो हैं, जिन के सहारे वह उसे ब्लैकमेल करता है.

वैसे भी उस की शादी तय हो गई है. वह उस की शादी में अड़चन डाल सकता है. बिट्टू ने अनस से कहा कि भोगनाथ को ठिकाने लगाना पड़ेगा. इस के लिए मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूं.

बिट्टू ने अनस से यह भी कहा कि भले ही उस की शादी हो रही हो, लेकिन उस के साथ संबंध हमेशा बने रहेंगे. अनस ने बिट्टू की परेशानी को हमेशा के लिए खत्म करने का फैसला कर लिया. उस ने अपने जिगरी दोस्तों विपिन और मोनू से मदद मांगी तो दोस्ती की खातिर दोनों अनस का साथ देने को तैयार हो गए. इस के बाद भोगनाथ को मारने की योजना बनाई गई.

योजनानुसार 13 मई को अनस ने एक मारुति वैगनआर कार बुक की. कार मालिक को उस ने बताया कि उसे दोस्तों के साथ एक तिलक समारोह में जाना है. कार में बैठ कर अनस अपने दोस्तों के साथ चल दिया.

दूसरी ओर बिट्टू ने शाम साढ़े 7 बजे के करीब भोगनाथ को मिलने के लिए डीह कबीरा बाबा के जंगल में बुलाया. भोगनाथ उस समय खाना खा रहा था, लेकिन अपनी प्रेमिका के बुलाने पर वह खाना बीच में छोड़ कर तुरंत वहां पहुंच गया. वहां उसे बिट्टू मिली. योजना के अनुसार बिट्टू उसे अपनी प्यार भरी बातों में उलझाए रही.

दूसरी ओर अनस ने चुनी गई जगह से कुछ पहले हडियापुर गांव के पास ड्राइवर से यह कह कर कार रुकवा दी कि आगे का रास्ता खराब है. वह वहीं खड़ा हो कर उन के आने का इंतजार करे. इस के बाद अनस और उस के दोस्त पैदल ही कबीरा बाबा के जंगल पहुंचे. वहां पहुंच कर उन्होंने बिट्टू के साथ मौजूद भोगनाथ को दबोच लिया.

फिर उस के गले में पड़े अंगौछे को रस्सी की तरह बना कर उस के मुंह में दबाते हुए उस के गले में फंदा बना कर कस दिया, इस से भोगनाथ चिल्ला न सका और गले पर कसाव बढ़ते ही उस का दम घुटने लगा. वह कुछ देर छटपटाया, फिर उस का शरीर शिथिल पड़ गया.

भोगनाथ को मौत के घाट उतारने के बाद बिट्टू छिपतेछिपाते हुए घर चली गई. अनस भी दोनों दोस्तों के साथ भागते हुए कार तक पहुंचा और ड्राइवर से बोला कि वह तेजी से कार चलाए जहां वह लोग गए थे, वहां उन का झगड़ा हो गया है. ड्राइवर ने यह सुन कर कार की गति बढ़ा दी. गोपामऊ पहुंच कर सब लोग अपने घर चले गए.

लेकिन अपने आप को ये लोग कानून की गिरफ्त में आने से नहीं बचा सके. उन के पास से भोगनाथ का मोबाइल और हत्या की साजिश में प्रयुक्त 2 मोबाइल फोन पुलिस ने उन से बरामद कर लिए.

29 मई, 2018 को पुलिस ने विपिन और मोनू को भी गिरफ्तार कर लिया. सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

साथ में मोहित शुक्ला

वासना की बयार में बिजली का करंट – भाग 3

मामला हत्या का ही लग रहा था. इस की जानकारी दोनों सिपाहियों ने थानाप्रभारी ऋषिपाल सिंह को दी. यह जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

टीम में महिला पुलिसकर्मी भी थीं. ऋषिपाल सिंह ने बारीकी से घटनास्थल का मुआयना किया. आसपास के लोगों से पूछताछ की. महिला पुलिस शबनम पर नजर रखे हुए थी. थानाप्रभारी को शबनम के बयानों में साजिश की बू आ रही थी.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए बदायूं जिला मुख्यालय भेज दिया. यह बात 4 जुलाई, 2022 की सुबह 10 बजे की है. शबनम लगातार बिजली का करंट लगने की रट लगाए हुए थी. वह पति के गम में विलाप कर रही थी. तीनों बच्चों का रोनाधोना देख मौके पर उपस्थित अन्य लोगों की भी आंखें नम हो गई थीं.

जांच में पुलिस को शबनम और सलीम के अवैध संबंधों की जानकारी मिल गई. पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव जाने के बाद शबनम को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

थाने ले जा कर उस से पूछताछ की, तब वह पुलिस के सवालों में उलझ गई. सलीम के साथ संबंध के सवालों के आधेअधूरे जवाब ही दे पाई.

आखिर में वह टूट गई और उस ने पति की हत्या का जुर्म स्वीकार लिया. हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए उस ने घटना की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार है—

शबनम उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के थाना जरीफनगर के अंतर्गत गांव परड़वा की रहने वाली थी. करीब 10 साल पहले उस का निकाह इसलामनगर से 4 किलोमीटर दूर मऊकलां गांव के रहने वाले शरीफ के साथ हुआ था. शरीफ बढ़ई था जो दिल्ली में काम करता था.

ससुराल में शबनम के दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे. वह एक के बाद एक 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई. 3 बच्चों का बाप बन जाने के बाद शरीफ पर पैसा कमाने की धुन सवार हो गई.

काम के कारण शरीफ का अधिकतर समय दिल्ली में ही बीतता था. वह 1-2 माह में ही घर आता था. शबनम में भी उस की रुचि कम होती जा रही थी. कभीकभार ही वह दिल्ली से घर आता था. शबनम जवान थी. पति की दूरी उसे बहुत अखरती थी. उस का दिन तो कट जाता था लेकिन रातें करवटें बदलते कटती थीं.

30 साल की शबनम अपनी वासना को काबू में नहीं रख पाई. पति का प्रेम नहीं मिला तो उस की नजदीकियां सलीम से बढ़ गईं, जो उस के घर के पास ही रहता था. सलीम के साथ अब उस की हर रात सुहागरात जैसी होने लगी थी.

जिंदगी में सलीम के आने से वह खुश रहने लगी, लेकिन ज्यादा दिनों तक उन दोनों के संबंध छिपे नहीं रह सके. उस के पति शरीफ को इस बारे में मालूम हो गया. यह बात शरीफ को बहुत बुरी लगी. तब गुस्से में वह बीवी की पिटाई करने लगा. ऐसे में शबनम की जिंदगी नरक हो गई. एक तरफ सैक्स की भूख थी, दूसरी तरफ पति का अत्याचार और उपेक्षा. इसी कारण शबनम ने एक दिन पति को ही रास्ते से हटाने की तरकीब निकाली.

इस काम में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद ली. सलीम ने गूगल और यूट्यूब से वीडियो देख कर बिजली के करंट से शरीफ को मारने का उपाय सुझाया. उस ने बताया कि इस तरह से किसी की मौत होती है, तब उसे दुर्घटना समझा जाता है. पति को रास्ते से हटाने का शबनम को यह तरीका सही लगा. फिर उसे दिल्ली से घर बुला लिया. उस से प्रेम का नाटक किया.

पति के आने पर शबनम ने सेवइयां पकाईं. पति की सेवइयों में उस ने नशे की गोलियां पीस कर मिला दीं. ये गोलियां उसे सलीम ने ला कर दी थीं. सेवइयां खा कर शरीफ कुछ देर बाद लेट गया.

जैसे ही वह बेहोश हुआ, शबनम ने चैक करने के लिए हाथ पर एक डंडा मारा. डंडा लगने के बावजूद शरीफ ने कोई हरकत नहीं की, तब उस ने प्रेमी सलीम को फोन कर के बुलाया.

सलीम पीछे के दरवाजे से दीवार पर चढ़ कर घर में उतर आया. उस समय रात के लगभग 11 बजे थे. पहले तो शबनम और सलीम ने वासना का खेल खेला. फिर दोनों ने शरीफ को चारपाई से उतार कर इनवर्टर के पास जमीन पर लिटा दिया.

सलीम अपने साथ बिजली का तार भी लाया था. उसे शरीफ के शरीर पर लपेट कर करंट लगा दिया. उस की जीभ बाहर निकल आई. तब शबनम ने छुरी से उस की जीभ काटी और फिर उस का मुंह क्विक फिक्स से चिपका दिया.

बाद में डंडे मार कर चैक किया कि शरीफ की जान निकली है या नहीं. इसी बीच उस के छोटे बेटे की आंखें खुल गईं. सलीम को देखते ही वह बोल पड़ा, ‘‘चाचा कैसे आए?’’

सलीम ने कहा, ‘‘तेरे पापा को करंट लग गया है.’’

दरअसल, उस रात शबनम बच्चों को नशे की गोलियां देना भूल गई थी. तब तक आधी रात हो चुकी थी. काम हो जाने के बाद शबनम ने सलीम के लिए मुख्य दरवाजा खोल दिया और वह चला गया.

इस के बाद शबनम ने सब से पहले अपने जेवरात व नकदी की अलगअलग पोटली बना कर संदूक में ऊपर ही हिफाजत से रख लीं. उस के बाद सब से पहले अपनी एक ननद को डरतेडरते फोन किया. कुछ ही देर में सभी रिश्तेदार एकत्र हो गए.

