बेरुखी : बनी उम्र भर की सजा

सालगिरह पर पति को मौत का तोहफा

जगजीवन राम रात्रे की आंखें गुस्से से लाल थीं, उस ने पत्नी की गरदन दबोचते हुए गुस्से में लाल आंखों से कहा, “देखो धन्नू, मैं तुम्हें अंतिम चेतावनी देता हूं, तुम नहीं सुधरी तो अनर्थ हो जाएगा. इतने साल हो गए तुम्हें, इतना भी नहीं पता कि मुझे क्या पसंद है और क्या नहीं.”

गला दबाए जाने से धनेश्वरी की आंखें निकली जा रही थीं और मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे. अचानक जगजीवन ने उसे छोड़ कर के पास रखी एक थाली उठा ली और उस से उस की पीठ पर दनादन पिटाई करने लगा. फिर उस ने थाली फेंक दी. इस के बाद वहीं बैठ कर लंबीलंबी सांसें लेने लगा.

तीखे नाकनक्श की धनेश्वरीबाई का 10 साल पहले 24 मई, 2013 को कोयला खान में फिटर पद पर कार्यरत जगजीवन राम रात्रे के साथ सामाजिक रीतिरिवाजों के साथ विवाह हुआ था. समय पर उस के 2 बच्चे हुए. पति के हाथों पिटने के बाद वह आंसू बहाते हुए अपने रोजाना के कामकाज में लग गई. यह धनेश्वरी की नियति बन गई थी. वह अकसर पति के गुस्से का शिकार हो जाती. घरेलू ङ्क्षहसा से धनेश्वरीबाई परेशान हो चुकी थी.

छोटी सी भी गलती पति को बरदाश्त नहीं थी, वह लाख चाहती कि यह नौबत न आए, मगर कुछ न कुछ नुक्स निकाल कर जगजीवन राम पत्नी हाथ उठा दिया करता. धनेश्वरी भीतर ही भीतर कुढ़ती रहती और सोचती कि वह इस रोजरोज की पति की पिटाई से किस तरह बच जाए.

उसे अपनी बहन भुवनेश्वरी की याद आती, उस का पति सरकारी नौकरी में नहीं है मगर कम पैसों में भी किस तरह दोनों सुखी जीवन जी रहे हैं. और एक वह है जो पति की अच्छीखासी कमाई के बावजूद जीवन से निराश होती चली जा रही है. आखिर क्या करे, जिस से पति की पिटाई से छुटकारा मिल जाए, यह बात वह अकसर सोचती थी.

पत्नी को रुई की तरह धुन देता था जगजीवन राम

आखिरकार एक दिन उस के मन में विचार आया कि रोजरोज की इस मार खाने से अच्छा तो यह है कि उस का पति ही इस दुनिया से चला जाए तो कितना अच्छा हो. यह विचार उस के मन में आते ही वह भीतर तक दुखी भी हो गई और सोचने लगी कि वह ये बात कैसे सोच सकती है. जैसा भी है, जगजीवन उस का सुहाग है उस के बच्चों का बाप है.

जगजीवन राम रात्रे ऊर्जा नगर कालोनी के क्वार्टर में पत्नी धनेश्वरी और 2 बच्चों के साथ रहता था. वह अकसर शराब पीता और तनख्वाह में मिले पैसों को दोस्तों के साथ पार्टी कर के उड़ा दिया करता. इसी वजह से उस के कई दोस्त बन गए थे, जो अकसर घर पर आया करते थे. घर पर ही पार्टी हुआ करती थी.

मार्च 2023 के एक दिन जगजीवन राम रात्रे को किसी बात पर गुस्सा आ गया और वह दोस्तों के सामने ही धनेश्वरी पर बरसते हुए उस की पिटाई करने लगी. पहले तो किसी ने कुछ नहीं कहा, मगर जब जगजीवन रात्रे हद पार करने लगा तो उस के साथ काम करने वाला रमेश सूर्यवंशी उठ खड़ा हुआ और कंधे से पकड़ जगजीवन राम को धनेश्वरी बाई रात्रे से दूर हटा कर नाराजगी जताते हुए बोला,

“यह क्या नौटंकी कर रहे हो जगजीवन, पत्नी पर हाथ उठाना, यह तो बहुत ही गलत है. देखो तुम्हारे बच्चे भी कैसे डरेसहमे खड़े हैं.”

यह देख कर जगजीवन रात्रे मानो गुस्से से उबल पड़ा और चीख कर बोला, “देखो , तुम हमारे दोस्त हो और हमारे बीच में मत आओ.”

बदमाश तुषार सोनी ने लिया धनेश्वरी का पक्ष

इसी दौरान वहां से गुजर रहा तुषार सोनी उर्फ गोपी भी आ कर कुछ लोगों के साथ तमाशा देखने लगा था. जगजीवन राम की बातें सुन कर के रमेश सूर्यवंशी ने विरोध करते हुए कहा, “अगर तुम अपनी पत्नी के साथ हमारे सामने जानवरों की तरह व्यवहार करोगे तो यह हम, कम से कम मैं तो बरदाश्त नहीं कर सकता. पतिपत्नी का मामला है मगर यह आपस में घर का मामला होना चाहिए. जब हम घर आए हुए हैं तो ऐसा व्यवहार करना, यह हमारा भी अपमान है.”

इस पर तुषार सोनी ने भी सामने आ कर रमेश का समर्थन किया और जगजीवन राम की बात का जोरदार विरोध करते हुए कहा, “पत्नी से मारपीट करना अच्छी बात नहीं है, इस से घर का माहौल खराब होता है.”

तुषार सोनी उर्फ गोपी पास के ही कृष्णानगर में रहता था और उस के आपराधिक चरित्र के कारण सभी उसे अच्छी तरह जानते थे. उस के वहां रहने से जगजीवन राम सहम सा गया था. अब जगजीवन राम रात्रे की बोलती बंद हो गई थी. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे.

जगजीवन राम को निरुत्तर देख कर के तुषार सोनी का हौसला बढ़ गया. उस ने सधे हुए शब्दों में कहा, “आप हम से बड़े हो, आप को हम क्या कहेंगे. मगर मैं आज की स्थिति देख कर कह सकता हूं कि ऐसा करना आप को शोभा नहीं देता है.”

इस घटना को बीते हुए कई दिन हो गए, एक दिन तुषार सोनी के मोबाइल पर घंटी बजी तो उस ने काल रिसीव किया तो दूसरी तरफ से महिला की आवाज आई. वह बोली, “भैया, मैं धनेश्वरी बोल रही हूं जगजीवन राम की पत्नी. मैं आप से मिलना चाहती हूं.”

“हां भाभी, आप अगर मिलना चाहती हैं तो शाम को कृष्णानगर चौक के पान ठेले पर मैं रहूंगा आ जाइएगा.” तुषार सोनी ने सम्मानपूर्वक कहा. शाम को धनेश्वरी कृष्णानगर चौक के पान ठेले पर पहुंच गई.

वहां उसे तुषार सोनी मिल गया तो वह बोली, “भैया क्या बोलूं, आप के भैया उस दिन जब आप ने उन्हें रोका था तो वह डर गए थे, लेकिन अब वह मुझ से बुरी तरह मारपीट करने लगे हैं. भैया, मैं तो किसी दिन मर जाऊंगी, इन की मार खातेखाते मैं तो अब तंग आ चुकी हूं मुझे बचा लो.” कह कर धनेश्वरी रोने लगी.

“देखो भाभी, आप चिंता मत करो. मैं हूं न, मैं जगजीवन को समझा लूंगा.”

यह सुन कर धनेश्वरी की आंखें भर आईं. वह बोली, “मैं कितना चाहती हूं कि उन्हें गुस्सा न आए, मगर छोटीछोटी बातों पर चिल्लाने लगते हैं और मारपीट शुरू कर देते हैं. यह बात मैं ने कभी अपने मायके तक में नहीं बताई है. भैया, मैं क्या करूं, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है?”

तुषार सोनी ने अधिकार जताते हुए कहा, “आप चिंता मत करो, मैं देख लूंगा.”

इस पर धनेश्वरी दुखी होते हुए बोली, “जगजीवन कभी भी नहीं समझेगा, वह ऐसा ही है. वह एक पत्थर बन चुका है, इसलिए वह कभी नहीं सुधर सकता. मैं ने कितने प्यार से उसे समझाने की कोशिश की, बच्चों की भी कसम दी मगर…”

“फिर इस का एक ही रास्ता है…” कह कर के तुषार सोनी मौन हो गया.

धनेश्वरी ने उस की और देखते हुए कहा, “और क्या रास्ता है भैया, बताओ मैं आप की हर बात मानूंगी.”

