Social Story : पुरुष वेश्यावृत्ति जिस्म के बाजार में जिगोलो

Social Story : देह व्यापार का एक बाजार ऐसा भी है, जहां के सैक्सवर्कर औरतें नहीं बल्कि मर्द होते हैं. जिन्हें जिगोलो कहा जाता है. उन्हें यौन पिपासा से भरी औरतों को हर तरह से खुश करना होता है. आजकल जिगोलो की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इस धंधे में मोटी कमाई तो होती ही है साथ ही…

भरे बदन वाली एक अधेड़ महिला कमसिन दिखने की अदाओं के साथ ड्राइंगरूम में खड़ी थी. वहीं कुछ दूसरी महिलएं सिगरेट का धुंआ उड़ाती कुछ दूरी बना कर सोफे पर क्रास टांगों के साथ बैठी थीं. सभी के बीच अपनेअपने सैक्स अपील वाले यौवन को दर्शाने की होड़ सी दिख रही थी. इसी बीच बलिष्ठ चुस्त टीशर्ट और टाइट पाजामे में एक युवक वहां आया. वहां वह सिर्फ उसी माहिला को पहचानता था, जो खड़ी थी. वह महिला उस के पास आई और बोली, ‘‘तुम को मालूम है कि तुम कहां खड़े हो. यहां जिस्म का बाजार लगता है.’’

यह सुनते ही युवक चौंक पड़ा,‘‘क्या?’’

महिला उस की कान के पास मुंह लगा कर बोली, ‘‘यहां तुम मेरे रिश्तेदार नहीं, केवल एक मर्द हो. नीले, गुलाबी बल्बों की रोशनी में तुम्हें अपनी अदाएं बिखेरनी हैं. बैठी महिलाओं को अट्रैक्ट करना है. बदले में तुम्हें ये अमीर महिलाएं मुहमांगी कीमत देंगी. आज तुम एक बिकाऊ मर्द होे, देखती हूं तुम्हारी कौन कितनी बोली लगाती है…’’

युवक चुपचाप महिला की बातें सुनता रहा. उस ने इसी क्रम में कुछ हिदायतें भी दीं. बोली, ‘‘तुम्हें यहां सभी के चेहरे पर सैक्स के भूख की एक ललक साफ तौर पर दिख रही होगी. याद रखना ये ललक जब तक दिखती रहेगी तब तक तुम्हारी मांग बनी रहेगी.’’

‘‘जी भाभी,’’ युवक बोला.

‘‘नहींनहीं, यह नाम नहीं, यहां मैं तुम्हारी मैडम हूं, मैडम एम.’’

‘‘जी समझ गया.’’ युवक बोला.

‘‘आओ, तुम्हारा सभी से परिचय करवाती हूं. उन की तारीफ मैडम के साथ एक अक्षर जोड़ कर करना.’’ कहती हुई मैडम एम ने पास बैठी महिला की ओर इशारा किया, ‘‘ये हैं मैडम एस… और ये हुई मैडम डी, ये हैं मैडम एक्स, वाई और…’’

इस तरह से मैडम एम ने युवक का हाथ पकड़ कर वहां बैठीं 8 महिलाओं से उस का परिचय करवा दिया. फिर सब की ओर मुखातिब हो कर बोली, ‘‘मैडमों, अब खेल शुरू किया जाए, जिसे जो ड्रिंक लेना है, प्लीज किचन से जा कर ले सकती हैं…सेल्फ सर्विस है…ग्लास खाली होने पर उसे भरने के लिए ये है ही…’’ युवक की ओर उंगली उठाती हुई बोली. मैडम एम ने सेंटर टेबल के नीचे से रिमोट निकाला और धीमी चल रही म्यूजिक की वौल्यूम बढ़ा दी. म्यूजिक तेज होते ही कइयों के पैरों की थिरकन बढ़ गई, जबकि कुछ महिलाएं बैठेबैठे ही अपने हाथों को नृत्य की मुद्रा में लहराने लगीं. एक महिला सोफे से उठी और कमर को डांस के मोड में लचकाती हुई किचन की तरफ बढ़ गई.

इस तरह से मर्द वेश्यावृत्ति के लिए छोटी सी मंडी सज गई, जिसे अज्ञात महिला की देखरेख में आयोजित किया गया था. ऐसा वह हर सप्ताह के वीकेंड पर करती थी. अमीर घरों की औरतें ग्राहक हुआ करती थीं. वे हर सप्ताह कुछ नया पाने की ललक लिए आती थीं और आधी रात तक मौजमजा करती थीं. इस मंडी के लिए हर बार किसी नए मर्द की तलाश की जाती थी. उसे बदले में अच्छी रकम मिल जाती थी. उस रोज मैडम एम यानी मालती को कोई युवक नहीं मिल पाया था. वह इस के लिए शनिवार की सुबह तक बहुत बेचैन थी. उसी दौरान पीजी में रहने वाला उस के दूर के एक रिश्तेदार ने फोन पर अपनी समस्या बताई. पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उस ने कहीं पार्टटाइम जौब दिलवाने की रिक्वेस्ट की.

थोड़ी देर सोचने के बाद मालती ने उसे ही जिगोलो बनने के लिए राजी कर उसी शाम सजने वाली देह की मंडी में बुला लिया. साथ ही युवक से कुछ वादे भी लिए. दिल्ली में अपने दम पर पढ़ाई का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा था. उसे कोचिंग के लिए मोटी रकम की भी जरूरत थी. मालती का प्रस्ताव सुन कर उसे लगा कि उस का जमीर मर रहा है. फिर उस के मन में अपने परिवार का भी खयाल आया, जहां कोई सोच भी नहीं सकता कि वह ऐसा भी कर सकता है. उस ने पैसे की जरूरत पूरी करने के लिए अपना जमीर बेच डाला. युवक मालती से केवल इतना पूछ पाया, ‘‘मुझे कब तक रुकना होगा, पढ़ाई भी करनी है.’’

इस का जवाब मालती ने दे दिया. वह खुश हो गई उसे एक नया माल… एक नया छैला मिल गया था. अब उसे ग्राहकों की बुकिंग नहीं लौटानी पड़ेगी. इसी के साथ मालती ने उस की कुछ तसवीरें मंगवाईं.  तसवीर की मांग पर युवक सोच में पड़ गया कि कोई रिश्तेदार देख लेगा तो उस के भविष्य का क्या होगा. इस की चिंता भी मालती ने दूर कर दी. तुरंत अपने फ्लैट पर बुलाया. चेहरे की पहचान छिपा कर अपने मोबाइल से कुछ तसवीरें खींच लीं. पहले दाईं तरफ से, फिर बाईं तरफ से और उस के बाद सामने से तसवीर खींची गई. सभी तसवीरें अंडरगारमेंट में थीं. युवक को उस की 3 आकर्षक फोटो दिखा कर बाकी डिलीट कर दी गईं. उन में युवक को पहचानना मुश्किल था.

उस के सामने तसवीरों को वाट्सऐप पर भेज दिया गया. तसवीरों के साथ लिख दिया गया, ‘‘नया माल है, रेट ज्यादा लगेगा. कम पैसे का चाहिए तो दूसरे को भेजती हूं.’’

एक से बढ़ कर एक खूसबूरत महिलाएं युवक की बोली लगाने लगीं, जो अंत में 5 हजार रुपए में तय हुई. इस में युवक को क्लाइंट के लिए सब कुछ करना था. इस बारे में युवक ने अपना अनुभव शेयर करते हुए नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘‘मैं जिंदगी में पहली बार ये करने जा रहा था. बिना प्यार, इमोशंस के कैसे करता. एक अंजान के साथ करना होगा, यह सोच कर मेरा दिमाग चकरा रहा था.’’

उस ने आगे बताया, ‘‘वो शायद 32-34 साल की शादीशुदा महिला थी. बातें शुरू हुईं और उस ने कहा कि वह गलत जगह फंस चुकी है. पति गे है. वह अमरीका में रहता है. तलाक दे नहीं सकती. फिर एक तलाकशुदा औरत से कौन शादी करेगा. मेरा भी अलगअलग चीजों का मन होता है, बताओ क्या करूं.’’

उस के बाद महिला ने हिंदी गाने लगवाए और डांस करने लगी. थोड़ी देर में शुरू किया. हम दोनों डाइनिंग रूम से बैडरूम गए. अब तक उस ने मुझ से प्यार से बात की थी. काम जैसे ही खत्म हुआ, पैसे दे कर बोली, ‘‘चल कट ले, निकल यहां से.’’

उस ने मुझे टिप भी दी. मैं ने उस से कहा, ‘‘मैं ये सब पैसों की मजबूरी की वजह से कर रहा हूं.’’

उस ने कहा, ‘‘तेरी मजबूरी को तेरा शौक बना दूंगी.’’

मेरी मजबूरी जो दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर मेरे घर से शुरू हुई थी. मेरी लोअर मिडिल क्लास फैमिली को मैं अनलकी लगता था, क्योंकि मेरे जन्म के बाद ही पिता की नौकरी चली गई. वक्त के साथ ये दूरियां बढ़ती गईं. मेरा सपना एमबीए करने का था लेकिन इंजीनियरिंग करने को मजबूर किया गया. नौकरी नहीं लगी. फिर कंपटीशन की तैयारी कर दी. उस के लिए अतिरिक्त खर्च से मैं परेशान रहने लगा. उन्हीं दिनों डिफेंस कालोनी में रहने वाली दूर की रिश्तेदार के बारे में मालूम हुआ. उन से मिला. वह तलाकशुदा महिला निकली, लेकिन अपने दम पर छोटा सा बुटीक चला रही थी. पति अपने मातापिता के साथ बंगलुरु में शिफ्ट हो चुका था, उस से कोई बच्चा नहीं था.

हर छोटीबड़ी परेशानी में वह मेरा आत्मविश्वास बढ़ा देती थी. उस ने कई बार डिप्रेशन से बाहर निकाला था. हालांकि मुझे इंटरनेट पर मेल एस्कार्ट यानी जिगोलो के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी थी. ऐसा फिल्मों में देखा था. कुछ वैसी वेबसाइट्स के बारे में भी जानकारी थी. जहां जिगोलो बनने के लिए प्रोफाइल बनाई जा सकती थी. संयोग कहें या फिर मेरी किस्मत कि मैं जिस्म की बोली लगने वाली महिलाओं के बीच आ गया था. उस रात मैं ने जिगोलो बनने की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली. ऐसा मैडम एम ने आधी रात को मेरी पीठ थपथापते हुए कहा. मैं वहीं थका हुआ सो गया. सुबह कालबैल की आवाज से नींद खुली. दरवाजे पर मालती को मुसकराते हुए देखा. मैं झेंप गया और फ्रैश होने के लिए बाथरूम में घुस गया.

उस के बाद मैं दुविधा से घिर गया. यह कहें मैं 2 विचारों की दहलीज पर खड़ा था. एक, दहलीज से पीछे हट कर सुसाइड कर लूं. दूसरा, दहलीज के पार जा कर जिगोलो बन जाऊं. अंतत: मैं ने दहलीज को लांघने का फैसला कर लिया. मैं जिन औरतों से मिला, उन में शादीशुदा तलाकशुदा, विधवा और सिंगल लड़कियां भी शामिल थीं.  इन में से ज्यादातर के लिए मैं एक इंसान नहीं माल था. जब तक उन की इच्छाएं पूरी न हो जातीं, सब अच्छे से बात करतीं. कहती कि मैं अपने पति को तलाक दे कर तुम्हारे साथ रहूंगी. लेकिन बैडरूम में बिताए कुछ वक्त के बाद सारा प्यार खत्म हो जाता. सुनने को मिलता, ‘‘चल निकल यहां से. पैसा उठा और भाग.’’

और कई बार गालियां भी सुनने को मिलतीं. ये सोसाइटी हम से मजे भी लेती है और हम ही को प्रास्टीट्यूट कह कर गालियां भी देती है. एक बार एक पतिपत्नी ने साथ में बुलाया. पति सोफे पर बैठा शराब पीते हुए हमें देखता रहा. मैं उसी के सामने पलंग पर उस की पत्नी के साथ था. ये काम दोनों की रजामंदी से हो रहा था. शायद दोनों की ये कोई डिजायर रही हो. इसी बीच 50 साल से ज्यादा उम्र की महिला भी मेरी क्लाइंट बनी. वह मेरी जिंदगी का सब से अलग अनुभव था. पूरी रात वह बस मुझ से बेटाबेटा कह कर बात करती रहीं. बताती रहीं कि कैसे उन का बेटा और परिवार उन की परवाह नहीं करता. वे उन से दूर रहते हैं.

वो मुझ से भी बोलीं, ‘‘बेटा, इस धंधे से जल्दी निकल जाओ, सही नहीं है ये सब.’’

उस रात हमारे बीच सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ. सुबह उन्होंने बेटा कहते हुए मुझे तय रुपए भी दिए. मुझे वाकई उस महिला के लिए दुख हुआ. फिर एक रोज जब मैं ने शराब पी हुई थी और जिंदगी से थकान महसूस कर रहा था, मैं ने मां को फोन किया. उन्हें गुस्से में कहा, ‘‘तुम पूछती थी न कि अचानक ज्यादा पैसे क्यों भेजने लगे. मां मैं धंधा करता हूं… धंधा.’’

वो बोलीं, ‘‘चुप कर. शराब पी कर कुछ भी बोलता है तू.’’ यह कह कर मां ने फोन रख दिया. मैं ने मां को अपना सच बताया था लेकिन उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया. मेरे भेजे पैसे वक्त से घर पहुंच रहे थे न… मैं उस रात बहुत रोया. क्या मेरी वैल्यू बस मेरे पैसों तक ही थी? इस के बाद मैं ने मां से कभी ऐसी कोई बात नहीं की. मैं इस धंधे में बना रहा, क्योंकि मुझे इस से पैसे मिल रहे थे. मार्केट में मेरी डिमांड थी. लगा कि जब तक कोलकाता में नौकरी करनी पड़ेगी और एमबीए में एडमिशन नहीं ले लूंगा, तब तक ये करता रहूंगा. लेकिन इस धंधे में कई बार अजीब लोग मिलते हैं. शरीर पर खरोंच छोड़ देते थे. ये निशान शरीर पर भी होते थे और आत्मा पर भी.

और इस दर्द को दूसरा जिगोलो ही समझ पाता था, सोसाइटी चाहे जैसे देखे, इस प्रोफेशन में जाने का मुझे कोई अफसोस नहीं है. हां, अतीत के बारे में सोचूं तो कई बार चुभता तो है. ये एक ऐसा चैप्टर है, जो मेरे मरने के बाद भी कभी नहीं बदलेगा. यह एक ऐसा व्यवसाय है जिस में जोरजबरदस्ती नहीं बल्कि स्वेच्छा से लोग शामिल होते हैं और इन की खरीदफरोख्त भी स्वेच्छा से ही की जाती है. यानी कि यह पुरुष वेश्यावृत्ति औरतों की वेश्यावृत्ति की तरह तकलीफदेह नहीं है. यूं तो यह बेहद संभ्रांत परिवार की औरतों का महंगा शौक है जो मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगर में तेजी से फलफूल रहा है. इस में लड़कियों की वेश्यावृत्ति की तरह से इस पेशे में धकेला नहीं जाता, बल्कि लड़के खुद अपनी स्वेच्छा से अपने शौक को पूरा करने के लिए, कभीकभी मस्ती करने के लिए या बेरोजगार होने की हालत में इसे रोजगार की तरह अपना लेते हैं.

रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक जिगोलो की मंडियां सजती हैं और बड़ीबड़ी लग्जरी कारों में संभ्रांत कहे जाने वाले परिवारों से औरतें, लड़कियां और उम्रदराज औरतें भी अपने लिए जिगोलो नामक खिलौना चुनती हैं. रात भर या फिर घंटे के हिसाब से उस से खेलती हैं और सुबह की रोशनी के पहले ही वापस अपने घर को चली जाती हैं. कभीकभी शहर से बाहर आउटहाउस पर जाने का भी इंतजाम होता है. लेकिन इन्हें पाना सब के बस की बात नहीं है. यह 3 हजार से ले कर 8 हजार तक के मिलते हैं, एक रात में 8 हजार तक की कमाई की वजह से यह फायदेमंद सौदा बन चुका है. ऐसे लोगों की धमक छोटे शहरों तक में हो चुकी है. गठीला शरीर ,फर्राटेदार अंगरेजी और लिंग के साइज से ही उस की कीमत तय होती है. उन के गले में खास पहचान देने वाला पट्टा लगा होता है, जो उस के सैक्सी होने के बारे में बताता है.

