पानी सिर से ऊंचा होते देख यासीन पत्नी शहर बानो की बातें सुन कर बुरी तरह बौखला उठा था. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग सोफिया के बारे में बुराभला कहने वाले कौन होते हो.’’
शहर बानो और उस की बहन रेशमा को तो उस दिन जैसे भूत सवार था. यासीन ने रेशमा को डांटते हुए खामोश रहने की हिदायत दी.
विवाद बढ़ता गया और यासीन ने गुस्से में सोफिया के सामने शहर बानो पर मिट्टी का तेल उड़ेल दिया और शहर बानो को जला कर मारने की धमकी दे डाली.
उस दिन कोई अनहोनी न हो, इसलिए मातापिता के द्वारा मामला रफादफा कर दिया गया और यासीन अगले दिन शहर बानो की बिना रुकसती कराए सोफिया को साथ ले कर बहराइच से लखनऊ वापस लौट आया और शहर बानो को धमकी दे डाली कि अगर तुम्हारी गर्ज हो तो तुम लखनऊ खुद चली आना.
लेकिन सोफिया के कारण शहर बानो लखनऊ वापस लौट कर नहीं आई. यासीन उसे ले कर परेशान रहने लगा था क्योंकि सोफिया के कारण शहर बानो से अब उस की तलाक की नौबत आ गई थी. कहावत है कि नारी नदिया की धार होती है और पुरुष एक किनारा होता है. दोनों विमुख भी नहीं रह सकते हैं.
शहर बानो भी यासीन से लगाव होने के कारण उसे दिल से निकाल नहीं पा रही थी. शहर बानो के मातापिता ने अपनी बेटी की जिंदगी में फिर से बहार लाने के लिए यासीन को रुखसत कराने के लिए खबर भेजी.
यासीन ने भी उत्तर में कहलवा दिया कि यदि वह अपनी बेटी को भेजने के लिए तैयार हैं तो वह उसे खुद पहुंचा दें. वह उसे अपने पास रखने को तैयार है.
शहर बानो के वालिद मुल्ला खान ने बेटी को समझाया कि तुम्हें अपने शौहर के यहां खुद चले जाना चाहिए. उस दिन 18 जनवरी, 2022 को एक लंबे अरसे के बाद लखनऊ स्थित कांशीराम कालोनी वह खुद आ गई थी.
शहर बानो जब कांशीराम कालोनी वाले आवास पर पहुंची तो यासीन बरामदे में बैठाबैठा दूसरी पत्नी शिवा उर्फ सोफिया से हंसहंस कर बातें कर रहा था.
शहर बानो को अचानक आया देख कर वह भड़क उठा और बोला कि आने से पहले तुम्हें फोन करना चाहिए था. शिवा उर्फ सोफिया ने भी यासीन का साथ दिया, ‘‘यासीन ठीक तो कह रहे हैं. कम से कम आने से पहले तुम्हें फोन तो करना चाहिए था. जब से यासीन ने मुझ से निकाह किया है तुम बातबात में रूठ कर चली जाती हो.’’
शहर बानो ने कहा कि तुम लोगों से मेरा यहां रहना देखा नहीं जाता है तो मैं बहराइच न जाऊं तो फिर क्या करूं.
लंबे अरसे बाद लखनऊ आने पर शहर बानो को यासीन खान से यह उम्मीद नहीं थी. वह उलाहना सुन कर मन मसोस कर रह गई थी.
पुलिस के पूछने पर यासीन खान ने बताया कि सोफिया ने अपने भाई शरद विश्वकर्मा के इलाज के लिए 30-40 हजार रुपया अलमारी में बचा कर रखे थे, गुरुवार को सोफिया को बिना बताए वह पैसे उस ने निकाल लिए.
इस पर पहले तो उस का शक शहर बानो पर गया था. जिस पर दोनों में काफी कहासुनी हुई थी. लेकिन सोफिया को उस ने बताया कि वह रुपए शहर ने नहीं बल्कि उस ने निकाले थे. इस पर उस का उस से भी काफी झगड़ा हुआ.
जब रात को सोफिया अपने अंदर के कमरे में जा कर सो गई, तभी शहर बानो ने यासीन खान को अपने बाहुपाश में लेते हुए सोफिया की हत्या करने और हमेशा के लिए रास्ते का कांटा हटाने के लिए उकसाया, ताकि वह बाकी जिंदगी चैन से जी सके.
यासीन उस की बात सुन कर राजी हो गया. शहर बानो जानती थी कि जब से शिवा उर्फ सोफिया खान उस के पति यासीन की जिंदगी में आई है, यासीन की महीने भर की कमाई अपने भाई शरद को भेज दिया करती है, जिस से यासीन मन मसोस कर रह जाता है.
20 जनवरी, 2022 को शिवा उर्फ सोफिया जब सो गई तो शहर बानो ने सोफिया की हत्या करने के लिए यासीन को अस्पताल में शरद विश्वकर्मा के पास न भेज कर घर पर ही रोक लिया.
सुबह होने पर जब सोफिया ने अस्पताल में भरती अपने भाई शरद के लिए खाना बना कर और उस के औपरेशन के लिए रुपए ले कर यासीन को साथ चलने को कहा तो यासीन ने रुपए न देने की बात कही.
जिस के कारण उस की सोफिया से कहासुनी हो गई. उसी दौरान यासीन के इशारे पर शहर बानो ने सोफिया के हाथ पकड़ लिए और यासीन ने गला दबा कर शिवा उर्फ सोफिया की हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को पलंग पर गद्दे में लपेट कर छिपा दिया.
जब शिवा विश्वकर्मा उर्फ सोफिया खाना और रुपए ले कर अस्पताल नहीं पहुंची, तब शरद ने उसे कई बार फोन किया. जब उस की बहन से बात नहीं हो पाई तो शरद ने संदेह होने पर हंसखेड़ा पुलिस चौकीप्रभारी को फोन कर सूचना देते हुए बहन के घर पहुंचने को कहा था.
गिरफ्तारी के बाद थानाप्रभारी दधिबल तिवारी, एडिशनल सीपी राजेश श्रीवास्तव, डीसीपी गोपालकृष्ण चौधरी व एसीपी आशुतोष कुमार के समक्ष शहर बानो व यासीन खान को पेश किया गया. आरोपियों ने इन सभी अधिकारियों को भी हत्या की कहानी बताई.
इस के बाद यासीन खान और शहर बानो को 23 जनवरी, 2022 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक विवेचना जारी थी. द्