तुषार सोनी ने धीरे से कहा, “ऐसा है तो जगजीवन को तुम्हारे रास्ते से हमेशा के लिए मैं हटा दूंगा. इस के बाद तुम्हें उस की जगह कोयला खदान (एसईसीएल) की सरकारी नौकरी भी मिल जाएगी, फिर तुम मजे से अपना जीवन बिताना.”

पति को मरवाने का बना लिया प्लान

कुछ सोचविचार कर के धनेश्वरी इस के लिए तैयार हो गई. तब तुषार सोनी ने उस की ओर देखते हुए कहा, “इस के बदले में मुझे क्या मिलेगा, यह भी बता दो.”

“क्या चाहिए तुम्हें, बताओ कितने पैसे चाहिए, मैं दूंगी.”

यह सुन कर के तुषार ने कहा, “देखो भाभी, मुझे 5 लाख देने होंगे. अभी मुझे 50 हजार रुपए तुम दे दो, काम करने के बाद बाकी रुपए और दे देना. तुम्हें दुखी देख कर के मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं, मुझे रुपएपैसों का लालच नहीं है.”

इस पर धनेश्वरी कुछ सोच कर तैयार हो गई. और दूसरे दिन अपने कुछ गहने बेच कर 50 हजार रुपए तुषार सोनी के हाथ में रख दिए. मगर तुषार सोनी दूसरे ही दिन एक पुराने वारंट में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन जल्द ही वह जमानत पर जेल से बाहर आ गया.

बुधवार 23-24 मई, 2023 की रात लगभग साढ़े 12 बजे जगजीवन राम रात्रे पत्नी धनेश्वरी और बच्चों के साथ बिस्तर पर लेटा हुआ था कि दरवाजे पर दस्तक हुई. जगजीवन राम उठा और दरवाजा खोला. सामने तुषार सोनी खड़ा था. जगजीवन राम को देखते ही तुषार सोनी ने कहा, “भैया, एक बहुत जरूरी बात तुम्हें तुम्हारी पत्नी के बारे में बताना चाहता हूं.”

देर रात को इस तरह तुषार सोनी का आना और आश्चर्यचकित कर देने वाले अंदाज में पत्नी की बात छेडऩा जगजीवन राम रात्रे को चकित कर गई और वह उस की और देखता रह गया. तुषार सोनी ने कहा, “मुझे पहले पानी पिलाओ.”

कुछ विचार करता हुआ जगजीवन राम घर के भीतर चला गया. तुषार सोनी की आहट सुन कर धनेश्वरी मन ही मन खुश होते हुए पति से बोली, “इतनी रात कौन आया है?”

पत्नी की बातें सुनीअनसुनी कर के जगजीवन राम ने फ्रिज से ठंडे पानी की बोतल निकाली, फिर दरवाजा बंद कर बाहर चला गया. जैसे ही बोतल ले कर के जगजीवन राम आया, तुषार सोनी ने मौका देख कर उस पर कुल्हाड़ी से लगातार वार करने लगा और वह तब तक उसे मारता रहा, जब तक कि उस की मौत न हो गई.

इधर कमरे के भीतर धनेश्वरी बाई रात्रे पति के चीखने की आवाज सुन कर मुसकरा रही थी. दोनों ही बच्चे गहरी नींद में सोए हुए थे. पति का मर्डर हो जाने के बाद धनेश्वरी बहुत खुश हुई.

रात लगभग 3 बजे थाना दीपका के एसएचओ अविनाश सिंह के मोबाइल की ङ्क्षरगटोन बजने लगी. नींद उचाट हुई तो घड़ी की ओर देखते हुए फोन को रिसीव किया. दूसरी तरफ थाने के स्टाफ ने बताया कि ऊर्जा नगर में एक शख्स की हत्या हो गई है, लोगों की भीड़ वहां उमड़ी पड़ी है.

पुलिस जुटी जांच में

थाने में शिवकांत कुर्रे ने आ कर के घटना की जानकारी दी थी. मर्डर की खबर मिलते ही एसएचओ अविनाश सिंह तत्काल तैयार हुए और घटनास्थल पर पहुंच गए. ऊर्जा नगर में स्थित जगजीवन राम के क्वार्टर के बाहर कुछ लोगों की भीड़ लगी हुई थी, उन्होंने मुआयना किया तो देखा कि जगजीवन राम रात्रे खून से लथपथ मृत अवस्था में पड़ा हुआ था.

पास में ही बच्चों के साथ बैठी उस की हत्यारी पत्नी धनेश्वरी बाई रात्रे पति की सालगिरह पर मौत दे कर घडिय़ाली आंसू बहा रही थी. घटना के संबंध में उस ने बताया कि कुछ लोग आए थे और पति को मार कर चले गए. वह डर की वजह से कमरे के भीतर ही थी और पति के चिल्लाने की आवाज सुनी थी.

एसएचओ ने घटना की जानकारी एसपी उदय किरण को दी और तत्काल फोरैंसिक टीम, डौग स्क्वायड को बुलवा लिया गया. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर जगजीवन राम रात्रे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

दीपका कोयला अंचल अपनी शांति व्यवस्था के लिए जाना जाता है. रोजाना लाखों टन कोयला यहां से देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है. कोयला भरे सैकड़ों ट्रक यहां से विभिन्न राज्यों के लिए जाते हैं. मगर हत्या की वारदात एसएचओ के लिए एक चुनौती बन कर के सामने थी. हत्या के कारणों के विभिन्न कोणों पर उन्होंने नजर डाली और यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या जगजीवन राम की किसी से दुश्मनी थी.

धनेश्वरी ने बताया कि इस की उसे कोई भी जानकारी नहीं है. एसएचओ ने धनेश्वरी के मोबाइल को ट्रेस किया, मगर उस में कहीं कोई साक्ष्य नहीं मिला. जगजीवन राम रात्रे के दोस्तों से बात की गई. उन्होंने भी कोई ऐसा सूत्र नहीं दिया, जिस से जांच आगे बढ़ती.

पुलिस को जगजीवन राम के मोबाइल से भी कोई सूत्र नहीं मिल पा रहा था. अविनाश सिंह ने धनेश्वरी और बच्चों से पूछताछ की. बच्चे भी कुछ नहीं बता पा रहे थे. ऐसे में उन्होंने मनोवैज्ञानिक तरीके से धनेश्वरी से पूछताछ करनी शुरू की. बातचीत करने से धीरेधीरे जो बातें सामने आने लगीं, उस से उन्हें लगा कि हत्या पर से परदा उठ सकता है.

दोपहर को एक मुखबिर ने उन्हें बताया कि उस ने घटना से पहले शाम के समय तुषार सोनी को धनेश्वरी के साथ बातचीत करते देखा गया था. तुषार सोनी पुलिस के रडार पर पहले से ही था. उस का नाम हत्या के इस घटनाक्रम में सामने आते ही एसएचओ को यह एहसास होने लगा कि कहीं न कहीं हत्या में उसी का हाथ हो सकता है.

पुलिस पूछताछ में धनेश्वरी कई प्रकार के सचझूठ बताती रही. अंतत: सख्ती से पूछताछ के बाद उस ने सारा राज उगल दिया. उस ने बताया कि उस ने ही तुषार सोनी के द्वारा पति की हत्या कराई थी. पूछताछ में उस ने बताया कि करीब 10 साल पहले आज ही के दिन 24 मई, 2013 को उस का जगजीवन राम से विवाह हुआ था. मगर उस का पति उस के साथ अकसर मारपीट करता था. इस के बाद धनेश्वरी ने फूटफूट कर रोते हुए सारी कहानी बयां कर दी. उस ने बताया कि आज शादी की सालगिरह के दिन ही मैं ने पति को मौत का तोहफा दे दिया.

हत्या के बाद 6 हजार रुपए नगद रात को ही तुषार सोनी को देने की बात भी उस ने स्वीकार की. पुलिस हत्या के आरोपी तुषार सोनी को पहले ही हिरासत में ले चुकी थी. तुषार की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में उपयोग की गई कुल्हाड़ी, खून से रंगे हुए कपड़े और एक बाइक भी बरामद कर ली.

पुलिस ने शुक्रवार 26 मई, 2023 को 32 वर्षीय धनेश्वरी बाई रात्रे 21 वर्षीय तुषार सोनी उर्फ गोपी निवासी कृष्णा नगर, थाना दीपका को भादंवि धारा 302, 120 (बी), 34 के तहत गिरफ्तार कर लिया. दोनों आरोपियों को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, कटघोरा के समक्ष पेश किया गया, जहां से दोनों को ही जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों से बातचीत पर आधारित

संगीता के प्यार की झंकार

मायके में मोहब्बत : भाई बना दुश्मन – भाग 3

लाखन भी गांव में ही रहता था, इसलिए उस का अंकुर और उस के चाचा का अकसर आमनासामना हो जाया करता था. यही नहीं, वह उन्हें देख कर अपनी मूंछों पर ताव भी दिया करता था. गांव में वैसे भी पहले से उन की बहुत बदनामी हो चुकी थी. लाखन की यह हरकत उन के गुस्से में आग में घी डालने का काम करती थी. जब यह उन के बरदाश्त से बाहर हो गया, तब अंकुर ने अपने चाचा और चचेरे भाई के साथ मिल कर लाखन को जिंदा नहीं रहने देने की सौगंध खा ली.

