प्यार का जूनून – भाग 1

पप्पू छोटे भाई उदयभान को ले कर काफी परेशान था. वह पिछली रात घर से निकला था. रात तो  बीती ही, अब दिन बीत भी रहा था और उस का कुछ अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद था.

पप्पू उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना पिनाहट के नजदीकी गांव गुरावली का रहने वाला था. उस के परिवार में पिता के अलावा वही एक छोटा भाई उदयभान था, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. पिछली रात 7, साढ़े 7 बजे घर का कुछ सामान लेने के लिए वह पिनाहट बाजार गया था. सवा 8 बजे उस ने फोन कर के बताया था कि वह बाजार पहुंच गया है. उसे वहां से लौटने में घंटे, डेढ़ घंटे लग जाएंगे. यानी उसे 9, साढ़े 9 बजे तक लौट आना चाहिए था.

लेकिन रात के साढ़े 10 बज गए और वह नहीं लौटा. तब पप्पू ने उसे फोन किया. पता चला उस का फोन बंद है. हालांकि गर्मियों के दिन थे, इसलिए उतनी रात भी डर की कोई बात नहीं थी. लेकिन उदयभान के फोन ने स्विच औफ बताया तो पप्पू थोड़ा परेशान हुआ. उस ने बीसों बार फोन लगा डाला, हर बार उस का फोन स्विच औफ बताता रहा.

उदयभान का फोन बंद होने से पप्पू परेशान हो उठा. उस का फोन बंद क्यों हो गया, पप्पू की समझ में नहीं आ रहा था. उदयभान मोबाइल फोन का मैकेनिक था. उस के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल रहती थी. जब पप्पू की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने क्वार्टर निकाला और छत पर जा कर बिना पानी मिलाए ही पूरी शीशी खाली कर दी. इस के बाद वह कब का सो गया, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह उस की आंखें खुलीं तो लगभग 8 बज रहे थे. नीचे आ कर वह सीधे उदयभान के कमरे में गया. कमरा खाली पड़ा था. इस का मतलब उदयभान अभी तक लौट कर नहीं आया था. पप्पू को भाई की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था, साथ ही किसी अनहोनी का भय भी सता रहा था. उस ने तुरंत उदयभान को फोन किया. उसे निराशा ही हुई, क्योंकि उदयभान का मोबाइल अभी भी बंद था. उस ने उस के बारे में अपने पिता से पूछा तो उस ने भी वही बताया, जो उसे पता था.

पप्पू उदयभान को ढूंढने लगा. जहांजहां वह मिल सकता था, वहांवहां गया. उस के यारों दोस्तों से पूछा. लेकिन कहीं से उस के बारे में कुछ नहीं पता चला. जब पप्पू को लगा कि उदयभान का अब पता नहीं चलेगा तो दिन ढले उस का एक फोटो ले कर वह थाना पिनाहट जा पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को अपनी परेशानी बताई तो उन्होेंने तुरंत थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन मिला दिया.

इस की वजह यह थी कि उसी दिन सुबह थाना बसई अरेला पुलिस ने रेलवे लाइन के पास बसे गांव सड़क का पुरा के हनुमान मंदिर के पास बने कुएं से सूचना के आधार पर एक युवक की लाश बरामद की थी.

लाश 20-25 साल के हृष्टपुष्ट युवक की थी, जिसे पहले मारापीटा गया था. उस के बाद उस की हत्या कर के लाश कुएं में फेंक दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थाना पुलिस ने यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाषचंद दुबे, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के.पी. यादव तथा क्षेत्राधिकारी को भी दे दी थी.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की शिनाख्त कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. तब उन्होंने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर वायरलेस द्वारा अपने थानाक्षेत्र में लाश बरामद होने का संदेश जिले के सभी थानों को दे दिया था.

यही वजह थी कि जब पप्पू थाना पिनाहट उदयभान की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचा तो थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन किया. यह 29 जुलाई, 2013 की बात है.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की जो हुलिया बताई, वह उदयभान से पूरी तरह मेल खा रही थी. इसलिए पप्पू सीधे थाना बसई अरेला जा पहुंचा. थानाप्रभारी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा चुके थे. लाश का सामान उन के पास था. चेक की शर्ट, काली पैंट और जूते देख कर पप्पू रोने लगा. फिर भी थानाप्रभारी उसे लाश दिखा कर संतोष कर लेना चाहते थे. अस्पताल भेज कर पप्पू को लाश दिखाई गई. वह उदयभान की ही लाश थी. लाश देख कर पप्पू को गश आ गया. पुलिस वालों ने उसे संभाला.

मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. शव के निरीक्षण के दौरान उस का बायां पैर टूटा हुआ पाया गया था. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने जब पप्पू से इस बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जब वह घर से निकला था, एकदम सहीसलामत था. थानाप्रभारी समझ गए कि हत्यारों ने ही किसी भारी चीज से उस का पैर तोड़ा होगा.

पुलिस ने पप्पू से तहरीर ले कर गांव के ही राममूर्ति और उस के भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने की वजह जाननी चाही तो पप्पू ने कहा, ‘‘साहब, कुछ सालों पहले राममूर्ति की बेटी सुमन और मेरे भाई उदयभान के बीच प्रेमसंबंध था. बात खुली तो राममूर्ति ने बेटी का विवाह कर दिया, लेकिन दोनों परिवारों की दुश्मनी खत्म नहीं हुई.’’

पप्पू का शक थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को वाजिब लगा. कहीं बेटी और अपनी बदनामी की वजह से उन्हीं लोगों ने उदयभान को खत्म न कर दिया हो. पप्पू की बात पर विश्वास करने की एक वजह और थी. दरअसल जिस तरह बेरहमी से उदयभान को मारा गया था, साफ था कि उसे मारने वाला उस से गहरी नफरत करता रहा होगा. इस तरह की नफरत वही कर सकता है, जिस आदमी को उस से गहरी ठेस पहुंची हो.

अगर उदयभान ने राममूर्ति की बेटी के दामन पर दाग लगाया है तो निश्चित ही राममूर्ति उस से ऐसी ही नफरत करता रहा होगा. उन्होंने हत्यारों तक पहुंचने के लिए सबइंस्पेक्टर नंदकिशोर, सिपाही रंजीत, ओमवीर, अशोक, किताब सिंह, नरेश कुमार और धर्म सिंह की एक टीम बना कर हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए लगा दिया.

औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

ठग तांत्रिक फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की आवास विकास कालोनी में रहने वाली पुष्पलता पांडेय ने अपने बेटे की शादी कई साल पहले की थी. लेकिन  किसी वजह से उन की बहू की गोद नहीं भर पा रही थी. उन्होंने कई डाक्टरों से बहू का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहू और बेटे के अलावा वह खुद भी इस बात को ले कर परेशान रहती थीं कि बहू मां कैसे बने.

एक दिन पुष्पलता ने अपने घर में आने वाले अखबार के बीच एक पैंफ्लेट रखा देखा, जो एक तांत्रिक का था. तांत्रिक का नाम था पंडित मोरेश्वर शास्त्री. उस के विज्ञापन में लिखा था कि बाबा 27 मई से 1 जून तक बस्ती जिले के बस स्टेशन के पास स्थित होटल शिवाय पैलेस में ठहरेंगे. उस पैंफ्लेट में बाबा ने तंत्रमंत्र के माध्यम से सभी तरह की समस्याओं के समाधान करने का दावा किया था.

पुष्पलता पांडेय एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं. हालांकि वह तंत्रमंत्र की बातों पर विश्वास नहीं करती थीं, लेकिन उस पैंफ्लेट को पढ़ कर उन्होंने भी तांत्रिक पंडित मोरेश्वर शास्त्री से यह सोच कर मिलने का फैसला कर लिया कि हो सकता है तंत्रमंत्र से ही कुछ हो जाए. दरअसल उन्होंने कुछ महिलाओं से सुना था कि फलां महिला तांत्रिक के पास जाने के बाद मां बन गई.

27 मई  को पुष्पलता शिवाय होटल में ठहरे तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के पास पहुंच गईं और उसे अपनी समस्या बता दी. तांत्रिक बहुत चालाक था. वह पुष्पलता के पहनावे और बातचीत से समझ गया कि महिला संपन्न परिवार की है. इसलिए वह पुष्पलता से बोला, ‘‘तुम्हारी समस्या बहुत गंभीर है. इस का समाधान तुम्हारे घर चल कर करना पड़ेगा.’’