किसी पब में, डिस्को में और बड़े होटलों में जिगोलो अकसर मिलते हैं. इस में काम करने वाले 18 साल के लड़के से ले कर 50 साल के पुरुष भी हो सकते हैं. यह कहें कि अब इस बारे में लोगों को बहुत जानकारी है. दिल्ली के कई पौश इलाके पुरुष वेश्यावृति के लिए कुख्यात कहे जा सकते हैं. इस में रुचि रखने वाली रईस तबके की औरतों के अलावा गे समुदाय के लोग भी होते हैं. इन के खरीददार अथाह पैसा रखने वाली वे औरतें होती हैं, जिन की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. उन के लिए अधिक समय तक सैक्स को दबा कर रखना आसान नहीं होता या इन में वैसी औरतें भी होती हैं, जो चेंज में विश्वास करती हैं.

यह किसी मजबूरीवश नहीं सिर्फ मजे के लिए किया जाने वाला महंगा शौक है. शराब पीना, सिगरेट पीना और फिर जिगोलो संग कामाग्नि को बुझाना, यह फैशन सा बन गया है. हैरत की बात तो यह है कि ऐसी महिलाएं अपने निजी शौक की पूर्ति के लिए 2 हजार से 20 हजार रुपए न्यौछावर कर देती हैं. मर्दों की मंडी में पुरुषों के जिस्म की नुमाइश होती है. औरतें इन्हें छू कर और परख कर अपने लिए पसंद करती हैं और फिर कुछ घंटे शराब सिगरेट और मदहोशी के नशे में बिता कर मुंह अंधेरे ही वापस सफेद उजाले में आने के लिए तैयार हो जाती हैं. कुछ घंटे के लिए 3 हजार रुपए देने को तैयार हो जाती हैं. एक मर्द सेक्स वर्कर पर औसतन 12 से 15 हजार रुपए तक लुटाना आम बात मानी जाती है.

कई बार बड़ेबड़े हाई क्लास के अड्डे में जिगोलो महिलाओं के बीच अपनी नुमाइश करते हैं. वहां जो सैक्स संबंध बनाते हैं उस के पैसे मिलते हैं. यह जिगोलो पर निर्भर करता है कि वह कितना अपने क्लाइंट को संतुष्ट कर पाता है. ऐसे में किसी महिला को कोई जिगोलो पसंद आ जाता है तो वह उस की बोली लगा कर पूरी रात के लिए अपने साथ ले जाती है. जिगोलो को तलाशने से ले कर उस के नुमाइश के ठिकाने बनाने के काम में बिचौलिए की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. उन की बदौलत जिगोलो से ले कर महिला ग्राहक तक की सभी जानकारी गुप्त बनी रहती है. इस काम को करने वाले अधिकतर कम उम्र के लड़के ही होते हैं. यानी 18 से 30 वर्ष के जिन की डिमांड भी ज्यादा रहती है. जिगोलो को जो पैसा मिलता है, उस का 20 प्रतिशत कमीशन एजेंट या बिचौलिए को देना होता है.

यानी कि जिगोलो बनने के लिए 2500 से 3000 रुपए तक चुका कर बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उस के बाद ट्रेनिंग देनी होती है. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें खास किस्म के पहनावे से ले कर चलनेफिरने, उठनेबैठने के ढंग और एक सीमा तक यौनांगों के साथ अश्लील हरकत करना आदि सिखाया जाता है.  उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे किस तरह से किसी महिला के सामने ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं. उन्हें स्ट्रिपर की भी अच्छीखासी ट्रेनिंग दी जाती है. वे अपनी नुमाइश के दौरान जैसेजैसे कपड़े उतारते जाते हैं, वैसेवैसे सामने बैठी महिलाओं की कामाग्नि भड़कती चली जाती है. बताते हैं जिगोलो में हर पेशे से जुड़े लोग होते हैं. वे जिम की बदौलत तराशे हुए बदन को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें देख कर महिला की आह निकल पड़ती है. कई बार अपने प्रोफेशन में यह अच्छे कौन्टैक्ट्स पाने के लिए भी इस काम को करते हैं.

वैसे लोग सड़क किनारे कुछ इलाके की चर्चित बाजारों के पास खड़े हो जाते हैं. लग्जरी गाडि़यां रुकती हैं और सौदा तय होने पर अपने क्लाइंट के पास पहुंच जाते हैं. होटलों में यह काम थोड़ा आसान हो जाता है, क्योंकि वहां उन्हीं के कमरों में इस काम को अंजाम दिया जाता है.  ऐसे कई लोग एक अलग से पहनावे और परफ्यूम लगाए रेस्टोरेंट में बैठ कर ग्राहक के बिचौलिए का इंतजार करते हैं. जिगोलो के धंधे में उतरने वाले शुरू में भले ही अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन बाद में उन्हें लत लग जाती है. इस पेशे में आने वाले मनोरंजन और मौडलिंग के पेशे के लोग आसानी से घुलमिल जाते हैं. Social Story

 

Social Story : सोशल मीडिया के जरिए अनसोशल का काम

Social Story :  जल्दी और आसान तरीके से ज्यादा पैसे कमाने के लालच में आजकल उच्चशिक्षित युवा भी सैक्सौर्शन के धंधे में उतर आए हैं. झांसी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 3 छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिए जो अनसोशल काम किया वह…

सैयद नासिर हुसैन अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे. यूनिवर्सिटी द्वारा मिले क्वार्टर में वह में परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी, एक बेटा और बेटी थी. बेटी की शादी हो चुकी थी. बेटा इंजीनियरिंग कर के गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी कर रहा था. बेटी ससुराल चली गई, बेटा गुड़गांव तो अलीगढ़ में सिर्फ प्रोफेसर साहब और उन की पत्नी ही रह गईं. इस कोरोना काल में यूनिवर्सिटी बंद ही चल रही है, इसलिए प्रोफेसर साहब का ज्यादा से ज्यादा वक्त घर पर ही बीतता था. अपना मन बहलाने के लिए वह फेसबुक पेज खोल कर बैठ जाते.

वह खुद प्रोफेसर थे, इसलिए उन के दोस्त भी उसी तरह के थे. उन के फेसबुक फ्रैंड्स अच्छीअच्छी पोस्ट डालते थे, इसलिए वह उन्हें पढ़ते और उन पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते. फेसबुक पर उन के मित्रों की संख्या काफी हो चुकी थी. फिर भी उन के पास फ्रैंड रिक्वेस्ट आती रहती थीं. जो उन्हें ठीकठाक लगती, उसे कन्फर्म कर देते, बाकी डिलीट कर देते. इसी तरह एक दिन उन के फेसबुक एकाउंट पर एक फ्रैंड रिक्वेस्ट आई, जिस की प्रोफाइल में सुंदर लड़की की फोटो लगी थी. रिक्वेस्ट भेजने वाली का नाम सपना चौहान था. अधेड़ हो चुके प्रोफेसर साहब सुंदर लड़की की फोटो देख कर झूम उठे.

फोटो थोड़ा सैक्सी भी था. उन्होंने उस की प्रोफाइल खोल कर देखी, दोस्त भी. उस में उन का कोई कौमन फ्रैंड नहीं था. उन्होंने झट से वह रिक्वेस्ट कन्फर्म कर दी. मजे की बात यह हुई कि उन के रिक्वेस्ट कन्फर्म करते ही उन के मैसेंजर पर उस का मैसेज आ गया, ‘‘हाय.’’

लड़की की ओर से ‘हाय’ का मैसेज आते ही प्रोफेसर साहब रंग में आ गए. उन्होंने तुरंत जवाब में मैसेज भेजा, ‘‘जी, हैलो.’’

दूसरी ओर जैसे उन के जवाब का इंतजार हो रहा था. तुरंत मैसेज कर के पूछा गया, ‘‘आप करते क्या हैं?’’

‘‘आप ने मेरी प्रोफाइल नहीं देखी क्या? उस में तो सब कुछ दिया है.’’ प्रोफेसर साहब ने मैसेज किया.

‘‘प्रोफाइल की छोडि़ए जनाब, ऐसे ही बता दीजिए न कि आप क्या करते हैं?’’

‘‘मैं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हूं.’’

‘‘ओह सर, तब तो आप से खूब पटेगी. मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूं. क्या पढ़ाते हैं आप बच्चों को?’’ दूसरी ओर से मैसेज द्वारा पूछा गया, ‘‘बच्चों को सैक्स के बारे में भी कुछ पढ़ाते हैं या नहीं?’’

‘‘मैं मनोविज्ञान का प्रोफेसर हूं, जो जरूरी होता है जरूर बताता हूं.’’

‘‘तब तो आप इंसान को देख कर या बातचीत कर के उस के मन की बात जान लेते होंगे. इतनी बातचीत से आप को पता चल ही गया होगा कि मैं क्या चाहती हूं? आप सिर्फ बताते ही हैं या प्रैक्टिकल भी कर के दिखाते हैं?’’

‘‘मैं प्रोफेसर हूं, अंतरयामी नहीं, जो चार मैसेज से आप के मन की बात जान लूं. कभी प्रैक्टिकल का मौका ही नहीं मिला. अगर मिला तो जरूर कर के दिखाऊंगा.’’ प्रोफेसर साहब ने मैसेज किया.

वह दूसरी ओर से मैसेज आने का इंतजार कर ही रहे थे कि उन की पत्नी चाय ले कर कमरे में आ गईं. सुबहसुबह प्रोफेसर साहब को फोन में डूबे देख कर उन्हें गुस्सा आ गया. उन्होंने थोड़ी तेज आवाज में कहा, ‘‘सुबहसुबह ही फोन में लग गए. आप के पास और कोई काम नहीं है क्या?’’

पत्नी को नाराज होते देख प्रोफेसर साहब ने जवाब देखे बगैर ही फोन रख दिया और कप उठा कर चाय पीने लगे. वह चाय जरूर पी रहे थे, पर उन के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि उस ने पता नहीं क्या जवाब दिया है. पत्नी जैसे ही खाली कप उठा कर किचन में रखने गई, उन्होंने झट फोन उठा कर मैसेज देखा. दूसरी ओर से मैसेज आया था, ‘‘आप कैसे मर्द हैं जो एक लड़की के मन की बात भी नहीं जान पाते. आप की उम्र कितनी है?’’

प्रोफेसर साहब ने जब उस के इस मैसेज का जवाब नहीं दिया तो दूसरी ओर से फिर मैसेज किया गया , ‘‘अरे, कहां चले गए?’’

इन दोनों संदेशों के जवाब में प्रोफेसर साहब ने मैसेज किया, ‘‘अभी नहीं, तुम दोपहर में औनलाइन रहना, उस समय बात करेंगे. अभी वाइफ बगल में बैठी हैं, इसलिए बात नहीं कर सकते.’’

दूसरी ओर से तुरंत जवाब आ गया, ‘‘ओके.’’

प्रोफेसर साहब अपनी इस फेसबुक फ्रैंड से बात करने को बेचैन थे. पर मजबूर थे. इसलिए किसी तरह दोपहर तक का समय बिताया. पर बीचबीच में वह फोन उठा कर देख जरूर लेते थे. आखिर किसी तरह तरह दोपहर हुई. खाना खा कर वाइफ आराम करने के लिए लेट गईं तो प्रोफैसर सैयद नासिर हुसैन जी फोन ले कर फिर बैठ गए. उन्होंने फोन खोल कर देखा तो सपना चौहान नाम की वह लड़की औनलाइन थी. इतनी देर में उस ने अपनी प्रोफाइल फोटो बदल दी थी. इस बार उस ने बड़ी ही अश्लील फोटो लगा रखी थी. प्रोफेसर साहब वह प्रोफाइल फोटो देख कर ही उत्तेजित हो उठे. उन्होंने मैसेज किया, ‘‘हाय.’’

दूसरी ओर से जवाब आया, ‘‘हाय प्रोफेसर साहब, आप ने तो बड़ा इंतजार कराया. आप ने बताया नहीं जो मैं ने पूछा था?’’

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि आप मर्द हो कर भी एक लड़की के मन की बात नहीं जान पाते. जबकि आप मनोविज्ञान के प्रोफेसर हैं.’’

‘‘हर बात कहनी जरूरी नहीं है. मेरी और तुम्हारी उम्र में बड़ा अंतर है. प्यार की बात मैं कर नहीं सकता. मेरी उम्र 55 साल है. प्रोफाइल के अनुसार तुम 22 साल की हो. मेरा और तुम्हारा कोई जोड़ नहीं है. इसलिए मैं तुम्हारे मन की बात जान कर भी क्या करूंगा.’’ प्रोफेसर साहब ने मैसेज भेजा.

‘‘मैं प्यार की बात नहीं कर रही. आप सैक्स तो कर सकते हैं. मुझे बड़ी उम्र के लोग बहुत पसंद हैं. वे अनुभवी होते हैं. फिर आप तो काफी स्मार्ट हैं. आप के साथ सैक्स करने में बड़ा मजा आएगा. आप करेंगे मेरे साथ सैक्स?’’ दूसरी ओर से सपना चौहान ने खुलेआम सैक्स करने की बात कही तो प्रोफेसर साहब का मन हिलोरें लेने लगा. उन की आंखों के सामने प्रोफाइल में लगी अश्लील फोटो तैरने लगी.

प्रोफेसर साहब ने मैसेज भेजा, ‘‘आप कहां रहती हैं?’’

‘‘यह जान कर क्या करेंगे? पहले आप यह बताइए कि मेरे साथ करेंगे न…?’’ सपना की ओर से मैसेज आया.

‘‘यह मेरा सौभाग्य होगा. मैं खुद को बड़ा भाग्यशाली समझूंगा तुम से मिल कर.’’ प्रोफेसर साहब ने जवाब दिया.

‘‘तो फिर आप अपना वाट्सऐप नंबर दीजिए.’’ सपना ने मैसेज द्वारा प्रोफसर साहब का नंबर मांगा. 22 साल की खूबसूरत लड़की 55 साल के आदमी के साथ सैक्स करने को तैयार थी. वह भी बिना किसी लालच या शर्त के. प्रोफेसर साहब से वह कुछ मांग भी नहीं रही थी. ऐसे में भला प्रोफेसर साहब उसे अपना नंबर क्यों न देते. झट से उन्होंने अपना नंबर इनबौक्स में टाइप किया और बिना कुछ सोचेविचारे सेंड कर दिया. मैसेज भेजने के थोड़ी देर बाद ही उन के इनबौक्स में मैसेज आया कि अब आप वाट्सऐप पर आइए. मैं ने आप के वाट्सऐप पर मैसेज भेज दिया है.

प्रोफेसर साहब ने वाट्सऐप खोला तो देखा एक नंबर से मैसेज आया हुआ था. प्रोफेसर साहब अब तक सपना की बातों से उस के लिए पागल हो चुके थे. उन्होंने झट मैसेज भेजा, ‘‘जी कहिए.’’

सपना की ओर से मैसेज आया, ‘‘मैं आप को वीडियो काल कर रही हूं. आप अपने कपड़े उतारिए, मैं भी अपने कपड़े उतार रही हूं.’’

यह मैसेज पढ़ कर तो प्रोफेसर साहब की धड़कनें बढ़ गईं. अपनी धड़कनों पर काबू पाते हुए प्रोफेसर साहब ने जवाब दिया, ‘‘पहले आप अपनी फोटो तो भेजिए. मैं आप को देखना चाहता हूं.’’

‘‘वीडियो काल कीजिए. आप शक्ल देखने की बात कर रहे हैं. मैं तो आप को सब कुछ दिखाने को तैयार हूं. जन्नत की सैर कराना चाहती हूं मैं आप को.’’ सपना का मैसेज आया. प्रोफेसर साहब सपना को देखने के लिए जितना बेचैन थे, उतनी ही बेचैनी सपना अपना सब कुछ दिखाने के लिए दिखा थी. इस बेचैनी को शांत करने के लिए प्रोफेसर साहब ने आखिर वीडियो काल कर ही दिया. दूसरी ओर से फोन उठ भी गया. पर आवाज म्यूट कर दी थी. प्रोफेसर साहब की नजरें स्क्रीन पर ही जमी थीं. दूसरी ओर से किसी लड़की की धुंधली सी तसवीर दिखाई दी. वह लड़की अपने कपड़े उतार रही थी. पर वह कपड़े उतारती, उस के पहले ही फोन काट दिया गया.

फोन काट कर सपना ने मैसेज भेजा, ‘‘आप तो केवल देख रहे हैं. कपड़े उतार ही नहीं रहे हैं. आप भी अपने कपड़े उतारिए न.’’

‘‘ठीक है, मैं कपड़े उतार कर काल करता हूं.’’ प्रोफेसर साहब ने तुरंत मैसेज किया. प्रोफेसर साहब पूरे जोश में थे.

वीडियो काल में सपना को कपड़े उतारते देख कर अब तक वह उत्तेजित भी हो चुके थे. उन्होंने झट कमरे का दरवाजा बंद किया और कपड़े उतारने लगे. अभी वह कपड़े उतार ही रहे थे कि सपना ने फोन कर दिया. उन्होंने झट से पायजामा और अंडरवियर उतार कर फेंकी और फोन रिसीव कर के फोन के कैमरे के सामने खड़े हो गए. फोन उन्होंने कमरे में रखी मेज पर सीधा कर के रख दिया और उस के सामने खड़े हो कर अपनी मर्दानगी की नुमाइश करने लगे. दूसरी ओर से भी वीडियो में एक लड़की अपने कपड़े उतारती दिखाई दे रही थी.

चूंकि दूसरी ओर फोन करने वाली सपना ने आवाज म्यूट कर रखी थी, इसलिए न उधर से कोई आवाज आ रही थी और न प्रोफेसर साहब की आवाज जा रही थी. करीब डेढ़ मिनट तक यह खेल चलता रहा. प्रोफेसर साहब खुश थे कि उन्होंने 22 साल की एक लड़की को बिना कपड़ों में देखा और उसे अपनी मर्दानगी भी दिखाई. लेकिन उन की यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी. इस की वजह यह थी कि अभी अपने सारे कपड़े पहन कर बैड पर बैठे ही थे कि उन के फोन पर सपना का मैसेज आ गया. उन्होंने सोचा सपना ने कोई सैक्सी मैसेज भेजा होगा. पर उन्होंने जब मैसेज खोल कर देखा तो सन्न रह गए. सपना ने एक वीडियो भेजी थी, जिस में दूसरी ओर से एक लड़की कपड़े उतार रही थी. उसी वीडियो में एक कोने में प्रोफेसर साहब अपनी मर्दानगी की नुमाइश कर रहे थे.

यह वीडियो देख कर प्रोफेसर साहब के होश उड़ गए. वह समझ गए कि वीडियो भेजने वाले का इरादा नेक नहीं है. वह फंस चुके हैं. क्योंकि अगर यह वीडियो उन का कोई भी परिचित या रिश्तेदार या दोस्त देख लेता तो वह किसी को मुंह दिखाने लायक न रहते. वह इसी तरह की बातें सोच रहे थे कि सपना का मैसेज आ गया, ‘‘कैसा लगा वीडियो? मेरे खयाल से वीडियो अच्छा लगा होगा. आप तो जानते ही हैं कि अगर यह वीडियो सोशल मीडिया पर पहुंच गया तो आप का क्या हाल होगा. अगर आप चाहते हैं कि आप का यह वीडियो मेरे और आप के अलावा कोई तीसरा न देखे तो आप मुझें 25 हजार रुपए मेरे बैंक एकाउंट में डाल दीजिए.’’

प्रोफेसर साहब की हालत खस्ता हो चुकी थी. काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में वह सिर पर हाथ रखे बैठे थे. वह सोच ही रहे थे कि अब क्या करें, तभी दूसरी ओर से फिर स्क्रीन शौट के साथ मैसेज आ गया, ‘‘क्या निर्णय लिया आप ने? पैसे देंगे या फिर आप की वीडियो फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर अपलोड कर दूं.’’

थोड़ी देर पहले जिसे प्रोफेसर नासिर हुसैन खुश हो कर धड़ाधड़ मैसेज कर रहे थे, अब वह उन्हें खलनायिका नजर आ रही थी. अब वह फोन उठाने से भी घबरा रहे थे. समाज में उन की एक प्रतिष्ठा थी, इज्जत थी. जोश में आ कर वह ऐसी गलती कर बैठे थे, जिसे वह किसी से कह भी नहीं सकते थे. वह मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे. फिर भी वह सचमुच उस लड़की के मन की बात नहीं जान पाए. तभी उन के मन में आया कि यह लड़की कतई नहीं हो सकती. यह कोई लड़का है, जिस ने लड़की के नाम की आईडी बना कर लड़की का फोटो लगा कर उन्हें फंसाया है. लेकिन अब तो वह फंस ही चुके थे. इस जाल से निकलें कैसे. उन्होंने जवाब भेजा, ‘‘थोड़ा सोचनेविचारने का मौका दो. आप ने मेरे साथ जो किया है, ठीक नहीं किया है.’’

‘‘यह आप को पहले सोचना चाहिए था. अब तो आप को रुपए देने के बारे में सोचना है. आप जल्दी रुपए भेजिए, वरना मैं वीडियो अपलोड करने जा रही हूं.’’

मरता क्या न करता. अपनी इज्जत बचाने के लिए प्रोफेसर साहब ने 25 हजार रुपए सपना द्वारा दिए एकाउंट नंबर पर ट्रांसफर कर दिए. उन्होंने सोचा 25 हजार रुपए दे कर इज्जत बच रही है तो कोई बुरा नहीं है. पैसे भेजने के साथ ही उन्होंने मैसेज किया, ‘‘मैं ने आप को मुंहमांगे रुपए दे दिए हैं. अब आप मेरी वीडियो अपने फोन से डिलीट कर दीजिएगा.’’

कथित सपना चौहान ने जवाब में मैसेज भेजा, ‘‘आप तो बड़ी जल्दी हार मान बैठे. एक ही बार के सैक्स में आप की सारी मर्दानगी हवा हो गई, जबकि अभी तो मुझे मजा ही नहीं आया. जब तक आप मुझे पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर देंगे, तब तक मैं आप का पीछा छोड़ने वाली नहीं हूं.’’

प्रोफेसर साहब समझ गए कि वह बुरी तरह फंस चुके हैं. इस जाल से निकलने का उन्हें कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा था. अपनी यह विपत्ति वह किसी से कह भी नहीं सकते थे. अपनी इस विपत्ति के बारे में वह किसी से भी कुछ कहते, वह उन्हें चार बात तो सुनाता ही, उन की पोल भी खोल देता. इसी डर से वह पुलिस के पास भी नहीं जा रहे थे. धीरेधीरे प्रोफेसर साहब ने 3 लाख 13 हजार रुपए सपना को दे दिए. इस के बावजूद सपना उन का पीछा नहीं छोड़ रही थी. वह और पैसे मांग रही थी. प्रोफेसर सैयद नासिर हुसैन को लगा कि अब वह इस सपना नाम की चुड़ैल से पैसे दे कर पीछा नहीं छुड़ा पाएंगे तो उन्होंने पुलिस के पास जाने का निर्णय ले लिया.

यह साइबर क्राइम का मामला था. इसलिए प्रोफेसर साहब सीधे अलीगढ़ के थाना साइबर क्राइम पहुंचे. थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह से मिल कर उन्होंने अपनी सारी परेशानी बताई, साथ ही निवेदन भी किया कि किसी भी तरह उन का नाम सामने न आने पाए, वरना वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. सुरेंद्र सिंह ने प्रोफेसर साहब से प्रार्थना पत्र ले कर अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 384, 419, 420 और आईटी एक्ट 66डी, 66ई के तहत मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने प्रोफेसर साहब से वह नंबर भी ले लिया था, जिस नंबर से उन्हें फोन किया जाता था.

कुल 3 नंबर थे, जिन से प्रोफेसर साहब को फोन किए जा रहे थे. उन्हीं नंबरों पर उन्होंने कुछ पैसे भी भेजे थे. इस का मतलब था कि वे नंबर किसी फरजी आईडी पर नहीं लिए गए थे. थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह ने सारे नंबरों को सर्विलांस पर लगवाने के साथ उन की डिटेल्स भी निकलवाई. पता चला कि वे नंबर उत्तर प्रदेश के जिला झांसी में ऐक्टिव थे. इस का मतलब प्रोफेसर साहब को जो लोग ब्लैकमेल कर रहे थे, वे झांसी में रह रहे थे. जिन 3 नंबरों से प्रोफेसर साहब को फोन किए जा रहे थे, वे तीनों नंबर अलगअलग मोबाइलों में चल रहे थे. इस से सुरेंद्र सिंह को लगा कि इस मामले में एक से अधिक लोग शामिल हैं. उन्होंने तीनों नंबरों की आईडी निकलवाई, जिस से उन्हें उन नंबरों को चलाने वाले के नाम और पते मिल गए.

सारे सबूत जुटा कर अलीगढ़ साइबर क्राइम पुलिस ने झांसी के थाना सिपरी बाजार पुलिस की मदद से अशफाक खान निवासी नानकगंज, मोहम्मद जावेद खान और मोहम्मद शोएब निवासी चमनगंज को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने इन के पास से सबूत के तौर पर मोबाइल फोन, बैंक खाते का विवरण, चैकबुक और इंटरनेट का सामान बरामद कर लिया. पुलिस ने यह सारा सामान जब्त कर लिया. कंप्यूटर की हार्डडिस्क सीज कर दी थी. पूछताछ में तीनों आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. तीनों आरोपियों ने पूछताछ में जो बताया, उस के अनुसार तीनों युवक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. घर से खर्च के लिए जो पैसे मिलते थे, उस से उन का खर्च पूरा नहीं होता था. क्योंकि यह फिजूलखर्ची हो चुके थे.

अपने शौक पूरे करने के लिए ही ये तीनों ब्लैकमेलिंग का यह अपराध करने लगे थे. उन्होंने बताया कि इन्होंने उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड आदि राज्यों के लोगों से भी इसी तरह लाखों रुपए की ठगी की है. मजे की बात यह है कि इन लोगों ने अब तक जितने लोगों से लाखों रुपए ठगे हैं, उन में से अभी तक किसी ने खुद के ठगे जाने की कहीं शिकायत नहीं की थी. इसीलिए इन की हिम्मत बढ़ी हुई थी. प्रोफेसर साहब अगर हिम्मत न करते तो इन का यह गोरखधंधा अभी भी चल रहा होता.

पूछताछ में गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों ने बताया कि ये लोगों को फंसाने के लिए सब से पहले अलगअलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लड़की के नाम से फरजी आईडी बनाते थे. उस आईडी पर किसी सुंदर लड़की का या फिर आपत्तिजनक फोटो लगाते थे. उसी सोशल मीडिया आईडी से अधेड़ या बुजुर्गों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजते थे. वीडियो काल के दौरान ये आपत्तिजनक वीडियो दिखाते थे. दूसरी ओर काल रिसीव करने वाला व्यक्ति जब अपने कपड़े उतारता तो पहले से लगाए स्क्रीन सेवर की वजह से उस की आपत्तिजनक स्थिति की वीडियो भी बन जाती थी. उसी वीडियो के द्वारा वह उस की जेब ढीली करते.

छोटीमोटी रकम होती तो ये पेटीएम में डलवाते थे और बड़ी रकम सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करवाते थे. ऐसा ही इन्होंने अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैयद नासिर हुसैन के साथ भी किया था. पूछताछ के बाद थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह ने तीनों आरोपियों को अलीगढ़ की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Social Story

 

Crime Stories : लड़कियों को किडनैप कर जबरन कराया जाता था जिस्मफरोशी धंधा करवाया

Crime Stories : औनलाइन सैक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह से 12 साल की मानसी को बरामद करने पर पुलिस को ऐसी चौंकाने वाली जानकारी मिली कि…

22  जनवरी, 2021 की बात है. 12 साल की मानसी पास की दुकान से चिप्स लेने गई थी. जब वह काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी तो घर वालों को उस की चिंता हुई. घर वाले उस दुकानदार के पास पहुंचे, जिस के पास वह अकसर खानेपीने का सामान लाती थी. उन्होंने उस दुकानदार से मानसी के बारे में पूछा तो दुकानदार ने बताया कि मानसी तो काफी देर पहले ही चिप्स का पैकेट ले कर जा चुकी है. जब वह चिप्स ले कर जा चुकी है तो घर क्यों नहीं पहुंची, यह बात घर वालों की समझ में नहीं आ रही थी. उन्होंने आसपास के बच्चों से उस के बारे में पूछा, लेकिन उन से भी मानसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मानसी गई तो गई कहां. उन्होंने उसे इधरउधर तमाम संभावित जगहों पर ढूंढा लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. तब उन्होंने इस की सूचना पश्चिमी दिल्ली के थाना राजौरी गार्डन में दे दी. चूंकि मामला एक नाबालिग लड़की के लापता होने का था, इसलिए पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया. पुलिस ने मानसी के पिता की तरफ से गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. डीसीपी (पश्चिमी दिल्ली) उर्विजा गोयल को जब 12 वर्षीय मानसी के गायब होने की जानकारी मिली तब उन्होंने थाना पुलिस को इस मामले में तीव्र काररवाई करने के आदेश दिए. डीसीपी का आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच के लिए एएसआई विनती प्रसाद के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी.

एएसआई विनती प्रसाद ने सब से पहले लापता बच्ची के घर वालों से उस के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इतना ही नहीं, उन्होंने घर वालों से यह भी जानना चाहा कि उन की किसी से कोई रंजिश तो नहीं है. घर वालों ने उन से साफ कह दिया कि उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. इस के बाद पुलिस अपने स्तर से मानसी को तलाशने लगी. जिस जगह से मानसी गायब हुई थी, पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इस के अलावा स्थानीय लोगों से भी बच्ची के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी निगरानी कर दी, लेकिन कहीं से भी मानसी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस टीम को जांच करतेकरते करीब 2 महीने बीत चुके थे. जब बच्ची कहीं नहीं मिली तो पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एंगल को ध्यान में रखते हुए केस की जांच शुरू कर दी. यानी पुलिस को यह शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बच्ची जिस्मफरोशी गैंग के चंगुल में फंस गई हो. इस बिंदु पर जांच करतेकरते पुलिस टीम ने कई जगहों पर दबिशें दीं, लेकिन लापता बच्ची का सुराग नहीं मिला. करीब 2 महीने बाद पुलिस को सूचना मिली कि मानसी का अपहरण करने के बाद उसे दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में रखा गया है और वहीं पर उस से जिस्मफरोशी का धंधा कराया जा रहा है. यह सूचना रोंगटे खड़े कर देने वाली थी.

क्योंकि मानसी की उम्र केवल 12 साल थी और इस उम्र में उस बच्ची के साथ जिस तरह का कार्य कराने की जानकारी मिली, वह मानवता को शर्मसार करने वाली ही थी. जांच अधिकारी विनती प्रसाद ने यह खबर अपने उच्चाधिकारियों को दी फिर उन्हीं के दिशानिर्देश पर पुलिस टीम ने 17 मार्च, 2021 को मजनूं का टीला इलाके में एक घर पर दबिश दी. मुखबिर की सूचना सही निकली. मानसी वहीं पर मिल गई. पुलिस ने मानसी को सब से पहले अपने कब्जे में लिया. इस के बाद पुलिस ने वहां 2 महिलाओं सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया.

पुलिस ने उन सभी से पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार किया कि वे बड़े स्तर पर एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराते थे और उन का धंधा ज्यादातर वाट्सऐप ग्रुप और इंटरनेट के माध्यम से चलता है. उन के पास से पुलिस ने 5 मोबाइल फोन बरामद किए. फोनों की जांच की गई तो तमाम वाट्सऐप ग्रुप में ऐसी लड़कियों के अनेक फोटो मिले, जिन से वे जिस्मफरोशी कराते थे. पुलिस ने गिरफ्तार किए हुए उन चारों लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उन में से संजय राजपूत और कनिका राय मजनूं का टीला के रहने वाले थे जबकि अंशु शर्मा  मुरादाबाद का और सपना गोयल मुजफ्फरनगर की.

