पहली बीवी का खेल – भाग 3

पानी सिर से ऊंचा होते देख यासीन पत्नी शहर बानो की बातें सुन कर बुरी तरह बौखला उठा था. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग सोफिया के बारे में बुराभला कहने वाले कौन होते हो.’’

शहर बानो और उस की बहन रेशमा को तो उस दिन जैसे भूत सवार था. यासीन ने रेशमा को डांटते हुए खामोश रहने की हिदायत दी.

विवाद बढ़ता गया और यासीन ने गुस्से में सोफिया के सामने शहर बानो पर मिट्टी का तेल उड़ेल दिया और शहर बानो को जला कर मारने की धमकी दे डाली.

उस दिन कोई अनहोनी न हो, इसलिए मातापिता के द्वारा मामला रफादफा कर दिया गया और यासीन अगले दिन शहर बानो की बिना रुकसती कराए सोफिया को साथ ले कर बहराइच से लखनऊ वापस लौट आया और शहर बानो को धमकी दे डाली कि अगर तुम्हारी गर्ज हो तो तुम लखनऊ खुद चली आना.

लेकिन सोफिया के कारण शहर बानो लखनऊ वापस लौट कर नहीं आई. यासीन उसे ले कर परेशान रहने लगा था क्योंकि सोफिया के कारण शहर बानो से अब उस की तलाक की नौबत आ गई थी. कहावत है कि नारी नदिया की धार होती है और पुरुष एक किनारा होता है. दोनों विमुख भी नहीं रह सकते हैं.

शहर बानो भी यासीन से लगाव होने के कारण उसे दिल से निकाल नहीं पा रही थी. शहर बानो के मातापिता ने अपनी बेटी की जिंदगी में फिर से बहार लाने के लिए यासीन को रुखसत कराने के लिए खबर भेजी.

यासीन ने भी उत्तर में कहलवा दिया कि यदि वह अपनी बेटी को भेजने के लिए तैयार हैं तो वह उसे खुद पहुंचा दें. वह उसे अपने पास रखने को तैयार है.

शहर बानो के वालिद मुल्ला खान ने बेटी को समझाया कि तुम्हें अपने शौहर के यहां खुद चले जाना चाहिए. उस दिन 18 जनवरी, 2022 को एक लंबे अरसे के बाद लखनऊ स्थित कांशीराम कालोनी वह खुद आ गई थी.

शहर बानो जब कांशीराम कालोनी वाले आवास पर पहुंची तो यासीन बरामदे में बैठाबैठा दूसरी पत्नी शिवा उर्फ सोफिया से हंसहंस कर बातें कर रहा था.

शहर बानो को अचानक आया देख कर वह भड़क उठा और बोला कि आने से पहले तुम्हें फोन करना चाहिए था. शिवा उर्फ सोफिया ने भी यासीन का साथ दिया, ‘‘यासीन ठीक तो कह रहे हैं. कम से कम आने से पहले तुम्हें फोन तो करना चाहिए था. जब से यासीन ने मुझ से निकाह किया है तुम बातबात में रूठ कर चली जाती हो.’’

शहर बानो ने कहा कि तुम लोगों से मेरा यहां रहना देखा नहीं जाता है तो मैं बहराइच न जाऊं तो फिर क्या करूं.

लंबे अरसे बाद लखनऊ आने पर शहर बानो को यासीन खान से यह उम्मीद नहीं थी. वह उलाहना सुन कर मन मसोस कर रह गई थी.

पुलिस के पूछने पर यासीन खान ने बताया कि सोफिया ने अपने भाई शरद विश्वकर्मा के इलाज के लिए 30-40 हजार रुपया अलमारी में बचा कर रखे थे, गुरुवार को सोफिया को बिना बताए वह पैसे उस ने निकाल लिए.

इस पर पहले तो उस का शक शहर बानो पर गया था. जिस पर दोनों में काफी कहासुनी हुई थी. लेकिन सोफिया को उस ने बताया कि वह रुपए शहर ने नहीं बल्कि उस ने निकाले थे. इस पर उस का उस से भी काफी झगड़ा हुआ.

जब रात को सोफिया अपने अंदर के कमरे में जा कर सो गई, तभी शहर बानो ने यासीन खान को अपने बाहुपाश में लेते हुए सोफिया की हत्या करने और हमेशा के लिए रास्ते का कांटा हटाने के लिए उकसाया, ताकि वह बाकी जिंदगी चैन से जी सके.

यासीन उस की बात सुन कर राजी हो गया. शहर बानो जानती थी कि जब से शिवा उर्फ सोफिया खान उस के पति यासीन की जिंदगी में आई है, यासीन की महीने भर की कमाई अपने भाई शरद को भेज दिया करती है, जिस से यासीन मन मसोस कर रह जाता है.

20 जनवरी, 2022 को शिवा उर्फ सोफिया जब सो गई तो शहर बानो ने सोफिया की हत्या करने के लिए यासीन को अस्पताल में शरद विश्वकर्मा के पास न भेज कर घर पर ही रोक लिया.

सुबह होने पर जब सोफिया ने अस्पताल में भरती अपने भाई शरद के लिए खाना बना कर और उस के औपरेशन के लिए रुपए ले कर यासीन को साथ चलने को कहा तो यासीन ने रुपए न देने की बात कही.

जिस के कारण उस की सोफिया से कहासुनी हो गई. उसी दौरान यासीन के इशारे पर शहर बानो ने सोफिया के हाथ पकड़ लिए और यासीन ने गला दबा कर शिवा उर्फ सोफिया की हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को पलंग पर गद्दे में लपेट कर छिपा दिया.

जब शिवा विश्वकर्मा उर्फ सोफिया खाना और रुपए ले कर अस्पताल नहीं पहुंची, तब शरद ने उसे कई बार फोन किया. जब उस की बहन से बात नहीं हो पाई तो शरद ने संदेह होने पर हंसखेड़ा पुलिस चौकीप्रभारी को फोन कर सूचना देते हुए बहन के घर पहुंचने को कहा था.

गिरफ्तारी के बाद थानाप्रभारी दधिबल तिवारी, एडिशनल सीपी राजेश श्रीवास्तव, डीसीपी गोपालकृष्ण चौधरी व एसीपी आशुतोष कुमार के समक्ष शहर बानो व यासीन खान को पेश किया गया. आरोपियों ने इन सभी अधिकारियों को भी हत्या की कहानी बताई.

इस के बाद यासीन खान और शहर बानो को 23 जनवरी, 2022 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक विवेचना जारी थी.           द्

कुंवारे बदन का दर्द : शबनम की कहानी

जावेद ने अपनी बीवी रह चुकी शबनम को बड़े ही गौर से देखा तो हक्काबक्का रह गया. यह एक होटल था जहां सब लोग खाना खा रहे थे. तलाक के बाद तो वे दोनों एकदूसरे के लिए अजनबी थे लेकिन 5 सालों तक साथ रहने के बाद, एक ही बिस्तर पर सोने के बावजूद कैसे अजनबी रह सकते थे.

शबनम अकेले ही एक टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी और जावेद अलग टेबल पर. 5 सालों के बाद उन के चेहरों में कोई खास फर्क नहीं आया था.

शबनम को खातेखाते कुछ याद आया और वह खाना छोड़ कर जावेद के टेबल की तरफ बढ़ी. शायद उसे 5 साल पहले की कोई बात याद आई थी.

‘‘आप ने खाने से पहले इंसुलिन का इंजैक्शन लिया है कि नहीं?’’ शबनम ने जावेद से पूछा.

‘‘इंजैक्शन लिया है. लेकिन 5 साल तक तलाकशुदा जिंदगी गुजारने के बाद तुम्हें कैसे याद है?’’ जावेद ने पूछा.

‘‘जावेद, मैं एक औरत हूं.’’

‘‘तुम्हारे जाने के बाद, इतना मेरा किसी ने खयाल नहीं रखा,’’ जावेद ने कहा.

‘‘अगर ऐसी बात थी तो तुम ने मुझे तलाक क्यों दिया?’’

‘‘वह तो तुम जानती हो…

5 साल साथ रहने के बाद भी तुम मां नहीं बन पाई और बच्चा तो हर किसी को चाहिए.’’

‘‘अगर तुम बच्चा पैदा करने के लायक होते तो क्या मैं नहीं देती?’’ शबनम ने कहा और अपनी टेबल की तरफ बढ़ गई.

जब वे दोनों होटल से बाहर निकले तो फिर मेन गेट पर उन की मुलाकात हो गई.

‘‘चलो, कुछ दूर साथ चलते हैं,’’ जावेद ने कहा.

‘‘जिंदगीभर साथ चलने का वादा था लेकिन तुम ने ही मुझे तलाक दे कर घर से निकाल दिया,’’ शबनम बोली.

‘‘जो होना था, हो गया. अब यह बताओ कि तुम यहां आई कैसे?’’

‘‘जब तुम ने तलाक दिया तो मैं अपने मांबाप के पास गई. वे इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सके और 6 महीने के अंदर ही दोनों चल बसे. मैं तो उन की कब्र पर भी नहीं जा सकी क्योंकि औरतों का कब्रिस्तान में जाना सख्त मना है.

