Noida News : ‘वो’ के चक्कर में पतिपत्नी पहुंचे जेल

Noida News : निजी कंपनी के मार्केङ्क्षटग मैनेजर शिव पांडे ने शादीशुदा होते हुए भी 22 साल की काजल चौहान को अपने प्यार के जाल में फांस लिया था. काजल के साथ लिवइन रिलेशन में रहते हुए एक दिन काजल को उस की हकीकत पता चल गई. इस के बाद जो हुआ…

काजल चौहान अपनी बात कह कर प्रतिमा पांडे के कलेजे में आग लगा गई थी. अब प्रतिमा शाम होने का इंतजार कर रही थी ताकि पति शिव लौटे तो वह उस से काजल द्वारा कही गई बातों की पुष्टि कर सके. शाम को पति शिव पांडे घर आया तो प्रतिमा ने वही बात छेड़ दी. इस के बाद तो घर में ऐसा संग्राम छिड़ा, जिसे यहां लिख पाना न संभव है और न जरूरत ही है. अंत में प्रतिमा के पैर पकड़ कर शिव ने माफी मांगी और यह वचन भी दिया कि भविष्य में इस तरह की गलती वह दोबारा कभी नहीं करेगा.

 

पति की बेवफाई से उस दिन प्रतिमा सुलग उठी थी. फिर भी वह शिव की ब्याहता थी. छोटी सी बिटिया के भविष्य के बारे में भी उस ने सोचा. अब इस आफत से कैसे निकला जाए, वह अब हमेशा इसी बारे में विचार करने लगी. उधर शिव पांडे के प्यार में ठगी गई गुस्साई 23 वर्षीय काजल चौहान जरा भी झुकने को तैयार नहीं थी. उस की रोज की टेलीफोनिक धमकियों की वजह से शिव काफी परेशान रहता था. अपने पति को हिम्मत देने के लिए अब प्रतिमा हिम्मतवान बन गई थी. उस ने शिव से कहा, ”इस तरह चुप बैठे रहने से काम नहीं चलेगा. अगर इस लड़की ने पुलिस से शिकायत कर दी तो तुम्हारा क्या होगा? मेरी क्या हालत होगी? अपनी इस छोटी सी बिटिया का क्या होगा? इस का भविष्य क्या होगा?’’

इतना कहने के बाद प्रतिमा ने एक लंबी सांस ले कर आगे कहा, ”तुम ने गलती की है तो उसे सुधारने का रास्ता खोजो. वह कलमुंही पुलिस के पास जाए, उस के पहले ही उसे परलोक भेजना होगा. यही एक सौलिड उपाय है. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी. हम पकड़े न जाएं, इस तरह उसे खत्म करने का कोई प्लान बनाओ.’’

और फिर शिव ने हिट ऐंड रन का प्लान बना डाला. सुनसान जगह तलाश कर समझौते के लिए काजल को वहां बुलाने की योजना बनाई. उस ने वह जगह तलाश भी ली. शिव पांडे को ग्रेटर नोएडा के बारे में बहुत अच्छी नालेज थी. 16 जनवरी, 2025 की शाम शिव ने मैसेज भेज कर काजल को तुगलपुर स्थित अंसल मौल वाली सर्विस रोड पर समझौते के लिए बुलाया. पति को हिम्मत देने के लिए प्रतिमा भी स्कौर्पियो में उस के साथ बैठ गई थी. काजल समय से आ कर अपने प्रेमी लिवइन पार्टनर शिव पांडे का इंतजार करने लगी थी. क्योंकि उसी ने फोन कर के उसे वहां मिलने के लिए कहा था. पर शिव समय से नहीं पहुंचा था.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, इंतजार करतेकरते काजल ऊब रही थी. तभी उसे अपने प्रेमी शिव पांडे की स्कौर्पियो दूर से आती दिखाई दी. स्कौर्पियो देख कर उस ने राहत महसूस की. वह झुकेगी नहीं, उसे शिव से क्या बात करनी है, मजबूती के साथ उस ने मन ही मन शब्दों को तय कर लिया था. स्कौर्पियो नजदीक आई तो रुकने के बजाय अचानक उस की रफ्तार और ज्यादा बढ़ गई. काजल कुछ सोचविचार पाती, तेज गति से आ रही स्कौर्पियो ने उस के पहले ही उसे टक्कर मारी, जिस से काजल गिर पड़ी. इस के बाद स्कौर्पियो का बाईं ओर का अगला पहिया उस के ऊपर इस तरह चढ़ कर निकल गया कि उस के शरीर के चिथड़े उड़ गए. उसी जगह उसी समय उस की मौत हो गई. स्कौर्पियो जिस गति से आई थी, उसी गति से आगे बढ़ गई.

दूर से यह नजारा देखने वाले मदद के लिए भाग कर नजदीक आए. पर कुचली हुई देह की हालत देख कर उन्हें समझते देर नहीं लगी कि युवती मर चुकी है. स्कौर्पियो इतनी तेजी से आ कर काजल को कुचल कर चली गई थी कि लोग उस का नंबर तक नहीं देख पाए थे. भीड़ में से किसी ने पुलिस के 112 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही थाना कोतवाली नौलेज पार्क के कोतवाल डा. विपिन कुमार और डीसीपी साद मियां, एसीपी अवनीश दीक्षित पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. उस समय तक लाश के पास खड़ी भीड़ के लोग बदल चुके थे. जिन लोगों ने घटना को अपनी आंखों से देखा था, वे लोग वहां से चले गए थे.

पुलिस ने हिट ऐंड रन का मामला समझ कर लाश के पास पड़े बैग की तलाशी ली तो लाश की शिनाख्त हो गई. वह नोएडा के सेक्टर 22 स्थित चौड़ा सादतपुर गांव की रहने वाली थी और उस का नाम काजल चौहान था. पुलिस ने उस के पेरेंट्स को सूचना दी तो सूचना पाते ही उस के मम्मीपापा आ गए. जवान बेटी की इस तरह लाश देख कर उस की मम्मी अंजलि चौहान तो बेहोश हो कर गिर पड़ी. पुलिस ने पंचनामा कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. डीसीपी साद मियां खान ने रात को ग्रेटर नोएडा के एसीपी (क्राइम) अवनीश दीक्षित तथा कोतवाली प्रभारी विपिन कुमार से बात की. क्योंकि सर्विस रोड पर युवती का जिस तरह एक्सीडेंट हुआ था, उन्हें यह मामला हिट ऐंड रन का नहीं लग रहा था. उन्होंने कहा, ”अंतिम संस्कार की वजह से कल उस के पेरेंट्स नहीं आ सकेंगे. परसों वे रिपोर्ट लिखाने आएंगे.’’

तब अवनीश दीक्षित ने कहा, ”सर, युवती के पेरेंट्स की शिकायत आने के बाद जांच इस तरह होगी कि एक भी पौइंट नहीं छूटेगा.’’

18 जनवरी, 2025 की दोपहर को काजल के मम्मीपापा थाना नालेज पार्क आए. मानसिक रूप से दोनों काफी परेशान थे. मम्मी अंजलि चौहान ने जो रिपोर्ट लिखाई, उस में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस पहले की आईपीसी) की धारा 381 (पब्लिक प्लेस पर रफ ड्राइविंग) 106 (लापरवाही से हत्या), इन दोनों धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया. डीसीपी साद मियां खान ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, ”आप की बेटी को न्याय मिलेगा. उस कार वाले को खोज कर अवश्य सजा दिलाई जाएगी.’’

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू की. मृतक काजल के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया गया था. घटनास्थल के आसपास के तमाम सीसीटीवी फुटेज चैक करने के साथसाथ सर्विलांस की काररवाई की जा रही थी. काजल के फोन की काल डिटेल्स भी निकल गई थी. आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. दुर्घटना के समय दिल्ली के नंबर प्लेट वाली एक महिंद्रा स्कौर्पियो कार का नंबर डीएल 8सी एपी3470 पुलिस को मिल गया. इस के बाद पुलिस ने नंबर के आधार पर मालिक का नाम और पता हासिल कर लिया. वह कार नोएडा के सेक्टर-110 में रहने वाले शिव पांडे की थी.

दूसरी ओर पुलिस को मुखबिर ने बताया कि काजल चौहान इधर एक साल से किसी युवक से प्यार करती थी और उस की पत्नी की तरह उस के साथ शाहबेरी गांव में किराए के मकान में रहती थी. वह युवक दिल्ली की किसी बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर है. पुलिस शिव पांडे की तलाश में उस के घर पहुंची तो पता चला वह सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश) भाग गया है. पुलिस ने सुलतानपुर जा कर स्कौर्पियो के साथ मालिक शिव पांडे को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू हुई. पूछताछ में पता चला कि वह दिल्ली की कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर है तो पुलिस को मुखबिर की बात सच लगी.

इस के बाद पुलिस ने शिव से सख्ती से पूछताछ की. शिव ने पुलिस को चकमा देने की बहुत कोशिश की, पर पुलिस के आगे उस की एक नहीं चली. अंतत: उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के पुलिस को काजल से अपने प्यार से ले कर हत्या तक की पूरी कहानी सुनाई, जो इस प्रकार थी—

राजधानी दिल्ली से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसा नोएडा वैसे तो उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्धनगर के अंतर्गत आता है, पर यह दिल्ली का सेटेलाइट शहर है और नैशनल कैपिटल रीजन में आने की वजह से इसे दिल्ली जैसी सुविधाएं मिली हैं. नोएडा का पूरा नाम न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथौरिटी है. ओखला की औद्योगिक इकाइयों पर कर्मचारियोंमजदूरों का दिल्ली पर दबाव न बढ़े, इस के लिए 14 मार्च, 1976 को संजय गांधी के कहने पर यह शहर बसाया गया था. इस समय यह शहर भारत के चोटी के शहरों में से एक है. नोएडा में जब कंपनियों का दबाव काफी बढ़ा तो उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी से जोड़ कर ग्रेटर नोएडा बसा दिया, जहां आज बड़ीबड़ी कंपनियों के साथ तमाम यूनिवर्सिटीज और टेक्निकल कालेज खुल गए हैं, जिस की वजह से ग्रेटर नोएडा को शिक्षा का हब भी कहा जाता है.

इसी नोएडा के सेक्टर 110 में 26 साल की खूबसूरत पत्नी प्रतिमा के साथ रहने वाला 30 साल का शिव पांडे दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर था. वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के गांव पांडेपुर का रहने वाला था. उस के पापा नोएडा के महर्षि आश्रम में नौकरी करते थे और सेक्टर 110 में रहते थे. उन्हीं के साथ ही शिव भी रहता था. शिव ने साल 2018 में प्रतिमा से लव मैरिज की थी. उन की 5 साल की एक बेटी भी थी. इस के बावजूद भी शिव की चमन में खिल रही खूबसूरत कली पर भंवरे की तरह मंडराने वाली प्रवृत्ति नहीं बदली थी.

दिसंबर, 2023 की एक शाम शिव पांडे ग्रेटर नोएडा की आलीशान रोड पर अपनी सफेद रंग की स्कौर्पियो से घर जा रहा था, तभी 22 साल की काजल चौहान घर जाने के लिए आटो के इंतजार में सड़क पर काफी देर से खड़ी थी. पर शाम का समय होने की वजह से कोई आटो नहीं मिल रहा था. उसी दौरान शिव पांडे उधर से गुजरा तो शाम के धुंधलके में सड़क के किनारे खड़ी खूबसूरत युवती को देख कर उस की स्कौर्पियो अपने आप रुक गई. उस ने गाड़ी रोक कर काजल से स्कौर्पियो में बैठने को कहा तो काफी देर से आटो के लिए परेशान खड़ी काजल उस की स्कौर्पियो में बैठ गई.

स्कौर्पियो चलने के साथ ही बातें भी चल पड़ीं. शिव पांडे ने काजल को चौड़ा सादतपुर, सेक्टर- 22 स्थित उस के घर की गली तक छोड़ा था.

इस बीच उस ने अपना मोबाइल नंबर तो काजल को दे ही दिया, उस का भी मोबाइल नंबर ले लिया था. साधारण परिवारों की लड़कियों को कैसे अपनी ओर आकर्षित किया जाता है, यह कला शिव को बहुत अच्छी तरह आती थी. कुछ दिनों बाद उस ने काजल को फोन कर के कौफी पीने के लिए अट्टा, सेक्टर- 18 स्थित एक कौफी हाउस में बुलाया. इस तरह की आलीशान गाड़ी वाला स्मार्ट युवक साथ कौफी पीने के लिए बुला रहा है, यह बात काजल के लिए झटके के समान थी. खूब बनठन के तैयार हो कर वह अट्टा स्थित कौफी हाउस पहुंची तो शिव ने उस का बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया.

 

इस के बाद मुलाकातें बढ़ती गईं और शिव की बातों तथा आवभगत से भोलीभाली काजल ने शिव को अपना भावी भरतार (पति) मान लिया. एक दिन होटल में कमरा ले कर साथ रहने के बाद शिव ने काजल को समझाया कि इस तरह होटल में मिलने के बजाए मैं ने यहां शाहबेरी गांव में एक मकान किराए पर ले रखा है, वह उस के साथ उसी मकान में रहने के लिए आ जाए. दोनों कुछ दिनों तक लिवइन में रहेंगे तो जब उन्हें लगने लगेगा कि उन के संबंध मजबूत हो चुके हैं और उन के बीच कभी विवाद नहीं होगा तो उस के बाद दोनों विवाह कर लेंगे. काजल अभी मुग्धावस्था में थी, इसलिए उस ने शिव की शर्त खुशीखुशी स्वीकार कर ली.

घर में मम्मीपापा ने काजल को समझाया, पर उन से लड़झगड़ कर काजल शिव पांडे के साथ ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव स्थित किराए के मकान में रहने के लिए आ गई. फिर शिव और काजल पतिपत्नी की तरह रहने लगे थे. शिव पांडे को सब से बड़ा फायदा उस की नौकरी का था. मार्केटिंग के काम के लिए अकसर उसे बाहर जाना पड़ता था. उस की पत्नी प्रतिमा को उस के टूरिंग जौब का पता था ही. शिव ने काजल को भी अपनी नौकरी में करने वाली यात्रा के बारे में पहले ही बता दिया था. शिव बड़ी ही चालाकी के साथ यह खेल खेल रहा था.

