Love Stories in Hindi : 26 वर्षीय सरिता अपने प्रेमी विकास पाल के प्यार में इस कदर डूबी थी कि वह अपना अच्छाबुरा भूल गई. फिर बाद में प्रेमी के विश्वासघात से वह अपना आपा खो बैठी. उस के खौफनाक इरादे का फायदा किस ने उठाया. इस के बाद क्या हुआ? पढि़ए, इस सनसनीखेज कहानी में…

अयोध्या के पाराताजपुर गांव में खजुरहट मिल्कीपुर मार्ग स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के पास सडक़ किनारे झाडिय़ों में एक प्लास्टिक बोरी पड़ी हुई थी. सुबह के समय वहां से गुजरने वाले राहगीरों की नजर उस संदिग्ध बोरी पर पड़ी. बोरी जिस तरह से वहां पड़ी थी, उसे देख कर लोगों को शक हुआ. कुछ तो गड़बड़ है. इस रहस्यमय बोरी में कोई चीज होने की आशंका पर पुलिस चौकी हैरिंग्टनगंज पर सूचना दी. यह बात 26 दिसंबर, 2024 की थी.

सूचना मिलने पर चौकी इंचार्ज वीरेंद्र कुमार सिंह अपने कुछ पुलिसकर्मियों के साथ बताए स्थान पर पहुंच गए. दोना, पत्तल रखने वाली प्लास्टिक की बड़ी बोरी थी. बोरी का मुंह लाल रंग की डोरी से बंधा हुआ था. जब एक पुलिस वाले ने बोरी की डोरी खोली तो सभी पीछे हट गए, क्योंकि बोरी में एक युवती की लाश थी. जानकारी मिलते ही थाना इनायतनगर के एसएचओ देवेंद्र पांडेय, सीओ श्रीयश त्रिपाठी व एसपी (ग्रामीण) बलवंत चौधरी पुलिस फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. युवती लगभग 18-19 साल की लग रही थी. युवती सूटसलवार पहने हुई थी. उस के गले पर रस्सी जैसी चीज से कसे जाने के निशान थे.

गले के निशान से अंदाजा लगाया गया कि युवती की गला घोंट कर हत्या कहीं दूसरी जगह करने के बाद लाश को बोरी में बंद कर कोई रात के अंधेरे में यहां फेंक गया था. इस से यह बात भी स्पष्ट हो गई कि बोरी को यहां तक लाने में कम से कम 2 लोग तो अवश्य शामिल रहे होंगे. इस बीच फोरैंसिक टीम भी मौके पर पहुंच गई. टीम ने भी जांचपड़ताल की. टीम को युवती के कपड़ों के साथ उस के  हाथ पर खून लगा दिखा. खून के छींटे मिलने से मामला उलझ गया. क्योंकि युवती के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे. फिर उस के कपड़ों पर खून किस का था?

प्रारंभिक जांच में कोई भी पहचान संबंधी सबूत नहीं मिला था. पुुलिस ने लाश की पहचान कराने का प्रयास किया, लेकिन उस की शिनाख्त नहीं हो सकी. तब मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया. इस के बाद पुलिस युवती की पहचान कराने के साथ सभी पहलुओं की जांच में जुट गई. सर्विलांस टीम सहित सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया. पुलिस ने आसपास के इलाकों  में सूचना प्रसारित करने और लापता युवती की जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.

पुलिस ने अमेठी, सुलतानपुर, बाराबंकी, गोंड़ा, बस्ती, अंबेडकरनगर आदि जिलों के थानों में युवती की फोटो भेज कर शिनाख्त कराने का प्रयास किया कि यदि किसी के परिवार से युवती गायब है या किसी युवती की गुमशुदगी दर्ज हुई हो तो बताया जाए. इस के अलावा एसपी बलवंत चौधरी ने 3 पुलिस टीमें भी गठित कीं. जब इस बारे में पुलिस ने छानबीन शुरू की तो हैङ्क्षग्टननगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से पता चला कि 24 घंटे पहले एक युवक को गंभीर हालत में भरती कराया गया था. उसे जय सिंह चौरसिया नाम के युवक ने यह कह कर भरती कराया था कि एक्सीडेंट में घायल हो गया है. जबकि युवक के शरीर पर कटे के निशान थे.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस जय सिंह चौरसिया के मकान पर जा पहुंची. पूछताछ में पुलिस को तब पता चला कि सरिता प्रजापति नाम की युवती अपने प्रेमी विकास पाल के साथ जय सिंह चौरसिया की ससुराल पाराताजपुर में रुकी थी. जबकि जय सिंह चौरसिया पूरे बरई के मझरा हैंदना कलां का निवासी है. विकास पाल सुलतानपुर गांव पूरे फत्ते का रहने वाला था. जय सिंह और उस की पत्नी नीतू चौरसिया उर्फ रंगोली से विकास पाल के बारे में पूछताछ की गई. पूछताछ में पता चला कि सरिता प्रजापति सुलतानपुर जिले के गांव अगरवा पठखौली की निवासी थी. वह विकास पाल के साथ 24 दिसंबर की शाम को आई थी. खाना खाने के बाद रात को सभी लोग अपनेअपने कमरे में चले गए.

रात को विकास पाल और उस की पे्रमिका सरिता के बीच किसी बात को ले कर झगड़ा होने लगा. समझाने के बाद मामला शांत हुआ और दोनों सो गए. रात लगभग 2 बजे किसी बात को ले कर सरिता ने सोते समय विकास के ऊपर बांके से हमला कर दिया और उस के बाद दरवाजा बंद कर कमरे की छत में लगे कुंडे से फांसी के फंदे पर झूल गई. जय सिंह और उस की पत्नी नीतू ने बताया कि सरिता और विकास के कमरे से उन्हें लड़ाईझगड़े की आवाज नहीं आई थी. सुबह लगभग 4 बजे अचानक से किसी की तेज सांसें चलने और खरखराहट जैसी आवाज हुई, तब वे लोग ऊपर से उतर कर आए और उन के कमरे के पास गए.

कमरा अंदर से बंद होने के कारण तुरंत नहीं खोल सके. कुंडी के बगल में ईंट को तोड़ कर उन्होंने पीछे से कुंडी खोली. कमरे का नजारा देख कर दंग रह गए. अंदर देखा तो विकास खून से लथपथ गंभीर हालत में जमीन पर पड़ा था. उस की सांसें चल रही थीं. जबकि सरिता फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी और मर चुकी थी. हड़बड़ी में घटना की सूचना विकास पाल के पिता रामनिधि को दे दी. गंभीर अवस्था में घायल विकास को दोस्त जय सिंह बाइक पर बैठा कर उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हैरिंग्टनगंज ले गया, जहां उसे भरती कराया. इस बीच विकास के फेमिली वाले भी वहां पहुंच गए. दोस्त को भरती कराने के बाद जय सिंह घर वापस आ गया.

इस के बाद जय सिंह और उस की पत्नी नीतू उर्फ रंगोली ने मृतका सरिता का शव फंदे से उतारा और बोरी में भर कर पाराताजपुर के कस्तूरबा गांधी विद्यालय के पास सडक़ किनारे झाड़ी में 26 दिसंबर की रात में फेंक दिया. सुबह बोरी को देख कर राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस समझ रही थी कि सरिता के प्रेमी विकास पाल ने ही अपनी प्रेमिका की गला दबा कर हत्या करने के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोरी में बंद कर झाडिय़ों में रात के समय फेंक दिया था. इस के बाद वह बचने के लिए फरार हो गया, लेकिन यहां तो मामला ठीक इस के उलट ही निकला था.

पुलिस जय सिंह व उस की पत्नी नीतू उर्फ रंगोली की बात की सच्चाई जानने के लिए विकास पाल के होश में आने का इंतजार कर रही थी. उस की गंभीर हालत को देखते हुए डाक्टरों ने पहले चिरंजीव हौस्पिटल में और उस के बाद लखनऊ में केजीएमयू ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया. ट्रामा सेंटर में एक सिपाही उस की निगरानी में लगा दिया गया. इस बीच 28 दिसंबर को विकास पाल ने बेहोशी की हालत में ही दम तोड़ दिया. प्रेमिका की मौत के 48 घंटे बाद लखनऊ के ट्रामा सेंटर में प्रेमी मौत से जंग हार गया था. विकास की मौत के साथ ही कई सवाल भी रहस्य बन कर रह गए. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को फेमिली वालों को सौंप दिया.

पेरेंट्स शव को ले कर गांव पहुंचे. शव के गांव में आते ही हडक़ंप मच गया. बड़ी संख्या में गांव वाले अंतिम दर्शन के लिए एकत्र हो गए. सभी में विकास की नृशंस हत्या को ले कर आक्रोश था. पुलिस की मौजूदगी में  विकास का अंतिम संस्कार किया गया. उधर सोशल मीडिया व अखबारों में सरिता की फोटो व खबर देख कर उस के फेमिली वाले थाना इनायतनगर पहुंच गए. वहां से पुलिस उन्हें मोर्चरी ले गई, जहां उन्होंने शव की शिनाख्त सरिता प्रजापति के रूप में की.

इनायतनगर थाना क्षेत्र के अगरवा पठखौली निवासी सरिता के फेमिली वालों ने पुलिस को बताया कि 26 वर्षीय सरिता 24 दिसंबर बुधवार की शाम 4 बजे अपने घर से ननिहाल वन खुदवा पूरे हिमांश निवासी मामा शिवप्रताप प्रजापति के घर जाने की बात कह कर घर से निकली थी. उन्होंने बताया कि सरिता अकसर अपनी ननिहाल मामा के घर आयाजाया करती थी. उस दिन भी वह मामा के घर जाने की बात कह कर निकली थी. इसलिए सभी निश्चिंत थे. उस के जाने के तीसरे दिन 26 दिसंबर को उस का शव इसी पाराताजपुर में बोरी में मिला था.

एसएसपी राजकरन नय्यर ने बताया, पहले तो मामला युवती की हत्या का लग रहा था. इस के ख्ुालासे के लिए पुलिस की 3 टीमों का गठन किया गया था. जांच में पुलिस को सरिता के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी मिली. इस पर पुलिस जांच आगे बढ़ी. डाक्टर व मोबाइल लोकेशन ने पुलिस को प्रेमी विकास के दोस्त जय सिंह चौरसिया के घर तक पहुंचा दिया. जय सिंह ने विकास को एक्सीडेंट में घायल होने की बात कह कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती कराया था.

शुरू में युवती की कदकाठी देख कर लग रहा था कि उस की उम्र 18-19 साल होगी, लेकिन बाद में पता चला कि युवती 26 साल की थी. पुलिस जय सिंह व उस की पत्नी नीतू के बयानों की सच्चाई जानने की कोशिश में जुट गई. क्योंकि जय सिंह ने विकास को एक्सीडेंट में घायल होने की बात कह कर उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया था, जबकि उस के ऊपर तेज धारदार हथियार से हमला किया गया था. इस के साथ ही जय सिंह और उस की पत्नी ने पुलिस को सूचना दिए बिना ही सरिता की लाश को बोरी में बंद कर सबूत मिटाने की कोशिश की थी.

सरिता और विकास की मौत के बाद पुलिस अब दंपति पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में थी. क्योंंकि दंपति के खिलाफ पुलिस को अहम सुराग हाथ लगे थे.  पुलिस ने जब सरिता, विकास और जय सिंह के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स की जांच की तो उसे षडयंत्र की बू आने लगी थी. विकास को शुरू में जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हैरिंग्टनगंज में भरती कराया गया था, वहां उस की गंभीर हालत व शरीर से बहते खून को देखते हुए डाक्टरों ने विकास को उपचार के लिए इनायतनगर के ही चिरंजीव हौस्पिटल में भरती कराया. इस चिरंजीव हौस्पिटल में विकास पाल की बहन प्रियंका जीएनएम थी. उस ने अपने घायल भाई की ड्रेसिंग की थी.

उपचार के दौरान विकास को कुछ होश आया था, तब उस ने बहन प्रियंका पाल को बताया कि जय सिंह उसे अपनी ससुराल ले गया था, उस ने सरिता के साथ मिल कर उस की यह दशा की है. प्रिंयका ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी. मृतक विकास पाल की बहन प्रियंका पाल से मिली जानकारी से पुलिस दंग रह गई. पुलिस इस बात की गहराई से जांच कर रही थी कि सरिता ने आत्महत्या की या जय सिंह व उस की पत्नी ने उसे फंदे पर लटका कर उस की हत्या कर दी थी?

सीओ श्रीयश त्रिपाठी ने  30 दिसंबर, 2025 को इस सनसनीखेज कांड का परदाफाश करते हुए प्रैस कौन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया, ‘‘सरिता और विकास पाल के बीच प्रेम प्रसंग था. विकास की शादी हो जाने से वह उस से खफा हो गई थी.

‘‘प्रेमी की बेवफाई पर उस ने प्रेमी की जान लेने के साथ ही अपनी जान दे दी. घटना के समय विकास गंभीर रूप से घायल हो गया था, लेकिन बाद में उस की मौत हो गई.’’

इस घटना के पीछे साजिश रचने व घटना को छिपाने के आरोप में  विकास के दोस्त जय सिंह चौरसिया व उस की पत्नी नीतू उर्फ रंगोली को गिरफ्तार कर लिया गया. इस लोमहर्षक घटना के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला अयोध्या के इनायतनगर निवासी 26 वर्षीय सरिता प्रजापति के फेमिली वाले लुधियाना में रहते थे. अयोध्या के पास ही के रहने वाले विकास पाल व उस के पापा रामनिधि पाल भी लुधियाना में रहते थे. इस के चलते दोनों परिवारों का आपस में परिचय हो गया. करीब 4 साल पहले विकास और सरिता का प्रेम प्रसंग लुधियाना में शुरू हुआ था. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना रहता था. एक दिन दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. विकास को सरिता अच्छी लगी. सुंदर, चंचल व अल्हड़ सरिता को भी गठे बदन का गबरू जवान विकास भा गया. दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे.

विकास की सरिता से देर तक प्यार भरी बातें होतीं. दोनों के बीच चुहलबाजी भी होती रहती. वे एकदूसरे को खूब पसंद करने लगे. एक दिन मौका पा कर अकेले में विकास ने सरिता का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘सरिता, मैं वादा करता हूं कि इस जनम में ही नहीं, हम सात जनमों में भी साथ रहेंगे.’’

एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें भी दोनों ने खाईं और दोनों ने शादी करने का निर्णय भी लिया. घटना से करीब एक साल पहले विकास के पापा को लकवा मार गया तो विकास उन्हें ले कर लुधियाना से अपने गांव आ गया. विकास का बड़ा भाई पंकज सूरत में रहता था, जबकि भाभी और बहन मम्मी के साथ गांव में रहती थीं. इस बीच विकास की मां की मौत हो गई. मां की मौत के बाद घर वालों ने विकास की शादी की बात चलाई और सुलतानपुर में ही उस की शादी तय हो गई.

25 वर्षीय विकास पाल काफी समय से सरिता के साथ प्रेम संबंध में था. इस बीच विकास की शादी तय हो जाने के बाद उस ने प्रेमिका सरिता से बातचीत करनी कम कर दी थी. वह अब प्रेमिका सरिता से पीछा छुड़ाना चाहता था. प्रेमिका सरिता को विकास की शादी तय हो जाने की जानकारी हो गई थी. इस से वह अंदर तक टूट गई. उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, मैं तुम से जीजान से प्यार करती हूं और किसी भी कीमत पर तुम्हें किसी दूसरे का नहीं होने दूंगी, क्योंकि तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे.’’

विकास ने उसे कई बार समझाया भी था, लेकिन इस समझाइश का सरिता पर कोई असर नहीं हुआ. वह पागलों की हद तक उसे चाहती थी. विकास चाहता था कि उस के और सरिता के प्रेम संबंधों की जानकारी उस की ससुराल वालों को न हो. विकास पाल और जय सिंह चौरसिया दोस्त थे. विकास के पास बोलेरो गाड़ी थी. वह बोलेरो को किराए पर चलवाता था. उस ने अपनी गाड़ी पर अपने दोस्त जय सिंह चौरसिया को ड्राइवर रखा था. जय सिंह सरिता और विकास के प्रेम संबंधों के बारे में जानता था. वह दोनों को गाड़ी से अकसर घुमाने भी ले जाता था.

22 दिसंबर को भी सरिता और विकास का झगड़ा हो गया था. तब विकास ने सरिता का मोबाइल नंबर ब्लौक कर दिया था.  24 दिसंबर को सरिता ने विकास के दोस्त जय सिंह चौरसिया से संपर्क किया और विकास द्वारा उस का नंबर ब्लौक करने की बात बताई. उस ने विकास से दोटूक बात कराने को कहा.  जय सिंह और सरिता के बीच तय हुआ कि विकास को मार दिया जाए. जय सिंह ने एक प्लान बनाते हुए अपने दोस्त विकास को सरिता से बात करने के लिए राजी कर लिया.

दोस्त जय सिंह के समझाने पर विकास पाल सरिता से आमनेसामने बैठ कर बातचीत करने को राजी हो गया. इसी के चलते वह जय सिंह के घर पहुंच गया था. विकास अपने दोस्त व अपनी गाड़ी के ड्राइवर जय सिंह चौरसिया व सरिता के मंसूबों से बेखबर था. उधर सरिता अपने घर से 24 दिसंबर की शाम 4 बजे ननिहाल जाने की बात कह कर निकल गई थी. दोनों जय सिंह के घर पहुंच गए. इस के बाद सभी जय सिंह की ससुराल पाराताजपुर पहुंचे. सरिता, जय सिंह व नीतू ने मिल कर विकास पाल को सबक सिखाने का फैसला पहले ही ले लिया था.

तीनों ने विकास की हत्या की योजना बनाई. घटना को अंजाम देने के लिए जय सिंह ने स्थान अपनी ससुराल को चुना. रात के समय प्रेमी युगल में बातचीत के दौरान झगड़ा हुआ था. बदले की भावना से भरी सरिता प्रेमी के गहरी नींद में सोने का इंतजार करने लगी. जब प्रेमी विकास पाल गहरी नींद में सो गया तो वह उस की बेवफाई से अपना आपा खो बैठी और अपने कपड़ों में छिपा कर साथ लाए बांका से सोते समय ही प्रेमी विकास के चेहरे और गरदन पर कई वार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. सोते समय अचानक हुए हमले से विकास अपना बचाव भी नहीं कर सका.

प्रेमी विकास पाल की हत्या करते समय 26 वर्षीय सरिता प्रजापति प्रेमी की बेवफाई के चलते गुस्से से भरी थी, शायद यही कारण था कि सोते समय उस ने प्रेमी के गले और चेहरे पर बांके से इतने घाव बनाए कि एक तरह से चेहरा ही बिगड़ गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रेमिका की क्रूरता बयां कर रही थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट जब पुलिस के सामने आई तो वह भी दंग रह गई. गले और चेहरे पर निर्ममतापूर्वक हुए वार देख कर दांतों तले अंगुली दबा ली. जिस तरह से वार किए गए थे, उस से अंदाजा लगाया जा रहा है कि घटना के समय प्रेमिका अपने प्रेमी के प्रति क्रोध और नफरत से कितनी भरी थी.

गंभीर रूप से घायल विकास पाल को अस्पताल ले जाते समय सरिता जीवित थी. जबकि जय सिंह और उस की पत्नी नीतू ने पुलिस से झूठ बोला था. विकास के शरीर से बहते खून को देखते ही सरिता ने उसे मरा समझ कर बिना कुछ सोचेसमझे कमरे में पंखा लटकाने के कुंडे में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली. जब जय सिंह वापस लौटा, तब उसे सरिता के आत्महत्या करने की बात पता चली. तब तक सुबह हो चुकी थी.

सरिता के आत्महत्या कर लिए जाने से दंपति बहुत घबरा गए थे. अब उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था. क्योंकि विकास को लहूलुहान करने वाली सरिता आत्महत्या कर चुकी थी. पूरे दिन यानी 25 दिसंबर को जय सिंह और उस की पत्नी नीतू घर के अंदर और बाहर पहरा लगाते रहे कि किसी को सरिता की मौत की खबर न लग जाए. दोनों रात होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आधी रात के बाद जय सिंह और उस की पत्नी नीतू उर्फ रंगोली ने मिल कर अपराध छिपाने के लिए सरिता के शव को एक बोरी में भरा और बाइक से उसे ले जा कर झाड़ी में रात के अंधेरे में फेंक आए.

दोनों ने विकास पाल की हत्या में प्रयुक्त बांका, खून से सने कपड़े आदि छिपा दिए थे. 30 दिसंबर को दोनों आरोपियों जय सिंह व पत्नी नीतू को एसएचओ देवेंद्र पांडेय की टीम ने भाऊपुर मोड़ के पास से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने खून से सना बांका, खून से सने कपड़े व विकास का अन्य सामान दंपति की निशानदेही पर बरामद कर लिया. ड्राइवर जय सिंह विकास की बोलेरो गाड़ी हड़पना चाहता था. इस के लिए उस ने सरिता को हथियार बनाया और एक तीर से 2 निशाने साधे थेे. पुलिस ने जय सिंह चौरसिया और उस की पत्नी नीतू चौरसिया उर्फ रंगोली को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

 

प्यार भी कभीकभी खूंखार हो जाता है. हत्या का जिम्मेदार क्रोध है. यह मामला  विश्वासघात, लालच और एक ऐसी खतरनाक साजिश का था, जिस में बेरहमी के साथ विश्वास और भरोसे का कत्ल कर दिया गया और कत्ल की इस वारदात को अंजाम देने की योजना रचने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद उस का दोस्त शामिल था. Love Stories in Hindi

 

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