प्यार में धोखा न सह सकी पूजा – भाग 2

आरोपियों की निशानदेही पर शव बरामद

पुलिस ने हत्यारोपी की निशानदेही पर कार, लोहे की रौड और सुहेल की बाइक भी बरामद कर ली थी. सुहेल की हत्या कर शव मुरादाबाद के थाना क्षेत्र छजलैट से बरामद किया गया था. उसी कारण उस के शव का पोस्टमार्टम भी मुरादाबाद में ही किया गया था. पोस्टमार्टम के बाद उस का शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया.

पुलिस ने दिनरात एक करते हुए इस मर्डर केस का खुलासा किया तो लोग खुलासे पर भी सवाल उठाने लगे थे. इस खुलासे को ले कर लोगों को मत था कि इस मर्डर में 2 नहीं बल्कि कई लोग मौजूद रहे होंगे.

इसी बात को ले कर सुहेल के घर वालों ने कोतवाली के सामने ही धरनाप्रदर्शन शुरू कर दिया था. उन लोगों की मांग थी कि इस मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाए.

धरनाप्रदर्शन को देखते हुए माहौल खराब होने की आशंका के चलते आसपास के थानों और चौकियों से पुलिस फोर्स बुला ली गई. इस दौरान एसपी (क्राइम) डा. जगदीश चंद्र, एसपी (सिटी) हरवंश सिंह व सीओ बलजीत सिंह भी कोतवाली में मौजूद रहे. इस केस के खुलासे के बाद आरोपी भरत आर्या को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

भरत आर्या को जेल भेजने के बाद पुलिस इस अपराध में शामिल दिनेश टम्टा की खोज में लग गई. वह भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ में उस ने अपना अपराध स्वीकारते हुए बताया कि इस मामले में गांव चोरपानी निवासी योगेश बिष्ट उर्फ यूवी बिष्ट व मनोज सिंह उर्फ मुन्नू नेपाली भी शामिल थे.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तीसरे आरोपी योगेश बिष्ट को भी गिरफ्तार कर लिया. जबकि चौथा आरोपी मुन्नू नेपाली घर से फरार हो गया था.

सुहेल की दुकान पर भरत करता था काम

जिंदगी में कभीकभी ऐसा चक्रव्यूह भी बन जाता है जिस में घिर कर इंसान को अपनी जिंदगी भी दांव पर लगाने पर मजबूर होना पड़ता है. यह कहानी भी एक मजदूर से फौजी बनने तक की ऐसी ही कहानी है. जिस अपराध के कारण उस का जीवन संकट में फंस गया.

उत्तराखंड के जिला नैनीताल के कस्बा रामनगर के चोरपानी बुद्ध विहार कालोनी में हरीश राम अपने परिवार के साथ रहते हैं. वह पेशे से लुहार हैं. हरीश राम के 5 बच्चों में 2 बेटियां और 3 बेटे थे. हरीश राम जैसेतैसे लुहार का काम कर के अपने बच्चों का पालनपोषण कर पाते थे.

बच्चे कुछ समझदार हुए तो बाप के काम में हाथ बंटाने लगे थे. जीतोड़ मेहनत करने के बाद हरीश राम ने सब से बड़े बेटे और उस के बाद एक बेटी की शादी कर दी. 2 बच्चों की शादी के बाद तीसरे नंबर की बेटी पूजा और भरत आर्या का नंबर था. पूजा और भरत आर्या ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी. इस के बाद हरीश राम ने पूजा की पढ़ाई छुड़ा दी थी.

भरत आर्या का शुरू से ही फौजी बनने का सपना था. लेकिन उस नौकरी के लिए उस की गरीबी आड़े आ रही थी. जिसे पूरा करने के लिए उसे काफी मेहनत की जरूरत थी.

हरीश राम की दुकान के पास ही सुहेल सिद्दीकी ने काफी समय पहले स्टेशनरी की दुकान खोल रखी थी. सुहेल का परिवार रामनगर शहर में ही रहता था. वह 5 भाइयों में तीसरे नंबर का था.

हरीश राम के पास इतना काम नहीं था कि वह अपने सभी बच्चों को दुकान पर रख सकें. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए भरत आर्या ने सुहेल की दुकान पर काम कर लिया था. साथ ही उस ने आर्मी में जाने के लिए तैयारी भी करनी शुरू कर दी थी.

पूजा की सुहेल से बढ़ गईं नजदीकियां

भरत आर्या का घर दुकान से कुछ दूर था, इसलिए पूजा ही भरत और पिता का खाना पहुंचाती थी. पूजा देखनेभालने में खूबसूरत और पढ़ीलिखी थी. वह जब कभी खाना ले कर आती तो सुहेल की दुकान पर काम में उस का हाथ बंटाने लगती थी.

सुहेल उस वक्त कुंवारा था. जब कभी पूजा उस की दुकान पर आती तो उस की नजरें उसी पर गड़ी रहती थीं. लेकिन पूजा ने उसे कभी भी ऐसी नजरों से नहीं देखा था.

लेकिन सच्चाई तो यह है कि लोहे को लोहे से घिसते रहो तो एक दिन ऐसा भी

आता है कि लोहे में भी निशान बन जाता है. सुहेल ने पूजा को चाहत भरी निगाहों से देखना शुरू किया तो वह उस की मंशा समझ गई.

पूजा एक पढ़ीलिखी और समझदार थी. वह यह भी जानती थी कि सुहेल मुसलमान है. लेकिन जब किसी के प्रति चाहत का बीज अंकुरित हो जाता है तो उसे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. यही पूजा के साथ हुआ.

पूजा उस वक्त नाबालिग थी. लेकिन सुहेल के प्यार की भावनावों में बह कर उस ने कांटों भरा रास्ता चुन लिया था. उसी वक्त भरत आर्या ने आर्मी की तैयारी करने के लिए सुहेल की दुकान का काम छोड़ दिया. फिर उस की जगह पर पूजा ही काम करने लगी थी. भरत आर्या के दुकान से हटते ही सुहेल की तो जैसे चांदी कट गई. अपने भाई के हटते ही पूजा भी टेंशन फ्री हो गई थी.

सुहेल ने मौके का फायदा उठाते हुए पूजा को पूरी तरह से अपने मोहपाश में फांस लिया था. दोनों के बीच प्यार का बीज अंकुरित होते ही प्यार की बेल भी हरीभरी होने लगी थी. पूजा गरीब घर से थी, जबकि सुहेल खातेपीते परिवार से. यही कारण रहा कि पूजा सुहेल के पीछे पागल हो गई थी. सुहेल ने पूजा के साथ शादी करने का वादा करते हुए उसे हसीन सपने दिखाए तो उस ने भी उस के साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं.

सुहेल ने जीवन भर साथ निभाने का किया था वायदा

भावनाओं की नींव पर जमे प्यार के रिश्तों की डोर जितनी मजबूत होती है, उस से कहीं ज्यादा कच्चे धागे की भांति कमजोर भी. यही कारण था कि पूजा ने सुहेल पर पूरा विश्वास किया और उस के साथ जीवन बिताने के लिए वह अपने परिवार से भी टकराने को तैयार हो गई थी. पूजा के घर वालों ने सुहेल के प्रति उस की दीवानगी देखी तो उसे समझाने की कोशिश की.

पूजा का भाई भरत आर्या ही सब से ज्यादा उस के संपर्क में था. क्योंकि उसे पूजा से बहुत प्यार था. कई बार उस ने अपने परिवार की इज्जत को देखते हुए उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन उस के समझाने का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ. सुहेल के प्रति बढ़ी प्यार की दीवानगी के सामने भाई के प्यार की नसीहत भी काट खाने को दौड़ने लगी थी.

सुहेल ने पूजा पर जादू ही ऐसा कर रखा था कि उस वक्त उसे उस के अलावा कोई नजर नहीं आता था. जब उसे लगने लगा कि पूजा पूरी तरह से उस के प्यार के जाल में फंस चुकी है तब वह अपनी हकीकत पर उतर आया.

एक दिन सुहेल ने पूजा को साथ लिया और एक होटल में पहुंच गया. पूजा ने सोचा कि शायद वह नाश्तापानी करने जा रहा होगा. होटल जा कर उसे पता चला कि उस ने पहले से ही वहां पर एक रूम बुक करा रखा है.

रूम में पहुंचते ही पूजा ने उस से सवाल किया, ‘‘सुहेल, यह क्या? आप मुझे होटल में किस लिए लाए हो?’’

‘‘पूजा, क्या तुम्हें अभी भी मुझ पर विश्वास नहीं? हम दोनों ने एक साथ मिल कर साथ जीनेमरने की कसमें खाई हैं तो फिर तुम परेशान क्यों हो? हम दोनों को अब कोई भी जुदा नहीं कर सकता. फिर हमें एकांत में मिलने से एतराज क्यों? हम थोड़ा नाश्तापानी कर के होटल छोड़ कर चले जाएंगे.’’

प्यार में धोखा न सह सकी पूजा – भाग 1

2अगस्त, 2022 को हर रोज की तरह सुहेल सिद्दीकी ने रात के 9 बजे अपनी दुकान बढ़ाई और घर के लिए निकल पड़ा. वह रोज दुकान से मात्र 20 मिनट में घर पहुंच जाता था, लेकिन उस दिन उसे घर पहुंचने में काफी देर हो गई तो उस के घर वालों ने उस के फोन पर काल की. लेकिन उस का मोबाइल बंद आ रहा था.

मोबाइल फोन बंद आने से उस के घर वाले परेशान हो उठे. उन की परेशानी का कारण था कि सुहेल ने दुकान बंद करते समयघर फोन कर बता दिया था कि वह घर के लिए निकल रहा है.

जब काफी देर इंतजार करने के बाद भी सुहेल घर नहीं पहुंचा तो उस के 2 छोटे भाई बाइक से उस की तलाश में निकल पड़े. लेकिन घर से दुकान तक वह उन्हें कहीं भी नहीं दिखा.

रात काफी हो चुकी थी. उस का मोबाइल भी बंद आ रहा था. मन में तरहतरह के सवाल उठे तो दोनों भाई सीधे रामनगर कोतवाली जा पहुंचे. कोतवाली पहुंच कर उन्होंने कोतवाल अरुण सैनी को भाई के गायब होने की सूचना दी.

सुहेल के गायब होने की सूचना पाते ही पुलिस सक्रिय हो उठी. कोतवाल अरुण सैनी ने तुरंत ही रामनगर की सभी पुलिस चौकियों के प्रभारियोें को इस मामले से अवगत कराते हुए सुहेल को तलाश करने के आदेश दे दिए.

उसी दौरान देर रात किसी ने जानकारी दी कि रात 9 बजे के आसपास सड़क पर किसी बाइक वाले की एक कार के साथ भिड़ंत हो गई थी, जिस से बाइक सवार घायल हो गया था. उस के बाद घायल बाइक सवार को कार वाला ही अपनी कार में डाल कर ले गया था.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने उस क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो सब कुछ सामने आ गया. सुहेल की दुकान से कुछ ही दूरी पर कार सवारों ने उस की बाइक पर टक्कर मार कर उसे गिरा दिया था. उस के बाद उस के साथ मारपीट करते हुए उन्होंने उसे कार में डाल लिया था. कार सवार उस की बाइक को भी साथ ले जाते नजर आए थे.

लेकिन रात का वक्त होने के कारण उन कार सवारों की पहचान नहीं हो पा रही थी. इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने काफी कोशिश की, लेकिन किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंची.

अगले दिन 3 अगस्त, 2022 को सुहेल के भाई जुनैद सिद्दीकी ने अपने भाई का अपहरण करने का आरोप लगाते हुए अज्ञात लोेगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. जुनैद ने पुलिस पूछताछ के दौरान बताया कि उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. लेकिन काफी समय पहले ही चोरपानी के भरत आर्या का उन के भाई के साथ मनमुटाव जरूर हुआ था.

सुहेल के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने रामनगर के कई क्षेत्रों के रास्तों पर लगे सीसीटीवी की फुटेज निकाली. लेकिन कहीं से भी सुहेल या कार सवारों का कोई सुराग नहीं लगा.

सुहेल का पता लगाने के लिए पुलिस पर हर तरफ से दबाव बढ़ता जा रहा था. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाल अरुण सैनी ने कई पुलिस टीमें अलगअलग क्षेत्रों में लगा दी थीं. पुलिस ने हाथीडगर नहर, नरसिंहपुर, मालधन के जंगलों और आसपास की नहरों की खाक छानी, लेकिन कहीं भी सुहेल का पता नहीं चल सका.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने पूछताछ के लिए कई लोगों को हिरासत में लिया. जिन से कड़ी पूछताछ की जा रही थी. उसी दौरान 4 अगस्त, 2022 को पुलिस को सूचना मिली कि मालधन क्षेत्र में एक शव मिला है.

इस सूचना पर तुरंत ही पुलिस मालधन पहुंची. तुमडि़या डैम में शव की तलाश में गोताखोरों को उतारा गया. लेकिन कई घंटों की तलाशी के बाद भी कुछ नहीं मिला. जब इस मामले को हुए पूरे 48 घंटे गुजर गए तो लोग सुहेल की तलाश करने के लिए धरनाप्रदर्शन पर उतर आए.

पुलिस पर बढ़ते दबाव के कारण एसपी (सिटी) हरबंश सिंह ने 4 पुलिस टीमों को सुहेल की तलाश में लगा दिया. उस के साथ ही पुलिस ने शक के आधार पर 15 लोगों को उठाया लेकिन उन से भी कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

इस सब के बाद पुलिस के पास एक ही रास्ता था भरत आर्या से कड़ी पूछताछ करना. सुहेल के घर वाले भी सब से ज्यादा उसी पर शक कर रहे थे. लेकिन सुहेल के साथ भरत आर्या का मनमुटाव हुए काफी लंबा अरसा बीत चुका था. वैसे भी भरत आर्या सेना में था और इस वक्त पठानकोट में तैनात था.

पुलिस चोरगलियां स्थित भरत आर्या के घर पर पहुंची तो वह घर पर ही मिल गया. वह छुट्टी पर आया हुआ था. पुलिस ने भरत आर्या से पूछताछ करने के लिए उसे अपने साथ लिया और कोतवाली आ गई.

पूछताछ में भरत आर्या ने बताया कि वह 14 जुलाई को कुछ दिन की छुट्टी पर आया था. सुहेल से उस का कोई लेनादेना नहीं. न ही उस से उस की कोई बोलचाल थी.

सुहेल की तलाश में पुलिस सभी जगह हाथपांव मार चुकी थी. पुलिस यह भी जानती थी कि कोई भी आरोपी इतनी जल्दी से अपना जुर्म कुबूल नहीं करता. यही सोच कर पुलिस ने भरत आर्या के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो 2 अगस्त, 2022 की रात 9 बजे के आसपास उस के उस नंबर की लोकेशन घटनास्थल के आसपास ही मिली.

फौजी भरत ने स्वीकारा जुर्म

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस समझ गई कि भरत आर्या जो भी पुलिस को बता रहा था, वह सब झूठ था. पुलिस ने फिर से सुहेल के घर वालों से विस्तार से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि सन 2017 में भरत आर्या की बहन सुहेल के संपर्क में आई थी, जिस के कुछ ही समय बाद उस ने खुदकुशी कर ली थी. उस वक्त भरत आर्या के घर वालों ने उस की मौत का जिम्मेदार सुहेल को ही ठहराया था.

जिस के बाद सुहेल और भरत आर्या के बीच मनमुटाव चला आ रहा था. हो सकता है कि उस ने ही अपनी बहन की मौत का बदला लेने के लिए सुहेल का अपहरण कर उस की हत्या कर दी हो.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने भरत आर्या से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ के दौरान भरत आर्या ने अपना जुर्म कुबूलते हुए बताया कि इस हत्या में उस का दोस्त नारायणपुर मूल्या निवासी दिनेश टम्टा भी शामिल था.

पुलिस ने भरत आर्या से उस की लाश के बारे में पूछा तो उस ने पहले तो बताया कि उस की लाश तुमडि़या डैम में डाल दी थी. लेकिन पुलिस तुमडि़या डैम की पहले ही छानवीन करवा चुकी थी. वहां पर कोई लाश नहीं मिली थी.

उस के बाद पुलिस ने देर रात फिर से उस से कड़ी पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का शव मुरादाबाद के थाना क्षेत्र छजलैट में फेंक दिया था. लेकिन सुहेल की लाश को रात के अंधेरे में फेंका गया था. रात होने के कारण भरत आर्या उस जगह को ही भूल गया था.

उस के समाधान के लिए रामनगर पुलिस ने थाना छजलैट से संपर्क किया तो वहां से जानकारी मिली कि पुलिस के हाथ एक लावारिस प्लेटिना बाइक हाथ लगी है. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने बाइक वाली जगह पर जा कर छानबीन की तो उस के पास ही गन्ने के खेत में एक लाश बरामद हुई. लेकिन उस लाश का चेहरा पूरी तरह से विकृत था. उस की पहचान भी नहीं हो पा रही थी. फिर उस की बाइक और उस के कपड़ों के आधार पर घर वालों ने उस की शिनाख्त सुहेल के रूप में की.

नाजायज संबंधों पर भारी पड़ा प्रेम

22 नवंबर, 2016 की सुबह कानपुर (देहात) के थाना सजेती के गांव बसई के रहने वालों ने नहर किनारे बोरी में बंद पड़ी लाश देखी तो थाना सजेती पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आर.के. सिंह पुलिस बल के साथ गांव बसई पहुंच गए. उन्होंने साथ आए सिपाहियों से बोरी खुलवाई तो उस में एक युवक की लाश निकली. लाश देख कर गांव वालों के बीच खड़ा रमेश फफक कर रो पड़ा. क्योंकि बोरी से निकली लाश उस के भाई राजेश की थी.

हत्या की सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) सुरेंद्रनाथ तिवारी भी आ गए थे. उन्होंने भी घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद मृतक के भाई रमेश से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि राजेश के पड़ोस में ही रहने वाली साधना से नाजायज संबंध थे. उसे शक है कि उसी ने राजेश की हत्या कराई है. एसपी थानाप्रभारी को जल्दी से जल्दी हत्यारों को पकड़ने का आदेश दे कर चले गए.

आर.के. सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि पहले राजेश और साधना के बीच प्रेमसंबंध थे. इधर साधना ने लालू से रिश्ते बना लिए थे. इस जानकारी से थानाप्रभारी को लगा कि राजेश का कत्ल नाजायज संबंधों की ही वजह से हुआ है.

25 नवंबर को वह लालू को पकड़ कर थाने ले आए और सख्ती से पूछताछ की तो उस ने राजेश की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि साधना के साथ मिल कर उसी ने राजेश की हत्या की थी, क्योंकि वह साधना को ब्लैकमेल कर रहा था. इस के बाद साधना को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने पुलिस को राजेश की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर (देहात) जनपद की तहसील घाटमपुर के थाना सजेती का एक गांव है बसई. इसी गांव में रामबाबू अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शांति देवी के अलावा 2 बेटियां रमन, साधना और बेटा अजय था. साधना का विवाह उन्होंने गोविंद के साथ किया था. वह थाना सजेती के अंतर्गत आने वाले गांव रामपुर के रहने वाले रघुवर का बेटा था. वह गांव में ही रह कर पिता के साथ खेती करवाता था.

गोविंद साधना जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. साधना भी गोविंद को खूब चाहती थी. दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से बीत रही थी. इसी तरह 3 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला. इस बीच साधना ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंकुर रखा. बेटे के जन्म के बाद उन का भरापूरा परिवार हो गया.

पर उन की यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रह सकी. होनी ने ऐसे पैर पसारे कि दोनों की जिंदगी में तबाही आ गई. गोविंद एक दिन खादबीज लेने घाटमपुर गया तो लौटते वक्त उस का बस से एक्सीडेंट हो गया, जिस में वह बुरी तरह से घायल हो गया. उस के सिर में गंभीर चोट आई थी.

साधना ने पति का काफी इलाज कराया. वह ठीक तो हो गया, लेकिन दिमाग में चोट लगने से वह अर्धविक्षिप्त हो गया. अब वह न काम करता था, न घरपरिवार की देखभाल करता था. वह पागलों की तरह गलीगली में घूमता रहता था. साधना खूबसूरत और जवान थी. पति की दूरी उसे खलने लगी. वह मर्द सुख के लिए बेचैन रहने लगी.

उस ने इस बात पर गहराई से विचार किया तो उस की नजरें पड़ोस में रहने वाले राजेश पर टिक गईं. वह उस के पड़ोस में ही बड़े भाई रमेश के साथ रहता था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. वह शरीर से भी हृष्टपुष्ट था. उस का दूध का कारोबार था. आसपास के गांवों से दूध इकट्ठा कर के वह मंडी में ले जा कर बेच आता था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो रही थी.

राजेश और गोविंद हमउम्र थे. दोनों में दोस्ती भी थी. इसलिए राजेश का साधना के घर भी आनाजाना था. लेकिन गोविंद के पागल होने के बाद उस का साधना के घर आना काफी कम हो गया था. पर देवरभाभी का रिश्ता होने की वजह से दोनों जब भी मिलते, हंसीमजाक कर लेते थे. साधना के मन में उस के लिए चाहत पैदा हुई तो वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगी.

राजेश को साधना के मन की बात का अंदाजा हुआ तो उस का उस के घर आनाजाना बढ़ गया. साधना को खुश करने के लिए वह खानेपीने की चीजें और उपहार भी लाने लगा. इन चीजों को पा कर साधना खूब खुश होती. अब हंसीमजाक के साथ छेड़छाड़ भी होने लगी. साधना अपनी मोहक अदाओं से राजेश को नजदीक आने का निमंत्रण देती, लेकिन राजेश आगे बढ़ने में हिचकता था.

परंतु साधना के खुले आमंत्रण पर हिचकिचाहट त्याग कर जल्दी ही राजेश ने साधना की मन की मुराद पूरी कर दी. मर्यादा की दीवार गिरी तो सिलसिला चल निकला. अब साधना के लिए राजेश ही सब कुछ हो गया. वह भी साधना की देह का ऐसा दीवाना हुआ कि अपनी सारी कमाई उसी पर लुटाने लगा.

घर में क्या हो रहा है, विक्षिप्त होने की वजह से गोविंद को कोई मतलब नहीं था. उस की मौजूदगी में भी कभीकभी साधना राजेश के साथ संबंध बना लेती थी. अगर वह कुछ कहता तो दोनों उसे मारपीट कर भगा देते थे. इस के बाद डर के मारे वह कई दिनों तक घर नहीं आता था.

साधना पूरी तरह स्वच्छंद थी. सास की मौत हो चुकी थी. ससुर साधु बन कर गांव छोड़ कर तीर्थों में भटक रहा था. साधना को कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था, इसलिए वह खुल कर राजेश के साथ रंगरलियां मना रही थी. राजेश रात में घर से निकलता और साधना के घर पहुंच जाता. सुबह होने से पहले वह अपने घर आ जाता.

लेकिन एक रात भेद खुल गया. आधी रात को रमेश की आंख खुली तो उस ने भाई को गायब पाया. मुख्य दरवाजा बाहर से बंद था, इस से वह समझ गया कि राजेश घर से बाहर गया है. वह उस के लौटने का इंतजार करने लगा. राजेश लगभग 2 घंटे बाद घर लौटा तो रमेश उस पर बरस पड़ा. भाई की डांट से राजेश डर गया. उस ने बता दिया कि वह साधना के घर गया था और उस से उस के नाजायज संबंध हैं.

रमेश समझ गया कि राजेश अपनी सारी कमाई साधना के साथ अय्याशी में खर्च कर रहा है, इसीलिए कारोबार में घाटा बता रहा है. रमेश ने भाई को डांटफटकार कर साधना के घर जाने पर रोक लगा दी. यही नहीं, राजेश से सख्ती से हिसाब लेने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि राजेश के पास अब पैसे नहीं बचते थे, जिस से वह साधना की फरमाइशें पूरी नहीं कर पाता था.

राजेश ने पैसे देने बंद किए तो साधना ने भी उसे लिफ्ट देना बंद कर दिया. कभी चोरीछिपे राजेश साधना के घर पहुंचता तो वह उसे दुत्कार कर भगा देती. वह अपमानित हो कर लौट आता. उसी बीच साधना के 3 साल के बेटे अंकुर को डेंगू बुखार हो गया. उस के इलाज के लिए उस ने राजेश से 10 हजार रुपए उधार मांगे.

लेकिन राजेश ने पैसे देने से मना कर दिया. रुपयों को ले कर साधना और राजेश में जम कर झगड़ा हुआ. साधना ने साफ कह दिया कि अगर अब वह उस के घर आया तो वह उसे धक्के मार कर भगा देगी. इस के बाद राजेश का साधना के घर आनाजाना बिलकुल बंद हो गया. साधना को बेटे के इलाज के लिए रुपयों की सख्त जरूरत थी, इसलिए उस ने गांव के ही लालू यादव से 10 हजार रुपए ब्याज पर उधार ले लिए.

इन रुपयों से साधना ने बेटे का इलाज कराया. उचित इलाज होने से अंकुर पूरी तरह स्वस्थ हो गया. बेटा तो स्वस्थ हो गया, लेकिन अब उसे रुपए वापस करने की चिंता सताने लगी. साधना के पास खेती की कमाई के अलावा आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं था. खेती की कमाई से वह किसी तरह घर का खर्च चला पाती थी. लालू के रुपए लौटाने के लिए उस के पास पैसे नहीं थे.

लालू महीने के अंत में ब्याज के रुपए लेने आता था. साधना उसे किसी न किसी बहाने टरका देती थी. जब कई महीने तक साधना ब्याज का पैसा नहीं दे पाई तो लालू का माथा ठनका. वह अपने रुपए कैसे वसूले, इस बात पर विचार करने लगा. उस ने सोचा कि अगर साधना रुपए नहीं देती तो क्यों न वह उस के शरीर से रुपए वसूल ले.

यह विचार आते ही लालू साधना से हंसीमजाक करने लगा. लालू हृष्टपुष्ट युवक था, जिस से साधना को उस के हंसीमजाक में आनंद आने लगा. उस ने सोचा कि अगर लालू उस के रूपजाल में फंस जाता है तो उस की शारीरिक जरूरत तो पूरी होगी ही, उसे उस के पैसे भी नहीं देने होंगे. इस के बाद उस ने लालू को पूरी छूट दे दी. फिर तो जल्दी ही दोनों के बीच संबंध बन गए.

लालू से उस के संबंध क्या बने, वह उस की दीवानी हो गई. लालू भी उस के लिए पागल हो चुका था, इसलिए दिल खोल कर उस पर पैसे खर्च करने लगा. यही नहीं, उस ने अपने पैसे भी मांगने बंद कर दिए.

लालू और साधना के अवैध संबंध बिना किसी रोकटोक के चल रहे थे. लेकिन अचानक राजेश बीच में कूद पड़ा. जब उसे पता चला कि साधना ने लालू से संबंध बना लिए हैं तो वह साधना को ब्लैकमेल करने की कोशिश करने लगा. उस ने साधना से कहा कि वह उस से भी संबंध बनाए वरना वह गांव में सभी से उस के और लालू के संबंधों के बारे में बता देगा.

राजेश की इस धमकी से साधना डर गई. उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बात मानने को तैयार हूं, लेकिन इस के लिए मुझे थोड़ा वक्त दो.’’ इस के बाद जब लालू आया तो साधना ने रोते हुए उस से कहा, ‘‘मेरे और तुम्हारे संबंधों की जानकारी राजेश को हो गई है. अब वह भी मुझ से संबंध बनाने को कह रहा है. संबंध न बनाने पर गांव में सब को बताने की धमकी दे रहा है.’’

साधना की इस बात पर लालू का खून खौल उठा. उस ने कहा, ‘‘तुम किसी भी कीमत पर राजेश से संबंध मत बनाना. मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि वह जिंदगी में कभी भूल नहीं पाएगा. लेकिन इस के लिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.’’

साधना लालू की मदद करने के लिए राजी हो गई तो लालू ने राजेश को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली और मौके का इंतजार करने लगा.

21 नवंबर, 2016 की रात 10 बजे राजेश के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उस ने देखा, साधना का फोन था. फोन रिसीव कर के वह खुश हो कर बोला, ‘‘कहो, कैसे फोन किया?’’

‘‘राजेश, मैं ने तुम्हारी बात मान ली है. तुम अभी आ जाओ.’’ साधना ने कहा.

राजेश तुरंत साधना के घर जा पहुंचा और उसे बांहों में भर लिया. तभी कमरे में छिप कर बैठा लालू निकला और राजेश को पकड़ कर पीटने लगा. राजेश कुछ कर पाता, उस के पहले ही लालू ने उस के गले में अंगौछा लपेट कर कस दिया. राजेश छटपटाने लगा तो साधना ने उस की छाती पर सवार हो कर उसे काबू में कर लिया.

राजेश की मौत हो गई तो दोनों ने उस की लाश को एक बोरी में भरा और रात में ही साइकिल से ले जा कर गांव के बाहर नहर के किनारे फेंक आए. पूछताछ के बाद आर.के. सिंह ने साधना और लालू के खिलाफ राजेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 26 नवंबर, 2016 को कानपुर (देहात) की माती अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.

 – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कल्पना की अधूरी उड़ान : प्रेमिका को देनी पड़ी जान

विकास पालीवाल 

उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के थाना एलाऊ क्षेत्र में एक गांव है नगला लालमन. उसी गांव के 2 भाई यशपाल और शेषपाल सुबह 10 बजे किसी काम से जा रहे थे. गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित जल्लापुर निवासी दिनेश यादव के खेत के पास से गुजर रहे थे. तभी उन की नजर खेत में झाड़ी की ओर गई तो वहां का दृश्य देख कर दोनों भाइयों के पैर थम गए.

झाड़ी के पीछे 21-22 साल की युवती की लाश पड़ी थी. पास जा कर देखा तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वह लाश गांव के ही फेरू सिंह की 22 वर्षीय बेटी कल्पना की थी. उस के चारों ओर खून फैला हुआ था. किसी ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी.

उसी समय दोनों भाइयों ने कल्पना के भाई अवधपाल सिंह को इस बात की जानकारी फोन से दे दी. यह बात अवधपाल ने अपने घर बताने के साथ ही पड़ोसियों को भी बताई.  खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया. घरवालों के साथ ही लालमन गांव के लोग खेत की ओर दौड़े.

गांव की युवती को दिनदहाड़े खेतों पर गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस से गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

यह 17 मार्च, 2021 की सुबह की बात है. भाई अवधपाल व ग्रामीणों ने पास जा कर देखा तो कल्पना की कनपटी पर गोली मारी गई थी. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी थी.

सूचना मिलते ही थाना एलाऊ के थानाप्रभारी सुरेशचंद्र शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. युवती की हत्या की खबर आसपास के गांवों में भी फैल चुकी थी, जिस से वहां देखने वालों की भीड़ जमा हो गई.

लाश देख कर लोग आक्रोशित थे और हंगामा कर रहे थे. थानाप्रभारी ने बिना देर किए अपने उच्चधिकारियों को भी घटना से अवगत करा दिया.

सूचना मिलने पर एसपी अविनाश पांडेय, एएसपी मधुबन सिंह, सीओ (सिटी) अभय नारायण राव के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. एसपी के आदेश पर फोरैंसिक टीम, डौग स्क्वायड की टीम भी वहां पहुंच गई.

उच्चाधिकारियों ने युवती के शव का निरीक्षण किया. शव की दशा इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि गोली मारने से पहले उस के साथ मारपीट भी की गई थी.

क्योंकि उस के दाएं हाथ पर चोट के निशान थे, जिन्हें देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह टूटा हुआ है. गोली बाएं कान के नीचे सटा कर मारी गई थी. इस से लग रहा था कि हत्यारे जानपहचान वाले ही होंगे. चेहरे के चारों ओर खून फैला हुआ था.

पुलिस ने मृतका के घरवालों से बात की. उन्होंने बताया कि कल्पना आज तड़के साढ़े 5 बजे अपने घर से दिशामैदान के लिए निकली थी. लेकिन जब वह 2 घंटे तक वापस नहीं आई तो घर वाले उस की तलाश में जुट गए.

जब उस की तलाश की जा रही थी, तभी उन्हें उस की हत्या की खबर मिली. घर वालों ने बताया कि कल्पना अपने पास मोबाइल रखती थी, लेकिन वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने जब उन से पूछा कि उन की किसी से दुश्मनी या रंजिश तो नहीं है तो कल्पना के भाई अवधपाल सिंह ने बताया कि गांव में उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. फिर सवाल यह था कि हत्या किस ने और क्यों की है?

फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से जरूरी सबूत जुटाए. मृतका के कपड़ों से कुछ भी नहीं मिला. हां, उस का दुपट्टा वहीं खेत की मेड़ पर तह बना कर हुआ रखा मिला.

पुलिस का खोजी कुत्ता भी घटनास्थल से कुछ दूरी तक खेतों में गया. इस पर पुलिस ने खेतों की तलाशी की. लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं मिल सका, जिस से हत्यारे का सुराग मिलता. पानी का डिब्बा गायब था.

कई घंटे तक जांच करने के बाद जब पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव को उठाना चाहा तो ग्रामीणों ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि गुत्थी सुलझने के बाद ही कल्पना का शव उठने दिया जाएगा.

एसपी अविनाश पांडेय ने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया कि मृतका के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर हत्यारों का पता लगाया जाएगा. उन्होंने आक्रोशित लोगों को आश्वासन दिया कि पुलिस शीघ्र ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लेगी. उन के आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हो गए. तब पुलिस ने काररवाई कर शव को मोर्चरी भेज दिया.

मृतका के भाई अवधपाल ने इस संबंध में गांव के ही 2 सगे भाइयों दिनेश और विक्रम के खिलाफ कल्पना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. आरोपित दिनेश शिक्षक है और कुरावली क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत है. वहीं उस का भाई विक्रम गांव में रोजगार सेवक है.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए उन के घर पर दबिश दी, लेकिन वे घर पर नहीं मिले.

मृतका के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन परिवार के लोग कल्पना की हत्या का कारण नहीं बता सके. जबकि भाई अवधपाल ने गांव के ही 2 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अवधपाल ने बताया कि दोनों आरोपित घटना के समय से फरार हैं, इसलिए उन पर शक है.

घर वालों की ओर से बताए गए घटनाक्रम पर पुलिस पूरे तौर पर विश्वास नहीं कर रही थी. युवती की हत्या के मामले में पुलिस की नजर में परिवार के लोग भी शक के दायरे में थे. पुलिस किसी भी तथ्य को नजरंदाज नहीं कर रही थी.

जांच शुरू हुई तो नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं मिला. इस के चलते अन्य पहलुओं पर पुलिस ने जांच शुरू की. घटना का राजफाश करने के लिए सीओ (सिटी) अभय नारायण राय के नेतृत्व में स्वाट और सर्विलांस सहित 4 टीमों को लगाया गया.

शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस में गोली से मौत होने के साथ ही मृतका की बांह पर चोट के निशान थे लेकिन बांह की हड्डी नहीं टूटी थी. इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि युवती का हत्यारे के साथ संघर्ष हुआ था. इसी के चलते उस की बांह में चोट लगी थी.

पुलिस ने ग्रामीणों से भी इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस की जानकारी में आया कि मृतका के गांव के ही एक युवक से प्रेम संबंध थे. पुलिस ने इस बीच कल्पना का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया. काल डिटेल्स की जांच की गई. मोबाइल में एक नंबर ऐसा था, जिस पर सब से ज्यादा बातें होती थीं.

पुलिस ने जब इस संबंध में जानकारी की तो पता चला कि यह नंबर गांव के ही अजब सिंह का है. अजब सिंह की तलाश हुई तो वह गायब था. इस से पुलिस के शक की सुई उस की तरफ घूम गई.

जांच के दौरान पता चला कि अजब सिंह अपनी ससुराल फर्रुखाबाद में है. सर्विलांस के जरिए पुलिस को उस के बारे में अहम सुराग मिलने शुरू हो गए.

दूसरे दिन गुरुवार की रात इंसपेक्टर एलाऊ सुरेशचंद्र शर्मा पूछताछ के लिए उसे ससुराल से थाने ले आए.  पुलिस ने जब उस से पूछताछ शुरू की उस ने युवती के घर वालों पर ही हत्या करने का आरोप लगाते हुए बताया कि जब उस के बुलावे पर कल्पना खेत पर आ गई तो हम लोग झाड़ी की आड़ में बातचीत करने लगे. इसी बीच कल्पना के घर वाले आ गए.

हम लोगों को बातचीत करते देख उन लोगों ने कल्पना के साथ मारपीट शुरू कर दी. जब मैं ने उन्हें रोका तो मेरे साथ भी मारपीट की. कल्पना को गोली मारने के बाद उस के परिवार वाले उसे भी गाड़ी में डाल कर ले गए थे.

एक स्थान पर उसे मुंह बंद करने की हिदायत दे कर वे लोग गाड़ी से उतार कर चले गए थे. राहगीरों ने उसे अस्पताल में भरती कराया. इस के बाद वह अपनी ससुराल चला गया.

इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस को घटना की सूचना क्यों नहीं दी? पुलिस के सवालों में वह उलझ गया. पुलिस की सख्ती करने पर फिर उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

अजब सिंह ने बताया कि उसी ने नाराज हो कर अपनी प्रेमिका कल्पना की गोली मार कर हत्या की थी. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बाइक और तमंचा तथा अजब सिंह का मोबाइल भी बरामद कर लिया.

19 मार्च को प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अविनाश पांडेय ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता आरोपी अजब सिंह और मृतका के बीच प्रेम संबंध थे.

कल्पना की शादी तय होने की जानकारी मिलने के बाद अजब सिंह बौखला गया था. उस ने कल्पना के सामने हमेशा साथ रहने की फरमाइश रख दी. जब इस बात पर वह राजी नहीं हुई तो उस ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी.

इस घटना को औनर किलिंग का मामला बनाने के लिए उस ने ड्रामा रचा, लेकिन पुलिस ने सर्विलांस के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. इस संबंध में जो खौफनाक कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

कल्पना का पिता फेरू सिंह दिल्ली में काम करता है. अवधपाल की गांव में खुद की जमीन कम होने के कारण वह उगाही पर गांव के लोगों की जमीन ले कर खेती करता था. गांव के ही अजब सिंह की छोटी उम्र में ही शादी हो गई थी. वह 2 बच्चों का पिता है.  खेतीकिसानी के कारण उस के कल्पना के घर वालों के साथ अच्छे संबंध थे. उस का कल्पना के घर भी आनाजाना था.

एक दिन अजब सिंह की नजर उस पर पड़ी. कल्पना सुंदर थी. वह उस की सुंदरता देख ठगा सा रह गया. उस ने उसी क्षण उस से दोस्ती करने का निर्णय ले लिया.

अजब सिंह टकटकी लगाए उसे निहारता रहा. कल्पना को भी इस बात का अहसास हो गया कि अजब सिंह उसे देख रहा है. अजब सिंह कसी हुई कदकाठी का युवक था. जवानी की दलहीज पर पहुंची कल्पना का दिल भी उस पर रीझ गया. उसे देख कल्पना का दिल तेजी से धड़कने लगा था.

अब जब भी अजब सिंह कल्पना के घर आता, वह पीने के लिए पानी मांगता. जब कल्पना उसे पानी का गिलास देती वह उस का धीरे से हाथ दबा देता. कल्पना उस के मन की बात जान कर मुसकरा देती. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती हुई फिर प्यार हो गया.

दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए थे, जिस से फोन पर भी उन की बातें होने लगीं. इस के बाद उन का प्यार और गहराता गया. उन के प्रेम संबंधों की किसी को भनक तक नहीं लगी.

अजब सिंह के शादीशुदा होने से कल्पना के परिजनों को उस पर शक नहीं हुआ. इसी आड़ में वह लगातार कल्पना से मिलताजुलता रहा और उस पर काफी पैसा खर्च करने लगा.

कल्पना अब जवान हो गई थी. घर वालों को उस की शादी की चिंता होने लगी. घर वालों ने भागदौड़ कर कल्पना की शादी तय कर दी थी. इस की जानकारी अजब सिंह को हो गई थी.

17 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे अजब सिंह ने मैसेज कर कल्पना को मिलने खेत पर बुलाया. वह भी अपने खेतों की सिंचाई के बहाने बाइक से वहां पहुंच गया था.

कुछ ही देर में कल्पना भी आ गई. अजब सिंह ने उस से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि जब भी फोन करता हूं तुम्हारा फोन बिजी मिलता है. तुम शायद अपने मंगेतर से ज्यादा बातें करती हो. कल्पना, तुम अपने मंगेतर से बात करना बंद कर दो.’’

अजब सिंह और कल्पना के बीच पिछले 4 साल से दोस्ती थी. दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे. अजब सिंह अपनी 2 बीघा जमीन भी प्यार की भेंट चढ़ा चुका था. वह कल्पना पर बहुत पैसा खर्च करता था. उस ने 4 सालों में कई मोबाइल फोन भी ला कर उसे दिए थे.

सब कुछ ठीक चल रहा था. कल्पना के घर वालों ने कल्पना की शादी तय कर दी थी. यह बात प्रेमी अजब सिंह को नागवार गुजरी. उस ने कल्पना से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम्हें पहले की तरह प्यार करता रहूंगा. तुम्हारी शादी जरूर हो रही है लेकिन तुम शादी के बाद भी मुझ से संबंध खत्म मत करना.’’

‘‘देखो, मेरे और तुम्हारे बीच अब तक जो कुछ था, वह अब सब खत्म हो गया है. अब तुम मुझे फोन और मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना. क्योंकि मेरी शादी होने वाली है. और हां, मैं अपने मंगेतर से बात करनी बंद नहीं करूंगी.’’ कल्पना ने जवाब दिया.

अपनी प्रेमिका की इस बेरुखी से अजब सिंह बौखला गया. उसे डर था कि शादी के बाद उस की मोहब्बत उस से छिन जाएगी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच बहस होने लगी. गुस्से में उस ने कल्पना की बांह मोड़ दी, जिस से वह दर्द से कराह उठी और खेत में गिर गई.

इसी बीच अजब सिंह ने तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर रख कर गोली चला दी. कुछ देर तड़पने के बाद कल्पना ने दम तोड़ दिया. इस के बाद अजब सिंह बाइक से वहां से चला गया.

आरोपी अजब सिंह गजब का ड्रामेबाज निकला. उस ने कल्पना के घर वालों को औनर किलिंग में फंसाने के लिए पूरा घटनाक्रम तैयार किया था. उस ने हत्या करने के बाद कुछ दूरी पर अपना मोबाइल तो कुछ दूर जा कर तमंचा फेंक दिया. इस के बाद सीने पर अपने नाखूनों से खरोंच करने के बाद सिर पत्थर पर मार कर खुद को घायल किया.

फिर उस ने कानपुर नगर के बिल्हौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रास्ते में जा रहे राहगीरों की मदद से अपने ऊपर गांव के कुछ युवकों द्वारा मारुति वैन में डाल कर पीटने और यहां फेंकने की बात कह कर स्वास्थ्य केंद्र में भरती हो गया. वहां से खुद को कन्नौज के एक अस्पताल में रेफर कराया, जहां से अपनी ससुराल फर्रुखाबाद आ गया.

अपने ऊपर हमले की झूठी अफवाह फैलाई. पुलिस को उस की यह कहानी समझ नहीं आई थी. कल्पना के घर वालों को फंसाने में वह कामयाब होता, इस से पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अजब सिंह को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस प्रकार 2 निर्दोष भाई जेल जाने से बच गए. कल्पना ने एक बालबच्चेदार व्यक्ति से मोहब्बत कर जो भूल की थी, उस का खामियाजा उसे अपनी जान दे कर चुकाना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आधी-अधूरी प्रेम कहानी: दोस्त ही निकला हत्यारा

7 फरवरी, 2020 की बात है. उस दिन दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाकचौबंद थी. इस की वजह यह थी कि अगले दिन यानी 8 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे.

पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाने में तैनात महिला एसआई प्रीति अहलावत भी अपनी ड्यूटी पूरी कर के घर चली गई थीं. वह दिल्ली के रोहिणी इलाके में किराए के मकान में रहती थीं. ड्यूटी पर वह मैट्रो से आतीजाती थीं. उस दिन भी वह मैट्रो से रोहिणी जाने के लिए निकल गईं.

करीब साढ़े 9 बजे वह रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन पर उतरीं. वहां से वह पैदल ही अपने घर की ओर चल दीं. अभी वह 50 मीटर ही चल पाई थीं कि किसी ने उन के बराबर में आ कर उन पर गोलियां चला दीं. प्रीति को सोचनेसमझने का मौका तक नहीं मिला.

हमलावर ने उन पर 3 गोलियां चलाई थीं, जिन में से 2 गोलियां प्रीति को लगीं और एक गोली बराबर से गुजर रही कार के पिछले शीशे में जा लगी. एक गोली प्रीति के सिर में लगी थी, जिस से वह नीचे गिर गईं और तत्काल उन की मौत हो गई.

उधर से गुजर रहे लोगों ने जब यह देखा तो किसी ने 100 नंबर पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर के सूचना दे दी. कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंच गई. पुलिस को जब पता चला कि वह युवती दिल्ली पुलिस में सबइंसपेक्टर है तो पुलिस कंट्रोल रूम की टीम आश्चर्यचकित रह गई.

सूचना रोहिणी जिले के डीसीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों को दे दी गई. जिस युवती को गोली मारी गई थी, उस के आईडी कार्ड से पता चला कि उस का नाम प्रीति अहलावत है. उस के सिर में गोली लगी थी. देखने में लग रहा था कि उस की मौत हो चुकी है. फिर भी पुलिसकर्मी आननफानन में नजदीकी डा. अंबेडकर अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

अगले दिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे. ऐसे में दिल्ली पुलिस की एक अफसर की गोली मार कर हत्या कर देना एक बड़ी बात थी. कुछ ही देर में दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल पहुंचने लगे.

अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम ने भी घटनास्थल पहुंच कर आवश्यक सबूत जुटाए. मौके से गोली के 3 खाली खोखे बरामद हुए. पता चला कि मृत महिला पुलिस अफसर की ड्यूटी पूर्वी दिल्ली के थाना पटपड़गंज क्षेत्र में थी और वह मूलरूप से हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली थीं.

पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने इस घटना को बहुत गंभीरता से लिया. फोन द्वारा हत्या की सूचना मृतका के घर वालों को दे दी गई थी. इस केस को खोलने के लिए तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को लगा दिया गया.

जिस जगह पर एसआई प्रीति को गोली मारी गई थी, पुलिस ने रात में ही उस क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई. फुटेज को गौर से देखा गया तो उस में एक युवक संदिग्ध अवस्था में दिखाई दिया.

अज्ञात हत्यारे ने मारी गोली

पता चला कि प्रीति जब रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन से उतर कर अपने घर जाने के लिए पैदल निकली तो उस युवक ने उन का पीछा करना शुरू कर दिया था. कुछ दूर चल कर वह युवक तेज कदमों से प्रीति के पास आया और नजदीक जा कर उस पर गोली चला दी. इस के बाद वह तेजी से पैदल चल कर कुछ दूर खड़ी कार के नजदीक पहुंचा और फरार हो गया.

युवक कौन था, पुलिस इस का पता लगाने में जुट गई. प्रीति जिस थाने में तैनात थीं, जांच टीम ने वहां के पुलिसकर्मियों और प्रीति के मातापिता से बात कर कुछ क्लू तलाशने की कोशिश की.

टीम को जानकारी मिली कि प्रीति और दिल्ली पुलिस के ही एक एसआई दीपांशु राठी के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रीति ने दीपांशु से दूरियां बना ली थीं. यह दूरियां क्यों बनीं, इस की जानकारी पुलिस टीम को नहीं मिल सकी.

26 वर्षीय एसआई प्रीति अहलावत की हत्या की वजह कहीं दीपांशु ही तो नहीं है, यह पता लगाना जरूरी था. पुलिस ने दीपांशु के बारे में रात में ही छानबीन की तो पता चला उस की पोस्टिंग उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना भजनपुरा में है.

एसआई दीपांशु के फोन को पुलिस ने सर्विलांस पर लगा दिया. उस के फोन की लोकेशन दिल्ली से सोनीपत होते हुए आगे बढ़ रही थी.

पुलिस जांच टीम एसआई दीपांशु के फोन के आधार पर उन का पीछा करने लगी. क्योंकि दीपांशु से पूछताछ करने के बाद ही जांच टीम अगला कदम उठा सकती थी. रोहिणी जिले के डीसीपी एस.डी. मिश्रा अलगअलग दिशा में काम कर रही पुलिस टीमों के संपर्क में थे. उन के निर्देशन में ही टीमें काम कर रही थीं.

एसआई दीपांशु के फोन की लोकेशन मुरथल के पास जा कर स्थिर हो गई. वैसे वह रहने वाले सोनीपत के थे. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि वह भजनपुरा थाने से अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद शायद अपने घर चला गया होगा. फिर भी पुलिस को दीपांशु से मिल कर पूछताछ करना जरूरी था. लिहाजा 8 फरवरी को सुबह पुलिस टीम उस स्थान पर पहुंच गई, जहां दीपांशु के फोन की लोकेशन मिल रही थी.

लोकेशन ट्रेस करते हुए जांच टीम मुरथल के पास सड़क किनारे खड़ी एक कार के पास पहुंची. उस कार में ध्यान से देखा तो दीपांशु ड्राइविंग सीट पर मृत पड़ा था. उस के हाथ में सरकारी रिवौल्वर थी और उस की कनपटी से खून निकल रहा था. साफ दिखाई दे रहा था कि उस ने गोली मार कर आत्महत्या की थी.

28 वर्षीय एसआई दीपांशु राठी के सुसाइड करने की जानकारी टीम ने डीसीपी एस.डी. मिश्रा को दे दी. इस के बाद तो विभाग में हड़कंप मच गया. क्योंकि एक ही दिन में 2 युवा पुलिस अफसरों की मौत हुई थी. दीपांशु के सुसाइड करने के बाद यह बात स्पष्ट हो गई थी कि दीपांशु राठी ने ही प्रीति अहलावत को गोली मारने के बाद खुद की जीवनलीला खत्म कर ली थी.

सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी सकते में आ गए कि ऐसा क्या हुआ जो दीपांशु ने इतना बड़ा कदम उठाया. फोन कर के यह सूचना दीपांशु के घर वालों को दे दी गई. दीपांशु का घर सोनीपत की शास्त्री कालोनी में था. यह दुखद समाचार सुन कर उस के पिता दयानंद राठी परिवार के अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

अपने जवान बेटे की इस दुखद मौत पर वह बिलखबिलख कर रोते हुए कह रहे थे कि दीपांशु तो बहुत हिम्मत वाला था. उस ने ऐसा कदम क्यों उठा लिया. दयानंद राठी और अन्य लोगों से कुछ जरूरी पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम दिल्ली लौट आई.

सुबह होने पर प्रीति के पिता और घर के अन्य लोग भी दिल्ली पहुंच गए थे. प्रीति की हत्या से सभी गहरे सदमे में थे. उन्हें पता चला कि प्रीति को गोली किसी और ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के ही एसआई दीपांशु राठी ने मारी थी. इस के बाद उस ने खुद को भी गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी.

करीबी फ्रैंड निकला हत्यारा

यह खबर मिलते ही मृतका के पिता बोले कि दीपांशु काफी दिनों से उन की बेटी को परेशान कर रहा था. इस की शिकायत उन्होंने उस के घर वालों से भी की थी, इस के बावजूद उस ने अपनी हरकतें बंद नहीं कीं और हमारी बेटी की जान ले ली. मृतका के घर के सभी लोगों का रोरो कर बुरा हाल था. किसी तरह पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ढांढस बंधाया. फिर टीम ने उन से भी जरूरी पूछताछ की.

मृतकों के घर वालों और घनिष्ठ दोस्तों से पूछताछ करने के बाद जांच टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर युवा एसआई दीपांशु राठी ने एसआई प्रीति की हत्या क्यों की और उन की हत्या कर के खुद सुसाइड क्यों कर लिया?

इस जांच में पुलिस को पता चला कि दोनों पुलिस अफसरों के बीच प्रेम प्रसंग चला था. इन के प्रेम प्रसंग के बीच आखिर ऐसा क्या हो गया, दीपांशु को इतना खतरनाक कदम उठाना पड़ा. इस के पीछे की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह हैरान कर देने वाली थी—

दीपांशु राठी हरियाणा के सोनीपत शहर की शास्त्री कालोनी के रहने वाले दयानंद राठी का बेटा था. दयानंद राठी भी हरियाणा पुलिस में थे. करीब 4 महीने पहले वह एसआई के पद से रिटायर हुए थे. दीपांशु के अलावा उन की एक बेटी थी, जिस की शादी हो चुकी थी.

सन 2018 में दीपांशु का चयन दिल्ली पुलिस में एसआई पद पर हो गया था. ट्रेनिंग के दौरान ही दीपांशु की मुलाकात एसआई की ट्रेनिंग कर रही प्रीति अहलावत से हुई थी. दोनों एक ही बैच के थे. प्रीति अहलावत मूलरूप से हरियाणा के जिला रोहतक की रहने वाली थी.

प्रीति के पिता सीमा सुरक्षा बल में थे जोकि रिटायर हो चुके थे. प्रीति की मां और बड़ी बहन टीचर हैं जबकि भाई न्यूजीलैंड में कंप्यूटर इंजीनियर है. कुल मिला कर वह एक अच्छे परिवार से थी. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रीति ने दिल्ली के रोहिणी में किराए का फ्लैट ले कर रहना शुरू कर दिया था.

ट्रेनिंग के दौरान हुई प्रीति और दीपांशु की मुलाकात धीरेधीरे दोस्ती में बदलती गई. जून 2019 तक दोनों गहरे दोस्त बन गए. दोनों ही पुलिस अफसर बन चुके थे और अपने भविष्य के बारे में अच्छी सोचसमझ रखते थे. धीरेधीरे इन युवा पुलिस अफसरों के दिलों में एकदूसरे के प्रति चाहत पैदा हो गई यानी एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीपांशु ने तो तय कर लिया था कि वह शादी करेगा तो प्रीति से.

अपनीअपनी ड्यूटी से फारिग हो कर दोनों प्यार की बातें करने के लिए रेस्टोरेंट व अन्य जगहों पर जाने लगे. प्रीति को भी दीपांशु अपना हमसफर लगने लगा था. दोनों के दोस्त भी उन की इस गहरी दोस्ती की सच्चाई जानते थे.

दोनों का कई महीनों तक प्रेम प्रसंग चलता रहा. उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. लेकिन दोनों ही इस बात के पक्ष में थे कि शादी घर वालों की सहमति के बाद सामाजिक रीतिरिवाज से ही हो. लिहाजा दोनों ने अपने मन की बात अपनेअपने घर वालों को भी बता दी.

दोनों के परिवार पढ़ेलिखे, समझदार और खातेपीते थे. उन दोनों के प्रेम को देख कर दोनों पक्षों ने शादी के लिए सहमति दे दी. घर वालों की इजाजत मिल जाने से दीपांशु और प्रीति खूब खुश थे. अपनी हदों में रह कर दोनों एकदूसरे को प्यार करते रहे.

इस के बाद उन के मिलने का सिलसिला बढ़ गया. दीपांशु के बात करने का लहजा भी पहले से बदल गया था. वह अभी से प्रीति पर पति जैसा अधिकार जताने वाली बातें करने लगा था. कुछ दिनों तक प्रीति उस के इस व्यवहार को नजरअंदाज करती रही, लेकिन जब उस की यह आदत कम होने के बजाए बढ़ने लगी तो प्रीति को उस का इस तरह का व्यवहार चुभने लगा.

बदल गई प्रीति की सोच

प्रीति ने सोचा कि अभी तो शादी भी नहीं हुई है और दीपांशु इस तरह की बातें करता है. अगर साथ शादी हो गई तब तो वह उस का जीना हराम कर देगा. दीपांशु की यही बातें प्रीति को अखरने लगीं और उस ने तय कर लिया कि वह दीपांशु से शादी हरगिज नहीं करेगी.

अपने इस फैसले से प्रीति ने अपने मातापिता को भी अवगत करा दिया. मांबाप ने भी फैसला बेटी पर छोड़ दिया कि उसे जो अच्छा लगे, करे. इतना ही नहीं, प्रीति के पिता ने दीपांशु से शादी न करने वाली बात दीपांशु के पिता को भी बता दी.

उधर दीपांशु को जब प्रीति के फैसले की जानकारी हुई तो उस ने प्रीति को समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने साफ कह दिया कि वह उसे हमेशा के लिए भूल जाए. प्रीति ने दीपांशु का फोन नंबर अपने फोन में विकीपीडिया के नाम से सेव कर रखा था. अब उस ने उस से मिलना तो दूर फोन पर बात करनी भी बंद कर दी. यह बात दिसंबर 2019 की है.

उधर दीपांशु तो प्रीति के प्यार में दीवाना बन गया था. प्रीति को भुला देना उस के लिए आसान नहीं था. प्रीति द्वारा उस का फोन तक रिसीव न करने पर वह बहुत परेशान रहने लगा. वह कोशिश करता कि किसी तरह प्रीति गुस्सा थूक कर मान जाए और संबंध पहले की तरह सामान्य हो जाएं. लेकिन प्रीति अपने फैसले पर अटल रही.

3 जनवरी, 2020 को दीपांशु ने मैसेज भेज कर प्रीति को मिलने के लिए बुलाया. लेकिन प्रीति ने उस से मिलने से न सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि दीपांशु का फोन नंबर ही ब्लौक कर दिया.

प्रीति की पोस्टिंग पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाने में थी’दीपांशु थाना भजनपुरा में तैनात था. दीपांशु ने एकदो बार प्रीति के थाने जा कर उस से मिलने की कोशिश की लेकिन प्रीति ने मिलने से इनकार कर दिया. दीपांशु प्रीति से मिल कर किसी भी तरह प्रीति को मनाना चाहता था, लेकिन उस की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. इस से वह बुरी तरह टूट गया. अचानक प्रीति उस से इतनी दूरी बना लेगी, ऐसा उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

ऐसे में उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. क्योंकि प्रीति ने उस के लिए अपने दिल का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर लिया था. ऐसे में उस के मन में नकारात्मक विचार पनपने लगे. इसी बीच उस ने एक ऐसा फैसला ले लिया, जिस का दुख न सिर्फ उस के घर वालों को बल्कि प्रीति के घर वालों को भी जिंदगी भर तक सालता रहेगा.

दीपांशु को इस बात की तो जानकारी थी कि प्रीति ड्यूटी पूरी करने के बाद रोहिणी स्थित अपने फ्लैट पर किस रास्ते से जाती है. घटना से 2 दिन पहले दीपांशु किसी केस के सिलसिले में उत्तर प्रदेश गया था. तब वह थाने से सरकारी पिस्टल ले गया था. वहां से लौटने के बाद उस ने वह पिस्टल और गोलियां जमा नहीं कराई थीं. इस की वजह यह थी कि उसे इस पिस्टल से अपनी योजना को अंजाम देना था.

7 फरवरी को अपनी ड्यूटी पूरी कर के दीपांशु अपनी कार से रोहिणी (पूर्व) मैट्रो स्टेशन पहुंचा. वहां उस ने कार एक जगह सड़क किनारे खड़ी कर दी. इस के बाद वह एक जगह खड़े हो कर प्रीति के आने का इंतजार करने लगा. उसे पता था कि प्रीति अपनी ड्यूटी के बाद 9 साढ़े 9 तक मैट्रो स्टेशन पहुंच जाती है.

साढ़े 9 बजे के करीब प्रीति मैट्रो स्टेशन से उतरने के बाद जैसे ही अपने फ्लैट की तरफ पैदल चली, तभी दीपांशु ने उस का पीछा करना शुरू कर दिया और फिर उस के नजदीक पहुंच कर प्रीति पर अपनी सरकारी पिस्टल से 3 फायर किए, जिस में एक गोली उधर से गुजर रही कार के पिछले शीशे में जा कर लगी.

