आखिर कैसे बदहाली का शिकार हुआ बौलीवुड का ये सितारा

25 साल से ज्यादा का अरसा गुजर जाने के बाद भी बौलीवुड के खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेता राज किरण मेहतानी आज भी हिन्दी फिल्मों के दर्शकों के जेहन में जिंदा हैं तो इसकी वजहें भी हैं. वे वाकई एक ज़िंदादिल अभिनेता थे. जिसने सौ से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और रोल छोटा होते हुये भी अपनी दमदार एक्टिंग की छाप छोड़ी.

कर्ज से हुए थे फेमस.

साल 1980 में सुभाष घई द्वारा निर्देशित सुपर डुपर हिट कर्ज फिल्म में वे एक ऐसे ही छोटे रोल में थे लेकिन पूरी फिल्म के फ्रेम्स में दिखाई दिये थे. इस फिल्म में सिम्मी ग्रेवाल एक लालची पत्नी की भूमिका में थीं जो पति की जायदाद हड़पने के लिए उसकी हत्या कर देती है. बाद में राज किरण का पुनर्जन्म ऋषि कपूर के रूप में होता है और वह पूर्वजन्म में की गई अपनी हत्या का बदला पत्नी से लेता है. हालांकि कर्ज अंधविश्वास पर आधारित फिल्म थी फिर भी वह खूब चली थी क्योंकि उसमें वह सब कुछ था जो दर्शकों को चाहिए रहता है. फिल्म में ऋषि कपूर मोंटी नाम के सिंगर बने थे जो राज किरण का दूसरा जन्म था.

सेट पर हुई थी राज और ऋषि की दोस्ती.

इसी फिल्म से ऋषि और राज की दोस्ती परवान चढ़ी थी. कर्ज हिट हुई तो राज किरण को धडाधड़ फिल्में मिलने लगीं. इनमें घर हो तो ऐसा, बसेरा, बुलंदी और तेरी मेहरबानियां उल्लेखनीय हैं लेकिन यह उनकी बदकिस्मती ही कही जाएगी कि उन्हें अधिकतर रोल सहायक अभिनेता के ही मिले.

सी ग्रेड फिल्मों में भी किया काम.

राज किरण महत्वाकांक्षी थे लेकिन उन्होने एक पेशेवर अभिनेता की तरह अपनी हालत से समझौता कर लिया और अच्छी फिल्म और किरदार की चाह में सी ग्रेड तक की फिल्में करते रहे. फिर हर चौथी पांचवी फिल्म में राज किरण दिखने लगे पर अपने अभिनय की छाप छोड़ी

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’…

उन्होने महेश भट्ट निर्देशित कला फिल्म अर्थ से जिसमें वे एक फ्रीलान्स सिंगर के रोल में थे जो पति कुलभूषण खरबन्दा की परित्यक्ता शबाना आजमी से प्यार करने लगता है. इस फिल्म में उन पर फिल्माई एक गजल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…. क्या गम है जिसको छुपा रहे हो’, आज भी शिद्दत से सुनी और गुनगुनाई जाती है. 1995 तक राज किरण फिल्मों और शेखर सुमन के एक टीवी सीरियल रिपोर्टर में दिखे लेकिन फिर एकाएक ही रहस्यमय तरीके से न केवल फिल्मों से बल्कि भारत से ही गायब हो गए.

डिप्रेशन में थे राज.

1949 में मुंबई में जन्मे राज किरण दिखते रहते यानि फिल्मी ढंग से ही लापता न होते तो तय एक बेहतर चरित्र अभिनेता होते. उनके घर में पत्नी कथिजा नाचियार उर्फ रूपा और बेटी ऋषिका के अलावा दो भाई भी हैं. राज किरण की यूं गुमशुदगी के बारे में तरह तरह की अफवाहें फिल्म इंडस्ट्री में उड़ने लगीं. कइयों ने तो उन्हें मृत ही मान लिया. इसके पहले यह बात भी उजागर हुई थी कि राज किरण नामालूम वजहों के चलते गहरे अवसाद में आ गए हैं. जिनका इलाज मुंबई के भायखला स्थित मसीना अस्पताल में चला था लेकिन इसके बाद वे कहां गए इसकी जानकारी उनकी पत्नी और बेटी भी नहीं दे पाईं.

सस्पेंस पर सस्पेंस.

राज किरण को भारत में आखिरी दफा देखने का दावा महेश भट्ट ने ही किया था जो उनकी मिजाजपुर्सी के लिए मसीना अस्पताल गए थे और मीडिया को उनके डिप्रेशन में होने की जानकारी दी थी. बाद मे जब यही मीडिया उनकी पत्नी और बेटी के पीछे पड़ गया तो उन्होने बताया कि राज किरण लापता हैं और पुलिस उन्हें ढूंढ रही है इसके अलावा प्राइवेट जासूसों की सेवाएं भी ली जा रहीं हैं.

दीप्ति नवल ने फेसबुक पर चलाई मुहिम.

फिल्म इंडस्ट्री में जिन इने गिने लोगों से राज किरण की गहरी छनती थी उनमें से एक अभिनेत्री दीप्ति नवल भी हैं. जिन्होने अपने इस दोस्त को ढूंढने के लिए फेसबुक पर मुहिम भी चलाई थी और बाद में बताया भी कि राज किरण को अमेरिका में टैक्सी चलाते देखा गया. लेकिन अब तक फिल्म इंडस्ट्री में काफी कुछ बदल गया था जिसमें राज किरण एक खूबसूरत हादसे की तरह भुला दिये गए थे.

ऋषि कपूर ने दिया था ये बयान.

अमेरिका से राज किरण का नाता था क्योंकि उनके भाई गोविद मेहतानी वहां के बड़े कारोबारी हैं जिनके कारोबार को जमाने में उन्होने काफी मदद की थी. यह एक संभावना भर थी कि राज किरण अपने भाई के पास चले गए होंगे लेकिन दीप्ति नवल के खुलासे के बाद साल 2009 में उनके एक और दोस्त ऋषि कपूर ने यह बयान देकर फिर से राज किरण को जिंदा कर दिया था कि वे अमेरिका में ही हैं और टेक्सास के एक मेंटल हास्पिटल में इलाज करा रहे हैं और इलाज का खर्च वहां काम करके उठा रहे हैं. ऋषि कपूर ने यह भी कहा था कि वे जल्द अपने दोस्त को भारत वापस ले आएंगे और उन्हें पूरी सहूलियत से रखेंगे. हालांकि ऋषिकपूर अपनी बात पर अमल नहीं कर पाए.

उधर राज किरण की पत्नी और बेटी ने इस बात को झूठा बताकर पल्ला झाड लिया. इसी दौरान यह बात भी सामने आई कि राज किरण अपनी पत्नी के लालच और बेबफाई के चलते डिप्रेशन का शिकार हुये थे. यानि कर्ज फिल्म की कहानी उनकी जाती ज़िंदगी में भी लागू हो रही थी . फर्क इतना भर था कि हकीकत में ऋषिकपूर या किसी और ने फिल्म की तरह उनके लिए कुछ नहीं किया.

किसी को नहीं पता कहां हैं राज किरण.

अब राज किरण के बारे में अधिकृत रूप से कोई कुछ नहीं कह पा रहा. आए दिन उनके होने न होने के बारे में तरह तरह की अफवाहें जरूर उड़ती रहती हैं और अब तो यह सिलसिला भी बंद हो गया है. ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि वे जिंदा हैं भी या नहीं. लेकिन यह कहना जरूर लाजिमी है कि वाकई राज किरण परवीन बाबी की तरह फिल्म इंडस्ट्री की क्रूरता और अपनों की ही की अनदेखी का शिकार हुये हैं. जब तक वे काम कर रहे थे तब तक सुर्खियों और खबरों में बने रहे लेकिन जैसे ही बीमारी और नाकामयाबी का दौर आया तो सभी ने आंखे फेर लीं. उनकी फिल्मों से कमाई गई शौहरत तो जिंदा है और रहेगी लेकिन दौलत कहां गई यह राज अब उनके नाम की तरह राज ही रहेगा.

सुशांत डेथ केस: अभी बड़े बड़े नाम आने बाकी हैं

टैलेंट मैनेजर जया साहा, उन की असिस्टेंट करिश्मा और इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की ड्रग्स को ले कर सामने आई चैट से बौलीवुड को बहुत बड़ा झटका लगा है. रिया ने एनसीबी अधिकारियों को 25 नाम बताए थे, जिन्हें एनसीबी घेरने की तैयारी कर रही है. दीपिका पादुकोण शायद उन्हीं में से एक है.

इस चैट में दीपिका जया साहा से ‘हैश’ यानी हशीश भेजने की बात कहती हैं. जाहिर है अब दीपिका भी एनसीबी जांच के दायरे में आ गई हैं. कुछ समय पहले उन्होंने भी अपने डिप्रेशन का जिक्र किया था. उस दौर की चर्चा करते हुए दीपिका ने अपने अनुभव सब से शेयर किए थे. हो सकता है यह उसी दौर की चैट हो.
सिर्फ दीपिका ही नहीं, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, सिमोन खंबाटा और रकुलप्रीत सिंह जैसी बड़ी अभिनेत्रियां भी नशीले धुएं की चपेट में घिर गई हैं. एनसीबी ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि इन तीनों को पूछताछ के लिए सम्मन भेजे जाएंगे. पता चला है कि फिल्म ‘छिछोरे’ की सक्सेज पर जब सुशांत के फार्महाउस पर पार्टी हुई थी तो उस पार्टी में श्रद्धा भी गई थीं. बकौल रिया, उस पार्टी में ड्रग्स भी थे.

जब रिया ने अपने बयान में रकुलप्रीत का नाम लिया था, तब उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में मीडिया ट्रायल पर प्रश्न करते हुए कहा था कि जब रिया ने उन के नाम वाले कथित बयान को वापस ले लिया है, तब भी मीडिया उन का नाम इस मामले से जोड़ रही है. लेकिन अब मीडिया नहीं एनसीबी उन से पूछताछ की तैयारी में है.  टैलेंट मैनेजर जया से काफी लंबी पूछताछ के बाद अधिकारिक रूप से इन अभिनेत्रियों की ड्रग्स में संलिप्तता पाई गई है.  हो सकता है कुछ और चौंकाने वाले बड़े नाम सामने आएं. जब दीपिका पादुकोण का नाम इस नशीली दुनिया का हिस्सा बन सकता है तो अब कुछ भी संभव है.

बौलीवुड वाले ड्रग्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे वरन उस का व्यापार भी कर रहे हैं. जिस का सबूत हाल ही में कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस के हाथ लगा. सुपरहिट फिल्म ‘एबीसीडी: एनीबडी कैन डांस’ के एक्टर और ‘डांस इंडिया डांस’ रियलिटी शो के प्रतिभागी रहे किशोर अमन शेट्टी को ड्रग्स लेने और बेचने के लिए कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया है.किशोर के साथ ही अकील नौशिल को भी सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए या एमटी रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों महाराष्ट्र और बेंगलुरु से ड्रग्स मंगवा कर स्टूडेंट्स को बेचते थे.

सुशांत केस सौल्व करने के दौरान जब एनसीबी का इनवैस्टीगेशन शुरू हुआ तो रिया और जया साहा की चैट से कई ड्रग पेडलर निशाने पर आ गए. मतलब यह कि मुंबई में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. 18 सितंबर को एनसीबी की टीम ने अलगअलग स्थानों पर छापा मार कर 928 ग्राम चरस और कई लाख कैश के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया. एक दूसरी छापेमारी में 3 लोगों को 500 ग्राम गांजे के साथ पकड़ा गया. सुशांत केस में ड्रग्स की जांच करते हुए एनसीबी ने सब से बड़ी गिरफ्तारी ड्रग सप्लायर राहिल की थी. बौलीवुड में राहिल को सैम अंकल के नाम से जाना जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के दौरान राहिल ने कई जानेमाने सिलेब्रिटीज का नाम लिया है.

कुछ ऐसे ही चिरपरिचित नामों का जिक्र रिया भी अपने बयान में कर चुकी थी, जो अब सच बन कर सामने भी आने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बौलीवुड का ही कोई शख्स राहिल का बौस है. इसी बौस के कहने पर राहिल सिलेब्रिटीज को मलाना क्रीम (सुपर क्वालिटी की चरस) सप्लाई करता था.मुंबई अपने फिल्म प्रोडक्शन के लिए जितनी मशहूर है, उतनी ही अपनी जिंदादिल पार्टियों के लिए भी चर्चित है. जहां मौजमस्ती  के साथ बड़ीबड़ी बिजनैस डील भी होती हैं. ग्लैमर इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल स्टार्स और स्ट्रगलर्स भी ऐसी पार्टियों में शिरकत करते हैं. इन पार्टियों में शराब के साथ ड्रग्स भी चलती है.