‘‘उस के बाद मैं भाई के पास रही थी. भाई तो कुछ नहीं बोलता था, लेकिन भाभी के लिए मैं बोझ बन गई थी. वह रातदिन मेरे भाई के पीछे पड़ी रहती और मुझे जलील करते हुए कहती थी कि इस की दूसरी शादी कराओ, नहीं तो किसी के साथ भाग जाएगी.

‘‘तुम नहीं जानते कि कोई मर्द तलाकशुदा औरत से शादी नहीं करता. सब को कुंआरी लड़की और कुंआरा बदन चाहिए.

‘‘भाई बहुत इधरउधर भागा, पर कहीं कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं मिला. आखिरकार उस ने एक बूढ़े आदमी से मेरी शादी करा दी. वह दिनभर बिस्तर पर पड़ा रहता और मैं उस की एक नर्स हूं. उसे समय से दवा देना, खाना खिलाना या बाथरूम ले जाना, यही मेरी ड्यूटी?थी.

‘‘मुझे यह भी मालूम है कि तुम ने दूसरी शादी कर ली और तुम को दोबारा एक कुंआरी लड़की मिल गई. लेकिन मेरी जिंदगी को तो तुम ने सीधे आग की लपटों में फेंक दिया. और मैं नामुराद दूसरी शादी के बाद भी जल रही हूं.

‘‘तुम ने मुझे तलाक दे दिया और मेरे कुंआरे बदन का सारा रस निचोड़ लिया. एक औरत की जिंदगी क्या होती?है, तुम्हें मालूम नहीं है,’’ शबनम ने अपना दर्द बताया. उस की आंखों में आंसू आ गए. वह रोतेरोते पत्थर की बनी एक कुरसी पर बैठ गई.

जावेद सबकुछ एक बुत की तरह सुनता रहा और फिर अपना वही सवाल दोहराया, ‘‘तुम इस शहर में कैसे आई?’’

‘‘मेरा बूढ़ा पति बहुत बीमार है. मैं ने उसे एक अस्पताल में भरती कराया है.’’

‘‘उस की उम्र क्या है?’’ जावेद ने पूछा.

‘‘70 साल से भी ऊपर?है,’’ शबनम ने जवाब दिया.

‘‘फिर तो उम्र का बहुत फर्क है,’’ जावेद बोला.

जब शबनम वहां से उठ कर जाने लगी तो जावेद ने आगे बढ़ कर उस का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘मुझे माफ कर दो.’’

‘‘तलाक माफी मांगने से नहीं खत्म होता है. तुम ने मुझे तलाक दे कर जैसे किसी ऊंची पहाड़ी से नीचे धकेल दिया और मैं नरक में चली गई,’’ और फिर शबनम अपना हाथ छुड़ा कर वहां से चली गई.

दूसरे दिन जावेद शाम को उसी होटल के सामने शबनम का इंतजार करता रहा. वह आई और बगैर कुछ बोले ही होटल के अंदर चली गई.

जावेद पीछेपीछे गया और उस के पास बैठ गया. दोनों ने एकदूसरे को देखा और उन के बीच रस्मी बातचीत शुरू हो गई.

‘‘तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?’’ शबनम ने पूछा.

‘‘ठीक हैं. अब वे भी काफी बूढ़ी हो चुकी हैं.’’

‘‘उन को मेरी याद तो नहीं आती होगी. मुझे 5 साल तक बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने मेरा तुम से तलाक करा दिया और तुम्हारी बहन जरीना को 7 साल से बच्चा नहीं हुआ तो कोई बात नहीं, क्योंकि जरीना उन की अपनी बेटी है, बहू नहीं.’’

‘‘चलो जो होना था हो गया. यह हम दोनों का नसीब था,’’ जावेद ने अफसोस जताते हुए कहा.

‘‘नसीब बनाया भी जाता है और बिगाड़ा भी जाता है. अगर औरतों की सोच गलत होती?है तो घर के मर्द एक लोहे की दीवार की तरह खड़े हो जाते हैं. वैसे, औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं.’’

जावेद के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था. वह होटल की छत की तरफ देखने लगा. फिर उस ने बात को बदलते हुए कहा, ‘‘क्या मेरी मम्मी से बात करोगी?’’

‘‘हां, लगाओ फोन. मैं बात कर लेती हूं.’’

जावेद ने अपनी मां को फोन लगा कर कहा, ‘‘मम्मी, शबनम आप से बात करना चाहती है.’’

‘‘तोबातोबा, तुम अपनी तलाकशुदा औरत के साथ हो. यह हमारे मजहब के खिलाफ है. मैं उस से बात नहीं करूंगी,’’ उस की मां की आवाज स्पीकर पर शबनम को भी सुनाई दी.

‘‘जावेद, तुम उन का नंबर दो. मैं अपने मोबाइल फोन से बात करूंगी.’’

जावेद ने शबनम का मोबाइल फोन ले कर खुद ही नंबर लगा दिया. घंटी बजने लगी. उधर से आवाज आई, ‘कौन?’

‘‘मैं आप की बहू शबनम बोल रही हूं. आप ने अपने लड़के से मुझे तलाक दिलवाया, वह एकतरफा तलाक था. मेरे मांबाप को इस का इतना दुख हुआ कि वे मर गए. अब मैं तुम्हारे लड़के जावेद को ऐसा तलाक दूंगी कि वह भी तुम्हारी जिंदगी से चला जाएगा.’’

उधर से टैलीफोन कट गया, लेकिन जावेद के चेहरे पर सन्नाटा छा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम मेरी मम्मी से क्या फालतू बात करने लगी थी…’’

शबनम ने जावेद की बात का कोई जवाब नहीं दिया.

अब भी वे दोनों कई दिनों तक रात का खाना खाने उस होटल में आए लेकिन अलगअलग टेबलों पर बैठ कर चले गए, क्योंकि रिश्ता तो टूट ही गया था और अब बातों में कड़वाहट भी आ गई थी.

एक दिन होटल में शबनम जल्दी आई, खाना खा कर बाहर पत्थर की बनी कुरसी पर बैठ गई और जावेद का इंतजार करने लगी. जावेद जब खाना खा कर निकला तो शबनम ने उसे आवाज दी, ‘‘आओ, कहीं दूर तक इन पहाड़ों में घूम कर आते हैं. मेरे बूढ़े पति की अस्पताल से छुट्टी हो गई है. मैं अब चली जाऊंगी. इस के बाद यहां नहीं मिलूंगी.’’

वे दोनों एकदूसरे के साथ गलबहियां करते हुए टाइगर हिल के पास चले आए जहां ऐसी ढलान थी कि अगर किसी का पैर फिसल जाए तो सीधे कई गहरे फुट नीचे नदी में जा गिरे.

शबनम ने साथ चलतेचलते जावेद से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा अपने मोबाइल फोन से फोटो लेना चाहती हूं क्योंकि अब हम नहीं मिलेंगे. तुम इस ढलान पर खड़े हो जाओ ताकि पीछे पहाड़ों का सीन फोटो में अच्छा लगे.’’

जावेद मुसकराया और फोटो खिंचवाने के लिए खड़ा हो गया. शबनम उस के पास आई, मानो वह सैल्फी लेगी. तभी उस ने जावेद को जोर से धक्का दिया और चिल्लाई, ‘‘तलाक… तलाक… तलाक…’’ जावेद ढलान से गिरा, फिर नीचे नदी में न जाने कहां गुम हो गया.

सिर कटी लाश का रहस्य – भाग 2

आसिफ मुंबई के अंधेरी इलाके में एक लौजिस्टिक कंपनी में काम करता था. 2 बैडरूम वाले फ्लैट में आसिफ के मातापिता और उस का भाई अपने परिवार के साथ रहते थे.

जावेद शेख ने बताया कि पिछले एक साल से वह सानिया से बात करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन दामाद आसिफ हर बार रौंग नंबर बता कर काट देता था. पुलिस ने जावेद से कहा कि वह अपने फोन में ससुराल वालों के अन्य नंबरों को तलाश कर उन पर फोन करें.

एक साल से नहीं हो पा रही थी बात

इत्तफाक से जावेद को फोन बुक में आसिफ की मां का मोबाइल नंबर मिल गया. उन्होंने उन्हें फोन लगाया. उस समय जावेद सानिया की सास से बात करने में कामयाब हो गए. बातचीत के दौरान आसिफ की मां ने धोखे में आ कर उन्हें ये बता दिया कि अब वे लोग नालासोपारा की प्रौपर्टी बेच कर मुंब्रा शिफ्ट हो गए हैं और मुंब्रा में मैरिज होम के पास रहते हैं.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने जावेद से मुंब्रा जा कर ससुराल वालों से मिलने की बात कही. इस पर जावेद परिचितों के साथ मुंब्रा स्थित आसिफ के घर जा पहुंचे. वहां उन्होंने सानिया और आसिफ की 4 साल की बेटी अमायरा को तो घर में देखा, लेकिन सानिया उन्हें कहीं नजर नहीं आई.

जब जावेद ने बेटी सानिया के बारे में उस के पति आसिफ से पूछा तो उस ने टका सा जवाब दे दिया. कहा, ‘‘शादी के बाद भी सानिया किसी से प्यार करती थी. उस के किसी से रिश्ते भी थे. एक साल पहले वह अपनी बेटी को छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई.

‘‘सानिया फरार होने से पहले एक पत्र लिख कर छोड़ गई थी. पत्र में लिखा था कि मैं अपनी मरजी से अपने प्रेमी के साथ जा रही हूं. मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना.’’

जावेद ने आसिफ से पूछा, ‘‘तब आप ने पुलिस में शिकायत तो की होगी?’’

इस पर आसिफ ने कहा कि बदनामी के डर से हम ने पुलिस में कोई शिकायत नहीं की और न आप लोगों को इस बारे में बताए. यहां तक कि बदनामी के डर से हमें अपना फ्लैट तक बेचने को मजबूर होना पड़ा.

उस की यह बात जावेद और अन्य के गले नहीं उतरी. उन्होंने पुलिस को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. पुलिस ने इस संबंध में सानिया की गुमशुदगी दर्ज कर नए सिरे से मामले की जांच शुरू कर दी.

फोटो से की शिनाख्त

अचोले पुलिस ने साल भर पहले वसई भुईगांव बीच से मिली सिर कटी युवती की लाश की फोटो सानिया के पति आसिफ और अन्य ससुराल वालों को दिखाई तो उन्होंने लाश को पहचानने से ही इंकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने वह फोटो बेलगाम से आए सानिया के घर वालों को दिखाए तो उन्होंने देखते ही पहचान लिया कि ये उन की बेटी की लाश है. घर वालों ने लाश के साथ मिले कपड़ों वगैरह की भी पहचान कर ली.

इस तरह पुलिस अब साल भर पहले सूटकेस में बंद मिली युवती की सिर कटी लाश की पहचान कर चुकी थी. लेकिन पुलिस को अब यह पता करना बाकी था कि आखिर सानिया की हत्या किस ने और क्यों की? क्या उस के प्रेमी ने सानिया के साथ यह हैवानियत की थी?

अब प्रश्न यह था कि क्या सानिया के प्रेमी को ससुराल वाले जानते थे? लिहाजा पुलिस ने मायके वालों की शिकायत पर सब से पहले सानिया के ससुराल वालों को ही पूछताछ के लिए बुला लिया.

ससुराल वालों ने पुलिस के सामने भी सानिया के अपने प्रेमी के साथ घर से भाग जाने की वही कहानी दोहराते हुए उस के कत्ल पर हैरानी जताई. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे सानिया के प्रेमी के बारे में कुछ नहीं जानते. जबकि मायके वालों ने किसी से सानिया के अफेयर की बात को सिरे से खारिज कर दिया.

ससुराल वालों के हावभाव देख कर व उन की बातों से सानिया के मायके वालों के अलावा पुलिस को भी लगने लगा था कि हो ना हो सानिया के कत्ल में ससुराल वालों का ही हाथ है. लेकिन पुलिस के पास कोई सबूत न होने के चलते उस ने किसी को भी गिरफ्तार करने से पहले पूरे मामले को समझ लेना ठीक समझा.

इस के लिए पुलिस ने मृतका के पति आसिफ शेख और उस की बेटी अमायरा के डीएनए सैंपल एकत्र कर लिए. जबकि सानिया की लाश का डीएनए सैंपल पहले ही लिया जा चुका था. पुलिस ने तीनों सैंपल को मैचिंग के लिए कलीना फोरैंसिक लैब भेजा. इसी लैब में सानिया का डीएनए सैंपल पिछले एक साल से सुरक्षित रखा था.

पति आसिफ, बेटी अमायरा तथा सानिया के डीएनए सैंपल का मिलान करने पर लैब ने अपनी जो रिपोर्ट दी, उस के अनुसार सिर कटी लाश किसी और की नहीं, आसिफ की पत्नी सानिया शेख की ही थी.

डीएनए से हुई लाश की शिनाख्त

इस पर बिना देर किए पुलिस ने 14 सितंबर, 2022 को सानिया की हत्या के आरोप में उस के 30 वर्षीय पति आसिफ शेख को हिरासत में ले लिया. उस से पूछताछ की गई. आसिफ वही रटीरटाई कहानी फिर से दोहराने लगा. उस ने वह लैटर भी पुलिस को दिखाया, जो सानिया जाते समय छोड़ गई थी.

मृतका के चाचा ने बताया कि जो लैटर की लिखावट है वह सानिया की नहीं है. शक यकीन में तब्दील हो गया. तब पुलिस ने अपने तरीके से आसिफ से पूछताछ की. पुलिस की सख्ती के सामने आसिफ टूट गया और उस ने सच उगल दिया. आसिफ ने अपने घर वालों के साथ सानिया की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

पता चला कि आसिफ की सानिया के साथ दूसरी शादी थी. आसिफ ने अफेयर के शक के चलते पहली बीवी को तलाक दे दिया था. पुलिस ने आसिफ के साथ ही उस के बड़े भाई यासीन, पिता हनीफ तथा बहनोई यूसुफ को भी गिरफ्तार कर लिया. सवाल यह था कि एक परिवार ने अपने ही परिवार की बहू की हत्या आखिर क्यों की?

उस सिर कटी लाश का खौफनाक राज खुला तो सब के होश उड़ गए. आरोपियों ने सानिया के कत्ल की वजह के बारे में जो बताया, उसे सुन कर मृतका के घर वालों के साथ ही पुलिस भी हैरान रह गई.

सानिया शेख अपने पति और ससुराल वालों के निशाने पर उस वक्त आ गई, जब वे लोग सानिया की बेटी अमायरा को सानिया की निस्संतान ननद को सौंपना चाहते थे. सानिया अपने कलेजे के टुकड़े को किसी भी हाल में गोद देने को तैयार नहीं थी. उस ने साफ इंकार कर दिया. बेटी के लिए मां के दिल में उमड़ी ममता थी, जो उस की मौत का सबब बनी.

21 जुलाई, 2021 को बकरीद का दिन था. सुनियोजित तरीके से आरोपियों ने सानिया के हाथपैर बांध दिए. फिर उसे पानी से भरे एक बड़े टब में डुबो दिया. कुछ देर बाद ही पानी में डूबने से सानिया की मौत हो गई. इस के बाद उन के सामने लाश को ठिकाने लगाने की समस्या थी.

एक लड़की का कमाल – भाग 2

पुलिस ने आरोपी कृष्णा सेन के बारे में जांच की तो पता चला कि वह कालाढूंगी में रह रहा है. पुलिस टीम ने कलाढूंगी में दबिश दी तो जानकारी मिली कि कृष्णा वहां से भी मकान छोड़ कर कहीं और जा चुका है और अब वह हरिद्वार के ज्वालापुर में अपनी दूसरी बीवी सरिता के साथ रह रहा है.

काठगोदाम पुलिस प्रियंका को ले कर ज्वालापुर पहुंची तो जानकारी मिली कि वह वहां पत्नी के साथ रहता तो था लेकिन कुछ देर पहले पत्नी को ले कर वहां से चला गया है.

पुलिस पड़ गई कृष्णा सेन के पीछे

कृष्णा सेन और पुलिस के बीच चूहेबिल्ली का खेल चल रहा था. कृष्णा सेन इतना शातिर था कि हर बार पुलिस को चकमा दे जाता था. उसे इस बात की तो जानकारी मिल ही गई थी कि उस की पत्नी प्रियंका ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी है. यदि वह किसी तरह प्रियंका को मना ले तो पुलिस से बचा सकता है. प्रियंका पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने के लिए वह 14 फरवरी, 2018 को कोठगोदाम की चांदमारी कालोनी में पहुंचा.

प्रियंका इसी कालोनी में रहती थी. उसी दौरान किसी मुखबिर ने कृष्णा के बारे में थाने में सूचना दे दी. खबर मिलते ही एसएसआई संजय जोशी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने कृष्णासेन को हिरासत में ले लिया.

थाने ला कर जब उस से पूछताछ की तो वह अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा. एसआई मंजू ज्वाला ने उस से कहा, ‘‘तुम सीधे नहीं बताओगे. लेकिन जब तुम पत्नी को धोखा देने, उस के साथ मारपीट करने. धमकी देने के अलावा दहेज कानून के तहत जेल जाओगे तब पता लगेगा.’’

‘‘मैडम, दहेज एक्ट तो मेरे ऊपर लग ही नहीं सकता. क्योंकि मैं खुद एक महिला हूं.’’ कृष्णा सेन ने कहा.

यह बात सुनते ही एसआई मंजू ज्वाला के साथ वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी कृष्णा सेन को गौर से देखने लगे.

