स्पा के दाम में फाइव स्टार सेक्स – भाग 3

महाराजपुर पुलिस चौकी में कार्यरत जितने भी पुलिसकर्मी थे, उन्हें तुरंत वहां से पुलिस लाइंस में जा कर अपनी उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दे दिया. पर फरार हुए स्पा मैनेजर और मालिकों की गिरफ्तारी के लिए टीमें नियुक्त कर के छापेमारी कर रही थीं.

समाज में गंदगी फैलाने वाले ऐसे लोगों को कानून के कटघरे में खड़ा कर के जेल पहुंचाना ही पुलिस का उद्ïदेश्य था. देखना है ये फरार हुए अभियुक्त कब तक पुलिस से लुकाछिपी का खेल खेलते हैं.

यह मामला अभी चल ही रहा था, ताजा भी था कि उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में एक और सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो गया. हुआ यूं कि सीओ (सिटी) संजय मिश्रा अपने औफिस में बैठे. तभी उन्होंने अपने एक मुखबिर को फोन लगा लिया, “हैलो करीम, क्या कह रहे हो?”

“गुड मार्निंग साहब.” दूसरी ओर से करीम की आवाज उभरी, “आजकल खाली हूं साहब, जेब से कडक़ा हो गया हूं, कोई काम बताइए न?”

“करीम, कुछ दिनों से मुझे होटल राधाकृष्णा के विषय में उलटीसीधी बातें सुनने को मिल रही हैं.”

करीम ने तुरंत कहा, “हां साहब, सुना तो मैं ने भी है कि राधाकृष्णा में गरम गोश्त का धंधा होता है. आप कहें तो मैं पता लगाऊं?”

“खाली हो तो यही काम कर लो, खर्चापानी निकल जाएगा तुम्हारा.” संजय मिश्रा ने कहा.

“मैं आज शाम को ही मालूम कर लूंगा.” करीम चहक कर बोला, “आप को अच्छी खबर ही दूंगा साहब.”

“ठीक है.” कह कर संजय मिश्रा ने बात खत्म की.

उधर करीम शाम होने का इंतजार करने लगा. करीम 25-26 साल का युवक था. वह स्मार्ट था, रंगत भी गोरी थी. वह पुलिस के लिए मुखबिरी करता था. सीओ सिटी से बात होने के बाद उस ने शाम को व्हाइट शर्ट और ब्राऊन रंग की जींस पहनी. बालों को संवारा और पैदल ही होटल राधाकृष्णा की तरफ चल पड़ा.

राधाकृष्णा होटल में पहुंच कर वह बार काउंटर पर पहुंच गया, वहां मौजूद सर्विस बौय से उस ने लार्ज व्हिस्की का पैग मांगा. सर्विस बौय पैग बनाने लगा तो करीम धीरे से बोला, “यार, यहां शराब ही मिलती है क्या, उस के साथ कुछ चटपटा माल नहीं मिलता?”

“मिलता है जनाब.” सर्विस बौय पैग उस की तरफ बढ़ाते हुए बोला, “भुने काजू हैं, चटपटी नमकीन है, बौयल एग्स हैं.”

करीम मुसकराया, “यह नहीं यार, तनमन को तृप्त कर दे. कुछ ऐसा चटपटा सामान जो…”

“ओह समझा!” सर्विस बौय आगे को झुक कर मुसकराया, “आप गरम गोश्त की बात कर रहे हैं.”

“ठीक समझे, शराब के साथ शबाब हो तो तबियत फडक़ा फाइट हो जाती है.”

“आप रिसैप्शन काउंटर पर जाइए, वहां रंगीन एलबम है. उस में आप को एक से बढ़ कर एक फुलझडिय़ां मिल जाएंगी.”

“वाह!” करीम ने दोनों हाथ कंधे पर ले जा कर अंगड़ाई ली, “रेट वेट मालूम है तुम्हें?”

“नहीं, यह मैनेजर ही बता देंगे.” सर्विस बौय ने हंस कर कहा, “ऐसी गरम आइटम की कीमत नहीं पूछी जाती, दिल को भा जाए तो दिलफेंक लोग लाखों लुटा देते हैं.”

करीम हंसा, “आदमी दिलचस्प हो तुम.”

सर्विस बौय मुसकराने लगा. करीम ने पैग का बिल दिया और गिलास ले कर वह रिसैप्शन पर आ गया.

रिसैप्शन पर बैठे मोटे से व्यक्ति ने आंखों पर चढ़ा चश्मा ऊंचा कर के करीम को देखा, “फरमाइए जनाब, रूम चाहिए क्या?”

“अकेला हूं,” करीम ने होंठों को गोल किया, “शादी भी नहीं हुई है. रूम ले कर क्या करूंगा. कोई पार्टनर दिलवाएंगे तो रूम लेने का मजा है.”

“पार्टनर भी मिल जाएगा सर.” मैनेजर ने दाईं आंख दबा कर कहा, “एलबम देखेंगे आप.”

“दिखाइए, कोई पसंद आ जाएगी तो रात यहीं गुजार लूंगा.”

मैनेजर ने एलबम निकाल कर दिखाई, उस में अनेक खूबसूरत महिलाओं के फोटो लगे थे. करीम ने एक फोटो पर अंगुली रख कर उस का रेट पूछा.

“3 हजार चार्ज है इस हसीना का, हमारे होटल की शान इसी नगीना से है. यह रूबी है. पसंद हो तो बुलाऊंï?”

“रूम का चार्ज इसी में शामिल है या अलग से देना होगा?”

“यह आधा घंटे का चार्ज है, इस में कमरा हम देंगे आप को. यदि आप पूरी रात मौज करना चाहते हैं तो 7 हजार रुपया लगेगा. 5 लडक़ी के, 2 रूम चार्ज.”

“मैं रात भर रुकूंगा, लेकिन आज नहीं. आप कल के लिए रुबी को कहीं बुक नहीं करेंगे. यह एडवांस हजार रुपया रखिए.”

करीम ने कहने के बाद पर्स से 5-5 सौ के 2 नोट निकाल कर रिसैप्शन पर रख दिए. फिर वह होटल से बाहर आ गया. उस ने तुरंत सीओ संजय मिश्रा को फोन कर के सारी जानकारी दे दी.

संजय मिश्रा ने दूसरे दिन शनिवार 27 मई, 2023 को सुबह ही दक्षिण टोला सराय लखसी थाना और महिला थाने की पुलिस को कोतवाली में लिया. उन्हें यहां बुलाने का मकसद समझाने के बाद वह पुलिस बल, जिन में महिला कांस्टेबल भी थी, को साथ ले कर रोडवेज बस अड्ïडे के पास स्थित होटल राधाकृष्णा में छापा डाल दिया.

पुलिस को देख वहां भगदड़ मच गई. होटल मैनेजर को काबू कर लिया गया. ऊपर के फस्र्ट फ्लोर पर बने बहुत से कमरे अंदर से बंद थे. उन्हें खटखटा कर महिला पुलिस को आगे कर दिया गया. सीओ संजय मिश्रा ने ऊंची आवाज में आदेश दिया, “यहां पुलिस ने रेड डाली है. बंद कमरों में मौजूद महिलाएं पुरुष अपने कपड़े ठीक कर के बाहर आ जाएं.”

थोड़ी देर में बंद कमरों से महिलाएं मुंह ढंक कर बाहर आ गईं. हर महिला के साथ एक पुरुष भी था. टोटल 14 महिलाएं और मैनेजर सहित 16 पुरुष वहां से हिरासत में लिए गए. कमरों की तलाशी में आपत्तिजनक सामान भी बरामद हुआ, उसे सीलमोहर कर के कब्जे में ले लिया गया.

सभी पकड़े गए अनैतिक देह में लिप्त पुरुष और महिलाओं को कोतवाली में लाया गया. पुलिस उन से विस्तार से पूछताछ कर के कानूनी काररवाई में लग गई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में करीम व जगदीश उर्फ जग्गी परिवर्तित नाम हैं.

तीन साल बाद खुला रहस्य

बीवी की आशनाई लायी बर्बादी – भाग 2

एक दिन सूरज रमाकांती के कमरे पर पहुंचा तो उस समय वह अकेली थी. कमरे के बाहर से ही उस ने पूछा, ‘‘भाभी, भाई साहब घर पर नहीं हैं क्या?’’

‘‘तुम अच्छी तरह जानते हो कि इस समय वह घर पर नहीं होते, फिर भी पूछ रहे हो?’’ रमाकांती ने सूरज की आंखों में आंखें डाल कर कहा तो वह इस तरह झेंप गया, जैसे उस की कोई चोरी पकड़ी गई हो. सच भी यही था. वह जानबूझ कर ऐसे समय में आया था. उस ने झेंप मिटाते हुए कहा, ‘‘तुम तो बहुत पारखी हो भाभी.’’

‘‘औरत की नजरें मर्द के मन को बड़ी जल्दी पहचान लेती हैं देवरजी.’’ रमाकांती ने इठलाते हुए कहा, ‘‘अंदर आ कर बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.’’

सूरज पलंग पर बैठते हुए बोला, ‘‘भाभीजी, तुम ने मेरी चोरी पकड़ ली, लेकिन यह तो बताओ कि मेरा इस तरह आना तुम्हें बुरा तो नहीं लगा?’’

‘‘अगर बुरा लगा होता तो तुम्हें अंदर बुला कर चाय क्यों पिलाती?’’ रमाकांती ने एक आंख दबा कर मुसकराते हुए कहा.

‘‘बुरा न मानो तो एक बात कहूं भाभी?’’ सूरज ने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा.

‘‘कहो,’’ रमाकांती तिरछी नजरों से उसे घूरते हुए बोली, ‘‘अपनों की बात का भी कोई बुरा मानता है.’’

‘‘भाभी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. इसीलिए मेरा मन तुम्हें बारबार देखने को मचलता रहता है.’’

‘‘भला मुझ में ऐसी कौन सी बात है, जो तुम्हारा मन मुझे बारबार देखने को मचलता है.’’ रमाकांती ने तिरछी चितवन का तीर चलाते हुए कहा.

‘‘यह पूछो कि तुम में क्या नहीं है. हिरनी जैसी चंचल आंखें, उन में थोड़ी उदासी, गठा हुआ बदन और होंठों पर अप्सराओं जैसी मादक मुसकान,’’ सूरज ने मस्का लगाते हुए कहा, ‘‘काश, तुम मेरी किस्मत में लिखी होती तो मैं तुम्हें रानी बना कर रखता.’’

‘‘यह सब कहने की बातें हैं देवरजी. पहले ‘वह’ भी ऐसा ही कहते थे. सारे मर्द एक जैसे होते हैं. बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और.’’ रमाकांती ने ताना मारा.