कंगना रनौत ने पार्टी कल्चर के बारे में कहा कि एक दौर में वह ‘हाई और माइटी’ क्लब का हिस्सा थीं, जहां हर दूसरी रात पार्टीज में जाना पड़ता था, जिन में बौलीवुड सिलेब्रिटीज ड्रग्स लेते थे. इसी तरह ‘बेइमान लव’ फिल्म के अभिनेता ने इंडस्ट्री में प्रचलित ड्रग्स को ले कर कहा कि ‘वीड’ सिगरेट की  तरह है, कैमरापरसन से ले कर स्पौट बौय तक सामान्य रूप से वीड लेते हैं.बौलीवुड पार्टियों की मुख्य ड्रग कोकीन और एमडीएमए है, जिसे एलएसडी या एसिड भी कहा जाता है. साथ ही पार्टियों में केटामाइन भी इस्तेमाल की जाती है. ये सभी हार्ड ड्रग्स हैं. इन का असर 15 से 20 घंटे तक रहता है. इन हार्ड ड्रग्स का जिक्र रिया की चैट में भी आया था.

अगस्त महीने में मुंबई पुलिस ने एक ड्रग पेडलर को मेफेड्रान नाम की ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था. उस के पास से भारी मात्रा में मेफेड्रान बरामद हुई, जिसे एमसीएटी, म्याउ म्याउ और एमडी भी कहते हैं. इसे पार्टियों में खूब पसंद किया जाता है. मुंबई और दिल्ली में ड्रग्स की खपत को देखते हुए कई जगहों से ड्रग सप्लाई की जा रही है. मिजोरम के तस्कर म्यांमार से याबा टैबलेट की तस्करी कर के मिजोरम के रास्ते दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सप्लाई देते हैं.

इन शहरों में इस नशीले पदार्थ की काफी डिमांड है. असम राइफल्स ने इसी साल 29 फरवरी को ड्रग की 39 लाख टैबलेट बरामद की थीं, जिन की कीमत करीब 9700 लाख रुपए थी. इस के साथ ही मार्च से अब तक 96 ड्रग पेडलर्स से 3.42 करोड़ रुपए कीमत की 3.6 किलोग्राम हेरोइन और प्रतिबंधित नशे की 6,29,800 टैबलेट बरामद की जा चुकी हैं.

ये आंकड़े सिर्फ एक जगह के हैं जबकि नशे के सौदागरों की देश के हर प्रांत में भरमार है. इसी से साबित होता है कि नशे की जड़ें कितनी गहरी हैं. महंगा होने की वजह से ड्रग्स का कारोबार मोटा पैसा कमाने का आसान जरिया है, जिस की झलक मुंबई में नजर आ रही है. ?

अबू सलेम की आवाज पर धड़कता था इस अभिनेत्री का दिल

1993 में मुंबई बम धमाकों के मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत अबू सलेम समेत 5 अन्य दोषियों को सजा सुना दी है. इस वजह से अबू सलेम तो चर्चा में हैं ही, एक्ट्रेस मोनिका बेदी का नाम भी सुर्खियों में आ गया है. मोनिका लंबे समय तक अबू सलेम की गर्लफ्रेंड रही थीं. इन दिनों वह बेशक फिल्मी दुनिया से दूर हैं, लेकिन एक समय वो भी था जब अबू की वजह से ही उन्हें फिल्में मिलनी शुरू हुई थी.

ये जानना दिलचस्प है कि एक अंडरवर्ल्ड डौन और एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस के बीच प्यार की ये कहानी कहां और कैसे पनपी. मोनिका बेदी मूल रूप से पंजाब की हैं. उन्होंने ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की. डांस और माडलिंग में भी मोनिका को काफी दिलचस्पी थी. यही दिलचस्पी उन्हें मुंबई लाई और यहां आकर 1995 में उन्हें उनकी पहली फिल्म ‘सुरक्षा’ मिली.

कहा जाता है कि अबू सलेम से मोनिका की मुलाकात एक बौलीवुड पार्टी के दौरान हुई थी. लेकिन एक मुलाकात ने ही दोनों के बीच कुछ ऐसा आकर्षण पैदा किया कि फिर मुलाकातों का सिलसिला बढ़ गया.

मोनिका की मानें तो थोड़े वक्त के लिए ही सही, मोनिका का दिल अबू के लिए धड़का जरूर था. मोनिका के मुताबिक उन्हें नहीं पता था कि जिस शख्स के लिए उनका दिल धड़क रहा था वो अंडरवर्ल्ड का मोस्ट वान्टेड है. उन्हें नहीं पता था कि जिसके साथ वो प्यार कर बैठी हैं उसका असली नाम अबु सलेम है.

साल 1998 में मोनिका पहली दफा फोन पर सलेम के संपर्क में आईं. मोनिका दुबई में थीं, फोन पर उन्हें दुबई में एक स्टेज शो करने का आफर मिला. बस उसी के बाद वो अबू को चाहने लगीं. मोनिका सलेम की आवाज पर फिदा हो गई थीं. अबू सलेम भी मोनिका से बेहद प्यार करता था.

बताया तो यहां तक जाता है कि मोनिका को उनकी पहली हिट फिल्म ‘जोड़ी नंबर वन’ में भी सलेम ने ही काम दिलवाया था. बौलीवुड में मोनिका के लिए वह एक ऐसा दौर था, जब सब उनकी इज्जत करने लगे थे. हर कोई उन्हें खुश करने की कोशिश करता था. जबकि ये सब मोनिका की परफार्मेंस की वजह से नहीं, बौलीवुड में सलेम के खौफ की वजह से हो रहा था.

1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अबू सलेम को साल 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. बताया जाता है कि जब यह गिरफ्तारी हुई, तब होटल में उनके साथ मोनिका बेदी भी थीं.

सुनने में आया था कि इसके बाद मोनिका ने सलेम का साथ छोड़ दिया था और सरकारी गवाह बन गई थीं. बता दें कि मोनिका फर्जी पासपोर्ट के मामले में चार साल जेल में बीता चुकी हैं.

अपने हिस्से की सजा काटकर वह कई टीवी रिएलिटी शोज में भी नजर आ चुकी हैं. वह बिग बौस सीजन 2 के अलावा झलक दिखला जा में भी नजर आई थीं. उन्होंने यूनिवर्सल म्यूजिक के एक एलबम के लिए इक ओंकार भी गाया है. साल 2013 में उन्होंने स्टार प्लस के शो सरस्वतीचंद्र में नेगेटिव रोल भी किया था.

टुकड़ों में मिली अभिनेत्री की लाश

राइमा इसलाम शिमू बांग्लादेश की एक जानीमानी अभिनेत्री थीं. उन्होंने न सिर्फ 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, बल्कि 2 दरजन से अधिक नाटकों में भी काम कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई. यह महज इत्तफाक की बात है कि जिन दिनों देश भर में अपने दौर की खूबसूरत और लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बाबी की जिंदगी पर बनी वेब सीरीज ‘रंजिश ही सही’ की चर्चा हो रही थी, उन्हीं दिनों बांग्लादेश की परवीन जितनी ही सैक्सी, लोकप्रिय और सुंदर एक्ट्रेस राइमा इसलाम शिमू की दुखद हत्या की चर्चा भी उतनी ही शिद्दत से हो रही थी.

फर्क सिर्फ इतना था कि परवीन बाबी की लाश उन के घर में मिली थी, जबकि राइमा की एक सड़क पर मिली थी. यह सड़क बांग्लादेश की राजधानी ढाका के केरानीगंज अलियापुर इलाके में हजरतपुर ब्रिज के नजदीक है, जो कालाबागान थाने के अंतर्गत आता है.

17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिली तो बांग्लादेश में सनाका खिंच गया क्योंकि वह कोई मामूली हस्ती नहीं थीं बल्कि घरघर में उन की पहुंच थी. अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर उन्होंने अपना एक बड़ा दर्शक और प्रशंसक वर्ग तैयार कर लिया था.

जिस हाल में राइमा की लाश मिली थी, उस से साफ जाहिर हो रहा था कि उन की बेरहमी से हत्या की गई है.

इस हादसे ने एक बार फिर साफ कर दिया कि रील और रियल लाइफ में जमीनआसमान का फर्क होता है और आमतौर पर फिल्म स्टार्स, फिर वे किसी भी देश के हों, की जिंदगी उतनी हसीन और खुशनुमा होती नहीं जितनी कि उन के जिए किरदारों में दिखती है.

यही राइमा के साथ हुआ कि हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का बेहद करीबी शख्स था और हत्या की वजह कोई अफेयर, पैसों का लेनदेन, कोई विवाद या नशे की लत या फिर कोई दिमागी बीमारी भी नहीं थी.

45 वर्षीय राइमा साल 1977 में ढाका के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी थीं, जिन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था. ढाका से स्कूल और कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया था.

19 साल की उम्र में ही उन्हें ‘बर्तमान’ फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था. निर्माता काजी हयात की इस कामयाब फिल्म से वह फिल्म इंडस्ट्री में पहचानी जाने लगीं.

फिल्म समीक्षकों ने तो उन की एक्टिंग को अव्वल नंबर दिए ही थे, दर्शकों ने भी उन्हें सराहा था. इस की वजह उन का ताजगी से भरा चेहरा और बेहतर एक्टिंग के अलावा उन की कमसिन अल्हड़पन और खूबसूरती भी थी.

पहली फिल्म कामयाब होने के बाद राइमा ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. देखते ही देखते उन्होंने बांग्लादेश के तमाम दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया. इन में इनायत करीम, शरीफुद्दीन खान, दीपू, देलवर जहां झंतु और चाशी नजरूल इसलाम प्रमुख हैं.

सभी छोटेबड़े निर्देशकों के साथ राइमा ने 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और टीवी पर भी अपना जलवा बिखेरा.

लोगों के दिलों में बसी थीं राइमा

छोटे परदे पर आना उन की व्यावसायिक मजबूरी भी हो गई थी, क्योंकि बांग्लादेश के लोग भी टीवी धारावाहिकों को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. राइमा ने कोई 25 धारावाहिकों में एक्टिंग की, जिस से घरघर उन की पहुंच और स्वीकार्यता बढ़ती गई.

बांग्लादेश फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी बड़े नायकों के साथ उन्होंने काम किया. खासतौर से अमित हसन, बप्पाराज रियाज, शाकिब खान, जाहिद हसन और मुशर्रफ करीम के साथ उन की जोड़ी खूब जमती थी.

राइमा आला कारोबारी दिमाग की मालकिन थीं, इसलिए उन्होंने खुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोल लिया था. जिस के तहत कई टीवी सीरियल बने थे. अलावा इस के वह फिल्म पत्रकारिता भी ‘अर्थ कोथा द नैशनल बिजनैस मैगजीन’ के लिए करती थीं.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी इस एक्ट्रेस को टीवी न्यूज चैनल एटीएन बांग्ला में सेल्स एंड मार्केटिंग में वाईस प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया था. जल्द ही एक नामी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी टीएन इवेंट्स लिमिटेड के सीईओ की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी.

इतना ही नहीं, उन्होंने बांग्लादेश में ही अपना ब्यूटी सैलून भी शुरू कर दिया था, जिस का नाम रोज ब्यूटी सैलून है. ढाका का ग्रीन रोड इलाका राइमा के घर की वजह से भी पहचाना जाने लगा, जो दर्शकों और प्रशंसकों की नजर में किसी मन्नत या जन्नत से कम नहीं था.

लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि लाखों लोगों का मनोरंजन करने वाली और दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस एक्ट्रेस की निजी जिंदगी किसी नर्क से कम बदतर नहीं थी और इस की वजह था उन का पति शखावत अली नोबेल, जो कभी उन पर जान छिड़का करता था. इन दोनों ने 16 साल पहले लव मैरिज की थी.

शौहर ही निकला कातिल

आम दर्शक इस से ज्यादा कुछ नहीं सोच पाता कि उस की चहेती एक्ट्रेस अपने महल जैसे घर के अंदर सदस्यों के साथ हंसखेल रही होगी, रोमांस कर रही होगी या फिर डायनिंग टेबल पर बैठी लंच या डिनर कर रही होगी.

और कुछ नहीं तो पति और बच्चों के साथ आंचल हवा में लहराते लौन के झूले पर झूलती गाना गा रही होगी. उस के इर्दगिर्द रंगबिरंगे फूल और चहचहाते पक्षी होंगे. सर के ऊपर नीला खुला आसमान होगा. लेकिन ऐसा कुछ भी कम से कम राइमा की जिंदगी में तो नहीं था.