‘‘बाबा, जल्दी कीजिए न समाधान, हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. बताइए हमारे यहां आप कब दर्शन देंगे?’’ पुष्पलता ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘बच्चा, अब तुम परेशान मत हो. मैं जुम्मे के दिन यानी 31 मई को तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगा.’’ कहते हुए तांत्रिक ने उन्हें एक परचा देते हुए कहा, ‘‘इस में पूजा का कुछ सामान लिखा है, मंगा कर रख लेना.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं सारा सामान मंगा लूंगी.’’ कह कर पुष्पलता वहां से चली आईं. घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे से पूजा का सारा सामान मंगा कर घर में रख लिया.

31 मई को तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री पुष्पलता के घर पहुंचा तो उन का घर और रहनसहन देख कर उस के मन में और ज्यादा लालच आ गया. उस ने कुछ देर तक उन के यहां पूजा वगैरह की. पूजा खत्म होने के बाद उस ने कहा, ‘‘बच्चा तुम्हारे घर में गृहदोष है. जब तक यह दोष दूर नहीं होगा, तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा.’’

‘‘बाबा गृहदोष दूर करने का कोई तो उपाय होगा?’’

‘‘हां, उस का उपाय है. इस के लिए विशेष पूजा करनी पड़ेगी, जिस में 31 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस के अलावा तुम्हें गृहदोष निवारण बगलामुखी यंत्र घर में रखना पड़ेगा, जो 11 हजार रुपए का है. इस से सारे रास्ते खुल जाएंगे और तुम्हारी बहू मां बन जाएगी.’’

पुष्पलता बहू के इलाज पर हजारों रुपए खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने सोचा कि जब वह इतना खर्च कर चुकी हैं तो 42 हजार और खर्च कर के देख लें. इसलिए दादी बनने की लालसा में उन्होंने 42 हजार रुपए तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को दे दिए.

पैसे जेब में रखने के बाद तांत्रिक ने एक बार फिर उन के सभी कमरों में नजर डाली और आंखें मूंद कर बैठ गया. ऐसा लग रहा था जैसे वह ध्यानरत हो, 2-3 मिनट बाद उस ने आंखें खोल कर कहा, ‘‘बच्चा, तुम्हारे घर में काल सर्प योग भी है.’’

‘‘काल सर्प योग! यह क्या होता है बाबा?’’ पुष्पलता चौंक कर बोली.

‘‘बच्चा, जिस घर में यह योग होता है, वहां खुशी देने वाले काम होेतेहोते रुक जाते हैं. इसलिए इस का निदान भी जरूरी है.’’

‘‘अब इस का उपाय क्या है?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें अपने घर में 2 तोले सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा कर रखनी होगी.’’

सोने की नागनागिन पुष्पलता के पास ही रहनी थी, इसलिए तांत्रिक के जाने के बाद वह गले की चेन और अंगूठी ले कर सुनार की दुकान पर पहुंच गईं. दोनों चीजों को गलवा कर उन्होंने 20 ग्राम सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा ली.

यह बात उन्होंने तांत्रिक को बताई. वह उस समय होटल में ही था. तांत्रिक ने उन्हें होटल में बुला लिया. पुष्पलता नागनागिन की जोड़ी ले कर होटल पहुंच गईं. तांत्रिक ने सोने की नागनागिन को तांबे के लोटे में रख कर लोटे को नीले रंग के कपड़े में बांध कर रख दिया और कहा, ‘‘मैं रात को पूजा और अनुष्ठान कर के नाग और नागिन को सिद्ध करूंगा. फिर सुबह आ कर तुम इन्हें ले जा कर पूजा वाली जगह पर रख देना. तुम्हारे सारे काम बनने शुरू हो जाएंगे और एक बात का ध्यान रखना कि इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है.’’

रात साढ़े 7 बजे पुष्पलता होटल से अपने घर चली आईं. घर पहुंचने पर रात 8 बजे उन्होंने तांत्रिक से फोन पर पूछा कि अनुष्ठान शुरू हुआ कि नहीं? इस पर बाबा ने कहा कि वह गोरखपुर स्थित मंदिर में दर्शन करने चला आया है. यहां से लौट कर अनुष्ठान करेगा.

पुष्पलता ने रात 10 बजे फिर फोन मिलाया तो बाबा का फोन स्विच आफ जाने लगा. कई बार मिलाने के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो उन्हें दाल में काला नजर आने लगा. अगले दिन यानी 2 जून की सुबह वह उसी होटल गईं, जहां तांत्रिक ठहरा हुआ था. जिस कमरा नंबर 103 में तांत्रिक ठहरा हुआ था. उस कमरे में तांत्रिक के बजाए किसी और आदमी को देख कर वह चौंकीं. उन्होंने उस आदमी से तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तांत्रिक के बारे में नहीं जानता. वह कल रात ही इस कमरे में आया है.

पुष्पलता घबरा कर होटल के मैनेजर के पास पहुंची तो मैनेजर ने बताया कि तांत्रिक पहली जून की रात 8 बजे ही होटल छोड़ कर चला गया था. इतना सुनते ही पुष्पलता के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें यह समझते देर न लगी कि वह ठगी जा चुकी हैं.

पुष्पलता चुपचाप घर चली आईं और दिन भर इसी उधेड़बुन में रहीं कि यह बात पुलिस को बताएं या नहीं. क्योंकि ढोंग के चक्कर में ठगे जाने के कारण बेइज्जती होने का डर भी था. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया. जिस से उन की तरह दूसरा कोई तांत्रिक की ठगी का शिकार न हो सके.

पुष्पलता के पास तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बिना नामपते के उसे तलाशना आसान नहीं था. उन के दिमाग में विचार आया कि होटल में कमरा लेते समय तांत्रिक ने अपना आईडी प्रूफ जरूर जमा कराया होगा. इसलिए 3 जून को वह फिर से होटल शिवाय पैलेस पहुंचीं. उन्होंने इस बारे में मैनेजर से बात की तो पता चला कि तांत्रिक ने वहां अपने वोटर आईडी कार्ड की कौपी जमा कराई थी.

वोटर आईडी की फोटोकापी से उन्हें बाबा का पता मिल गया, जिस में उस का नाम पंडित मोहनगंगा राम मोरे उर्फ मोरेश्वर शास्त्री पुत्र गंगाराम, निवासी 350, तालुका सावरगढ़ जिला एवतमाल, महाराष्ट्र लिखा था. नाम पता ले कर वह जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आनंद राव कुलकर्णी के पास पहुंचीं.

उन्होंने अपने ठगे जाने की कहानी उन्हें बताई. उन के आदेश पर कोतवाली बस्ती में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के खिलाफ छल, कपट व धोखाधड़ी के आरोप में भादंवि की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया. इस की जांच एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय को सौंपी गई.

पुष्पलता पांडेय का बेटा जो कि इंजीनियर था, उस की मदद से पुलिस ने वोटर आईडी कार्ड में मिले नाम व पते को इंटरनेट के जरिए गूगल में डाल कर सर्च किया. ऐसा करने से ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उस के गांव सावरगढ़ का नक्शा मिल गया. इस के बाद ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों को फेसबुक पर चैक किया गया.

काफी लंबी छानबीन के बाद उस के परिवार की स्मिता मोहन नाम की लड़की की फेसबुक आईडी पता चली. फेसबुक पर स्मिता मोहन की प्रोफाइल से उस के कालेज का नाम और मोबाइल नंबर मिल गया.

इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के बाद पुलिस फिर होटल शिवाय पैलेस गई, जहां पूछताछ में पता चला कि वह तांत्रिक नौकरी, संतान प्राप्ति आदि के नाम पर कइयों को चूना लगा चुका था. इतनी जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ठग तांत्रिक को पकड़ने उस के पते पर नहीं गई, बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

5 महीने बाद पुष्पलता को जब पता चला कि पुलिस सुस्त हो गई है तो वह फिर से पुलिस अधीक्षक से मिलीं और तांत्रिक को गिरफ्तार करने की मांग की. एसपी के आदेश पर एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई.

20 नवंबर को एसआई धीरेंद्र पांडेय स्थानीय पुलिस के साथ सावरगढ़ गांव में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार करने गए तो गांव वालों ने इस का विरोध किया. इस के बावजूद पुलिस तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार कर के एवतमाल कोतवाली ले आई.