शबनम ने अपने मायके भी फोन कर दिया. सुबह ही उस के मांपिता, चारों भाईबहन और 2 बहनोई आ गए. मौका लगते ही उस ने जेवर व नकदी दोनों पोटलियां पूरी बात समझा कर अपनी बहन को सौंप दीं.

शबनम से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शबनम के प्रेमी सलीम को भी हिरासत में ले लिया. उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया. थानाप्रभारी ऋषिपाल सिंह ने घटना की पूरी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी.

एसपी (देहात) सिद्धार्थ वर्मा ने भी थाने आ कर दोनों से अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने जिला मुख्यालय पर प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर पत्रकारों के सामने केस का खुलासा कर दिया.

पुलिस ने मृतक के भाई इरफान की तहरीर पर शबनम और सलीम के खिलाफ 4 जुलाई, 2022 को भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

दोनों को 5 जुलाई, 2022 को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

पत्नी बनने की जिद ने करवाया कत्ल – भाग 3

वक्त आगे बढ़ रहा था पर नरगिस के गलीमोहल्ले वालों में नरगिस और रशीद के संबंधों की बात फैल गई थी. इकबाल चूंकि रिक्शा चला कर देर रात को लौटता था इसलिए उसे भाभी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. एक दिन एक पड़ोसी ने उस से कहा, ‘‘इकबाल, तुम अपनी भाभी पर नजर रखो. कहीं किसी दिन वह बच्चों को छोड़ कर भाग गई तो बच्चे तुम्हारे गले पड़ जाएंगे.’’ यह सुन कर इकबाल चिंतित हो उठा. उस ने उस पड़ोसी से पूछताछ की तो उसे भाभी की सच्चाई पता चली.

यह बात इकबाल को पसंद नहीं आई. उस ने नरगिस को समझाने की कोशिश की तो नरगिस ने घूर कर उस की ओर देखते हुए कहा, ‘‘भाई की मौत के बाद तुम ने कभी जानने की कोशिश की कि मैं किस हाल में रहती हूं, बल्कि घर की जिम्मेदारी उठाने के बजाय तुम ने मुझे अकेला छोड़ दिया. बेहतर यही है कि तुम मेरी जिंदगी में टांग मत अड़ाओ.’’

इकबाल के पास इसका कोई जवाब नहीं था. अब नरगिस के मन में एक ही ख्वाहिश थी और वह यह थी कि रशीद की रखैल से अब बीवी कैसे बने. वह रशीद को बताती कि उस के मोहल्ले वाले और देवर उस के खिलाफ हो रहे हैं. तब रशीद उसे समझाता कि जमाना तो कुछ न कुछ कहता ही है. हमें जमाने से लड़ना थोड़े ही है. रशीद की बातों से नरगिस को समझ में आने लगा था कि वह उसे सिर्फ इस्तेमाल कर रहा है. वह रिश्ते के प्रति गंभीर नहीं है और न ही उस का उस से निकाह करने का ही कोई इरादा है. इधर रशीद सोच रहा था कि वह नरगिस से मोहब्बत करता है और बदले में उस का खर्चा उठाता है. इतना ही बहुत है. दोनों के बीच की कशमकश रिश्ते में खटास ला रही थी. अब तो नरगिस उसे शिकोहाबाद जाने से भी रोकती थी.

इसी बीच रशीद की बीवी को भनक लग गई कि उस के शौहर ने फिरोजाबाद में भी कोई औरत रखी हुई है. यह जानकारी मिलते ही सलमा परेशान हो गई और एक दिन जब रशीद घर आया तो उस ने साफ कह दिया कि वह अपने मायके चली जाएगी और मांबाप को सब कुछ बता देगी. सलमा की इस धमकी से रशीद परेशान हो गया. वह दो नावों पर सवार था. अब उसे डूबने से डर लगने लगा. नरगिस इतनी करीब आ चुकी थी कि उसे छोड़ना भी मुश्किल था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. इधर नरगिस ने भी तय कर लिया कि वह सलमा को रशीद की जिंदगी से निकाल देगी. एक दिन उस ने रशीद से साफसाफ कह दिया, ‘‘बहुत हो गया. अब तुम्हें फैसला करना ही होगा.’’

‘‘कैसा फैसला?’’ रशीद चौंकते हुए बोला.

‘‘आखिर मैं कब तक तुम्हारी रखैल बन कर रहूंगी. सलमा को तलाक दो और मुझ से निकाह करो.’’ नरगिस अपनी बातों पर जोर देते हुए बोली. रशीद को नरगिस की यह बात इतनी बुरी लगी कि उस ने उस के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया और कहा, ‘‘आगे से कभी सलमा को तलाक देने की बात मुंह से मत निकालना.’’

नरगिस को भी गुस्सा आ गया. वह बोली, ‘‘तुम ने मुझे मारने की हिम्मत की. अब मैं भी बताती हूं कि या तो मुझ से निकाह करो वरना मैं कुछ भी कर सकती हूं.’’

रशीद नरगिस की धमकी से डर गया कि कहीं यह उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज न करा दे. वह किसी चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था. इसलिए उस ने अपना व्यवहार सामान्य कर के उसे समझाया. पर मन ही मन उस ने उस से छुटकारा पाने का फैसला कर लिया. वह इस का उपाय ढूंढने लगा. रशीद ने अब नरगिस से मिलनाजुलना कम कर दिया. वह दुकान बंद कर के किराए के कमरे पर आने के बजाए शिकोहाबाद स्थित अपने घर चला जाता था. नरगिस के पूछने पर कोई न कोई बहाना बना देता था. नरगिस रशीद को खोना नहीं चाहता थी क्योंकि वह घर चलाने के पैसे जो देता रहता था.

नरगिस से अवैध संबंधों की बात रशीद की ससुराल तक पहुंच गई थी. अब रशीद को बदनामी से भी डर लगने लगा. वह समझ गया कि इस की वजह से समाज और रिश्तेदारी में उस की बेइज्जती हो सकती है इसलिए नरगिस नाम के कांटे को जीवन से जल्द निकालने का उस ने फैसला ले लिया. इस के बाद किसी न किसी बात को ले कर उस का नरगिस से झगड़ा होने लगा.

तनाव की वजह से उस का धंधा भी चौपट हो चुका था. जिस मकान को उस ने नरगिस को किराए पर दिलाया था, वहां के आसपड़ोस वालों को भी दोनों के झगड़े की जानकारी हो चुकी थी, पर कोई भी उन के मामले में दखल नहीं देता था. जिस मकान में नरगिस रहती थी, वह अधबना था. मकान मालिक वहां नहीं रहता था.

12 दिसंबर, 2016 को दुकान बंद कर के रशीद नरगिस के पास कमरे पर पहुंचा. खाना खाने के बाद नरगिस ने पूछा, ‘‘तुम ने फैसला कर लिया?’’ ‘‘कैसा फैसला? देखो नरगिस, मैं तुम जैसी औरत के लिए अपने बीवीबच्चों को हरगिज नहीं छोड़ सकता.’’ वह दृढ़ता से बोला.

‘‘मुझ जैसी औरत….आखिर तुम कहना क्या चाहते हो? पहले तो बड़ीबड़ी बातें करते थे. इस का मतलब यह हुआ कि अब तक तुम केवल मेरा इस्तेमाल कर रहे थे. ठीक है, अब देखना मैं क्या करती हूं.’’ कह कर जैसे ही वह उठने लगी, रशीद ने उसे धक्का दे कर गिरा दिया और झट से उस के सीने पर बैठ गया.

वह उस का गला तब तक दबाए रहा जब तक वह मर नहीं गई. कुछ ही देर में नरगिस की लाश सामने थी और जुनून उतर चुका था. पुलिस का डर उसे सताने लगा था. लाश ठिकाने लगाने के लिए वह उसे अधबने कमरे में ले गया और उस पर वहां मौजूद प्लास्टिक की बोरियां डाल कर आग लगा दी. इस के बाद वह वहां से फरार हो गया.

कुछ देर बाद गश्ती सिपाही वहां से गुजर रहे थे तो मकान से धुआं निकलता देख वे मकान के अंदर चले गए. तब मामला दूसरा ही सामने आया.

रशीद से पूछताछ कर पुलिस ने उसे 28 दिसंबर, 2016 को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है.?

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की ये कैसी सजा : प्रेमी बने जान के दुश्मन

सुबह के करीब 7 बजे होंगे. थानाप्रभारी आशीष चौधरी नाइट ड्यूटी से अपने घर लौटे थे. वरदी उतार कर खूंटी से टांग ही रहे थे कि उन के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. काल करने वाला उन के ही सिलवानी थाने का कांस्टेबल था. काल रिसीव करते ही आशीष चौधरी ने जैसे ही हेलो कहा, दूसरी तरफ से आवाज आई.

‘‘सर, जमुनिया घाटी पर कोई एक्सीडेंट हुआ है, जिस में 2 युवतियां घायल हुई हैं.’’

पूरी बात सुने बिना ही थानाप्रभारी ने निर्देश दिया ‘‘उन्हें तत्काल हौस्पिटल में एडमिट कराओ.’’

कांस्टेबल ने जानकारी देते हुए बताया, ‘‘सर, घायल युवतियों को एक एंबुलेंस चालक ने सिविल अस्पताल सिलवानी में भरती करा दिया है.’’

‘‘ओके, ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को हौस्पिटल भेजो. मैं भी पहुंच रहा हूं.’’