पिछले कुछ दिनों से वह बेहद घुटन भरी जिंदगी जी रही थीं. आलीशान घर के अंदर कलह स्थायी रूप से पसर चुकी थी जिस से उन के दोनों बच्चे सहमेसहमे से रहते थे.

राइमा और शखावत कहने और देखने को ही साथ रहते थे और मियांबीवी कहलाना भी उन की सामाजिक मजबूरी हो चली थी. लेकिन रोजरोज की मारकुटाई और कलह आम बात हो चुकी थी.

यह सब कितने खतरनाक मुकाम तक पहुंच चुका था, इस का खुलासा 17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिलने के बाद हुआ. अंदर से टूटी और थकी हुई यह एक्ट्रेस 16 जनवरी को मावा एक शूटिंग के लिए गई थी. लेकिन देर रात तक वापस घर नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता हुई क्योंकि राइमा का फोन भी बंद जा रहा था.

कालाबागान थाने में उन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज हुई. एक रिपोर्ट राइमा की बहन फातिमा निशा ने भी लिखाई थी. पुलिस ने राइमा की ढुंढाई शुरू की, लेकिन देर रात तक कोई कामयाबी नहीं मिली तो मामला सुबह तक के लिए टल गया.

इस दौरान उन का भाई शाहिदुल इसलाम खोकान लगातार पुलिस वालों से बहन को ढूंढने की गुजारिश करते खुद भी राइमा की तलाश में इस उम्मीद के साथ लगा रहा कि कहीं से कोई सुराग मिल जाए. लेकिन उस के हाथ भी मायूसी ही लगी.

17 जनवरी की सुबह कुछ राहगीरों ने हजरतपुर ब्रिज के पास एक लावारिस संदिग्ध बोरे को देख इस की खबर पुलिस को दी. पुलिस ने आ कर जैसे ही बोरे को खोला तो उस में से बरामद हुई राइमा की लाश, जो 2 टुकड़े कर बोरे में ठूंसी गई थी.

गले पर चोट के निशान भी साफसाफ दिख रहे थे, जिस से स्पष्ट हो गया कि राइमा की हत्या हुई है और लाश को यहां फेंक दिया गया है. लेकिन हत्यारा कौन हो सकता है, यह सवाल पुलिस को मथे जा रहा था.

राइमा की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह फैली और फैंस जहांतहां इकट्ठा होने लगे. शव को पोस्टमार्टम के लिए सर सलीमुल्लाह मैडिकल कालेज भेज दिया गया.

पुलिस को शखावत पर शक तो था ही, लेकिन जैसे ही राइमा के भाई शाहिदुल इसलाम खोकान ने यह कहा कि शखावत एक ड्रग एडिक्ट है. वह अकसर मेरी बहन से कलह करता था. मैं ने उस की कार में खून देखा है. वह सुबह 8 से ले कर 10 बजे तक घर पर नहीं था. मुझे लगता है कि उसी दौरान उस ने राइमा की लाश फेंक दी.

फिल्मों जैसा कत्ल

शाहिदुल की शिकायत पर पुलिस ने शखावत को घेरा तो बिना किसी ज्यादा मशक्कत के उस ने सच उगल दिया. अब तक राइमा के फैंस जगहजगह मोमबत्तियां ले कर उन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने लगे थे.

सोशल मीडिया पर भी राइमा छाई हुई थीं. लोग श्रद्धांजलि देते राइमा के हत्यारे को गिरफ्तार करने की मांग और प्रदर्शन कर रहे थे.

हिरासत में लिए गए शखावत ने बगैर किसी खास चूंचपड़ के अपना गुनाह कुबूल लिया. उस के बयान की बिनाह पर 6 लोग और गिरफ्तार किए गए, जिन में उन का ड्राइवर और एक नजदीकी दोस्त अब्दुल्ला फरहाद भी था. फरहाद को शखावत ने फोन कर बुलाया था.

पूछताछ में पता चला कि शखावत और फरहाद ने राइमा की हत्या 16 जनवरी को ही कर दी थी. वक्त था सुबह 7 बजे का. इन दोनों ने राइमा की लाश बोरे में भर दी और उसे प्लास्टिक की डोरी से सिल दिया. यह काम इत्मीनान से बिना किसी अड़ंगे के हो सके, इस के लिए उन्होंने घर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को नाश्ता लेने भेज दिया था.

घटनास्थल से बरामद डोरी शखावत के गले का फंदा बनेगी, यह भी तय दिख रहा है क्योंकि जब पुलिस टीम घर पहुंची थी तो इस डोरी का पूरा बंडल वहां से बरामद हुआ था. जिस से शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी.

ये दोनों लाश को ठिकाने लगाने के पहले उसे मीरपुर ले गए थे, लेकिन वहां कोई उपयुक्त सुनसान जगह नहीं मिली तो वापस घर आ गए थे.

राइमा की लाश उन लोगों के लिए बोझ बनती जा रही थी. मीरपुर से वापसी के बाद दोनों रात साढ़े 9 बजे के करीब हजरतपुर ब्रिज पहुंचे और लाश वाले बोरे को वहीं फेंक दिया, लेकिन हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में गलती से डोरी वहीं छोड़ दी, जो उन के खिलाफ एक पुख्ता सबूत बन गई.

लाश फेंकने के बाद घर आ कर दोनों ने सबूत मिटाने की गरज से कार को धोया और बदबू दूर करने के लिए उस में ब्लीचिंग पाउडर भी छिड़का. लेकिन इस के बाद भी खून के धब्बे पूरी तरह नहीं मिट पाए थे.

यानी राइमा शूटिंग पर गई है, यह झूठ जानबूझ कर फैलाया गया था, जिस से कत्ल को किसी हादसे में तब्दील किया जा सके या उस का ठीकरा किसी और के सिर फूटे, नहीं तो उसे तो ये लोग 16 जनवरी, 2022 को ही ऊपर पहुंचा चुके थे.

गलत नहीं कहा जाता कि मुलजिम कितना भी चालाक हो, कोई न कोई सबूत छोड़ ही देता है फिर शखावत और फरहाद तो नौसिखिए थे, जो यह मान कर चल रहे थे कि उन्होंने बड़ी चालाकी से अपने गुनाह को अंजाम दिया है, इसलिए पकडे़ जाने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होगा. कुछ दिन हल्ला मचेगा और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा.

पुलिस के सामने शखावत ने शरीफ बच्चों की तरह मान लिया कि राइमा से कलह के चलते उस ने उस का कत्ल किया, लेकिन हकीकत में वह अव्वल दरजे का शराबी और ड्रग एडिक्ट था, जो पत्नी को मार कर उस की सारी दौलत हड़प कर लेना चाहता था, जिस से ताउम्र मौज और अय्याशी की जिंदगी जी सके.

पर अब उसे जिंदगी भर जेल की चक्की पीसना तय दिख रहा है. हो सकता है अदालत कोई रहम न दिखाते हुए शखावत को फांसी की सजा ही दे दे, जिस का कि वह हकदार भी है.

प्रत्यूषा बनर्जी : आत्महत्या और अनसुलझे सवाल

अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी का स्वर अभी भी कानों में गूंज रहा है. मेरे साथ पहले इंटरव्यू के दौरान उस ने बताया था कि टीवी धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में बड़ी आनंदी के किरदार को निभाने के लिए हजारों लड़कियों के बीच से उसे कैसे चुना गया था. 18 वर्ष की उम्र में इतने बड़े शो की मुख्य भूमिका का मिलना काफी अहम था क्योंकि मुंबई में बड़ी संख्या में लड़के, लड़कियां एक अच्छी भूमिका के लिए सालोंसाल दिनरात न जाने कितने प्रोडक्शन हाऊसों के चक्कर लगाते रहते हैं. प्रत्यूषा को बचपन से अभिनय का शौक था. वह कई बार आईने के सामने खड़ी हो कर अभिनय किया करती थी.

जमशेदपुर के साधारण बंगाली परिवार में पलीबढ़ी प्रत्यूषा को जब बालिका वधू के लिए औडिशन का मौका मिला तो वह पहले लखनऊ, फिर मुंबई आई. इस धारावाहिक की मुख्यपात्र बन कुछ ही दिनों में वह सब की चहेती बन गई. उस की बातों में दृढ़ विश्वास था. वह हंसमुख थी, सौम्य थी. मुंबई में अभिनय की दुनिया की चकाचौंधभरी जिंदगी, ग्लैमरस पार्टियां प्रत्यूषा को अच्छी लगने लगीं. उस ने पहले विकास गुप्ता, मकरंद मलहोत्रा से डेटिंग की और फिर अभिनेतानिर्माता राहुल राज सिंह से डेटिंग करती रही. राहुल भी जमशेदपुर के हैं. एक बर्थडे पार्टी में एक कौमन फ्रैंड के जरिए वे दोनें मिले थे.

‘बालिका वधू’ की प्रसिद्धि से प्रत्यूषा खुश थी लेकिन इस धारावाहिक का अतिव्यस्त शूटिंग कार्यक्रम उस को रास नहीं आया. 2013 में जब यह धारावाहिक अपनी लोकप्रियता के चरम पर था तभी प्रत्यूषा ने इस धारावाहिक को यह कह कर छोड़ दिया कि वह बे्रक चाहती है, रोजरोज की शूटिंग से तंग आ चुकी है.बाद में यह भी सुना गया कि उस ने अपनी मां की बीमारी के चलते शो छोड़ा था. इस के बाद उस ने रिऐलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ के 5वें सीजन और ‘बिग बौस’ के 7वें सीजन, ‘कौमेडी क्लास’, ‘ससुराल सिमर का’, ‘पावर कपल’ आदि किए.

24 वर्षीय प्रत्यूषा बनर्जी की मौत सब को चौंकाने वाली थी क्योंकि अप्रैल में ही वह राहुल राज सिंह से शादी करने वाली थी. उस ने अपनी भावी शादी का जोड़ा डिजाइनर रोहित वर्मा को डिजाइन के लिए दिया था. ऐसे में पंखे से लटक कर आत्महत्या की वजह समझ में नहीं आ रही. आखिर इतनी हंसमुख और स्पष्टवादी लड़की किस तरह से ऐसा कदम उठा सकती है. कुछ लोगों ने तो 1 अप्रैल के इस दिन को ‘अप्रैल फूल’ माना. पर जब हकीकत सामने आई तो फैमिली और फ्रैंड्स के होश उड़ गए.

हालांकि पोस्टमौर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह आत्महत्या माना गया है लेकिन प्रत्यूषा के दोस्त और साथी कलाकार इसे हत्या मानते हैं. उन के अनुसार, राहुल एक ऐयाश लड़का है. इस से पहले उस ने कोलकाता की एक लड़की से शादी की थी और फिर उसे छोड़ दिया था. इस के बाद वह प्रत्यूषा से मिला. और 1 साल से प्रत्यूषा के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहा और प्रत्यूषा से वह शादी करने वाला था.

इस बीच, उस के जीवन में सलोनी शर्मा नाम की एक लड़की आई जो एक धारावाहिक में काम करती है. राहुल और सलोनी की नजदीकी प्रत्यूषा को पसंद नहीं थी. उस ने राहुल से सलोनी को छोड़ने के लिए कहा पर राहुल नहीं माना. प्रत्यूषा के दोस्त और साथी कलाकारों का कहना है कि राहुल को अपनी गर्लफ्रैंड्स के पैसों पर ऐश करने में मजा आता है. रात की पार्टियों में वह अकसर दिखाई पड़ता था.

प्रत्यूषा काफी दिनों से तनाव में जी रही थी. ऐसे में उस का अकेले रहना कहां तक ठीक था? प्रत्यूषा अपने और राहुल के रिश्ते से खुश थी. इंस्टाग्राम पर वह काफी तसवीरें पोस्ट किया करती थी. ऐसे में आत्महत्या की वजह समझना मुश्किल हो रहा है. यह सही है कि लिवइन रिलेशनशिप आजकल के युवाओं का पसंदीदा रिश्ता है. यह बड़े शहरों में बढ़ भी रहा है. ग्लैमरवर्ल्ड में तो लिवइन की भरमार है.