तीनों ने लखन को रास्ते से हटाने के लिए उस की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी. उस की दिनचर्या मालूम करने के बाद वारदात के दिन 5 अप्रैल, 2023 की शाम को उन्होंने देखा कि लाखन बस स्टैंड के पास राधेश्याम राठौर के मकान के सामने ट्रैक्टर ट्रौली से गेहूं खाली कर रहा है. उस के आसपास कोई और नहीं था. तीनों ने मौका देख कर उस पर हमला कर दिया. पुलिस को इस हत्याकांड का कोई भी चश्मदीद नहीं मिला था, जबकि हत्या की साजिश पहले ही बना ली गई होगी.

लाखन की हत्या जिस जगह पर हुई थी, उस के पास में ही आरोपी प्रेम सिंह की दूध डेयरी भी थी. पुलिस को पता चला कि शायद इसी दुकान पर बैठ कर हत्या की योजना बनाई गई होगी, क्योंकि दुकान में पहले से ही पिस्टल और सब्बल रखा हुआ था. लाखन को घेर कर यहीं से हथियार निकाले गए थे.

मिटा दिया बहन का सिंदूर

उस दिन लाखन गांव के राधेश्याम राठौर के खेत पर गेहूं निकाल रहा था. वह ट्रैक्टर ट्रौली में गेहूं ले कर धानोदा गांव के बस स्टैंड के पास स्थित राधेश्याम के घर के सामने पहुंचा ही था, तब शाम के लगभग साढ़े 7 बजे थे. लाखन ने ट्रौली से गेहूं खाली करना शुरू ही किए थे कि आरोपी अचानक से आ गए थे.

अंकुर दौड़ कर डेयरी से पिस्टल ले आया था. उस ने लाखन की ओर फायर किया था. गोली उस की कमर में लगी थी और लाखन ट्रौली के पास ही सटे खंभे के पास गिर गया था. इस के बाद एक आरोपी दौड़ा और डेयरी से सब्बल निकाल ले आया. फिर तीनों उस पर टूट पड़े थे. उन्होंने सब्बल और पत्थर से उस पर जानलेवा हमला कर दिया था. इस के बाद अंकुर ने फिर से उस पर गोली दाग दी.

लाखन पूरी तरह से निढाल जमीन पर गिर गया था. सब्बल चाचा के लडक़े के हाथ में था, जिसे छुड़ा कर अंकुर ने उस पर इतनी जोर से वार किया कि सब्बल गले के आरपार हो गया. उस दिन गांव में अनेक शादियां थीं. हत्याकांड के बाद काफी दहशत फैल गई. बैंडबाजे सब कुछ बजने बंद हो गए. पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया. न कोई शादी में शामिल हुआ, न कोई दावत खाने गया. परिवार वालों ने ही जैसेतैसे रस्में निभाईं.

इस घटना से पहले लाखन के पिता बहादुर सिंह नीतू के परिवार से मिल रही धमकियों से बेहद डरे हुए थे. जिस के चलते वह घर के पास ही मंदिर में जा कर रहने लगे थे. लाखन उन का इकलौता बेटा था. उस की मौत से उन का बुरा हाल हो गया था. मां का भी रोरो कर बुरा हाल हो गया था.

हत्याकांड के बारे में लाखन की मां श्याम कुंवर ने बताया कि बेटे ने नीतू से लव मैरिज की थी, जो दोनों की पसंद की थी. फिर भी बहू नीतू के घर वाले बेटे को जान से मारने की धमकी दे रहे थे. नीतू प्रेग्नेंट थी. लाखन के जिम्मे ही मातापिता, पत्नी नीतू और बहन की जिम्मेदारी थी. लाखन की मौत के बाद 4 लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बिखर गई. नीतू के नाराज भाइयों ने ही उस के पति की हत्या की थी. वह उस का पहला और आखिरी प्यार था.

नीतू ने बताया कि घर वालों ने उस की मरजी के खिलाफ उस की शादी राजेंद्र से कर दी थी. पति की शराब की लत से रिश्ता बिगड़ गया था. इस बीच इन 5 सालों में एक बेटा और एक बेटी का जन्म भी हुआ. कोरोना काल में पिता भगवान सिंह की मौत के बाद ससुराल वालों के तेवर बदल गए. वे आए दिन किसी न किसी बात पर विवाद करते थे. पति नशे में धुत हो कर छोटीछोटी बातों पर पीटता. जब बात बरदाश्त से बाहर हो गई तो दोनों बच्चों को रावतपुरा गांव छोड़ कर मायके धानोदा आ गई थी.

लाखन की बहन ने भी नीतू के भाइयों पर हत्या का आरोप लगाया. उस ने भी बताया कि भाभी के घरवालों को यह शादी अपनी इज्जत पर दाग जैसी लग रही थी. उन्होंने इसी का बदला लिया.

माचलपुर एसएचओ जितेंद्र अजनारे के सामने मृतक लाखन की बहन सपना की तरफ से नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली. हत्या के तीनों आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अंकुर परिवर्तित नाम है.

मायके में मोहब्बत : भाई बना दुश्मन – भाग 2

नीतू ने एक नजर से सहेली को देखा, वह जैसे ही जाने लगी उस ने उस से नजर चुरा कर लाखन का गिफ्ट पैकेट ले लिया. लाखन तुरंत साइकिल का पैडल मार कर आगे बढ़ गया.

नीतू ने सहेली को पुकारा, “अरे मुझे अकेला छोड़ कर जाएगी क्या? ठहर, मैं आ रही हूं.”

इसी के साथ नीतू दौड़ती हुई सहेली के पास आ गई. वह बोली, “देख, लाखन के बारे में घर में किसी को नहीं बतइयो, वरना मेरी पढ़ाई छुड़वा देंगे!”

“मैं क्यों बताने लगी भला उस के बारे में! तू उस से संभल कर रहियो. वह आवारा है.”

दोनों चुपचाप घर की ओर चल दिए. रास्ते में उन के बीच कोई और बात नहीं हुई. नीतू ने घर आ कर रात में लाखन का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उस में घड़ी थी. वह खुश हो गई, लेकिन सोच में पड़ गई कि किसी को क्या बोल कर उसे पहनेगी? उस बारे में पिता और दूसरे लोग पूछेंगे, तब वह उस बारे उन से क्या बोलेगी? इसी उधेड़बुन में उस की आंख लग गई.

अगले रोज सुबह उस की नींद देर से खुली. फटाफट स्कूल जाने की तैयारी करने लगी. इसी अफरातफरी में लाखन के गिफ्ट का पैकेट बिछावन के नीचे गिर गया था. वह स्कूल चली गई. शाम को सहेली संग घर लौटी, तब वह घड़ी उस के पिता भगवान सिंह हाथ में थी. उन्होंने उस घड़ी के बारे में उस से पूछ लिया. वे नाराज दिखे. उन की नाराजगी को सहेली ने ही दूर किया. वह बोली कि उस ने राखी पर मिले पैसों से यह खरीदी है.

इस पर भगवान सिंह सिर्फ इतना ही बोले कि वह मन लगा कर पढ़ाई करे. इधरउधर की बातों में न पड़े, वरना परीक्षा में फेल होने पर नाम कटवा देंगे. पिता की बात सुन कर नीतू का मन थोड़ा हलका हुआ. ‘जी पापा!’ बोल कर वह घर के भीतर चली गई.

एक तरफ लाखन से उस की नजदीकियां बढ़ रही थीं. जबकि इस की खबर गांव में फैल गई. दोनों की शिकायतें भगवान सिंह के पास आने लगीं. भगवान सिंह पहले ही उस के रंगढंग देख कर बहुत कुछ समझ चुके थे. उन्होंने समझदारी से काम लिया और तुरंत उस के योग्य लडक़ा देखा और 2017 में शादी कर दी.

बिना मरजी के हो गई शादी

नीतू की शादी राजगढ़ जिले में ही राजेंद्र नामक युवक से हुई थी. शादी हो जाने के बाद लाखन उस की जिंदगी से जा चुका था. शादी के कुछ साल बाद नीतू 2 बच्चों की मां बन गई. वह एक बेटा और बेटी पा कर बेहद खुश थी, लेकिन पति के साथ उस की अच्छी नहीं बनती थी. इस कारण वह अपने बच्चों के साथ अकसर मायके आ जाती थी और फिर कुछ दिन रह कर अपने ससुराल चली जाती थी.