अपने इलाके में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री की अच्छी छवि थी, इसलिए आसपास के गांवों के करीब 2 हजार लोग कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली पर प्रदर्शन करते हुए मोरेश्वर शास्त्री को छोड़ने की मांग की. लोगों की भीड़ को देखते हुए एसपी ने आसपास के थानों की पुलिस को कोतवाली एवतमाल भेज दिया. तब कहीं जा कर मामला कंट्रोल में आ सका.

एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय ने तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को स्थानीय न्यायालय में पेश कर के ट्रांजिट रिमांड पर उसे बस्ती ले आए. तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बस्ती के सीजेएम की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुष्पलता पांडेय को इस बात का अफसोस है कि पढ़ीलिखी होने के बावजूद भी उन्होंने ढोंगी तांत्रिक की बातों पर विश्वास कर के अपना एक लाख रुपए का नुकसान किया. पता नहीं मोरेश्वर लोगों को बेवकूफ बना कर कितने पैसे ठग चुका होगा, अगर वह चुप बैठ जाती तो पता नहीं वह कितनों को और ठगता. लोगों को चाहिए कि वे ऐसे ठग तांत्रिकों के बहकावे में न आएं.

जाहिर है, झाड़फूंक और तंत्रमंत्र से बच्चे पैदा नहीं होते. अगर किसी की इस तरह की कोई समस्या है तो योग्य डाक्टर से इलाज कराए. इस के अलावा आईवीएफ टेस्ट ट्यूब जैसी प्रणाली भी निस्संतान दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है. पुष्पलता पांडेय की बहू भी इन में से कोई लाभ ले सकती थी. झाड़फूंक, तंत्रमंत्र तो केवल एक छलावा है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार के लिए मां की हत्या की हाइटेक साजिश

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 3

सैफ ने 9 साल के मासूम अरहान के साथ कुकर्म किया था. चूंकि अरहान सैफ को अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसे सैफ जिंदा नहीं छोड़ सकता था. उस के साथ कुकर्म करने के बाद उस ने स्प्रिंग वाली तार से अरहान का गला घोंट दिया था.

“अरहान की लाश कहां पर है?” जसवीर सिंह ने पूछा.

“मैं ने उस की लाश को नाले में फेंक दिया था.”

यह जानकारी मिलते ही कोतवाल अरहान के पिता अफजल और पुलिस दल को साथ ले कर सैफ की निशानदेही पर उस नाले के पास आ गए, जिस में वह अरहान की लाश फेंकने की बात कह रहा था.

झाडिय़ों में मिली अरहान की लाश

उस के बताए स्थान पर अरहान का शव तलाशा गया तो वह एक कंटीली झाडिय़ों में फंसा हुआ दिखाई दे गया. अब तक मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद में 9 साल के मासूम बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या करने और शव को नाले में फेंकने की खबर फैल चुकी थी. पूरा मेवाती मोहल्ला ही नाले की ओर उमड़ आया. यह नाला मोहल्ले से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित था.

भारी भीड़ को देख कर कोतवाल जसवीर सिंह ने लापता बच्चे अरहान के साथ घटित शर्मसार कर देने वाली घटना की जानकारी एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को दे दी. उन्होंने पुलिस कप्तान को यह भी बता दिया कि इस घटना को सुन कर मोहल्ले के लोगों की भीड़ नाले पर आ गई है. भीड़ आक्रोश में है. कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस के लिए पुलिस बल भेजने की उन्होंने बात की.

थोड़ी ही देर में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय भारी पुलिस बल ले कर खुद घटनास्थल पर आ गए. भीड़ की ओर से अभी तक कोई अनुचित कदम नहीं उठाया गया था. हां, लोगों में अभियुक्त सैफ के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

एसएसपी शैलेष कुमार के साथ आई पुलिस फोर्स ने भीड़ को नाले से दूर हटाना शुरू कर दिया. सैफ भारी पुलिस फोर्स के घेरे में था. बच्चे का शव निकाल लेने के बाद एसएसपी शव की बारीकी से जांच करने में जुटे थे. फोरैंसिक टीम भी वहां आ गई थी.

सैफ को उस जगह लाया गया, जहां उस ने बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी थी. फोरैंसिक टीम ने वहां से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए. वह स्प्रिंग तार भी वहीं पड़ी मिल गई, जिस से सैफ ने बच्चे का गला घोंटा था. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद अरहान का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. सैफ को थाने लाने के बाद एसएसपी शैलेष कुमार के सामने उस से पूछताछ की गई.

पहचानने की वजह से किया अरहान का मर्डर

सैफ ने बताया कि उस की नीयत कई दिनों से अरहान पर थी. वह अरहान को अपने करीब लाने के लिए टौफी, बिसकुट और अन्य चीजें खिलाता रहता था. 9 वर्षीय अरहान नासमझ था, वह रोज अपने ताऊ की दुकान पर चला जाता था. सैफ उसी दुकान पर ही रहता था, वहीं वह अरहान को खिलातापिलाता था.

अरहान उस के ऊपर आंख बंद कर के विश्वास करने लगा तो सैफ ने 8 अप्रैल, 2023 को अपने मालिक से शाम को बहाना बना कर छुट्टी ली और अफजल के घर की तरफ चला गया. उसे मालूम था अरहान शाम को बच्चों के साथ घर के सामने खेलता है. अरहान उसे खेलता मिल गया. उस ने इशारे से अरहान को पास बुलाया और उसे ले कर नाले की तरफ जाने लगा.

अरहान ने उस तरफ जाने का कारण पूछा तो सैफ ने झूठ बता दिया कि उस ने खाने की बहुत सारी चीजें नाले की ओर छिपा कर रखी हैं, वहां हम पार्टी करेंगे. अरहान खुशीखुशी उस के साथ नाले के पास की झाडिय़ों में आ गया.  यहां सैफ ने उसे जबरन नीचे गिरा कर दबोच लिया और जबरन उस के साथ कुकर्म करने लगा. वह अरहान का मुंह बंद किए रहा, ताकि वह चीख न सके. अरहान दर्द से तड़प कर बेहोशी की हालत में आ गया.

कामपिपासा शांत होने के बाद सैफ डर गया कि यदि घर पहुंच कर अरहान ने अपनी अम्मी और अब्बू को यह सब बता दिया तो वे लोग उसे जिंदा दफन कर देंगे. भयभीत हो कर उस ने अरहान का गला साथ लाई स्प्रिंग तार से घोंट दिया, फिर शव को नाले में फेंक कर घर चला गया. उस ने एसएसपी के सामने भी अरहान के साथ कुकर्म करने और उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

मोहम्मद सैफ द्वारा जुर्म कुबूल करने के बाद कोतवाल ने उस के खिलाफ चार्जशीट बना कर उसे न्यायालय में पेश की. बाद में यह जघन्य हत्या का मामला पोक्सो कोर्ट में चला और मात्र 15 दिन में इसे निपटा कर माननीय जज राम किशोर यादव ने त्वरित न्याय करने की मिसाल कायम कर दी.

इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली एडवोकेट अलका उपमन्यु की पूरे मथुरा शहर में चर्चा है. सभी उन की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. क्योंकि उन्हीं की वजह से मोहम्मद सैफ को फांसी की सजा मिली.

कोर्ट द्वारा मोहम्मद सैफ को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम को कस्टडी में ले लिया. फिर उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा इस केस के वकीलों से की गई बातचीत पर आधारित

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 3

किसी दिन दीपेंद्र और अंकिता को कहीं एकांत में प्रेमी-प्रेमिका की तरह सट कर बैठे अंकिता के मंगेतर विशाल ने देख लिया. उस समय तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन शाम को वह अंकिता के घर पहुंच गया. वहां भी उस ने अंकिता से कुछ कहने के बजाय अपने होने वाले ससुर राजा से कहा. ‘‘बाबूजी, आप ने अंकिता की शादी तय तो मेरे साथ की है, लेकिन यह गुलछर्रे किसी और के साथ उड़ा रही है. आप इसे रोकिए, वरना मैं यह रिश्ता तोड़ दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत करना बेटा, मैं अंकिता को समझाऊंगा.’’ राजा ने विशाल को समझाने की कोशिश की.

