Madhya Pradesh Crime : दोस्‍त के शराब में नींद की गोली मिला कर किया मर्डर

Madhya Pradesh Crime : शराब और शबाब तब घातक बन जाते हैं, जब आदमी उन का आदी बन जाए. अगर अवैध रिश्ते के साथ कोई शराब को भी प्रेमिका बना ले तो उसे अपनी उलटी गिनती शुरू कर देनी चाहिए. मयंक के मामले में भी यही हुआ…  

टना 25 सितंबर, 2019 की है. शाम के करीब 4 बजे थे. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ क्षेत्र का रहने वाला मयंक जब रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस के पिता सुभाष खरे ने उसे खोजना शुरू कर दिया. मयंक शाम को कार ले कर घर से निकला थामयंक खरे के छोटे भाई प्रियंक खरे ने जब मयंक के मोबाइल पर फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. मयंक अविवाहित और बेरोजगार था. कोई काम करने के बजाए वह अपने पिता की कार ले कर दिन भर इधरउधर घूमता रहता था, जिस से उस के पिता परेशान थे.

मयंक के पिता सुभाष खरे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. उस समय टीकमगढ़ में भारी बारिश हो रही थी. समस्या यह थी कि ऐसे मौसम में उसे खोजने जाएं भी तो कहां जाएं. पिता सुभाष ने यह सोच कर मयंक के खास दोस्त इशाक खान को फोन लगाया कि हो हो उसे मयंक के बारे में कोई जानकारी हो. लेकिन उस के फोन की घंटी बजती रही, उस ने काल रिसीव नहीं की. इस से सुभाष खरे का माथा ठनका कि इशाक ने फोन क्यों नहीं उठाया

रात भर परिवार के सभी लोग मयंक की चिंता करते रहे. अगले दिन पिता सुभाष ने टीकमगढ़ थाने में मयंक की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. टीआई अनिल मौर्य ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी टीकमगढ़ के एसपी अनुराग सुजनिया को दे दी. साथ ही मयंक का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया. मयंक का परिवार उस की खोज में लगा हुआ था. परिवार वालों की दूसरी चिंता यह थी कि मयंक के दोस्त इशाक खान ने उन का फोन क्यों रिसीव नहीं किया, उस की दुकान भी बंद थी. इशाक का भी कोई अतापता नहीं था. उस के घर वालों से जब उस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जताई

दरअसल, इशाक और मयंक के बीच कुछ कहासुनी हुई थी. वजह यह थी कि मयंक और इशाक की पत्नी शबाना के बीच नजदीकी संबंध थे. इस बात की जानकारी उस के परिवार वालों को भी थी. इसलिए पूरा संदेह इशाक पर जा रहा था. इशाक के इस तरह लापता होने मयंक के परिवार वालों का फोन नहीं उठाने से उन की चिंता बढ़ने लगी थी. मयंक के परिवार वालों ने इशाक और मयंक के बीच हुई कहासुनी की सारी जानकारी टीआई अनिल मौर्य को दी. टीआई मौर्य को घटना में अवैध संबंधों की बात पता लगी तो उन्हें मामला गंभीर नजर आया

उन्होंने इस नई सूचना से एसपी अनुराग सुजनिया को अवगत करा दिया. एसपी ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी एम.एल.चौरसिया को सौंप दी. उन्होंने एसडीपीओ सुरेश सेजवार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में टीआई अनिल मौर्य, टीआई (जतारा) आनंद सिंह परिहार, टीआई (बमोरी कलां) एसआई बीरेंद्र सिंह पंवार आदि तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. इस पुलिस टीम ने तेजी से जांचपड़ताल शुरू कर दी. पुलिस जांच में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि इस घटना में मयंक खरे के पड़ोसी इशाक के अलावा उस का एक रिश्तेदार इकबाल नूरखान भी शामिल है. पुलिस ने दोनों के घर दबिश दी, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले.

4-5 दिन कोशिश करने के बाद भी जब ये लोग नहीं मिले तो पुलिस ने पहली अक्तूबर को दोनों के खिलाफ मयंक खरे के अपहरण का मामला दर्ज कर लियाकई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस मयंक खरे के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी तो कायस्थ समाज ने विरोध प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. यह प्रदर्शन पूरे जिले में व्यापक स्तर पर किया था, जिस की गूंज आईजी सतीश सक्सेना के कानों तक पहुंची. आईजी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी अनुराग सुजनिया को निर्देश दिए कि केस का जल्द से जल्द परदाफाश किया जाए. उन्होंने अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया. उच्चाधिकारियों के दबाव में जांच टीम रातदिन काम करने लगी.

आखिर पता चल ही गया मयंक का मयंक के लापता होने के एक हफ्ता के बाद पुलिस को पहली सफलता उस समय मिली, जब उस ने 4 अक्तूबर को मयंक के अपहरण के मामले में इशाक खान, इकबाल और इन का साथ देने वाले रहीम खान, मजीद खान, रहमान खान को गिरफ्तार कर लियापुलिस ने उन से मयंक के बारे में पूछताछ की तो आरोपियों ने स्वीकार कर लिया कि वे मयंक की हत्या कर चुके हैं और उस की लाश घसान नदी में फेंक दी थी. हत्या की बात सुन कर पुलिस चौंकी. लाश बरामद करने के लिए पुलिस पांचों आरोपियों को ले कर उस जगह पहुंची, जहां उन्होंने मयंक खरे की लाश घसान नदी में फेंकी थी. पुलिस ने नदी में गोताखोरों से लाश तलाश कराई, लेकिन लाश वहां नहीं मिली.

घटना की रात तेज बारिश की वजह से नदी में बाढ़ जैसी स्थिति थी. इस से लाश दूर बह जाने की आशंका थी. एक आशंका यह भी थी कि लाश बरामद हो, इस के लिए आरोपी झूठ बोल रहे हों, इसलिए टीकमगढ़ के आसपास नदी तालाबों में लाश की तलाश तेज कर दी गई. आरोपियों से पूछताछ के बाद मयंक खरे की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह नाजायज संबंधों की बुनियाद पर टिकी थी. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के चकरा तिराहा इलाके में एक आवासीय इलाका है शिवशक्ति नगर. सुभाष खरे अपने परिवार के साथ शिवशक्ति नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे थे, जिन में मयंक बड़ा था. सुभाष खरे के घर के ठीक बगल में रहमान खान का घर था. इशाक रहमान का ही बेटा था. इशाक की शादी हो चुकी थी, उस की बीवी शबाना बहुत खूबसूरत थी.