यह सिलसिला चल रहा था. मायके वालों को भी बिना वजह यहां आना अच्छा नहीं लगता था. इस पर पड़ोसी भी तरहतरह की बातें करते थे. इस दौरान नीतू की पूर्व प्रेमी लाखन से भी मुलाकातें हो जाती थीं. लाखन अब एक सुलझा हुआ जिम्मेदार व्यक्ति बन गया था.

एक बार तो हद ही हो गई. नीतू ने बच्चों को ले कर मायके आते ही सब को अपना फैसला सुना दिया कि वह अब अपनी ससुराल कभी नहीं जाएगी. मायके में बच्चों का अपने दम पर पालनपोषण करेगी. पिता की खेतीबाड़ी में हाथ बंटाएगी.

उस ने बताया कि पति उसे प्रताडि़त करता है. उसे मारतापीटता रहता है. नीतू को मायके में पनाह मिल गई. लेकिन वे नीतू के पति के साथ बिगड़े संबंध सुधारने की कोशिश करने लगे. इसी बीच नीतू का लाखन से मिलनाजुलना ज्यादा बढ़ गया. उसे गांव में एकमात्र लाखन ही अपना हमदर्द लगा. उस से अपने दिल का हाल सुनातेसुनाते आगे की जिंदगी उस के जिम्मे सौंपने का फैसला ले लिया.

लाखन ने भी इस पर बहुत जल्द निर्णय ले लिया. दोनों की नजदीकियां बढऩे और साथ रहने की खबर एकदूसरे के कानों से होते हुए पूरे गांव में फैल गई. जिस ने भी सुना, वही दांतों तले अंगुली दबा कर रह गया और थूथू करने लगा. सभी ने इसे समाज परिवार के लिए गलत बताया.

गांव वाले इस के लिए नीतू के परिवार वालों को ही दोषी ठहरा रहे थे. उसी दौरान नीतू के पिता भगवान सिंह की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन घर में मर्द के रूप में भाई का निर्णय ही चलता था. चाचा का भरापूरा परिवार भी था. सभी को नीतू की हरकतें बुरी लगीं.

नीतू और लाखन ने भी अपनेअपने घर वालों से दूर खेत में ही अपनी दुनिया बसा ली. वे गांव से 3 किलोमीटर दूर खेत में छोटा सा टपरीनुमा घर बना कर रहने लगे. जबकि लाखन के पिता बहादुर सिंह और मां श्याम कुंवर परिवार के सदस्यों के साथ गांव में ही रह रहे थे. गांववालों ने लखन को नीतू से दूरी बना कर रहने के बारे में भी समझाया था. नीतू के भाई अंकुर ने तो उन्हें धमकी तक दे डाली थी कि लाखन ने नीतू से दूरी नहीं बनाई तो बापबेटे को मौत के घाट उतार देंगे.

नीतू की वजह से हुई घर वालों की बदनामी

जुलाई, 2022 में नीतू अचानक घर से लापता हो गई थी. परिवार के लोगों ने उस की खोजखबर लेने के लिए लाखन से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह भी अपने घर से गायब मिला. इस बाबत माचलपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई.

कुछ समय बाद माचलपुर पुलिस दोनों को राजस्थान के झालावाड़ से खोज कर गांव ले आई. उस के बाद ही नीतू और लाखन के परिजनों समेत ग्रामीणों को मालूम हुआ कि उन्होंने 8 जुलाई, 2022 को शादी कर ली थी और नीतू लाखन के साथ रहने चली गई थी.

इसे ग्रामीणों और परिजनों ने बिरादरी में चली आ रही परंपरा के खिलाफ समझा. बिरादरी की यह बात अंकुर के दिल में चुभ गई कि उस की बहन ने उसे समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा था. रातदिन उस की यह हरकत दिमाग में घूमने लगी. वह इस बदनामी को भुला नहीं पा रहा था. चाचा और चचेरे भाई को भी यह सब चैन से जीने नहीं दे रहा था.

मायके में मोहब्बत : भाई बना दुश्मन – भाग 1

राजगढ़ जिले के माचलपुर थाने के अंतर्गत एक गांव है धानोदा. राजपूत बाहुल्य वाले इस गांव में 5 अप्रैल, 2023 को एक ऐसी घटना घटी कि पूरे गांव में सनसनी फैल गई. यहीं के रहने वाले 28 वर्षीय युवक लाखन राजपूत की किसी ने रात में हत्या कर दी थी. वह गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर खेत में ही एक टपरी बना कर रहता था. उस के साथ में पत्नी नीतू भी रहती थी, जिस का मायका इसी गांव में था.

गांव में शादी का माहौल था. उस दिन इस गांव में 4-4 शादियां थीं. अचानक खुशी के माहौल में रात को हत्या की सूचना पुलिस के लिए भी परेशान करने वाली थी. हत्या की सूचना पा कर थाने के टीआई जितेंद्र आजनारे तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना एसडीपीओ आनंद राय, एडीशनल एसपी मनकामना प्रसाद और राजगढ़ एसपी वीरेंद्र कुमार सिंह को भी दे दी.

घटनास्थल पर की गई छानबीन में पुलिस ने पाया कि युवक की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस पर किए गए वार से स्पष्ट था कि हमलावर ने उस के ऊपर काफी तेजी से हमले किए थे. शरीर पर गोलियों के 2 निशान थे. इस के अलावा उस पर सब्बल से ऐसा वार किया गया था कि वह गले के आरपार हो गया था.

पूछताछ करने पर घटनास्थल पर मौजूद नीतू नाम की युवती ने बताया कि मृतक उसका पति है. उस ने हत्या का आरोप सीधेसीधे अपने चाचा, चचेरे भाई और सगे भाई पर लगा दिया. उस ने घटना का जिक्र करते हुए पुलिस को बताया कि उन्होंने बड़ी बेदर्दी से उस के पति की हत्या कर दी. उन का वश चलता तो वे उसे भी जान से मार डालते. उस वक्त उन की आंखों में खून सवार था. वह डर कर भाग गई थी, इस से वह बच गई.

नीतू ने ही सभी हमलावरों के नाम पुलिस को बता दिए थे. इस के अलावा मृतक के मातापिता ने भी बताया था कि उन्हें वे काफी समय से धमकी दे रहे थे. उन के बयानों से मालूम हुआ कि यह हत्याकांड एक औनर किलिंग है. हत्यारों ने जानबूझ कर लाखन राजपूत की हत्या की है, जिस ने करीब 8 महीने पहले ही गांव की नीतू से प्रेम विवाह किया था.

मामला निकला औनर किलिंग का

यानी कि लव मैरिज करने के कारण लाखन को जान गंवानी पड़ी. उस के 17 साल के नाबालिग साले अंकुर ने ही चाचा प्रेम सिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र के साथ मिल कर हत्या कर दी थी. बहन के लव मैरिज करने से अंकुर के सिर पर इस कदर खून सवार था कि उस ने जीजा को बेरहमी से मौत की नींद सुला दिया. तीनों आरोपियों को पुलिस ने 2 दिनों बाद ही गिरफ्त में ले लिया था.

पुलिस के हत्थे पहले चाचा प्रेमसिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र चढ़े थे, फिर अगले रोज नाबालिग भाई अंकुर भी खेत पर बनी टपरी से गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों के पास से वारदात के समय पहने गए कपड़े, हत्या में प्रयोग की गई पिस्टल, एक जिंदा कारतूस और गले में जो सब्बल फांसा था, बरामद कर लिया गया.

प्रारंभिक जांचपड़ताल में पता चला कि वारदात के लिए इस्तेमाल किया गया पिस्टल अवैध था. उसे उन्होंने आगर-मालवा जिले के किसी व्यक्ति से खरीदा था. हत्याकांड का मास्टरमाइंड अंकुर ही था. तीनों से इस मामले की गहन पूछताछ की गई. पता चला कि उन्होंने नीतू के छोटे भाई अंकुर के कहने पर उस का साथ दिया था. वैसे वे भी शादीशुदा नीतू के प्रेम विवाह करने से खुश नहीं थे. इस के चलते गांव और आसपास के इलाके में उन की बहुत बेइज्जती हो रही थी.

अंकुर ने पुलिस को हत्या के पीछे की जो चौंकाने वाली वजह बताई, वह इस प्रकार है—

करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले धानोदा गांव का रहने वाला भगवान सिंह एक साधारण किसान था. उस के 3 बच्चों में बड़ी बेटी नीतू, उस के बाद एक और बेटी, उस के बाद छोटा बेटा अंकुर है. नीतू जब हाईस्कूल में थी, तब उस की जानपहचान गांव के ही लाखन राजपूत से हो गई थी. वह नीतू से उम्र में बड़ा था. गांव में मटरगश्ती किया करता था. हर किसी से मजाक कर लेता था. स्कूल जाते वक्त वह लड़कियों को छेड़ देता था. उन में से एक नीतू भी थी.