इतना कह कर वह अपनी वरदी को खूंटी से उतार वह फिर से तैयार होने लगे. घर में उन की पत्नी ने शिकायती लहजे में कहा, ‘‘पुलिस की नौकरी में रातदिन चैन कहां.’’ यह बात 28 जून, 2021 की है.

यह पहला अवसर नहीं था, जब थानाप्रभारी आशीष घर लौटने के बाद फिर से ड्यूटी पहुंच रहे थे. पिछले 8-10 साल की नौकरी का उन का अनुभव यही था कि पुलिस की नौकरी में सातों दिन और चौबीसों घंटे अपना फर्ज निभाना पड़ता है.

सिलवानी थाने के प्रभारी आशीष चौधरी एसआई रामसुजान पांडे को साथ ले कर सिविल हौस्पिटल पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गए. हौस्पिटल में भरती दोनों युवतियों के कपड़े खून से सने हुए थे.

दोनों युवतियों के गले पर बने घावों को देख कर सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता था कि इन दोनों को जान से मारने की नीयत से उन पर धारदार हथियार से हमला किया गया था.

हौस्पिटल में मौजूद पुलिस स्टाफ ने मेडिको लीगल एक्सपर्ट को बुलाया तो उन्होंने बताया कि दोनों युवतियां एक्सीडेंट में घायल नहीं हुई हैं. भोपाल से सिलवानी की तरफ आ रहे एंबुलेंस चालक शाहरुख खान को दोनों युवतियां जमुनिया घाटी के ऊपर सड़क पर घायल अवस्था में मिली थीं. शाहरुख की नजर खून से लथपथ सड़क पर पड़ी इन युवतियों पर पड़ी तो गाड़ी रोकी.

एंबुलेंस चालक ने तत्काल पुलिस को सूचना दी और वहां से निकल रहे एक डंपर को रोक कर ड्राइवर सुरेंद्र सिंह की मदद से दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल सिलवानी ले कर आ गया.

पहले तो शाहरुख भी यही समझ रहा था कि किसी गाड़ी ने इन्हें टक्कर मारी होगी, लेकिन घायल युवतियों ने उसे बताया कि उन दोनों को धक्का दे कर घाटी से नीचे धकेला गया है.

युवतियों का प्राथमिक उपचार सिलवानी में कराने के बाद जब उन की हालत सामान्य हुई तो उन के बयान लिए गए. आगे के इलाज के लिए रायसेन जिला अस्पताल रेफर करने के पहले उन दोनों से पूछताछ की तो उन्होंने अपने नाम जरीना और तबस्सुम बताए. पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह दिल दहलाने वाली थी.

मंडला जिले की निवास तहसील में रहने वाले जाकिर खान (परिवर्तित नाम) की 2 बेटियां जरीना और तबस्सुम हैं. जाकिर खान की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी, इसलिए वह हमेशा इस बात के लिए चिंतित रहता कि बेटियों की शादी किस तरह होगी. जरीना और तबस्सुम आजाद खयालात रखने वाली थीं.

पिता के कंधों का बोझ कम करने के लिए 22 साल की जरीना और 20 साल की तबस्सुम करीब ढाईतीन साल पहले नौकरी की तलाश में भोपाल आ गईं. उन्हें भोपाल के आदर्श प्रिंटिंग प्रेस में काम मिल गया तो जरीना और तबस्सुम अशोका गार्डन में किराए के मकान में रहने लगीं.

करीब 2 साल पहले की बात है. दोनों बहनें प्रिंटिंग प्रेस पर अपने काम में व्यस्त थीं, तभी एक युवक प्रेस पर आया. काउंटर पर बैठी जरीना से वह वोला, ‘‘मुझे मैडिकल स्टोर्स की बिल बुक प्रिंट करानी है.’’

अपने काम में व्यस्त जरीना ने कागज पेन देते हुए उस नवयुवक से बिल बुक का मैटर बनाने को कहा. थोड़ी देर बाद जरीना ने नजरें उठा कर जैसे ही उस युवक को देखा तो बस देखती ही रह गई.

गोरे रंग के स्मार्ट लड़के ने उसे सम्मोहित कर दिया था. जरीना ने और्डर बुक करते हुए उस का नाम व मोबाइल पूछा तो उस लड़के ने अपना नाम निखिल गौर बताया.

21 साल का निखिल भोपाल के सुभाष नगर इलाके में रहता था. निखिल ने बिल बुक प्रिंट होने की जानकारी लेने के लिए जरीना का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

बिल बुक प्रिंट होने की जानकारी लेने की गरज से निखिल और जरीना की रोज मोबाइल फोन पर बातें होने लगीं. इस तरह जरीना की निखिल से दोस्ती हो गई. तबस्सुम अब बड़ी बहन जरीना को घंटों फोन पर ही बिजी देखती.

कभीकभी निखिल अपने दोस्त करण परिहार को ले कर आदर्श प्रिटिंग प्रेस पर जरीना से मिलने जाता था. 20 साल का करण गोविंदपुरा भोपाल का रहने वाला था. जब निखिल जरीना के साथ प्यारमोहब्बत की बातें करता तो तबस्सुम और करण भी एकदूसरे से नजरें मिलाने लगे.

इसी दौरान तबस्सुम की दोस्ती भी करण सिंह परिहार से हुई जो पाइप फैक्ट्री में काम करता था.

अब दोनों बहनें दोस्तों की तरह अपने प्यार की चर्चा आपस में करती रहती थीं. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई .जब भी उन्हें समय मिलता वे अपने बौयफ्रैंड निखिल गौर और करण सिंह परिहार के साथ घूमने निकल जातीं.

किसी पार्क में दोनों प्रेमी जोड़े बाहों में बाहें डाले घूमते और एकांत पाते ही एकदूसरे को चूमते हुए प्यार का इजहार करते. दोनों बहनों का प्यार अब परवान चढ़ चुका था. जरीना और तबस्सुम अपने बौयफ्रैंड के बिना एक दिन भी नहीं रह पाती थीं.

उन्हें जब भी मौका मिलता अशोका गार्डन के किराए वाले कमरे में निखिल और करण को बुला लेतीं. जरीना और तबस्सुम के अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक संबंध भी बनने लगे.

जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाले इन प्रेमियों में तजुर्बे की कमी थी. भले ही वे प्रेम की पींगें बढ़ा रहे थे, मगर उन का प्यार वासना के रंग में रंगा हुआ था. यही वजह थी कि एकदूजे के प्यार में पागल प्रेमी जोड़े इस कदर डूब जाते कि उन्हें शारीरिक संबंध बनाते समय रखने वाली सावधानियों का ध्यान ही नहीं रहता.

बिना सोचेविचारे बनाए गए असुरक्षित यौन संबंधों के चलते जरीना और तबस्सुम पेट से हो गईं. पेट से होते ही दोनों अपने प्रेमियों पर शादी करने का दबाव बनाने लगीं.

निखिल और करण इतनी जल्दी शादी के लिए तैयार नहीं थे. पहले तो दोनों ने एक निजी क्लीनिक में उन का गर्भपात करा दिया और जब शादी का जिक्र होता तो दोनों चुप्पी साध कर रह जाते.

एक रात जरीना से मिलने निखिल उस के कमरे पर आया था. जरीना से मिलते ही निखिल उसे अपनी बाहों में भरने को बेताब हो रहा था, परंतु जरीना ने उसे अपने से दूर करते हुए निखिल से कहा, ‘‘देखो निखिल, तुम मेरी जिंदगी के साथ खिलवाड़ मत करो. मेरे साथ शादी कर लो, वरना मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’

हमेशा की तरह निखिल ने जरीना का मन बहलाते हुए कहा, ‘‘मेरी जान, मैं शादी करने के लिए खुद तैयार हूं, लेकिन घर वाले आसानी से मानने वाले नहीं हैं. मुझे डर है कि वे कोई बखेड़ा खड़ा न कर दें.’’

‘‘प्यार में डर कैसा निखिल, हम कहीं मंदिर में शादी कर लेते हैं.’’ जरीना बोली.

‘‘मैं करण से बात कर के कोई तरकीब सोचता हूं, मुझे थोड़ा वक्त और दो जरीना.’’ निखिल ने उस के माथे को चूमते हुए कहा.

उस दिन के बाद निखिल जब करण से मिला तो करण ने बताया कि तबस्सुम भी उस पर शादी करने दबाब डाल रही है.

दोनों ने प्यार के नाम पर मजे तो खूब लूट लिए, मगर शादी करने के नाम से उन के पसीने छूट रहे थे. निखिल और करण को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि ये लड़कियां हाथ धो कर उन के पीछे ही पड़ जाएंगी.

निखिल के पिता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था. घर में उस की मां और एक भाई था. मां को उस से काफी उम्मीदें थीं. करण के पिता रात की पारी में सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करते थे.

निखिल और करण को पता था कि दूसरे धर्म की लड़कियों से उन के घर वाले कभी शादी करने की इजाजत नहीं देंगे. रातदिन निखिल और करण इसी चिंता में परेशान रहने लगे. उन का प्यार का भूत उतर चुका था.

जरीना और तबस्सुम के साथ जीनेमरने की कसमें खाने वाले निखिल और करण ने आखिरकार ऐसा निर्णय ले लिया, जिस की कल्पना जरीना और तबस्सुम ने कभी सपने में भी नहीं की होगी.

