True Love Story: सोनू ने विजय से प्यार करने की एक ऐसी शर्त रखी, जिसे पूरा करने के लिए विजय को सोनू सहित जेल जाना पड़ा. क्या इसे प्यार कह सकते हैं? दोपहर के खाने का सायरन बजा तो राम सिंह अपनी मशीन बंद कर के फैक्ट्री के बाहर ढाबे पर आ गया. राम सिंह आर.एस. टूल्स नाम की फैक्ट्री में काम करता था. खाना खाने के बाद वह लघुशंका के लिए फैक्ट्री के पीछे खाली प्लौट की ओर बढ़ गया. खाली प्लौट फैक्ट्री के ठीक पीछे था, जिस में केवल झाडि़यां उगी थीं.
वह जैसे ही झाडि़यों के पास पहुंचा, उसे झाडि़यों में एक इंसानी पैर झांकता दिखाई दिया. बाकी सारा शरीर झाडि़यों के भीतर था. पैर देख कर राम सिंह को लगा कि शायद कोई शराबी नशे में धुत हो कर झाड़ी में पड़ा है. लेकिन अचानक उस के दिमाग को झटका सा लगा. उस ने सोचा कि शराब पी कर भला कोई झाडि़यों और गंदगी में क्यों लेटेगा? उस के मन में शंका हुई तो उस ने आगे बढ़ कर झाडि़यों में झांक कर देखा. खून से लथपथ एक लड़की की लाश देख कर उस का पूरा शरीर कांप उठा. वह तुरंत उल्टे पांव भागा.