‘‘मैं भाई साहब की तरह नहीं हूं. उन्हें तुम्हारी कद्र करना ही नहीं आता,’’ सूरज ने मौके का फायदा उठाते हुए कहा, ‘‘उन्हें तुम्हारे सुख की जरा भी परवाह नहीं रहती. वह सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता?’’ रमाकांती ने भौंहें सिकोड़ कर कहा.

‘‘भाभी, इंसान की आंखों से ही उस के दिल की बात का पता चल जाता है. मुझे तुम्हारी आंखों से ही तुम्हारे दिल के दर्द का पता चल गया है.’’

सूरज की इन बातों से रमाकांती को मजा आने लगा था. इसी चक्कर में वह चाय भी बनाना भूल गई. अचानक खयाल आया तो बोली, ‘‘तुम्हारी बातों में पड़ कर मैं तो चाय बनाना ही भूल गई.’’

‘‘रहने दो भाभी, बस तुम्हें देख लिया, आत्मा तृप्त हो गई. अब मैं चलता हूं.’’ कह कर सूरज चला तो गया, लेकिन रमाकांती की हसरतों को हवा दे गया.

रमाकांती अब सूरज की चढ़ती जवानी के सपने देखने लगी. दूसरी ओर सूरज भी उसे अपनी कल्पनाओं की रानी बनाने लगा. इस के बाद सूरज और रमाकांती के बीच होने वाला हंसीमजाक छेड़छाड़ तक पहुंच गया. सूरज जब भी रमाकांती के कमरे पर आता, उस के बच्चों के लिए कुछ न कुछ ले कर आता. ऐसे में एक दिन रमाकांती ने उसे टोका, ‘‘तुम्हें बच्चों की खुशी का तो इतना खयाल रहता है, कभी भाभी की खुशी के बारे में भी सोचते हो?’’

अपनी बात कह कर रमाकांती एक आंख दबा कर मुसकराई तो सूरज उस का इशारा समझ गया कि वह क्या चाहती है. बात यहां तक पहुंच गई तो वह उचित मौके की तलाश में रहने लगा.

एक दिन सूरज ऐसे समय पर रमाकांती के कमरे पर पहुंचा, जब उस के बच्चे कमरे पर नहीं थे. आसपास के कमरों में रहने वाले भी इधरउधर थे. उस के कमरे में आते ही रमाकांती ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आज यह मत पूछना कि भाई साहब हैं या नहीं? मुझे पता है कि तुम यहां क्यों आए हो.’’

‘‘तुम्हीं ने तो बुलाया था?’’ सूरज हंस कर बोला.

‘‘अरे, मैं ने तुम्हें कब बुलाया?’’

सूरज आगे बढ़ कर बोला, ‘‘अच्छा भाभी, सचसच बताना, जब भी मैं तुम से बात करता हूं, तुम्हारी आंखों की चाहत मुझे बुलाती है या नहीं?’’

इतना कह कर सूरज ने रमाकांती का हाथ पकड़ लिया और अपना मुंह उस के मंह के पास ले जा कर बोला, ‘‘उन्हीं के बुलाने पर आया हूं.’’

‘‘दिल की बात कहने का अंदाज तो तुम्हारा बहुत अच्छा है,’’ रमाकांती ने प्यार से उस के गाल पर चपत लगा कर कहा, ‘‘हाथ छोड़ो तो चाय बना कर लाऊं.’’

‘‘इस तनहाई में चाय पीने का नहीं, कुछ और ही पीने का मन हो रहा है. बोलो पिलाओगी न?’’

‘‘मैं ने कब मना किया है,’’ रमाकांती ने अपना सिर उस के सीने पर रख कर कहा, ‘‘पहले दरवाजा तो बंद कर लो.’’

रमाकांती का खुला आमंत्रण पा कर सूरज की बांछें खिल उठीं. इस के बाद वहां जो हुआ, वह किसी भी लिहाज से सही नहीं था. रमाकांती की जिस्म की आग ने सारी मर्यादाओं को जला कर राख कर दिया.

उस दिन के बाद इस का सिलसिला सा चल निकला. जब भी मौका मिलता, सूरज और रमाकांती एकदूसरे की बांहों में समा जाते. लेकिन इस के लिए सूरज को रमाकांती के कमरे पर आना पड़ता था.

रामचंद्र की गैरमौजूदगी में सूरज का रमाकांती के कमरे पर बारबार आना आसपड़ोस वालों को अखरने लगा. उन की समझ में आ गया कि सूरज और रमकांती के बीच गलत संबंध है. इन दोनों के संबंधों की चर्चा होने लगी तो उड़तेउड़ते यह बात रामचंद्र के कानों तक भी पहुंची. लेकिन उसे इस बात पर यकीन नहीं हुआ.

जब लोग रामचंद्र पर ताने कसने लगे तो एक दिन उस ने रमाकांती से पूछा, ‘‘मैं ने सुना है कि मेरी गैरमौजूदगी में सूरज यहां आता है?’’

‘‘हां, कभीकभी आ जाता है बच्चों से मिलने के लिए.’’ रमाकांती ने कहा.

‘‘तुम्हें पता होना चाहिए कि मोहल्ले वाले तुम दोनों को ले कर तरहतरह की बातें कर हैं?’’

‘‘लोगों का क्या, वे किसी को खुश थोड़े ही देख सकते हैं, इसीलिए मनगढ़ंत कहानी रचते रहते हैं. तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा नीच काम कर सकती हूं?’’ रमाकांती ने सवाल किया तो रामचंद्र शर्मिंदा हो गया. उसे लगा कि उसने पत्नी पर शक कर के ठीक नहीं किया.

लेकिन सच्चाई को कितना भी छिपाया जाए, वह छिपती नहीं. रामचंद्र को शक तो हो ही गया था, एकदो बार उस ने पत्नी की पिटाई भी की, लेकिन रमाकांती हमेशा यह सिद्ध करने में सफल रही कि उस का शक झूठा है.

विचित्र संयोग : चक्रव्यूह का भयंकर परिणाम – भाग 2

इमारत के चारों और घूमते हुए पीछे एक जगह रुक कर प्रकाश राय ने खन्ना से पूछा, “ये कमरे किस के है?”

“सफाई कर्मचारियों और वाचमैन के .”

“कितने वाचमैन हैं?”

“2 हैं. इन की ड्यूटी 2 शिफ्टों में है. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे और रात 8 बजे से सवेरे 8 बजे तक.”

“इन के खाने की छुट्टी?”

“वो तो सर, ये अपनी सुविधा के अनुसार खाने जाते हैं. वैसे भी यह समस्या पहली शिफ्ट में आती है. ज्यादातर ये अपना खाना साथ लाते हैं. इसी कमरे में वे खाना खाते हैं. तब तक हम यहां के स्वीपर को गेट पर बैठा देते हैं.”

“दोनों के नाम क्या हैं और इन के घर कहां है?”

“कल नाइट शिफ्ट पर नारायण था. वह सेक्टर-10 में रहता है. मौर्निंग शिफ्ट में जो अभी पौने 8 बजे आया है, उस का नाम भास्कर है, वह खोड़ा में रहता है.”

“अच्छा, यहां स्वीपर कितने हैं?”

“एक ही है साहब, रणधीर और उस की पत्नी देविका. ये दोनों अपने दोनों बच्चों के साथ यहीं रहते हैं. बाहर का काम रणधीर और टायलेट वगैरह साफ करने का काम देविका करती है.”

खन्ना से बात करतेकरते प्रकाश राय इमारत के गेट पर आ गए. तभी एसएसपी, एसपी और सीओ भी आ गए. इन्हीं अधिकारियों के साथ डौग स्क्वायड की टीम भी आई थी. ऊपर जांच चल रही थी. प्रकाश राय एक सिपाही के साथ नीचे रुक गए, बाकी सभी अधिकारी ऊपर चले गए.

प्रकाश राय देविका के बारे में सोच रहे थे. वह सभी के घर में आजा सकती थी. वाचमैन जरूरी काम के बिना किसी फ्लैट में जा नहीं सकते थे. नारायण जो रात की ड्यूटी पर था, उसी के रहते हत्या हुई थी. लेकिन उस से पूछताछ करने पर प्रकाश राय के हाथ कोई सूत्र नहीं लगा. उस ने धनंजय को मीट ले आने जाते और लौटते देखा था बस.

“अच्छा नारायण, धनंजय साहब के जाने के बाद तुम यहीं थे क्या? यहां से कहीं नहीं गए?”

“साहब, मैं यहां से वहां राउंड मार रहा था और नीचे की लाइन बंद कर रहा था. रणधीर ने पंप चालू किया या नहीं, यह

देखने भी गया था.”

“यानी इस दौरान कोई ऊपर जा सकता था?”

“साहब, आप जो कह रहे हैं, वह संभव है.”

“अच्छा नारायण, सुबह तुम ने किसी अनजान आदमी को बाहर जाते तो नहीं देखा?”

“साहब, मेरे रहते कोई अंदर गया ही नहीं तो बाहर कैसे…?”

“सुनो नारायण, रात को ही कोई अंदर आ गया होगा या किसी के यहां मेहमान के रूप में आया होगा तो…?”

नारायण चुप हो गया. उसे अपनी बुद्धि पर तरस आने लगा. कुछ सोच कर बोला, “साहब, दूध वाला और पेपर वाला, ये दोनों आए थे. गनपत दूध वाला जब आया था, धनंजय साहब घर में ही थे. उन्होंने ही दूध लिया होगा. उस के जाने के बाद ही वह मीट लेने चले गए थे. वह ‘ए’ विंग के 7 फ्लैटों में दूध सप्लाई करता है, बाकी के सभी लोग 9 बजे डेयरी की गाड़ी से दूध लेते हैं.”

“पेपरवाला नरेश धनंजय साहब के जाने के बाद आया था. 2-3 मिनट में ही वह लौट गया था. सिर्फ एक व्यक्ति मुझे याद है रणधीर. धनंजय साहब के जाने के बाद रणधीर सफाईवाला झाडू और प्लास्टिक की बाल्टी ले कर सीढिय़ां साफ करने गया था. धनंजय साहब के लौटने से पहले नीचे आ कर वह ‘बी’ इमारत मे चला गया था.”

“ठीक है नारायण.” कह कर प्रकाश राय ने इशारे से सिपाही को पास बुला कर कहा, “तुम किसी बहाने से बाहर जाओ और थोड़ी देर बाद लौट कर नारायण से गप्पें मारते हुए रणधीर के बारे में कुछ पता लगाने की कोशिश करो.”