दोनों ने अपनी प्रेमिकाओं को हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटाने की योजना बना ली. निखिल और करण ने जरीना और तबस्सुम को झांसा दिया कि हम लोग शादी करने को राजी हैं. करण ने चालबाजी के साथ कहा ‘‘भोपाल में शादी करने में घर वाले रोड़ा बन सकते हैं.’’

निखिल ने बात को आगे बढ़ाते हुए सुझाव दिया, ‘‘मेरे एक चाचा रायसेन जिले के सिलवानी में रहते हैं. हम ने उन के बेटे अंकित को सब कुछ बता दिया है. हम वहां पहुंच कर शादी कर लेंगे.’’

जरीना और तबस्सुम निखिल और करण के शादी के लिए रजामंद होने से खुशी के मारे चहक रही थीं. योजना के मुताबिक निखिल व करण ने दोनों युवतियों को सिलवानी चलने को कहा.

रविवार 27 जून, 2021 की शाम को 6 बजे निखिल व करण तथा जरीना और तबस्सुम को ले कर भोपाल से सिलवानी के लिए दीपक ट्रेवल्स की एक बस में सवार हो कर रवाना हो गए.

रात करीब 11 बजे सिलवानी पहुंचने से पहले ही योजनाबद्ध तरीके से युवकों ने बस को जमुनिया घाटी के पास रुकवाया. बस के रुकते ही चारों लोग बस से उतर गए. निखिल का चचेरा भाई अंकित पटेल बाइक ले कर वहां पहले से उन का इंतजार कर रहा था. अंकित पहले बाइक पर करण व तबस्सुम को बैठा कर घाटी की ओर ले गया. तबस्सुम दोनों के बीच में बैठी थी.

बमुश्किल 2-3 किलोमीटर का फासला तय हुआ था कि करण ने तबस्सुम के दुपट्टे से गले में फंदा डाल दिया. पहले तो तबस्सुम को लगा कि करण उस के साथ कोई चुहलबाजी कर रहा है, मगर जब उस का दम घुटने लग तो वह तड़पने लगी. फिर बाइक रोक कर दोनों ने तबस्सुम पर चाकू से हमला कर के उसे वहीं छोड़ दिया.

फिर अंकित अकेला बाइक ले कर निखिल और जरीना को लेने चला गया. जरीना के वहां पहुंचते ही निखिल ने उस के सिर पर पत्थर से हमला कर दिया. अचानक हुए इस हमले से जरीना बेहोश हो गई. दोनों बहनों को गंभीर रूप से घायल कर मरणासन्न हालत में निखिल, करण और अंकित ने घाटी के नीचे जंगल में फेंक दिया.

तीनों वहां से बाइक से नौनिया बरेली गांव पहुंच गए. वहां जा कर उन्होंने एक हैंडपंप पर अपने कपड़ों पर लगे खून के दागधब्बों को धो लिया. इस के बाद निखिल और करण को सुबह की बस में भोपाल की ओर रवाना कर अंकित वहां से अपने गांव मढि़या पगारा चला गया.

रात के चौथे पहर में जब जरीना और तबस्सुम को होश आया तो उन्होंने अपने आप को एक गहरी खाई में पाया. खून से लथपथ दोनों बहनें दर्द से कराह रही थीं. हिम्मत जुटा कर जैसेतैसे दोनों बहनें धीरेधीरे घाटी चढ़ कर सड़क पर आ गईं.

तब तक सुबह का उजाला दिखने लगा था. दोनों बहनें सड़क से गुजरने वाले वाहनों को हाथ हिला कर रोकने का इशारा करतीं, मगर कोई उन की मदद के लिए नहीं रुक रहा था.

तभी भोपाल से सिलवानी की तरफ जा रहे एक एंबुलेंस के चालक शाहरुख की नजर सड़क पर खून से लथपथ उन दोनों बहनों पर पड़ी. उस ने एंबुलेंस रोक कर देखा तो दोनों के कपड़े खून से सने थे और वे दर्द से कराह रही थीं.

शाहरुख ने सड़क से गुजर रहे एक डंपर को रोक कर उस के ड्राइवर से मदद मांगी. डंपर ड्राइवर सुरेंद्र सिंह की मदद से दोनों बहनों को वह सिलवानी अस्पताल ले आया. इस तरह जरीना और तबस्सुम की जान बच गई.

सिलवानी थानाप्रभारी आशीष चौधरी सूचना मिलते ही अपने स्टाफ के साथ अस्पताल पहुंच गए तथा युवतियों का प्राथमिक उपचार सिलवानी में कराने के बाद रायसेन जिला अस्पताल भिजवा दिया.

दोनों बहनों की हालत में सुधार होने पर उन के बयान के आधार पर पुलिस ने निखिल गौर निवासी सुभाष नगर भोपाल, करण सिंह परिहार निवासी गोविंदपुरा, भोपाल और अंकित पटेल निवासी मढि़या पगारा, सिलवानी के खिलाफ भादंवि की धारा 307, 201, 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

अपने जिन प्रेमियों निखिल और करण परिहार के लिए दोनों बहनों ने घरपरिवार तक छोड़ दिया, उन्होंने ही दोनों बहनों को मौत की कगार पर ला खड़ा किया. रात के अंधेरे में दोनों बहनों पर धारदार हथियारों से हमला किया और मृत समझ कर घाटी से नीचे फेंक कर फरार हो गए.

जरीना और तबस्सुम को मरा समझ कर गहरी घाटी में धकेल कर निखिल और करण निश्चिंत हो गए थे. अपने प्लान को सफल मान कर वे बस में सवार हो कर भोपाल अपने घर जा रहे थे. दोनों को अब इस बात का सुकून मिल गया था कि अब उन्हें जबरदस्ती उन लड़कियों से शादी नहीं करनी पड़ेगी.

सुबह करीब 9 बजे दोनों बस से उतर कर अपनेअपने घर चले गए.

रायसेन जिले की एसपी मोनिका शुक्ला ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सिलवानी पुलिस टीम को जल्द ही दोनों आरोपी प्रेमियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

सिलवानी पुलिस ने सब से पहले मढि़या पगारा गांव के अंकित को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो उस ने बताया कि अपने चचेरे भाई निखिल के कहने पर वह बाइक ले कर जमुनिया घाटी पहुंचा था.

निखिल और करण की तलाश में सिलवानी पुलिस थाने की एक टीम भोपाल रवाना हो गई. भोपाल के अशोका गार्डन थाना पुलिस की मदद से निखिल और करण के बताए गए पते पर पहुंची तो दोनों घर पर ही मिल गए. पुलिस को घर आया देख कर उन के हाथपैर कांपने लगे.

दोनों को हिरासत में ले लिया. अशोका गार्डन पुलिस थाने ला कर उन से पूछताछ की तो निखिल और करण ने पूरी सच्चाई पुलिस को बता दी.

निखिल और करण की निशानदेही पर वारदात के समय प्रयुक्त चाकू और मुंह बांधने का एक कपड़ा पुलिस ने घटनास्थल से बरामद कर लिया.

युवतियों के बयान के आधार पर पुलिस ने भोपाल अशोका गार्डन पुलिस की मदद से आरोपी तीनों युवकों निखिल गौर, करण सिंह परिहार और अंकित पटेल को हिरासत में ले कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हे बेगमगंज जेल भेज दिया गया.

नौकरी की तलाश में भोपाल आईं 2 सगी बहनें जवानी की इस उम्र में प्यार तो कर बैठीं, मगर उन्हें यह मालूम नहीं था कि दुनिया में प्यार के नाम पर धोखा देने वालों की कमी नहीं है.

प्यार का नाटक कर वासना की आग बुझाने वाले निखिल और करण को जरीना और तबस्सुम ने अपने प्रेमियों को भरपूर प्यार दिया, मगर दोनों प्रेमियों ने उन्हें प्यार की जो सजा दी उसे वे ताउम्र नहीं भूल सकतीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में पीडि़त युवतियों के भविष्य को देखते हुए उन के नाम परिवर्तित कर दिए हैं.

प्यार पर प्रहार : आशिक बना कातिल – भाग 2

घर लौट कर उन्होंने जब बात न बनने की जानकारी दी तो कृष्णा को गहरा धक्का लगा. अगले दिन कृष्णा ने अपनी बुलेट निकाली और नारद श्रीवास की दुकान पर पहुंच गया. उस समय नारद ग्राहकों को सामान दे रहे थे. दुकान के बाहर खड़ा कृष्णा नारद श्रीवास को घूरघूर कर देख रहा था. जब वह ग्राहकों से फारिग हुए तो उन्होंने कृष्णा की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘हां, क्या चाहिए?’’

कृष्णा ने उन से बिना किसी डर के अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘कल मेरे पापा आप के पास आए थे.’’

यह सुनते ही नारद श्रीवास के दिलोदिमाग में बीते कल का सारा वाकया साकार हो उठा, जिसे लगभग वह भुला चुके थे. उन्होंने कहा, ‘‘हां, तो?’’

कृष्णा तिवारी ने कहा, ‘‘आप ने मना कर दिया. मैं इसलिए आया हूं कि एक बार आप से मिल कर अपनी बात कहूं.’’

‘‘देखो, तुम चले जाओ. मैं ने तुम्हारे पिताजी को सब कुछ बता दिया है और इस बारे में अब मैं कोई बात नहीं करूंगा.’’

