आशा की चाह में टूटा सपना

दिलजलों का खूनी प्रतिशोध

लेडी कांस्टेबल मर्डर का कालगर्ल कनेक्शन – भाग 2

सुरेंद्र मोनिका से नजदीकी बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा था. उस की बांछें तब खिलीं, जब मोनिका की ड्यूटी उस के साथ ही पीसीआर वैन में लगा दी गई. फिर तो सुरेंद्र की इस दोस्ती में अब इंद्रधनुषी रंग भरने का वक्त आ गया था.

सुरेंद्र राणा अब सारा दिन पीसीआर वैन में साथ रहने वाली मोनिका को अपने दिल के करीब ला सकता था, उस के दिल में प्यार के फूल खिला सकता था. वह मोनिका को रिझाने के लिए उसे कोई महंगा तोहफा देना चाहता था. शाम को वह कनाट प्लेस गया और पालिका बाजार से लाल रंग का खूबसूरत लेडीज पर्स खरीद लाया.

दूसरे दिन मोनिका जब ड्यूटी पर आई तो सुरेंद्र राणा ने बगैर किसी भूमिका के अखबार में लिपटा पर्स मोनिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा, “लो मोनिका, यह मैं तुम्हारे लिए लाया हूं.”

“क्या है इस अखबार में?”

“खोल कर देख लो.”

मोनिका ने अखबार हटाया तो खूबसूरत पर्स देख कर हैरान हो गई, “आप यह पर्स मेरे लिए लाए हैं.”

“मोनिका, मेरे घर में मेरी बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं है तो जाहिर सी बात है कि यह पर्स मैं ने तुम्हारे लिए ही खरीदा है.” सुरेंद्र झूठ बोला.

“अरे!” मोनिका इस बार चौंक कर सुरेंद्र का चेहरा देखने लगी.

“ऐसे क्यों देख रही हो मोनिका?”

“आप कह रहे हैं, घर में बूढ़ी मां है. आप की पत्नी कहां गई है?”

“मेरी शादी नहीं हुई है मोनिका.” सुरेंद्र राणा ने सफेद झूठ बोला, “मैं अभी तक कुंवारा हूं.”

“कमाल है! आप की शादी की उम्र तो निकल गई, आप ने अभी तक शादी क्यों नहीं की?” मोनिका ने हैरानी से पूछा.

“कोई लडक़ी मुझे आज से पहले पसंद ही नहीं आई थी, लेकिन अब एक लडक़ी मुझे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए जंच रही है.” सुरेंद्र राणा ने मोनिका की आंखों की गहराई में उतरते हुए बेहिचक कह डाला, “क्या तुम मुझ से शादी करोगी मोनिका?”

“म… मैं?” मोनिका हड़बड़ा कर बोली, “आप को ले कर मेरे मन में कभी यह विचार नहीं आया. आप की और मेरी उम्र में जमीनआसमान का अंतर है.”

“शादी किसी की उम्र देख कर नहीं, उस की हैसियत देख कर करनी चाहिए मोनिका. मैं दिल्ली पुलिस में हूं. आज कांस्टेबल हूं, कल ऊंची पोस्ट पर भी पहुंचूंगा. मेरे पास कई एकड़ जमीन है, अलीपुर में बहुत आलीशान घर है. लाखों रुपया बैंक में है. मैं तुम्हें रानी बना कर रखूंगा मोनिका. तुम पुलिस की नौकरी में रहना चाहोगी तो मैं रुकावट नहीं बनूंगा.”

“मैं आप को अपना अच्छा दोस्त मानती आई हूं.” मोनिका ने कहा.

“इस दोस्ती को प्यार भरे शादी के रिश्ते में भी बदला जा सकता है मोनिका. प्लीज हां कह दो, मैं तुम्हेंबहुत प्यार करता हूं.”

सुरेंद्र गिड़गिड़ाया.

मोनिका से कुछ कहते नहीं बना. उस के मन में अजीब सी उथलपुथल होने लगी.

“हां, बोल दो मोनिका. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.” सुरेंद्र राणा गिड़गिड़ाने लगा, “मैं अब तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता.”

“मैं सोचूंगी…” मोनिका ने बात खत्म करने के इरादे से कहा.

“कब जवाब दोगी?”

“कल.” मोनिका ने कहा और काम का बहाना बना कर वह रिक्शा स्टैंड की तरफ बढ़ गई.

सुरेंद्र के होंठों पर कुटिल मुसकान उभर आई. उस ने अपना शानदार अभिनय कर के मोनिका पर प्रेम जाल फेंक दिया था. उसे पूरी उम्मीद थी कि मोनिका इस प्रेम जाल में अवश्य ही फंस जाएगी. उसे अब कल का इंतजार था.

रहस्यमय तरीके से लापता हुई मोनिका

मोनिका पूरी रात इसी उलझन में फंसी रही कि वह सुरेंद्र को क्या जवाब दे. सुरेंद्र को उस ने 2-3 साल में अच्छी तरह पहचान और समझ लिया था. उस की उम्र जरूर 42 साल की हो गई थी, लेकिन उस में बच्चों जैसी मासूमियत और भोलापन था. युवकों की तरह वह फुरतीला, जोशीला और जांबाज था तो उस में चंचल, शोख और मस्तानापन भी था.

सुरेंद्र नरमगरम स्वभाव का व्यक्ति था. प्यार के लिए गिड़गिड़ाना भी उसे आता था. ऐसे व्यक्ति से शादी का इजहार करने में कोई बुराई नहीं हो सकती थी. शादी के बाद सुरेंद्र उसे रानी बना कर रखने वाला था और उस के द्वारा पुलिस की नौकरी करने में भी उसे कोई आपत्ति नहीं थी. मोनिका ने अच्छी तरह सोच कर फैसला ले लिया कि वह सुरेंद्र को शादी के लिए ‘हां’ बोल देगी.

लेकिन इस के लिए वह अपने घर वालों से बात करेगी. सुरेंद्र को भी परिवार के लोगों से मिलवाएगी. सब कुछ प्लान कर के रात के अंतिम पहर में इत्मीनान से सो गई.

9 सितंबर, 2021 की सुबह सुरेंद्र राणा काफी खुश नजर आ रहा था. पिछले महीने मोनिका यादव ने उस से शादी के लिए हां भी कह दी थी और सुरेंद्र को गुलावठी ले जा कर अपने घर वालों से भी मिला कर ले आई थी. परिवार में उस ने अपनी बहन तपस्या के कान में यह बात डाल दी थी कि वह सुरेंद्र के साथ शादी करने जा रही है. सुरेंद्र मोनिका को दुलहन बना लेने के लिए आतुर था.

उस दिन वह मोनिका को फरीदाबाद के बडख़ल झील घुमाने का मन बना कर मुखर्जी नगर में उस के पेइंग गेस्ट जा रहा था, जहां पर मोनिका रहती थी. वहां से उसे मोनिका को साथ लेना था.

अभी सुरेंद्र राणा रास्ते में ही था कि उस के मोबाइल की घंटी बजने जगी. बाइक सडक़ किनारे रोक कर सुरेंद्र राणा ने मोबाइल जेब से निकाला. नंबर देखा तो उस पर तपस्या का नाम फ्लैश होता दिखाई दिया.

“तपस्या दीदी.” वह हैरानी से बड़बड़ाया.

उस ने काल रिसीव की, “गुडमार्निंग तपस्या दीदी, कैसी हैं आप?”

“मैं अच्छी हूं सुरेंद्र, जरा पीजी जा कर मोनिका से मेरी बात करवाना. मैं कल रात से उस का फोन ट्राई कर रही हूं, लेकिन फोन लग ही नहीं रहा है.”

“आप बेफिक्र रहिए दीदी. मैं पीजी ही जा रहा हूं. अभी वहां पहुंच कर आप की मोनिका से बात करवाता हूं.” सुरेंद्र ने कह कर फोन काट दिया और बाइक को आगे बढ़ा दिया.

वह पीजी पहुंचा और मोनिका के कमरे पर आया तो वहां ताला बंद था.

“कमाल है! सुबहसुबह कहां चली गई मोनिका?” सुरेंद्र राणा हैरानी में बुदबुदाया.

उस ने मोबाइल निकाल कर मोनिका को फोन लगाया. दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ होने का संदेश बजा. सुरेंद्र ने 2-3 बार ट्राई किया, लेकिन मोनिका का फोन बंद होने का ही संदेश सुनने को मिला. सुरेंद्र ने मोनिका के आसपड़ोस में रहने वाली दूसरी लड़कियों से मोनिका के विषय में पूछा.

एक लडक़ी ने बताया, “मोनिका तैयार हो कर कल दोपहर को कहीं गई थी. रात को वापस नहीं लौटी, शायद आज वापस आएगी.”

‘कहां चली गई मोनिका, वह गुलावठी भी नहीं गई है, अगर वहां गई होती तो उस की बड़ी बहन तपस्या उस के लिए परेशान हो कर उसे नहीं कहती कि पीजी जा कर उस से बात करवाओ.

देश की सब से उलझी मर्डर मिस्ट्री : हड्डी के स्क्रू से खुला राज – भाग 2

यह जानकारी जुटाने के लिए टौम के नेतृत्व में 5 बड़ी टीमें बनाई गई थीं. पांचों टीमें रातदिन पता करने में लग गईं. आखिर केरल के वीकेएम अस्पताल में जिन रोगियों को ये 6 स्क्रू लगाए गए थे, उन छह के छहों रोगियों की जानकारी मिल गई.

पैर में स्क्रू लगवाने वाली मरीज शकुंतला मिली लापता

उन 6 में से 5 रोगियों का पता तो चल गया, वे पांचों सहीसलामत थे. अब छठें रोगी के घर जाना बाकी था. वह 54 साल की महिला रोगी थी, जिस का नाम था शकुंतला. उस का पता नहीं चल रहा था. पुलिस एक बार फिर अस्पताल पहुंची, जहां शकुंतला का औपरेशन हुआ था.

सारा डाटा खंगाला गया, लेकिन उस में शकुंतला के नाम के अलावा और कोई जानकारी नहीं मिली. तब पुलिस ने विजिटर्स की लिस्ट देखी. उस में एक नाम कई बार दिखाई दिया, जो शकुंतला से मिलने आती रहती थी. उस का नाम था अस्वती दामोदरन. विजिटर्स लिस्ट से उस का पता भी मिल गया.

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पुलिस को लगने लगा कि अब जल्दी ही वह कातिल और कत्ल के मोटिव तक पहुंच सकेगी. पर यह सब इतना आसान नहीं था, जितना पुलिस ने सोच लिया था. अभी रहस्य से परदा उठाने के लिए पुलिस को बहुत मेहनत करनी थी. पुलिस अस्वती के घर पहुंची.

पुलिस ने जब अस्वती से शकुंतला के बारे में पूछा तो उस ने कहा, “साहब, मुझे मेरी मां शकुंतला को देखे तो 2 साल हो गए हैं. वह गायब हैं. मुझे उन के बारे में कुछ नहीं पता.”

अस्वती की बात सुन कर पुलिस हैरान रह गई. इंसपेक्टर टौम ने कहा, “बेकार की बातें मत करो. सब कुछ विस्तार से बताओ. क्या उन का कोई एक्सीडेंट हुआ था या वह गिर गई थीं. तुम उन्हें अस्पताल ले गई थी?”

अस्वती ने थोड़ा घबरा कर कहा, “साहब, मेरी मां और मुझ में पटती नहीं थी. अपनी शादी के बाद मैं उन के साथ रहती थी. एक सितंबर, 2016 को मैं उन के साथ स्कूटी से जा रही थी तो ट्रक वाले ने टक्कर मार दी थी, जिस में उन के बाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया था. मैं उन्हें वीकेएम अस्पताल ले गई थी. वहां उन के पैर में स्क्रू लगाया गया था.

इलाज के बाद 19 सितंबर, 2016 को उन से मिलने गई थी. लेकिन इस के बाद उन से मिलने गई तो वह नहीं मिलीं. मुझे पता चला कि वह किसी काम से दिल्ली गई हैं. उस के बाद से मेरी उन से मुलाकात नहीं हुई है.”

इंसपेक्टर टौम ने कहा, “तुम्हारी सगी मां गायब हो गई और तुम ने पुलिस में शिकायत भी नहीं की?”

“नहीं साहब, पुलिस में शिकायत नहीं की. क्योंकि हम दोनों में बिलकुल नहीं बनती थी. मुझे लगा कि हमारे झगड़ों से परेशान हो कर वह कहीं चली गई हैं. वह कहीं भी रहें, मुझ से क्या मतलब? इसलिए मैं ने शिकायत नहीं की थी.” अस्वती ने कहा.

इंसपेक्टर टौम और उन के साथी मन ही मन हंस रहे थे. क्योंकि उन्हें पता था कि अस्वती एकदम अधूरी जानकारी दे रही थी. उस के जवाब से अनेक सवाल खड़े हो रहे थे. पर पुलिस के लिए तो इस समय यह जानकारी पर्याप्त थी कि ड्रम में मिली हड्डियों में जो स्क्रू मिला था, वह शकुंतला के पैर की हड्डी में जो लगा था, वही था. इस के लिए पुलिस ने अस्वती का डीएनए टेस्ट भी कराया, जो मैच कर गया था. इस का मतलब शकुंतला मर चुकी थी. इस से यह निश्चित हो गया था कि ड्रम में मिली हड्डियां शकुंतला की ही थीं.

अब सवाल यह था कि शकुंतला को मारा किस ने? क्यों और किसलिए मारा? उस का बेटी से ऐसा क्या झगड़ा था कि मां चली जाए तो बेटी 2-2 साल तक उस के बारे में पता भी न करे? सवाल अनेक थे और जवाब शून्य थे. इन सवालों के जवाब पाने के लिए इंसपेक्टर टौम ने शकुंतला और अस्वती के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की.

शकुंतला की बेटी से हुई पूछताछ

अस्वती की कर्म कुंडली खंगालने पर असली कहानी सामने आ गई. अस्वती सुधी नाम के एक लडक़े से प्यार करती थी, जबकि शकुंतला को उस का उस लडक़े से प्यार करना पसंद नहीं था. इसलिए अस्वती ने भाग कर सुधी से विवाह कर लिया था. पर उस का यह प्रेमविवाह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सका.

2 साल बाद 2016 में जनवरी महीने के आसपास अस्वती सुधी को छोड़ कर मां के साथ रहने के लिए कोच्चि आ गई. शकुंतला पति से अलग रहती थी और लौटरी के टिकट बेच कर गुजारा करती थी.

उसी दौरान अस्वती की मुलाकात टी.एम. सुजित नाम के एक व्यक्ति से हुई. सुजित ‘सोसायटी फार प्रिवेंशन औफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स’ (एसपीसीए) नाम की संस्था में नौकरी करता था. दोनों में प्यार हो गया तो सुजित अस्वती की मां के घर में ही उस के साथ रहने लगा.

अस्वती ने पुलिस को यह बात नहीं बताई थी. यह जानकारी मिलने के बाद एक बार फिर पुलिस अस्वती से पूछताछ करने उस के घर पहुंची. अस्वती के सामने आते ही इंसपेक्टर टौम ने पूछा, “अस्वती, तुम्हारा प्रेमी सुजित कहां है? तुम ने अपने पहले विवाह के बारे में भी मुझ से कुछ नहीं बताया था.”

इंसपेक्टर टौम की ये बातें सुन कर अस्वती रो पड़ी. रोते हुए उस ने कहा, “साहब, सुजित की तो 20 दिन पहले मौत हो गई है. 9 जनवरी, 2018 को किसी कारणवश उस ने आत्महत्या कर ली और हम सभी को छोड़ कर चला गया.”

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यह जानकारी पुलिस के लिए चौंकाने वाली थी. क्योंकि 7 जनवरी, 2018 को पुलिस को पनंगद सरोवर के किनारे वह ड्रम मिला था, जिस में शकुंतला की हड्डियां थीं. इस के 2 दिन बाद जब यह समाचार अखबारों में सनसनी मचाए था तो 9 जनवरी को सुजित ने आत्महत्या कर ली थी. अब सवाल यह था कि यह इत्तफाक था या इस में कोई रहस्य था. यह घटना संदेह पैदा करने वाली थी.

अब पुलिस सुजित की कुंडली खंगालने लगी. उस की कहानी बड़ी ही पेचीदा निकली.

लेडी कांस्टेबल मर्डर का कालगर्ल कनेक्शन – भाग 1

सुरेंद्र राणा दिल्ली पुलिस में हैडकांस्टेबल है. वह सन 2012 में भरती हुआ था. उस की तैनाती पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) यूनिट में थी. वह बाहरी दिल्ली के अलीपुर गांव में पत्नी सहित रहता था. वहां से मुखर्जी नगर अपनी बाइक द्वारा ड्यूटी पर आनाजाना करता था.

एक दिन उस का पत्नी से किसी बात पर झगड़ा हो गया था, इसलिए वह घर से बगैर खाना लिए ड्यूटी पर आ गया था. दोपहर तक वह पीसीआर वैन में रहा, फिर भूख लगने पर थाने की कैंटीन में खाना खाने आ गया. थाने की कैंटीन में उस ने अपनी पसंद का खाना प्लेट में लगवाया और टेबल की ओर आ गया. प्लेट टेबल पर रख कर सुरेंद्र राणा ने कुरसी खींची और बैठ गया. तभी उसे खयाल आया कि उस ने हाथ नहीं धोए हैं. वह हाथ धोने के लिए वाश बेसिन की ओर चला आया.