‘‘मैडम मैं सही कह रही हूं, लड़का नहीं बल्कि मैं लड़की हूं.’’ उस ने फिर जोर दे कर कहा. अब पुलिस को मामला गंभीर नजर आने लगा. एसआई मंजू ज्वाला के दिमाग में एक सवाल यह भी आया कि जब यह लड़की है तो इस ने एक नहीं, बल्कि 2-2 लड़कियों से शादी क्यों की. एसआई संजय जोशी ने यह बात एसएसपी को बताई तो उन्होंने अभियुक्त को उन के सामने पेश करने को कहा.

एसएसआई संजय जोशी और एसआई मंजू ज्वाला अभियुक्त कृष्णासेन को कप्तान साहब के पास ले गए. एसएसपी ने भी आरोपी से पूछताछ की तो कृष्णा ने वही बात उन के सामने भी दोहरा दी.

कप्तान साहब को भी ताज्जुब इस बात से हो रहा था कि कृष्णा सेन ने लड़का बन कर प्रियंका के साथ शादी ही नहीं की बल्कि वह 4 सालों तक उस के साथ रही और प्रियंका को सच्चाई का पता ही नहीं चला. बहरहाल उन्होंने पुष्टि के लिए कृष्णा सेन को डाक्टरी के लिए महिला अस्पताल भेज दिया. महिला डाक्टर ने कृष्णा सेन का मैडिकल किया तो वास्तव में कृष्णा सेन एक महिला निकली. पुलिस को चकित कर देने वाला यह पहला मामला था.

लड़की होते हुए कृष्णा ने क्यों कीं 2 शादियां

कृष्णा सेन जब एक लड़की थी तो उस ने लड़का बन कर 2-2 लड़कियों के साथ शादी क्यों की. फिर वह अपना पति धर्म किस तरह से निभाती थी. इन सब बातों के बारे में पुलिस ने उस से पूछताछ की तो एक ऐसी कहानी निकल कर आई जिसे जान कर आप भी दंग रह जाएंगे.

कृष्णा सेन मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर की गंगा कालोनी की रहने वाली थी. उस के पिता चंद्रसेन की मृत्यु के बाद मां निर्मला देवी ही घर संभालती थीं. कुल मिला कर वे लोग 2 बहन और 2 भाई थे. कृष्णा तीसरे नंबर की थी. कृष्णा सेन को घर में सब प्यार से स्वीटी कहते थे. कृष्णा को बचपन से ही लड़कों की तरह रहने की आदत थी. घर वाले भी उसे लड़कों के कपड़े पहनाते थे. वह लड़कियों के बजाय लड़कों के साथ ही खेलती थी.

society

वह खुद को लड़का ही समझती थी. इतना ही नहीं उस ने अपने मांबाप से भी कह दिया था कि उसे लड़का ही समझें. घर में और बाहर भी वह बातचीत लड़कों की तरह करती थी. लड़कों की तरह ही वह छोटेछोटे बाल रखती यानी संबोधन में पुलिंग शब्द प्रयोग करती थी.

जब वह जवान हुई तो हार्मोन असंतुलन की वजह से उस के वक्षों का भी उभार नहीं हुआ. तब उस ने अपनी मां निर्मला देवी से कहा, ‘‘देख मम्मी, मैं लड़की नहीं लड़का ही हूं इसलिए शादी भी लड़की से ही करूंगा.’’ कृष्णा सेन लड़कों के कपड़े पहनती, मोटरसाइकिल भी तेज गति से चलाती थी.

कृष्णा ने फेसबुक पर कई दोस्त बना रखे थे. सन 2012 में उस की दोस्ती काठगोदाम निवासी प्रियंका से हुई. कृष्णा ने खुद को एक बिजनेसमैन का बेटा बताया. उस ने कहा कि उस के पिता चंद्रसेन की अलीगढ़ में सीएफएल बल्ब बनाने की फैक्ट्री है और वह पोस्टग्रैजुएशन कर रहा है.

अपनी लच्छेदार बातों में कृष्णा ने उसे फांस लिया. प्रियंका उसे लड़का ही समझ कर बात करती थी. दोनों ने एकदूसरे को अपने फोटो भी भेज दिए. फिर प्रियंका उसे दिलोजान से चाहने लगी.

करीब 6 महीने बाद 19 जनवरी, 2013 को प्रियंका की छोटी बहन की काठगोदाम में शादी थी. प्रियंका ने बहन की शादी में कृष्णा को भी आने का निमंत्रण दिया. अपनी शानशौकत दिखाने के लिए कृष्णा सेन किराए की कार ले कर प्रियंका की बहन की शादी में शमिल होने के लिए पहुंची.

प्रियंका ने उस की मुलाकात अपने घर वालों से कराई. प्रियंका के घर वाले भी कृष्णा को लड़का ही समझे. घर वालों को जब पता चला कि कृष्णा के पिता की सीएफएल बल्ब बनाने की फैक्ट्री है और वह खुद भी पोस्ट ग्रेजुएट है तो वह बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने उस की अच्छी आवभगत की.

कृष्णा और प्रियंका की पहले की तरह ही दोस्ती चलती रही. कृष्णा ने जब प्रियंका से शादी की बात की तो प्रियंका ने कह दिया कि इस बारे में वह खुद आ कर उस के मांबाप से मिल ले.

बनठन कर रहने से कृष्णा जमाती थी अपना प्रभाव  जनवरी 2014 में कृष्णा सेन किसी की सफारी कार ले कर काठगोदाम में प्रियंका के घर पहुंच गई. अचानक कृष्णा को देख कर घर वाले चौंक गए. कृष्णा सेन ने उन्हें बताया कि वह प्रियंका को प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है.

प्रियंका के मातापिता को अब तक कृष्णा सेन के बारे में जो जानकारी मिली थी उस से यही पता चला कि कृष्णा एक अच्छे परिवार का पढ़ालिखा लड़का है. प्रियंका के भविष्य को देखते हुए वह उन्हें सही लगा, इसलिए उन्होंने कृष्णा की शादी वाली बात मान ली. घर वालों के सहमत होने पर प्रियंका और कृष्णा बहुत खुश हुए.

उधर कृष्णा सेन ने अपने घर वालों से कह दिया कि वह काठगोदाम की रहने वाली प्रियंका से शादी करना चाहता है. प्रियंका के घर वाले इस के लिए तैयार हैं.

यह बात सही थी कि प्रियंका और उस के घर वाले नहीं जानते थे कि कृष्णा लड़की है. वह तो उसे लड़का ही समझते थे, लेकिन कृष्णा की मां निर्मला देवी अच्छी तरह जानती थीं कि कृष्णा लड़का नहीं लड़की है. इस के बावजूद उस ने कृष्णा की शादी वाली बात का विरोध नहीं किया बल्कि खुशीखुशी उस की शादी प्रियंका से कराने के लिए तैयार हो गई. इतना ही नहीं, वह इस संबंध में प्रियंका के मांबाप से मिली और बातचीत कर के सगाई का दिन भी निश्चित कर दिया.

नफरत की आग में खाक हुए रिश्ते – भाग 2

एक शाम विनीता बाजार से घर वापस आई तो घर पर कोमल नहीं थी. विनीता को समझते देर नहीं लगी कि कोमल करन से मिलने गई होगी. परेशान विनीता घर में चहलकदमी कर ही रही थी कि उस का बेटा करन खटीक आ गया. उसे जब पता चला कि बहन घर पर नहीं है तो वह उसे ढूंढने निकल गया.

ढूंढतेढूंढते वह प्राइमरी स्कूल के पीछे पहुंचा. वहां उस ने कोमल को करन गोस्वामी से बातें करते देखा. बहन को दोस्त के साथ देख उस का खून खौल उठा. उस ने लपक कर करन गोस्वामी का गिरेबान पकड़ लिया और गालियां देते हुए बोला, ‘‘मादर… तेरी मां की… तेरी ये हिम्मत कि मेरी इज्जत पर हाथ डाले.’’

करन गोस्वामी बोला, ‘‘दोस्त, मैं कोमल से प्यार करता हूं और उस से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘दोस्त है, इसलिए आखिरी चेतावनी दे कर छोड़ रहा हूं. आइंदा फिर कभी इस से मिला तो मैं तुझे जिंदा ही जमीन में गाड़ दूंगा.’’ करन खटीक ने धमकाया.

इस के बाद वह बहन कोमल को घसीटता हुआ घर ले आया और मां से बोला, ‘‘संभालोे इसे, वरना ये जान से जाएगी.’’

भाई के इस व्यवहार से कोमल का मन बागी हो उठा. उस ने तय कर लिया कि वह करन के साथ ही ब्याह करेगी. उस की वजह से घर में तनाव रहने लगा. करन खटीक को लगा कि कहीं कोमल परिवार की बदनामी का कारण न बन जाए, इसलिए वह उस की शादी करने की सोचने लगा.

कोमल को जब पता चला कि उस के लिए रिश्ता तलाशा जा रहा है तो वह बागी हो गई.

अब कोमल की जिंदगी एकदम नीरस हो गई. कोमल की शादी के बारे में करन गोस्वामी को पता चला तो वह भी परेशान हो उठा. उस ने कोमल के भाई को फोन कर के कहा कि वह दोस्ती को रिश्ते में बदलना चाहता है.