कृष्णा ने अपनी आंखें घुमाते हुए अधिकारपूर्वक कहा, ‘‘आप से कह रहा हूं, आप मान जाइए नहीं तो एक दिन आप खून के आंसू रोएंगे.’’

‘‘तो क्या तुम मुझे धमकाने आए हो?’’ नारद श्रीवास का पारा चढ़ गया.

‘‘धमकाने भी और चेतावनी देने भी. आप नहीं मानोगे तो अंजाम बुरा होगा.’’ कहने के बाद कृष्णा तिवारी बुलेट से घर वापस लौट गया.

नारद श्रीवास कृष्णा के तेवर देख कर अवाक रह गए. उन्होंने सोचा कि यह लड़का एक नंबर का बदमाश जान पड़ता है. मैं ने अच्छा किया कि इस के पिता की बात नहीं मानी.

उन्होंने उसी दिन अपने साढ़ू भाई जोगीराम श्रीवास को फोन कर के सारी बात बता दी. उन्होंने उन से प्रियंका पर विशेष नजर रखने की बात कही, क्योंकि प्रियंका उन्हीं के घर रह कर पढ़ रही थी.

नारद की बातें सुन कर जोगीराम ने उन से कहा, ‘‘आप बिलकुल चिंता मत करो. मैं खुद प्रियंका से बात कर के देखता हूं और आप लोग भी बात करो. इस के अलावा आप धमकी देने वाले कृष्णा के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दो.’’

‘‘नहींनहीं, पुलिस में जाने से हमारी ही बदनामी होगी. मैं अब जल्द ही प्रियंका की सगाई, शादी की बात फाइनल करता हूं.’’ नारद बोले.

21 अगस्त, 2019 डब्बू उर्फ कृष्णा ने प्रियंका को सुबहसुबह लवली मौर्निंग का वाट्सऐप मैसेज भेजा और लिखा, ‘‘प्रियंका हो सके तो मुझ से मिलो, कुछ जरूरी बातें करनी हैं. जाने क्यों रात भर तुम्हारी याद आती रही, इस वजह से मुझे नींद भी नहीं आ सकी.’’

प्रियंका ने मैसेज का प्रत्युत्तर हमेशा की तरह दिया, ‘‘ठीक है, ओके.’’

मौसी ने समझाया था प्रियंका को

प्रियंका रोजाना की तरह उस दिन भी तैयार हो कर कालेज के लिए निकलने लगी तो मौसा और मौसी ने उसे बताया कि वह घरपरिवार की मर्यादा को ध्यान में रखे. कृष्णा से मेलमुलाकात उस के पापा को पसंद नहीं है. तुम्हें शायद यह पता नहीं कि कृष्णा ने मुढ़ीपार पहुंच कर धमकी तक दे डाली है. यह अच्छी बात नहीं है. अगर इस में तुम्हारी शह न होती तो क्या उस की इतनी हिम्मत हो पाती?

मौसी की बातें सुन कर प्रियंका मुसकराई. वह जल्दजल्द चाय पीते हुए बोली, ‘‘मौसी, आप जरा भी चिंता मत करना. मैं घरपरिवार की नाक नहीं कटने दूंगी. जब पापा मुझ पर भरोसा करते हैं, उन्होंने मुझे पढ़ने भेजा है, मेरी हर बात मानते हैं तो मैं भला उन की इच्छा के बगैर कोई कदम कैसे उठाऊंगी. आप एकदम निश्चिंत रहिए.’’

मौसी सीमा ने उसे बताया कि जल्द ही उस की सगाई एक इंजीनियर लड़के से होने वाली है, इसलिए वह कृष्णा से दूर ही रहे.

हंसतीबतियाती प्रियंका रोज की तरह सीपत रोड स्थित शबरी माता नवीन महाविद्यालय की ओर चली गई. वह बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी.

कालेज में पढ़ाई के बाद प्रियंका क्लास से बाहर आई तो कृष्णा का फोन आ गया. दोनों में बातचीत हुई तो प्रियंका ने कहा, ‘‘मैं कालेज से निकल रही हूं और थोड़ी देर में तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी.’’

प्रियंका राजस्व कालोनी स्थित कृष्णा के किराए के मकान में जाती रहती थी. वह मकान बौयज हौस्टल जैसा था. कृष्णा और प्रियंका वहां बैठ कर अपने दुखदर्द बांटा करते थे. प्रियंका ने उस से वहां पहुंचने की बात कही तो कृष्णा खुश हो गया.

सोने के व्यापारी को ले डूबी रंगीनमिजाजी – भाग 2

जल्दी ही कुकुकोवा एक परफेक्ट मौडल बन गई. चाहे रैंप पर चलना हो या कैमरे के किसी भी एंगल के सामने खुद को प्रदर्शित करना हो, वह बहुत कम समय में सीख गई. फलस्वरूप जल्द ही वह एक पेशेवर मौडल बन गई. उसे कुछ नामीगिरामी मौडलों के साथ रैंप पर चलने का मौका मिला तो वह एक चर्चित मैगजीन के कवर पर भी जगह बनाने में सफल रही.

इस के बाद फोटोग्राफरों ने उसे इंटरनेशनल मौडलिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की सलाह दी. उस ने ऐसा ही किया और स्लोवाकिया के फैशन और मौडलिंग की दुनिया का मक्का माने जाने वाले शहर मिलान की ओर रुख किया. मौडलिंग की बदौलत कुकुकोवा ने अपनी खास पहचान बना ली. ब्रिटिश और अमेरिकन मौडलों से टक्कर लेते हुए उस ने स्विमवियर या बिकिनी के पहनावे के साथ रैंप पर चल कर निर्णायक मंडल का दिल जीत लिया.

फिर क्या था, उस का सितारा बुलंद हो गया. मल्टीनेशनल कंपनियां उसे जहां अपने ब्रांड के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाने को लालायित रहने लगीं, वहीं उसे नौकरी के कुछ औफर भी मिले. लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही वह देर रात तक चलने वाली पार्टियों में भी आनेजाने लगी.

मौडलिंग की दुनिया में इस प्रोफेशन को अपनाने वाली मौडल्स अगर अपनी अदाकारी और शारीरिक सुंदरता बिखेरती हैं तो इस में अमीरजादे प्लेबौय की भी भरमार रहती है. उन की सोच के हिसाब से सुंदरियां मौजमस्ती की सैरगाह में मनोरंजन और रोमांस के साधन की तरह होती हैं. ऐसे ही लोगों में से एक थे इंगलैंड के गोल्ड बिजनेसमैन ‘किंग औफ ब्लिंग’ के नाम से चर्चित एंडी बुश. वह अधेड़ावस्था की दहलीज पर आ चुके थे, लेकिन मौजमस्ती के लिए सुंदरियों के साथ डेटिंग पर जाना उन का खास शौक था.

एंडी ब्रिटेन में सोने के आभूषणों के अरबपति कारोबारी थे. उन की गिनती अमीरजादों में होती थी. 1990 में उन्होंने बीबीसी टीवी प्रजेंटर साम मैसन से शादी की थी. उसी से एक बेटी एल्ली पैदा हुई थी. लेकिन बाद में साम मैसन से उन का तलाक हो गया था. वह एल्ली को बहुत प्यार करते थे और उसे हर तरह से खुश और सुखी रखने की कोशिश करते थे.

एल्ली अपनी मां से ज्यादा बुआ रशेल के करीब रही. दूसरी तरफ बुश की पहचान रंगीनियों में डूबे रहने वाले शख्स की बन गई थी. वह आए दिन लेट नाइट पार्टियों या फैशन शो में जाया करते थे. गर्लफ्रैंड के साथ लौंग ड्राइव या डेटिंग पर जाना उन का खास शौक था.

कुकुकोवा को रैंप पर चलते देख बुश पहली बार में ही उस पर फिदा हो गए थे. बुश को न केवल उस का ग्लैमर भरा सौंदर्य पसंद आया था, बल्कि उस की शारीरिक सुंदरता और अदाएं भी बहुत अच्छी लगी थीं. संयोग से बुश उस फैशन शो वीक के प्रायोजक भी थे, जिस में कुकुकोवा को बतौर मौडल जगह मिली थी. तब दोनों की औपचारिक मुलाकात हुई थी.

पहली मुलाकात में ही कुकुकोवा ने बुश के दिल में इतनी तो जगह बना ही ली थी कि वह कारोबारी व्यस्तता के बावजूद उस से मिलनेजुलने के लिए समय निकालने लगे थे.

इस तरह शुरू हुई मुलाकातों के दौरान कुकुकोवा ने उन से अपने लिए कोई काम तलाशने की इच्छा जताई. इस पर बुश ने उसे ब्रिस्टल स्थित अपने ही सोने के आभूषणों के शोरूम में नौकरी दे दी.

अब बुश के लिए उस से मिलनाजुलना आसान हो गया था. नतीजा यह हुआ कि उन की मुलाकातें प्रगाढ़ संबंध में बदलती चली गईं.

बुश अपनी सुगठित और चुस्तदुरुस्त देह के लिए काफी मेहनत करते थे. यही वजह थी कि वे 48 की उम्र में भी 28-30 के युवा की तरह दिखते थे. उन की सब से बड़ी कमजोरी सुंदरियों के पीछे भागना थी. नईनई प्रेमिकाएं बनाना, उन्हें महंगे उपहार देना और उन के साथ डेटिंग या लौंग ड्राइव पर जाना उन की जीवनशैली का अहम हिस्सा था.