प्रीति के सिर में जो गोली लगी थी, उसी से उस की मौत हो गई. वारदात को अंजाम देने के बाद दीपांशु अपनी कार के पास पहुंचा और वहां से अपने घर की तरफ (सोनीपत) चल दिया. मुरथल के पास पहुंच कर उस ने उसी पिस्टल से खुद को भी गोली मार ली. पुलिस को दीपांशु की कार से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि हो गई कि दीपांशु और प्रीति की मौत दीपांशु को थाने से इश्यू की गई सरकारी पिस्टल से चलाई गई गोलियां से हुई थी.

चूंकि हत्यारे ने खुद भी आत्महत्या कर ली थी, इसलिए पुलिस इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी. बहरहाल, थोड़ी सी नासमझी के कारण दोनों युवा पुलिस अफसरों को न सिर्फ अपनी जान गंवानी पड़ी, बल्कि घर वालों को भी ऐसा दुख दे दिया, जिसे वे जिंदगी भर नहीं भुला पाएंगे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेम कहानी का भयानक अंत: क्यों हुआ प्यार का ऐसा अंजाम

देश भर में विकास हो रहा है, रेल की पटरियों पर इंजन की तरह दौड़ता विकास गांव, कस्बों, शहरों और महानगरों का विकास कागजों पर खड़ी इमारतों, सड़कों और कारखानों का विकास शहरों, महानगरों और कस्बों में भले ही दिख जाए, लेकिन गांवों में कम ही जगहों पर विकास के चरण कमल पड़े नजर आएंगे.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 60 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले का गांव हिंदूपुर ऐसा ही गांव है जहां अभी तक विकास नाम की योजना की हवा नहीं गई है.

हिंदूपुर में गरीबों की बस्ती दूर से ही नजर आती है. गांव में प्रवेश के 2 रास्ते हैं. सड़क भी गांव से कुछ दूर है. गांव के एक ओर 20 साल की नंदिनी (बदला हुआ नाम) का घर है. वह 5 बहनों और 2 भाइयों में सब से छोटी थी. विश्वकर्मा बिरादरी की नंदिनी का घर गांव के गरीब परिवारों में आता था. कच्ची दीवारें और धान के पुआल से बने छप्पर वाला घर.

नंदिनी पढ़ाई में तेज थी. उत्तर प्रदेश में जब सपा का शासन था और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे तब उसे मेधावी छात्रा के रूप में कक्षा 12 पास करने के बाद लैपटौप उपहार में दिया गया था. नंदिनी के घर के सामने ही एक मंदिर बना था, यहीं पर शिवम त्रिवेदी का अकसर उठनाबैठना होता था. शिवम गांव के प्रभावशाली ब्राह्मण परिवार का था. वह घंटों तक यहीं अपना समय गुजारता रहता था.

शिवम नंदिनी के घरपरिवार की मदद भी करता रहता था. इस मदद की एक बड़ी वजह नंदिनी थी, जिसे वह मन ही मन पसंद करने लगा था. यह बात शिवम के परिवार के लोगों को पसंद नहीं थी. जैसेजैसे गांव में शिवम और नंदिनी की दोस्ती आगे बढ़ रही थी, शिवम के परिजन उस का विरोध करने लगे थे.

एक दिन की बात है शिवम और नंदिनी मंदिर पर बैठ कर बातें कर रहे थे. यह बात शिवम की मां को पता चली तो वह अपने छोटे बेटे शुभम के साथ वहां आई और लड़की को बुराभला कहना शुरू कर दिया.

शिवम के घर वालों ने जब नंदिनी को भलाबुरा कहना शुरू किया तो नंदिनी ने भी उन्हें इसी तरह जवाब दिया. यह बात शिवम के भाई शुभम को बुरी लगी. उस ने नंदिनी के साथ झगड़ा शुरू कर दिया. झगड़े के दौरान शिवम पूरी तरह चुप रहा. झगड़े के बाद शिवम के घर वालों ने उसे नंदिनी से दूर रहने की सलाह दी.

शिवम ने भी घर वालों की बात मानते हुए नंदिनी से बात करनी बंद कर दी. कुछ दिन शिवम नंदिनी से दूर रहा भी, लेकिन यह दूरी ज्यादा समय तक बनी नहीं रह पाई. नंदिनी शिवम से शादी करना चाहती थी, इसलिए वह शिवम पर शादी करने का दबाव बनाने लगी.

शिवम घर वालों और नंदिनी के बीच फंसा रहा. आखिर नंदिनी के दबाव में 19 जनवरी, 2018 को नोटरी शपथपत्र के जरिए शिवम त्रिवेदी ने नंदिनी से शादी कर ली. दोनों ने शादी तो कर ली लेकिन अब उन के सामने समस्या यह थी कि गांव और घर के लोगों को अपनी शादी की बात कैसे बताएं.

शादी के बाद दोनों अपने गांव से दूर रायबरेली शहर के साकेतनगर में रहने लगे. जब घर वालों को पता चला तो रायबरेली पहुंच कर उन्होंने शिवम को समझाया. शिवम घर वालों के दबाव में आ गया. इस के बाद वह शादी से मुकरने लगा. बस यहीं से नंदिनी और शिवम के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे. मामला थाना, कोर्टकचहरी तक पहुंच गया.

पुलिस और प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद

शिवम पर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा तो वह परेशान हो गया. नंदिनी ने शिवम पर जो आरोप लगाए उस के अनुसार झगड़े के बाद शिवम सुलह और शादी कराने के लिए उसे एक मंदिर में ले गया.

लेकिन मंदिर में पहले से कई लड़के मौजूद थे. शिवम और उस के साथियों ने वहीं पर नंदिनी के साथ गैंगरेप किया. इतना ही नहीं, उन्होंने उसे चुप रहने की धमकी भी दी. अपने साथ हुए इस धोखे पर नंदिनी ने भी सोच लिया कि वह अब चुप नहीं बैठेगी. उस ने मामला पुलिस में ले जाने और शिवम को सजा दिलाने की ठान ली.

12 दिसंबर, 2018 को नंदिनी रायबरेली जिले की लालगंज कोतवाली पहुंची और आपबीती सुना कर शिवम व उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की दरख्वास्त की, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. तब 8 दिन बाद 20 दिसंबर को नंदिनी ने एसपी रायबरेली को रजिस्टर्ड डाक से अपना शिकायती पत्र भेजा. इस की भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

पुलिस उस की शिकायत पर काररवाई क्यों नहीं कर रही थी, यह बात वह नहीं समझ सकी. पुलिस से निराश हो कर पीडि़त नंदिनी ने रायबरेली में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट की कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्र दिया. 10 जनवरी, 2019 को मजिस्ट्रैट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया.

26 फरवरी, 2019 को पुलिस को कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया गया. तब पुलिस ने दबाव में आ कर मजबूरी में 5 मार्च, 2019 को मुकदमा दर्ज किया. फिर भी कोई काररवाई नहीं हुई तो नंदिनी ने मुख्यमंत्री से शिकायत की. फलस्वरूप 22 सितंबर को शिवम ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.

पुलिस के देर से मुकदमा दर्ज करने और धीमी गति से जांच के चलते शिवम को जल्दी जमानत मिल गई. जमानत देने के पहले कोर्ट ने नंदिनी से कोई संपर्क नहीं किया. 30 नवंबर, 2019 को जब शिवम जेल से छूट कर गांव पहुंचा तो उस के जेल से आने की खुशी में मिठाइयां बंटने लगीं.

नंदिनी को हैरानी हुई कि शिवम इतनी जल्दी जमानत पर जेल से बाहर कैसे आ गया. उस ने अपने परिवार से यह बात बताई और कहा कि कल वह रायबरेली जा कर अपने वकील से मिल कर पता करेगी कि यह कैसे हो गया है? रायबरेली जाने के लिए नंदिनी को सुबह 5 बजे कानपुर से रायबरेली जाने वाली टे्रन पकड़नी थी.

नंदिनी नहीं पहुंच पाई स्टेशन

3 दिसंबर, 2019 की सुबह नंदिनी ट्रेन पकड़ने के लिए अपने घर से निकली. घर से स्टेशन करीब 2 किलोमीटर दूर था. नंदिनी सुबह 4 बजे जब अपने घर से निकली. तब जाड़े का समय था. रास्ते में अंधेरा भी था. नंदिनी के पिता ने उसे स्टेशन छोड़ने के लिए कहा तो उस ने बूढ़े पिता की परेशानी को देखते हुए मना कर दिया. वह अकेली ही घर से निकल गई.

गांव से स्टेशन के रास्ते में कुछ रास्ता ऐसा था, जो सुनसान रहता था. इसी जगह पर नंदिनी पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी गई. नंदिनी खुद को बचाने के लिए मदद के लिए दौड़ रही थी. जली हालत में खुद को बचाने के लिए नंदिनी दौड़ी तो आग और भड़क गई. उस के कपड़े जल कर उस के जिस्म से चिपक गए थे.

रास्ते में एक जगह कुछ लोग दिखे तो नंदिनी वहीं गिर पड़ी. नंदिनी के कहने पर रास्ते में मिले लोगों ने डायल 112 को फोन कर के जानकारी दी. बुरी तरह जली नंदिनी ने वहां पहुंची पुलिस को और बाद में प्रशासन को बताया कि उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने वाले शिवम और उस के साथी थे.

90 फीसदी जली हालत में नंदिनी को पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ले जाया गया. लेकिन उस की गंभीर हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. 3 दिन जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद आखिर नंदिनी ने दम तोड़ दिया. पूरे इलाज के दौरान नंदिनी की बहन और मां लखनऊ से ले कर दिल्ली तक साथ रहीं. उन्होंने उसे तिलतिल कर मरते देखा.

नंदिनी के पिता को दुख है कि घटना के दिन वह उसे स्टेशन तक छोड़ने नहीं गए. नंदिनी खुद अपनी लड़ाई लड़ रही थी. इसलिए वह बेटी के साथ नहीं गए थे. इस के पहले वह उसे स्टेशन तक छोड़ने जाते थे. शिवम द्विवेदी और दूसरे आरोपियों के परिवार के लोग इस घटना के संबंध में तर्क देते हुए कहते हैं कि गुनाह उन के घर वालों ने नहीं किया. उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है.

परिवार के लोग कहते हैं कि नंदिनी को जलाने की घटना जिस समय की है, उस समय उन के लड़के घरों में सो रहे थे. पुलिस ने उन को सोते समय घर से पकड़ा है. अगर उन्होंने अपराध किया होता तो आराम से घर में नहीं सो रहे होते.

शिवम के घर वालों का कहना है कि जब नंदिनी को शिवम से मिलने पर रोक लगा दी गई थी तो उस ने रेप का मुकदमा लिखा कर शिवम और उस के करीबियों को जेल भिजवाने की धमकी दी थी. उन्होंने नंदिनी और शिवम के रायबरेली में रहने की बात से खुद को अनजान बताया.

इन के समर्थक बताते हैं कि जेल से शिवम के छूटने के बाद लड़की ने उसे फिर से जेल भिजवाने की धमकी दी. इस के बाद खुद ही मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जलाया. ये लोग सोशल मीडिया पर  इस बात का प्रचार भी कर रहे हैं कि शिवम को फंसाने और जेल भिजवाने के नाम पर लड़की 15 लाख रुपए मांग रही थी. इस में से 7 लाख रुपए शिवम के परिवार वाले दे भी चुके थे.

लड़की के भाई का कहना है कि उस की बहन पढ़लिख कर परिवार की मदद करना चाहती थी. शिवम के संपर्क में आ कर उसे इस स्थिति का सामना करना पड़ा. कानून मानता है कि मरते समय दिया बयान सत्य माना जाता है. सवाल यह उठता है कि नंदिनी जली अवस्था में निर्दोषों को क्यों फंसाएगी? उस समय तक नंदिनी यह समझ चुकी थी कि उस की मौत तय है.

वह सब से पहले अपने साथ हुई घटना की गवाही देना चाहती थी, जिस की वजह से उस ने पुलिस और प्रशासन को बयान दिया. नंदिनी और शिवम के बीच विवाह का नोटरी शपथपत्र हर बात को साफ करता है. नंदिनी के परिजन पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि पुलिस ने किसी हालत में उन की मदद नहीं की.

रेप के मामलों में उन्नाव आया चर्चा में

उत्तर प्रदेश उन्नाव रेप को ले कर पहले भी चर्चा में रहा है. भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समय मामला राजनीतिक था. अब दूसरी घटना में लड़की को जलाने के बाद मामला राजनीतिक कम सामाजिक ज्यादा बन गया है. एक तरफ समाज के लोग लड़की और उसे दिए गए संस्कारों को जिम्मेदार मान रहे हैं.

उन्नाव में रेप की दूसरी घटना के चर्चा में आने के बाद विपक्ष को सत्तापक्ष को घेरने का पूरा मौका मिल गया. लोकसभा में बहस और हंगामा कर मांग की गई कि महिला सुरक्षा दिवस मनाया जाए. उत्तर प्रदेश की विधानसभा के बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव धरने पर बैठ गए. उन की पार्टी ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार को घेरने का काम किया.

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा लखनऊ के 2 दिन के दौरे से वक्त निकाल कर उन्नाव में नंदिनी के घर वालों से मिलने गईं. इस से एक बार फिर रेप की घटना चर्चा में आ गई. प्रदेश सरकार ने मामले को हलका करने के लिए लड़की के घर वालों को मुआवजा देने का काम किया.

योगी सरकार ने नंदिनी के घर वालों को 25 लाख रुपए की आर्थिक मदद, गांव में 2 मकान और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया.

उन्नाव के मामले के बाद तमाम ऐसी घटनाएं प्रकाश में आने लगीं. इन घटनाओं से समाज की हकीकत का पता चलता है. इस बार रेप कांड सामाजिक है. समाज उन्नाव जिले की घटना को प्रेम प्रसंग मान कर दरकिनार कर रहा है. नंदिनी की मौत के बाद गांव का माहौल गमगीन है. पूरा गांव 2 पक्षों में बंट चुका है. दोनों पक्षों की अलगअलग राय भी है.

नंदिनी के मरने के बाद उस के घर वालों ने नंदिनी का दाह संस्कार या उसे नदी में प्रवाहित करने से इनकार कर दिया. उन्होंने प्रशासन से कहा कि एक बार जल चुकी नंदिनी का दोबारा दाहसंस्कार नहीं करेंगे. इस की जगह उसे दफनाया जाएगा. ऐसा ही हुआ. सरकार ने पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया.

—नंदिनी और उससे जुड़े नाम बदले हुए हैं

जानी जान का दुश्मन

राजवीर देखने में भले ही साधारण व्यक्ति था, लेकिन वह बातों का धनी था. अपनी लच्छेदार बातों से वह किसी का भी मन मोह लेता था. राजवीर मेवाराम की पत्नी उमा के खूबसूरत हुस्न का दीवाना था. उमा भी उस की जवांदिली पर लट्टू थी.