वहां हाथ धोने के बाद रुमाल से हाथों को पोंछता हुआ टेबल की तरफ बढ़ा, जिस पर उस ने खाने की प्लेट छोड़ी थी. वह हैरान रह गया, उस टेबल पर एक युवती बैठी हुई उस की प्लेट का खाना खा रही थी.

वह लपक कर उस टेबल के पास आ गया और रौब से बोला, “यह क्या बदतमीजी है मैडम, यह खाने की प्लेट मेरी है, जिस पर आप आराम से हाथ साफ कर रही हैं.”

युवती घबरा कर खड़ी हो गई. उस के हाथ सब्जी में सने हुए थे. वह मुसकराते हुए बोली, “सौरी सर, मुझे जोरों की भूख लगी थी और कैंटीन में मुझे रसोइया दिखा नहीं, इसलिए टेबल पर खाने की प्लेट देख कर मैं खाने पर टूट पड़ी.”

युवती की उम्र 24-25 साल की होगी. वह बेहद खूबसूरत थी. उस ने मेकअप नहीं किया था, फिर भी उस के गालों पर सेब जैसी लालिमा और होंठों पर गुलाब के फूलों वाला रंग बिखरा हुआ था. युवती की आंखों में अजीब सा नशा भरा दिखाई देता था. वह लाल रंग की सलवारकमीज पहने हुए थी. गले में लाल रंग की चुन्नी थी.

सुरेंद्र राणा उस की खूबसूरती और भरेपूरे यौवन पर मोहित हो गया. वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं रह गया, बस ठगा सा उस युवती को देखता रहा.

“आप ने मुझे माफ कर दिया न.” युवती सुरेंद्र राणा को खामोश, ठगा सा खड़ा देख कर बोली, “मैं फिर से सौरी बोल देती हूं.”

सुरेंद्र राणा की मदहोशी उस युवती की कोयल जैसी सुरीली आवाज सुन कर और बढ़ गई.

पहली मुलाकात में दिल में बसा लिया मोनिका को

युवती हैरान थी कि यह पुलिस वाला कुछ बोल क्यों नहीं रहा है, उसे ही ताकने में लगा है. वह झुंझला गई. भूख से वह बेहाल थी. सुरेंद्र सोचने लगा कि पुलिस कैंटीन में कोई बाहरी व्यक्ति तो खाने के लिए आ नहीं सकता, जरूर यह भी पुलिस विभाग में ही होगी. लेकिन इस से पहले उस ने उस युवती को कभी देखा नहीं था. इसी सोच में वह बेसुध था.

तभी उस युवती ने सुरेंद्र राणा का हाथ पकड़ कर हिलाया, “ऐ जनाब, कहां खो गए आप?”

“तुम्हारी मोहिनी सूरत में…” सुरेंद्र राणा के मुंह से निकल गया. फिर वह तुरंत संभल गया, “क…क्या कहा तुम ने?”

“मैं ने आप की प्लेट से खाना खाया, इस के लिए सौरी बोल रही हूं. आप ध्यान ही नहीं दे रहे थे, इसलिए आप का हाथ भी पकड़ लिया.”

सुरेंद्र राणा मन ही मन बुदबुदाया, ‘यह हाथ जीवन भर के लिए पकड़ लो सुंदरी… मैं एक ही नजर में तुम्हारा दीवाना हो गया हूं.’

वह संभल कर बोला, “कोई बात नहीं, मैं दूसरी प्लेट ले आता हूं.”

वह कैंटीन में गया और अपने लिए दूसरी प्लेट ले आया और उसी टेबल पर खाने लगा. वह युवती अब इत्मीनान से खाना खा रही थी.

“क्या नाम है तुम्हारा?” सुरेंद्र राणा ने बात का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा.

“मोनिका यादव.”

“दिल्ली में ही रहती हो?”

“हां, मैं दिल्ली में ही रहती हूं और दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हूं. कल से मेरी इसी थाने में ड्यूटी लगाई गई है. वैसे मूलरूप से मैं गुलावठी (बुलंदशहर) की रहने वाली हूं.” युवती ने बताया.

“अरे, आप ने बताया क्यों नहीं कि आप भी डीपी में हैं. वैसे आप दिल्ली में कहां रहती हैं?” सुरेंद्र ने पूछा.

“यहीं मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहती हूं. वहां रह कर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी भी कर रही हूं.”

“अरे वाह!” सुन कर सुरेंद्र राणा खुशी से उछल पड़ा, “मैं भी इसी थाने में तो मैं हैडकांस्टेबल हूं.”

“ओह,” मोनिका मुसकराई, “फिर तो आप की और मेरी मुलाकात रोज होगी.”

“बेशक होगी.” सुरेंद्र जल्दी से बोला, “अगर तुम्हें ड्यूटी के दौरान किसी किस्म की परेशानी आए तो बताना, मेरी ऊपर तक जानपहचान है.”

सुरेंद्र राणा मुसकराया, “अच्छा, चलता हूं, मुझे अभी पीसीआर वैन पर निकलना है. तुम से फिर मुलाकात करूंगा.” कहने के बाद सुरेंद्र राणा लंबेलंबे डग भरता हुआ कैंटीन से बाहर निकल गया. वह खुश था कि पहली मुलाकात में ही वह खूबसूरत मोनिका को इंप्रैस कर के उस के दिल में अपने लिए जगह बना आया है.

मोनिका ने अगले दिन ही मुखर्जी नगर थाने में अपनी आमद दर्ज करा ली. इस का पता सुरेंद्र राणा को हुआ तो वह फूला नहीं समाया.

मोनिका को प्यार के जाल में फांसने की कोशिश में जुटा सुरेंद्र

पहली मुलाकात में मोनिका के हुस्न का जो जादू उस पर चला था, वह अभी भी कायम था. सुरेंद्र शादीशुदा और एक बेटे का बाप होने के बाद भी मोनिका को अपनी जिंदगी में लाने के लिए मचल रहा था, जबकि मोनिका यादव उसे केवल अपना सच्चा हमदर्द दोस्त मान कर उस की इज्जत कर रही थी. इस की वजह थी कि सुरेंद्र राणा और अपनी उम्र में करीब 15 साल का अंतर होना.

मोनिका के मन में कभी भी यह विचार नहीं आया कि सुरेंद्र राणा को अपनी जिंदगी का हमसफर बनाए. उस के साथ प्यार के सुनहरे ख्वाब देखे. सुरेंद्र राणा को अपना सच्चा हितैषी समझ कर मोनिका उस से हंसतीबोलती थी. उस की इज्जत करती थी. जबकि सुरेंद्र की कोशिश थी कि वह मोनिका के बहुत करीब आ जाए. उस का दिल केवल मोनिका के लिए ही धडक़ने लगा था.

उस ने अब अपने घर अलीपुर भी जाना कम कर दिया था. पत्नी से उस ने झूठ बोला कि काम का बोझ अधिक होने की वजह से उसे थाने में ही रुकना पड़ता है. इतना वक्त नहीं होता कि वह घर आएजाए. पत्नी सीधीसादी थी. पुलिस वालों की नौकरी ऐसी ही होती है. इस नौकरी में रातदिन नहीं देखा जाता. उस ने संतोष करने की आदत डाल ली.

देश की सब से उलझी मर्डर मिस्ट्री : हड्डी के स्क्रू से खुला राज – भाग 1

यह कहानी है केरल के अर्नाकुलम जिले के कोच्चि शहर की. इस शहर से जुड़े कुंबलम में पनंगद नाम का एक सुंदर सरोवर है. एक दिन इसी सरोवर के किनारे एक ड्रम दिखाई दिया. 2-3 दिनों तक किसी ने उस ड्रम की ओर ध्यान नहीं दिया. पर इस के बाद में लोगों को लगा कि ड्रम से दुर्गंध आ रही है. इसलिए 7 जनवरी, 2018 को मछली पकडऩे वाले और कुछ दुकानदारों ने मिल कर इस बात की सूचना स्थानीय पुलिस को दी.

स्थानीय पुलिस ने आ कर उस ड्रम को देखा. ड्रम सीमेंट और कंक्रीट से पैक था. दुर्गंध का पता लगाने के लिए पुलिस ने ड्रम को  तोडऩे का आदेश दिया. पहले प्लास्टिक का ड्रम तोड़ा गया. उस के बाद छेनी और हथौड़ी से जम गई सीमेंट और कंक्रीट को तोड़ा जाने लगा. लोगों को यही लग रहा था कि इस में शायद कोई लाश हो. पर ऐसा कुछ भी नहीं निकला. उस में से मानव हड्डियों के केवल कुछ टुकड़े निकले, वे बचेखुचे और टूटेफूटे थे. इस में जबड़ों के अलावा पैर की हड्डियों के एकदो टुकड़े थे तो एकाध हाथ के तो एकदो मानव जबड़े के थे.

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इस के साथ उस ड्रम से जो मिला था, वह हैरान करने वाला था. उस में से कपड़ों के चिथड़े, बालों का गुच्छा, रस्सी के टुकड़े और 3 करंसी नोट निकले थे. इन 3 नोटों में एक सौ का नोट था और 2 पांच सौ के. पुलिस ने ये सभी चीजें जब्त कर लीं और जांच के लिए भेज दिया.

अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2018 को यह समाचार तमाम स्थानीय अखबारों में छपा और शहर में चर्चा का विषय बन गया. पुलिस के लिए यह केस काफी उलझा हुआ और पेचीदा था, क्योंकि न तो लाश थी और न कोई चेहरा मोहरा. यह भी पता नहीं चल रहा था कि मरने वाला स्त्री था या पुरुष?

प्राथमिक जांच में ही पुलिस को पता चल गया था कि यह केस बहुत ही रहस्यमय है. इसलिए उन्होंने इस मामले को अर्नाकुलम (साउथ) पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया और इस की जांच की जिम्मेदारी विशेषकर सर्कल इंसपेक्टर सी.बी. टौम को सौंप दी गई थी.

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सी.बी. टौम नाम इनवैस्टीगेशन की दुनिया में केरल का जानामाना नाम है. वह केरल में शरलौक होम्स के रूप में जाने जाते हैं और लोग उन्हें ‘टौम्स’ कहते भी हैं. जब उन के पास जांच के लिए यह मामला आया तो वह भी रोमांचित हो उठे और इस मामले की इनवैस्टीगेशन में लग गए. उन के साथ उन्हीं की तरह एक अन्य होशियार इनवैस्टीगेशन और मैडिकल अफसर हैं, जिस का नाम है डा. एन.के. उन्मेश.

मानव शरीर की उन हड्डियों का पोस्टमार्टम हुआ. इस के अलावा अन्य जांचें भी हुईं. केवल हड्डियों के कुछ टुकड़ों से हत्यारे तक पहुंच पाना आसान नहीं था. हकीकत में यह इनवैस्टीगेशन काफी मुश्किल थी. 3 दिनों की जांच के बाद इंसपेक्टर सी.बी. टौम, उन के साथी डा. एन.के. उन्मेश और पुलिस के अन्य अधिकारियों ने एक मीटिंग की.

कंकाल में पाए गए स्क्रू से शुरू हुई जांच

इस मीटिंग में सी.बी. टौम ने कहा, “यह केस बहुत ही पेचीदा है. इस में अनेक लेयर निकलेंगी. मरने वाले की पहचान तो दूर की बात रही, अभी तो यह भी पता नहीं है कि मरने वाला पुरुष है या स्त्री. हां, इस में से एक बाल का गुच्छा जरूर मिला है.”

“पर बाल की लंबाई से यह साबित नहीं किया जा सकता कि मरने वाला पुरुष था या स्त्री.” मीटिंग में बैठे एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा.

“आप का कहना अपनी जगह सही है.” टौम ने कहा, “वह बाल 50 सेंटीमीटर लंबे हैं. जनरली महिलाओं के ही बाल लंबे होते हैं. पर आजकल तो लडक़े भी इस तरह बाल रखते हैं. इसलिए निश्चित रूप से कुछ भी कहना मुश्किल है,” टौम ने कहा.

“अभी तो यह भी पता नहीं है कि हत्या कब हुई थी?”

“अभी हड्डियों की पूरी तरह जांच नहीं हो पाई है. पर मेरा अनुभव जो कहता है, उस के अनुसार यह मर्डर 8 नवंबर, 2016 के पहले हुआ होगा.” डा. एन.के. उन्मेश ने कहा.

“आप अपने अनुभव से ऐसा कैसे कह सकते हैं?” एक पुलिस अधिकारी ने हैरानी से पूछा.

तब सी.बी. टौम ने शरलौक होम्स की अदा में जवाब दिया, “सर, ड्रम से 3 करंसी नोट मिले हैं, जिन में 2 पांच सौ के हैं और एक सौ का है. हम जानते हैं कि भारत में 8 नवंबर, 2016 की रात से नोटबंदी लागू हुई थी, जिस में पांच सौ के नोट बंद हो गए थे. मरने वाले के पास ये नोट थे, जो ड्रम में मिले हैं. इसलिए हत्या 8 नवंबर के पहले ही की गई होगी.”

टौम की बात सभी को सही लगी. पर 2 साल पहले गायब हुए व्यक्ति की तलाश करना पुलिस को मुश्किल लग रहा था. क्योंकि यह भी पता नहीं था कि गायब होने वाला स्त्री है या पुरुष? यह भी पता नहीं था कि वह गायब कहां से हुआ था? गायब होने वाले की उम्र कितनी थी और वह गायब कब हुआ था?

3 दिन बीत गए थे. 11 जनवरी, 2018 को डा. एन.के. उन्मेश हड्डियों की जांच कर रहे थे, तभी उन्हें हड्डियों के टुकड़ों से एक ‘स्क्रू’ और एक ‘वाशर’ मिला. वह स्क्रू 6.6 सेंटीमीटर लंबा और 2.5 सेंटीमीटर चौड़ा था. जिस हड्डी के टुकड़े से वह मिला था, वह हड्डी का टुकड़ा मरने वाले के बाएं पैर की एड़ी के हिस्से का था और स्क्रू उसी में लगा था.

शायद वह स्क्रू काफी समय पहले लगाया गया था, इसलिए कंपनी वगैरह का नाम आसानी से पढऩे में नहीं आ रहा था. डा. एन.के. उन्मेश ने तुरंत इस बात की जानकारी इंसपेक्टर टौम को देते हुए कहा, “मुझे हड्डियों से एक स्क्रू मिला है. यह बहुत बड़ा सुराग बन सकता था, पर अफसोस की बात यह है कि इस पर कंपनी वगैरह का नाम काफी धुंधला हो गया है, जो पढऩे में नहीं आ रहा है.”

यह सुन कर इंसपेक्टर टौम उछल पड़े, “समझ लीजिए भाई, सुराग मिल गया. तुम जल्दी से वह स्क्रू ले कर यहां आ जाओ.”

थोड़ी देर में डा. उन्मेश उन के पास पहुंच गए. इस के बाद इंसपेक्टर टौम ने अपने हाई रेजुलेशन कैमरे से स्क्रू की फोटोग्राफी शुरू कर दी. कई घंटे की मेहनत के बाद उन्हें एक छोटा सा, पर महत्त्वपूर्ण सुराग उन के हाथ लग गया. उस स्क्रू के टौप पर धुंधला हो चुका कंपनी का नाम पढऩे में आ गया.

जिन मरीजों के स्क्रू लगाए, उन की की गई जांच

वह नाम था PITKAR. टौम ने तुरंत इस नाम को कंप्यूटर पर सर्च किया. पता चला कि यह पुणे की एक कंपनी है, जो पूरे देश में इस तरह के स्क्रू की सप्लाई करती है. इस स्क्रू का उपयोग सर्जरी में किया जाता है.

अब यह पता करना था कि इस तरह के स्क्रू का उपयोग अर्नाकुलम जिले में किसकिस अस्पताल में होता है? इस स्क्रू का उपयोग किस रोगी के लिए किया गया था? लेकिन इन दोनों सवालों का जवाब तलाशना किसी चुनौती से कम नहीं था. एक पूरा जिला, उस में अनेक इलाके और कस्बे और उन में हजारों अस्पताल. उन में लाखों रोगियों में किसी एक रोगी पर इस तरह की सर्जरी हुई होगी. इतना सब पता करना था, उस में भी निश्चित समय का पता नहीं था.

टौम ने कहा, “टास्क बड़ा है तो हम भी कम नहीं हैं. हम अलगअलग टीमें बना कर 2016 से पता लगाने की शुरुआत करते हैं कि उस साल इस कंपनी ने किसकिस अस्पताल में यह स्क्रू भेजे गए थे.”

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इस के बाद कंपनी से संपर्क किया गया. कंपनी ने बिक्री के आधार पर जानकारी दी कि साल 2016 में कुल 161 स्क्रू सप्लाई किए गए थे, जिस में 155 तो गुजरात और महाराष्ट्र में भेजे गए थे और 6 केरल में सप्लाई किए गए थे. इस के बाद यह पता किया गया कि केरल में कहां और किस रोगी को यह स्क्रू लगाया गया था.

कर्नल का इश्क बना रिस्क – भाग 4

कहते हैं जिस्म बेचने वाली को कितना भी प्यार और इज्जत दो, लेकिन उस के भीतर की असलियत खत्म नहीं होती. श्रेया भी समझ गई थी कि रामेंदु उपाध्याय ने उसे अपनी रखैल बना कर रख लिया है. अगर वह उसे पत्नी का दरजा नहीं देगा तो उसे पत्नी की तरह उसे तमाम सुख देने होंगे. इसलिए वह उस से अपनी हर फरमाइश पूरी करवाने लगी. उसे पीने के लिए शराब की जरूरत होती, खाना बनाना श्रेया को आता नहीं था, इसलिए या तो वह होटल से खाना मंगाती या रामेंदु ही उस के लिए खाना बनाता. इस तरह रामेंदु का लगभग रोज फ्लैट में आनाजाना होता था.

श्रेया अब उस से लगातार दुर्व्यवहार भी करने लगी थी और इतना ही नहीं शराब पी कर वह रामेंदु को गालियां तक देती और कहती, “तुम ने मेरी लाइफ खराब कर दी है मुझे रखैल की तरह रखा हुआ है. या तो मुझ से शादी कर लो नहीं तो…”

लेकिन रामेंदु के घर में एक डेढ़ साल का बेटा और पत्नी थी. ऐसे में वह इस के लिए बिलकुल राजी नहीं था. इस तरह के झगड़े होना आम बात हो गई थी. लेकिन अपनी अय्याशी की लत के कारण अब वह लाचार हो गया था और अपने पाप को छिपाए रखने के लिए सब कुछ सहने पर मजबूर था.  लेकिन 2-2 जिंदगी जीते हुए रामेंदु इस बात से अंजान था कि उस की पत्नी सविता को एक बार फिर उस के चालचलन पर शक हो गया था.

श्रेया की जिद ले गई उसे मौत के मुहाने

2 सितंबर, 2023 को सविता अपने पति का पीछा करते हुए उस की रखैल श्रेया के घर पहुंच ही गई. उस दिन रामेंदु की जिंदगी में कोहराम मच गया. पत्नी प्रेमिका दोनों में जम कर झगड़ा हुआ. श्रेया ने पत्नी से साफ कह दिया कि रामेंदु ने 3 साल से उसे रखैल बना कर रखा है या तो वह उस के साथ शादी करे नहीं तो वह उस का पीछा नहीं छोड़ेगी.

पत्नी सविता और श्रेया के बीच लड़ाई होने से रामेंदु को पहली बार बहुत बुरा लगा था. वह पहली बार असमंजस की स्थिति में आ गया कि वह क्या करे क्या न करे. वह बहुत परेशान हो गया था. एक तरफ उस की पत्नी को उस के अवैध संबंधों का पता चल गया था. वहीं गर्लफ्रेंड पत्नी की तरह हक मांगने लगी थी. घर जाने पर पत्नी के ताने और क्लेश ने उस की जिंदगी को नासूर बना दिया था.

पत्नी सविता और श्रेया के बीच झगड़े के अगले दिन रामेंदु श्रेया को जुडियो के एक आउटलेट में ले गया, जहां उसे वही शार्ट मिडी दिलाई, जो हत्या के वक्त श्रेया ने पहनी थी. रामेंदु ने तय कर लिया कि अगर उसे  इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो उसे श्रेया की हत्या करनी पड़ेगी. उस ने सोचना शुरू कर दिया कि किस तरह श्रेया को रास्ते से हटाया जाए कि वह पुलिस की पकड़ में न आए.

सुनसान जगह पर कर दी श्रेया की हत्या

आखिरकार, बहुत सोचविचार कर उस ने एक फुलप्रूफ योजना तैयार कर ली. उसी योजना के तहत 9 सितंबर, 2023 को श्रेया को वह बीयर पिलाने के लिए राजपुर रोड स्थित एक क्लब ले गया. जहां पर रात को दोनों ने शराब पी. रामेंदु ने कम शराब पी, जबकि उस ने श्रेया को ज्यादा शराब पिलाई.

श्रेया जब शराब के नशे में धुत हो गई तो उस ने श्रेया से लौंग ड्राइव पर चलने के लिए कहा. उस ने अपनी किया कार में बीयर की कुछ बोतलें और शराब भी रख ली. इस के बाद समय बिताने के लिए रामेंदु गाड़ी घुमाते हुए पहले आईएसबीटी घंटाघर बल्लूपुर डोईवाला गया, फिर डोईवाला से वापस होते हुए महाराणा प्रताप चौक से थानो रोड की तरफ निकल गया.

श्रेया शराब के ज्यादा नशे में थी, लिहाजा वह रामेंदु से गाड़ी में ही सैक्स करने की जिद करने लगी और अपने कपड़े उतारने लगी. रामेंदु ने उसे किसी तरह समझाया और कहा  कि इस के लिए गाड़ी को थोड़ा एकांत में ले कर जाना पड़ेगा. तब तक रात के डेढ़ बज चुके थे. उस ने अपनी गाड़ी थानो रोड पर सोड़ा सरोली से बाईं ओर जाने वाले एक रास्ते की तरफ मोड़ दी. वहां पर जंगल जाने वाला रास्ता था.

वहां उसे श्रेया को जान से मारने का उचित मौका लगा. उस ने जैसे ही गाड़ी रोकी तो शराब के नशे में धुत श्रेया गाड़ी से उतर गई. उस के गाड़ी से उतरते ही रामेंदु ने गाड़ी की पिछली सीट पर रखा हथौड़ा निकाल कर उस के सिर पर और चेहरे पर एक के बाद एक कई प्रहार किए.  श्रेया को संभलने का मौका भी नहीं मिला. वह लहरा कर जमीन पर गिर पड़ी. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

रामेंदु ने श्रेया के मृत शरीर को उठा कर गाड़ी में डाला. उस ने नब्ज देखी तो तब तक श्रेया के प्राण निकल चुके थे. रामेंदु ने उसी दिशा में गाड़ी को थोड़ा और आगे लिया, लेकिन आगे का रास्ता बंद था. लिहाजा उस ने वहां से वापस गाड़ी बैक की और उस के बाद वापस मेन रोड पर आया और एक जगह कच्ची नाली में उस की लाश को गाड़ी से उतार कर फेंकदी. उस के बाद रामेंदु ने गाड़ी में रखा टायलेट क्लीनर वाला तेजाब निकाला और उस के मुंह पर डाल दिया, जिस से लाश की शिनाख्त न हो सके.

लेकिन शायद रामेंदु की किस्मत उस दिन खराब थी. क्योंकि जिस वक्त उस ने श्रेया की हत्या की तो उस के कुछ देर बाद ही बारिश शुरू हो गई थी. इसलिए जब उस ने पहचान मिटाने के लिए टाइलेट क्लीनर श्रेया के चेहरे पर डाला तो कुछ ही देर में बारिश के कारण वह तेजाब धुल गया और उस का चेहरा पूरी तरह बिगड़ नहीं सका.

पुलिस ने बरामद किए ठोस सबूत

श्रेया के शव को ठिकाने लगा कर रामेंदु ने हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा थानो रोड पर सड़क किनारे फेंक दिया. उस के बाद वापस आ कर गाड़ी क्लेमनटाउन के एक स्टोर में छिपा दी.  श्रेया के सामान व पहने कपड़े भी उस ने गाड़ी में छिपा कर रख  दिया. इस के बाद वह अपने घर गया और अपनी पत्नी से जा कर बता दिया कि उस ने श्रेया को वापस भेज दिया है.

पूछताछ के बाद जब पुलिस ने रामेंदु उपाध्याय की निशानदेही पर उस की क्लेमनटाउन में खड़ी हुई घटना में प्रयुक्त किया कार यूके-07 डीएक्स 5881 बरामद कर ली. कार के अंदर छिपा कर रखी श्रेया की आईडी,  उस के कपड़े,  घटना के समय रामेंदु उपाध्याय के पहने हुए खून से सने कपड़े और कार में लगे खून के निशान सबूत के तौर पर एकत्र कर लिए.

थानो रोड के जंगल से घटना में प्रयुक्त रक्तरंजित हथौड़ा भी पुलिस ने बरामद कर लिया, जिस पर रामेंदु की अंगुलियों के निशान थे. पुलिस ने बाद में राजपुर रोड के ऐंजल क्लब से श्रेया के साथ रामेंदु की सीसीटीवी फुटेज भी बरामद कर ली, जहां वह उसे शराब पिलाने के लिए ले गया था.

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आवश्यक पूछताछ व साक्ष्य एकत्र करने के बाद पुलिस ने आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल रामेंदु उपाध्याय को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा  की है.

(कथा पुलिस की जांच और आरोपी के बयान  पर आधारित)

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन – भाग 3

मनोहर शुक्ला के अचानक घर से गायब होते ही नैना घंटों तक बैड पर पड़ी अपनी किस्मत को रोती रही. वह बारबार उस का फोन मिलाती रही, लेकिन फोन नहीं मिला.

उस के बाद उसे पूरा विश्वास हो गया कि वह जो कह रहा था, सही था. कई दिन मनोहर का फोन लगा, उस ने नैना को बता दिया कि अब उस की शादी हो चुकी है. इसलिए वह उसे अब ज्यादा टाइम नहीं दे सकता. उसी गुस्से में एक दिन वह एक वकील से मिली. वकील से राय मशविरा कर उस ने विरार पुलिस थाने में मनोहर शुक्ला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

केस वापस लेने का डाला दबाव

जब इस बात का मनोहर शुक्ला को पता चला तो उस ने उसे समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन नैना ने अपना मुकदमा वापस नहीं लिया. आखिरकार मनोहर शुक्ला को इस बलात्कार के केस के कारण जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

हालांकि मनोहर शुक्ला नैना के कारण जेल की रोटी खा चुका था, लेकिन फिर भी वहां से जमानत पर आने के बाद वह उसे बारबार फोन करता रहता था. यही हाल नैना का भी था. उसे जेल भेजने का नैना को थोड़ा अफसोस भी हुआ. उस के जेल से आने के बाद नैना ने उस से एक बार मिलने को कहा.

नैना के कहने पर एक दिन मनोहर शुक्ला उस से मिलने उस के घर पर गया. फिर नैना उसे देख कर फूटफूट कर रोई. लेकिन कोई फायदा नहीं था. मनोहर शुक्ला को जो करना था, वह कर चुका था. इस के बाद भी नैना उसे छोडऩे को तैयार न थी.

उस दिन नैना का मन कुछ हलका हुआ और फिर वह सब कुछ भूल कर उस से पहले की तरह मिलने लगी थी. मनोहर शुक्ला के बारबार मिलने से वह अपना दर्द भूल गई, लेकिन फिर वह उसे अपना मान कर उसे पहले की तरह ही प्यार भी करती रही थी.

जमानत पर आने के बाद उस केस को आगे भी चलना था. उसे उम्मीद थी कि नैना एक दिन उस की बात मान कर अपना केस भी वापस ले लेगी, यही सोच कर उस ने कई बार नैना से संपर्क किया. उस ने उस से उस के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेने का अनुरोध भी किया.

एक बार वह अपने स्कूटर से नैना और अपनी पत्नी पूर्णिमा को ले कर वसई में ही तुंगारेश्वर भी गया. वहां पर पत्नी के जरिए उस ने नैना पर केस वापस लेने के लिए दबाव भी डलवाया. लेकिन नैना किसी भी तरह से झुकने को तैयार न थी. उस समय तक मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा एक बच्ची की मां बन चुकी थी.

जब मनोहर शुक्ला ने नैना पर ज्यादा दबाव बनाना शुरू किया तो नैना ने साफ शब्दों में कहा कि वह अपना मुकदमा वापस लेने को तैयार है, उस के लिए उसे 2 काम करने होंगे. पहला उसे अपनी पत्नी पूर्णिमा से तलाक लेना होगा, दूसरे उसे शहर में ही अलग से एक फ्लैट खरीद कर देना होगा.

उस की इन शर्तों से मनोहर शुक्ला का गुस्सा सातवें आसमान पहुंच गया. उसी गुस्से में मनोहर शुक्ला ने तुंगारेश्वर से नायगांव वापसी के दौरान चलते स्कूटर से नैना को नीचे धकेल दिया और वह अपनी बीवी को ले कर वहां से फरार हो गया.

उस दौरान नैना को थोड़ी चोट भी आई थी. लेकिन उस दिन के बाद वह मनोहर शुक्ला के प्रति आक्रामक हो उठी थी. फिर वह मनोहर शुक्ला को किसी और केस में फंसाने की धमकी भी देने लगी थी, जिस से मनोहर शुक्ला बुरी तरह डर गया था.

टब में डुबो कर की हत्या

9 अगस्त, 2023 को नैना ने मनोहर शुक्ला को फोन किया, “मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं. आप आज ही मुझ से आ कर मिलो. अगर तुम नहीं आए तो मैं आज ही सुसाइड कर लूंगी और सुसाइड नोट में तुम्हारा ही नाम होगा.”

मनोहर शुक्ला पहले ही केस से परेशान था. इतनी बात सुनते ही डर कर वह फौरन नैना के घर पहुंचा. मनोहर शुक्ला के घर पहुंचते ही नैना और उस के बीच काफी कहासुनी हुई. नैना ने मनोहर शुक्ला को साफ चेतावनी दी कि अगर तुम ने मुझे फ्लैट खरीद कर नहीं दिया तो मैं एसिड पी कर आत्महत्या कर लूंगी. उस के बाद तुम सारी जिंदगी मेरी हत्या के आरोप में जेल में सड़ोगे.

नैना की यह धमकी सुन कर मनोहर शुक्ला के तनबदन में आग लग गई. उसी गुस्से के आवेग में मनोहर शुक्ला ने पीछे से नैना के बाल पकड़ लिए और कहा, “ठीक है जब तुम्हें मरने का ही शौक है तो इस में मैं ही तुम्हारी मदद करता हूं.”

कह कर मनोहर शुक्ला उस को खींच कर बाथरूम में ले गया. वहां पर पहले से ही पानी का एक बड़ा टब भरा हुआ था. बाथरूम में ले जाते ही उस ने उस के मुंह को कई बार टब में भरे पानी में डुबोया और तब तक डुबोता रहा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.

नैना का मर्डर करने के बाद उस की लाश को उस ने बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उस का मोबाइल और घर की चाबी ले कर वह अपने काम पर चला गया था.

महाराष्ट्र में हत्या कर गुजरात में फेंकी लाश

अपना बाहर का काम निपटा कर वह फिर से नैना के घर पहुंचा. उस ने देखा तो वह पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी. उस के बाद वह सीधा अपने घर पहुंचा. घर जाते ही अपनी पत्नी पूर्णिमा को बता दिया कि उस ने नैना का मर्डर कर दिया है और उस की लाश उसी के घर में पड़ी हुई है. उस के तुरंत बाद ही वह अपनी पत्नी और बेटी को साथ ले कर नैना के घर पहुंचा.

नैना के घर पहुंचते ही मनोहर शुक्ला ने अपनी बेटी को मोबाइल में गेम चला कर दे दिया. फिर दोनों पतिपत्नी नैना के बेडरूम में गए, जहां उस की लाश पड़ी हुई थी. नैना के बेड के पास ही अलमारी में उस का एक बड़ा नीले रंग का सूटकेस रखा हुआ था.

मनोहर शुक्ला ने उस सूटकेस के कपड़े निकाले और अपनी पत्नी की सहायता से नैना की लाश को उस में बंद कर दिया. नैना की लाश को सूटकेस में बंद कर लिफ्ट में सवार हो कर दोनों नीचे आ गए. नीचे आते ही उन्होंने उस सूटकेस को स्कूटर पर रखा और अपनी 2 साल की बच्ची के साथ पतिपत्नी गुजरात की ओर निकल गए.

नायगांव मुंबई से 150 किलोमीटर दूर गुजरात के वलसाड जा पहुंचे. वहां पर सुनसान जगह पा कर नैना वाले सूटकेस को एक नाली में डाल दिया था. लाश ठिकाने लगाने के बाद मनोहर शुक्ला सीधे अपने घर आ गया था.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को गायब करना) व अन्य कई धाराएं लगा कर रिपोर्ट दर्ज की थी. उस के बाद पुलिस ने मनोहर शुक्ला को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर 16 सितंबर, 2023 तक का पुलिस रिमांड लिया. इस मामले में पुलिस को मनोहर शुक्ला के भाई पर भी अपराध में शामिल होने का शक था. जिस की पुलिस जांच कर रही थी.

हालांकि मनोहर शुक्ला ने इस गेम को बहुत ही होशियारी के साथ खेला था. लेकिन फिर भी वह मार खा गया. वह भूल गया कि जिस लिफ्ट से वह उस सूटकेस ले कर जा रहा है, वही उस की मुसीबत का कारण बनेगा. जिस लिफ्ट से वह सूटकेस को ले कर उतरा था, उस में एक नहीं बल्कि 2 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, जिन के माध्यम से पुलिस आरोपी मनोहर शुक्ला तक पहुंची थी.

पुलिस को मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा से नैना की हत्या के बारे में पूछताछ करनी थी, लेकिन कथा लिखने तक वह भी फरार थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कर्नल का इश्क बना रिस्क – भाग 3

इस कहानी की शुरुआत हुई साल 2020 में जब 39 वर्षीय रामेंदु उपाध्याय बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में तैनात था. सेना के अफसरों के बारे में कहा जाता है कि परिवार और पत्नी सुख से दूर रहने के कारण वे अकसर जिस्मानी सुख तलाशने के लिए या तो रेड लाइट एरिया का सहारा लेते हैं या ऐसी औरतों से दोस्ती कर लेते हैं जो उन के शरीर की भूख मिटा सकें.

कुछ समय पहले ही रामेंदु की शादी हुई थी और कुछ दिन पत्नी के साथ रहने के बाद ही वह अपनी ड्यूटी पर सिलीगुड़ी आ गया.  पत्नी सुख की ऐसी लत लग चुकी थी कि रामेंदु उपाध्याय भी सिलीगुड़ी आने के बाद वहां के बार और ऐसे क्लबों में जाने लगा, जहां खूबसूरत डांसर और जिस्म बेचने वाली हसीनाएं मिल जाती थीं.

जनवरी, 2020 में एक दिन रामेंदु उपाध्याय जब सिलीगुड़ी के सिटी सेंटर माल के जिज्जी डांस बार में गया तो उस की मुलाकात नेपाली मूल की एक युवती श्रेया शर्मा उर्फ सुमित्रा से हुई.  श्रेया शर्मा 19 साल की एक ऐसी हसीन युवती थी, जिसे कोई एक बार देख ले तो चेहरे से नजर न हटे. सांचे में ढला गोरा बदन और अंगअंग से टपकती मादकता ऐसी कि पहली ही बार में रामेंदु को श्रेया इतनी पसंद आई कि वह उस का दीवाना हो गया. इस के बाद तो रामेंदु श्रेया को देखने के लिए लगभग रोज ही जिज्जी डांस बार जाने लगा.

रामेंदु डांस बार में जाता, 2-3 पैग पीता और लड़कियों खासकर श्रेया का डांस देखता और वापस आ जाता. लेकिन वह श्रेया से कभी यह नहीं कह पाता था कि वह उसे पसंद करता है और दोस्ती करना चाहता है. हां, उस ने उसे अपना नाम और पद के बारे में जरूर बता दिया था.

एक दिन रामेंदु को शराब का थोड़ा ज्यादा नशा चढ़ गया. उस दिन नशे में उस की हालत ऐसी हो गई थी कि उसे चला तक नहीं जा रहा था. उस की हालत को देखते हुए श्रेया उसे अपने साथ अपने फ्लैट पर ले आई.  रात के किसी वक्त जब रामेंदु की आंखें खुलीं तो देखा कि वह एक आरामदेह बिस्तर पर था. उस समय उस के जिस्म पर कोई कपड़ा नहीं था और बगल में उस का वो खूबसूरत ख्वाब था, जिस की चाहत में वह हर रोज जिज्जी डांस बार जाता था.

“क्या कर्नल साहब, इतना पसंद करते हो हमें तो बता क्यों नहीं दिया.” बगल में लेटी 21 वर्षीय श्रेया ने रामेंदु के सीने के बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा.

“आप हैं ही इतनी खूबसूरत कि आप से मिलने की चाहत रोज आप के पास खींच लाती है.” रामेंदु ने भी मन की बात कह डाली.

“चाहत थी तो एक बार इजहार कर देते. हमें भी तो आप जैसे दोस्त की चाहत है.”   कहते हुए श्रेया ने अपने अधर उस के होंठों पर रख दिए.

फिर क्या था, थोड़ी ही देर में दोनों जिस्म एक हो गए. उस रात रामेंदु को श्रेया ने वो चरमसुख दिया, जो रामेंदु को कभी अपनी नईनवेली पत्नी से नहीं मिला था. उस रात श्रेया और रामेंदु के बीच जो रिलेशन बने, उस के बाद तो दोनों के रिश्ते ऐसे परवान चढ़े कि पहले कुछ दिन वे एक प्रेमीप्रेमिका की तरह मिलते रहे और एकदूसरे को प्यार करते रहे, लेकिन कुछ ही महीनों में दोनों सिलीगुड़ी में एक निजी मकान ले कर पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

Cornal ka ishq sreya and ramendu

श्रेया ने अब डांस बार में काम करना छोड़ दिया था. वक्त तेजी से गुजरने लगा.  हालांकि 1-2 महीने में रामेंदु देहरादून में अपनी पत्नी से मिलने जरूर जाता था, लेकिन इस दौरान उसे श्रेया हर वक्त याद रहती. ऐसा लगने लगा था कि श्रेया उस की जिंदगी है. लेकिन अचानक अगस्त 2022 में लेफ्टिनेंट कर्नल रामेंदु उपाध्याय का देहरादून के क्लेमन टाउन में ट्रांसफर हो गया. 4 अगस्त, 2022 को उस ने वहां जौइन भी कर लिया. पंडितवाड़ी में उस का घर भी था और परिवार भी था. लेकिन न जाने क्यों उस की जिंदगी में श्रेया के बिना एक अधूरापन और उदासी सी छाई थी.

कुछ रोज में ही श्रेया के बिना जिंदगी बेजान सी हो कर रह गई. लिहाजा पत्नी से काम का बहाना कर के रामेंदु सिलीगुड़ी गया और वहां से श्रेया को अपने साथ देहरादून ले आया. अभी तक रामेंदु ने सोचा नहीं था कि श्रेया को कहां और कैसे रखना है. इसलिए रामेंदु ने उसे क्लेमनटाउन के ही एक होटल में रहने के लिए कमरा दिलवा दिया.

जिंदगी एक बार फिर रंगीन हो गई. दिन में सेना की नौकरी और रात में होटल जा कर श्रेया की बाहों में वक्त गुजारना, यही रामेंदु की दिनचर्या बन गई. परिवार के पास तो वह बस नाम के लिए ही जाता था.

कर्नल की पत्नी को हुआ शक

लिहाजा उस की पत्नी सविता को शक हो गया. सविता ने पति की निगरानी और पीछा शुरू किया तो जल्द ही उस के सामने यह राज खुल गया कि होटल में रह रही एक युवती से रामेंदु के संबंध हैं. इस बात पर पतिपत्नी में झगड़ा हुआ और दबाव में आ कर रामेंदु ने समय से घर आनाजाना शुरू कर दिया.

उधर मुलाकात नहीं होने के कारण श्रेया रामेंदु से नाराज हो गई और एक दिन बोली, “अगर मुझ से मुलाकात नहीं करनी थी तो मुझे यहां लाने की क्या जरूरत थी.”

परेशान रामेंदु ने कहा, “देखो श्रेया, अभी यहां मामला कुछ गड़बड़ हो गया है इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम कुछ दिनों के लिए सिलीगुड़ी ही चली जाओ.”

“सिलीगुड़ी में क्या मेरी फैक्ट्री चल रही है जो वहां चली जाऊं. न काम है न कोई धंधा, मैं वहां क्या करूंगी और खर्चा कैसे चलेगा.” कर्नल की बात सुन कर श्रेया ने भड़कते हुए कहा.

“अरे परेशान क्यों होती हो जानू, बस कुछ ही दिन की तो बात है. जब पत्नी को थोड़ा विश्वास हो जाएगा तो मैं तुम्हें फिर ले आऊंगा और अब की बार हमेशा के लिए आओगी तुम. जहां तक खर्च और पैसे की बात है तो चिंता मत करो, तुम्हारा सारा खर्च हमेशा की तरह मैं ही उठाऊंगा,” रामेंदु ने भरोसा दिलाते हुए कहा.

इस तरह रामेंदु ने श्रेया को कुछ पैसे दे कर और फिर वापस लाने का वायदा कर वापस सिलीगुड़ी भेज दिया.  इस तरह करीब एक महीना बीत गया. रामेंदु की पत्नी सविता को भी यकीन हो गया कि उस के पति का अब किसी से कोई चक्कर नहीं है.

करीब डेढ़ महीने बाद जब उसे श्रेया की याद सताने लगी तो उस ने श्रेया को फोन कर फिर से देहरादून बुला लिया. लेकिन इस बार उस ने श्रेया को अपने घर व औफिस से दूर राजपुर रोड के एक होटल में ठहरा दिया.

श्रेया खुद को समझने लगी  कर्नल की पत्नी

अपने प्यार को समीप पा कर जिंदगी एक बार फिर ढर्रे पर आ गई. लेकिन इस प्यार की खातिर अब उस की जेब ढीली होने लगी थी. क्योंकि महंगे होटल में रहने से ले कर खाने और शराब के खर्चों के साथ श्रेया की शौपिंग के खर्चों ने रामेंदु उपाध्याय की जेब का बजट बिगाड़ दिया था.

लिहाजा कुछ दिन होटल में रखने के बाद उस ने क्लेमनटाउन में एक फ्लैट किराए पर लिया और श्रेया को वहां रख दिया. धीरेधीरे दोनों ने वहां अपनी गृहस्थी बसा ली.

कुछ दिन तो सब कुछ सही तरीके से चला. साथ रहते रहते श्रेया अब पूरी तरह खुद को रामेंदु की पत्नी मानने लगी थी. बस एक ही कमी थी कि वह पूरे समय और स्थाई उस के साथ नहीं रहता था. इसलिए श्रेया अब अकसर रामेंदु पर साथ रहने और पत्नी का दरजा देने का दबाब बनाने लगी.  शुरू में तो रामेंदु ने इसे केवल श्रेया की महत्त्वाकांक्षा समझा, लेकिन जब वह लगातार इस बात की जिद करते हुए उस के साथ झगड़ा और गालीगलौज करने लगी तो रामेंदु को उस की बातें अखरने लगीं.

सूटकेस में बंद हुआ लिवइन रिलेशन – भाग 2

उस के बाद पुलिस हरकत में आई और नैना के घर से नीचे जाने वाली लिफ्ट से ही जांच की शुरुआत की.  सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि 9 अगस्त, 2023 को एक अंजान व्यक्ति उस लिफ्ट में सवार हुआ था. पुलिस ने उस के बारे में नैना की बहन जया से पता किया तो उस ने बताया कि वह नैना का बौयफ्रेंड मनोहर शुक्ला है. उस के बाद पुलिस ने 9 से 14 अगस्त, 2023 की सीसीटीवी फुटेज निकाली तो उसी में अहम जानकारी मिल गई.

उसी फुटेज में मनोहर शुक्ला अपनी पत्नी व एक साल की बेटी के साथ नीला सूटकेस ले कर जाते हुए दिखाई दिया था. जबकि उस वक्त नैना उन दोनों के साथ नहीं थी. यह जानकारी मिलते ही डीजीपी रजनीश सेठ और पुलिस कमिश्नर मधुकर पांडे भी नैना के मकान पहुंचे.

लिफ्ट में मनोहर शुक्ला को एक सूटकेस के साथ जाते देख तुरंत ही नायगांव पुलिस ने वलसाड पुलिस से संपर्क किया. तब वलसाड पुलिस ने बताया कि 12 अगस्त, 2023 को एक नीले रंग के सूटकेस में युवती की लाश मिली थी, लेकिन काफी कोशिश के बाद भी जब मृतक की किसी ने भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी, जिस के कारण पुलिस ने काररवाई करते हुए उस की लाश का दाह संस्कार करा दिया था.

मनोहर के साथ लिवइन में रहती थी नैना

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने 12 अगस्त को मिले शव वाले सूटकेस से उस का मिलान किया तो दोनों एक ही पाए गए. इस से साफ हो गया था कि नैना का बौयफ्रेंड फ्लैट से जो सूटकेस ले कर निकला था, उसी में नैना की लाश थी और उस का कातिल भी कोई और नहीं, उसी का दोस्त मनोहर शुक्ला ही था.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तुरंत ही मनोहर शुक्ला को पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में लिया. शुरू में तो मनोहर शुक्ला आनाकानी करता रहा, लेकिन पुलिस के मनोवैज्ञानिक सवालों के आगे वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका. उस ने अपना अपराध कुबूल कर लिया.

मनोहर शुक्ला ने नैना महतो की हत्या की हैरतअंगेज कहानी पुलिस के सामने बयां की.

कास्ट्यूम डिजाइनर मनोहर शुक्ला और नैना महतो काफी समय से रिलेशनशिप में थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. फिर ऐसा क्या हुआ कि मनोहर शुक्ला को अपनी प्रमिका को मौत के घाट उतारने के बाद सूटकेस में भर कर मुंबई से 150 किलोमीटर दूर स्कूटर पर रख कर फेंकना पड़ा. इस सब के दौरान आरोपी मनोहर शुक्ला की पत्नी और उस की एक मासूम बच्ची भी उन के साथ ही रही. इस केस के खुलने के बाद इस मामले में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

नेपाल की मूल निवासी 28 वर्षीय नैना महतो साल 2016 में अपने भाई व बहन जया के साथ काम की तलाश में मुंबई आई थी. यहां पर आते ही तीनों ने पूर्वी मुंबई के वसई क्षेत्र में स्थित सनटेक सिटी टाउनशिप में एक छोटा सा मकान किराए पर ले लिया और साथसाथ रहने लगे.

तीनों भाईबहन पढ़े लिखे होने के साथसाथ देखने भालने में भी सुंदर थे. उसी सुंदरता के कारण तीनों को मुंबई में जल्दी ही काम भी मिल गया था. नैना और जया दोनों ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था, जिस की वजह से दोनों बहनों को मुंबई में ब्यूटीशियन के यहां पर काम मिल गया था.

मुंबई में काम करतेकरते दोनों बहनों ने काफी पैसा और शोहरत भी हासिल की. अलगअलग जगहों पर नौकरी करने की वजह से तीनों भाईबहन अलगअलग रह कर अपनाअपना काम संभालने लगे थे. उस समय तक दोनों बहनों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग ही पहचान भी बना ली थी. कुछ ही दिनों में जया ने अपनी नौकरी छोड़ कर अपना काम जमा लिया था. फिर नैना भी अपने घर पर रह कर ही संपर्क सूत्रों से अपना काम चलाने लगी थी.

धारावाहिक की शूटिंग पर हुई थी मनोहर से मुलाकात

वर्ष 2016 में नायगांव के एक टीवी धारावाहिक सेट पर नैना की मुलाकात मनोहर शुक्ला से हुई. महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थित है वसई विरार. यह मुंबई का उपनगर कहलाता है. 43 वर्षीय मनोहर शुक्ला यहीं का मूल निवासी था. मनोहर शुक्ला कौस्ट्यूम डिजाइनर था, जिस के कारण उस की फिल्मों, संगीत थिएटर और अन्य शो पेश करने वालों में अच्छी जानपहचान थी.

मनोहर शुक्ला से जानपहचान होते ही नैना महतो के जैसे पंख लग गए थे. फिर मनोहर शुक्ला के सहारे उस का काम भी ठीकठाक चल निकला था. उसी सब के चलते कुछ ही दिनों में मनोहर शुक्ला से नैना की पक्की दोस्ती हो गई. धीरेधीरे वही दोस्ती फिर प्यार में बदल गई. उस के प्यार में डूब कर मनोहर शुक्ला नैना के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा था.

समय के साथ सब कुछ बदला. नैना ने कुछ ही दिनों में अपना सब कुछ मनोहर शुक्ला को समर्पण कर दिया. दोनों के बीच प्यार की सीमा लांघ कर शारीरिक संबंध भी बन गए. नैना मनोहर शुक्ला को अपना पति मानने लगी थी. उस के बाद दोनों ही एक साथ घर से काम के लिए निकलते और साथसाथ ही घर लौटते थे.

उसी दौरान वर्ष 2019 में एक दिन मनोहर शुक्ला अपने स्कूटर से नैना को विरार में जीवनदानी मंदिर घुमाने ले गया. मंदिर में दर्शन करने के बाद मनोहर शुक्ला ने नैना को बताया कि बहुत ही जल्दी उस की किसी युवती के साथ शादी होने वाली है.

“अच्छा तो कब कर रहे हो शादी और वह कौन खुशनसीब है?” कहते ही नैना ने मनोहर शुक्ला की कमर में हाथ डालते हुए अपना सिर उस के कंधे पर टिका दिया था. मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना का रोमरोम खिल उठा था. तभी उस के मन में खयाल आया कि इसीलिए वह आज उसे मंदिर में घुमाने लाया है.

नैना को पूरी उम्मीद थी कि वह उसी के बारे में बात कर रहा है. तभी मनोहर शुक्ला ने कहा, “तुम्हें मेरी शादी की बात सुन कर तनिक भी दुख नहीं हुआ.”

“इस में दुख की क्या बात है. मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रही हूं और आप दुख की बात कर रहे हो.”

“नैना तुम्हें मेरी शादी से दुख हो या न हो लेकिन मुझे तो बहुत दुख हो रहा है.”

“मैं आप का मतलब नहीं समझी,” मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना चौंकी.

तब मनोहर शुक्ला ने बताया, “मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं, बल्कि किसी और लडक़ी के साथ होने वाली है. मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए एक लडक़ी ढूंढ ली है. मैं ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मेरी एक भी सुनने को तैयार नहीं. इतना ही नहीं, घर वालों ने उस लडक़ी के साथ मेरी सगाई भी कर दी.”

मनोहर शुक्ला ने नैना को सारी हकीकत बता दी थी. प्रेमी की यह बात सुनने के बाद भी नैना उस की बात पर विश्वास करने को तैयार न थी.

मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना को बहुत गहरा सदमा लगा. वह जैसेतैसे कर के मनोहर के साथ अपने घर पहुंची. घर पहुंचते ही दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया. उस दिन उसी मनमुटाव के चलते दोनों के बीच बात इतनी बढ़ी कि मनोहर शुक्ला उस पर हाथ छोडऩे को तैयार हो गया था.

उस रात नैना ने न तो खाना बनाया और न ही कुछ खाया था. उस के कारण मनोहर शुक्ला को भी खाली पेट ही सोने पर मजबूर होना पड़ा. अगली सुबह होते ही मनोहर शुक्ला नैना को बिना कुछ बताए ही वहां से चला गया. घर से निकलते ही उस ने अपना मोबाइल भी स्विच औफ कर लिया था.