Web Series Criminal Justice-4 : वेब सीरीज ‘क्रिमिनल जस्टिस सीजन-4’ एक कोर्टरूम ड्रामा है. सीरीज में डा. राज नागपाल और उन की पत्नी अंजू के बीच इतना मतभेद है कि दोनों अलग रहते हैं, लेकिन उन के बीच तलाक नहीं हुआ है. इन की बेटी इरा एक गंभीर बीमारी से पीडि़त है, जिस की देखभाल के लिए इन्होंने रोशनी नाम की नर्स रख ली थी. इसी बीच नर्स की रहस्यमय ढंग से हत्या हो जाती है, जिस की सूचना अंजू ही पुलिस को देती है. हत्या का आरोप डा. राज और उन की पत्नी पर लगता है. आखिर कौन निकला नर्स की हत्या का आरोपी?
निर्माता: समीर नायर, दीपक सहगल, समीर गोगटे निर्देशक: रोहन सिप्पी लेखक: हरमन वडाला, संदीप जैन, समीर मिश्रा ओटीटी: जियो हौटस्टार कलाकार: पंकज त्रिपाठी, मोहम्मद जीशान अय्यूब, सुरवीन चावला, आशा नेगी, खुशबू अत्रे, मीता वशिष्ठ, श्वेता बसु प्रसाद, बरखा सिंह, कल्याणी मुले, सोहेला कपूर, पंकज सारस्वत, राजेश खेड़ा, अजीत सिंह पलावत, रामगोपाल अय्यर, आत्म प्रकाश मिश्रा, गर्विल मोहन, रंजीत देवलस वेब सीरीज की कहानी डा. नागपाल के इर्दगिर्द घूमती है, जो अपनी पत्नी अंजू से अलग हो चुके हैं, लेकिन वे अपनी दोनों बेटी इरा, जिसे एस्पर्जर सिंड्रोम की बीमारी है, उस की देखभाल संयुक्त रूप से करते हैं. नर्स रोशनी इरा की देखभाल करती है.
एक दिन नर्स की हत्या हो जाती है. नर्स और डा. राज नागपाल के बीच में प्यार था. इसलिए मर्डर का इलजाम डा. राज नागपाल पर आता है. वहीं अंजू को भी अपने पूर्व पति डा. राज नागपाल की हत्या में साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है. डा. राज नागपाल को बेकुसूर साबित करने का जिम्मा मशहूर वकील माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) को दिया जाता है, जबकि पब्लिक प्रौसिक्यूटर के रूप में वकील माधव मिश्रा के सामने है लेखा अगस्त्या (श्वेता प्रसाद बसु), उधर दूसरी ओर अंजू के बचाव में उतरती है वकील माधव मिश्रा की पुरानी विरोधी एडवोकेट मंदिरा माथुर (मीता वशिष्ठ).
दर्शकों को यह जानने की उत्सुकता रहती है कि क्या डा. राज और और अंजू निर्दोष हैं? यदि निर्दोष हैं तो नर्स रोशनी का कातिल कौन है? इस वेब सीरीज में कई पात्रों के बीच जटिल संबंध दिखाए गए हैं. 3 दिग्गज वकीलों की यह तिकड़ी अपनीअपनी दलीलों से कब, कैसे और किस को पटखनी देती है, यही रहस्य इस में छिपा हुआ है. यह वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफार्म जियो हौटस्टार पर रिलीज की गई है. इस में कुल 8 एपिसोड हैं.
एपिसोड नंबर 1
पहले एपिसोड का नाम ‘यादगार जन्मदिन’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में हम वकील माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) को उस की पत्नी रत्ना मिश्रा (खुशबू अत्रे) के साथ एक कार में जाते हुए देखते हैं. माधव का एक बड़ी ला फर्म के साथ भी कौन्ट्रैक्ट हो चुका है. उस ला कंपनी ने एक केस को फाइनल करने के लिए माधव के ही औफिस में एक मीटिंग रखी है. यहां पर पता चलता है कि एक बड़ी फार्मेसी कंपनी, जिस का नाम क्योरोसेल है. यह कंपनी एंटी बायोटिक दवाइयां बनाती है, वहां पर काम करने वाले एक कर्मचारी के लंग्स वहां के दुष्प्रभाव से 60 प्रतिशत खराब हो चुके हैं. उस आदमी ने कंपनी के ऊपर केस कर दिया है.
उसी केस को निपटाने के लिए उस ला कंपनी ने माधव के औफिस में मीटिंग रखी थी, वहां पर उस कर्मचारी का वकील अपना पक्ष रखते हुए कहता है कि हमें मुआवजे की रकम ठीकठाक चाहिए, नहीं तो हम क्योरोसेल कंपनी को कोर्ट में घसीट देंगे. तभी ला फर्म की ओर से आया उन का प्रतिनिधि शौर्य (गर्विल मोहन) एक एक करोड़ रुपए का एक चेक माधव मिश्रा के हाथ में देता है जबकि उस के पास इस से बड़ी रकम के चेक भी थे. उन के जाने के बाद माधव मिश्रा शौर्य से पूछता है कि आप के पास उस समय 2 करोड़, 3 करोड़ के चेक भी थे, फिर भी आप ने मेरे इशारा करने पर भी उस गरीब आदमी को एक करोड़ रुपए का चेक ही क्यों दिया?
तब शौर्य कहता है कि आप तो जानते ही हैं कि वह गरीब आदमी है, क्योंकि उसे आपने समझाया था. उस के बाद शौर्य माधव मिश्रा को अपनी नई चमचमाती लाल रंग की गाड़ी गिफ्ट कर देता है. अब राज रोशनी को अपनी कार में बिठा कर घर की ओर निकलता है तो वह रोशनी से कहता है कि आज रात को इरा की बर्थडे पार्टी है, इसलिए टाइम पर जरूर आ जाना. रोशनी कहती है कि मेरा मूड नहीं है. जौगिंग करने के कुछ देर बाद राज अपने फ्लैट में आ जाता है. उस के ठीक 14 मिनट के बाद नौकरानी कमला जाधव (अमृता सेत) फ्लैट में आ कर डा. राज की बाहों में एक औरत की लाश देखती है, जिसे देख कर वह चिल्लाती है.
उस की आवाज को सुन कर सामने के फ्लैट से राज की पत्नी अंजू वहां पर आ जाती है. तभी इरा रोशनी दीदी को आवाज लगाती है तो अंजू माधवी से इरा को वहां पर आने से रोकने के लिए कहती है. फिर अंजू पुलिस को फोन कर देती है. पुलिस घटनास्थल पर पहुंच जाती है और इस केस की जांच इंसपेक्टर गौरी करमकर (कल्याण मुले) हैंडल करती है. वहां पर इंसपेक्टर गौरी का जूनियर एएसआई रवि कुमार (साहित्य पनसरे) गौरी को बताता है कि मृतका की मृत्यु गला कटने से हुई है और उस का डा. राज नागपाल से प्रेम संबंध चल रहा था.
इस एपिसोड में एक जगह डा. राज और रोशनी को राज की मां, बेटी और पत्नी अंजू के सामने ही लिपटे हुए दिखाया गया है. जबकि उस का पहली पत्नी से अभी तक तलाक भी नहीं हुआ था. यह दृश्य कहीं से भी उचित नहीं लगता. यह दृश्य केवल लेखक और निर्देशक के दिमाग की उपज ही हो सकती है.
एपिसोड नंबर 2
दूसरे एपिसोड का नाम ‘दफन रहस्य’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में पुलिस डा. राज को गिरफ्तार कर ला रही है. तभी पुलिस स्टेशन में मृतका रोशनी की मां अपनी बेटी को देखने आती है. शिवानी की मां मंदिरा माथुर (गीता वशिष्ठ) एक कारपोरेट वकील है, जो अपनी बेटी शिवानी, जिस ने विदेश से वकालत की पढ़ाई की थी, उस का माधव मिश्रा जैसे छोटे वकील के अंडर में काम करना पसंद नहीं करती है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर गौरी एएसआई रवि को ले कर डा. राज और नौकरानी कमला से अलगअलग बैठा कर पूछताछ करते हैं. डा. राज बताता है कि कल रात पार्टी में ज्यादा शराब पी लेने के कारण वह जौगिंग से जल्दी घर आ गया था. और जैसे ही वह घर पर पहुंचा तो उस ने रोशनी को फर्श पर तड़पते हुए देखा और फिर वह मर गई.
अब अगले दिन हम कोर्ट का सीन देखते हैं, जहां पर रोशनी का केस कदम नाम का वकील लड़ रहा है. माधव डा. राज की बेल एप्लीकेशन कोर्ट के सामने पेश करता है. तभी रोशनी का वकील डा. राज पर पुलिस द्वारा लगाए गए इलजामों की फेहरिस्त पेश कर देता है. उन को देखने और पढऩे के बाद जज (रंजीत देवल) डा. राज की बेल एप्लीकेशन खारिज कर डा. राज को पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश दे देते हैं.
माधव कुछ नहीं कहता, बस उस से हाथ मिला कर उस का ओर हाथ जोड़ देता है. उधर रोशनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाती है डाक्टर इंसपेक्टर गौरी को बताते हैं कि रोशनी पर हमला ठीक सामने से किया गया था और यह हमला किसी नुकीली चीज से किया गया था. हमला करने वाला व्यक्ति राइट हैंडेड था. गौरी उस कूड़े के ढेर पर पहुंचती है. उस की टीम उस विशाल डंप में बदबू से परेशान हो जाती है. इधर माधव जब इरा की ड्राइंग बुक देखता है तो उस ने अपनी दादी, मम्मी और रोशनी के चित्र बनाए होते हैं, लेकिन रोशनी की ड्राइंग में उस ने उस की गरदन व बालों में लाल रंग जैसे खून के रंग लगाए हुए थे, जिसे देख कर माधव चौंक जाता है.
दूसरी ओर इंसपेक्टर गौरी अपनी पुलिस टीम के साथ कूड़े के बड़े ढेर में ट्रौफी ढूंढ रही होती है और फिर यहीं पर दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है. दूसरे एपिसोड की बात करें तो आधेअधूरे सीन के बाद दूसरा सीन आ जाता है, फिर पहले वाला दृश्य दिखाने लगते हैं, जिस से दर्शक बोर हो जाते हैं. इस एपिसोड में जहां पर शिवानी माथुर माधव और उस की पत्नी रत्ना को स्क्रिप्ट दे कर सीन रिक्रिएट करने के लिए कहती है तो वहां पर मजाक करने के बजाए वास्तविक दृश्य दिखा कर किया जा सकता था. अभिनय की दृष्टि से देखें तो कोई भी कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित करने में असफल रहा है.
एपिसोड नंबर 3
तीसरे एपिसोड का नाम ‘प्रतिदान’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में फ्लैशबैक से शुरू होती है. अगले सीन में इंसपेक्टर गौरी अपनी बेटी के साथ नाश्ता कर रही होती है तो उसे एएसआई रवि फोन कर के बताता है कि पुलिस टीम कूड़े के ढेर में मर्डर वेपन को तलाश रही है. इधर माधव अपने लैपटाप पर इरा की बीमारी की केस हिस्ट्री ढूंढ रहा होता है, तभी उस की पत्नी उसे बातों में उलझा कर अपने भाई दीपू पर डांट न मारने के लिए कहती है. माधव उस से कहता है कि दीपू तो कई दिनों से गायब है, फोन तक नहीं उठा रहा है.
क्लासरूम से बच्चे इरा को चिढ़ाने लगते हैं और उस का मजाक बनाने लगते हैं तो इरा गुस्से में आ कर एक नुकीली चीज से अपने बैग को चाकू की तरह घोंप कर उस के चीथड़े बना डालती है, तभी क्लास टीचर भी क्लासरूम में पहुंच कर इरा की यह हरकत देख लेती है. अब अंजू डा. राज से मिलने के लिए जाती है, जहां पर डा. राज को पुलिस कस्टडी में रखा गया है. राज अंजू से इस के बारे में पूछता है और कहता है कि इरा को यहां पर ले कर मत आना, उस से कहना मैं उसे बहुत प्यार करता हूं.
माधव जैसे ही अपने औफिस पहुंचता है तो वहां पर शौर्य पहले से ही बैठा हुआ था. शौर्य माधव से कहता है अब तुम्हें हम एक दिन का टाइम दे रहे हैं या तो डा. राज का केस छोड़ दो या फिर हमारी कंपनी तुम से कौन्ट्रैक्ट छीन लेगी. शौर्य चला जाता है, तभी माधव के औफिस में टीवी पर टीवी एंकर (अविरत पारेख) एक नई न्यूज सुनाते हुए कहता है कि रोशनी सलूजा केस में एक मोनू नामक नया अपराधी सामने आया है, जोकि डा. राज की सोसायटी में कूड़ाकचरा गाड़ी का ड्राइवर था. उस के पास से अन्य कई युवतियों के अश्लील फोटो मिले हैं. इस के साथ ही उस के पास से रोशनी के फोटो और वीडियो भी मिला है. इसलिए हो सकता है यही खूनी हो. वहीं दूसरी ओर पुलिस मोनू को पकड़ लेती है.
अगले सीन में इंसपेक्टर हर्ष प्रधान मोनू को रिमांड में ले कर उस की बुरी तरह से पिटाई करता है. इस के बाद हर्ष प्रधान सीधा डीसीपी रघु सालियान के पास जा कर कहता है कि शायद मोनू खूनी नहीं है, क्योंकि यह तो लेफ्टहैंडेड है, जबकि असली खूनी तो राइट हैंडेड होना चाहिए. तभी वहां पर इंसपेक्टर गौरी आ कर एक वीडियो डीसीपी रघु को दिखा कर कहती है कि मोनू के क्लाउड अकाउंट से 2 हफ्ते पहले अंजू और डा. राज का वीडियो मिला है, जिस में वे दोनों कार में बैठ कर एकदूसरे दूसरे के होने को प्रेमीप्रेमिका की तरह चूम रहे हैं. इस के बाद यहां पर तीसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
तीसरे एपिसोड की बात करें तो यहां पर इरा एक असामान्य टाइप की बच्ची है, ऐसे बच्चों पर स्कूल में विशेष रूप से ध्यान भी दिया जाता है, लेकिन यहां पर टेस्ट के दौरान इस की क्लास टीचर क्लास छोड़ कर चली जाती है, जिस के बाद जब बच्चे उसे परेशान करते हैं तो वह हाइपर हो कर नुकीली चीज से अपने बैग के चिथड़ेचिथड़े कर देती है. ताज्जुब की बात तो यह है कि इस में 2 महीनों के लिए स्कूल से इरा को निकाल भी दिया जाता है, जबकि यह पूरी गलती स्कूल स्टाफ की थी. इस में लेखक और निर्देशक पूरी तरह से दोषी लग रहे हैं. अभिनय की बात करें तो सभी का अभिनय औसत दरजे का दिखाई दिया है.
एपिसोड नंबर 4
चौथे एपिसोड का नाम ‘डोमिनी प्रभाव’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में रोशनी की मृत देह को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर लाया जा रहा है. वहां पर कुछ नया क्लू मिलने की आस में माधव मिश्रा भी शिवानी माथुर के साथ पहुंच जाता है. वहां पर माधव रोशनी के अपने से परिचित होने का ढोंग करते हुए वहां दुख प्रकट करने आए लोगों से आत्मीयता से बात करते हुए कुछ क्लू पाने की कोशिश करता है, परंतु उसे सफलता नहीं मिल पाती. अगले दृश्य में हम देखते हैं कि जो कंपनी रोशनी का केस लड़ रही थी, उस कंपनी का बौस सोलकर (राजेश खेड़ा) इस केस में वकील कदम को हटा देता है और अब वह इस केस को लेखा अगस्त्य (श्वेता बसु प्रसाद) को दे देता है.
अंजू, उस की सास गुरमीत और इरा अपने कमरे में होते हैं, तभी न्यूज आती है जिस में डीसीपी रघु सालियान मीडिया को बयान देता है कि इंसपेक्टर गौरी करमाकर की अथक मेहनत के कारण आज हम ने एक बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है. हमें कूड़े के ढेर से वह हथियार मिल चुका है, जिस से रोशनी सलूजा की हत्या की गई थी. अब वह जल्दी ही इस केस की फाइनल तहकीकात कर हत्यारे को गिरफ्तार कर लेंगे और मृतका के परिजनों को न्याय दिला सकेंगे. उस के बाद वह चेकबुक में एक रकम लिख कर उसे एक लिफाफे में डालती है और घर से बाहर निकलती है. तभी इरा अंजू से कहती है कि मम्मा, आप पापा से मिलने नहीं आ रही हैं. क्यों?
तब अंजू कहती है कि मुझे एक बहुत जरूरी काम आ गया, मैं नहीं आ पाऊंगी. तुम दादी के साथ पापा से मिल कर आ जाना. अंजू अपनी कार ले कर मंदिरा माथुर (मीता वशिष्ठ) जोकि एक कारपोरेट वकील है, उस की कोठी पर पहुंचती है. मंदिरा उसे पहचान लेती है और उस से कहती है कि आप अंजू नागपाल हैं न? लेकिन सौरी, मेरी बेटी शिवानी अभी घर पर नहीं है. अंजू कहती है मंदिराजी, पुलिस को मर्डर वेपन मिल गया है और पुलिस मुझे अब कभी भी अरेस्ट करने मेरे घर पर आ जाएगी. इसी के साथ चौथा एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.
चौथे एपिसोड में हकीकत कम नाटकीयता अधिक दिखाई दे रही है. दिग्विजय सिंह को बुरी और गंदीगंदी गालियां देते हुए दिखाया गया, जो एपिसोड के स्तर को काफी गिराती है. लेखक और निर्देशक द्वारा एक और बड़ी भूल की गई है. यह जानते हुए भी कि लेखा अगस्त्य मृतका रोशनी की वकील है, उस के सामने ही इंसपेक्टर गौरी और इंसपेक्टर हर्ष प्रधान ऐसीऐसी गोपनीयता की बातें करते हुए दिखाए गए हैं, जिस का भरपूर फायदा विपक्षी वकील ले सकती है. अभिनय की बात करें तो अभिनय की दृष्टि से कोई भी कलाकार दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सका है.
एपिसोड नंबर 5
पांचवें एपिसोड का नाम ‘आघात फ्लैशबैक’ रखा गया है. शुरुआत में बांद्रा पुलिस स्टेशन ठाणे में इंसपेक्टर हर्ष और इंसपेक्टर गौरी अंजू नागपाल से कड़ी पूछताछ करते हैं. वे डा. राज और अंजू के किस वाले चित्र को दिखा कर कहते हैं कि तुम दोनों ने ही मिल कर रोशनी का खून किया है. अंजू अपने आप को निर्दोष बताती है तो हर्ष कहता है कि हम आप को रोशनी सलूजा मर्डर केस में सहअभियुक्त के रूप में गिरफ्तार करते हैं. थोड़ी देर में मंदिरा माथुर (मीता वशिष्ठ) अंजू की वकील भी वहां पर होती है.
उधर माधव और शिवानी जेल में जा कर डा. राज से मिलते हैं. माधव राज को बताता है कि अंजू को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है और मंजू ने उधर माधव और मंजू ने मंदिरा माथुर को अपना वकील नियुक्त कर लिया है. अब तुम्हारी लड़ाई केवल रोशनी की ओर से पैरवी कर रही लेखा अगत्स्य से ही नहीं, बल्कि अंजू की वकील मंदिरा से भी है. वे दोनों केवल तुम्हें ही दोषी साबित करने में कोई भी कसर नहीं छोडेंगे. इसलिए चौकन्ने रहो. उधर जेल में डा. राज सो रहा था तो संतरी उसे आ कर एक कमरे में ले जाता है, जहां पर इंसपेक्टर हर्ष प्रधान राज से मिल कर कहता है कि यदि तुम अपनी बेटी का भला कराना चाहते हो और उसे मां का प्यार दिलाना चाहते हो तो खून का जिम्मा केवल अपने ऊपर ले लो, तब तुम्हारी बेटी इरा की देखभाल तुम्हारी पत्नी अंजू कर सकती है.
अगले दृश्य में कोर्टरूम दिखाया जाता है, जहां पर जज डा. राज पर खून के इल्जाम की धाराएं आईपीसी 302, 102 और 120बी के तहत उसे मृत्युदंड, अर्थदंड और आजीवन कारावास भी हो सकता है, तुम्हें तुम्हारा जुर्म कुबूल है या नहीं. तो डा. राज एक नजर हर्ष, एक नजर माधव पर डालता है और माधव के इशारा करते ही वह नो गिल्टी कह देता है. उस के बाद जज अंजू को बुलाता है. जज अंजू पर भी डा. राज की तरह इल्जामात लगाता है तो अंजू भी कोर्ट में नो गिल्टी कह देती है. उस के बाद जज फैसला सुनाते हैं कि अब यह केस सेशन कोर्ट में हस्तांतरित किया जाता है और मुकदमा अब 15 नवंबर से शुरू होगा.
उस के बाद सेशन कोर्ट का दृश्य आता है, जहां पर जज मोहन भार्गव सब से पहले लेखा अगस्त्य को अपना पक्ष रखने के लिए कहते हैं. लेखा अपना पक्ष रोशनी के फेवर मे रखती है, उस के बाद मुजरिम नं. 1 डा. राज का पक्ष माधव मिश्रा और मुजरिम नंबर 2 अंजू का पक्ष उस की वकील मंदिरा माथुर रखती है. उस के बाद लेखा कोर्ट में इंसपेक्टर गौरी को पेश करती है तो माधव उस की तहकीकात की धज्जियां उड़ा देता है और गौरी की दलीलों की उस के पुराने नाकाम केसों का हवाला देते हुए कोर्ट में उस की काफी फजीहत भी कर देता है और कोर्ट को बताता है कि उस का मुवक्किल राज बिलकुल निर्दोष है.
मंदिरा माथुर भी अपनी क्लाइंट अंजू का बचाव करते हुए कोर्ट के सामने अपनी दलील पेश कर अंजू को निर्दोष साबित करती है. उस के बाद लेखा अगस्त्य अपनी विटनैस नौकरानी कमला जाधव को कोर्ट में पेश करती है तो वह बताती है कि जब मैं डा. राज साहब के घर पर पहुंची तो वह खून से लथपथ थी और उन की लाश की बगल में मैं ने सोने के रंग जैसा उस्तरा देखा था. माधव कहता है कि डा. राज सोचिए कि कभी कमला ने तुम से कोई विशेष मांग तो नहीं की थी कि मुझे पैसा दीजिए. तभी राज को कुछ याद आ जाता है, वह कहता है हां याद आ गया. इस के बाद पांचवां एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.
पांचवें एपिसोड की बात करें तो इस एपिसोड में खून के केस की जांच करने वाला अधिकारी जेल में खुद जा कर डा. राज नागपाल से कहता है कि यदि वह अपनी बेटी से प्यार करता है तो गुनाह अपने सिर पर ले ले, जिस से अंजू बच जाएगी और तुम्हारी बेटी को उस की मां मिल जाएगी. यह दृश्य समझ से बिलकुल ही परे है, यह लेखक के दिमाग की एक नई उपज लगती दिखाई दे रही है.
दूसरा, इस एपिसोड में हर्ष प्रधान और गौरी करमाकर जिन का तलाक हो चुका है, उस कहानी में एक और नई कहानी का प्रवेश करने का प्रयास किया गया है. हर्ष प्रधान का चरित्र भी समझ से परे है. कभी तो वह गौरी से नफरत करता है और फिर कभी उस के नजदीक आने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है. अभिनय की बात करें तो इस में कलाकारों ने अभिनय कम और नाटकीयता ज्यादा दिखाई है.
एपिसोड नंबर 6
छठें एपिसोड का नाम ‘विशेषाधिकार प्राप्त’ रखा गया है. शुरुआत 13 महीने पहले की दिखाई गई है. गुरमीत नागपाल अपने औफिस से किसी काम के लिए रोशनी को फोन करती है तो गुरमीत अंजू को फोन कर के घर से एक फाइल भेजने के लिए कहती है. जब अंजू डा. राज के फ्लैट में जाती है तो राज और रोशनी एकदूसरे के साथ उत्तेजित अवस्था में लिपटे हुए दिखाए गए हैं, जिस से अंजू को बहुत बुरा लगता है.
अगला दृश्य कोर्ट का दिखाया गया है, जहां माधव गवाह कमला से प्रश्न पूछपूछ कर यह सच उगलवा लेता है कि जब कमला अपने बेटे के एक प्राइवेट कालेज में एडमिशन के लिए डा. राज से 9 लाख रुपए मांगती है तो राज मना कर देता है, जबकि अंजू कमला को 9 लाख रुपए दे देती है. कमला कोर्ट में यह भी कहती है कि मैं डा. राज जैसे आदमी से नफरत करती हूं. अगला दृश्य कोर्ट का है, जहां जज माधव और मंदिरा से क्रौस एग्जामिनेशन के लिए कहते हैं तो दोनों ही मना कर देते हैं. उस के बाद लेखा दूसरे गवाह गुरमीत नागपाल को कोर्ट में पेश कर के यह साबित कर देती है कि गुरमीत के एनजीओ इंपैक्ट के माध्यम से ही नासिक के सेरेनिका अस्पताल को 22 लाख की डोनेशन रोशनी सलूजा के गर्भपात के बदले में दी गई थी.
गुरमीत कोर्ट को बताती है कि इस केस में डा. राज नहीं जानता था, मैं ने ही रोशनी को यह चौइस दी थी. क्योंकि न तो राज और रोशनी की शादी हुई थी और न ही राज और अंजू के बीच तलाक ही हुआ था, इसलिए मैं ने यह सब अपने परिवार की इज्जत को बचाने के लिए किया था. लेखा कोर्ट को बताती है कि योर औनर, रोशनी को इमोशनली टौर्चर किया जा रहा था. चाहे राज हो, गुरमीत हो या अंजू हो, यह एक ऐसा परिवार है जहां पर समस्या का समाधान केवल पैसे से ही किया जाता रहा है.
यही बात रोशनी सलूजा समझ चुकी थी, इसीलिए रोशनी को ही हमेशाहमेशा के लिए खामोश कर दिया गया. लेकिन गनीमत यह रही कि मौकाएवारदात पर उस समय कमला आ गई, नहीं तो यह नागपाल परिवार इस दुष्कृत्य से भी बच जाता. मेरी कोर्ट से गुजारिश है कि नागपाल परिवार को एक नहीं, बल्कि 2 मर्डर की सजा दी जाए. पहला मर्डर रोशनी सलूजा व दूसरा मर्डर उस के अनबौर्न चाइल्ड का. मैं कोर्ट से यह गुजारिश भी करती हूं कि डा. राज नागपाल और अंजू नागपाल को सख्त से सख्त सजा दी जाए, ताकि कल को कोई अन्य युवती या महिला इन के चक्रव्यूह में फंसने से बच सके.
इस के बाद जज घोषणा करते हैं कि सत्र पुन: शुरू होने पर अभियुक्त नंबर 1 डा. राज नागपाल अपनी गवाही या वचाव प्रस्तुत कर सकते हैं और फिर इसी के बाद एपिसोड नंबर 6 यहीं पर समाप्त हो जाता है. छठें एपिसोड में रोशनी और डा. राज को उत्तेजक अवस्था में दिखा कर इस साफसुथरी वेब सीरीज पर जैसे कालिख पोत दी गई हो, जिसे परिवार के बीच देखना असहज लगता है. अभिनय की दृष्टि से भी एपिसोड औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 7
सातवें एपिसोड का नाम ‘अनुपलब्ध लिंक’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में कोर्ट में माधव अंजू से प्रश्न क्या करने हैं, कैसे करने हैं, इस के लिए अपने औफिस में अपनी पत्नी रत्ना को अंजू बना कर इलजाम लगाता दिखाई दे रहा है, जो वास्तविकता कम और कौमेडी अधिक दिखाई दे रहा है. उस के बाद कोर्ट में माधव डा. अर्श मिस्त्री को गवाह के रूप में पेश करता है. डा. अर्श कोर्ट को बताता है कि इरा को डेवलपमेंट डिसऔर्डर की बीमारी थी. पहले कैंसर की जांच भी कराई गई, पर कैंसर नहीं था. इस के अलावा उस का ब्लड शुगर भी बढ़ा हुआ था, इस दौरान अंजू की अपेक्षा रोशनी ही उसे ज्यादा फोन करता थी.
उस के बाद माधव अगले गवाह के रूप में डा. राज को कोर्ट में पेश करता है. राज कहता है मेरी और अंजू की जिंदगी में जब इरा आई तो हम दोनों काफी खुश हो गए थे, लेकिन जब इरा की एस्पर्जर सिंड्रोम बीमारी का पता चला तो हम दोनों की जिंदगी ही बदल गई. तभी रत्ना और दीपू को एक सील पैकेट में डेली जनरल स्टोर का बिल मिलता है, जिसे रत्ना ने भूलवश रसोई का दराज में रख दिया था. इस के बाद कोर्ट में अंजू की वकील मंदिरा डा. राज को अपने प्रश्नों के जाल में फंसाने की कोशिश करती है, परंतु राज अपने बयान से उस के शब्दजाल से बाहर निकल जाता है.
जज माधव से अपने अगले गवाह को विटनैस बौक्स में बुलाने को कहता है. तभी दीपू और रत्ना शिवानी को फोन कर के बाहर बुला कर उसे बताते हैं कि डेली जनरल स्टोर के सामने कयामत बार है, जहां दिग्विजय अकसर जाता था. शिवानी कोर्ट के अंदर आ कर यह बिल माधव को दे देती है. उस के बाद दिग्विजय को विटनैस बौक्स में बुला कर डेली जनरल स्टोर का बिल दिखा कर माधव यह साबित कर देता है कि इरा की जन्मदिन की पार्टी वाली रात रोशनी कयामत बार में दिग्विजय से मिलने गई थी. तब दिग्विजय बताता है कि डा. राज ने रोशनी को धोखा दिया था, इसलिए वह अपना दुख बताने मेरे पास आई थी. इस के बाद दिग्विजय डा. राज पर इलजाम लगाता है कि इसी ने मेरी रोशनी को मारा है.
अगले दृश्य में माधव, शिवानी, रत्ना और दीपू कल होने वाली सुनवाई में अंजू को घेरने के लिए अलगअलग प्लान डिसकस करते हैं. दीपू कहता है कि मंदिराजी भी अपने सारे पत्ते खोल देंगी तो माधव कहता है कि मंदिराजी ताश का महल बनाएंगी और हम बस एक पत्ता बाहर खीचेंगे तो उन का ताश का महल भरभरा कर जमीन पर आ गिरेगा. तभी शिवानी को उल्टी सी आने लगी और वह उल्टी करने वाशरूम चली जाती है. तब रत्ना कहती है कि आजकल मैं टेक्टोस इनटालरेंट ले रही हूं. मेरा कप शायद शिवानी के कप के साथ बदल गया, तभी दीपू माधव को एक दवाई की शीशी दिखाता है जोकि पुलिस को अंजू के उसी बैग से मिली थी, जिस में स्कल्प यानी मर्डर वैपन भी मिला था.
तभी माधव को याद आता है कि जिस दिन वह अंजू के घर गया था तो एक कप में दवाइयां भी रखी हुई थीं. माधव अपनी टीम से कहता है कि यदि हमें पता चल जाए कि इस दवाई की बोतल में कौन सी दवाई थी, जिस का असर अच्छा या बुरा क्या होता है तो हम कातिल और कत्ल दोनों का मकसद जान सकेंगे. यहीं पर एपिसोड समाप्त हो जाता है. सातवें एपिसोड में भी ड्रामे का इस्तेमाल अधिक किया गया है, जो साफसाफ नजर भी आ रहा है. एक जगह पर डा. अर्श मिस्त्री यह बयान देता है कि वह डा. राज और अंजू बैचमेच रहे थे, लेकिन वेब सीरीज में अंजू का परिचय क्रिमिनल लायर के रूप में बताया गया है. क्या अंजू ने मैडिकल की पढ़ाई के बाद या मैडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ कर ला किया था. इस का भी कहीं जिक्र नहीं किया गया है.
एपिसोड नंबर 8
आठवें और अंतिम एपिसोड का नाम ‘उच्च कानून’ रखा गया है. शुरुआत में इरा कमरे में सो रही होती है, तभी पांवों की आवाज होती है तो इरा सोफे के पीछे छिप जाती है. जब वह आने वाले को डराने को होती है, तभी डा. राज का अवार्ड वाला शीश और अवार्ड और उस के अंदर रखा स्कल्प जमीन पर गिर जाता है और शीशा टूट कर बिखर जाता है. आज कोर्ट में अंजू की पेशी है, इसलिए माधव दीपू से डा. अर्श से दवाई के बारे में पूछने को और रत्ना को बाजार से वही दवाई वाली शीशी लाने को कहता है. दीपू बताता है कि डा. अर्श को मैं ने कोर्ट में बुलवा लिया है. वह बता रहे थे कि यह दवाई शुगर के मरीजों को दी जाती है.
माधव शिवानी से कहता है कि तुम जरा यह पता कराओ कि नागपाल फेमिली में किसी को डायबिटीज तो नहीं है. मंदिरा कोर्ट में अंजू को पेश कर उस का सकारात्मक पहलू कोर्ट के सामने रखती है. उस के बाद लोक अभियोजक लेखा अगस्त्य अंजू पर यह साबित करने का प्रयास करती है कि उस ने रोशनी के मर्डर में प्रयुक्त हथियार पर फिंगरप्रिंट हटाने और हथियार को छिपाने में पूरी मदद की थी.
यदि आप ने अपने पति की मदद न की होती तो आज आप इस कठघरे में खड़ी न होतीं. अब जज माधव को बुलाते हैं, तभी दीपू आ कर माधव के कान में दवाई के साइड इफेक्ट के बारे में बता देता है. माधव अंजू से पूछता है कि इस की तबीयत कितने दिनों से एकदम खराब थी. वह एक महीना बताती है. उसे हाइपोग्लैकेमिया की बीमारी हो गई थी, जिस में सिरदर्द, सिर घूमना और फीवर भी आया था. तब माधव कोर्ट को बताता है कि यह डायबिटीज की दवा (शीशी दिखाते हुए) जो मर्डर वेपन के साथ अंजूजी के थैले से पुलिस को बरामद हुई थी. यदि इसे किसी साधारण इंसान को दिया जाए तो उसे इरा की बीमारी जैसे लक्षण यानी सिर दर्द, चक्कर आदि आते हैं.
नागपाल परिवार में कोई भी शुगर पेशेंट नहीं था तो फिर ये दवाई इरा को जानबूझ कर दी जा रही थी. इस के लिए इस केस की अब नए सिरे से जांच की जानी चाहिए और इस ट्रायल को मिस ट्रायल कर देना चाहिए. अब जज लेखा, माधव और मंदिरा को अपने केबिन में बुलाता है, तभी अंजू मंदिरा के कान में कुछ कहती है. माधव केबिन में आ कर मिस ट्रायल की मांग करता है. लेखा इसी ट्रायल को जारी करने की मांग रखती है, जबकि मंदिरा इरा का बयान कोर्ट में रहने की मांग करती है कि उस के बयान से दवाई वाला राज सामने आ सकता है.
इरा का नाम गवाहों की लिस्ट में भी था और डाक्टरों ने उसे बयान देने के लिए सर्टिफिकेट भी दे रखा था, इसलिए जज साहब इस के बयान को औन कैमरा रिकौर्ड करने का आदेश देते हैं. लेखा जब इरा से दवाई देने का प्रश्न पूछते हैं तो वह सीधे कह देती है कि उसे दवाइयां रोशनी दीदी ही दिया करती थीं. उस के बाद माधव इरा से प्रश्न पूछता है कि मैं आप के घर आया था और आधी पेंटिंग और ड्राइंग देखी थी, जिस में आप ने अपनी मौम के चित्र में रंग नहीं भरे थे, जबकि रोशनी दीदी के चित्र में रंग भरे थे. इस पर इरा कोई जवाब नहीं देती. उस के बाद अपनी बातों में उलझा कर माधव इरा से उस के और अंजू के सीक्रेट के बारे में पूछता है तो इरा कहती है कि सीक्रेट वह केवल अंजू के साथ ही शेयर कर सकती है.
माधव कोर्ट को बताता है कि जब उस दिन सुबह अंजू यह सोचते हुए कि आज शायद रोशनी इरा को दवाई देने नहीं आएगा तो वह इरा के पास खुद चली गई. उस ने देखा कि रोशनी दूध में दवाई डाल कर इरा को दे रही थी, लेकिन उस ने जैसे ही अंजू को देखा तो रोशनी ने वह दूध गमले में गिरा दिया. जब अंजू ने दवाई की शीशी देखी कि रोशनी जानबूझ कर उस की बेटी इरा को मौत के मुंह में धकेल रही है. जब उस ने रोशनी से पूछा तो रोशनी ने कहा जिस से तुम लोगों ने मेरे अनबौर्न बच्चे का कत्ल किया था, उसी तरह मैं इरा के साथसाथ तुम सब को मार दूंगी और फिर अंजू स्कल्प से रोशनी की गरदन पर वार कर वहां अपने फिंगरप्रिंट्स मिटा दिए.
अंजू कमला का इंतजार कर रही थी, लेकिन उस दिन सुबह डा. राज घर आ गए और इस मर्डर केस में फंस गए. जज फैसला सुनाता है कि अंजू नागपाल के बयान और सबूतों के आधार पर अदालत डा. राज नागपाल को बाइज्जत बरी करती है और अंजू नागपाल पर फैसला सारी धाराओं के अंतर्गत 5 फरवरी को सुनाया जाएगा. पुलिस अंजू को गिरफ्तार कर जेल ले जाती है.
माधव कहता है कि आप पहली वकील हैं, जिन्होंने मुझे पटकनी दी है. दोनों एकदूसरे का अभिवादन करते हैं. माधव वहां से जा रहा होता है, तभी उसे डा. राज मिल जाता है. माधव डा. राज से कहता है कि जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नहीं और जुर्म क्या है पता ही नहीं. स्कल्प उठा लीजिए डाक्टर साहब, उसी में आप की मुक्ति है. जाइए, आप का परिवार आप की प्रतीक्षा कर रहा है. इसी के साथ आठवां एपिसोड यानी आखिरी एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.
आठवें एपिसोड की बात करें तो यहां पर सीरीज का अंत जिस तरह से किया गया है, वह दर्शकों में एक निराशा का भाव उत्पन्न करता है. यहां पर यदि डा. अर्श अत्रे और अंजू के प्रेम संबंधों को दिखाया जाता और खूनी डा. अर्श अत्रे को साबित किया जाता तो इस सीरीज का अंत और अधिक रोमांचित कर सकता था. यदि पूरी सीरीज की बात करें तो इस सीरीज का मुख्य हीरो पंकज त्रिपाठी वकील कम जासूस और जोकर ज्यादा नजर आ रहा है. इतने बड़े और अच्छे कलाकार को कुछ गंभीर दिखाया जाता तो सीरीज में काफी जान लाई जा सकती थी. डा. राज यानी मोहम्मद जीशान अय्यूब पर इमोशनल दृश्यों में कहीं भी गहराई नजर नहीं आ रही है.
हां, राज की पत्नी के रूप में अंजू यानी सुखीर चावला और पीडि़त पक्ष की प्राइवेट प्रौसिक्यूटर लेखा के किरदार के रूप में श्वेता बसु प्रसाद ने अपने अभिनय से जरूर थोड़ा प्रभावित किया है. कुछ स्थानों पर ऐसा लगता है कि सींस शायद जल्दबाजी में खत्म किए गए हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक में थ्रिल और इमोशन भी कमजोर नजर आ रहा है. वेब सीरीज में कुछ टर्निंग पौइंट्स पर टेंशन और ड्रामा भटका सा दिखाई पड़ता है. देसी कहानी के नाम पर इस वेब सीरीज में पतिपत्नी जिस तरह से दिखाए गए हैं, वे वर्तमान समय में मुंबई के लेखकों पर पड़ते सामाजिक असर की बानगी दिखाता है.
पंकज त्रिपाठी
पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर, 1976 को बिहार के गोपालगंज जिले के बरौली के बेलसंड गांव में हुआ था. पंकज के पिता का नाम पंडित बनारस निवास और मम्मी का नाम हेमवंती है. परिवार में सब से छोटे पंकज त्रिपाठी ने हाईस्कूल करने के बाद हाजीपुर में स्थित इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की. वहां पर थिएटर भी किया और कालेज की राजनीति में भी सक्रिय भूमिकस रही. पंकज ने कुछ समय तक पटना के मौर्य होटल में भी काम किया. पंकज ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली से 2004 में स्नातक की उपाधि ली.
पंकज त्रिपाठी की पत्नी का नाम मृदुला है. मृदुला से पंकज की मुलाकात सन 1993 में हुई थी. उस समय मृदुला नवीं कक्षा में पढ़ती थी, जबकि पंकज उस समय 11वीं क्लास में. पंकज और मृदुला को अपनेअपने फेमिली वालों को शादी के लिए बड़ी मुश्किल से राजी करना पड़ा था. क्योंकि पंकज की बहन की शादी मृदुला के भाई से हुई थी और एक ही परिवार में शादी करने के लिए दोनों के परिवार वाले बिलकुल भी राजी नहीं थे, लेकिन दोनों का अटूट प्यार आखिर जीत ही गया और अंतत: 15 जनवरी, 2004 को दोनों का विवाह कर ही लिया.
पंकज त्रिपाठी ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत वर्ष 2004 में अभिषेक बच्चन और भूमिका चावला स्टारर फिल्म ‘रन’ से की थी. उस के बाद पंकज फिल्म ‘ओमकारा’ में भी एक छोटी भूमिका निभाई. लगभग 60 फिल्मों और 65 टेलीविजन शो में काम करने के बाद साल 2012 में पंकज ने ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ फिल्म सीरीज से अपना कमबैक किया और अपने आप को फिल्म उद्योग में एक बेहतरीन कलाकार के रूप में स्थापित किया. इस शांत स्वभाव के कलाकार ने अपने दम पर बौलीवुड में एक अलग मुकाम हासिल किया. अपने मासूम अभिनय से सब को दीवाना बना देने वाला पंकज त्रिपाठी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है.
सुरवीन चावला
अभिनेत्री सुरवीन चावला का जन्म पहली अगस्त 1984 को चंडीगढ़ के एक सिख परिवार में हुआ था. बचपन से ही उसे अभिनय और नृत्य का शौक था. सुरवीन ने स्थानीय स्कूल चंडीगढ़ से अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की और उस के बाद चंडीगढ़ महिला कालेज से अंग्रेजी में स्नातक किया. पढ़ाई के साथसाथ सुरवीन ने अभिनय और मौडलिंग की दुनिया में भी कदम रखा. सुरवीन ने अपने अभिनय की शुरुआत टेलीविजन ‘कहीं तो होगा’ (2003) से की थी. उस के बाद टेलीविजन धारावाहिक ‘कसौटी जिंदगी की’ (2004) और ‘कज्जल’ (2006) में भी उस के अभिनय को काफी सराहा गया. उस ने रियलटी शो ‘एक खिलाड़ी एक हसीना’ (2008) में क्रिकेट खिलाड़ी श्रीसंत के साथ भाग लिया. उस ने कामेडी सरकस के सुपरस्टार को भी होस्ट किया.
सुरवीन चावला ने फिल्मी करिअर की शुरुआत कन्नड़ फिल्म ‘परमेशा पानवाला’ (2008) से की. उस ने पंजाबी सिनेमा फिल्म ‘धरती’ (2011) से शुरुआत की. पंजाबी फिल्म ‘धरती’ के लिए उसे पीटीसी पंजाबी फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इस के अतिरिक्त उस ने बाद में ‘साड्ïडी लव स्टोरी’, ‘डिस्को सिंह’, ‘लकी दी अनलकी स्टोरी’ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है. सुरवीन ने बौलीवुड में ‘हेट स्टोरी 2’ से अपने अभिनय की शुरुआत की. इस के अतिरिक्त सुरवीन हिंदी फिल्म ‘अग्ली’ (2013), ‘पाच्र्ड’ (2015) और ‘छुरी’ (2017) में मां काम कर अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी हैं.
2015 में सुरवीन चावला ने इटली के वेनेटो में एक निजी समारोह में बिजनैसमैन अक्षय ठक्कर से विवाह किया. उस ने अपनी इस शादी को 2 साल तक छिपाए रखा और 27 सितंबर, 2017 को ट्विटर पर इस की घोषणा की. 2019 में उन की बेटी ईवा का जन्म हुआ था. सुरवीन का परिवार चंडीगढ़ में रहता है. उस के पिता और भाई दोनों व्यवसायी हैं, जबकि उस की मम्मी गृहिणी हैं. उस के परिवार ने हमेशा उस की कड़ी मेहनत की सराहना की है. हालांकि शुरुआत में उस का परिवार ‘हेट स्टोरी-2’ के बोल्ड दृश्यों से काफी नाखुश था. Web Series Criminal Justice-4