तब करन खटीक ने उसे डांटते हुए कहा कि ऐसा हरगिज नहीं हो सकता. इस बारे में वह उसे आइंदा फोन न करे, वरना अच्छा नहीं होगा.

करन गोस्वामी ने अपने घर वालों को कोमल से शादी करने के लिए राजी कर लिया था, लेकिन कोमल के घर वाले नहीं मान रहे थे. कोमल का भाई व चाचा शादी का सख्त विरोध कर रहे थे. करन ने भी तय कर लिया था कि कुछ भी हो वह कोमल को नहीं भूल सकता.

इधर कोमल ने भी अपने घर वालों से साफ कह दिया था कि वह शादी करेगी तो करन से वरना कुंवारी ही रहेगी.

कोमल की इन बातों से विनीता सहम जाती. उसे डर सताने लगा कि कोमल ने यदि जान दे दी तो वह कहीं की नहीं रहेगी. अत: उस ने बेटी का विवाह उस के प्रेमी करन गोस्वामी के साथ करने का फैसला कर लिया. इस के लिए उस ने अपने बेटे करन खटीक को भी राजी कर लिया.

इस के बाद विनीता ने कोमल को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘हम तेरी शादी अपनी बिरादरी में करना चाहते थे, पर तू इस के लिए तैयार नहीं है. तू करन गोस्वामी से शादी करना चाहती है न, हम तेरी खुशी के लिए तैयार हैं. हम ने तेरे भाई को भी राजी कर लिया है.’’

‘‘सच मां,’’ कह कर कोमल खुशी से उछल पड़ी. उस की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. उस ने घर वालों के राजी होने की जानकारी अपने प्रेमी करन को दी तो वह भी खुशी से झूम उठा. इस के बाद वह शादी की तैयारी में जुट गया.

इधर विनीता बेटी का विवाह गैरजाति के लड़के से करने को राजी तो हो गई थी, लेकिन उस के लिए यह आसान न था. कारण उस के देवर दिलीप, सनी व रविंद्र खटीक इस शादी का घोर विरोध कर रहे थे. उन्हें यह बरदाश्त ही न था कि उन की भतीजी कोमल की शादी गैरजाति के युवक से हो.

विनीता को डर था कि परिवार के लोग बेटी की शादी में बाधा पहुंचा सकते हैं, अत: उस ने कोमल की शादी उस की ननिहाल से करने का फैसला किया.

विनीता का मायका उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के अलीगंज गांव में था. उस ने अपने भाइयों को सारी बात बताई और मदद मांगी. तब उस के भाई परिस्थिति को समझ कर कोमल की शादी अपने घर से करने को राजी हो गए. शादी की तारीख 20 अप्रैल, 2022 तय हुई.

एक सप्ताह पहले ही विनीता अपनी बेटी कोमल व बेटे करन खटीक के साथ अलीगंज पहुंच गई और शादी की तैयारी में जुट गई. 20 अप्रैल को करन गोस्वामी भी अपने भाई रौकी व मां पिंकी के साथ अलीगंज पहुंच गया. यहां देर रात कोमल की शादी करन गोस्वामी के साथ हो गई.

21 अप्रैल, 2022 को कोमल, करन गोस्वामी की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. पुरोहिताना मोहल्ले में यह खबर जंगल में लगी आग की तरह फैल गई कि कोमल ने करन गोस्वामी से शादी कर ली है. इस से खटीक परिवार में गुस्सा फूट पड़ा. परिवार के लोग अपने को अपमानित महसूस करने लगे और वे करन खटीक व उस की मां विनीता को कोसने लगे.

करन खटीक भी अपने को लज्जित महसूस करने लगा था. मोहल्ले के लोग उस पर फब्तियां कसते तो वह तिलमिला उठता था. उस के चाचा सनी, दिलीप व रविंद्र भी उसे धिक्कार रहे थे और उकसा भी रहे थे. करन खटीक का अब घर से निकलना दूभर हो गया था. उस के मन में अब बहन व उस के प्रेमी पति के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी थी.

इस नफरत की आग में घी डालने का काम किया करन गोस्वामी व उस के घर वालों ने. शाम होते ही करन कोमल के साथ छत पर पहुंच जाता और वहां बैठ कर कोल्डड्रिंक पीता, खूब हंसहंस कर बातें करता और करन खटीक को देख कर हंसीठिठोली करता. करन का भाई रौकी व मां पिंकी भी उस का साथ देते.

डेढ़ सौ करोड़ की मालकिन शुभांगना की मौत की मिस्ट्री – भाग 2

शुभांगना ने भले ही घर वालों की मर्जी के खिलाफ जा कर दूसरी जाति के अपनी हैसियत से कम वाले राजकुमार से शादी कर ली थी, लेकिन पिता प्रेम सुराणा ने उस का साथ नहीं छोड़ा. वह उसे पहले की तरह ही लाड़प्यार करते रहे. शुभांगना पढ़ीलिखी थी, उसे पिता के व्यवसाय की भी अच्छी समझ थी. इसलिए राजकुमार से शादी के बाद उस ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाया.

पिता प्रेम सुराणा से जो भी हो सका, मदद की. धीरेधीरे उस ने एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस स्थापित कर लिए. वहीं, राजकुमार ने भी अन्य व्यवसाय कर लिए. दोनों ने मेहनत से पैसा कमाया. धीरेधीरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होती चली गई. इस बीच राजकुमार और शुभांगना के 2 बच्चे हुए. पहली बेटी वृद्धि, उस के बाद बेटा मिहिर.

बढ़ता व्यवसाय

पैसा आया तो राजकुमार ने अपने छोटेमोटे धंधे छोड़ कर इंपोर्टएक्सपोर्ट का काम शुरू कर दिया. अब उस की गिनती बडे़ बिजनैसमैनों में होने लगी. प्रेम सुराणा ने शुभांगना को जयपुर के गोखले मार्ग की पौश कालोनी की सी स्कीम में एक बंगला गिफ्ट कर दिया. शुभांगना और राजकुमार बच्चों के साथ उसी बंगले में रहते थे. बाद में राजकुमार और शुभांगना ने अन्य व्यवसाय के साथ जैसलमेर में एक रिसौर्ट भी शुरू किया, लेकिन फिलहाल वह घाटे में चल रहा है.

शुभांगना और राजकुमार के जसोदा देवी कालेजेज एंड इंस्टीट्यूशंस के तहत जयपुर में 4 पौलिटैक्निक, एक बीएड, एक आईटीआई, बीबीए, बीसीए एवं पीसीडीसीए कालेज चल रहे हैं. इन के अलावा उन्होंने कई बेशकीमती फ्लैट और चलअचल संपत्तियां भी खरीदीं. राजकुमार और शुभांगना की गिनती जयपुर के धनीमानी लोगों में होने लगी थी.

शुभांगना तो बचपन से ही अमीर घर में पलीबढ़ी थी, इसलिए उसे घूमनेफिरने, पार्टियों में जाने आदि के महंगे शौक थे. पैसा आया तो शुभांगना अपने शौक पूरे करने लगी. हाईप्रोफाइल जिंदगी जीने वाली शुभांगना जयपुर में पेज थ्री का जानामाना चेहरा और सोशलाइट थी. रोजाना लाखों रुपए में खेलने वाले राजकुमार को भी महंगे शौक लग गए थे. उसे महंगी कारों का शौक था.

उस के पास एक करोड़ रुपए की कीमत की जगुआर एक्सजे, 42 लाख रुपए की औडी ए4, 60 लाख रुपए की लैंड रोवर और 78 लाख की बीएमडब्ल्यू जेड 4 जैसी महंगी कारें थीं. दोनों को अकसर जयपुर में होने वाली हाईप्रोफाइल पार्टियों में देखा जाता था. राजकुमार को भी घूमनेफिरने, महंगे होटलों में एंज्वौय करने, हवाई यात्राएं करने और ऐशोआराम की जिंदगी जीना आ गया था.

राजकुमार और शुभांगना की गृहस्थी बढि़या चल रही थी. सन 2014 में दोनों गोवा घूमने गए, वहीं किसी बात को ले कर दोनों के बीच पहली बार विवाद हुआ. धीरेधीरे यह विवाद बढ़ता गया. शुभांगना ने राजकुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की. इस के बाद शुभांगना ने तलाक का मुकदमा दायर कर दिया. 8 महीने पहले शुभांगना ने पिता द्वारा गिफ्ट किए गए बंगले पर और सीतापुरा स्थित कालेज में राजकुमार के आने पर रोक लगा दी. इस के बाद वह बंगले में बेटे मिहिर और नौकरानी टीला के साथ रहने लगी.