उन के पास महंगी कारों की बड़ी शृंखला थी, जिन में लाल रंग की फेरारी और ग्रे रंग की लेंबोरगिनी के अतिरिक्त हमर रेंज की कई कारें थीं. उन की कई गाडि़यां कानसेलाडा के समुद्र तटीय गांव स्थित स्पैनिश विला में रखी जाती थीं.

अपनी आरामदायक जिंदगी गुजारने के लिए उन्होंने सन 2002 में करीब 3,20,000 पाउंड में 5 बैडरूम का एक मकान खरीदा था, जो केप्सटो के भीड़भाड़ वाले इलाके से काफी दूर ग्रामीण क्षेत्र मानमाउथशिरे में स्थित था. यह भव्य मकान 7 फुट ऊंची चारदीवारी से घिरा था.

इस के बावजूद इस मकान में सुरक्षा के तमाम अत्याधुनिक इंतजाम किए गए थे. उन्होंने सुरक्षा के लिए विख्यात राट्टेवाइलर डौग गार्ड भी वहां तैनात किए थे. आधिकारिक तौर पर बुश के 4 तरह के कारोबार थे, जिस में 3 तो फिलहाल निष्क्रिय थे. सिर्फ ट्रेडिंग कंपनी बिगविग से ही उन्हें मुनाफा होता था.

बुश के दिल में कुकुकोवा के लिए कितनी जगह थी या फिर कुकुकोवा बुश से कितनी मोहब्बत करती थी, यह कहना मुश्किल था, लेकिन इतना जरूर था कि वह उन के तमाम निजी कार्यों में दखलंदाजी करती थी. वह बुश के उसी शोरूम में एक कर्मचारी थी, जिस का कामकाज बुश की बहन रशेल और बेटी एल्ली संभालती थीं.

सन 2012 में बुश की कुकुकोवा के साथ डेटिंग चरम पर थी. इस का फायदा उठाते हुए कुकुकोवा बुश के साथ रशेल और एल्ली पर भी अपना रौब दिखाती थी. हालांकि उन के ‘लिव इन रिलेशन’ की मधुरता में जल्द ही नीरसता आ गई और नवंबर 2013 में तो उन के संबंध पूरी तरह से खत्म हो गए. इस की वजह यह थी कि उसी दौरान बुश की जिंदगी में एक 20 वर्षीया रूसी युवती मारिया कोरोतेवा आ गई थी.

मारिया इंगलैंड के पश्चिमी इलाके में स्थित एक यूनिवर्सिटी में ह्यूमन रिसोर्सेस की छात्रा थी. उस से बुश की मुलाकात ब्रिस्टल के कोस्टा कैफे की एक शाखा में हुई थी. मारिया बुश की बेटी एल्ली से मात्र एक साल बड़ी थी.

भोगनाथ का भोग : क्या पूरे हो पाए भोगनाथ के अरमान – भाग 2

गांव में मकान एक लाइन से बने थे. उन की छतें भी आपस में मिली हुई थीं. भोगनाथ अपने मकान से कई मकानों की छत फांद कर बिट्टू के पास पहुंच जाता था और छत पर बने कमरे में उस के साथ घंटों प्यार की मीठीमीठी बातें करता था.

प्रेम के हिंडोले में झूमती हुई बिट्टू कहती, ‘‘भोग, दिल तो मैं ने तुम्हें दे दिया है, पर तुम भी उस की लाज रखना. देखना कभी भूले से मेरा दिल न टूटे.’’

‘‘कैसी बात करती हो बिट्टू, तुम्हारा दिल अब मेरी जान है और कोई अपनी जान को यूं ही जाने देता है क्या?’’

‘‘इसी भरोसे पर तो मैं ने तुम से प्यार किया है. मनआत्मा से तुम्हें वरण कर के मैं 7 जन्मों के लिए तुम्हारी हो चुकी. देखना है कि तुम किस हद तक प्यार निभाओगे.’’

‘‘प्यार निभाने की मेरी कोई हद नहीं है. प्यार निभाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं.’’

बिट्टू ने इत्मीनान से सांस ली, ‘‘पता नहीं, वह दिन कब आएगा, जब मैं तुम्हारी पत्नी बनूंगी.’’

‘‘विश्वास रखो बिट्टू, हमारे प्यार को मंजिल मिलेगी.’’ बिट्टू का हाथ अपने हाथों में ले कर भोगनाथ बोला, ‘‘वैसे भी हमारी शादी में कोई अड़चन तो है नहीं, हमारा धर्म और जाति एक है. हमारा सामाजिकआर्थिक स्तर एक जैसा है. सब से बड़ी बात यह कि हम दोनों प्यार करते हैं.’’

भोगनाथ की बात तो बिट्टू को यकीन दिलाती ही थी, उसे खुद भी पूरा भरोसा था कि दोनों की शादी कोई अड़चन नहीं आएगी. इसलिए उसे अपने प्रेम व भविष्य के प्रति कभी नकारात्मक विचार नहीं आते थे. उसे पलपल भोगनाथ का इंतजार रहता था. भोगनाथ के आते ही वह खुली आंखों से भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगती थी.

तन्हाई, दो जवां जिस्म और किसी के आने का कोई डर नहीं. यही भावनाओं के बहकने का पूरा वातावरण होता था. कभीकभी बिट्टू और भोगनाथ के दिल बहकने लगते थे, लेकिन बिट्टू जल्द ही संभल जाती और भोगनाथ को भी बहकने से रोक लेती थी. लेकिन एक वर्ष पूर्व कड़कड़ाती ठंड में वह सब तनहाई में हो गया, जो बिट्टू नहीं चाहती थी.

उस दिन दोपहर को बने शारीरिक संबंध में बिट्टू को ऐसा आनंद आया कि वह बारबार उस आनंद को पाने के लिए उतावली रहने लगी. भोगनाथ भी कम मतवाला नहीं था.

इसी दौरान एक दिन इत्तफाक से बिट्टू की अनस नाम के एक युवक से बात हुई. उस के बाद इन दोनों की प्रेम कहानी में एक नया मोड़ आ गया.

सीतापुर की सीमा से सटे हरदोई जनपद के टडि़यावां थाना क्षेत्र के कस्बा गोपामऊ में नवी हसन रहते थे. नवी हसन के परिवार में पत्नी नाजिमा के अलावा 3 बेटे थे- साबिर, अनस और असलम.

नबी हसन की कस्बे में ही खाद की दुकान थी, जिस पर उस के साथ उस के बेटे अनस और असलम बैठते थे. साबिर किसी फैक्ट्री में काम करता था. अनस काफी खूबसूरत नौजवान था, साथ ही अविवाहित भी. उसे दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने में काफी मजा आता था.

एक दिन सुहानी सुबह अनस उठ कर छत पर चला आया. छत की मुंडेर पर बैठ कर वह आसमान की तरफ निहार रहा था कि अचानक उस का मोबाइल बज उठा इतनी सुबह फोन करने वाला कोई दोस्त ही होगा, सोच कर अनस मोबाइल स्क्रीन पर बिना नंबर देखे ही बोला, ‘‘हां बोल?’’

‘‘जी, आप कौन बोल रहे हैं?’’ दूसरी ओर से किसी युवती की आवाज सुनाई दी तो अनस चौंक पड़ा. उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने तुरंत ‘सौरी’ कहते हुए कहा, ‘‘माफ करना, दरअसल मैं समझा इतनी सुबह कोई दोस्त ही फोन कर सकता है, इसलिए… वैसे आप को किस से बात करनी है, आप कौन बोल रही हैं?’’

‘‘मैं बिट्टू बोल रही हूं. मुझे भी अपनी दोस्त से बात करनी थी, लेकिन गलत नंबर डायल हो गया.’’

‘‘कोई बात नहीं, आप को अपनी दोस्त का नंबर सेव कर के रखना चाहिए. ऐसा करने से दोबारा गलती नहीं होगी.’’

‘‘आप पुलिस में हैं क्या?’’

‘‘नहीं तो, क्यों?’’

‘‘पूछताछ तो पुलिस वालों की तरह कर रहे हैं. 25 सवाल और सलाह भी.’’ कह कर बिट्टू जोर से हंसी.

‘‘अरे नहीं, मैं ने तो वैसे ही बोल दिया. दोस्त आप की, फोन भी आप का. आप चाहें नंबर सेव करें या न करें.’’

‘‘तो आप दार्शनिक भी हैं?’’ बिट्टू ने फिर छेड़ा.

‘‘नहीं नहीं, आम आदमी हूं.’’

‘‘किसी के लिए तो खास होंगे?’’

‘‘आप बहुत बातें करती हैं.’’

‘‘अच्छी या बुरी?’’

‘‘अच्छी.’’

‘‘क्या अच्छा है मेरी बातों में?’’

अब हंसने की बारी अनस की थी. वह जोर से हंसा, फिर बोला, ‘‘माफ करना, मैं आप से नहीं जीत सकता.’’

‘‘और मैं माफ न करूं तो?’’

‘‘तो आप ही बताएं, मैं क्या करूं?’’ अनस ने हथियार डाल दिए.

‘‘अच्छा जाओ, माफ किया.’’

दरअसल बिट्टू ने अपनी सहेली से बात करने के लिए नंबर मिलाया था, लेकिन गलत नंबर डायल होने से अनस का नंबर मिल गया था. लेकिन अनस की आवाज उसे भा गई थी. इस के बाद उस के दिल में फिर से अनस से बात करने की इच्छा हुई, लेकिन संकोचवश वह अपने आप को रोक लेती थी.

फिर एक दिन उस से रहा नहीं गया तो उस ने अनस का नंबर फिर मिला दिया. इस बार अनस भी जैसे उस के फोन का इंतजार कर रहा था. उसे इस बात का एहसास था कि बिट्टू उसे फिर से फोन जरूर करेगी. इस बार जब दोनों की बात हुई तो काफी देर तक चली.

बिट्टू ने अपने बारे में बताया तो अनस ने भी अपने बारे में सब कुछ बता दिया. दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुईं कि दोनों एकदूसरे के प्रति अपनापन सा महसूस करने लगे. यह दिसंबर 2017 की बात है.

फिर उन के बीच बराबर बातें होने लगीं. एक दिन दोनों ने रूबरू मिलने का फैसला कर लिया. दोनों मिले तो एकदूसरे को सामने पा कर काफी खुश हुए. बिट्टू काफी खुश थी.

उस ने भोगनाथ और अनस की तुलना की तो पाया कि भोगनाथ और अनस का कोई मुकाबला नहीं है. अनस भोगनाथ से ज्यादा खूबसूरत था और उस की आर्थिक स्थिति भी भोगनाथ से लाख गुना अच्छी थी. इसलिए वह भोगनाथ से दूरी बना कर अनस से नजदीकियां बढ़ाने लगी.

अनस अपने आप चल कर आए मौके को भला कैसे गंवा देता. उसे भी बैठेबिठाए एक खूबसूरत युवती का साथ मिला तो वह भी बिट्टू का हो गया. समय के साथ दोनों की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि तन की दूरियां भी खत्म हो गईं. एक दिन दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया.

पत्नी बनने की जिद ने करवाया कत्ल – भाग 2

रशीद के साथ नरगिस की मुलाकात तब हुई जब वह अपनी एक पड़ोसन के लिए संदूक खरीदने उस की दुकान पर गई थी. रशीद को अचानक नरगिस अच्छी लगने लगी थी. वह उस से बात करना चाहता था पर उस दिन साथ में दूसरी औरत होने की वजह से बात नहीं कर सका. लेकिन बातचीत कर के उसे पता लग गया था कि वह फिरोजाबाद के रामगढ़ थाने के पास की गली में रहती है.

नरगिस को देखने के बाद रशीद के दिल में खलबली मच गई थी. वह उस से मिलना चाहता था, इसलिए एक दिन वह दुकान बंद कर के थाना रामगढ़ के नजदीक पहुंच कर आसपास के लोगों से नरगिस के बारे में पूछने लगा. लेकिन कोई उसे कुछ नहीं बता पाया. फिर अचानक उसे गली की नुक्कड़ पर नरगिस मिल गई.

नरगिस ने उसे देखा तो कहा, ‘‘अरे, तुम यहां कैसे?’’

‘‘अपने किसी दोस्त से मिलने आया था.’’ रशीद ने बहाना बनाया.

नरगिस ने उसे अपने घर चलने को कहा तो वह उस के साथ चल दिया.

नरगिस के घर पहुंच कर रशीद ने उस के हालात का जायजा लिया. उस के प्रति सहानुभूति दिखाई तो नरगिस के दिल में रुका हुआ लावा भी फूट पड़ा. उस ने बताया कि शौहर की मौत के बाद जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है. रशीद ने महसूस किया कि नरगिस को भी किसी मर्द के सान्निध्य की जरूरत है. इसी का उस ने फायदा उठाने का फैसला लिया. पर नरगिस का दिल टटोलना भी जरूरी था, लिहाजा उस दिन वह कुछ ही देर में फिर से मिलने का वादा कर के चला आया. उस ने नरगिस को अपना मोबाइल नंबर दे दिया और कहा जब भी किसी चीज की जरूरत हो, वह उस से बेझिझक कह सकती है.

नरगिस को भी एक दोस्त की जरूरत थी, अत: धीरेधीरे वे दोनों मोबाइल पर दिल की बातें करने लगे. रशीद जब नरगिस के घर जाता तो बच्चों के लिए कुछ खानेपीने की चीजें भी ले जाता. इस से नरगिस के बच्चे भी उस के साथ घुलमिल गए थे. बातचीत के दौरान नरगिस को यह जानकारी हो गई थी कि रशीद शादीशुदा ही नहीं, 2 बच्चों का बाप भी है.

लेकिन उसे तो एक सहारे की जरूरत थी इसलिए उस का रशीद के प्रति झुकाव बढ़ता गया. एक दिन नरगिस देर शाम को उस की दुकान पर आई. कुछ देर बाद जब वह जाने लगी तो रशीद ने उस का हाथ पकड़ लिया और आई लव यू कहते हुए अपने मन की बात कह डाली. नरगिस ने उसे घूर कर देखा और तमक कर बोली, ‘‘कुछ देर बाद तुम घर आ जाना. मैं खाना बना कर रखूंगी. तभी बात करेंगे.’’ इस के बाद वह चली गई.

रशीद का दिल बल्लियों उछल रहा था. नरगिस जैसी हसीन औरत का सामीप्य जो उसे मिलने वाला था. उस समय वह भूल गया कि शिकोहाबाद में उस की पत्नी और बच्चे भी हैं. रशीद ने उस दिन अन्य दिनों की अपेक्षा पहले ही दुकान बंद कर दी. फिर कुछ देर इधरउधर टहलता रहा. हलका अंधेरा होने पर उस ने नरगिस के घर का रुख कर दिया. जब वह उस के घर पहुंचा तो देखा कि उस के बच्चे सो चुके थे और वह उस का इंतजार कर रही थी.

औपचारिक बातचीत के बाद नरगिस ने खाना लगा दिया. रशीद ने नरगिस को भी साथ बैठा कर खाना खिलाया. खाना खाने के बाद वह उसे कमरे में ले आई. अब कमरे में रशीद और नरगिस के अलावा तनहाई थी जो उन्हें कोई गुनाह करने को उकसा रही थी. उस रात उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कीं. रात काली और लंबी जरूर थी लेकिन उन के लिए खुशनुमा थी. सुबह रशीद ने चलते समय कुछ रुपए नरगिस के हाथ में रखते हुए कहा, ‘‘ये खर्चे के लिए हैं.’’ फिर बोला, ‘‘तुम खाना बहुत अच्छा बनाती हो.’’ नरगिस भी हंसते हुए बोली, ‘‘आज से तुम्हें ये खाना रोज मिलेगा.’’

रशीद चला गया पर नरगिस का अधूरापन पूरा कर गया था. वह खुश थी. उसे एक सहारा मिल गया था. शाम को उस ने खाना बनाया और टिफिन ले कर रशीद की दुकान पर पहुंच गई. उसे देखते ही रशीद बोला, ‘‘अरे तुम यहां, मैं तो अपने घर शिकोहाबाद जाने वाला था.’’

‘‘हां, चौंक क्यों रहे हो. जब रोज शाम का खाना तुम्हें यहीं मिल जाया करेगा. तब शिकोहाबाद जा कर क्या करोगे.’’ वह बोली.

इस के बाद नरगिस का रशीद की दुकान पर आनाजाना होने लगा. रशीद को जब रोजाना ही शाम का खाना मिलने लगा तो उस ने शिकोहाबाद में अपने घर जाना बंद कर दिया. कई दिनों तक वह घर नहीं गया तो उस की पत्नी सलमा को चिंता होने लगी. उस ने पति को फोन किया तो रशीद ने दुकान पर काम ज्यादा होने का बहाना कर दिया.

फिर एक दिन रशीद नरगिस को बताए बिना अपने घर चला गया. नरगिस जब खाना ले कर उस की दुकान पर पहुंची तो दुकान का ताला बंद देख कर उस ने रशीद को फोन मिलाया. तब उसे उस के घर जाने की जानकारी मिली. अगले दिन रशीद आया तो नरगिस ने उस से शिकायत की.

उस ने रशीद से कहा कि उस का रोजरोज दुकान पर आना ठीक नहीं है. उस ने उसे मक्खनपुर में ही किराए का कमरा लेने की सलाह दी. रशीद को उस की सलाह उचित लगी. इसलिए उस ने मक्खनपुर में किराए का कमरा ले लिया. अब नरगिस वहीं शाम का खाना ले कर पहुंच जाती और फिर सारी रात प्रेमी के आगोश में होती थी. करीब 6 महीने तक उन दोनों के बीच गुपचुप तरीके से संबंध बने रहे. कभीकभी नरगिस यह सोच कर डरती थी कि कहीं रशीद उसे छोड़ न दे.

उस का रशीद पर कोई कानूनी हक तो था नहीं, जो वह उस पर अधिकार जताती. वह रशीद के मन की बात टटोलना चाहती थी. एक दिन बातों ही बातों में नरगिस ने उस की पत्नी सलमा के बारे में कुछ कह दिया तो रशीद भड़क उठा. नरगिस को लगा कि अभी सही वक्त नहीं आया है. रशीद को अपना बनाने में कुछ वक्त देना होगा और कुछ ऐसा करना होगा जिस से वह पत्नी को छोड़ उसी का हो जाए.

वासना की बयार में बिजली का करंट – भाग 2

इसलामनगर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर दहगवां एक विकसित गांव है, जो कस्बे का रूप ले चुका है. दहगवां बदायूं जिले के ही थाना जरीफनगर के अंतर्गत आता है. इसे नगर पंचायत का दरजा मिल चुका है. पहली बार वहां चेयरमैन चुना जाना है. दहगवां से करीब 7 किलोमीटर दूर गांव परड़या है.