प्रकाश राय के ऊपर पहुंचते ही दयाशंकर ने धनंजय से उन का परिचय कराया. धनंजय के कंधे पर हाथ रखते हुए और सहानुभूति जताते हुए प्रकाश राय ने कहा, “धनंजय, तुम्हारे साथ जो हुआ, उस का मुझे बेहद अफसोस है. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि अगर तुम्हारा सहयोग मिलेगा तो मैं खूनी को कानून के शिकंजे में जकड़ कर ही रहूंगा. आओ, अंदर चलते हैं.”

अंदर फिंगरप्रिंट्स वाले प्रिंट्स की तलाश में लगे थे और फोटोग्राफर फोटो खींच रहा था. प्रकाश राय ने खून से लथपथ रोहिणी की लाश देखी. फिर वह कमरे का निरीक्षण करने लगे. वह सिर्फ एक ही बात सोच रहे थे कि हत्यारा मुख्य द्वार से आया था या दरवाजे से लग कर जो पैसेज है उस में से किचन पार कर के आया था? पैसेज की जांच के लिए वह किचन के दरवाजे पर आए तो किचन टेबल पर ढेर सारा मीट और मछलियां देख कर चौंके. खाने वाले सिर्फ 2 और सामान इतना.

प्रकाश राय बैडरूम में लौट आए. सबइंसपेक्टर दयाशंकर और एएसआई राजेंद्र सिंह अलमारी को सील कर रहे थे. आश्चर्य की बात यह थी कि अलमारी का लौकर खुला था. उस में चाबियां लटक रही थीं. अलमारी का सारा सामान ज्यों का त्यों था, जो इस बात का प्रमाण था कि हत्यारे ने सिर्फ लौकर का माल साफ किया था.

बैडरूम में दूसरी अलमारी भी थी. उसे हाथ नहीं लगाया गया था. दयाशंकर ने प्रकाश राय की ओर प्रश्नभरी नजरों से देखा और फिर धनंजय से कहा, “मिस्टर विश्वास, आप जरा यह अलमारी खोलने की मेहरबानी करेंगे?”

धनंजय ने एक बार प्रकाश राय को और फिर दयाशंकर की ओर देखते हुए पूछा, “मैं इन चाबियों को हाथ लगा सकता हूं?”

प्रकाश राय ने फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट को प्रश्नभरी नजरों से देखा. एक्सपर्ट ने गर्दन हिलाते हुए अनुमति दे दी. धनंजय ने पहली अलमारी से चाबी निकाल कर दूसरी अलमारी खोली. प्रकाश राय ने गौर से देखा, अलमारी का सारा सामान ज्यों का त्यों था. कहीं कोई उलटपुलट नहीं की गई थी.

पहली अलमारी के लौकर से चोरी गए सामान के बारे में धनंजय से पूछा, “धनंजय, तुम्हारे अंदाज से कितना सामान चोरी गया होगा?”

“रोहिणी के जेवरात ही लगभग 30-40 लाख रुपए के थे. 40-42 हजार नकदी भी थी.”

“इतनी नकदी तुम घर में रखते हो?”

“नहीं साहब, कल शनिवार था, रोहिणी ने 40 हजार रुपए बैंक से निकाले थे. बैंक में हम दोनों का जौइंट एकाउंट है. कल सवेरे यह रकम मैं एक टूरिस्ट कंपनी में जमा कराने वाला था.”

“कारण?”

“अगले महीने मैं और रोहिणी घूमने के लिए जाने वाले थे.” कहते हुए उस ने प्रकाश राय को चेकबुक थमा दी. उन्होंने चेकबुक देखा. धनंजय सही कह रहा था. राजेंद्र सिंह को चेकबुक देते हुए उन्होंने कहा, “राजेंद्र सिंह, इस चेकबुक को भी कब्जे में ले लो और ‘एवन ट्रैवेल्स’ के एजेंट का स्टेटमेंट भी ले लो. रकम बरामद होने पर प्रमाण के रूप में यह सब काम आएगा.”

इस के बाद गैलरी में आ कर प्रकाश राय ने इशारे से एक सिपाही को बुला कर दबी आवाज में कहा, “तुम नीचे जा कर रणधीर से बातें करो और किसी बहाने से उस के घर में जा कर देखो, कहीं कुछ सामान दिखाई देता है क्या? रणधीर संदिग्ध है. बात करतेकरते उस से कहो कि साहब को नारायण पर शक है. वह जरूर कुछ न कुछ बताएगा.”

सिपाही के रवाना होते ही प्रकाश राय किचन में आए. एसआई दयाशंकर और एएसआई राजेंद्र सिंह किचन का निरीक्षण कर रहे थे. प्रकाश राय ने धनंजय से कहा, “धनंजय साहब, बुरा मत मानिएगा. मैं एक बात जानना चाहता हूं. तुम और रोहिणी, सिर्फ 2 लोग हो, इस के बावजूद इतना सारा गोश्त और मछली?”

“साहब, आज मेरे घर पार्टी थी. मेरे औफिस के 2 अधिकारी आशीष तनेजा और देवेश तिवारी अपनीअपनी बीवियों के साथ खाना खाने आने वाले थे. बारीबारी से हम तीनों एकदूसरे के घर अपनी पत्नियों सहित जमा होते हैं और खातेपीते हैं. इस रविवार को मेरे यहां इकट्ठा होना था.”

“तुम हमेशा फाइन चिकन एंड मीट शौप से ही मीट लाते हो?”

“जी सर.”

इतने में सचमुच आशीष तनेजा और देवेश तिवारी अपनीअपनी पत्नियों के साथ धनंजय के घर आ पहुंचे. रोहिणी की हत्या के बारे में सुन कर वे कांप उठे. सक्सेना उन्हें अपने फ्लैट में ले गए. सवेरे 9 बजे धनंजय के मातापिता भी अलकनंदा आ पहुंचे थे. सक्सेना ने फोन कर के उन से कहा था कि रोहिणी सीरियस है. सक्सेना ने दिल्ली में रह रहे रोहिणी के मातापिता को भी खबर कर दी थी.

प्यार का बदसूरत चेहरा – भाग 2

कलुवा ने इस मारपीट की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई तो पुलिस ने बंटी को पकड़ कर जेल भेज दिया. बाद में उस के ससुर ने उसे जमानत पर जेल से बाहर निकलवाया. कलुवा ने बंटी के साथ जो किया था, उस से बंटी को लगा कि सांद्रा से संबंध बनने के बाद वह घमंडी हो गया है. इसलिए उस ने मन ही मन तय किया कि वह कलुवा को सबक सिखा कर उस का घमंड तोड़ कर ही रहेगा. इस के अलावा उस का यह भी सोचना था कि अगर कलुवा नहीं रहेगा तो सांद्रा उस से दोस्ती कर लेगी.

5 दिसंबर, 2008 की रात काफी ठंड थी. होटल हावर्ड पार्क प्लाजा के सामने कलुवा खड़ा अपनी विदेशी सवारियों का इंतजार कर रहा था. तभी बंटी ने आ कर अचानक उस पर चाकू से हमला कर दिया. उस के साथी उसे बचा पाते, उस के पहले ही बंटी ने उस पर इतने वार कर दिए कि उस ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया. इस के बाद कलुवा की हत्या के आरोप में उसे जेल भेज दिया गया. बंटी की इस हरकत से नाराज हो कर जहां मांबाप ने उसे घर से निकाल दिया, वहीं बेटी और नाती के भविष्य की चिंता में उस के ससुर ने काफी दौड़धूप कर के उसे एक बार फिर जमानत पर जेल से बाहर निकलवाया.

जेल से बाहर आ कर बंटी एक बार फिर अपने काम पर लग गया. लेकिन अब वह हमेशा इस फिराक में लगा रहता था कि किसी विदेशी लड़की से उस का चक्कर चल जाए. लेकिन इस में एक समस्या यह थी कि अगर उस का किसी विदेशी लड़की से चक्कर चल भी जाता तो वह उस से शादी नहीं कर सकता था, क्योंकि घर में उस की पत्नी और एक बेटा तो था ही, दूसरा बच्चा भी होने वाला था. पत्नी और बच्चों के रहते वह दूसरी शादी कतई नहीं कर सकता था. फिर उस के ससुर भी उस की काफी मदद कर रहे थे. उन्होंने उस के लिए एक प्लौट भी खरीद दिया था. ऐसे में ही एक दिन अचानक उस की पत्नी भावना की सीढि़यों से गिर कर मौत हो गई.

लोगों का कहना है कि बंटी ने खुद ऊपर से पत्नी को धक्का दे दिया था. लेकिन परिस्थितियां ऐसी थीं कि उस के ससुर ने इसे स्वाभाविक मौत माना और दामाद के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की. इस तरह पत्नी से उस ने छुटकारा पा लिया. भावना की रहस्यमय मौत के बाद अब वह आराम से दूसरी शादी कर सकता था. इस के लिए वह हमेशा किसी विदेशी लड़की को अपने प्रेमजाल में फंसाने के चक्कर में लग गया. शायद इसीलिए वह विदेशी लड़कियों का कुछ ज्यादा ही ध्यान रखता था.

एरिन के साथ भी वह ऐसा ही कर रहा था. ताजमहल दिखाते हुए वह उस के आगेपीछे कुछ ज्यादा ही घूम रहा था. अगले दिन एरिन और उस के साथियों को फतेहपुर सीकरी जाना था. बंटी सुबहसुबह ही अपना आटो ले कर होटल ग्रीन पार्क पहुंच गया. एरिन को प्रभावित करने के लिए उस ने बाजार से नाश्ता भी खरीद लिया था. उस ने एरिन के कमरे की घंटी बजाई तो झट दरवाजा खुल गया. क्योंकि तय समय के अनुसार एरिन और उस के साथियों को पता था कि आटो वाला ही होगा.

उस ने एरिन के सामने साथ लाया नाश्ता खोल कर रखा तो वह  उसे देखती रह गई. उस की इस अदा पर एरिन निहाल सी हो गई थी. अपनी परंपरा के हिसाब से उस ने उसे चूमते हुए कहा, ‘‘तुम इंडियन सचमुच बहुत अच्छे और प्यार करने वाले होते हो.’’

एरिन ने ऐसा क्यों किया, यह तो वही जाने. लेकिन बंटी को लगा कि एरिन उस के सपनों को अवश्य सच कर सकती है. फिर तो वह पूरी लगन से उस की सेवा में लग गया. उसे घुमाने से ले कर उस के खानेपीने तक का पूरा खयाल रखने लगा.