विशाल के जाने के बाद राजा ने अंकिता से पूछा, ‘‘बेटी, विशाल जो कह रहा था, क्या वह सच था? कहीं वह तुम्हें बदनाम कर के यह रिश्ता तो नहीं तोड़ना चाहता? बेटी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, इस के बावजूद सच्चाई जानना चाहता हूं.’’

‘‘पापा, विशाल जो कह रहा था, वह सच है. उस ने मुझे दीपेंद्र के साथ देख लिया था. दीपेंद्र और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं, इसलिए अकसर मिलते रहते हैं.’’ अंकिता ने सच्चाई बता दी.

अंकिता ने जो बताया, उसे सुन कर राजा के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने कहा, ‘‘बेटी, तुम्हारी शादी विशाल से तय हो चुकी है. इसलिए तुम्हारा दीपेंद्र से एकांत में मिलना ठीक नहीं है. ठीक होते ही मैं तुम्हारी शादी उस के साथ कर दूंगा, इसलिए अब तुम दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दो.’’

अंकिता की मां मीना ने भी प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, तू दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दे, इसी में हम सब की भलाई है. दीपेंद्र और हमारी जाति अलगअलग है, इसलिए उस के घर वाले कभी तेरी शादी उस के साथ नहीं करेंगे. तेरी सगाई हो चुकी है. 2 नावों पर पैर रखना ठीक नहीं है.’’

मांबाप की नसीहत अंकिता को उचित तो लगी, लेकिन वह उस पर अमल नहीं कर सकी. क्योंकि दीपेंद्र से मिलने से वह खुद को एकदम से रोक नहीं पा रही थी. लेकिन पहले से कुछ कम जरूर कर दिया था.

दीपेंद्र उसे मिलने के लिए पार्क या रेस्टोरेंट में बुलाता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर मना कर देती. जबकि दीपेंद्र मानता ही नहीं. वह नाराज हो कर उसे जलील करने लगता. कभीकभी तो वह रास्ते में ही उस का हाथ पकड़ लेता और साथ चलने की जिद करने लगता. यही नहीं, मना करने पर वह गालीगलौज और मारपीट पर उतारू हो जाता.

दीपेंद्र की इन हरकतों से अंकिता परेशान रहने लगी. वह उस से डरने लगी. होली के त्योहार पर दीपेंद्र ने अंकिता का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती साथ ले जाने लगा. अंकिता ने मना किया तो उस ने गालीगलौज तो की ही, उस पर हाथ भी उठा दिया. दीपेंद्र की इस हरकत से परेशान हो कर अंकिता ने अपने मंगेतर विशाल से उस की शिकायत कर दी. मामला पुलिस तक पहुंचा. तब पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया.

पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की तो दीपेंद्र और भी आक्रामक हो गया. वह अंकिता को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए दबाव डालता, गंदे और अश्लील मैसेज भेजता. बात न करने या जवाब न देने पर गालीगलौज करता, धमकियां देता. डर के मारे वह कभी उस से प्यार की 2-4 बातें कर लेती तो कभी कोई बहाना बना देती. अब वह उस के साथ कहीं आनेजाने से भी बचने लगी थी. अगर कभी जाती तो मजबूरी में जाती.

इस तरह अंकिता प्रेमत्रिकोण में उलझ कर रह गई थी. दीपेंद्र सामने होता तो उसे उस की बांहों में झूलना पड़ता और जब मंगेतर विशाल सामने होता तो उसे उस की वफादार बनना पड़ता.

दीपेंद्र के घर वालों को भी अंकिता और उस के प्रेमसंबंधों के बारे में पता था. सब जानते थे कि वह अपनी कमाई उसी पर लुटा रहा है. लेकिन उन्होंने साफसाफ कह दिया था कि वह किसी भी हालत में यह शादी नहीं होने देेंगे. दीपेंद्र को समझाया भी गया था, लेकिन वह अंकिता से संबंध तोड़ने को तैयार नहीं था.

17 जुलाई को दीपेंद्र ने अंकिता से साथ चलने को कहा. उस ने मना कर दिया तो दीपेंद्र ने गालीगलौज करते हुए उसे खूब जलील किया. गालीगलौज में उस ने ऐसे ऐसे गंदे शब्दों का उपयोग किया कि अंकिता का कलेजा छलनी हो गया. उस ने उसी समय तय कर लिया कि अब किसी भी सूरत में इस आदमी से छुटकारा पाना है.

उस ने अपने मंगेतर विशाल से दीपेंद्र की शिकायत कर के उस से छुटकारा दिलाने की विनती की. इस के बाद विशाल ने अंकिता की मदद से दीपेंद्र को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

दीपेंद्र को ठिकाने लगाना विशाल के अकेले के वश का नहीं था, इसलिए उस ने इस योजना में अपने छोटे भाई विकास से बात की. बात घर की इज्जत की थी, इसलिए वह भाई की मदद के लिए राजी हो गया.

योजना के अनुसार अंकिता ने 20 जुलाई की दोपहर को दीपेंद्र को फोन कर के घंटे वाले मंदिर पर बुलाया. दीपेंद्र तो ऐसा मौका ढूंढता ही रहता था. वह तुरंत घंटे वाले मंदिर पर पहुंच गया. अंकिता वहां उस का इंतजार कर रही थी. दोनों बातें करने लगे. योजना के अनुसार थोड़ी देर बाद विशाल भी आ गया.

उस के आते ही अंकिता चली गई तो विशाल दीपेंद्र को बातचीत करने के बहाने घंटे वाले मंदिर के पीछे नगर निगम वर्कशौप पार्क में ले आया. पार्क में बड़ीबड़ी झाडि़यां थीं. दोपहर होने की वजह से वहां सन्नाटा पसरा था.

अंकिता को ले कर दीपेंद्र और विशाल में बातचीत शुरू हुई. जल्दी ही यह बातचीत गालीगलौज और मारपीट में बदल गई. विकास पहले से ही आ कर वहां छिपा था. दीपेंद्र और भाई के बीच मारपीट होते देख उस ने वहां पड़ी ईंट उठाई और दीपेंद्र के सिर पर दे मारी. दीपेंद्र की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गया.

उस के गिरते ही विकास ने दूसरा वार कर दिया. ईंट की चोटों से दीपेंद्र बिना चीखे ही बेहोश हो गया. उस के बेहोश होते ही विशाल ने चाकू निकाला और बेरहमी से उस की गरदन रेत दी. इतने से भी उस का मन नहीं भरा तो उस ने उस का एक कान काट दिया और एक आंख फोड़ दी.

इस तरह कू्ररता से हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने शव को घसीट कर पार्क में सूखे पड़े कुएं में फेंक दिया. घसीटते समय ही दीपेंद्र का जूता निकल गया था, जिस ने कुएं में लाश पड़ी होने की चुगली कर दी थी.

लाश कुएं में फेंक कर विशाल ने अंकिता को फोन कर के दीपेंद्र की हत्या की सूचना दे दी. इस के बाद दोनों भाई वहां से फरार हो गए.

पुलिस ने उसी दिन घटनास्थल से वह ईंट बरामद कर ली थी, जिस से दीपेंद्र के सिर पर चोट पहुंचाई गई थी. इस के बाद विशाल की निशानदेही पर चाकू और उस के कपड़े बरामद कर लिए गए थे. सारे सुबूत जुटा कर पुलिस ने 24 जुलाई को अंकिता और विशाल को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक विकास नहीं पकड़ा जा सका था. पुलिस उस की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 2

अफजल का इकलौता बेटा था अरहान

आखिर यह पूरा मामला क्या था? आइए, इस पर एक नजर डालते हैं. उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा के मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद थाना सदर बाजार में रहते थे अफजल. परिवार में उन की पत्नी नाजिस और एक 9 साल का बेटा अरहान था.

अरहान अफजल का इकलौता बेटा था, इसलिए दोनों मियांबीवी उसे बहुत प्यार करते थे. उसे लाड़प्यार से पाल रहे थे. अफजल को उम्मीद थी कि पढ़लिख कर एक दिन अरहान बहुत बड़ा आदमी बनेगा और उन के दिन संवर जाएंगे. अरहान को लिखानेपढ़ाने में अफजल मियां कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे थे. वह दिन भर कड़ी मेहनत कर के रुपया कमाते और अरहान की स्कूल की जरूरत का सारा सामान दिलवाते.

दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे कि 8 अप्रैल, 2023 की शाम को अरहान लापता हो गया. न वह गलीमोहल्ले में कहीं मिल रहा था न बाजारहाट में. वह गली में खेलतेखेलते गायब हुआ था. नाजिस ने उसे घर में से ही दोचार बार आवाज दी थीं, फिर उत्तर न मिलने पर वह घर से बाहर आ गई थी. अरहान गली में दिखाई नहीं दे रहा था. नाजिस ने उसे पहले आसपड़ोस में ढूंढा. वह नहीं मिला तो उस के पिता अफजल को बताया.

अफजल ने बेटे को हर संभावित जगह पर तलाश किया. वह अपने बड़े भाई की दुकान पर भी अरहान को देखने गए, क्योंकि अरहान अकसर अपने ताऊ की दुकान पर चला जाया करता था. उस दिन वह ताऊ की दुकान पर नहीं गया था. हर जगह तलाश करने के बाद अफजल परेशान हो कर मोहल्ले के 2-3 पहचान वालों को साथ ले कर कोतवाली सदर बाजार पहुंच गए.

कोतवाल जसवीर सिंह के सामने पहुंच कर अफजल ने अपने 9 वर्षीय बेटे के लापता होने के बारे में बताया, “सर, मुझे बहुत घबराहट हो रही है. मेरा बेटा शाम से गली में खेलते हुए गायब हो गया है. आप उस की तलाश करवाइए.”

एसएचओ जसवीर सिंह ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया. बच्चा मासूम था, उस के साथ कुछ भी अनहोनी होने का अंदेशा था.

“आप बच्चे का हुलिया, उम्र आदि दर्ज करवा दीजिए. उस की कोई फोटो हो तो वह भी दे दीजिए. मैं आप के बच्चे की तलाश करने की कोशिश करता हूं. आप अपने स्तर पर भी उसे ढूंढिए.” अफजल ने अपने बेटे अरहान की गुमशुदगी दर्ज करवा कर उस का एक फोटो भी कोतवाल साहब को दे दिया.

सीसीटीवी कैमरे से मिला सुराग

पुलिस ने पहले इस मामले की गुमशुदगी दर्ज की, लेकिन जब उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो अज्ञात के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. इस मामले को स्वयं कोतवाल जसवीर सिंह ने अपने हाथ में लिया और इस की विवेचना शुरू कर दी.

उन्होंने एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को इस बच्चे की गुमशुदगी की जानकारी दे कर दिशानिर्देश मांगे. एसएसपी के दिशानिर्देश पर कोतवाल जसवीर सिंह ने जांच की शुरुआत अरहान के घर के आसपास से की. गली में उस के साथ खेलने वाले बच्चों से पूछताछ की तो उन से मालूम हुआ कि शाम को अरहान उन के साथ खेल रहा था, फिर वह अपने ताऊ की दुकान की ओर किसी के साथ जाता दिखाई दिया था. वह व्यक्ति कौन था, वे उसे नहीं पहचानते.

इस जानकारी से कोतवाल को यह पता चल गया कि अरहान किसी ऐसे शख्स को जानता है, जो उस के बहुत करीब रहा है. उसी के साथ वह ताऊ की दुकान की तरफ गया था. जसवीर सिंह ने उस शख्स के बारे में मालूम करने के लिए सीसीटीवी फुटेज देखने का मन बना लिया. जहां पर अरहान के ताऊ की दुकान थी, उस रास्ते में 3-4 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. पुलिस ने उन कैमरों की फुटेज निकलवा कर देखी तो उन्हें अरहान एक पतलेदुबले युवक के साथ जाता हुआ नजर आ गया.

उस युवक की पहचान करने के लिए अरहान के पिता अफजल को थाने में बुलवाया गया. अफजल को सीसीटीवी कैमरे की वह फुटेज दिखाई गई.

“क्या आप इस युवक को पहचानते हैं?” कोतवाल ने अफजल से पूछा.

“यह तो मोहम्मद सैफ है. मेरे बड़े भाई की दुकान पर काम करता है.” अफजल ने हैरान हो कर कहा, “इस के साथ अरहान कई बार घूमने जाता रहा है, यह अच्छा व्यक्ति है.”

“हूं.” कोतवाल ने सिर हिलाया, “मैं इस से मिलना चाहूंगा.”

“यह दुकान पर होगा. आप मेरे साथ चलिए.”

कोतवाल जसवीर सिंह 2 पुलिसकर्मियों को साथ ले कर अफजल के साथ उस के भाई की दुकान पर आ गए. उन्हें वहां सीसीटीवी में नजर आने वाला युवक सैफ मिल गया.

पुलिस की बंदरघुडक़ी आई काम

पुलिस को दुकान पर देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. जसवीर सिंह की पैनी नजरों से यह छिप नहीं पाया. उन्होंने पुलिसकर्मियों को इशारा किया, “मोहम्मद सैफ को हिरासत में ले लो.”

उन का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने सैफ को पकड़ लिया. उसे पुलिस वैन में बिठा कर थाने में लाया गया. अफजल भी उन के साथ आए थे.

सैफ को सामने बिठा कर कोतवाल ने उस से सख्ती से पूछा, “अरहान कहां पर है सैफ?”

“मैं क्या बताऊं साहब… वो अपने घर में ही होना चाहिए.” सैफ नजरें झुका कर बोला.

“कल शाम को वह तुम्हारे साथ था. मेरे पास इस का ठोस सबूत है, तुम ठीकठीक बता दो वरना पुलिस वाले तुम्हारी चमड़ी उधेडऩे के लिए डंडा ले कर खड़े हैं.”

“मैं सही कह रहा हूं साहब, मैं नहीं जानता.”

जसवीर सिंह ने उस के गाल पर करारा थप्पड़ जड़ दिया, वह कुरसी से दूर जा गिरा. जसवीर सिंह के पास में खड़ा पुलिस कांस्टेबल उसे उठा कर दूसरे कमरे में ले गया. तभी बेंत ले कर 2 पुलिस वाले वहां और आ गए. एक पुलिस वाले ने सैफ के दोनों हाथ पीछे कर के बांध दिए.

इस से सैफ डर गया. वह समझ गया कि अब उस के साथ ये पुलिस वाले क्या करेंगे. इस से पहले कि वह पुलिस वाले कोई काररवाई करते, सैफ डर कर बोला, “सर, आप मुझे मारना मत, मैं सब बताता हूं.”

तभी एक पुलिसकर्मी कोतवाल को बुला लाया.

कोतवाल ने कडक़ स्वर में पूछा, “बता अरहान कहां है?”

“साहब, मैं ने उसे मार दिया है…” सैफ ने जैसे ही यह कहा, बराबर के कमरे में बैठे अफजल के कानों में भी यह आवाज आ गई. वह अपनी जगह गश खा कर गिर पड़े. वहां मौजूद कांस्टेबल उन्हें उठा कर बाहर बेंच पर ले गया और उन्हें होश में लाने की कोशिश में लग गया. कोतवाल जसवीर सिंह गहरी सांस ले कर रह गए. सैफ कुबूल कर रहा था कि उस ने अरहान को मार डाला है.

“तुम ने अरहान को क्यों मार दिया, उस बच्चे ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?” सैफ को फाड़ खाने वाली नजरों से देखते हुए जसवीर सिंह ने पूछा.

अरहान की हत्या का जो कारण सैफ ने बताया, उसे सुन कर कोतवाल और पुलिस कांस्टेबल के सिर शर्म से झुक गए.

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 2

घटनास्थल पर होने वाले बवाल को तो पुलिस अधिकारियों ने समझाबुझा कर टाल दिया था, लेकिन उन के मन में जो आग जल रही थी, उसे शांत करने के लिए वे दीपेंद्र की प्रेमिका अंकिता, जिस पर हत्या का शक था, के घर जा पहुंचे. दीपेंद्र की मां आशा, बहन आरती, ज्योति, बुआ बब्बन और चाची कांति अंकिता को पकड़ कर पिटाई करने लगीं. उन्होंने उस के कपड़े भी फाड़ दिए.

अंकिता के पिता राजा और मां ने उसे छुड़ाना चाहा तो साथ आए लोगों ने उन की भी पिटाई कर दी. कपड़े फट जाने से अंकिता अर्धनग्न हो गई थी. उसी हालत में उसे घर के बाहर खींच लाया गया. लोग उस का तमाशा बना रहे थे. तभी इस बात की सूचना पा कर वहां पुलिस पहुंच गई और काफी मशक्कत कर के भीड़ से निकाल कर उसे थाने ले आई.

दीपेंद्र के घर वालों ने अंकिता और उस के मंगेतर विशाल पर हत्या का आरोप लगाया था. अंकिता गिरफ्त में आ चुकी थी. अब विशाल को गिरफ्तार करना था.

पुलिस ने जब मुखबिरों से विशाल के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह बकरमंडी ढाल पर मौजूद है. थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव पुलिसबल के साथ वहां पहुंचे और मुखबिर की निशानदेही पर विशाल को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना कर्नलगंज ले आया गया. इस तरह लाश मिलने वाले दिन ही यानी 23 जुलाई को दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया.

थाने में विशाल से दीपेंद्र की हत्या के बारे में पूछा गया तो बड़ी आसानी से उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पुलिस को बताया कि मंगेतर अंकिता और भाई विकास की मदद से उस ने दीपेंद्र की हत्या की थी. इस के बाद अंकिता से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह दीपेंद्र से प्यार करती थी. लेकिन उस की जिद, गालीगलौज और धमकियों से परेशान हो कर उस ने अपने मंगेतर विशाल से कह कर उस की हत्या करा दी थी.

विशाल और अंकिता ने दीपेंद्र की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. इसलिए थाना कर्नलगंज पुलिस ने मृतक दीपेंद्र की मां आशा देवी की ओर से उस की हत्या का मुकदमा विशाल, विकास और अंकिता के खिलाफ दर्ज कर विस्तार से पूछताछ की. इस पूछताछ में प्रेमत्रिकोण में हुई हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.

उत्तर प्रदेश के महानगर कानपुर के थाना कर्नलगंज का एक मोहल्ला है मकराबर्टगंज. इसी मोहल्ले में राजा अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां अंकिता उर्फ लाडो और सुनीता थीं. राजा प्राइवेट नौकरी करता था, जिस के वेतन से किसी तरह गुजरबसर हो रहा था.

राजा की आर्थिक स्थिति भले ही बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन संयोग से उस की दोनों ही बेटियां बहुत खूबसूरत थीं. बड़ी बेटी अंकिता थोड़ा आजाद खयाल की थी. उसे सहेलियों के साथ घूमनेफिरने, गप्पे लड़ाने में बड़ा मजा आता था. राजा और मीना को लगा कि अंकिता सयानी हो गई है और उस के कदम बहक सकते हैं तो वे उस की शादी के बारे में सोचने लगे. उन्होंने उस के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी.

उन की कोशिश का सुखद परिणाम निकला. पास के ही मोहल्ले कर्नलगंज में रहने वाला विशाल उन्हें पसंद आ गया. उस के परिवार में मातापिता के अलावा एक भाई विकास था. विशाल शरीर से हृष्टपुष्ट था ही, देखने में भी सुंदर था. लेकिन अभी वह करता धरता कुछ नहीं था. दिनभर इधरउधर घूमता रहता था. इस के बावजूद ज्यादा दानदहेज न दे पाने की वजह से राजा ने बेटी की शादी उस के साथ तय कर दी.

शादी हो पाती, उस के पहले ही राजा की तबीयत खराब हो गई. राजा की बीमारी काफी गंभीर थी. जांच में पता चला था कि उसे कैंसर है. कैंसर का इलाज काफी महंगा था. अंकिता अपनी शादी को भूल कर मां की मदद से पिता का इलाज कराने लगी. इस के लिए मीना को दूसरे के घरों में जा कर काम करना पड़ रहा था, फिर भी उस ने हिम्मत नहीं हारी.

पिता की बीमारी की वजह से अंकिता की शादी टल गई थी. मजबूरी की वजह से विशाल भी चुप था.

मकराबर्टगंज के जिस हाता नंबर 8 में अंकिता रहती थी, उसी में दीपेंद्र सैनी भी रहता था. वह सुरेंद्र मोहन सैनी का बेटा था, लेकिन उन की मौत हो चुकी थी. उस के परिवार में मां आशा देवी के अलावा एक भाई अतुल तथा 2 बहनें, अनीता और ज्योति थीं. अनीता की शादी हो चुकी थी. खातेपीते परिवार का दीपेंद्र शरीर से स्वस्थ और हंसमुख स्वभाव का था. वह मैग्ना फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. आकर्षण व्यक्तित्व वाला दीपेंद्र रहता भी बनसंवर कर था.

पड़ोस में रहने की वजह से अकसर दीपेंद्र की नजर अंकिता पर पड़ जाती थी. जवानी की दहलीज पर खड़ी अंकिता धीरेधीरे उस के दिल में हलचल पैदा करने लगी. दीपेंद्र का दिल उस पर आया तो वह उस की एक झलक पाने के लिए उस के घर के चक्कर लगाने लगा. तभी उसे पता चला कि अंकिता के पिता को कैंसर हो गया है. हमदर्दी जताने के बहाने वह उस के घर आनेजाने लगा.

अंकिता ने दीपेंद्र की चाहत को भांप लिया था. इसलिए जब दीपेंद्र उस के घर आता, वह उस के आसपास ही बनी रहती और इस बात की कोशिश करती कि दीपेंद्र ज्यादा से ज्यादा देर तक उस के घर रुके. उसे रोकने के लिए ही वह उसे चाय पिए बिना नहीं जाने देती थी.

अंकिता अब दीपेंद्र की नींद हराम करने लगी थी. उसी की यादों में वह पूरी की पूरी रात करवटें बदलता रहता था. दिन में भी उस की वजह से उस का मन काम में नहीं लगता था. लगभग वही हाल अंकिता का भी था. दीपेंद्र की चाहत ने अंकिता को मंगेतर से बेवफाई के लिए मजबूर कर दिया. चाहत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी, इसलिए दोनों को अपनेअपने दिलों की बात एकदूसरे से कहने में जरा भी झिझक नहीं हुई.

मीना पति को अस्पताल ले कर चली जाती तो अंकिता घर में अकेली रह जाती थी, क्योंकि उस की बहन भी मां की मदद के लिए उस के साथ चली जाती थी. अंकिता से मिलने का दीपेंद्र के लिए यह उचित समय होता था. जल्दी ही दोनों इस एकांत का गलत फायदा उठाने लगे. धीरेधीरे दोनों की प्रेमकहानी बढ़ती ही गई. अंकिता के शरीर पर जो हक उस के मंगेतर विशाल का होना चाहिए था, अब वह उस के प्रेमी दीपेंद्र का हो गया था.

अंकिता से प्रेमसंबंध बनने के बाद दीपेंद्र का उस के घर आनाजाना कुछ ज्यादा ही हो गया था. अंकिता से वह उस के घर में तो मिलता ही था, उसे होटल रेस्टोरेंट भी ले जाता था. कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह अंकिता और उस के घर वालों पर खर्च करने लगा था.

वह अंकिता का पूरा खर्च तो उठाता ही था, उस के बाप के इलाज के साथसाथ घर खर्च के लिए भी पैसे देता था. उस की इस मदद से राजा और मीना भी उस के एहसानों तले दब गए थे. कहा जाता है कि जब राजा का औपरेशन हुआ था तो उस ने 50 हजार रुपए दिए थे.

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 1

इस धरती पर इंसान के रूप में ऐसे हैवान भी मौजूद हैं, जो अपनी काम पिपासा शांत करने के लिए किसी भी लडक़ी अथवा लडक़े को अपना शिकार बना लेते हैं. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का रहने वाला सैफ नाम के दरिंदे ने तो एक ऐसे मासूम पर नुकीले दांत गड़ा दिए, जो मात्र 9 साल का था. अभी उस ने न दुनिया को ठीक से देखा था, न समझा था. हंसतेखेलते उस मासूम के साथ सैफ ने कुकर्म ही नहीं किया, बल्कि उसे मौत की नींद भी सुला दिया था.

इस कृत्य और जघन्य हत्या के लिए सैफ को पोक्सो कोर्ट के कटघरे में खड़ा किया गया. यह पोक्सो कोर्ट मथुरा में थी और इस के जज थे राम किशोर यादव. उन की कोर्ट में 28 अप्रैल, 2023 को इस केस की चार्जशीट दाखिल की गई थी. 2 मई को अभियुक्त पर चार्ज लगाया गया.

अभियुक्त सैफ की ओर से बचाव पक्ष के रूप में बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव साहब सिंह देशकर पैरवी कर रहे थे और अभियोजन पक्ष का जिम्मा जिला शासकीय अधिवक्ता (स्पैशल) अलका उपमन्यु ने संभाला था. इस केस में 14 गवाह पेश किए गए. पहली गवाही 8 मई को हुई और अंतिम गवाह 18 मई को पेश हुआ.

आज 22 मई, 2023 का दिन था. उस दिन इस जघन्य मामले में फाइनल बहस होनी थी. सुबह से ही कोर्टरूम में मीडियाकर्मी, मथुरा बार एसोसिएशन के वकील, पुलिस के आला अधिकारी. मृतक बच्चे के घर वाले, पासपड़ोस के लोग और शहर के कई प्रतिष्ठित नागरिक जमा हो गए थे.

इस केस की शासन और प्रशासन की ओर से मौनिटरिंग हो रही थी. डीएम पुलकित खरे, एसएसपी शैलेष कुमार पांडे, संयुक्त निदेशक अभियोजन सहसेंद्र मिश्रा इस मामले पर पैनी नजर रख रहे थे. वह इस वक्त कोर्टरूम में मौजूद थे. वहीं जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम तरकर तथा सदर कोतवाल जसवीर सिंह (जिन्होंने इस केस की छानबीन की थी) कोर्ट रूम में उपस्थित थे.

कोर्ट रूम में बने कटघरे में इस जघन्य कांड का आरोपी सैफ खड़ा था. बीच में लंबी मेज के पास लेखाकार के साथ बचाव पक्ष के वकील साहब सिंह देशकर बैठे हुए थे. उन के सामने मेज की दूसरी ओर अभियोजन पक्ष की वकील अलका उपमन्यु बैठी हुई इस केस की फाइल को गहरी नजरों से देख रही थीं.

दिलचस्प रही वकीलों की जिरह

जैसे ही कोर्टरूम की घड़ी ने 10 बजाए, अपने चैंबर से निकल कर माननीय जज राम किशोर यादव अपनी कुरसी के पास आ गए. कोर्ट में मौजूद हर शख्स ने सम्मान में उठ कर उन का अभिवादन किया. अभिवादन स्वीकार कर के जज महोदय अपनी कुरसी पर बैठ गए.

“कोर्ट की काररवाई शुरू की जाए. बचाव पक्ष अपनी दलील पेश करें.” माननीय जज ने साहब सिंह की ओर देख कर कहा.

साहब सिंह देशकर अपने काले कोट को दुरुस्त करते हुए उठे और गंभीर आवाज में बोले, “मी लार्ड, मैं मानता हूं मेरे मुवक्किल सैफ ने जघन्य गुनाह किया है. उस के विरुद्ध पुलिस ने ठोस साक्ष्य भी एकत्र कर के कोर्ट में पेश किए हैं, लेकिन मैं यही कहूंगा कि जिस वक्त सैफ ने यह गुनाह किया, वह बहुत नशे में था. नशा करने वाला व्यक्ति नशे में यह भूल जाता है कि वह जो कर रहा है या करने जा रहा है, वह गलत है. मेरे मुवक्किल ने जो भी किया वह नशे में किया है, उसे इस का अफसोस भी है.”

“इस के अफसोस करने से क्या वह मासूम बच्चा जीवित हो कर वापस आ जाएगा, जो इस की हैवानियत की भेंट चढ़ गया.”

अभियोजन पक्ष की वकील अलका उपमन्यु तमक कर खड़ी होते हुए गुस्से से बोलीं, “मी लार्ड, इस व्यक्ति ने ऐसा गुनाह किया है, जो क्षमा करने योग्य नहीं है. ऐसे व्यक्ति को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए.”

“नहीं मी लार्ड,” बचाव पक्ष के वकील देशकर विनती करते हुए बोले, “मेरा मुवक्किल शादीशुदा है इस के छोटेछोटे बच्चे हैं. यह अपने बूढ़े मांबाप का बोझ भी उठाता है. इस के जेल चले जाने से इस के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा.”

“यह सब कुछ गुनाह करने से पहले सोचना चाहिए,” अलका उपमन्यु व्यंग्य से बोलीं.

“मैं ने कहा न, यह उस समय गहरे नशे में था. नशे में ही इस से गुनाह हो गया है.”

“मी लार्ड, जिस मासूम बच्चे को इस नराधम ने मौत के घाट उतारा है, वह अपने मांबाप की इकलौती संतान था. उस के पिता उसे इस उम्मीद से पालपोस कर बड़ा कर रहे थे कि वह बड़ा हो कर उन के बुढ़ापे की लाठी बनेगा. इस ने उन की लाठी तोड़ दी. उन के बुढ़ापे का सहारा छीन लिया. इसे कठोर से कठोर दंड मिलना ही चाहिए.”

माननीय जज राम किशोर यादव ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद गंभीर स्वर में कहा, “यह सिद्ध हो गया है कि कटघरे में खड़े इस शख्स सैफ ने जघन्य गुनाह किया है. स्वयं इस के वकील मिस्टर देशकर अपने मुंह से कुबूल कर रहे हैं कि इस ने जघन्य अपराध किया है, लेकिन नशे में किया है.

“मिस्टर देशकर यह नशे में था, इस बात को पुलिस नहीं मानती. इसे गिरफ्तार किया गया, तब यह पूरी तरह होशोहवास में था और यह बात इस से भी सिद्ध होती है कि बच्चे के साथ कुकर्म करने के बाद इस का दिमाग सचेत था, तभी तो इस ने सोचा कि यदि बच्चे को जिंदा छोड़ा तो बच्चा इस की पहचान और नाम बता सकता है.

“इसी भय से इस ने बच्चे की गला घोंट कर हत्या कर दी. इसलिए नशे में अपराध करने वाली बात का कोई तर्क नहीं बनता. इस पर रहम नहीं किया जा सकता. मैं इसे दोषी मानता हूं. 26 मई, 2023 को इस पर आरोप तय होगा और सोमवार 29 मई को इसे सजा सुनाई जाएगी. कोर्ट तब तक के लिए स्थगित की जाती है.”

कोर्ट की काररवाई समाप्त कर के जज महोदय अपने चैंबर में चले गए. कोर्ट रूम में मौजूद लोग एकदूसरे से बातें करते हुए बाहर निकल गए.

मुजरिम को सजा ए मौत

26 मई, 2023 को एक बार फिर से पोक्सो कोर्ट में जज राम किशोर यादव की अदालत लगी. 22 मई को कोर्ट रूम में जितनी भीड़ थी, उस से कहीं अधिक भीड़ कोर्ट रूम में उस दिन आई. जज महोदय ने ठीक 10 बजे अपनी कुरसी पर आ कर बैठे तो सभी की निगाहें उन की ओर हो गईं कि पता नहीं जज साहब क्या आरोप तय करेंगे.

उन्होंने अभियुक्त सैफ पर आरोप तय करने के लिए कहना शुरू किया, “सैफ को बच्चे के साथ कुकर्म कर के तार से उस का गला घोंट कर मार देने का आरोप सिद्ध हो गया है. इसे भारतीय दंड विधान की धारा 302 में आजीवन कारावास और 50 हजार रुपयों का जुरमाना लगाया जाता है.

धारा 377 भादंवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया जाता है. धारा 363 में 5 वर्ष सश्रम दंड और 20 हजार का आर्थिक जुरमाना. धारा 201 में 7 वर्ष का कठोर कारावास और 10 हजार रुपए का जुरमाना लगाया जाता है. वसूली का 80 प्रतिशत हिस्सा प्रतिकर के रूप में मृतक के मांबाप को दिया जाएगा.”

इस के बाद कोर्ट की अगली तारीख सोमवार तय कर के कोर्ट स्थगित कर दी गई.

29 मई, 2023 को पोक्सो कोर्ट के जज राम किशोर यादव ने सैफ को सभी धाराओं में दोषी करार देते हुए कहा, “मासूम के साथ कुकर्म और उस की हत्या का दोषी मोहम्मद सैफ धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (यथा संशोधित 2019) के अंतर्गत मृत्युदंड से दंडित किया जाता है. सैफ को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक इस के प्राण न निकल जाएं.” जज महोदय ने सजा सुनाने के बाद अपने पैन की निब तोड़ दी और उठ कर अपने चैंबर में चले गए.

पोक्सो कोर्ट ने त्वरित न्याय का उदाहरण पेश कर के मात्र 15 दिन में अपना फैसला सुनाया. इस फैसले की सभी ने भूरिभूरि प्रशंसा की. मृतक बच्चे की मां नाजिस और पिता अफजल फूटफूट कर रोने लगे. उन का कहना था कि आज हमारे बेटे अरहान को न्याय मिला है. त्वरित काररवाई से हम संतुष्ट हैं. आज न्यायाधीश ने सच्चा न्याय किया है. उन के रुदन को देख कर एडवोकेट अलका उपमन्यु की भी आंखें भर आईं. वह मुंह घुमा कर रूमाल से अपने आंसू पोंछने लगीं.

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 1

मोबाइल फोन की घंटी बजते ही दीपेंद्र की नजर स्क्रीन पर चली गई. अंकिता उर्फ लाडो का  नाम देख कर उस के चेहरे पर चमक सी आ गई. झट से फोन रिसीव कर के बोला, ‘‘हैलो अंकिता कैसी हो, सब ठीक तो है?’’

‘‘कुछ भी ठीक नहीं है दीपेंद्र. मैं बहुत परेशान हूं.’’ अंकिता भर्राई आवाज में बोली.

‘‘क्या बात है, साफसाफ बताओ?’’ दीपेंद्र ने परेशान हो कर पूछा.

‘‘विशाल ने मेरा जीना दूभर कर दिया है. अभीअभी धमकी दे कर गया है कि अगर मैं तुम से मिली या बात की तो वह दोनों के हाथपैर तोड़ देगा. मेरा जी बहुत घबरा रहा है. तुम जल्दी से आ जाओ, घंटे वाले मंदिर पर मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं.’’ अंकिता ने रोआंसी हो कर कहा तो दीपेंद्र ने धमकाने वाले अंदाज में कहा, ‘‘उस हरामजादे की इतनी हिम्मत कि वह तुम्हें धमकी दे. तुम बिलकुल मत घबराना. मैं अभी तुम्हारे पास पहुंच रहा हूं.’’

यह कह कर दीपेंद्र ने फोन काट दिया. इस के बाद वह तैयार होने लगा तो छोटी बहन ज्योति ने पूछा, ‘‘भैया इस समय कहां जा रहे हो?’’

‘‘कहीं नहीं, बस अभी आता हूं.’’ दीपेंद्र ने कहा.

‘‘भैया जल्दी आ जाना. अकेले घर में डर लगता है.’’ ज्योति ने कहा.

‘‘तुम अंदर से दरवाजा बंद रखना. मैं एक दोस्त से मिलने जा रहा हूं. किसी भी सूरत में डेढ़-2 घंटे में आ जाऊंगा.’’ दीपेंद्र ने कहा और घर से निकल गया. यह 20 जुलाई की दोपहर की बात है.

ज्योति घर में अकेली थी, इसलिए वह बेसब्री से भाई के वापस आने का इंतजार कर रही थी. दीपेंद्र ने डेढ़-2 घंटे में आने के लिए कहा था. उतना समय तो उस ने आसानी से बिता दिया. लेकिन जब समय ज्यादा होने लगा तो उस ने दीपेंद्र को फोन किया. पता चला, उस का फोन बंद है. उस की मां आशा छोटे भाई अतुल के साथ बड़ी बहन अनीता की ससुराल गई थीं.

इसलिए दीपेंद्र का फोन बंद होने से उसे घबराहट होने लगी. वह लगातार भाई को फोन लगाने लगी. काफी कोशिश के बाद भी जब दीपेंद्र के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो उस ने बरेली गई मां को सारी बात बता कर तुरंत घर आने को कहा.

ज्योति को लग रहा था कि भाई के साथ कुछ गड़बड़ हो गई है, इसलिए मां को सूचना देने के बाद उस ने मौसा मुकुंद वल्लभ, चचेरे भाई सागर, ज्ञान, चाची कांति और बुआ बब्बन को भी इस बात की सूचना दे दी. दीपेंद्र के घर न लौटने की जानकारी मिलते ही सभी ज्योति के घर आ गए. सलाहमशविरा कर के सभी दीपेंद्र की खोज में जुट गए. काफी कोशिश के बाद भी दीपेंद्र का कुछ पता नहीं चला. मोबाइल बंद होने की वजह से उस से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था.

जब दीपेंद्र का कहीं पता नहीं चला तो देर रात उस के चाचा वीरेंद्र मोहन सैनी थाना कर्नलगंज पहुंचे और थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव  को सारी बात बता कर गुमशुदगी दर्ज करानी चाही, लेकिन बिना गुमशुदगी दर्ज किए ही थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने उन्हें वापस भेज दिया.

सुबह दीपेंद्र की मां आशा देवी भी बरेली से आ गईं. आते ही वह छोटे बेटे अतुल के साथ सीधे थाने गईं और थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव से बताया कि उन के बेटे दीपेंद्र का अपहरण हुआ है.

थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने पूछा, ‘‘तुम्हें कैसे पता चला कि उस का अपहरण हुआ है? किस ने और क्यों किया है उस का अपहरण?’’

‘‘साहब, विशाल और उस की मंगेतर अंकिता उर्फ लाडो ने उस का अपहरण किया है. पहले भी वह उस के साथ मारपीट कर चुका है.’’ आशा देवी ने रोते हुए कहा.

‘‘क्यों किया था मारपीट?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब, मेरा बेटा दीपेंद्र अंकिता से प्रेम करता था. जबकि अंकिता की शादी विशाल से तय थी. इसलिए विशाल को अंकिता और दीपेंद्र का मिलनाजुलना पसंद नहीं था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों में तकरार होती रहती थी.’’ आशा देवी ने कहा.

‘‘ठीक है, तुम अभी जाओ. शाम को दीपेंद्र की 2 फोटो ले कर आना. उस के बाद हम तुम्हारी रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे.’’ आश्वासन दे कर थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने आशा देवी को घर भेज दिया.

दीपेंद्र के फोटो ले कर आशा देवी शाम को थाने पहुंची और थानाप्रभारी से दीपेंद्र के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करने को कहा. लेकिन बुलाने के बावजूद थानाप्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस तरह 22 जुलाई का भी दिन बीत गया.

23 जुलाई की सुबह वीरेंद्र मोहन सैनी अपनी पालतू कुतिया को टहलाने के लिए थाना कर्नलगंज के ठीक पीछे बने नगर निगम वर्कशौप पार्क में ले गए. पार्क में बने कुएं के पास उन्हें एक जूता दिखाई दिया. जूते पर उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने फोन कर के घर वालों को बुला लिया. जूता देखते ही अतुल ने कहा, ‘‘अरे यह जूता तो दीपेंद्र भइया का है.’’

इस के बाद अतुल, सागर और ज्ञान ने कुएं में झांका तो उन्हें उस में एक लाश दिखाई दी.

जूते से सब को यही लगा कि कुएं में पड़ी लाश दीपेंद्र की हो सकती है. इसलिए तुरंत इस बात की सूचना थाना कर्नलगंज पुलिस को दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव सिपाहियों के साथ वहां आ पहुंचे.

उन्होंने साथ आए सिपाहियों की मदद से लाश बाहर निकलवाई तो उसे देखते ही आशा देवी रोने लगीं. उन्हीं के साथ घर के अन्य लोग भी रोने लगे. वह लाश 2 दिनों से गायब आशा देवी के 30 वर्षीय बेटे दीपेंद्र की थी.

दीपेंद्र की हत्या और लाश बरामद होने की खबर आसपास के मोहल्लों तक पहुंची तो पार्क में अच्छीखासी भीड़ जमा हो गई. लोगों को लग रहा था कि अगर पुलिस ने समय पर काररवाई की होती तो उस की जान बच सकती थी. इसी बात को ले कर लोगों में गुस्सा था. सूचना पा कर एसपी (क्राइम) एम.पी. वर्मा और क्षेत्राधिकारी पी.के. चावला भी घटनास्थल पर आ गए थे.

भीड़ की नाराजगी को भांप कर उन्हें लगा कि यहां बवाल हो सकता है, इसलिए उन्होंने बजरिया, नवाबगंज, ग्वालटोली, स्वरूपनगर, काकादेव आदि थानों की पुलिस बुला ली. इस के बाद गुस्साई भीड़ को उचित काररवाई का आश्वासन दे कर समझाया और कोई अनहोनी हो, उस के पहले ही घटनास्थल की सारी काररवाई निबटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.