छोटे शहरों से आई लड़कियां या लड़के जब मायानगरी मुंबई की इस चकाचौंध को देखते हैं तो इसे हजम कर पाना उन के लिए मुश्किल होता है. ऐसी घटनाएं यहां होती रहती हैं जब रिलेशनशिप में रहने वाले लड़के और लड़कियां अपना काम पूरा होने के बाद एकदूसरे को छोड़ देते हैं. कुछ तो डिप्रैशन के शिकार हो कर आत्महत्या कर लेते हैं तो कुछ तांत्रिक, पंडेपुजारी के जाल में फंस जाते हैं और अपना पैसा व इज्जत दोनों गंवा बैठते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्यूषा और राहुल की यही कहानी थी. जिस में राहुल ने ऐश किया और प्रत्यूषा मंजिल से भटक कर मौत के मुंह में समा गई. प्रत्यूषा की मौत को उस के दोस्त मर्डर मानते हैं. प्रत्यूषा की दोस्त काम्या पंजाबी और विकास गुप्ता ने दावा किया है कि प्रत्यूषा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है.

राहुल की प्रेमिका सलोनी शर्मा भी, राहुल की गैरहाजिरी में, प्रत्यूषा के साथ दुर्व्यवहार करती थी. काम्या ने कहा कि मृत्यु से 3-4 दिन पहले प्रत्यूषा ने फोन कर उसे राहुल की बात बताई थी और उस से मदद मांगी थी. काम्या उस समय दिल्ली में थी और 4 अप्रैल को मुंबई पहुंच कर उस से मिलने वाली थी.

लिवइन रिलेशनशिप में रहना आज लड़के और लड़कियों में आम है पर इस रिश्ते में आई समस्याओं को झेलना उन के लिए आसान नहीं होता. इस बारे में मुंबई के फोर्टिस अस्पताल की मनोरोग चिकित्सक डा. पारुल टांक कहती हैं, ‘‘प्रत्यूषा उदासीनता की शिकार थी.

अभी तक जो बात सामने आ रही है उस के हिसाब से उस का निजी जीवन, मातापिता से संबंध और कैरियर ये तीनों ही सही नहीं थे, ऐसे में डिप्रैशन होना स्वाभाविक है.’’ लिवइन रिलेशनशिप की बढ़ती संख्या को देख कर सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2015 को इसे मान्यता दे दी है. कोर्ट के अनुसार, अगर लड़का या लड़की अपनी मरजी से साथ रहते हैं तो उन्हें शादीशुदा माना जाएगा. उन के बच्चे भी जायज ठहराए जाएंगे.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट डा. संजय मुखर्जी कहते हैं, ‘‘लिवइन रिलेशनशिप में लड़का या लड़की दोनों में आपसी समझ अच्छी होनी चाहिए. एकदूसरे पर जल्दी भरोसा करना ठीक नहीं होता. अंधविश्वासी होना ठीक नहीं है. इस रिश्ते में टाइमपास कर दोनों पार्टनरों में से कोई भी रिश्ते को छोड़ सकता है.’’ डा. संजय आगे कहते हैं, ‘‘प्रत्यूषा की घटना को पर्सनैलिटी डिस्और्डर कहना ठीक होगा जिसे ‘न्यूरोटिसिज्म’ कहते हैं. यह अधिकतर आनुवंशिकी होता है. प्रत्यूषा अपने मांबाप की इकलौती संतान थी.

ऐसे में राहुल का उसे धोखा दे कर किसी और के साथ समय बिताना उसे ‘हर्ट’ कर गया. ऐसे लोगों को अगर प्यार, खुशी सबकुछ ठीक तरह से मिले तो ये मस्त जिंदगी जीते हैं और अगर इन्हें जरा भी किसी से तकलीफ मिलती है, ये बरदाश्त नहीं कर पाते.’’

प्रत्यूषा ने कम उम्र में सफलता हासिल की थी. लेकिन पैसा, बौयफ्रैंड आदि सब धीरेधीरे उस से छिनता चला गया. अभिनय से शिखर पर पहुंची प्रत्यूषा अभिनय की ग्लैमरस दुनिया की शिकार हो गई. उस ने आत्महत्या की, उसे आत्महत्या करने को मजबूर किया गया या उस की हत्या की गई, इस पर संशय रहेगा.

अभिनेत्री शनाया की मोहब्बत का कांटा

वह वर्गाकार बड़ा हाल था. हाल में मुख्यद्वार से सटे 3×6 के 2 मेज एकदूसरे को आपस में सटा कर बिछाए गए थे. नया और रंगीन कवर उन पर बिछाया गया था. मेज से सटी 4 कुरसियां थीं. कुरसियों पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की उभरती हुई अभिनेत्री शनाया काटवे, फिल्म के डायरेक्टर राघवंका प्रभु और 2 अन्य मेहमान बैठे  हुए थे.

मेज के सामने करीब 4 फीट की दूरी पर कुछ और कुरसियां रखी हुई थीं. उन पर शहर के नामचीन, वीआईपी, रिश्तेदार, दोस्त और स्थानीय समाचारपत्रों के खबरनवीस बैठे हुए थे. हाल का कोनाकोना दुलहन की तरह सजा था. रंगीन और दूधिया रौशनी के सामंजस्य से पूरा हाल नहा उठा था. खूबसूरत और शानदार सजावट से किसी की आंखें हट ही नहीं रही थीं.

अभिनेत्री शनाया काटवे की ओर से यह शानदार पार्टी उस के फिल्म प्रमोशन ‘आेंडू घंटेया काठे’ के अवसर पर आयोजित की गई थी. पार्टी देर रात तक चलती रही. घूमघूम कर शनाया मेहमानों का खयाल रख रही थी. पार्टी में शामिल आगंतुकों ने वहां जम कर लुत्फ उठाया था.

पार्टी खत्म हुई तो देर रात शनाया काटवे अपने मांबाप के साथ घर पहुंची. वह बहुत थक गई थी. कपड़े वगैरह बदल कर हाथमुंह धो कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी तो दिन भर की थकान के चलते लेटते ही सो गई. उस के मांबाप अपने कमरे में जा कर सो गए थे. यह बात 9 अप्रैल, 2021 की है.

अगली सुबह जब शनाया और उस के मांबाप की नींद खुली और वे फ्रैश हो कर डायनिंग हाल में नाश्ता करने बैठे तो उन्हें अपने इर्दगिर्द एक कमी का एहसास हुआ. जब वे देर रात घर वापस लौटे थे तो भी घर पर उन का बेटा राकेश काटवे कहीं नजर नहीं आया था. जब सुबह नाश्ता करने के लिए सभी एक साथ डायनिंग हाल में बैठे तो भी राकेश वहां भी मौजूद नहीं था.

यह देख कर शनाया के पापा बलदेव काटवे थोड़ा परेशान हो गए कि आखिर वह कहां है, घर में कहीं दिख भी नहीं रहा है. ऐसा पहली बार हुआ था जब वह घर से कहीं बाहर गया और हमें नहीं बताया, लेकिन वह जा कहां सकता है. यह तो हैरान करने वाली बात हुई.

बलदेव काटवे और उन की पत्नी सोनिया का नाश्ता करने का मन नहीं हो रहा था. दोनों एकएक प्याली चाय पी कर वहां से उठ गए. मांबाप को उठ कर जाते देख शनाया भी नाश्ता छोड़ कर उठ गई और उन के कमरे में जा पहुंची, जहां वे बेटे को ले कर परेशान और चिंतित थे.

बात चिंता करने वाली थी ही. जो इंसान घर छोड़ कर कहीं न जाता हो और फिर वह अचानक से गायब हो जाए तो यह चिंता वाली बात ही है. बलदेव, सोनिया और शनाया ने अपनेअपने स्तर से परिचितों और दोस्तों को फोन कर के राकेश के बारे में पता किया, लेकिन वह न तो किसी परिचित के वहां गया था और न ही किसी दोस्त के वहां ही. उस का कहीं पता नहीं चला.

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राकेश का जब कहीं पता नहीं चला तो बलदेव काटवे ने बेटे की गुमशुदगी की सूचना हुबली थाने में दे दी. एक जवान युवक के गायब होने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य हरकत में आए और राकेश की खोजबीन में अपने खबरियों को लगा दिया. यह 10 अप्रैल, 2021 की बात है.

राकेश काटवे कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. उस के नाम के पीछे अभिनेत्री शनाया काटवे का नाम जुड़ा था, इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया था. मुकदमा दर्ज कर लेने के बाद पुलिस राकेश काटवे का पता लगाने में जुटी हुई थी.

5 टुकड़ों में मिली लाश

इसी दिन शाम के समय हुबली थाना क्षेत्र के देवरागुडीहल के जंगल में एक कटा हुआ सिर बरामद हुआ तो इसी थाना क्षेत्र के गदर रोड से एक कुएं में गरदन से पैर तक शरीर के कई टुकड़े पानी पर तैरते बरामद हुए.

टुकड़ों में मिली इंसानी लाश से इलाके में दहशत फैल गई थी. जैसे ही कटा सिर और टुकड़ों में बंटे शरीर के अंग पाए जाने की सूचना थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य को मिली, वह चौंक गए. वह तुरंत टीम ले कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए थे.

चूंकि राकेश काटवे की गुमशुदगी की सूचना थाने में दर्ज थी, घर वालों ने उस की एक रंगीन तसवीर थाने में दी थी. कटा हुआ सिर तसवीर से काफी हद तक मेल खा रहा था, इसलिए थानाप्रभारी ने घटनास्थल पर बलदेव काटवे को भी बुलवा लिया, जिस से उस की शिनाख्त हो जाए.

छानबीन के दौरान संदिग्ध अवस्था में घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक मारुति रिट्ज और एक हुंडई कार बरामद की थी. दोनों कारों की पिछली सीटों पर खून के धब्बे लगे थे, जो सूख चुके थे. पुलिस का अनुमान था कि हत्यारों ने कार को लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया होगा. पुलिस ने दोनों कारों को अपने कब्जे में ले लिया.

दोनों कारों को कब्जे में लेने के बाद उन्होंने इस की सूचना एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और पुलिस कमिश्नर लभु राम को दे दी थी. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने घटनास्थल और कटे हुए अंगों का निरीक्षण किया.

शरीर के अंगों को देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने बड़े इत्मीनान से किसी  धारदार हथियार से उसे छोटेछोटे टुकड़ों में काटा होगा. पुलिस उन तक पहुंच न पाए, इसलिए लाश जंगल में ले जा कर अलगअलग जगहों पर फेंक दी, ताकि लाश की शिनाख्त न हो सके.

बहरहाल, थानाप्रभारी की यह तरकीब वाकई काम कर गई. उन्होंने जब बलदेव काटवे को सिर के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही बलदेव काटवे पछाड़ मार कर जमीन पर गिर गए. यह देख कर पुलिस वालों को समझते देर न लगी कि कटे हुए सिर की पहचान उन्होंने कर ली है.

थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुए तो वह दहाड़ मारमार कर रोने लगे. वह कटा हुआ सिर उन के लाडले बेटे राकेश काटवे का था. पुलिस यह जान कर और भी हैरान थी कि कहीं गदग रोड स्थित कुएं से बरामद कटे अंग राकेश के तो नहीं हैं. लेकिन पुलिस की यह आशंका भी जल्द ही दूर हो गई थी. बलदेव काटवे ने हाथ और पैर की अंगुलियों से लाश की पहचान अपने बेटे के रूप में कर ली थी.

24 घंटे के अंदर पुलिस ने राकेश काटवे की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठा दिया था. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतारा था.

पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. लेकिन एक बात से राकेश के मांबाप और पुलिस हैरान थे कि राकेश की जब किसी से दुश्मनी नहीं थी तो उस की हत्या किस ने और क्यों की? इस का जबाव न तो पुलिस के पास था और न ही उस के मांबाप के पास. दोनों ही इस सवाल से निरुत्तर थे.

किस ने और क्यों, का जबाव तो पुलिस को ढूंढना था. राकेश की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपना हथियार बनाया. पुलिस ने सब से पहले राकेश काटवे के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई कि आखिरी बार राकेश से किस की और कब बात हुई थी? जांचपड़ताल में आखिरी बार उस की बहन शनाया से बातचीत के प्रमाण मिले थे. रात में 7 और 8 बजे के बीच में शनाया और राकेश के बीच लंबी बातचीत हुई थी. उस के बाद उस के फोन पर किसी और का फोन नहीं आया था. इस का मतलब आईने की तरह साफ था कि राकेश की हत्या रात 8 बजे के बाद की गई थी.

पुलिस के सामने एक और हैरानपरेशान कर देने वाली सच्चाई सामने आई थी. घटना वाले दिन शनाया ने अपने फिल्म के प्रमोशन पर एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में राकेश को छोड़ घर के घर सभी सदस्य शमिल थे तो उस का भाई राकेश पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुआ? वह कहां था?