आखिर बंटी को अपनी इस सेवा का फल मिल ही गया. उस ने अपनी सेवा की बदौलत एरिन के दिल में अपने चाहत पैदा कर दी. एरिन को बंटी भा गया था, इसलिए उस ने उस की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. इस तरह मोहब्बत की राह पर दोनों का पहला कदम पड़ गया. बंटी की तो खुशी का ठिकाना नहीं था. कब से वह इसी कोशिश में लगा था. अब उस की कोशिश सफल होती नजर आ रही थी.

एरिन और उस के दोस्तों को आगरा आए 15 दिन से ज्यादा हो गए थे. वे दूसरी जगहों पर जाना चाहते थे, लेकिन एरिन आगरा में ही रुकना चाहती थी, इसलिए उस से दोस्तों के साथ जाने से कर दिया. शायद उसे बंटी से प्यार हो गया था. खर्च की उसे चिंता नहीं थी, क्योंकि जिस एनजीओ में वह काम करती थी, वहां से उस का वेतन अभी भी मिल रहा था, वे उस का वेतन बैंक में डाल देते थे, जिसे एरिन यहां निकाल लेती थी.

12 अक्तूबर, 2013 को एरिन का वीजा खत्म हो रहा था. लेकिन वह अमेरिका की भागदौड़ वाली जिंदगी को छोड़ कर भारत की शांत जिंदगी जीना चाहती थी. इसलिए वह होटल छोड़ कर बंटी के साथ उस की पत्नी की तरह रहने लगी थी. क्योंकि उसे लगता था कि बंटी भी उसे उतना ही प्यार करता है, जितना शाहजहां मुमताज को करता था.

कुछ ही दिनों में एरिन बंटी से कुछ इस तरह प्रभावित हुई कि उस ने उस के साथ विवाह करने का निश्चय कर लिया. तब उसे पता नहीं था कि बंटी का अतीत कैसा है. बंटी भी उस से शादी करने के लिए उतावला था. इसलिए उस ने भी एरिन के बारे में पता किए बगैर शादी का निर्णय ले लिया.

बंटी खुश था कि एक अमीर विदेशी लड़की उस से शादी करने को तैयार है. यानी अब उस का सपना सच होने वाला है. उसे उम्मीद थी कि शादी के बाद एरिन उसे अपने साथ अमेरिका ले जाएगी, जहां वह खूब डौलर कमाएगा और लंबी सी गाड़ी में घूमेगा.

एरिन को पता नहीं था कि वह बंटी से शादी कर के आग के दरिया में कूद रही है. वह भारत में रहना चाहती थी, जबकि उस का वीजा खत्म हो रहा था. उस का वीजा खत्म होता और उसे अमेरिका वापस जाना पड़ता, उस के पहले ही 11 सितंबर, 2013 को उस ने अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) के यहां कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन कर दिया. इस के बाद 12 अक्तूबर, 2013 को महावीर शर्मा, सविता जोशी, पवन जोशी की उपस्थिति में एरिन माइकल विलिंगर और बंटी शर्मा की शादी हो गई. इस तरह बंटी और एरिन पतिपत्नी बन गए. इस के बाद 15 अक्तूबर, 2013 को एरिन ने होटल ग्रीन पार्क में वैदिक रीतिरिवाज से शादी कर के अपना नाम काजल रख लिया. शादी के बाद उस ने पार्टी भी दी.

बंटी और एरिन की शादी की जानकारी अन्य लोगों को हुई तो वे चौंके. क्योंकि वे जानते थे कि बंटी ने एरिन का पैसा हड़पने के लिए उसे प्यार के जाल में फांस कर उस से शादी की है. इसलिए उन लोगों को एरिन को ले कर चिंता होने लगी, क्योंकि बंटी की फितरत के बारे में उन्हें पता था. बंटी ने एरिन से वादा किया था कि शादी के बाद वह उसे पूरा भारत घुमाएगा, लेकिन एकएक कर के दिन बीत रहे थे और बंटी कहीं जाने का नाम नहीं ले रहा था. वह सुबह आटो ले कर निकल जाता तो देर रात थकामांदा घर आता. उसे सिर्फ एक बात की चिंता थी कि एरिन के डौलर उस के हाथ कैसे लगें. उस की यह फितरत उस की बातों से भी झलकती थी.

                                                                                                                                           क्रमशः

अमीर बनने की चाहत – भाग 2

इस सनसनीखेज मामले की जांच में तत्परता दिखाना बहुत जरूरी था. क्योंकि अपहर्ता जयकरन को नुकसान पहुंचा सकते थे. दोपहर होतेहोते पुलिस को जयकरन के मोबाइल की काल डिटेल्स भी मिल गई. उस से पता चला कि उस की अंतिम लोकेशन दिल्ली-मेरठ रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र में थी. इस के बाद मोबाइल बंद हो गया था.

जबकि जयकरन के मोबाइल से फिरौती के लिए जो काल की गई थी, वह वहां से करीब 15 किलोमीटर दूर गालंद क्षेत्र से की गई थी. मोबाइल से सिर्फ एक वही काल हुई थी. इस के बाद मोबाइल बंद कर दिया गया था. इस का मतलब अपहर्ता बेहद चालाक थे. उन्होंने फिरौती के लिए न सिर्फ जयकरन के फोन का इस्तेमाल किया था, बल्कि स्थान भी बदल दिया था. संदिग्ध गतिविधियों के चलते पुलिस ने दीपक को रडार पर ले लिया.

उस के मोबाइल की जांच से पता चला कि वह मोदीनगर क्षेत्र का रहने वाला था. जांच के दौरान यह बात भी पता चली कि वह अपनी मां के साथ राजनगर स्थित छोटे बच्चों के रौयल किड्स प्ले स्कूल में रहता था. उस की मां चूंकि स्कूल में ही कर्मचारी थी, इसलिए इस परिवार को स्कूल में रहने के लिए जगह मिली हुई थी.

पुलिस को दीपक के 2 और नजदीकियों के ठिकाने पता चले. इन में एक था संदीप. उस के मोबाइल की लोकेशन जयकरन के मोबाइल की लोकेशन से मैच हो रही थी. संदीप के बारे में पुलिस तत्काल कोई खास जानकारी नहीं जुटा सकी. शक में मजबूती आते ही पुलिस सतर्क हो गई. अगर दीपक ही अपहर्ता था तो यह भी संभव था कि उस ने जयकरन को स्कूल स्थित घर पर ही छिपा कर रखा हो.

पुलिस अधिकारियों ने आपस में विचारविमर्श कर के अविलंब स्कूल में दबिश डालने का निर्णय लिया. एसपी अजयपाल शर्मा के नेतृत्व वाली टीम रौयल किड्स स्कूल पहुंची. उस वक्त दोपहर के 3 बजे थे. स्कूल के बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी. अचानक पुलिस को वहां आया देख स्कूल की संचालिका रिचा सूद सकते में आ गईं. पुलिस को दीपक की मां अनीता भी वहीं मिल गईं. दीपक के बारे में पूछताछ करने पर वह बुरी तरह घबरा गईं.

“दीपक कहां है?” पुलिस ने पूछा.

“घर पर.” बताते हुए उस ने स्कूल कैंपस में पीछे की तरफ इशारा कर के बताया. वहां क्वार्टर बना हुआ था. पुलिस दनदनाती हुई वहां पहुंची तो वहां पहुंचते ही वह हुआ, जिस की किसी को उम्मीद नहीं थी. घर के अंदर से अचानक गोलियां चलनी शुरू हो गईं.

संभवत: क्वार्टर में मौजूद लोगों को अपनी घेराबंदी का अंदाजा हो गया था. इस पर पुलिसकॢमयों ने भी हथियार थाम कर पोजीशन ले ली. कुछ मिनटों तक दोनों तरफ से रुकरुक कर कई राउंड गोलियां चलीं. इस से आसपास के क्षेत्र में दहशत फैल गई और लोग एकत्र हो गए. पुलिसकॢमयों की निगाहें क्वार्टर पर जमी थीं. तभी ट्रैक सूट पहने एक युवक ने तेजी से क्वार्टर का दरवाजा खोला और बिजली जैसी फुरती से फायरिंग करता हुआ भागा. पुलिस ने उसे चेतावनी दी, “रुक जाओ, वरना गोली मार देंगे.”

युवक ने एक पल के लिए पीछे पलट कर देखा और फिर भागने लगा. इस पर पुलिस ने एक गोली उस के बाएं पैर पर दाग दी. गोली लगते ही वह नीचे गिर गया. उस के गिरते ही पुलिसकॢमयों ने उसे घेर लिया. पुलिस को उम्मीद थी कि वह दीपक होगा, लेकिन उस ने अपना नाम संदीप बताया.

“जयकरन कहां है?” जवाब में उस ने घर की तरफ इशारा कर दिया. पुलिस हथियार तान कर घर के अंदर दाखिल हुई, तो भौचक्की रह गई. पिस्टल से लैश 2 और युवक वहां मौजूद थे. लेकिन वह घबराए हुए थे. जयकरन एक कोने में बैठा थरथर कांप रहा था. उस के हाथपैर बंधे हुए थे.

पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ्त में ले कर जयकरन को बंधनमुक्त कराया. अपहर्ताओं को गिरफ्तार कर के जयकरन को सकुशल बरामद करना पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी थी. मौके से गिरफ्तार किए गए दोनों युवकों में एक दीपक व दूसरा उस का छोटा भाई बिट्टू था. उन के कब्जे से पुलिस ने तीन पिस्टल, उन के मोबाइल व जयकरन का मोबाइल भी बरामद कर लिया. बेटे की बरामदगी की सूचना पर विवेक महाजन और उन की पत्नी भी मुठभेड़स्थल पर आ गए. जयकरन बहुत डरासहमा था. इस बीच पुलिस घायल युवक संदीप को अस्पताल ले गई.

पुलिस दीपक व बिट्टू को थाने ले आई. पुलिस ने डरीसहमी स्कूल संचालिका रिचा सूद, दीपक की मां अनीता और उस के सब से छोटे भाई आयुष को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस द्वारा गिरफ्तार युवकों व घायल संदीप से विस्तृत पूछताछ की गई तो राह से भटके युवाओं द्वारा रचित अपराध की चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

दीपक का प्लेसमेंट एजेंसी का कमीशन पर आधारित काम था. उस के परिवार में मां अनीता के अलावा उस के छोटे भाई बिट्टू व आयुष थे. दीपक के पिता की वर्षों पहले मृत्यु हो गई थी. अनीता मेहनती और हिम्मती महिला थीं. उन्होंने परिवार को चलाने के लिए छोटीमोटी नौकरियां कर के बेटों को इस उम्मीद में पढ़ायालिखाया कि वे जिम्मेदारियां उठा कर घर को संभाल लेंगे. लेकिन इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ और है.