प्रतिमा से टूर पर जाने की बात कह कर वह काजल के पास पहुंच जाता और काजल से टूर पर जाने की बात कह कर वह प्रतिमा के पास पहुंच जाता था. इस तरह दोनों घरों को शांति से संभालने में उसे कोई परेशानी नहीं हो रही थी. जबकि प्रतिमा और काजल को शिव के इस डबल रोल की कल्पना तक नहीं थी. जल्दी या देर में कभी न कभी तो झूठ का खुलासा हो ही जाता है. 24 दिसंबर, 2024 की रात क्रिसमस की धूम चल रही थी. उस समय शिव काजल के साथ उस के घर में था. उसी समय प्रतिमा का फोन आया. कोई पुरुष प्रेमिका के साथ हो और उस समय पत्नी का फोन आ जाए तो जवाब देते समय पुरुष की आवाज और चेहरा दोनों बदल जाते हैं. उस ने घबराते हुए मात्र इतना कहा, ”मीटिंग में हूं, बाद में बात करता हूं.’’

इतना कह कर शिव ने काल डिसकनेक्ट कर दी. उस के चेहरे के हावभाव देख कर काजल को उस पर शक हो गया. पर उस ने कुछ कहा नहीं. शिव पर अटूट विश्वास होने के कारण काजल ने कभी उस का मोबाइल चैक नहीं किया था. पर शक होने के बाद अगले दिन सुबह शिव नहाने गया तो काजल ने उस का मोबाइल चैक किया. मोबाइल देख कर उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. शिव के प्रतिमा के साथ के, शिव-प्रतिमा के बेटी के साथ के फोटो देख कर वह कांप उठी. उसे विश्वास हो गया कि यह आदमी उसे ठग रहा है.

शिव बाथरूम से निकला तो काजल ने उस का गला दबोच लिया. चोरी पकड़ी जा चुकी थी, इसलिए शिव ने माफी मांगते हुए स्वीकार कर लिया कि वह शादीशुदा है और एक बेटी का बाप भी है. पर वह उस से बहुत प्यार करता है. इस तरह की बातें कर के उस ने काजल को मनाने की बहुत कोशिश की, पर बिफरी काजल के मन में अब धोखेबाज शिव के लिए प्यार नहीं, नफरत थी. इस आदमी ने झूठ बोल कर उस का नाजायज फायदा उठाया था. यह सोच कर वह रणचंडी बन चुकी थी. रोते हुए उस ने कहा, ”मुझे कायदे से दरजा देते हुए पत्नी का अधिकार दो. अपनी प्रौपर्टी में से आधा हिस्सा तुम्हें देना होगा. इस स्कौर्पियो को बेच कर जो भी पैसा मिलेगा, उस में भी आधाआधा करना होगा.’’

इस के बाद काजल ने आंसू पोंछते हुए धमकी दी, ”आज तक झूठ बोल कर तुम ने मुझे पत्नी की तरह रखा, इसलिए अब तुम मुझे मेरा हक दो, वरना मैं सारी लाजशरम त्याग कर पूरे गांव में ढिंढोरा पीटते हुए थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराऊंगी.’’

काजल का उग्र रूप देख कर शिव बहुत घबरा गया था. उस ने कहा, ”मुझे 15 दिनों का समय दो, मैं कोई रास्ता निकालता हूं.’’

इतना कह कर शिव वहां से चला गया था. काजल ने चालाकी से शिव के औफिस फोन कर के उस के घर का पता ले लिया. अगले दिन वह शिव के घर पहुंच गई. शिव औफिस गया था. उस की पत्नी प्रतिमा उस समय घर पर थी. काजल ने शिव की सारी कहानी उसे सुना दी. प्रतिमा ने कल्पना भी नहीं की थी कि उस का पति शिव इस तरह की गलती भी कर सकता है. काजल ने रोते हुए कहा, ”आप मेरी बड़ी बहन जैसी हैं. इस में आप का कोई दोष नहीं है. इसलिए मैं आप से लडऩे नहीं आई हूं. पर एक साल तक शिव मेरा पति बन कर रहा है, इसलिए मैं अपना अधिकार मांगने आई हूं. आप उसे समझा कर मेरी मदद करेंगी तो ठीक है, बाकी प्रौपर्टी में आधे हिस्से के लिए मैं अकेली ही लड़ लूंगी.’’

शिव पांडे से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की पत्नी प्रतिमा पांडे को भी गिरफ्तार कर लिया. शिव का जब काजल से झगड़ा हुआ था, तब उस ने उस का मोबाइल फोन छीन लिया था. पुलिस ने उस के पास से वह मोबाइल फोन और हत्या में उपयोग में लाई गई स्कौर्पियो बरामद कर ली थी. इस के बाद अदालत में पेश कर के दोनों को जेल भेज दिया था.

 

 

Extramarital Affair : सरिता क्यों बनी पति की कातिल

Extramarital Affair : पति की एक्सीडेंट में मौत हो जाने के बाद 34 वर्षीय सरिता ने कुख्यात बदमाश सोनू नागर से शादी कर ली थी. कुछ दिनों बाद ही ऐसा क्या हुआ कि सरिता को सोनू नागर की हत्या की सुपारी देनी पड़ी? पढ़ें, फेमिली क्राइम की यह खास स्टोरी.

मोबाइल फोन की घंटी लगातार रुकरुक कर बज रही थी. गुरमीत उस समय बाथरूम में था. जैसे ही फोन की घंटी की आवाज गुरमीत के कानों में पड़ी तो वह फटाफट नहा कर बाथरूम से बाहर आ गया. गुरमीत ने मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लैश होते नाम को देखा तो उस के चेहरे पर मुसकान तैर गई. उस ने तुरंत काल रिसीव कर ली.

”हैलो बग्गा! आज सुबहसुबह कैसे याद आ गई अपने यार की?’’ गुरमीत ने चहक कर पूछा.

”तुझे तो मैं हर वक्त दिल में रखता हूं गुरप्रीत.’’ बग्गा सिंह दूसरी ओर से बोला, ”फिर याद तो अपनों को ही किया जाता है.’’

”ठीक है.’’ गुरमीत हंसा, ”बोल, कैसे फोन किया?’’

”एक मुरगे को टपकाना है गुरमीत.’’

”टपका देंगे.’’ गुरमीत ने लापरवाही से गरदन झटकी, ”मुरगा वजनदार तो है ना?’’

”मैं वजनदार मुरगा ही हलाल करता हूं गुरमीत. पूरे डेढ़ लाख में सौदा किया है.’’

”वाह!’’ गुरमीत ने होंठों पर जुबान फिराई, ”मोटी कटेगी यार, लेकिन सौदा फिफ्टीफिफ्टी का रहेगा बग्गा भाई.’’

”नहीं, पार्टी मेरी है इसलिए मैं तुम्हें 50 हजार दूंगा.’’ बग्गा सिंह की आवाज में अडिय़लपन था, ”देख, जब तेरी पार्टी होती है तो मैं भी वही लेता हूं जो तू देता है.’’

गुरमीत ने बात काट दी, ”वो सब ठीक है बग्गा, लेकिन 50 कुछ कम है.’’

”चल मैं 10 हजार और बढ़ा देता हूं.’’ बग्गा ने कहा, ”अब कुछ नहीं कहना.’’

”ओके.’’ गुरमीत ने गहरी सांस ली, ”मुरगा कहां टपकाना है?’’

”दिल्ली में.’’ बग्गा सिंह ने धीमी आवाज में कहा, ”तू आज ही दिल्ली पहुंच. मैं भी घर से निकल रहा हूं.’’

”तू इस वक्त कहां है?’’

”मैं भटिंडा में हूं, लेकिन हर हाल में शाम तक दिल्ली पहुंच जाऊंगा. तू मुझे फोन कर लेना. हमें कहां मिलना है, कहां ठहरना है, मैं तुझे बता दूंगा. अब तू तैयार हो, मैं काल काट रहा हूं.’’ बग्गा की तरफ से कहा गया. फिर संपर्क काट दिया गया.

गुरमीत ने मोबाइल टेबल पर रखा और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा. आधा घंटा बाद ही वह बैग ले कर घर से निकला और बसअड्ïडे के लिए आटो से रवाना हो गया.

3 फरवरी, 2025 की सुबह उत्तरी दिल्ली में शक्ति नगर के एफसीआई गोदाम के पास बहने वाले नाले में एक युवक औंधे मुंह पड़ा हुआ था. वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उस युवक को देखा तो वह ठिठक गया. उसे लगा कि शायद कोई शराबी नशे में गिर गया होगा. वह उसे गौर से देखने लगा. वह व्यक्ति नाले में औंधे मुंह पड़ा था, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी तो उस ने अनुमान लगा लिया कि शायद इस की मौत हो चुकी है. उस ने अपना शक दूर करने के लिए दूर खड़े 2 व्यक्तियों को इशारे से अपने पास आने को कहा. वे दोनों व्यक्ति आपस में बातें कर रहे थे. इशारा मिलने पर वह उस व्यक्ति के पास आ गए.

”क्या आप हमें जानते हैं?’’ उन में से एक व्यक्ति ने पूछा.

”नहीं भाई, मैं आप दोनों को नहीं जानता. मुझे तो यहां नाले में पड़े इस युवक को देख कर संदेह हो रहा है कि वह युवक जीवित भी है या नहीं. आप देख कर बताएं.’’

नाले में मिली लाश

दोनों व्यक्ति नाले में देखने लगे. वहां पड़े युवक को देख कर वे घबरा गए. उन में से एक बोला, ”नूर, सरक ले यहां से. यह लाश है, यदि पुलिस आ गई तो बेकार के लफड़े में फंस जाएंगे हम लोग.’’

उस के साथ वाला व्यक्ति यह सुनते ही तेजी से एक तरफ चल पड़ा. उस के साथ वाला व्यक्ति उस के पीछे लपका. वहां खड़ा पहले वाला व्यक्ति जिम्मेदार नागरिक था. वह वहां से नहीं भागा, बल्कि उस ने जेब से मोबाइल निकाल कर वहां पड़ी लाश की सूचना दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. कंट्रोल रूम से उसे वहीं खड़े रहने को कह दिया गया. करीब आधा घंटा बाद पुलिस वैन वहां सायरन बजाती हुई आ गई. इस वैन में रूपनगर थाने के एसएचओ रमेश कौशिक थे. उन के साथ पुलिस के 5 कांस्टेबल भी थे. सभी सावधानी से नाले में उतर गए. वह लाश औंधे मुंह पड़ी थी, उसे सीधा करने से पहले उस लाश की बहुत बारीकी से जांच की गई.

पीठ की ओर उन्हें कोई जख्म नजर नहीं आया. इसी एंगल से उस की मोबाइल द्वारा फोटो खींची गईं, फिर उसे सीधा किया गया. यह कोई 40-45 साल का व्यक्ति था. उस के शरीर पर पैंटशर्ट थी. उस के चेहरे पर गौर से देखने पर खिंचाव महसूस हो रहा था. एसएचओ रमेश कौशिक को लगा कि वह व्यक्ति जान निकलते समय बहुत तड़पा है. ऐसा उस हाल में होता है जब किसी का गला घोंटा जाता है. सांसें रुकने से व्यक्ति छटपटाता है और तड़पते हुए उस के प्राण निकलते हैं. कौशिक ने उस आदमी के गले का निरीक्षण किया तो उन का अनुमान सही साबित हुआ. उस के गले पर दबाब के कारण लाल निशान पड़ गए थे, जो साफ दिखाई दे रहे थे.

लाश की जेबों की तलाशी ली गई तो उस की जेब में कुछ नहीं मिला. इस से अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने के बाद जेब से सारा सामान निकाल लिया गया है, ताकि कोई सुराग पुलिस के हाथ न आ पाए. रमेश कौशिक की सूचना पर नौर्थ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी राजा बांठिया और एसीपी (सिविल लाइंस) विनीता त्यागी भी थोड़ी देर में मौके पर पहुंच गईं. उस से पहले एसएचओ रमेश कौशिक ने एक बार और मृतक की जेबें टटोलीं. हाथ की कलाई देखी, ताकि कोई गुदा हुआ नाम दिख जाए. लेकिन न जेबों में कुछ मिला, न उस की कलाई पर कुछ गुदा हुआ था.

नाले के ऊपर अब तक लाश की सूचना पा कर काफी लोग एकत्र हो गए थे. रमेश कौशिक ने ऊपर आ कर उन लोगों से लाश की पहचान करने को कहा, लेकिन किसी ने भी उस युवक को नहीं पहचाना. इस से यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के उसे यहां ला कर फेंक दिया गया है, इस क्षेत्र में इस आदमी की लाश को शायद ही कोई पहचान पाएगा. यह व्यक्ति इस क्षेत्र का नहीं है. काफी पूछताछ करने के बाद भी उस व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई. उसी दौरान फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी. 2 फोटोग्राफर्स भी इस टीम में थे.

आते ही यह टीम अपने काम में लग गई. एसएचओ ने डीसीपी को बताया कि लाश की शिनाख्त नहीं हो पा रही है, लगता है इसे कहीं और मारा गया है. पहचान न हो, इसलिए इस की लाश को यहां ला कर नाले में फेंक दिया गया है.

”इंसपेक्टर कौशिक, लाश की पहचान तो आवश्यक है. अपराधी तक हम तभी पहुंचेंगे, जब इस की पहचान होगी.’’ डीसीपी गंभीर स्वर में बोले.

”जी सर.’’ एसएचओ ने सिर हिलाया, ”हम पूरी कोशिश कर रहे हैं.’’

डीसीपी बांठिया ने युवक की लाश का निरीक्षण किया. गले पर लाल निशान देख कर वह समझ गए थे कि इस की हत्या गला घोंट कर की गई है. वहां ऐसे सुराग नजर नहीं आ रहे थे, जिस से समझा जा सके कि इसे यहीं खत्म किया गया है. हत्या कहीं और कर के इस की लाश को यहां फेंक दिया गया है.

पूरा निरीक्षण कर लेने के बाद डीसीपी ने इंसपेक्टर कौशिक से कहा, ”मामला पेचीदा लग रहा है. मैं आप की हैल्प के लिए स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित को भी बुला लेता हूं.’’

”यह उचित रहेगा सर. स्पैशल स्टाफ के आने से यह केस आसानी से सौल्व हो जाएगा. आप रोहितजी को बुलवा लीजिए.’’

डीसीपी बांठिया ने स्पैशल स्टाफ (नौर्थ डिस्ट्रिक्ट) के इंसपेक्टर रोहित से बात की और पूरी बात बता कर उन्हें घटनास्थल पर बुला लिया. इंसपेक्टर रोहित अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में वहां आ गए. उन की टीम ने युवक की लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. इंसपेक्टर रोहित ने फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट से बात कर के कुछ निर्देश दिए और इंसपेक्टर कौशिक को लाश पोस्टमार्टम हेतु हिंदूराव हौस्पिटल भेजने को कह दिया.