ढाबे पर आ कर उस ने ढाबा मालिक और वहां खड़े अन्य कर्मचारियों को इस बारे में बताया और फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को भी इस बात की सूचना दी. पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना घटनास्थल से संबंधित थाना फोकल प्वाइंट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर गुरतेज सिंह और ढंडारी पुलिस चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह को मिली तो दोनों ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. एक 20-22 साल की खूबसूरत लड़की की लाश झाडि़यों के बीच पड़ी थी. उस के सिर, पेट व गर्दन पर किसी तेज धार वाले हथियार के काफी गहरे घाव थे. लाश के पास व झाडि़यों से थोड़ा पहले कई जगह काफी खून बिखरा हुआ था. जाहिर था, लड़की की हत्या उसी जगह की गई थी.
प्रथम दृष्टया ऐसा लगता था, जैसे कोई युवक शारीरिक संबंध बनाने के लिए लड़की को बहाने से वहां लाया था और लड़की के इनकार करने पर या किसी दूसरी वजह से उस की हत्या कर दी थी. लेकिन ऐसी संभावना कम थी. बहरहाल यह तय था कि वह लड़की जो भी रही हो, अपनी मरजी से वहां आई थी. चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह अभी घटनास्थल का मुआयना कर रहे थे कि एसीपी गुरप्रीत सिंह और क्राइम टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. मृतका पर तेज धार हथियार से बड़ी बुरी तरह से वार किए गए थे. उस के शरीर से निकला खून जम कर काला पड़ गया था. इस का मतलब यह था कि हत्या आधी रात के आसपास किसी वक्त की गई थी.
घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद एसीपी गुरप्रीत सिंह और इंसपेक्टर गुरतेज सिंह, चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह को दिशानिर्देश दे कर लौट गए. गुरबख्शीश सिंह ने मृतका की लाश कब्जे में ले कर पंचनामा किया और शिनाख्त के लिए उसे 72 घंटे के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया. शाम को प्रेस कौन्फ्रैंस कर के उन्होंने पत्रकारों से रिक्वेस्ट की कि मृतका की शिनाख्त में उन की मदद करें. इस के अलावा लाश की फोटो और हुलिया अखबारों में छपवा कर जनता से भी पहचान की अपील की.
इस मामले में आगे की जांच के लिए एक स्पैशल टीम बनाई गई, जिस में उन्होंने एएसआई राजेंद्र सिंह, हेडकांस्टेबल योगराज सिंह, रूपेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, रणधीर सिंह, कांस्टेबल बलविंदर तथा महिला हवलदार गुरमीत कौर को शामिल किया. घटना 1-2 जनवरी, 2015 की मध्यरात्रि की थी. चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह ने इस मामले में अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा कर इस की जांच शुरू कर दी थी. इस समाचार को चूंकि अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, इसलिए लाखों लोगों ने पढ़ा.
इस समाचार के छपने के बाद पालाराम नाम के एक व्यक्ति ने चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह के पास पहुंच कर संदेह व्यक्त किया कि अखबार में छपी लाश की फोटो का हुलिया काफी हद तक उस की बेटी सोनिया से मिलताजुलता है. उस ने यह भी बताया कि उस की बेटी सोनिया हरगोविंदनगर, लुधियाना स्थित एस.डी. इंडस्ट्रीज में काम करती थी, पर बीते दिन काम पर जाने के बाद वह घर नहीं लौटी थी. चौकीप्रभारी गुरबख्शीश ने पालाराम को मोर्चरी ले जा कर लाश दिखाई तो उस ने लाश को पहचान कर बताया कि यह उस की बेटी सोनिया की लाश है.
गुरबख्शीश के सिर से आधा बोझ उतर गया, क्योंकि ब्लाइंड मर्डर केस को हल करने के लिए मरने वाले की पहचान होना जरूरी होता है. लाश की शिनाख्त होने के बाद पोस्टमार्टम करवा कर उसी दिन लाश पालाराम को सौंप दी गई. सोनिया के अंतिम संस्कार के अगले दिन गुरबख्शीश सिंह ने पालाराम से पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘सोनिया हरगोविंद नगर की एस.डी. इंडस्ट्रीज में काम करती थी और अपनी सहेली सोनू के साथ काम पर आतीजाती थी. कल रात सोनू का जन्मदिन था, जिस में उस ने सोनिया को भी बुला रखा था.
‘‘फैक्ट्री से छुट्टी होने के बाद सोनिया सोनू के घर जाने वाली थी. रात को जब सोनिया घर नहीं लौटी तो हम ने सोचा कि रात को वह सोनू के घर पर रुक गई होगी.’’
गुरबख्शीश ने फैक्ट्री मैनेजर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि कल लंच टाइम में सोनू सोनिया की छुट्टी करवा कर अपने साथ ले गई थी. अब तक की तफतीश से यह बात स्पष्ट हो गई थी कि सोनिया की हत्या में सोनू की किसी न किसी रूप में भूमिका जरूर थी. अब सवाल यह था कि सोनू कौन थी और कहां रहती थी? बहरहाल, युद्धस्तर पर सोनू की तलाश शुरू कर दी गई. साथ ही गुरबख्शीश सिंह ने मृतका से बरामद मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा ली. काल डिटेल्स में 3 ऐसे फोन नंबर सामने आए, जिन से पिछले 2 दिनों में मृतका की सब से अधिक बातें हुई थीं. उन तीनों नंबरों को खंगाला गया तो उन में एक नंबर सोनू का निकला. उसी के आधार पर पता चला कि सोनू पीर वाली गली स्थित सिंगार दा वेहड़ा निवासी नरेश शर्मा की बेटी थी और बीयरिंग बनाने वाली फैक्ट्री में काम करती थी.
नरेश शर्मा मूलत: अंबाला के रहने वाले थे. काम के सिलसिले में वह काफी समय पहले लुधियाना आ कर बस गए थे. बहरहाल सोनू का पता मिलते ही गुरबख्शीश सिंह ने पूछताछ के लिए उसे चौकी बुलवा लिया. पूछताछ के दौरान पहले तो वह सोनिया के बारे में अंजान बनती रही. उस का कहना था कि वह किसी सोनिया को नहीं जानती. चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह ने जब उसे सोनिया की काल डिटेल्स दिखाई तो सोनू ने बताया कि वह सोनिया को जानती ही नहीं थी, बल्कि उस की हत्या के षडयंत्र में शामिल भी थी. सोनिया की हत्या विजय, सुमित, संदीप और सोनू ने मिल कर की थी. इस के बाद गुरबख्शीश सिंह ने सोनू की निशानदेही पर पीर वाली गली में छापा मार कर विजय को गिरफ्तार कर लिया. सोनू और विजय की गिरफ्तारी की खबर सुन कर संदीप और सुमित फरार हो गए.
चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह ने सोनू और विजय को 5 जनवरी, 2015 को ड्यूटी मजिस्ट्रेट पुष्पा रानी की अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि के दौरान गुरबख्शीश सिंह ने सोनू और विजय की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त खंजर और बाइक बरामद कर ली. उन से की गई पूछताछ में सोनिया की हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, उस की जड़ में ईर्ष्या भी थी और पश्चिमी सभ्यता भी.
विजय, सुमित, संदीप, सोनू और सोनिया सभी लुधियाना के फोकल प्वाइंट क्षेत्र में आसपास रहते थे और आसपास की ही फैक्ट्रियों में काम करते थे. विजय गांव बगाहा, जिला रायबरेली का रहने वाला था और लुधियाना के फोकल प्वाइंट, पीर वाली गली में रहता था. सोनू भी इसी गली के सिंगार का वेहड़ा में रहती थी. संदीप उर्फ मोनू भी इसी क्षेत्र में ज्वाला का वेहड़ा में रहता था. मृतका सोनिया गली नंबर साढ़े 6, गुरु रामदास कालोनी, सतनाम का वेहड़ा में रहती थी.
आसपास घर और फैक्ट्रियां होने की वजह से ये सभी काम पर साथसाथ आतेजाते थे. खानापीना भी साथसाथ होता था. 19 वर्षीया सोनिया खूबसूरत लड़की थी. उस के शरीर का एकएक अंग सांचे में ढला प्रतीत होता था. उस के कई सहकर्मी उस की सुंदरता के दीवाने थे और उसे पाने का सपना देखते थे. लेकिन सोनिया विजय की दीवानी थी. वैसे तो सोनिया के कई लड़कों से संबंध थे, लेकिन मन से वह विजय पर फिदा थी और उसी से शादी करना चाहती थी. सोनिया जहां साधारण सी दिखने वाली लड़की थी, वहीं सोनू बौबकट बालों वाली, टौप जींस पहनने वाली फैशनपरस्त लड़की थी. विजय उस की ओर आकर्षित था. सोनू लड़कों की तरह सिगरेट और शराब आदि का भी सेवन कर लेती थी. जबकि सोनिया इन चीजों से कोसों दूर रहती थी.
सोनिया जहां विजय की दीवानी थी, वहीं सोनू भी इस दौड़ में शामिल थी. एक दिन सेनिया ने अचानक विजय का रास्ता रोक कर उस के सामने अपने प्यार का इजहार कर डाला. विजय ने सोनिया का प्यार स्वीकार कर लिया. इस के बाद विजय और सोनिया में दोस्ती हो गई. फैक्ट्री की छुट्टी के बाद अकसर दोनों रंगरलियां मनाने लगे. यह देख कर सोनू के कलेजे पर सांप लोटने लगा. चाह कर भी वह सोनिया का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी. वह समझ गई कि वक्त अभी उस के साथ नहीं है. यह अलग बात थी कि विजय के सोनिया के साथ संबंध बन गए थे, पर मन ही मन वह चाहता सोनू को ही था. वह सोनू के खुले विचारों पर फिदा था. सोनू उस की पहली पसंद थी.
लेकिन जब से विजय के सोनिया के साथ संबंध बने थे, सोनू उस से दूर होती चली गई थी. कई बार विजय मन ही मन सोचता था कि सोनिया से संबंध बना कर उस ने बहुत बड़ी गलती की है. बहरहाल, यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. सोनू सही मौके की तलाश में थी. सोनिया और विजय के बीच लगभग 2 साल पहले तक संबंध बने रहे. इस बीच जब सोनिया से विजय का मन पूरी तरह से भर गया तो वह सोनू की ओर आकर्षित होने लगा. लेकिन सोनू जल्दबाजी कर के कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. वह बहुत फूंकफूंक कर कदम रख रही थी.
