UP Crime News : पिछले एक महीने में प्रेमिका के साथ मिल कर पति द्वारा पत्नी को ठिकाने लगाने या पत्नी द्वारा प्रेमी के साथ मिल कर पति का कत्ल करने की अलगअलग राज्यों में 20 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं. इन में जहां मेरठ की ड्रम वाली घटना में क्रूरता की पराकाष्ठा थी तो देवरिया की यह घटना भी उस से किसी मामले में कम नहीं है.

नौशाद के दुबई जाने के बाद रजिया सुलतान पूरी तरह रोमान के वश में आ गई थी. अब उस के लिए अलग घर बन ही गया था. नौशाद यहां जो पैसे भेजता था, उसी के अकाउंट में आता था. इसलिए उस के अकाउंट में काफी रकम जमा हो गई थी. यही वजह थी कि अब उसे लगने लगा था कि अगर नौशाद नहीं भी रहेगा तो वह रोमान के साथ आराम से गुजारा कर लेगी. क्योंकि रोमान भी तो कमाता था. उस के साथ वह सुखी रहेगी, क्योंकि वह उस के साथ रहेगा.

अब वह बाकी की जिंदगी अपने प्रेमी रोमान के साथ बिताना चाहती थी. लेकिन इस के लिए नौशाद से छुटकारा चाहिए था. नौशाद से वह तलाक लेना नहीं चाहती थी. इस की वजह यह थी कि अगर वह नौशाद से तलाक लेती तो उस के हाथ कुछ न लगता. घर भी छोडऩा पड़ता और नौशाद के रुपए भी देने पड़ते. जबकि वह यह सब हड़पने के चक्कर में थी.

अब नौशाद से छुटकारा पाने का एक ही तरीका बचा था कि उसे ठिकाने लगा दिया जाए यानी उस की हत्या कर दी जाए. लेकिन यह काम उस के अकेले के वश का नहीं था. अभी यह भी कंफर्म नहीं था कि रोमान नौशाद की हत्या के लिए तैयार होगा भी या नहीं. रजिया दुविधा में फंसी थी. लेकिन उस ने यह तय कर लिया था कि अब वह नौशाद के साथ नहीं, प्रेमी रोमान के साथ रहेगी. यह निर्णय लेने के बाद अब उसे रोमान को अपने मामा की हत्या के लिए तैयार करना था, साथ ही इस के लिए भी मनाना था कि सारा मामला शांत होने के बाद वह उस के साथ निकाह करेगा. इस के बाद उस ने धीरेधीरे रोमान को मनाना शुरू किया कि नौशाद के न रहने पर दोनों सुख और शांति से रह सकेंगे.

रोमान को भी मामी रजिया से जो सुख मिल रहा था, उसे वह किसी भी हालत में छोडऩा नहीं चाहता था. इस के लिए उसे चाहे कुछ भी करना पड़े. आखिर वह रजिया की देह के चक्कर में उस के लपेटे में आ ही गया और नौशाद की हत्या के लिए राजी हो गया. रोमान के राजी होने के बाद नौशाद की हत्या की योजना बनने लगी, क्योंकि इसी अप्रैल महीने में वह आने वाला था. हत्या करना तो आसान था, लेकिन मुश्किल काम था लाश को ठिकाने लगाना. फिर यह काम रोमान के अकेले के वश का भी नहीं था. इस काम में रजिया किसी तरह की मदद भी नहीं कर सकती थी.

काफी सोचविचार और सलाहमशविरे के बाद तय हुआ कि लाश का चेहरा बिगाड़ कर कहीं दूर ले जा कर फेंक दिया जाएगा, जहां कोई उसे पहचान नहीं पाएगा. उस के बाद दोनों निकाह कर के आराम से रहेंगे. रजिया और रोमान नौशाद के आने से पहले पूरी तैयारी कर लेना चाहते थे. क्योंकि इस बार रजिया नौशाद से छुटकारा पा लेना चाहती थी.

अपनी इस योजना को साकार करने के लिए रोमान को एक साथी की जरूरत थी. रोमान ड़ाइवर था. उस की तमाम ड्राइवरों से दोस्ती थी. लेकिन गांव विशौली के रहने वाले हिमांशु से उस की कुछ ज्यादा ही पटती थी. दोनों का अकसर रात का खानापीना साथ होता था. उसे रोमान और रजिया के संबंधों के बारे में पता भी था. इसलिए जब रोमान ने पूरी बात बता कर सहयोग मांगा तो हिमांशु हर तरह से उस की मदद करने को तैयार हो गया.

अब रजिया और रोमान को नौशाद के आने का इंतजार था. 10 अप्रैल, 2025 को जब नौशाद दुबई से घर आया तो रजिया ने बड़े जोश के साथ उस का स्वागत किया. नौशाद को लगा कि पत्नी अब सुधर गई है. वह बहुत खुश हुआ. वह भी एक साल पत्नी से अलग रहा था, इसलिए उस ने पत्नी को खूब प्यार किया. इस बीच रजिया सुलतान और रोमान की फोन पर बातें होती रहीं. नौशाद को कैसे मारा जाए, इस की योजना बनती रही. बात गला दबा कर मारने की आई तो नौशाद इतना हट्टाकट्टा था कि तीनों मिल कर उसे काबू नहीं कर सकते थे. किसी हथियार से मारने की बात चली तो चीखपुकार होती और सभी जान जाते.

इसलिए तय हुआ कि नौशाद को पहले नशे की दवा दे कर सुला दिया जाए. उस के बाद गला दबा कर हत्या कर दी जाए. फिर लाश को किसी चीज में लपेट कर कहीं दूर फेंक दिया जाए. इस बीच नौशाद दुबई जाने की तैयारी करने लगा था. वह हवाई टिकट की कोशिश में लगा था. नौशाद दुबई वापस चला जाए, उस के पहले ही उस का काम तमाम करना था. रोमान ने नशे की दवा की व्यवस्था कर दी तो 19 अप्रैल, 2025 की शाम रजिया ने रात के खाने में नींद की दवा नौशाद को खिला दी. दवा देने के बाद रजिया ने इस बात की जानकारी रोमान को दे दी.

रजिया की बेटी सो गई तो उसे उस ने अलग कमरे में सुला कर दरवाजा बंद कर दिया. अब्बू बाहर के कमरे में सोए थे. घर के अंदर रजिया और नौशाद ही थे. रात 11 बजे के आसपास रोमान और हिमांशु बोलेरो ले कर आ गए. रजिया ने पीछे का दरवाजा खोल कर दोनों को अंदर बुला लिया.

गहरी नींद में सोए शौहर को लगाया ठिकाने

नौशाद नशे में गहरी नींद सो रहा था. रजिया ने नौशाद के पैर पकड़ लिए तो हिमांशु ने सिर. इस के बाद रोमान ने नौशाद के सीने पर बैठ कर उस का गला दबा दिया. नौशाद थोड़ा छटपटाया, फिर शांत हो गया. नौशाद कहीं जीवित न रह जाए, रजिया ने मूसल से उस के सिर पर कई वार किए. जब उसे विश्वास हो गया कि नौशाद अब जीवित नहीं हो सकता तो उस की पहचान न हो सके, इस के लिए रजिया ने चापर की नोंक से उस का पूरा चेहरा गोद दिया.

अब बारी थी लाश को ठिकाने लगाने की. वे लाश को ले जा कर कहीं दूर फेंक आना चाहते थे, जहां लाश की शिनाख्त न हो सके. रजिया के घर में 2 सूटकेस थे. पहले उन्होंने लाश को छोटे सूटकेस में भरने की कोशिश की. लेकिन उस में लाश नहीं आई. तब रजिया ने बड़ा सूटकेस खाली किया और उसे ला कर रोमान को दिया.

रोमान और हिमांशु ने नौशाद के शव को बड़े सूटकेस में भरना चाहा तो लाश उस में भी नहीं आई. इस के बाद रोमान और हिमांशु ने नौशाद की लाश को कुल्हाड़ी और चापर से 2 हिस्सों में काट कर सूटकेस में भरा. तब भी पैर अंदर नहीं जा रहे थे. तब पैरों को तोड़ कर अंदर डाला और सूटकेस बंद कर दिया. रजिया ने सूटकेस खाली करते समय उस में से एकएक कागज तक निकाल लिया था, जिस से पता न चल सके कि सूटकेस किस का है.

इस के बाद रोमान और हिमांशु सूटकेस बोलेरो में रख कर चल पड़े. वे सूटकेस को ले कर वहां से 55 किलोमीटर दूर थाना तरकुलवा के अंतर्गत आने वाले गांव छापर पटखौली पहुंचे और एक खाली पड़े खेत में उसे फेंक दिया. उस समय सुबह के 4 बज रहे थे. लाश से भरा सूटकेस फेंक कर दोनों अपनेअपने घर चले गए. लाश फेंकने की सूचना रोमान ने रजिया को फोन द्वारा दे दी थी. उस के बाद वह निश्चिंत हो गई थी. उसे पूरा विश्वास था कि पुलिस किसी भी हालत में उस तक पहुंच नहीं पाएगी.

दूसरी ओर गांव छापर पटखौली के रहने वाले किसान जितेंद्र गिरि कंबाइन मशीन ले कर गेहूं कटवाने पहुंचे तो उन्हें बगल वाले खेत में एक बड़ा सा सूटकेस पड़ा दिखाई दिया. सूटकेस में खून लगा था, इसलिए उन्होंने इस बात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. थोड़ी ही देर में थाना तरकुलवा पुलिस वहां आ गई. घटनास्थल की स्थिति देख कर थाना तरकुलवा के एसएचओ ने यह जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी थी. थाना पुलिस ने आते ही सब से पहले लोगों को वहां से हटा कर आसपास के इलाके को बैरिकेड्स करवा दिया था.

थोड़ी ही देर में एएसपी अरविंद वर्मा, सीओ (सिटी) संजय रेड्डी, स्वाट टीम के प्रभारी दीपक कुमार, डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम के साथ आ गए थे. अरविंद वर्मा ने सूटकेस खुलवाया तो उस में 2 टुकड़ों में एक युवक की लाश थी. सिर से कमर तक का हिस्सा प्लास्टिक में लिपटा था तो कमर से पैर तक का हिस्सा बोरे में भरा था. सिर पर चोट के तथा धारदार हथियार के निशान थे.

कैसे हुई लाश की पहचान

पुलिस ने इकट्ठा लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, पर कोई मरने वाले युवक को पहचान नहीं सका. तब सूटकेस की तलाशी ली गई कि उसी से ऐसा कुछ मिल जाए, जिस से मरने वाले के बारे में कुछ पता चल जाए. पर यह कोशिश भी बेकार गई. तलाशी के दौरान ही अरविंद वर्मा की नजर सूटकेस पर लगे एक स्टिकर पर पड़ी, जो एयरपोर्ट का बारकोड था. सूटकेस से थोड़ी दूरी पर पुलिस को एक विदेशी सिम भी मिला.

तब उन्होंने वह बारकोड एयरपोर्ट पर भेज कर पता करवाया. उस बारकोड से पता चला कि वह सूटकेस देवरिया के ही थाना मईल के अंतर्गत आने वाले गांव भटौली के रहने वाले नौशाद का है. पुलिस को लगा कि यह लाश नौशाद की हो सकती है या फिर उस के किसी रिश्तेदार की. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर पुलिस भटौली गांव के लिए रवाना हो गई.

भटौली पहुंच कर पुलिस को पता चला कि वह लाश नौशाद की ही थी. नौशाद की पत्नी से नौशाद के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि वह रात को कहीं चले गए थे. पुलिस ने जाने का कारण और कहां गए होंगे, पूछा तो वह पुलिस को गुमराह करने लगी. पुलिस को उस की बातों से शक हुआ तो उस के घर की तलाशी ली. इस तलाशी में पुलिस को एक सूटकेस मिला, जिस में खून लगा था. यह वही सूटकेस था, जिस में पहले लाश रखने की कोशिश की गई थी.

इस के बाद पुलिस ने रजिया सुलतान से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करते हुए हत्या के पीछे की पूरी कहानी सुना दी. पुलिस ने तुरंत उसे हिरासत में ले लिया और थाने ले आई. पूछताछ में पता चला कि रजिया ने बेहद चालाकी से नौशाद को ठिकाने लगाने की साजिश रची थी. जबकि वह ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. शायद इसीलिए सूटकेस में लगे बारकोड का मतलब वह समझ नहीं सकी थी. उस ने सूटकेस का एकएक सामान तो निकाल लिया था, पर जल्दबाजी में वह बारकोड नहीं निकाल पाई थी.

सुबह जब नौशाद के पिता ने बेटे के बारे में पूछा था, तब उस ने कहा था कि रात में वह कहीं चले गए थे. इस के बाद पूरा परिवार उस की तलाश में लग गया था. दोपहर को पुलिस पहुंची तो पता चला कि उस की हत्या हो चुकी है.

आरोपियों से पूछताछ करने के बाद नौशाद की हत्या के पीछे की जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के थाना मईल के अंतर्गत आने वाले गांव भटौली का रहने वाला नौशाद अहमद और देवरिया से लगे जिला बलिया की रहने वाली रजिया सुलतान उर्फ शिबा एकदूसरे को तब से जानते थे, जब से वे समझने लायक हुए थे. इस की वजह यह थी कि रजिया नौशाद की फूफी यानी बुआ की बेटी थी. रजिया जब भी ननिहाल आती, हमउम्र होने की वजह से रजिया और नौशाद साथसाथ खेलते. ऐसे में ही एक दिन दरवाजे पर खेलने के बाद दोनों एकदूसरे का हाथ थामे घर में घुसे तो बरामदे में चारपाई पर बैठी नौशाद की अम्मी के मुंह से अचानक निकल गया,

”हाय रब्बा, दोनों की कितनी सुंदर जोड़ी है. एकदम गुड्डेगुडिय़ा की जोड़ी लग रही है. अगर इन दोनों का निकाह कर दिया गया तो बहुत सुंदर जोड़ी लगेगी.’’

बात सच भी थी. जितनी गोरीचिट्टी रजिया सुलतान उर्फ शिबा थी तो उस से जरा भी कम गोराचिट्टा नौशाद भी नहीं था, इसलिए रजिया की अम्मी को भी यह जोड़ी भा गई थी. उन्होंने उस समय तो कुछ नहीं कहा था, पर मन ही मन तय कर लिया था कि अगर उस के भाई मबू अहमद नौशाद के लिए रजिया का हाथ मांगने आएंगे तो वह खुशीखुशी बेटी का निकाह नौशाद के साथ कर देगी.

रजिया की अम्मी ने उस समय भले ही कोई जवाब नहीं दिया था, पर नौशाद की अम्मी रजिया को बहू बनाने का ख्वाब मन ही मन पालने लगी थीं. रजिया जब भी अपनी अम्मी के साथ मामा के घर आती, नौशाद की अम्मी ननद को यह बात जरूर याद दिलातीं. जब तक नौशाद और रजिया नासमझ थे, तब तक तो कोई बात नहीं थी. लेकिन जब दोनों समझदार हो गए तो एकदूसरे को देख कर लजाने लगे.

फुफेरी बहन रजिया से हुई नौशाद की शादी

रजिया सुलतान थोड़ा और बड़ी हुई तो उस ने शर्म की वजह से मामा के घर आनाजाना बंद कर दिया. उस की अम्मी कहती भी थीं कि इस में शरमाने की क्या बात है, पर रजिया किसी भी हालत में मामा के घर आने के लिए राजी नहीं होती थी. जबकि नौशाद रजिया से मिलने के लिए बेचैन रहता था. मबू अहमद ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं थे. उन की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए जब उन का बड़ा बेटा कमाने लायक हुआ तो उन्होंने उसे ड्राइविंग सिखवा दी. कुछ दिनों तक उस ने यहीं किसी की गाड़ी चलाई. फिर उस ने पासपोर्ट बनवाया और जुगाड़ लगा कर दुबई चला गया. दुबई जाने से पहले ही मबू अहमद ने उस का निकाह जैतून से कर दिया था.

बड़े भाई की ही तरह नौशाद भी दुबई जाना चाहता था, इसलिए उस ने भी ड्राइविंग सीख ली थी. कुछ दिनों तक यहां इधरउधर गाड़ी चलाते हुए उस ने अपना पासपोर्ट बनवा लिया. अब तक वह शादी लायक भी हो चुका था. मबू अहमद ने उस के लिए अपनी बहन से रजिया का हाथ मांगा तो उन्होंने खुशीखुशी इस रिश्ते को मंजूरी दे दी. क्योंकि नौशाद हर तरह से रजिया के लायक था. उसे यह भी पता था कि आज नहीं तो कल नौशाद दुबई चला ही जाएगा. फिर उस की बेटी राज करेगी. जल्दी ही घर वालों की मरजी से रजिया और नौशाद का निकाह हो गया. यह करीब 10 साल पहले की बात है.

निकाह के बाद नौशाद दुबई जाने की तैयारी में लग गया. वहां उस का बड़ा भाई भले ही रहता था, लेकिन अच्छी कंपनी में ड्राइवर का वीजा मिलने में उसे 3 साल लग गए. इस बीच वह एक बेटी का बाप भी बन गया. इस समय उस की वह बेटी 8 साल की है. नौशाद को वीजा मिल गया तो वह नौकरी करने दुबई चला गया. नौशाद को दुबई की जिस कंपनी में नौकरी मिली थी, उस में साल में केवल 15 दिन की ही छुट्टी मिलती थी. इसलिए नौशाद साल में केवल 15 दिनों के लिए ही परिवार के साथ रह पाता था. बाकी का समय वह अकेला दुबई में रहता था तो उस की पत्नी रजिया यहां गांव में परिवार के साथ रहती थी.

पति के विदेश चले जाने के बाद रजिया आजाद हो गई. सास थी नहीं, जेठानी से कोई मतलब नहीं था. देवर भी मुंबई कमाने चला गया था. घर में केवल ससुर था और एक बेटी. इसलिए काम भी ज्यादा नहीं होता था. सुबह नाश्ता और खाना एक साथ बना कर रख देती. इस तरह पूरा दिन खाली रहती. इस खाली समय को बिताने के लिए जैसा आजकल हो रहा है, वैसे ही वह भी मोबाइल का सहारा लेती या अगलबगल वालों के यहां जा कर गप्पें मारती. पैसे की कमी थी नहीं, नौशाद दुबई से भेजता ही था. इसलिए रजिया ठाठ से रहती थी. रजिया सुलतान शुरू से ही थोड़ा चंचल स्वभाव की थी. मनमाना खर्च मिलने लगा तो विलासी भी हो गई.

उसे सारे सुख तो मिल रहे थे, लेकिन पति से अलग रहने की वजह से उसे शारीरिक सुख यानी सैक्स का सुख नहीं मिल रहा था, जिस के लिए वह छटपटाती रहती थी. पति साल भर में केवल 15 दिनों के लिए ही आता था. साल भर की सैक्स की भूखी रजिया का 15 दिनों में कुछ नहीं होता था. उस की देह की आग बुझने के बजाय और भड़क उठती थी.

रजिया का दिल आया जवान भांजे पर

कुछ दिनों तक तो रजिया ने खुद को संभाला. पर जब उस का मन नहीं माना तो वह अपने लिए एक ऐसे पुरुष की तलाश में लग गई, जो उस की कामना पूरी कर सके. उस की यह तलाश पति नौशाद के ही भांजे रोमान सिद्दीकी पर जा कर ठहर गई. दरअसल, नौशाद की एक बहन नूनहार गांव में ही ब्याही थी. रोमान उसी बहन का बेटा था. उस की शादी अभी नहीं हुई थी. वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था. आठवीं तक पढ़ाई कर के उस ने अपने मामा की तरह ड्राइविंग सीख ली थी और पहले छोटी गाडिय़ां चलाने लगा था. जब हाथ साफ हो गया तो ट्रक चलाने लगा. भांजा होने की वजह से वह बेरोकटोक रजिया यानी नौशाद के घर आताजाता था.

रोमान सिद्दीकी अजीब शख्सियत वाला था. कुंवारा होने की वजह से उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी. इसलिए जो कमाता था, उस में से थोड़ा घर वालों को दे कर बाकी खुद पर खर्च करता था. इस में उस के कुछ आवारा दोस्त भी शामिल थे, जिन के पास कोई कामधंधा नहीं था. रोमान जब भी गांव आता, उस के वे दोस्त रातदिन उस के आगेपीछे घूमा करते. रोमान जो कमा कर लाता था, अपने साथ उन पर भी खर्च करता. जेब में पैसे होते ही थे, इसलिए रोजाना रात को मुर्गा और शराब की पार्टी होती.

पार्टी कर के रोमान कभीकभी मामी के घर आ जाता. नशे में होने पर रोमान को मामी भी अच्छी लगती और उस से बातें करना भी. पुरुष की संगत को तरस रही रजिया को भी उस से बातें करना अच्छा लगने लगा था. इसलिए वह भी उस से खूब मजे ले कर बातें करती थी. कभीकभी नशा ज्यादा हो जाता तो रोमान रजिया के यहां ही सो जाता था. ऐसे में रजिया को ही उस के लिए बिस्तर की भी व्यवस्था करनी पड़ती और उस के जूते और कपड़े भी उतारने पड़ते. कपड़े उतारने में रोमान का शरीर उस के शरीर से छू जाता या रगड़ जाता तो वह रोमांचित हो उठती. मन भटकने लगता और जी करता कि उस से लिपट जाए. लेकिन संकोचवश वह ऐसा कर नहीं पाती थी.

रोमान भी जवान था, इसलिए किसी महिला का सान्निध्य पाने के लिए वह भी लालायित रहता था. जब कभी जवानी ज्यादा उफान मारती तो सड़क के किनारे ढाबों पर मिलने वाली औरतों के साथ इच्छा पूरी कर लेता था. पर उन के साथ वह मजा नहीं आता था, जिस की कामना रोमान करता था. इसलिए जवान मामी की ओर उस का भी झुकाव होने लगा था. इस की वजह यह थी कि उस ने रजिया की बातों से महसूस किया था कि वह सैक्स की भूखी है. क्योंकि कभीकभी बातचीत में वह रोमान से ऐसी बात कह देती, जो औरत किसी पराए मर्द से नहीं कह सकती.

इन्हीं बातों से रोमान को लगने लगा था कि अगर वह मामी से अपने मन की बात कहे तो मामी बुरा मानने के बजाय उस की इच्छा पूरी कर देगी. लेकिन मुंह से ऐसी बात कहना आसान नहीं होता. रोमान सोचता कुछ भी रहा हो, लेकिन रजिया मामी से दिल की बात कह नहीं सका. फिर इस के लिए उस ने एक नाटक किया. एक रात को जब वह रजिया के घर पहुंचा तो चल नहीं पा रहा था. लडख़ड़ाते हुए वह रजिया के दरवाजे पर पहुंचा और किसी तरह धीमे से दरवाजा खटखटाया. उस समय तक रजिया की छोटी सी बेटी सो चुकी थी. बूढ़ा ससुर घर के बाहर सोता था, इसलिए उसे पता नहीं चल सकता था.

रजिया ने दरवाजा खोला तो सामने नशे में धुत रोमान खड़ा था. दरवाजा खुलने पर वह घर में दाखिल होने लगा तो लडख़ड़ाया. रजिया ने झट उसे दोनों बांहों भर लिया कि कहीं वह गिर न पड़े. रोमान को ऐसे ही मौके की तलाश थी. उस ने भी अपनी दोनों बांहें फैला कर रजिया के दोनों कंधों पर रख दीं और अपना पूरा शरीर उस के ऊपर डाल दिया. रजिया उसे ले कर बैड के पास पहुंची तो रोमान रजिया को ले कर बैड पर गिरा तो उसे तभी उठने दिया, जब उस की इच्छा पूरी हो गई. सब कुछ होने के बाद दोनों के चेहरों पर मलाल होने के बजाए खुशी और संतुष्टि थी.

इस के बाद तो दोनों का जब मन होता, अपनी इच्छाएं पूरी कर लेते. रोमान रजिया का भांजा था, इसलिए उस का जब मन होता यानी जब उसे मौका मिलता, वह मामी के पास पहुंच जाता और फिर वही होता, जिस के बारे में कोई अन्य सोच भी नहीं सकता था. दोनों की उम्र में ज्यादा फर्क भी नहीं था, इसलिए दोनों एकदूसरे का पूरा साथ देते थे और शारीरिक सुख का पूरा आनंद उठाते थे.

रोमान अच्छाखासा कमाता था.  इसलिए वह पहले जो रुपए दोस्तों पर खर्च करता था, रजिया मामी से प्यार मिलने के बाद उस पर खर्च करने लगा. नौशाद दुबई से रजिया के लिए पैसे भेजता ही था. इसलिए अब उस के मजे ही मजे थे. वह ठाठ से रहती और खूब पैसे खर्च करती. बढिय़ाबढिय़ा कपड़े और गहने पहनती. जब मन होता, खरीदारी के लिए शहर चली जाती. शहर में रोमान मिलता तो सिनेमा दिखाता, होटल में खाना खिलाता और शौपिंग कराता.

बहू के चालचलन पर ससुर को कैसे हुआ शक

लेकिन यह सब ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रहा. जिस तरह रोमान रजिया के घर आनेजाने लगा था और रातदिन उस के घर में पड़ा रहने लगा था, उस से जल्दी ही वे लोगों की नजरों में चढ़ गए. अगलबगल वाले कानाफूसी करने लगे. फिर रजिया के ससुर मबू अहमद खुद ही अनुभवी थे. उन्होंने दुनिया देख रखी थी. घर में जवान बहू अकेली रहती थी. उस का पति परदेस में रहता था. ऐसे में किसी जवान आदमी का घर बेरोकटोक आना खतरे से खाली नहीं था.

वह सीधे बहू से कुछ कह नहीं सकते थे. क्योंकि अपनी आंखों से कुछ देखा तो था नहीं. फिर भी इशारोंइशारों में उस ने बहू को समझाया और रोमान को भी टोका. पर दोनों को जो सुख मिल रहा था, वे उसे छोडऩा नहीं चाहते थे. इसलिए नौशाद के पिता मबू अहमद की बातों का न तो रजिया सुलतान पर कोई असर पड़ा न तो नाती रोमान पर.

मबू अहमद ज्यादा कुछ कह नहीं सकते थे, क्योंकि बात खुलती तो बदनामी उन्हीं की होती. जब रजिया ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने बड़ी बहू जैतून से इशारे में कहा कि वह अपनी देवरानी को समझाए. क्योंकि अब लोग उन से खुलेआम कहने लगे थे कि रोमान उन के घर कुछ ज्यादा ही आताजाता है. कभीकभी वह रात में भी उन के घर रुकता है. बेटा बाहर रहता है, कहीं बहू के पैर न फिसल जाएं. अगर ऐसा हो गया तो ऐसे संबंधों का परिणाम अच्छा नहीं होता.

मबू अहमद ने बड़ी बहू से देवरानी को समझाने को कहा था. ससुर के कहने पर जब जैतून ने देवरानी रजिया को समझाने की कोशिश की तो वह उस से लडऩे लगी. तब जैतून ने देवरानी से अपनी बेइज्जती कराने से अच्छा चुप रहना ही समझा. अंतत: मबू अहमद को ही खुल कर सामने आना पड़ा. उन्होंने रोमान को अपने घर आने से साफ मना कर दिया. रजिया को भी बाहर जाने से रोका, पर उस ने उन की बात नहीं मानी. अब रजिया रोमान से बाहर मिलती या फिर रात को चोरी से घर पर बुलाती. इस का भी पता घर वालों को चल गया. तब मजबूर हो कर मबू अहमद ने दुबई में रह रहे बेटे को इस बारे में बता दिया. यह करीब डेढ़ साल पहले की बात है.

अब्बू ने जो बताया था, नौशाद से हजम नहीं हुआ. उस ने तुरंत रजिया को फोन किया. वह ससुर को झूठा साबित करने के लिए हजार कसमें खाने लगी. पर नौशाद इतना भी बेवकूफ नहीं था कि वह पत्नी की बात पर विश्वास कर लेता और अब्बू की बात को नकार देता. उस ने छुट्टी ली और गांव आ गया. गांव में घर वालों ने ही नहीं, उस के यारदोस्तों और कुछ बुजुर्गों ने भी उसे बताया कि रजिया के कदम बहक गए हैं. उस का भांजा भी नालायक है. उस ने रिश्ते का भी लिहाज नहीं किया. इन बातों से नौशाद को बहुत तकलीफ पहुंची कि जिस पत्नी के लिए वह घरपरिवार छोड़ कर हजारों मील दूर पड़ा है, वही पत्नी उस के साथ विश्वासघात कर रही है.

उस ने रजिया सुलतान को समझाना चाहा तो वह अपनी जिद पर अड़ी रही कि सभी उस पर झूठा आरोप लगा रहे हैं. तब उसे रजिया पर गुस्सा आ गया और उस ने तलाक देने का फैसला कर लिया. पर रजिया इस के लिए तैयार नहीं थी. क्योंकि नौशाद जैसा कमाऊ पति जल्दी कहां मिलता. उस ने नौशाद से माफी मांगी और कसम खाई कि अब वह रोमान से कभी नहीं मिलेगी. पंचायत भी बुलाई गई थी. सभी के सामने रजिया और रोमान ने वचन दिया कि अब वे एकदूसरे से कभी नहीं मिलेंगे.

नौशाद भी रजिया से बहुत प्यार करता था, इसलिए उस ने अपना तलाक देने वाला फैसला रद्द कर दिया. इस के बाद रजिया ने नौशाद से अपना अलग घर बनवाने के लिए कहा तो नौशाद ने गांव के बाहर थोड़ी जमीन खरीदी और उस घर बनवाने की सारी व्यवस्था कर के अपनी नौकरी पर चला गया, क्योंकि उसे केवल 15 दिनों की ही छुट्टी मिली थी.

रजिया का गांव के बाहर अलग घर बन कर तैयार हो गया तो वह उसी में आ कर रहने लगी. उस का घर गांव से थोड़ा बाहर पड़ता था, इसलिए मबू अहमद उसी के घर रात को सोते थे. लेकिन इस का रजिया पर कोई असर नहीं पड़ता था. यहां आ कर उस का रोमान से मिलना और आसान हो गया था. इस घर में वह अकेली ही रहती थी. ससुर भले ही रात को उस के घर सोने आते थे. पर पीछे भी तो दरवाजा था. रोमान पीछे के दरवाजे से आता और जो करना होता, कर के पीछे से ही निकल जाता.

अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने नौशाद की बहन निशात द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर नौशाद की हत्या का मुकदमा रजिया सुलतान, रोमान और हिमांशु के खिलाफ दर्ज कर लिया था. रजिया को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जबकि रोमान और हिमांशु फरार थे. अगले दिन फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने रोमान को भी गिरफ्तार कर लिया था. जबकि कहानी लिखे जाने तक हिमांशु नहीं पकड़ा जा सका था.

पुलिस ने उन हथियारों चापर, कुल्हाड़ी और मूसल को बरामद कर लिया था, जिन से नौशाद की हत्या की गई थी. पुलिस को उस बोलेरो की भी तलाश है, जिस से नौशाद की लाश को ठिकाने लगाने के लिए उतनी दूर ले जाया गया था.

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