एक ही गांव के होने की वजह से दूसरी लड़कियों की तरह ही उस की मजाकिया बातों को दिल पर नहीं लेती थी. उस के छेडऩे पर बुरा नहीं मानती थी. इस दौरान लाखन अकसर उस की तारीफ करता था. उसे बाकी लड़कियों से अधिक खूबसूरत बताता था. प्रेम की बातें करता था. एक दिन उस ने मजाक में बोल दिया कि उसे उस से मोहब्बत हो गई है, वह उस से शादी करना चाहता है.

यह सुन कर नीतू उस वक्त थोड़ी नाराज हो गई थी, लेकिन लाखन द्वारा कही गई वे बातें उस के दिमाग में घूमने लगी थीं. उस के बाद स्कूल में 3 दिनों की छुट्टियां हो गई थीं. चौथे दिन जब वह स्कूल गई, तब उस की निगाहें लाखन को ढूंढने लगीं, लेकिन वह न तो स्कूल जाते समय नजर आया और न ही स्कूल से लौटते वक्त ही मिला. अगले दिन भी ऐसा ही हुआ. लाखन को ले कर उस के दिल की धडक़नें तेज हो गई थीं.

स्कूल से लौटते समय उस ने अपनी सहेली से लाखन के बारे पूछ लिया. सहेली भी कुछ कम मजाकिया नहीं थी. वह भी तपाक से बोल पड़ी, “बड़ा उस बदमाश की खोजखबर ले रही हो, उस पर दिल आ गया है क्या?”

यह सुनते ही नीतू शरमा गई और उसे चिकोटी काटती हुई बोली, “अरे तू भी उसी तरह मजाक करती है.”

“देख उधर, नाम लेते ही आ गया… हमारी तरफ ही आ रहा है. जा, जा कर पूछ ले उसी से कि कहां था?”

तब तक लाखन उन के करीब आ चुका था. वह साइकिल पर था. एक पैर जमीन पर टिका कर उन के पास साइकिल रोक दी और झट से बोल पड़ा, “क्या बात है तुम लोग मेरे बारे में ही बातें कर रही थी न?”

“मैं क्यों करूंगी? यही कर रही थी.” नीतू की तरफ हाथ से इशारा कर उस की सहेली बोलती हुई और आगे बढऩे लगी. जबकि नीतू वहीं ठिठकी रही. लाखन ने तुरंत अपनी जेब से एक पैकेट निकला और नीतू की ओर बढ़ा दिया.

“क्या है?” नीतू बोली.

“तुम्हारे लिए राजगढ़ से लाया हूं. गिफ्ट है. बहुत दिनों से तुम्हें कुछ देने की सोच रहा था. इसे घर जा कर खोलना. कैसा लगा, कल जरूर बताना.”

“ले ले, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी,” थोड़ी दूर जाती हुई नीतू की सहेली बोली.

नई नवेली दीपा ने सौतेले बेटे संग रची साजिश

सुहाग की कातिल : देवर के प्यार में किया पति का क़त्ल – भाग 4

नौकरी लग जाने के बाद बृजेश नोएडा में ही रहने लगा. रेनू बच्चों के साथ गांव में ही रही. रेनू पर नजर रखने के लिए उस ने भाई राजेश व पिता बेचेलाल को बोल दिया था. लेकिन चचेरे देवर की दीवानी रेनू किसी न किसी बहाने देह मिलन कर ही लेती थी. कभीकभी वह फोन कर के भी मोहित को घर बुला लेती थी.

बृजेश कभी 15 दिन में तो कभी माह के अंत में आता था. रेनू दिखावे के तौर पर उस से प्यार का नाटक करती थी. लेकिन जब अड़ोसपड़ोस के लोग उस के कान भर देते थे तो वह मोहित को ले कर उस से झगड़ा व मारपीट करता था. हालांकि अब मोहित ने बृजेश से दोस्ती कर ली थी और उस के साथ शराब पार्टी करने लगा था. चूंकि भाई व पिता ने मोहित को ले कर कभी शिकायत नहीं की थी, सो वह समझने लगा था कि दोनों सुधर गए हैं.

आहत रेनू हो गई घायल नागिन

26 जनवरी, 2023 को बृजेश के परिवार में शादी समारोह था. इस समारोह में शामिल होने बृजेश शाम 4 बजे घर आ गया. उस के बाद वह शादी में जाने की तैयारी में जुट गया. रात 8 बजे किसी बात को ले कर रेनू और बृजेश के बीच तकरार होने लगी. बातोंबातों में तकरार इतनी बढ़ गई कि बृजेश ने रेनू को रूई की तरह धुन दिया. मारपीट से बच्चे सहम गए और रोतेसिसकते राजेश के घर पहुंच गए. राजेश की पत्नी तारा ने किसी तरह बच्चों को चुप कराया.

इधर बृजेश की मारपीट ने आग में घी डालने का काम किया. आहत रेनू ने बृजेश के जाते ही अपने प्रेमी मोहित को फोन किया और उसे तुरंत घर आने को कहा. थोड़ी देर बाद मोहित घर आया तो रेनू उस से लिपट गई और बोली, “मोहित, मैं बृजेश से आजिज आ गई हूं. वह बातबेबात मुझे पीटता है. अभी कुछ देर पहले ही वह मेरी देह को सुजा कर घर से निकला है. मैं उस से निजात चाहती हूं. ताकि मैं बाकी की जिंदगी तुम्हारे साथ गुजार सकूं.”

“ठीक है भाभी, मैं तुम्हें पाने के लिए यह पाप करने के लिए तैयार हूं. लेकिन..?”

“लेकिन क्या मोहित?” रेनू ने आंखें नचा कर पूछा.

“यही कि तुम्हें मेरा साथ देना होगा.” मोहित ने स्पष्ट शब्दों में कहा.

“मैं तनमनधन से तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.”

इस के बाद मोहित और रेनू ने कान से कान जोड़ कर बृजेश की हत्या की योजना तैयार की.

योजना के तहत मोहित अपने घर आया और शराब की बोतल ले कर शादी समारोह में पहुंच गया. यहां बृजेश पहले से मौजूद था. मोहित ने उस के पैर छुए और बात करने की कोशिश की. तब बृजेश बोला कि उस का मूड ठीक नहीं है. वह रेनू से झगड़ा कर के आया है.

“बृजेश भैया, मैं तुम्हारा मूड ठीक करने ही आया हूं.” इतना कह कर मोहित ने शराब की बोतल निकाली और बोला, “भैया, यह लाल परी अंदर जाएगी तो मूड अपने आप ठीक हो जाएगा. वैसे भी आज शादी है. खुशी का माहौल है. पार्टी तो बनती ही है.”

मिटा दिया खुद का सिंदूर

चूंकि बृजेश शराब का शौकीन था, अत: वह शराब पीने को राजी हो गया. इस के बाद मोहित ने बृजेश को शराब पिलाई. शराब पीने के बाद बृजेश घर की ओर चला तो मोहित उसे बातों में उलझा कर गांव के बाहर नाले पर बनी पुलिया पर ले आया. यहां मोहित ने फिर से बृजेश को खूब शराब पिलाई. अब तक रात का 12 बज चुके थे. चारों तरफ घुप अंधेरा था.

बृजेश जब नशे में धुत हो गया तो मोहित ने रेनू को फोन कर पुलिया पर बुलाया. रेनू ने आते ही पति पर घृणा भरी नजर डाली फिर पास पड़ी ईंट उठा कर पीछे से पति के सिर पर भरपूर वार किया. बृजेश लडख़ड़ा कर वहीं गिर गया. इस के बाद दोनों ने ताबड़तोड़ वार कर उस का सिर कूंच दिया. बृजेश जिंदा न बचे, इसलिए उसे नाले में फेंक दिया. लेकिन बाद में पकड़े जाने के डर से उन दोनों ने बृजेश के शव को नाले से निकाल कर सरसों के खेत में छिपा दिया. इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह रेनू जेठ राजेश के घर पहुंची और उस ने बताया बृजेश बीती रात शादी में गए थे, तब से घर वापस नहीं आए. पता नहीं कहां चले गए. यह सुनते ही राजेश घबरा गया. उस ने पिता बेचेलाल और पड़ोस के कुछ लोगों को साथ लिया और भाई की खोज में जुट गया. चचेरा भाई मोहित भी उस के साथ हो लिया. वह भी राजेश के साथ खोज में जुटा रहा. लेकिन बृजेश का कुछ पता नहीं चला. उस का मोबाइल भी बंद था.

शाम 5 बजे तक जब बृजेश का कुछ पता नहीं चला तो राजेश थाना बिछुआ जा पहुंचा और भाई बृजेश की गुमशुदगी दर्ज करा दी. गुमशुदगी दर्ज होने की जानकारी मोहित को हुई तो वह घर से फरार हो गया. लेकिन वह रेनू के संपर्क में रहा.

28 जनवरी, 2023 की सुबह गांव का अनुज पाल अपने सरसों के खेत पर गया तो वहां उस ने एक लाश देखी. उस ने गांव वालों को सूचना दी. उस के बाद राजेश ने लाश की पहचान अपने भाई बृजेश के रूप में की. सूचना पा कर एसएचओ अमित सिंह भी आ गए. उन्होंने शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो अवैध रिश्तों में हुई हत्या का परदाफाश हुआ.

29 जनवरी, 2023 को पुलिस ने पति की हत्यारिन रेनू पाल और उस के प्रेमी मोहित को मैनपुरी की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. पिता की मौत और मां के जेल जाने के बाद आदित्य और अंशिका दहशतजदा हैं. दोनों ताऊ के घर पर हैं.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कामुक पति की पांचवीं पत्नी का खेल

मध्य प्रदेश के जिला सिंगरौली के गांव बदरघटा के रहने वाले वीरेंद्र गुर्जर की पांचवीं पत्नी कंचन गुर्जर किचन में थी. रात का खाना बना रही थी. सब्जी गैस के एक चूल्हे पर चढ़ी हुई थी. वह खड़े हो कर चूल्हे के पास में ही आटा गूंथ रही थी. थकी हुई महसूस कर रही थी. हलकाहलका पेट में दर्द भी हो रहा था. आटा गूंथते हुए बीचबीच में बाएं हाथ से पेट पकड़ लेती थी.

दूसरी तरफ घर के एक कमरे में उस का पति वीरेंद्र गुर्जर शराब के पैग बना चुका था. उस ने कंचन से उबले अंडे को फ्राई करने की फरमाइश की थी. बाजार से खरीद कर लाए आधा दरजन उबले अंडे पौलीथिन में रखे थे. रोटी पकाने से पहले उन्हें फ्राई भी करना था. हालांकि भूखे बच्चे सब्जी पकने का इंतजार कर रहे थे, कंचन की भी कोशिश थी कि सब्जी जल्द पक जाए और वह अंडे फ्राई करने से पहले कुछ रोटियां सेंक ले.

बच्चों में घुलमिल गई कंचन

वह नहीं चाहती थी बच्चे उसे सौतेली मां की नजर से देखें. वह कुछ माह पहले ही उस घर में ब्याह कर आई थी. बच्चे वीरेंद्र की पहली पत्नियों के थे, जो छोड़ कर अपने प्रेमियों के साथ भाग गई थीं. 4 पत्नियों से उस के 4 बच्चे हुए थे. यह बात उस के 45 वर्षीय पति वीरेंद्र ने ही शादी से पहले बताई थी. तब उस ने बताया था कि उस ने बच्चों की खातिर ही उस के साथ शादी की है. बच्चों की अच्छी देखभाल करना उस का खयाल रखने से अधिक जरूरी है.

आटा गूंथते हुए कई बातें दिमाग में उभर रही थीं. बच्चे, पति, ससुराल, परिवार, सुखी संसार. सच तो यह था वह सब कुछ भी उसे नहीं मिल पाया था. फिर भी एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह उम्र में 15 साल बड़े पति की सेवा में वह कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती थी.

सर्दी का समय था. रात के 9 बजने वाले थे. वह अस्वस्थ महसूस कर रही थी, शरीर गर्म तो नहीं था, लेकिन बुखार जैसा लग रहा था. हालांकि इस स्थिति से वह पहले भी गुजर चुकी थी. जो उसे अमूमन हर माह 2-3 दिनों में अपनेआप ठीक हो जाती थी. कई विचारों में खोई कंचन का ध्यान अचानक चूल्हे पर चढ़े प्रेशर कुकर की सीटी से टूट गया.

इधर कुकर ने सब्जी पक जाने के लिए लंबी सीटी बजा दी, उधर कमरे से वीरेंद्र की आवाज आई थी, “अरे कंचन, अभी तक अंडे फ्राई नहीं हुए क्या, कब से इंतजार कर रहा हूं. और हां, उन्हें अच्छी तरह फ्राई करना. चटखदार तीखा बनाना… प्याज अलग से भून लेना.”

“हूं, लगता है मेरे 4 हाथ हैं,” कंचन भुनभुनाती हुई प्रेशर कुकर को चूल्हे से उतारते हुए बुदबुदाई और उस पर तवा रख दिया.

उस के कानों में फिर तीखी आवाज गूंजी, “जरा तेजी से हाथ चला ले, बच्चे भी भूखे होंगे. उन के लिए भी कुछ अंडे बगैर मिर्च के निकाल लेना.”

कंचन ने वीरेंद्र की बातें अनसुनी कर चकला और बेलन निकाल लिया. रोटी बनाने के लिए लोई बनाने लगी थी. उसी वक्त 10 साल की बेटी कंचन के पास आ गई. वह बोली, “मम्मी, थाली निकाल लूं?”

“हां निकाल ले. कुकर भी खोल ले, भाई के लिए भी सब्जी निकाल लेना. दोनों साथ में खा लेना.”

“जी, दीदीजी.” लडक़ी बोली.

“फिर दीदी! कितनी बार कहा है मम्मी बोलो.”

“अब क्या करूं, तुम दीदी की तरह लगती हो. जुबान से दीदी ही निकल आती है. वैसे भी पापा ने तुम्हारे आने से पहले कहा था कि कोई दीदी आने वाली है. तभी से…” लडक़ी सफाई देने लगी.

“चल…चल, ठीक है, यह ले एक रोटी.” तवे से सीधे थाली में रोटी पलटती हुई कंचन बोली.

“और कितनी देर लगेगी अंडे फ्राई होने में… अभी तक मसाले की गंध भी नहीं आई है?” वीरेंद्र फिर तेज आवाज में बोला. कंचन कुछ बोले बगैर सिर्फ लडक़ी को देखने लगी. लडक़ी ने भी कंचन को देखा. दोनों की नजरें मिल गईं. उन के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वीरेंद्र की बातें उन्हें अच्छी नहीं लगीं.

“एक रोटी और ले लो…” कुछ पल ठहर कर कंचन बोली और लडक़ी भी “जी मम्मी,” बोल कर दोनों हाथों से थाली उठा कर किचन से बाहर चली गई. उस के जाते ही वीरेंद्र किचन में आ घुसा. पीछे से कंचन को पकड़ लिया. अचानक दोनों हाथों से पकड़ में आने पर वह लडख़ड़ा गई. बेली हुई रोटी तवे पर डालने वाली थी. वह चूल्हे पर जा गिरी. कुछ नहीं बोली. सिर्फ उस का हाथ हटाने की कोशिश करने लगी.

“आज का मूड बना हुआ है, जल्दी अंडे लाओ, साथ में 2 पैग तुम भी लगा लेना.” वीरेंद्र रोमांटिक अंदाज में बोला.

“क्या करते हो, बेटी अभीअभी यहीं से गई. रोटियां लेने के लिए आने वाली होगी.” कंचन बोली.

“आ जाने दो न, क्या फर्क पड़ता है. इसे मसलने का मन हो रहा है…” बोलने के साथ ही वीरेंद्र ने कंचन के ब्लाउज में हाथ डाल दिया था.

“अभी जाओ यहां से,” कंचन के बोलते ही बेटी की आवाज आई, “मम्मी, रोटी लेने आ जाऊं?”

“आ जाओ,” कंचन तुरंत बोली. वीरेंद्र भी अपने कमरे में चला गया.

कामुक दरिंदा था वीरेंद्र गुर्जर

रात के 11 बज चुके थे. रसोई का सारा काम निपटा कर कंचन बैडरूम में आई थी. कमरे में वीरेंद्र नशे में धुत पड़ा हुआ था. शराब की बोतल बैड के नीचे लुढक़ी हुई थी, उस ने आधी बोतल खत्म कर ली थी. फ्राई अंडे प्लेट में बचे हुए थे. रोटी और सब्जी तो जस की तस पड़ी थी. कमरे में खानेपीने के बिखरे सामान को समेटती हुई कंचन सिर्फ अपना मुंह ही बना रही थी. उस के चेहरे से परेशानी साफ झलक रही थी, जिसे देखनेसमझने वाला उस वक्त कोई नहीं था. बच्चे भी दूसरे कमरे में सो गए थे.

बरतन समेटते हुए स्टील का ग्लास फर्श पर गिर पड़ा. झन्नऽऽ की तेज आवाज हुई. आवाज सुन कर वीरेंद्र की अचानक आंखें खुल गईं. एक नजर से कंचन को देखा और दूसरी नजर से दरवाजे को. वह उठा और पाजामे के नाड़े को ढीला करता हुआ सीधा बाथरूम की ओर चला गया.