दिखावे के तौर पर सोनू जहां अपनी अदाओं से विजय को घायल कर रही थी, वहीं उस से दूरी बना कर भी चल रही थी. दूसरी ओर सोनिया विजय पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी. एक दिन सोनिया ने विजय को घेर कर पूछा, ‘‘आखिर तुम कब तक यूं ही मेरे शरीर से खेलते रहोगे? शादी क्यों नहीं करते, मैं बदनाम हो रही हूं.’’
‘‘मैं ने तुम से कब कहा था कि मैं तुम से शादी करूंगा.’’ विजय ने गुस्से से सोनिया का हाथ झटकते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी तो कई लड़कों से यारी है तो क्या वे सब तुम से शादी करेंगे?’’
‘‘मेरी उन से सिर्फ दोस्ती है. अपना शरीर तुम्हारे सिवाय मैं ने किसी और को नहीं सौपा है समझे.’’ सोनिया ने चिल्लाते हुए कहा.
बीच सड़क में बात बढ़ती देख विजय ने सोनिया को समझाते हुए कहा, ‘‘फिलहाल तुम शादीब्याह की बातों को यहीं खत्म करो और वक्त का इंतजार करो.’’
उस समय सोनिया ने भी बात खत्म करना ही उचित समझा. लेकिन यह बात वह अच्छी तरह समझ चुकी थी कि विजय उस से कभी शादी नहीं करेगा. उधर उसी दिन विजय सोनू से मिल कर अपने प्यार की दुहाई देने लगा. उस ने सोनू को यह भी बताया कि सोनिया उस पर शादी के लिए दबाव डाल रही है, जबकि वह उस से शादी नहीं करना चाहता. विजय की बात सुन कर सोनू ने बड़ी अदा से कहा, ‘‘यह सब तुम मुझ से क्यों बता रहे हो? तुम तो सोनिया के दीवाने थे, उस से प्यार करने का दावा करते थे. अब शादी करने से क्यों भाग रहे हो?’’
यह सुन कर विजय फट पड़ा, ‘‘यह तुम से किस ने कह दिया कि मैं सोनिया से प्यार करता हूं. प्यार तो मैं तुम से करता था और करता हूं. तुम्हीं हवा में उड़ रही थीं तो मैं क्या करता? मैं ने टाइम पास के लिए सोनिया से दोस्ती कर ली थी. मुझे क्या पता था कि वह मेरे गले की हड्डी बन जाएगी.’’
विजय की बात सुन कर सोनू मन ही मन बहुत खुश हुई. वह सोचने लगी कि अब ऊंट पहाड़ के नीचे आया है. बहरहाल सोनू ने अपने कंधे उचका कर लापरवाही से कहा, ‘‘मैं इस में क्या कर सकती हूं. यह तुम्हारा मामला है, तुम ही इसे अपने तरीके से सुलटो तो अच्छा रहेगा.’’
‘‘लेकिन सोनू तुम समझती क्यों नहीं, मैं सोनियां से नहीं, तुम से प्यार करता हूं.’’
‘‘मुझ से प्यर करते हो तो अपने प्यार का प्रमाण दो. ऐसे कहने से क्या होता है. मैं कैसे विश्वास कर लूं कि तुम जो कह रहे हो, वह सच है?’’
‘‘ठीक है, तुम ही बताओ मैं क्या करूं?’’ विजय ने कहा, ‘‘तुम जैसे भी चाहो, मेरा इम्तिहान ले सकती हो.’’
विजय की बात सुन कर कुछ देर खामोश रहने के बाद सोनू ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं शाम तक तुम्हें सोच कर बताऊंगी.’’
शाम को जब सोनू विजय से मिली तो उसे अपनी अदाएं और नखरे दिखाने लगी. यह देख कर विजय सोनू के आगे गिड़गिड़ाने लगा. लोहा गरम देख सोनू ने चोट करते हुए बड़े नाजनखरे से कहा, ‘‘विजय, तुम्हारे लिए अपना प्रेम और मेरे प्रति वफादारी साबित करने का एक तरीका है. अगर तुम मेरे इस इम्तिहान में पास हो गए तो मैं जीवनभर तुम्हारी गुलाम बन कर रह सकती हूं. अगर तुम वाकई मुझ से प्यार करते हो तो तुम मेरी यह बात जरूर मानोगे.’’
‘‘तुम एक बार आजमा कर तो देखो. मुझे बताओ कि मुझे क्या करना है. तुम्हारे लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूं.’’ विजय ने बड़े विश्वास से कहा.
‘‘तो सुनो, सोनिया को रास्ते से हटा दो. तुम्हारे और मेरे बीच यही सब से बड़ा कांटा है.’’
सोनू की बात सुन कर विजय का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सोनू सोनिया की हत्या की बात कर सकती है. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘यह तुम क्या कह रही हो सोनू?’’
‘‘क्यों, मैं ने क्या गलत कह दिया.’’ सोनू ने विजय के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘अभीअभी तो तुम अपनी जान देने की बात कर रहे थे. अपनी जान दे कर मेरे शरीर को कैसे पाओगे. मैं तुम्हें सोनिया की जान लेने और अपने साथ ऐश करने के लिए कह रही हूं. फिर मुझे जो कहना था, सो कह दिया. अब आगे तुम जानो, तुम्हारा काम जाने.’’
‘‘लेकिन सोनू, हमारे प्यार के लिए सोनिया की हत्या करने की क्या जरूरत है. मैं तुम से वादा करता हूं कि मैं उस से बिलकुल संबंध तोड़ दूंगा. वह कभी हमारे रास्ते की रुकावट नहीं बनेगी.’’
सोनू ने विजय से सटते हुए कहा, ‘‘विजय, हमारे अच्छे भविष्य के लिए उस का मरना जरूरी है. अगर तुम इस काम के लिए तैयार हो तो मुझे अपनी बांहों में ले कर मेरे होंठों को चूम लो, वरना मैं चली.’’
सोनू से इस तरह खुला निमंत्रण पा कर विजय की उत्तेजना चरम पर पहुंच गई. उस ने आगे बढ़ कर सोनू को अपनी बांहों में जकड़ लिया और उस के तपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए. एक तरह से यह विजय द्वारा सोनिया की हत्या किए जाने की स्वीकृति थी. उसी दिन विजय और सोनू ने मिल कर सोनिया की हत्या की योजना बना डाली. अपनी इस योजना में विजय ने अपने दोस्तों, सुमित और संदीप को भी शामिल कर लिया. सुमित और संदीप ने विजय के सामने सोनिया की हत्या करने में साथ देने के लिए शर्त रखी थी कि सोनिया की हत्या के बाद वह उन दोनों को सोनू के साथ हमबिस्तर होने देगा. सोनू और विजय ने यह शर्त स्वीकार कर ली तो उसी दिन विजय, सोनू, संदीप और सुमित ने मिल कर सोनिया की हत्या करने की पूरी तैयारी कर ली.
योजनानुसार घटना वाले दिन सब ने अपनेअपने काम से छुट्टी कर ली. दोपहर को लंच टाइम में सोनिया की फैक्ट्री जा कर सोनू ने उसे बताया कि आज उस का जन्मदिन है. अत: वह फैक्ट्री से छुट्टी ले कर उस के साथ चले. शाम को पार्टी का प्रोग्राम है और तैयारी के लिए उसे उस की मदद की जरूरत है. सोनिया सोनू की चाल से अंजान थी, इसलिए सोनू के साथ बेहिचक चली आई. सोनिया के आ जाने के बाद सभी लोग गली पीर वाली स्थित विजय के घर पर एकत्र हुए. उस दिन विजय के घर वाले कहीं गए हुए थे. सुमित और संदीप ने वहां खानेपीने का इंतजाम पहले से ही कर रखा था. सोनू और सोनिया के वहां पहुंचते ही गिलासों में शराब डाली गई और जाम से जाम टकराने लगे.
सभी लोग अपनीअपनी रंगीन बातों और शराब की मस्ती में डूबे थे. तीनों बारीबारी से सोनू और सोनिया को चूम रहे थे. सोनू और सोनिया ने भी जम कर शराब पी. जब सब को नशा हो गया तो विजय और सोनिया किसी बात पर आपस में उलझ पड़े. दोनों के बीच आपस में तकरार होने लगी. कमरे में शोर मचते देख सोनू ने बीचबचाव करते हुए विजय से चुप रहने को कहा. सोनू की बात मान कर विजय चुप हो गया तो संदीप ने बोतल की बची शराब थोड़ीथोड़ी सब के गिलासों में डाल दी.
तब तक रात के लगभग 11 बज चुके थे. सर्दियों का मौसम होने की वजह से चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. अपनेअपने गिलासों की शराब खत्म करने के बाद सभी योजनानुसार उठ खड़े हुए और एक ही बाइक पर सवार हो कर फोकल प्वाइंट के सुनसान इलाके की ओर चल पड़े. आईसीडी कंपनीज के पीछे वाला इलाका बिलकुल सुनसान और झाडि़यों से भरा हुआ था. उस वक्त बाइक संदीप चला रहा था. झाडि़यों के पास पहुंच कर उस ने बाइक रोक दी. बाइक रुकते ही विजय ने सोनिया को खींच कर नीचे उतारा और सुमित की मदद से खींच कर झाडि़यों में ले गया. नशे में धुत होने के कारण वह कुछ नहीं समझ पाई. उस ने सोचा कि शायद उस से प्यार करने के लिए उसे झाडि़यों के बीच ले जाया जा रहा है.
झाडि़यों में पहुंच कर सुमित ने पीछे से सोनिया के बाजू पकड़ लिए तो विजय ने साथ लाए खंजर से उस पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए. सोनिया ने चीखना चाहा तो सोनू ने आगे बढ़ कर उस का मुंह दबोच लिया. सोनिया के शरीर से खून के फव्वारे फूट पड़े. कुछ ही देर में वह बेजान हो कर जमीन पर गिर पड़ी. सोनिया की हत्या कर के उस की लाश वहीं झाडि़यों में छोड़ कर सभी अपनेअपने घर चले गए. किसी को उन पर संदेह न हो, इसलिए अगले दिन से सभी अपनेअपने कामों पर जाने लगे.
चौकीप्रभारी गुरबख्शीश सिंह ने विजय और सोनू की रिमांड के दौरान ही इस हत्याकांड से जुड़े संदीप और सुमित को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद रिमांड अवधि समाप्त होने पर सभी अभियुक्तों को 7 जनवरी को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अगर मृतका सोनिया का मोबाइल फोन पुलिस के हाथ न लगा होता तो उस के हत्यारों को पकड़ना संभव. True Love Story


 
 
 
            



 
                
                
                
                
                
                
                
                
               
 
                
               