ये सभी औनलाइन सैक्स रैकेट चलाते थे. जांच में पता चला कि इन लोगों के काम करने का तरीका एकदम अलग था. यह गिरोह सोशल साइट पर ज्यादा सक्रिय था. गैंग के लोग 150 से ज्यादा वाट्सऐप ग्रुप में सक्रिय थे. एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराने वाली लड़की के फोटो ये वाट्सऐप ग्रुप में शेयर करते थे. इस के बाद ग्रुप से जो कस्टमर इन के संपर्क में आता था, उस से यह पर्सनल चैटिंग करने के बाद पैसों की डील फाइनल करते थे. फिर औनलाइन ही पेमेंट अपने खाते में ट्रांसफर कराने के बाद कस्टमर के बताए गए स्थान पर ये लड़की को सप्लाई करते थे.

इस तरह यह गैंग देश के अलगअलग बड़े शहरों में लड़कियों की सप्लाई करते था. इतना ही नहीं, फाइव स्टार होटलों में भी इन के पास से लड़कियां सप्लाई की जाती थीं. आरोपियों ने बताया कि उन के गैंग के सदस्य अलगअलग जगहों से लड़कियां उन के पास लाते थे. मानसी का भी गैंग के 2 लोगों ने अपहरण उस समय किया था, जब वह दुकान पर गई थी. उस का अपहरण करने के बाद वह उसे अपने घर पर ले गए थे. उन्होंने मानसी से कहा था कि आज उन के यहां पर जन्मदिन है इसलिए वह बच्चों को इकट्ठा कर के केक काटेंगे. उन्होंने मानसी को केक खाने को दिया. केक खाते ही मानसी को नशा हो गया. इस के बाद दोनों मानसी को मजनूं का टीला ले गए, वहां पर संजय राजपूत, अंशु शर्मा, सपना गोयल और कनिका राय मिली.

12 साल की बच्ची को देख कर ये चारों खुश हो गए कि अब इस से मोटी कमाई की जा सकती है. क्योंकि वह तो उसे सोने का अंडा देने वाली मुरगी समझ रहे थे. जब मानसी पर हल्का नशा सवार था, तभी उस के साथ रेप किया गया. होश आने पर मानसी दर्द से कराहती रही. इस के बाद भी इन लोगों को उस पर दया नहीं आई. उन्होंने उसी रात उसे किसी दूसरे ग्राहक के सामने पेश किया. इस तरह वह मानसी का शारीरिक शोषण करते रहे. जब वह विरोध करती तो ये लोग उसे प्रताडि़त करते थे. इस तरह मानसी इन लोगों के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी थी. वहां से निकलने का उस के पास कोई उपाय नहीं था.

आरोपियों के 2 अन्य साथी फरार हो चुके थे. पुलिस ने उन की तलाश में अनेक स्थानों पर दबिश दी, लेकिन उन का पता नहीं चला. आरोपी 35 वर्षीय संजय राजपूत, 21 वर्षीय अंशु शर्मा, 24 साल की सपना गोयल और 28 साल की कनिका राय से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अभियुक्तों के पास से बरामद की गई 12 वर्षीय मानसी को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती करा दिया. मानसी ने अपने साथ घटी सारी घटना पुलिस को बता दी.    आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस गंभीरता से इस बात की जांच करने में जुट गई. इस गैंग के तार देश में किनकिन लोगों से जुड़े थे और इन्होंने अब तक कितनी लड़कियों का अपहरण किया था. Crime Stories

(कथा में मानसी परिवर्तित नाम है)

 

Police : तलाक के बाद अनीता प्रभा की डीएसपी बनने की इंस्पायरिंग स्टोरी

Police : अनीता प्रभा ने अपने दम पर जो किया वह बहुत मुश्किल था, बहुत ज्यादा मुश्किल. लेकिन इस मुश्किल से मिली सफलता का स्वाद…

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों… कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां प्रभात शर्मा पर सटीक बैठती हैं. इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए अनीता प्रभा ने अपने दृढ़ आत्मविश्वास, अटूट लगन और अथक परिश्रम से असंभव को भी संभव कर दिखाया. मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के एक छोटे से कस्बे के पारंपरिक परिवार में जन्मी अनीता प्रभा जिंदगी में कुछ खास करना चाहती थीं. लेकिन पारिवारिक बंदिशों के चलते 10वीं के बाद उन की पढ़ाई बंद हुई तो वह भाई के पास ग्वालियर चली गईं और वहां से 12वीं पास की. इस के बाद मात्र 17 साल की उम्र में उन की शादी 10 साल बड़े लड़के से कर दी गई.

ससुराल के हालात कुछ अच्छे नहीं थे. अनीता ने ससुराल में जिद कर के ग्रैजुएशन करना शुरू कर दिया. लेकिन वक्त यहां भी आड़े आ गया. फाइनल ईयर के एग्जाम से पहले उन के पति का एक्सीडेंट हो गया, जिस की वजह से अनीता एग्जाम नहीं दे पाईं. फाइनल ईयर के एग्जाम उन्होंने अगले साल क्लियर किए. 4 साल में ग्रैजुएशन करने का नुकसान यह हुआ कि अनीता प्रोबेशनरी बैंक आफिसर की पोस्ट के लिए रिजेक्ट कर दी गईं. घर की आर्थिक हालत दयनीय देख अनीता प्रभा ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया और ब्यूटीपार्लर में काम करना शुरू कर दिया. इस से आर्थिक मदद तो होने लगी परंतु जिंदगी का सफर इतना आसान कहां था. अनीता प्रभा और उन के पति की उम्र में ही नहीं, सोच में भी अंतर था. यही वजह थी कि दोनों में टकराव शुरू हो गया.

अनीता प्रभा ने घरेलू हालात से निपटते हुए 2013 में विवादों से घिरे व्यापमं की फौरेस्ट गार्ड की परीक्षा दी. यह परीक्षा उन्होंने 4 घंटे में 14 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर के दी थी. उन की मेहनत रंग लाई और दिसंबर 2013 में उन्हें बालाघाट में पोस्टिंग मिल गई. लेकिन अनीता यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए व्यापमं के सबइंस्पेक्टर पोस्ट के लिए परीक्षा दी. लेकिन इस के फिजिकल टेस्ट में सफल नहीं हो सकीं. उन्होंने हिम्मत न हारते हुए दूसरी बार प्रयास किया और 2 महीने पहले ओवरी ट्यूमर का औपरेशन कराने के बावजूद फिजिकल टेस्ट पास कर के सबइंस्पेक्टर बन गईं. उन्होंने बतौर सूबेदार जिला रिजर्व पुलिस लाइन में जौइन किया. इस की ट्रेनिंग के लिए वह सागर चली गईं.

इसी दौरान उन के तलाक का केस भी कोर्ट में चला गया था. दूसरी तरफ व्यापमं की तैयारी करते हुए अनीता प्रभा ने मध्य प्रदेश स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा दी. उस के रिजल्ट का इंतजार न कर के अनीता सागर के लिए रवाना हो गईं. ट्रेनिंग के दौरान ही एमपीपीएससी के रिजल्ट आए. जिस में अनीता महिला वर्ग में 17वें नंबर पर थीं. यह एक महत्त्वाकांक्षी लड़की की अभूतपूर्व जीत थी. वह डीएसपी रैंक के लिए चयनित हो गई थीं. इस जीत का उत्सव मनाते हुए अनीता प्रभा ट्रेनिंग छोड़ कर वापस लौट आईं और अपने डीएसपी पद के जौइनिंग और्डर का इंतजार करने लगीं. किसी फिल्म सरीखी लगने वाली यह कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिस ने बाल विवाह का दंश झेला.

समाज और परिवार की रुढि़वादी परंपराओं को सहा लेकिन अपने हौसले को पस्त नहीं होने दिया और न ही अपने सपने को मरने दिया. उस ने कांटों भरी डगर पर चल कर अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. लेकिन राह यहीं खत्म नहीं हुई. अनीता प्रभा का सपना और ऊंचा मुकाम हासिल करना था यानी डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंचना, जिस के लिए वह प्रयासरत भी हैं. जो भी हो, इतना संघर्ष कर के मात्र 25 वर्ष की आयु में राजपत्रित पद पर पहुंचना एक अभूतपूर्व सफलता है, जो युवाओं के लिए प्रेरणास्पद भी है और अनुकरणीय भी.

Hindi Kahani : राजा सारी उम्र मनाने की कोशिश करता रहा, पर रानी मरते दम तक नाराज रही

Hindi Kahani : ऐसा नहीं था कि शूरवीर राजा मालदेव अपनी रानी उमादे को प्यार नहीं करते थे, लेकिन अनजाने में उन से हुई एक भूल की वजह से उमादे उन से रूठ गईं और जिंदगी भर रूठी रहीं. लेकिन उन्होंने पतिव्रत धर्म भी…

रेतीले राजस्थान को शूरवीरों की वीरता और प्रेम की कहानियों के लिए जाना जाता है. राजस्थान के इतिहास में प्रेम रस और वीर रस से भरी तमाम ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं, जिन्हें पढ़सुन कर ऐसा लगता है जैसे ये सच्ची कहानियां कल्पनाओं की दुनिया में ढूंढ कर लाई गई हों. मेड़ता के राव वीरमदेव और राव जयमल के काल में जोधपुर के राव मालदेव शासन करते थे. राव मालदेव अपने समय के राजपूताना के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक थे. शूरवीर और धुन के पक्के. उन्होंने अपने बल पर  जोधपुर राज्य की सीमाओं का काफी विस्तार किया था. उन की सेना में राव जैता व कूंपा नाम के 2 शूरवीर सेनापति थे.

यदि मालदेव, राव वीरमदेव व उन के पुत्र वीर शिरोमणि जयमल से बैर न रखते और जयमल की प्रस्तावित संधि मान लेते, जिस में राव जयमल ने शांति के लिए अपने पैतृक टिकाई राज्य जोधपुर की अधीनता तक स्वीकार करने की पेशकश की थी, तो स्थिति बदल जाती. जयमल जैसे वीर और जैता कूंपा जैसे सेनापतियों के होते राव मालदेव दिल्ली को फतह करने तक समर्थ हो जाते. राव मालदेव के 31 साल के शासन काल तक पूरे भारत में उन की टक्कर का कोई राजा नहीं था. लेकिन यह परम शूरवीर राजा अपनी एक रूठी रानी को पूरी जिंदगी नहीं मना सका और वह रानी मरते दम तक अपने पति से रूठी रही.

जीवन में 52 युद्ध लड़ने वाले इस शूरवीर राव मालदेव की शादी 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1535 में जैसलमेर के रावल लूनकरण की बेटी राजकुमारी उमादे के साथ हुई थी. उमादे अपनी सुंदरता व चतुराई के लिए प्रसिद्ध थीं. राठौड़ राव मालदेव की शादी बारात लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुंची. बारात का खूब स्वागतसत्कार हुआ. बारातियों के लिए विशेष ‘जानी डेरे’ की व्यवस्था की गई. ऊंट, घोड़ों, हाथियों के लिए चारा, दाना, पानी की व्यवस्था की गई. राजकुमारी उमादे राव मालदेव जैसा शूरवीर और महाप्रतापी राजा पति के रूप में पाकर बेहद खुश थीं. पंडितों ने शुभ वेला में राव मालदेव की राजकुमारी उमादे से शादी संपन्न कराई.

चारों तरफ हंसीखुशी का माहौल था. शादी के बाद राव मालदेव अपने सरदारों व सगेसंबंधियों के साथ महफिल में बैठ गए. महफिल काफी रात गए तक चली. इस के बाद तमाम घराती, बाराती खापी कर सोने चले गए. राव मालदेव ने थोड़ीथोड़ी कर के काफी शराब पी ली थी. उन्हें नशा हो रहा था. वह महफिल से उठ कर अपने कक्ष में नहीं आए. उमादे सुहाग सेज पर उन की राह देखतीदेखती थक गईं. नईनवेली दुलहन उमादे अपनी खास दासी भारमली जिसे उमादे को दहेज में दिया गया था. उन्होंने भारमली को मालदेव को बुलाने भेजने का फैसला किया. उमादे ने भारमली से कहा, ‘‘भारमली, जा कर रावजी को बुला लाओ. बहुत देर कर दी उन्होंने…’’

भारमली ने आज्ञा का पालन किया. वह राव मालदेव को बुलाने उन के कक्ष में चली गई. राव मालदेव शराब के नशे में थे. नशे की वजह से उन की आंखें मुंद रही थीं कि पायल की रुनझुन से राव ने दरवाजे पर देखा तो जैसे होश गुम हो गए. फानूस तो छत में था, पर रोशनी सामने से आ रही थी. मुंह खुला का खुला रह गया. 17-18 साल की कोई अप्सरा खड़ी थी. गोरेगोरे भरे गालों से मलाई टपक रही थी. शरीर मछली जैसा नरमनरम. होंठों के ऊपर मौसर पर पसीने की हलकीहलकी बूंदें झिलमिला रही थीं जैसे होठों से रस छलक गया हो. भारमली कुछ बोलती, उस से पहले ही राव मालदेव ने यह सोच कर कि उन की नवव्याहता रानी उमादे है, झट से उसे अपने आगोश में ले लिया. भारमली को कुछ बोलने का मौका नहीं मिला या वह जानबूझ कर नहीं बोली, वह ही जाने.

भारमली भी जब काफी देर तक वापस नहीं लौटी तो रानी उमादे ने आरती का थाल उठाया, जिस थाल से रावजी की आरती उतारनी थी और उस कक्ष की तरफ चल पड़ी, जिस कक्ष में राव मालदेव का डेरा था. उधर राव मालदे ने भारमली को अपनी रानी समझ लिया था और वह शराब के नशे में उस से प्रेम करने लगे थे. रानी उमादे जब रावजी के कक्ष में गई और भारमली को उन के आगोश में देख रानी ने आरती का थाल यह कह कर ‘अब राव मालदेव मेरे लायक नहीं रहे,’ पटक दिया और वापस चली गईं. अब तक राव मालदेव के सब कुछ समझ में आ गया था. मगर देर हो चुकी थी. उन्होंने सोचा कि जैसेतैसे रानी को मना लेंगे. भारमली ने राव मालदेव को सारी बात बता दी थी कि वह उमादे के कहने पर उन्हें बुलाने आई थी.

उन्होंने उसे कुछ बोलने नहीं दिया और आगोश में भर लिया. रानी उमादे ने यहां आ कर यह सब देखा तो रूठ कर चली गईं. सुबह तक राव मालदेव का सारा नशा उतर चुका था. वह बहुत शर्मिंदा हुए. रानी उमादे के पास जा कर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए उन्होंने भूल होने की बात कही. कहा कि वह नशे में भारमली को रानी उमादे समझ बैठे थे. मगर उमादे रूठी हुई थीं. उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि वह बारात के साथ नहीं जाएगी. वो भारमली को ले जाएं. फलस्वरूप एक शक्तिशाली राजा को बिना दुलहन के एक दासी को ले कर वापस बारात ले जानी पड़ी. रानी उमादे आजीवन राम मालदेव से रूठी ही रहीं और इतिहास में रूठी रानी के नाम से मशहूर हुईं. जैसलमेर की यह राजकुमारी रूठने के बाद जैसलमेर में ही रह गई थीं.

राव मालदेव दहेज में मिली दासी भारमली बारात के साथ बिना दुलहन के जोधपुर आ गए थे. उन्हें इस का बड़ा दुख हुआ था. सब कुछ एक गलतफहमी के कारण हुआ था. राव मालदेव ने अपनी रूठी रानी उमादे के लिए जोधपुर में किले के पास एक हवेली बनवाई. उन्हें विश्वास था कि आखिर कभी न कभी रानी मान जाएगी. जैसलमेर की यह राजकुमारी बहुत खूबसूरत व चतुर थी. उस समय उमादे जैसी खूबसूरत महिला पूरे राजपूताने में नहीं थी. वही सुंदर राजकुमारी मात्र फेरे ले कर राव मालदेव की रानी बन गई थी. ऐसी रानी जो पति से आजीवन रूठी रही. जोधपुर के इस शक्तिशाली राजा मालदेव ने उमादे को मनाने की बहुत कोशिशें कीं मगर सब व्यर्थ. वह नहीं मानी तो नहीं मानी.

आखिर में राव मालदेव ने एक बार फिर कोशिश की उमादे को मनाने की. इस बार राव मालदव ने अपने चतुर कवि आशानंदजी चारण को उमादे को मना कर लाने के लिए जैसलमेर भेजा. चारण जाति के लोग बुद्धि से चतुर व अपनी वाणी से वाकपटुता व उत्कृष्ट कवि के तौर पर जाने जाते हैं. राव मालदेव के दरबार के कवि आशानंद चारण बड़े भावुक थे. निर्भीक प्रकृति के वाकपटु व्यक्ति. जैसलमेर जा कर आशानंद चारण ने किसी तरह अपनी वाकपटुता के जरिए रूठी रानी उमादे को मना भी लिया और उन्हें ले कर जोधपुर के लिए रवाना भी हो गए. रास्ते में एक जगह रानी उमादे ने मालदेव व दासी भारमली के बारे में कवि आशानंदजी से एक बात पूछी.

मस्त कवि समय व परिणाम की चिंता नहीं करता. निर्भीक व मस्त कवि आशानंद ने भी बिना परिणाम की चिंता किए रानी को 2 पंक्तियों का एक दोहा बोल कर उत्तर दिया—

माण रखै तो पीव तज, पीव रखै तज माण. दोदो गयंदनी बंधही, हेको खंभु ठाण.  यानी मान रखना है तो पति को त्याग दे और पति को रखना है तो मान को त्याग दे. लेकिन दोदो हाथियों को एक ही खंभे से बांधा जाना असंभव है. आशानंद चारण के इस दोहे की दो पंक्तियों ने रानी उमादे की सोई रोषाग्नि को वापस प्रज्जवलित करने के लिए आग में घी का काम किया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसे पति की आवश्यकता नहीं है.’’ रानी उमादे ने उसी पल रथ को वापस जैसलमेर ले चलने का आदेश दे दिया. आशानंदजी ने मन ही मन अपने कहे गए शब्दों पर विचार किया और बहुत पछताए, लेकिन शब्द वापस कैसे लिए जा सकते थे. उमादे जो इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध है, अपनी रूपवती दासी भारमली के कारण ही अपने पति राजा मालदेव से रूठ गई थी और आजीवन रूठी ही रहीं.

जैसलमेर आए कवि आशानंदचारण ने फिर रूठी रानी को मनाने की लाख कोशिश की लेकिन वह नहीं मानीं. तब आशानंदजी चारण ने जैसलमेर के राजा लूणकरणजी से कहा कि अपनी पुत्री का भला चाहते हो तो दासी भारमली को जोधपुर से वापस बुलवा लीजिए. रावल लूणकरणजी ने ऐसा ही किया और भारमली को जोधपुर से जैसलमेर बुलवा लिया. भारमली जैसलमेर आ गई. लूणकरणजी ने भारमली का यौवन रूप देखा तो वह उस पर मुग्ध हो गए. लूणकरणजी का भारमली से बढ़ता स्नेह उन की दोनों रानियों की आंखों से छिप न सका. लूणकरणजी अब दोनों रानियों के बजाय भारमली पर प्रेम वर्षा कर रहे थे. यह कोई औरत कैसे सहन कर सकती है.

लूणकरणजी की दोनों रानियों ने भारमली को कहीं दूर भिजवाने की सोची. दोनों रानियां भारमली को जैसलमेर से कहीं दूर भेजने की योजना में लग गईं. लूणकरणजी की पहली रानी सोढ़ीजी ने उमरकोट अपने भाइयों से भारमली को ले जाने के लिए कहा लेकिन उमरकोट के सोढ़ों ने रावल लूणकरणजी से शत्रुता लेना ठीक नहीं समझा. तब लूणकरणजी की दूसरी रानी जो जोधपुर के मालानी परगने के कोटड़े के शासक बाघजी राठौड़ की बहन थी, ने अपने भाई बाघजी को बुलाया. बहन का दुख मिटाने के लिए बाघजी शीघ्र आए और रानियों के कथनानुसार भारमली को ऊंट पर बैठा कर मौका मिलते ही जैसलमेर से छिप कर भाग गए.

लूणकरणजी कोटड़े पर हमला तो कर नहीं सकते थे क्योंकि पहली बात तो ससुराल पर हमला करने में उन की प्रतिष्ठा घटती और दूसरी बात राव मालदेव जैसा शक्तिशाली शासक मालानी का संरक्षक था. अत: रावल लूणकरणजी ने जोधपुर के ही आशानंद कवि को कोटडे़ भेजा कि बाघजी को समझा कर भारमली को वापस जैसलमेर ले आएं. दोनों रानियों ने बाघजी को पहले ही संदेश भेज कर सूचित कर दिया कि वे बारहठजी आशानंद कीबातों में न आएं. जब आशानंदजी कोटड़ा पहुंचे तो बाघजी ने उन का बड़ा स्वागतसत्कार किया और उन की इतनी खातिरदारी की कि वह अपने आने का उद्देश्य ही भूल गए.

एक दिन बाघजी शिकार पर गए. बारहठजी व भारमली भी साथ थे. भारमली व बाघजी में असीम प्रेम हो गया था. अत: वह भी बाघजी को छोड़ कर किसी भी हालत में जैसलमेर नहीं जाना चाहती थी. शिकार के बाद भारमली ने विश्रामस्थल पर सूले सेंक कर खुद आशानंदजी को दिए. शराब भी पिलाई. इस से खुश हो कर बाघजी व भारमली के बीच प्रेम देख कर आशानंद जी चारण का भावुक कवि हृदय बोल उठा—

जहं गिरवर तहं मोरिया, जहं सरवर तहं हंस जहं बाघा तहं भारमली, जहं दारू तहं मंस. यानी जहां पहाड़ होते हैं वहां मोर होते हैं, जहां सरोवर होता है वहां हंस होते हैं. इसी प्रकार जहां बाघजी हैं, वहीं भारमली होगी. ठीक उसी तरह से जहां दारू होती है वहां मांस भी होता है. कवि आशानंद की यह बात सुन बाघजी ने झठ से कह दिया, ‘बारहठजी, आप बड़े हैं और बड़े आदमी दी हुई वस्तु को वापस नहीं लेते. अत: अब भारमली को मुझ से न मांगना.’

आशानंद जी पर जैसे वज्रपात हो गया. लेकिन बाघजी ने बात संभालते हुए कहा कि आप से एक प्रार्थना और है आप भी मेरे यहीं रहिए. और इस तरह से बाघजी ने कवि आशानंदजी बारहठ को मना कर भारमली को जैसलमेर ले जाने से रोक लिया. आशानंदजी भी कोटड़ा गांव में रहे और उन की व बाघजी की इतनी घनिष्ठ दोस्ती हुई कि वे जिंदगी भर उन्हें भुला नहीं पाए. एक दिन अचानक बाघजी का निधन हो गया. भारमली ने भी बाघजी के शव के साथ प्राण त्याग दिए. आशानंदजी अपने मित्र बाघजी की याद में जिंदगी भर बेचैन रहे. उन्होंने बाघजी की स्मृति में अपने उद्गारों के पिछोले बनाए.

बाघजी और आशानंदजी के बीच इतनी घनिष्ठ मित्रता हुई कि आशानंद जी उठतेबैठे, सोतेजागते उन्हीं का नाम लेते थे. एक बार उदयपुर के महाराणा ने कवि आशानंदजी की परीक्षा लेने के लिए कहा कि वे सिर्फ एक रात बाघजी का नाम लिए बिना निकाल दें तो वे उन्हें 4 लाख रुपए देंगे. आशानंद के पुत्र ने भी यही आग्रह किया. कवि आशानंद ने भरपूर कोशिश की कि वह अपने कविपुत्र का कहा मान कर कम से कम एक रात बाघजी का नाम न लें, मगर कवि मन कहां चुप रहने वाला था. आशानंदजी की जुबान पर तो बाघजी का ही नाम आता था. रूठी रानी उमादे ने प्रण कर लिया था कि वह आजीवन राव मालदेव का मुंह नहीं देखेगी.

बहुत समझानेबुझाने के बाद भी रूठी रानी जोधपुर दुर्ग की तलहटी में बने एक महल में कुछ दिन ही रही और फिर उन्होंने अजमेर के तारागढ़ दुर्ग के निकट महल में रहना शुरू किया. बाद में यह इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई. राव मालदेव ने रूठी रानी के लिए तारागढ़ दुर्ग में पैर से चलने वाली रहट का निर्माण करवाया. जब अजमेर पर अफगान बादशाह शेरशाह सूरी के आक्रमण की संभावना थी, तब रूठी रानी कोसाना चली गई, जहां कुछ समय रुकने के बाद गूंदोज चली गई. गूंदोज से काफी समय बाद रूठी रानी ने मेवाड़ में केलवा में निवास किया. जब शेरशाह सूरी ने मारवाड़ पर आक्रमण किया तो रानी उमादे से बहुत प्रेम करने वाले राव मालदेव ने युद्ध में प्रस्थान करने से पहले एक बार रूठी रानी से मिलने का अनुरोध किया.

एक बार मिलने को तैयार होने के बाद रानी उमादे ने ऐन वक्त पर मिलने से इनकार कर दिया. रूठी रानी के मिलने से इनकार करने का राव मालदेव पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा और वह अपने जीवन में पहली बार कोई युद्ध हारे. वर्ष 1562 में राव मालदेव के निधन का समाचार मिलने पर रानी उमादे को अपनी भूल का अहसास हुआ और कष्ट भी पहुंचा. उमादे ने प्रायश्चित के रूप में उन की पगड़ी के साथ स्वयं को अग्नि को सौंप दिया. ऐसी थी जैसलमेर की भटियाणी उमादे रूठी रानी. वह संसार में रूठी रानी के नाम से अमर हो गई.

Murder Story : 2500 करोड़ का वारिस जेल में रहेगा, किया था भयानक अपराध

Murder Story : एक ऐसी घटना जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया, जिसे जानने के बाद हर कोई हैरान है. जिसमें 2500 करोड़ की संपति के मालिक को ऐसी सजा मिली कि वह उन दिनों की बड़ी चर्चा बन गई.

ब्रिटेन की कंपनी पेटी की वारिस डायलान थॉमस ने एक ऐसा क्राइम किया जिसके लिए डायलान को अब पूरा जीवन जेल के सलाखों के पीछे गुजारना होगा. डायलान ने अपने जिगरी दोस्त विलियम बुश का बड़े बेरहमी से कत्ल कर दिया, जिसके लिए अब डायलान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. थॉमस ने अपने जिगरी दोस्त की हत्या उसके घर में ही की थी.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार थॉमस ने अपने जिगरी दोस्त बुश को 37 बार चाकुओं से वार कर उसका पूरा शरीर गोद दिया था. इसके लिए थॉमस ने किचन में इस्तेमाल किए जाने वाले बड़े चाकू और एक फ्लिक चाकू का इस्तेमाल किया था.

घटना करने से पहले थॉमस ने इंटरनेट पर इस संबंध में काफी सर्च किया था. कोर्ट में लाए जाने पर थॉमस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिय. कोर्ट ने कहा है कि थॉमस मानसिक अवसाद से गुजर रहा था, लेकिन थॉमस ने अपने दोस्त का कत्ल किया इसलिए उसे अपने द्वारा किए गए अपराध का पूरा एहसाह है.

परिवार और दोस्त का शोक

बुश के परिवार और उनकी प्रेमिका ने अदालत में शोक व्यक्त किया. बुश की बहन कैट्रिन ने इसे एक भयानक हत्या करार दिया है. जबकि बुश के पिता जॉन ने कहा कि इस घटना ने उनके पूरे परिवार को एक गहरी चोट पहुंचाई है. वहीं बुश की प्रेमिका एला जेफ्रीज़ ने कहा कि उन्होंने पूरी जिंदगी के सपने संजोये थे पर अब वह सपने बिखर गए.

थॉमस के बचाव पक्ष ने कहा कि वह मानसिक स्थिति मे था और थॉमस को मानसिक चिकित्सा की आवश्यकता थी.

अरेस्ट करने से पहले थॉमस ने पुलिस से कहा कि वह यीशु हैं

पुलिस ने थॉमस द्वारा अपने दोस्त की बेरहमी से कत्ल करने की हत्या को एक विश्वासघात के रूप में देखा है. थॉमस का परिवार 1950 के दशक में पाई उद्योग में अपनी संपत्ति बनाने में सफल रहा था. हालांकि थॉमस के परिवार ने 1988 में अपनी कंपनी पीटर्स फूड को बेच दिया.

कोर्ट ने थॉमस को अपने जिगरी दोस्त बुश की हत्या करने के लिए दोषी ठहरा गया है. इसलिए अब 2500 करोड़ के वारिश को अब अपना पूरा जीवन जेल की सलाखों में गुजारना होगा.

Best Hindi story : इस्तीफा देने गया कर्मचारी पर कैसे बन गया बैंक मैनेजर

Best Hindi story : अनुराग ठाकुर ईमानदार बैंक कर्मचारी थे, लेकिन 20 सालों तक किसी ने भी उन की ईमानदारी और मेहनत का नोटिस नहीं लिया. फिर एक दिन उन की बीवी ने एक ऐसा रास्ता निकाला कि…    

राष्ट्रीय कृषक बैंक के अध्यक्ष जयगोपाल अपने केबिन में बैठे एक पत्र पढ़ रहे थे. आंखों के सामने से गुजरती पंक्तियों के साथ उन के चेहरे का तनाव बढ़ता जा रहा था. पत्र पढ़ कर उन्होंने एक ओर रखा और इंटरकौम का बटन दबा कर अपनी सैके्रेटरी नीलिमा से कहा, ‘‘नीलिमा, हमारी श्यामगंज शाखा में कोई अनुराग ठाकुर है. रिकौर्ड देख कर उस की पोजीशन पता करो और बताओ मुझे, जल्दी.’’

थोड़ी देर बाद नीलिमा हाथ में एक फाइल थामे राजगोपाल साहब के सामने खड़ी थी. वह फाइल देख कर बताने लगी, ‘‘सर, अनुराग ठाकुर वैसे तो कैशियर हैं, लेकिन फिलहाल एक्टिंग मैनेजर का काम देख रहे हैं. दरअसल, पूर्व मैनेजर राजेश की मौत के बाद वहां किसी की पोस्टिंग नहीं हुई है. इसलिए अस्थाई तौर पर मैनेजर का काम उन्हीं को सौंप दिया गया था. वैसे भी वहां कोई ज्यादा काम नहीं है.’’

 जयगोपाल साहब ने मेज पर रखा लेटर नीलिमा की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘पढ़ो इसे, है तो गुमनाम, पर श्यामगंज से ही किसी ने भेजा है. हम इस लेटर को इग्नोर नहीं कर सकते.’’

नीलिमा फाइल साहब की मेज पर रख कर पत्र पढ़ने लगी. पत्र अध्यक्ष राजगोपाल के ही नाम आया था. लिखा था, ‘महोदय, हम खेतीबाड़ी कर के अपने खूनपसीने की कमाई आप के बैंक में जमा करते हैं. सुनने में आया है कि बैंक दिवालिया होने वाला है. वैसे भी यहां जो कुछ हो रहा है, उस के बाद यह तो होना ही था. पता चला है कि यहां के कैशियर अनुराग ठाकुर ने पिछले कुछ महीनों में लाखों का गबन किया है और वह गबन की रकम को शहर से बाहर ले जाने वाला है. जब तक इस तरफ आप का ध्यान जाएगा तब तक बैंक का दीवाला निकल चुका होगा.’

पत्र पढ़ कर नीलिमा ने कहा, ‘‘सर, यकीन नहीं होता. लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, एक लेटर बना कर लाओ, मैं आदेश जारी कर देता हूं. कल ही एक औडिटर को श्यामगंज रवाना करना है. छानबीन के बाद वह सीधे मुझे रिपोर्ट करेगा.’’