उस के बाथरूम से वापस आने तक कंचन बिछावन की चादर ठीक कर चुकी थी. कमरे से जूठे बरतन आदि किचन में रख आई थी. बैड का तकिया और कंबल सहेजने लगी थी. अपने लिए अलग कंबल निकाल लिया था. तब तक वीरेंद्र भी बाथरूम से आ चुका था. कंचन ने पीछे मुड़ कर देखा, वह बगैर पाजामे के अंडरवियर में खड़ा दरवाजे की कुंडी लगा रहा था.

“मत बंद करो, मुझे भी बाथरूम जाना है,” कंचन बोली और बाथरूम चली गई. वीरेंद्र दोनों टांगें फैला कर बैड पर पसर गया. कंचन आ कर मुसकराती हुई बोली, “सर्दी में भी गरमी लग रही है, दारू की गरमी है.”

“अरे नहीं मेरी जान, तुम्हारा सैक्सी शरीर देख कर ही तो गरमी आ जाती है. जब सैक्स करूंगा, तब न जाने क्या होगा?”

“नहीं, आज वह सब कुछ नहीं होगा. 3 दिन तक तो एकदम नहीं,” कंचन बोली.

“क्यों नहीं होगा, मैं तो करूंगा. मैं तो सैक्स के बगैर एक दिन भी नहीं रह सकता ” वीरेंद्र बोला.

“मैं ने कह दिया कि आज नहीं तो नहीं. वैसे भी मुझे भीतर से बुखार जैसा लग रहा है. थोड़ी देर पहले तक पेट में हलकाहलका दर्द भी महसूस हो रहा था,” कंचना बोली.

“अभी तो ठीक है न, मेरे मूड को खराब मत कर…” वीरेंद्र बोला और बैड से उठ कर कंचन को अपनी ओर खींचने लगा. कंचन खुद को नहीं संभाल पाई. वीरेंद्र ने उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. चूमने लगा. कपड़े खोलने लगा. कंचन उस की बाहों की गिरफ्त से निकलने की कोशिश करती रही. बोलती रही, “आज नहीं, माहवारी का पहला दिन है…”

जबरदस्ती बनाए अप्राकृतिक संबंध

वीरेंद्र ने उस की एक नहीं सुनी और अपनी जिद पर अड़ा रहा. उस रात उस ने जबरन कंचन के साथ अप्राकृतिक सैक्स संबंध बनाए. कंचन को उल्टियां भी हो गईं. देह चूरचूर हो गई. शराब की गंध नथुने में भर गई. जीभ पर शराब का तीखापन भरा हुआ था.

अप्राकृतिक सैक्स संबंध  से काफी पीड़ा हो रही थी. उस की आंखें सूज गई थीं. गालों पर थप्पड़ों के निशान भी पड़ गए थे. शरीर पर नाखूनों से नोचे जाने की खरोंचें भी थीं. किसी तरह से उस ने कपड़े पहने. कंबल घिसटते हुए बच्चों के कमरे में आ गई. तब तक वीरेंद्र निढाल हो चुका था, कंबल में खर्राटे भरने लगा था.

कंचन वीरेंद्र गुर्जर की पांचवीं पत्नी थी. वीरेंद्र अव्वल दरजे का शराबी था. साथ ही अय्याश किस्म का व्यक्ति था. वह कहने को इंसान था, लेकिन उस के चरित्र में हैवानियत शामिल थी. कामुकता से भरा हुआ था. सैक्स की बातों से उबलता रहता था. बातबात में घूमफिर कर सैक्स की बातें ही उस के जुबान से निकल पड़ती थीं. मांबहन की भद्ïदी गालियों के साथसाथ यौनाचार संबंधी गालियां तो उस की जुबान पर रहती थीं.

पोर्न फिल्में देखना था पसंद

मोबाइल पर अश्लील तसवीरें, वीडियो और पोर्न फिल्में देखना, द्विअर्थी चुटकुले सुना कर मजे लेता था. राह चलती लड़कियों को निहारना, औरतों के साथ बातें करने की कोशिश करना, औरतों की भीड़ में घुस जाना आदि उस की आदतें थीं. उस की अश्लील बातों से उसे जानने वाले लोगों को कई शिकायतें थीं, उस की पत्नी को भी उस से काफी शिकायतें थीं. यही कारण था कि उसे 4 बीवियां छोड़ कर जा चुकी थीं. कंचन पांचवीं पत्नी थी. वह भी कुछ महीने में ही उस की हरकतों से ऊब गई थी.

उस रात तो वीरेंद्र ने हद ही कर दी थी, जिस से उस का दिल टूट गया था. मन दुखी हो गया था. उस ने मन ही मन उसे सबक सिखाने की ठान ली. वह उस से खौफ खाने लगी थी. अप्राकृतिक यौन संबंध कायम करना उस की आदत बन चुकी थी, जिस से छुटकारा पाने के लिए साजिश की एक व्यूह रचना कर डाली.

कंचन ने वीरेंद्र को छोड़ कर जाने वाली पत्नियों के कारण के बारे में पता किया था. उसे पता चला कि वीरेंद्र गुर्जर की पहली शादी कृष्णा नाम की युवती से हुई थी. उस से एक बेटी पैदा हुई. तब उस ने दूसरी शादी लीला से की. उस से 2 बेटे पैदा हुए.

तीसरी शादी उस ने संगीता से की. चौथी शादी उस ने भूलीबाई से की, जिस से एक बेटी पैदा हुई. चारों पत्नियां उस की अय्याशी से आजिज आ कर उसे छोड़ गई थीं. जैसे ही एक पत्नी छोड़ कर चली जाती तो वह फिर शादी कर लेता था.

पांचवीं शादी उस ने कंचन से की थी. उस की कंचन से मुलाकात अक्तूबर, 2022 में भांडा की गुफा घूमने के दौरान हुई थी. वीरेंद्र दबंग प्रवृत्ति का था. वह ब्याज पर पैसे देने का धंधा करता था. उन के साथ भी वीरेंद्र उसी तरह पेश आता था, जैसा उस रात कंचन के साथ आया था. वे चारों उस की प्रताडऩा से ऊब चुकी थीं.

ऊब चुकी थी अय्याश पति से

सुबह का समय था. तारीख थी 21 फरवरी, 2023. कंचन को एक ग्रामीण ने बताया कि उस के पति की लाश गौभा चौकी के पास जंगल में पड़ी है. कंचन यह खबर सुनते ही भागीभागी जंगल की ओर गई. वहां वीरेंद्र की अर्धनग्न अवस्था में लाश पड़ी थी. वह रोने लगी और उपस्थित लोगों को बताया कि उस का पति 2 दिन पहले लकड़ी काटने के लिए गया था.

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किसी व्यक्ति ने जंगल में लाश पाए जाने की सूचना सिंगरौली थाने को भी दे दी. वहां से टीआई अरुण कुमार पांडेय और सीएसपी देवेश पाठक पूरी टीम के साथ गांव बदरघटा से कुछ देर जंगल में घटनास्थल पर पहुंच गए. इस की सूचना उच्च अधिकारियों को भी दे दी गई. साथ ही एसपी सिंगरौली वीरेंद्र सिंह और एएसपी शिवकुमार वर्मा भी वहां पहुंच गए. मौकामुआयना करने के बाद एसपी ने देवेश पाठक के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई.

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घटनास्थल पर पहुंची टीम ने लाश का मुआयना करने पर पाया कि अर्धनग्न लाश का प्राइवेट पार्ट काटा गया था. इस आधार पर टीम ने अनुमान लगाया कि उस की हत्या किसी अवैध संबंध का अंजाम है. इस का पता लगाने के लिए सब से पहले पूछताछ उस की पत्नी कंचन से की जाने लगी. उस ने पुलिस को बताया कि उस के पति के कई औरतों से अवैध संबंध थे. और उस की पहले की 4 बीवियों का भी वह दुश्मन बना हुआ था.

पांचवीं पत्नी ने कुल्हाड़ी से की हत्या

जांच अधिकारी को कंचन की बात अधूरी और बनावटी लगी. उस की उम्र और पति की उम्र के बीच का अंतर भी कई संदेह पैदा कर रहा था. उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने जल्द ही भेद खोलते हुए बताया कि वीरेंद्र की हत्या उसी ने की है.

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ऐसा करने के पीछे उस ने एकमात्र कारण बताया कि वह उसे काफी प्रताडि़त करता था. उसे शराब के नशे में मारतापीटता था. इस कारण ही 4 पत्नियां उसे छोड़ कर जा चुकी थीं. उस की सहनशक्ति समाप्त हो चुकी थी और उस के चंगुल से निकलने के लिए खौफनाक साजिश रच डाली थी.