यहीं शबनम का भरापूरा परिवार रहता है. संभ्रांत लोगों में उन की गिनती होती है.

शबनम की शादी के बाद से ही उस के परिजन परेशान रहने लगे थे. आए दिन शबनम का पति और ससुरलवालों से झगड़े निपटाए जाते थे. शबनम की जिद के चलते शरीफ को 4 साल दहगवां में किराए का मकान ले कर रहना पड़ा था. तब लोग उन पर काफी तंज कसा करते थे.

शरीफ ने एक दिन शबनम को घर ला कर समझाने की कोशिश की. शरीफ और उस के घर वालों ने उसे काफी समझाया. यहां तक कि पंचायत हुई, लेकिन पंचायत में भी कोई खास समाधान नहीं निकल पाया.

आखिरकार, शरीफ शबनम को उस के मायके में ही छोड़ कर दिल्ली चला गया. कुछ दिन बाद शबनम बच्चे को ले कर अपनी ससुराल इसलामनगर पहुंची और ताला तोड़ कर रहने लगी. तब शबनम ने शरीफ से फोन पर माफी मांगते हुए नए सिरे से जिंदगी शुरू करने की बात कही. साथ ही वादा किया कि वह आइंदा सलीम से कोई संबंध नहीं रखेगी.

पत्नी की बात सुन कर शरीफ ने उसे माफ तो कर दिया, साथ ही बच्चों के भविष्य के लिए सही रास्ते पर चलने को कहा. शबनम ने भी वादा करते हुए कहा कि ऐसा ही होगा. वह पुरानी बातों को दिमाग से निकाल दे और हम लोग मेहनत कर अधूरे मकान को पूरा करेंगे. पत्नी की बात पर यकीन करने के अलावा शरीफ के पास और कोई रास्ता भी नहीं था.

शबनम के इस माफीनामे और पति के प्रति वफादारी में कितनी सच्चाई थी, इस का पता तो तब चला जब शबनम ने सलीम से मिलनेजुलने का तरीका बदल लिया.

दोनों के मकान के उत्तरी दीवार की ओर कई प्लौट खाली थे. काफीकाफी दूरी पर इक्कादुक्का मकान बने थे. प्लौटों की तरफ से शबनम के कमरे के आंगन की दीवार काफी नीची थी. इस दीवार पर ही बांस प्लास्टिक का टटिया टिकाया हुआ था.

दीवार और टटिया के बीच के गैप को बरसाती पन्नी से ढंक दिया गया था. सलीम को शबनम के घर में  घुसने का यह एक गुप्त रास्ता मिल गया था, जिस का फायदा सलीम उठाने लगा था. वह उस रास्ते से रात में किसी समय शबनम के घर में घुस जाता था. फिर बेफिक्र हो कर दोनों अपने जिस्म की आग शांत करते थे. फिर सलीम उसी रास्ते से अपने घर चला जाता था.

उत्तरी दीवार से घर में उतरने में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए शबनम ने सीमेंट के खाली कट्टों में मिट्टी भर कर दीवार से सटा कर रख दिए थे.

मिलने से पहले शबनम अपने बच्चों को नींद की गोलियां खिला देती थी. उस के बाद सलीम को मोबाइल से खबर कर देती थी. सलीम पीछे के रास्ते से रात में शबनम के घर में घुस जाता था. दोनों रंगरलियां मनाते फिर सलीम मिट्टी से भरे कट्टे पर चढ़ कर इधरउधर देखता हुआ अपने घर चला जाता था.

सलीम दिखने में भले ही आकर्षक नहीं था. रंग गहरा सांवला था, जिसे काला भी कहा जा सकता है. भोंडा सा चेहरा, कदकाठी भी सामान्य से कम थी, लेकिन शरीरिक कसावट किसी भी औरत को आकर्षित करने के लिए काफी थी. सलीम में सैक्स के प्रति अधिक रुचि को देखते हुए वह उसे सैक्सी घोड़ा कहा करती थी.

शबनम से पहले मोहल्ले की एक और महिला से भी सलीम का प्रेम संबंध था. वह बिरादरी के अख्तर की पत्नी को भगा ले गया था. दोनों एक ही बिरादरी के थे, जिस के कारण मामला रफादफा हो गया. कुछ दिन साथ रखने के बाद महिला को उस के पति के हवाले कर दिया था.

जब सलीम और शबनम वासना की बयार में बहे जा रहे थे. उन पर किसी भी तरह की कोई रोकटोक नहीं थी. उन के मन में केवल आशंका थी तो यह कि शरीफ के आने या उस की जानकारी होने पर उन की मौजमस्ती में कभी भी खलल पड़ सकती है. यही सोच कर दोनों ने एक योजना बनाई.

योजना के मुताबिक शबनम ने 3 जुलाई, 2022 को सुबहसुबह पति शरीफ को फोन किया. कलपती आवाज में बोली कि बड़े बेटे की तबीयत खराब है. वह जिस हालत में है तुरंत घर आ जाएं. बेटे की तबीयत खराब की खबर सुनते ही शरीफ घबरा गया और उसी दिन शाम के 6 बजे के करीब घर आ गया. घर आ कर देखा तो बेटा ठीकठाक था. वह खेलकूद रहा था.

इस तरह अचानक बुलाने पर उस ने नाराजगी जताई. शबनम ने नाराज पति को बांहों में भर कर उस की नाराजगी दूर करने की कोशिश की. कुछ हद तक इस में उसे सफलता मिल गई.

काफी दिनों बाद पत्नी से मिलने पर शरीफ शबनम की बाहों में समा गया. उस का गुस्सा दूर हो गया. जब बच्चों ने दरवाजा खटखटाया, तब उस ने शबनम को खुद से अलग किया.

शरीफ इसलामनगर पंचायत से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर मऊकलां गांव का मूल निवासी था. वह सैफी यानी बढ़ई समुदाय के रहमान खानदान में 5 भाइयों में एक था. उस्मान, मेहरबान, एहसान, इरफान और शरीफ सभी भाई फरनीचर बनाने का काम जानते थे.

पांचों भाइयों ने 50 से 100 गज तक के प्लौट ले कर इसलामनगर में अपनेअपने घर बना लिए थे. उन के बीच आपसी मेलजोल था. एक भाई गांव में ही रहता था. दूसरा भाई इरफान इसलामनगर में डीजे संचालक के यहां मजदूरी करता है, जिस के चलते वह देर रात तक ही घर लौट पाता था. 3 भाई दिल्ली में अलगअलग जगहों पर काम करते हैं.

शबनम ने 3 जुलाई की आधी रात को ही करीब 2 बजे शरीफ के बड़े भाई उस्मान को फोन किया. उस ने नींद में आननफानन में घबराहट के साथ फोन रिसीव किया. सिसकियां भरते हुए शबनम ने बताया कि आप के भाई को बिजली ने पकड़ लिया है और उन की मौत हो गई है.

इतना बताने के बाद उस की सिसकियां थोड़ी कम हो गईं. फिर उस ने धीमी गमगीन आवाज में करंट लगने की पूरी घटना का जिक्र किया. उस ने बताया कि रात के एक बजे जब आंखें खुलीं, तब उस ने शरीफ को अपनी चारपाई पर नहीं पाया. कमरे में नजर दौड़ाने पर शरीफ को इनवर्टर के तारों से चिपका देखा.

शरीफ को बिजली का करंट लगने की बात सुन कर उस्मान को गहरा सदमा लगा. साथ ही उसे आश्चर्य हुआ कि यह खबर उस ने पड़ोस में रह रहे इरफान को क्यों नहीं दी. वैसे इस की जानकारी उस ने अपने सभी भाइयों और रिश्तेदारों को भी दे दी.

आश्चर्य की बात यह भी थी कि इरफान की पत्नी फरहीन घर पर ही थी, लेकिन उसे पड़ोस में रहने वाले देवर शरीफ की मृत्यु की भनक तक न लगी.

उस्मान भागाभागा शरीफ के घर आया. वहां इरफान की पत्नी फरहीन से मालूम हुआ कि रात के करीब 12 बजे उसे किवाड़ों पर आहट महसूस हुई थी. उस की नींद से आंखें खुलीं. वह समझ नहीं पाई. उस ने तुरंत यह जान कर दरवाजा खोल दिया कि शायद उस का पति इरफान आया हो. किंतु उस ने सलीम को शरीफ के घर से जाते हुए देखा.

शरीफ की अचानक मौत से घर में मातम का माहौल बन गया था. सभी रोने लगे थे. बच्चे एक कोने में गुमसुम बैठे थे. सुबह होते ही शबनम के घर काफी भीड़ जमा हो गई थी. शरीफ की लाश देख कर हर कोई हत्या होने की ही आशंका जाहिर कर रहा था. जबकि शबनम हर किसी से एक ही बात कह रही थी कि रात में पता नहीं वह किसी समय इनवर्टर में कुछ करने लगे और उस के तार से चिपक गए. बिजली करंट से उन की मौत हो गई.

इस हादसे की सूचना शरीफ के भाई इरफान ने पुलिस को दी. थाने से 2 सिपाही आए और मौका मुआयना किया. उन्होंने पाया कि शरीफ के शरीर में चोट और करंट के कई जगह निशान हैं.