Extramarital Affair : शादीशुदा केहर सिंह ने किरण को अवैध संबंधों के जाल में फांस तो लिया, लेकिन यही संबंध एक दिन उस के गले की फांस बन गए. इस से निकलने के लिए वह एक ऐसा अपराध कर बैठा कि…

अपने प्रेमी केहर सिंह के बुलावे पर किरण दौड़ीदौड़ी उस के कमरे पर चली आई. आती भी क्यों नहीं, वह उस से सच्चा प्रेम जो करती थी. उस के आते ही केहर ने उसे बांहों में भींच लिया. लगातार 2-3 चुंबन ले लिए. जल्द ही किरण उस से अलग हो कर बोली, ”अब और देरी मत करो, पेरेंट्स ने मेरा रिश्ता तय कर दिया है.’’

”उसी बारे में जरूरी बात करने के लिए तो तुम्हें यहां बुलाया है.’’ केहर सिंह बोला.

”यह जगह अच्छी है…शांत भी…यहां पढ़ाई अच्छी होती होगी.’’ किरण बोली.

”मुरादाबाद शहर के मिलन विहार के अच्छे इलाके में इस की गिनती होती है.’’

”अच्छा!’’आश्चर्य से किरण बोली.

”मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूं, फिर इत्मीनान से बातें करेंगे.’’ केहर बोला.

”हां! मैं तो कब से तुम से मिलने को बेचैन हो रही थी. तुम्हें एक खुशखबरी भी सुनानी थी.’’ किरण ने कहा.

”खुशखबरी! कैसी खुशखबरी?’’ केहर चौंकता हुआ बोला.

”अरे, भूल गए! मैं ने तुम्हें फोन पर बताया तो था कि मेरी माहवारी 2 महीने से नहीं हुई है. लगता है प्रेग्नेंट हो गई हूं.’’

किरण का यह कहना था कि केहर चौंकता हुआ बोला, ”क्या कहा, फिर से तो कहना!…ऐसा नहीं हो सकता. लगता है तुम ने ठीक से गोलियां नहीं खाईं.’’

केहर की इस बात का किरण ने कोई जवाब नहीं दिया. सिर्फ उस से लिपट गई. सुबकने लगी. केहर ने उसे अलग किया.

”पहले जांच तो करवाओ, मैं अपने दोस्त को बोल देता हूं. वह तुम्हारी चुपचाप जांच करवा देगा, किसी को इस बारे में पता भी नहीं चलेगा. ..और इसे खत्म करने का उपाय भी कर देगा.’’

”यह क्या कह रहे हो तुम?’’ किरण आंखों के आंसू पोंछती हुई आश्चर्य से बोली.

”मैं तुम्हारे भले के लिए कह रहा हूं. तुम्हारी शादी अक्तूबर में होने वाली है. यह कदम उठाना जरूरी है.’’ केहर ने समझाया.

”लेकिन, मैं ने तुम से प्यार किया है, तुम ने हमारी पढ़ाई में कितनी मदद की है. तुम भी तो मुझे बहुत प्यार करते हो. मुझे तो तुम से ही शादी करनी है तो फिर अबौर्शन क्यों करवाना?’’ किरण बिफरती हुई बोली.

”बात समझा करो. अभी यह जरूरी है.’’ केहर बोला.

”कोई जरूरी नहीं है, मैं कोई जांच नहीं करवाने वाली…और अबार्शन तो कतई नहीं करवाऊंगी.’’ किरण जिद्दी अंदाज में बोलती हुई तन गई.

”अच्छा छोड़ो, इस बात को. इस पर बाद में बात करेंगे. अभी कुछ खातेपीते हैं.’’ बोलते हुए केहर ने माहौल को थोड़ा हलका किया. किरण के बोझिल मन को थोड़ी राहत मिली. उस ने पूछा, ”वाशरूम किधर है?’’

केहर हाथ से इशारा कर बोला, ”उधर ही. बाहर में हवाई चप्पल रखी हैं. बत्ती का स्विच दरवाजे के बाईं ओर है. अंदर ही नया तौलिया रखा है.’’

”ठीक है,’’ बोलती हुई किरण अपना छोटा बैग ले कर वाशरूम चली गई. जब वह थोड़ी देर में कमरे में आई, तब उस ने पाया कि छोटे से स्टूल पर केहर ने कई प्लेटों में खाने की चीजें सजा रखी थीं. नमकीन, मिठाई से ले कर कोल्डड्रिंक तक थी.

उस ओर निहारती हुई बोली, ”इतना सारा लाने की क्या जरूरत थी…वह भी बाजार से, मैं कोई गेस्ट हूं! मैं यहीं कुछ बना देती!’’

”कोई बात नहीं, रात का खाना पकाना… कहो तो तुम्हारी पसंद पनीर या चिकन वगैरह ले आऊंगा.’’ केहर बोला.

”अरे, नहींनहीं! मैं रात को नहीं रुक सकती. घर में लौट आने को बोल कर आई हूं. नहीं जाऊंगी तो सभी चिंता करेंगे.’’

”ऐसे कैसे होगा? तुम्हें रात को ठहरना होगा. तुम से बहुत बातें करनी हैं.’’ केहर बोला और कोल्डड्रिंक का गिलास उस के होंठों से लगा दिया.

फिर दोनों बातें करने में मशगूल हो गए. वे रुकरुक कर नमकीन, समोसे और मिठाइयां भी खाते रहे. केहर जबरन किरण को कोल्डड्रिंक्स पिलाता रहा. कुछ समय बाद किरण को लगातार हिचकी आने लगी. इस पर मजाक में केहर बोला, ”लगता है, तुम्हें घर वाले याद कर रहे हैं.’’

”मेरी हिचकी बंद नहीं हो रही है…और तुम्हें मजाक सूझ रहा है. पेट भी भारी लग रहा है, लगता है काफी गैस बन गई है.’’ किरण बोली.

”गैस की दवा दूं क्या?’’

”नहींनहीं.’’

”थोड़ी देर बैड पर आराम कर लो. अपने आप ठीक हो जाएगा.’’

”कोल्डड्रिंक्स पीने से हिचकी आने लगी है. सिर भी भारी लग रहा है. मितली आ रही है.’’

किरण अपनी शारीरिक परेशानी के लक्षण गिनवाती हुई बोली.

”कोई बात नहीं, मैं अपने दोस्त से बोल कर कोई दवा मंगवा ही लेता हूं.’’ केहर के बोलतेबोलते किरण भागती हुई वाशरूम में चली गई. अंदर से उल्टियां करने की आवाजें आने लगीं. कुछ मिनट बाद बाहर आई. बोली, ”जो खाया था, सब निकल गया.’’

”ठंडा पानी पी लो. जा कर बैड पर आराम करो.’’ केहर ने किरण का हाथ पकड़ लिया और उसे सहारा दे कर कमरे में ले गया. किरण जब बैड पर लेट गई, तब केहर ने उस के सिरहाने तकिया लगा दिया. किरण मुसकरा दी, ”तुम मेरा कितना खयाल रखते हो!’’

”कोई बात नहीं. यह तो मेरा फर्ज बनता है. तुम आराम करो. थोड़ी देर में ठीक हो जाओगी. कहो तो कमरे की लाइट बुझा दूं?’’ केहर आत्मीयता दर्शाते हुए बोला.

उस वक्त शाम का अंधेरा छाने लगा था. धीरेधीरे कर किरण ने भी अपनी आंखें बंद कर ली थीं.

उस के आंखें बंद करते ही केहर के होंठों पर एक कुटिल मुसकान फैल गई. वह चुपचाप रसोई का बिखरा काम समेटने लगा. बरतनों की आवाज के बीच उसे फोन की रिंग सुनाई दी. आधा मिनट की रिंग के बाद फोन बंद हो गया. रिंग किरण के फोन पर आई थी. केहर ने किरण का फोन ले कर उसे साइलेंट मोड में डाल दिया. उस के बाद उस पर फिर से काल आई. काल करने वाले का नाम मदर था.

केहर समझ गया कि काल किरण के घर से थी. वह फोन को स्विच औफ कर अपने कमरे में जा कर बैठ गया. तभी किरण तेजी से वाशरूम की ओर भागी. शायद उस का जी फिर से मितलाया था. वह उल्टियां कर रही थी. केहर अपने कमरे में बैठा रहा. जब किरण वाशरूम से निकली, तब एकदम से सुस्त और बेजान थी. किसी तरह बोल पाई, ”मुझे किसी डाक्टर के पास ले चलो.’’

”तबीयत ठीक नहीं लग रही है क्या?’’ केहर ने सवाल किया. उसी वक्त वाशरूम से बैडरूम तक जाते हुए वह धड़ाम से गिर पड़ी.

”जल्दी ले चलो डाक्टर के पास…’’

”क्या हुआ, मन कैसा लग रहा है?’’ केहर ने पूछा.

”खून आ रहा है…लगता है अबार्शन…’’ इतना बोलने के बाद किरण बेहोश हो गई. केहर चौंक गया.

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के गांव जानकपुर का रहने वाला था केहर सिंह, लेकिन वह मुरादाबाद शहर में ही मझोला थानांतर्गत मिलन विहार कालोनी में अकेले रह रहा था. वह 29 वर्षीया किरण से बेइंतहा प्रेम करता था. किरण मुरादाबाद में ही स्थित शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान आरएसडी अकेडमी में बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) की पढ़ाई कर रही थी. केहर सिंह भी उसी कालेज में बीटीसी का छात्र था. उस रोज 20 मई, 2025 थी. रात होने लगी थी. किरण को बेहोश होने पर केहर ने तुरंत अपने दोस्त विशेष पाल को फोन किया. वह पास के ही प्रीत विहार कालोनी में ही मैडिकल स्टोर चलाता था. उसे थोड़ीबहुत बीमारियों और इलाज की जानकारी थी.

उस ने फोन पर ही केहर से किरण की हालत के बारे में पूछा और कुछ मिनटों में कुछ दवाइयां ले कर केहर के पास आ गया. संयोग से किरण को तब तक होश आ चुका था, लेकिन वह एकदम से सुस्त पड़ी थी. केवल आंखें खुली थीं. बोलने में तकलीफ हो रही थी. इशारे से पीने के लिए उस ने पानी मांगा. दूसरी तरफ किरण जब घर नहीं पहुंची, तब उस के फेमिली वाले परेशान हो गए. वे उस के फोन पर काल पर काल कर थे, लेकिन उस का फोन ही स्विच औफ आ रहा था. किरण 20 मई को दिन में ही अपने घर से यह बता कर निकली थी कि कालेज से उस का टूर जा रहा है. वह शाम या फिर देर रात तक वापस लौट आएगी, किंतु जब वह समय से वापस नहीं लौटी और मोबाइल से भी कोई संपर्क नहीं हुआ, तब उस के फादर ने मैनाठेर थाने में उस की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. साथ ही उन्होंने जानकपुर निवासी केहर सिंह द्वारा अगवा करने का आरोप भी लगा दिया.

किरण के लापता होने की सूचना बिलारी सर्किल के सीओ राजेश कुमार तिवारी को दी गई. वह उस दिन दूसरे थानों की रुटीन चेकिंग पर थे. जब उन्हें पता चला कि उन के क्षेत्र के नगलिया गांव  की 29 वर्षीया छात्रा किरण लापता है, तब उन्होंने इस की जानकारी उन्होंने  मुरादाबाद के एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह को दी. सूचना मिलते ही वह भी थाने पहुंच गए. पहले उन्होंने किरण के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की. उस के बाद आरोपी की डिटेल्स मालूम करने में जुट गए. सीओ राजेश तिवारी के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया गया. मैनाठेर के एसएचओ किरनपाल सिंह टीम के प्रमुख बनाए गए.

पुलिस ने केहर सिंह और  किरण के साथ संबंध के बारे में जानकारियां जुटानी शुरू कर दी. पता चला कि केहर एक विवाहित युवक था, इस के बावजूद वह अपने साथ पढऩे वाली छात्रा से ही प्यार करने लगा था. केहर सिंह के छात्र जीवन की कहानी भी कुछ कम रोचक नहीं थी. किरण के पिता ने शिकायत में लिखवाया कि केहर सिंह उन की बेटी को बहलाफुसला कर ले गया है. इस के बाद पुलिस टीम ने नामजद अभियुक्त केहर सिंह के घर पर दबिश दी. वहां पता चला कि वह तो यहां पर रहता नहीं है. वह अपने बच्चों के साथ मुरादाबाद के थाना मझोला की मिलन विहार कालोनी में किराए के मकान में रह रहा है. उस के बाद कालोनी में दबिश दी गई, तब मालूम हुआ कि वह अपने परिवार के साथ मकान में ताला डाल कर फरार हो गया है.

उस के बारे में पता लगाने के लिए पुलिस टीम ने मुखबिरों को भी लगा दिया. किरण के लापता होने के करीब 3 हफ्ते बाद 13 जून, 2025 को पुलिस ने केहर सिंह उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह अपने गांव परिवार से मिलने गया हुआ था. मैनाठेर पुलिस केहर सिंह को गिरफ्तार कर थाने ले आई. केहर सिंह की गिरफ्तारी की सूचना एसएचओ किरन पाल ने उच्च अधिकारियों को भी दे दी. सूचना पा कर बिलारी के सीओ राजेश कुमार तिवारी और एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह भी थाने पहुंच गए. आरोपी केहर सिंह से किरण के बारे में कड़ाई से पूछताछ की जाने लगी. पहले तो वह पुलिस के सवालों के जवाब आधेअधूरे देता रहा. खुद को निर्दोष कहता रहा, लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि पुलिस उस के बारे में बहुत सारी जानकारी जुटा चुकी है, तब उस ने जो सच बताया उस से केहर की चापलूसी, मक्कारी और क्रूरता का एक अमानवीय चेहरा सामने आ गया.

कड़ाई से पूछताछ में केहर सिंह टूट गया वह बोला, ”साहब बताता हूं. किरण के बारे में मैं अब क्या बताऊं, वह तो अब इस दुनिया में ही नहीं है.’’

”क्या कहते हो?’’ सीओ तिवारी चौंकते हुए बोले.

”सच कहता हूं सर! वह अब जीवित नहीं है. उस की मौत हो चुकी है.’’

”कैसे मरी? कब मरी? तुम ने उसे मार डाला क्या?’’ उन के द्वारा पूछे गए एक साथ कई सवालों से वह घबरा गया.

सहमता हुआ बोला, ”सर, वह अचानक बीमार हो गई थी. उसे ब्लीडिंग होने लगी थी. हम ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की. ग्लूकोज चढ़वाया. अस्पतालों में भी भरती करवाया. पूरी रात उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और नर्सिंग होम तक ले कर भटकते रहे. आखिर में वह नहीं बच पाई. मैं इस का दोषी नहीं हूं.’’

उस का यह कहना था कि उस के गाल पर एसएचओ का एक जोरदार तमाचा लगा. उस का कान झन्ना गया. अभी वह संभल पाता कि एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने उस की आंखों के सामने अपनी दोनों अंगुलियां सटा दीं और तीखे लहजे में बोले, ”बताओ, तुम ने किरण को कैसे मारा? उस की लाश कहां है?’’

केहर सिंह पुलिस की दोनों अंगुलियां अपनी आंखों से मात्र एक इंच की दूरी पर देख कर सहम गया. उसे ऐसा महसूस हुआ कि अंगुलियां कभी भी उस की आंखों में घुसेड़ी जा सकती हैं. जल्दी से बोला, ”बताता हूं सर, बताता हूं!’’

”बताओ, सब कुछ सचसच बताओ, वरना समझो तुम्हारा एनकाउंटर हुआ!’’ पुलिस ने उस पर एक और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया. उस के बाद केहर सिंह ने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार है—

बात 4 साल पुरानी है. किरण जिस गांव में रहती थी, वहीं केहर सिंह नगरिया मशकुला के एक निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाता था. इसी दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ीं. किरण भी उसी स्कूल में पढ़ाती थी. उन के बीच प्रेम संबंध गहरे होते चले गए. तभी दोनों ने 7 फेरे लेने की कसमें खाईं. किरण बहुत महत्त्वांकाक्षी युवती थी और जीवन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थी. उस की इच्छा मुरादाबाद से बीटीसी की ट्रेनिंग करने की थी, जिस से वह शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल कर सके. किरण की महत्त्वाकांक्षा को देखते हुए करीब 2 साल पहले केहर सिंह ने भी बीटीसी करने का मन बनाया, ताकि उस का साथ बना रहे.

मुरादाबाद के रामगंगा विहार कालोनी में आरएसडी अकादमी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान है. दोनों ने वहीं अपनाअपना नामांकन करवा लिया. तब तक उन के प्रेम संबंध काफी गहरे हो चुके थे. जल्द ही दोनों दो जिस्म एक जान भी हो चुके थे. यह कहें कि दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनने लगे. किरण सीधेसरल स्वभाव की युवती थी. उस ने केहर से कुछ भी नहीं छिपाया था. अपने दिल की हर बात खुले मन से उस से कह देती थी. जबकि केहर ऐसा नहीं था. वह उस की सुंदरता और देह का आशिक था. उसे वासना की नजरों से देखता था. यही वजह थी कि उस ने खुद के शादीशुदा होने की बात उस से छिपा ली थी. उस ने किरण को इस की भनक तक नहीं लगने दी कि वह शादीशुदा है और उस के बच्चे भी हैं.

किराए के मकान में जब उस की पत्नी और बच्चे नहीं होते थे, तब वह बहाने से किरण को बुलाता था. एक रोज इस बात की जानकारी केहर की पत्नी को हो गई. फिर क्या था, वह केहर के साथ झगडऩे लगी. वैसे केहर सिंह भी अपनी वैवाहिक जिंदगी पर आंच नहीं आने देना चाहता था. पत्नी को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था. जबकि किरण उस से बेइंतहा प्रेम करती थी. उस पर शादी का दबाव बनाए हुए थी. इस प्रेम कहानी की भनक जब किरण के परिवार में हुई, तब उस के लिए वर की तलाश तेजी से की जाने लगी. किरण के पिता रामपाल ने उस के लिए जल्द रिश्ता ढूंढ लिया और शादी की तारीख तक तय कर करवा दी. किरण की शादी अक्तूबर में होनी तय हो गई.

उस के बाद से किरण बेचैन रहने लगी थी. उस की बेचैनी तब और बढ़ गई, जब उसे अपने गर्भ का पता चला, जो केहर का था. वह केहर को बारबार फोन करने लगी, जबकि केहर उस से कन्नी काटने लगा. नहीं मिलने के बहाने बनाने लगा. एक तरफ किरण का मनोवैज्ञानिक दबाव था तो दूसरी तरफ पत्नी और बच्चों के साथ भावनात्मक लगाव. केहर सिंह तनाव में आ गया था. खुद को 2 औरतों के बीच फंसा हुआ महसूस कर रहा था. मई महीने के दूसरे सप्ताह में जब किरण के लगातार फोन आने लगे, तब उस ने उसे 20 मई को अपने घर बुला लिया. उस रोज उस की पत्नी और बच्चे स्कूल की छुट्टियों में गांव गए हुए थे.

केहर ने किरण को यह कह कर बुलाया था कि आगे की योजना बनानी है. शादी के बारे में सब कुछ तय करना है. किंतु किरण को इस बात का अंदाज बिलकुल भी नहीं था कि केहर के मन में खोट है. किरण जब केहर के घर पर आई, तब उस ने अपनी योजना के मुताबिक उस की खूब आवभगत की. खानेपीने का अच्छा इंतजाम किया. कोल्डड्रिंक्स में अबौर्शन की दवा मिला दी. जब उस की तबीयत खराब होने लगी और ब्लीडिंग शुरू हो गई. तब उस ने इलाज करवाने का नाटक किया. अस्पताल में भरती करवाने में जानबूझ कर देरी की. आखिर में उस की मौत हो गई, तब उस ने अपने 3 साथियों के साथ मिल कर उस की लाश को ठिकाने लगा दिया. लाश को ठिकाने लगाने के लिए केहर ने अपने साले तारेश की भी मदद ली.

उसे फोन कर बुलाया. वह मुरादाबाद के ही थाना डिडोली के गांव वाजिदपुर का निवासी है. केहर सिंह ने उसे पूरी बात समझाई. तारेश अपने भतीजे मनीष के साथ अपनी वैगनआर कार से केहर के मकान पर पहुंचा. कमरे पर सभी लोगों ने किरण के शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. योजना के मुताबिक लाश को थाना छजलैट के गांव नन्हैडा गांगन नदी के पास जंगल में फेंक देना था. जंगल में गुलदार सियार बहुत हैं. उन का मानना था कि जंगली जानवर किरण की लाश को खा कर खत्म कर देंगे. उन्होंने वैसा ही किया. तारेश की वैगनआर गाड़ी में लाश रखी गई. गांगन नदी के पुल के पास से लाश को फेंक दी गई.

केहर सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने 23 दिनों बाद किरण की सड़ीगली लाश बरामद की. इस के बाद पुलिस ने केहर सिंह के अलावा उस का सहयोग करने वाले प्रमोद कुमार, जगदीश, विशेष पाल को भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी आरोपी जेल भेज दिए गए. इस के अलावा तारेश और मनीष की तलाश में पुलिस ने उन के घरों पर दबिश दी, लेकिन दोनों ही कथा लिखे जाने तक फरार थे. Extramarital Affair

 

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