हत्या को अंजाम देने के बारे में उस ने बताया कि पहले पति के खाने में नींद की 20 गोलियां मिली दीं. जिसे खाने के बाद वह गहरी नींद में सो गया. इस के बाद उस ने उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. हालांकि असली खेल उस ने बाद में किया, जिस से उम्मीद थी वह पुलिस से बच जाएगी. वह खेल अवैध संबंध साबित करने का था.

योजना बना कर कंचन पति की हत्या के बाद उस की लाश को साइकिल पर लाद कर एक सुनसान जगह पर ले गई. वहां उस ने कुल्हाड़ी से उस का गला काटा और फिर गुप्तांग को भी कुल्हाड़ी से काट कर सडक़ पर फेंक दिया. इस के बाद चुपचाप घर आ गई. उस ने बताया कि ऐसा इसलिए किया ताकि जब पुलिस को लाश मिले, तब उसे अवैध संबंध के शक में हत्या का मामला लगे.

कंचन द्वारा अपराध स्वीकारे जाने के बाद पुलिस ने उसे 3 मार्च, 2023 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पिता को रास ना आया बेटी का प्यार – भाग 3

बेटी के बारे में यह सब सुन कर सुमन सन्न रह गई. इस का मतलब साफ था कि उन की बेटी इतनी बड़ी हो गई थी कि उन की आंखों में धूल झोंक सके. उन्होंने तुरंत प्राची को बुला कर डांटते हुए पूछा, ‘‘तू उस आयुष्मान के साथ कहां घूमती फिर रही थी?’’

‘‘कौन आयुष्मान?’’ प्राची ने इस तरह पूछा जैसे वह किसी आयुष्मान को जानती ही न हो.

‘‘झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं है. मैं विशाल के भांजे आयुष्मान की बात कर रही हूं. इस मोहल्ले में इस नाम का कोई दूसरा लड़का नहीं है. इस से तुझे पता होना चाहिए कि मैं उसी आयुष्मान की बात कर रही हूं.’’

‘‘मैं उस के साथ क्यों घूमूंगी?’’ प्राची तुनक कर बोली.

प्राची ने यह बात इतनी सफाई से कही थी कि सुमन को लगा कि उस की पड़ोसन को ही धोखा हुआ है. इसलिए उन्होंने बात बढ़ाना उचित नहीं समझा और हिदायत दे कर बेटी को छोड़ दिया. इस के बाद प्राची खुद तो सतर्क हो ही गई, अपने प्रेमी आयुष्मान को भी सतर्क कर दिया. उस ने आयुष्मान से साफसाफ कह दिया कि अब उन्हें काफी सोचसमझ कर और बच कर मिलना होगा.

सुमन तो बेटी की बात मान कर शांत हो गई थी, लेकिन जब कई लोगों ने अजीत शुक्ला को टोका कि वह अपनी बेटी पर नजर रखें, वरना एक दिन वह उन के मुंह पर कालिख पोत देगी, तब घर में बवंडर मच गया.

अजीत को जैसे ही पता चला कि प्राची आयुष्मान से मिलती है, उन्होंने यह बात सुमन से कही. तब पतिपत्नी ने सलाह की कि जवान हो रही बेटी को समझाया जाए. शायद वह रास्ते पर आ जाए. उन्होंने प्राची को पास बैठा कर कैरियर का हवाला दे कर काफी समझायाबुझाया. लेकिन प्राची पर मांबाप के इस समझानेबुझाने का कोई असर नहीं हुआ.

प्राची ने मांबाप के सामने तो कह दिया कि अब वह आयुष्मान से नहीं मिलेगी, लेकिन उस ने उस से मिलना बंद नहीं किया. हां, वह मिलने में सावधानी जरूर बरतने लगी थी. इस के बावजूद शहजहांपुर जैसे छोटे शहर में उन पर किसी न किसी की नजर पड़ ही जाती थी. तब उन की हरकतों का पता अजीत को चल जाता था.

अजीत की गिनती मोहल्ले के प्रतिष्ठित लोगों में होती थी. कोई चारा न देख अजीत शुक्ला ने सरायकाइयां का विशाल के पास वाला मकान छोड़ दिया और कुछ दूरी पर स्थित दलेलगंज में दूसरा मकान ले कर रहने लगे. इस के अलावा प्राची पर भी नजर रखी जाने लगी. प्राची को रोज सुबह वह स्वयं मोटरसाइकिल से कालेज छोड़ने जाते और शाम को ले भी आते.

रास्ते में भले ही प्राची और आयुष्मान की मुलाकात नहीं हो पाती थी, लेकिन दिन में तो उन पर कोई नजर  रखता नहीं था. प्राची क्लास छोड़ कर आयुष्मान के साथ निकल जाती. दिन भर दोनों घूमतेफिरते और छुट्टी होने के पहले आयुष्मान उसे कालेज में छोड़ देता. तब प्राची बाप के साथ घर आ जाती.

रोज की तरह 13 नवंबर को भी अजीत शुक्ला प्राची को कालेज छोड़ कर अपनी दुकान पर चले गए. इस के थोड़ी देर बाद आयुष्मान अपनी मोटरसाइकिल से प्राची के कालेज के गेट पर पहुंचा तो प्राची कालेज छोड़ कर उस के साथ निकल गई. दोनों थोड़ी दूर ही गए होंगे कि प्राची के ताऊ के बेटे राहुल शुक्ला की नजर उन पर पड़ गई. उस ने यह बात फोन कर के अपने चाचा अजीत शुक्ला को बताई तो उन्होंने राहुल से उन दोनों का पीछा करने को कहा.

राहुल अपनी मोटरसाइकिल से उन का पीछा करने लगा. प्राची ने राहुल को पीछा करते देख लिया तो उस ने यह बात आयुष्मान को बताई. इस के बाद आयुष्मान ने अपने मामा विशाल को फोन कर के ककराकलां आने को कहा.

दूसरी ओर बेटी की हरकत से नाराज अजीत शुक्ला ने लाइसेंसी राइफल उठाई और बेटे रजत को साथ ले कर प्राची के प्रेमी आयुष्मान को सबक सिखाने के लिए मोटरसाइकिल से निकल पड़े. ककराकलां में पानी की टंकी के पास अजीत शुक्ला ने राहुल और रजत की मदद से आयुष्मान और प्राची को घेर लिया. उन में बहस और हाथापाई होने लगी. तभी विशाल भी अपनी मारुति वैगनआर से ड्राइवर वरुण के साथ वहां पहुंच गया.

वादविवाद बढ़ता ही गया. अंतत: अजीत ने अपनी 315 बोर की राइफल से आयुष्मान पर फायर कर दिया. लेकिन आयुष्मान थोड़ा पीछे हट गया, जिस से निशाना चूक गया और वह गोली उस के दाएं हाथ में लगी.

अजीत दूसरी गोली न चला दे, इस के लिए सभी उस की राइफल छीनने लगे. इस छीनाझपटी में राइफल का ट्रिगर दब गया, जिस से चली गोली प्राची की बाईं तरफ कमर में जा कर लगी, जो उस के शरीर को भेदती हुई दाईं ओर से बाहर निकल गई. प्राची जमीन पर गिर कर तड़पने लगी.

बेटी को गोली लगते ही अजीत राइफल ले कर भाग खड़ा हुआ. प्राची के भाई रजत ने घायल प्राची को विशाल की कार में डाला और जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने जांच कर के उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल से ही इस घटना की सूचना स्थानीय थाना कोतवाली सदर बाजार को दी गई. परिणामस्वरूप कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर आलोक सक्सेना सहयोगियों को साथ ले कर अस्पताल पहुंच गए.

पुलिस ने प्राची के भाई रजत शुक्ला को हिरासत में ले लिया. घटनास्थल से पुलिस ने राइफल की खाली मैगजीन और एक जिंदा कारतूस बरामद किया. आयुष्मान जिला अस्पताल में भर्ती था. पुलिस ने आयुष्मान से घटना के बारे में पूछताछ की और औपचारिक काररवाई निपटा कर प्राची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.  पुलिस ने रजत को ला कर पूछताछ की. इस पूछताछ में उस ने पूरी कहानी बता दी, जिसे आाप ऊपर पढ़ ही चुके हैं.

इंस्पेक्टर आलोक सक्सेना ने आयुष्मान के नाना हरिकरननाथ मिश्र को वादी बना कर अजीत शुक्ला. रजत शुक्ला और राहुल शुक्ला के खिलाफ अपराध संख्या 842/2013 पर भादंवि की धारा 302, 307, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर रजत को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक अजीत और राहुल शुक्ला को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. पुलिस सरगर्मी से दोनों की तलाश कर रही थी. पोस्टमार्टम के बाद प्राची का अंतिम संस्कार किया जा चुका था. आयुष्मान की हालत खतरे से बाहर थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित