घर की कलह और रोजरोज की मारपीट से आजिज आ कर शादी के एक साल बाद पूजा मायके आ कर रहने लगी. कुछ दिन बाद पति ओमप्रकाश उसे मनाने आया लेकिन पूजा ने ससुराल जाने से साफ मना कर दिया.
अधिकांश मांबाप को बेटी का गुस्से में ससुराल छोड़ कर आना अच्छा नहीं लगता. जगराम सिंह और मीना को भी यह अच्छा नहीं लगा, उन्होंने पूजा को समझाया परंतु पूजा ने साफ कह दिया कि वह जहर खा कर मर जाएगी पर ससुराल नहीं जाएगी. इसके बाद मांबाप भी बेबस हो गए.
जब मनोज को पता चला कि पूजा गुस्से में ससुराल से मायके आ गई है तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस ने ससुराल आ कर पूजा से मुलाकात की. उस ने पूजा द्वारा उठाए गए कदम को सही ठहराया और उस की हर संभव मदद करने का भरोसा दिया. पूजा की मदद के बहाने मनोज अब फिर ससुराल आने लगा. उस ने फिर से पूजा से नाजायज संबंध बना लिए.
ओमप्रकाश ने पूजा को जितना प्रताडि़त किया था, वह उस के बदले उसे सबक सिखाना चाहती थी. इस के लिए उस ने जीजा मनोज के सहयोग से नौबस्ता थाने में पति ओमप्रकाश के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने ओमप्रकाश को दहेज उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. ओमप्रकाश कुछ दिनों बाद किसी तरह जमानत करा कर जेल से बाहर आ गया.
जमानत मिलने के बाद ओमप्रकाश ने बड़े भाई तेजबहादुर पर मामले को रफादफा करने का दबाव डाला, लेकिन तेजबहादुर ने साफ मना कर दिया. तब ओमप्रकाश ने बडे़ भाई से जम कर झगड़ा और मारपीट की. तेजबहादुर उस की ससुराल वालों के पक्ष में था.
पूजा को ले कर दोनों भाइयों के बीच रंजिश बढ़ गई. हां, इतना जरूर था कि ओमप्रकाश की बहन ऊषा तथा भाई छोटू व प्रमोद उस के पक्ष में थे और उस की हर संभव मदद करते थे.
ओमप्रकाश दहेज उत्पीड़न का मुकदमा वापस लेने के लिए पत्नी पर भी दबाव डाल रहा था. वह उसे हर तरह से ठीक प्रकार रखने का आश्वासन भी दे रहा था. लेकिन पूजा उस की बात नहीं मान रही थी. पूजा के पति से साफ कह दिया कि उसे उस पर भरोसा नहीं रहा. इसलिए मुकदमा वापस नहीं लेगी. ओमप्रकाश को शक था पूजा को उस का जीजा मनोज ही भड़का रहा है जिस से वह उस की बात नहीं मान रही.
पूजा ने पति की बात नहीं मानी तो ओमप्रकाश ने दूसरा रास्ता निकाला. अब वह जब भी ससुराल जाता तो नशे में धुत होता. वह घर में देखता कि कहीं मनोज तो पूजा के साथ रंगरलियां मनाने नहीं आया. पूजा रोकती टोकती तो वह उसे गाली बकता. उस का साला राजकुमार कुछ कहता तो वह उस की पिटाई कर देता था. इस से राजकुमार को भी ओमप्रकाश से नफरत हो गई.
ऐसे ही एक रोज ओमप्रकाश ससुराल पहुंचा तो घर के अंदर मनोज था. ओमप्रकाश को शक हुआ कि सूने घर में मनोज पूजा के साथ रंगरलियां मना रहा होगा. उस ने खा जाने वाली नजरों से मनोज को देखा, फिर पूजा को बुरी तरह मारापीटा.
इस के बाद उस ने मनोज को घर से चले जाने को कह दिया, ‘‘हमारा तुम्हारा रिश्ता साढू का है. तुम पूजा की बहन के सुहाग हो. इसलिए बख्श रहा हूं. कोई दूसरा होता तो इस कमरे से उस की लाश बाहर जाती. कान खोल कर सुन लो. आइंदा पूजा से मिलने की जुर्रत मत करना वरना…’’
मनोज को गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन वह अपराधबोध से सिर झुकाए चला गया.
उसी शाम मनोज के मोबाइल पर पूजा का फोन आया, ‘‘मैं तुम्हें बड़ा तीसमार खां समझती थी, पर तुम तो नामर्द निकले. ओमप्रकाश मुझे पीटता रहा और तुम खड़ेखड़े तमाशा देखते रहे. तुम्हें तो उसे वहीं पटक कर जान से मार देना चाहिए था.’’
पूजा की ललकार से मनोज की मर्दानगी जाग गई. खुद का अपमान भी उसे याद आने लगा. गुस्से से तिलमिला कर वह बोला, ‘‘मैं ने ओमप्रकाश को इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि वह तुम्हारा पति है. तुम ने मेरी मर्दानगी को ललकारा है इसलिए अब मैं उसे जान से मार कर ही तुम्हें मुंह दिखाऊंगा.’’
‘‘हां, मार दो.’’ पूजा ने गुस्से की आग में घी डाला, ‘‘जब तक ओमप्रकाश नहीं मरेगा मेरा कलेजा ठंडा नहीं होगा.’’
इस के बाद मनोज ने ओमप्रकाश की हत्या की योजना बनाई. इस योजना में उस ने अपने साले राजकुमार तथा ओमप्रकाश के बड़े भाई तेजबहादुर को भी शामिल कर लिया.
चूंकि ओमप्रकाश कई बार तेजबहादुर को पीट चुका था और उसे बेइज्जत भी किया. इसलिए वह भाई की हत्या में मनोज का साथ देने को राजी हो गया. राजकुमार को अपनी बहन की प्रताड़ना व बेइज्जती बरदाश्त नहीं थी इसलिए वह भी उस का साथ देने को राजी हो गया.
6 नंवबर, 2018 को तेजबहादुर ने रात आठ बजे मनोज को मोबाइल फोन पर बताया कि ओमप्रकाश विधनू में पप्पू रिपेयरिंग सेंटर पर अपनी मोटरसाइकिल ठीक करा रहा है. वहां से वह बहन ऊषा के घर पतारा जाएगा. तुम पहुंचो, पीछे से मैं भी आ रहा हूं. आज उचित मौका है.
मनोज ने साले राजकुमार को साथ लिया और विधनू पहुंच गया जहां ओमप्रकाश अपनी मोटरसाइकिल ठीक करा रहा था. योजना के अनुसार मनोज अपनी मोटरसाइकिल से विधनू के रिपेयरिंग सेंटर पर पहुंच गया. वहां मनोज ने ओमप्रकाश से दुआसलाम की फिर अपने किए की माफी मांगी. मनोज झुका तो ओमप्रकाश भी नरम पड़ गया.
वैसे भी मनोज कोई गैर नहीं, साढ़ू था. इसलिए ओमप्रकाश ने उसे माफ करते हुए कहा, ‘‘ठीक है भाई साहब, मैं ने तुम्हें माफ किया. मगर गलती दोहराने की कोशिश मत करना.’’
‘‘ठीक है, आइंदा गलती नहीं होगी, लेकिन मैं चाहता हूं कि इस खुशी में आज तुम मेरे साथ पार्टी करो. तब मैं समझूंगा कि तुम ने दिल से मुझे माफ कर दिया है.’’
‘‘जब तुम यह बात कह रहे हो तो मुझे मंजूर है.’’ इस के बाद मनोज और ओमप्रकाश ने ठेके पर जा कर शराब पी. मनोज ने जानबूझ कर ओमप्रकाश को कुछ ज्यादा पिला दी. घर वापसी में मनोज ने शंभुआ हाइवे पुल पर मोटरसाइकिल रोक दी. ओमप्रकाश भी रुक गया. इस के बाद मनोज ने तेज बहादुर को भी बुला लिया.
योजना के मुताबिक राजकुमार ने ओमप्रकाश की मोटरसाइकिल हाईवे किनारे पलट दी. फिर मनोज व तेज बहादुर ने ओमप्रकाश को दबोच लिया और दोनों ने मिल कर चाकू से ओमप्रकाश की गरदन रेत दी.
दुर्घटना दर्शाने के लिए उन लोगों ने उस के शव को सड़क किनारे फेंक दिया. इस के बाद मनोज, राजकुमार के साथ ससुराल पहुंचा और पूजा को उस के पति की हत्या कर देने की जानकारी दी. तेज बहादुर भी अपने घर हंसपुरम आ गया.
7 नवंबर की सुबह शंभुआ हाईवे पुल पर दुर्घटना की सूचना विधनू थानाप्रभारी संजीव चौहान को मिली तो वह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उस समय वहां भीड़ जुटी थी. इसी भीड़ में से एक शख्स सामने आया और उस ने बताया कि उस का नाम तेजबहादुर है और वह नौबस्ता थाने के हसंपुरम का रहने वाला है. मृतक उस का छोटा भाई ओमप्रकाश है. वह उसे खोजता हुआ यहां पहुंचा था. बीती शाम ओमप्रकाश बहन ऊषा के घर गया था. शायद वहीं से घर लौटते समय उस का एक्सीडेंट हो गया.
चूंकि शव की शिनाख्त हो गई थी इसलिए थानाप्रभारी संजीव चौहान ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. दूसरे रोज जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट उन्होंने पढ़ी तो वह चौंक गए. क्योंकि ओमप्रकाश की मौत सड़क दुर्घटना में नहीं हुई थी बल्कि गला काट कर हत्या करने के बाद उसे सड़क पर डाला गया था ताकि मामला दुर्घटना का लगे.
इस के बाद थानाप्रभारी संजीव चौहान ने मृतक के भाई तेजबहादुर, प्रमोद व छोटू तथा बहन ऊषा से पूछताछ की. तेजबहादुर तो पुलिस को बरगलाता रहा. लेकिन प्रमोद, छोटू व उषा ने शक जाहिर कर दिया. उन्होंने बताया कि ओमप्रकाश की शादी पूजा से हुई थी.
पूजा के अपने बहनोई मनोज से नाजायज संबंध थे. ओमप्रकाश इस का विरोध करता था. पूजा नाराज हो कर मायके चली गई थी. इतना ही नहीं उस ने भाई के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करा दिया था. उन्होंने कहा कि मनोज व पूजा ने ही भाई की हत्या की है.
मनोज शक के घेरे में आया तो थानाप्रभारी संजीव चौहान ने उसे थाने बुलवा लिया. जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. मनोज ने ओमप्रकाश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
मनोज ने बताया कि उस ने अपने साले राजकुमार व मृतक के बड़े भाई तेज बहादुर के साथ मिल कर ओमप्रकाश की हत्या की थी. मनोज ने यह भी स्वीकार किया कि मृतक की पत्नी के साथ उस के नाजायज संबंध हैं. उसी के उकसाने पर ओमप्रकाश की हत्या की गई थी.
हत्या का राज खुला तो पुलिस ने मृतक की पत्नी पूजा तथा भाई तेजबहादुर को भी हिरासत में ले लिया. किंतु राजकुमार फरार हो गया. मनोज की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया, जिसे उस ने घर में छिपा दिया था.
थानाप्रभारी संजीव चौहान ने मृतक के छोटे भाई प्रमोद की तरफ से मनोज, पूजा, तेजबहादुर व राजकुमार के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर के उन्हें विधिवत गिरफ्तार कर लिया.
14 नवंबर, 2018 को पुलिस ने हत्यारोपी मनोज, पूजा व तेज बहादुर को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. जबकि राजकुमार फरार था.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित