दूसरी ओर शीलेश भी कम परेशान नहीं था. गांव के कुछ लोगों ने भी उस से कहा था कि जवान बीवी को इस तरह घर में छोड़ना ठीक नहीं है. उन लोगों के कहने का मतलब कुछ और था, जबकि शीलेश ने इस का मतलब वही लगाया, जो ममता ने उस के दिमाग में भरा था.
रुकुमपाल उस से बहुत कुछ कहना चाहता था, जबकि वह उस की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं था. तनाव हद से ज्यादा हो गया तो शीलेश ने ठेके पर जा कर जम कर शराब पी. गिरतेपड़ते किसी तरह घर पहुंचा तो रुकुमपाल ने उसे संभालने की कोशिश की. तब वह बाप को धक्का दे कर गालियां देने लगा.
ममता ने सुना तो बहुत खुश हुई. वह यही तो चाहती थी. वह बापबेटे के बीच दीवार खड़ी करने में कामयाब हो गई थी. शीलेश चारपाई पर लुढ़का तो सुबह ही उठा. उठते ही उस ने कहा, ‘‘ममता, तुम अपना सारा सामान समेटो. हम दिल्ली चलेंगे.’’
ममता घबरा गई. उस का फेंका पासा उलटा पड़ रहा था. क्योंकि इस हालत में अगर वह दिल्ली चली गई तो फिर लौट नहीं सकती थी. हरीश दिल्ली जा नहीं सकता. तब वह उस से कैसे मिल सकती थी. अब वह इस सोच में डूब गई कि ऐसा क्या करे कि उसे दिल्ली भी न जाना पड़े और बुड्ढे से भी पिंड छूट जाए.
काफी सोचविचार कर उस ने तय किया कि वह दिल्ली जाने के बजाय इस कांटे को ही जड़ से निकलवा फेंकेगी. उस ने कहा, ‘‘तुम्हें पता नहीं, मैं पेट से हूं. इस हालत में मैं दिल्ली नहीं जा सकती. अब तुम्हें सोचना है कि इस हालात में तुम मुझे अपने बाप से कैसे बचा सकते हो? कोई दूसरा होता तो वह ऐसे आदमी को खत्म कर देता, जो उस की पत्नी पर बुरी नजर रखता हो.’’
ममता ने यह चाल बहुत सोचसमझ कर चली थी. उस का सोचना था कि शीलेश अगर अपने बाप को मार देता है तो बाप की हत्या के आरोप में पति जेल चला जाएगा. उस के बाद वह पूरी तरह से आजाद हो जाएगी. फिर वह आराम से हरीश से मिल सकेगी.
इस के बाद अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए ममता ने त्रियाचरित्र फैला कर शीलेश के मन में बाप के प्रति ऐसा जहर भरा कि वह बाप का ऐसा दुश्मन बना कि उस की जान लेने को तैयार हो गया. उसे लगा कि ऐसे बाप को जीने का बिलकुल हक नहीं है, जो अपने बेटे की ही पत्नी पर गंदी नीयत रखता हो.
रुकुमपाल यह तो जान गया था कि पत्नी के कहने में आ कर बेटा उस के खिलाफ हो गया है. लेकिन उसे यह विश्वास नहीं था कि बेटा उस की जान भी ले सकता है. उस का सोचना था कि जब शीलेश को सच्चाई का पता चल जाएगा तो अपने आप सब ठीक हो जाएगा.
19 मार्च की शाम को शीलेश ने रुकुमपाल से खेतों से भूसा लाने को कहा. रुकुमपाल भूसा लाने के लिए खेतों की ओर चला तो शीलेश भी फावड़ा ले कर उस के पीछेपीछे वहां जा पहुंचा. उस के साथ ममता भी थी.
रुकुमपाल झुक कर भूसा निकालने लगा तो शीलेश ने पीछे से उस पर फावड़े से वार कर दिया. रुकुमपाल चीख कर गिर पड़ा. उस की चीख सुन कर आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग उस की ओर दौड़े. वे रुकुमपाल के पास तक पहुंच पाते इस से पहले शीलेश ने बाप पर फावड़े से कई वार किए और भाग निकला. लेकिन गांव वालों ने उसे ही नहीं, ममता को भी उस के साथ भागते हुए देख लिया था.
गांव वालों ने घटना की सूचना कोतवाली देहात पुलिस को दी. सूचना पा कर कोतवाली प्रभारी पदम सिंह पुलिस बल के साथ गांव नगला समल पहुंच में रुकुमपाल के खेत पर गए. पहुंचते ही उन्होंने लाश को कब्जे में ले लिया. गांव वालों ने पूछताछ में बताया कि जब वे रुकुमपाल की चीख सुन कर उस की ओर दौड़े थे तो उन्हें मृतक का बेटा शीलेश और बहू ममता भागते ही दिखाई दिए थे.
पुलिस को लगा कि उन्हीं लोगों ने यह काम किया है, तभी भाग रहे थे अन्यथा बाप की चीख सुन कर वह बचाने दौड़ेगा, भागेगा नहीं. कोतवाली प्रभारी ने 2 सिपाहियों को घटनास्थल पर छोड़ा और खुद बाकी सिपाहियों को ले कर रुकुमपाल के घर जा पहुंचे.
शीलेश भागने की तैयारी कर रहा था. ममता भी उस के साथ थी. पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया. पुलिस ने मृतक की बेटी आशा को घटना की सूचना दी तो वह दादी रामरखी को साथ ले कर आ गई. रुकुमपाल की लाश देख कर रामरखी बेहोश हो गई तो आशा भी फूटफूट कर रोने लगी.
रामरखी को होश में लाया गया तो वह रोते हुए कहने लगी, ‘‘ममता ने ही अपने यार से मिलने के लिए मेरे बेटे को मरवाया है, क्योंकि मेरा बेटा उसे उस से मिलने से रोकता था.’’
जब आशा को पता चला कि शीलेश ने ही उस के पिता की हत्या की है तो उस का दुख और बढ़ गया. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद शीलेश और ममता को ले कर थाने आ गई.
थाने में शीलेश और ममता ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. इस के बाद ममता ने ससुर की हत्या करवाने के पीछे की अपने अवैध संबंधों की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर शीलेश ने अपना सिर पीट लिया.
लेकिन अब क्या हो सकता था. पत्नी के कहने में आ कर उस ने अपने बच्चों को तो अनाथ किया ही, उस बाप के खून से हाथ रंग लिए, जिस ने उसे बाप का ही नहीं, मां का भी प्यार दिया था. उस ने दादी के बुढ़ापे का सहारा छीनने के साथ भरापूरा परिवार बरबाद कर दिया.
पूछताछ के बाद पुलिस ने शीलेश और ममता को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. रुकुमपाल का भी कैसा दुर्भाग्य था कि जिस बेटे से उस ने उम्मीद लगा रखी थी कि मरने पर उस का अंतिम संस्कार करेगा. उसी ने उसे मौत के घाट उतार दिया.