नीलिमा चली गई. उस ने बौस के आदेश का पालन किया. लेटर तैयार होते ही आदेश जारी हो गया. अगले दिन एक औडिटर को श्यामगंज भेज दिया गया. क्योंकि मामला अमानत में खयानत का था.अचानक औडिटर को आया देख अनुराग ठाकुर को आश्चर्य हुआ. थोड़ा गुस्सा भी आया. उन्होंने तल्खी से कहा, ‘‘मेरे रिकौर्ड और लेजर की जांच करनी है? आखिर क्यों? महीने के बीच में ऐसा होता है क्या? कोई नोटिफिकेशन, कोई सूचना. यह कानून के खिलाफ है. ऐसी कौन सी आफत गई? अधिकारियों को कोई शक है तो मुझे हटा दें, तबादला कर दें.’’

औडिटर ने माफी मांगते हुए कहा, ‘‘मिस्टर अनुराग, परेशानी की कोई बात नहीं है. समयसमय पर हम ऐसा करते रहते हैं. पहले भी कई शाखाओं में ऐसा हुआ है. वैसे आप चाहे तो अध्यक्ष का आदेश देख सकते हैं. यह रुटीन की काररवाई है. मुझे ज्यादा से ज्यादा 2 घंटे लगेंगे.’’

‘‘मैं आप की बात से सहमत हूं.’’ अनुराग ठाकुर बोले, ‘‘लेकिन लोगों को पता लगेगा तो मैं तो बदनाम हो जाऊंगा. इस कस्बे की छोटी सी बैंक है ये, मुझे सब लोग जानते हैं. बात फैलते देर नहीं लगेगी. लोग सोचेंगे, जरूर मैं ने कोई हेराफेरी की होगी.’’

 ‘नहीं, किसी को पता नहीं चलेगा.’’ औडिटर ने शांत भाव से कहा, ‘‘बस आप किसी को मत बताना. मैं सब कुछ चुपचाप निपटा दूंगा.’’

औडिटर की विनम्रता देख कर अनुराग ठाकुर ने मूक स्वीकृति दे दी. औडिटर 1 घंटे में अपना काम निपटा कर लौट गयाअगले दिन उस ने अपनी रिपोर्ट अध्यक्ष राजगोपाल के सामने रख दी. रिपोर्ट के हिसाब से सब कुछ ठीक था. कहीं भी एक पैसे की हेराफेरी नहीं पाई गई थी. रिपोर्ट देख कर राजगोपाल बोले, ‘‘एक गुमनाम पत्र को हमें इतनी अहमियत नहीं देनी चाहिए थी.’’

बात वहीं खत्म हो गई. सब कुछ ठीक चल रहा था. एक महीना ठीक से गुजर गया. महीना भर बाद बैंक अध्यक्ष राजगोपाल को फिर एक पत्र मिला. इस बार पत्र किसी दूसरे आदमी ने और दूसरी जगह से लिखा था. इस शिकायती पत्र में भी अनुराग ठाकुर को निशाना बना कर हेराफेरी की बात दोहराई गई थी. पत्र लिखने वाले ने दावा किया था कि बैंक के खातों की जांच ठीक से नहीं की गई थी. कैशियर ने औडिटर को या तो बेवकूफ बना दिया था या फिर कुछ दे दिला कर संतुष्ट कर दिया था. आप को इस बात का अहसास तब होगा जब तीर कमान से निकल जाएगा. हो सकता है, आप इस अजनबी के खत पर ध्यान दें. पर एक बार सोचें जरूर कि क्या इस मामले की दोबारा इंक्वायरी करानी चाहिए.

पत्र पढ़ कर राजगोपाल सोच में पड़ गए. वह दोबारा इंक्वायरी के पक्ष में नहीं थे. लेकिन उन के सामने पड़ा पत्र उन्हें बारबार सोचने को मजबूर कर रहा था. उन के मन में आया भी कि श्यामगंज ब्रांच में इंक्वायरी कर के आए औडिटर से पूछताछ करें. लेकिन उन के जहन में सवाल उठा कि उस ने कुछ गलत किया होगा तो वह सच क्यों बोले? यह भी संभव है कि अनुराग ठाकुर चतुर चालाक रहा हो और उस ने औडिटर को हिसाबकिताब में कुछ इस तरह उलझाया हो कि वह उस की चाल को पकड़ ही पाया हो. किसी ब्रांच में अगर कोई गड़बड़ी होती, वह भी आगाह करने के बाद तो इस की जिम्मेदारी राजगोपाल की ही बनती थी. अपनी इमेज बचाए रखने और संभावित गड़बड़ी से बचने के लिए दोबारा इंक्वायरी कराने में कोई हर्ज नहीं था. वैसे भी यह इंटरनल इंक्वायरी थी.

इसलिए सोचविचार कर उन्होंने इस बार इस मामले को पूरी तरह खत्म करने के लिए 3 जिम्मेदार औडिटरों की टीम से जांच कराने का फैसला किया. अध्यक्ष राजगोपाल ने उसी वक्त अपनी सेक्रैटरी नीलिमा को बुला कर आदेश का लेटर तैयार कराया और उस पर हस्ताक्षर कर दिए. अगले ही दिन 3 चुनिंदा औडिटरों की टीम श्यामगंज के लिए रवाना हो गई. औडिटरों ने श्यामगंज ब्रांच में पहुंच कर अनुराग ठाकुर को अपने आने का मकसद बताया तो वह नाराजगी भरे स्वर में बोले, ‘‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर मामला क्या है? क्यों मेरी ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है?’’

‘‘आप नाराज हों मिस्टर अनुराग, कोई खास बात नहीं है.’’ एक औडिटर ने उन्हें समझाने की कोशिश की, ‘‘इस से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हम अपना काम कर के चुपचाप चले जाएंगे.’’

अनुराग को गुस्सा तो रहा था, लेकिन ऊपरी आदेश था इसलिए चुप होना पड़ा. एक औडिटर अनुराग के साथ बैठ गया और बाकी 2 अपने काम में जुट गए. इस बार एकएक चीज का बारीकी से निरीक्षण किया गया. इस काम में पूरे 7 घंटे लगे. अनुराग चुपचाप देखने के अलावा कुछ कर सके. औडिटरों की टीम अपना काम कर के हेड औफिस लौट गई. इस टीम को हिसाबकिताब में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी

एक सप्ताह बाद राष्ट्रीय कृषक बैंक अध्यक्ष राजगोपाल अपने केबिन में बैठे थे. तभी नीलिमा ने कर कहा, ‘‘सर, श्यामगंज ब्रांच से मिस्टर अनुराग ठाकुर आए हैं और आप से मिलना चाहते हैं.’’ राजगोपाल ने नीलिमा से कहा कि उन्हें तुरंत अंदर भेज दें. अनुराग अंदर आए तो अध्यक्ष राजगोपाल ने अपनी आदत के विपरीत उठ कर उन का स्वागत किया, उन से गर्मजोशी से हाथ मिलाया. लेकिन इस के बावजूद अनुराग ने खुशी का कोई इजहार नहीं किया. उन के चेहरे पर नागवारी के भाव साफ नजर रहे थे. औपचारिकता के बाद अनुराग ने एक लेटर राजगोपाल की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘सर, मैं अपने पद से इस्तीफा देना चाहता हूं. ये रहा मेरा रिजाइन लेटर.’’

राजगोपाल चौंके. फिर उन्हें बैठने का इशारा करते हुए पूछा, ‘‘क्यों, इस्तीफा देने की क्या जरूरत पड़ गई. यह फैसला किस लिए?’’

‘‘सर, पिछले डेढ़ महीने से मुझ पर शक किया जा रहा है. मेरी ईमानदारी पर अंगुलियां उठ रही हैं. मैं इसे बरदाश्त नहीं कर सकता. मुझे इस से दिमागी तौर पर बहुत तकलीफ पहुंची है. मेरी साख खत्म हो गई है. बीवीबच्चे तक शक की नजरों से देखने लगे हैं.’’

‘‘मैं समझ सकता हूं.’’ अध्यक्ष राजगोपाल की बातों से गलती का अहसास साफ झलक रहा था. वह कुछ देर तक चुप बैठे गहराई से सोचते रहे. फिर अनुराग के चेहरे पर नजरें जमाते हुए बोले, ‘‘हेड औफिस से जो गलती हुई है, उसे हम सुधार देते हैं. श्यामगंज ब्रांच में मैनेजर का पद अभी खाली पड़ा है. आप उसे स्थाई तौर पर संभाल लीजिए. आप की साख खुदबखुद बन जाएगी. पद भी बढ़ेगा और वेतन भी. ईमानदार आदमी यूं ही नहीं मिलते. हम आप का इस्तीफा मंजूर नहीं कर सकते मिस्टर अनुराग. फाड़ कर फेंक दीजिए इसे.’’ 

अनुराग ने मैनेजर के हाथ से इस्तीफा लेते हुए हैरानी से पूछा, ‘‘क्या आप इस मामले में वाकई संजीदा हैं सर?’’

‘‘बिलकुल, मैं अभी सारी काररवाई पूरी करा देता हूं.’’ कह कर राजगोपाल ने इंटरकाम का बटन दबा कर अपनी सैके्रटरी नीलिमा को बुलाया.

मैनेजर बनने की खुशखबरी के साथ अनुराग ठाकुर श्यामगंज लौट आए. घर लौट कर उन्होंने यह खुशखबरी अपनी पत्नी को सुनाई. फिर सोफे पर पसरते हुए बोले, ‘‘पिछले 20 सालों से अपनी ईमानदारी को अपने ही कंधों पर उठाए घूम रहा था. कोई जानता ही नहीं था कि मैं ईमानदार हूं. क्या फायदा ऐसी ईमानदारी का? लेकिन मेरे बारे में अब सब जान गए कि मैं कितना ईमानदार हूं. अध्यक्ष तक को पता लग गया.’’

मिसेज अनुराग का चेहरा खुशी से दमक रहा था. अनुराग पत्नी का हाथ थाम कर बोले, ‘‘कमाल का दिमाग है तुम्हारा. आखिर तुम्हारे लेटर वाले आइडिए ने अपना कमाल दिखा ही दिया.’’ 

‘‘कमाल ही नहीं दिखाया, आप को मैनेजर भी बनवा दिया. ईमानदार मैनेजर.’’ कह कर मिसेज अनुराग खिलखिला कर हंस पड़ीं.

Social Crime story : 20 लाख सुपारी देकर लिया थप्पड़ का बदला

Social Crime story : तमाचे के कई रंग होते हैं, अगर कमजोर या गरीब के गाल पर पड़े तो वह मन मसोस कर रह जाता है, लेकिन यही तमाचा किसी समृद्ध व्यक्ति के गाल पर पड़े तो वह लाशें भी बिछवा सकता है. महेंद्र सिंह पूनिया और हरवीर की दुश्मनी बस एक तमाचे की थी, जो…   

राजस्थान के जिला बीकानेर की सेंट्रल जेल में 3500 कैदियों के रखने की क्षमता है, लेकिन यहां फिलहाल  1500 कैदी ही हैं. सरकार भले ही जेलों को सुधार गृह की उपमा दे, पर अंदर की सच्चाई इस से इतर है. विभिन्न आरोपों में जितने लोग जेल भेजे जाते हैं, उन में से अधिकांश लोग सुधरने के बजाय और ज्यादा कुख्यात हो कर आते हैं. बीकानेर जेल में कम से कम 10 ऐसे हार्डकोर अपराधी चिह्नित किए जा सकते हैं, जिन के एक धमकी भरे फोन से सामने वाला बिना किसी नानुकुर के लाख-2 लाख रुपए उस के गुर्गे के पास पहुंचा देता है. यह भी एक कटु सत्य है कि जेल के अंदर जेल प्रशासन की जगह इन हार्डकोर अपराधियों का ही राज चलता है. नए आने वाले कैदियों को डराधमका कर उन के परिजनों से चौथ वसूली मामूली सी बात है.

बीकानेर जेल में एक ऐसा ही कैदी था अजीत यादव. अजीत यादव झुंझुनू जिले का हार्डकोर क्रिमिनल था. हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अजीत के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लगभग एक दरजन मुकदमे विचाराधीन हैं. एक तरह से अजीत यादव जेल में बौस थासन 2017 की एक घटना है. रावतसर के चाइया निवासी रामनिवास जाट ने रंजिश के चलते एक टोलनाका कर्मी से मारपीट कर के टोलनाका पर लगे बैरियर को तोड़ दिया था. बाद में महाजन थाने की पुलिस ने रामनिवास को गिरफ्तार कर बीकानेर जेल में भिजवा दिया था.

रामनिवास जब जेल में पहुंचा तो उसे अन्य कैदियों से कुख्यात अपराधी अजीत यादव के बारे में जानकारी मिली. पता चला कि जेल में उस का ही राज चलता है, इसलिए पुराने कैदियों की सलाह पर रामनिवास अजीत यादव की बैरक में पहुंचा और जाते ही उस ने उस के पैर छुए. अजीत ने उस की बांहें पकड़ कर उठाते हुए पूछा, ‘‘अरे जवान, कहां से आए हो?’’

‘‘जी, रावतसर थानाक्षेत्र का रहने वाला हूं. महाजन पुलिस ने गिरफ्तार किया था.’’ रामनिवास ने जवाब दिया.

‘‘तूने किस का कत्ल किया था?’’ अजीत ने अपने चिरपरिचित अंदाज में रामनिवास से पूछा.

‘‘भैया, कत्ल नहीं, मारपीट के आरोप में जेल आया हूं.’’ कहते हुए रामनिवास हीनभावना से ग्रसित हो गया. उस का जवाब सुन कर अजीत खिलखिला कर हंस पड़ा, ‘‘तेरी कदकाठी डीलडौल देख कर मैं ने कत्ल की बात कही थी. मारपीट, छेड़छाड़, चोरीचकारी वगैरह सैकेंडहैंड गुंडों को शोभा देती हैं. तेरे जैसे को तो कातिल की उपमा ही शोभा देती है.’’

जाने क्यों अजीत को रामनिवास भा गया. दूसरी ओर रामनिवास ने भी अपराध की दुनिया के बादशाह अजीत को मन ही मन अपना गुरु मान लिया. ऐसे बनते हैं क्रिमिनल रामनिवास ने धीरेधीरे सभी कैदियों से संपर्क बना लिए. 1-2 घंटे अजीत की बैरक में बिताना उस का नित्यक्रम बन गया था. अजीत भी रामनिवास को छोटे भाई की तरह चाहने लगा था. एक दिन रामनिवास ने अजीत का मूड सही देख कर कहा, ‘‘भैया, एक मसले पर आप से मार्गदर्शन लेना है. आप नाराज हों तो जिक्र करूं?’’

‘‘अरे छोटे भाई से कैसी नाराजगी, तू खुल कर बता.’’ अजीत ने कहा.

‘‘भैया, एक आदमी को सुलटाना है.’’ रामनिवास ने कहा.

‘‘कौन है निशाने पर?’’ अजीत ने पूछा.

‘‘रावतसर नगर पालिका की चेयरपरसन का पति है, खुद भी पार्षद है और इस बार नोहर विधानसभा क्षेत्र से एमएलए का चुनाव भी लड़ रहा है. आप शार्पशूटर की व्यवस्था कर दें तो मेरा काम आसानी से हो जाएगा. और हां, 4-5 लाख की सुपारी भी मिल जाएगी, मुझे प्रस्ताव मिल चुका है.’’ रामनिवास ने कहा.

‘‘अरे पगले, लगता है तू निरा बुद्धू है. भावी विधायक की कीमत केवल 5 लाख रुपए. इतने रुपयों में तो कोई सड़कछाप शख्स को भी ठिकाने नहीं लगाएगा. तू एक करोड़ की मांग कर. 50 लाख तक सैटिंग बिठा ले. मैं तुझे शार्पशूटर उपलब्ध करवा दूंगा. याद रखना, मिलने वाली आधी रकम मेरी होगी.’’ अजीत ने कहा.

करीब एक साल बाद जमानत मिलने पर रामनिवास जेल से बाहर गया. जेल में बिताया हर पल उस के दिलोदिमाग पर हावी था. अजीत द्वाराकत्लीकी उपमा ले कर जेल जाने का ताना गाहेबगाहे उस के दिलोदिमाग में घूम रहा था. कभीकभी वह अजीत से फोन पर बतिया भी लेता था. उस दिन 23 सितंबर, 2018 का दिन था. बड़े भैया अजीत ने वादे के अनुसार शार्पशूटर के रूप में हरियाणा निवासी मंजीत सिंह 2 अन्य को रामनिवास के पास भेज दिया. रामनिवास अपने लक्ष्य को साधने में किसी तरह की खामी नहीं छोड़ना चाहता था. वह शूटर मंजीत अन्य को साथ ले कर अपने दोस्त अमनदीप के खेत में बनी ढाणी पर चला गया.