इंसपेक्टर एस. शंकराचार्य के दिमाग में यह बात बारबार उमड़ रही थी कि जब घर के सभी सदस्य पार्टी में शमिल थे तो राकेश किस वजह से घर पर रुका रहा? इस ‘क्यों’ का जबाव मिलते ही हत्या की गुत्थी सुलझ सकती थी.

आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. घटनास्थल से बरामद हुई दोनों कारों में से एक मारुति रिट्ज कार मृतक राकेश काटवे की बहन शनाया काटवे के नाम पर रजिस्टर्ड थी. दूसरी हुंडई कार किसी अमन नाम के व्यक्ति के नाम पर थी. यह जान कर पुलिस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई कि शनाया काटवे की कार घटनास्थल पर कैसे पहुंची? राकेश के मर्डर से शनाया का क्या संबंध हो सकता है? क्या शनाया का हत्यारों के साथ कोई संबंध है? ऐसे तमाम सवालों ने पुलिस कमिश्नर लभु राम, एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और थानाप्रभारी को हिला कर रख दिया था.

एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत के नेतृत्व में राकेश काटवे हत्याकांड की बिखरी कडि़यों को जोड़ने के लिए थानाप्रभारी बेताब थे. उन्होंने घटना का परदाफाश करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया था.

घटना के 4 दिनों बाद 14 अप्रैल को मुखबिर ने जो सूचना दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी को मामले में प्रगति नजर आई. मुखबिर ने उन्हें बताया था कि भाईबहन शनाया और राकेश के बीच में अच्छे रिश्ते नहीं थे. बरसों से उन के बीच में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ था.

मुखबिर की यह सूचना पुलिस के लिए काम की थी. पुलिस ने दोनों के बिखरे रिश्तों का सच तलाशना शुरू किया तो जल्द ही सारा सच सामने आ गया. दरअसल, राकेश शनाया के प्रेम की राह में एक कांटा बना हुआ था.

शनाया का नियाज अहमद काटिगार के साथ प्रेम संबंध था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों भाईबहन के बीच में झगड़ा हुआ करता था. राकेश को बहन का नियाज से मेलजोल अच्छा नहीं लगता था, जबकि शनाया को भाई की टोकाटोकी सुहाती नहीं थी. यही दोनों के बीच खटास की वजह थी.

घटना के खुलासे के लिए इतनी रौशनी काफी थी. सबूतों के आधार पर 17 अप्रैल को हुबली पुलिस ने नियाज अहमद काटिगार को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई.

अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थे

थाने में कड़ाई से हुई पूछताछ में नियाज अहमद पुलिस के सामने टूट गया और राकेश की हत्या का अपना जुर्म कबूल कर लिया. आगे की पूछताछ में उस ने यह भी बताया कि इस घटना में उस के साथ उस के 3 साथी तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला शमिल थे. उस के बयान के आधार पर उसी दिन तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

पुलिस पूछताछ के दौरान नियाज अहमद ने प्रेमिका शनाया काटवे के कहने पर राकेश की हत्या करना कबूल किया था. 5 दिनों बाद 22 अप्रैल, 2021 को राकेश हत्याकांड की मास्टरमाइंड शनाया काटवे को हुबली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. शनाया ने बड़ी आसानी से पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने भाई राकेश की हत्या कराने का अपना जुर्म मान लिया था. पुलिस पूछताछ में राकेश काटवे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

25 वर्षीया शनाया काटवे मूलरूप से उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले की हुबली की रहने वाली थी. वह मां सोनिया काटवे और पिता बलदेव की इकलौती संतान थी. इस के अलावा काटवे दंपति की कोई और संतान नहीं थी.

एक ही संतान को पा कर दोनों खुश थे और खुशहाल जीवन जी रहे थे. लेकिन बेटे की चाहत कहीं न कहीं पतिपत्नी के मन में बाकी थी. पतिपत्नी जब भी अकेले में होते तो एक बेटे की अपनी लालसा जरूर उजागर करते. आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे एक बेटे को गोद लेंगे, अपनी कोख से नहीं जनेंगे. जल्द ही काटवे दंपति की वह मंशा पूरी हो गई.

गोद लिया भाई था राकेश

उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के बेटे को कानूनी तौर पर गोद ले लिया और पालपोस कर उसे बड़ा किया. तब राकेश साल भर का रहा होगा. काटवे दंपति के गोद में राकेश पल कर बड़ा हुआ. उन की अंगुलियां पकड़ कर चलना सीखा. सयाना और समझदार हुआ तो मांबाप के रूप में उन्हें ही सामने पाया. वही उस के मांबाप थे, राकेश यही जानता था. उन्होंंने भी शनाया और राकेश के बीच कभी फर्क नहीं किया. लेकिन शनाया जानती थी कि राकेश उस का सगा भाई नहीं है, उसे मांबाप ने गोद लिया है.

बचपन से ही शनाया राकेश से नफरत करती थी, उस से चिढ़ती थी. चिढ़ उसे इस बात से हुई थी कि उस के हिस्से की आधी खुशियां और सुख राकेश की झोली में जा रहे थे. शनाया फुरसत में जब भी होती, यही सोचती कि वह नहीं होता तो जो सारी खुशियां, लाड़प्यार राकेश को मिलता है, उसे ही नसीब होता. लेकिन उस के हिस्से के प्यार पर डाका डालने न जाने वह कहां से आ गया.

यही वह खास वजह थी जब शनाया बचपन से ले कर जवानी तक राकेश को फूटी आंख देखना नहीं चाहती थी. उस से नफरत करती थी.

लेकिन इस से राकेश को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शनाया उसे प्यार करती थी या नफरत. वह तो उस की परछाईं को अपना समझ कर उस के पीछे भागता था, उसे बहन के रूप में प्यार करता था. क्योंकि उस के मांबाप ने उसे यही बताया था.

खैर, शनाया और राकेश बचपन की गलियों को पीछे छोड़ अब जवानी की दहलीज पर खड़े थे. जिस प्यार को मांबाप ने दोनों में बराबर बांटा था, दोनों के अपने रास्ते अलगअलग थे. हुबली से ही स्नातक की डिग्री हासिल कर शनाया काटवे की बचपन से रुपहले परदे पर स्टार बन कर चमकने की दिली ख्वाहिश थी. अपने सपने पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करती थी. इस के लिए उस ने मौडलिंग की दुनिया को सीढ़ी बना कर आगे बढ़ना शुरू किया.

शनाया बला की खूबसूरत और बिंदास लड़की थी. अपनी सुंदरता पर उसे बहुत नाज था. आदमकद आईने के सामने घंटों खड़ी हो कर खुद को निहारना उस के दिल को सुकून देता था. यही नहीं, जीने की हसरत उस में कूटकूट कर भरी थी. उस के खयालों में नियाज अहमद काटिगार सुनहरे रंग भर रहा था.

अमीर बाप की बिगड़ी औलाद था नियाज

हुबली का रहने वाला 22 वर्षीय नियाज अहमद अमीर मांबाप की बिगड़ी हुई औलाद था. बाप के खूनपसीने से कमाई दौलत यारदोस्तों में दोनों हाथों से पानी की तरह बहा रहा था. उन यारदोस्तों में एक नाम शनाया काटवे का भी था.

नियाज के दिल की धड़कन थी शनाया. उस के रगों में बहने वाला खून थी शनाया. शनाया के बिना जीने की वह कभी कल्पना नहीं कर सकता था. शनाया और नियाज एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. शनाया की खूबसूरती देख कर नियाज घायल हो गया था. वह पहली नजर में ही शनाया को दिल दे बैठा था. उठतेबैठते, सोतेजागते, खातेपीते हर जगह उसे शनाया ही नजर आती थी.

ऐसा नहीं था कि मोहब्बत की आग एक ही तरफ लगी हो. शनाया भी उसी मोहब्बत की आग में जल रही थी. मोहब्बत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी. एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें दोनों ने खाईं और भविष्य को ले कर सपने देख रहे थे. खुले आसमान के नीचे अपनी बांहें फैलाए नियाज और शनाया भूल गए थे कि उन का प्यार ज्यादा दिनों तक चारदीवारी में कैद नहीं रह सकता. वह फिजाओं में खुशबू की तरह फैल जाता है.

शनाया और नियाज की मोहब्बत भी ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही. शनाया के भाई राकेश काटवे को बहन के प्रेम की सूचना मिली तो वह आगबबूला हो गया था. उस ने अपनी तरफ से सच्चाई का पता लगाया तो बात सच निकली.

बहन को हिदायत दी थी राकेश ने

शनाया एक मुसलिम युवक नियाज अहमद से प्यार करती थी. उस ने बड़े प्यार से एक दिन बहन से पूछा, ‘‘यह मैं क्या सुन रहा हूं शनाया?’’

‘‘क्या सुन रहे हो भाई, मुझे भी तो बताओ.’’ शनाया ने पूछा.

‘‘क्या तुम सचमुच नहीं जानती कि मैं क्या कहना चाहता हूं?’’ वह बोला.

‘‘नहीं, सचमुच मैं नहीं जानती, आप क्या कहना चाहते हो और मेरे बारे में आप ने क्या सुना है?’’ शनाया ने सहज भाव से कहा.

‘‘उस नियाज से तुम दूरी बना लो, यही तुम्हारी सेहत के अच्छा होगा. मैं अपने जीते जी खानदान की नाक कटने नहीं दूंगा. अगर  तुम ने मेरी बात नहीं सुनी या नहीं मानी तो यह नियाज मियां के सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा.’’ भाई के मुंह से नियाज का नाम सुनते ही शनाया के होश उड़ गए.

‘‘जैसा तुम सोच रहे हो भाई, हमारे बीच में ऐसी कोई बात नहीं है. हम दोनों एक अच्छे दोस्त भर हैं.’’ शनाया ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन वह घबराई हुई थी.

‘‘मेरी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश मत करना. तुम दोनों के बारे में मुझे सब पता है. कई बार मैं ने खुद तुम दोनों को एक साथ बांहों में बांहें डाले देखा है. जी तो चाहा कि तुम्हें वहीं जान से मार दूं, लेकिन मम्मीपापा के बारे में सोच कर मेरे हाथ रुक गए. तुम अब भी संभल जाओ. तुम्हारी सेहत के लिए यही अच्छा होगा. नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है, जो न मैं जानता हूं और न ही तुम, समझी.’’

‘‘प्लीज भाई, मम्मीपापा से कुछ मत कहना,’’ शनाया भाई के सामने गिड़गिड़ाई, ‘‘नहीं तो उन के दिल को बहुत ठेस लगेगी. वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे. मेरी उन की नजरों में सारी इज्जत खत्म हो जाएगी. प्लीज…प्लीज… प्लीज, मम्मीपापा से कुछ मत कहना, मेरे अच्छे भाई.’’

‘‘ठीक है, ठीक है, सोचूंगा. मुझे क्या करना होगा लेकिन तुम ने अपनी आदत में बदलाव नहीं लाया तो सोचना कि मैं तुम्हारे लिए कितना खतरनाक बन जाऊंगा, मैं खुद भी नहीं जानता.’’

राकेश ने शनाया को प्यार से समझाया भी और धमकाया भी. उस के बाद उस ने मम्मीपापा से बहन की पूरी हकीकत कह सुनाई. बेटी की करतूत सुन कर वे शर्मसार हो गए.

मांबाप ने भी बेटी को समझाया और नियाज से दूर रहने की सलाह दी. वैसे भी शनाया भाई से छत्तीस का आंकड़ा रखती थी. उस के मना करने के बावजूद राकेश ने उस के प्यार वाली बात मांबाप से बता दी थी.  यह सुन कर उस के सीने में भाई के प्रति नफरत की आग धधक उठी थी.

प्यार की राह का कांटा बना राकेश

राकेश बहन के प्रेम की राह का कांटा बना हुआ था. राकेश के कई बार समझाने के बावजूद शनाया ने नियाज से मिलना बंद नहीं किया था. इसे ले कर दोनों में अकसर झगड़े होते रहते थे.

रोजरोज की किचकिच से शनाया ऊब चुकी थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के और उस के प्यार के बीच में कोई कांटा बने. भाई की टोकाटोकी से तंग आ कर शनाया ने उसे रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली.

शनाया ने अपनी अदाओं से प्रेमी नियाज अहमद को उकसाया कि अगर मुझे प्यार करते हो तो हमारे प्यार के बीच कांटा बने भाई राकेश को रास्ते से हटा दो, नहीं तो मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ.