मयंक और इशाक की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था. दोनों की बचपन से अच्छी दोस्ती थी. इशाक ड्राइवर था, जिस की वजह से वह अधिकांश समय घर से बाहर रहता था. छोटीमोटी आमदनी घर बैठे होती रहे, इस के लिए उस ने परचून की दुकान खोल ली थी, जिस पर उस की पत्नी शबाना बैठती थी. मयंक के घर में जरूरत का सामान शबाना की दुकान से ही आता था. मयंक खाली घूमता था, इसलिए शबाना की दुकान पर खड़े हो कर उस से बातें करता रहता था. शबाना खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी, इसलिए मयंक उसे चाहने लगा. शबाना को भी मयंक की बातों में रस आता था, इसलिए उस का झुकाव मयंक खरे की तरफ हो गया

मयंक ने खुद डाला आग में हाथ कुछ ही दिनों में मयंक शबाना का ऐसा दीवाना हो गया कि उसे दिनरात उस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था. इशाक से दोस्ती होने के कारण वह शबाना को भाभीजान कहता था. शबाना का दिल भी मयंक के लिए धड़कने लगा. आग दोनों तरफ लगी थी, इसलिए उन के बीच जल्द ही अवैध संबंध बन गए. इशाक जब कभी शहर से बाहर जाता तो मयंक और शबाना को वासना का खुला खेल खेलने का मौका मिल जाता था. जिस के चलते शबाना को मयंक अपने शौहर से ज्यादा अच्छा लगने लगा. लेकिन यह बात इशाक से ज्यादा दिनों तक छिपी रह सकी

धीरेधीरे इशाक को अपनी पत्नी और मयंक के बीच पक रही अवैध रिश्तों की खिचड़ी की महक महसूस हुई. फिर भी उस ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो वह दोनों पर कड़ी नजर रखने लगा. आखिर एक दिन उस ने शबाना को मयंक के साथ नैनमटक्का करते देख लिया. उस दिन उस ने शबाना की खासी पिटाई की. साथ ही उस ने मयंक से भी दूरी बनानी शुरू कर दी. लेकिन एक बार पास आने के बाद दूर जाने की बात तो मयंक को सुहाई और शबाना इस के लिए राजी थी, इसलिए शौहर के विरोध के बावजूद शबाना ने मयंक के साथ रिश्ते खत्म नहीं किए. इस के चलते इशाक और मयंक के बीच एकदो बार विवाद भी हुआ. इशाक के मना करने के बावजूद शबाना और मयंक अपनी इश्कबाजी से बाज नहीं रहे थे.

यही नहीं, इस बीच इशाक के घर में कुछ दिनों के लिए उस के रिश्तेदार की एक नाबालिग लड़की आई तो मयंक ने उस किशोरी से भी संबंध बना लिए. इस बात की खबर इशाक को लगी तो उस का खून खौल उठा. लिहाजा इशाक ने ऐसे दगाबाज दोस्त को ठिकाने लगाने की ठान ली. इशाक की मयंक से अनबन हो चुकी थी, जबकि अपनी योजना को अंजाम देने के लिए इशाक की मयंक से नजदीकी जरूरी थी. उस स्थिति में योजना को आसानी से अंजाम दिया जा सकता था. मयंक से फिर से दोस्ती बढ़ाने के लिए इशाक ने अपने चचेरे भाई इकबाल का सहारा लिया. इकबाल के सहयोग से उस ने मयंक से बात की.

मयंक वैसे तो काफी चालाक था. इशाक से वह सतर्क भी रहता था. लेकिन इशाक ने उसे समझाया कि देख भाई जो हुआ, सो हुआ अब आगे से ध्यान रखना कि ऐसा हो. रही हमारी दोस्ती की बात तो वह पहले की तरह चलती रहेगी. क्योंकि हमारे झगड़े में दूसरों को हंसने का मौका मिल जाता है. इशाक की बात सुन कर मयंक खुश हो गया. उसे लगा कि इस से वह अपनी भाभीजान शबाना से पुरानी नजदीकी पा लेगा. लिहाजा उस का फिर से इशाक के यहां आनाजाना शुरू हो गया. लेकिन उसे यह पता नहीं था कि इशाक के रूप में मौत उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है.

इशाक ने मयंक को ठिकाने लगाने के लिए अपने चचेरे भाई इकबाल, पत्नी शबाना और दोस्त पन्नालाल कल्लू के साथ योजना बना ली. शराब का घातक दौर योजना के अनुसार 25 सितंबर, 2019 को इशाक ने फोन कर के मयंक को शराब की पार्टी के लिए बीलगाय कलां बुलाया. शाम के समय मयंक अपनी कार से 30 किलोमीटर दूर बीलगाय कलां पहुंच गया. वहां पर इशाक, इकबाल, कल्लू और पन्नालाल उस का इंतजार कर रहे थे. इशाक का एक घर बीलगाय कलां में भी था. सब उसी घर में बैठ कर सब शराब पीने लगे.

इशाक के दोस्त इकबाल ने मौका मिलते ही मयंक के शराब के गिलास में नींद की गोलियां डाल दीं. शराब पीने के बाद वे सभी मयंक की कार में बैठ गए. कार इशाक चला रहा था और मयंक उस के बराबर में बैठा था. एक जगह कार रोक कर इशाक ने अपने साथ लाई लाइसेंसी दोनाली बंदूक से मयंक पर गोली चलाई जो उस के कंधे में लगी. मयंक घबरा गया. डर की वजह से उस का नशा उतर चुका था. इशाक ने उस पर दूसरी गोली चलाई तो मयंक झुक गया, जिस से गोली कार का शीशा तोड़ कर निकल गई. इशाक केवल 2 गोलियां लोड कर के लाया था जो इस्तेमाल हो चुकी थीं.

मयंक को बचा देख इशाक ने इकबाल की मदद से मयंक का गला घोंट दिया. फिर वे लाश को ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़े. कार ले कर वे वहां से 7-8 किलोमीटर दूर इटाली गांव पहुंचे, जहां कार खराब हो गई. इस से सभी परेशान हो गए, क्योंकि कार में लाश थी. वहां से 3-4 किलोमीटर दूर बाबई गांव था, जहां इकबाल के रिश्तेदार रहते थे, जो कार मैकेनिक थे. इकबाल ने फोन किया तो सईद, रईस और मजीद वहां पहुंच गए. उन्होंने कार ठीक कर दी तो वे लाश को नौगांवा ले गए और लाश चादर में लपेट कर घसान नदी में फेंक दी. इस के बाद इशाक बाबई गांव में अपने दूल्हाभाई रहमान के यहां गया. रात को  सभी वहां रुके और अगले दिन अपने घर गए.

हत्यारोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने रईस, शबाना, पन्नालाल को भी गिरफ्तार कर लिया. एक आरोपी कल्लू फरार था. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने लाइसेंसी बंदूक, मयंक की कार, चप्पल, खून सना कार सीट कवर बरामद कर लिया. सीट कवर के खून को पुलिस ने जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. साथ ही मयंक के पिता का खून का सैंपल भी ले लिया ताकि डीएनए जांच से यह पता चल सके कि कार के सीट कवर पर लगा खून मयंक का था.

 

Superstition : महिलाओं को गाेद में बिठाकर रानी बनाने वाले बाबा का हुआ पर्दाफाश

Superstition : तंत्रमंत्र के नाम पर तमाम लोग ठगे जाते हैं, जिन्हें ठगे जाने का अहसास बाद में होता है. लेकिन निर्मला रघुवंशी तो ऐसी मूढ़मति निकली कि अपना मकान तक बेच कर बाबा की भेंट चढ़ा दिया. उस की आंखें तब खुलीं जब बाबा की निगाह बेटी पर जमने लगी. आखिर…

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के थाना एमआईजी के थानाप्रभारी तहजीब काजी 15 जुलाई, 2018 को अपने कार्यालय में बैठे डीआईजी हरिनारायण चारी द्वारा आदेशित एक महिला के शिकायती पत्र को पढ़ रहे थे. निर्मला रघुवंशी नाम की उस महिला ने डीआईजी के सामने पेश हो कर तांत्रिक (Superstition) जगदीश पालनपुरे द्वारा शारीरिक शोषण किए जाने और लाखों रुपए ठगने की बात बताई थी. डीआईजी ने उस का प्रार्थना पत्र उचित काररवाई के लिए थानाप्रभारी तहजीब काजी के पास भेज कर इस मामले में आरोपी तांत्रिक के खिलाफ काररवाई करने के आदेश दिए थे. प्रार्थना पत्र पढ़ने के बाद थानाप्रभारी ने निर्मला रघुवंशी से फोन पर बात की और अगले दिन उसे थाने बुला लिया.

निर्मला रघुवंशी निर्धारित समय पर एमआईजी थाने पहुंच गई. उस ने थानाप्रभारी को आपबीती सुनाई. उस से बात कर के तहजीब काजी समझ गए कि जगदीश पालनपुरे ने तंत्रमंत्र के नाम पर निर्मला की न केवल इज्जत लूटी, बल्कि पैसे हड़पने के लिए उसे अपना मकान भी बेचने के लिए मजबूर किया और फिर उस का सारा पैसा हड़प गया. उन्होंने निर्मला रघुवंशी को महिला कांस्टेबल के साथ मैडिकल जांच के लिए अस्पताल भेज दिया.

इस के बाद पुलिस ने निर्मला की रिपोर्ट पर जगदीश पालनपुरे के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया. रिपोर्ट दर्ज होने की भनक मिलने पर जगदीश कानून की गिरफ्त से बचने के लिए कहीं दूर भाग सकता था. यह बात ध्यान में रख कर थानाप्रभारी ने उसी समय जांच की जिम्मेदारी एसआई नितिन पटेल को सौंप कर एक पुलिस टीम जगदीश की तलाश में महेश्वर रवाना कर दी. आरोपी जगदीश घर पर ही मिल गया. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने लौट आई. खुद को पहुंचा हुआ तांत्रिक समझने वाले जगदीश को यह उम्मीद नहीं थी कि पुलिस उस पर हाथ डाल सकती है. उस ने पहले तो थानाप्रभारी तहजीब काजी पर अपने तांत्रिक होने और मक्का सरकार का शागिर्द होने का रुआब दिखाने की कोशिश की.

इस के बाद उस ने तंत्रमंत्र (Superstition) की ताकत भी दिखानी चाही, लेकिन जब थानाप्रभारी ने उसे कानून की थोड़ी सी झलक दिखाई तो वह शांत हो गया. इस के बाद उस ने बिना किसी लागलपेट के अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. आवारागर्द बन गया तांत्रिक पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के उस 2 दिन की रिमांड पर ले लिया और महेश्वर स्थित उस के घर की तलाशी ली. उस के घर से बड़ी मात्रा में तंत्रमंत्र में उपयोग होने वाली सामग्री और कई अचल संपत्तियों के कागजात मिले, जो पुलिस ने कब्जे में ले लिए. जैसे ही लोगों के कानों तक जगदीश की गिरफ्तारी की खबर पहुंची तो उस के द्वारा ठगे गए कुछ और लोग थाने पहुंच कर उस की काली करतूतों का पिटारा खोलने लगे, जिस से इस कामुक और शातिर तथाकथित तांत्रिक की कहानी कुछ इस तरह पता चली.

इंदौर के गांव महेश्वर में पैदा हुआ जगदीश पालनपुरे बचपन से ही शातिरदिमाग था. पढ़ाई में उस का मन लगता नहीं था, सो दिन भर घर के पास बनी एक मजार पर बैठ कर आवारागर्दी करता रहता था. मजार का खादिम झाड़फूंक के नाम पर न केवल लोगों को ठगा करता था, बल्कि अपनी शरण में आई युवतियों को बुरी नीयत से छू कर उन का इलाज करने का ढोंग भी करता था. मजार का खादिम जगदीश को जिन्नात की कहानियां सुनाता रहता था. खादिम के साथ रह कर जगदीश यह बात अच्छी तरह समझ गया था कि तंत्रमंत्र और झाड़फूंक के नाम पर लोगों को आसानी से न केवल बेवकूफ बनाया जा सकता है, बल्कि मोटी कमाई भी की जा सकती है. कमाई के अलावा इस काम में खूब मौजमस्ती भी करने को मिलती है.

इस के बाद उस ने लोगों में यह अफवाह फैला दी कि उसे मक्का सरकार की सवारी आती है. लोगों ने उस की इस बात पर भरोसा करना शुरू कर दिया तो उस ने धीरेधीरे लोगों के मन में यह बात बैठा दी कि वह जिन्नात का बादशाह है. उस के कब्जे में 3 हजार जिन्नात हैं, जो उस की आज्ञा पर किसी को भी पलभर में रंक से राजा बना सकते हैं. सीधेसादे लोग अमूमन ऐसी बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं. इस का नतीजा यह हुआ कि जगदीश की आसपास के इलाके में एक तांत्रिक के रूप में पहचान हो गई और महेश्वर में उस की अच्छीखासी दुकान जम गई. लेकिन जगदीश इस से खुश नहीं था.

वह चाहता था कि उस के हजारों मुरीद हों, जो उस के एक इशारे पर सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाएं. परेशानी यह थी कि वह जिस छोटे से कस्बे में रहता था, वहां उस के भक्तों की संख्या सीमित थी. वह अपनी दुकानदारी और बढ़ाना चाहता था, इसलिए उस ने इंदौर में अपनी गद्दी जमाने का विचार बनाया. इंदौर के नेहरू नगर में संतोष महाराज नाम का उस का एक खास चेला रहता था. संतोष से बात करने के बाद जगदीश ने संतोष महाराज के घर पर अपनी गद्दी लगा दी. यहां आ कर उस ने अखबारों में बड़ेबड़े विज्ञापन दे कर हर समस्या को हल करने की गारंटी दी तो जल्द ही इंदौर में संतोष महाराज के घर उस के चाहने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई.

निर्मला रघुवंशी पर बाबा हुआ लट्टू नेहरू नगर में संतोष महाराज के घर के सामने निर्मला रघुवंशी अपने पति और 5 साल की बेटी के साथ रहती थी. निर्मला रघुवंशी का पति रमेश थोड़ा मंदबुद्धि था. वह लोगों के घरों में काम कर के किसी तरह परिवार का गुजारा कर रही थी. निर्मला रघुवंशी भले ही सांवली थी, लेकिन उस के नैननक्श और शरीर आकर्षक था. अपने काम से काम रखने वाली निर्मला को तांत्रिक जगदीश के बारे में उस रोज पता चला जब एक रात उस के पति ने उसे बताया कि तांत्रिक जगदीश ने तुम्हारी किस्मत में राजयोग बताया है. कह रहे थे कि तुम्हारी पत्नी लोगों के घरों में काम करने के लिए पैदा नहीं हुई. वह रानी है उस के तो चारों तरफ दासदासियों की भीड़ लगी होनी चाहिए.

निर्मला ने पति से पूछा तो रमेश ने बताया कि जगदीश तांत्रिक संतोष महाराज के यहां आते हैं और बहुत पहुंचे हुए हैं. हजारों जिन्नात उन के गुलाम हैं. वह अपने मुंह से 1000 और 500 के नोट निकाल कर यूं ही लोगों को बांट देते हैं.

‘‘तो 2-4 हजार रुपए तुम ही ले आते. कुछ तो काम चलता.’’ वह बोली.

‘‘अरे तू 2-4 हजार की बात कर रही है, वो तो कह रहे थे कि तेरी पत्नी 2 जहान की मलिका है, बस उस का सोया भाग्य जगाना पड़ेगा. फिर देखना धनवैभव उस के कदमों में पड़ा रहेगा.’’ रमेश बोला. रात भर निर्मला के दिमाग में पति द्वारा बताई गई बात घूमती रही. मन कहता कि बाबा सही कहता है, मैं रानी जैसी ही सुंदर तो हूं. जबकि मन यह भी कहता कि यह सब झूठ है. वह नौकरानी है और नौकरीचाकरी करतेकरते ही मर जाएगी. लेकिन रमेश और निर्मला रघुवंशी की सोच से अलग सच्चाई कुछ और ही थी. कुछ दिन पहले आतेजाते तांत्रिक जगदीश की नजर निर्मला रघुवंशी पर पड़ गई थी. उसे देख कर जगदीश का मन डोल गया था.

तांत्रिक क्रिया के बहाने वह कई स्त्रियों के संग संबंध बना चुका था. लेकिन उन सब की सुंदरता को एक साथ जोड़ देता तो भी वे अकेली निर्मला की सुंदरता का मुकाबला नहीं कर सकती थीं, इसलिए वह निर्मला रघुवंशी को पाने के उपाय सोचने लगा था. निर्मला गरीबी में जीवन बिता रही थी. पति भी बेहद ही सीधा था, सो बाबा ने पति को निशाना बना कर निर्मला रघुवंशी पर तीर चलाने के लिए यह पूरी कहानी रची थी. सीधासादा रमेश उस की कहानी में फंस गया था. उस ने जगदीश की बात पर भरोसा कर लिया. इतना ही नहीं, वह पत्नी पर बारबार बाबा के पास जा कर मिलने का दबाव बनाने लगा. जब पति ने ज्यादा ही जबरदस्ती की तो निर्मला एक दिन शाम के समय तांत्रिक जगदीश पालनपुरे के दरबार में पहुंच गई.

निर्मला फंस गई जाल में बाबा तो पहले से ही निर्मला रघुवंशी के आने का इंतजार कर रहा था, इसलिए उसे आया देख बाबा खुश हो गया. उस ने पहले तो जानबूझ कर निर्मला रघुवंशी को नजरअंदाज किया. उस के बाद जब कुछ अंधेरा घिर आया, तब उस ने निर्मला को अपने सामने बैठा कर उस की किस्मत में लिखे राजयोग के बारे में बताया. कुछ देर बाद जब निर्मला वहां से उठ कर जाने लगी तो जगदीश बाबा ने अंधेरे का फायदा उठा कर हाथ की सफाई से अपने मुंह से 5-5 सौ के 4 नए नोट निकाल कर उस के हाथ पर रखते हुए कहा, ‘‘जा, जिन्न तुझ पर प्रसन्न है. यह प्रसाद लेती जा.’’

इस करिश्मे से निर्मला की आंखें फटी रह गईं. बाबा के मुंह से नोटों की बरसात होते देख वह उस के चरणों में गिर गई तो जगदीश काफी देर तक उस की पीठ पर हाथ फेरता रहा. फिर उस ने निर्मला को बाद में आने को कह कर घर भेज दिया. निर्मला पहले ऐसे बाबाओं पर भरोसा नहीं करती थी, पर वह जगदीश बाबा की मुरीद हो गई. बाबा ने उसे अपनी लच्छेदार बातों की जो घुट्टी पिलाई थी, उस की एक खुराक से  वह खुद को रानी समझने लगी थी. वैसे भी गरीब को पैसे का लालच कम नहीं होता. बाबा के गुलाम जिन्न ने उसे 2 हजार रुपए दिए थे, जो उस जैसी गरीब औरत के लिए 50 हजार के बराबर हैसियत रखते थे. उस दिन के बाद वह अकसर जगदीश बाबा की चौकी पर जाने लगी, जहां बाबा उस से ढेर सारी बातें करता और विदा होते समय मुंह से कभी 1000 तो कभी 500 रुपए की बरसात कर के उस के हाथ पर रख देता था.

पति रमेश तो पहले से ही बाबा का भक्त था. निर्मला भी उस की मुरीद हो गई. उस के घर में जगदीश बाबा के नाम की माला जपी जाने लगी. दूसरी ओर जब जगदीश बाबा ने देखा कि निर्मला रघुवंशी उस के कब्जे में आ चुकी है तो उस ने एक दिन निर्मला से कहा, ‘‘तुम रानी हो. 2 जहान की मलिका चल कर मेरे पास आए, यह शोभा नहीं देता. इसलिए आगे से मैं खुद ही तुम्हारे घर आ जाया करूंगा.’’

यह सुन कर निर्मला गर्व से फूली नहीं समाई. उसे सब से बड़ी खुशी तो इस बात की थी कि बाबा के कदम उस के घर पर पड़ेंगे. इसलिए वह घर की साफसफाई कर के बाबा के आने का इंतजार करने लगी. निर्मला के घर को बना लिया अड्डा 4 दिन बाद बाबा उस के घर आया. फिर वह अकसर आने लगा और फिर एक समय ऐसा भी आया कि उस ने संतोष का घर छोड़ कर निर्मला के घर में ही अपनी गद्दी जमा ली. इस के बाद उस के दूसरे भक्त भी बाबा से मिलने निर्मला रघुवंशी के घर आने लगे. यहां बाबा जिस बिस्तर पर सोता था, सुबह उस के तकिए के नीचे कभी 1000 का तो कभी 500 का नोट रखा मिलता था.

निर्मला इस के बारे में बाबा से पूछती तो वह कहता कोई जिन्न रख गया होगा, तू रख ले. बाबा ने उसे बताया कि उसे मक्का सरकार की सवारी आती है. तमाम जिन्नात उस के गुलाम हैं, जिन की मदद से वह उसे 2 जहान की मलिका बना देगा. बाबा के पास दूसरे शहरों से भी कुछ भक्त आते थे. उन सब के सामने बाबा करोड़ों रुपए की बातें करता था. निर्मला को अपनी संपत्ति के कागजात भी दिखाता था. इस तरह कुछ ही महीनों में बाबा ने निर्मला रघुवंशी और उस के पति को पूरी तरह अपने प्रभाव में ले लिया था.

एक दिन बाबा ने अचानक निर्मला से 16 लाख रुपए की मांग की. उस ने कहा कि हालफिलहाल वह उसे 16 लाख रुपए दे दे, यह कर्ज वह जल्द ही उसे 2 जहान की मलिका बना कर उतार देगा. निर्मला रघुवंशी बाबा पर आंख बंद कर के भरोसा करने लगी थी, इसलिए उस ने अपने जेवर बेच कर बाबा को 80 हजार रुपए दे दिए. लेकिन इतने पर भी बात नहीं बनी तो निर्मला ने साढ़े 13 लाख में अपना मकान बेच कर सारा पैसा बाबा को दे दिया और खुद किराए के मकान में रहने लगी.  2 जहान की रानी बनने जा रही निर्मला रघुवंशी अब खुद के मकान से निकल कर किराए के मकान में आ गई थी. लेकिन बाबा के ऊपर न तो उस का भरोसा कम हुआ था और न उस के पति का.

जब निर्मला किराए के मकान में रहने लगी तो बाबा भी उस के इसी मकान में चौकी लगाने लगा. इस तरह बाबा ने साल भर में ही निर्मला का सारा धन लूट लिया था. निर्मला के पास अब ऐसा कुछ नहीं बचा था, जिसे बेच कर वह बाबा की तिजोरी भर देती. यह बात जगदीश भी जानता था, इसलिए अब उस ने अपना पूरा ध्यान निर्मला का तन लूटने पर लगा दिया, जिस के लिए वह साल भर से अपने मन में खयाली पुलाव पका रहा था. जब कुछ नहीं बचा तो पूजा के बहाने किया रेप निर्मला ने पुलिस को बताया,

‘‘4 साल पहले रात के समय बाबा ने मेरे घर में एक पूजा की, जिस के बाद मंत्र पढ़ कर एक पुडि़या में कुछ बांध कर मेरे पति को दिया और उस पुडि़या को उसी समय शिप्रा नदी में विसर्जित करने को कहा. आधी रात हो चुकी थी, पति कुछ सकुचाया तो बाबा ने कहा कि डरो मत, मेरे दूसरे चेले भी तुम्हारे साथ जाएंगे. बाद में बाबा के चेले मेरे पति को ले कर चले गए.

‘‘आधी रात हो चुकी थी. घर पर मैं और बाबा (Superstition) ही थे. बेटी दूसरे कमरे में सो रही थी. बाबा ने फिर पूजा करने का ढोंग किया और मुझे चंदन घुले पानी से नहलाने के बाद बोला रानी यहां आओ, मेरी गोद में बैठ जाओ. आज से 2 जहान की मल्लिका बनने की तुम्हारी यात्रा शुरू हो रही है. आज तुम बाबा की गोद में बैठो, फिर जल्द ही तुम रानी बन कर राजगद्दी पर बैठोगी.

‘‘मैं सकुचाई, लेकिन उस के कहने पर उस की गोद में बैठ गई. जिस के बाद वह धीरेधीरे अपने हाथों की हरकतें बढ़ाते हुए मेरे कपड़े खोलने लगा. मैं ने ऐसा करने से मना किया तो उस ने कहा कि यह तो जिन्न सरकार की इच्छा है.

‘‘रानी बनने से पहले वह तुम्हारा शरीर शुद्ध करेंगे. ऐसा करने से पाप नहीं लगेगा, बल्कि तुम्हारी किस्मत का बंद दरवाजा खुल जाएगा. मैं बाबा का विरोध भी कर रही थी, मगर उस की इच्छा पूरी न करने पर जिन्न के नाराज हो जाने का भी डर सता रहा था.

‘‘सुबह 4 बजे जब पति लौट कर घर आया, तब तक बाबा मेरे साथ कई बार रेप कर चुका था. इस के बाद तो यह रोज का काम हो गया. बाबा पूजा करता, फिर पूजा के बहाने पति को बाहर भेजने के बाद अपनी हसरतें पूरी करता.’’

निर्मला रघुवंशी ने बताया कि इस दौरान बाबा यही कहता था कि संबंध तो उस के अंदर आया जिन्न बनाता है, इसलिए जिन्न की मरजी पूरी करने के लिए वह उस के साथ तरहतरह से अप्राकृतिक मैथुन करता. वह पिछले 4 साल से जगदीश बाबा के पाप को अपने शरीर पर ढो रही थी. अब निर्मला को बाबा की बातों की चाल समझ आने में लगी थी. लेकिन वह अपना सब कुछ गंवा चुकी थी. उस के पास खोने के लिए कुछ और नहीं था. फिर भी वह कभीकभी सोचती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए. बेटी पर निगाह जमी तो खुलीं आंखें बाबा की लूट अभी पूरी नहीं हुई थी. निर्मला की बेटी जो अपनी मां की तरह ही खूबसूरत थी, 10 साल की हो चुकी थी, इसलिए बाबा की नजर अब बेटी पर जम चुकी थी. यह बात निर्मला को तब समझ में आई, जब उस ने एक दिन बाबा को अपनी बेटी की पीठ पर बेशरमी से हाथ फेरते देख लिया.

उस ने बाबा की इस हरकत का विरोध किया तो जगदीश बेशरमी से बोला, ‘‘अरे तुम तो नाहक परेशान हो. तुम रानी बनोगी तो आखिर इसे भी तो राजकुमारी बनना पड़ेगा न. जिन्न के साथ सोने से तुम्हारी बेटी भी पवित्र हो जाएगी.’’

बस यहीं से बाबा जगदीश पालनपुरे के बुरे दिन शुरू हो गए. क्योंकि निर्मला किसी भी कीमत पर अपनी बेटी की इज्जत खराब नहीं करवाना चाहती थी. इन 5 सालों में उसे इतना तो समझ आ ही गया था कि बाबा केवल बातों का बाबा है. निर्मला को यह भी जानकारी मिल चुकी थी कि बाबा कई दूसरी औरतों के साथ भी ऐसा कर चुका है. इसलिए अपनी बेटी को बचाने के लिए उस ने बाबा से दूरी बनाने की कोशिश की. अपने पति को भी इस बारे में बताया, लेकिन पति ने ध्यान नहीं दिया तो निर्मला खुद ही पुलिस के पास पहुंच गई. जिस के बाद एमआईजी थानाप्रभारी तहजीब काजी ने 24 घंटे के अंदर ही इस बलात्कारी तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया.

तथाकथित तांत्रिक जगदीश पालनपुरे को फिर से न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

 

पति की दूरी ने बढ़ाया प्रेमी से प्यार

घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र की है. 17 मार्च,  2019 की दोपहर 2 बजे का समय था. इस समय अधिकांशत:  घरेलू महिलाएं आराम करती हैं. ग्वालियर के पुराने हाईकोर्ट इलाके में स्थित शांतिमोहन विला की तीसरी मंजिल पर रहने वाली मीनाक्षी माहेश्वरी काम निपटाने के बाद आराम करने जा रही थीं कि तभी किसी ने उन के फ्लैट की कालबेल बजाई. घंटी की आवाज सुन कर वह सोचने लगीं कि पता नहीं इस समय कौन आ गया है.

बैड से उठ कर जब उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने घबराई हालत में खड़ी अपनी सहेली प्रीति को देख कर वह चौंक गईं. उन्होंने प्रीति से पूछा, ‘‘क्या हुआ, इतनी घबराई क्यों है?’’

‘‘उन का एक्सीडेंट हो गया है. काफी चोटें आई हैं.’’ प्रीति घबराते हुए बोली.

‘‘यह तू क्या कह रही है? एक्सीडेंट कैसे हुआ और भाईसाहब कहां हैं?’’ मीनाक्षी ने पूछा.

‘‘वह नीचे फ्लैट में हैं. तू जल्दी चल.’’ कह कर प्रीति मीनाक्षी को अपने साथ ले गई.

मीनाक्षी अपने साथ पड़ोस में रहने वाले डा. अनिल राजपूत को भी साथ लेती गईं. प्रीति जैन अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट नंबर 208 में अपने पति हेमंत जैन और 2 बच्चों के साथ रहती थी.

हेमंत जैन का शीतला माता साड़ी सैंटर के नाम से साडि़यों का थोक का कारोबार था. इस शाही अपार्टमेंट में वे लोग करीब साढ़े 3 महीने पहले ही रहने आए थे. इस से पहले वह केथ वाली गली में रहते थे. हेमंत जैन अकसर साडि़यां खरीदने के लिए गुजरात के सूरत शहर आते जाते रहते थे. अभी भी वह 2 दिन पहले ही 15 मार्च को सूरत से वापस लौटे थे.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – जब सिरफिरा आशिक बन गया वहशी कातिल

मीनाक्षी माहेश्वरी डा. अनिल राजपूत को ले कर प्रीति के फ्लैट में पहुंची तो हेमंत की गंभीर हालत देख कर वह घबरा गईं. पलंग पर पड़े हेमंत के सिर से काफी खून बह रहा था. वे लोग हेमंत को तुरंत जेएएच ट्रामा सेंटर ले गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने हेमंत को मृत घोषित कर दिया.

पुलिस केस होने की वजह से अस्पताल प्रशासन द्वारा इस की सूचना इंदरगंज के टीआई को दे दी. इस दौरान प्रीति ने मीनाक्षी को बताया कि उसे एक्सीडेंट के बारे में कुछ नहीं पता कि कहां और कैसे हुआ.

प्रीति ने बताया कि वह अपने फ्लैट में ही थी. कुछ देर पहले हेमंत ने कालबेज बजाई. मैं ने दरवाजा खोला तो वह मेरे ऊपर ही गिर गए. उन्होंने बताया कि उन का एक्सीडेंट हो गया. कहां और कैसे हुआ, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया और अचेत हो गए. हेमंत को देख कर मैं घबरा गई. फिर दौड़ कर मैं आप को बुला लाई.

अस्पताल से सूचना मिलते ही थाना इंदरगंज के टीआई मनीष डाबर मौके पर पहुंचे तो प्रीति जैन ने वही कहानी टीआई मनीष डाबर को सुनाई, जो उस ने मीनाक्षी को सुनाई थी.