योजना को अंजाम देने के लिए 24 सितंबर का दिन चुना गया था. रामनिवास ने पार्षद चेयरपरसन के पति हरवीर सिंह की रैकी करने और एकएक पल की सूचना देने के लिए अपने दोस्तों अशोक रैगर और फोटोग्राफर रमेश सुथार के साथ अमनदीप को तैनात कर दिया था. रैकी की सूचना कोड वर्ड में दी जानी थी. हरवीर के घर के आगे सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. वहां वारदात को अंजाम देना खतरे से खाली नहीं था. करीब 11 बजे पार्षद हरवीर अपने बेटे हनुमंत राजू सैनी के साथ एसडीएम कोर्ट पहुंचे. रैकी करने वालों ने अविलंब यह सूचना शूटरों तक पहुंचा दी. एसडीएम कोर्ट पुलिस थाने से मात्र 300 मीटर की दूरी पर है.

लगातार 2-3 दिनों की छुट्टियां होने के कारण उस दिन भीड़ अपेक्षाकृत ज्यादा थी. एसडीएम डा. अवि गर्ग से मिलने के बाद हरवीर सहारण कोर्ट की तरफ चल दिए. वहीं पर उन की कार खड़ी थी. तभी अचानक एक सफेद रंग की कार गेट के सामने कर रुकी. कार से 3-4 लोग बड़ी फुरती से उतरे और कोर्ट परिसर में जा पहुंचेगोलियों से भून दिया पार्षद हरवीर को  2 लोगों ने सामने रहे हरवीर सहारण को अपने हाथों में थामे तमंचों के निशाने पर ले लिया. अगले ही पल दोनों हमलावरों ने हरवीर पर 2-2 फायर झोंक दिए.

अचानक गोलियों की आवाज से कोर्ट परिसर दहल उठा. कचहरी में सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोग समझ नहीं सके कि गोलियां की आवाज कहां से रही है. अचानक हुए हमले से हरवीर भी सकते में गए थेजान बचाने के लिए वह फिर से एसडीएम के चैंबर की तरफ भागे पर एक शख्स ने टांग अड़ा कर उन्हें जमीन पर गिरा दिया. तभी एक अन्य शख्स उन के पास कर बोला, ‘‘तूने मेरे आदमी को थप्पड़ मारा था. आज मैं तेरा खेल ही खत्म कर देता हूं.’’

कहने के साथ ही उस ने हरवीर के सिर पर पिस्तौल की नाल सटा कर एक और फायर झोंक दिया. इस के बाद हमलावर फुरती से वहां से भाग कर गेट के सामने स्टार्ट खड़ी अपनी कार में सवार हो गए. कार तेज गति से वहां से चली गई. इन में से एक हमलावर, जिस ने हरवीर के सिर में गोली मारी थी, वह पहचान लिया गया था. वह और कोई नहीं बल्कि रामनिवास जाट था, जो रावतसर पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर था. कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड को ले कर सभी हतप्रभ थे. कोर्ट परिसर में सन्नाटा पसर गया था. वकीलों ने अपने चैंबर्स के शटर डाल दिए थे. गंभीर रूप से घायल हरवीर सिंह को जिला चिकित्सालय हनुमानगढ़ ले जाया गया

सूचना मिलने पर प्रदेश के सिंचाई मंत्री डा. रामप्रताप जो हनुमानगढ़ वासी हैं, अस्पताल पहुंच गए. डाक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी हरवीर सिंह को नहीं बचाया जा सका.  हरवीर के मारे जाने की घटना जंगल की आग की तरह कुछ ही देर में पूरे क्षेत्र में फैल गई. व्यापारी वर्ग इस घटना के विरोध में अपनी दुकानें बंद कर सड़क पर उतर आया. कुछ घंटों में देहात क्षेत्र के लोग भी रावतसर पहुंचने शुरू हो गए. आम लोगों के बढ़ते आक्रोश दबाव को देख कर प्रशासन के हाथपांव फूल गए. आपसी रंजिश या राजनैतिक प्रतिद्वंदिता को ले कर यह हत्याकांड हाईप्रोफाइल बन गया था. क्षेत्र की स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती थी

इस घटना की सूचना राजस्थान के तेजतर्रार निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल तक पहुंच चुकी थी. हनुमान बेनीवाल तीसरे मोर्चे के संस्थापक मृतक हरवीर के राजनीतिक आका थे. सूचना मिलते ही वह भी रावतसर के लिए निकल पड़े. हरवीर की हत्या, हनुमान बेनीवाल का आगमन क्षेत्र के हालात की जानकारी बीकानेर संभाग के आईजी दिनेश एम.एन. तक भी पहुंच गई. आईजी जानते थे कि सत्र के दौरान सरकार को घेरने वाले विधायक बेनीवाल आक्रोशित आमजन को कहीं भी झोंकने का माद्दा रखते हैं

दूध का धुला नहीं था हरवीर सहारण पार्षद हरवीर का नाम आईजी दिनेश एम.एन. के जेहन में था, क्योंकि कुछ महीने पहले ही एसओजी के प्रमुख होने के नाते उन्होंने इसी हरवीर को रावतसर क्षेत्र में घटित एक हत्याकांड में प्रमुख आरोपी मानते हुए गिरफ्तार करवाया था. गिरफ्तारी के लगभग महीने भर बाद ही हरवीर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया था. बता दें कि आईजी दिनेश एम.एन. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में न्यायिक अभिरक्षा में रहे थे. बाद में ऊपरी अदालत ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया था. उन का नाम प्रदेश ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अफसरों की पहली पंक्ति में शुमार है

दिनेश एम.एन. को पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का प्रमुख, बाद में एसओजी प्रमुख और हाल ही में बीकानेर का आईजी बनाया था. हनुमान बेनीवाल के आगमन को देखते हुए आईजी खुद कनिष्ठ अधिकारियों के साथ रावतसर पहुंच गए. शहर में अतिरिक्त पुलिस फोर्स के साथ आरएसी (राजस्थान आर्म्ड कंपनी) के जवान भी तैनात कर दिए गए थेमाना जा रहा था कि मृतक का शव आते ही हालात बेकाबू हो सकते हैं. नियत समय तक मृतक का पोस्टमार्टम हो पाने के कारण शव हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में रखा रहा.

शाम घिरते ही हनुमान बेनीवाल रावतसर पहुंच गए. परिजनों को ढांढस बंधा कर विधायक बेनीवाल जिला मुख्यालय पहुंचे. वहां बेनीवाल ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर मामले की सीबीआई जांच, हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी रावतसर के जिम्मेदार अधिकारियों का तुरंत ट्रांसफर किए जाने की मांग उठा दीं. बेनीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि हरवीर की हत्या के पीछे असली चेहरे कुछ सफेदपोशों के हैं. वारदात के बाद पुलिस ने नाकाबंदी करवा दी थी पर हमलावर कच्चे रास्तों से किसी तरह हरियाणा में घुस गए थे. सभी आरोपी हरियाणा में तितरबितर हो गए थे. मुख्य आरोपी रामनिवास प्राइवेट गाड़ी से राजस्थान के झुंझुनू  जिले में घुस गया था.

25 सितंबर को थाने में आईजी के साथ पुलिस अधिकारियों की एक हाईलेवल मीटिंग चल रही थी. बैठक में एसपी अनिल कयाल, एएसपी नरेंद्र, सीआई अरविंद बरेड़, डीएसपी दिनेश राजौरा मौजूद थे. मामले का सुपरविजन आईजी खुद कर रहे थे. अब तक की जांच में पुलिस को यह पता चल चुका था कि इस मामले में हिस्ट्रीशीटर रामनिवास का हाथ है. अधिकारियों का मानना था कि मुख्य आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होने पर इलाके में हालात बेकाबू हो सकते हैंरामनिवास का फोन बंद था, उस के फोन नंबरों के ट्रैसआउट नहीं होने की सूरत में उस की गिरफ्तारी मुश्किल थी. तेजतर्रार आईजी के निर्देश पर अधिकारियों ने रामनिवास की एक प्रेमिका तमन्ना (परिवर्तित नाम) को ढूंढ निकाला. एसआई अनीता लाखर तमन्ना को हिरासत में थाने ले आई थीं

पुलिस ने प्रेमिका पर साधा निशाना  थाने में आईजी ने तमन्ना से पूछताछ करनी शुरू कर दी, ‘‘देखो मैडम, कत्ल का मामला है. झूठ बोलना आप पर भारी पड़ सकता है. पुलिस को रामनिवास का वह नंबर चाहिए, जिस से आप उस से बात करती हैं.’’

आईजी ने कहा तो तमन्ना ने अगले ही पल अपने मोबाइल में सहेली के नाम से फीड किए गए नंबर बता दिए. तमन्ना से मिले मोबाइल नंबर जिला मुख्यालय में स्थित साइबर सेल ने सर्विलांस पर लगा दिए. स्वयं आईजी दिनेश एम.एन. वीडियो कौन्फ्रैंसिंग में जुड़ चुके थे. आईजी के निर्देश पर तमन्ना ने रामनिवास को फोन किया तो रामनिवास ने फोन उठा लिया

‘‘कोई गया है, 10 मिनट बाद फिर फोन करूंगी.’’ कह कर तमन्ना ने फोन डिसकनेक्ट कर दियाउसी समय साइबर सेल ने रामनिवास की लोकेशन पता कर ली. वह फतेहपुररतनगढ़ के नजदीक सांखू फांटा में था. यानी वह वहां के एक ढाबे में था. आईजी के निर्देश पर क्षेत्र के सभी थानों की पुलिस गाडि़यों में भर कर सांखू फांटा पहुंच गई. पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. अब तमन्ना के फोन से आईजी ने रामनिवास को काल कराई. फोन रिसीव होते ही आईजी बोले, ‘‘देखो रामनिवास, मैं आईजी बोल रहा हूं. तुम चारों ओर से पुलिस से घिर चुके हो. भागने या गोली चलाने की कोशिश की तो तुम्हें गोली मार दी जाएगी. मैं ने सभी अधिकारियों को शूटआउट का आदेश दे दिया है. भलाई इसी में है कि तुम सरेंडर कर दो और हाथ ऊपर उठाए ढाबे से बाहर जाओ.’’

अगले ही पल दोनों हाथ ऊपर उठाए रामनिवास ढाबे से बाहर गया. नोहर थाने के कांस्टेबल दुनीराम गोदारा ने रामनिवास की पुख्ता पहचान कर दी थी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. रामनिवास की गिरफ्तारी की सूचना अविलंब फ्लैश कर दी गई. उस के गिरफ्तार होने पर जिला पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली. 25 सितंबर की शाम पोस्टमार्टम के बाद हरवीर का शव रावतसर गया. हरवीर की शवयात्रा में रिकौर्ड भीड़ एकत्र हुई. पुलिस अमला रामनिवास जाट को ले कर रावतसर गया था. आईजी की मौजूदगी में रामनिवास ने पूछताछ में जो बताया, उसे सुन कर हर कोई हतप्रभ रह गया

रामनिवास के बताए अनुसार, हनुमानगढ़ के केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन महेंद्र पूनिया ने हरवीर की हत्या की 20 लाख की सुपारी दी थी. इस में से 5 लाख रुपए रामनिवास को अग्रिम दे दिए गए थे. यह खुलासा होते ही पुलिस ने महेंद्र पूनिया की मौजूदगी को ट्रैस आउट कर के उसे सूरतगढ़ क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. हरवीर की आपराधिक पृष्ठभूमि कौन थे हरवीर महेंद्र पूनिया और रामनिवास ने हरवीर को क्यों मौत की नींद सुला दिया था? जानने के लिए हमें अतीत में जाना पड़ेगा. राजस्थान पुलिस के रिटायर्ड एसआई रामजस सहारण शांति देवी सहारण (पूर्व अध्यक्षा कृषि उपज मंडी समिति, रावतसर) का इकलौता बेटा था हरवीर. एक बेटी एक बेटे का पिता हरवीर ज्यादा पढ़ालिखा तो नहीं था, पर राजनीति में उस का अच्छा दखल था.

इसी के चलते हरवीर अपनी मां को कृषि उपज मंडी समिति की अध्यक्ष बनाने में सफल रहा था. खुद भी वह नगर पालिका का पार्षद बन गया था. हरवीर भले ही पार्षद उस की पत्नी नीलम सहारण चेयरपरसन निर्वाचित हुए थे, पर उस का दामन भी कथित रूप से दागदार था. आरोप है कि सन 2001 में हरवीर ने एक युवक प्रेम कुमार की गरदन मरोड़ कर इसलिए कत्ल कर दिया था कि वह उस की मां को चुनाव में हरवाना चाहता था. प्रेम के शव को कहीं दूर जंगल में जला कर सबूत नष्ट कर दिए थे. इसी तरह रुपयों के लेनदेन के चक्कर में हरवीर ने लीलाधर सोनी नामक शख्स की कथित हत्या कर दी थी. लीलाधर का शव भी नहीं मिला था.

मृतकों के परिजनों ने पुलिस अदालत की मार्फत मुकदमे दर्ज करवाए थे, पर दोनों मामलों की जांच में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. इसी साल हरवीर के विरोधी इन मामलों को हाई लेवल की सिफारिश के दम पर एसओजी तक ले जाने में सफल हो गए थे. एसओजी के तत्कालीन प्रमुख दिनेश एम.एन. ने 13 मई, 2018 को हरवीर को गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवा दिया था. 20-25 दिनों बाद हरवीर जमानत पर रिहा हुआ तो उस के समर्थक करीब 400 गाडि़यां ले कर बीकानेर जेल तक पहुंचे थे. हरवीर विधायक हनुमान बेनीवाल का चहेता था. वह इस चुनाव में नोहर विधानसभा क्षेत्र, जहां से भाजपा के युवा विधायक अभिषेक मटोरिया लगातार 2 बार जीतते रहे हैं, अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाना चाहता था. इस 30 सितंबर को हरवीर नोहर में एक विशाल रैली करने वाले थे, पर 24 सितंबर को ही उन की हत्या कर दी गई.

एक अन्य घटनाक्रम भी काबिलेगौर है. सन 2015 में एक भाजपा नेता एक पूर्व विधायक ने मिल कर नगरपालिका चुनाव में नागरिक मोर्चा का गठन किया था. इस चुनाव में हरवीर उस की पत्नी नीलम पार्षद चुने गए थे. नागरिक मोर्चा ने 25 वार्डों में 13 वार्डों पर विजय हासिल की थी. महिला हेतु आरक्षित चेयरपरसन पद पर नीलम सहारण चुनी गई थीसन 2016 में नगर पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था. कहा जाता है कि इस अभियान में हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक के जिलाध्यक्ष महेंद्र पूनिया रामनिवास जाट को कथित अतिक्रमणकारी चिह्नित कर उन के प्लौट्स पर पालिका  प्रशासन नेनगर पालिका संपत्तिके बोर्ड लगा दिए थे.

इस अभियान से घबरा कर शहर के कथित अतिक्रमणकारियों नेरावतसर बचाओअभियान चला कर एक दिन रावतसर बंद का आह्वान किया था. इसी बंद के दौरान रावतसर धान मंडी में जबरदस्ती दुकानें बंद करवाने की बात सुन कर हरवीर भी धान मंडी पहुंच गए थे. महेंद्र पूनिया ने रची थी हरवीर की हत्या की साजिश कहा जाता है कि जबरन दुकानें बंद करवा रहे महेंद्र पूनिया को देख कर चेयरपरसन के पति हरवीर ताव खा गए थे और उन्होंने भरे बाजार में सहकारी बैंक के जिलाध्यक्ष को 2-3 चांटें रसीद कर दिए थे. इस प्रकरण में महेंद्र पूनिया ने पुलिस में हरवीर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उसी दिन महेंद्र पूनिया ने हरवीर को सबक सिखाने की ठान ली थी.

फर्श से अर्श पर पहुंचने वाले महेंद्र पूनिया का अतीत भी रोचक रहा है. नोहर क्षेत्र के गांव पदमपुरा का मूल निवासी है महेंद्र पूनिया. वह सन 1996-97 में रावतसर आया था. एक जानकार ठेकेदार के सहयोग से वह सार्वजनिक निर्माण विभाग के छिटपुट निर्माण कार्यों के ठेके लेने लगा था. इसी दौर में वह एक भाजपाई विधायक का खास बन गया था. आर्थिक हालत पटरी पर आई तो महेंद्र पूनिया ने हरियाणा में एंट्री मार दी. राजनैतिक पहुंच के बल पर महेंद्र पूनिया हरियाणा में करोड़ों में खेलने लगा तो फिर से रावतसर लौट आया. बड़े व्यवसाय में दखल के साथसाथ महेंद्र ने राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया था. विधायकजी की शह पर पूनिया सहकारी बैंक का जिलाध्यक्ष बन गया था.

मृतक के बेटे हनुमंत सहारण की तहरीर पर पुलिस ने रामनिवास, महेंद्र पूनिया 4-5 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. नामजद दोनों हत्यारोपी गिरफ्त में चुके थे. अदालत में पेश कर दोनों को 8 दिन के रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड अवधि में दोनों आरोपियों के खुलासे के बाद पुलिस ने रेकी करने वाले रमेश सुथार, अशोक रैगर, अमनदीप जाट, सहकारी बैंक के संचालक मंडल सदस्य रामचंद्र भील, जो महेंद्र पूनिया का खास है को भी गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि रामचंद्र भील षडयंत्र रचने का सूत्रधार था.

शूटर मंजीत सिंह की निगरानी के बाद पुलिस ने बीकानेर जेल में बंद अजीत यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. मंजीत सिंह ने खुलासा किया कि हमले के दिन उस के और रामनिवास के अलावा 2 और शूटर जोगेंद्र सिंह उर्फ धोलिया निवासी महेंद्रगढ़ मोहित उर्फ जैलदार निवासी लुहारू कोर्ट में हथियारों सहित घुसे थे. हरवीर की हत्या किए जाने का विरोध होने पर चारों हमलावर कोर्ट में गोलियां बरसाने को तत्पर थे. दोनों शार्पशूटरों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. व्यापक पूछताछ अपेक्षित बरामदगी के बाद पुलिस ने सभी 10 आरोपियों को अदालत में पेश किया. अदालत ने उन्हें जेल भिजवा दिया.

इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड में यह अफवाह भी उड़ी कि सुपारी की एक नहीं बल्कि 2 डील हुई थीं. दूसरी सुपारी हरवीर को गोली मारने वाले रामनिवास की हत्या की सुपारी अन्य शार्पशूटरों को दी गई थी. अगर रामनिवास की हत्या हो जाती तो यह मामला ब्लाइंड मर्डर बन कर रह जाता और षडयंत्रकर्ता बेनकाब नहीं होते. कहा जाता है कि रामनिवास को शक हो गया था और फरारी के कुछ देर बाद ही वह चालाकी से शूटरों से अलग हो गया था. हालांकि जांच अधिकारी ने इस तथ्य का खंडन किया है. पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से मृतक हरवीर सहारण के परिवार को सशस्त्र गार्ड उपलब्ध करवा दिए थे.

अपेक्षाकृत अमनचैन शांत रहने वाले रावतसर क्षेत्र में रंजिशन हुआ यह हत्याकांड भविष्य में क्या गुल खिलाएगा, कहा नहीं जा सकता.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

    

MP Crime : किन्नर ने अपमान का बदला लेने की ठानी

MP Crime : किन्नर किरण खूबसूरती की मिसाल थी. तभी तो श्रीनगर के जहांगीर ने उस पर फिदा हो कर उस से शादी कर ली. सच्चाई पता चलने पर जहांगीर ने उसे छोड़ दिया तो किरण ने इस अपमान का बदला लेने की ठान ली, फिर…  

शा के करीब 6 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश के देवास जिला मुख्यालय में चामुंडा कांपलेक्स के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित गोल्डन कौफी हाउस में रोज की तरह काफी रौनक थी. उस समय उज्जैन की तरफ से एक कार और इंदौर की तरफ से एक और कार कर गोल्डन कौफी हाउस के सामने रुकी. एक कार से करीब 45 साल की एक निहायत ही खूबसूरत महिला उतरी. वहीं दूसरी कार से 25-26 साल के 2 युवक नीचे उतरे

उन युवकों ने उस महिला का अभिवादन किया तो उस महिला ने दोनों के अभिवादन का सिर हिला कर जवाब दिया, उन्हें साथ ले कर वह उस कौफी हाउस में दाखिल हो गई. यह बात 20 फरवरी, 2018 की है. दोनों गाडि़यों के ड्राइवर कौफी हाउस के बाहर ही रहे. दोनों ही ड्राइवर तब तक आपस में बातचीत करने लगे. करीब सवा घंटे बाद वह तीनों कौफी हाउस से बाहर आने के बाद अपनीअपनी कार में कर बैठ गए. वह महिला इंदौर की तरफ रवाना हो गई. इस के कुछ देर बाद दोनों युवकों ने अपने ड्राइवर को उस महिला की कार का पीछा करने को कह दिया.

देवास से इंदौर रोड पर लगभग 6 किलोमीटर आगे क्षिप्रा नदी का पुल है. यह पुल देवास और इंदौर जिले की सीमा बनाता है. चूंकि शाम के समय सड़क पर ट्रैफिक अधिक था इसलिए क्षिप्रा तक पहुंचने में दोनों गाडि़यों को 15 से 18 मिनट का समय लगा. उन युवकों की कार महिला की कार से सुरक्षित दूरी बना कर पीछा कर रही थी, ताकि कार में बैठी महिला को उस की कार का पीछा किए जाने का शक हो सके. क्षिप्रा निकलने के बाद उन युवकों ने अपने ड्राइवर से कहा कि वह ओवरटेक कर के उस महिला की कार के आगे गाड़ी लगा दे. इस के बाद उस ड्राइवर ने कार की गति तेज कर दी.

इसी बीच उस महिला ने अपनी कार एक शराब की दुकान के सामने रुकवा दी. वह महिला कार से उतर कर शराब की दुकान से ठंडी बियर लेने लगी. तब तक उन युवकों की कार भी वहां कर रुक गई. उन में से एक युवक हाथ में रिवौल्वर ले कर कार से उतर कर शराब की दुकान पर खड़ी उस महिला के पास पहुंचामहिला बियर पसंद करने में खोई हुई थी. इसलिए उस ने इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया कि कुछ देर पहले वह जिस युवक से कौफी हाउस में मिल कर रही है वह उस के पीछेपीछे यहां तक पहुंचा है.

दूसरी तरफ युवक ने उस के पास जा कर रिवौल्वर उस की गरदन पर रख कर ट्रिगर दबा दिया और तेजी से अपनी कार में बैठ गया. फिर वह दोनों युवक देवास की तरफ निकल गए. भरे बाजार में महिला की हत्या होने के बाद बाजार में खलबली मच गई. सूचना मिलने पर थाना औद्योगिक क्षेत्र के थानाप्रभारी एस.पी.एस. राघव तत्काल एसआई श्रीराम वर्मा आदि के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. घायल अवस्था में पड़ी उस महिला को तुरंत पहले देवास के अपेक्स अस्पताल ले जाया गया. हालत गंभीर होने की वजह से उसे इंदौर के एम.वाई. अस्पताल भेज दिया गया. जहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई.

पुलिस ने मृत महिला के कार चालक से पूछताछ की तो पता चला कि मरने वाली औरत नहीं बल्कि किन्नर किरण थी. जिस की खूबसूरती के चर्चे इंदौर के अलावा दिल्ली और श्रीनगर में भी थे. कार चालक ने यह भी बताया कि किरण को गोली मारने वाला युवक लाल रंग की कार में बैठ कर देवास की तरफ भागा है. इस पर थानाप्रभारी एस.पी.एस. राघव ने यह खबर बिना देर किए पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. इस का नतीजा यह निकला कि कुछ ही देर के बाद उज्जैन तिराहे से गुजर रही लाल रंग की कार एमपी09बीसी 0821 को यातायात पुलिस के एसआई रमेश मालवीय एवं रूपेश पाठक ने रोक ली.

उस समय उस गाड़ी में ड्राइवर के अलावा और कोई नहीं था. उस ड्राइवर का नाम मोहम्मद रईस था जो सारंगपुर का रहने वाला था. दोनों एसआई उसे थाने ले आए. पूछताछ करने पर मोहम्मद रईस ने बताया कि यह गाड़ी कनाड़ निवासी एक व्यापारी की है. वह तो गाड़ी का ड्राइवर है. इस गाड़ी को आज उज्जैन के बेगम बाग निवासी भूरा और ऐजाज खान किराए पर ले कर देवास आए थे. उस ने यह भी बताया कि किन्नर की हत्या करने के बाद दोनों उस की गाड़ी में सवार हो कर कुछ दूर तक आए थे. बाद में पुलिस के डर से गाड़ी से उतर कर वे पैदल ही कहीं चले गए.

यह जानकारी मिलने के बाद देवास के एसपी अंशुमान सिंह ने एएसपी अनिल पाटीदार के नेतृत्व में गठित थानाप्रभारी एस.पी.एस. राघव की टीम को फरार हो चुके दोनों आरोपियों को ढूंढने में लगा दिया. टीम पूरी मेहनत से आरोपियों को खोजने में जुट गई. जिस का नतीजा यह हुआ कि अगले ही दिन मुख्य आरोपी भूरा को पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार कर लियापूछताछ में हर अपराधी की तरह भूरा ने भी पहले तो किरण को जानने तक से इनकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो उस ने किन्नर किरण की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया.

इस के बाद पुलिस ने भूरा की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त रिवौल्वर और उस के खून सने कपड़े भी बरामद कर लिए. जिस के बाद पूरी कहानी इस प्रकार सामने आई. आज से कोई 45 साल पहले मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में जन्मे चांद से खूबसूरत बच्चे का नाम रखा गया अनीस मोहम्मद अंसारी. लेकिल अंसारी परिवार की खुशियां उस समय मिट्टी में मिल गईं जब उस बच्चे के बड़ा होने पर यह बात सामने आई कि अनीस सामान्य लड़का नहीं बल्कि एक किन्नर है5-7 साल की उम्र से ही उस के चेहरेमोहरे में जनाना भाव आने लगे थे. जिस तरह की नजाकत उस में आने लगी थी, उस जैसी नजाकत और खूबसूरती कई लड़कियों में भी देखने को नहीं मिलती.

किशोरावस्था में पहुंच कर अनीस अपनी सच्चाई समझ चुका था. इसलिए 15-16 साल की उम्र में ही वह इंदौर से दिल्ली चला गया और वहां एक किन्नर जमात में शामिल हो गया. जहां उस का नाम रखा गया किरण. देखते ही देखते किरण दिल्ली की सब से खूबसूरत किन्नर बन गई. जिस के चलते उस ने अपने गुरु के साथ रहते हुए करोड़ों की प्रौपर्टी भी जमा कर ली. इतना ही नहीं गुरु के बाद किरण को ही अपने गुरु की पदवी मिल गई. इस के बाद तो उस के इलाके के किन्नर जो भी कमाई कर के लाते, किरण के हाथ में रख देते थे, जिस से उसे और ज्यादा कमाई होने लगी.

किरण की खूबसूरती लगातार बढ़ती जा रही थी. रंगरूप और शारीरिक बनावट से हर कोई उसे औरत समझने का धोखा खा जाता था. इसलिए दिल्ली में तो उस के दीवाने थे ही, दिल्ली के बाहर भी उस के चाहने वालों की संख्या बढ़ गई. परिवार के इंदौर में रहने के कारण उस का इंदौर में भी आनाजाना लगा रहता था, सो इंदौर में भी उस के दीवानों की संख्या कम नहीं थी. किरण की जिंदगी में महत्त्वपूर्ण बदलाव कुछ साल पहले उस समय आया जब वह श्रीनगर, कश्मीर घूमने गई. इस दौरान वह डल झील में चलने वाले सब से महंगे बोट हाउस में ठहरी. शिकारा का मालिक जहांगीर उस की खूबसूरती पर मर मिटा था. सो उस ने किरण की खूब मेहमाननवाजी की थी 

जहांगीर के कई शिकारा डल झील में चला करते थे, जिस के चलते श्रीनगर में उस की खासी संपत्ति थी. अपितु जहांगीर उम्र में किरण से छोटा था, लेकिन किरण का जादू उस के ऊपर कुछ यूं चला कि वह उस के सामने अपने प्यार का इजहार करने से खुद को रोक नहीं सका. किरण जानती थी कि जहांगीर उसे औरत समझने की गलती कर यह बात कह रहा है. ऐसे में किरण को पीछे हट जाना था, लेकिन प्यार की तलाश हर किसी को होती है. इसलिए किरण ने उस का प्यार स्वीकार ही नहीं किया बल्कि उस से शादी कर ली. ऐसे में किरण के किन्नर होने की सच्चाई जहांगीर के सामने खुलनी तय थी. सुहागरात के मौके पर इस सच को वह स्वीकार नहीं कर सका. इस का नतीजा यह निकला कि जहांगीर ने किरण को जल्द ही छोड़ दिया. यह बात किरण को बहुत बुरी लगी. वह अपनी खूबसूरती की ऐसी बेइज्जती सहन नहीं कर पाई. लिहाजा उस ने जहांगीर को खत्म करने का फैसला कर लिया

घटना से 2 महीने पहले एक शादी समारोह में किरण और भूरा की उज्जैन में पहली मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में भूरा यह जान गया था कि किरण एक किन्नर है, इस के बावजूद भी वह उस की खूबसूरती पर मर मिटा था. किरण को भी एक मोहरे की तलाश थी. जिस से वह जहांगीर की हत्या करा सके. उसे इस बात की भी जानकारी थी कि नाबालिग उम्र में भूरा हत्या के एक आरोप में जेल जा चुका था. इसलिए मौका देख कर उस ने भी भूरा को निराश नहीं किया

किरण ने जब देखा कि भूरा पूरी तरह से उस के कब्जे में चुका है तो एक दिन उस ने भूरा से जहांगीर की हत्या करने को कहा. इस के लिए उस ने भूरा को 25 लाख रुपए का लालच देने के साथ ढाई लाख रुपए एडवांस में भी दे दिए. भूरा, किरण का दीवाना हो चुका था, सो उस ने जहांगीर की हत्या करने की बात स्वीकार तो कर ली लेकिन कुछ दिनों बाद उसे लगने लगा कि कश्मीर में जा कर वहां के किसी आदमी की हत्या कर के भाग कर वापस आना आसान काम नहीं है. लिहाजा वह काम करने में आनाकानी करने लगाइस पर किरण ने खुद भूरा को धमकी दे डाली. किरण ने उस से कहा कि अगर जहांगीर को मरवाने में 25 लाख खर्च कर सकती है तो तुम जैसों के लिए तो कोई 25 हजार ले कर ही निपटा देगा. यह धमकी दे कर उस ने भूरा पर जहांगीर की हत्या करने के लिए दबाव बनाया

भूरा जानता था कि किरण के पास पैसों की कमी नहीं है, वह पैसों के बल पर उस की हत्या भी करा देगी. इसलिए उस ने अपने दोस्त ऐजाज के साथ मिल कर किरण की हत्या करने की योजना बना डाली. जिस के बाद उस ने 20 फरवरी, 2018 को किरण को देवास बुला कर जहांगीर की फोटो दिखाने को कहा. उस ने किरण से कहा था कि वह जहांगीर का काम करने श्रीनगर जा रहा है. इसलिए पहचान के लिए जहांगीर की फोटो की जरूरत पड़ेगी. किरण ने जहांगीर का फोटो देने के लिए भूरा को देवास बुलाया था. यहां चामुंडा कांपलेक्स स्थित कौफी हाउस में भूरा और किरण की मुलाकात हुई. वहीं पर उस ने भूरा को जहांगीर का फोटो दे दिया था. फोटो देने के बाद लौटते समय वह ठंडी बियर लेने के लिए शराब की दुकान पर रुकी तभी भूरा ने उस की हत्या कर दी.

ड्राइवर मोहम्मद रईस और भूरा से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस के दोस्त ऐजाज खान को भी गिरफ्तार कर लिया. फिर तीनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक तीनों आरोपियों की जमानत नहीं हो सकी थी.