दिशानिर्देश दे कर डीसीपी और एसीपी भी घटनास्थल से चले गए. इंसपेक्टर कौशिक लाश का पंचनामा बनाने में जुट गए. यह काम पूरा होने तक स्पैशल स्टाफ वहां नहीं रुक सकता था, वे आगे की जांच के लिए वहां से निकल गए. इंसपेक्टर कौशिक ने लाश की शेष काररवाई निपटा कर पोस्टमार्टम के लिए हिंदूराव हौस्पिटल भेज दी और थाना रूपनगर लौट आए. यह केस बहुत पेचीदा था. मरने वाला व्यक्ति कौन है, उसे किस ने गला घोंट कर मारा, उस का कुसूर क्या था. इन सभी बातों का जवाब तभी मिल सकता था, जब उस की पहचान हो जाती. उस की लाश उस के परिजनों के लिए पोस्टमार्टम करवा कर सुरक्षित रखवा दी गई थी. अभी तक उस की पहचान नहीं हुई थी.

मृतक था दिल्ली का घोषित बदमाश

उस की पहचान करने के लिए इंसपेक्टर कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई सूत्र हाथ नहीं लग रहा था, लाश को ज्यादा दिनों तक रखा भी नहीं जा सकता था. पुलिस ने उस के शव की शिनाख्त के लिए पैंफ्लेट छपवा कर शक्ति नगर, रूपनगर और आसपास के क्षेत्र मे चस्पा कर दिए थे. अखबारों में भी शव की पहचान करने की अपील छपवाई गई, लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. अब स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने आखिरी उपाय करने के लिए युवक के फिंगरप्रिंट्स को कमला मार्किट क्रिमिनल रिकौर्ड औफिस (सीआरओ) भेजा गया. आशा नहीं थी, यह उपाय कारगर सिद्ध होगा, लेकिन ऐसा करने से पुलिस को सफलता मिल गई. उस के फिंगरप्रिंट्स क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो में पहले से दर्ज फिंगरप्रिंट्स से मेल खा गए.

पहले वाले फिंगरप्रिंट्स सोनू नागर नाम के अपराधी के थे. यह युवक हौजकाजी थाने का घोषित बदमाश था और इस पर 10 से अधिक आपराधिक मामले कई थानों में दर्ज थे, विशेष कर हौजकाजी थाने में. यहां से उस के घर का एड्रैस मिल गया. यह युवक गुलाबी बाग, सीनियर सैकेंड्री गवर्नमेंट स्कूल के पास टाइप वन के क्वार्टर में रहता था. क्वार्टर का नंबर 570 था. इंसपेक्टर रमेश कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत, मनोज कुमार और हैडकांस्टेबल जितेंद्र के साथ उस क्वार्टर पर पहुंच गए. क्वार्टर 570 में एक महिला मिली. इस का नाम सरिता था. उस की उम्र करीब 34 साल थी. दरवाजे पर पुलिस को देख कर उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया, किंतु तुरंत ही उस ने खुद को संभाल कर प्रश्न कर दिया, ”आप कोई अच्छी खबर ले कर आए हैं मेरे लिए.’’

इंसपेक्टर रोहित सारस्वत उस महिला के चेहरे पर नजरें जमाए हुए थे. पुलिस को सामने वाले के चेहरे के उतारचढ़ाव से उस की मनोस्थिति का अनुमान लगाना सिखाया जाता है. इंसपेक्टर रोहित मन ही मन मुसकराए. प्रत्यक्ष में वह चौंकने का अभिनय करते हुए बोले, ”अच्छी खबर! क्या तुम्हें उम्मीद थी कि पुलिस तुम्हारे दरवाजे पर अच्छी खबर ले कर आने वाली है?’’

”जी हां.’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मेरे पति कुछ दिनों से गुम हैं. मैं समझ रही हूं कि आप उन के बारे में अच्छी खबर ले कर आए हैं.’’

”तुम्हारे पति गुम हैं?’’ इंसपेक्टर ने चौंकते हुए कहा, ”क्या नाम है तुम्हारे पति का?’’

”सोनू… सोनू नागर पूरा नाम है जी.’’

”वह कब से लापता है?’’

”2 फरवरी की रात से.’’ सरिता ने बताया.

”क्या तुम ने सोनू नागर के गुम होने की सूचना लिखवाई है?’’

”हां साहब,’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मैं ने 7 फरवरी को थाना गुलाबी बाग में पति के गुम होने की सूचना लिखवा दी थी. वह 2 फरवरी की रात 10 बजे घर से गए थे, तब से वापस नहीं लौटे हैं. क्या वह आप को मिल गए हैं?’’

”मिले तो हैं लेकिन,’’ इंसपेक्टर रोहित ने बात अधूरी छोड़ दी.

”लेकिन क्या साहब, जल्दी बताइए… मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’

”तुम्हारा पति अब इस दुनिया में नहीं रहा है, उस की डैडबौडी हमें शक्तिनगर में गंदे नाले के पास मिली है.’’

”ओहऽऽ नहींऽऽ’’ सरिता जोर से चीखी और दहाड़े मार कर रोने लगी.

उस की रोने की आवाज सुन कर अंदर से एक महिला निकल कर बाहर आ गई. सरिता को रोती देख कर उस ने घबरा कर पूछा, ”क्या हुआ बहू, तू रो क्यों रही है?’’

”मांजी हम लुट गए, बरबाद हो गए. पुलिस को तुम्हारे बेटे की लाश मिल गई है.’’ सरिता ने रोते हुए बताया.

वह महिला भी रोने लगी. पुलिस ने उन का मन हलका होने दिया. फिर सरिता को टोका, ”हमें सोनू नागर की हत्या की जांच करनी है. तुम हमारे साथ थाने चलो, वहीं तुम से कुछ बात करनी है.’’

”चलिए साहब. अब तो यही सब होगा, मेरा पति जान से गया है. मुझे अन्य सभी टोकेंगे.’’

पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया कि वह क्या बोल रही है. वह तो दोनों को ले कर थाने में आ गए. सरिता की सास का नाम मिथिलेश था. फिलहाल उन दोनों का रोनाधोना थम गया था. इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने सरिता से पूछा, ”2 फरवरी की रात को तुम्हारा पति सोनू नागर घर से गया तो क्या वह तुम्हें कुछ बता कर गया था?’’

”सिर्फ इतना कहा था साहब, मैं बाहर ही हूं, इन से बात कर के मैं आ रहा हूं. फिर वह उन दोनों व्यक्तियों के साथ बाहर चले गए थे. तब से उन का कुछ पता नहीं चल रहा था.’’

”वह 2 व्यक्ति आखिर कौन थे

जिन के साथ तुम्हारे पति सोनू नागर बाहर

गए थे?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”मैं उन्हें नहीं जानती. वे दोनों साढ़े 11 बजे बाइक से मेरे घर आए थे. उन से मेरे पति की कुछ बातें हुईं. क्या बातें हुईं, यह मैं नहीं सुन सकी. मेरे पति उन के साथ घर से निकलते हुए इतना ही बोले कि मैं थोड़ी देर में वापस आ रहा हूं. लेकिन काफी देर बीत जाने पर भी वह नहीं लौटे तो मुझे चिंता होने लगी. मैं ने उन्हें फोन लगाया, लेकिन उस वक्त उन की काल नहीं लगी. यह सोच कर कि वह किसी काम में उलझ गए होंगे, मैं सो गई थी.’’

”फिर अगले दिन तुम्हारे पति नहीं लौटे तो क्या तुम ने उन्हें तलाश करने की जरूरत नहीं समझी?’’ सारस्वत ने प्रश्न किया.

”दूसरे दिन मैं ने उन्हें तलाश किया था साहब. दोस्तों, रिश्तेदारी सब जगह तलाश किया था, लेकिन वह नहीं मिले.’’ सरिता ने बताया, ”उन को 2-4 दिन और ढूंढा, फिर हार कर गुलाबी बाग थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी.’’

”वह 2 व्यक्ति दिखने में कैसे लग रहे थे?’’ इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”उन की उम्र 35-40 के बीच की थी. रंग सांवला था. सामान्य कदकाठी के थे. एक के सिर पर ब्लैक कलर की कैप थी, जिस के हेड पर क्करू्र लिखा था.’’

”हूं, तुम मोबाइल इस्तेमाल करती हो?’’ कौशिक ने प्रश्न किया.

”जी हां.’’ सरिता ने कह कर अपना मोबाइल दिखाया.

मोबाइल फोन में मिले अहम सबूत

इंसपेक्टर कौशिक ने वह मोबाइल ले लिया और बाहर निकल गए. बाहर आ कर उन्होंने मोबाइल से की गई काल लिस्ट देखी, उस में काफी नंबर थे. इंसपेक्टर ने 2 और 3 तारीख की आउटगोइंग काल्स देखी. वह चौंक पड़े. 2 फरवरी की रात को सरिता की ओर से 12 बजे रात को किसी एक नंबर पर फोन किया गया था. वही नंबर बाद में भी था. यानी सरिता ने उस नंबर पर रात में 3-4 बार अलगअलग समय पर काल कर के काफी देरदेर तक बातें की थी.

इंसपेक्टर रमेश कौशिक के चेहरे पर कुटिल मुसकान तैर गई. वह अंदर आ गए और सरिता से बोले, ”तुम्हारा मोबाइल हम कस्टडी में ले रहे हैं. इस की जांच करनी है हमें.’’

”ज…जी, मेरे फोन में ऐसा क्या है साहब,’’ सरिता अचकचा कर बोली.

”वह बाद में मालूम हो जाएगा. तुम यह बताओ, यह सोनू नागर तुम्हारी जिंदगी में कैसे आया? यह तो यहां के हौजकाजी थाने का घोषित अपराधी था. इस पर 10 अपाराधिक मामले दर्ज हैं.’’

सरिता ने नीचे सिर झुका लिया. कुछ देर वह खामोश रही, फिर एक गहरी सांस भर कर वह बोली, ”साहब, मेरा नाम सरिता है. मेरी शादी पहले किसी और से हुई थी. उस से मुझे एक लड़की और एक लड़का हुआ. मेरा पति तीस हजारी कोर्ट के पास पान की दुकान लगाता था. यहां पर सोनू नागर आताजाता रहता था. यहीं से मैं सोनू नागर को जानने लगी.

”अभी 8 महीने पहले मेरे पति की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई. तब सोनू मेरी मदद के लिए आगे आया. मैं उस के अहसान तले दब गई और उस के सहारे रहने लगी. फिर मैं ने उस से शादी कर ली. नियति को मुझ से न जाने क्या नाराजगी है, उस ने मेरा यह दूसरा पति भी मुझ से छीन लिया.’’ कहतेकहते सरिता भावुक हो गई और रोने लगी.

”अपने आप को संभालो और घर जाओ, जरूरत पड़ी तो बुलवा लेंगे.’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने उस से कहा और उठ कर खड़े हो गए.

सरिता अपनी सास के साथ थाने से बाहर निकल गई. उन के जाने के बाद इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने कहा, ”मुझे सरिता पर संदेह है. इस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाइए. इस ने पति के लापता होने वाली रात यानी 2 फरवरी को रात में 3-4 बार एक ही नंबर पर बातें की थीं. मालूम करना है वह नंबर किस का और क्या सरिता पहले भी इस नंबर के संपर्क में रही है?’’

इंसपेक्टर सारस्वत ने हैडकांस्टेबल जितेंद्र कुमार को मोबाइल दे दिया और जनवरीफरवरी माह की तमाम काल डिटेल्स निकलवा कर लाने का आदेश दे दिया. अगले दिन उन की टेबल पर सरिता के मोबाइल की जनवरी-फरवरी माह की काल डिटेल्स रखी थी. उस को बहुत बारीकी से देखा गया. सरिता द्वारा एक नंबर पर जनवरी फरवरी माह की 10 तारीख तक कईकई बार बातें की गई थीं. इस नंबर की फोन प्रदाता कंपनी से जांच की गई तो यह नंबर पंजाब के किसी बग्गा सिंह नाम के व्यक्ति का निकला. उस का एड्रैस भी मिल गया. यह था गांव लांबी, जिला श्रीमुक्तसर साहिब, पंजाब. इस के बाद गुप्तरूप से सोनू नागर के घर गुलाबी बाग के आसपास इस नंबर की जांच की गई तो पुलिस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 2 फरवरी की रात साढ़े 11 बजे से 12 बजे तक इस नंबर की लोकेशन वहां थी.

इस तरह सरिता ने खोला राज

यह विश्वास हो जाने के बाद कि बग्गा सिंह का सोनू नागर की हत्या में कोई न कोई रोल है, श्रीमुक्तसर साहिब जा कर बग्गा सिंह को घर से उठा लिया गया. उसे दिल्ली लाया गया. थाने में जब 19 वर्षीय बग्गा सिंह से सरिता से संबंध के विषय में पूछा गया तो पहले वह किसी सरिता को पहचानने से इंकार करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो वह कांपते हुए बोला, ”साहब, मैं सरिता को पहचानता हूं. उस से मेरी मुलाकात एक महीने पहले भटिंडा में हुई थी.’’

”सरिता वहां क्या करने गई थी?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”वहां उस की बहन रहती है.’’

”हूं.’’ इंसपेक्टर ने सिर हिलाया, ”सरिता तुम से किस मकसद से मिली थी?’’

”साहब, वह मुझ से अपने पति का खून करवाना चाहती थी.’’ बग्गा सिंह ने चौंकाने वाला खुलासा किया.

”ओह!’’ इंसपेक्टर हैरानी से बोले, ”यानी सरिता अपने पति सोनू नागर की हत्या तुम से करवाना चाहती थी.’’

”जी साहब.’’ बग्गा ने सिर हिलाया.

”इस सुपारी की तुम्हें कितनी रकम मिली बग्गाï?’’

”डेढ़ लाख रुपए में यह सौदा हुआ था. सरिता ने 50 हजार रुपए पेशगी दी थी.’’

”पेशगी लेने के बाद तुम ने सोनू की हत्या कैसे की, अब यह भी बता दो हमें.’’ बग्गा के चेहरे पर नजरें जमा कर इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”साहब, मेरा एक दोस्त है गुरमीत, वह भी सुपारी किलर है. मैं ने उसे फोन कर के 2 फरवरी को दिल्ली पहुंचने को कहा. मैं भी दिल्ली आ गया. हम कश्मीरी गेट बस अड्ïडा पर मिले, वहां से एक होटल में ठहर गए. सरिता से संपर्क कर के हम ने उसे बता दिया कि हम दिल्ली आ गए हैं. सरिता ने हमें सोनू नागर का काम तमाम करने के लिए रात को आने को कहा. हम ने दिन में ही सरिता के मकान की रेकी कर ली थी और रात को साढ़े 11 बजे हर ओर सन्नाटा होने पर उस के दरवाजे पर पहुंच गए.

”सरिता ने चुपके से घर का कुंडी खोल दी. हम दबे पांव अंदर घुसे. सोनू नागर उस वक्त सो चुका था. हम ने सोते हुए सोनू नागर को दबोच लिया. सरिता ने पांव पकड़े. गुरमीत ने सोनू नागर के हाथ पकड़े. मैं ने छाती पर चढ़ कर सोनू की गरदन दबा कर उस की हत्या कर दी.

”सोनू नागर की हत्या करने के बाद उस की लाश को हम ने बाइक पर बीच में इस तरह बिठा लिया, जैसे वह जीवित हो और हम कहीं जा रहे हों. हम सोनू की लाश ले कर शक्ति नगर के एरिया में आए और सुनसान पड़े नाले में इस लाश को फेंक दिया. इस के बाद सरिता को सब बता कर हम होटल चले गए. अगले दिन हम सरिता से रुपए ले कर श्रीमुक्तसर साहिब गुरमीत के घर आ गए.’’

बग्गा सिंह का यह बयान कलमबद्ध कर लिया गया. सरिता को पकड़ कर थाने लाने के लिए इंसपेक्टर रमेश कौशिक अपनी पुलिस टीम के साथ गुलाबी बाग पहुंच गए. सरिता घर में ही थी. उसे महिला पुलिस ने पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में बिठा लिया. सरिता चिल्लाई, ”मुझे इस तरह पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में क्यों बिठाया गया है? इंसपेक्टर साहब, यह कैसी बेहूदगी है?’’

”बेहूदगी कहां है सरिताजी, हम तो तुम्हें थाने ले जा रहे हैं, वहां हम ने तुम्हारे पति के कातिल को पकड़ कर बिठा लिया है. तुम्हें वही दिखाने ले जा रहे हैं.’’ इसपेक्टर कौशिक ने मुसकरा कर कहा. सरिता यह सुन कर खामोश बैठ गई.

थाने में उसे जब बग्गा सिंह के सामने ला कर खड़ा किया गया तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया, वह धम्म से कुरसी पर बैठ गई. सरिता ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पूछताछ में उस ने कहा कि पहले पति की मौत के बाद उस की जिंदगी में सोनू नागर आ गया. कुछ दिनों तक वह सोनू नागर के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही, फिर उस से शादी कर ली. शादी के बाद उसे मालूम हुआ कि सोनू नागर अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, उस की नजर उस की दुकान और मकान पर थी. वह उन्हें बेचने के चक्कर में था.

उस ने मेरी बेटी, जो स्कूल में पढ़ती थी, उस की इज्जत पर भी हाथ डाला. मैं सोनू से डरती थी, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. सोनू मुझ से गालीगलौज और मारपीट भी करने लगा था. मुझे यह भी लगा कि मेरी जायदाद के लिए वह मेरी हत्या कर सकता है, इसलिए तंग आ कर मैं ने बग्गा सिंह को उस के कत्ल की सुपारी डेढ़ लाख रुपए में दे दी.

बग्गा ने अपने साथी गुरमीत के साथ

सोनू की हत्या 2 फरवरी, 2025 की रात को कर दी और लाश शक्ति नगर ले जा कर नाले में फेंक दी, जो 3 फरवरी को रूपनगर पुलिस को मिली थी. सरिता के इकबालिया बयान के बाद इस अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा-103(1) के तहत सरिता और सुपारी किलर बग्गा सिंह को सक्षम न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. गुरमीत को पकडऩे के लिए पुलिस टीम श्री मुक्तसर साहिब में छापेमारी करने गई तो वह फरार हो गया था. कथा लिखे जाने तक वह पुलिस के हाथ नहीं आया था.

 

 

Love Stories : चादर में लपेटा लिवइन रिलेशन

Love Stories : 10 महीने से बंद कमरे का ताला तोड़ कर बलवीर सिंह राजपूत ने कमरे की सफाई की तो उन्हें फ्रिज के अंदर चादर में लिपटी एक युवती की लाश मिली. कौन थी वह युवती और किस ने की उस की हत्या? पढ़ें, रहस्य से भरी यह कहानी.

10 जनवरी, 2025 की सुबह की बात है. कड़ाके की सर्दी थी और कोहरे की चादर भी फैली हुई hथी, लेकिन हौलेहौले अस्तित्व में आती सूरज की किरणों ने कोहरे से लडऩा शुरू किया तो मौसम का मिजाज तेजी से बदलने लगा. सर्दी कम होती चली गई, साथ ही कोहरे की चादर भी हटती चली गई. इसी बीच देवास में भोपाल रोड स्थित पौश कालोनी वृंदावनधाम में किराए पर रहने वाले बलवीर राजपूत ने बीएनपी (बैंक नोट प्रैस) थाने को फोन कर सूचना दी कि कालोनी के मकान नंबर 128 से दुर्गंध आ रही है. जिस कमरे से दुर्गंध आ रही है, उस के दरवाजे पर पिछले 10 महीने से ताला लगा हुआ था.

दुर्गंध आने की सूचना मिलते ही टीआई अमित सोलंकी समझ गए कि वहां कुछ न कुछ गड़बड़झाला अवश्य है. क्योंकि इस तरह की जो भी सूचनाएं मिलती हैं, उन में से ज्यादातर मामले हत्या के ही निकलते हैं. बहरहाल, एसएचओ पुलिस टीम के साथ वृंदावनधाम कालोनी की तरफ निकल गए. निकलने से पहले उन्होंने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. जिस मकान से दुर्गंध आने की बात कही गई थी, वह 2 मंजिला था. टीआई और अन्य पुलिसकर्मियों ने भी कमरे से आती दुर्गंध को महसूस किया था. उस कमरे के ठीक बगल वाले 4 कमरों में बलवीर राजपूत अपने परिवार के साथ रह रहा था.

बलवीर ने पुलिस को बताया कि वह जुलाई 2024 से धीरेंद्र श्रीवास्तव के इस मकान के एक भाग को किराए पर ले कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है. उसे अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई के लिए और कमरों की जरूरत महसूस हुई तो उस ने मकान मालिक धीरेंद्र श्रीवास्तव से मोबाइल पर बात कर तकरीबन 10 महीनों से बंद पड़े 2 कमरे भी उसे किराए पर देने के लिए अनुरोध किया. मकान मालिक धीरेंद्र श्रीवास्तव ने बलवीर को बताया कि उन कमरों में पूर्व में रहने वाले किराएदार संजय पाटीदार (41) का कुछ घरेलू सामान रखा हुआ है और अभी कमरे पर संजय पाटीदार का ही ताला लगा हुआ है. उस से मैं कई बार अपना सामान उठा कर ले जाने के लिए कह चुका हूं, लेकिन वह पिछले 6 महीने से बहानेबाजी कर रहा है.

कभी कहता है कि मेरी सास को हार्ट अटैक आ गया है तो कभी कहता है कि मेरे चाचा के बेटे का निधन हो गया है, इसलिए आने में असमर्थ हूं. आप मुझे कुछ समय की मोहलत और दे दीजिए और मेरे सामान को कमरे में रखा रहने दें, मैं जल्द ही आप का पूरा किराया दे कर अपना सामान उठा कर ले जाऊंगा.

किस की थी फ्रिज में रखी लाश

वह न तो मुझे समय पर किराया दे रहा है न ही कमरे का ताला खोल रहा है, जबकि इस से पहले  वह हर महीने मुझे औनलाइन किराया भेज देता था. इसलिए तुम ऐसा करो कि ताला तोड़ कर कमरे में रखा संजय पाटीदार का सामान कमरे के बाहर रख दो और कमरे की साफसफाई कर के उसे अपने उपयोग में लेना शुरू कर दो. इस पर बलवीर ने कमरे में लगे ताले को 8 जनवरी की रात को तोड़ दिया था. इस के बाद जैसे ही वह कमरे में घुसा तो उसे गृहस्थी के सामान के साथ कपड़े में लपेट कर रखा हुआ फ्रिज दिखाई दिया, जोकि बिना उपयोग में आए चल रहा था.

बलवीर ने बिजली की खपत कम करने के मकसद से फ्रिज का स्विच औफ कर दिया और कमरे की कुंडी लगा कर अपने कमरे में सोने चला गया. 9 जनवरी को सुबह होने पर बलवीर ने उस बंद पड़े कमरे की साफसफाई की, लेकिन कमरे में रखे संजय पाटीदार के सामान के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की, उसे यथावत कमरे में ही रखा रहने दिया. 10 जनवरी, 2025 को दोपहर के वक्त जब संजय पाटीदार के कमरे से तेज दुर्गंध आने लगी तो बलवीर सिंह राजपूत ने कमरे की कुंडी खोल कर देखा तो बंद फ्रिज में से खून रिसने के साथ ही तेज दुर्गंध आ रही थी. बलवीर ने समय न गंवाते हुए तुरंत बीएनपी (बैंक नोट प्रेस) थाने को इस की सूचना दी.

सूचना पर पहुंची पुलिस टीम ने लोगों की मौजूदगी में जैसे ही फ्रिज का दरवाजा खोला, तभी चादर में लिपटी फ्रिज में करीने से रखी कोई चीज फ्रिज में से बाहर गिर गई. पुलिस ने जब उस चीज की चादर हटाई तो उस में एक महिला की लाश थी. लाश को चादर से बाहर निकालते ही घर में बदबू फैल गई. मृतका की उम्र 30-35 साल से ज्यादा नहीं लगती थी. पता चला कि वह संजय पाटीदार के साथ रहने वाली प्रतिभा उर्फ पिंकी थी. उस के गले में दुपट्टा कसा हुआ था, साथ ही उस के हाथ भी बंधे हुए थे.

पुलिस ने उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में मकान को छान मारा, लेकिन वहां पर कुछ भी आपत्तिजनक सामान नहीं मिला. सिर्फ मृतका के संजय पाटीदार के साथ फोटो और दस्तावेज के. उसी दौरान एसपी पुनीत गहलोद, एएसपी जयवीर भदौरिया, प्रैस फोटोग्राफर तथा फिंगरप्रिंट ब्यूरो के सदस्य भी वहां पहुंच गए. मौकामुआयना करने के बाद टीआई को दिशानिर्देश देने के बाद एसपी पुनीत गहलोत लौट गए.

पहले पति को क्यों छोड़ा पिंकी ने

देखते ही देखते यह खबर समूची वृंदावन धाम कालोनी में फैल गई कि किसी ने प्रतिभा उर्फ पिंकी की हत्या कर दी है. थोड़ी देर में कालोनी के लोग काफी बड़ी संख्या में मौकाएवारदात पर जमा हो गए. पुलिस ने पड़ोसियों से पिंकी की हत्या के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उस की हत्या के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वैसे मार्च 2024 के बाद किसी ने भी पिंकी को वृंदावनधाम कालोनी में नहीं देखा था. जब भी किसी पड़ोसी ने संजय पाटीदार से पिंकी के बारे में पूछा तो उस ने उन्हें यही बताया कि उस की मम्मी को हार्ट अटैक आ गया है, इसलिए वह अपनी मम्मी की देखभाल के लिए गई है.

पुलिस को लगा कि जरूर दाल में कुछ काला है. इस के बाद पुलिस के शक की सुई संजय पाटीदार पर ही टिक गई. मामला गंभीर था, इसलिए मौके पर मौजूद टीआई ने इनवैस्टीगेशन के लिए उज्जैन से फोरैंसिक टीम को भी वहां बुला लिया. फोरैंसिक टीम की 2 महिला अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल और मृत महिला की लाश का निरीक्षण करने के बाद मौके से जरूरी सबूत सावधानीपूर्वक एकत्रित कर लिए. इस बीच पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए देवास के जिला अस्पताल में भिजवा दिया.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए एसपी पुनीत गहलोत ने एएसपी जयवीर भदौरिया, टीआई अमित सोलंकी के अलावा क्राइम ब्रांच और साइबर सेल टीम को भी लगा दिया. टीम ने अपने स्तर पर गहनता के साथ इस जघन्य हत्याकांड की छानबीन शुरू कर दी. इस का परिणाम यह निकला कि पुलिस टीम को मृतका पिंकी और संजय पाटीदार के बारे में तमाम सारी चौंकाने वाली जानकारियां मिल गर्ईं. इन जानकारियों से तमाम सारे राज परतदरपरत खुलते चले गए. पता चला कि पिंकी संजय की पत्नी नहीं थी, वह तो संजय पाटीदार के साथ पिछले 5 सालों से लिवइन रिलेशनशिप में रह रही थी. संजय से पहले उस ने 2016 में राजस्थान के सुभाष माहेश्वरी से लव मैरिज की थी, लेकिन यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली, क्योंकि पिंकी ने शादी के बाद बेहतरीन जिंदगी जीने के सपने संजो रखे थे.

पिंकी के ख्वाब चकनाचूर हुए तो उस की अपने पति सुभाष से अनबन रहने लगी. पति ने उसे बहुत समझाया, लेकिन छोटीछोटी बातों पर झगड़ा होना आए दिन की बात हो गई तो रिश्तों में कड़वाहट बढऩे लगी. शिकवेशिकायतों के बीच दोनों 2017 में एकदूसरे से अलग हो गए तो पिंकी राजस्थान से अपने पैतृक शहर उज्जैन लौट आई. पिंकी की जिंदगी किस दिशा में जाने वाली थी, यह वह खुद भी नहीं जानती थी, लेकिन यह भी सच था कि वह आजादी की जिंदगी जीना चाहती थी. पति से अलगाव के बाद वह मायके आ गई. उस का यह कदम फेमिली वालों को खासकर उस के पापा और भाई को कतई रास नहीं आया. लेकिन पिंकी अपने सामने किसी दूसरे की चलने नहीं देती थी. उस के अडिय़ल रुख के कारण उस से आजिज आ कर फेमिली वालों ने भी उस से पूरी तरह से किनारा कर लिया.

ऐसी स्थिति में वह उज्जैन में ही अपने घर के ही करीब किराए पर कमरा ले कर रहने लगी. कुछ दिन बाद पिंकी की मुलाकात संजय पाटीदार से हुई. चंद मुलाकातों में दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच प्यार हो गया. पिंकी को संजय के सहारे की जरूरत थी. उधर संजय भी पिंकी की अदाओं और खूबसूरती का दीवाना बन चुका था. सरल स्वभाव की पिंकी ने अपने परिचितों और पड़ोसियों से संजय का परिचय अपने पति के रूप में कराया था. यह बात अलग थी कि दोनों का रिश्ता लिवइन रिलेशन का था.

10 महीने तक ठिकाने क्यों नहीं लगाई लाश

10 जनवरी, 2025 की दोपहर को हत्या के इस मामले में मृतका कि लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद अब पुलिस के लिए जांच को आगे बढ़ाने के लिए सब से जरूरी था, मृतका के साथ रहने वाले संजय पाटीदार को खोज निकालना. संजय पाटीदार को धर दबोचने के लिए एसपी ने एएसपी जयवीर भदौरिया को लगा दिया. उन्होंने पिंकी की लाश मिलने के चंद घंटों बाद ही संजय पाटीदार के ठौरठिकानों का पता लगाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी सूझबूझ से संजय पाटीदार को उज्जैन के मौलाना गांव से गिरफ्तार कर लिया और उसे ले कर देवास आ गए.

इस हत्या का राज खुल जाने के बाद पहली गिरफ्तारी संजय पाटीदार की हुई थी, अत: देवास के (बैंक नोट प्रेस) बीएनपी थाने में संजय पाटीदार से पूछताछ शुरू हुई. पहले तो वह पुलिस को बहकाता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उस पर मनोवैज्ञानिक ढंग से दबाव बनाया तो उस ने प्रतिभा उर्फ पिंकी की हत्या 2 मार्च, 2024 को ही अपने मित्र विनोद दवे के साथ मिल कर करने और लाश घर में रखे फ्रिज में छिपाने की बात कुबूल कर ली. संजय पाटीदार ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पिंकी की हत्या करने के पीछे की जो वजह बताई, वह लिवइन रिलेशनशिप में दरकते रिश्तों की चौंकाने वाली कहानी निकल कर आई.

संजय पाटीदार मूलरूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के मौलाना गांव का रहने वाला था. जैसे ही संजय जवान हुआ, उस के पेरेंट्स ने उस की शादी कर दी. उस की पत्नी उस के साथ उज्जैन में रहती थी और वह उज्जैन की अनाज मंडी में काम करता था. उस का काम काफी अच्छा चल रहा था. वह जो पैसे कमाता, उस में से कुछ पैसे अपने पापा के पास भेज देता था. इस बीच उस की पत्नी 2 बच्चों की मां बन गई थी. बताया जाता है कि इस बीच संजय ने मंडी के काम को छोड़ दिया और उज्जैन में रह कर स्वयं का फ्रीगंज इलाके में एक मल्टीलेवल मार्केटिंग (एमएलएम) कंपनी का औफिस खोल लिया. इसी कंपनी में प्रतिभा उर्फ पिंकी भी काम करती थी. इसी दौरान दोनों के बीच दोस्ती हो गई. बाद में उन के बीच प्रेम संबंध बन गए तो दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

उज्जैन में संजय ने शहर की विवेकानंद कालोनी, अन्नपूर्णा नगर, तिरुपति धाम में किराए पर कमरा ले कर पिंकी को अपने साथ रखा. जब एमएलएम का काम अच्छा नहीं चला तो कुछ समय बाद संजय ने इस काम को बंद कर दिया और 2023 में प्रतिभा को उज्जैन से देवास ले आया और वृंदावनधाम कालोनी में धीरेंद्र श्रीवास्तव का मकान किराए पर ले कर रहने लगा. धीरेंद्र इंदौर में रहते थे. वृंदावनधाम कालोनी में आने के बाद अपनी गृहस्थी चलाने के लिए देवास मंडी में काम करना शुरू कर दिया, वहीं पिंकी ने घर में ही रह कर कालोनी की महिलाओं के कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया. यहां पर भी पड़ोसियों के द्वारा पति के बारे में पूछने पर पिंकी ने संजय को अपना पति बताया था. पिंकी ने कुछ पड़ोसियों को यह भी बताया था कि देवास आने के पहले उस का 2 साल का बेटा भी था, जिस की निमोनिया से उपचार के दौरान मौत हो चुकी है.

कालोनी में रहने वाले लोगों से जब पुलिस ने पड़ताल के दौरान बात की तो सभी ने इस बात पर ज्यादा हैरानी जताई कि (पिंकी और संजय) दोनों शादीशुदा नहीं थे. पता चला कि पिंकी अपनी आजीविका चलाने के लिए देवताओं की मूर्तियों की सुंदरसुंदर पोशाकें सिलती थी. पुलिस को यह भी पता चला कि संजय उज्जैन के मौलाना गांव का रहने वाला है और वह पहले से शादीशुदा है और उस के पत्नी और बच्चे भी हैं. उस की बड़ी बेटी की तो शादी तक तय हो चुकी है. उन दोनों के बीच होने वाले झगड़े की असल वजह यह थी कि पिंकी संजय पाटीदार पर शादी करने के लिए दवाब बना रही थी.

पुलिस ने बताया कि प्रतिभा उर्फ पिंकी का अपने घर वालों से बीते 7 सालों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं था. शनिवार 11 जनवरी, 2025 को पुलिस के बुलावे पर वह देवास पहुंचे. उन्होंने उस की लाश की शिनाख्त प्रतिभा उर्फ पिंकी प्रजापति के रूप में कर दी.

आखिर छिप न सका जुर्म

पिंकी के फेमिली वालों का कहना था कि 2016 में उस ने राजस्थान के सुभाष माहेश्वरी से हम लोगों की इच्छा के खिलाफ लव मैरिज कर ली थी. उस के बाद से हमारा प्रतिभा उर्फ पिंकी से कोई संपर्क नहीं था. पुलिस को पड़ोसियों से पता चला कि बलवीर सिंह चौहान से पहले इस मकान में जुलाई 2023 से जून 2024 तक संजय पाटीदार और प्रतिभा उर्फ पिंकी रहा करती थी, लेकिन किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि संजय इतना बेरहम इंसान हो सकता है. उधर संजय पाटीदार ने पुलिस पूछताछ में जब अपना गुनाह कुबूल कर लिया, तब पुलिस ने 11 जनवरी, 2025 को उसे कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया और विस्तार से पूछताछ करने और सबूत जुटाने के लिए एक दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि में टीआई अमित सोलंकी लोगों के गुस्से और हमले की आशंका के मद्देनजर भारी सुरक्षा के बीच उसे अपने साथ वृंदावन धाम कालोनी के मकान नंबर 128 ले कर पहुंचे. वहां उन्होंने उस से घटना का सीन रीक्रिएट कराया. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि पिंकी उस के मित्र विनोद को जानती थी. इसलिए वह भी हम दोनों की तकरार के दौरान कमरे के भीतर पहुंच गया. इस दौरान हम दोनों में बातचीत होती रही. इस बातचीत के दौरान पिंकी शादी की हठ करने लगी. संजय ने अपने शादीशुदा होने का हवाला देते हुए उसे समझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन वह कुछ भी सुनने को राजी नहीं थी.

दोस्त विनोद ने भी उसे समझाने का प्रयास किया तो वह उसे भी भद्दी गालियां देने लगी. जब संजय ने पिंकी से शादी करने से साफ इनकार कर दिया तो वह बुरी तरह तिलमिला गई और संजय को भी भद्दीभद्दी गालियां देने लगी. पिंकी की बदजुबानी से संजय की सहनशक्ति जवाब दे गई और इसी दौरान गुस्से में उस ने पिंकी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. हालांकि उस ने चिल्लाने का प्रयास किया तो विनोद ने उस का मुंह दबा दिया.

वह कुछ मिनट छटपटाने के बाद शांत हो गई. इस के बावजूद भी पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए संजय ने पिंकी की छाती पर हाथ रख कर दिल की धड़कनों के बंद होने की जांच भी की थी. फिर विनोद की मदद से संजय ने पिंकी के दोनों हाथ बांधे और फ्रिज की सभी ट्रे बाहर निकालीं और अपने मित्र की मदद से उस के शव को चादर में बांध कर फ्रिज में ठूंस दिया. फिर फ्रिज को हाई पर सेट कर दिया. संजय पाटीदार के रिमांड अवधि और सभी तरह की तहकीकात पूरी होते ही पुलिस ने फिर से कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. भोलाभाला दिखाई देने वाला संजय पाटीदार अब सलाखों के पीछे है.

देवास के बैंक नोट प्रेस थाना पुलिस उज्जैन के इंगोरिया इलाके में रहने वाले संजय पाटीदार के मित्र और इस हत्या में संजय के सहयोगी रहे विनोद दवे को देवास लाने के लिए कोर्ट से प्रोटेक्शन वारंट ले कर राजस्थान की टोंक जेल जाने की तैयारी कर रही थी, साथ ही उसे भी हत्या के इस मामले में सहअभियुक्त बनाने के लिए विधिवत काररवाई की जा रही थी.

 

 

सऊदी से लौटे प्रेमी को मौत का तोहफा

26 वर्षीय मोहम्मद वसीम अंसारी अपनी 17 वर्षीया गर्लफ्रेंड नरगिस से मिलने के लिए बेताब था. उस से मिलने की खातिर वह सऊदी अरब से इंडिया आया. यहां उस की 17 टुकड़ों में कटी लाश पुलिस ने बरामद की. आखिर किस ने और क्यों की वसीम अंसारी की हत्या?

सऊदी अरब से कोरबा के पाली गांव की रहने वाली नरगिस के पास एक काल आई, ”हैलो…हैलो नरगिस, मैं वसीम बोल रहा हूं. कैसी हो?’’ काल का जवाब नरगिस शिकायती लहजे में देते हुए बोली, ”मैं कैसी हूं, यह पूछ रहे हो? बस, समझो जिंदा हूं.’’

”ऐसा क्यों कह रही हो नरगिस?’’ आश्चर्य से वसीम बोला. नरगिस कुछ नहीं बोली. वसीम ही दोबारा बोला, ”ऐसा मत कहो.’’ नरगिस का जवाब फिर शिकायत के साथ नाराजगी भरा था, ”इतने दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आ रही है. मैं तो हमेशा तुम्हें याद करती हूं तुम्हें… नंबर भी दिया था, मगर?’’ बात पूरी किए बगैर चुप हो गई. इस पर वसीम ने कहा, ”नाराज मत हो नरगिस, जिस दिन से यहां आया हूं, सच कहो तो मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाया. यहां दम्मन, सऊदी अरब में इतना काम है कि मत पूछो…’’  वसीम मानो हाथ जोड़ कर के मनुहार कर रहा हो.

अच्छा, वहां काम में ही मन लगा रहता है, यह बात है. सिर्फ काम और पैसा ही तुम कमाते रहो और मैं तुम से बात भी नहीं करूं.’’  इतराती हुए नरगिस बोली. अरे, ऐसा नहीं है यार! मैं तो 24 घंटे तुम्हें याद करता रहता हूं. तुम्हारी सूरत मेरी आंखों के सामने घूमती रहती है. मैं संकोच में था कि फोन तुम उठाओगी या नहीं. हमें भूल तो नहीं गई होगी?’’ वसीम सहजता से बोला.

अच्छा! सीधा कहो न कि रुपयों से प्यार है, जो इतना दूर चले गए हो. तुम से तो प्यार करना फिजूल है.’’ नरगिस का ताना मारना वसीम पर असर कर गया.  वह बोला, ”अच्छा, मैं बहुत जल्दी तुम से मिलने आ रहा हूं… बस कुछ और रुपए और जोड़ लूं!’’ रुपए जोडऩा तो अच्छी बात है, तुम मेरे लिए क्या लाओगे?’’ नरगिस उस से जानना चाहती थी. अरे नरगिस, मैं आ रहा हूं यह क्या कम है. …और रुपएपैसे की क्या बात है. यहां जो मैं कमाता हूं वो घर भी भेज देता हूं. तुम्हारे लिए मैं ऐसी चीज लाऊंगा कि तुम खुश हो जाओगी! …और हां, अभी एक गिफ्ट मैं यहां से तुम्हें भेज रहा हूं. अब तो खुश हो जाओ.’’

यह सुन कर के नरगिस बड़ी खुशी से बोली, ”देखो, कोई अच्छी सी गिफ्ट भेजना, नहीं तो मैं वापस भेज दूंगी वहीं, सऊदी अरब.’’ वसीम और नरगिस के बीच होने वाली ये बातें कोई पहली बार नहीं हो रही थीं. वे अकसर काफी देर तक रोजाना मोबाइल पर बात करते थे. एक दिन भी इस में चूक होने पर नरगिस शिकायती लहजे में ताना भी मार देती थी. तब वसीम माफी मांगता और फिर दोनों फोन पर ही जीनेमरने की कसमें खाने लगते. एक दिन फेसबुक लाइव में बातों ही बातों में नरगिस बोली, ”वसीम, तुम्हारी बहुत याद आ रही है.’’

इसी के साथ उस ने अपने बदन को अधखुला कर दिया. इस का असर वसीम पर भी हुआ…और देखते ही देखते दोनों बेपरदा हो गए. एकदूसरे को देख शर्मसार भी हुए…

हजारों किलोमीटर की दूरी से इस अनुभूति का दोनों ने वीडियो कालिंग को थैंक्स बोला. छूटते ही वसीम ने नरगिस को फेसबुक, इंस्टाग्राम के लिए रील बनाने की सलाह दे डाली.

पहली नजर में दिल दे बैठा वसीम

वसीम और नरगिस की मुलाकात करीब 2 साल पहले बिलासपुर से रांची जाते हुए ट्रेन में हुई थी. वसीम अपनी एक रिश्तेदारी में बिलासपुर आया था. वहां से लौटते हुए ट्रेन की भीड़भाड़ वाले कोच में जिस सीट पर वह बैठा था, उस के सामने ही एक गोरीचिट्टी कमसिन लड़की बैठी थी. लड़की अपनी मां के साथ थी. वसीम की निगाह उस पर से हट नहीं रही थी. हालांकि उस की मां से नजरें बचा कर वसीम लड़की को बीचबीच में गहरी निगाह से घूर लेता था.

वसीम अकेला था. यह कहें कि वसीम की निगाह लड़की के चेहरे से हट नहीं पा रही थी. थोड़ी ही देर बाद लड़की मां से बोली, ”मुझे प्यास लग रही है.’’  उन के पास पानी नहीं था. इस कारण उस की मां इधरउधर देखने लगी. वसीम ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और आगे बढ़ा दी. लड़की ने बोतल को थाम लिया. पानी पीने के बाद बोतल वापस करती हुई मुसकरा कर बोली, ‘थैंक यू!

इस पर वसीम ने सिर हिलाते हुए उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ”कोई बात नहीं, पानी ही तो है.’’ लड़की की मां भी झेंपती हुई लड़की से बोली, ”पानी वाला आएगा, तब एक बोतल खरीद लेना.’’ ”अम्मा, ट्रेन में पानी वाला नहीं आएगा, अगले स्टेशन से लेना होगा. कोई बात नहीं, मैं जा कर ला दूंगा.’’ ”हांहां…’’ लड़की बीच में ही बोल पड़ी. इस तरह से वसीम और उस लड़की के बीच बातचीत भी शुरू हो गई.

वसीम ने बातों ही बातों में उस से पूछ लिया, ”क्या नाम है आप का? पढ़ती हो?’’ ”मैं नरगिस सुलतान हूं. पढ़ाईलिखाई छूट गई है.’’ ”नरगिस सुलतान. वाह! कितना प्यारा नाम है. मगर पढ़ाई छूट गई, यह तो गलत बात हुई. अभी तो तुम्हारी उम्र ही क्या है? भला क्यों छूटी पढ़ाई?’’ इस पर नरगिस चुप हो गई, लेकिन उस की मां सकुचाती हुई बोली, ”घर में गमी हो गई थी बेटा, इस के बाद सब कुछ तहसनहस हो गया था…’’ यह कहतेकहते वह अपनी आंखें पोंछने लगी.

ओह..! सौरी अम्मीजान, मैं ने आप का दिल दुखा दिया.’’ वसीम बोला. थोड़ी देर उन के बीच चुप्पी बनी रही. वसीम गाड़ी के बाहर भागते पेड़ों और खेतों को देखने लगा. नरगिस भी दूसरी खिड़की से बाहर देखने लगी थी. उसी ने चुप्पी तोड़ी. अनायास बोल पड़ी, ”अम्मी, देखो तो बाहर कितनी अच्छी हवा बह रही है.’’ हां, बिलकुल सही कह रही हो. मौसम सुहावना बना हुआ है.’’ 

वसीम ने हां में हां मिलाई. उस के बाद उन के बीच फिर से बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. इस बार वे दूसरी बातें करने लगे. तुम क्या करते हो बेटा, काफी पढ़ेलिखे मालूम देते हो!’’ नरगिस की अम्मी बोली. ज्यादा नहीं.’’ वसीम बोला. काम क्या करते हो?’’ नरगिस ने पूछा. मैं बहुत जल्द सऊदी अरब जाने वाला हूं, वहीं नौकरी करूंगा. मुझे खूब रुपएपैसे कमाने हैं.’’ वसीम बोला. इस पर नरगिस आश्चर्य से वसीम को देखने लगी. मजाकिया लहजे में नरगिस बोल पड़ी, ”मेरे लिए भी वहां कोई काम मिल सकता है क्या?’’

क्यों नहीं?…वहां तो हर किसी के लिए कुछ न कुछ काम होता है.’’ वसीम बोला. अच्छा… मुझ जैसी अनपढ़ को भी!’’ नरगिस की आंखें आश्चर्य से फैल गईं. बातोंबातों में वसीम और नरगिस ने अपने मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिए. कुछ घंटे बाद दोनों अपनेअपने स्टेशनों पर उतर गए. वसीम और नरगिस अलगअलग शहरों में रहते हुए एकदूसरे से मोबाइल के जरिए जुड़े हुए थे. वसीम रांची का रहने वाला था, जबकि नरगिस बिलासपुर की थी.  एक बार उस ने नरगिस को बताया कि वह सऊदी जा चुका है. उसे बहुत सारा पैसा कमाना है. 

वसीम ने गर्लफ्रेंड को दी खुशखबरी

बात 26 जून, 2024 की है. शाम के वक्त नरगिस के मोबाइल पर वसीम की काल आई, ”रेहाना, मैं अगले महीने 2 जुलाई को आ रहा हूं.’’ सच विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन तुम कहां आओगे? मेरे पास ही न!’’ हां, मैं रांची प्लेन से आ रहा हूं, उस के बाद सीधा तुम्हारे पास आ जाऊंगा, तुम मिलोगी न!’’ कैसी बात करते हो, तुम इतनी दूर से आ रहे हो और मैं भला नहीं मिलूंगी. तुम ने मेरे लिए इतने सारे गिफ्ट भेजे हैं, साडिय़ां भेजी हैं… क्या मैं तुम्हें भूल सकती हूं. लेकिन यह तो बताओ कि तुम अब वहां से मेरे लिए क्या बेशकीमती चीज ला रहे हो?’’ नरगिस मचलती हुई बोली.

कुछ सेकेंड तक वसीम चुप रहा, फिर धीरे से बोला, ”तुम दिल छोटा न करो… सऊदी अरब से आ रहा हूं, कुछ अच्छा ही लाऊंगा तुम्हारे लिए. तुम्हें तो मालूम है कि यहां पैसा ही पैसा है. हवा में उड़ता है पैसा, कोई पकडऩे वाला होना चाहिए. मैं यहां पैसे कमाने ही तो आया हूं और तुम्हारी दुआ से मैं यहां बहुत खुश हूं, मगर तुम्हारे प्यार के कारण आ रहा हूं.’’ इस के बाद वसीम ने अपने घरपरिवार के बारे में बातें कीं. बातों ही बातों में उस ने बताया कि उस के परिवार वाले उस के निकाह की तैयारी कर रहे हैं. लड़की तलाश रहे हैं. यह सुन कर नरगिस रुआंसी हो गई.

वसीम ने बताया कि वह पहले उस से मिलने के लिए आ रहा है, उस के बाद ही वह अपने घर रांची, झारखंड जाएगा. इस पर नरगिस सुलतान ने कहा, ”ठीक है, जैसे ही रांची से रवाना होना, मुझे बताना. मैं बिलासपुर आ जाऊंगी.  और फिर हम वहां से चैतमा आ जाएंगे.’’ 2 जुलाई, 2024 नरगिस को वसीम ने फोन किया, ”रेहाना, मैं इंडिया आ चुका हूं और शाम तक रांची हमारा प्लेन लैंड करने वाला है.’’

यह सुन कर के नरगिस बहुत खुश हो गई. वसीम भी नरगिस से मिलने की बात सोच कर बहुत ही प्रसन्न था. नरगिस ने भी कह दिया, ”मैं बिलासपुर आ रही हूं और वहां से हम लोग आगे का प्लान बना लेंगे.’’  वसीम ने संशय से कहा, ”तुम फिजूल ही क्यों आ रही हो, मैं गाड़ी ले कर के तुम से मिलने आ जाऊंगा.’’ ”अरे नहीं, मेरे एक मुंहबोले भाई हैं न बादशाह, उन के पास गाड़ी है. घूमतेफिरते आ जाएंगे. रांची से सिर्फ 50 किलोमीटर ही तो है बिलासपुर.’’

”तब ठीक है. मैं शाम को 3 बजे के आसपास बिलासपुर पहुंच जाऊंगा. तुम्हारा इंतजार रहेगा. नरगिस, तुम से मिलने के लिए मैं कितना बेताब हूं, इस का तुम्हें शायद अंदाजा नहीं है… कब होगी मुलाकात और कब मैं तुम्हें अपनी बांहों में भरूंगा. हरदम इसी कल्पना में खोया रहता हूं.’’ ”अच्छा, अब मैं फोन रखती हूं.’’ इठलाते हुए नरगिस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

17 टुकड़ों में मिली लाश

बुधवार के दिन 10 जुलाई, 2024 को छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा के थाना पाली में किसी ने फोन कर के सूचना दी कि गोपालपुर डैम के पास एक पिट्ठू बैग में कोई संदिग्ध चीज है. बैग के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही हैं और तेज बदबू फैल रही है. यह सूचना मिलते ही एसएचओ चमन लाल सिन्हा कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर गोपालपुर डैम के पास पहुंच गए. उन्होंने जब वह बैग खुलवाया तो किसी युवक की टुकड़ों में कटी लाश निकली. उस का सिर और कुछ अंग गायब थे. 

पुलिस की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि बरामद लाश को धारदार हथियार से टुकड़ों में काटा गया था. एसएचओ ने यह जानकारी कोरबा के एसपी सिद्धार्थ तिवारी के साथसाथ कोटघरा शहर की एडिशनल एसपी नेहा वर्मा और एसडीओपी पंकज ठाकुर को भी दे दी गई. एफएसएल यूनिट प्रभारी सत्यजीत कोसरिया और थाना पाली, चौकी चैतमा सहित साइबर टीम को सूचना दे दी गई. एसपी के निर्देश पर उपरोक्त अधिकारियों की टीम मौके पर गई. वहां की गई सूक्ष्म जांच के सिलसिले में गोताखोरों ने डैम में दोपहर तक मृतक का सिर व अन्य लापता अंगों से भरी एक बोरी तलाश ली. बरामद बैग में लाश के टुकड़ों के साथ एक आधार कार्ड, पासपोर्ट एवं एक फ्लाइट टिकट भी मिली.

उन दस्तावेजों की जांच के आधार पर मृतक की पहचान मोहम्मद वसीम अंसारी पुत्र मोहम्मद जमीर अंसारी के रूप में हुई. उस की उम्र 26 साल थी और वह कांता तोला, रांची, झारखंड का निवासी था. वहीं से उस के भाई का फोन नंबर भी मिल गया. पुलिस ने उन के बड़े भाई मोहम्मद तहसीन से फोन पर बात की. उन्हें घटना की जानकारी दे कर कोरबा बुलाया गया. फोन पर ही तहसीन ने बताया कि उस का भाई मोहम्मद वसीम पिछले 2 सालों से सऊदी अरब में सुरक्षा अधिकारी की नौकरी कर रहा था. वह वहां से कब आया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है.

वसीम की नृशंस तरीके से की गई हत्या कोरबा से ले कर रांची तक में चर्चा का विषय बन गई. आम और खास लोग यह जानने को उत्सुक थे कि आखिर किस ने और क्यों इस तरह मासूम नौजवान वसीम अंसारी को मार डाला? उस से किस की क्या दुश्मनी थी, जो उस के सऊदी से लौटते ही हत्या हो गई? क्या कोई पहले से ही घात लगाए बैठा था?

लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे. इधर समय बीता जा रहा था. चौतरफा सनसनी बढ़ती जा रही थी. पुलिस जांच टीम तत्परता से बड़ी सतर्कता के साथ काम कर रही थी.  कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पुलिस जांच को आगे बढ़ा रही थी. जुड़े पहलुओं की जांच पर यह तथ्य उजागर हुआ कि मृतक की सोशल मीडिया के माध्यम से बांसटाल चैतमा, थाना पाली की एक अवयस्क बालिका नरगिस से कई बार बातचीत हुई है. उन के बीच बातचीत इंटरनैशनल वीडियो काल, वाट्सऐप काल से हुई थी. बरामद मोबाइल में संयोग से उन दोनों की बातचीत के रिकार्डिंग क्लिप्स भी थे.

क्यों की गई वसीम की हत्या

पुलिस ने जब नरगिस के बारे में खोजबीन की, तब वह अपने घर से गायब मिली. उस के बारे में यह भी पता चला कि वह अपने किसी राजा खान उर्फ बादशाह नाम के प्रेमी के साथ फरार है. पुलिस नरगिस के साथसाथ राजा खान की भी तलाश करने लगी. जल्द उन का पता चल गया. वे ओडिशा के राउरकेला में एक होटल से पकड़े गए. उन्हें कोरबा ला कर पूछताछ शुरू की गई. नरगिस सुलतान के चेहरे से मासूमियत झलक रही थी, जो शायद कमसिन उम्र का तकाजा था. चेहरे की ताजगी बता रही थी कि वह बेकुसूर है. वह डरीसहमी थी. उस ने वसीम के साथ किसी तरह की जानपहचान होने से साफसाफ इनकार कर दिया. बड़े सामान्य ढंग से उस ने पुलिस को बताया कि वह मोहम्मद वसीम नाम के किसी व्यक्ति से मिली ही नहीं है.

मगर पुलिस के पास उस की और वसीम की बातचीत के सबूत थे. पुलिस जांच टीम के एक सदस्य ने सख्ती के साथ पूछताछ की और मोबाइल ट्रेस की जानकारी सामने रखी तो वह टूट गई. इस के बाद उस ने जो घटनाक्रम बयान किया, उस से वसीम की हत्या की तसवीर भी सामने आ गई.  महज 17 साल की नरगिस ने बताया कि वह राजा से मोहब्बत करती है और अपने परिवार को छोड़ चुकी है. दोनों साथ रहते हैं. इसी के साथ उस ने बताया कि उस ने पैसों के लालच में प्रेमी के साथ मिल कर वसीम की हत्या की.

नरगिस के इस बयान के बाद पुलिस ने राजा खान के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कर ली. आरोपी राजा खान उर्फ बादशाह 20 साल का नवयुवक था. वह बांसटाल चैतमा थाना पाली, जिला कोरबा का निवासी है. उस ने पुलिस से नरगिस के बारे में जो भी बातें बताईं, उस से यह साबित हो गया था कि वह और नरगिस एकदूसरे को बेइंतहा चाहते हैं.  दोनों अपनी मरजी से साथसाथ रह रहे थे. उस ने यह भी बताया कि नरगिस से उसे वसीम के बारे में जानकारी मिली थी और उस के कहने पर ही उस की योजना में शामिल हो गया था.

राजा खान ने बताया कि नरगिस ने उसे  मोहम्मद वसीम के सऊदी अरब से वापस आने की जानकारी दी थी. नरगिस ने उसे यह भी बताया था कि वसीम उस के रूपजाल पर लट्टू है और उसे दिलोजान से चाहता है. उस ने 2 सालों के भीतर सऊदी में रह कर बहुत पैसा कमाया है. उन पैसों को वह साथ ले कर आने वाला है. इसी लालच में उस ने वसीम को अपने जाल में फंसा लिया था. नरगिस उस से प्रेम का दिखावा करती थी.

नरगिस के कहने पर ही राजा खान ने बोलेरो गाड़ी किराए पर ली थी. उस पर सवार हो दोनों बिलासपुर गए थे. वसीम से मिलने पर नरगिस ने राजा का परिचय मुंहबोले भाई के रूप में दिया था. उस के बाद वे तीनों राजा के घर चैतमा आ गए. उस रोज मोहम्मद वसीम बहुत खुश था. राजा ने बताया कि वसीम ने बातों ही बातों में उस से कहा था कि उस की जिंदगी का खुशनुमा दिन आया है. उस ने यह भी कह डाला कि नरगिस से वह बेइंतहा मोहब्बत करता है. आज की रात वह उस के साथ गुजारेगा. उस वक्त घर में राजा और नरगिस के अलावा कोई नहीं था. नरगिस भी खुश नजर आ रही थी. वसीम ने आते ही उसे एक अच्छा गिफ्ट का पैकेट पकड़ा दिया था. इस पर नरगिस बोली थी, ”मैं आज तुम लोगों के लिए खाने में चिकन बना देती हूं.’’

इस तरह से की गई वसीम की हत्या

थोड़ी देर बाद रात होने पर सभी ने एक साथ खाना खाया था. उस के बाद राजा खान बाहर चला गया. नरगिस ने वसीम को बताया कि राजा अपने दोस्त के घर गया है, सुबह आएगा. वसीम यह सुन कर खुश हो गया. उसे नरगिस के साथ एकांत में रात गुजारने का मौका मिल गया था. दोनों खुशी से बातें करने में मशगूल हो गए. तभी पीछे के दरवाजे से राजा खान अचानक घर में आ घुसा. वसीम नरगिस से बातें करते हुए उस के काफी करीब आ चुका था.