गोखले मार्ग पर बने जिस बंगले में शुभांगना रहती थी, वह 4 मंजिला है. इस बंगले में 3 ही लोग रहते थे. कोई मेहमान आता था तो वह भूतल पर ठहरता था. पहली मंजिल पर मिहिर रहता था. दूसरी मंजिल पर शुभांगना रहती थी. नौकरानी टीला को रहने के लिए बंगले की तीसरी मंजिल पर जगह दी गई थी. बंगले के अंदर ही ऊपरनीचे आनेजाने के लिए लिफ्ट लगी थी. शुभांगना की बेटी वृद्धि मुंबई में पढ़ रही थी, जबकि बेटा मिहिर मां के साथ रहते हुए जयपुर में ही निजी स्कूल में पढ़ता था.

शुभांगना की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी प्रेम सुराणा को विश्वास नहीं हो रहा था कि बेटी इस तरह आत्महत्या कर सकती है. इसलिए उन्होंने शुभांगना के पति राजकुमार पर हत्या का आरोप लगाते हुए थाना अशोक नगर पुलिस को एक तहरीर दी, जिस में तीन स्तरों पर जांच कराने की बात कही गई थी.

एक- राजकुमार शुभांगना की हत्या कर सकता है. दो- खुद के बजाय किसी अन्य व्यक्ति से हत्या करवा सकता है. तीसरी- शुभांगना को प्रताडि़त कर आत्महत्या के लिए उकसा सकता है.

पुलिस ने प्रेम सुराणा की तहरीर पर राजकुमार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया. शुभांगना के पिता और घर के अन्य लोगों के अनुसार, शुभांगना को या तो हत्या कर के पंखे से लटकाया गया था या बेहोशी की हालत में. उन्होंने इस बारे में तर्क भी दिए.

शुभांगना की मौत पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 25 अगस्त की रात करीब साढ़े 10 बजे और 26 अगस्त की सुबह 4 बजे आधेआधे घंटे तक उस की राजकुमार से मोबाइल फोन पर बात हुई थी. जबकि दोनों के बीच बातचीत बंद थी और तलाक का मुकदमा चल रहा था. घर वालों का कहना है कि शुभांगना ने अचानक राजकुमार से बात क्यों की? आरोप है कि किसी अन्य व्यक्ति ने शुभांगना के मोबाइल से राजकुमार का नंबर लगाया. एक सवाल यह भी उठ रहा है कि शुभांगना ने पार्टी वीयर और गहने पहन कर आत्महत्या क्यों की? जबकि शाम को कालेज से घर आते ही वह सामान्य कपड़े पहन लेती थी.

शुभांगना ने सीतापुरा स्थित कालेज और बंगले पर राजकुमार के आने पर रोक लगा रखी थी. इस के बावजूद घटना से पहले एक सप्ताह में वह 2 बार कालेज गया. उस की 25 अगस्त की रात 10 बज कर 6 मिनट पर कालेज आने और 26 अगस्त की सुबह 7:02 बजे बाहर जाने की एंट्री दर्ज है. इस से पहले राजकुमार 22 अगस्त को भी कालेज गया था. सवाल उठ रहा है कि घटना की रात राजकुमार कालेज क्यों गया था?

मीडिया ने केस का रंग बदला

पुलिस ने शुभांगना की मौत को आत्महत्या का सामान्य मामला मानते हुए जांच शुरू की थी. यह हाईप्रोफाइल मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो पुलिस ने गहराई से जांच शुरू की. पुलिस ने शुभांगना का मोबाइल फोन और डायरी जब्त कर ली है. शुभांगना डायरी लिखती थी.

टीला के अनुसार, 25 अगस्त की रात खाना खा कर शुभांगना सो गई थी. 26 अगस्त की सुबह जब वह मैम साहब के लिए चाय ले कर गई तो वह पंखें से लटकी मिलीं. शुभांगना के पड़ोसियों और कालेज स्टाफ से भी पूछताछ की गई है. पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी देखी है. शुभांगना के घर के आसपास लगे कैमरों में 25 अगस्त की रात उस के घर कोई आदमी आता दिखाई नहीं दिया. शुभांगना के अपने बंगले पर 2 गार्ड भी रहते थे, पुलिस को उन से भी कोई खास जानकारी नहीं मिली.

रूपा के रूप का जादू – भाग 2

बोरी में मिली रूपा की लाश

दरअसल, 16 सितंबर, 2022 को अचानक लखनऊ में कृष्णा नगर थाने के एसएचओ आलोक कुमार राय को विजय नगर पुलिस चौकी के इंचार्ज एसआई महेश कुमार ने एक सूचना दी. उन्होंने बताया कि रामदास खेड़ा के बाग में ट्यूबवैल के गहरे गड्ढे में संदिग्ध बोरे को तैरते हुए देखा है. उस से तेज बदबू आ रही है. उस में कोई लाश होने की आशंका है.

सूचना पाते ही एसएचओ आलोक कुमार राय अपने सहयोगी एसआई सुधा सिंह, अभय कुमार वाजपेई, सिपाही योगेंद्र सिंह यादव और प्रदीप कुमार को साथ ले कर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन्होंने विजय नगर पुलिस चौकी के इंचार्ज महेश कुमार को भी बुलवा लिया.

महेश कुमार ने आलोक कुमार राय को बताया कि इस की सूचना उन्हें विजय नगर निवासी विजय शंकर यादव ने दी थी. उन्होंने ही बताया था कि उन के बाग के ट्यूबवैल के गड्ढे के पानी में कुछ किसानों ने एक बोरे को तैरते हुए देखा था. उस में से तेज दुर्गंध आ रही थी.

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने राहगीरों की मदद से उस बोरे को बाहर निकलवाया. बोरा खोला तो उस में एक युवती की लाश निकली, जो सड़ चुकी थी. स्थानीय लोगों और कुछ राहगीरों ने ही बताया कि वह गंगाखेड़ा के रामसिंह के गर्ल्स हौस्टल में रहती थी और पास के ही कालोनी से आतीजाती थी.

जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि युवती का शव काफी फूल चुका था. शव देखने से ही लग रहा था कि 2-3 दिनों का पुराना है.

पुलिस ने गर्ल्स हौस्टल का पता लगा लिया, जहां वह पढ़ाई के सिलसिले में रहती थी. वहीं मालूम हुआ कि वह पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी करती थी.

स्कूल प्रबंधन ने युवती के शव की शिनाख्त रूपा गुप्ता के रूप में की. स्कूल के हौस्टल में लिखे पते के अनुसार रूपा प्रयागराज की रहने वाली थी और वह लखनऊ के एक गर्ल्स हौस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी.

करीब 9 महीने पहले उस ने पंडितखेड़ा के निकट प्रेमचंद शुक्ला के मकान में किराए पर रहना शुरू किया था. हौस्टल के रिकौर्ड से उस के प्रयागराज स्थित घर की पूरी जानकारी मिल गई.

16 सितंबर, 2022 को ही अपराध शाखा के इंसपेक्टर राजदेव प्रजापति के साथ डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक, एसीपी अरविंद कुमार वर्मा और एडिशनल सीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने भी घटनास्थल का मुआयना किया. उस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस वारदात की सूचना कृष्णानगर पुलिस ने प्रयागराज के थाने मेजा को भी दे दी. वहां की पुलिस ने तुरंत गांव विसर्जन में रूपा के घर वालों से संपर्क किया. रूपा की मौत की खबर उस के भाई, पिता राजेंद्र प्रसाद गुप्ता और मां नंदिनी देवी को दे दी.

यह खबर सुनते ही सभी के होश उड़ गए. तब राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कृष्णानगर पुलिस से संपर्क किया. उस थाने की पुलिस ने उन्हें लखनऊ आ कर शव की पहचान करने के लिए कहा.

नंदिनी देवी ने 17 सितंबर को मोर्चरी जा कर शव की पहचान रूपा के रूप में कर ली. फिर पोस्टमार्टम के बाद शव उन्हें सौंप दिया गया. नंदिनी देवी और उन के बेटे ने रूपा की हत्या की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवा दी, जिस में हर्षित और उस के मातापिता को आरोपी बनाया गया.

पुलिस के सामने आया सच

इसी रिपोर्ट के बाद कृष्णानगर पुलिस ने 18 सितंबर को हर्षित के पिता प्रेमचंद्र शुक्ला, पत्नी माधुरी शुक्ला और उन के बेटे हर्षित शुक्ला के साथ कृष्णानगर थाने गए.

एसएचओ ने तीनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया. उन से रूपा हत्याकांड के सिलसिले में अलगअलग पूछताछ की गई. तब उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

इसी दौरान रूपा गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट के अनुसार रूपा की गला दबा कर हत्या एवं जबरन शारीरिक संबंध बनाए जाने की पुष्टि हुई. डाक्टरी रिपोर्ट और आरोपियों के बयानों के आधार पर एसएचओ आलोक कुमार राय ने भादंवि की धारा 302/ 201 के तहत आरोपियों को उसी रोज गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

आरोपियों से पूछताछ के बाद रूपा हत्याकांड के संबंध में जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज की मूल निवासी रूपा पढ़ाई में अव्वल और परिवार की लाडली थी. सो उसे पिता ने स्कूली शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए एक साल पहले लखनऊ भेज दिया था.