अनीता ने आॢथक तंगियां भी देखी थीं और जमाने की कठोरता भी. वह मोदीनगर की भूपेंद्र कालोनी में रहती थीं. बाद में उन्होंने रौयल किड्स स्कूल में नौकरी कर ली थी. स्कूल परिसर में ही बने क्वार्टर में उन के रहने का भी इंतजाम हो गया तो वह तीनों बेटों के साथ वहां चली आईं. वहां आ कर दीपक ने एक कंपनी में कमीशन के आधार पर काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन यह काम उसे छोटा लगता था.

स्पा के दाम में फाइव स्टार सेक्स – भाग 2

पहला राज थैरपी सेंटर के लिए प्रभारी एसआई ओमवीर स्वाट टीम से बनाए गए. उन के साथ एसआई मोहित यादव, लेडी एसआई सुमित्रा रावत, हैडकांस्टेबल मनोज कुमार सभी थाना लिंक रोड, एसआई मोहित कुमार, कांस्टेबल योगेश, विपुल खोकर, अभय प्रताप, लेडी कांस्टेबल मंजू सभी पुलिस लाइंस, कांस्टेबल तरुण स्वाट टीम.

दूसरी टीम स्वाधिका थैरपी सेंटर के लिए प्रभारी एसआई आकाश तिवारी पुलिस लाइंस को बनाया गया. इस टीम में एसआई रोहित गुप्ता, कांस्टेबल नीतेश कुमार, लेडी कांस्टेबल एकता डबास सभी पुलिस लाइंस, मीना थाना लिंक रोड को शामिल किया गया.

तीसरी टीम के प्रभारी एसआई धु्रव सिंह पुलिस लाइंस को बनाया गया. उन के साथ एसआई नरेंद्र कुमार, कांस्टेबल पुष्पेंद्र शर्मा, लेडी कांस्टेबल सीमा मलिक और जौली सभी थाना लिंक रोड के अलावा एसआई विवेक कुमार पुलिस लाइंस को भी शामिल किया गया. यह टीम द हैवन थैरपी सेंटर के लिए गठित की गई.

चौथी टीम अरोमा थैरपी सेंटर के प्रभारी एसआई सौरव, पुलिस लाइंस के नेतृत्व में गठित की गई. इस टीम में मुनेश कुमार, थाना लिंक रोड, हेडकांस्टेबल निशांत स्वाट टीम, कांस्टेबल अंजेश कुमार थाना लिंक रोड, रवि यादव, लेडी कांस्टेबल राधा शर्मा पुलिस लाइंस, उर्वशी थाना लिंक रोड को शामिल किया.

पांचवीं टीम का प्रभारी एसआई विश्वेंद्र, पुलिस लाइंस को बनाया, जिस में एसआई यश कुमार थाना लिंक रोड, हैडकांस्टेबल महेश कुमार थाना लिंक रोड, कांस्टेबल अनुज पुलिस लाइंस, महिला कांस्टेबल रेणु चौहान पुलिस लाइंस, सीमा थाना लिंक रोड को शामिल किया गया. इस टीम को अरमान थैरेपी सेंटर के लिए नियुक्त किया गया.

छठी टीम के प्रभारी एसआई दिनेश कुमार यादव पुलिस लाइंस, कप्तान सिंह थाना लिंक रोड, हेडकांस्टेबल अरुण वीर थाना लिंक रोड, कांस्टेबल विपिन पुलिस लाइंस, महिला कांस्टेबल पूजा पुलिस लाइंस, शिवांगी को रायल स्पा सेंटर के लिए टीम में शामिल किया गया.

सातवीं टीम एस-2 थैरपी सेंटर के लिए प्रभारी एसआई संजय कुमार पुलिस लाइंस, चेतन कुमार थाना लिंक रोड, हैडकांस्टेबल जितेंद्र कुमार थाना लिंक रोड, सुमित पुलिस लाइंस, कांस्टेबल श्रीकृष्णा पुलिस लाइंस, लेडी कांस्टेबल लता शर्मा पुलिस लाइंस, गीता पुलिस लाइंस.

आठवीं टीम के प्रभारी इंसपेक्टर पुष्पराज सिंह थाना लिंक रोड, महिला एसआई सर्जना पुलिस लाइंस, कांस्टेबल नीरेश यादव, थाना लिंक रोड, कांस्टेबल मनीष थाना लिंक रोड, संजय कुमार, थाना लिंक रोड, हैडकांस्टेबल तहजीब खान स्वाट टीम, लेडी कांस्टेबल रेणु पुलिस लाइंस. यह टीम एस-2 थैरपी सेंटर के लिए नियुक्त की गई.

‘द रुद्रा थैरपी’ पैसिफिक माल के अंदर चल रहे स्पा सेंटरों पर दबिश तथा आवश्यक काररवाई के मद्ïदेनजर हिदायत दी गई कि मौके पर मौजूद महिलाओं की मर्यादा को ध्यान में रख कर सर्च अभियान एवं वैधानिक काररवाई की जाएगी. इस के बाद सभी की जामातलाशी ले कर यह सुनिश्चित किया गया कि किसी के पास कोई नाजायज वस्तु नहीं है.

पैसिफिक माल में पुलिस ने मारा छापा

ये टीमें रात 8 बज कर 20 मिनट पर द रुद्रा थैरपी पैसिफिक माल के सामने पहुंच गईं. वहां आनेजाने वाले लोगों को पुलिस रेड का गवाह बनाने के लिए पूछा गया, लेकिन कोई भी शख्स बेकार के लफड़े में फंसने को तैयार नहीं हुआ. सभी ने अपनेअपने तरीके से मजबूरी जाहिर कर के इंकार कर दिया. निराश हो कर टीमों ने साढ़े 10 बजे एक साथ आठों स्पा सेंटरों पर धावा बोल दिया.

पुलिस सर्च अभियान के दौरान स्पा सेंटर में प्रवेश करने वाली टीमों के प्रभारियों ने ऊंची आवाज में महिलाओं को अपने नग्न जिस्म ढंकने के लिए कहा. महिलाओं की मर्यादा रख कर उन्हें बंद केबिनों से बाहर निकाला गया. उन की जामातलाशी ली गई और उन के नामपते पूछ कर नोट किए गए. जो अय्याश लोग इन स्पा सेंटरों में मौजमस्ती करने आए थे, उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

इन स्पा सेंटरों से कुल 60 युवतियां देह धंधे में लिप्त मिली थीं. इन्हें महिला सबइंसपेक्टर और महिला कांस्टेबल की हिरासत में दे कर सभी के नामपते नोट किए गए. इन की उम्र 19 साल से 22 साल थी. इन में कुछ युवतियां शादीशुदा भी थीं. इन के नामपते मर्यादा का ध्यान रख कर उजागर नहीं किए जा सकते.

जब इन से इस प्रकार का अनैतिक देह धंधा अपनाने का कारण पूछा गया तो सभी ने एक ही बात कही, “हम अपना घर खर्च या जरूरतें पूरी करने के लिए इन स्पा सेंटरों में नौकरी करने आई थीं. न जाने कैसे हमें बहलाफुसला कर हमारी अश्लील वीडियो स्पा मालिक अथवा मैनेजर द्वारा बना ली गई. उसे वायरल करने की धमकी दे कर हमें देह परोसने के लिए मजबूर किया गया. एक के बाद बारबार ऐसा होने लगा. हमें एक या आधा घंटे के लिए 3 से 5 हजार रुपए ग्राहक से ले कर उन के साथ सोने को मजबूर किया जाता रहा, इस में हमारी मरजी नहीं थी.”

गर्म गोश्त के धंधे में हुईं गिरफ्तारियां

इन स्पा सेंटरों के मालिक और मैनेजर पकड़ में आए, उन के नाम हैं— कुशल कुमार, प्रीत कौर, सुभाष कुमार, रोहित, रेनू, थे.

युवतियों के साथ मौजमस्ती करते हुए जिन पुरुषों को हिरासत में लिया गया, उन के नाम सुमित, अमित कुमार गुप्ता, राकेश, अमित कुमार, सागर सोनी, श्याम कुमार, नीरज कपूर, गुलफाम, ललित मोहन, मुशाहिद, सुनील, रोहित जैन, संदीप कुमार, विमल कुमार, सुनील कुमार, रवि कुमार, अश्वनी कुमार, मुकेश कुमार, नदीम कुरैशी, अनुज कुमार, राजेश कुमार, अजय कुमार, विष्णु, अबूजर, विशाल माथुर, मुनीश कुमार, प्रशांत वत्स, अभिषेक, आशुतोष भटनागर, आकाश कश्यप, प्रफुल्ल कुमार, गोरंगो बहेरा मोहन, रमेश चंद, सैंसर पाल सिंह, वसीम थे. ये सभी गाजियाबाद और आसपास के रहने वाले थे.

यह 41 लोग किसी न किसी रूप में रुद्रा पैसिफिक माल में चल रहे 8 स्पा सेंटरों से जुड़े हुए थे. पुलिस टीम ने इन्हें हिरासत में ले लिया.

छापे के दौरान स्पा सेंटरों के संचालक और मैनेजर गिरफ्तार

स्पा एस-2 का मालिक शाहिद, रायल स्पा का मालिक गौरव वर्मा, स्वातिका स्पा का मालिक दीपक, द हैवन थैरपी का मालिक विशाल उर्फ कपिल, राज थैरपी का मालिक ङ्क्षरकू व राजकुमार, अरोमा थेरपी का मालिक मोहन, अरमान थैरपी का मालिक पिंटू गिरि, रुद्रा थैरपी का मालिक राहुल चौधरी वहां से भाग से भाग गए.

इन सभी का जुर्म अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956 की हद को पार करता है इसलिए इन्हें धारा 3/4/5/6 लगा कर विधिवत बंदी बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा.

पुलिस ने स्पा सेंटरों के केबिनों से आपत्तिजनक हालत में मिली महिलाओं को पीडि़त मान कर उन्हें गवाह बना लिया गया. उन के सगेसंबंधियों और घर वालों को बुला कर उन की सुपुर्दगी में सौंप दिया जाएगा ताकि उन का उचित रीहैबिलिटेशन हो सके.

स्पा सेंटरों से अनेक आपत्तिजनक चीजें जैसे कंडोम, अश्लील उत्तेजक तसवीरें, जोश बढ़ाने वाली दवाइयां, 29 मोबाइल और एक लाख 7 हजार 358 रुपए बरामद हुए थे. उन्हें अलगअलग कपड़ों में रख कर सीलमोहर किया गया. गिरफ्तारी के समय माननीय सर्वोच्च न्यायालय व मानवाधिकार आयोग के आदेशोंनिर्देशों का भी पालन किया गया.