शाम का समय था. राजवीर घर आया तो उमा उस के लिए चाय बना लाई. चाय के साथ गरमागरम पकौड़े भी थे. पकौड़े राजवीर को बहुत पसंद हैं, यह बात उमा जानती थी. राजवीर चहक उठा, ‘‘भई वाह, ये हुई न बात.’’

फिर एक पकौड़ा मुंह में रख कर स्वाद लेते हुए पूछ बैठा, ‘‘तुम मेरे दिल की बात कैसे जान गईं?’’

उमा मुसकराते हुए बोली, ‘‘जब हमारे दिल के साथसाथ शरीर भी एक हो चुके हैं तो दिल की बात एकदूसरे से कैसे छिपी रह सकती है.’’

‘‘वाकई तुम्हारी यह बात बिलकुल सही है. देखो, तुम्हारी चाय का रंग भी तुम्हारे रंग जैसा है. लगता है जैसे चाय में तुम ने अपने हुस्न का रंग मिला दिया हो. चाय का स्वाद भी तुम्हारे जैसा मीठा है. पकौड़े भी तुम्हारे जिस्म के अंगों की तरह गर्म और स्वादिष्ट है.’’

अपने हुस्न की तारीफ का यह अंदाज उमा को अच्छा लगा. वह राजवीर से सट कर उस की आंखों में आंखें डाल कर बोली, ‘‘जो कुछ मेरे पास है, उस पर तुम्हारा ही तो अधिकार है.’’

राजवीर ने उस की दुखती रग को छेड़ते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे खूबसूरत जिस्म पर तो तुम्हारे पति मेवाराम का सर्वाधिकार है. लोग भी उस के ही अधिकार को स्वीकृति देंगे.’’

‘‘वह तो सिर्फ नाम का पति है. बीवी की जगह शराब की बोतल को सीने से लगाए घूमता है, मुझे बिस्तर पर तड़पने के लिए छोड़ देता है. वैसे भी शराब ने उस के शरीर को इतना खोखला कर दिया है कि उस में शबाब के उफनते गुप्त तटबंधों की गरमी शांत करने का माद्दा नहीं बचा.’’

‘‘तुम्हारी हसीन चाहतों की कसौटी पर मैं खरा उतरा हूं कि नहीं?’’ कह कर राजवीर ने उमा के दिल की बात जाननी चाही.

मन के भंवर में डूबी उमा के कानों में राजवीर की बात पहुंची तो एकाएक उस के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई, वह बोली, ‘‘तुम ने मेरे हुस्न की बगिया को अपने प्रेम की बरसात से ऐसा सींचा है कि रोमरोम खिल कर महकने लगा है. तुम्हारे जोश की तो मैं कायल हूं. तुम्हारे साथ आनंदलोक की यात्रा करना सुखद अहसास होता है. मैं तो सोचसोच कर ही रोमांचित हो जाती हूं.’’ उमा बेबाकी से कहती चली गई.

‘‘तो फिर चलें आनंदलोक की यात्रा पर…’’ राजवीर ने उमा के गले में हाथ डाल कर उसे अपने बदन से सटाते हुए कहा. इस पर उमा ने मुसकरा कर मूक सहमति दे दी.

राजवीर उमा के कपोलों को चूमने के साथसाथ उस के होंठों का भी रसपान करने लगा. उमा ने शरमा कर अपना मुंह उस के सीने में छिपा लिया. साथ ही उस ने राजवीर के गले में बांहों का हार डाल दिया. फिर दोनों निर्वस्त्र हो कर एकदूसरे में समा गए.

आनंदलोक की यात्रा पूरी कर के दोनों एकदूसरे से अलग हुए. उन के शरीर पसीने से लथपथ थे, लेकिन चेहरों पर संतुष्टि के भाव थे.

जिला हरदोई के थाना कोतवाली हरपालपुर के अंतर्गत एक गांव है कूड़ा नगरिया. मेवाराम अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. परिवार में पत्नी उमा और 5 बेटियों के अलावा 2 बेटे अश्विनी और अंकुर थे. मेवाराम के पास खेती की जमीन थी, जिस की आय से उस के परिवार का गुजारा हो जाता था.

मेवाराम भागवत कथा करने का भी काम करता था. उस के काम में उस के बड़े भाई सेवाराम भी साथ देते थे. धार्मिक कार्यों में रमे रहने की वजह से मेवाराम पत्नी की शारीरिक जरूरतों पर ध्यान नहीं दे पाता था. वैसे भी वह 50 साल से ऊपर का हो गया था. थोड़ाबहुत दमखम था भी तो उसे धीरेधीरे शराब पी रही थी.

दूसरी ओर 7 बच्चे पैदा करने के बाद भी उमा के बदन की आग अभी तक सुलग रही थी. 45 साल की उम्र में उस ने खुद को टिपटौप बना रखा था. उस की खूबसूरती अभी तक कहर ढाती थी.

शरीर की आग ठंडी न हो तो इंसान में चिड़चिड़ापन आ जाता है, उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता. उमा के साथ भी ऐसा ही था. ऐसे में उस ने अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरा ठौर तलाशना शुरू कर दिया. उसे अपने सुख के साधन की तलाश थी.

उस की तलाश खत्म हुई राजवीर पर. वह भी कूड़ा नगरिया में ही रहता था. उस के पिता रामकुमार चौकीदारी का काम करते थे. 22 साल पहले राजवीर का विवाह कमला से हुआ था. उस से 3 बच्चे हुए. उस की शादी को अभी 6 साल ही बीते थे कि पति की रंगीनमिजाजी से परेशान हो कर कमला अपने 2 छोटे बच्चों को ले कर हमेशा के लिए मायके चली गई.

पत्नी के जाने के बाद राजवीर को शारीरिक सुख मिलना बंद हो गया. उमा की तरह वह भी शारीरिक सुख के लिए दूसरा ठौर ढूंढ रहा था. उस की नजर कई औरतों पर पड़ी, लेकिन उन में से उसे उमा ही मन भाई. उमा की कदकाठी और खूबसूरत देह राजवीर के दिलोदिमाग में उतर गई.

दूसरी ओर उमा भी राजवीर को पसंद करने लगी थी. जब दोनों सामने पड़ते तो एकदूसरे पर नजरें जम जातीं. आग दोनों तरफ लगी थी. दोनों को अपनी अंदरूनी तपिश का अहसास हो गया था.

एक दिन जब मेवाराम घर में नहीं था तो राजवीर उस के घर पहुंच गया. उस के आने का मकसद उमा से नजदीकियां बना कर उस का सान्निध्य पाना था. उमा को उस का आना अच्छा लगा. उस दिन दोनों काफी देर तक बातें करते रहे. न तो उन की बातें खत्म होने का नाम ले रही थीं और न ही उन का मन भर रहा था.

लेकिन जुदा तो होना ही था, दिल पर पत्थर रख कर राजवीर उमा से विदा ले कर घर आ गया. लेकिन दिल की चाहत फिर भी तनमन को बेचैन करती थी. यह ऐसी बेचैनी थी जो दोनों के दिलों को और करीब ला रही थी.

चिंगारी को जब तक हवा नहीं लगती, तब तक वह शोला नहीं बनती. उमा के मन में दबी चिंगारी को अब तक हवा नहीं लगी थी. लेकिन उस दिन राजवीर उस के पास आ कर दबी चिंगारी को एकाएक शोला बना गया था.

मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा तो दोनों एकदूसरे से काफी खुल गए. राजवीर हंसीमजाक करते वक्त जानबूझ कर उमा के शरीर के नाजुक अंगों को छू लेता तो उमा के चेहरे पर मादक मुसकराहट उतर आती. राजवीर का शरीर भी झनझना जाता, दिल बेकाबू होने लगता.

आखिर एक दिन मुलाकात रंग ले ही आई. राजवीर के मन की बात होंठों पर आ गई. उस ने उमा के हाथों को अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर हो, उमा.’’

‘‘सचऽऽ’’ उमा ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.

‘‘हां, तुम बहुत सुंदर हो.’’

‘‘कितनी?’’ उमा ने फुसफुसाते हुए पूछा.

‘‘चांद से भी…’’ इस के आगे वह कुछ नहीं कह सका. वह उस के बदन की गरमी से पिघलने लगा था.

राजवीर की बात सुन कर उमा के चेहरे पर चमक आ गई. राजवीर को नशीली मदमस्त निगाहों से देखते हुए वह उस से सट गई और उस के कानों में फुसफुसा कर बोली, ‘‘शादी कर लो, तुम्हें मुझ से भी सुंदर पत्नी मिल जाएगी.’’

उस की बातों ने आग में घी का काम किया. वह बोला ‘‘लेकिन फिर तुम तो नहीं मिलोगी.’’

‘‘अगर मैं मिल जाती तो तुम क्या करते..?’’ उमा ने शरारत में कहा और बदन को मोड़ कर नशीली अदा से अंगड़ाई ली. उसी वक्त राजवीर के हाथ उस के वक्षस्थल से टकरा गए.

उमा की कातिल अदा उसे पागल कर गई. वह बोला, ‘‘मैं तुम्हें जी भर कर प्यार करता.’’

‘‘कितना?’’ उमा ने उसे उकसाया तो राजवीर ने साहस जुटा कर उमा को अपनी बांहों में ले कर जोर से दबाते हुए कहा, ‘‘इतना.’’

उमा ने राजवीर के अंदर दबी चिंगारी को हवा दे दी, ‘‘बस, इतना ही.’’

‘‘नहीं, इस से भी ज्यादा…और इतना ज्यादा.’’ कहने के साथ ही राजवीर ने उसे बांहों में लिएलिए पलंग पर लिटा दिया.

अपनी अतृप्त प्यास बुझाने की चाह में उमा ने उस का रत्ती भर विरोध नहीं किया. इस की जगह वह उसे और उकसाती रही. लोहार की धौंकनी की तरह चलती दोनों की तेज सांसें और उन के मिलन की सरगम ने कमरे में तूफान सा ला दिया. राजवीर के सामीप्य से उमा को एक अलौकिक सुख का आनंद मिला.

उमा को अपने पति मेवाराम का सामीप्य बिलकुल नहीं भाता था, लेकिन राजवीर को वह दिल से चाहने लगी. वह राजवीर के बारे में सोचने लगी कि क्यों न हमेशा के लिए उसी की हो कर रह जाए.

उस की यह सोच गलत नहीं थी, क्योंकि उस के भीतर मचलते जिस तूफान को उस का पति एक बार भी शांत नहीं कर पाया था, राजवीर ने उस तूफान को पहली मुलाकात में ही शांत कर दिया था.

फिर एकाएक उमा उसे बेतहाशा प्यार करने लगी. उस की आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह निकली. उसे रोते देख राजवीर घबरा गया. वह बोला, ‘‘यह तुम्हें क्या हो गया उमा? तुम पागल तो नहीं हो गईं?’’

‘‘नहीं राजवीर, आज मैं बहुत खुश हूं. तुम ने आज जो सुख, जो खुशी मुझे दी है, उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती. आज तक इतना सुख, इतनी खुशी मुझे मेरे पति से नहीं मिली.

‘‘सुहागरात से मैं जिस सुख की कल्पना करती आ रही थी, आज तुम से मिल गया. उस रात जब वह कमरे में आए और मैं ने घूंघट की आड़ से देखा तो मंत्रमुग्ध सी देखती रह गई. भरेपूरे शरीर और उन की गहरी नशीली आंखों में मैं डूबती चली गई. मैं उन को और वह मुझे देर तक एकदूसरे को देखते रहे, फिर एकाएक उन के स्पर्श ने मेरी तंद्रा भंग कर दी.’’

थोड़ा रुक कर वह बोली, ‘‘वह आए और मेरी बांहों को पकड़ कर बैठ गए. फिर धीरे से घूंघट उठा दिया. कुछ देर वह सम्मोहित से मुझे देखते रहे. उन के होंठ मेरी ओर बढ़े और उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में समेट लिया, फिर मेरे होंठों पर अपने तपते होंठ रख दिए. उन का स्पर्श पा कर मैं सिहर उठी.

‘‘मैं लाज से दोहरी होती गई. मगर मेरा दिल कह रहा था कि वह इसी तरह हरकत करते रहें. उन्होंने बेझिझक मुझे सहलाना शुरू कर दिया, मेरे ऊपर जैसे नशा छा गया. मेरी आंखें धीरेधीरे बंद होती जा रही थीं और बदन अंगारों की तरह दहकने लगा था. फिर मैं भी उन का सहयोग करने लगी.

‘‘बंद कमरे में फूलों की सेज पर जैसे तूफान आ गया था. लेकिन थोड़ी देर में वह तूफान तो शांत हो गया लेकिन मैं फिर भी जलती रही. उस वक्त वह मेरे बदन पर ही नहीं, मेरे दिल पर भी बोझ लग रहे थे. उस का एक ही कारण था कि उन्होंने जो आग मुझ में लगाई थी, उसे बुझाए बिना निढाल हो गए थे.

‘‘पहली रात ही क्या, किसी भी रात वह मुझे सुख नहीं दे पाए. मेरे दुख का कारण वे रातें थीं, जो मैं ने उन के बगल में तड़पते और जलते हुए गुजारी थीं. हमारी जिंदगी जैसेतैसे कट रही थी. देखने वालों को लगता कि मैं बहुत खुश हूं, मगर वास्तविकता ठीक इस के विपरीत थी. मैं ठीक वैसे ही जल रही थी, जैसे राख के नीचे दबी चिंगारी.’’

इतना कह कर उमा ने दुखी मन से अपना चेहरा झुका लिया. राजवीर ने देखा तो उस से रहा न गया, ‘‘दुखी क्यों होती हो उमा, अब तो मैं तुम्हारी जिंदगी में आ गया हूं. मैं तुम्हारी चाहतों को पूरी करूंगा.’’

इस के बाद दोनों के बीच कुछ देर और बातें होती रहीं. फिर राजवीर वहां से चला गया.

उस दिन के बाद से उमा खुश और खिलीखिली सी रहने लगी. दोनों की चाहतें, जरूरतें एकदूसरे से पूरी होने लगीं. किसी को भी इस सब की कानोंकान खबर तक नहीं लगी.

अब जब दोनों का मन होता, एक हो जाते. दोनों का यह खेल बेरोकटोक चलने लगा. देखतेदेखते 5 साल गुजर गए. रात में खेतों की रखवाली के लिए उमा खेत में बनी झोपड़ी में रुक जाती थी. उस के खेतों के बराबर में ही पड़ोसी गांव प्रतिपालपुर के राजेश (परिवर्तित नाम) का खेत था.

जब वह खेत पर होती तो राजेश से बातें करती रहती. दोनों एकदूसरे के खेतों में जानवर घुसने पर भगा देते थे. खेतों के मामले में दोनों पड़ोसी थे. पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है.

यह सब राजवीर ने देखा तो वह उमा पर शक करने लगा कि वह अब उस के बजाए राजेश में रुचि ले रही है. जब वह अपने पति के होते हुए उस से संबंध बना सकती है तो राजेश के साथ संबंध बनाने में उसे क्या दिक्कत होगी.

उस ने कई बार उमा को राजेश से काफी नजदीक हो कर बातें करते देखा तो उस ने समझ लिया कि दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए हैं. राजवीर को यह बात नागवार गुजरी. उस की प्रेमिका उस के होते हुए किसी और से संबंध रखे, यह उसे मंजूर नहीं था.

8 जनवरी, 2020 की शाम 4 बजे उमा खेतों की रखवाली के लिए गई. अगले दिन सुबह उस की लाश खेत में पड़ी मिली. गांव वालों के बताने पर उमा के बच्चे खेतों पर पहुंचे. मेवाराम भागवत कथा के लिए कहीं गया हुआ था, किसी ने इस घटना की सूचना हरपालपुर थाना कोतवाली को दे दी थी.

सूचना पा कर इंसपेक्टर भगवान चंद्र वर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतका के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. लेकिन गले पर दबाए जाने के निशान थे.

निरीक्षण के बाद उन्होंने उमा के बच्चों व ग्रामीणों से पूछताछ की तो उन्होंने उस के प्रेमी राजवीर पर शंका जताई. इस के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और उमा की बेटी मुसकान को ले कर थाने आ गए.

इंसपेक्टर वर्मा ने मुसकान की तरफ से लिखित तहरीर ले कर राजवीर के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

राजवीर घर से फरार था. 13 जनवरी, 2020 की सुबह 5:20 बजे एक मुखबिर की सूचना पर इंसपेक्टर वर्मा ने राजवीर को गांव अर्जुनपुर के पास से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने उमा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

8 जनवरी को उमा खेतों में खड़ी गेहूं की फसल की रखवाली के लिए गई थी. रात 8 बजे राजवीर उस के पास पहुंचा तो वह अकेली थी. राजेश से संबंध होने की बात कह कर वह उमा से भिड़ गया. वादविवाद होने पर दोनों में गालीगलौज होने लगी. इस पर राजवीर ने उमा को दबोच कर दोनों हाथों से उस का गला दबा दिया, जिस से उमा की मौत हो गई. उस के मरते ही राजवीर वहां से फरार हो गया.

राजवीर की गिरफ्तारी के बाद इंसपेक्टर वर्मा ने आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी कर के उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य: सत्यकथा, मई 2020

आशिकी में फना : परिवार बना प्रेमी का हत्यारा

अब्दुल मलिक का प्रौपर्टी डीलिंग का काम था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लौकडाउन था. अब्दुल मलिक का औफिस भी बंद था. 4 अप्रैल, 2020 को शाम के वक्त वह घर में ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. अब्दुल मलिक ने स्क्रीन पर नजर डाली तो उस के चेहरे पर मुसकान दौड़ गई, नंबर उस की प्रेमिका सूफिया का था.

घर वालों के सामने वह प्रेमिका से खुल कर बात नहीं कर सकता था, लिहाजा कमरे से बाहर निकल गया. अब्दुल मलिक लखनऊ के थाना सआदतगंज के नौबस्ता मंसूरनगर में रहता था. उस की प्रेमिका सूफिया का घर उस के घर से करीब 100 मीटर दूर था.

बाहर जा कर वह सूफिया से धीरेधीरे बात करने लगा. सूफिया ने उसे बताया कि उस के अब्बू और भाई ने उस की पिटाई की है और वह उस से कुछ बात करना चाहते हैं. उन्होंने तुम्हें अभी घर बुलाया है, थोड़ी देर के लिए घर आ जाओ.

सूफिया की बात सुन कर अब्दुल मलिक परेशान हो गया. उस ने उसी समय फोन कर के अपने दोस्त अब्दुल वसी को बुलाया और मोटरसाइकिल पर दोस्त को ले कर सूफिया के घर पहुंच गया. सूफिया के घर उस के परिवार के लोगों के अलावा उस के ताऊ सुलेमान भी अपने दोनों बेटों रानू और तानू के साथ मौजूद थे.

अब्दुल मलिक और अब्दुल वसी जब वहां पहुंचे तो घर में शांति थी. वहां मौजूद सब लोग उन दोनों को इस तरह से देखने लगे जैसे उन्हें उन के ही आने का इंतजार हो. सूफिया भी अपने कमरे से बाहर निकल आई.

सूफिया के बाहर आते ही उस का भाई दानिश भड़क उठा. वह तेज आवाज में बोला, ‘‘अभी तुझे इतना समझाया था, तेरी समझ में कुछ नहीं आया जो यार की आवाज सुनते ही बाहर आ गई. लगता है तू ऐसे नहीं मानेगी. अब देखता हूं कि तुझे बचाने के लिए कौन आता है.’’

इतना कह कर वह सूफिया पर टूट पड़ा और कमरे में रखे डंडे से उस की पिटाई करने लगा. घर वालों ने कुछ देर पहले ही उस की काफी पिटाई की थी, जिस से उस का बदन दुख रहा था. फिर से पिटाई होने पर वह बुरी तरह कराहने लगी.

उस का दुख और कराहट अब्दुल मलिक से देखी नहीं गई. लिहाजा वह प्रेमिका को बचाने के लिए आगे आया. जैसे ही वह सूफिया को बचाने के लिए बढ़ा, तभी दानिश बहन को छोड़ अब्दुल मलिक पर टूट पड़ा.

सूफिया ने मलिक को बचाने का प्रयास किया तो उस के पिता उस्मान और ताऊ सुलेमान आ गए. उन दोनों ने सूफिया को धक्का दे कर अलग गिरा दिया. फिर वे दोनों भी मलिक पर टूट पड़े.

अपने दोस्त को बचाने के लिए वसी आगे आया तो सुलेमान के दोनों बेटे रानू और तानू ने अब्दुल वसी को दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. वे सब अब्दुल मलिक और वसी पर अपनी भड़ास उतार रहे थे. सूफिया लहूलुहान हो चुकी थी. इतने पर भी वह किसी तरह अपने प्रेमी को बचाने की कोशिश करती रही. पर उस की कोशिश नाकामयाब रही.

इसी दौरान अब्दुल वसी किसी तरह उन के चंगुल से छूट कर वहां से निकला. वहां से भाग कर वह सीधे थाना सआदतगंज पहुंचा, क्योंकि नौबस्ता मंसूरनगर इसी थाने के अंतर्गत आता है.

लौकडाउन वैसे ही पुलिस का सिरदर्द बना हुआ. जिस समय अब्दुल वसी सआदतगंज थाने पहुंचा, उस समय एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) विकासचंद्र त्रिपाठी, एसीपी अनिल कुमार यादव के साथ सर्किल के पुलिसकर्मियों के साथ मीटिंग कर रहे थे.

अब्दुल वली ने यह जानकारी एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) विकासचंद्र त्रिपाठी को दी. वह खुद भी घायल था. एडिशनल डीसीपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए थानाप्रभारी को तुरंत मौकाएवारदात पर रवाना कर दिया.

इस के बाद वसी ने फोन कर के यह सूचना अपने दोस्त अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम को भी दे दी. उस्मान और उस के घर के लोगों द्वारा अपने बेटे की पिटाई करने की खबर सुन कर करीम भौंचक रह गए. वह भी परिवार के लोगों के साथ गुस्से में उस्मान के घर की तरफ दौड़े.

उस के घर वाले जब उस्मान के घर पहुंचे तो पहले ही वहां पुलिस मौजूद थी. लेकिन वहां का माहौल बड़ा गमगीन था. घर में अब्दुल मलिक और उस की प्रेमिका सूफिया की लाशें पड़ी थीं. दोनों ही लाशें खून से लथपथ थीं. खून लगे डंडों के अलावा वहां खून सनी ईंटें भी पड़ी थीं. लग रहा था कि दोनों की हत्या डंडों से पीटपीट कर की गई थी.

जवान बेटे की लाश देख कर अब्दुल करीम का कलेजा गले में आ गया. वह बिलखबिलख कर रोने लगे. पुलिस ने उस्मान से उन दोनों हत्याओं के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी सहजता से स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बेटी सूफिया और अब्दुल मलिक की हत्या की है.

पुलिस ने उस्मान को उसी समय हिरासत में ले लिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी दे दी.

सूचना पा कर एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) विकासचंद्र त्रिपाठी और एसीपी अनिल कुमार यादव कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भी मौकामुआयना करने के बाद आरोपी उस्मान से पूछताछ की. पुलिस ने मौके से सारे सबूत अपने कब्जे में ले लिए.

अब्दुल मलिक की हत्या की सूचना मिलते ही उस के घर में जैसे कोहराम मच गया. उस की पत्नी तो रोतरोते बारबार बेहोश हो रही थी. महिलाएं किसी तरह उसे संभाले हुई थीं.

इस दोहरे हत्याकांड की खबर सुन कर मोहल्ले के कई लोग उस्मान के घर के सामने जमा होने लगे, लेकिन लौकडाउन की वजह से उन्हें एक साथ एकत्र नहीं होने दिया गया. अधिकांश को पुलिस ने उन के घर भेज दिया. मृतकों के परिवार के जो नजदीकी लोग वहां बचे थे, उन्हें सोशल डिस्टैंस की बात कह कर एकदूसरे से एक मीटर दूर खड़े रहने के निर्देश दिए.

जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने अब्दुल मलिक और सूफिया के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए. उस्मान ने अपनी बेटी और उस के प्रेमी मलिक की हत्या खुद अकेले ही करने की बात कही थी, लेकिन यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी कि अकेला आदमी 2 जनों की हत्या, वह भी डंडे से पीट कर कैसे कर सकता है. इसलिए पुलिस ने उस्मान से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच्चाई उगल दी.

उस्मान ने बताया कि दोनों की हत्या में उस के साथ उस का बेटा दानिश भी था. पूछताछ में यह भी पता लगा कि इस दोहरे हत्याकांड में उस्मान का बड़ा भाई सुलेमान, सुलेमान के दोनों बेटे रानू व तानू भी शामिल थे.

मुस्तैदी दिखाते हुए पुलिस ने दानिश को भी उसी समय हिरासत में ले लिया. इस के बाद पुलिस ने सुलेमान के घर दबिश दे कर उसे व उस के बेटे रानू को भी हिरासत में ले लिया जबकि दूसरा बेटा तानू फरार हो गया था.

चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने ले आई. उन सब से अब्दुल मलिक और सूफिया की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने जो कहानी बताई, वह प्यार की बुनियाद पर रचीबसी निकली

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक थाना है सआदतगंज. शहर में स्थित इस थाने के अंतर्गत आता है नौबस्ता मंसूरनगर. यहीं पर अब्दुल मलिक अपनी पत्नी और 4 बच्चों के साथ रहता था. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था.

उस के घर से कोई 100 मीटर दूर उस्मान और सुलेमान रहते थे. अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम और सुलेमान की आपस में अच्छी दोस्ती थी. पारिवारिक संबंधों की वजह से उन का एकदूसरे के घर आनाजाना था.

अब्दुल मलिक भी उन के यहां आताजाता था. वहीं पर उस की मुलाकात उस्मान की 19 वर्षीय बेटी सूफिया से हुई. सूफिया बहुत खूबसूरत थी. हालांकि 32 वर्षीय अब्दुल मलिक शादीशुदा था, लेकिन इस के बावजूद उस का मन सूफिया पर डोल गया. उस ने उस की छवि अपने दिल में बसा ली. यह करीब एक साल पहले की बात है.

सूफिया भी जवानी के उफान पर थी. उस की हसरतें उड़ने के लिए फड़फड़ा रही थीं. चूंकि अब्दुल मलिक शादीशुदा होने की वजह से इस मामले में अनुभवी था, लिहाजा उस ने अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. इस तरह दोनों के बीच प्यार का सफर शुरू हो गया. लेकिन इस सफर का अंत क्या होगा, इस बात पर दोनों में से किसी ने भी गंभीरता से नहीं सोचा.

अब्दुल मलिक और उस्मान के पारिवारिक संबंधों की आड़ में उन का प्यार अमरबेल की तरह बढ़ता गया. दोनों के ही घर वालों ने अब्दुल मलिक और सूफिया की बातों को कभी शक के नजरिए से नहीं देखा.

बाद में जब अब्दुल मलिक का उस्मान के घर आनेजाने का सिलसिला ज्यादा बढ़ गया और उस के आने पर सूफिया की खुशी उस के चेहरे पर झलकने लगी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर शक होने लगा.

दोनों की पोल एक दिन तब खुली जब दानिश के एक दोस्त ने दोनों को लखनऊ के गौतमबुद्ध पार्क में झाड़ी की ओट में बैठ कर बातचीत करते देख लिया. उस दोस्त ने यह बात सूफिया के भाई दानिश को बता दी. दानिश के लिए यह बेइज्जती वाली बात थी. लिहाजा उस ने इस बारे में अपनी अम्मीअब्बू को बता दिया.

इस के बाद सूफिया के घर वालों को यह बात समझने देर नहीं लगी कि अब्दुल मलिक का उन के घर आने का असली मकसद क्या है. बहरहाल, उन्होंने ज्यादा होहल्ला करने के बजाए सूफिया को ही समझाया. इस के अलावा उन्होंने अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम से भी इस बारे में शिकायत की.

चूंकि अब्दुल करीम सूफिया के ताऊ सुलेमान के दोस्त थे, इसलिए सुलेमान ने भी अब्दुल करीम से बात की. करीम ने बेटे मलिक को समझाया कि वह शादीशुदा और 4 बच्चों का बाप है, इसलिए इस तरह की हरकतों से बाज आए.

घर वालों के समझानेबुझाने पर अब्दुल मलिक और सूफिया कुछ दिनों तक नहीं मिले. हां, फोन पर बातें जरूर कर लेते थे. दोनों ने तय कर लिया था कि चाहे कोई भी उन के ऊपर बंदिशें लगाए, जुदा नहीं होंगे. उन का प्यार हमेशा बरकरार रहेगा.

अब्दुल मलिक ने जब उस्मान के घर जाना बंद कर दिया तो वे लोग समझ गए कि अब मलिक और सूफिया ने मिलनाजुलना छोड़ दिया है, जबकि हकीकत कुछ और ही थी. दोनों प्रेमियों के दिलों में प्यार की आग ठंडी नहीं पड़ी थी, बल्कि मुलाकात न होने पर उन की चाहत और बढ़ गई थी.

आखिर चोरीछिपे उन्होंने घर के बजाय रेस्टोरेंट आदि जगहों पर मिलना शुरू कर दिया था. लेकिन उन की यह लुकाछिपी ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रह सकी.

एक दिन सूफिया के भाई दानिश ने खुद अपनी बहन सूफिया को आलमबाग इलाके में अब्दुल मलिक की मोटरसाइकिल पर घूमते देख लिया. यह देख कर उस का खून खौल उठा, लेकिन उस समय वह कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मलिक की मोटरसाइकिल आगे निकल गई थी.

उस दिन सूफिया जब घर लौटी तो दानिश ने उसे आड़ेहाथों लिया. बेटे की शिकायत पर उस के पिता उस्मान ने सूफिया की जम कर पिटाई की. इतना ही नहीं, उस ने बेटी को हिदायत दी कि अगर उस ने मलिक से मिलना नहीं छोड़ा तो अंजाम बुरा होगा.

उस्मान इस बात को नहीं जानता था कि प्यार पर जितना पहरा बैठाया जाता है, वह उतना ही मजबूत होता है. यही हाल अब्दुल मलिक और सूफिया के प्यार का था. वे तन से ही नहीं, मन से भी एकदूसरे के हो चुके थे.

यह बात अब्दुल मलिक की पत्नी को भी पता थी. उस ने भी अपने शौहर को बहुत समझाया पर उस ने पत्नी की बातों को तवज्जो नहीं दी. इस के बाद उस की बीवी ने उस से झगड़ना शुरू कर दिया. नतीजा यह निकला कि उस के प्रेम संबंध को ले कर घर में कलह रहने लगी.

मलिक को उस के घर वाले भी समझातेसमझाते हार चुके थे, पर उस ने सूफिया से मिलना नहीं छोड़ा. सूफिया ने भी घर वालों की परवाह न कर के अब्दुल मलिक के घर जाना शुरू कर दिया. सूफिया की इस जिद से उस के घर वाले भी तंग आ चुके थे. वे उसे समझाने के साथ उस की पिटाई करकर के उकता गए थे.

पूरे मोहल्ले में उन के घर की खूब बदनामी हो रही थी. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे में वे क्या करें. शनिवार 4 अप्रैल, 2020 की बात थी. दोपहर के बाद सूफिया अपने प्रेमी अब्दुल मलिक से मिलने उस के घर गई. यह जानकारी जब सूफिया के घर वालों को हुई तो उस के घर लौटने पर भाई और अब्बा ने उस की पिटाई की.

जानकारी मिलने पर सूफिया के ताऊ और उस के दोनों बेटे रानू और तानू भी सूफिया को समझाने के लिए पहुंच गए. सूफिया ने पिटने के बाद भी कह दिया कि चाहे उस की जान चली जाए, वह अब्दुल मलिक को नहीं छोड़ेगी. इस जिद पर उस के घर वालों ने उस की और पिटाई की.

सूफिया की जिद पर घर वाले समझ गए कि अब वह किसी भी कीमत पर मानने वाली नहीं है.

इस के लिए वह अब्दुल मलिक को ही कसूरवार मान रहे थे. उस की वजह से ही उन की इज्जत पूरे मोहल्ले में तारतार हो रही थी. इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि वे मलिक को इस की सजा जरूर देंगे.

पिटाई के बाद सूफिया अपने कमरे में चली गई थी. इस के बाद घर के सभी लोगों ने योजना बनाई कि किसी बहाने से अब्दुल मलिक को बुला कर उसे ऐसी सजा दी जाए कि उस के घर वाले भी याद रखें.

योजना के अनुसार उन्होंने सूफिया से कहा कि तू अब्दुल मलिक को फोन कर के बुला ले. उस से भी पूछ लें कि वह शादीशुदा होने के बावजूद तुझ से शादी करने को तैयार है भी या नहीं.

अपने घर वालों की यह बात सुन कर सूफिया थोड़ी खुश हुई कि शायद घर वाले उस की शादी मलिक से कराने के लिए राजी हो गए हैं.

इसलिए उन के कहने पर उस ने प्रेमी अब्दुल मलिक को अपने घर बुला लिया. सूफिया के कहने पर अब्दुल मलिक अपने दोस्त वसी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर सूफिया के घर पहुंच गया.

लेकिन सूफिया के घर वाले तो पूरी योजना बनाए बैठे थे. जैसे ही वह वहां पहुंचा, सभी उस पर डंडा ले कर टूट पड़े. किसी तरह वसी वहां से जान बचा कर भागा और सीधे थाने पहुंच गया. इसी दौरान उस्मान और उस के भाई सुलेमान व उन के बच्चों ने अब्दुल मलिक व सूफिया की डंडों से पीटपीट कर हत्या कर दी और ईंट मारमार कर उन के सिर फोड़ दिए.

चारों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने अब्दुल करीम की शिकायत पर चारों आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 147, 323, 302, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने वारदात में प्रयुक्त 3 डंडे, ईंट भी बरामद कर ली.

चारों आरोपियों उस्मान, दानिश, सुलेमान और रानू को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें लखनऊ कारागार भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

सौजन्य: सत्यकथा, मई 2020

जीजा पर पड़ी भारी, ब्लैकमेलर साली

शर्मा आटो गैराज में काम करने वाला उत्तम कृष्ण करीब 11 बजे जब गैराज पर पहुंचा तो शटर गिरा हुआ मिला. उसे आश्चर्य हुआ, क्योंकि गैराज के मालिक जितेंद्र शर्मा रोजाना 9 बजे ही गैराज खोल देते थे. उत्तम कृष्ण इस गेराज में एक साल से काम कर रहा था, लेकिन उसे सुबह को कभी भी गैराज बंद नहीं मिला था.

जितेंद्र को कभी आने में देर हो जाती तो वह उत्तम को फोन पर सूचना दे कर गैराज खोलने के लिए बोल देते थे. उत्तम सोच रहा था कि जितेंद्र अभी तक क्यों नहीं आए. वह गैराज के बाहर ही उन के आने का इंतजार करने लगा. तभी उत्तम का ध्यान दुकान पर लगने वाले तालों पर गया तो वह चौंका शटर के दोनों ताले खुले थे.

उत्तम ने आगे बढ़ कर शटर ऊपर उठा दिया. उस की नजर गैराज के अंदर गई तो उस की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. जितेंद्र शर्मा का शव दुकान के अंदर लगे लोहे के पिलर पर रस्सी के फंदे से झूल रहा था.

अपने मालिक की लाश लटकते देख कर उत्तम के मुंह से चीख निकल गई. उस के चीखने की आवाज सुन कर आसपास के दुकानदार जमा हो गए. घटना की सूचना थाना नीलगंगा के टीआई संजय मंडलोई को दे दी गई.

धन्नालाल की जिस चाल में शर्मा गैराज था, वह इलाका थाना नीलगंगा में आता था. कुछ ही देर में टीआई संजय मंडलोई एसआई जयंत सिंह डामोर, प्रवीण पाठक आदि के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने जरूरी जांच के बाद शव को फंदे से उतारा और प्राथमिक काररवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने गैराज की तलाशी ली तो वहां 5 पेज का एक सुसाइड नोट मिला. सुसाइड नोट के 3 पेजों पर जितेंद्र ने देवास में रहने वाली अपनी चचेरी साली का जिक्र किया था. सुसाइड नोट के हिसाब से जितेंद्र शर्मा ने चचेरी साली की ब्लैकमेलिंग से तंग आ कर आत्महत्या की थी.

जितेंद्र ने अपने सुसाइड नोट के एक पेज पर पत्नी शोभा को मायके जा कर रहने व दूसरी शादी करने की सलाह दी थी. पुलिस ने सुसाइड नोट हैंडराइटिंग की जांच के लिए एक्सपर्ट के पास भेज दिया. सुसाइड नोट में साली का जिक्र आया था, इसलिए पुलिस ने पूछताछ के लिए देवास में रहने वाली जितेंद्र की साली के बारे में पता किया तो वह घर से लापता मिली.

उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर के निर्देश पर टीआई संजय मंडलोई ने जांच की जिम्मेदारी एसआई जयंत सिंह डामोर को सौंप दी. मृतक का क्रियाकर्म हो जाने के बाद जांच शुरू करते हुए एसआई डामोर ने मृतक की पत्नी शोभा से पूछताछ की. उस ने अपने पति द्वारा चचेरी बहन पर लगाए आरोपों को सच बताया.

शोभा ने पुलिस को यह भी बताया कि घटना से एक दिन पहले जितेंद्र ने अदिति शर्मा के साथ अपने संबंध और उस के द्वारा ब्लैकमेल करने की बात उसे तथा अपने पिता को बताई थी. जिस पर हम ने उन्हें काफी समझाया था, लेकिन इस के बावजूद उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया. मृतक के पिता ने भी माना कि जितेंद्र अदिति शर्मा द्वारा ब्लैकमेल किए जाने से परेशान था. उन्होंने उसे समझाया था कि सब ठीक हो जाएगा.

पुलिस ने अदिति शर्मा की तलाश में अपने मुखबिर सक्रिय कर दिए थे. घटना के लगभग 10 दिन बाद अदिति शर्मा के देवास में होने की जानकारी मिली तो पुलिस की एक टीम ने वहां जा कर उसे गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन तब तक अदिति शर्मा ने इस मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी, इसलिए थाने में उस के बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने उसे जाने दिया. जिस के बाद पूरी कहानी इस प्रकार से सामने आई—

उज्जैन निवासी लक्ष्मण शर्मा कारों के पुराने मैकेनिक हैं. पिता के साथ काम सीखने के बाद जितेंद्र उर्फ जीतू ने महापौर निवास के सामने अपना अलग गैराज खोल लिया था. 26 नवंबर, 2015 को जितेंद्र की शादी देवास की रहने वाली शोभा से हुई थी. शादी के कुछ समय बाद जितेंद्र सेठी नगर में किराए का मकान ले कर अपने परिवार से अलग रहने लगा था.

कुछ साल पहले जितेंद्र की पत्नी का परिवार देवास छोड़ कर गुजरात वापस चला गया. जितेंद्र की चचेरी साली अदिति शर्मा (24) देवास की एक निजी कंपनी में नौकरी करती थी, इसलिए परिवार के साथ न रह कर वह देवास में ही किराए के मकान में रहने लगी थी.

रविवार या अन्य छुट्टियों में वह अपना दिन बिताने अकसर बहन शोभा के घर उज्जैन आ जाती थी. जितेंद्र के साथ उस का हंसीमजाक का रिश्ता था, सो खुले विचारों वाली अपनी इस साली से जितेंद्र की जल्द ही काफी अच्छी बनने लगी.

अदिति शर्मा के बयानों को सच मानें तो जितेंद्र मौका मिलने पर उस के साथ छेड़छाड़ कर लेता था. अदिति शर्मा उस की इस छेड़छाड़ का बुरा नहीं मानती थी, इसलिए जितेंद्र की हिम्मत बढ़ने लगी थी. अदिति शर्मा ने बताया कि 2018 में जीजू एक रोज उस के घर देवास आ धमके. उन्हें देवास में कुछ काम था. उस रोज जीजू ने जानबूझ कर देर कर दी और फिर लेट हो जाने का बहाना बना कर रात में मेरे घर पर रुक गए.

अदिति शर्मा के अनुसार, ‘देर रात तक हम दोनों बात करते रहे, उस के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गई. कुछ देर बाद मुझे अपने शरीर पर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ. मैं ने आंखें खोल कर देखा तो जितेंद्र मेरे शरीर से छेड़खानी कर रहे थे.

‘मैं उठ कर बैठ गई और उन की इस हरकत के लिए नाराजगी व्यक्त की. लेकिन वह नहीं माने और उस रात उन्होंने जबरन मेरे साथ संबंध बना लिए. इस के बाद वह अकसर देवास आ कर मेरे साथ मौजमस्ती करते थे और लौट जाते थे.’

अदिति शर्मा ने माना कि कुछ समय पहले उस की नौकरी छूट गई थी, जिस से वह आर्थिक परेशानी में आ गई थी. इस के चलते उस ने जितेंद्र जीजू से कुछ पैसा उधार लिया था लेकिन बाद में वापस लौटा दिया था.

जबकि जितेंद्र के सुसाइड नोट के अनुसार अदिति शर्मा अकसर उसे खुला आमंत्रण देती रहती थी. लेकिन उस ने कभी गौर नहीं किया. बाद में एक दिन देवास में देर हो जाने के कारण उसे रात में अदिति शर्मा के घर पर रुकना पड़ा.

घर में दोनों अकेले थे, सो ऐसे में अदिति शर्मा रात में खुद चल कर उस के बिस्तर में घुस आई और उस से बुरी तरह लिपट कर प्यार करने लगी. अदिति शर्मा की पहल पर उस रात उस के और अदिति शर्मा के बीच शारीरिक संबंध बन गए थे.

इस घटना के बाद जितेंद्र अपराधबोध से ग्रस्त हो गया था. उस ने अदिति शर्मा से फिर कभी अकेले में न मिलने की कसम भी खा ली थी. लेकिन अदिति शर्मा ने खुद आगे बढ़ कर उसे अपने साथ फिजिकल होने को उकसाया था, इस का खुलासा कुछ दिन बाद तब हुआ, जब अदिति शर्मा ने जरूरत बता कर उस के सामने कुछ पैसों की मांग की. जितेंद्र ने उसे पैसे दे दिए तो वह आए दिन कभी 2 हजार तो कभी 5 हजार तो कभी 10 हजार रुपयों की मांग करने लगी.

वह बिना सोचेसमझे उस की मदद करता रहा, लेकिन जब अदिति शर्मा लगातार उस से ज्यादा रकम मांगने लगी तो उस ने पैसे न होने का बहाना बनाना शुरू कर दिया. जिस पर एकदो बार तो अदिति शर्मा ने कुछ नहीं कहा लेकिन एक दिन जब जितेंद्र ने उसे पैसे देने से मना किया तो वह धमकी देने लगी. उस ने कहा कि अगर उस की बात नहीं मानी तो वह सारी बात शोभा दीदी को बता देगी.

उस दिन के बाद तो अदिति शर्मा जितेंद्र को सीधेसीधे धमका कर पैसों की मांग करने लगी. अदिति शर्मा को लगातार पैसा देने के कारण जितेंद्र की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ने लगी थी, जिस से वह परेशान रहता था. जितेंद्र सोचता था कि कुछ दिनों बाद अदिति शर्मा की शादी हो जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा.

लेकिन अदिति शर्मा शादी करने को तैयार नहीं थी. बताते हैं कि एक बार जितेंद्र ने उसे शादी कर लेने की सलाह दी तो अदिति शर्मा ने उस से कहा, ‘‘लड़की 2 जरूरतों के लिए शादी करती है. पहली जरूरत तन की भूख मिटाने की और दूसरी पेट की भूख मिटाने की. इन दोनों जरूरतों के लिए तुम हो तो मैं शादी की बेड़ी पहन कर किसी की गुलाम क्यों बनूं.’’

इस से जितेंद्र समझ गया कि अदिति शर्मा से आसानी से छुटकारा नहीं मिलेगा.  जितेंद्र काफी परेशान रहने लगा था. यह देख कर जब उस की पत्नी ने उस से बारबार पूछा तो घटना से एक दिन पहले उस ने अदिति शर्मा के साथ भूलवश शारीरिक संबंध बन जाने और उस के ब्लैकमेल करने की बात पत्नी और पिता को बता दी थी. दोनों ने ही उसे पुरानी बातें भूल कर नए सिरे से जीवन शुरू करने की सलाह दी थी.

जितेंद्र के पिता और पत्नी को इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि वह यह बात अपना मन हलका करने के लिए नहीं बल्कि आत्महत्या करने से पहले अपनी गलती स्वीकार करने की गरज से बता रहा था.

उस की पत्नी और पिता दोनों का आरोप है कि उन्हें कहानी सुनाने के बाद जितेंद्र का मन हलका हो गया था. संभवत: इस के बाद उस ने अदिति शर्मा की बात मानने से इनकार किया होगा, जिस के बाद अदिति शर्मा ने उसे बदनाम करने की धमकी दी होगी, जिस से डर कर उस ने आत्महत्या कर ली.