एक्सीडेंट की कहानी पर संदेह

टीआई मनीष डाबर को लगा कि हेमंत की कहानी एक्सीडेंट की तो नहीं हो सकती. इस के बाद उन्होंने इस मामले से एसपी नवनीत भसीन को भी अवगत करा दिया. एसपी के निर्देश पर टीआई अस्पताल से सीधे हेमंत के फ्लैट पर जा पहुंचे.

उन्होंने हेमंत के फ्लैट की सूक्ष्मता से जांच की. जांच में उन्हें वहां की स्थिति काफी संदिग्ध नजर आई. प्रीति ने पुलिस को बताया था कि एक्सीडेंट से घायल हेमंत ने बाहर से आ कर फ्लैट की घंटी बजाई थी, लेकिन न तो अपार्टमेंट की सीढि़यों पर और न ही फ्लैट के दरवाजे पर धब्बे तो दूर खून का छींटा तक नहीं मिला. कमरे में जो भी खून था, वह उसी पलंग के आसपास था, जिस पर घायल अवस्था में हेमंत लेटे थे.

बकौल प्रीति हेमंत घायलावस्था में थे और दरवाजा खुलते ही उस के ऊपर गिर पड़े थे, लेकिन पुलिस को इस बात का आश्चर्य हुआ कि प्रीति के कपड़ों पर खून का एक दाग भी नहीं था.

टीआई मनीष डाबर ने इस जांच से एसपी नवनीत भसीन को अवगत कराया. इस के बाद एडीशनल एसपी सत्येंद्र तोमर तथा सीएसपी के.एम. गोस्वामी भी हेमंत के फ्लैट पर पहुंच गए. सभी पुलिस अधिकारियों को प्रीति द्वारा सुनाई गई कहानी बनावटी लग रही थी.

प्रीति के बयान की पुष्टि करने के लिए टीआई ने फ्लैट के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अपने कब्जे में लिए. फुटेज की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. पता चला कि घटना से करीब आधा घंटा पहले हेमंत के फ्लैट में 2 युवक आए थे. दोनों कुछ देर फ्लैट में रहने के बाद एकएक कर बाहर निकल गए थे.

उन युवकों के चले जाने के बाद प्रीति भी एक बार बाहर आ कर वापस अंदर गई और कपड़े बदल कर मीनाक्षी को बुलाने तीसरी मंजिल पर जाती दिखी.

मामला साफ था. सीसीटीवी फुटेज में घायल हेमंत घर के अंदर या बाहर आते नजर नहीं आए थे. अलबत्ता 2 युवक फ्लैट में आते जाते जरूर दिखे थे. प्रीति ने इन युवकों के फ्लैट में आने के बारे में कुछ नहीं बताया था. जिस की वजह से प्रीति खुद शक के घेरे में आ गई.

जो 2 युवक हेमंत के फ्लैट से निकलते सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए थे, पुलिस ने उन की जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि उन में से एक दानाखोली निवासी मृदुल गुप्ता और दूसरा सुमावली निवासी उस का दोस्त आदेश जैन था.

दोनों युवकों की पहचान हो जाने के बाद मृतक हेमंत की बहन ने भी पुलिस को बताया कि प्रीति के मृदुल गुप्ता के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को ले कर प्रीति और हेमंत के बीच विवाद भी होता रहता था.

यह जानकारी मिलने के बाद टीआई मनीष डाबर ने मृदुल और आदेश जैन के ठिकानों पर दबिश दी लेकिन दोनों ही घर से लापता मिले. इतना ही नहीं, दोनों के मोबाइल फोन भी बंद थे. इस से दोनों पर पुलिस का शक गहराने लगा.

लेकिन रात लगभग डेढ़ बजे आदेश जैन अपने बडे़ भाई के साथ खुद ही इंदरगंज थाने आ गया. उस ने बताया कि मृदुल ने उस से कहा था कि हेमंत के घर पैसे लेने चलना है. वह वहां पहुंचा तो मृदुल और प्रीति सोफे के पास घुटने के बल बैठे थे जबकि हेमंत सोफे पर लेटा था.

इस से दाल में कुछ काला नजर आया, जिस से वह वहां से तुरंत वापस आ गया था. उस ने बताया कि वह हेमंत के घर में केवल डेढ़ मिनट रुका था. आदेश के द्वारा दी गई इस जानकारी से हेमंत की मौत का संदिग्ध मामला काफी कुछ साफ हो गया.

दूसरे दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई. रिपोर्ट में बताया गया कि हेमंत के माथे पर धारदार हथियार के 5 और चेहरे पर 3 घाव पाए गए. उन के सिर पर पीछे की तरफ किसी भारी चीज से चोट पहुंचाई गई थी, जिस से उन की मृत्यु हुई थी.

इसी बीच पुलिस को पता चला कि मृतक की पत्नी प्रीति जैन रात के समय घर में आत्महत्या करने का नाटक करती रही थी. सुबह अंतिम संस्कार के बाद भी उस ने आग लगा कर जान देने की कोशिश की. पुलिस उसे हिरासत में थाने ले आई.

दूसरी तरफ दबाव बढ़ने पर मृदुल गुप्ता भी शाम को अपने वकील के साथ थाने में पेश हो गया. पुलिस ने प्रीति और मृदुल से पूछताछ की तो बड़ी आसानी से दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने स्वीकार कर लिया कि हेमंत की हत्या उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से की थी.

पूछताछ के बाद हेमंत की हत्या की कहानी इस तरह सामने आई—

हेमंत के बड़े भाई भागचंद जैन करीब 20 साल पहले ग्वालियर के खिड़की मोहल्लागंज में रहते थे. हेमंत का अपने बड़े भाई के घर काफी आनाजाना था. बड़े भाई के मकान के सामने एक शुक्ला परिवार रहता था. प्रीति उसी शुक्ला परिवार की बेटी थी. वह हेमंत की हमउम्र थी.

बड़े भाई और शुक्ला परिवार में काफी नजदीकियां थीं, जिस के चलते हेमंत का भी प्रीति के घर आनाजाना हो जाने से दोनों में प्यार हो गया. यह बात करीब 18 साल पहले की है. हेमंत और प्रीति के बीच बात यहां तक बढ़ी कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. तब दोनों ने घर वालों की मरजी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लिया था.

इस से शुक्ला परिवार ने बड़ी बेइज्जती महसूस की और वह अपना मोहल्लागंज का मकान बेच कर कहीं और रहने चले गए जबकि प्रीति पति के साथ कैथवाली गली में और फिर बाद में दानाओली के उसी मकान में आ कर रहने लगी, जिस की पहली मंजिल पर मृदुल गुप्ता अकेला रहता था. यहीं पर मृदुल की प्रीति के पति हेमंत से मुलाकात और दोस्ती हुई थी.

हेमंत ने साड़ी का थोक कारोबार शुरू कर दिया था, जिस में कुछ दिन तक प्रीति का भाई भी सहयोगी रहा. बाद में वह कानपुर चला गया. इधर हेमंत का काम देखते ही देखते काफी बढ़ गया और वह ग्वालियर के पहले 5 थोक साड़ी व्यापारियों में गिना जाने लगा. हेमंत को अकसर माल की खरीदारी के लिए गुजरात के सूरत शहर जाना पड़ता था.

हेमंत का काम काफी बढ़ चुका था, जिस के चलते एक समय ऐसा भी आया जब महीने में उस के 20 दिन शहर से बाहर गुजरने लगे. इस दौरान प्रीति और दोनों बच्चे ग्वालियर में अकेले रह जाते थे. इसलिए उन की देखरेख की जिम्मेदारी हेमंत अपने सब से खास और भरोसेमंद दोस्त मृदुल को सौंप जाता था.

हेमंत मृदुल पर इतना भरोसा करता था कि कभी उसे बाहर से बड़ी रकम ग्वालियर भेजनी होती तो वह मृदुल के बैंक खाते में ही ट्रांसफर कर देता था. इस से हेमंत की गैरमौजूदगी में भी मृदुल का प्रीति के घर में लगातार आनाजाना बना रहने लगा था.

प्रीति की उम्र 35 पार कर चुकी थी. वह 2 बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन आर्थिक बेफिक्री और पति के अति भरोसे ने उसे बिंदास बना दिया था. इस से वह न केवल उम्र में काफी छोटी दिखती थी बल्कि उस का रहनसहन भी अविवाहित युवतियों जैसा था.

कहते हैं कि लगातार पास बने रहने वाले शख्स से अपनापन हो जाना स्वाभाविक होता है. यही प्रीति और मृदुल के बीच हुआ. दोनों एकदूसरे से काफी घुलेमिले तो थे ही, अब एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए थे. उन के बीच दोस्तों जैसी बातें होने लगी थीं, जिस के चलते एकदूसरे के प्रति उन का नजरिया भी बदल गया था. इस का नतीजा यह हुआ कि लगभग डेढ़ साल पहले उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

दोस्त बन गया दगाबाज

प्रीति का पति ज्यादातर बाहर रहता था और मृदुल अभी अविवाहित था. इसलिए दैहिक सुख की दोनों को जरूरत थी. उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं था. क्योंकि खुद हेमंत ने ही मृदुल को प्रीति और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इसलिए हेमंत के ग्वालियर में न रहने पर मृदुल की रातें प्रीति के साथ उस के घर में एक ही बिस्तर पर कटने लगीं.

दूसरी तरफ प्रीति के नजदीक बने रहने के लिए मृदुल जहां हेमंत के प्रति ज्यादा वफादारी दिखाने लगा, वहीं जवान प्रेमी को अपने पास बनाए रखने के लिए प्रीति न केवल उसे हर तरह से सुख देने की कोशिश करने लगी, बल्कि मृदुल पर पैसा भी लुटाने लगी थी.

इसी बीच करीब 6 महीने पहले एक रोज जब हेमंत ग्वालियर में ही बच्चों के साथ था, तब बच्चों ने बातों बातों में बता दिया कि मम्मी तो मृदुल अंकल के साथ सोती हैं और वे दोनों दूसरे कमरे में अकेले सोते हैं.

बच्चे भला ऐसा झूठ क्यों बोलेंगे, इसलिए पलक झपकते ही हेमंत सब समझ गया कि उस के पीछे घर में क्या होता है. हेमंत ने मृदुल को अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया और उस के अपने यहां आनेजाने पर भी रोक लगा दी.

इस बात को ले कर उस का प्रीति के साथ विवाद भी हुआ. प्रीति ने सफाई देने की कोशिश भी की लेकिन हेमंत ने मृदुल को फिर घर में अंदर नहीं आने दिया. इस से प्रीति परेशान हो गई.

दोनों अकेलेपन का लाभ न उठा सकें, इसलिए हेमंत अपना घर छोड़ कर परिवार को ले कर अपनी बहन के साथ आ कर रहने लगा. ननद के घर में रहते हुए प्रीति और मृदुल की प्रेम कहानी पर ब्रेक लग गया. लेकिन हेमंत कब तक अपना परिवार ले कर  बहन के घर रहता, सो उस ने 3 महीने पहले पुराना मकान बेच कर इंदरगंज में नया फ्लैट ले लिया. यहां आने के बाद प्रीति और मृदुल की कामलीला फिर शुरू हो गई.

प्रीति अपने युवा प्रेमी की ऐसी दीवानी थी कि उस ने मृदुल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उसे अपने साथ रख ले. इस पर जनवरी में मृदुल ने प्रीति से कहीं दूर भाग चलने को कहा लेकिन प्रीति बोली, ‘‘यह स्थाई हल नहीं है. पक्का हल तो यह है कि हम हेमंत को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दें.’’

मृदुल को भी अपनी इस अनुभवी प्रेमिका की लत लग चुकी थी, इसलिए वह इस बात पर राजी हो गया. जिस के बाद दोनों ने घर में ही हेमंत की हत्या करने की योजना बना कर 17 मार्च, 2019 को उस पर अमल भी कर दिया.

योजना के अनुसार उस रोज प्रीति ने पति की चाय में नींद की ज्यादा गोलियां डाल दीं, जिस से वह जल्द ही गहरी नींद में चला गया. फिर मृदुल के आने पर प्रीति ने गहरी नींद में सोए पति के पैर दबोचे और मृदुल ने हेमंत की गला दबा दिया.

इस दौरान हेमंत ने विरोध किया तो दोनों ने उसे उठा कर कई बार उस का सिर दीवार से टकराया, जिस से उस के सिर से खून बहने लगा और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – खतरनाक औरत : गांव की गलियों से निकली माया के सपने

टीआई मनीष डाबर ने प्रीति और मृदुल से विस्तार से पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से प्रीति को जेल भेज दिया और मृदुल को 2 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया ताकि उस से वह कपड़े बरामद हो सकें जो उस ने हत्या के समय पहन रखे थे.

कथा लिखने तक पुलिस मृदुल से पूछताछ कर रही थी. हेमंत की हत्या में आदेश जैन शामिल था या नहीं, इस की पुलिस जांच कर रही थी.