नियाज अहमद शनाया से दूर हो कर जीने की कल्पना भी कर नहीं सकता था. उस ने प्रेमिका का दिल जीतने के लिए राकेश को रास्ते से हटाने के लिए हामी भर दी. इस खतरनाक योजना को अंजाम देने के लिए उस ने अपने 3 साथियों तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला को शमिल कर लिया.

इस के बाद राकेश को रास्ते से हटाने की योजना बनी. खतरनाक योजना खुद शनाया ने ही बनाई. इसे 9 अप्रैल, 2021 को अंजाम देने की तारीख तय की गई. उस दिन उस ने अपनी नई फिल्म ‘आेंडू घंटेया काठे’ की प्रमोशन रखवाई थी. चतुर शनाया ने इसलिए यह तारीख निर्धारित की थी ताकि उस पर किसी का शक न जाए और रास्ते का कांटा सदा के लिए हट भी जाए. यानी सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे.

योजना के मुताबिक, 9 अप्रैल, 2021 को शनाया काटवे फिल्म प्रमोशन के लिए जब पार्टी में पहुंची, तभी उस ने नियाज अहमद को फोन कर के बता दिया कि राकेश पार्टी में नहीं आएगा, वह घर पर अकेला है. मांबाप भी पार्टी में आए हुए हैं. यही सही वक्त है, काम को अंजाम दे दो.

घर पर ही किए थे राकेश के टुकड़े

शनाया की ओर से हरी झंडी मिलते ही नियाज अहमद, साथियों के साथ अमन गिरनीवाला की हुंडई कार ले कर पार्टी वाली जगह पहुंचा. वहां से शनाया की मारुति रिट्ज कार ले कर रात साढ़े 8 बजे उस के घर पहुंचा. उस की कार नियाज अहमद खुद ड्राइव कर रहा था. उस कार में नियाज के साथ तौसीफ चन्नापुर बैठा था जबकि अमन गिरनीवाला की हुंडई कार में अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला सवार था.

खैर, रात साढ़े 8 बजे जब नियाज शनाया के घर पहुंचा तो राकेश काटवे घर पर ही था. नियाज ने कालबैल बजाई तो राकेश ने दरवाजा खोल दिया. सामने नियाज को देख कर वह चौंक गया. इस से पहले कि वह सावधान हो पाता, नियाज और उस के साथी अचानक उस पर टूट पड़े.

नियाज ने गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए नियाज ने अपने साथ लाए धारदार चाकू से राकेश के शरीर को 5 टुकड़ों में काट दिया और फर्श पर पड़े खून को एक कपड़े से साफ कर साक्ष्य मिटा दिए.

फिर एक पैकेट में सिर और दूसरे पैकेट में बाकी अंग रख कर चारों लोग 2 गाडि़यों में सवार हो कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए. नियाज ने राकेश का कटा सिर जंगल में फेंक दिया और दोनों कार वहीं छोड़ कर चारों गदग रोड जा पहुंचे. वहां एक कुएं में कटे अंग डाल कर सभी फरार हो गए.

शनाया काटवे ने मौत की परफैक्ट प्लानिंग की थी. लेकिन वह यह भूल गई थी कि अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है. शनाया ने भी वैसा ही किया. वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं पाई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई. सभी अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फिल्म लेखक और अभिनेत्री के इश्क़ की उड़ान

26 दिसंबर, 2021 की सुबह का वक्त था. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के थाना खागा के थानाप्रभारी  आनंद प्रकाश शुक्ला क्षेत्र के एक कुख्यात अपराधी की फाइल पलट रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया.

वह बेहद घबराया हुआ था. उन्होंने एक नजर उस पर डाली फिर पूछा, ‘‘सुबहसुबह कैसे आना हुआ? क्या कोई खास बात है? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’
‘‘सर, मेरा नाम इंद्रमोहन सिंह राजपूत है. मैं गुलरिहनपुर मजरे के कूरा गांव का रहने वाला हूं. बीती रात मेरी पत्नी योगमाया ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली. उस की लाश घर के अंदर पड़ी है. रात में सूचना देने नहीं आ सका. इसलिए सुबह आया हूं.’’

थानाप्रभारी आनंद शुक्ला के सामने कई ऐसे सवाल थे, जिन के जवाब इंद्रमोहन सिंह दे सकता था. लेकिन पहली जरूरत मौके पर पहुंचने की थी. इसलिए उन्होंने सब से पहले एसपी (फतेहपुर) राजेश कुमार सिंह और डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को घटना की जानकारी दी. फिर वह पुलिस टीम ले कर मौके पर पहुंच गए.

उस समय इंद्रमोहन सिंह के घर के बाहर लोगों की भीड़ थी. भीड़ को हटाते हुए थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने सहकर्मियों के साथ घर के अंदर प्रवेश किया और उस कमरे में पहुंचे, जहां मृतका की लाश पड़ी थी.

कमरे का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर पड़े पलंग पर योगमाया नाम की युवती की लाश खून से तरबतर पड़ी थी. उस के गले पर 3 गहरे घाव थे, जिन से खून रिस रहा था. खून से बिस्तर तरबतर था. पलंग के पास ही खून सना हंसिया पड़ा था, जिसे श्री शुक्ला ने जांच हेतु सुरक्षित कर लिया.

मृतका योगमाया का रंग गोरा, शरीर स्वस्थ और उम्र 25 वर्ष के आसपास थी. मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ. शव निरीक्षण के बाद थानाप्रभारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह मामला आत्महत्या का नहीं है, बल्कि रणनीति के तहत हत्या का है. पुलिस को गुमराह करने के लिए आत्महत्या की सूचना दी गई है.
सच्चाई का पता लगाने के लिए वह वहां पर मौजूद मृतका के मायके वालों से जानकारी के लिए बड़े तभी एसपी राजेश कुमार सिंह तथा डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा वहां आ गए.

पुलिस को दिखा हत्या का मामला

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर इंसपेक्टर आनंद प्रकाश शुक्ला से बातचीत की. इंसपेक्टर शुक्ला ने शक जाहिर किया कि मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है और इस का रहस्य मृतका के पति इंद्रमोहन सिंह के पेट में ही छिपा है.
मौके पर मृतका का पति इंद्रमोहन सिंह मौजूद था. अत: एसपी राजेश कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की. इंद्रमोहन सिंह ने बताया कि वह रंगकर्मी है. भोजपुरी फिल्मों में कहानी लेखन का काम करता है. इस के अलावा वह भोजपुरी गानों पर एलबम बनाता है.

कल सुबह वह पहले अपनी ससुराल गया, फिर वहां से लखनऊ चला गया था. घर पर उस की पत्नी योगमाया, एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री नेहा वर्मा थी.

देर रात जब वह घर वापस आया तो नेहा वर्मा ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली. रात अधिक हो जाने के कारण वह थाने नहीं गया. सुबह सूचना देने गया. भोजपुरी फिल्म नायिका नेहा वर्मा डरीसहमी घर पर ही मौजूद थी.

राजेश कुमार सिंह ने नेहा वर्मा से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात 8 बजे उस ने और योगमाया ने साथ बैठ कर खाना खाया था. उस के बाद योगमाया अपने बेटे के साथ कमरे में जा कर लेट गई और वह दूसरे कमरे में जा कर सो गई.

रात 10 बजे के लगभग उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो वह कमरे में गई. वहां पलंग पर योगमाया मृत पड़ी थी. उस ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली थी. कुछ देर बाद इंद्रमोहन सिंह आ गए.

तब वह बच्चे को गोद में ले कर चीखते हुए बाहर निकले. उस के बाद इंद्रमोहन सिंह के मातापिता व भाई आ गए, जो पड़ोस में रहते हैं.

नेहा वर्मा ने यह भी बताया कि वह 2 साल से इंद्रमोहन सिंह के संपर्क में है. वह भोजपुरी फिल्मों में साइड रोल करती है. अभी कुछ माह पहले ही उस की ‘पश्चाताप’ फिल्म बनी है, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है. इस भोजपुरी फिल्म में उस का साइड रोल है.

फिल्म की कहानी इंद्रमोहन सिंह ने लिखी थी. उस ने बताया कि वह 4 दिन पहले ही अपने पिता के साथ गोरखपुर से कूरा गांव आई थी. पहले भी वह कई बार इंद्रमोहन सिंह के साथ गांव आई थी.

पूछताछ के दौरान राजेश सिंह की नजर नेहा वर्मा के कपड़ों पर पड़ी. वह सलवार सूट पहने थी. सलवार खून से सनी थी और हाथों पर भी खून के दाग थे. गले पर खरोंच का निशान था. श्री सिंह ने वहां पर लगे खून के बाबत उस से पूछा, तो वह सकपका गई और कोई सही जवाब न दे सकी. वह कभी इंद्रमोहन सिंह की तरफ देखती तो कभी आंखें नीची कर लेती.

राजेश कुमार सिंह समझ गए कि नेहा वर्मा कुछ गहरा राज छिपा रही है. यह मामला आत्महत्या का नहीं है. हत्या के इस मामले में नेहा का हाथ हो सकता है.

योगमाया के शव के पास उस की सास कृष्णा व ससुर चंद्रमोहन सुबक रहे थे. डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने उन से पूछताछ की तो कृष्णा देवी ने बताया, ‘‘साहब, हमारी बहू योगमाया आत्महत्या नहीं कर सकती, उस की हत्या की गई है. नेहा और इंद्रमोहन के बीच नाजायज रिश्ता है, जिस का विरोध योगमाया करती थी. इसी विरोध के चलते नेहा ने उस को रास्ते से हटा दिया साहब, उस को तुरंत गिरफ्तार करो.’’

मृतका के भाई सत्यप्रकाश ने डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को बताया कि बहनोई इंद्रमोहन व नेहा वर्मा के बीच पिछले 2 सालों से अवैध संबंध है. इस नाजायज रिश्ते का बहन विरोध करती थी. इस पर इंद्रमोहन उसे प्रताडि़त
करता था.

कई बार उसे समझाने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं माना. इन्हीं नाजायज रिश्तों का विरोध करने पर इंद्रमोहन और नेहा वर्मा ने उस की हत्या कर दी और आत्महत्या करने की झूठी सूचना थाने जा कर दी.

आसपड़ोस के लोगों ने भी नाजायज रिश्ता पनपने और हत्या का शक जताया. शक के आधार पर पुलिस अधिकारियों ने इंद्रमोहन सिंह राजपूत और उस की प्रेमिका नेहा वर्मा को हिरासत में ले लिया और मृतका योगमाया के शव को पोस्टमार्टम हेतु फतेहपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

इंद्रमोहन सिंह राजपूत और नेहा वर्मा को थाना खागा लाया गया. यहां पुलिस कप्तान राजेश कुमार सिंह व डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने दोनों से सख्त रुख अपना कर पूछताछ की तो उन को सच्चाई उगलने में ज्यादा देर नहीं लगी.

नेहा ने बताया कि वह इंद्रमोहन राजपूत से प्यार करने लगी थी. दोनों के बीच अवैध रिश्ता भी बन गया था. वह इंद्रमोहन से शादी रचाना चाहती थी. लेकिन उस की पत्नी योगमाया बाधक थी. इस बाधा को दूर करने के लिए उन दोनों ने साजिश रची और योगमाया की हत्या कर दी. वह अपना जुर्म कुबूल करती है.

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इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने बताया कि वह खूबसूरत नेहा वर्मा के प्यार में अंधा हो गया था. वह उस से शादी कर खुशियां पाना चाहता था. नेहा के कहने पर उस ने पत्नी की मौत का षडयंत्र रचा और उसे मौत की नींद सुला दिया.
चूंकि इंद्रमोहन और नेहा ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल हंसिया भी बरामद हो गया था. अत: थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने मृतका के भाई सत्यप्रकाश को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में इश्क में डूबी एक ऐसी नायिका की कहानी सामने आई, जो खुद ही नायिका से खलनायिका बन गई.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के थरियांव थाना अंतर्गत एक गांव है अब्दुल्लापुर घूरी. इसी गांव में विदित कुमार राजपूत अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के परिवार में पत्नी आरती के अलावा एक बेटा सत्यप्रकाश तथा 2 बेटियां दिव्या व योगमाया थीं.

विदित कुमार किसान थे. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. बड़ी बेटी दिव्या का विवाह वह कर
चुके थे.

ममेरी बहन से की थी लवमैरिज

दिव्या से छोटी योगमाया थी. वह छरहरी काया और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी. उस की मुसकान सामने वाले पर गहरा असर डालती थी. योगमाया जितनी खूबसूरत थी, पढ़ने में भी उतनी ही तेज थी.

उस ने हाईस्कूल की परीक्षा सरस्वती बालिका इंटर कालेज से पास कर ली थी और आगे भी पढ़ना चाहती थी. लेकिन मांबाप ने उस की पढ़ाई बंद करा दी और घरेलू काम में लगा दिया.
योगमाया के घर इंद्रमोहन सिंह का आनाजाना लगा रहता था. वह फतेहपुर जिले के ही थाना खागा के गांव कूरा के रहने वाले चंद्रमोहन राजपूत का बेटा था. रिश्ते में दोनों सगे ममेरे भाईबहन थे. घर आतेजाते योगमाया की खूबसूरती और मुसकान इंद्रमोहन के दिल में बस गई थी.

एक दिन इंद्रमोहन ने उस से अपने मन की बात भी कह दी, ‘‘योगमाया, मैं तुम से प्यार करता हूं. यदि तुम मेरा प्यार कुबूल कर लोगी, तो मैं खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब इंसान समझूंगा.’’

योगमाया उम्र के जिस पायदान पर थी, उस उम्र में लड़कियों को ऐसी बातें गुदगुदा देती हैं. योगमाया का दिलोदिमाग भी सनसनी से भर गया. उस ने इंद्रमोहन की आंखों में देखा. उन आंखों में प्यार का सागर ठाठें मार रहा था. उस की आंखों में देखते हुए कुछ देर तक वह सोच में डूबी रही, उस के बाद बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हारा प्यार कुबूल कर लूं तो तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?’’
‘‘शादी?’’ इंद्रमोहन ने तपाक से जवाब दिया.
‘‘लेकिन हमारातुम्हारा रिश्ता तो बहनभाई का है. हम दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए तो…?’’ योगमाया ने पूछा.
‘‘…तो हम भाग कर प्रेम विवाह कर लेंगे.’’
योगमाया मुसकराई फिर नजरें झुका कर स्वीकृति में सिर हिला दिया.

इंद्रमोहन और योगमाया के घर वालों को दोनों के प्यार व शादी रचाने की बात पता चली तो उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. घर वालों ने दोनों को बहुत समझाया, लेकिन जब वह नहीं माने तो विदित कुमार ने 20 वर्षीय बेटी योगमाया की शादी 12 फरवरी, 2015 को इंद्रमोहन राजपूत के साथ कर दी.

फिल्म कहानी लेखक बन गया इंद्रमोहन

शादी के बाद योगमाया इंद्रमोहन की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. चूंकि इंद्रमोहन की मां कृष्णा इस शादी से नाराज थी, अत: वह पति चंद्रमोहन व छोटे बेटे जंगबहादुर के साथ अलग मकान में रहने लगी. वह इंद्रमोहन व योगमाया से बहुत कम बातचीत करती थी.

इंद्रमोहन सिंह बीए पास था. उस का रुझान भोजपुरी फिल्मों की तरफ था. वह फिल्म लेखन में अपनी किस्मत आजमाना चाहता था. उस ने भोजपुरी फिल्म के लिए कई कहानियां लिखीं, कुछ कहानी भोजपुरी फिल्म निर्माताओं को पसंद आईं तो कुछ कूड़ेदान में चली गईं.

लेकिन इंद्रमोहन सिंह हताश नहीं हुआ और लेखन कार्य तथा निर्माताआें के संपर्क में बना रहा. इंद्रमोहन सिंह अपनी पत्नी योगमाया से खूब प्यार करता था और उसे किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने देता था.

योगमाया भी इंद्रमोहन की सेवा करती थी. आर्थिक संकट में भी वह पति का साथ देती थी. आर्थिक संकट के दौरान एक बार तो उस ने अपने आभूषण तक बेच दिए थे.

इंद्रमोहन और योगमाया का जीवन सुखमय बीत ही रहा था कि इसी बीच नेहा वर्मा नाम की बला आ गई, जिस ने योगमाया की जिंदगी में जहर घोल दिया. उस ने योगमाया के जीवन की खुशियां तो छीनी ही फिर आखिर में जिंदगी भी छीन ली.

नेहा वर्मा मूलरूप से मुंडेरा कस्बे के महराजगंज की रहने वाली थी. उस के पिता काशीनाथ वर्मा गोरखपुर के सुभाष नगर मोहल्ले में रहते थे. वह प्राइवेट फर्म में नौकरी करते थे. काशीनाथ साधारण पढ़ेलिखे व्यक्ति थे. आमदनी भी सीमित थी. लेकिन वह सीमित आमदनी में भी खुश थे. मुंडेरा कस्बे में उन का आनाजाना लगा रहता था.

नेहा वर्मा से हुई मुलाकात

20 वर्षीय नेहा वर्मा गोरीचिट्टी छरहरी काया की युवती थी. नैननक्श भी तीखे थे. सब से खूबसूरत थीं उस की आंखें. खुमार भरी गहरी आंखें. उस की आंखों में ऐसी कशिश थी कि जो उस में देखे, खो सा जाए.

नेहा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. वह फैशनेबल थी. अकसर मौडर्न कपड़े पहनती थी और खुद को सजासंवरा बनाए रखती थी.

सुंदर चेहरे वाली नेहा की आकर्षक देह पर मौडर्न कपड़े खूब फबते थे. जिस से देखने में वह फिल्मी हीरोइन सरीखी लगती थी. वह स्वभाव से चंचल और समय के हिसाब से काफी तेज थी. नेहा भोजपुरी फिल्में खूब देखती थी. उस का भी सपना था कि वह फिल्मों में काम करे.

वह फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना संजोए बैठी थी. नेहा वर्मा और इंद्रमोहन सिंह की पहली मुलाकात 25 नवंबर, 2019 को मुंडेरा (महराजगंज) में एक पारिवारिक शादी समारोह में हुई. इस शादी समारोह में नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ के साथ आई थी, जबकि इंद्रमोहन अपनी पत्नी योगमाया के साथ आया था. सजीसंवरी नेहा पर जब इंद्रमोहन की नजर पड़ी तो पहली ही नजर में वह उस के दिल में रचबस गई. मौका मिला तो दोनों में हायहैलो हुई और फिर परिचय हुआ.

इंद्रमोहन ने बताया कि वह फतेहपुर जिले के कूरा गांव का रहने वाला है और भोजपुरी फिल्मों में फिल्म की कहानी लेखन का कार्य करता है. नेहा वर्मा ने बताया कि वह गोरखपुर से पिता के साथ आई है. उसे भोजपुरी फिल्में पसंद है. वह भी फिल्मों में काम करना चाहती है. नेहा ने इंद्रमोहन का परिचय अपने पिता काशीनाथ से भी कराया. इंद्रमोहन ने भी अपनी पत्नी योगमाया का परिचय नेहा से कराया.

उस शादी समारोह में नेहा वर्मा और इंद्रमोहन ने एकदूसरे से खूब बातचीत की तथा एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए. इस के बाद दोनोें के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत होने लगी.
इंद्रमोहन नेहा से मिलने गोरखपुर भी जाने लगा. नेहा और इंद्रमोहन के बीच पहले दोस्ती हुई फिर प्यार पनपने लगा. इसी बीच इंद्रमोहन और नेहा भोजपुरी फिल्म के गाने पर एलबम भी बनाने लगे. इंद्रमोहन ने नेहा को कई भोजपुरी फिल्म निर्माताओं से भी मिलवाया और फिल्म में रोल देने का अनुरोध किया.

साथसाथ काम करते दोनों के बीच प्यार पनपा तो तन मिलन की भी इच्छा प्रबल हो उठी. एक दिन प्यार के क्षणों में दोनों के तन सटे तो दोनों ने एकदूसरे को बांहों में भर
लिया. फिर तो उन्हें एकाकार होने में ज्यादा देर नहीं लगी. अवैध संबंधों का सिलसिला अनवरत चलने लगा. नेहा इंद्रमोहन के प्यार में ऐसी पड़ी कि हमेशा के लिए उस के साथ रहने के बारे में सोचने लगी.

फिल्म में नेहा को दिलाया रोल

फरवरी, 2020 में इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने फिल्म ‘पश्चाताप’ की कहानी लिखी. यह कहानी भोजपुरी फिल्म निर्मातानिर्देशक सन्नी प्रकाश को पसंद आ गई. सन्नी प्रकाश ने फिल्म के कलाकारों का चयन किया और इंसपायरर फिल्म ऐंड एंटरटेनमेंट प्रा.लि. के बैनर तले फिल्म बनाने का निर्णय लिया.

इस फिल्म में नायकनायिका के रूप में राकेश गुप्ता तथा स्मिता सना का चयन हुआ. साथ ही सहनायिका के रूप में नेहा वर्मा का चयन हुआ. ग्रामीण परिवेश की इस ‘पश्चाताप’ फिल्म की शूटिंग 21 सितंबर, 2020 से फतेहपुर के आसपास के क्षेत्र से शुरू हुई. शूटिंग के लिए नेहा वर्मा गोरखपुर से फतेहपुर आती थी और इंद्रमोहन सिंह राजपूत के गांव कूरा में उसी के घर में रुकती थी.

इंद्रमोहन की पत्नी योगमाया पति पर आंखें मूंद कर विश्वास करती थी और उस के कहने पर नेहा की सेवा में लगी रहती थी. लेकिन उस के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक रात नेहा को पति के साथ रंगेहाथों पकड़ लिया. कोई भी औरत भूख और पति की प्रताड़ना तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा कभी नहीं.

योगमाया को भी पति का बंटवारा मंजूर नहीं था. सो उस ने विरोध शुरू कर दिया. नेहा को ले कर वह पति से लड़नेझगड़ने लगी.

नेहा वर्मा को योगमाया का विरोध खटकने लगा. वह इंद्रमोहन को योगमाया के खिलाफ भड़काने लगी. इस का नतीजा यह हुआ कि इंद्रमोहन पत्नी को अधिक प्रताडि़त करने लगा. तब योगमाया ने पति और नेहा के बीच पनप रहे रिश्तों की जानकारी सास कृष्णा तथा अपने मायके वालों को दे दी. सब ने इंद्रमोहन को समझाया भी, लेकिन वह नहीं माना.

फिल्म ‘पश्चाताप’ की शूटिंग 6 महीने तक चली. इस बीच नेहा वर्मा कई बार कूरा गांव आई. वह जब भी आती, घर में कलह होती. नेहा वर्मा इंद्रमोहन के प्यार में इतनी डूब गई थी कि वह उस के साथ शादी कर घर बसाने की सोचने लगी थी. लेकिन वह यह भी जानती थी कि योगमाया के रहते घर बसाना संभव नहीं है.

उस के प्यार में योगमाया बाधा बनी तो उस ने उसे मिटाने का निश्चय कर लिया. इंद्रमोहन पहले ही नेहा की खूबसूरती का कायल था, सो वह उस की जायजनाजायज बातों को मान लेता था. इंद्रमोहन अब तक एक बच्चे का बाप बन चुका था, लेकिन उसे बच्चे से ज्यादा लगाव न था. योगमाया से भी वह नफरत करने लगा था.

पे्रमिका नेहा के साथ किया पत्नी का कत्ल

21 दिसंबर, 2021 को नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ वर्मा के साथ गोरखपुर से इंद्रमोहन के घर कूरा गांव आई. उसे पता चला था कि फिल्म ‘पश्चाताप’ जल्दी ही रिलीज होने वाली है. सिनेमाघरों में पोस्टर भी चस्पा हो गए थे.

एक दिन रुक कर काशीनाथ वर्मा तो वापस चले गए लेकिन नेहा इंद्रमोहन के घर ठहर गई. 23 दिसंबर, 2021 की रात योगमाया ने नेहा और इंद्रमोहन को फिर से रंगेहाथों पकड़ लिया. इस पर उस ने जम कर हंगामा किया और पति तथा नेहा को खूब खरीखोटी सुनाई. अपमानित नेहा ने इंद्रमोहन को योगमाया  के खिलाफ भड़काया और रास्ते से हटाने को कहा.

इंद्रमोहन पहले तो राजी नहीं हुआ, लेकिन बाद में मान गया. इस के बाद नेहा और इंद्रमोहन ने योगमाया की हत्या का षडयंत्र रचा.
25 दिसंबर, 2021 को योजना के तहत इंद्रमोहन अपने भाई जंगबहादुर के साथ लखनऊ जाने की बात कह कर घर से निकला. लेकिन लखनऊ न जा कर वह अपनी ससुराल घुरू गया और अपने साले सत्यप्रकाश से मिला. उस ने साले को भी बताया कि वह किसी काम से लखनऊ जा रहा है. भाई जंगबहादुर को उस ने फतेहपुर भेज दिया.

इधर घर में योगमाया, उस का एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा नेहा वर्मा थी. रात 8 बजे योगमाया ने नेहा वर्मा के साथ खाना खाया फिर बच्चे के साथ कमरे में पड़े पलंग पर जा कर लेट गई. कुछ देर बाद योगमाया सो गई.

लेकिन नेहा वर्मा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. योजना के तहत उसने इंद्रमोहन से मोबाइल फोन पर बात की और घर बुला लिया. रात 10 बजे नेहा वर्मा और इंद्रमोहन, योगमाया के कमरे में पहुंचे. नेहा के हाथ में हंसिया था. कमरे में योगमाया रजाई से मुंह ढंके सो रही थी. नेहा उस की छाती पर सवार हो गई और रजाई मुंह से हटा कर उस की गरदन पर हंसिया से वार कर दिया.

योगमाया चीखी और उठने का प्रयास किया लेकिन उठ न सकी. बचाव में उस ने नेहा की गरदन पकड़ ली. इसी बीच नेहा ने हंसिया से वार पर वार योगमाया की गरदन पर किए. जिस से उस की गरदन पर 3 गहरे जख्म बने और खून की धार बहने लगी.
फिर भी उस ने उठने का प्रयास किया और पैर पटकने लगी. तभी इंद्रमोहन ने उस के पैर दबोच लिए और नेहा ने फिर गरदन पर हंसिया से वार किए. कुछ देर तड़पने के बाद योगमाया ने दम तोड़ दिया.

इसी बीच मां की बगल में लेटा मासूम अनमोल तेज आवाज में रोने लगा तो इंद्रमोहन ने उसे गोद में उठा लिया. फिर वह चीखता हुआ घर के बाहर आया.
उस की चीखने की आवाज सुन कर उस के मातापिता व पड़ोसी आ गए. उन सब को इंद्रमोहन ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली है. लेकिन मातापिता व पड़ोसियों ने उस की बात का यकीन नहीं किया.

नेहा वर्मा के हाथों में लगा खून तथा खून से सराबोर सलवार देख कर सब समझ गए कि मामला हत्या का है. रात अधिक हो जाने के कारण इंद्रमोहन थाने नहीं गया. सुबह 7 बजे वह थाना खागा पहुंचा और पत्नी योगमाया द्वारा आत्महत्या किए जाने की सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला पुलिस टीम के साथ इंद्रमोहन के घर पहुंचे.

27 दिसंबर, 2021 को थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने आरोपी इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें फतेहपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

डर्टी फिल्मों का ‘राज’ : राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस – भाग 4

मूलरूप से कर्नाटक की रहने वाली शिल्पा शेट्टी के पिता सुरेंद्र शेट्टी मुंबई में दवा निर्माण का कारोबार करते थे इसलिए शिल्पा बचपन से ही मुंबई मे पलीबढ़ी और बाद में मौडलिंग करतेकरते फिल्मों का सफर शुरू हो गया. पहली फिल्म बाजीगार ने ही उन्हें शोहरत की बुलदियों पर पहुंचा दिया. इस के बाद उन्होंने कई चर्चित और सफल फिल्मों में काम किया.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंदा ने शिल्पा के लिए जुहू सी बीच पर एक आलीशान बंगला खरीदा और उस का नाम ‘किनारा’ रखा. करीब 70 करोड़ की कीमत का ये बंगला भव्यता और लोकेशन के लिहाज से बौलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के बंगले के बाद तीसरे नंबर पर गिना जाता है.

शिल्पा की मां सुनंदा शेट्टी 2016 में अपने पति सुरेंद्र शेट्टी की मौत के बाद अब शिल्पा के पास ही रहती हैं. शिल्पा की एक छोटी बहन शमिता शेट्टी भी हिन्दी फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री हैं.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंद्रा की किस्मत का सितारा कुछ ऐसे चमका कि उस के बाद उस ने कई बडे़ बिजनैस शुरू किए. उस के ऊपर दौलत तो बरसने ही लगी, साथ ही एक जानीमानी अभिनेत्री का पति होने के कारण शोहरत भी उस के कदम चूमने लगी.

कभी 2 हजार यूरो से पश्मीना शाल का बिजनैस शुरू करने वाला राज कुंद्रा अब करीब 2700 करोड़ की संपत्तियों का मालिक और दरजन भर कंपनियों का स्वामी था.

दिल्ली, लंदन और दुबई में उस के आलीशान घर हैं. राज कुंद्रा इन दिनों एक ऐसा बिजनेसमैन था, जिस की खबरें फाइनेंस सेक्शन से ज्यादा अखबार के एंटरटेनमेंट और पेज थ्री सेक्शन में छपती थीं. लेकिन अब कुंद्रा की डर्टी पिक्चर सामने आने के बाद अचानक वह नायक से खलनायक बन गया है.

मुंबई पुलिस में अलगअलग जगह अब तक राज कुंद्रा के खिलाफ अश्लील फिल्म बनाने के आरोप में करीब 5 मामले दर्ज हो चुके हैं.

मौडल पूनम पांडे ने भी 2020 में राज और उस के सहयोगी सौरभ कुशवाह के खिलाफ बौंबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राज कुंद्रा की कंपनी गैरकानूनी रूप से उन के वीडियो और तसवीरों का इस्तेमाल कर रही है.

पूनम का कहना था कि उन्होंने राज की कंपनी के साथ कौंट्रैक्ट किया था. राज की कंपनी उन के ऐप को मैनेज करती थी. लेकिन पेमेंट इश्यू के कारण कौंट्रैक्ट कैंसिल कर दिया गया था. हालांकि इन आरोपों को राज और उन के सहयोगी सौरभ ने सिरे से फरजी बताया था.

इसी साल अप्रैल 2021 में कुंद्रा के खिलाफ मौडल व एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने भी एफआईआर करवाई थी. शर्लिन राज कुंद्रा के प्रोजेक्ट्स के लिए काम करती थी. उन्हें हर प्रोजेक्ट के लिए 30 लाख रुपयों का पेमेंट दिया जाता था. उन्होंने राज के साथ ऐसे 15-20 प्रोजेक्ट्स में काम भी किया था.

शर्लिन की शिकायत के मुताबिक साल 2019 की शुरुआत में राज कुंद्रा ने उन के बिजनैस मैनेजर को काल किया और किसी प्रपोजल को डिस्कस करने की बात कही थी.

बिजनैस मीटिंग के बाद 27 मार्च, 2019 को शर्लिन की राज से किसी बात को ले कर बहस हुई और वह बिन बुलाए उस के घर आ गया. और शिल्पा से अपने संबंध ठीक नहीं होने की बात कह कर उस से जबरन संबध बनाने की कोशिश करने लगा. उस ने किसी तरह खुद को राज के चंगुल से छुड़ाया.

फरवरी 21 में सागरिका शोना सुमन नाम की एक एक्ट्रेस ने मीडिया में आ कर यह क्लेम किया था कि राज कुंद्रा ने उन से नग्न हो कर औडिशन देने के लिए कहा था.

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अब हर रोज उस के खिलाफ नए तरह के आरोप सामने आ रहे हैं. साथ ही सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या उस की पत्नी शिल्पा भी इस गंदे धंधे में उस की भागीदार थी?

बौलीवुड की लड़कियां ऐसे फंसती हैं पोर्न फिल्मों के जाल में हमारे देशभर में ऐसे लाखों नौजवान युवक और युवतियां हैं, जो फिल्म इंडस्ट्री में आ कर काम करना चाहते हैं. ऐसे युवकयुवतियां पूरे भारत से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की चाह ले कर रोज मायानगरी मुंबई आते हैं. लेकिन सभी को यहां काम नहीं मिलता और न ही फिल्मों में ब्रेक.

ऐसे में इन लोगों का इस्तेमाल मुंबई के ऐसे गिरोह करते हैं, जो फिल्मों और टीवी पर ब्रेक दिलाने के नाम पर लड़कियों को पोर्नोग्राफी की तरफ धकेल देते हैं. उन के अश्लील वीडियो बनाते हैं.

मुंबई के उपनगरों और कई इलाकों में शूटिंग के लिए बंगले किराए पर लिए जाते हैं, जहां अश्लील वीडियो फिल्में शूट की जाती हैं. बाद में उन पोर्न फिल्मों को मोबाइल ऐप और कई पोर्न साइटों पर अपलोड किया जाता है. इस काम से ये गिरोह लाखों रुपए कमाते हैं.

इस धंधे में शामिल पोर्न प्रोडक्शन हाउस और कंपनियां भी लाखों की कमाई करती हैं. उन्हें पोर्न वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए अच्छाखासा पैसा मिलता है.

पोर्न रैकेट से जुड़े दलाल पहले किसी प्रोडक्शन हाउस के तहत शौर्ट फिल्म, वेब सीरीज या टीवी सीरियल में काम दिलाने के नाम पर जरूरतमंद लड़कियों को जाल में फंसाते हैं. फिर उन से वादा करते हैं कि अगर वह कामयाब हुए तो उन्हें सीधे बड़े बजट की फिल्मों में ब्रेक मिलेगा. लेकिन उन के साथ होता कुछ और ही है.

राज कुंद्रा का विवादों से नाता

कहते हैं मुसीबत आती है तो बहुत सी परेशानियां अपने साथ लाती है. राज

कुंद्रा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. पोर्नोग्राफी केस में फंसे बिजनेसमैन राज कुंद्रा की मुसीबतें भी दिनबदिन बढ़ती जा रही हैं.

उस की पत्नी और बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पर भी इस की आंच आ रही है. अब शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर जुरमाना लगाया है.

मामला है सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन का. बता दें कि जब किसी कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई आदमी उस की अंदरूनी जानकारी होने के आधार पर उस के शेयर खरीद कर या बेच कर गलत ढंग से मुनाफा कमाता है, तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है.

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाई हुई है. सेबी ने 28 जुलाई, 2021 को शिल्पा शेट्टी और उन के पति के स्वामित्व वाली कंपनी वियान इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 3 लाख रुपए का जुरमाना लगाया है.

शिल्पा और राज कुंद्रा वियान इंडस्ट्रीज के प्रमोटर हैं. यह आदेश सितंबर 2013 से दिसंबर 2015 के बीच इनसाइडर ट्रेडिंग निषेध (पीआईटी) नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिलने के बाद जारी किया गया है.

अक्तूबर 2015 में वियान इंडस्ट्रीज ने 4 व्यक्तियों को 5 लाख इक्विटी शेयर दिए थे. इस में राज कुंद्रा और शिल्पा को 2.57 करोड़ रुपए की राशि के 1,28,800 लाख शेयर अलगअलग मिले.

नियमों के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक का लेनदेन होने पर दोनों को इस बात का खुलासा उस समय करना था, जो उन्होंने नहीं किया.

वैसे राज कुंद्रा हो या शिल्पा शेट्टी पोर्नोग्राफी रैकेट के अलावा पहले भी दोनों सुखिर्यो में रह चुके हैं.

अक्तूबर 2019 में वे उस समय भी सुर्खियों में आए थे, जब ईडी ने राज कुंद्रा से रंजीत बिंद्रा नाम के व्यक्ति से व्यापारिक संबंधों के चलते पूछताछ की थी. जिसे मुंबई पुलिस ने डौन दाउद इब्राहिम के गुर्गे इकबाल मिर्ची के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की आईपीएल क्रिकेट की एक टीम है, जिस का नाम है राजस्थान रौयल्स. इस टीम के खिलाड़ी एस. श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण को मैच फिक्स करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 2013 में गिरफ्तार किया था.

इस मामले में राज कुंद्रा और आईसीसी चीफ श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी स्पौट फिक्सिंग और सट्टा लगाने के आरोप लगे थे.

पुलिस पूछताछ में कुंद्रा ने बुकी के द्वारा सट्टा लगाने की बात कुबूली भी थी, जिस के बाद कुंद्रा और मयप्पन को सस्पेंड कर उन की टीम पर बैन लगा दिया गया था. साथ ही उन्हें क्रिकेट से जुडे़ किसी भी इवेंट में शिरकत करने की भी मनाही कर दी गई थी. हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में कुंद्रा को क्लीन चिट मिल गई थी.

2018 में हौट मौडल पूनम पांडे ने भी राज पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बताया था कि उस ने 200 करोड़ का बिटकौइन घोटाला किया है. इस मामले में पुणे पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया था. मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के प्रमोशन के दौरान भी इन पर घोटाले का आरोप लगा था, जिस की वजह से कुंद्रा के कारण कई लोगों को काफी नुकसान पहुंचा था.

राज कुंद्रा की इतने बड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद अब उस के काले अतीत के यह पन्ने खुल कर सामने आ रहे हैं.