लखनऊ आ कर वह पढ़ाई के साथसाथ अपने खर्च के लिए छोटीमोटी नौकरी की तलाश में भी लग गई थी. संयोग से उसे लखनऊ के गंगानगर स्थित रामसिंह के गर्ल्स हौस्टल में नौकरी मिल गई थी.

गर्ल्स हौस्टल में ही उस के रहने की भी व्यवस्था थी, लेकिन उस ने पडिंतखेड़ा स्थित विजय नगर कालोनी में प्रेमचंद्र शुक्ला के मकान में एक कमरा किराए पर ले लिया था. वहां रहते हुए प्रेमचंद्र के बेटे हर्षित शुक्ला के संपर्क में आई. उन की लगातार मुलाकातें होने के चलते वे एकदूसरे से प्रेम करने लगे.

दोनों हाथों से लुटाने लगा पैसा

हर्षित रूपा के रूप पर मोहित हो गया था तो रूपा की नजर सुखीसंपन्न हर्षित पर थी. रूपा जो कुछ फरमाइश करती थी, उसे हर्षित तुरंत पूरी करता था. यह कहें कि हर्षित अपने मांबाप का पैसा दोनों हाथों से उस पर लुटाने लगा था.

हर्षित एक मनचला और रसिकमिजाज अविवाहित युवक था. उस की रूपा में बड़ी दिलचस्पी को देखते हुए प्रेमचंद्र शुक्ला ने ऐतराज जताया था और रूपा से कमरा भी खाली करने को कह दिया था. किंतु हर्षित ने अपने मांबाप को समझाबुझा कर उसे किराए पर रखने को राजी कर लिया था.

रूपा काफी सुंदर थी. बनसंवर कर रहती थी. आधुनिक रहनसहन उसे पसंद था. किसी के साथ भी छूटते ही हंसीमजाक करने लगती थी. उस की मनचली आदतों को देख कर कोई भी उस का दीवाना बन जाता था. हर्षित और रूपा एकदूसरे के प्रति काफी करीब आ गए.

हर्षित की नजर भले ही रूपा की देह और सौंदर्य पर थी, जबकि रूपा की नजर उस के मातापिता की धनदौलत पर थी. दोनों एकदूसरे की ललक और लालच से अनजान थे, लेकिन प्रेमातुर थे. एक दिन मौका पा कर दोनों ने अपने मन की बात एकदूसरे से कह दी. उन्होंने तय किया, उन्हें शादी करनी चाहिए. लेकिन समस्या थी कि दोनों अलगअलग जाति के थे.

इंसाफ की ज्योति : बेकसूर को मिली सजा – भाग 2

किस्मत के धनी ओमप्रकाश को फ्लोर मिल से भी जम कर मुनाफा हुआ. पैसा आया तो उन्हें पौलिटिक्स और पावर का भी चस्का लग गया. बिजनैसमैन तो संपर्क में थे ही, कुछ ही समय में उन्होंने नेताओं से ले कर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी उठनाबैठना शुरू कर दिया.

ऊंचे रसूखदार लोगों के संपर्क का भी उन्होंने खूब फायदा उठाया. देखते ही देखते श्यामदासानी परिवार की गिनती कानपुर शहर के अरबपति लोगों में होने लगी.

इसी अरबपति व्यवसाई ओमप्रकाश श्यामदासानी का बेटा था पीयूष श्यामदासानी. पीयूष बचपन से ही हठी था. वह जिस चीज की जिद करता, उसे हासिल कर के रहता था. पीयूष कानपुर के मशहूर ‘सर पदमपति सिंहानिया’ स्कूल में पढ़ा था.

पढ़ाई में वह भले ही कमजोर था, लेकिन उस के बचपन से शौक मंहगे थे. उसे लड़कियों से दोस्ती करना, उन्हें महंगे गिफ्ट देना तथा उन के साथ घूमनाफिरना अच्छा लगता था. बड़ी मुश्किल से पीयूष इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर पाया.

उस के बाद प्रोफैशनल डिप्लोमा कर के वह अपने परिवार के बिजनैस में हाथ बंटाने लगा. इसी दरम्यान उस ने बीयर, शराब पीना और हुक्का बारों में जाना शुरू कर दिया.

पीयूष के बंगले के पास ही एक जर्दा व्यापारी हरीश मखीजा का बंगला है. मनीषा मखीजा उन्हीं की बेटी है. यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही मनीषा की खूबसूरती में और ज्यादा निखार आ गया था. वह बहुत खूबसूरत थी. उस ने अंगरेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण की थी, इसलिए फर्राटेदार अंगरेजी बोलती थी.

बड़ी बेटी होने के नाते मातापिता उसे बहुत चाहते थे और उस की हर जिद, हर शौक पूरा करते थे. मांबाप के इसी लाड़प्यार ने उसे बिगाड़ दिया था. वह होटलों और क्लबों में जाने लगी थी. वह लेट नाइट पार्टियों से लौटती तो शैंपेन के नशे में होती थी.

एक रोज पीयूष और मनीषा की मुलाकात कानपुर क्लब में हुई. पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के दिल में उतर गए. उस रोज दोनों एक ही पार्टी में आए थे. देर रात तक दोनों पार्टी में एंजौय करते हुए हंसतेबतियाते रहे. जाते समय पीयूष बोला, ‘‘मनीषा, आई लव यू.’’

जवाब में मनीषा खिलखिला कर हंसी और उस ने भी कह दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

इस के बाद मनीषा और पीयूष का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों कभी रेस्टोरेंट में तो कभी क्लब में मिलने लगे. मनीषा पीयूष से मिलने अपनी कार से जाती थी. उस का ड्राइवर अवधेश उन दोनों के प्यार से वाकिफ था. इसलिए दोनों उसे टिप दे कर खुश रखते थे.

अवधेश कभीकभी कार से दोनों को हाईवे पर ले जाता था, जहां वह कार से निकल कर बाहर चला जाता था और मनीषा और पीयूष कार में ही रोमांस करते थे. कुछ ही समय में दोनों के बीच की सारी दूरियां मिट गईं. उन के बीच दिल और देह दोनों का नाता बन गया.

आंतरिक संबंध बने तो पीयूष चोरीछिपे मनीषा के बंगले पर भी जाने लगा. जरूरत पड़ने पर कभीकभी ड्राइवर अवधेश भी बंगले में घुसने के लिए पीयूष की मदद करता था. मनीषा तो पीयूष की दीवानी थी ही, उस के पहुंचते ही वह उस के गले का हार बन जाती थी.

कुंडली भले ही न मिली लेकिन जिस्म मिलते रहे

मनीषा और पीयूष के घर वालों को जब उन के प्यार की भनक लगी तो उन्होंने दोनों से बात की. इस पर दोनों ने घर वालों से कह दिया कि वे एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. घर वालों ने उन की बात मान ली और वो उन की शादी करने को राजी हो गए.

लेकिन जब दोनों की कुंडली मिलवाई गई तो गुण आपस में नहीं मिले. फलस्वरूप पीयूष के घर वालों ने इस शादी से इंकार कर दिया. शादी की बात न बनने के बाद भी पीयूष और मनीषा का प्यार कम नहीं हुआ. उन के बीच संबंध पहले जैसे ही बने रहे.

नवंबर 2012 के दूसरे हफ्ते में मध्य प्रदेश के जबलपुर निवासी प्लास्टिक व्यापारी शंकर लाल अपनी बेटी ज्योति का रिश्ता ले कर ओमप्रकाश श्यामदासानी के पास आए. उन्होंने पीयूष और ज्योति की शादी की बात की तो ओमप्रकाश रिश्ता करने को राजी हो गए. लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि शादी कानपुर में ही होगी.

बेटी के लिए धनाढ्य और रसूखदार परिवार मिल रहा था, इसलिए शंकर लाल राजी हो गए. श्यामदासानी परिवार ज्योति को पसंद करने जबलपुर गया. खूबसूरत ज्योति को देख कर श्यामदासानी परिवार ने उसे बहू के रूप में पसंद कर लिया. इस के बाद जोरशोर से शादी की तैयारियां शुरू हो गईं.

शंकर लाल अपनी पत्नी कंचन के साथ शादी के एक सप्ताह पहले ही कानपुर आ गए. उन्हें पूरे परिवार सहित होटल रायल क्लिफ में ठहराया गया. उन्हें किसी चीज की कमी न हो, इस का खास खयाल रखा गया. अंतत: 28 नवंबर, 2012 को धूमधाम से स्टेटस क्लब में ज्योति और पीयूष का विवाह संपन्न हो गया.

इस विवाह समारोह में पौलिटिशियंस और ब्यूरोक्रेट्स से ले कर शहर के रसूखदार लोग शामिल हुए. शादी का समारोह इतना भव्य था कि जिस ने भी इस में शिरकत की, वह दंग रह गया. समारोह में जितने भी मेहमानों की फोटोग्राफ्स खींची गई थीं, समारोह के बाद उन्हें वह फोटोग्राफ्स बतौर उपहार दी गई थीं, जिन के पीछे पीयूष और ज्योति का नाम और विवाह समारोह की तारीख लिखी थी.

ज्योति दुलहन बन कर ससुराल आई तो सभी ने उस के रूपसौंदर्य की तारीफ की. चांद जैसी बहू पा कर पूनम तो अपने भाग्य को सराह रही थी. ज्योति भी अच्छा घर व पति पा कर खुश थी. लेकिन पीयूष इस शादी से खुश नहीं था. उस के मन में उथलपुथल मची हुई थी. शादी के बाद पीयूष और ज्योति हनीमून के लिए स्विटजरलैंड गए, जहां वे 12 दिन रहे.

कुछ महीने तक पीयूष नईनवेली दुलहन ज्योति के रूपजाल में उलझा रहा. फिर धीरेधीरे वह उस से कटने लगा. दरअसल, वह शादी के बाद भी अपने पहले प्यार को नहीं भुला पाया था और उस ने फिर से मनीषा से संबंध बना लिए थे. मनीषा बेलगाम थी, उसे घूमने और पार्टियों में जाने का शौक था.

मामी का उफनता शबाब – भाग 2

बृजमोहन कुंवारा था. वह अभी भी मातापिता के साथ ही रहता था. बृजमोहन एक फैक्ट्री में काम करता था. उसी दौरान उस की मुलाकात प्रीति से हो गई.

प्रीति कौर मुरादनगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी. गऊशाला स्थित छावनी के पास ही उस के नाना सुरजीत सिंह रहते थे. प्रीति कौर समयसमय पर गऊशाला अपने नाना के घर आती रहती थी. उसी आनेजाने के दौरान वह बृजमोहन के संपर्क में आई.

प्रीति कौर बहुत ही खूबसूरत थी. एक अनौपचारिक मुलाकात के दौरान ही वह बृजमोहन के दिल में उतर गई. बृजमोहन देखने भालने में सीधासादा था.

फिर भी प्रीति की खूबसूरती पर इतना फिदा हो गया. दोनों के बीच लुकाछिपी का खेल शुरू हुआ फिर प्रेम डगर पर निकल गए.

हालांकि दोनों ही अलगअलग धर्म से ताल्लुक रखते थे, फिर भी दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित होते ही दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम भी खा ली थी. प्रीति कौर अपने नानानानी के पास ही रहने लगी.

उस के नाना सारा दिन खेतीबाड़ी में लगे रहते थे. उस की नानी ही घर पर रहती थीं. बृजमोहन के साथ आंखें लड़ाते ही वह किसी न किसी बहाने से उस से मिलने लगी थी. उसी दौरान दोनों के बीच शारीरिक सबंध स्थापित हो गए. अवैध संबंध स्थापित होते ही वह बृजमोहन के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

कुछ समय तक तो दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चोरीछिपे से चलते रहे. लेकिन जल्दी ही एक दिन ऐसा भी आया कि दोनों का प्यार जग जाहिर हो गया. जब प्रीति कौर की हरकतों की जानकारी उस के नाना सुरजीत सिंह को हुई तो उन्होंने उसे उस के मम्मीपापा के पास भेज दिया.

मांबाप के घर जाने के बाद प्रीति कौर बृजमोहन के प्यार में तड़पने लगी. उस के पिता दिलप्रीत सिंह काम से बाहर निकल जाते थे. घर पर उस की मां बग्गा कौर ही रहती थीं. पापा के घर से निकलते ही उस की मां उस की पूरी निगरानी करती थीं.

प्रीति कौर बृजमोहन के प्यार में इस कदर पागल हो चुकी थी कि वह दिनरात उसी की यादों में खोई रहती थी. जब प्रीति कौर से बृजमोहन की जुदाई बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने एक दिन अपनी मम्मी को दिन में ही लस्सी में नींद की गोली डाल कर दे दी. जिस के बाद उस की मम्मी को जल्दी ही नींद आ गई.

मम्मी को गहरी नींद में सोते देख वह घर से काशीपुर के लिए निकल पड़ी. काशीपुर आते ही वह सीधे बृजमोहन के पास आ गई. प्रीति कौर के घर छोड़ने वाली बात सुनते ही बृजमोहन के घर वालों ने उसे काफी समझाया कि वह घर चली जाए, लेकिन उस ने अपने घर वापस जाने से साफ मना कर दिया था.

अब से लगभग 8 साल पहले दोनों ने पे्रम विवाह कर लिया. प्रेम विवाह करने के बाद वह बृजमोहन के साथ ही रहने लगी. प्रीति कौर के द्वारा दी गई नशे की दवा के कारण उस की मम्मी को पता नहीं क्या रिएक्शन हुआ कि वह बीमार रहने लगी थीं. जिस के कुछ दिनों के बाद उन की मौत हो गई. अपनी मम्मी की मौत हो जाने के बाद भी प्रीति अपने घर वापस नहीं गई.

प्रीति अपने पति बृजमोहन के साथ काफी खुश थी. प्रीति कौर शुरू से ही हंसमुख थी. उसकी चंचलता उस के चेहरे से ही झलकती थी. बृजमोहन भी पढ़ीलिखी प्रीति कौर को पा कर बेहद ही खुश था.

शादी के 4 साल बाद प्रीति कौर एक बच्ची की मां बनी. घर के आगंन में बच्ची की चीखपुकार के साथ हंसीठिठोली ने बृजमोहन और प्रीति कौर की जिंदगी में नया ही उत्साह भर दिया था.

घर में बच्ची के जन्म से बृजमोहन की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. जिस के लिए उस ने पहले से ज्यादा कमाने पर ध्यान देना शुरू कर दिया. अब से लगभग डेढ़ साल पहले प्रीति कौर दूसरे बच्चे बेटे की मां बनी. घर में बेटे के जन्म से उस के परिवार में खुशियां ही खुशियां हो गई थीं.

घर में बेटे के जन्म के बाद से ही बृजमोहन बीमार रहने लगा था. उस के पैरों की अचानक ही कोई नस दब गई, जिस के कारण उसे चलनेफिरने में भी दिक्कत होने लगी थी. पैरों की दिक्कत के कारण वह काम पर भी नहीं जा पाता था. जिस के कारण उस का परिवार आर्थिक तंगी से गुजरने लगा था.

2 बच्चों के जन्म के बाद प्रीति कौर का शरीर पहले से भी ज्यादा खिल उठा था. लेकिन घर में आर्थिक तंगी के कारण वह परेशान रहने लगी थी. बृजमोहन बीमारी के चलते हर रोज काम पर नहीं जा पाता था. कभीकभार वह कोई काम करता तो वह थकहार कर रात को जल्दी ही सो जाता था. जिस के कारण प्रीति का उस के प्रति लगाव कम हो गया था.

बृजमोहन का भांजा था सौरभ, जो वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर गऊशाला, छावनी में रहता था. वह पहले से ही अपने मामामामी के पास आताजाता रहता था. उसी आनेजाने के दौरान सौरभ को एक दिन अहसास हुआ कि उस की मामी मामा को पहला जैसा प्यार नहीं देती. बातबात पर उसे झिड़क देती थी.

एक दिन मौका पाते ही सौरभ ने अपनी मामी से सवाल किया, ‘‘मामी, आजकल तुम मामा से बहुत खफा चल रही हो. मामा के साथ तुम्हारा झगड़ा हो गया क्या?’’

‘‘जब भरी जवानी में आदमी घर में बूढ़ा बन कर बैठ जाए और शाम होते ही दारू के नशे में डूब जाए तो बीवी उसे क्या प्यार करेगी. सारा दिन घर में ही पड़ेपड़े मुफ्त की रोटी खाते हैं. न तो कमानेधमाने की चिंता है और न ही बीवी की.’’ प्रीति कौर ने जबाव दिया.

‘‘नहीं मामी, ऐसी बात तो नहीं. मामा तो तुम्हें बहुत ही प्यार करते हैं. रही बात कामधंधा करने की तो जैसे ही उन की परेशानी दूर हो जाएगी वह फिर से काम करने लगेंगे.’’ सौरभ ने कहा.

‘‘औरत को रोटी के अलावा कुछ और भी तो चाहिए. रात में पैर दर्द का बहाना कर के हर रोज जल्दी सो जाते हैं. फिर मैं बच्चों को ले कर रात में तारे गिनती रहती हूं.’’ प्रीति ने बड़े ही दुखी मन से कहा.

मामी की बात सुनते ही सौरभ के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगे थे. सौरभ जवानी के दौर से गुजर रहा था. उसे अपनी मामी की बात समझते देर नहीं लगी.

‘‘अरे मामी, तुम इतनी हसीन हो, यह मायूसी तुम्हारे चेहरे पर अच्छी नहीं लगती. खुश रहा करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’ सौरभ ने खुशमिजाज लहजे में मामी के दुखते जख्म पर मरहम लगाने का काम किया.

उस वक्त प्रीति कौर घर के आंगन में नल पर कपड़े धो रही थी. प्रीति कौर का गदराया बदन था. तन से वह हर तरह से मालामाल थी.