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर 25 मई, 2023 को कोर्ट में पेश किया, जहां से इन्हें जेल भेज दिया गया. डीसीपी विवेकचंद्र यादव ने इस काररवाई के बाद महाराजपुर पुलिस चौकी के इंचार्ज शिशुपाल सिंह को सस्पेंड कर दिया.

खुल गया रानी का राज

27 सितंबर, 2016 को उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गांव फरीदपुर के नजदीक स्ड्डिथत अंडरपास से जरा सी दूरी पर एक युवक की लाश पड़ी मिली. सुबह सुबह लोग जब अपने खेतों पर जा रहे थे, तभी उन की नजर हाईवे के नीचे कच्ची रोड पर चली गई थी. लाश वहीं पड़ी थी. किसी ने फोन कर के इस की सूचना थाना मैनाठेर को दे दी. थानाप्रभारी राजेश सोलंकी उसी समय थाने पहुंचे थे. मामला मर्डर का था, इसलिए सूचना मिलते ही वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

उन्होंने देखा, मृतक 25-26 साल का था और उस की लाश लहूलुहान थी.थानाप्रभारी ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक के गले व सिर पर किसी तेजधार हथियार के गहरे घाव थे. उस की लाश के पास ही शराब की खाली बोतल और 2 गिलास पड़े मिले. इस से अनुमान लगाया गया कि हत्या से पहले हत्यारे ने मृतक के साथ शराब पी होगी. घटनास्थल पर काफी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी.

थानाप्रभारी ने भीड़ से मृतक की शिनाख्त कराई तो किसी ने उस का नाम हरि सिंह बताते हुए कहा कि यह मुरादाबाद-संभल रोड पर स्थित गांव लालपुर हमीर का रहने वाला है. थानाप्रभारी ने एक सिपाही को हरि सिंह के घर भेज कर उस की हत्या की खबर भिजवा दी. उस की पत्नी रानी उस समय अपने मायके वारीपुर भमरौआ में थी. जैसे ही उसे पति की हत्या की खबर मिली, उस का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.

मृतक के परिजन घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. पुलिस ने उन से संक्षिप्त पूछताछ कर के घटनास्थल की काररवाई पूरी की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए मुरादाबाद भेज दिया.

मृतक हरि सिंह के चाचा ओमप्रकाश की तरफ से पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. एसएसपी नितिन तिवारी ने थानाप्रभारी राजेश सोलंकी को घटना के शीघ्र खुलासे के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने सब से पहले हरि सिंह के गांव लालपुर हमीर जा कर उस के घर वालों से पूछताछ की. घर वालों ने बताया कि उन की किसी से कोई रंजिश नहीं है. वैसे भी हरि सिंह बहुत सीधासादा था.

26 सितंबर, 2016 की शाम को उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. फोन पर बात करने के बाद वह यह कह कर घर से गया था कि जरूरी काम है, थोड़ी देर में लौट आएगा. लेकिन वह वापस नहीं आया. सुबह उस की हत्या की जानकारी मिली.

राजेश सोलंकी ने हरि सिंह की पत्नी रानी से भी बात की. उस ने बताया कि हमारी किसी से कोई रंजिश नहीं है. पता नहीं यह सब कैसे हो गया. रानी से बातचीत करते समय राजेश सोलंकी की नजर उस की बौडी लैंग्वेज पर टिकी हुई थी.

पति के मरने का जो गम होना चाहिए, वह उस के चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा था. वह बात करने में डर रही थी और उन से निगाहें चुरा रही थी. थानाप्रभारी ने अपने अनुभव से अनुमान लगाया कि कहीं न कहीं दाल में काला जरूर है. लेकिन बिना ठोस सबूत के उस पर हाथ डालना ठीक नहीं था. लिहाजा वह उस से यह कह कर लौट आए कि अगर किसी पर शक हो तो फोन कर के बता देगी.

इस के बाद पुलिस ने हरि सिंह के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि हरि सिंह के मोबाइल पर जो आखिरी काल आई थी, वह संभल जिले के थाना नरवासा के गांव बारीपुर भमरौआ के ओंकार सिंह की थी. पुलिस ने दबिश दे कर उसे पकड़ा और पूछताछ के लिए उसे थाना मैनाठेर ले आई.

थाने में उस से हरि सिंह की हत्या के बारे में गहनता से पूछताछ की गई तो पहले तो वह खुद को निर्दोष बताता रहा, लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने अपना अपराध कबूल करते हुए बताया कि हरि सिंह की हत्या उस ने ही की थी. उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों पर आधारित थी.

हरि सिंह मुरादाबाद के थाना मैनाठेर के गांव लालपुर हमीर के रहने वाले रामकिशोर की पहली पत्नी का बेटा था. दरअसल, रामकिशोर ने अपनी पत्नी शांति देवी की मृत्यु के बाद मुरादाबाद के मोहल्ला बंगला गांव की चंद्रकला से शादी कर ली थी. हरि सिंह शांति देवी से पैदा हुआ था. रामकिशोर दूसरी पत्नी चंद्रकला के साथ मुरादाबाद में ही रहने लगा था. करीब 5 साल बाद रामकिशोर की भी मृत्यु हो गई तो हरि सिंह की परवरिश उस की दादी हरदेई ने की थी.

हरि सिंह जवान हो गया तो राजमिस्त्री का काम करने लगा. बाद में उस की शादी संभल जिले के थाना नरवासा के अंतर्गत आने वाले गांव बारीपुर भमरौआ की रानी से हो गई. यह 7 साल पहले की बात है. शादी के 4 साल बाद उन के यहां एक बेटा हुआ, जिस का नाम जितिन रखा गया. यह शादी हरि सिंह के दूर के रिश्ते के बहनोई रोहताश ने करवाई थी. शादी के बाद रोहताश सिंह और उन के बच्चों का हरि सिंह के यहां आनाजाना बढ़ गया.

रोहताश का एक बेटा था ओमकार सिंह. वह इंटरमीडिएट तक पढ़ा था और बनठन कर रहता था. वह भी हरि सिंह के घर खूब आता जाता था. उस की रानी से बहुत पटती थी. रानी रिश्ते में उस की मामी लगती थी, इस नाते वह उस से हंसीमजाक कर लेता था.

हरि सिंह राजमिस्त्री था. दिन भर काम करने के कारण शाम को थकामांदा घर आता तो वह पत्नी को ज्यादा समय नहीं दे पाता. खाना खाने के बाद वह जल्द ही सो जाता. यह बात रानी को अखरती थी. पति की इस उदासीनता की वजह से रानी का झुकाव ओमकार की तरफ हो गया.

मामी के इस आमंत्रण को ओमकार समझ गया. हरि सिंह के घर से निकलते ही वह उस के घर पहुंच जाता और अपनी लच्छेदार बातों से उस ने मामी का दिल जीत लिया. लिहाजा एक दिन ऐसा आया, जब दोनों ने अपनी सीमाएं लांघ कर अपनी हसरतें पूरी कर लीं. यानी दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए.

घर में हरि सिंह की दादी हरदेई और पत्नी रानी ही रहती थीं. दादी मोहल्ले में औरतों से बतियाने चली जाती तो रानी घर में अकेली रह जाती. ओमकार इसी का फायदा उठा कर उस के घर पहुंच जाता. इस तरह काफी दिनों तक दोनों मौजमस्ती करते रहे.

जाहिर है, अवैध संबंध छिपाए नहीं छिपते. मोहल्ले की औरतों को इस बात का शक हो गया कि ओमकार हरि सिंह की गैरमौजूदगी में ही उस के घर क्यों आता है, किसी तरह यह बात हरि सिंह के कानों तक पहुंच गई. इस से हरि सिंह का भी माथा ठनका. उस ने पत्नी से साफ कह दिया कि वह ओमकार से कह दे कि उस की गैरमौजूदगी में यहां कतई ना आए.

इस के बाद भी ओमकार ने हरि सिंह के घर आना बंद नहीं किया. यह जानकर हरि सिंह ने ओमकार से साफ कह दिया कि वह उस के घर न आया करे. इस के अलावा उस ने पत्नी को भी खूब खरीखोटी सुनाई. आखिर ओमकार ने हरि सिंह के यहां आनाजाना बंद कर दिया. हरि सिंह की सख्ती के बाद रानी और ओमकार की मुलाकातें नहीं हो पा रही थीं. दोनों ही बहुत परेशान थे. ऐसे में दोनों को हरि सिंह अपनी राह का कांटा दिखाई देने लगा.

एक दिन किसी तरह मौका मिलने पर रानी ने ओमकार से मुलाकात की. उस ने ओमकार से कहा, ‘‘हरि को हमारे संबंधों की जानकारी हो चुकी है. उस ने मेरे ऊपर जो सख्ती की है, उस हालत में मैं नहीं रह सकती. मुझे तुम इस तनावभरी जिंदगी से निकालो. किसी तरह हरि को ठिकाने लगा दो. इस के बाद ही हम लोग चैन से रह सकते हैं.’’

उस की बातों में आ कर ओमकार हरि सिंह की हत्या करने के लिए तैयार हो गया.

26 सितंबर, 2016 को हरि सिंह की दादी हरदेई ने शाम का खाना बनाने के बाद उस से खाने को कहा. हरि सिंह की पत्नी रानी 2 दिन पहले अपने मायके चली गई थी, इसलिए खाना दादी ने बनाया था. हरि सिंह खाना खाने के लिए बैठा ही था कि उस के मोबाइल पर ओमकार का फोन आया. वह ओमकार की काल रिसीव करना नहीं चाह रहा था, लेकिन उस ने सोचा कि हो सकता है, कोई खास बात हो जो वह फोन कर रहा हो.

यही सोच कर उस ने फोन उठाया तो ओमकार बोला, ‘‘मामा, तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है. मेरे एक मिलने वाले का मकान बनना है. बड़ी पार्टी है. ऐसा करते हैं, दोनों मिल कर मकान का ठेका ले लेते हैं. पैसे मैं लगाऊंगा. पार्टी से आज ही बात करनी है. अगर आज बात नहीं हुई तो वह पार्टी किसी दूसरे ठेकेदार के पास चली जाएगी. तुम जल्दी चले आओ, मैं बाहर सड़क पर इंतजार कर रहा हूं. अगर बात बन गई तो पार्टी से आज ही थोड़ाबहुत एडवांस ले लेंगे.’’

हरि सिंह लालच में आ गया. वह दादी से यह कह कर घर से निकल गया कि थोड़ी देर में लौट कर खाना खाएगा. जब वह सड़क पर आया तो वहां मोटरसाइकिल लिए ओमकार खड़ा था. हरि सिंह को देखते ही वह बोला, ‘‘मामा, जल्दी से कस्बा सिरसी चलो.’’

हरि सिंह इस के लिए राजी हो गया. वह ओमकार सिंह की मोटरसाइकिल पर बैठ गया. रास्ते में ओमकार सिंह ने बताया कि जिस पार्टी से बात करनी है, वह सिरसी कस्बे की पुलिस चौकी के सामने खड़ी है. थोड़ी देर में दोनों सिरसी पहुंच गए. वहां जा कर देखा तो पार्टी नहीं मिली. ओमकार सिंह ने किसी को फोन किया, फिर बताया कि पार्टी किसी जरूरी काम से संभल चली गई है. उस ने यहीं इंतजार करने को कहा है.

सिरसी से संभल की दूरी करीब 10 किलोमीटर है. कुछ देर दोनों वहीं खड़े इंतजार करते रहे. तभी ओमकार ने हरि सिंह से कहा कि तुम अपने घर फोन कर लो कि देर से लौटोगे. इस पर हरि सिंह ने बताया कि घर पर फोन नहीं है. फोन तो उसी के पास है. जब वहां खड़ेखड़े काफी देर हो गई और संभल से पार्टी भी नहीं आई तो हरि सिंह बोला, ‘‘चलो, कल बात कर लेंगे.’’

ओमकार ने कहा कि चलो जब यहां तक आए हैं तो एकदो पैग लगा लें. हो सकता है जब तक हम यह काम करें, तब तक पार्टी आ जाए. इतना कहने के बाद ओमकार शराब की दुकान से एक बोतल खरीद लाया. पास ही अंडे के ठेले से गिलास ले कर दोनों ने शराब पी. जो थोड़ी शराब बोतल में बची थी, वह ओमकार ने अपनी बाइक की डिक्की में रख ली और गिलास भी रख लिए.

शराब पीने के बाद ओमकार ने कहा, ‘‘देखो मामाजी, तुम्हारे घर वाले इंतजार कर रहे होंगे और मेरे भी. हो सकता है पार्टी को कोई जरूरी काम आ गया हो, इसलिए अब सुबह उस से बात कर लेंगे. मैं ऐसा करता हूं कि पहले तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं, उस के बाद अपने घर चला जाऊंगा.’’

इस के बाद हरि सिंह उस की बाइक के पीछे बैठ गया. कुछ दूर चल कर ओमकार ने सड़क किनारे बसे राजस्थानी खानाबदोशों की झुग्गी के पास अपनी बाइक रोक दी.  खानाबदोश लोहे के सामान बना कर बेचते थे. उन से उस ने 80 रुपए में एक गंडासा खरीदा. हरि सिंह ने उस से पूछा कि वह इस का क्या करेगा तो उस ने बताया कि घर के आसपास काफी जंगली पौधे उग आए हैं, उन्हें काटेगा. वह गंडासा उस ने बाइक की डिक्की में रख लिया.

हरि सिंह उस की योजना से अनभिज्ञ था. उसे क्या पता था कि वह गंडासा जंगली पौधे काटने के लिए नहीं, बल्कि उस की हत्या के लिए खरीदा है. बाइक जब हरि सिंह के गांव के नजदीक पहुंची तो ओमकार ने कहा, ‘‘मामा, अभी थोड़ी शराब बची है. अगर मैं इसे घर ले जाऊंगा तो घर वाले फेंक देंगे. क्योंकि वे लोग शराब से बहुत नफरत करते हैं और जब यह फेंकी जाएगी तो मुझे बहुत दुख होगा. ऐसा करते हैं कि एकएक पैग और ले लेते हैं.’’

हरि सिंह ओमकार की बात को टाल नहीं सका. दोनों जिस जगह खड़े हो कर बातें कर रहे थे, उन्होंने वहां बैठ कर शराब पीना ठीक नहीं समझा. लिहाजा वे वहां से कुछ दूर चले गए. फिर सड़क की साइड में बैठ कर उन्होंने शराब पी.

हरि सिंह एक तो पहले से ही ज्यादा पिए हुए था. 2 पैग और लगाने के बाद उसे ज्यादा नशा हो गया, जिस से वह लड़खड़ाने लगा. तभी ओमकार ने बाइक संभालते हुए कहा कि यह स्टार्ट नहीं हो रही है, थोड़ा धक्का लगा दे. बाइक गियर में थी, इसलिए आगे नहीं बढ़ सकी. इस पर ओमकार ने गाड़ी स्टैंड पर खड़ी कर के हरि सिंह से कहा कि वह ब्रेक दबाए. नशे में झूमते हुए हरि सिंह ने झुक कर दोनों हाथों से ब्रेक दबाए, ठीक उसी समय ओमकार ने बाइक की डिक्की से गंडासा निकाल कर उस की गरदन पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए.

नशे की हालत में हरि सिंह को संभलने तक का मौका नहीं मिला. वह निढाल हो कर नीचे गिर पड़ा. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. ओमकार सिंह ने उसे हिलाडुला कर देखा तो वह मर चुका था. वह वहां से अपने घर चला गया. उस ने गांव बारी भमरौआ पहुंच कर रानी को हरि सिंह की हत्या की खबर दे दी. उस ने उस से कह दिया कि जब उसे हरि सिंह की हत्या की खबर मिले तो वह रोने का नाटक करे, जिस से किसी को शक न हो.

पुलिस ने ओमकार से पूछताछ के बाद रानी को भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी स्वीकार कर लिया कि पति की हत्या की साजिश में वह भी शामिल थी. ओमकार की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त गंडासा भी बरामद कर लिया. इस के बाद दोनों को 28 सितंबर, 2016 को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. इस मामले की तफ्तीश थानाप्रभारी राजेश सोलंकी कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बीवी की आशनाई लायी बर्बादी – भाग 1

उत्तर प्रदेश के हरदोई-कानपुर मार्ग पर हरदोई जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर की दूरी पर एक  कस्बा है बिलग्राम. यहां हरदोई का थाना कोतवाली भी है. इसी कोतवाली क्षेत्र में एक गांव है हैबतपुर. यह गांव बिलग्राम से 4 किलोमीटर पहले ही मुख्य मार्ग पर स्थित है. इसी गांव में रामभजन सक्सेना का परिवार रहता था. मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर करने वाले रामभजन के परिवार में पत्नी सुमित्रा देवी के अलावा 4 बेटे और 4 बेटियां थीं.

रामभजन ने अपने दूसरे नंबर के बेटे रामचंद्र का विवाह लगभग 12 साल पहले हरदोई के ही थानाकोतवाली शहर के अंतर्गत आने वाले गांव पोखरी की रहने वाली रमाकांती से कर दिया था. उस के पिता गंगाराम की मौत हो चुकी थी. उस के 6 भाई और 2 बहनें थीं. भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. उस के भाइयों ने मिलजुल कर उस की शादी रामचंद्र से कर दी थी.

रमाकांती ससुराल आई तो उसे ससुराल में रामचंद्र के साथ गृहस्थी बसाने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि ससुराल में सभी अलगअलग अपनेअपने घरों में रहते थे. रामचंद्र भी अन्य भाइयों की तरह मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर कर रहा था. इसलिए रमाकांती के लिए जैसे हालात मायके में थे, वैसे ही ससुराल में भी मिले. रमाकांती एक के बाद एक कर के तीन बेटियों और 2 बेटों यानी 5 बच्चों की मां बनी. इस समय उस की बड़ी बेटी 10 साल की है तो छोटा बेटा 1 साल का.

रामचंद्र का जिस हिसाब से परिवार बढ़ा, उस हिसाब से आमदनी नहीं बढ़ पाई, इसलिए उसे गुजरबसर में परेशानी होने लगी. गांव में मेहनतमजदूरी से इतना पैसा नहीं मिल पाता था कि वह परिवार का खर्चा उठा सकता. जब वह हर तरह से कोशिश कर के हार गया तो उस ने परिवार सहित कहीं बाहर जा कर काम करने का विचार किया.

उस ने जानपहचान वालों से बात की कि वह ऐसे कौन से शहर जाए, जहां उसे आसानी से काम मिल जाए. उस के गांव के कुछ लोग अंबाला में रहते थे. उन्होंने उसे अंबाला चलने की सलाह दी तो वह उन्हीं के साथ पत्नी और बच्चों को ले कर अंबाला चला गया.

वहां उसे लालू मंडी स्थित सिलाई का धागा बनाने वाली एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई, जहां उसे 3 सौ रुपए रोज मिलते थे. पास की ही एक अन्य सिलाई धागा फैक्ट्री में उस ने रमाकांती को भी नौकरी दिला दी. फैक्ट्री के पास ही उस ने एक मकान में किराए का एक कमरा ले लिया और उसी में पत्नीबच्चों के साथ रहने लगा. वह मकान चंडीगढ़ के रहने वाले किसी सरदार का था. मकान काफी बड़ा था, जिस में तमाम किराएदार रहते थे. अंबाला में पतिपत्नी इतना कमा लेते थे कि उन की आसानी से गुजरबसर होने लगी.

रमाकांती सुबह से दोपहर तक की शिफ्ट में काम करती थी. इस के बाद वह कमरे पर आ जाती और बच्चों के साथ रहती. जबकि रामचंद्र 12 घंटे की ड्यूटी करता था. वह सुबह जल्दी निकलता तो घर आने में रात के 9 बज जाते थे.

कोई भी आदमी सुबह से ले कर देर रात तक मेहनत करेगा तो जाहिर है, वह थक कर चूर हो जाएगा. रामचंद्र भी जब घर लौट कर आता तो उस का भी वही हाल होता था. घर पहुंच कर वह खाना खाता और चारपाई पर लेट कर खर्राटे भरने लगता. जबकि 5 बच्चों की मां बनने के बाद भी रमाकांती की हसरतें जवान थीं. उस का मन हर रात पति से मिलने को होता, जबकि रामचंद्र की थकान उस की इच्छाओं का गला घोंट देती थी. वह हर रात पति की बांहों में गुजारना चाहती, जबकि पति के सो जाने की वजह से यह संभव नहीं हो पाता था.

जिस मकान में रामचंद्र परिवार के साथ किराए पर रहता था, उसी मकान में सूरज भी एक कमरा किराए पर ले कर रह रहा था.  बिहार के रहने वाले 25 वर्षीय सूरज की अभी शादी नहीं हुई थी. वह भी धागा बनाने वाली उसी फैक्ट्री में नौकरी करता था, जिस में रामचंद्र करता था. एक ही मकान में रहने की वजह से सूरज और रमाकांती में परिचय हो गया था. जब भी दोनों का आमनासामना होता, एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते. धीरेधीरे दोनों में बातचीत भी होने लगी.

सूरज कुंवारा था, इसलिए उस का महिलाओं की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक ही था. इसी आकर्षण की वजह से 5 बच्चों की मां रमाकांती के शारीरिक कसाव और आंखों की कशिश में वह ऐसा डूबा कि उस के आगे उसे बाकी की सारी औरतें बेकार लगने लगीं. वह जब भी उसे देखता उस की कामनाएं अंगड़ाइयां लेने लगतीं. रमाकांती पर उस का मन डोला तो वह उसे अपनी कल्पनाओं की दुल्हन मान कर उस के बारे में न जाने क्याक्या सोचने लगा.

रमाकांती पर दिल आते ही सूरज उस पर डोरे डालने लगा. जल्दी ही रमाकांती को भी उस के मन की बात पता चल गई. उसे एक ऐसे मर्द की चाहत थी भी, जो रामचंद्र की जगह ले सके. इसलिए उस का भी झुकाव सूरज की ओर हो गया. जब सूरज ने रमाकांती की आंखों में प्यास देखी तो वह उस के आगेपीछे चक्कर लगाने लगा.

सूरज रामचंद्र के घर भी आनेजाने लगा. वह रमाकांती को भाभी कहता था. इसी रिश्ते की आड़ में वह हंसीमजाक भी करने लगा. इसी हंसीमजाक में कभीकभी वह मन की बात भी कह जाता.

अमीर बनने की चाहत – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद के पौश इलाके राजनगर एक्सटेंशन की वीवीआईपी सोसाइटी में 30 नवंबर, 2015 की सुबह हडक़ंप मचा हुआ था. इस की वजह वह थी कि इस सोसाइटी में रहने वाले कारोबारी विवेक महाजन का बेटा रहस्यमय ढंग से गायब हो गया था. दरअसल उन का 13 वर्षीय बेटा जयकरन 29 नवंबर की दोपहर सोसाइटी में ही बने मैदान में खेलने के लिए गया था.

इसी बीच वह लापता हो गया था. जब वह शाम तक घर नहीं पहुंचा तो घर वालों को चिंता हुई. चिंता के बादल तब और गहरे हो गए, जब यह पता चला कि जयकरन का मोबाइल भी स्विच्ड औफ है. परिचितों और जयकरन के दोस्तों के यहां भी उस की खोजबीन की जा चुकी थी. लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं लग पा रहा था. थकहार कर विवेक महाजन ने स्थानीय थाना सिंहानी गेट में बेटे की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. पुलिस ने उन्हें नातेरिश्तेदारों के यहां खोजबीन करने की सलाह दे कर जयकरन का फोटो और हुलिया नोट कर लिया था.

विवेक महाजन के परिवार में पत्नी अमिता के अलावा 2 ही बच्चे थे, बेटी संस्कृति और बेटा जयकरन. अमिता पेशे से डाक्टर थीं, उन का अपना नैचुरोपैथी क्लिनिक था. जयकरन शहर के ही एक पब्लिक स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ रहा था. उस के लापता होने से अनहोनी की आशंकाएं जन्म ले रही थीं. पूरी रात जयकरन का इंतजार होता रहा. लेकिन न तो वह आया और न ही उस के मोबाइल पर संपर्क हो सका. चिंताओं के बीच किसी तरह रात बीत गई. 30 नवंबर की सुबह सूरज की रेशमी किरणों से नई उम्मीदों का उजाला तो हुआ, लेकिन महाजन परिवार की उदासी और परेशानी ज्यों की त्यों बनी रही.

करीब सवा 10 बजे अमिता के मोबाइल की घंटी बजी. उन्होंने बुझे मन से मोबाइल की स्क्रीन को देखा तो उस पर जयकरन का नंबर डिस्प्ले हो रहा था. उन्होंने झट से फोन का बटन दबा कर के कान से लगाया, “ह…ह…हैलो जयकरन बेटा, कहां है तू?”

“घबराओ नहीं डाक्टर साहिबा, जयकरन हमारे पास सलामत है.” किसी अनजबी की आवाज सुन कर अमिता के दिल की धडक़नें बढ़ गईं और आवाज गले में अटक सी गई, “अ…अ…आप कौन, मेरा बेटा कहां है? उस से मेरी बात कराइए.” अमिता ने कहा.

लेकिन फोन करने वाला ठंडे लहजे में बोला, “इतनी भी क्या जल्दी है, बेटे से बात करने की. अभी एक ही रात के लिए तो दूर हुआ है. बाई द वे वह बिल्कुल ठीक है. हम पूरा खयाल रख रहे हैं उस का.”

कुछ पल रुक कर उस ने आगे कहा, “रही हमारी बात तो इतना बताना ही काफी है कि आप लोग फटाफट 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो. जैसे ही 2 करोड़ दे दोगे, बेटा तुम्हें मिल जाएगा.”

यह सुन कर अमिता के होश उड़ गए. वह समझ गईं कि उन के बेटे का अपहरण हुआ है. वह गिड़गिड़ाईं, “देखो प्लीज, तुम मेरे बेटे को छोड़ दो.”

उन की बेबसी पर फोनकर्ता ने पहले ठहाका लगाया, फिर वह कठोर लहजे में बोला, “कहा तो है छोड़ देंगे. तुम रकम का इंतजाम करो. हम तुम्हें दोबारा फोन करेंगे.” थोड़ा रुक कर वह आगे बोला, “और हां, पुलिस को फोन करने की गलती कतई मत करना, वरना तुम्हारा बेटा टुकड़ों में मिलेगा.”

“तुम लोग गलत कर रहे हो. हम पर रहम करो, प्लीज मेरे बेटे को छोड़ दो.”

अमिता ने कहा तो दूसरी ओर से फोन कट गया. उन्होंने काल बैक की, लेकिन तब तक मोबाइल फोन स्विच्ड औफ हो चुका था.

जयकरन के अपहरण की बात से महाजन परिवार में कोहराम मच गया. सोसाइटी के लोग भी एकत्र हो गए. विवेक महाजन ने इस की सूचना पुलिस को दी तो पुलिस विभाग तुरंत हरकत में आ गया. मामला एक हाईप्रोफाइल कारोबारी के बच्चे के अपहरण का था, लिहाजा कुछ ही देर में थानाप्रभारी रणवीर ङ्क्षसह विवेक महाजन के घर पहुंच गए. बाद में एसएसपी धर्मेंद्र यादव, एसपी (सिटी) अजयपाल शर्मा व सीओ विजय प्रताप यादव भी वहां आ गए.

यह बात पूरी तरह साफ हो गई थी कि जयकरन का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था. अपहर्ता उस के साथ कुछ भी कर सकते थे. ऐसे में पुलिस के सामने जयकरन को बचाना बड़ी चुनौती थी. मेरठ जोन के आईजी आलोक शर्मा व डीआईजी आशुतोष कुमार ने सतर्कता के साथ अविलंब काररवाई निर्देश दिए.

एसएसपी धर्मेंद्र यादव ने जयकरन की सकुशल रिहाई के लिए एसपी अजयपाल शर्मा के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित कर दी. इस टीम में थाना पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच के प्रभारी अवनीश गौतम व उन की टीम को भी शामिल किया गया.

इस बीच पुलिस ने जयकरन की गुमशुदगी को अपहरण में तरमीम कर के अज्ञात अपहर्ताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था. पुलिस ने जयकरन का मोबाइल नंबर ले कर सॢवलांस पर लगा दिया. पुलिस को उम्मीद थी कि सीसीटीवी की मदद से संभवत: कोई ऐसा सुराग मिल जाएगा, जिस से यह पता चल जाएगा कि जयकरन को कालोनी के बाहर कब और कैसे ले जाया गया. लेकिन पुलिस की यह उम्मीद तब टूट गई, जब पता चला कि वीवीआईपी सोसाइटी में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं.

इस बीच पुलिस इतना अंदाजा जरूर लगा चुकी थी कि जयकरन के अपहरण में किसी ऐसे व्यक्ति का हाथ है, जिसे वह पहले से जानता रहा होगा. क्योंकि अगर उसे जबरन ले जाया गया होता तो शोरशराबा होता या घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी मिल जाता.

पुलिस ने जयकरन के घर वालों और अन्य लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई ऐसा सुराग नहीं मिला, जिस के आधार पर पुलिस आगे बढ़ पाती. पुलिस ने जयकरन के दोस्तों और सोसाइटी के संदिग्ध लोगों के बारे में पूछताछ की तो एक चौंकाने वाली जानकारी मिली. एक व्यक्ति ने बताया, “सर, 2 लडक़े हैं जो अब नहीं दिख रहे. वे दोनों जयकरन के दोस्त भी हैं.”

“कौन हैं वे?” पुलिस अधिकारी ने पूछा तो उस व्यक्ति ने बताया, “दीपक और संदीप. दोनों सोसाइटी में ही किराए पर अकेले रहते हैं. रात और सुबह 9 बजे तक तो दोनों यहीं पर थे, लेकिन अब नहीं दिख रहे हैं.”

यह पता चलने पर पुलिस उन दोनों के फ्लैट पर पहुंची, लेकिन वहां ताला लटका हुआ था. इस से पुलिस को उन पर थोड़ा शक हुआ. उन के बारे में ज्यादा कोई कुछ नहीं जानता था. बस इतना ही पता चला कि वे दोनों 2 महीने पहले ही सोसाइटी में रहने के लिए आए थे. दोनों बहुत मिलनसार थे और बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते थे. जयकरन को चूंकि क्रिकेट का बहुत शौक था, इसलिए उस की उन से अच्छी जानपहचान थी.

“वे दोनों काम क्या करते थे?”

“नहीं पता सर.”

पुलिस के शक की सूई उन दोनों के इर्दगिर्द घूमने लगी. तभी एक युवक ने अपना मोबाइल आगे बढ़ाते हुए कहा, “यह देखिए सर, दीपक का फोटो.” फोटो पर नजर पड़ते ही एसपी अजयपाल शर्मा चौंके. उस में दीपक अपने हाथ में अवैध पिस्टल लिए हुए था. दरअसल दीपक ने वह फोटो व्हाट्सएप ग्रुप में खुद ही पोस्ट की थी. पुलिस ने पहली नजर में ही ताड़ लिया कि पिस्टल अवैध थी. इस से पुलिस का शक उन दोनों पर और भी बढ़ गया. पुलिस ने पूछताछ कर के दीपक का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया.