Crime News :  डा. उमाकांत गुप्ता अंजलि उर्फ मंगला पाटीदार के झूठे प्रेमजाल में इस कदर फंसे कि उन का अपहरण हो गया और पहुंच गए चंबल के बीहड़ों में. यह घटना उन लोगों के लिए सबक है, जो अनजान युवती के प्यार में फंस कर गंभीर मुसीबत को जन्म देते हैं. आ गरा के ट्रांसयमुना कालोनी के रहने वाले सीनियर डाक्टर उमाकांत गुप्ता अपने रोजाना की रुटीन के मुताबिक 13 जुलाई, 2021 की शाम साढ़े 7 बजे अपने विद्या नर्सिंग होम जाने के लिए घर से अपनी नीले रंग की बलेनो कार से निकले थे. उन का नर्सिंग होम घर से महज 700 मीटर की दूरी पर रौयल कट चौराहे के पास है और रामबाग क्षेत्र में उन का दूसरा बांकेबिहारी हौस्पिटल भी है.

वह हौस्पिटल और नर्सिंग होम में विजिट कर हमेशा रात 10 बजे तक वापस घर लौट आते थे. लेकिन उस दिन वे रात 11 बजे तक घर नहीं लौटे थे. इस कारण घर वालों को  चिंता हुई. उन की पत्नी डा. विद्या गुप्ता ने उन्हें कई बार फोन मिलाया. हर बार फोन स्विच्ड औफ मिला. डा. विद्या ने नर्सिंग होम फोन कर स्टाफ से डाक्टर साहब के बारे में पूछा. वहां से पता चला कि आज तो डाक्टर साहब विजिट करने नर्सिंग होम आए ही नहीं. यह सुन कर डा. विद्या गुप्ता का माथा ठनका, वह सोच में पड़ गईं, ‘‘आए नहीं तब कहां गए?’’

उन्होंने तुरंत बांकेबिहारी हौस्पिटल में फोन मिलाया. वहां से भी वही सुनने को मिला कि डाक्टर साहब आज आए ही नहीं. डा. विद्या की अपने पति के सकुशल होने की चिंता अनहोनी की आशंका में बदलती जा रही थी. देरी किए बगैर उन्होंने इस की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना पर थाना एत्माद्दौला के थानाप्रभारी देवेंद्र शंकर पांडेय पुलिस टीम के साथ  डाक्टर के आवास पर पहुंच गए. पूरे घटनाक्रम की जानकारी ले कर परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया. इसी के साथ डा. गुप्ता के मोबाइल की अंतिम लोकेशन का पता लगाया, जो सैयां के गांव रोहता की मिली.

इसे देख कर पुलिस भी किसी अप्रिय घटना से आशंकित हो गई. उस ने घरवालों से पूछा कि डाक्टर साहब वहां क्यों गए होंगे. तब उन्होंने बताया कि इस की उन्हें जानकारी नहीं, क्योंकि वहां उन का कोई परिचित या कोई रिश्तेदार भी नहीं रहता. डा. विद्या ने बताया कि उन के पति ने कभी भी उस गांव को ले कर चर्चा तक नहीं की थी. फिर भी सवाल था कि डाक्टर साहब वहां क्यों गए, किसी भी तरह से जवाब नहीं मिलने की स्थिति में पुलिस को उन के अपहरण का शक हुआ. यानी डा. गुप्ता का अपहरण! यह संदेह उन के परिवार वालों के होश उड़ाने वाला था. दबी आवाज में इस की कानोकान खबर भी पूरे शहर में फैल गई.

डा. उमाकांत गुप्ता के मोबाइल पर 13 जुलाई की शाम साढ़े 7 बजे एक अनजान नंबर से काल आई थी. उस के बाद ही वह घर से कार ले कर निकल पड़े थे. पुलिस ने उन के दूसरे काल की भी डिटेल्स जांची. सभी काल के साथ राहुल नाम दर्शा रहा था. पुलिस ने राहुल के बारे में पूछा तो डाक्टर के घर वालों ने अनभिज्ञता प्रकट की. डाक्टर को ढूंढने में जुटीं 5 टीमें पुलिस सोच में पड़ गई कि आखिर राहुल कौन है, उस ने डाक्टर को क्यों बुलाया होगा? क्या वह डाक्टर की कार में ही उन के साथ खंदारी से रोहता तक गया होगा? इन सवालों के जवाब के लिए पुलिस सक्रिय हो गई.

घटना की जानकारी आला अधिकारियों को भी दे दी गई. डाक्टर की तलाश तेजी से की जाने लगी. वारदात को ले कर उन के परिजन, नर्सिंग होम या फिर अस्पताल के लोगों से कोई सहयोग नहीं मिल पाया. उन्होंने डाक्टर साहब के किसी से विवाद या धमकी को लेकर अनभिज्ञता जाहिर कर दी. पुलिस को अपने स्तर से छानबीन करते हुए डाक्टर गुप्ता को सकुशल वापस लाना बड़ी चुनौती थी. सैयां टोल प्लाजा के सारे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज चेक किए, लेकिन उस से किसी भी तरह का सुराग नहीं मिला. पुलिस को आशंका थी कि डा. गुप्ता का अपहरण करने से पहले गैंग ने पूरी तैयारी की होगी. वे डाक्टर को सैयां रोड पर रोहता की तरफ अकेले गाड़ी चला कर नहीं जा सकते हैं.

इसलिए अनुमान लगाया गया कि उन्हें बहाने से फोन कर बुलाया होगा. उस के बाद बदमाशों ने अपहरण कर लिया हो. डाक्टर गुप्ता के अपहरण की सूचना पर एडीजी (जोन) राजीव कृष्ण, आईजी नवीन अरोड़ा, एसएसपी मुनिराज और एसपी (सिटी) बोत्रे रोहन प्रमोद भी सक्रिय हो गए. उन्होंने परिजनों को आश्वासन देने के साथसाथ हिदायत भी दी कि फिरौती के संबंध में किसी भी तरह के फोन आने पर वे पुलिस को अवश्य सूचित करें. डा. विद्या को इस बात का विशेष ध्यान रखने को कहा गया. उन्होंने बताया कि डा. गुप्ता दिल के मरीज भी हैं, उन का 3 महीने पहले औपरेशन हुआ था.

आगरा में अपहरण की यह पहली घटना नहीं हुई थी. इस से पहले भी अपहरण की कई वारदातों में डाक्टर से ले कर व्यापारी तक को निशाना बनाया जा चुका है. अपहर्त्ताओं के गैंग फिरौती में मोटी मोटी रकम वसूलते रहे हैं. बताते हैं कि इन की सक्रियता धौलपुर (राजस्थान) में है, वह आगरा से अपहृत को ले जाते हैं और उन्हें चंबल के बीहड़ में छिपा कर रखते हैं. फिरौती वसूलने के काम गैंग के अलगअलग सदस्य करते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए पुलिस ने पहले के अपहरण की वारदातों में लिप्त गैंग के ऐसे सरगना और सदस्यों की सूची तैयार की, जो जमानत पर रिहा थे. एसएसपी मुनिराज के निर्देश पर जांच की 5 टीमें गठित की गईं.  टीमों का नेतृत्व एसपी (सिटी) प्रमोद बोत्रे को सौंपी गई.

जांच की शुरुआत मोबाइल नंबरों से हुई. जांच और सर्विलांस के तहत वारदात के दिन की तमाम संदिग्ध सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला गया. इन से मिली जानकारियों के आधार पर पूछताछ की तैयारी की गई. यह सब काम घटना की रात को ही कर लिया गया. धौलपुर पुलिस के चंगुल में आया पवन पुलिस ने रात में ही ट्रांसयमुना कालोनी से ले कर रामबाग, भगवान टाकीज और खंदारी तक के सीसीटीवी कैमरे चेक किए. उन में डाक्टर की कार कहीं नजर नहीं आई. जबकि उस के बाद कार एमजी रोड पर हरी पर्वत, धाकरान और प्रतापपुरा चौराहे से आगे जाती हुई दिखाई दी.

अगले रोज 14 जुलाई, 2021 की सुबह 10 बजे धौलपुर के एसपी केसर सिंह शेखावत ने एसएसपी मुनिराज को घटना के बारे में बताया. उन के आदेश पर आगरा पुलिस की एक टीम एसपी (सिटी) के नेतृत्व में राजस्थान बौर्डर पर पहुंची. उस ने धौलपुर पुलिस से संपर्क किया. वहीं डाक्टर गुप्ता के कार की बरामदगी का पता चला, जो रात साढ़े 12 बजे धौलपुर में जब्त की गई थी. उस के ड्राइवर द्वारा ओवरटेक किए जाने के कारण स्थानीय सिपाहियों ने पकड़ा था. पकड़े गए ड्राइवर पवन ने बताया कि वह आगरा में निबोहरा का निवासी है और डा. गुप्ता की कार का ड्राइवर है. डाक्टर साहब धौलपुर आए हुए हैं. वह उन की कार ले कर अपने काम से जा रहा था.

सिपाहियों को पवन ने पूछे गए सवालों का सटीक जवाब नहीं दिया. क्योंकि कार छोड़ने के लिए उस ने पुलिस को 500 से ले कर 5 हजार तक रिश्वत देने की पेशकश की थी. इस कारण उस के किसी गंभीर मामले में शामिल होने का संदेह हो गया और उसे थाने लाया गया. कड़ाई से की गई पूछताछ के बाद उस ने आगरा के डाक्टर के अपहरण की बात कुबूल कर ली. 2 अपहर्त्ता और चढ़े पुलिस के हत्थे एक अन्य घटना के तहत रात के लगभग एक बजे चैकिंग कर रही पुलिस ने बाइक पर जा रहे एक युवक और युवती को रोकने का प्रयास किया. युवक युवती को उतार कर तेजी से बाइक को भगा ले गया. भागते समय युवक की जेब से उस का मोबाइल गिर गया.

पुलिस ने तुरंत युवती और गिरे मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया. पूछताछ में युवती ने अपना नाम मंगला पाटीदार बताया. उसी से पता चला कि वह भी डाक्टर के अपहरण में शामिल है. इन 2 घटनाओं में 2 अपहर्त्ताओं के पकड़े जाने की सूचना मिलने से आगरा पुलिस ने थोड़ी राहत की सांस ली. मात्र 15 घंटे में ही डाक्टर की कार बरामद होने के साथसाथ 2 अपहर्त्ता पकड़े गए थे. अब पुलिस को उन के चंगुल से डाक्टर को सकुशल वापस लाने की चुनौती थी. डा. गुप्ता के आगरा से अपहरण का समाचार जब समाचार पत्रों के अलावा न्यूज चैनलों पर भी आया तो पूरे शहर में सनसनी फैल गई. इस प्रकरण पर इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डीएम और एसएसपी से बात कर जल्द से जल्द उन की बरामदगी और दोषियों पर काररवाई की मांग की.

पदाधिकारियों ने वर्चुअल मीटिंग कर  पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाते हुए 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया. डाक्टर की बरामदगी नहीं होने पर आगरा के तमाम डाक्टरों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दे डाली. दूसरी तरफ परिवार के लोग काफी दहशत में आ गए थे. जैसेजैसे समय बीत रहा था, उन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक में ट्विटर के जरिए डा. उमाकांत की रिहाई की गुहार लगाई. अपहर्त्ताओं से पूछताछ में पता चला कि अपहरण करने वाले 6 बदमाश 2 बाइक से आए थे. उन्होंने डाक्टर का पीछा करने के बाद उन का कार सहित अपहरण कर लिया था.

डाक्टर के मोबाइल की लोकेशन के अनुसार डाक्टर की कार को पहले खंदारी, फिर रोहता ले गए थे. बदमाश टोल पर गए बगैर रास्ते से धौलपुर निकल गए थे. सैयां टोल से जाने पर उन्हें पकड़े जाने का डर था. पुलिस ने की 20 गांवों में कांबिंग डा. गुप्ता की सकुशल बरामदगी के लिए चंबल के बीहड़ में आगरा और राजस्थान की पुलिस ने संयुक्त रूप से छानबीन शुरू कर दी. दूसरी तरफ एसपी (धौलपुर) शेखावत और आगरा एसपी (सिटी) प्रमोद पकड़े गए अपहर्त्ताओं से पूछताछ में लग गए थे. उन से पुलिस को कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलीं. उन्होंने डा. गुप्ता को बीहड़ में छिपाने की जगह बता दी.

इस सूचना पर 14 जुलाई, 2021 को राजस्थान, उत्तर प्रदेश व सीमावर्ती मध्य प्रदेश के लगभग 20 गांवों में पुलिस ने कांबिंग की. इस दौरान चंबल नदी में एक से डेढ़ फीट पानी को भी कई बार पार करना पड़ा. डा. गुप्ता का कोई सुराग नहीं मिल पाया. रात में जांच टीम की तलाश जारी रही. जान जोखिम में डाल कर टीम के 22 पुलिसकर्मी बीहड़ में खाक छानने लगे. उस वक्त भी उन्हें निराशा हाथ आई और वे रात 11 बजे वापस आ गए. टीम को डर था कि कहीं बदमाश डाक्टर को मध्य प्रदेश न ले गए हों. जांच टीम 2 घंटे बाद रात के एक बजे दोबारा बीहड़ में घुसी. उस वक्त उन्हें डाक्टर के बमरौली के पास होने की सूचना थी. करीब 6 किलोमीटर दूर गाडि़यों को छोड़ पुलिस टीम पैदल ही आगे बड़ रही थी. तभी उन्हें टौर्च की रोशनी दिखी.

कुछ पुलिसकर्मी जब कोहनी के बल पर रेंगते हुए रोशनी के पास पहुंचे, तब वहां उन्होंने डा. गुप्ता को बंधा पाया. उन के हाथपांव बंधे थे और मुंह पर कस कर कपड़ा बांध हुआ था. उस वक्त रात के 2 बज रहे थे. डा. गुप्ता के पास उस समय कोई नहीं था. वह एक छोटी सी दरी पर अधमरे से पड़े थे. चंबल घाटी से सकुशल बरामद हुए डाक्टर उमाकांत पुलिस को देख डाक्टर ने समझा कि उन्हें किसी दूसरे गैंग को सौंपा जा रहा है. लेकिन जब एत्माद्दौला के इंसपेक्टर देवेंद्र शंकर पांडेय ने अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखाया तब उन्हें भरोसा हुआ. फिर जांच टीम उन्हें अपने साथ आगरा ले आई. इस तरह से 31 घंटे बाद आगरा पुलिस को दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद से सफलता मिल गई.

आगरा और धौलपुर पुलिस की सक्रियता से डा. उमाकांत गुप्ता के 5 करोड़ रुपए बच गए. उन के सकुशल बरामद होने की जानकारी रात को जैसे ही डा. विद्या को मिली वह भागीभागी थाने आईं. उन के साथ परिवार के दूसरे लोग भी थे. सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे. परिजनों ने पुलिस के प्रति आभार जताया. 15 जुलाई को पुलिस ने अपहृत डाक्टर की बरामदगी की सूचना मीडिया को दे दी. बदमाशों के कब्जे से मुक्त हुए डाक्टर के अपहरण की कहानी काफी रोमांचक है. पूरे मामले की जानकारी डाक्टर ने पुलिस को विस्तार से दी. उन्होंने बताया कि यदि पुलिस उन्हें नहीं मुक्त कराती तो उन की जान बचना मुश्किल थी.

बदमाशों के रवैए को देखते हुए उन्होंने छूटने की आस ही छोड़ दी थी. उन्होंने पुलिस को धन्यवाद दिया. इस संबंध में अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

डा. उमाकांत गुप्ता सर्जन हैं. उन के परिवार में उन की पत्नी डा. विद्या गुप्ता स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. 2 बेटे भी चिकित्सक हैं. इन में अभिषेक सर्जन और अभिलाष अस्थिरोग विशेषज्ञ हैं. करीब महीना भर पहले एक युवती ने डाक्टर गुप्ता से फोन पर संपर्क  कर अपने भाई के पेट में लगातार दर्द रहने की बीमारी के बारे में बात की थी. उस के 2 हफ्ते बाद अपने भाई को ले कर नर्सिंग होम आई. करीब 30 वर्षीया युवती ने अपना नाम  अंजलि बताया. उस ने बताया कि वह मथुरा की रहने वाली है और युवक उस का भाई है. उसे पथरी है. उस का नर्सिंग होम में उपचार शुरू हुआ और उस का औपरेशन कर दिया गया.

डा. गुप्ता ने बताया कि उस के नर्सिंग होम में भरती होने के दरम्यान उस से मिलने कई लोग आते रहते थे. उन्हीं दिनों मरीज की तीमारदारी में लगी अंजलि ने डा. गुप्ता को बताया कि वह विधवा है. उसे वह कहीं नौकरी पर लगवा देंगे तो मेहरबानी होगी. डा. गुप्ता ने उसे नौकरी दिलाने का दिलासा देते हुए कहा कि उन के अस्पताल में जगह खाली होने पर नौकरी पर रख लेंगे. युवक इलाज करवा कर चला गया. फिर भी अंजलि अकसर फोन से डाक्टर के संपर्क में बनी रही. वह डा. गुप्ता को अकसर मिस काल किया करती थी. वह डा. गुप्ता को जताती थी कि वह बहुत परेशान है. उन से बात कर के उसे अच्छा लगता है. मिस काल देख कर डाक्टर अपनी ओर से काल कर उस से बातें करने लगे थे.

लगातार बातचीत करने के कारण डा. गुप्ता उस पर भरोसा भी करने लगे थे. बातों में फंसा कर अंजलि ले गई थी डाक्टर को घटना वाले दिन 13 जुलाई को अंजलि ने डा. गुप्ता को काल कर भगवान टाकीज चौराहे पर मिलने के लिए बुलाया. डाक्टर गुप्ता अपनी कार ले कर नर्सिंग होम जाने के बजाय भगवान टाकीज जाने की राह पर आ गए. पहले उन्होंने अपनी गाड़ी खंदारी की ओर मोड़ी. रास्ते में ट्रैफिक पुलिस ने उन की कार रोकी, कारण डा. गुप्ता हड़बड़ी में सीट बेल्ट लगाना भूल गए थे. उन का चालान हो गया. फिर जब वे डा. उमाकांत भगवान टाकीज चौराहे पर पहुंचे तो वहां अंजलि को बेसब्री से  अपना इंतजार करते देखा.

वह कार के रुकते ही मुसकराए. अंजलि कार में आ कर बैठ गई. दोनों के बीच बातचीत होने लगी. बातोंबातों में ही उन की कार एमजी रोड पर आ गई. अंजलि ने बताया कि अब वह रोहता के पास अपनी सहेली के घर में रहती है. अंधेरा हो गया है. अब अकेले कैसे जाएगी. उस ने डाक्टर साहब से उसे छोड़ने के लिए कहा. भगवान टाकीज से रोहता की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है. डाक्टर उसे छोड़ने को राजी हो गए. रास्ते में उन्हें शक हुआ कि उन की कार का पीछा किया जा रहा है. उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा 2 बाइक सवार कार के पीछे चल रहे थे. तभी अंजलि ने कहा कि डाक्टर साहब, आप अब बड़ी मुसीबत में फंस गए हो. मैं जैसा कहूं वही करते रहना. कार को कहीं रोकना नहीं. मेरे साथी पीछे बाइक से चल रहे हैं.

किसी तरह की होशियारी करने पर आप को जान गंवानी पड़ सकती है. कार में एसी चल रहा था, लेकिन युवती की बात सुन कर उन्हें पसीना आ गया. रोहता नहर के पास सुनसान इलाका आने पर बदमाशों ने कार के आगे बाइक लगा दी. कार रुकते ही डाक्टर को धमकाते हुए बोले, ‘‘महिला के साथ यहां कैसे घूम रहे हो? वीडियो है हमारे पास. वायरल कर देंगे.’’

कार रुकते ही युवती अंजलि कार से उतर गई. 4 युवक दनदनाते हुए कार में घुस आए. उन्होंने डाक्टर को 2 थप्पड़ मारे और उन को कार की पिछली सीट पर बैठा दिया. 2 बदमाश आगे बैठ गए, जबकि 2 बदमाशों ने डाक्टर को पीछे की सीट पर बीच में बैठा लिया. उन का मोबाइल बदमाशों ने गाड़ी में ही छीन कर बंद कर दिया. उस समय रात के साढ़े 8 बज रहे थे. अंजलि के साथी डाक्टर को ले गए थे चंबल के बीहड़ में उस के साथ ही बदमाशों ने उन की आंखों पर पट्टी बांध दी. डाक्टर इस घटना से बेहद घबरा गए. वे समझ गए कि उन का अपहरण हो गया है. इस बीच अंजलि 2 साथियों के साथ बाइक पर बैठ कर चली गई. रास्ते में एक बदमाश उतर कर चला गया.

बदमाश सैयां से गांव के रास्ते होते हुए 2 घंटे तक गाड़ी चलाते रहे. वे सैयां टोल क्रौस को छोड़ कर इरादत नगर से होते हुए धौलपुर इलाके में चले ले गए. डाक्टर को कार से उतार लिया. बदमाशों के पास हथियार भी थे. डर के कारण डाक्टर जैसा बदमाश कहते रहे, वैसा वे करते रहे. रात में उन्हें बाइक से एक जगह ले जा कर उन्हें खाना खिलाया. फिर 3-4 किलोमीटर पैदल चलने के बाद बीहड़ में ले आए. डाक्टर को धौलपुर के दिहोली क्षेत्र में चंबल नदी के पास रात भर एक खेत में हाथपैर बांध कर रखा. डाक्टर को कार से उतारने के बाद बदमाश ने अपने साथी पवन को कार ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी सौंप दी, लेकिन वह पुलिस चैकिंग में पकड़ा गया.

डाक्टर को दिन में बीहड़ में ले जा कर ऊंचे चबूतरे पर हाथ बांध कर बैठा दिया. बदमाशों ने डाक्टर से 5 करोड़ रुपए की फिरौती देने को कहा, वरना उस की मौत निश्चित है. 60 वर्षीय डाक्टर ने बदमाशों से कहा कि वह बीमार हैं, उन का हार्ट का औपरेशन हो चुका है. इतनी रकम उन के पास नहीं है. फिर भी बदमाश धमकाते रहे. डाक्टर ने कहा कि वह बिना दवा खाए बीमार हो जाएंगे. बाजार से दवा लाने के लिए दवाओं के नाम भी बताए. लेकिन बदमाशों ने दवा ला कर नहीं दी. मांगने पर खाना और पानी दिया. बदमाशों के पास मोबाइल नहीं थे. वहां की स्थिति देख कर डाक्टर को नहीं लग रहा था कि उन्हें बदमाशों से छुटकारा मिल पाएगा. बदमाश उन्हें लगातार धमका रहे थे.

डाक्टर के बहुत कहने पर एक बदमाश दवाई लाने चला गया, जबकि 2 खाने के इंतजाम में पास के गांव में चले गए. संयोग से एक डाक्टर को छोड़ कर शौच के लिए गया ही था कि तब तक पुलिस अकेले निढाल पड़े डाक्टर को अपने कब्जे में ले कर निकलने में सफल रही. डाक्टर को अपने प्रेमजाल में फंसाने वाली युवती अंजलि का असली नाम मंगला पाटीदार है. वह महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की रहने वाली है. उस की 16 साल पहले शादी हुई थी. पति और 14 साल के बेटे के साथ भोपाल में रहती थी. वहीं धागा फैक्ट्री में काम करती थी. एक साल पहले हादसे में पति की मौत हो गई. इस के बाद वह महाराष्ट्र चली गई.

बदन सिंह गैंग ने कराया था अपहरण भोपाल में जिस फैक्ट्री में वह काम करती थी, उसी में मथुरा की एक महिला भी काम करती थी. उस ने काम दिलाने के लिए 4 महीने पहले मथुरा बुलाया था. बेटे को वह मां के पास छोड़ आई थी. मथुरा आने पर सहेली ने बदन सिंह तोमर से उस का परिचय कराया. बदन सिंह काम दिलाने के नाम पर आगरा लिवा लाया. लगभग एक महीना पहले उस ने आगरा के सदर में नैनाना जाट में किराए पर घर लिया. तब से वह बदन सिंह के साथ यहीं रह रही थी. बदन सिंह ने उसे लालच दिया कि वह काम क्या करेगी, एक बार में ही उसे इतने रुपए दिलवा देगा कि जिंदगी आराम से कट जाएगी. वह उस के लालच में फंस गई और डाक्टर के अपहरण की सूत्रधार बन गई.

वह गैंग के सरगना बदन सिंह तोमर के लिए काम कर रही थी. उसे इस काम के लिए 25 हजार रुपए देने की बात कही गई थी. अपहरण के बाद युवती को गैंग ने ठिकाने लगाने की साजिश रच रखी थी. संयोग से पुलिस ने उसे पकड़ लिया. इस से अंजान युवती बदमाश के साथ बाइक पर सवार हो चल दी थी. यह बात तब सामने आई, जब धौलपुर पुलिस के सिपाही दयालचंद ने युवती को पकड़ा. युवती का बाइक सवार साथी भाग गया, लेकिन उस का मोबाइल गिर गया. मोबाइल पर कुछ देर बाद फोन आया. सिपाही ने आवाज बदल कर बात की. काल करने वाला बोला, ‘‘कहां रह गया, जल्दी आ जा. लड़की को बीहड़ में ले कर आना. उसे ठिकाने भी लगाना है. रात में ही ये काम करना है.’’

हनीट्रैप में डा. उमाकांत गुप्ता को फंसा कर उन का अपहरण करने वाले गैंग का सरगना बदन सिंह तोमर पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था. उस की गिरफ्तारी के लिए पुलिस चंबल के किनारे स्थित गांवों में दबिश दे रही थी. इसी दौरान पुलिस की मेहनत रंग लाई और 21 जुलाई की रात को एक लाख के ईनामी बदमाश बदन सिंह तोमर और उस के साथी अक्षय उर्फ चंकी पांडे को पुलिस ने गांव कछूपुरा में मुठभेड़ में मार गिराया. पकड़े गए साथी पवन के अनुसार बदन सिंह तोमर उस का दोस्त था. बदन सिंह तोमर ने डा. गुप्ता का अपहरण पूरी तैयारी के साथ कराया था. वहीं डकैत केशव गुर्जर अपहरण करने के लिए कुख्यात है. कहने को धौलपुर पुलिस उसे 2 बार गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. लेकिन पिछले 4 साल से वह धौलपुर व आगरा की पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है.

2017 में डा. निखिल का अपहरण बदन सिंह तोमर ने ही किया था. यह पकड़ केशव गुर्जर को सौंप दी थी. उस ने ही फिरौती वसूली थी. डा. निखिल के अपहरण के मामले में बदन सिंह जेल गया था. पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Crime News

 

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