नरगिस को वह अपनी बांहों में कसना ही चाहता था कि राजा खान ने मुरगी काटने वाले छुरे से वसीम अंसारी की गरदन पर पीछे से वार कर दिया. अचानक हुए वार से वसीम तिलमिला गया. वह बुरी तरह जख्मी हो गया और तड़पता हुआ कभी नरगिस को तो कभी राजा खान को देखने लगा. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उस के साथ यह क्या हो रहा है? हंसते हुए राजा खान बोला, ”तुम नरगिस को चाहते हो, मेरी नरगिस को, हाहाहा… नरगिस सिर्फ मेरी है. नरगिस, बताओ इस बेवकूफ को जो तुम्हें पाने के लिए यहां आ गया है.’’

राजा की बातों में हां में हां मिलाते हुई बोली, ”तुम्हारा सारा पैसा अब हमारा होगा, हम दोनों जिंदगी भर ऐश करेंगे. हाहाहा.’’  नरगिस की इस हरकत पर वसीम तड़पता हुआ बोला, ”धोखा! मेरे साथ धोखा कर रही हो, ठीक नहीं होगा.’’ यह सुनना था कि राजा ने वसीम पर छुरे से लगातार 3-4 ताबड़तोड़ वार कर दिए. नरगिस ने तड़पते वसीम के पैर दबोच लिए थे. राजा खान ने ताबड़तोड़ वार कर उस का सिर धड़ से अलग कर दिया.  उस के बाद दोनों ने मिल कर वसीम के हाथों और पैरों को धड़ से अलग कर दिया. शव को 17 टुकड़ों में काट डाला. इस के लिए राजा ने पहले से ही छुरे के अलावा आरी ब्लेड ला कर घर में छिपा कर रख दिया था. वसीम की लाश के कटे टुकड़ों को उन्होंने प्लास्टिक की बोरी में भर लिया.

नरगिस और राजा ने बोरी को पिट्ठू बैग और एक ट्रौली बैग में बांध कर बाइक पर रख डैम में फेंकने की योजना बनाई. यह सब करतेकरते सवेरा हो गया था. शव के कुछ टुकड़े बच गए थे. वो उन्होंने घर के फ्रिज में छिपा कर रख दिए. अगले रोज 3 जुलाई, 2024 की रात में करीब लगभग 11 बजे स्पलेंडर बाइक से गोपालपुर डैम में फेंक कर दोनों घर वापस आ गए. वसीम की पहनी हुई सोने की चेन और अन्य सामान घर में छिपा दिया. 

नरगिस ने बातोंबातों में वसीम के मोबाइल का पासवर्ड पता कर लिया था. मोबाइल से यूपीआई आईडी चैक किया तो दोनों के होश उड़ गए. कारण, उन्होंने सोचा था कि सऊदी अरब में नौकरी करने के कारण कम से कम 50 लाख रुपए तो उस के एकाउंट में होंगे ही. मगर मिले सिर्फ 3 लाख रुपए. यह देख कर दोनों निराश हो गए. कुछ पैसे ही अपने खातों में ट्रांसफर कर पाए. आरोपी नरगिस सुलतान और राजा खान उर्फ बादशाह को पूछताछ करने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल छुरा, बाइक आदि सामान जब्त कर लिया गया. 

राजा खान को 12 जुलाई, 2024 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश कर दूसरी आरोपी नरगिस सुलतान को नाबालिग होने के कारण किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे बालसुधार गृह भेज दिया गया. उक्त अपराध का खुलासा करने वाले एसपी (सिटी) दर्री नगर रविंद्र कुमार मीना के मार्गदर्शन में एसएचओ (पाली) चमन लाल सिन्हा, चौकीप्रभारी चैतमा चंद्रपाल खांडे, विमलेश भगत, एसआई पुरुषोत्तम उइके, कांस्टेबल अनिल कुर्रे, आशीष साहू तथा साइबर टीम के हैडकांस्टेबल राजेश कंवर, चंद्रशेखर पांडेय, आर. रवि चौबे, डेमन ओग्रे, बिरकेश्वर प्रताप सिंह, आलोक टोप्पो, सुशील यादव, लेडी कांस्टेबल सुषमा डहरिया एवं चौकी चैतमा के इंचार्ज की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में नरगिस परिवर्तित नाम है.

 

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन – भाग 3

मनोहर शुक्ला के अचानक घर से गायब होते ही नैना घंटों तक बैड पर पड़ी अपनी किस्मत को रोती रही. वह बारबार उस का फोन मिलाती रही, लेकिन फोन नहीं मिला.

उस के बाद उसे पूरा विश्वास हो गया कि वह जो कह रहा था, सही था. कई दिन मनोहर का फोन लगा, उस ने नैना को बता दिया कि अब उस की शादी हो चुकी है. इसलिए वह उसे अब ज्यादा टाइम नहीं दे सकता. उसी गुस्से में एक दिन वह एक वकील से मिली. वकील से राय मशविरा कर उस ने विरार पुलिस थाने में मनोहर शुक्ला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

केस वापस लेने का डाला दबाव

जब इस बात का मनोहर शुक्ला को पता चला तो उस ने उसे समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन नैना ने अपना मुकदमा वापस नहीं लिया. आखिरकार मनोहर शुक्ला को इस बलात्कार के केस के कारण जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

हालांकि मनोहर शुक्ला नैना के कारण जेल की रोटी खा चुका था, लेकिन फिर भी वहां से जमानत पर आने के बाद वह उसे बारबार फोन करता रहता था. यही हाल नैना का भी था. उसे जेल भेजने का नैना को थोड़ा अफसोस भी हुआ. उस के जेल से आने के बाद नैना ने उस से एक बार मिलने को कहा.

नैना के कहने पर एक दिन मनोहर शुक्ला उस से मिलने उस के घर पर गया. फिर नैना उसे देख कर फूटफूट कर रोई. लेकिन कोई फायदा नहीं था. मनोहर शुक्ला को जो करना था, वह कर चुका था. इस के बाद भी नैना उसे छोडऩे को तैयार न थी.

उस दिन नैना का मन कुछ हलका हुआ और फिर वह सब कुछ भूल कर उस से पहले की तरह मिलने लगी थी. मनोहर शुक्ला के बारबार मिलने से वह अपना दर्द भूल गई, लेकिन फिर वह उसे अपना मान कर उसे पहले की तरह ही प्यार भी करती रही थी.

जमानत पर आने के बाद उस केस को आगे भी चलना था. उसे उम्मीद थी कि नैना एक दिन उस की बात मान कर अपना केस भी वापस ले लेगी, यही सोच कर उस ने कई बार नैना से संपर्क किया. उस ने उस से उस के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेने का अनुरोध भी किया.

एक बार वह अपने स्कूटर से नैना और अपनी पत्नी पूर्णिमा को ले कर वसई में ही तुंगारेश्वर भी गया. वहां पर पत्नी के जरिए उस ने नैना पर केस वापस लेने के लिए दबाव भी डलवाया. लेकिन नैना किसी भी तरह से झुकने को तैयार न थी. उस समय तक मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा एक बच्ची की मां बन चुकी थी.

जब मनोहर शुक्ला ने नैना पर ज्यादा दबाव बनाना शुरू किया तो नैना ने साफ शब्दों में कहा कि वह अपना मुकदमा वापस लेने को तैयार है, उस के लिए उसे 2 काम करने होंगे. पहला उसे अपनी पत्नी पूर्णिमा से तलाक लेना होगा, दूसरे उसे शहर में ही अलग से एक फ्लैट खरीद कर देना होगा.

उस की इन शर्तों से मनोहर शुक्ला का गुस्सा सातवें आसमान पहुंच गया. उसी गुस्से में मनोहर शुक्ला ने तुंगारेश्वर से नायगांव वापसी के दौरान चलते स्कूटर से नैना को नीचे धकेल दिया और वह अपनी बीवी को ले कर वहां से फरार हो गया.

उस दौरान नैना को थोड़ी चोट भी आई थी. लेकिन उस दिन के बाद वह मनोहर शुक्ला के प्रति आक्रामक हो उठी थी. फिर वह मनोहर शुक्ला को किसी और केस में फंसाने की धमकी भी देने लगी थी, जिस से मनोहर शुक्ला बुरी तरह डर गया था.

टब में डुबो कर की हत्या

9 अगस्त, 2023 को नैना ने मनोहर शुक्ला को फोन किया, “मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं. आप आज ही मुझ से आ कर मिलो. अगर तुम नहीं आए तो मैं आज ही सुसाइड कर लूंगी और सुसाइड नोट में तुम्हारा ही नाम होगा.”

मनोहर शुक्ला पहले ही केस से परेशान था. इतनी बात सुनते ही डर कर वह फौरन नैना के घर पहुंचा. मनोहर शुक्ला के घर पहुंचते ही नैना और उस के बीच काफी कहासुनी हुई. नैना ने मनोहर शुक्ला को साफ चेतावनी दी कि अगर तुम ने मुझे फ्लैट खरीद कर नहीं दिया तो मैं एसिड पी कर आत्महत्या कर लूंगी. उस के बाद तुम सारी जिंदगी मेरी हत्या के आरोप में जेल में सड़ोगे.

नैना की यह धमकी सुन कर मनोहर शुक्ला के तनबदन में आग लग गई. उसी गुस्से के आवेग में मनोहर शुक्ला ने पीछे से नैना के बाल पकड़ लिए और कहा, “ठीक है जब तुम्हें मरने का ही शौक है तो इस में मैं ही तुम्हारी मदद करता हूं.”

कह कर मनोहर शुक्ला उस को खींच कर बाथरूम में ले गया. वहां पर पहले से ही पानी का एक बड़ा टब भरा हुआ था. बाथरूम में ले जाते ही उस ने उस के मुंह को कई बार टब में भरे पानी में डुबोया और तब तक डुबोता रहा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.

नैना का मर्डर करने के बाद उस की लाश को उस ने बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उस का मोबाइल और घर की चाबी ले कर वह अपने काम पर चला गया था.

महाराष्ट्र में हत्या कर गुजरात में फेंकी लाश

अपना बाहर का काम निपटा कर वह फिर से नैना के घर पहुंचा. उस ने देखा तो वह पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी. उस के बाद वह सीधा अपने घर पहुंचा. घर जाते ही अपनी पत्नी पूर्णिमा को बता दिया कि उस ने नैना का मर्डर कर दिया है और उस की लाश उसी के घर में पड़ी हुई है. उस के तुरंत बाद ही वह अपनी पत्नी और बेटी को साथ ले कर नैना के घर पहुंचा.

नैना के घर पहुंचते ही मनोहर शुक्ला ने अपनी बेटी को मोबाइल में गेम चला कर दे दिया. फिर दोनों पतिपत्नी नैना के बेडरूम में गए, जहां उस की लाश पड़ी हुई थी. नैना के बेड के पास ही अलमारी में उस का एक बड़ा नीले रंग का सूटकेस रखा हुआ था.

मनोहर शुक्ला ने उस सूटकेस के कपड़े निकाले और अपनी पत्नी की सहायता से नैना की लाश को उस में बंद कर दिया. नैना की लाश को सूटकेस में बंद कर लिफ्ट में सवार हो कर दोनों नीचे आ गए. नीचे आते ही उन्होंने उस सूटकेस को स्कूटर पर रखा और अपनी 2 साल की बच्ची के साथ पतिपत्नी गुजरात की ओर निकल गए.

नायगांव मुंबई से 150 किलोमीटर दूर गुजरात के वलसाड जा पहुंचे. वहां पर सुनसान जगह पा कर नैना वाले सूटकेस को एक नाली में डाल दिया था. लाश ठिकाने लगाने के बाद मनोहर शुक्ला सीधे अपने घर आ गया था.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को गायब करना) व अन्य कई धाराएं लगा कर रिपोर्ट दर्ज की थी. उस के बाद पुलिस ने मनोहर शुक्ला को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर 16 सितंबर, 2023 तक का पुलिस रिमांड लिया. इस मामले में पुलिस को मनोहर शुक्ला के भाई पर भी अपराध में शामिल होने का शक था. जिस की पुलिस जांच कर रही थी.

हालांकि मनोहर शुक्ला ने इस गेम को बहुत ही होशियारी के साथ खेला था. लेकिन फिर भी वह मार खा गया. वह भूल गया कि जिस लिफ्ट से वह उस सूटकेस ले कर जा रहा है, वही उस की मुसीबत का कारण बनेगा. जिस लिफ्ट से वह सूटकेस को ले कर उतरा था, उस में एक नहीं बल्कि 2 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, जिन के माध्यम से पुलिस आरोपी मनोहर शुक्ला तक पहुंची थी.

पुलिस को मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा से नैना की हत्या के बारे में पूछताछ करनी थी, लेकिन कथा लिखने तक वह भी फरार थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन – भाग 2

उस के बाद पुलिस हरकत में आई और नैना के घर से नीचे जाने वाली लिफ्ट से ही जांच की शुरुआत की.  सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि 9 अगस्त, 2023 को एक अंजान व्यक्ति उस लिफ्ट में सवार हुआ था. पुलिस ने उस के बारे में नैना की बहन जया से पता किया तो उस ने बताया कि वह नैना का बौयफ्रेंड मनोहर शुक्ला है. उस के बाद पुलिस ने 9 से 14 अगस्त, 2023 की सीसीटीवी फुटेज निकाली तो उसी में अहम जानकारी मिल गई.

उसी फुटेज में मनोहर शुक्ला अपनी पत्नी व एक साल की बेटी के साथ नीला सूटकेस ले कर जाते हुए दिखाई दिया था. जबकि उस वक्त नैना उन दोनों के साथ नहीं थी. यह जानकारी मिलते ही डीजीपी रजनीश सेठ और पुलिस कमिश्नर मधुकर पांडे भी नैना के मकान पहुंचे.

लिफ्ट में मनोहर शुक्ला को एक सूटकेस के साथ जाते देख तुरंत ही नायगांव पुलिस ने वलसाड पुलिस से संपर्क किया. तब वलसाड पुलिस ने बताया कि 12 अगस्त, 2023 को एक नीले रंग के सूटकेस में युवती की लाश मिली थी, लेकिन काफी कोशिश के बाद भी जब मृतक की किसी ने भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी, जिस के कारण पुलिस ने काररवाई करते हुए उस की लाश का दाह संस्कार करा दिया था.

मनोहर के साथ लिवइन में रहती थी नैना

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने 12 अगस्त को मिले शव वाले सूटकेस से उस का मिलान किया तो दोनों एक ही पाए गए. इस से साफ हो गया था कि नैना का बौयफ्रेंड फ्लैट से जो सूटकेस ले कर निकला था, उसी में नैना की लाश थी और उस का कातिल भी कोई और नहीं, उसी का दोस्त मनोहर शुक्ला ही था.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तुरंत ही मनोहर शुक्ला को पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में लिया. शुरू में तो मनोहर शुक्ला आनाकानी करता रहा, लेकिन पुलिस के मनोवैज्ञानिक सवालों के आगे वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका. उस ने अपना अपराध कुबूल कर लिया.

मनोहर शुक्ला ने नैना महतो की हत्या की हैरतअंगेज कहानी पुलिस के सामने बयां की.

कास्ट्यूम डिजाइनर मनोहर शुक्ला और नैना महतो काफी समय से रिलेशनशिप में थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. फिर ऐसा क्या हुआ कि मनोहर शुक्ला को अपनी प्रमिका को मौत के घाट उतारने के बाद सूटकेस में भर कर मुंबई से 150 किलोमीटर दूर स्कूटर पर रख कर फेंकना पड़ा. इस सब के दौरान आरोपी मनोहर शुक्ला की पत्नी और उस की एक मासूम बच्ची भी उन के साथ ही रही. इस केस के खुलने के बाद इस मामले में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

नेपाल की मूल निवासी 28 वर्षीय नैना महतो साल 2016 में अपने भाई व बहन जया के साथ काम की तलाश में मुंबई आई थी. यहां पर आते ही तीनों ने पूर्वी मुंबई के वसई क्षेत्र में स्थित सनटेक सिटी टाउनशिप में एक छोटा सा मकान किराए पर ले लिया और साथसाथ रहने लगे.

तीनों भाईबहन पढ़े लिखे होने के साथसाथ देखने भालने में भी सुंदर थे. उसी सुंदरता के कारण तीनों को मुंबई में जल्दी ही काम भी मिल गया था. नैना और जया दोनों ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था, जिस की वजह से दोनों बहनों को मुंबई में ब्यूटीशियन के यहां पर काम मिल गया था.

मुंबई में काम करतेकरते दोनों बहनों ने काफी पैसा और शोहरत भी हासिल की. अलगअलग जगहों पर नौकरी करने की वजह से तीनों भाईबहन अलगअलग रह कर अपनाअपना काम संभालने लगे थे. उस समय तक दोनों बहनों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग ही पहचान भी बना ली थी. कुछ ही दिनों में जया ने अपनी नौकरी छोड़ कर अपना काम जमा लिया था. फिर नैना भी अपने घर पर रह कर ही संपर्क सूत्रों से अपना काम चलाने लगी थी.

धारावाहिक की शूटिंग पर हुई थी मनोहर से मुलाकात

वर्ष 2016 में नायगांव के एक टीवी धारावाहिक सेट पर नैना की मुलाकात मनोहर शुक्ला से हुई. महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थित है वसई विरार. यह मुंबई का उपनगर कहलाता है. 43 वर्षीय मनोहर शुक्ला यहीं का मूल निवासी था. मनोहर शुक्ला कौस्ट्यूम डिजाइनर था, जिस के कारण उस की फिल्मों, संगीत थिएटर और अन्य शो पेश करने वालों में अच्छी जानपहचान थी.

मनोहर शुक्ला से जानपहचान होते ही नैना महतो के जैसे पंख लग गए थे. फिर मनोहर शुक्ला के सहारे उस का काम भी ठीकठाक चल निकला था. उसी सब के चलते कुछ ही दिनों में मनोहर शुक्ला से नैना की पक्की दोस्ती हो गई. धीरेधीरे वही दोस्ती फिर प्यार में बदल गई. उस के प्यार में डूब कर मनोहर शुक्ला नैना के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा था.

समय के साथ सब कुछ बदला. नैना ने कुछ ही दिनों में अपना सब कुछ मनोहर शुक्ला को समर्पण कर दिया. दोनों के बीच प्यार की सीमा लांघ कर शारीरिक संबंध भी बन गए. नैना मनोहर शुक्ला को अपना पति मानने लगी थी. उस के बाद दोनों ही एक साथ घर से काम के लिए निकलते और साथसाथ ही घर लौटते थे.

उसी दौरान वर्ष 2019 में एक दिन मनोहर शुक्ला अपने स्कूटर से नैना को विरार में जीवनदानी मंदिर घुमाने ले गया. मंदिर में दर्शन करने के बाद मनोहर शुक्ला ने नैना को बताया कि बहुत ही जल्दी उस की किसी युवती के साथ शादी होने वाली है.

“अच्छा तो कब कर रहे हो शादी और वह कौन खुशनसीब है?” कहते ही नैना ने मनोहर शुक्ला की कमर में हाथ डालते हुए अपना सिर उस के कंधे पर टिका दिया था. मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना का रोमरोम खिल उठा था. तभी उस के मन में खयाल आया कि इसीलिए वह आज उसे मंदिर में घुमाने लाया है.

नैना को पूरी उम्मीद थी कि वह उसी के बारे में बात कर रहा है. तभी मनोहर शुक्ला ने कहा, “तुम्हें मेरी शादी की बात सुन कर तनिक भी दुख नहीं हुआ.”

“इस में दुख की क्या बात है. मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रही हूं और आप दुख की बात कर रहे हो.”

“नैना तुम्हें मेरी शादी से दुख हो या न हो लेकिन मुझे तो बहुत दुख हो रहा है.”

“मैं आप का मतलब नहीं समझी,” मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना चौंकी.

तब मनोहर शुक्ला ने बताया, “मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं, बल्कि किसी और लडक़ी के साथ होने वाली है. मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए एक लडक़ी ढूंढ ली है. मैं ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मेरी एक भी सुनने को तैयार नहीं. इतना ही नहीं, घर वालों ने उस लडक़ी के साथ मेरी सगाई भी कर दी.”

मनोहर शुक्ला ने नैना को सारी हकीकत बता दी थी. प्रेमी की यह बात सुनने के बाद भी नैना उस की बात पर विश्वास करने को तैयार न थी.

मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना को बहुत गहरा सदमा लगा. वह जैसेतैसे कर के मनोहर के साथ अपने घर पहुंची. घर पहुंचते ही दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया. उस दिन उसी मनमुटाव के चलते दोनों के बीच बात इतनी बढ़ी कि मनोहर शुक्ला उस पर हाथ छोडऩे को तैयार हो गया था.

उस रात नैना ने न तो खाना बनाया और न ही कुछ खाया था. उस के कारण मनोहर शुक्ला को भी खाली पेट ही सोने पर मजबूर होना पड़ा. अगली सुबह होते ही मनोहर शुक्ला नैना को बिना कुछ बताए ही वहां से चला गया. घर से निकलते ही उस ने अपना मोबाइल भी स्विच औफ कर लिया था.

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन – भाग 1

मनोहर शुक्ला के घर पहुंचते ही नैना और उस के बीच काफी कहासुनी हुई. नैना ने मनोहर शुक्ला को साफ चेतावनी दी कि अगर तुम ने मुझे फ्लैट खरीद कर नहीं दिया तो मैं एसिड पी कर आत्महत्या कर लूंगी. उस के बाद तुम सारी जिंदगी मेरी हत्या के आरोप में जेल में सड़ोगे.

नैना की यह धमकी सुन कर मनोहर शुक्ला के तनबदन में आग लग गई. उसी गुस्से के आवेग में मनोहर शुक्ला ने पीछे से नैना के बाल पकड़ लिए और कहा, “ठीक है जब तुम्हें मरने का ही शौक है तो इस में मैं ही तुम्हारी मदद करता हूं.”

कह कर मनोहर शुक्ला उस को खींच कर बाथरूम में ले गया. वहां पर पहले से ही पानी का एक बड़ा टब भरा हुआ था. बाथरूम में ले जाते ही उस ने उस के मुंह को कई बार टब में भरे पानी में डुबोया और तब तक डुबोता रहा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.

नैना का मर्डर करने के बाद उस की लाश को उस ने बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उस का मोबाइल और घर की चाबी ले कर वह अपने काम पर चला गया था.

नेपाल की मूल निवासी 28 वर्षीय नैना महतो अपने भाईबहन के साथ रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंची. मुंबई में जाते ही तीनों भाई बहनों ने वसई के नायगांव में एक किराए का मकान लिया और उसी में रहने लगे. वहीं से तीनों के काम की शुरुआत हुई. सब से पहले नैना की बहन जया को एक ब्यूटीशियन के यहां काम मिला. फिर उस के सहारे से ही नैना भी काम पर लग गई. उस के भाई ने भी वहीं पर अपना काम लगा लिया था.

उसी काम करने के दौरान एक दिन नैना की मुलाकात कास्ट्यूम डिजाइनर मनोहर शुक्ला से हुई. जानपहचान दोस्ती तक जा पहुंची और फिर प्यार हुआ. उस के बाद नैना ने अपने भाईबहन से अलग किराए का मकान ले लिया, जहां पर नैना और मनोहर शुक्ला लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

फिर एक दिन ऐसा भी आया कि नैना ने मनोहर शुक्ला के साथ सारी जिंदगी गुजारने का वचन ले लिया. लेकिन मनोहर शुक्ला ने उस के साथ शादी करने से साफ मना कर दिया था. उसी दौरान एक दिन नैना के सामने मनोहर शुक्ला की हकीकत सामने आई. पता चला कि वह शादी करने से पहले ही पूर्णिमा नामक युवती के साथ शादी कर चुका था.

यह जानकारी मिलने के बाद मनोहर शुक्ला और नैना के बीच आपसी संबधों को ले कर मनमुटाव पैदा हो गया. फिर नैना ने मनोहर शुक्ला की हरकतों से परेशान हो कर उस पर बलात्कार का केस दर्ज करा दिया, जिस में मनोहर शुक्ला को एक महीने जेल में रहना पड़ा. जेल से जमानत मिलने के बाद वह फिर से नैना के संपर्क में आ गया. दोनों फिर से पहले की तरह मिलने लगे.

12 अगस्त, 2023 की बात है. महाराष्ट्र के नायगांव से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर गुजरात के वलसाड में एक खाड़ी के पास पड़े एक बैग को देख कर लोग हैरत में पड़ गए, लेकिन उस बैग के पास जाने की कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. लोगों को डर इस बात का था कि अगर उस बैग में कोई बम हुआ तो उस से कोई बड़ा हादसा हो सकता है. यही सोच कर वहां पर मौजूद लोगों ने तुरंत इस की सूचना वलसाड पुलिस को दी.

सूटकेस में निकली लाश

खाड़ी के पास लावारिस पड़े बैग की सूचना पाते ही पुलिस आननफानन सूचना में बताए गए पते पर पहुंची. बैग की जगह पहुंचते ही पुलिस ने सब से पहले बैग के आसपास की छानबीन की, वहां पर पुलिस को किसी वाहन के आनेजाने के कोई प्रमाण नहीं मिले.

उस के बाद पुलिस ने उस बैग को खुलवाया तो उस में जो निकला, उसे देखते ही तहलका मच गया. उस बैग में एक युवती का सड़ागला शव था, जिस से तेज दुर्गंध आ रही थी. शव की हालत बेहद खराब थी. उस का चेहरा तक पहचानने में नहीं आ रहा था.

पुलिस ने जैसेतैसे कर उस युवती के शरीर का बारीकी से निरीक्षण कराया तो उस युवती के शरीर पर त्रिशूल का एक टैटू बना हुआ था. साथ ही उस के गले में ओम पेंडेंट वाली एक चेन भी थी, जिस से साबित हो गया था कि मृतका कोई हिंदू युवती ही थी.

सूटकेस में मिली लाश के पुलिस ने हर ऐंगल से फोटोग्राफ्स कराने के बाद अपनी काररवाई पूरी करते हुए लाश का पंचनामा भरने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. लेकिन पोस्टमार्टम की जो रिपोर्ट आई, उस से उस युवती की मौत का जो कारण सामने आया, वह काफी चौंका देने वाला था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि युवती की मौत पानी में डूबने से हुई थी. रिपोर्ट पढ़ कर पुलिस भी हैरान हुई कि जब युवती की मौत पानी में डूबते से हुई तो उस का शव बैग में इस तरह से पैक कर के क्यों डाला गया था? यह पुलिस के लिए एक हैरान करने वाली बात थी. इस मामलेे में पुलिस ने एडीआर (आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट) दर्ज की थी.

मामले को एडीआर में दर्ज करने के बाद पुलिस ने हर तरह से मृतका की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. सोशल मीडिया से ले कर न्यूजपेपर व न्यूज चैनलों पर उस की सूचना प्रसारित कराई, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला. फिर भी पुलिस ने उस युवती के शरीर से डीएनए कराने के लिए कुछ सैंपल भी सुरक्षित करा लिए थे. युवती के शव की बिगड़ी हालत को देखते हुए पुलिस ने उस का अंतिम संस्कार करा दिया था.

जया को मिली नैना के गायब होने की खबर

जया मुंबई की टीवी इंडस्ट्री में मेकअप आर्टिस्ट थी. अगस्त के महीने में जया किसी शूटिंग के सिलसिले में पुणे जिले में स्थित लोनावला में गई हुई थी. उसी दौरान मुंबई निवासी उस के दोस्त मेकअपमैन प्रमोद शाह ने उस के नंबर पर बात की.

प्रमोद शाह ने पूछा, “आजकल नैना कहां पर है. न तो उस का फोन ही मिल रहा है और न ही वह अपने फ्लैट पर मौजूद है. उस के फ्लैट के बाहर से ताला लगा हुआ है.”

यह जानकारी मिलते ही जया ने भी कई बार उसे फोन लगाने की कोशिश की, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. यह जान कर जया हैरत में पड़ गई कि नैना अचानक बिना बताए कहां चली गई. वह अपना काम बीच में छोड़ कर मुंबई स्थित नैना के फ्लैट पर पहुंची. लेकिन उस वक्त भी उस के फ्लैट पर ताला लटका हुआ था.

जब जया की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने तुरंत ही पूर्वी मुंबई के नायगांव थाने में उस की मिसिंग की सूचना दर्ज करा दी. चूंकि नैना टीवी इंडस्ट्री से जुड़ी हुई थी, ऐसे में उसे काम के सिलसिले में कई बार बाहर भी जाना पड़ता था. इसी कारण पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.

उस के बाद भी जया नैना के साथ हुई किसी अनहोनी का शक करते हुए बारबार पुलिस पर उसे ढूंढने का अनुरोध करती रही. तब जया के अनुरोध पर पुलिस ने नैना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकाली, जिस से पता चला कि नैना का मोबाइल 9 अगस्त, 2023 से बंद है.

यह जानकारी मिलते ही नायगांव एसएचओ रमेश पंढरीनाथ भामे ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत ही नैना की खोज में लग गए.

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